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174 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
एक छोटा-सा गाँव है जिसकी वर्तमान आबादी पन्द्रह सौ के लगभग है। जैनियों के दस परिवार हैं। सभी नारियल सुपारी चावल और काजू की खेती करते हैं।
वेणूर भी तुलुदेश (तुलनाडु) में है।
वेणूर की प्रसिद्धि यहाँ की प्राचीन बाहुबली मूर्ति (35 फुट) के कारण है । ऊँचाई की दृष्टि से श्रवणबेलगोल (57 फुट) और कारकल (42 फुट) की मूर्ति के बाद इस मूर्ति का तीसरा नम्बर था। किन्तु धर्मस्थल में गोमटेश (बाहुबली) की 39 फुट ऊँची मूर्ति स्थापित हो जाने के बाद कर्नाटक में यहाँ की मूर्ति का स्थान चौथा हो गया।
इतिहास
जैन धर्म का पालन करने वाले राजवंशों में यहाँ 1154 ई. से 1764 ई. तक शासन करने वाले अजिलगोत्रीय राजाओं की भी गणना होती है । इस वंश के राजा सोमवंशी थे । अजिल वंश की नींव तिम्मण अजिल प्रथम ने (1154-1180 ई.) रखी । वह सम्भवतः गंगवंश में उत्पन्न हुआ था और गंगवाडि का निवासी था। यहाँ की बाहुबली प्रतिमा के दायीं ओर के शिलालेख में इस वंश के तिम्मराज ने अपने आपको चामुण्डराय का वंशज बताया है। कुछ लोगों के अनुसार ये वही चामुण्डराय हैं जिन्होंने श्रवणबेलगोल की प्रसिद्ध मूर्ति निर्मित कराई थी जबकि कुछ अन्य विद्वान् कदम्बवंश के चामुण्डराय से इनका सम्बन्ध जोड़ते हैं। जो भी हो, इस वंश के राजा प्रारम्भ से अन्त तक जैन धर्म के अनुयायी बने रहे । उनके उत्तराधिकारी आज भी अलदंगडी में रहते हैं। उनका अब ध्वस्त महल किसी समय सात मंज़िला था। उसके द्वार पर पाषाण के दो हाथी निर्मित हैं।
उपर्युक्त वंश के ही एक राजा ने वेणूर की प्रसिद्ध शान्तीश्वर बसदि का निर्माण 1490 ई. के लगभग कराया था।
__ अजिल वंश में तिम्मराज अजिल चतुर्थ हुआ है जिसने इस प्रदेश पर 1550 से 1610 ई. तक राज्य किया। उसी ने वेणूर में भगवान बाहुबली की मूर्ति बनवाई थी। इस मूर्ति के कारण कारकल के राजा ने तिम्मराज के साथ युद्ध छेड़ दिया था जिसका विवरण मूर्ति के प्रसंग में दिया जाएगा। जब यहाँ की महारानी मधुरिकादेवी (1610-1647 ई.) ने गोमटेश का अभिषेक लगभग 1634 ई. में कराया तब भी कारकल के राजा ने वेणूर पर आक्रमण किया था। इसी वंश में पद्मलादेवी नामक एक धर्मप्राण रानी ने भी यहाँ शासन किया है। सन् 1764 ई. में हैदरअली ने इसे अपने राज्य में मिला लिया। किन्तु यह वंश चलता रहा । उसे अंग्रेजों से भी पेंशन मिलती थी। किसी समय वेणूर प्रदेश पुंजलिके कहलाता था। क्षेत्र-दर्शन
यात्री जब वेणूर गाँव में बस से उतरता है उसे कुछ कदम चलने पर दो स्तम्भों पर एक फलक पर 'ॐ Sri Bhagavan Bahubali Kshetra' अंग्रेजी में दिखाई देगा। सामने ही एक भवन है जहाँ नागरी में 'श्री दिगम्बर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र समिति (रजि.), वेणूर (दक्षिण कन्नड़)' का बोर्ड मिलेगा। इसी भवन में पार्श्वनाथ मन्दिर है। मन्दिर पूर्वाभिमुखी है। इसमें मूलनायक