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ऐहोल / 43 क्षेत्र-दर्शन
उपर्युक्त नगर में पार्श्वनाथ बसदि नामक एक दिगम्बर जैन मन्दिर है। इसमें दसवीं शती से लेकर उन्नीसवीं शती तक की सुन्दर प्रतिमाएँ हैं। पहली मंजिल पर विराजमान लगभग तीन फुट ऊँची पार्श्वनाथ की कायोत्सर्ग प्रतिमा के साथ सुन्दर नक्काशी है। सात फणों
इस प्रतिमा की सर्प-कुण्डली भगवान के पैरों तक आयी है । इस पर छत्र और ओवर नहीं हैं। मूर्ति के आसन पर कन्नड़ में तीन पंक्तियों का लेख है।
दसवीं शताब्दी की धरणेन्द्र की भी एक प्रतिमा इस मन्दिर में है।
बारहवीं सदी की आदिनाथ की अर्धपद्मासन प्रतिमा के दोनों ओर दो साध हाथ जोड़े प्रदर्शित हैं। इस पर सम्भवतः तेलुगु में लेख है।
उन्नीसवीं शताब्दी की सहस्रफणी पद्मासन पार्श्वनाथ प्रतिमा के आसन पर सर्प का चिह्न है। इसकी नक्काशी भी मनोहारी है।
पन्द्रहवीं सदी को लगभग 18 इंच ऊँचो बाहुबली की मूर्ति के गले में त्रिवलय (तीन रेखाएँ) उत्कीर्ण हैं और कान कन्धों तक चित्रित हैं । लताएँ तथा बामियाँ तो हैं ही।
मन्दिर में नवदेवता की एक कांस्य प्रतिमा है जो कुछ घिस गई है। इस पर नौ देवताअर्हन्त, सिद्ध, आचार्य, आध्याय, साधु, जिनदेवता, जिनवाणी जिनधर्म और जिनमन्दिर(एक चक्र के रूप में प्रदर्शित) उत्कीर्ण हैं । इस पर तमिल में आठ पंक्तियों का एक लेख भी है।
यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यहाँ कन्नड, तेलुगु और तमिलभाषी जैन धर्मावलम्बियों की अच्छी संख्या रही होगी और उनमें परस्पर अद्भुत भ्रातृभावना रही होगी।
बागलकोट में बेलगाँव रोड पर एक श्वेताम्बर मन्दिर भी है।
ऐहोल
(मन्दिरों का गाँव) अवस्थिति एवं मार्ग
बीजापुर जिले के नक्शों में इस गाँव के अंग्रेजी नाम हैं-Aivalli या Aihole । स्थानीय जनता 'ऐहोली' कहती है। प्राचीन नाम ऐविल्ल, अय्यावले या आर्यपुर हैं।
_इस गाँव तक दो रेलवे स्टेशनों-बागलकोट या बादामी-से बस द्वारा पहँचा जा सकता है। वैसे बागलकोट से सड़क का रास्ता अच्छा है। बेलगाँव से रायचूर सड़क-मार्ग बागलकोट होकर गुजरता है । बागलकोट और हुनगुन्द (Hongund) के बीच में अमीनगढ़ (45 कि. मी.) नामक स्थान से एक दूसरी सड़क ऐहोल के लिए जाती है। इस मार्ग पर बसें भी अधिक हैं । अमीनगढ़ से ऐहोल (9 कि. मी.) के लिए बस या मेटाडोर मिल जाती हैं । बागलकोट से ऐहोल (46 कि. मी.) के लिए सीधी बस-सेवा भी है।
दूसरा सड़क-मार्ग बादामी से पट्टदकल होते हुए है । बादामी से ऐहोल की बस ग्रामीण