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मंगलोर जिले के अन्य जैन स्थल / 195
गुरुवायनकेरे ( Guruvayankere)
Sara ra और धर्मस्थल के रास्ते में इस स्थान पर तीन जैन मन्दिर हैं1. शान्तीश्वर जैन बसदि, 2. चन्द्रनाथ बसदि और 3. अनन्तनाथ बसदि ।
शान्तीश्वर जैन मन्दिर मूडबिद्री के मन्दिरों जैसा ही ढलुआ छत का मन्दिर है ( चित्र क्र. 84 ) | उसके सामने एक मानस्तम्भ है । इसका अलंकरण मनोहारी है । यहाँ यक्ष-यक्षी सहित एवं मकर-तोरण से अलंकृत शान्तिनाथ की भव्य प्रतिमा है ।
उपर्युक्त स्थान की चन्द्रनाथ स्वामी बसदि एक सुन्दर मन्दिर है । उसके मूलनायक खड्गासन चन्द्रनाथ, यक्ष-यक्षी सहित हैं तथा मकर-तोरण से अलंकृत हैं । इस मन्दिर में धातु की एक ही पेनल में, एक ही चौकी पर एक ही पंक्ति में सुन्दर चौबीसी है ।
अनन्तनाथ बसदि में मूलनायक अनन्तनाथ की धातुनिर्मित प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में है। (चित्र क्र. 85 ) तथा यक्ष-यक्षी सहित एवं मकर-तोरण से सज्जित है । मन्दिर के सामने चार स्तम्भों (बीच के स्तम्भों को नहीं गिनते हुए) पर आधारित ब्रह्मदेव मण्डप ( चित्र क्र. 86 ) भी है। बंटवल (Bantwal), समसे ( Samse), पडुबिद्री ( Padubidri) और सुलकेरी ( Sulkeri ) नामक स्थानों में भी जैन मन्दिर हैं ।
बरकुर (Barkur)
उडी तालुक के इस स्थान पर नौवीं सदी की एक ध्वस्त जैन बसदि है । उसकी छत, मण्डप आदि सब भग्नावस्था में हैं। उसके सोपान - जँगले पर नदी - देवी का सुन्दर अंकन है। नर्तकदल, कीचक आदि अलंकरण बिखरे पड़े हैं।
बोमरबेट्ट (Bommerbett )
उपर्युक्त तालुक में ही स्थित जैन बसदि बिलकुल खण्डहर हो गई है। उसके नवरंग में अलंकृत स्तम्भ अभी भी देखे जा सकते हैं । यह बसदि भी सम्भवतः नौवीं सदी की है ।
केल्ल पुट्टिगे (Kella Puttige)
यह स्थान कारकल तालुक में है । यहाँ की अनन्तनाथ बसदि भी प्राचीन है । द्वार पर कन्नड़ में नाम लिखा है । द्वार के दोनों ओर एक-एक देवी चित्रित है । उनसे ऊपर पद्मासन में तीर्थंकर का अंकन है । छत ढलुआ है, शिखर नहीं है। यहाँ 14वीं सदी की एक भव्य पार्श्वनाथ प्रतिमा केवल पाँच इंच ऊँची है । वह अर्ध - पद्मासन में है और उस पर सात फणों की छाया है । सर्पकुण्डली पीछे की ओर स्पष्ट है । इस मन्दिर में कुछ विशिष्ट मूल्यवान प्रतिमाएँ भी हैं । नल्लूर (Nallur)
कारक तालुक के इस स्थान पर पार्श्वनाथ बसदि और अनन्तनाथ बसदि नामक दो जिनमन्दिर हैं । पार्श्वनाथ बसदि में मूलनायक पार्श्व की मूर्ति खड्गासन में है । वह जल उगलते मकरों