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34 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
एक उपयुक्त स्थान हो सकेगी।
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गुरुबसदि या दोड्डुबसदि (नेमिनाथ देवस्थान ) – मठ गली से अनन्तशयन गली ( बाज़ार का इलाका), वहाँ से तिलक चौक होकर बसवान गली है । यहीं स्थित है उपरिलिखित देवस्थान या मन्दिर जो कि दो हजार वर्ष पुराना बताया जाता है । इसका जीर्णोद्धार 1845 ई० में हुआ था। इसमें काले पाषाण की भगवान नेमिनाथ की मुख्य प्रतिमा है । ब्रह्मदेव और पद्मावती की प्रतिमाएँ भी हैं। गर्भगृह और उसके अगले कोष्ठ के बाद, एक बड़ा हॉल है । मन्दिर पर शिखर नहीं है। उसकी छत ऊँची है । मन्दिर के सामने एक प्राचीन मानस्तम्भ है । उसके चारों ओर पद्मासन में तीर्थंकर प्रतिमाएँ हैं। ऊपर भी तीर्थंकर विराजमान हैं । इसके एक ओर ब्रह्मदेव हैं तो दूसरी ओर पद्मावती । मन्दिर में एक प्राचीन बावड़ी भी है । मन्दिर में खुला क्षेत्र भी काफी है । उसके आसपास अर्चक (पुजारी) रहते हैं । अहाते की दीवार लाल पत्थर की ईंटों की बनी हुई है।
शेरी गली में चन्द्रप्रभ मन्दिर है । वहाँ पहुँचने के लिए पर्यटक को दोड्ड बसदि से रामलिंग गली, तिलक चौक होते हुए शेरी गली में पहुँचना चाहिए । यहीं पर यह मन्दिर स्थित है । बताया जाता है कि यह मन्दिर भी प्राचीन है किन्तु उसका नवीनीकरण किया गया है। यह बात इस जिनालय पर किए गए रंग-रोगन से भी स्पष्ट हो जाती है । इसके गर्भगृह के मूलनायक चन्द्रप्रभ हैं । प्रतिमा काले पाषाण की है । इसी में हैं चौबीसी और अरिहन्त प्रतिमाएँ । गर्भगृह से बाहर के कोष्ठ में पीतल का धर्मचक्र, जैनध्वज तथा त्रिछत्र ध्वज भी हैं । इस कोष्ठ से बाहर यक्ष-यक्ष की प्रतिमाएँ हैं । इसका अहाता छोटा है। यह मन्दिर 'टोनान बसदि भी कहलाता है ।
उपर्युक्त सभी मन्दिर पुराने शहर की सीमा में हैं ।
टिकवाड़ी का मन्दिर - पूना - बंगलोर रोड से उपर्युक्त मन्दिरों की यात्रा कर शेरी गली से शनि मन्दिर रोड पर आकर निम्नलिखित मार्गों को पार करते हुए टिलकवाड़ी पहुँचना चाहिए - शनि मन्दिर रोड, पाटिल गली, स्टेशन रोड, (छावनी सीमा) रेलवे स्टेशन, पॉवर हाउस रोड, पुल के नीचे से गोआ रोड, टिलकवाड़ी रेलवे क्रॉसिंग, सोमवार पेठ के बाद टिलकवाड़ी । धनिक एवं शिक्षित वर्ग की इस नयी तथा साफ-सुथरी कालोनी में श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, टिलकवाड़ी पुलिस स्टेशन के पास है । यह भी है तो प्राचीन किन्तु इसका जीर्णोद्धार इस प्रकार हुआ है कि यह बिलकुल नवीन लगता है। इस पर शिखर नहीं है । इसके प्रवेशद्वार पर, जो कि लकड़ी का है, बहुत सुन्दर नक्काशी है । इसके गर्भगृह में लगभग चार फुट ऊँची पार्श्वनाथ की प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में उच्च आसन पर प्रस्थापित है । उस पर सात फणों की छाया है और वह मकर- तोरण तथा कीर्तिमुख से अलंकृत है । पार्श्वनाथ मूर्ति के यक्षयक्ष का उत्कीर्णन उसके घुटनों तक हुआ है । यहाँ धातु की चौबीसी और नवदेवता प्रतिमाएँ भी हैं । मन्दिर के आलों में पद्मावती और ज्वालामालिनी की मूर्तियाँ भी हैं । मन्दिर का मण्डप काफी बड़ा है ।
गोमटेश नगर (गोम्मट नगर या कन्नड नाम हिंदवाडी ) का जैन मन्दिर - गोमटेश नगर एक ऐसी कालोनी है जो कि एक पहाड़ी पर बनी हुई है । यहाँ भी धनिक या उच्च वर्ग का