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38 / भारत के दिगम्बर जैन तीर्थ (कर्नाटक)
पणजी (गोआ )
(उन्मुक्त वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य की राजधानी )
अवस्थिति और मार्ग
बेलगाँव से रेल मार्ग द्वारा वास्को डि गामा ( गोआ का रेलवे स्टेशन ) 163 कि. मी. है । यहाँ लोंढा जंक्शन होकर जाना पड़ता है जो कि बेलगाँव से 51 कि. मी. है। यहाँ छोटी लाइन की गाड़ी चलती हैं। मिरज दक्षिण मध्य रेलवे का एक प्रमुख जंक्शन है । यहाँ से बंगलोर और वास्कोडिगामा (संक्षेप में, वास्को), गोआ के लिए छोटी लाइन की रेलगाड़ियाँ शुरू होती हैं। गोआ की राजधानी पणजी और वास्को के बीच की दूरी 31 किलोमीटर है । इसलिए वास्को से बस लेनी होती है, तब कहीं पणजी पहुँचते हैं ।
बेलगाँव शहर से गोआ (पणजी) का सड़कमार्ग इस प्रकार है- बेलगाँव से गुजरने वाले पूना-बंगलोर रोड से बेलगाँव रेलवे स्टेशन, वहाँ पुल के नीचे से राजमार्ग क्रमांक 4ए सीधा पणजी के लिए जाता है । रास्ते में 27 कि. मी. की दूरी पर खानापुर पड़ता है । यहाँ भी शान्तिनाथ बसदि गाँव से बाहर स्थित है । यहाँ पुजारी अन्य स्थान से आकर पूजन कर जाता है । खानापुर से 26 कि. मी. की दूरी पर लोंढा नामक स्थान है। लोंढा से पणजो 100 कि.मी. और बेलगाँव 53 कि. मी., कारवाड़ (उत्तर कर्नाटक जिला ) 115 कि. मी. और धारवाड़ 62 कि. मी. हैं। बंगलोर यहाँ से 598 कि. मी. है। इस प्रकार यह स्थान रेलवे जंक्शन होने के साथ ही साथ सड़क यातायात का भी एक प्रमुख केन्द्र है । यहाँ से रेल एक ओर वास्को जाती है तो दूसरी ओर धारवाड़ | लोंढ़ा से 25 कि. मी. की दूरी पर अनमोड नामक स्थान है । यहाँ कर्नाटक सरकार का चेक पोस्ट है । अनमोड से 22 कि. मी. की दूरी पर स्थित मोले (Molem) नामक स्थान तक का रास्ता घाटियों एवं जंगल से भरा है । इसे घाट सेक्शन कहते हैं । इसमें 5 मोड़ इतने अधिक हैं कि रात को वाहन नहीं चलते। जँगली जानवर भी वहाँ पाये जाते हैं ।
हवाई जहाज से यात्रा के लिए दिल्ली, बम्बई, बेलगाँव और बंगलोर से वायुयान उपलब्ध हैं । पणजी के लिए हवाई अड्डा डाबोलिम है जो कि पगजी से 29 कि. मी. और वास्को डिगामा से 3 कि.मी. है ।
समुद्री मार्ग द्वारा भी पणजी की यात्रा सम्भव है । बम्बई की एक फर्म मेसर्स मुगल लाइन्स, न्यू फेरीव्हार्फ (Ferry wharf), बम्बई अक्टूबर से मई तक अपना जहाज बम्बई से पणजी तक चलाती है। जहाज यात्रियों को गोआ सरकार के सचिवालय के सामने उतारता है जो सुविधाजनक स्थान है ।
भगवान महावीर अभयारण्य
ऊपर लिखे 22 कि. मी. पहाड़ी और जंगल का रास्ता गोआ सरकार के क्षेत्र में आता है । भारत के संविधान में 1987 में गोआ को केन्द्र शासित प्रदेश के स्थान पर अब राज्य का दर्जा प्राप्त हो गया है । गोआ सरकार 1 इस क्षेत्र में शिकार की मनाही कर दी है और इस