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158 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
तथा चँवरधारी आदि भी अंकित हैं ।
उपर्युक्त पूरा ही मन्दिर पाषाण का है। उसको छत पर कमल-पुष्पों का मनोहारी अंकन है। बारह स्तम्भ ऐसे हैं जो नीचे से ऊपर तक सुन्दर नक्काशी के काम से सजे हैं। स्तम्भों पर कायोत्सर्ग तीर्थंकर, मोतियों की मालाएँ, हाथी, पूर्णकुम्भ, नत्य करती बालाएँ और मदंगवादक उत्कीर्ण किये गये हैं। ये अंकन मन्दिर को भव्यता प्रदान करते हैं। चारों ओर ढलुआ छन है । पत्थर का छोटा शिखर भी है। मन्दिर लगभग 60 फुट x 40 फुट है।
गुरुराय बसदि या चन्द्रप्रभ मन्दिर-इसमें काले पाषाण की चन्द्रप्रभ की चार फुट ऊँची मूर्ति है। प्रभावली नहीं है। पाषाण के प्रवेशद्वार के सिरदल पर ऊपर पद्मासन तीर्थंकर और नीचे द्वारपाल हैं। मन्दिर छटा है। शिखर नहीं है । ताँबे का छोटा कलश है, छत टाइल्स की है। यहाँ मन्दिर की दीवाल पर और अहाते में शिलालेख हैं। खुले बरामदे के प्रवेश-द्वार के सिरदल पर भी पद्मासन तीर्थंकर और नीचे पूर्णकुम्भ का अंकन है । मन्दिर छोटा है।
__ अड्डगेरि बसदि-इस बसदि के मूलनायक पार्श्वनाथ हैं। उनकी पाषाण-प्रतिमा चार फुट ऊँची है । प्रभावली भी उसी में है। मन्दिर छोटा ही है।
मानस्तम्भ के आसपास नौ मन्दिर हैं। कारकल में कुल 21 मन्दिर हैं।
भुजबलि ब्रह्मचर्याश्रम-इस नाम का गुरुकुल भी इधर ही है। इसमें लगभग 80 छात्र निवास करते हैं । आश्रम में वर्धमान मन्दिर नामक नया मन्दिर है। क्षेत्र का पता इस प्रकार है
स्वस्तिश्री भट्टारक ललितकीर्ति जी, श्री दिगम्बर जैन मठ, दानशाला रोड, (जैन मठ रोड). पो. कारकल (Karkal), पिनकोड-574104 ज़िला-मंगलोर (Mangalore), कर्नाटक