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214 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक) मन्दिर के निर्माण में मसाले का प्रयोग नहीं किया गया है । इसके पाषाण 26 स्थानों पर अन्दरबाहर लोहे की पत्तियों से जोड़े गये हैं। यह तथ्य मन्दिर के बाईं ओर की दीवाल में लगभग दो फुट के अन्तर पर देखा जा सकता है । वहाँ पाषाणों के बीच में लोहे की पत्ती दिखाई देती है।
(2) प्राचीन आदिनाथ मन्दिर--यह पार्श्व बसदि के पास एक छोटा मन्दिर है। दक्षिणी विमान शैली में बना है। प्रवेशद्वार के दोनों ओर हाथी उत्कीर्ण हैं। एक विमान में महावीर स्वामी पद्मासन में विराजमान हैं। उससे ऊपर मन्दिर सम्बन्धी शिलालेख है जो बाद में लगाया जान पड़ता है। मन्दिर के प्रवेशद्वार के सिरदल पर पद्मासन में महावीर चँवरधारी से संयुक्त हैं। ऊपर शिखरयुक्त विमान जान पड़ता है। द्वार की चौखट पर पत्रावली का भी सुन्दर अंकन है। नीचे स्तम्भयुक्त चाप से अलंकृत द्वारपाल प्रदर्शित हैं। मन्दिर के मूलनायक तीर्थंकर ऋषभदेव हैं। उनकी पाषाण-निर्मित प्रतिमा लगभग दो फुट की, छत्रत्रयी और मकर-तोरण से युक्त है। उनके एक ओर गोमुख यक्ष और यक्षी चक्रेश्वरी हैं। आसन पर सिंह का चिह्न है। उसके दोनों कोनों पर अलंकृत हाथी हैं । वास्तव में, गर्भगृह में महावीर स्वामी की पद्मासन मूर्ति थी जो खण्डित हो गई। वह अब भी शान्तिनाथ मन्दिर में रखी है। इसलिए आदिनाथ की मूर्ति महावीर स्वामी के आसन पर विराजमान कर दी गई है।
___ सभामण्डप में दाहिनी ओर कमलासन पर गणधर के चरण हैं। बाईं ओर के आसन पर चन्द्रनाथस्वामी की मूर्ति थी, लेकिन वह खण्डित हो गई, इस कारण सरस्वती प्रतिष्ठापित कर दी गई। मन्दिर के चार स्तम्भों पर सुन्दर नक्काशी है। सभामण्डप की छत में बीच में कमल का फूल उत्कीर्ण है। दो स्तरों में जो कोण बनाए गए हैं उनमें पद्मासन में तीर्थंकर अंकित हैं। मन्दिर का शिखर नहीं है। इसका निर्माणकाल 1130 ई. है।
(3) अद्वितीय कसौटो पाषाण के स्तम्भों वाला शान्तिनाथ मन्दिर-इस मन्दिर के सामने लगभग तीस फुट ऊँचा एक मानस्तम्भ है। उसके शीर्ष पर एक सुसज्जित अश्व पूर्व की ओर उछाल भरता अंकित है। स्तम्भ में नीचे यक्ष और एक अश्व भी उत्कीर्ण हैं । बसदि के प्रवेशद्वार लगभग चार मीटर ऊँचे हैं । मुखमण्डप में स्तम्भों की संयोजना है । ऊँचे द्वार के सिरदल पर पद्मासन तीर्थंकर छत्र और चँवरधारी से युक्त हैं।
गर्भगृह में मूलनायक शान्तिनाथ को 16 फुट ऊँची काले पाषाण की कायोत्सर्ग मुद्रा में भव्य प्रतिमा है।
___ मूर्ति पर छत्र है और मस्तक के पास चँवर का अंकन है। श्वेत मकर-तोरण की भी संयोजना है। उनके आस-पास यक्ष किम्पुरुष और यक्षी महामानसी की चार फुट ऊँची मूर्तियाँ हैं। विशाल प्रतिमा के अभिषेक के लिए पहले से हो सोढ़ियां निर्मित हैं । मूर्ति के सामने पाषाण की ही लगभग दो फुट ऊँची मकर-तोरणयुक्त एक और प्रतिमा भी स्थापित है । यहाँ पर महावीर की खण्डित पद्मासन मूर्ति भी सुरक्षित रखी गई है।
शान्तिनाथ मन्दिर में भी, उसके नवरंग (देखें चित्र क्र. 88) में कसौटी पाषाण के बारह स्तम्भ हैं। उनमें से प्रत्येक में प्रतिबिम्ब की व्यवस्था है। एक-दो अद्भुत उदाहरण हैं-(1) शरीर साँप जैसा इस नवरंग में दाहिनी ओर की अन्तिम पंक्ति के दूसरे स्तम्भ के सामने यदि हाथ ऊँचे किए जाएँ तो स्तम्भ में दो शरीर और साँप जैसी आकृति दिखाई देती है। (2) केंकड़े जैसी