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कारकल / 145
समय की मानी जाती हैं । यह मन्दिर यद्यपि शिला-निर्मित है तदपि इसमें आवरण के लिए तांबे का भी प्रयोग किया गया है । इस बसदि को 'हिरे बसदि' भी कहते हैं।
वरंग तुलनाडु (तुलु–एक बोली है उससे सम्बन्धित प्रदेश) के अन्तर्गत आता है। इस तुलु प्रदेश में बैलों की दौड़ की प्रतियोगिता विशेष आकर्षण एवं आयोजन का विषय है। यह प्रतियोगिता वरंग में भी आयोजित की जाती है । इस प्रदेश में विशिष्ट देवताओं के उत्सव का भी रिवाज़ है। वरंग में, हस्त नक्षत्र (फरवरी) में रथोत्सव या यात्रा आयोजित की जाती है। श्रुतपूजा का उत्सव भी यहाँ मनाया जाता है।
नेमिनाथ मन्दिर के पास ही क्षेत्र की ओर से चलाई जानेवाली एक पाठशाला है। श्रवणबेलगोल के वर्तमान भट्टारक स्वस्ति श्री चारुकीतिजी की यह जन्मभूमि है।
ठहरने की अपर्याप्त सुविधा के कारण यह परामर्श दिया जाता है कि यात्री मूडबिद्री में ठहरें, वहाँ से बस से आकर यहाँ की यात्रा करें । पास में कारकल भी है। कुछ लोग कारकल में लॉज में ठहर सकते हैं। सामान सहित आनेवाले यात्रियों का यहाँ ठहरना असुविधाजनक हो सकता है। वरंग क्षेत्र का पता इस प्रकार है
श्री वरंग (Varang) दिगम्बर जैन मठ, ग्राम-वरंग, पिनकोड 576144 तालुक-कारकल (Karkal) ज़िला-मंगलोर (Mangalore), कर्नाटक
कारकल
[42 फुट ऊँची बाहुबली की मूर्ति कारकल एक तालुक (तहसील) है जो कि मंगलोर/मंगलूर ज़िले (पुराना नाम दक्षिण कन्नड़, South Kanara) के अन्तर्गत आता है। अवस्थिति एवं मार्ग
यह स्थान वरंग से 24 कि. मी., मूडबिद्री से 26 कि. मी. और मूडबिद्री होते हुए मंगलोर से 63 कि. मी. की दूरी पर मंगलोर-शिमोगा मार्ग पर स्थित है। इस मार्ग पर बसों की अच्छी सुविधा है। --
निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा मंगलोर है।
उपर्युक्त मार्ग पर चलनेवाली बसें यात्री को यहाँ के बाज़ार में स्थित बस स्टेण्ड पर छोड़ती हैं। वहाँ से मूडबिद्री की ओर जानेवाली सड़क पर, लगभग एक कि. मी. की दूरी पर, बाहुबली को विशाल मूर्ति, प्रसिद्ध चतुर्मुख बसदि और जैन मठ तथा धर्मशाला आदि के लिए मार्ग है।