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(लगभग डेढ़ फुट ) ग्यारहवीं सदी की है । गोल आसन पर बाहुबली की सात इंच के लगभग, लताओं के स्पष्ट अंकन से युक्त प्रतिमा तेरहवीं शताब्दी की है। दो अर्धपद्मासन तीर्थंकर प्रतिमाएँ पन्द्रहवीं और सोलहवीं सदी की हैं। दो पंक्ति के नागरी लेखयुक्त लगभग दो फुट ॐ अनाथ की एक प्रतिमा बीसवीं शताब्दी की है । इसी प्रकार एक पंक्ति के लेखवाली सप्तपणी प्रतिमा पार्श्वनाथ की है किन्तु वह सर्पकुण्डली रहित है ।
दरगा के सहस्रफणी पार्श्वनाथ
यहाँ से पर्यटक को एक अतिशययुक्त प्रतिमा के मन्दिर की ओर बढ़ना है । इस मन्दिर का नागरी लिपि में नाम लिखा है 'श्री 1008 सहस्रफणी पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, दरगा (बीजापुर)' । कट्टरपन्थी धर्मान्धों के आक्रमण से बचाने के लिए इसे ज़मीन में दबा दिया गया था। अभी कुछ ही वर्षों पूर्व ही इसे निकाला गया है। इसकी रचना से भी इसका प्राचीन होना सिद्ध होता है । जैन मन्दिर को ढूंढ़ निकालना कभी-कभी मुश्किल काम होता है । इस मन्दिर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है । इस कारण यहाँ उसका मार्ग दिया जा रहा है । महात्मा गांधी रोड पर गांधी चौक सभी जानते हैं । वहाँ से आजाद रोड, चन्दापुरी रोड । इसके बाद मुलगसी अगसी नामक क़िले के फाटक जैसा एक गेट आता है । उसके बाहर गाँव जैसा मुहल्ला है । उससे लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर जेल है और वहाँ से फिर एक किलोमीटर की दूरी पर एक छोटा गाँव जैसा है जो कि 'दरगा' कहलाता है । यह स्थान शहर से लगभग तीन किलो मीटर की दूरी पर है । यहीं यह मन्दिर स्थित है ।
उपर्युक्त मन्दिर में काले पाषाण की लगभग 5 फुट ऊँची एक हजार फणोंवाली पार्श्वनाथ की एक बड़ी अतिशयपूर्ण प्रतिमा है (देखें चित्र क्र. 8 ) । उसकी विशेषता यह भी है कि सर्पफण में दूध डालने से सभी फणों में दूध बह निकलता है। कहा जाता है कि यह मूर्ति जमीन से निकली थी । इसी मूर्ति वाले कोष्ठ में संगमरमर की लगभग तीन फुट ऊँची एक चौबीसी भी है जिसके मूलनायक कायोत्सर्ग मुद्रा में तीर्थंकर पार्श्वनाथ हैं । इसी तरह की एक और प्रतिमा भी है। दूसरे कोष्ठ में काले पाषाण की पद्मासन पार्श्वनाथ प्रतिमा है । इसी प्रकार काले पाषाण की ही महावीर स्वामी की पद्मासन प्रतिमा 5 फुट ऊँची है । ये प्रतिमाएँ दसवीं, चौदहवीं और पन्द्रहवीं शताब्दी की बताई जाती हैं । सात फणों वाली पार्श्वनाथ प्रतिमा के केश भी दिखाए गए हैं । कोष्ठ मेहराबदार हैं और पाषाण के हैं । दूसरे कोष्ठ में जाने के लिए लगभग चार फुट ऊँचा छोटा दरवाजा है । मुस्लिम शैली का एक छोटा-सा शिखर भी इस मन्दिर पर है । मन्दिर के आस-पास कोई भी जैन परिवार नहीं रहता है। मन्दिर में सुबह 9 से 10 बजे तक पूजन होती है और उसके बाद उसका दरवाजा बन्द कर दिया जाता है । मन्दिर के चारों ओर परकोटा है ।
संग्रहालय
बीजापुर में भारत सरकार के पुरातत्त्व विभाग का एक संग्रहालय भी है जो कि गोल