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218 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
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ऊपर छाया करनेवाले फण टूटे हुए हैं। मूर्ति मकर- तोरण और यक्ष-यक्षी से विभूषित है । इसी प्रकार तीर्थंकर आसन और अन्य खण्डित तीर्थंकर मूर्तियाँ इस खुले संग्रहालय में हैं ।
होय्सलेश्वर मन्दिर के पास एक तालाब है जो सम्भवतः एक किलोमीटर लम्बा होगा । उसी में या उसके पास ही वह भूमि बताई जाती है जो कि तथाकथित वैष्णव (धर्म में दीक्षित ) विष्णुवर्धन के अत्याचारों से फट गई थी और जिसे विष्णुवर्धन के पश्चात्ताप करने और काफी अनुनय-विनय करने के बाद श्रवणबेलगोल के भट्टारक चारुकीर्ति ने कलिकुण्ड साधना करके पाट दिया था । यदि हलेबिड में राजधानी नहीं रही तो क्या हुआ, स्थानीय होय्सलेश्वर मन्दिर और जैन मन्दिरों के कारण यह होय्सल कलाधानी तो अब भी है । यहाँ की कला मन पर अमिट छाप छोड़ती है। उसे देखना नहीं भूलना चाहिए, शान्तिपूर्वक अवलोकन करना चाहिए ।
हलेबिड से हासन, वहाँ से चन्नरायपट्टन होते हुए श्रवणबेलगोल के लिए प्रस्थान करना
चाहिए ।