________________
बेलगाँव
बेलगाँव / 29
अवस्थिति और मार्ग
गाँव कर्नाटक का एक प्रमुख जिला है और राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 4 पर स्थित है । यह सड़क मार्ग पूना-बंगलोर रोड कहलाता है । जैसा कि पहले बताया जा चुका है, यह प्रमुख जैन तीर्थ निधि से लगभग 55 कि. मी. की दूरी पर स्थित है। राजमार्ग शहर के बीच से होकर गुजरता है। बस स्टैण्ड पी. बी. रोड पर क़िले के पास है ।
बेलगाँव से बंगलोर 502 कि. मी. है। यहाँ से विभिन्न स्थानों के लिए आरामदेह बसें उपलब्ध हैं । बम्बई - बंगलोर रेल मार्ग पर भी बेलगाँव एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है । बम्बई से मिरज तक बड़ी लाइन है और मिरज से बंगलोर तक छोटी लाइन । (मिरज पर यात्री बड़ी लाइन की गाड़ी छोड़कर छोटी लाइन की गाड़ी में बैठकर आगे की यात्रा करते हैं । जिनका रिजर्वेशन होता है उन्हें छोटी लाइन की गाड़ी में अपने आप ही रिजर्वेशन मिल जाता है ।) बेलगाँव छोटी लाइन पर स्थित है और रेलमार्ग द्वारा मिरज से 138 कि. मी. दूर है। इस मार्ग पर बम्बई से बंगलोर तक चलने वाली महालक्ष्मी एक्सप्रेस अच्छी गाड़ियों में से एक है । बेलगाँव दक्षिण-मध्य रेलवे के अन्तर्गत आता है । स्टेशन बस स्टैण्ड से 2 कि. मी. दूर है ।
बेलगाँव में हवाई अड्डा भी है। यह बेलगाँव - बागलकोट मार्ग पर शहर से लगभग 12 कि. मी. की दूरी पर साम्ब्रा (Sambra) नामक स्थान पर अवस्थित है । यह पुस्तक लिखते समय, इंडियन एयरलाइन्स की एक दैनिक उड़ान बम्बई से बेलगाँव के लिए सीधी है । यह सेवा सुबह के समय की है और करीब सवा घण्टे की होती है
मराठी भाषी इस स्थान को 'बेलगाँव' कहते हैं जबकि कन्नड़भाषी 'बेलगाम' बोलते हैं । अंग्रेजी में 'Belgaum ' है ।
बेलगाँव का प्राचीन नाम वेणुग्राम या वेणुपुर है । इसका अर्थ होता है - वह स्थान जहाँ वेणु (बाँस) अधिक होते हों । संभव है किसी समय यहाँ बाँसों की अधिकता हो ( अब नहीं है ) ।
यहाँ हल कन्नड़ (पुरानी कन्नड़) में 1205 ई० का एक शिलालेख है जिसमें इस स्थान का नाम बलगाम्बे और वेगिग्राम भी दिया गया है । इस लेख में राष्ट्रकूट ( रट्ट) राजाओं की वंशाबली दी गई है और जैन मन्दिर के लिए दान का उल्लेख है । उस समय यहाँ कार्तवीर्य देव का शासन था । (यह पहले भी उल्लेख किया जा चुका है कि कर्नाटक में शिलालेख को शासन कहा जाता रहा है ।)
बेलगाँव बारह किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है।
न केवल बीती शताब्दियों में या मध्य युग में, अपितु आज भी यह स्थान जैनों का बहुत बड़ा केन्द्र है । आज भी इसे जैनों का गढ़ कहा जा सकता है । आज भी यहाँ लगभग 3000 जैन परिवार निवास करते हैं । अलरवाड, बस्तवाड और अनगोल जैसे गाँव पूरे के पूरे जैन हैं । भगाँव में केवल एक जैन परिवार है किन्तु उसने भी एक नया मन्दिर बनवाया है । यहाँ के जैन चतुर्थ जैन और पंचम जैन के रूप में बँटे हुए हैं । चतुर्थ जैन खेती करते हैं और पंचम जैन व्यापार करते हैं ।