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88 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
warriors who represent nobles or captains and the king are portrayed wearing their hair in the Jaina style." - 7. राजमहल और राजदरबार-महानवमी डिब्बा के पास ही विजयनगर राजाओं के महल की ग्रेनाइट पत्थर को चौकी बताई जाती है जिस पर हाथी, अश्वों और नर्तकों का सुन्दर अंकन है। किन्तु हाल की खुदाई के कारण संशय उत्पन्न हो गया है कि राजमहल इसी स्थान पर था।
इसी के पास एक भूमिगत कक्ष है जो कि हरे पाषाण से निर्मित है। यह किस काम आता था स्पष्ट नहीं है । कुछ लोग इसे एक मंदिर मानते हैं।
राजदरबार महानवमी डिब्बा के पश्चिम में स्थित है। अब वहाँ कोई भवन नहीं है केवल चौकी बची है। अनुमान है कि इसमें एक सौ स्तम्भ रहे होंगे। उनके खाँचे अब भी देखे जा सकते हैं जो कि एक पंक्ति में दस के हिसाब से हैं । अरब यात्री अब्दुर्रजाक़ के अनुसार, यह सबसे ऊँचा भवन था।
8. हजारा-राम मन्दिर (भव्य, दर्शनीय एवं कलापूर्ण)-यह एक वैष्णव मन्दिर है । श्री रामचन्द्र के रूप में यहाँ विष्णु की प्रतिष्ठा है किन्तु शैव मूर्तियाँ भी हैं। इस मन्दिर में राजघराने के लोग पूजन किया करते थे । यह 200 फीट लम्बा और 110 फीट चौड़ा है। इसके प्रांगण के आसपास 24 फीट ऊँची दीवाल है ताकि एकान्त में राजपुरुष आराधना कर सकें। इसका शिखर 50 फीट ऊँचा है। इसमें सुन्दर चमकीले रंगों में चित्रकारी है। इसका नाम हजारा-राम पड़ने का एक कारण यह बताया जाता है कि इसमें राम के हज़ारों चित्र हैं। इसके स्तम्भ काले पाषाण के चमकदार पॉलिश के हैं।
मन्दिर में गर्भगृह, नवरंग, शुकनासी और कल्याण मण्डप हैं। इसके अर्धमण्डप में रामायण के दृश्यों का सुन्दर उत्को र्गन है। स्तम्भों पर गणेश, महिषासुरमर्दिनी, हनुमान और 'विष्णु के दस अवतार' अंकित हैं। इसमें इतने चित्र हैं कि इसे 'चित्र गैलरी' भी कहा जाता है। इसका शिखर दक्षिण भारतीय शैली का है।।
राम-मन्दिर में तीर्थंकर मूर्तियाँ-उपर्युक्त मन्दिर में तीर्थंकर मूर्तियाँ भी उत्कीर्ण हैं । उनमें एक है गर्भगृह के पीछे की दीवाल पर । 10 इंच की इस पद्मासन तीर्थंकर मूर्ति के ऊपर शिखर जैसा बना है। यह मूर्ति पीछे के आँगन से दिखाई देती है। यहाँ एक नक्काशीदार स्तम्भ भी है।
दूसरी मूर्ति प्रवेशद्वार से दाहिनी तरफ की दीवाल पर उत्कीर्ण है। शेष अंकन ऊपर कही गई मूर्ति की ही तरह है । मूर्ति पद्मासन मुद्रा में है।
यह मन्दिर विशाल है, अच्छी हालत में है और अवश्य ही ध्यान से देखने लायक है। इसके पीछे अम्मन-मन्दिर या देवी-मन्दिर भी है।
राम-मन्दिर की दाहिनी ओर, सड़क के किनारे एक दृश्य-स्थल (view point) बना है जहाँ से विजयनगर के अवशेष देखे जा सकते हैं।
9. भूमिगत मन्दिर-पास ही में एक मन्दिर है जो कि जमीन के अन्दर है। उसका गोपुर दो मंज़िल का है। उसका ऊपरी भाग ध्वस्त हो गया है । पूरा मन्दिर ही ध्वस्त अवस्था में है। उसमें पानी भरा रहता है। कहते हैं कि उसमें एक नहर है । उसके महामण्डप की छत से