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भगवती सूत्र .-इन्द्र भतिजी की महानता
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एवं लब्धि विशेष द्वारा उत्पन्न हुई थी, जो कि अनेक योजन प्रमाण क्षेत्र में रहे हुए पदार्थों को भस्म करने में समर्थ होने से विपुल थी। ऐसी विपुल तेजोलेश्या को अपने शरीर में लौन होने से संक्षिप्त कर रखी थी। चौदह पूर्वो की रचना करने के कारण वे चौदह पूर्वधारी थे अर्थात् वे उन्हीं के द्वारा रचे हुए थे । मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान और मनःपर्यय ज्ञान, इन चार ज्ञान के धारक थे। वे सर्वाक्षरसन्निपाती थे अर्थात् समस्त अक्षरों के संयोगों से बनने वाले समस्त पदों को एवं समस्त ज्ञेय पदार्थों को जानने वाले थे।
प्रश्न-वज्र-ऋषभ-नाराच संहनन किसे कहते हैं ?
उत्तर-जिससे शरीर के पुद्गल मजबूत किये जायं उसको अर्थात् कीलिकादि रूप हड्डियों की रचना विशेष को संहनन करते हैं । जिस संहनन में दो हड्डियों के मर्कट बन्धं पर पट्टा बंधा हो और ऊपर से वज्र की कील ठोकी हुई हो ऐसे दृढ़ संहनन को 'वज्र-ऋषभ-नाराच' संहनन कहते हैं।
- तोर्थ का प्रवर्तन करते समय तीर्थङ्कर भगवान् जिस अर्थ का गणधरों को पहले पहल उपदेश देते हैं अथवा गणधर पहले पहल जिस अर्थ को सूत्र रूप में गूंथते हैं, उन्हें पूर्व कहा जाता है । पूर्व चौदह ये हैं
(१) उत्पादपूर्व-इस पूर्व में सभी द्रव्य और सभी पर्यायों के उत्पाद को लेकर प्ररूपणा की गई है। उत्पादं पूर्व में एक करोड़ पद हैं।
(२) अग्रायणीयपूर्व-इसमें सभी द्रव्य, सभी पर्याय और सभी जीवों के परिमाण का वर्णन है। इसमें ९६ लाख पद हैं। .
(३) वीर्यप्रवाद पूर्व-इसमें सकर्मक और अकर्मक जीवों के तथा अजीवों के बीर्य (शक्ति) का वर्णन है। इसमें सत्तर लाख पद हैं।
(1) अस्तिनास्ति प्रवाद--संसार में धर्मास्तिकाय आदि जो वस्तुएं विद्यमान हैं तथा आकाशकसम आदि जो अविद्यमान हैं, उन सबका वर्ण अस्तिनास्ति प्रवाद पूर्व में है। इसमें साठ लाख पद हैं।
(५) ज्ञान प्रवाद पूर्व-इसमें मतिज्ञान आदि ज्ञान के पांच भेदों का वर्णन है । इसमें एक कम एक करोड़ पद है।
. (६) सत्य प्रवाद पूर्व-इसमें सत्य एवं संयम का भेद निरूपण पूर्वक विस्तृत वर्णन है । इसमें एक करोड़ छह पद हैं।
(७) आत्म प्रवाद पूर्व-इसमें अनेक नयों और मतों की अपेक्षा आत्मा का प्रतिपादन किया गया है। इसमें छब्बीस करोड़ पद हैं।
(८) कर्म प्रवाद पूर्व-इसमें आठ कर्मों का निरूपण प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश आदि भेदों द्वारा विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है । इसमें एक करोड़ अस्सी लाख पद है।
(९) प्रत्याख्यान प्रवाद पूर्व-इसमें प्रत्याख्यानों का भेद प्रभेद पूर्वक वर्णन है। इसमें चौरासी लाख पद हैं।
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