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तीन आधुनिक मुनिरत्नों की भूमि में / 19 रावन सिद्धेश्वर मन्दिर में सुपार्श्व, बेसवन बागेवाड़ी तालुक), कमगि (Kametgi, पार्श्वबसदि, मुड्डे बिहल (जिनालय, इसी नाम का तालुक) तलिकोटी (Talikoti, आदिनाथ बसदि, मुड्डेबिहल तालुक) और तेरदल (Terdal, गोंक जिनालय, जमखंडि तालुक)।
और अब बेलगांव की दिशा में शान्तिगिरि की ओर।
तीन आधुनिक मुनि रत्नों की भूमि में
बीजापुर जिले के बाद बेलगाँव एक ऐसा ज़िला है जिसमें जिनधर्म की प्रभावना आज भी शायद कर्नाटक के किसी भी जिले से सबसे अधिक है। यह ज़िला मानो जैनों का गढ़ ही है।
बेलगाँव ही वह ज़िला है जिसने आधुनिक युग में भी तीन मुनिरत्न हमें दिये हैं--- आचार्य शान्तिसागर जी, आचार्य देशभूषण जी और आचार्य विद्यानन्द जी । ये ही वे जातरूप मुनि हैं जिन्होंने जैन-अजैन जनों में जैनधर्म की प्रभावना की है और जैन समाज को मार्गदर्शन
दिया है।
- अव हमारे यात्राक्रम का अगला पड़ाव है आचार्य देशभूषण जी महाराज के गाँव कोथली के पास स्थित शान्तिगिरि।
मार्ग --सड़क-मार्ग से विभिन्न स्थानों को दूरो इस प्रकार है-बीजापुर से बबलेश्वर होते हुए जमखण्डि 62 कि. मी.। जमखण्डि से एक मार्ग बेलगांव (153 कि. मी.) जाता है और दूसरा मार्ग धारवाड ( यह भी 153 कि. मी.)। किन्तु शान्तिगिरि के लिए हमें जमखण्डि से महालिंगपुर जाना है जहाँ पहुँचने के लिए दो मार्ग हैं। एक, बनहट्टी (19 कि. मो.) होकर और दूसरा मुधोल होकर । मुधोल के रास्ते महालिंगपुर की दूरी आठ-नौ कि. मो. अधिक पड़ती है। इसलिए बनहट्टी के रास्ते महालिंगपुर जाना चाहिए। यहाँ से चिकोड़ी ( Chikodi ) 61 कि. मी. है। वैसे दक्षिण-मध्य रेलवे की मिरज-हुबली (मीटर गेज) लाइन पर 'चिकोड़ो रोड' रेलवे स्टेशन भी है जो कि मिरज से 65 कि. मी. है। चिकोड़ी से निपानी 27 कि. मो. दूर है। इन दोनों स्थानों के बीच में शान्तिगिरि मार्ग है।
जब हम चिकोड़ी के निकट पहुँचते हैं तो चिकोड़ी-निपानी मुख्य सड़क पर स्थित बसस्टैण्ड के पास सुन्दर धर्मचक्र के सन्मुख होते हैं।
चिकोड़ी में लगभग दो सौ जैन परिवार निवास करते हैं । यहाँ एक मन्दिर पुराना है और एक नया। दोनों मन्दिरों की व्यवस्था समाज द्वारा की जाती है।
.. चिकोड़ी तालुक ने ही भारत को दिगम्बर जैन समाज को उक्त तीन आधुनिक मुनिरत्न दिये हैं। भोजगांव
चिकोडी तालुक में आचार्य शान्तिसागर जी की जन्मभूमि भोजगाँव है । यह कोथली से