Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -अंगसुत्ताणि Spiele JAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVAVA वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी संपादक मुनि नथमल Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवान महावीर की पचीसवीं निर्वाण शताब्दी के उपलक्ष में निगंथं पावयणं अंगसुत्ताणि भगवई विवाहपण्णत्ती वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी संपादक मुनि नथमल प्रकाशक जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रबंध सम्पादक : श्रीचन्द रामपुरिया, निदेशक आगम और साहित्य प्रकाशन विभाग (जैन विश्व भारती) स्व० श्री बिरधीचन्दजी गोठी एवं मदनचन्दजी गोठो की पुण्य स्मृति प्रकाशन तिथि विक्रम संवत् २०३१ कार्तिक कृष्णा १३ (२५०० वां निर्वाण दिवस) श्री जयचन्दलालजी सूरजमलजी गोठी परिवार (सरदारशहर) आर्थिक सौजन्य प्रकाशित पृष्ठांक ११५० मूल्य : ६०) मुद्रक :-- एस. नारायण एण्ड संस (प्रिंटिंग प्रेस) ७११७/१८, पहाड़ी धीरज, दिल्ली-६ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ANGA SUTTĀNI IL BHAGAWAI VIĀHAPANNATTI (Bhagawati Sutra with Original Text Critically edited) Vāćanā PRAMUKHA ACHĀRYA TULASI EDITOR MUNI NATHAMAL Publisher JAIN VISWA BHARATI LADNUN (Rajasthan) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Managing Editor Shreechand Rampuria. Director : Āgama and Sahitya Publication Dept. JAIN VISHWA BHARATI, LADNUN Published by the kind munifience of the members V.S. 2031 Kārtic Kệishna 13 2500th Nirvana Day of the family of Sri Jaicband Lal Surajmal Gouti (Sardar Shahar) in sacred memory of Birdhichandji Gouti and Pages 1150 Madan Chandji Gouti Rs. 90/ Printers : S. Narayan & Sons (Printing Press) 7117/18, Pahari Dhiraj, Delhi-6 Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्तस्तोष अन्तस्तोष अनिर्वचनीय होता है उस माली का जो अपने हाथों से उप्त और सिंचित द्रुम-निकुंज को पल्लवित, पुष्पित और फलित हुआ देखता है, उस कलाकार का जो अपनी तूलिका से निराकार को साकार हुआ देखता है और उस कल्पनाकार का जो अपनी कल्पना को अपने प्रयत्नों से प्राणवान् बना देखता है। चिरकाल से मेरा मन इस कल्पना से भरा था कि जैन आगमों का शोध-पूर्ण सम्पादन हो और मेरे जीवन के बहुश्रमी क्षण उसमें लगे । संकल्प फलवान् बना और वैसा ही हुआ। मुझे केन्द्र मान मेरा धर्म-परिवार उस कार्य में संलग्न हो गया। अत: मेरे इस अन्तस्तोष में मैं उन सबको समभागी बनाना चाहता है, जो इस प्रवृत्ति में संविभागी रहे हैं। संक्षेप में वह संविभाग इस प्रकार है-- संपादक: सहयोगी : पाठ-संशोधन : मुनि नथमल मुनि दुलहराज मुनि सुदर्शन मुनि मधुकर मुनि हीरालाल संविभाग हमारा धर्म है। जिन-जिनने इस गुरुतर प्रवृत्ति में उन्मुक्त भाव से अपना संविभाग समर्पित किया है, उन सबको मैं आशीर्वाद देता है और कामना करता है कि उनका भविष्य इस महान कार्य का भविष्य बने । आचार्य तुलसी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समर्पण पुट्ठो वि पण्णा-पुरिसो सुदक्खो, आणा-पहाणो जणि जस्स निच्चं । सच्चप्पओगे पवरासयस्स, भिक्खुस्स तस्स प्पणिहाणपुच्वं ॥ जिसका प्रज्ञा-पुरुष पुष्ट पटु, होकर भी आगम-प्रधान था। सत्य-योग में प्रवर चित्त था, उसी भिक्षु को विमल भाव से । विलोडियं आगमदुद्धमेव, लद्धं सुलद्धं णवणीयमच्छं। सज्झाय - सज्झाण - रयस्स निच्चं, जयस्स तस्स प्पणिहाणपुच्वं ॥ जिसने आगम-दोहन कर कर, पाया प्रवर प्रचुर नवनीत । श्रुत-सद्ध्यान लीन चिर चिन्तन, जयाचार्य को विमल भाव से। पवाहिया जेण सुयस्स धारा, गणे समत्थे मम माणसे वि। जो हेउभूओ स्स पवायणस्स, कालुस्स तस्स प्पणिहाणपुव्वं ॥ जिसने श्रत की धार बहाई, सकल संघ में मेरे मन में । हेतुभूत श्रुत - सम्पादन में, कालुगणी को विमल भाव से। Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ग्रन्थानुक्रम १. प्रकाशकीय २. सम्पादकीय (हिन्दी) ३. भूमिका (हिन्दी) ४. सम्पादकीय (अंग्नेजी) ५. भूमिका (अंग्रेजो) ६. विषयानुक्रम ७. संकेत निर्देशिका ८. भगवई : विवाहपण्णत्ती परिशिष्ट १. संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और पूर्ति आधार-स्थल २. पूरक पाठ ३. शुद्धिपत्रम् Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय सन् १९६७ की बात है । आचार्यश्री बम्बई में विराज रहे थे। मैंने कलकत्ता से पहुंचकर उनके दर्शन किए। उस समय श्री ऋषभदासजी रांका, श्रीमती इन्दु जैन, मोहनलालजी कठौतिया आदि आचार्यश्री की सेवा में उपस्थित थे और 'जैन विश्व भारती' को बम्बई के आस-पास किसी स्थान पर स्थापित करने पर चिन्तन चल रहा था। मैंने सुझाव रखा कि सरदारशहर में 'गांधी विद्या-मन्दिर' जैसा विशाल और उत्तम संस्थान है। 'जैन विश्व भारती' उसी के समीप सरदारशहर में ही क्यों न स्थापित की जाये ? दोनों संस्थान एक दूसरे के पूरक होंगे । सुझाव पर विचार हुआ। श्री कन्हैयालालजी दूगड़ (सरदारशहर) को बम्बई बुलाया गया ! सारी बातें उनके सामने रखी गई और निर्णय हुआ कि उनके साथ जाकर एक बार इसी दष्टि से 'गांधी विद्या-मन्दिर' संस्थान को देखा जाए। निश्चित तिथि पर पहुंचने के लिए कलकत्ता से श्री गोपीचन्दजी चोपड़ा और मैं तथा दिल्ली से श्रीमती इन्दु जैन, लादूलालजी आच्छा सरदारशहर के लिए रवाना हुए। श्री कन्हैयालालजी दूगड़ दिल्ली से हम लोगों के साथ हुए। श्री रांकाजी बम्बई से पहंचे । सरदारशहर में भावभीना स्वागत हुआ। श्री दूगड़जी ने 'गांधी विद्या-मन्दिर' की प्रबन्ध समिति के सदस्यों को भी आमन्त्रित किया। 'जैन विश्व भारती' सरदारशहर में स्थापित करने के विचार का उनकी ओर से भी हार्दिक स्वागत किया गया। सरदारशहर 'जैन विश्व-भारती' के लिए उपयुक्त स्थान लगा । आगे के कदम इसी ओर बढ़े। आचार्यश्री संतगण व साध्वियों के वृन्द सहित कर्नाटक में नंदी पहाड़ी पर आरोहण कर रहे थे। आचार्यश्री ने बीच में पैर थामे और मझ से बोले "जैन विश्वभारती के लिए प्रकृति की ऐसी सुन्दर गोद उपयुक्त स्थान है । देखो, कैसा सुन्दर शान्त वातावरण है।" ___'जैन विश्व भारती' की योजना को कार्य-रूप में आगे बढ़ाने की दृष्टि से समाज के कुछ और विचारशील व्यक्ति भी नंदी पहाडी पर आए थे। श्री कन्हैयालालजी दूगड़ भी थे । प्रतिक्रमण के बाद का समय था । पहाड़ी की तलहटी में दीपक और आकाश में तारे जगमगा रहे थे। आचार्यश्री गिरि-शिखर पर कांच महल में पूर्वाभिमुख होकर विराजित थे। मैं उनके सामने बैठा था। वचनबद्ध हुआ कि यदि 'जैन विश्व भारती' सरदारशहर में स्थापित होती है, तो उसके लिए मैं अपना जीवन लगाऊंगा । उस समय 'जैन विश्व भारती की जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के एक विभाग के रूप में परिकल्पना की गई थी। महासभा ने स्वीकार किया और Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैं उसका संयोजक चुना गया ! सरदारशहर में स्थान के लिए श्री कन्हैयालालजी दूगड़ और मैं प्रयत्नशील हुए । आचार्यश्री ऊटी (उटकमण्ड) पधारे । वहां महासभा के सभापति श्री हनुमानमलजी बैगाणी तथा अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। जैन विश्व भारती की स्थापना प्राकृतिक दष्टि से साधना के अनुकूल रम्य और शान्त स्थान में होने की बात ठहरी। इस तरह नंदी गिरि की मेरी प्रतिज्ञा से मैं मुक्त हुआ, पर मन ने मुझे कभी मुक्त नहीं किया। आखिर 'जैन विश्व भारती' की मात-भूमि बनने का सौभाग्य सरदारशहर से ६६ मील दूर लाडन (राजस्थान) को प्राप्त हआ, जो संयोग से आचार्यश्री का जन्म-स्थान भी है। ___आचार्यश्री ने आगम-संशोधन का कार्य हाथ में लिया । सं० २०१३ में लाडनूं में आचार्य श्री के दर्शन प्राप्त हुए । कुछ ही दिनों बाद सुजानगढ़ में दशवकालिक सूत्र के अपने अनुवाद के दो फार्म अपने ढंग से मुद्रित कराकर सामने रखे। आचार्यश्री मुग्ध हुए। मुनिश्री नथमलजी ने फरमाया-"ऐसा ही प्रकाशन ईप्सित है।" आचार्यश्री की वाचना में प्रस्तुत आगम वैशाली से प्रकाशित हो, इस दिशा में कदम आगे बढ़े। पर अन्त में प्रकाशन कार्य महासभा से प्रारम्भ हुआ। आगम-सम्पादन की रूपरेखा इस प्रकार रही १. आगम-सुत्त ग्रन्थमाला : मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण । २. आगम-अनुसन्धान ग्रन्थमाला : मूलपाठ, संस्कृत छाया, अनुवाद, पद्यानुक्रम, सूत्रानुक्रम तथा मौलिक टिप्पणियों सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण । ३. आगम-अनुशीलन ग्रन्थमाला : आगमों के समीक्षात्मक अध्ययनों का प्रस्तुतीकरण । ४. आगम-कथा ग्रन्थमाला : आगमों से सम्बन्धित कथाओं का संकलन और अनुवाद । ५. वर्गीकृत-आगम ग्रन्थमाला : आगमों का संक्षिप्त वर्गीकृत रूप में प्रस्तुतीकरण । महासभा की ओर से प्रथम ग्रंथमाला में--(१) दसवेआलियं तह उतरज्झयणाणि, (२) आयारो तह आयारचूला, (३) निसीहझयणं, (४) उववाइयं और (५) समवाओ प्रकाशित हुए। रायपसेणइयं एवं सूयगडो (प्रथम श्रु तस्कन्ध) का मुद्रण-कार्य तो प्रायः समाप्त हुआ पर वे प्रकाशित नहीं हो पाए। दूसरी ग्रन्थमाला में-(१) दशवेआलियं एवं (२) उत्तरज्झयणाणि (भाग १ और भाग २) प्रकाशित हुए । समवायांग का मुद्रण-कार्य प्रायः समाप्त हुआ पर प्रकाशित नहीं हो पाया। तीसरी ग्रंथमाला में दो ग्रंथ निकल चुके हैं : (१) दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन और (२) उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन । Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौथी ग्रंथमाला में कोई ग्रंथ प्रकाशित नहीं हुआ। पाँचवीं ग्रंथमाला में दो ग्रंथ निकल चुके हैं : १. दशवकालिक वर्गीकृत (धर्म-प्रज्ञप्ति ख. १) और २. उत्तराध्ययन वर्गीकृत (धर्मप्रज्ञप्ति ख. २) । उक्त प्रकाशन-कार्य में सरावगी चेरिटेबल फण्ड, कलकत्ता (ट्रस्टी रामकुमारजी सरावगी, गोविंदलालजी सरावगी एवं कमलनयनजी सरावगी) का बहुत बड़ा अनुदान महासभा को रहा । अनुदान स्वर्गीय महादेवलालजी सरावगी एवं उनके पुत्र पन्नालालजी सरावगी की स्मृति में प्राप्त हुआ था। भाई पन्नालालजी के प्रेरणात्मक शब्द तो आज भी कानों में ज्यों-के-त्यों गूंज रहे हैं-- "धन देने वाले तो मिल सकते हैं, पर जो इस प्रकाशन-कार्य में जीवन लगाने का उत्तरदायित्व लेने को तैयार है, उनकी बराबरी कौन कर सकेगा ?" उन्हीं तथा समाज के अन्य उत्साहवर्धक सदस्यों के स्नेह-प्रदान से कार्य-दीपक जलता रहा। कार्य के द्वितीय चरण में श्री रामलालजी हंसराजजी गोलछा (विराटनगर) ने अपना उदार हाथ प्रसारित किया। आचार्यश्री की बाचना में सम्पादित आगमों के संग्रह और मुद्रण का कार्य अब 'जैन विश्व भारती' के अंचल से हो रहा है । प्रथम प्रकाशन के रूप में ११ अंगों को तीन खण्डों में 'अंगसुत्ताणि' के नाम से प्रकाशित किया जा रहा है : प्रथम खण्ड में आचार, सूत्रकृत, स्थान, समवाय-ये प्रथम चार अंग है। दूसरे खण्ड में भगवती-पाँचवाँ अंग है। तीसरे खण्ड में ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशा, अन्तकृतदशा, अनुत्तरोपपातिकदशा, प्रश्नव्याकरण और विपाक-ये ६ अंग हैं। इस तरह ग्यारह अंगों का तीन खण्डों में प्रकाशन 'आगम-सुत्त ग्रथमाला' की योजना को बहुत आगे बढ़ा देता है। ठाणांग सानुवाद संस्करण का मुद्रण-कार्य भी द्रुतगति से हो रहा है और वह आगमअनुसन्धान ग्रंथमाला के तीसरे प्रथ के रूप में प्रस्तुत होगा। केवल हिन्दी अनुवाद के संस्करण के रूप में 'दशवकालिक और उत्तराध्ययन' का प्रकाशन हुआ है; जो एक नई योजना के रूप में है। इसमें सभी आगमों का केवल हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने का निर्णय है। दशवकालिक एवं उत्तराध्ययन मूल पाठ मात्र को गुटकों के रूप में दिया जा रहा है। 'जैन विश्व भारती' की इस अंग एवं अन्य आगम प्रकाशन योजना को पूर्ण करने में जिन महानुभावों के उदार अनुदान का हाथ रहा है, उन्हें संस्थान की ओर से हार्दिक धन्यवाद है। Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मद्रण-कार्य में एस० नारायण एण्ड संस प्रिटिंग प्रेस के मालिक श्री नारायणसिंह जी का विनय, श्रद्धा, प्रेम और सौजन्य से भरा जो योग रहा उसके लिए हम कृतज्ञता प्रगट किए बिना नहीं रह सकते। मद्रण-कार्य को द्रतगति देने में श्री देवीप्रसाद जायसवाल (कलकत्ता) ने रात-दिन सेवा देकर जो सहयोग दिया, उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। इस सम्बन्ध में श्री मन्नालाल जी जैन (भूतपूर्व मुनि) की समर्पित सेवा भी स्मरणीय है। पहा कार्य को प्रारंभिक व्यवस्था में जैन विश्व भारती के उपसभापति श्री माणिकचंदजी सेठिया एवं श्री मोतीलालजी नाहटा ने मुझे बड़ा ही सहयोग दिया। जैन विश्व भारती' के अध्यक्ष श्री खेमचन्दजी से ठिया, मंत्री श्री सम्पत्तरायजी भतोडिया तथा कार्य समिति के अन्यान्य समस्त बन्धुओं को भी इस अवसर पर धन्यवाद दिये विना नहीं रह सकता, जिनका सतत् सहयोग और प्रेम हर कदम पर मुझे बल देता रहा। सन १९७३ में मैं जैन विश्व-भारती के आगम और साहित्य प्रकाशन विभाग का निदेशक चना गया। तभी से मैं इस कार्य की व्यवस्था में लगा। आचार्यश्री यात्रा में थे। दिल्ली मद्रण की व्यवस्था बैठाई । कार्यारंभ हुआ, पर टाइप आदि की व्यवस्था में विलंब होने से कार्य में द्रतगति नहीं आई। आचार्यश्री का दिल्ली पधारना हुआ तभी यह कार्य द्रुतगति से आगे बढ़ा । स्वल्प समय में इतना आगमिक साहित्य सामने आ सका उसका सारा श्रेय आगम संपादन के वाचनाप्रमुख आचार्यश्री तुलसी तथा संपादक-विवेचक मुनि श्री नथमलजी को है। उनके सहकर्मी मुनि श्री सुदर्शनजी, मधुकरजी, हीरालालजी तथा दुलहराजजी भी उस कार्य के श्रेयोभागी हैं। ब्रह्मचर्य आश्रम में ब्रह्मचारी का एक कर्तव्य समिधा एकत्रित करना होता है। मैंने इससे अधिक कुछ और नहीं किया। मेरी आत्मा हर्षित है कि आगम के ऐसे सुन्दर संस्करण जैन विश्व भारती' के प्रारंभिक उपहार के रूप में उस समय जनता के कर-कमलों में आ रहे हैं. जबकि जगतवंद्य श्रमण भगवान महावीर की २५००वीं निर्वाण तिथि मनाने के लिए सारा विश्व पुलकित है। ४६८४, अंसारी रोड़ २१, दरियागंज दिल्ली-६ श्रीचन्द रामपुरिया निदेशक आगम और साहित्य प्रकाशन विभाग जैन विश्व भारती Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्पादकीय ग्रन्थ-बोध आगम सूत्रों के मौलिक विभाग दो हैं~अंग-प्रविष्ट और अंग-बाह्य । अंग-प्रविष्ट सूत्र महावीर के मुख्य शिष्य गणधर द्वारा रचित होने के कारण सर्वाधिक मौलिक और प्रामाणिक माने जाते हैं। उनकी संख्या वारह है-१. आचारांग २. सूत्रकृतांग ३. स्थानांग ४. समवायांग ५. व्याख्याप्रज्ञप्ति ६. ज्ञाताधर्मकथा ७. उपासकदशा ८. अंतकृतदशा ६. अनुत्तरोपपातिकदशा १०. प्रश्नव्याकरण ११. विपाकश्रुत १२. दष्टिवाद । बारहवां अंग अभी प्राप्त नहीं है। शेष ग्यारह अंग तीन भागों में प्रकाशित हो रहे हैं। प्रथम भाग में चार अंग हैं,-१. आचारांग २. सूत्रकृतांग ३. स्थानांग और ४. समवायांग, दुसरे भाग में केवल व्याख्याप्रज्ञप्ति और तीसरे भाग में शेष छह अंग। प्रस्तुत भाग अंग साहित्य का दूसरा भाग है। इसमें व्याख्याप्रज्ञप्ति का पाठान्तर सहित मूल पाठ है। प्रारम्भ में संक्षिप्त भूमिका है । विस्तृत भूमिका और शब्द-सूची इसके साथ सम्बद्ध नहीं है। उनके लिए दो स्वतन्त्र भागों की परिकल्पना है। उसके अनुसार चौथे भाग में ग्यारह अंगों की भूमिका और पांचवें भाग में उनकी शब्द-सूची होगी। प्रस्तुत पाठ और सम्पादन-पद्धति प्रस्तुत आगम का पाठ-संशोधन सात प्रतियों और टीकाओं के आधार पर किया गया है। हम पाठ-संशोधन की स्वीकृत पद्धति के अनुसार किसी एक ही प्रति को मुख्य मानकर नहीं चलते, किन्तु अर्थ-मीमांसा, पूर्वापरप्रसंग, पूर्ववर्ती पाठ और अन्य आगम-सत्रों के पाठ तथा वृत्तिगत व्याख्या को ध्यान में रखकर मूल पाठ का निर्धारण करते हैं। प्रस्तुत सूत्र की मूल टीका आज उपलब्ध नहीं है । चूणि उपलब्ध है किन्तु वह हमें प्राप्त नहीं हुई। अभयदेव सूरि ने अपनी वृत्ति में जहां-जहां मूल टीका और चूर्णि को उद्धृत किया है, उसका भी हमने पाठ-निर्धारण में उपयोग किया है। लिपिकारों ने समय-समय पर पाठ का संक्षेप किया है। उस संक्षेपीकरण के अनेक रूप मिलते हैं । पाठ-संशोधन में प्रयुक्त प्रतियों में क्रोधोपयुक्त आदि भंगों की चार वाचनाएं मिलती हैं। उनमें पाठ का संक्षेप भिन्न-भिन्न प्रकार से किया गया है, देखेंआगम प० ३६ 1 लिपिभेद के कारण भी पाठ में गलतियां हुई हैं। ११३६५ सूत्र में प्रादोषिकी क्रिया के लिए 'पाओसियाए' पाठ है । कुछ प्रतियों में 'पाउसियाए' पाठ मिलता है। प्राचीन लिपि में 'ओ' Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ और 'उ' का भेद करना कठिन होता है। यही कारण है कि आधुनिक प्रतियों में बहुलतया 'ओ' के स्थान में 'उ' मिलता है। जो प्रतियां भाषाविद् लिपिकारों द्वारा लिखी गईं, उनमें 'ओकार' मिलता है; किन्तु जो केवल लिपिकों द्वारा लिखी गईं, उनमें 'ओकार' के स्थान में 'उकार' हो गया। ‘ओवासंतरे' और 'उवासंतरे' यह पाठ-भेद भी उक्त कारण से ही हुआ है। देखें--सुत्र १३३६२ (पृ० ६६), सूत्र ११४४४ (पृ० ७७)। ८।२४२ सूत्र में 'छेत्तेहि' पाठ है । लिपिभेद होते-होते "बित्तेहि', 'छत्तेहि', 'चिसेहि'-इस प्रकार अनेक पाठ बन गए। ८।३०१ में 'तदा' के स्थान पर 'तहा' पाठ हो गया। कुछ प्रतियों में संक्षिप्त वाचना है । वृत्तिकार को भी संक्षिप्त वाचना प्राप्त हुई थी इसलिए उन्होंने लिखा कि अन्ययथिक वक्तव्यता स्वयं उच्चारणीय है। ग्रन्थ के बड़ा होने के भय से वह लिखी नहीं गई। वृत्तिकार ने वृत्ति में संक्षिप्त पाठ को पूर्ण किया। कुछ लिपिकों ने वृत्ति के पाठ को मूल में लिखा और पूर्ण पाठ की वाचना संक्षिप्त पाठ की वाचना से भिन्न हो गई। कुछ आदर्शों में संक्षिप्त और विस्तृत-दोनों वाचनाओं का मिश्रण मिलता है । सूत्र २१४७ (पृ० ८८) में 'खंदया पुच्छा' यह संक्षिप्त पाठ है। किसी लिपिकार ने प्रति के हासिये (Margin) में अपनी जानकारी के लिए इसका पूरा पाठ लिख दिया और उसकी प्रतिलिपियों में संक्षिप्त और विस्तृत—दोनों पाठ मूल में लिख दिए गए, देखें-५११२२ सूत्र का पादटिप्पण (पृ० २०६), २०११८ सूत्र का प्रथम पादटिप्पण (पृ० ११२)। ११:५६ में पूरा पाठ और 'जहा ओवाडा' यह संक्षिप्त पाठ-दोनों साथ-साथ लिखे हुए हैं। असोच्चा केवली के प्रकरण में भी ऐसा ही मिलता है । कुछ प्रतियों में वृत्ति में उद्धृत पाठ का समावेश हुआ है, देखें-२।७५ सूत्र का दूसरा पादटिप्पण (पृ० ६६)। कहीं-कहीं वृत्तिकार द्वारा किया हुआ वैकल्पिक अर्थ भी उत्तरवर्ती प्रतियों में मुल पाठ के रूप में स्वीकृत हो गया, देखें-५१५१ सूत्र का प्रथम पादटिप्पण (प० १६४) । पाठ-संशोधन में दूसरे आगमों के पाठों को भी आधार माना जाता है। २०६४ सूत्र में 'चियतंतेउरघरप्पवेसा' इस पाठ के अनन्तर सभी प्रतियों में 'बहहिं सीलव्वय-गुण-वेरमणपच्चक्खाण-पोसहोववासेहि' यह पाठ है। वहां इसकी अर्थ-संगति नहीं होने के कारण वृत्तिकार को 'तैर्युक्ता इति गम्यं' यह लिखना पड़ा, किन्तु ओवाइय और रायपसेणइय' सूत्र को देखने से पता चलता है कि उक्त पाठ प्रतियों में जहां लिखित है वहां नहीं होना चाहिए। उक्त दोनों सूत्रों के आधार पर आलोच्य पाठ का क्रम इस प्रकार बनता है.--'ओसह-भेसज्जेणं पडिलाभेमाणा बहहिं सीलब्बय-गण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासे हिं अहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणा विहरति ।' २२६१ सूत्र में सभी आदर्शों में 'सारकल्लाण जाव केवइ' पाठ लिखित है, किन्तु यहां 'जाव' का कोई प्रयोजन नहीं है । भगवती ८२१७ तथा प्रज्ञापना के प्रथम पद के आधार पर 'जाव' के स्थान पर 'जावति' पाठ प्रमाणित होता है। १. इह सूत्रेऽन्ययूथिकवक्तव्यं स्वयमुज्वारणीयं, ग्रन्थगौरवमयेनाऽलिखितत्वात्तस्य, तच्चेदम् । वृत्तिपत्र १०६ । Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ में वर्ण-परिवर्तन से बहुत बार अर्थ नहीं बदलता किन्तु कहीं-कहीं अर्थ समझने में कठिनाई होती है और वह बदल भी जाता है । ६।१० सूत्र में 'हब्धि पाठ है उसके 'हेटिं' और 'हिटिं'---ये दो पाठान्तर मिलते हैं। वृत्तिकार अभयदेवसूरि ने यहां 'हन्दि' का अर्थ 'सम' किया है, देखें-वृत्ति पत्र २७१ । स्थानांग सूत्र (८१४३) में इसी प्रकरण में 'हेट्रि' पाठ है। वहां अभयदेवसूरि ने उसका अर्थ 'ब्रह्मलोक के नीचे' किया है, देखें- स्थानांगवृत्ति पत्र ४१० । कहीं-कहीं लेखक के समझभेद और लिपिभेद के कारण भी पाठ का परिवर्तन हुआ है। १९५ सूत्र में 'ओधरेमाणी-ओघरेमाणी' पाठ है। कुछ प्रतियों में यह पाठ 'उवधरेमाणीओउवधरेमाणीओ' इस रूप में मिलता है। एक प्रति में यह पाठ 'उवरिधरेमाणीओ-उवरिधरेमाणीओ' इस रूप में बदल गया। ___ पाठ-परिवर्तन के कुछेक उदाहरण इसलिए प्रस्तुत किए गए हैं कि पाठ-संशोधन में केवल प्रतियों या किसी एक प्रति को आधार नहीं माना जा सकता । विभिन्न आगमों, उनकी व्याख्याओं और अर्थसंगति के आधार पर ही पाठ का निर्धारण किया जा सकता है। संक्षेपीकरण और पाठ-संशोधन की समस्या देवधिगणि ने जब आगम सूत्र लिखे तब उन्होंने संक्षेपीकरण की जो शैली अपनाई उसका प्रामाणिक रूप प्रस्तुत करना बहुत कठिन कार्य है और वह कठिन इसलिए है कि उत्तरकाल में अनेक आगमधरों ने अनेक बार आगम पाठों का संक्षेपीकरण किया है। संभव है कुछ लिपिकों ने भी लेखन की सुविधा के लिए पाठ-संक्षेप किया है। १३।२५ सूत्र के संक्षिप्त पाठ में भवनपति देवों के प्रकार आदि जानने के लिए दूसरे शतक के देवोद्देशक की सूचना दी गई है, किन्तु वहां (२।११७, पृ० १११) विस्तृत पाठ नहीं है अपितु प्रज्ञापना के स्थानपद को देखने की सूचना मिलती है। १६।३३ सूत्र के संक्षिप्त पाठ में तृतीय शतक (सूत्र २७, पृ० १३०) देखने की सूचना दी गई है, किन्तु वहां पाठ पूरा नहीं है । वहां 'रायपसेणइय' सूत्र देखने की सूचना दी गई है। १६७१ सूत्र के संक्षिप्त पाठ में उद्रायण का प्रकरण (१३।११७, पृ० ६१४) देखने की सूचना है। वहां पाठ पूरा नहीं है। इसी प्रकार १६६१२१,१८०५६, १६७७ में विस्तृत पाठ की सूचनाए हैं, किन्तु सूचित स्थलों में पाठ विस्तृत नहीं है। उक्त सूचनाओं के आधार पर यह अनुमान होता है कि जिस समय में पाठ संक्षिप्त किए गए उस समय सूचित स्थलों के पाठ पूर्ण थे । उसके पश्चात् किसी अनुयोगधर आचार्य ने उन पूर्ण पाठों का भी संक्षेपीकरण कर दिया। संक्षेपीकरण के लिए 'जाव', 'जहा' आदि पदों का प्रयोग किया गया है। कहीं-कहीं 'जाव' का अनावश्यक-सा प्रयोग हुआ है। वह या तो लिपिक का प्रमाद रहा है या प्रवाह के रूप में वह लिखा गया है। जहां 'जाव' का प्रयोग है वहां लिपिकारों ने पर्याप्त स्वतंत्रता बरती है। किसी ने 'पावफल जाव कज्जति' लिखा है तो किसी ने 'पावफलविवाग जाव कज्जति' लिखा है। कहीं-कहीं 'विंद' (७।१६६), 'पयोग' (८.१७), 'सहस्स' (१६११०३) जैसे छोटे Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ पाठों के स्थान पर भी 'जाव' पद लिखा हुआ मिलता है। इस प्रकार के पाठ-संक्षेप लिपिकारों द्वारा समय-समय पर किए हुए प्रतीत होते हैं। वर्तमान में प्रस्तुत आगम की मुख्य दो वाचनाएं मिलती हैं—संक्षिप्त और विस्तृत । संक्षिप्त वाचना का ग्रन्थ परिमाण १५७५१ अनुष्टुप् श्लोक परिमाण माना जाता है। विस्तृत वाचना का ग्रन्थ परिमाण सवा लाख अनुष्टुप् श्लोक माना जाता है। अभयदेवसूरि ने संक्षिप्त वाचना को ही आधार मानकर प्रस्तुत आगम की वृत्ति लिखी है। हमने इस पाठ संपादन में 'जाव' आदि पदों द्वारा समर्पित पाठों की यथावश्यक पूर्ति की है। उससे इसका ग्रन्थ परिमाण १९२१९ अनुष्टुप् श्लोक, १६ अक्षर अधिक हो गया है ! ११४६ १।२२४ १।२२४ १।२३७ १२३१ ११२४५ ११२७३ ११२७६ ११२६१ ११२८१ ११२६८२ १।३१५ ૫૪ १।३५७ १।३५७ १.३६३ १।३६४ १।३६५ १३७० १।३७१ १।३७१ १।३७१ १।३८५ शब्दान्तर और रूपान्तर निगम नियम अप्पिया अप्पिता एते सिं तेतेसि वइ० वइ० मायो पोत कज्जइ पाणाइवाय नेरइयाणं उभोगे अहे करेज्ज दुहिए दुगंधे आरिय चउ पाओसिया सय संधिज्ज माणे निसिट्टे काइयाए पाणाइवाय० वति० ववि० माओ० पोदतं किज्जइ पाणायवाय नेरतियाणं ओवओगे अधे करिज्ज करेज्जा दुसिए दुगंधे यारिय चतु पायोसिया सत संधेज्जमाणे निसट्टे कातियाए पाणायवाय० (ar) (ता) (क) (क, ता, म) (ता) (ता) (ar) (क, ता, ब, भ, स ) (बस) (स) ( अ, ब, स ) (ता) (18) (क) (स) (क, ता, म) (अ. म, स) (क, ता) (ता) (अ. ब) (212) (arr) (क, ता) (112) ( व, स ) Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७ ह्रस्सी ११३८६ ११४१५ १४२४ ११४२५ ११४३४ २२६ २०४१ २१५७ २०६६ २०६६ २१६८ २१६८ २०६८ २०६४ २०६४ ३।४ ३।२१ ३१२५ जहा सामाइयस्स जइ किवणस्स मागहा वियट्टभोई सामाइयमाइयाई धमणि रयणीए आरूहेइ खाइमसाइम सयमेव अवंगुय० खाइमसाइमेणं अयमेयारूवे ईसाणे मोयाओ खाइमसाइमेण सयणिज्जाओ तिवति वेयति समय 'पडीण' आउए रयहरणमायाए वेयावडियं समयसि 'लोइय' सकसाईहिं सजोगी नागो कण्हरातीओ हुस्सी, ह्रस्वी हस्सी (क) (ब); (स); जधा (अ, ब, स) सामातियस्स जति (अ, क, ब, म, स) किविणस्स (ता) मागधा वियट्टभोती (अ, ता, ब, म, स) सामाइगमादीयाति सामातियमातियाइं(स) (क) धवणि (क, ता, ब, म) रतणीए आरूभेड खातिमसातिम (ब, स) सतमेव (ता) अवंगुत० खातिमसातिमेणं (ब, स) अतमेतारूवे तीसाणे (ता) मोतातो (क, ता) खातिमसातिमेणं (ब, स) सतणिज्जाओ (ता) तिपति (ता) वेदति (ता) समत० (ता) (ता, म) आउने रतहरणमाताए (ता) वेदावडियं समतंसि 'लोतिय' (अ, स) सकसादीहिं (ता) सजोति नाओ (ता, म) कण्हरायीतो ३३११२ ३।११२ ३।१४३ ३११४८ ५।३ 'पदीण' ५८२ ५११० ५११३६ ६१७६ ६६० Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ (क) (ता) (ता) (ब) (ता) ७.१७६ ७।२१३ पा२४८ ८.३१५ ८.३४७ ८४२० ८१४३१ ८१४३१ ६।४३ ६६४ ६।१७४ ६।१६६ ११।१३३ ११।१३४ ११११४२ १६:११३ १७.३८ १८।१०० १२१८५ ३०१२२ कालगं ० जय ० अयमेयारूवे अणुप्पदायब्वे गोयं अणादीय० सातणयाए इस्सरिय० इस्सरिय सकसाई अहिओ (अ); मय० सवणयाए कालतं ० जत ० अतमेतारूवे अणुप्पतातब्वे गोदं अणातीत० सादण ताए दिस्सरिय० तिस्सरिय० सकसादी अहितो अधितो मद० मत समणयाए धूम नीम पदुमसर नितम एतणा मादिमिच्छ० जदिदियाणि सजोती (म) (अ, ता) (क) (ता) (ता) (ब) धूव (ता) (ता, ब) (ता) नीव पउमसर नियम एयणा मायिमिच्छ० जति इंदियाणि सजोगी (ता, ब) प्रति परिचय (अ) भगवती वृत्ति (पंचपाठी) मूलपाठ सहित (हस्तलिखित) यह प्रति गधैया पुस्तकालय, सरदारशहर की है। इसके पत्र १८६ तथा पृष्ठ ३७६ हैं। प्रत्येक पत्र १३१ इंच लम्बा तथा ४१ इंच चौड़ा है। पत्रों में मूलपाठ की १ से २३ तक पंक्तियां हैं । प्रत्येक पंक्ति में ८० से ८५ तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर तथा कलात्मक ढंग से लिखी गई है। बीच में बावड़ी भी है । लिपि-संवत् नहीं लिखा गया है । अनुमानतः यह प्रति १५-१६ वीं शताब्दि की लगती है। (क) भगवती मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति पूनमचन्द बुधमल दुधोड़िया, छापर के संग्रहालय की है। इसके पत्र ३३३ व पृष्ठ ६६६ हैं। प्रत्येक पत्र १०१ इंच लम्बा तथा ४३ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तियां Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ तथा प्रत्येक पंक्ति में ५२ से ५५ तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर और कलात्मक है। बीच-बीच में लाल पाइयां तथा बावड़ी है। लिपि-संवत् नहीं दिया गया है। यह प्रति अनुमानत: १६ वीं सदी की है। (ख) ताडपत्रीय मूलपाठ यह प्रति जेसलमेर भंडार की ताडपत्रीय (फोटो प्रिंट) मदनचन्दजी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ४२२ तथा पृष्ठ ८४४ हैं। प्रत्येक पृष्ठ में ३ से ६ तक पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में १३० से १४० तक अक्षर हैं । अंतिम प्रशस्ति में लिखा है ॥छ ।। मंगलं महा श्री: !! छ । छ । छ ।। रा ॥ लिपि-संवत् नहीं दिया गया है । यह प्रति अनुमानतः १२ वीं शताब्दी की होनी चाहिए। (ता) ताडपत्रीय मूलपाठ यह प्रति जैसलमेर भंडार की ताडपत्रीय (फोटो प्रिंट) मदनचन्दजी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ३४८ तथा पृष्ठ ६६६ हैं। प्रत्येक पृष्ठ में ५ से 8 तक पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में १३० से १४० तक अक्षर हैं। अंतिम पत्र पर चित्र किये हुए हैं। अंतिम प्रशस्ति में लिखा है-- छ । भगवई समत्ता ॥ छ । छ । छ ।। संवत् १२३५ विशाख वदि एकादश्यां गुरी अपरान्हे लेखकवणचंडेन लिखितमिति ।। (ब) भगवतो मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति तेरापंथी सभा, सरदारशहर की है। इसके पत्र ४७८ तथा ९५६ पष्ठ हैं। प्रत्येक पत्र १० इंच लम्बा तथा ४१ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पत्र में १६ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ३८ से ४२ अक्षर हैं। प्रति सुन्दर तथा कलात्मक है। प्रत्येक पत्र में तीन स्थानों पर बावडी तथा लाल लाइनें है और हरताल से काम किया हुआ है। अंतिम प्रशस्ति के अभाव में लिपि-संवत अज्ञात है। यह अनुमानतः १६ वीं शताब्दि की प्रति लगती है। (म) भगवती सूत्र मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति गधया पुस्तकालय, सरदारशहर की है। इसके पत्र ४८२ तथा पृष्ठ ६६४ हैं। प्रत्येक पत्र १०१ इंच लम्बा तथा ४१ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पृष्ठ में १३ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ४० से ४५ तक अक्षर हैं। पत्रों के बीच-बीच में लाल पाइयां तथा बावड़ी है। इसके अन्त में लिपि-संवत् दिया हआ नहीं हैं, पर यह प्रति लगभग १६ वीं शताब्दी की होनी चाहिए। Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंतिम प्रशस्ति में लिखा है।। छ । ग्रंथानं १५७७५ ॥ छ । छ । छ !! छ । श्री।। छ । श्री कल्याणमस्तु ।। शुभं भवतु ।। छ॥ श्री ।। श्री॥छ। छ । प्रति में अनेक स्थलों पर संस्कृत में टिप्पण भी दिये हुए हैं। (स) भगवती सूत्र (त्रिपाठी) केशर भगवती नाम से ख्यात यह प्रति हमारे संघीय पुस्तकालय की है। इसके ६०२ पत्र तथा १२०४ पृष्ठ हैं । पत्र के मध्य में मूल पाठ तथा ऊपर नीचे वृत्ति लिखी गई है। यह प्रति सुन्दर और काफी शुद्ध है। किसी पाठक ने मुद्रित प्रति को प्रमाण मानकर स्थान-स्थान पर हरताल लगाकर इसे शुद्ध करने का प्रयत्न किया है। जहां ऐसा किया गया है वहां प्रायः शुद्ध पाठ अशुद्ध बन गया है। इसके प्रत्येक पष्ठ में मूल पाठ की ४ से १५ तक पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ४५ से ५३ तक अक्षर हैं। प्रशस्ति में लिखा है-- श्री भगवती सूत्रं सम्पूर्ण ॥ छ ॥ श्री विवाहपन्नत्ती पंचमं अंगं सम्मत्तं ।। शुभं भवतु । ग्रंथाग्र १५६७५ उभय मीलने ग्रं० ३४२९१ ॥श्री ।। लिषितं यती डाहामल्ल: श्री नागोरमध्ये सं०१८४८ माह शु १५। व (वृपा) मुद्रित प्रकाशक:--श्रीमती आगमोदय समिति । सहयोगानुभूति जैन-परम्परा में वाचता का इतिहास बहुत प्राचीन है। आज से १५०० वर्ष पूर्व तक आगम की चार वाचनाएं हो चुकी हैं। देवद्धिगणी के बाद कोई सुनियोजित आगम-वाचना नहीं हई । उनके वाचना-काल में जो आगम लिखे गए थे, वे इस लम्बी अवधि में बहुत ही अव्यवस्थित हो गए। उनकी पुनर्व्यवस्था के लिए आज फिर एक सुनियोजित वाचना की अपेक्षा थी। आचार्यश्री तुलसी ने सुनियोजित सामूहिक वाचना के लिए प्रयत्न भी किया था, परन्तु वह पूर्ण नहीं हो सका । अन्ततः हम इसी निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमारी वाचना अनुसन्धानपूर्ण, तटस्थदृष्टि-समन्वित तथा सपरिश्रम होगी तो वह अपने-आप सामूहिक हो जाएगी। इसी निर्णय के आधार पर हमारा यह आगम-वाचना का कार्य प्रारम्भ हआ। हमारी इस वाचना के प्रमुख आचार्यश्री तुलसी हैं। वाचना का अर्थ अध्यापन है। हमारी इस प्रवृत्ति में अध्यापन-कर्म के अनेक अंग हैं-पाठ का अनुसंधान, भाषान्तरण, समीक्षात्मक अध्ययन आदि-आदि। इन सभी प्रवत्तियों में आचार्यश्री का हमें सक्रिय योग, मार्ग-दर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त है। यही हमारा इस गुरुतर कार्य में प्रवृत्त होने का शक्ति-बीज है। Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ K मैं आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर भार-मुक्त होऊ, उसकी अपेक्षा अच्छा है कि अग्रिम कार्य के लिए उनके आशीर्वाद का शक्ति-संबल पा और अधिक भारी बनू। प्रस्तुत आगम के सम्पादन में पाठ-सम्पादन के स्थायी सहयोगी मुनि सुदर्शनजी, मधुकरजी और हीरालालजी के अतिरिक्त मुनिश्री कानमल जी, छत्रमलजी, अमोलकचन्दजी, दिनकरजी,पूनमचन्दजी, कन्हैयालाल जी, राजकरणजी, ताराचन्दजी, वालचन्द्रजी, विजयराजजी, मणिलालजी, महेन्द्रकुमारजी (द्वितीय), सम्पतमलजी (गरगढ़), शान्तिकुमारजी, मोहनलालजी (शार्दूल) और श्रीमन्नालाल जी बोरड़ का योग रहा है। पाठ-सम्पादन का कार्य सं० २०२६ पौष कृष्णा (२८ दिसम्बर १९७२) को सरदारशहर (राजस्थान) में आरम्भ किया गया और वह सं० २०३० फाल्गुन शुक्ला ११ (४ मार्च १६७४) को दिल्ली में पूरा हुआ। प्रति शोधन में मुनि सुदर्शनजी, मधुकरजी, हीरालालजी और दुलहराजजी ने बहुत श्रम किया है। इसका ग्रन्थ-परिमाण मुनि मोहनलाल जी आमेट ने तैयार किया है। ___कार्यनिष्पत्ति में इनके योगका मूल्यांकन करते हुए मैं इन सबके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ। आगमविद् और आगम-संपादन के कार्य में सहयोगी स्व० श्री मदनचन्दजी गोठी को इस अवसर पर विस्मृत नहीं किया जा सकता । यदि वे आज होते तो भगवती के कार्य पर उन्हें परम हर्ष होता। आगम के प्रबन्ध सम्पादक श्री श्रीचन्दजी रामपुरिया प्रारम्भ से ही आगम कार्य में संलग्न रहे हैं । आगम साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वे कृत-संकल्प और प्रयत्नशील हैं। अपने सुव्यवस्थित वकालत कार्य से पूर्ण निवृत्त होकर अपना अधिकांश समय आगम-सेवा में लगा रहे हैं। 'अंगसुत्ताणि' के इस प्रकाशन में इन्होंने अपनी निष्ठा और तत्परता का परिचय दिया है। 'जैन विश्व भारती' के अध्यक्ष श्री खेमचन्द जी सेठिया, 'जैन विश्व भारती' तथा 'आदर्श साहित्य संघ' के कार्यकर्ताओं ने पाठ-सम्पादन में प्रयुक्त सामग्री के संयोजन में बड़ी तत्परता से कार्य किया है। एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की समप्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहारपतिमात्र है। वास्तव में यह हम सब का पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है। अणुव्रत विहार नई दिल्ली १-१०-७४ मुनि नथमल Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Teraturedtale khestretmubisdelREPEAditioe n ter Suicmanentale A RCHESTANDEY NEURSA S THNERALERALDREAM queleted antertairachanda 'ब' संज्ञक भगवई सूत्र का प्रथम पृष्ठ (तेरापंथी सभा हस्तलिखित संग्रहालय, सरदार शहर) । Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कामागजमनावरतावानातक जिनलमष्ठानकारक शत्रमाणाव्यवसयाणादादासगावधिसितिणरंचवसायटादिदरमहविनियदिवासादावाद समादिसिहविमानसशोधारकावतियंकाRaaaतितावनियादिमिळविलोमणाम। नगिगगदिवासामकितामणादादिदिवसिदिसऊदामणतिदिदिवासदिसतापवंडावासनिममता हाणामालायगदिवासायद्विसितिदिशियाणागणारयायन्त्रिालणणाकातिदिदि प्रवासादरबिलवाहाणाfanावासवावासमयावीसश्माशंसयाडीयाकाकदिवासगद्दिा सितावासतिमादाक्षिदिवासहिी दिसायंचवीसशमादादिदिवासबिना। सगावसिाथियावसयाईयागागण 23 दिसणास दिसताइवारसपामगाएगिदियाम दाङसाइंशधारसपागणादियाणा वारसातदियार्णवारसाचवशिदवाशसमियांचे दियागोवारससमियाचं दिधमदाङमसयाई एकतासंगदिसणावाहसिक्रांतिरासीङममता गहिवासाहिसिविधाय॥॥१६001 an लिखितकालकर नहा जाने अगस्तीतिबाटारसा से दवा को सदावो करणादनही निताअमदत 'ब' संज्ञक भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (तेरापंथी सभा हस्तलिखित संग्रहालय, सरदारशहर )। Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DAICTESEX दयावावधियादववाविनाशनलिनासमात्रामा अक्षमस्वयकारयावहास्मिानबहायागाधामाया पारिजातमाहियान मोमवसायावहिदागमायके यसनमवश्वनासर्वकामयामशज्ञानविविवातिएकामरिजलधामीनामदमसान्यविकासमन्तापावालदिमविशवारदाटक मटारकास यासारव्याताया । रासानाविधाबालाराभिषमानानाधिनमा धिमेनानामिनाहावाप्तायामामयीनममताशिरायानानियवासाशिवायनाकरमान रिज्यस्मानिया नाचगंतममलाकरसमयकाममादक्षिामन्यादिगामासमिरमाननाएकामानिस्किसम्मानसम्माधिस्यामारावयहिाजमा यतिमानरामावस्थानीयवाह तनामसाममिक्षा रातानीछानिधासाधननिराकरणस्यालिंगासाशिवाजमवाना मडाबाकावालारसादियायायसरानमाविकायमसाधमाधान पायसनाहिसाबबालिकाममतिक वाटावमाशिजादवादी गतिवीदानविजानाविधीसपतरायासमाधDER मामागायमोडणंगणदशमस्याहया कानवकवानमारासिटाम मामलामा नानासावाददाहायाधिशावनात्यानताराक्षमाला विशेभाराववाजिकियोसिमास पडकासकायाकलनलम य मा विश्वासकाव्यवाचनक कसल्यामहालाभार्मफलप्रवाना/बायाक्षितासानिधानाध्यश्वावधमारनामावनात्यामानावयुधकोयाबिनदिदीरमवसरमा मावलमी कारवर मयेशुमोनाशामान्यायविकाराजिनारयातममानाचवितासागवायाधीने यक्षिरिमालकालाभमादेवपिmबारनामानयाभाटायजा लेन महानायाहार वश्विनक्षिणजिमि मंािणमंसिक्षा संजासमवसापासणेशानिमाविहर राती गमक्षसमता व सतं न समशेसगवतीपदानहीनंसद सहरमाक्षपकायायायामीनावासाक्षमाधमानापमयोनि कमियमशियानालाबन लिमयमाटाविमलविमलजलो हिमनदलावगर समानदक्षिकाला पानी वंशसम्वछातंज दंम्मलागतीमा रमादामादशगंतराव मसायनिवादपणही पानावालसंगीमियम अमेधिनालामाविमाडाकाय साल सायनादिक्षताचगवनी ममतिभिरंपवास जतायामाहासयामादादावादमानदिसिंहति गरिaaan दिवासवरियादिलासादशिमग कादर नामहरि रावसातासयातायारझजाववधसितायोनिय विशिमोनि कालिग समएशदिवासमानरमायेदारिन नदिई वटरमहाशिनासहित एमा दरववीसर्विसतपाय मासालारगर्दिवास विक्षितिजावठियो परेशानुनअधिनमा रामनिवारमशिलान्याटशिलालसावित एक माछा जीना कासशाशकक्कदिवासंग दिक्षिकानि असिभिसतादाडिविदिवास हिंबमिटेसनापंधली समादा हिंदिवासविहादसगाशमयारियापागमदिया एडिसवारंवारीमाएमिदिव्यमदारघाई आरक्षयामशयवादिता वारसावदिवालियारसवा झपिसमजोरमसमिदिनहगयाइपछमिसंपादिकोशादी हिपतिराची मसतंयमविवानिमितविक अंजन श्रीमान श्याचारोधाणा चावलासिजनमानीकालानमारीवाभिमानन्या धनागमनिसाक्षारयमिशिगवायरिमकान कम्योपकारमाशिव नकाशावविश्वासारखिमयावयास्यमबनिबन्दायान्यः पनीयायन नदेयासमा एमालामालिकावयोमगारेमासा साका माकपमहरुकालावधितानावादशमीमावावाधाकिमतमामामामासहितकामामारिमायस्करस्यलयारामोधरमताजियमामाभासंहासनमन्छनार नागारिक साझादालसिताशिलगाववनाकारानवान्नायबाचशाससिद्धलिबिलीवजानिधनश्याकरताना प्राकतिल डान प्रवन्नादिकमा गाबिस तिमाहिया मामलामा दिलामाल, छावाबाधामगावभकारयलिाधयादिलमा किनगरकादमयअक्य नवनालयाचाहनाशिमहासाग्यधामाशाशयामवस्या कमानमान मशीनरसहित 'अ' संज्ञक भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (गणेशदास गधया हस्तलिखित संग्रहालय, सरदारशहर)। Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बनाई रामाननगरमाथमिटनाARIवमानविद्यमानमाजिया AagpanieserratapneturalisatihastartingRE ITIHASAnamsuringthangin-a bu25ECAPureuternitinenteSALMERABARArmasatarpal: MPulmurtRECIREILTHIERBLETITLEMSELSEEITES WHITREE: PHERSIEgalaLDEEtsbirenParental HEIPEDUPeeuwartsid roatiatUIDINEDLEHREMEDUCAREERanatafathecareMUBARINEES Elopelauretteutrientenoitrepraterpimentavyatane MDAMESTERIERONMESilppareneferwargestrtaincutarguisme TAJHITE MemestenerateeIPRELIERSPECIDESHdSensat ArtistateamPERHIROINTERNATERESTORIES ISISTANELEVINEEMEMBERSupRDEREJAPANEERATUTTPSERIERTeriya THEIRITERNATURANTYENTUREHENDEATRIESIHDIHOWZPIOMETRE raelaMaPERHITENBTENareshaaraTORNETBHECHERamSitanese CRICSenterioraipudinkyatreepotuspith-myphajurernitelle ANGSEElytapurTURMERITTEHRE INFRELESENTEInfer R ParaPHOTURIHEM HERamayaugat ourateuTHESlatewait रियामायापरिसिप विकाराति विडामानिमामिपतिधारणinlafamisa जापानमानसमायनिया 'ता' संज्ञक ताडपत्रीय भगवई सूत्र का प्रथम पृष्ठ (जेसलमेर जैन ज्ञान भंडार )। काशवरातिरिवासहित विभागारमा पायापरिक SUBSypungentary SHEESER PEONI Industan MISSTRIZERS MANER RASTRIMER AHMEDinetelebritbua व्याजावानीमा साजरायगाay नसपकासपीसटिटान elie R DAVLAT यापायी मानाया समय से TRA MARAE aoMNEMINA ALLINMENUIDE SHADDEDICIDENSAR BRESELEnella 'ता' संज्ञक ताडपत्रीय भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (जेसलमेर जैन ज्ञान भंडार)। Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिका नामकरण प्रस्तुत आगम का नाम व्याख्याप्रज्ञप्ति है। प्रश्नोत्तर की शैली में लिखा जाने वाला ग्रन्थ व्याख्याप्रज्ञप्ति कहलाता है। समवायांग और नन्दी के अनुसार प्रस्तुत आगम में छत्तीस हजार प्रश्नों का व्याकरण है । तत्त्वार्थवात्तिक, षट्खण्डागम और कसायपाहुड के अनुसार प्रस्तुत आगम में साठ हजार प्रश्नों का व्याकरण है। प्रस्तुत आगम का वर्तमान आकार अन्य आगमों की अपेक्षा अधिक विशाल है। इसमें विषयवस्तु की विविधता है। सम्भवत: विश्वविद्या की कोई भी ऐसी शाखा नहीं होगी जिसकी इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में चर्चा न हो । उक्त दृष्टिकोण से इस आगम के प्रति अत्यन्त श्रद्धा का भाव रहा । फलतः इसके नाम के साथ 'भगवती' विशेषण जुड़ गया, जैसे-भगवती व्याख्याप्रज्ञप्ति । अनेक शताब्दियों पूर्व भगवती' विशेषण न रहकर स्वतन्त्र नाम हो गया। वर्तमान में व्याख्याप्रज्ञप्ति की अपेक्षा 'भगवती' नाम अधिक प्रचलित है। विषय-वस्तु प्रस्तुत आगम के विषय के सम्बन्ध में अनेक सूचनाएं मिलती हैं। समवायांग में बताया गया है कि अनेको देवों, राजों और राजषियों ने भगवान् से विविध प्रकार के प्रश्न पूछे और भगवान ने विस्तार से उनका उत्तर दिया। इसमें स्वसमय, परसमय, जीव, अजीव, लोक और अलोक व्याख्यात है' । आचार्य अकलंक के अनुसार प्रस्तुत आगम में जीव है या नहीं है. इस प्रकार के अनेक प्रश्न निरूपित हैं । आचार्य बीरसेन के अनुसार प्रस्तुत आगम में प्रश्नोत्तरों के साथसाथ छियानवे हजार छिन्नच्छेद नयों से ज्ञापनीय शुभ और अशुभ का वर्णन है। १. समवाओ, सूत्र ६३; नंदी, सून ५५ । २. तस्वार्थवात्तिक ११२०, षट्खण्डागम १,१०१०१; कसायपाहुइ १, पृ० १२५ । ३. समवाओ, सूब ६३। ४. तत्वार्थवार्तिक १।२०। ५. जिस व्याख्या पद्धति में प्रत्येक श्लोक और सूत्र को स्वतन्त्र, दूसरे श्लोकों और सूत्रों से निरपेक्ष व्याख्या की जाती है उस व्याख्यापद्धति का नाम छिन्नच्छेद नय है। ६. कसायपाहुड भाग १, पृ० १२५ । Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उक्त सूचनाओं से प्रस्तुत आगम का महत्व जाना जा सकता है। वर्तमान विज्ञान की अनेक शाखाओं ने अनेक नए रहस्यों का उद्घाटन किया है । हम प्रस्तुत आगम की गहराइयों में जाते हैं तो हमें प्रतीत होता है कि इन रहस्यों का उद्घाटन ढाई हजार वर्ष पूर्व ही हो चुका था। भगवान महावीर ने जीवों के छह निकाय बतलाए। उनमें त्रस निकाय के जीव प्रत्यक्ष सिद्ध हैं। वनस्पति निकाय के जीव अब विज्ञान द्वारा भी सम्मत हैं। पथ्वी, पानी, अग्नि और वायु---इन चार निकायों के जीव विज्ञान द्वारा स्वीकृत नहीं हुए । भगवान् महावीर ने पृथ्वी आदि जीवों का केवल अस्तित्व ही नहीं बतलाया, उनका जीवनमान, आहार, श्वास, चैतन्य-विकास संज्ञाएं आदि पर भी पर्याप्त प्रकाश डाला है। पथ्वीकायिक जीवों का न्यूनतम जीवनकाल अन्तरमहत का और उत्कृष्ट जीवनकाल बाईस हजार वर्ष का होता है। वे श्वास निश्चित क्रम से नहीं लेते-कभी कम समय से और कभी अधिक समय से लेते हैं। उनमें आहार की इच्छा होती है । वे प्रतिक्षण आहार लेते हैं। उनमें स्पर्शनेन्द्रिय का चैतन्य' स्पष्ट होता है। चैतन्य की अन्य धारायें अस्पष्ट होती हैं। मनुष्य जैसे श्वासकाल में प्राणवायु का ग्रहण करता है वैसे पृथ्वीकाय के जीव श्वासकाल में केवल वायु को ही ग्रहण नहीं करते किन्तु पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु और वनस्पति--इन सभी के पुद्गलों को ग्रहण करते हैं। पथ्वी की भांति पानी आदि के जीव भी श्वास लेते हैं, आहार आदि करते हैं। वर्तमान विज्ञान ने वनस्पति जीवों के विविध पक्षों का अध्ययन कर उनके रहस्यों को अनावृत किया है, किन्तु पृथ्वी आदि के जीवों पर पर्याप्त शोध नहीं की। वनस्पति क्रोध और प्रेम प्रदर्शित करती है। प्रेमपूर्ण व्यवहार से वह प्रफुल्लित होती है और घृणापूर्ण व्यवहार से वह मुरझा जाती है। विज्ञान के ये परीक्षण हमें महावीर के इस सिद्धान्त की ओर ले जाते हैं कि वनस्पति में दस संज्ञाएं होती हैं। वे संज्ञाए निम्न प्रकार हैं-आहार संज्ञा, भय संज्ञा, मैथुन संज्ञा, परिग्रह संज्ञा, क्रोध संज्ञा, मान संज्ञा, माया संज्ञा, लोभ संज्ञा, ओघ संज्ञा और लोक संज्ञा। इन संज्ञाओं का अस्तित्व होने पर वनस्पति अस्पष्ट रूप में वही व्यवहार करती है जो स्पष्ट रूप में मनुष्य करता है। प्रस्तुत विषय की चर्चा एक उदाहरण के रूप में की गई है। इसका प्रयोजन इस तथ्य की ओर इंगित करना है कि इस आगम में ऐसे सैकड़ों विषय प्रतिपादित हैं जो सामान्य बुद्धि द्वारा ग्राह्य नहीं हैं। उनमें से कुछ विषय विज्ञान की नई शोधों द्वारा अव ग्राह्य हो चुके हैं और अनेक विषयों को परीक्षण के लिए पूर्व-मान्यता के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। सूक्ष्म जीवों की गतिविधियों के प्रत्यक्षतः प्रमाणित होने पर केवल जीव-शास्त्रीय सिद्धान्तों का ही विकास नहीं होता, किन्तु अहिंसा के सिद्धान्त को समझने का अवसर मिलता है और साथ-साथ सूक्ष्म जीवों के प्रति किए जाने वाले व्यवहार की समीक्षा का भी। १. भगवई ११६३२,१०६। २. भगवई ३४१२५३,२५४, ३०४६४ । Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवान महावीर ने पांच मूल द्रव्यों का प्रतिपादन किया। वे पंचास्तिकाय कहलाते हैं। उनमें धर्मास्तिकाय. अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय--ये तीनों अमर्त होने के कारण अदश्य हैं। जीवास्तिकाय अमूर्त होने के कारण दृश्य नहीं है फिर भी शरीर के माध्यम से प्रकट होने वाली चैतन्य क्रिया के द्वारा वह दृश्य है। पुद्गलास्तिकाय [परमाणु और स्कन्ध] मूर्त होने के कारण दश्य है। हमारे जगत् की विविधता जीव और पुद्गल के संयोग से निष्पन्न होती है। प्रस्तुत आगम में जीव और पुद्गल का इतना विशद निरूपण है जितना प्राचीन धर्मग्रन्थों या दर्शन ग्रन्थों में सुलभ नहीं है। प्रस्तुत आगम का पूर्ण आकार आज उपलब्ध नहीं है किन्तु जितना उपलब्ध है उसमें हजारों प्रश्नोत्तर चचित हैं । ऐतिहासिक दृष्टि से आजीवक संघ के आचार्य मंखलिगोशाल, जमालि, शिवराजपि, स्कन्दक सन्यासी आदि प्रकरण बहुत महत्त्वपूर्ण हैं । तत्त्वचर्चा की दृष्टि से जयन्ती, मद्दुक श्रम होपासक, रोह अनगार, सोमिल ब्राह्मण, भगवान् पाव के शिष्य कालासवेसियपुत्त, तुंगिया नगरी के श्रावक आदि प्रकरण पठनीय हैं। गणित की दृष्टि से पापित्यीय गांगेय अनगार के प्रश्नोत्तर बहुत मूल्यवान् हैं। भगवान महावीर के युग में अनेक धर्म-सम्प्रदाय थे। साम्प्रदायिक कदरता बहत कम थी। एक धर्म संघ के मुनि और परिव्राजक दूसरे धर्म संघ के मुनि और परिव्राजकों के पास जाते, तत्त्वचर्चा करते और जो कुछ उपादेय लगता वह मुक्तभाव से स्वीकार करते। प्रस्तुत आगम में ऐसे अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं जिनसे उस समय की धार्मिक उदारता का यथार्थ परिचय मिलता है। इस प्रकार अनेक दृष्टिकोणों से प्रस्तुत आगम पढ़ने में रुचिकर, ज्ञानवर्धक, संयम और समता का प्रेरक है। विभाग और अवान्तर विभाग समवायांग और नन्दीसूत्र के अनुसार प्रस्तुत आगम के सौ से अधिक अध्ययन, दस हजार उद्देशक और दस हजार समुद्देशक हैं। इसका वर्तमान आकार उक्त विवरण से भिन्न है। वर्तमान में इसके एक सौ अड़तीस शत या शतक और उन्नीस सौ पच्चीस उद्देशक मिलते हैं। प्रथम बत्तीस शतक स्वतन्त्र हैं। तेतीस से उनचालीस तक के सात शतक बारह-बारह शतकों के समवाय हैं। चालीसवां शतक इक्कीस शतकों का समवाय है। इकचालीसवां शतक स्वतन्त्र है। कुल मिलाकर एक सौ अड़तीस शतक होते हैं। उनमें इकचालीस मुख्य और शेष अवान्तर शतक हैं। शतकों में उद्देशक तथा अक्षर-परिमाण इस प्रकार है . शतक उद्देशक अक्षर-परिमाण शतक उह शक अक्षर-परिमाण a. १० १० १० ३८८४१ २३८१८ ३६७०२ . . ७५३ २५६६१ १८६५२ AM १० १. समवाओ, सून १३ नन्दी, सून ८५। Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उद्देशक उद्देशक १२ २५ अक्षर-परिमाण ४५१०३ ४४५५ अक्षर-परिमाण शतक २४६३५ ४८५३४ ४५८५६ २७ ६६०७ ३२३३८ ३२८०८ २१६१४ १६०३३ ३६८१२ ३३ (१२) १५९३६ ३४ (१२) ८४१२ ३५ (१२) २२४४३ ३६ (१२) ८०२७ ३७ (१२) १६८७१ ३८ (१२) १६३० ३६ (१२) १०६८ ४० (२१) MMMMorus १०२७ ४७६४ २३४४ १२४ १२४ १३२ १३२ १३२ १३२ १३२ २३१ ३०५६ १९६४ ४१८१ ७३१ ११५ ८७ २१ (आठ वर्ग)८० २२ (छह वर्ग) ६० २३ (पांच वर्ग) ५० २४ २७३४ ४१ ३६६२६ कुल १३८ कुल १९२३' कुल ६१८२२४ भाषा और रचना-शैली प्रस्तुत आगम की भाषा प्राकृत है। कहीं-कहीं शौरसेनी के प्रयोग भी मिलते हैं। इसमें देशी शब्दो का प्रयोग भी स्थान-स्थान पर मिलता है, जैसे--खत्त, डोंगर (७१११७), टोल (७१११९), मग्गओ (७.१५२), बोंदि (३।११२), चिखल्ल (८।३५७) । इसकी भाषा बहुत सरल और सरस है । अनेक प्रकरण कथा-शैली में लिखे गए हैं। जीवनप्रसंग, घटनाएं और रूपक स्थान-स्थान पर उपलब्ध होते हैं। स्थान-स्थान पर कठिन विषयों को उदाहरणों द्वारा समझाया गया है । प्रस्तुत आगम की रचना गद्य शैली में हुई है। कहीं-कहीं स्वतन्त्र रूप से प्रश्नोत्तरों का क्रम चलता है और कहीं-कहीं किसी घटनाक्रम के बाद उनका क्रम चलता है। प्रतिपाद्य विषय का संकलन करने के लिए संग्रहणी गाथाओं के रूप में कुछ पद्य भाग भी मिलता है। १. बीसवें शतक के छठे उद्देशक में पृथ्वी, अप और वायु--इन तीनों की उत्पत्ति का निरूपण है। एक परम्परा के अनुसार यह एक उद्दे पाक है, दूसरी परम्परा के मत में ये तीन उद्देशक हैं। इस परम्परा के अनुसार प्रस्तुत आगम के कुल उद्देशक १९२५ हैं। Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कार्य-संपूति प्रस्तुत आगम के पाठ-शोधन में लगभग सवा वर्ष लगा। इसमें अनेक मुनियों का योग रहा। उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूँ कि उनकी कार्यजा शक्ति और अधिक विकसित हो। इसके सम्पादन का बहुत कुछ श्रेय शिष्य मुनि नथमल को है, क्योंकि इस कार्य में अहनिश वे जिस मनोयोग से लगे हैं, उसी से यह कार्य सम्पन्न हो सका है। अन्यथा यह गुरतर कार्य बड़ा दुरूह होता। इनकी वृत्ति मूलतः योगनिष्ठ होने से मन की एकाग्रता सहज बनी रहती है । सहज ही आगम का कार्य करते-करते अन्तर्रहस्य पकड़ने में इनकी मेधा काफी पनी हो गई है। विनयशीलता श्रम-परायणता और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण भाव ने इनकी प्रगति में बड़ा सहयोग दिया है। यह वृत्ति इनकी बचपन से ही है। जब से मेरे पास आए, मैंने इनकी इस वृत्ति में क्रमशः वर्धमग्नता हो पाई है । इनको कार्य-क्षमता और कर्तव्य-परता ने मुझे बहुत संतोष दिया है। मैंने अपने संघ के ऐसे शिष्य साधु-साध्वियों के बल-बूते पर ही आगम के इस गुरुतर कार्य को उठाया है। अब मुझे विश्वास हो गया है कि मेरे शिष्य साधु-सास्वियों के निस्वार्थ, विनीत एवं समर्पणात्मक सहयोग से इस वृहत् कार्य को असाधारण रूप से सम्पन्न कर सकूँगा। भगवान् महावीर की पचीसवीं निर्वाण शताब्दी के अवसर पर उनकी वाणी का सबसे बड़ा संकलन-ग्रन्थ जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हए मुझे अनिर्वचनीय आनन्द का अनुभव हो रहा है। अणुव्रत विहार नई दिल्ली २५००वां निर्वाण दिवस आचार्य तुलसी Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Preface The Title The title of the Agama under review is `Vyākhyā Prajnapti'. The work written in a dialogue-style is called 'Vyākhyā Prajñapati'. According to 'Samawāyanga' and 'Nandi-Sutra' the present Agama has an exposition of thirtysix thousand queries!. On the testimony of Tatwartha-Vārtika, Satkhandāgama and Kasaya-Páhuļa the present Āgama contained an exposition of sixty thousand queries". The present Agama is a volume much larger than other Agamas. It is multifarious in its contents. Probably, there is no branch of metaphysics, which has not been discussed in it, directly or indirectly. From the aforesaid point of view, this Agama was held in high esteem. The adjective *Bhagawati' was, therefore, added to it's title, i.e. 'Vāyākhyā Prajāapti'. Many centuries before, the adjective 'Bhagawati' became a part and parcel of the title. Now-a-days, the title 'Bhagawati is more in vogue than "Vyākhyā Prajnapti? The Content Different sources provide copicious information regarding the contents of the present Agama. 'Samawāyānga' tells us that many deities, kings and king-ascetics put different types of queries before the lord and he answered them in detail. Swa-Samaya, Para-Samaya, Jeewa, Ajcewa, Loka and Aloka have been explained in details. According to Achārya Akalanka querics, such as whether the Jiwa exists or not, have been answered in this Āgama. According to Acharya Veersena, alongwith the queries and answers, predictive subha (auspicious) and aśubha (in-auspicious) have been described by ninetysix thousand Chinnaćcheda Nayas. 1. Samawao, Sutra 93 ; Nandi, Sutra 85. 2. Tatwartha Vartika 1/20, Satkhanadagama 1, page 101, Kasaya-Pahuda-1, page 125. 3. Samawao Sutra 93. 4. Talwartha' vartika 110. 5. Kasayapa huda Pt. I, p. 125. 6. The explaination method, in which each sloka and sutra is explained independently without considering other slokas and sutras, is called 'chinnacchedanaya Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 30 The importance of the present Āgama may well be understood by the aforesaid indications. Different branches of modern science have recently brought to light many mysteries. When we go into the depths of the present Agama, we find that these mysteries had been revealed some 2500 years before. Lord Mahavira has enumerated six groups of living-beings (Jivas). The living beings of the Trasa-kāya(mobile beings)group are self-evident. The living beings of the fioral group (Vanaspati nikaya) are supported by the modern Science also. The four groups of living beings—the earth. the water, the fire, and the air have not been accepted by the modern science. Lord Mahavira has not only cited the existence of the earth living-beings etc., but thrown enough light on their life span, food habits, breathing, evolution of consciousness, perceptions etc. also. The minimum span of life of the living beings of the earth group is of a Antar Muhrat only and the maximum of twenty two thousand years. They do not have a particular order of breath period. Sometimes it is less and sometimes more. They aspire every moment for food and take it. The consciousness of the touch-organ is quite distinct in them, The other currents of consciousness are indistinct. As man takes in oxygen in his breath-period, the living-beings of the earth group not only take in air, but the Pudgalas (matter) of all the earth, the water, the fire, the air and the flora. Like the earth living beings, the other living-beings of the water etc do breathe and take food etc. Modern science has studied the different aspects of the floral living beings and thrown light on their mysteries, but sufficient rescarch has not been carried out on the earth living beings. Flora expresses anger and affection. The affectionate behaviour blooms it and the hateful behaviour fades it away. These scientific experiments lead us to the maxim of lord Mahavira that there is ten fold consciousness in the floralworld. These ten folds are-Food consciousness, fear consciousness, co-habita. tion consciousness, hoarding consciousness, anger consciousness, ego consciousness, deceit consciousness, greed consciousness, Augha' consciousness and world consciousness. Having these folds of consciousness the floral world behaves indistinctly the same way as man does distinctly. 1. Bhagawai, 1-1-32, page 9. 2. Bhagawai, 9-34-253, 254, page 464, Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 31 This topic has been mentioned as an example. The object of it is to point out the fact that in this Agama hundreds of such topics, that cannot be understood by common sense, have been expounded. A few of them have been so far understood with the help of the modern scientific research and many of them can be accepted as tenets for experiments. The activities of the subtle living-beings (Sakshma jiva) being perceiv ably proved, not only the biological doctrines are evolved, an opportunity to understand the doctrine of Ahimså, and side by side to review the behaviour towards the subtle living-beings, is provided also. Lord Mahavira has expounded the five principal substances. They are named as Panchästikäya. in them dharmästikäya, adharmastikaya and äkäsästikäya, the three being formless are invisible. Though Jivästikäya too, being formless, is invisible, it is indicated by the activities of consciousness seen through the body. Pudgalästikäya, being concrete, is visible. The multiformity of our world is a result of the union of Jiva and Pudgala. A clear ascertainment of Jiva and Pudgala is found in this Agama to such a great extent as is not available in the old religious and philosophical works. The full text of the Agama is not available today, but whatever is available discusses thousands of queries. From the historical point of view, the chapters on Acharya Mankkhali Gosäla, Jamāli, Sivarajarși, Skanda Sanyasi etc. are of great importance. From the angle of philosophical discussion Jayanti, Madduka Sramaṇopasaka. Roha Anagara, Somila Brahmana, Lord Parswa's disciple Kalas-vesiya-putta, śrävakas of Tungiya City etc. are the topics worth reading. From the view point of Mathematics, discussions of Pariwa-patylya Gängeya Anägära are of great value. In the age of Lord Mahavira, there were different religious cults. Cultic bigots were almost un-heard. Munis and Parivrajakas of one religious body went to engage themselves in philosophical discusssions with the Munis and Parivajakas of another religious body, and whatever was found to be accep table, was accepted freely. There are many contexts in this Agama to throw light on the true free-mindedness of religion prevailing in that age. In this way, with different view-points this Agama is a work, interesting to read, inspring of self-control and equilibrium and promoter of knowledge. Divisions and Sections According to Samawäyänga and Nandi Sutra, this Agama contains more than a hundred Adhyayanas,ten thousand Uddeśakas and ten thousand Samuddesakas1. The present volume of it differs from the said account. 1. Samawao, Sutra 93, Nandi, Sutra 85, Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Presently, there are one hundred and thirtyeight Satas (Satakas) and one thousand and ninehundred and twentyfive Uddeśakas. The first thirytwo Śatakas are independent ones. The seven Satakas, from thirtythree to thirtynine, are unions of twelve satakas each. The fortieth śataka is a union of twentyone satakas. The forty-first sataka is independent. In all, there are one hundred and thiryeight satakas. In them, fortyone śatakas are cardinals and the rest are secondary ones. The Uddeśakas and syllables in the Satakas are as follows: Sataka Uddeśaka 12345∞ag: 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 222 223 2 20 21 (eight vargas) 24 25 26 32 (six vargas) (five vargas) 999999 10 10 10 10 10 10 10 10 34 34 12 10 10 10 14 17 10 10 10 80 60 50 24 12 11 Total syllables 28841 23818 36702 753 25691 18652 24935 48435 45859 9907 32338 32808 21914 16033 39812 15939 8412 22443 8027 19871 1630 1068 715 39926 45103 4455 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 33 Sataka Uddesaka 11 11 Total syllables 190 694 1027 4764 2344 363 3089 8964 4181 731 115 33 (12 vargas) 34 (, 35 (, , 124 124 132 132 132 132 87 132 (29 .) 231 196 139 2734 3516 138 192311 618224 The Language and the Style The language of the present Agama is Präkrit. Here and there the usages of Saurseni are also found. In some instances the use of Desi words (vernacular) is also found, like khatta (C#), Dongar (7/117 TT), Tola (7/119 zla) Maggao (7/152 TTT), Bondi (3/112 alfa), Cikkhalla (8/357 faida The expression of it is very lucid and sweet. Many topics have been dealt with in the style of fable narration. Reminiscences, anecdots and allegories are found through out the work. The difficult topics have been explained by citing aporopriate examples in many places. The present Āgama has been written down in prose style. Somewhere the order is an independent discussion and sometimes it is an off-shoot of some incident. Some verse-part is also available in the form of collected Gāthas to compile the ascertainable topic. 1. In the twentieth Sataka of the sixth Uddesaka, the theory of the origin of the earth, the water, and the air, has been expounded. According to one tradition, this is one Uddesaka, but the others hold it as comprised of three Uddesakas. According to this tradition, the Agama under review has 1925 Uddesakas in all. Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Accomplishment of the work It took about a year and a quarter to redeem the text of the present Agama. In the accomplishment of this task, there has been the contribution of many Munis. I bless them that their devotedness to the performances be ever more developed. On the occasion of this twentyfifth centinary of Lord Mahavira, I have a feeling of great pleasure in presenting to the people the biggest and most volumenous work pertaining to the life and teaching of the Lord. Anurrata Vihar Acharya Tulasi Delhi Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Editorial Introduction to the work The Agama Sutras have two main divisions, i.e. the Anga-Pravişta and the Anga-Váhya, The Anga-Pravişta Sūtras are considered to be the nearest to the original and most authentic of all as they are composed by the principal diciples of Lord Mahāvira. They are twelve in number: 1. Āchäränga, 2. Sūtrakstānga, 3. Sthānānga, 4. Samawāyānga, 5. Vyākhyā-Prajñapti, 6. Jñata Dharma-Katha, 7. Upāsaka-Daśā, 8. Anta-krita-Dasa, 9. Anuttaropapātika Daša, 10. Praśna-Vyakarana, 11. Vipäka-Sruta, 12. Dristiwäda. The twelfth Anga is, at present, not available. The eleven Angas, which are available, are being published in thrce volumes under the title of Anga-Suttani. The first volume has four Angas, i.e, 1. Achárānga, 2. Sūtrakṣitānga, 3. Sthănânga and 4. Samawāyānga. The second volume contains only the 'Vyākhyā Prajna pti' and the third contains the rest six Angas. The present work is the second volume of the Anga-Suttäni. It has the original text of the Vyākhyā-Prajñapti with its recentions. A brief preface has been added in the beginning. An elaborate preface and the word-index have not been added to it. It is planned to publish them in two independent volumes. Accordingly, the fourth volume will contain an elaborate preface to the elcven Angas and the fifth one will contain the word index thereof. The present text and the method of editing The text of the present Agama has been redeemed on the basis of the seven manuscripts (two being palm-leaf manuscripts) and vșitties (commentaries). According to the method of text scdemption in vouge, we do not proceed on the basis of regarding only one manuscript as rain, but redeem the original text with the help of Artha-mimānsā (critical meaning), former and later contexts, preceding text (Poorwa-Pätha) and the text of other Agama-Sūtras and the explanation in the VỊitti (commentary). The original commentary of the Bhagwati is extinct at present. The chūrni (commentary) was available but we could not get it. We have made use of the original Tika and churņi portions quoted by Abhayadeva Sūri in his vritti. The scribes, from time to time have abridged the text. Many forms Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 36 of the abridgemant are found. In the manuscripts used in the text-redemption, there are four different versions. The abridgement of the text fɔ and in them has been done in different ways. (See, page 39). There have been mistakes also due to the difference in written forms of the letters. In sütra 1/365, the reading Pãosiyāya' has been substituted for 'Pradoşiki Kriya". In some manuscripts the reading is 'Pa-u-siyāya'. In the old script, it is difficult to differenciate 'O' from 'U'. This is why 'U' is abundantly found in the present manuscripts in place of 'O'. The manuscripts which were transcribed by the scholars efficient in the language, have 'O' but the copies, prepared by mere scribes have 'U' instead of 'O', The recensions such as 'Owäsantare' and 'Uwasantare' have taken place due to this fact only. (See, page 66, Sutra 1/392; page 77, Sütra 1/444). In Sūtra 8/242, the reading is Chettchin'. But, as the transcribing went on, many gradual alterations, such as Bittehin', 'Chattehin', 'Cittehin occured. 'Tada' became "Taha' in Sutra 8/301. There is an obridged 'Vaćna (lesson) in same manucripts. The commentator, too, received the abridged "Vaćna'. So he wrote 'Anya Yüthik waktawyata' is to be understood by one himself. It has not been written down lest the work should get bulky". The commentator completed the abridged reading in the commentary. Some transcribers have included same part of the commentary in the original text. And, thus the reading of the full text differed from that of the abridged text. In some specimens a mixture of the readings, abridged and full, has taken place. In Sutra 2/47, page 88, 'Khandaya' Puććha' is the abridged text. Some transcriber wrote its full text in the margin of the manuscript for his own understanding. And, in the later transcriptions, the abridged and the full text were both included. (See, foot-note of Sutra 5/122, page 209; the first foot-note of Sutra 2/118, page 112). In 11/59 the full and the abridged text "Jaha O-wa-i-e both have been written down, Such is the case in the chapter of Asocća Kewal' also. In some manuscript, the quotation given in the commentary has also been included. (See, the second foot-note of Sūtra 2/75, page 99). In some instances, the secondary explanation, too, given by the commentator, was accepted as the original text in the later transcriptions. (See the first foot-note of the Sutra 5/51, page 194). In the task of text-redemption, the text of other Agamas also are taken as basis. In all the manuscripts, after the text Ćiyatante uragharappawesä in Sutra 2/94, the text reads as 'Bahthin Silawwaya-guna-weramaṇapaćća 1. Iha Sutra Anya Yuthika waktawayam Swayamuecaraniyam. Grantha-gaurawa -bhayenalikhitatatwattasya taccedam, Vrittipatra 106, Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37 khana-pos-howa-waschin'. Due to the inconsistency in its meaning there, the commentator had to write Tairyukta iti gamyam', but, on seeing the Sutras 'owa-iya' and 'Rayapaśeņa-iya', it is found that this reading should not be there where it has been written down. On the basis of both the abovementioned Sutras, the order of the text in view is constructed thus-O-sahaBhesajjenam Padilābhemāṇā bahubin Silawwaya-guna weramana-Paććakhāna Posahowa-wäschin abapariggahi-e-hin tawokamméhin appäņam bhäwemāņā wiharanti. In sûtra 2/1, in all the specimens, the text is särakallāņa Jawa kewa-in' but 'Jawa' serves no purpose here. On the basis of 8/217 of the Bhagwati as well as the first stenza of the Prajnapana, here the text is ascertained to be 'Jawati, instead of 'Jawa'. In many instances, the meaning does not change by an alteration of letter but difficulty arises in understanding the meaning and sometimes it changes too. In Sūtra 6/90, the reading is 'hawwin'; and 'hetthin' as well as 'hitthin' the two recensions are also found. The commentator Abhayadeva Sūri has given the meaning as 'Sama' there. (See the commentary-leaf 271). In the sthänänga Sutra (143), on the same topic, the reading is as, 'hitthin'. Abhayadeva Sari has given its meaning there as 'below the Brahma-loka'. (See the Sthänänga-vritti leaf 410). In same places the varient readings occur due to the mis-understanding of the transcriber and difference in characters in scripts. In Sutra 9/195, the reading is as 'Odharémāņi-odharémani'. In some specimens this reading is found in the form of 'uwadharemäpio-uwadharemanio'. In one copy, this reading is changed into 'uwari-dhare-mãnão-uwari-dhare-manio". A few examples of recensions have been cited here to show that manuscripts or only one particular copy cannot be taken as the basis in the redemption of the text. It can be redeemed only on the basis of various Agamas, their commentaries and consistency of their meaning. The problem of abridgement and redemption of the text It is a task to lay down authentically the method of abridgement adopted by Devardhigani at the time of writing the Agama Sutras. And, it is a task because many Agamadharas have abridged the Agama-text in later periods. Probably, same transcribers too, for the sake of convenience of transcribing, have abridged the text. In the abridged text of sütra 13/25, the dewoddeśaka of the second Sataka has been referred to indicate the kinds of Bhawanpati Dewas etc., but the full text is not there (2/117, page 111) and the sthänpada of the Prajnapnā has been referred to. Likewise, in the abridged text of Sutra 16/33, the third Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38 Sataka (Sutra 27, page 130) has been referred to but the full text is not there. It is indicated there to refer to 'Rayapaseņa-ima' sutra. The abridged text of Sūtra 16/71 refers to the chapter of 'Udrāyana (13,117, page 614) only not to find the full text there. In the same way 16/121, 18/56 and 18/77 indicate regarding the full text, but it is not found at the places referred to. On the basis of these references, it is inferred that the texts, at the places referred to, were complete at the time of their abridgement. But after that, some Anuyogadhara Acharya abridged those full texts also. The words *Jawa', Jaha' etc, bave been used for abridgement. In some instances, the use of Tāwa' is more or less unnecessary. It is either due to negligence on the part of the transcriber or has been written as usual without discernment. The transcribers have taken plenty of freedom in the use of 'Jāwa'. If someone transcribed Pawaphala Jawa Kajjantı. the other has written it as "Pāwaphala virvága Jāwa Kajjati'. Along with the short readings even such as 'winda' (7/196), 'Payoga' (8/17) 'Sahassa' (16/103) the word 'Jāwa' has been added. The abridgements of the text, therefore, seem to have been done from time to time by the scribes. The Agama under review has two main Vaćnās, abridged and full. The length of the abridged version of the work is regarded to be a total of 15751 Anustupa Slokas. The extent of the full version of the work is regarded to be a total of one lakh and a quarter Anustupa Ślokas. Abbayadeva Süri bas written bis commentary on the basis of the abridged version of this Āgama. In editing the text, we have, as far as needed, completed the texts introduced by the words Jäwa' etc., resulting the total length of the work to a measure of 19319 Anuştupa Slokas and 16 letters more. Change of Word and Formative 1/49 Nigama Niyama (Ta) 1/224 Appiya Appitä (Ka) 1/224 Etesin Tetesin (Ka, Tā, Ma) 1/237 Wai. Wati (Tä) 1/239 Wai. (Tā) 1/245 Māyo Mão (Tā) 1/273 Poyantam Podantam (Ka, Tā, Ba, Ma, Sa) 1/276 Kajjai Kijjai (Ba, Sa) 1/281 Pāņā-i-Waya Pāņāyawaya (Sa) Wayi. Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Tai 1/281 1/298/2 1/315 1/354 1/357 1/357 1/363 1/364 1/365 1/370 1/371 Nera-i-yanam Uwa Ogé Ahe Karejja Duhi-é Dugga ndhe Ariyam ca-u Pa-O-sia Saya Sandhijjamāņe (Ta) 1/371 1/371 1/385 1/389 Nisitthe Kā-i-ya-e Paņā-i-wāya Hțissi 1/415 1/424 1/425 Jahā Sāmā-i-yassa Ja-i Neratiyānam (A, Ba, Sa) Owa oge (Tā) Adhe (Ta) Karijja (Ka) Karejjā (Sa) Dukkhi-e (Kā, Tă, Ma) Dugandhę (A, Ma, Sa) Yariyam (Ka, Tā) catu Pāyosiā (A, ba) Sata (Ta) Saodhejja. māne (Tä) Nisaţthe (Ka, Tā) Kātiyā-e (Tä) Pāņāyawayao (Ba, Sa) Hussi (Ba); Hriswi (Sa); Hassi (Ka) Jadha (A, Ba, Sa) Sāmātiyassa (Ta) Jati (A, Ka, Ba, Ma, Sa) Kiwiņassa (Tā) Māgadha (Ta) Viyaddabhoti (A, Tā, Bâ, Ma, Sa) Sāmā.i-mādīy. ätim (Ka, Ba) Sāmåtiyamā. tiyāin (Sa) Dhawani (Ka, Tā, Ba, Ma) Ratniye (Tā) Arūbhe-i (Ka, Ma) Khatimā-Sātimam (Ba, Sa) Satmewa (Tā) Awanguta o (Ma) KhātimaSatimenam (Ba, Sa) 1/434 2/26 2/41 Kiwanassa Māgahı Viyadda bhoi 2/57 Sāmā-i-yama-i.yāin 2/66 Dhamayio 2/66 2/68 Rayaniye Ārūhe-i Kbā-ima-Säimam 2/68 2/68 2/94 2/94 Sayamewa Awanguyao Khâ-ima sa-i-menam Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3/4 3/21 3/25 3/33 Ayameyarûwe Isāne Moya-o Khă-ima Sa-imena 3/112 3/112 3/143 3/148 5/3 5/60 5/79 Sayaņijjā o Niwatim Weyati Samaya o *Padiņa A-- Rayaharana māya-e 5/82 5/110 5/139 6/63 6/63 6/79 (Ba) Atametāruwe (Ta) Nisane (Tā) Motāto (Ka, Tā) Khātim-Sātimeņam (Ba,Sa) Satanijjā o (Ta) Nipatim (Tå) Wedati (Tā) Samata o (Ta) *Padina' (Tā, Ma) A-u-ge (Tā) Rataharanamäta-e (Ta) Wedāwadiyam (Ba, ma) Samatansi (Ta) *Lo-ti-ya' (A, Sa) Sakasādīhin (Tā) Sajoti (Ta) Nā.o (Tā, ma) Kanharāyīto Kalatam (Ka) o Jata o (Ba) Atametākuwe (Tā) Anuppatātawwe (Tā) Godam (Ba) Anātīta Sādañatāe (Ka, Ba, Ma) Dissariya o (Ma) Nissariya (Ma) Sakasādi (A, TA) Abito (Ka), Adhito (Tā) Mada o (Tā) Mata o (ba) Samanayae Dhūma (Tā) Nīma (Ta, Ba) Padumasara (Tā) Nitamam cyana (Ta, Ba) Weyāwadiyam Samayansi *Lo-i-ya Sakasā-i-hip Sajogi Nāgo Kanharātio Kalagam o Jaya o Ayameyakuwe Anuppadāyawwe Goyan Aņādiyā o Sätāņayãe Issariyao Issariya Sakasai Abi-o Maya Sawaņayãe Dhūwa Nīwa Pa-u-ma-Sara Niyamam cyana 6/90 6/166 7/176 7/213 8/248 8/315 8/347 8/420 8/431 8/431 9/43 9/94 9/174 9/169 11/133 11/134 11/142 16/113 17/38 (Tä) (A) (Ba) Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18/100 19/85 30/22 41 Mayimiććha o Jati indiyani Sajogi Manuscripts used: (A) Bhagawati-vritti (Panćapathi). Manuscript with original Text. This manuscript is from the Gadhaiya Library, Sardarshahr. It contains 189 leaves and 278 pages. Each leaf is 13" in length and 4" in width. There are 1 to 23 lines of the original text on each leaf and each line has 80-85 letters. The copy has been prepared in a beautiful and artistic manner. There is a Wawari' (hollow space) also in the centre. The year of the transcription has not been given. It is estimatedly written in the 15th-16th century. Madimócha o (Ba) Jadindiyani (Ta) Sajoti (Kh.) (Ka) Bhagwati Text (Manuscript) This copy is from the Poonamchand Budhamal Dudhoria, Chapar library. It has 333 leaves and 666 pages. Each leaf is 10" long and 4". wide. There are 15 lines on each leaf and each line has 52-55 letters. The copy is a beautiful and artistic one. There are intermitant Pais (full-stops) in red ink and wāwari (hollow space). It dates back probably to the 16th country. (kha) The text on the palm-leaf (Manuscript) This manuscript has been received from Madan Chand ji Gothi, Sardar Shahr. It belongs to Jaisalmer Library and is a photo-print of the original written on Tala Patra. It has 422 leaves and 844 pages. Every page contains 3 to 6 lines and there are 130-140 letters in each line. The concluding eulogy has been written as i cha || Mangalam Mahā śrī || ||éha éha || cha || Ra" The year of the transcription has not been given but estimatedly it should be of the 12th century. (Ta) The text of the Palm-leaf (Manuscript). This manuscript belongs to Jaisalmer Library and is a photo-print of the Script written on the Talpatra. This, too, has been received from Madan Chand ji Gothi of Sardar Shahr. It has 348 leaves and 696 pages. Each leaf has 5 to 9 lines and there are 130-140 letters in each line. The last leaf is illustrated. The concluding eulogy reads as follows: Cha || Bhagwati Samatta y éha wad ekādasyäm gurau aparähne lekhaka éha éha || Sambat 1235 Visakhawana éandena likhitam" Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 42 (Ba) The text of shagawati (Manuscript) This manuscript belongs to Terapanthi Sabha, Sardar Shahr. It has 478 leaves and 956 pages. Each leaf is 101" long and 41" wide. There are 13 lines on each leaf and each line contains 38-42 letters. The copy has been attractively and artistically prepared. There are three Wawadīs' and red lines in it. Hartal' (orpinient) has been used. The concluding eulogy is not given in it and hence the year of script is unknown. Estimatedly, it dates back to the 16th century. (Ma) Bhagwati Sutra Text (Manuscript) This manuscript is from the Gadhaiya Library, Sardar Shahr. It has 482 leaves and 964 pages. Each leaf is 104" long and 4 wide. Each leaf has 13 lines on it and there are 40-45 letters in each line. There are intermittant *Päis' (full stops) in red ink and Wāwadīs (hollow spaces). The year of the script has not been given in the end but estimatedly it dates back to the 16th century. The concluding eulogy reads as follows : ćna Granthāgram 15775 | cha | cha | cha | Srill cha || Sri Kalyanamastu | Subham Bhawatu li cha || Sri i Śri!! cha |cha! The script has notes in Sanskrit in many places. (Sa) Bhagwati Sutra (Tripathi) Known as Kesar Bhagwati, this manuscript is from the Terapanthi Bhandar, Ladnun. It has 602 leaves and 1204 pages. The text is in the middle of the leaf while the 'vritti' has been given obove and below the text. This is a beautiful and sufficiently correct copy. Some reader, taking a printed copy as authentic has used 'Hartal' in many places and has tried to correct the text of this manuscript. Wherever it has been done so, the correct text has become incorrect. Each leaf of it has 4 to 15 lines of the text on it and each line contains 45-53 letters. The concluding eulogy reads as follows :-- Sri Bhagwati Sütram Sampurnam cha |Sri Vivāha Pannatti Pañćamam angam Sammattam | Subham Bhavatu ! Kalayanamastu. Granthāgram 15675 Ubhava Milane Gran. 34291 Sri Likhatayati Dähämallah Sri Nāgore Madhye Sam. 1848 Māha Sa. 15) Wri, (Wļipā) Printed Publisher : Srīmati Agamodaya Samiti, Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 43 ACKNOWLEDGEMENTS The 'Vāćna' has a very ancient history in the Jaina tradition. There had been four “Vāénās' of the Āgamas to date in different periods in the last fifteen centuries. There was no well planned Agama-Väćnā after Dewardhigaại. The Āgamas, written in his Väćnā-time, have become very much disordered during the long past period. A well planned Vaćnā' was the need of the day again to set them in order. Acārya Tulsi had tried for a well planned congreagational Vaćnă but it could not materialize. Ultimately, we reached the conclusion that if our Väćnā' is investigative, researching, full of a well balanced view and diligence, it will itself become congraegational. With this decision in view, our work on this Āgama-Vāćna began. Acārya Tulsi is the Head of this Väčan. Vaćán means to teach. There are many aspects of teaching in our “Vāćnā', i.e., redemption of the text, translation, critical study etc. etc. In all such activities, we have received active participation, able guidance and inspiration from the Āćarya. This is the source of strength below this great task. Only the expression of gratitude to him will not suffice. Better it is that I must achieve the grace of his bicssings for future work and prove myself more worthy of my duties. In the editing of the present Agama Muni Sudarśanji, Madhukarji, Hiralalji have given constant help to me in various ways. Apart from their valuable assistance, we had co-operation from Muni Sri Kanmalji. Chatramalji, Amolakéandji. Dinkarji, Poonamčandji, Rajkaranji, Kanhaiya Lalji, Tärāćandj!, Balčandji, Vijairajji, Manilalji, Mahendra Kumarji (second) Sampatmalji (Doongargarh), Santikunarji, Mohanlalji (Sárdūl) and Manna lalji Borad. The work of editing the text was started on the 9th dark-moon day in the month of Paush in the year 2029 of the Vikrama Era (28th December, 1972), in Sardár Shahr (Rajasthan) and was completed in Delhi on the lith day of bright-moon in Phälguna in the year 2030 of the Vikrama Era (4th March, 1974). Muni Sudarśanji, Madhukarji, Hiralalji and Dulaharajii took great pains in critically examining the press-copy. The counting of the total syllables of the work has been prepared by Muni Mohanlalji (Āmet). Valueing their contribution to the accomplishment of the work, I express my gratitude to them individually. On this occasion, the erudite Āgarda scholar and active participant in editing of the Agama, late Sri Madan candji Gothi is very much missed Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 Had he been alive, he would have been highly contented to see this work accomplished. The Managing editor of the Agama Śrī Sri Chānd ji Rampuriā has been devoted to the task of the Agama from the beginning. He has dedicated himself to the sternous work of making the Agama Literature popular and handy to the public after giving up bis well established practice of an advocate. He has highly shown luis faith and dedication in this publication of the Āgama Suttani' Sri Khem Chand ji Sethiā, President of the Jain Viswa Bhärati and his co-workers and the staff of the Ādarsa Sahitya Sangha have worked diligently in collecting the material utilized in the edition of the text. Accounting the order of contribution to the same activity of the persons marching towards one and the same goal is nothing more than a formality. Actually, it is a solemn duty of us all and this is what we all have performed. Muni Nathmal Anuvrata Vinar New Delhi Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई वियाक्कम पढमं सतं सू० १-४४० पृष्ठ ३-७८ मंगल-पद १, उक्खेव पदं ४, चलमाण-पदं ११, नेरइयाण ठिति -आदि-पदं १३, आरंभअणारंभ-पदं ३३, नाणादीणं भवंतर-संक्रमण-पदं ३६, असंवुड-संवुड - अणगार - पदं ४४, असंजयस्त वाणमंतरदेव पदं ४८, कम्म-वेयण-पदं ५३, नेरइयादीणं समाहार - समसरीरादिपदं ६०, मणुस्तादीणं समाहार - समसरीरादि-पर्व ८६, लेस्सा-पदं १०२, जीवाणं भवपरिवट्टणपदं १०३, अंतकिरियापदं ११२, प्रसण्णि आउय पदं ११४, कंखामोहणिज्ज -पदं ११८, सद्धा-पदं १३१, अस्थि - नत्थि पदं १३३, भगवओ समता- पदं १३६, कंखामोहणिज्जस्स बंधादि - पदं १४०, कम्म-पदं १७४, उवद्वाण अवक्कमण पदं १७५, कम्म- मोक्ख पदं १८६, पोग्गल - जीवाणं तेकालियत्त-पदं १९१, मोक्ख पदं २००, पुढवि- पदं २११, आवास-पदं २१३, नेरइयाणं नाणादसासु कोहोवउत्तादिभंग- पदं २१६. असुरकुमारादीनं नाणादसासु कोहोवउत्तादिभंग-पदं २४५, सुरिय-पदं २५६, फुसणा-पदं २६८, किरियापदं २७६, रोहस्स पहपदं २८ लोयद्विति-पदं ३०९ जीव-पोग्गल-पदं ३१२, सिणेह - काय पदं ३१४, देस-सव्वपदं ३१८, विग्गहगइ पदं ३३५ आयु-पदं ३३९, गव्भ-पदं ३४० माइय-पेय-अंग-पदं ३५०, गव्भस्स नरगगमण-पदं ३५३, गब्भस्स देवलोगगमण-पदं ३५५, बालस्स आउय-पदं ३५६, पंडियस्स आउय-पदं ३६०, बालपंडियस्स आउय-पदं ३६२ किरियापदं ३६४, जयपराजयपदं ३७३, वीरिय-पद ३७५, गुरु-लघु-पदं ३८४, पसत्थ- पदं ४१७, कंखापदोस-पदं ४१६. इह-पर- भवियाउय-पदं ४२०, कालासवेसियपुत्त-पदं ४२३, अपच्चक्खाणकिरियापदं ४३४, आहाकम्म-पदं ४३६, फासू-एसणिज्ज-पदं ४३८, परसमयवत्तव्वया-पदं ४४२, ससमयवत्तया पद ४४३, इरियावहिया संपराइया-पद ४४४, उपपात-पदं ४४६ । बोधं सतं सू० १-१५३ पु० ७६-१२० उक्खैव-पदं १, सासुस्सास -पदं २, वाउकायस्स कार्यट्ठिइ-पदं ६, मडाइ-नियंठ-पदं १३, खंधय कहा- पदं २०, समुग्धाय पदं ७४, पुढवि-पदं ७५, इंदिय-पदं ७७, परिचारणा-वेद-पदं ७६, गब्भ- पदं ८१, तुंगियानयरी - समणोवासय-पदं ६२, उण्हजल-कुंड-पदं ११२, भासापद ११५, ठाण-पर्व ११६, चमरसभा-पदं ११८ समयखेत्त-पदं १२२, अस्थिकाय-पदं १२४, जीवत्त उवदंसण-पदं १३६ श्रत्थिकाय पदं १४१, फुसणा-पदं १४६ । Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ तइयं सतं सू० १-२८१, पृ० १२१-१८२ उक्खेव-पदं १, देवविकून्दणा-पदं ४, तामलिस्स ईसाणिद-पदं २५, सक्कीसाण-पदं ५४, सणंकुमार-पद ७२. चमरस्स भगवओ वंदण-पदं ७७, असुरकुमारवण्णग-पदं ७६, चमरस्स उड्ढमुपाय-पदं ९७, चमरस्स पुत्वभवे पूरणगाहावइ-पदं ६६. पूरणस्स दाणामपव्वज्जा. पदं १०२, पुरणस्स पाओवगमण-पदं १०४, भगवो एकराइयमहापडिमा-पदं १०५, पूरणस्स चमरत्त-पदं १०६, च परम्स कोव-पदं १०६. चमरस्स भगवओ णीसापुव्वं सक्कस्स आसायण-पदं ११२, सक्कैदस्स वज्जपक्खेव-पदं ११३, चमरस्स भगवओ सरण-पदं ११४, सक्कस्स बज्जपडिसाहरण-पदं ११५, सक्क-चमर-वज्जाणं गइविसय-पदं ११७, चमरस्सचिंता-पदं १२७, असुरकुमाराणं उडढमुप्पयणस्स हेउ-पदं १३१, किरिया-पदं १३३, किरियावेदणा-पदं १४०, अंतकिरिया-पदं १४३, पमत्तापमत्तद्धा-पदं १४६ लवणसमुद्द-बुढि-हाणिपदं १५२, भाबिअप-पदं १५४, वाउकाय-पदं १६४, बलाहक-पदं १७२, किलेसोववाय-पदं १८३, भाविअप्प-विकुव्वणा-पदं १८६, भाविअप्प-अभिजुजणा-पदं २०६, भाविअप्प-विकुव्वणा-पदं २२२, आयरक्ख-पद २४४, लोगपाल-पदं २४७, सोम-पदं २५०, यम-पदं २५६, वरुण-पदं २६१, बेसमण-पदं २६६ । पृ० १०३-१८५ चउत्थं सत सू० १-६ ईसाण-लोगपाल-पदं १, नेरइय-उवदाय-पदं ७, लेस्सा-पदं ८ । पंचम सतं सूत्र १-२६० पृ० १८६-२३२ जंबूद्दीवे सूरिय-वतव्वया-पदं १, जंबुद्दीवे दिवस राई-वत्तव्वया-पदं ४, जंबुद्दीवे उउ-वत्तब्वया पद १३. जंबडीवे अयणादि-वत्तव्वया-पदं १७, लवणसम्हादिसू सरियादि-वत्तव्बया-पदं २१ वाउ-पदं ३१ । ओदणादीणं किसरीरत्त-पदं ५१, लवणसमुह-पद ५५, आउ-पकरण-पडिसं वेदण-पदं ५७, साउयसंकमण-पदं ५६, छउमत्थ-केवलीणं सहसवण-पदं ६४, छउमत्थ-केवलीणं हास-पद ६८, छउमत्थ-केवलीणं निद्दा-पदं ७२, गब्भसाहरण-पदं ७६, अइमुत्तग-पदं ७८, महासुक्कागयदेव-पण्ह पदं ८३, देवाणं नोसंजयवत्तव्वया-पदं ८६, देवभासा-पद ६३, छउमत्थ-केवलोणं नाणभेद-पदं १४, केवलीणं पणीय-मण-वइ-पद १००, अणुत्तरोववाइयाणं केवलिणा आलाव-पदं १०३, केवलीण इंदियनाणं-निसेध-पदं १०८, केवलीणं जागचचलया-पदं ११०, चोइसपुव्वीणं सामत्थ-पदं ११२, मोक्ख-पदं ११५, एवंभूय-अणेवंभूय-वेदणा-पदं ११६, कुलगरादि-पदं १२२, अप्पायु-दीहायु-पदं १२४, असुभसुभ-दीहायु-पदं १२६, कयविक्कए किरिया-पदं १२८, अगणिकाए महाकम्मादि-पदं १३३, धणपक्खेवे किरिया-पद १३४, अण्णउस्थिय-पदं १३६, नेरइयविउव्वण-पदं १३८ आहाकम्मादिनाहारे आराहणादि Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पदं १३६, आयरिय-उबज्झायस्स सिद्धि-पदं १४७ अब्भक्खाणिस्स कम्मबंध-पदं १४७, परमाण-खंधाणं एयणादि-पदं १५०, परमाणु-खंधाणं छदादि-पदं १५४, परमाणु-खंधाणं सअड्ढसमझादि-पदं १६०, परमाणु-खंधाणं परोप्परं फुसणा-पदं १६५, परमाणु-खंधाणं संठि-पदं १६९, परमाणु-खंधाणं अंतरकाल-पदं १७५, परमाणु-खंधाणं परोप्पर अप्पाबयत्त-पदं १८१, जीवाणं सारंभ सपरिग्गह-पदं १८२, हेउ-पदं १६१, नियंठिपुत्त-नारयपुत्तपदं २००, जीवाणं-वुढि-हाणि-अवट्टिइ-पदं २०८, जीवाणं सोवचय-सावचयादिपदं २२५, किमिदंरायगिह-पदं २३५, उज्जोय-अंधयार-पदं २३७ मणुस्सखेते समयादि-पदं २४८, पासावच्चिज्ज-पदं २५४ देवलोय-पदं २५८ । छठं सतं पृ० २२३-२७० पसत्यनिज्जराए सेयत्त-पद १, करण-पदं ५, महावेदणा-महानिज्जरा-चउभंग-पदं १५, महाकम्मादीणं पोग्गलबंधादि-पदं २०, अप्पकम्मादीणं पोग्गलभेदादि-पदं २२, कम्मोवचयपदं २४, कम्मोवचयस्स सादि-अनादित्त-पदं २७, जीवाणं सादि-अनादित्त-पदं ३०, कम्मपगडी बंध विवेयण-पदं ३३, वेदगावेदगाण जीवाणं अप्पाबयत्त-पदं ५२, कालादेसेणं सपदेस-अपदेस-पदं ५४, पच्चक्खाणादि-पदं ६४, तमुक्काय-पदं ७०, कण्हराइ-पदं ८९, लोगंतियदेव-पदं १०६, नेरइयादीणं आवास-पदं १२०, मारणंतियसमुग्घाय-पदं १२२, धन्नाणं जोणि-ठिइ-पदं १२६, गणना-काल-पदं १३२, ओवमिय-काल-पदं १३३, सुसमसुसमाए भरहवास-पदं १३५, पुढवि-आदिसु गेहादिपुच्छा-पदं १३७, आउबंध-पदं १५१, लवणादिसमुद्द-पदं १५५, कम्मप्पगडिबंध-पदं १६२, महिड्ढीयदेव-विकूवणा-पदं १६३, अविसुद्धलेसादि देवाणं जाणणापासणा-पदं १६८, सुह-दुह-उवदंसण-पदं १७४ जीव-चेयणा-पदं १७४, वेदणा-पदं १८३, नेरइयादीणं आहार-पदं १८६, केवलिस्स नाण-पदं १८७। सत्तमं सतं सू० १-२३३ पृ० २७१-३१४, अणाहारग-पदं १, सव्वपाहारग-पदं २, लोगसंठाण-पदं ३, समणोवास गस्स किरिया-पदं ४, समणोवासगस्स अणाउट्रिहिंसा-पदं ६, समणपडिलाभेण लाभ-पदं ८, अकम्मरस गतिपदं १०, दुक्खिस्स दुक्खफासादि-पदं १६, इरियावहिय-संपराइय-किरिया-पद २०, सइंगालादिदोसदुटू-पाणभोयण-पदं २२, सुपच्चक्खाण-दुपच्चक्खाण-पदं २७, पच्चक्खाणपदं २६, पच्चक्खाणि-अपच्चक्खाणि-पदं ३६, सासय-असासय-पदं ५८, वण्णस्सइ-आहारपदं ६२, अणंतकाय-पदं ६६, अप्पकम्म-महाकम्म-पदं ६७, वेदणा-निज्जरा-पदं ७४, सासय-असासय-पदं ६३, संसारत्थजीव-पदं १७, जोणीसंगह-पदं ६६, आउयपकरणवेयणा-पदं १०१, कक्कस-अकक्कसवेयणीय-पदं १०७, सायासाय-वेयणीय-पदं ११३, Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ दुस्समदुस्समा-पदं-११७, संवुडस्स किरिया-पदं १२५, काम-भोग-पदं १२७, दुब्बलसरीरस्स भोगपरिच्चाय-पदं १४६, अकामनिकरण-वेदणा-पदं १५०, पकामनिकरण-वेदणापदं १५३, मोक्ख-पदं १५६, हस्थि-कुंथु-जीव-समाणत्त-पदं १५८, सुह-दुक्ख-पदं १६०, दसविहसण्णा-पदं १६१, नेरइयाणं दसविहवेदणा-पदं १६२, हत्थि-कंफणं अपच्चक्खाणकिरिया-पदं १६३, अहाकम्मादि-पदं १६५, असंवुड-अणगारस्स विउव्वणा-पदं १६७, महासिलाकश्यसंगाम-पदं १७३, रहमुसलसंगाम-पदं १८२, वरुण-नागनत्तुय-पदं १९२, वरुणनागनत्तुय-मित्त-पदं २०४, कालोदाइ-पभितीणं पंचत्थिकाए संदेह-पदं २१२, कालोदाइस्स समाहाणपुव्वं पव्वज्जा-पदं २१७, कालोदाइस्स कम्मादिविसए पसिण-पदं २२२॥ अट्ठमं सतं सू०१-५०४ पृ० ३१५-३९७ पोग्गलपरिणति-पदं १, पयोगपरिणति-पदं २, पज्जत्तापज्जत्तं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं १८, सरीरं पदुच्च पयोगपरिणति-पदं २७, इंदियं पहुच्च पयोगपरिणति-पदं ३२, सरीरं इंदियं च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३५, वण्णादि पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३६, सरीरं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३७, इंदियं वण्णादिं च पडुच्च पयोगपरिणतिपदं ३८, सरीरं इंदियं वण्णादिं च पहुच्च पयोगपरिणति-पदं ३६, मीसपरिणति-पदं ४०, वीससापरिणति-पदं ४२, एगं दव्वं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ४३, पयोगपरिणति-पदं ४४, मणपयोगपरिणति-पदं ४५, वइपयोगपरिणति-पदं ४८, कायपयोगपरिणति-पदं ४६, मीसपरिणति-पदं ६५, वीससापरिणति-पदं ६७, दोणि दव्वाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ७३, तिणि दवाइं पहुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ७६, चत्तारि दव्वाई पडुच्च पोग्गलपरिणतिपदं ८२, प्रासीविस-पदं ८६, छउमत्थ-केवलि-पदं ६६, नाण-पदं ९७, जीवाणं नाणि-अण्णा णित्त-पदं १०४, अंतरालगति पदुच्च १११, इंदियं पडुच्च--११५, कायं पदुच्च-११८,. सहम-वादरं पहुच्च--१२०, पज्जत्तापज्जत्तं पहुच्च-.१२३, भवत्थं पडुच्च-१३१, भवसिद्धियाभवसिद्धियं पडुच्च--१३५, सण्णि-असणिण पडुच्च--१३८, लद्धि-पदं १३६ नाणद्धि पदुच्च-नाणि-अण्णाणित्त-पदं १४७, दंसणं पदुच्च-१५८, चरित्तं पडुच्च-१६१, चरित्ताचरित्तं पडुच्च---१६३, नाणाई पडुच्च-१६४, बालाइवीरियं पडुच्च-१६४, इंदियं पहच्च--१६६, उवउत्ताणं नाणि-अण्णाणित्त-पदं १७२, जोगं पहुच्च-१७६, लेस्सं पडुच्च-१७७, कसायं पडुच्च-१७६, वेदं पडुच्च-१८१, आहारग पडुच्च-१८२, नाणाणं विसय-पदं १८४, नाणीणं संठिइ-पदं १६२, नाणीणं अंतर-पदं २००, नाणीणं अप्पाबहुयत्त-पदं २०५, नाणपज्जव-पदं २०८ नाणपज्जवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं २१२, वणस्सइ,-पदं २१६, जीवपएसाणं अंतर-पदं २२२, चरिम-अचरिम-पदं २२४, किरिया-पदं २२८, आजीवियसंदब्भे समणोवासय-पदं २३०, समणोवासगकयस्स दाणस्स परिणाम-पदं २४५, उवनिमंतितपिंडादि परिभोगविहि-पदं २४८, आलोयणाभिमुहस्स आराय-पदं २५१, Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जोति-जलण-पदं २५६, किरिया-पदं २५८, अण्णउत्थियसंवाद-पदं अदत्तं पडुच्च-२७१, हिंसं पडुच्च-२८५, गममाणगयं पडुच्च-२६१, पडिणीय-पदं २६५, पंचववहार पदं ३०१, बंध-पदं ३०२, इरियावहियबंध-पदं ३०३, संपराइयबंध-पदं ३०६, कम्मप्पगडीसु परीसहसमवतार-पदं ३१५, सूरिय-पदं ३२६, जोइसियाणं उववत्ति-पदं ३४०, बंध-पदं ३४५, वीससाबंध-पदं ३४६, पयोगबंध-पदं ३५४, आलावणं पडुच्च ३५५, अल्लियावणं पडुच्च-- ३५६, सरीरं पच्च-३६३, सरीरप्पयोगं पडुच्च ३६६, ओरालियसरीरप्पयोगं पडुच्च-- ३६७, बेउब्वियसरीरप्पयोगं पदुच्च--३८६, आहारगसरीरप्पयोगं पडुच्च-४०५, तेयासरीरप्पयोगं पड़च्च--४१२, कम्मसरीरप्पयोग पदुच्च-४१६, पयोगबंधस्स देसबंध-सव्वबंध-पदं ४३४, सुय-सील-पदं ४४६, आराहणा-पदं ४५१, पोग्गलपरिणाम-पदं ४६७, पोग्गलपएसस्स दव्वादीहि-भंग-पदं ४७०, पएस-परिमाण-पदं ४७५, कम्माणं, अविभागपलिच्छेद-पदं ४७७, कम्माणं परोप्परं नियमा-भयणा-पदं ४८४, पोग्गलि-पोग्गलपदं ४६६ नवमं सतं सू० १-२६३ पृ० ३६५-४६५ जंबुद्दीव-पदं १, जोइस-पदं ३, अंतरदीव-पदं ७, असोच्चा उवलद्धि-पदं ६, सोच्चा उवलद्धि-पदं ५२, पासावच्चिज्जगंगेय-पसिण-पदं ७७, पवेसण-पदं ८६, संतर-निरंतर-उववज्जणादि-पदं १२०, सतो असतो उववज्जणादि-पदं १२१, सतो परतो वा जाणणा-पदं १२३, सयं असयं उववज्जणा-पदं १२५, गंगेयस्स संबोधि-पदं १३३, उसमदत्त-देवाणंदा-पदं १३७, जमालि-पदं १५६, एगस्स वधे-अणेगवध-पदं २४६, इसिस्स वधे अणंतवध-पदं २४६, वेरबंध-पदं २५१, पूढविकाइयादीणं आण-पाण-पदं २५३ किरिया-पदं २५८ । दसमं सतं पृ० ४६६-४८४ दिसा-पदं १, सरीर-पदं ८, संवुडस्स-किरिया-पदं ११, जोणि-पदं १५, वेदणा-पदं १६, भिक्खुपडिमा-पदं १८, अकिच्चट्ठाणपडिसेवण-पदं १६, आइड्ढीए परिड्ढीए वीइवयणपदं २३. देवाणं विणयविहि-पदं २४, आसस्स 'खु-खु' करण-पदं ३६, पण्णवणी-भासा-पर्ट ४०. तावत्तीसगदेव-पदं ४२, देवाणं तुडिएम सद्धि दिव्यभोग-पदं ६४, सुहम्मा सभा-पदं 88, सक्क-पदं १००, अंतरदीव-पदं १०२ एक्कारसं सतं सू० १-१६६ पृ० ४८५-५३७ उप्पलजीवाणं उववायादि-पदं १, सालुयादिजीवाणं उववायादि-पदं ४२, सिवरायरिसिपदं ५७, खेत्तलोय-पदं १०, लोयसंठाण-पदं १८, अलोयसंठाण-पदं ९९, लोयालोए जीवाजीव-मम्गणा-पदं १००, लोयस्स परिमाण-पदं १०६, अलोयस्स परिमाण-पदं ११०, लोगा Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गासे जीवपदेस-पदं १११, सुदंसणसे द्वि-पदं ११५, इसिमहत्त-पदं १७४,पोग्गल परिवायगपदं १८६। बाररसमं सतं सू०१-२२६ पृ० ५३७-५८७ संख-पोक्खली-पदं १, उदयणादीणं धम्मसवण-पदं ३०, जयंती-पसिण-पदं ४१, पुढवी-पदं ६६, परमाणुपोग्गलाणं संघात-भेद-पदं ६६, पोग्गलपरियट्ट-पदं ८१, वणादि अवण्णादि च पद्धच्च दव्ववीमंसा-पदं १०२, कम्मओ विभत्ति-पदं १२०, चंद-सूर-गहण-पदं १२२, ससि-आइच्च-पदं १२५, चंद-सूराणं कामभोग-पदं १२७, जीवाणं सव्वत्थ जम्म-मच्चू-पदं १३०, असई अदुवा अणंतखुत्तो उववज्जण-पदं १३३, देवाणं बिसरीरेस उववाय-पदं १५४, पंचेदियतिरिक्ख जोणियाणं उववाय-पदं १५६, पंचविह-देव-पदं १६३, पंचविह-देवाणं-उववाय, पदं १६६, पंचविह-देवाणं ठिइ-पदं १७८, पंचविह-देवाणं विउवणा-पदं १८३, पंचविह-देवाणं उबटण-पदं १८५, पंचविह-देवाणं संचिटणा-पदं १६१, पंचविह-देवाण-अंतर-पदं १६२, पंचविह-देवाणं अप्पावहुयत्त-पदं १९७, अट्टविह-पाय-पदं २००, अट्टविह-आयाणं अप्पाबयत्तपदं २०५, नाणदंसणाणं अत्तणा भेदाभेद-पदं २०६, सियवाद-पद २११ । तेरसमं सतं सू० १-१६६ पृ० ५८७-६२३ संखेज्जवित्थडेसु नरएसु उववाय-पदं १, संखेज्जवित्थडेसु नरएस उठवट्टण-पदं ४, संखेज्जवित्थडेसु नरएसु सत्ता-पदं ५ नरय-नेरइयाणं अप्पमहंत-पदं ४२, नेरइयाणं फासाणुभव-पदं ४४, नरयाणं बाहल-वड्डत्त-पदं ४५, निरयपरिसामंत-पदं ४६, लोग-मझ-पदं ४७, लोयपदं ५५, धम्मस्थिकायादीणं परोप्परं फास-पदं ६१ धम्मत्थिकायादीणं ओगाढ-पदं ७४, लोय-पदं १८, आहार-पदं १३, संतर-निरंतर-उव्ववज्जणादि-पदं १५, चमरचंच-आवास-पदं ६६ उद्दायणकहा-पदं १०१, भासा-पदं १२४, मण-पदं १२६, काय-पदं १२८, कम्मपगडि. पदं १४७, भाविअप्प-विउठवणा-पदं १४६, छाउमत्थियसमूग्धाय-पदं १६८ । चोइसमं सतं सू० १-१५५ पृ० ६२४-६५३ लेस्साणसारि-उबवाय-पदं १, नेरइयादीणं गतिविसय-पदं ३, नेरइयादीणं अणंतरोववन्नगादि-पदं ४, उम्माद-पदं १६, बुटिकायकरण-पदं २१, तमुक्कायकरण-पदं २५, विणयविहि पदं २६, पोग्गल-जीव-परिणाम-पदं ४४, अगणिकायस्स अतिक्कमण-पदं ५४, पच्चणब्भवपदं ६१, देवस्स उल्लंघण-पल्लंघण-पदं ६८, नेइयादीणं किमाहारादि-पदं ७१, देविदाणं भोग-पदं ७४, मोयमस्स आसासण-पदं ७७, तुल्लय-पदं ८०, भत्तपच्चक्खायस्स आहार-पदं ८२, लवसत्तमदेव-पदं ८४, अणुत्तरोबवाइयदेव-पदं ८६, अबाहाए अंतर-पदं १०, रुक्खाणं पुणब्भव-पदं १०१, अम्मड-अंतेवासि-पदं १०७, अम्मड़-चरिया-पदं ११०, अम्वाबाहदेव Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१ सत्ति-पदं ११३, सक्कस्स सत्ति पदं ११५, जंभगदेव - पदं ११७, सरूवि सकम्मलस्स पदं १२३, अत्ताणत्त-पोम्गल-पदं १२६, इद्वाणिट्टादि-पोग्गल-पदं १२६ देवाणं भासासहस्स-पदं १३०, सूरिय-पदं १३२ समणाणं तेयलेस्सा- पद १३६ केवलि पदं १३८ । पन्नरसमं सतं सू० १-१६० पृ०-६५४-७०६ गोसालग - पदं १, भगवओ विहार-पद २०, पढम - मासखमण पदं २२, दोच्च-मासखमण-पदं ३० तच्च-मासखमण-पदं ३७, चउत्थ-मासखमण-पदं ४४, गोसालम्स सिस्सरूवेण अंगीकरणपदं ५३, तिलथंभय-पदं ५७, वेसियायण - बालतवस्सि पदं ६०, तिलथंभय-निष्पत्तीए गोसालस्स अवक्कमण-पदं ७२, गोसालस्स तेथलेस्सुप्पत्ति-पदं ७६, गोसालस्स पुब्वकहाउवसंहार - पदं ७७, गोसालस्स अमरिस-पदं ७६, गोसालस्स आनंदथेरसमवखे अक्कोसपदंसणपदं ८२, आणंदथेरस्स भगवओ निवेदण-पदं ६७, आनंदथेरेण गोयमाइणं अणुण्णवण-पदं EC, गोसालस्स भगवंतं पर अक्कोसपुव्वं ससिद्धत निरूवण-पदं १०१, भगवया गोसालगवयणस्स पडियार- पद १०२, गोसालस्स पुणरवकोस- १६ १०३, गोसालेण सव्वा णुभूतिस्स भासरा सिकरण- पदं १०४, गोसालेण सुनक्खत्तस्स परितावण-पदं १०७, गोसाले भगवओ वहाए तेयनिसिरण-पदं ११०, सावत्थिए जणपवाद-पदं ११५, गोसालेण समणाणं परिणवागरण-पदं ११६, गोसालस्स संघभेद - पदं ११०, गोसालस्स पडिगमण-पदं १२०, गोसालेण नाणासिद्धत-परूवण-पदं १२१, अयंपुल - आजीविओवासय-पदं १२८, गोसालस्स अप्पणी नहरण- निद्देस पदं । १३६, गोसालस्स परिणाम परिवत्तणपुत्रं कालधम्मपदं १४१, गोसालस्स नीहरण-पदं १४२, भगवत्री रोगायंक पाउदभवण- पदं १४३, सोहस्स माणसियदुक्ख पदं १४७, भगवया सीहस्स आसासण-पदं १४६, सीहेण रेवईए भेसज्जाणायणपदं १५३, भगवओो आरोग्ग-पदं १६२, सव्वाणुभूतिस्स उववाय- पर्व १६४, सुनवखत्तस्स उबवाय पदं १६५, गोसालस्स भवब्भमण-पदं १६६ । सोलसमं सतं सू० १-१३४ पृ० ७१०-७३७ वाउयाय-पदं १, अगणिकाय-पदं ५, कतिकिरिय-पदं ६, अधिक रणी - अधिकरण-पदं, जीवाणं जरा सोग-पदं २८, सक्क्स्स ओग्गह- अणुजाणणा-पदं ३३, सक्क-संबंधि-वागरणपदं ३५, चेय-अचेय-कड कम्म पदं ४१, कम्म-पदं ४४, अंसिया-छेदणे वेज्जस्स किरिया - पदं ४७, नेरइयाणं निज्जरा-पदं ५१, सक्क्स्स उक्खित्तपसिणवागरण-पदं ५४, गंगदत्तदेवस्स संदभे परिणममाण-परिणय-पदं ५५, गंगदत्तदेवस्स अप्पविसए पसिण-पदं ५६, गंगदत्तदेवेण नट्टउवदंसण-पदं ६१, गंगदत्तदेवस्स पुव्वभव- पदं ६५, सुविण पदं ७६, भगवओ महासुमिण-दंसण-पदं ६१, सुविण फल-पदं ६२, गंध- पोग्गल - पदं १०६, लोगस्स चरिमंते जीवाजीवादिमग्गणा - पद ११०, परमाणुयोग्गलस्स गति-पदं ११६, किरिया-पदं Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ ११७, अलोए गतिनिसेध-पदं ११८, बलिस्स सभा-पदं १२१, ओहि-पदं १२३, दीवकुमारादिपदं १२५। सत्तरसमं सतं सू०१-६६ पृ० ७३८-७५३ हत्थिराय-पदं १, किरिया-पदं ५, भाव-पदं १६, धम्माधम्म-ठित-पदं १६, बाल पंडिय-पदं २५. जीवस्स जीवायाए एगत्त-पदं ३०, रूवि-अरू वि.पदं ३२, एयणा-पदं ७, चरणा-पद ४३, संवेगादि-पदं ४८, किरिया-पदं ५०, दुक्ख-वेदणा-पदं ६०, ईसाण-पदं ६५, पढविकाइयादीणं देस-सव्व-मारणंतियसमुग्घाय-पदं ६७, एगिदिय-पदं २, नागकुमारादिपदं ८७ अट्ठारसमं सतं सू० १-२२४ पृ० ७५४-७६० पढम-अपढम-पदं १, चरिम-अचरिम-पदं २१ सक्करस्स कत्तिय-सेट्टिनाम-पब्वभव-पदं ३८, मागंदिय-पत्त-पदं ५६, निज्जरापोग्गल-जाणणादि-पदं ६६, बंध-पदं ७२, कम्म-नाणत्त-पदं २०. जीवाणं परिभोगापरिभोग-पदं ८६, कसाय-पदं ८८, जुम्म-पदं ८६, अधगवहिजीवाणं वर-पर-पदं ५, वेउम्वियावेउन्विय-असरकुमारादि-पदं ९७, नेरइयादीण महाकम्मादि-पदं १००, नेरइयादीणं आउय-पदं १०२, असुरकुमारादीणं विउवणा-पदं १०४, नेच्छइयववहार-नय-पदं १०७, परमाण-खंधाणं वण्णादि-पदं १११, केवलि-भासा-पदं ११६. उवहि-पदं १२०, परिग्गह-पदं १२३, पणिहाण-पदं १२५, कालोदाइ-पभितीणं पंचस्थिकाए संदेह-पदं १३४, मद्य-समणोवास एण समाहाण-पदं १४०, भगवया मदुयस्स पसंसा-पदं १४३, विकूव्वणाए एगजीव-संबंध-पदं १४८, देवास र-संगाम-पदं १५०, देवस्स दीवसम्हअणपरियट्रण-पदं १५२, देवाणं कम्मक्खवणं-काल-पदं १५४, ईरियं पडुच्च' गोयमस्स संवाद-पदं १५६, अण्णउत्थियाण आरोव-पदं १६३, परमाणपोग्गलादीणं जाणणापासाण-पदं १७४, भवियदव्व-पदं १८३, भावियप्पणो असिधारादि-ओगाहणादि-पदं १९१, परमाणपोग्गलादीणं वाउकाय-फास-पदं १६६, दवाणं वण्णादि-पदं २००, सोमिल माहण-पदं २०४। एगूणवीसइमं सतं सू० १-११२ पृ० ७६१-८०५ लेस्सा-पदं १, पढबिकाइय-पदं ५, आउक्काइयादि-पदं २१, थावरजीवाणं ओगाहणाए अप्पाबहुत्त-पदं २४, थावरजीवाणं सव्वसुहुम सव्वबादर-पदं २५, पुढवि सरीरस्स महालयत्त-पदं ३३, पुढविकाइयस्स सरीरोगाहणा-पदं ३४, पुढविकाइयस्स वेदणा-पदं ३५, आउकाइयादीणं वेदणा-पदं ३६, महासवादि-पदं ४८, चरम परम-पदं ५८, वेदणा-पदं ६२, दीवसमह-पदं ६५, अस रकुमारादीणं भवणादि-पदं ६७, जीवादि-निव्वत्ति-पदं ७६. करण-पदं१०२। Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं सू० १-१२३ पृ० ८०६-८३४ बेइंदियादि-पदं १, अस्थिकाय-पदं १०, अस्थिकायस्स अभिवयण-पदं १४, पाणाइवायादीणं आयाए परिणति-पदं २०, गभं वक्कममाणस्स वणादि-पदं २१, इंदियोवचय-पदं २४, परमाण-खंधाणं वण्णादिभंग-पदं २६, परमाण-पदं ३७, पढविआदीणं आहार-पदं ४३, बंध-पदं ५२, समयखेते ओसप्पिणि-उस्सप्पिणि-पदं ६२, पंचमहत्वयइय-चाउज्जाम-धम्मपदं ६६, तित्थगर-पदं ६७, जिणंतरेस कालियसुय-पदं ६६, पुव्वगय-पदं ७०, तित्थ-पदं ७२, उग्गादीणं निगथधम्माण गमण-पदं ७६, विज्जा-जंघा-चारण-पदं ७६, आउय-पदं ८९, उववज्जण-उव्वट्टण-पदं ६१, कतिसंचयादि-पदं ९७, छक्कसमज्जियादि-पदं १०५, वारससमज्जियादि-पदं ११२, चुलसीतिसमज्जियादि-पदं ११७ । पृ० ८३५-८३६ एगवीसइमं सतं सू०१-२१ सालिआदिजीवाणं उववायादि-पदं १।। पृ० ८४०-८४२ बावीसइमं सतं तालादिजीवाणं उववायादि-पदं १ । तेवीसइमं सतं सू०१-६ आलुयादिजीवाणं उववायादि-पदं ११ पृ० ८४३,८४४ सू० १-३६१ पृ०८४५-६.. चउवीसइमं सतं नेरइयादीसु उववायादि-पदं ११ पंचवीसइमं सतं पृ०६०१-९७७ लेस्सा-पदं १, जोगस्स-अप्पाबहम-पदं २, समजोगि-विसमजोगि-पदं ४, जोग-पदं ६, दवपदं, जीवाणं अजीव परिभोग-पदं १७, अवगाह-पदं २१, पोग्गलाणं चयादि-पदं २२, पोग्गलगहण-पदं २४, संठाण-पदं ३३, रयणप्पभादिसंदब्भे सठाण-पदं ३७, पएसावगाहतो संठाणनिरूवण-पदं ५१, अणसे ढि-विसे ढि-गति-पदं ६२, निरयावास-पदं ९५, गणिपिडय-पद ६६, अप्पाबहय-पदं १८, जुम्म-पदं १०३, सरीर-पदं १४०, सेय-निरेय-पदं १४१, पोग्गलपदं १४७, मझपदेसा-पदं २४०, पज्जव-पदं २४६, निगोद-पदं २७३, नाम-पदं २७५, पण्णवण-पदं २७८, वेद-पदं २८६, राग-पद २६६, कप्प-पदं २६६, चरित्त-पदं ३०४, पडिसेवणा-पदं ३०७, तित्थ-पदं ३१६, लिंग-पदं ३२२, सरीर-पदं ३२३, खेत्त-पदं ३२६, काल-पदं ३२८, गति-पदं ३३६, संजमट्ठाण-पदं ३४६, निगास-पदं ३४६, जोग-पदं ३६३, उवओग-पदं ३६६, कसाय-पदं ३६७, लेस्सा-पदं ३७३, परिणाम-पदं ३८१, बंध-पदं ३६०, वेदण-पदं ३६५, उदीरणा-पदं ३६८, उवसंपज्जहण-पदं ४०३, सण्णा-पदं ४०६, आहार-पदं Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४११, भव पद ४१२, आगरिस-पदं ४१६, काल- ४२४ अंतर-पदं ४३० समुग्धाय पर्व ४३५, खेल- ४४०, पुसणा-पदं ४४२, भाव-पदं ४४३, परिमाण- पद ४४६, अप्पावहुतपदं ४५१, पण्णवण - पदं ४५३, वेद-पदं ४५६, राग-पदं ४६०, कप्प-पदं ४६१, नियंठ-पदं ४६४ डिसेवणा-पद ४६७, नाण-पदं ४६६, तित्य-पदं ४७३, लिंग - पदं ४७४, सरीर-पदं ४७६, खेल-पदं ४७७, कालन्यदं ४७८ गति-पदं ४८०, संजमा वन्पदं ४८६, निमास-पदं ४६०, जोग- पदं ४६७, उदओग-पदं ४६८ कसाय-पदं ४६६, लेस्सा-पदं ५०२, परिणामपदं ५०३, बंध-पदं ५१०, वेदण-पदं ५१२, उदीरणा-पदं ५१४, उवसंपज्जहण - पदं ५१७, राणा पर्व ५२२, आहार-पदं ५२३, भव-पदं ५२४ आगरिस-पदं ५२६, काल-पदं ५३३, अंतर-पदं ५३८, समुग्धाय-पदं ५४२, खेत्त-पदं ५४३, फुसणा-पदं ५४४, भाव-पदं ५४५, परिमाण-पदं ५४७ अध्याबहुयत्त पदं ५५० परिसेवा-पदं ५५१ आया-पवं ५५२ समाधारी पदं ५५५, पायच्छित्त-पदं ५५६ सव पर्व ५५७, नेरइयादीणं पुणभव पदं ६२० छवीसइमं सतं सू० १-२६ पृ० ६७८ ६८४ जीवाणं लेस्सादिविसे सित जीवाणं च बंधाबंध-पदं १ रश्यादी लेस्खा दिविसेसित मेरइयादोन बंधाबंध-पदं १६, जीवादीण नाणावरणादिकम्मं पहुच बंधबंध-पदं १५ विसे सिनेरइयादीणं बंधाबंध-पदं २९ । सत्तावीसइमं सतं अट्ठाइ जीवाणं पावकम्मकरणाकरण-पदं १ । एगुणतीसमं सतं सू० १-८ जीवाणं पावकम्म समजण समाधारण-पदं १ । तीसइमं सतं ५४ सू० १-२ समोसरण-पदं १ | इक्कतीसइमं सतं जीवाणं पावकम्मपदुवण-निटुवण-पदं १। सू० १-१० सू० १-४७ सु० १-४२ बुड्डुजुम्म-नेरइयादीणं उपाय-पदं १ । १० १०५ पृ० ६८६,६६७ पृ० ३८८,६८ पृ० १६०-१९७ पृ० ६६८-१००२ Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५ बत्तीसइमं सतं खुइजुम्म नेरइयादीणं उववद्रण-पदं १ । सू०१-७ पृ० १००३ तेत्तीसइमं सतं सू० १-६२ पृ० १००४-१००६ एगेंदियाणं कम्मपगडि-पदं १, भवसिद्धीयएगेंदियाणं कम्मपडि-पदं ४७, अभवसिद्धीयएगेंदियाणं कम्मरगडि-पदं ५६ । चोतीसइमं सतं सू० १.६७ पृ० १०११-१०२४ एगेंदियाणं विग्गहगइ-पदं १, एगेंदियाणं ठाण-पदं ३३, एगेंदियाणं कम्म-पदं ३४, एगेदियाणं उववत्ति-पदं ३७, एगेंदियाणं समुग्घाय-पदं ३८ । एगेदियाणं तुल्ल-विसेसाहिएकम्मकरण-पदं ३६, विसे सित-एगेंदियाणं ठाणादि-पदं ४२ । पृ० १०२५-१०३२ पणतीसइमं सतं सू०१-६७ महाजुम्म-एगेंदियाणं उववायादि-पदं १ । पृ० १०३३, १०३४ छत्तीसइमं सतं सू० १-१३ महाजुम्म-बेंदियाणं उववायादि-पदं १। पृ०१०३४ सत्ततीसइमं सतं सू० १,२ महाजम्म-दियाणं उबवायादि-पदं। पृ० १०३४ अटूतीसइमं सतं सू० १, २ महाजुम्म-चरिदियाण उववायादि-पदं १। पृ० १०३५ एगणयालीसइमं सतं सू० १, २, महाजुम्म-असणिपंचिदियाणं उववायादि-पदं १ पृ० १०३५-१०३६ चत्तालीसतिम सतं सू० १-४६ महाजूम्म-सण्णिपंचिदियाणं उववायादि-पदं १ पृ० १०४०-१००४ एगचत्तालीसतिमं सतं सू० १-८४ रासिज़म्म नेरइयादीणं उववायादि-पदं १ Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संकेत निर्देशिका • • ये दोनों बिन्दु पाठपूर्ति के द्योतक हैं । पाठपूर्ति के प्रारंभ में भरा बिन्दु [.] और उसके समापन में रिक्त विन्दु [0] रखा गया है । देखें-पृष्ठ ५ सूत्र ११ । (?) कोष्ठकवर्ती प्रश्नचिन्ह [?] आदर्शों में अप्राप्त किन्तु आवश्यक पाठ के अस्तित्व का सूचक है । देखें-पृष्ठ ७४ सूत्र ४३६ । [] आदर्शों में प्राप्त किन्तु प्रस्तुत प्रकरण में अनावश्यक व्याख्यांश पाठ को कोष्ठक में रखा गया है। देखें--पृष्ठ १०५ सूत्र १७ ॥ '' यह दो या उससे अधिक शब्दों के स्थान में पाठान्तर होने का सूचक है । देखें-पृष्ठ ३ । 'वण्णओ' व 'जाव' शब्द के टिप्पण में उसके पूर्ति-स्थल का निर्देश है। देखें-पृष्ठ ३ सूत्र ६ और पृष्ठ ७ सूत्र ७ । x क्रॉस (x) पाठ न होने का द्योतक है । देखें-पृष्ठ ३ टिप्पण १० । ० पाठ के पूर्व या अन्त में खाली बिन्दु (०) अपूर्ण पाठ का द्योतक है। देखें--पृष्ठ ३ टिप्पण २, पृष्ठ ४ टिप्पण ७ ॥ 'जहा' आदि पर टिप्पण में दिए गए सूत्रांक उसकी पूर्ति के सूचक हैं । देखें--पृष्ठ १६ टिप्पण ५। अ, क, ख, ता, ब, म, स-देखें-सम्पादकीय में प्रति परिचय' शीर्षक । क्व० क्वचित् प्रयुक्तादर्श । सं० पा० संक्षिप्त पाठ का सूचक है । देखे-पृष्ठ ५ टिप्पण १० । वृपा वृत्ति-सम्मत पाठान्तर । देखें-पृष्ठ १५ टिप्पण ४ ॥ वृ वृत्ति का सूचक है । देखें-पृष्ठ १५ टिप्पण ५। पू० पूर्णपाठार्थ द्रष्टव्यम् । देखें--पृष्ठ ४ टिप्पण १६ । पू०प० पुरक-पाठ परिशिष्ट । देखें--पष्ठ १२ टिप्पण ४॥ अं० अंतगडदसाओ दसा० दसासुयक्खंधो अणुओगदाराई नायाधम्मकहाओ उत्त० उत्तरज्झयणाणि प० पूण्णवणा उवंगा भ० भगवई उवासगदसाओ रायपसेणइयं ओ० ओवाइयं ववहारो जंबुद्दीवपण्णत्ती जीवाजीवाभिगम ठाणं ना० उवा० राय० ao जं० ठा० - - - Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई विवाहपएणत्ती Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मंगल-पदं १. नमो' अरहंताणं', नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाण', नमो उवज्झायाणं, नमो सव्वसाहूणं ॥ २. नमो बंभीए' लिवीए ॥ संग्रहणी - गाहा पढमं सतं पढमो उद्देसो यहि १ - चलण २- दुक्खे, ३-कंपोसे य ४-गइ ५ - पुढवीयो । ६- जावंते ७ -नेरइए, ८-बाले ह-गुरुए य १०-चलणा ॥१॥ ३. नमो सुयस्स ॥ उक्खेव-पदं ४. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम' नयरे होत्था - वणओ !! ५. तस्स णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया' उत्तरपुरत्थि मे दिसीभागे गुणसिलए नाम इए होत्था || ६. 'सेणिए राया, चिल्लणा देवी " || १. णमो ( क ) 1 ० २. अरिहं ( अ, क, वृपा); अरुहं (वृपा ) | ३. आरिआणं (क) । ४. लोए सव्त्र ( अ, क, ता, ब, म, वृपा) । ५. वंभीए (ता, व) : ६. पाले (ता) | ७. णाम ( क ) । ८. ओ० सू० १ 1 ε. af (ar) 1 १०. X (ता, ब ) । Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ७. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे प्राइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे' पुरिसुत्तमे पुरिससीहे' पुरिसवरपोंडरीए' पुरिसवरगंधहत्थी लोगुत्तमे लोगनाहे लोगपदीवे' लोगपज्जोयगरे अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए" धम्मदेसए" धम्मसारही धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी पडियवरनाणदंसणधरे वियदृछउमे जिणे जाणए बुद्धे वोहए मुत्ते" मोयए सव्वण्णू सव्वदरिसी" सिवमय लमस्यमणंत मक्खयमव्यावाह" सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपाविउकामे जाव पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महापतिरूवं प्रोग्गहं गिण्इ, गिहित्ता संजमेण तवसा अप्पा भावेमाणे विहरइ ॥ ८. परिसा निग्गया । धम्मो कहियो । पडिगया परिसा " || ४ ६. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवप्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूती नामं अणगारे 'गोयमसगोत्ते णं" सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसभ - नाराय संघयणे" कणगपुलगनिधसपम्हगोरे उग्गतवे दित्सतवे तत्ततवे" महातवे श्रोराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबंभवेरवासी 'उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेयलेस्से" चोद्दसपुब्वी चउनाणोवगए सव्वक्खरसन्निवाती समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उड्ढजाणू” अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा प्पा भावेमाणे विहरइ ॥ १०. तते गं से भगवं गोयमे जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले उप्पन्नसड्ढे उप्पन्नसंसए उप्पन्नकोउहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोउहल्ले समुप्पन्नसड्ढे १. सयं ० ( अ ) । २. पुरिसोत्तमे ( अ ) ; पुरुसुत्तमे ( ब ) 1 ३. पुरुससीहे (ता) सर्वत्र । ४. पुरुसवरपुंडरीए (ता) | ५. हत्थीए ( अ ) । ० ६. लोगोत्तमे ( अ, व ) । ७. नाहे लोगहिए ( अ ) | ८. पईवे (ता, क) ६. ०करे ( क ) । १०. ०दए बोहिदए ( ता) | ११. धम्मद धम्मदेस धम्मनायगे ( अ ) ; धम्मद धम्मदेसए (कला, ब); धम्म दति पाठान्तरम् ( वृ० ) । १२. मुक्के ( क ) । १३. सव्वदंसी (ता) | १४. ब्राहमण रावत्तयं ( अ, ब ) ; सिवमचल मरुज ० ( क ) | १५. सं० पा० - जाव समोसरणं । १६- ५१ । १६. पू० -- ओ० सू० ५२-८१ । १७. गोयमे गोत्तेगं ( अ, ता, ब); गोयम सगुत्ते ( क ); गोयमगोत्तेणं (म ) | १८. रिसह (क, म ) 0 १६. तत्ततवे घोरत (क) 1 २०. २१. ओ० सू० उराले ( अ, ता, ब, म, वृपा ) ! 'तेयले से ( अ ) ; ● तैअलेस्से ( क ) : • तेउलेस्से (म); मूलटीकाकृता तु 'उच्छूढसरीरसंखित्त विउलतेयलेस' त्ति कृत्वा व्याख्यातमिति (वृ ) । २२. उड्ढजाणू (क, ता); उड्ढजाणु (भ) | कर्मधारयं Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (पढमो उद्देसो) समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले उठाए उट्ठति, उद्वेत्ता जेणेव समणे भगवं महावारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वदित्ता नमंसित्ता पच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे' पज्जुवासमाणे एवं वयासी'--- चलमाण-पदं ११. से नूणं भंते ! चलभाणे चलिए ? उदीरिज्जमाणे उदोशिए? वेदिज्जमाणे वेदिए ? पहिज्जमाणे पहोणे ? छिज्जमाणे छिपणे ? भिज्जमाणे भिण्णे ? 'दज्झमाणे दड्ढे ? मिज्जमाणे मए" ? निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे ? हंता गोयमा ! चलमाणे चलिए। •उदीरिज्जमाणे उदोरिए। वेदिज्जमाणे वेदिए। पहिज्जमाणे पहोणे । छिज्जमाणे छिण्णे । भिज्जमाणे भिण्णे ! दज्झमाणे दड्ढे । मिज्जमाणे मए । निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे ।। १२. एए णं भंते ! नव यदा" कि एगट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा ? उदाहु नाणट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा? गोयमा ! चलमाणे चलिए, उदीरिज्जमाणे उदारिए, वेदिज्जमाणे वेदिए, पहिज्जमाणे पहीणे —एए णं चत्तारि पदा एगदा नाणाघोसा नाणावंजणा उप्पण्णपक्खस्स । छिज्जमाणे छिपणे, भिज्जमाणे भिण्णे, दज्झमाणे दड्ढे, मिज्जमाणे भए, निज्जारज्जमाणे निज्जिपणे –एए गं पंच पदा नाणट्ठा नाणाधोसा जाणावंजणा विगदपक्खस्स ।। नेरइयाणं ठितिप्रादि-पदं १३. नेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठितो पणता ? गोषमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उपकारोणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। १. राहादिदूरे (क); रणाइदुरे (ता, म)। २. पंजलिउडे (अ, क); पंजलिपुडे (म) । ३. वयाति (ता); वदासी (म) । ४. विदिज्जमाणे (अ,ब); वेतिज्जमाणे (5) ! ५. पहिए (ता)। ६. छविज्जमारणे (अ)। ७. उज्झमारणे डड्ढे (ता)। ८. मेज्ज (अ, व); गियं (म)। ६. म. (क) ; मिए (ता)। १०. संपा०--चलिए जाय निजरिज्जमाणे। ११. पया (ता)। १२. पहिए (अ, ता, ब, म)। १३. केवईयं (य, क, ता); केवट (ब)। Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १४. नेरइया णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा ? पाणमंति वा ? ऊससंति वा ? णीससंति वा ? जहा उस्सासपदे' ॥ नेरइया णं भंते ! हंता गोयमा! पाहारट्ठी। जहा पण्णवणाए पढमए आहारुद्देसए' तहा भाणियव्वं--- संगहणी-गाहा ठिइ उस्सासाहारे, किं वाऽहारेंति सव्वग्रो वावि ? कतिभागं सव्वाणि व ? कीस व भुज्जो परिणमंति ? ।।१।। १६. नेरइयाणं भंते ! पूव्वाहारिया पोरगला परिणया ? पाहारिया आहारिज्जमाणा पोग्गला परिणया? प्रणाहारिया आहारिज्जिस्समाणा' पोग्गला परिणया? प्रणाहारिया अणाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला परिणया ? गोयमा ! नेरइयाणं पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया। साहारिया आहारिज्जमाणा पोग्गला परिणया, परिणमंति' य । प्रणाहारिया पाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला णो परिणया, परिणमिस्संति । प्रणाहारिया अणाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला णो परिणया, णो परिणामस्संति ।। १७. नेरइयाणं भंते ! पुवाहारिया पोग्गला चिया ? पुच्छा जहा परिणया तहा चियावि ।। १८. एवं-उवचिया, उदीरिया, वेइया, निज्जिण्णा । संगहणी-गाहा परिणय 'चिया उवचिया उदीरिया' वेइया य निज्जिण्णा । एक्केक्कम्मि पदम्मि, चउन्विहा पोग्गला होति ॥१॥ १. प०७ । २. प० २८।१। ३. आहारिज्जस्स (क)। ४. परिणमयंति (ता)। ५. भ० १११६ । ६. चिया य उवचिया (अ); चित उवचित (म) ७. उदीरिय (ता)। ८. वेतिया (म)। ६. पदंमी (ब)। १०. अतोने 'ता' प्रती एतावानतिरिक्त: पाठो लभ्यते---- नेरइयारणं भंते ! पुवाहारिया पोग्गला निज्जिपणा । तहेव । Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . पढमं सतं (पढमो उद्देसो) १९. नेरइया णं भंते ! कइविहा पोग्गला भिज्जति ? गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला भिज्जंति, तं जहा अणू चेव, बादरा चेव !! २०. नेरइया णं भंते ! कइविहा पोग्गला चिज्जति ? . गोयमा ! आहारदव्ववग्गणमहिकिच्च' दुविहा पोग्गला चिज्जति, तं जहा अणू चेव, बादरा चेव ।। २१. एवं उवचिज्जति ।। २२. नेरइया णं भंते ! कइविहे पोग्गले उदीरेंति' ? गोयमा! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहे पोग्गले उदीरेंति, तं जहा–अणू चेव, बादरा चेव ।। २३. सेसावि एवं चेव भाणियव्वा-वेदेति, निज्जरेंति ।। २४. एवं—ोयीसु', प्रोयडेति, प्रोयट्टिस्संति । संकार्मिसु, संका मेंति, संकामिस्संति । निहत्तिसु, निहत्तेति, निहत्तिस्संति । निकाएंसु, निकायंति, निकाइस्संति । संगहणी-गाहा भेदिया चिया उवचिया, उदोरिया वेदिया य निज्जिण्णा । प्रोयट्टण संकामण, निहत्तण निकायणे तिविहकालो ॥१॥ २५. नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेण्हंति, ते कि तीतकालसमए गेण्हंति ? पड़प्पन्नकालसमए गेण्हंति ? अणागयकालसमए गेण्हंति ? गोयमा ! नो तीयकालसमए गेण्हंति, पडुप्पन्नकालसमए गेहति, नो अणागय कालसमए गेण्हंति ।। २६. नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गहिए" उदीरेंति, ते कि तीयकाल समयगहिए पोग्गले उदीरेंति ? पडुप्पन्नकालसमए" घेप्पमाणे पोग्गले उदोरेंति ? गहणसमयपुरक्खड़े पोग्गले उदीरेंति ? १. मभिकिच्च (अ, ब)। २. ज्जति वि (ता)। ३. उदीरंति (क)। ४. यव्वा एवं (अ, क, ता)। ५. X(अ, क, ब, म)। ६. उथ (क, ता, म); अपवर्तनस्य चोप- लक्षणत्वादुद्वर्तनमपीह दृश्यम् (वृ)। ७. निव ° (ता) सर्वत्र। ८. अतोने अ, क, ब, म प्रतिषु एतावान तिरिक्तः पाठो लभ्यते सवेस् वि कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च । ६. भेतिय (क) । १०. X(अ, ब)। ११. समय (क, ता, ब, म)। Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदोरेंति, नो पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदोरेंति, नो गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति ।। २७. एवं वेदेति, निज्जरेंति' । २८. नेरड्या णं भंते ! जोवानो कि चलियं कम्मं बंधति ? अचलियं कम्म बंधति ? गोयमा! नो चलियं कम्मं बंति, प्रचलियं कम्मं बंधति ।। २६. नेरइयाणं भंते ! जोवानो कि चलियं कम्म उदीरेंति ? अचलियं कम्म उदोरेंति ? गोयमा ! नो चलियं कम्म उदो रति, अचलियं कम्म उदीरेंति ।। ३०. एवं--वेदेति, प्रोयडेति, संकाति, निहत्तेति', निकाएंति' । ३१. नेरइया णं भंते ! जीवानो कि चलियं कम्म निज्जरेंति ? अचलियं कम्म निज्जाति ? गोयमा ! चलियं कम्म निज्जरेंति, नो अचलियं कम्म निज्ज रेति ॥ संगणी-गाहा बंधोदयवेदोयट्टसंकमे तह निहत्तणनिकाए । अचलिय-कम्मं तु भवे, चलियं जीवाउ निज्जरए ।।१।। ३२. एवं ठिई आहारो य भाणियब्वो । ठिती जहा--- १. निज्जरति (ता, ब) ! २. निवत्तेति (ता)। ३. अतोग्रे 'अ' प्रतौ एतावानतिरिक्त: पाठो लभ्यते-- सब्वेसु अचलियं नो चलियं । 'ता' प्रतौ च-सब्बेसु नो चलिय प्रचलियं । ४. वट्ट (अ); ° व्वट्ट (ता)। ५. निजरिए (अ, ता, ब); निज्जरइ (क) । ६. अत्र विस्तृता वाचनापि लभ्यते । तस्यां 'जहा नेरइयाणं' इत्यादि समर्पणपदानि लभ्यन्ते, किन्तु पूर्ववर्ति-नैरयिकपदे तानि न विद्यन्ते, तेन संक्षिप्तव वाचना मूलपाठ. रूपेणादृता । विस्तृता चैवम्असुरकुमाराएं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णता? गोयमा! जहण्जेरणं दस वाससहस्साई, उकोसेरणं सातिरेगं सागरोवमं ।। असुरकुमारा गं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा पाणमंति वा? ऊससंति वा ? गीससंति वा ? गोयमा! जहण्णरणं सत्तण्डं थोवाण, उक्कोसेणं साइरेगस्स पक्खस्स आमंति वा, पारणमंति वा, ऊससंति वा, णीससंति वा, असुरकुमाराणं भंते ! आहारट्ठी? हंता आहारट्ठी। असुरकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स आहारठे समुप्पज्जइ? गोयमा ! असुरकुमाराणं दुविहे आहारे पण्णते, तं जहा--- आभोगनिव्धत्तिए य अण्णाभोगनिव्वत्तिए Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (पढमो उद्देसो) ठितिपदे' तहा भाणियव्वा सव्वजीवाणं । ग्राहारो वि जहा पण्णवणाए पढमे आहारुद्देसर तहा भाणियव्वी, एत्तो आढत्तो-नेरइया णं भंते! आहारट्ठी ? जाव य । तस्थ रणं जे से अगाभोगनिव्वत्तिए, से से असमयमविरहिए आहारट्ठे समुप्पज्जइ । असमयं प्रविरहिए आहारट्ठे समुप्पज्जइ । तत्थ गं जे से आभोगनिव्वत्तिए, से जहणणे तत्थ रणं जे से आभोगनिव्वत्तिए, से जहणेणं चउत्थभत्तस्स, उक्कोंसें दिवसपुहुत्तस्स ग्राहाचउत्थभत्तस्स, उक्कोसेणं साइरेगस्स वाससह रटुडे समुप्पज्जइ । सेसं जहा असुरकुमारारणं जाव नो अचलिये कम्मं निज्जरति । स्सस्स आहारट्ठे समुप्पज्जइ । असुरकुमारा णं भंते! किमाहारमाहारेति ? गोमा ! दव्वओ प्रणतपएसियाई दवाई, खेतकालभावपण्णवरणागमेणं सेसं जहा नेरइयाणं जाव ते णं तेसि पोग्गला कीसताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति ? गोमा ! सोइंदियताए ५ सुरुवताए सुवण्णत्ताए ४ इट्ठत्ताए ५ इच्छित्ताए भिज्जियत्ताए उड्ढत्ताए, वो अहताए सुताए, गो दुहत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति । असुरकुमाराणं पुव्वाहारिया पुग्ला परिगया ? असुरकुमाराभिलावेण जहा नेरइयाणं जाव नो अचलिये कम्मं निज्ज रति । नागकुमाराणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणे दस वाससहस्साई उक्कोसेर देखाइं दो पलिप्रोमाई । नागकुमाराणं भंते! केवइकालस्स आणमंत वा ४ ? 7 गोयमा ! जहणेणं सत्तण्हं थोवागं उक्को सेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स आणमंति वा ४ | नागकुमाराणं भंते! आहारट्ठी ? हंताआहारट्ठी | नागकुमाराणं भंते ! केवइकालरस आहार समुप्पज्जइ ? गोयमा ! नागकुमाराणं दुविहे आहारे पण्णत्ते, तं जहा - आभोगनिव्वत्तिए य अणाभोगनिव्वत्तिय । तत्थ गं जे से प्रणाभोगनिव्वत्तिए, १. प०४ । एवं सुवणकुमाराणवि जाव परिणयकुमाराण ति । पुढत्रिकाइयाणं भते ! केनईयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोमा ! जहणणं श्रतो मुहुत्त उनकोसे गं बावीसं वाससहस्साई । पुढविकाश्या केवकालस्स आणमति वा ४ ? गोयमा ! वेमाताए आणमंति वा ४ । पुढविकाइया गं ग्राहारट्ठी ? केवइकालस्स हंता आहारट्ठी । पुढ विकाइया समुप्पज्जइ ? गोयमा ! आहारट्टे असमयं अविरहिए आहार समुप्पज्जइ । पुढविकाइया किमाहारमाहारेति ? गोलमा ! दव्वओ जहा नेरड्याणं जाव निव्वाघाएरणं छद्दिसि वाघाय पडुच्च सिय तिदिसि सि चउद्दिसि सिय पंचदिसि । वण्णश्रो कालनीलपीत लोहियहालि सुकिल्लारिण, गंधओ सुरभिगंध २ रम्रो तित्त ५ फासओ कक्खड ८ सेसं तव । खागतं कश्भागं आहारेति ? कइभागं फासाएंति ? गोयमा ! असंखिज्जइभाग आहारेंति, प्रणतभागं फासाएंति जाव ते गं तेसि पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति ? गोयमा ! फासिदियवेमायत्ताए भुज्जो भुज्जो परिणमति । सेसं जहा नेरइयाणं जाव नो अचलिये कम्मं निज्जरंति । एवं जाव वणस्सइ२. ५० २८।१ । Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० भगवई दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ।। काइयारणं, नवरं ठिती वण्णयब्वाजा जस्स, अणासाइज्जमाणाईअफासाइज्जमाणाई विसउस्सासो वेमायाए। मावज्जति। बेइंदियाणं लिई भारिणयब्बा, ऊसासो एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं अणाघाइज्जमावेमाथाए। णाई ३ पुच्छा। बेइंदियाणं आहारे पुच्छा, गोयमा ! प्राभोग गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला अणाघाइज्जनिवत्तिए य प्रणामोगनिव्वत्तिए य तहेव । मारणा, अरगासाइज्जमारणा प्रांत गुणा, अफातत्थ णं जे से आभोगनिव्यत्तिए, से असंखेज्ज साइज्जमाणा अर्णतगुणा । तेइंदियाणं घागिदियसमए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए आहारट्टे समुप्प जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए भूज्जो-भूज्जो उजइ । सेसं तहेव जाव अरणंतभागं आसाएंति।। परिणमंति। बेइंदिया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए चरिदियाण चक्खि(क्ख)दियधाणिदियगेण्हंति ते कि सवे आहारेंति, पो सब्वे जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो अाहारेति ? परिणमंति। गोयमा ! वेइंदियाणं दुविहे आहारे पणते, पंचिदियतिरिक्खजोगियारणं ठिई भरिणऊरणं तं जहा-लोमाहारे पक्खेवाहारे य। जे पोग्गले ऊसासो वेमायाए। आहारो अणाभोगनिव्वत्तिए लोमाहारत्ताए गिण्हंति ते सव्ये अपरिसेसिए अगसमयं अविरहिओ। आभोगनिन्वत्तिओ आहारेति । जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गिण्हति जहण्णणं अंतोमुत्तस्स, उक्कोसेरणं छठ्ठभतरस । तेसि णं पोग्गलाणं असंखिज्ज इभागं आहारेंति, सेसं जहा चरिदियारणं जाव चलियं कम्म णेगाइं च णं भागसहस्साई प्रणासाइज्जमाणाई निज्जरेति। अफासिज्जमाणाई विद्धंसमावज्जति । एवं मस्सारावि, नवर आभोगनिव्वत्तिए एएसि रणं भंते ! पोग्गलाणं अरणासाइज्ज जहण्जेणं अंतोमुहतं, उक्कोसेरणं अट्टम भत्तस्स, माणाणं अफासाइजमारणाग य कयरे-कयरे मोतियmam सोइंदियवेमायत्ताए भुज्जो-भज्जो परिणमंति । अप्पा वा बहया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सेसं जहा चरिदिया तहेव जाव निज्जरेति । गोयमा ! सम्वत्थोवा पोग्गला अणासाइज्ज- वागमतराण ठिईए नाणत्त, परिणमति मारणा, अफासाइज्जमाणा अणंतगुणा । प्रवसेसं जहा नागकुमाराणं । एवं जोइसियागवि, नवर उस्सासो जहण्णेरणं मुहत्तपुहुत्तस्स, उक्कोबेइंदिया ण भंते ! जे पोग्गला पाहारत्तार सेरणवि मुहुतपुहुत्तस्स । आहारो जहण्णरण दिवसगिण्हंति ते णं तेसि पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो- पुहुत्तस्स, उक्कोसेणवि दिवस मुहुत्तस्स । सेसं भुज्जो परिणमंति? तहेव। गोयमा ! जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए वेमाणियाणं ठिई भारिणयब्वा ओहिया । भुज्जो-भुज्जो-परिणमंति। ऊसासो जहणेणं मुहत्तपत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीबेइंदियाण भंते ! पुवाहारिया पुग्गला परि- साए पक्खाण । आहारो आभोगनिव्वत्तियो णया? तहेव जाव चलियं कम्म निज्जरोति । जहण्णरणं दिवसपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीसाए तेइंदियचरिदियाणं रगारगत्तं ठिईए जाव वाससहस्साणं । सेसं चलियाइयं तहेव जाव रोगाइं च णं भागसहस्साई अणाघाइज्जमाणाई निज्जरोति (क, ता, व, प० २८1१)। Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढन सतं (पढमो उद्दे सो) प्रारंभ-प्रणारंभ-पदं ३३. जीवा णं भंते ! कि आयारंभा ? परारंभा ? तदुभयारंभा? अणारंभा ? गोयमा ! अत्थेगइया जीवा पायारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, णो अणारंभा॥ अत्थेगइया जीवा नो पायारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा, अणारंभा ॥ ३४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-प्रत्येगइया जीवा अायारंभा वि, "परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, णो अणारंभा ? अत्थेगइया जोवा नो आयारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा, अणारंभा०? गोयमा ! जोवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संसारसमावण्णगा य, असंसार-- समावण्ण गाय। तत्थ णं जे ते असंसारसमावण्णगा, ते ण सिद्धा। सिद्धा णं नो पायारंभा, 'नो परारंभा, नो तदुभयरंभा°, अणारंभा। तत्थ णं जे ते संसारसमावण्णगा, ते दुविहा पण्णता, तं जहा--संजया य, असंजया य। तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–पमत्तसंजया य, अप्पमत्तसंजयाय। तत्थ णं जे ते अप्पमत्तसंजया, ते णं नो पायारंभा, नो परारंभा, •नो तदुभयारंभा, अणारभा। तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया, ते सुहं जोगं पडुच्च नो आयारभा', 'नो परारंभा, नो तदुभयारंभा°, अणारंभा। असुभं जोगं पडुच्च प्रायारंभा वि, •परारंभा वि, तदुभयारभा वि°, नो अणारंभा। तत्थ णं जे ते असंजया, ते अविरति पडुच्च आयारंभा वि', परारंभा वि, तदुभयारंभा वि., नो अणारंभा । से तेण?ण गोयमा ! एवं बुच्चइ-- अत्थेगइया जोवा पायारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अणारंभा। प्रत्येगइया जोवा नो पायारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा,° अणारंभा ।। ३५. नेरइया णं भंते ! कि पायारंभा ? परारंभा ? तदुभयारंभा? अणारंभा ? १. सं० पा०–एवं पडिउच्चारेतव्वं । २. सं० पा०—-आयारंभा जाव अमारंभा । ३. सं० पा०--परारंभा जाव अणारंभा। ४. सं० पा०---आयारंभा जाव अरणारभा। ५. सं० पा०-वि जाव नो। ६. अस्संजया (ता, ब)। ७. सं० पा०-वि जाव नो। ८. एगटेरा (अ, क); एतेणद्वेगणं (ता,ब, म)। ६. सं० पा०-जीवा जाव अरणारभा। Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ भगवई गोयमा ! •नेरइया पायारंभा वि', परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अणारंभा ॥ ३६. से केणट्रेणं ? गोयमा ! अविरति पडुच्च। से तेणतुणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ–ने रइया पायारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अणारंभा' ॥ ३७. एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिया। मणुस्सा जहा जीवा, नवरं-सिद्धविर हिया भाणियव्वा ! वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया तहा नेरइया । ३८. सलेस्सा जहा प्रोहिया । कण्हलेसस्स', नीललेसस्स काउलेसस्स, जहा प्रोहिया जीवा, नवरं-पमत्ताप्पमत्ता न भाणियव्वा' । तेउलेसस्स, पम्हलेसस्स, सुक्कलेसस्स जहा ओहिया जीवा, नवरं-सिद्धा न भाणियव्वा ।। १. सं० पा०-वि जाव नो। २. सं० पा०-तेगटेणं जाव नो। ३. अणारंभा एवं अनुरकुमारा वि जाव (ता)। ४. पू०प०२। ५. भ० ११३५, ३६ । ६. भ० ११३३, ३४ । सिद्धान भारिणयन्या' इति अध्याहर्तव्यम् । 'सिद्धानामलेश्यत्वात्' इति वृत्तिकारः। ७. किण्ह (अ)। ८, कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किं आयारंभा? परारंभा? तदुभयारंभा? अणारभा ? गोयमा ! अत्थेगइया कण्हलेस्सा जीवा आयारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अगारंभा। अत्थेगइया कण्हलेस्सा जीवा नो आयारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा, अरणारंभा। से केरगट्टेणं जाव अगारंभा? गोयमा ! कण्हलेस्सा जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संजया य असंजया य । तत्थ णं जे ते संजया ते सुहं जोगं पडुच्च नो आयारंभा जाव अपारंभा। असुभं जोगं पडुच्च आयारंभा वि जाव नो अणारंभा। तत्थ णं जे ते असंजया ते अविरति पडुच्च आयारंभा वि जाव नो अणारंभा। से तेणढणं जाव अरणारंभा। नीलकापोतलेश्यानां एष एव गमः । तेउलेस्सा ए भंते ! जीवा कि आयारंभा जाव अरणारभा? गोयमा! अत्थेगइया आयारंभा वि जाय नो अणारंभा, अत्थेगइया आयारंभा वि जाव नो अरणारंभा, अत्थेगइया नो आयारंभा जाव नो अगारंभा। से केपट्ठेरणं? गोयमा! दुविहा तेउलेस्सा पण्णत्ता, तं जहा--संजया य असंजया य । तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पमतसंजया य, अप्पमत्तसंजया य । तत्थ रणजे ते अप्पमतसंजया ते पं नो आयारभा जाव अरणारंभा । तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया ते सुहं जोगं पडुच्च नो आयारंभा जाव अणारंभा। असुभं जोगं पडुच्च आयारंभा वि जाव नो अगारंभा। तत्थ णं जे ते असंजया ते अविरत पडच्च आयारंभा वि जाव नो अणारंभा। से तेणदेणं जाव अरणारंभा। Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (पढमो उद्देसो) नाणादीणं भवंतर-संकमण-पदं ३६. इहभविए भंते ! नाणे ? परभविए नाणे ? तद्भयभविए नाणे? गोयमा ! इहभविए वि नाणे, परभविए वि नाणे, तदुभयभविए वि नाणे ।। ४०. इहभविए भंते ! दसणे ? परभविए दसणे ? तदुभयभविए दंसणे ? गोयमा ! इहभविए वि दंसणे, परभविए वि दंसणे, तदुभयभविए वि दंसणे ।। ४१. इहभविए भंते ! चरित्ते ? परभविए चरित्ते? तदुभयभविए चरित्ते ? गोयमा ! इहभविए चरित्ते, नो परभविए चरित्ते, नो तदुभयभविए चरित्ते ।। ४२. "इहभविए भंते ! तवे ? परभविए तवे ? तदुभयभविए तवे ? गोयमा ! इहमविए तवे, नो परभविए तवे, नो तदुभयभविए तवे ।। ४३. इहभविए भंते ! संजमे ? परभविए संजमे ? तदुभयभविए संजमे ? गोयमा ! इहभविए संजमे, नो परभविए संजमे, नो तदुभयभविए संजमे ।। असंवुड-संवुड-अणगार-पदं ४४. असंवुडे' णं भंते ! अणगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्व दुक्खाणं अंतं करेइ ? पद्मशुक्ललेश्यानां एष एव गमः ।। भंते ! कतिसु लेसासु होज्जा । गोयमा ! अभयदेवसूरिभिः भिन्नमतमनुसृत्य कृष्ण छल्लेस्सासु होज्जा, तं जहा--कण्हलेस्साए लेश्यादिपाठो व्याख्यातः । कृष्णादिषु हि जाव सुक्कलेस्साए । अप्रशस्त-भावलेश्यासु संयतत्वं नास्ति अस्य वृत्तौ अभयदेवसूरिणा एतद् एतद्मतमनुसृत्य तैरेवं पाठरचना कृता-- व्याख्यातमस्ति----कषायकुशोलस्तु, षट्"कण्हलेस्सा र भते ! जीवा कि आयारंभा ध्वपि सकषायमाश्रित्य (व)। परारंभा तदुभयारभा अणारभा? (३) प्रज्ञापनासुत्रे कृष्णलेश्यजीवस्य गोयमा! आयारंभा वि जाव नो मनःपर्यवज्ञानस्य अस्तित्वं प्रतिपादितमअरणारंभा । कण्हलेस्से र भंते ! जीवे कतिसु पारणेसु से केरणद्वेणं भंते ! एवं बुच्च ? होज्जा? गोयमा ! दोसु वा तिसु वा गोयमा ! अविरई पडुच्च" एवं नील चउसु वा पारणेसु हुज्जा (प० १७१३)। अस्यागमस्य वृत्तिकृता सहेतुकमिदं कापोतलेश्यादंडकावपीति । किन्तु अभयदेव व्याख्यातम्-इह लेश्यानां प्रत्येकमसंख्येयसृरिणामेतमतं पर्यालोच्यमस्ति लोकाकाशप्रदेशप्रमारणानि अध्यवसाय(१) सूत्रकारेण 'पमत्ताप्पमत्तान स्थानानि, तत्र कानिचिन्मंदानुभावान्यध्यवभारिणयब्वा' इति निर्देश: कृतः किन्तु सायस्थानानि, प्रमत्तसंयतस्यापि लभ्यन्ते, अतएव कृष्ण-नील-कापोतलेश्या प्रमत्तसंय'संजतासंजता न भारिणयवा' इति न तस्यापि गीयन्ते (प्र०)। सूचितम् । (२) कषायकुशीलसंयता षट्सु लेश्यासु (४) प्रथमशतकस्य १०१ सूत्रं द्रष्टव्यम् । भवन्ति । प्रस्तुतागमस्य २५ शतके षष्ठोद्देशे १. स० पा०-दंसरणं पि एमेव । एतत् साक्षाल्लिखितमस्ति–कसायकुसीले २. सं० पा०–एवं तवे संजमे । पुच्छा। गोयमा ! सलेस्से होज्जा पो ३. अस्संवुडे (ता)। अलेस्से होज्जा । जदि सलेस्से होज्जा से रणं ४. अरणगारे कि (अ, ब)। Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ भगवई गोयमा ! णो इणढे सम? ॥ ४५. से कण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-असंवुडे णं अणगारे नो सिज्झइ, नो बुज्झइ, नो मूच्चइ, नो परिनिवाइ°, नो सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ? गोयमा ! असंवुडे अणगारे पाउयवज्जानो सत्त कम्मपगडो सिढिलबंध बद्धानो धणियबंधणबद्धाश्रो पकरेइ, हस्सकालठिइयाो दोहकालठिइयाओ पकरेइ, मंदाणुभावानो' तिव्वाणुभावानो पकरेइ, अप्पपएसगानो बहुप्पएसम्गाप्रो पकरेइ, पाउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्म भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरत संसारकतारं अणुपरियट्टइ। से तेणट्रेणं गोयमा ! असंवुडे अणगारे नो सिज्झइ, नो बुज्झइ, नो मुच्चइ, नो परिनिव्वाइ, नो सवदुक्खाणं अंत करेइ ।। ४६. संवुडे णं भंते ! अणगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ? हंता ! सिझइ, 'बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुवखाणं अंतं करेइ । ४७. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-संवुडे णं अणगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ? गोयमा ! संवुडे अणगारे आउयवज्जानो सत्त कम्मपगडीओ धणियबंधणवद्धानो सिढिलबंधणबद्धामो पकरेइ, दोहकालट्टिइयानो हस्सकालदिइयानो पकरेइ, तिव्वाणुभावाओ मंदाणुभावाप्रो पकरेइ, बहुप्पएसम्गानो अप्पपएसग्गाग्रो। पकरेइ ; आउयं च णं कम्मं न बंधइ, अस्सायावेणिज्जं च णं कम्म नो भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणादीयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरतं संसारकंतारं वीईवयई। से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-संवुडे अणगारे सिज्झइ", 'बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ।। असंजयस्स घाणमंतरदेव-पदं ४८. जीवे णं भंते ! अस्संजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इनो चुए पेच्चा देवे सिया? गोयमा ! अत्थेगइए देवे सिया, अत्थेगइए णो देवे सिया ।। १. सं० पा०-~-केपट्टेणं जाव नो। २. ह्रस्स° (ता); रहस्स° (स)। ३. ० भागाओ (ता, म)। ४. ° सयानो (क)। ५. अगवयग्गं (अ)। ६. चा उरंत (ब, म, स)। ७. सं० पा०---सिज्मद जाव अंतं । ८. ० पग ' (स)। है. वीतीवतति (क, व, म)! १०. सं० पा०---सिज्मइ जाव अंतं । ११. पिच्चा (अ, क, ब)। Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५ पढमं सतं (पढमो उद्देसो) ४६. से केणटेणं' भंते ! एवं वुच्चइ-अस्संजए अविरए अप्पडियपच्चक्खाय पावकम्मे इनो चुए पेच्चा अत्थेगइए देवे सिया, प्रत्येगइए नो देवे सिया ? गोयमा! जे इमे जीवा गामागर-नगर-निगम-रायहाणि-लेड-कब्बड-मडंबदोणमुह-पट्टणासम-सण्णिवेसेसु अकामतण्हाए, अकामछुहाए, अकामबंभचेरवासेणं, 'कामसीतातव-दंस-मसम -अण्हाणग-सेय-जल्ल-मल-पंक-परिदाहेण 'अप्पतरं वा भुज्जतरं वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति, परिकिले सित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु वाणमंतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवति । ५०. केरिसा णं भंते ! तेसि वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहानामए इह असोगवणे इ वा, सत्तवण्णवणे' इ वा, चंपयवणे इवा, चूयवणे इ वा, तिलगवणे इ वा, लज्यवणे इ वा, नगोहवणे इ वा, छत्तोहवणे इ वा, असणवणे इ वा, सणवणे इ वा, अयसिवणे इ वा, कुसंभवणे इ वा, सिद्धत्थवणे इ वा, बंधुजीवगवणे इ वा, णिच्च" कुसुमिय-माइय-लवक्ष्यथवइय-गुलुइय-गोच्छिय-जमलिय" जुवलिय-विणमिय-पणमिय-सुविभत्तपिडिमंजरिवडेंसगधरे सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ । एवामेव तेसिं वाणमंत राणं देवाणं देवलोगा जहणणं दसवाससहस्सद्वितीए हि, उक्कोसेणं पलिनोवमद्वितीएहि, बहूहि वाणमंतरेहि देवेहि य देवीहि य आइण्णा वितिकिण्णा" उवत्थडा संथडा फुडा अवगाढगाढा सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा एरिसगाणं गोयमा! तेसि वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पण्णत्ता, से तेणट्रेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-जीवे णं अस्संजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इनो चुए पेच्चा प्रत्येगइए° देवे सिया ।। १. सं० पा० -कणोणं जाव इओ। ८. लाउय° (अ, क, ब, स); लोअ° (म)। २. नियम (ता)। ६. X (अ, क, ता); प्रत्यंतरे-णिग्मोहवणे ३. वसौ 'अकामसीतालव-दंस-मसग' इति पाठो इवा (अ); रिणगोह (स)। नास्ति व्याख्यातः । १०. छत्तोअ° (क); छिन्नो' (ब); X (म); ४. अकामअण्हारराग (क, वृ)। छन्नो (स)। ५. तरो वा भुज्जतरो (अ, ता, ब, म); ११. X (अ, के, ता, ब)। 'अप्पतरो वा भुज्जतरो वा काल' ति प्राकृ. १२. जमइय (अ)। तत्वेन विभक्तिविपरिणामादल्पतरं वा भूय- १३. पंडि० (क); ० वेण्टमंजरि० (ता)। स्तर वा बहुतरं कालं यावत् (वृ)। १४. एवमेव (ता, म)। ६. इहं मस्स लोगंसि (अ, क, व, म, स) १५. वितिण्णा (क, ब, वपा); X (व)। ७. सत्ति (म)। १६. सं० पा०- अस्संजए जाव देवे । Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ भगवई ५१ - सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समयं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति. वंदिता नमसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति ॥ बीओ उद्देसो ५२. रायगिहे नगरे समोसरणं । परिसा णिग्गया जाव एवं वयासी कम्म-वेयण-पदं ५३. जीवे णं भंते ! सयंकडं दुवखं वेदेइ ? गोमा ! प्रत्येगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदे ॥ ५४. सेकेण गं भंते! एवं बुच्चइ -- प्रत्येगइयं वेदेइ ? अत्थेगइयं तो वेदेइ ? गोयमा ! उदिष्णं वेदेइ, 'नो अणुदिण्ण" वेदेइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-त्येगइयं वेदेइ, प्रत्येगइयं नो वेदेइ ॥ ५५. एवं - - जाव वैमाणिए || ५६. जीवा णं भंते ! सयंकडं दुक्खं वेदेति ? गोयमा ! प्रत्येगइयं वेदेति प्रत्येगइयं नो वेदेति ॥ ५७. से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चइ - ग्रत्थेगइयं वेदेति ? प्रत्येगइयं नो वेदेति ? गोमा ! उदिष्ण वेदेति, नो अणुदिष्णं वेदेति । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - प्रत्येगइयं वेदेति, प्रत्थेगइयं नो वेदेति ॥ ५८. एवं जाव वेमाणिया || ५६. जीवे णं भंते ! सयंकडं ग्राउयं वेदेइ ? गोयमा ! प्रत्येगइयं वेदेइ, प्रत्येगइयं नो वेदेइ । जहा " दुक्खेणं दो दंडगा तहा ग्राउण वि दो दंडगा - एगत्त - पोहत्तिया ॥ - - नेरइयादीणं समाहार-समसरीरादि-पदं ६०. नेरइया णं भंते ! सव्वे समाहारा ? सव्वे समसरीरा ? सव्वे समुस्सासनीसासा' ? गोयमा ! तो इणट्ठे सभट्टे ॥ १. भ० १३८-१० । २. अदिणं नो ( स ) | ३. एवं चउव्वीसदंडएरगं ( स ) 1 ४. पू० १० २ । ५. भ० ११५३-५८ । ६. पोहत्तिया । एगतेणं जाव वेमाणिया । पुह ते तव (बम, स) । ७. ०णिस्सासा (ता) | Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (बीम्रो उदेसो) १७ ६१. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समाहारा ? नो सव्वे समसरीरा ? नो सव्वे समुस्ससानीसासा ? गोमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - महासरीरा य, अप्पसरोरा य । तत्थ णं जे ते महासरीरा ते बहुतराए पोगले श्राहारेति, बहुतराए पोले परिणामेति', बहुतराए पोग्गले उस्ससंति, वहुतराए पोग्गले नीससंति; अभिक्खणं आहारेति, अभिक्खणं परिणामेति, अभिक्खणं उस्ससंति, अभिक्खणं नीससंति । तत्थ णं जे ते पसरीरा ते णं अप्पतराए पोग्गले श्राहारेति, अप्पतराए पोगले परिणाति, अप्पतराए पोगले उस्ससंति, अप्पतराए पोम्गले नीससंति; ग्राहच्च आहारैति, श्रहच्च परिणामेंति, ग्राहच्च उस्ससंति, ग्रहच्च नीससंति । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - नेरइया नो सध्वे समाहारा, नो सब्वे समसरीरा, नो सव्वे समुस्सासनीसासा || ६२. नेरइया णं भंते ! सव्वे समकम्मा ? गोमा ! नो इट्टे समट्टे ॥ ६३. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ- नेरइया नो सव्वे समकम्मा ? गोमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा पुव्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा । तत्थ णं जेते पच्छोववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - नेरइया नो सम्वे समकम्मा || ६४. नेरइया णं भंते ! सव्वे समवण्णा ! गोयमा ! नो इट्टे समट्ठे ॥ ६५. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ- नेरइया नो सव्वे समवण्णा ? गोमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- पुव्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं विसुद्धवण्णतरागा' । तत्थ णं जे ते पच्छोववनगा ते णं प्रविद्धवष्णतरागा । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ नेरइया नो सव्वे समवण्णा ॥ ६६. नेरइया णं भंते ! सव्वे समलेस्सा ? गोमा ! नो इट्ठे समट्टे ॥ ६७. से केणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ - नेरइया • नो सव्वे समलेस्सा ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पुथ्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगाय । तत्थ णं जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं विसुद्धलेस्सतरागा । तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा १. परिणमति (ता) । २. तिट्ठे ( कम ) | ३. सं० पा०-- ०तरागा तहेव । ४. सं० पा० - के रप ट्ठे जाव हो । Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ भगवई ते गं प्रविसुद्धले सतरागा । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वच्चइ – नेरइया नो सब्वे समलेसा ॥ ६८. नेरइया णं भंते ! सव्वे समवेयणा ? गोयमा ! नो इणट्टे समट्ठे || ६६. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समवेयणा ? गोयमा ! नेरइया दुबिहा पण्णत्ता, तं जहा—सण्णिभूया य, असणिभूयाय । तत्थ णं जे ते सण्णिभूया ते णं महावेयणा । तत्थ णं जे ते असण्णिभूया ते गं अप्पवेयणतरागा । से लेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ नेरइया नो सव्वे समवेयणा ॥ ७०. नेरइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! तो इणट्टे समट्टे ॥ ७१. सेकेणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ- नेरइया नो सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! नेरइया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा सम्मदिट्ठी', मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्टी |! तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी तेसि णं चत्तारि किरिया पण्णत्ताओ, तं जहा -- आरंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पञ्चवखाणकिरिया । तत्थ णं जे ते मिच्छदिट्ठी तेसि णं पंच किरिया कज्जति तं जहा – आरंभिया', पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादंसणवत्तिया । एवं सम्मामिच्छदिद्वीणं पि । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समकिरिया || ७२. नेरइया णं भंते ! सव्वे समाउया ? सव्वे समोववन्नगा ? गोमा ! जो इट्टे समट्ठे || ७३. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइया नो सब्वे समाज्या ? नो सव्वे समो ववन्नगा गोयमा ! नेरइया चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - ( १ ) अत्थेगइया समाज्या समोववन्नगा ( २ ) अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा ( ३ ) श्रत्येगइया विसमाउया समोववन्नगा ( ४ ) प्रत्येगइया विसमाज्या विसमोववन्नगा । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सब्बे समाउया, नो सव्वे समोव वन्नगा || ७४. असुरकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा' ? सव्वे समसरीरा ? १. सम्मा॰ (अ) । २. सम्मामिच्छा (ता, म) 1 ३. परि० ( अ, म ) । 0 ४. किज्जंति ( अ, क, ब ) | ५. सं० पा० - आरंभिया जाव मिच्छा श ६. ० हारगा ( अ, ता, ब, म) 1 Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (बीओ उद्देसो) जहा' नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं कम्म - वण्ण-लेस्सानो परिवत्तेयव्वाओ [पुब्वोववन्ना महाकम्मतरा, अविसुद्धवण्णतरा, अविसुद्धलेसतरा । पच्छोव वन्ना पसत्था | सेसं तहेव ] ॥ ७५. एवं - जाव' थणियकुमारा' ॥ ७६. पुढविकाइयाणं ' आहार- कम्म वण्ण-लेस्सा जहा णेरइयाणं || ७७. पुढविकाइया णं भंते ! सव्वे समवेदणा ? हंता गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे समवेदना || ७८. सेकेणट्टेणं भंते! एवं बुच्चइ - पुढविकाइया सव्वे समवेदणा ? गोमा ! पुढविकाइया सव्वे असण्णी' असणिभूतं" अणिदाए वेदणं वेदेति । से गोयमा ! एवं वच्चइ – पुढविकाइया सव्वे समवेदना || ते ७६. पुढविकाइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ? हंता गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे समकिरिया || ८०. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - पुढविकाइया सव्वे समकिरिया ? गोमा ! पुढविकाइया सव्वे मायीमिच्छदिट्ठी" | ताणं णेयतियाओ" पंच किरियाओ कज्जति, तं जहा—- आरंभिया ", पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादंसणवत्तिया । से तेणद्वेगं गोयमा ! एवं बुच्चइ – पुढविकाइया सव्वे समकिरिया 11 ८१. समाउया, समोववन्नगा जहा" नेरइया तहा भाणियव्वा || ८२. जहा " पुढविकाइया तहा जाव" चउरिदिया ॥ ८३. पंचिदियतिरिक्खजोगिया जहा णेरइया, नाणत्तं किरियासु । ८४. पंचिदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ? गोमा ! णो इट्टे समट्ठे | १. भ० ११६०-७३ । = परिवण्णेयव्वाओ ( अ, क, व, स ); परित्यल्लेयव्वाओ (ता); परित्थगीतव्वाओ (म ); कर्म्मादीनि नारकापेक्षया विपर्ययेण वाच्यानि ( वृ) । ३. अ, क, ता, स एषु चतुर्षु आदर्शेषु प्रसौ कोष्ठकवर्ती पाठो नास्ति । व, म संकेतितयोरादर्शयोरसौ लभ्यते । असौ च व्याख्यांशोस्ति तेन कोष्ठके गृहीतः । ४. पू० पृ० २ ५. कुमाराणं (अ, क, ता, ब, म, स ) 1 • कातिया (म) | ६. ० १६ ७. भ० १।६०-६७ ८. ० क्काइया (क, ता, स ) 1 ६. असण्णीय ( अ, ब ) 1 १०. असण्णीभूय (ता, स ) । ११. मायामिच्छ° ( अ ) ; मायीमिच्छा (ता); मायामिच्छा (म) | १२. एतियाओ (ता); गियइयाओ (स) 1 १३. सं० पा० आरंभिया जाव मिच्छा १४. भ० १।७२ ७३ । १५. भ० १७६-८१ । १६. पू० प० २ । १७. भ० १६०-६६, ७२, ७३। Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८५. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-पंचिदियतिरिक्खजोणिया नो सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! पचिदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-सम्मदिट्टी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी। तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- असंजया य, संजयासंजया य । तत्थ णं जे ते संजयासंजया, तेसि णं तिण्णि किरियाप्रो कज्जंति, तं जहा-- प्रारंभिया, पारिम्गहिया, मायावत्तिया। असंजयाणं चत्तारि । मिच्छदिट्ठीणं पंच । सम्मामिच्छदिट्ठीणं पंच ।। मणुस्सादोणं समाहार-समसरीरादि-पदं ८६. 'मणुस्सा णं भंते ! सवे समाहारा ? सध्वे समसरी रा? सव्वे समुस्सासनीसासा ? गोयमा ! नो इण? सम? ।। ८७. से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ--मणुस्सा नो सव्वे समाहारा ? नो सव्वे समसरीरा ? नो सब्वे समुस्सासनीसासा? गोयमा ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा—महासरीरा य, अप्पस रीरा य। तत्थ णं जे ते महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले आहारेंति, बहुतराए पोग्गले परिणामेंति, बहुतराए पोग्गले उस्ससंति, बहुतराए पोग्गले नीससंति ; आहच्च आहारेंति, पाहच्च परिणामेति, ग्राहच्च उस्ससंति, आहच्च नीससंति ।। तत्थ णं जे ते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पोग्गले आहारेंति, अप्पतराए पोग्गले परिणामेंति, अप्पतराए पोग्गले उस्ससंति, अप्पतराए पोग्गले नीससंति; अभिक्खणं आहारेति, अभिक्खणं परिणामेंति, अभिक्खणं उस्ससंति, अभिक्खणं नीससंति । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–मणुस्सा नो सब्वे समाहारा, नो सब्वे समसरीरा, नो सव्वे समुस्सासनीसासा। ८८. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समकम्मा ? गोयमा ! नो इणढे समढें ॥ ५६. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-मणुस्सा नो सब्वे समकम्मा ? • गोयमा! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुत्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुवोवबन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा। तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–मणुस्सा नो सव्वे समकम्मा ॥ १. सं० पा०--मणस्सा जहा ऐरइया नागत्तं तराए पोग्गले आहारति अभिक्खरणं जे महासरीरा ते बहुत राए पोग्गले आहारेति आहारेति सेसं जहा नेरइयारणं जाव वेयरणा। आहच्च आहारेति । जे अप्पसरीरा ते अप्प Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (बीओ उद्देसो) ६०. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समवण्णा ? गोयमा ! तो इट्टे समट्टे ॥ ६१. सेकेणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समवण्णा ? taar ! मस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा पुग्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुग्वोववन्नगा ते णं विसुद्धवण्णतरागा । तत्थ णं जे ते पच्छोनगाणं विवण्णतरागा । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समवण्णा || ९२. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समलेस्सा ? गोयमा ! नो इणट्टे समट्ठे ॥ ६३. से केणद्वेणं भंते ! एवं वृच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समलेस्सा ? गोयमा ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा पुग्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं विसुद्धलेस्सतरागा । तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अविसुद्ध नेस्सतरागा । से तेणद्वेगं गोयमा ! एवं बुच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समलेस्सा ॥ ९४. मणुस्सा गं भंते ! सव्वे समवेयणा ? गोयमा ! नो इणट्टे समट्ठे ! २१ ६५. से केणट्टे भंते! एवं वुच्चइ -- मस्साणु नो सव्वे समवेयगा ? गोमा ! मस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सण्णिभूया य, असणिभूया य । तत्थ णं जे ते सण्णभूया ते णं महावेयणा । तत्थ णं जे ते श्रसण्णिभूया ते गं प्रप्वेयणतरागा । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ -- मणुस्सा नो सव्वे समवेयणा ॥ ९६. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! नो इट्टे समट्ठे || ६७. से केणट्टेण भंते ! एवं बुच्चइ - मणुस्सा तो सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! मणुस्सा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा सम्मदिट्ठी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्टी | तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - संजया, अस्संजया, संजय संजया | तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा – सरागसंजया य, वीतरागसंजया य । तत्थ णं जे ते वीतरागसंजया, ते णं अकिरिया । तत्थ णं जे ते सरागसंजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पमत्तसंजया य, अप्पमत्तसंजया य । तत्थ णं जे ते अप्पमत्तसंजया, तेसि णं एगा मायावत्तिया किरिया कज्जइ । Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ ££. भगवई तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया, तेसि णं किरिया कज्जंति, तं जहा- आरंभिया य, मायावत्तया य । तत्थ गं जे ते संजया संजया, तेसि णं आइल्लाओ' तिष्णि किरिया कज्जंति, 'जहा - प्रारंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया । संजयाणं चत्तारि किरिया कज्जति - प्रारंभिया पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया । ६८. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समाज्या ? सव्वेसमोववन्नगा ? गोयमा ! नो इणट्ठे समट्ठे ॥ णणं भंते ! एवं वच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समाज्या ? नो सव्वे समोववन्नगा ? गोयमा ! मणुस्सा चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा - ( १ ) प्रत्येगइया समाज्या समोववन्नगा । (२) प्रत्येगइया समाउया विसमोववन्नगा । ( ३ ) अत्येगइया विसमाज्या समोववन्नगा । ( ४ ) प्रत्येगइया विसमाउया विसमोववन्नगा | से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - मणुस्सा नो सव्वे समाज्या, नो सव्वे समो ववन्नगा । १००. वाणमंतर - जोतिस-वेमाणिया जहा असुरकुमारा, नवरं - वेयणाए णाणत्तंमायिमिच्छदिट्ठी उववनगा य अप्पवेयणतरा, श्रमाथिसम्मदिट्टिउववन्नगा य महावेयणतरा भाणियव्वा जोतिसवेमाणिया || मिच्छदिट्ठीणं पंच- प्रारंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादंसणवत्तिया । सम्मामिच्छदिट्ठीगं पंच ॥ १. आदिमाओ (क, ता, म) 1 २. ८६ सूत्रस्य पादटिप्पणगते समर्पणपाठे 'सेसं जहा नेरइयाएं जाव वेयरा' इति उल्लेखो स्ति, अतोनन्तरं क्रियासूत्रं नैरयिकसूत्राला - पकाद् भिन्नमस्ति तेन समर्पणपाठे तद् ग्रहणं न कृतम् । समायुषः सूत्रं क्रिया सूत्रात अग्रे वर्तते, किन्तु तद् नरयिकसूत्रालापकाद् भिन्नं नास्ति तेन पूर्ववतिसमर्पणपाठेनैव तस्य ग्रहणं कृतमिति संभाव्यते । तदस्माभिः साक्षाल्लिखितम् । ३. प्रज्ञापनायां ( १७/१ ) अस्य रचना सुस्पष्टा स्ति, यथा - वाणमंतरा गं जहा असुरकुमारा रणं । एवं जोइसिय- वे मारिया वि रावरं ते वेदाए दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - माइमिच्छद्दिट्टिउबवण्णगा य, अमाइसम्म हिट्टीउववणगाय । तत्थ पंजे ते माइमिच्छविवण्णा ते अप्पवेदरणतरागा । तत्थ गं जे ते अमाइसम्मदिट्ठोववण्णा ते सं महावेदतरागा । ४. भ० १।७४ १ Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (बीओ उद्देसो) १०१. सलेस्सा णं भंते ! नेरइया सव्वे समाहारगा ? प्रोहियाणं', सलेस्साणं, सुक्कलेस्साणं—एतेसि णं तिण्हं एक्को गमो। कण्हलेस्स-नीललेस्साणं पि एगो' गमो, नवरं—वेदणाए मायिमिच्छदिट्टीउववन्नगा य, अमाथिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य भाणियब्वा । मणुस्सा किरियासु सराग-वीयरागा पमत्तापमत्ता न भाणियब्वा । काउलेस्साण वि एसेव गमो, नवरं---ने रइइ जहा ओहिए दंडए तहा भाणियवा। तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा 'जस्स अत्थि' जहा ओहियो दंडअो तहा भाणियव्वा, नवरं-मणुस्सा सराग-बीयरागा न भाणियव्वा । संगहणी-गाहा दुक्खाउए उदिण्णे, आहारे कम्म-वण्ण-लेस्सा य ! समवेयण-समकिरिया, समाउए चेव वोधव्वा ॥१॥ लेस्सा -पदं १०२. कइ णं भंते ! लेस्सानो पण्णत्तानो ? गोयमा छ लेस्साप्रो पण्णत्ताओ, तं जहा---कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा। लेस्साणं बीयो' उद्देसो भाणियव्वो जाव' इडढी।। जीवाणं भवपरिवट्टण-पदं १०३. जीवस्स णं भंते ! तीतद्धाए आदिट्ठस्स कइविहे संसारसंचिट्ठणकाले पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे संसारसंचिट्ठणकाले पण्णत्ते, तं जहा-नेरइयसंसारसंचिट्ठणकाले, तिरिक्खजोणियसंसारसंचिट्ठणकाले, मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकाले, देव संसारसंचिट्ठणकाले ॥ १०४. नेरइयसंसारचिटुणकाले" णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा--सुन्नकाले, असुन्नकाले, मिस्सकाले ॥ १०५. तिरिक्खजोणियसंसार" संचिट्टिणकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-असुन्नकाले य, मिस्सकाले य ।। १. पू०-भ० ११६०-७३ । २. लेस्सा (ता, म)। ३. एसो (अ, ता, ब)। ४. एसोव (अ)। ५. जस्सस्थि (क, ता, ब)। ६. बोद्धव्या (क, ता, म)। ७. बीयओ (अ, ब, स); बितिओ (क)। ८. १० १७१२ ६. ° काले पं (अ, क, ता, व, म, स)। १०. नेरझ्याणं° (अ, ब, स)। ११. जोणिसंसार (अ, क, ता, ब, म); सं० पा०-- ० संसारपुच्छा। Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ भगवई १०६. "मणुस्ससंसारसंचिदणकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा~सुन्नकाले, असुन्नकाले, मिस्सकाले ॥ १०७. देवसंसारसंचिगुणकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुन्नकाले, असुन्नकाले, मिस्सकाले ° !! १०८. एतस्स णं भंते ! नेरइयसंसारसंचिट्ठणकालस्स-सुन्नकालस्स, असुन्नकालस्स, मीसकालस्स य कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले अणतगुणे, सुन्नकाले अणंतगुणे ।। १०६. तिरिक्खजोणियाणं सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले अणंतगुणे ।। ११०. मणुस्स-देवाण य' •सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले अणतगुण, सुन्नकाले अणतगुणे ॥ १११. एयस्स णं भंते ! नेरइयसंसारसंचिट्ठणकालस्स', 'तिरिक्खजोणियसंसार संचिट्ठणकालस्स, मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकालस्स, देवसंसारसंचिटणकालस्स कयरे कयरेहितो अप्पे वा? वहुए वा ? तुल्ले वा ? • विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे मणुस्ससंसारसंचिटुणकाले, नेरइयसंसारसंचिढणकाले असंखेज्जगुणे, देवसंसारसंचिट्ठणकाले असंखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियसंसारसंचि गुणकाले अणंतगुणे ।। अंतकिरिया-पदं ११२. जीवे णं भंते ! अंतकिरियं करेज्जा? गोयमा ! अत्थेगइए करेज्जा, अत्थेगइए नोकरेज्जा । अंतकिरियापय नेयव्वं । ११३. अह भंते ! असंजयभवियदव्वदेवाणं, अविराहियसंजमाणं, विराहियसंजमाणं, अविराहियसंजमासंजमाणं, विराहियसंजमासंजमाणं, असण्णीणं, तावसाणं, कंदप्पियाणं, चरग-परिव्वायगाणं, किब्बिसियाणं, तेरिच्छियाण', आजीवियाण आभिनोगियाणं', सलिंगीणं दसणवावण्णगाणं- एतेसि णं देवलोगेसु उववज्जमाणाणं कस्स कहिं उववाए पण्णत्ते ? गोयमा ! असंजय भवियदव्वदेवाणं जहण्णणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं उवरिमगेवेज्जएसु । अविराहियसंजमाणं जहण्णणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं सव्वदसिद्धे विमाणे । विराहियसंजमाणं जहण्णेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे । १. सं० पाoमणुस्साण य देवाण य जहा ५. प० २० । नेरइयाणं । ६. तेरच्छियाएं (अ, ब, स)। २. मीसा (ता, ब, म)। ३. सं० पा. --~य जहा नेरइयाणं। ७. आभियोगियारणं (अ, ब, म); आभोगियारा ४. सं० पा०- कालस्स जाव देवसंसार जाव (स)। विसेसाहिए। Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (बीओ उद्देसो) २५ अविराहियसंजमासंजमाणं जहण्णेणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे । विराहियसंजमासंजमाणं जहण्णणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं जोइसिएसु । असण्णीणं जहण्णेणं भवणवासीस, उक्कोसेणं वाणमंतरेस। अवसेसा सव्वे जहण्णणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं वोच्छामि-- तावसाणं जोतिसिएसु, कंदप्पियाणं सोहम्मे कप्पे, चरग-परिव्वायगाणं बंभलोए कप्पे, किब्बिसियाणं लंतगे कप्पे, तेरिच्छियाणं सहस्सारे कप्पे, आजीवियाणं अच्चुए कप्पे, आभिप्रोगियाणं अच्चुए कप्पे, सलिंगीणं दसणवावन्तगाणं उवरि मगेविज्जएसु॥ अस पिण-प्राउय-पदं ११४. कतिविहे णं भंते ! असण्णिमाउए पण्णत्ते ? गोयमा! चउबिहे असपिणग्राउए पण्णत्ते, तं जहा -नेरइयअसण्णिग्राउए, तिरिक्खजोणियअसण्णिग्राउए, मणुस्सअसण्णिग्राउए, देवप्रसण्णिमाउए । ११५. असण्णी णं भंते ! जीवे कि नेरइयाउयं पकरेइ ? तिरिक्खजोणियाउयं पकरेइ ? मणुस्साउयं पकरेइ ? देवा उयं पकरेइ ? हंता गोयमा! नेरइयाउयं पि पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेइ, मणुस्साउयं पि पकरेइ, देवाउयं पि पकरेइ । नेरइयाउयं पकरेमाणे जहण्णेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पकरेइ। तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पकरेइ । मणुस्साउयं' •पकरेमाणे जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पकरेइ। देवाउयं पकरेमाणे जहण्णेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पकरेइ० ॥ ११६. एयस्स णं भते ! नेरइयग्रस रिणग्राउयस्स, तिरिक्खजोणियअसण्णिग्राउयस्स, मणुस्सअसण्णिनाउयस्स, देवप्रसण्णिग्राउयस्स कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे देवप्रसण्णिग्राउए, मणुस्सअसण्णिग्राउए असंखेज्जगुणे', तिरिक्खजोणियअसण्णिा उए असंखेज्जगुणे, नेरइयअसण्णिा उए असंखेज्जगुणे। ११७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! १. उक्कोसगं (क, ता, व, म, स)। ४. सं० पा०-~--कयरे जाव विसेसाहिए वा। २. नेरइयस्स ० (ता)। ५. संखेज्ज (अ, क, ब, म)। ३. सं० पा०-मणस्साउए वि एवं चेव, देवा ६. भ० ११५१ । जहा नेरइया । Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ भगवई तइओ उद्देसो कंखामोहणिज्ज-पवं ११८. जीवाणं भंते ! कंखामोहणिज्जे कम्मे कडे ? हंता कडे । ११६. से भंते ! किं १. देसेणं देसे कडे ? २. देसेणं सव्वे कडे ? ३. सव्वेणं देसे कडे ? ४. सव्वेणं सब्वे कडे ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसे कडे २. नो देसेणं सव्वे कडे ३. नो सव्वेणं देसे कडे ४. सम्वेण सव्वे कडे ।। १२०. नेरइयाणं भंते ! कंखामोहणिज्जे कम्मे कडे ? हंता कडे ।। १२१. •से भंते ! कि १. देसेणं देसे कडे ? २. देसेणं सव्वे कडे ? ३. सव्वेणं देसे कडे ? ४. सव्वेणं सव्वे कडे ? गोयमा! १. नो देसेणं देसे कडे २. नो देसेणं सव्वे कडे ३. नो सव्वेणं देसे कडे ४. सव्वेणं सव्वे कड़े ।। १२२. एवं जाव' वेमाणियाणं दंडो भाणियवो ॥ १२३. जीवा णं भंते ! कंखामोहणिज्ज कम्म करिसु ? हंता करिसु ।। १२४ तं भंते ! किं १. देसेणं देसं करिसु? २. देसेणं सव्वं करिसु ? ३. सव्वेणं देसं करिसु ? ४. सव्वेणं सव्वं करिसु? गोयमा! १. नो देसेणं देसं करिसु २. नो देसेणं सव्वं करिसु ३. नो संवेणं देसं रिस । ४. सव्वेणं सव्वं करिस ।। १२५. एएणं अभिलावेणं दंडगो भाणियव्वो, जाव' वेमाणियाणं ।। १२६. एवं करेंति । एत्थ वि दंडो जाव वेमाणियाणं ॥ १२७. एवं करिस्संति । एत्थ वि दंडनो जाव' वेमाणियाणं ।। १२८. एवं चिए, चिणिंसु, चिणंति, चिणिस्संति । उवचिए, उवचिणिसु, उचिणंति, उवचिणिस्संति । उदीरेंसु, उदीरेंति, उदीरिस्संति । वेदेंसु, वेदेति, वेदिस्संति । निज्जरेंसु, निज्जरेंति, निज्जरिस्संति । संगहणी-गाहा कड-चिय-उवचिय, उदीरिया वेदिया य निज्जिण्णा । आदितिए चउभेदा, तियभेदा पच्छिमा तिण्णि ॥१॥ १. सं० पा०-कडे जाव सव्वेणं । ३, ४, ५. पू०प०२। २. पू०प०२। Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (तइओ उद्देसो) १२६. जीवा णं भंते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ? हंता वेदेति ॥ १३०. कहणं' भंते ! जीवा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ? गोमा ! तेहि तेहि कारणेहिं संकिया, कंखिया, वितिगिछिया, भेदसमावन्ना, कलुससमावन्ना - एवं खलु जीवा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति || सद्धा-पदं १३१. से नूणं भंते ! तमेव सच्च णीसंकं, जं जिणेहि पवेइयं ? हंता गोयमा ! तमेव सच्चं णीसंक, जं जिणेहि पवेइयं ॥ १३२. से नूणं भंते ! माणे आणाए हंता गोयमा ! एवं मणं धारेमाणे' एवं पकरेमाणे, एवं चिट्ठेमाणे, एवं संवरे - माणे आणाए आराहए भवति ॥ एवं मणं धारेमाणे, एवं पकरेमाणे, एवं चिट्ठेमाणे, एवं संवरेराहए भवति ? श्रत्थि - नत्थि-पदं १३३. से नूणं भंते ! प्रस्थित्तं श्रत्थित्ते परिणमइ ? नत्थित्तं नत्थिते परिणमइ ? हंता गोयमा' ! प्रत्थितं प्रत्थिते परिणमइ । नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ । १३४. 'जं णं" भंते ! ग्रस्थित्तं श्रत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तं किं पयोगसा ? वीससा ? गोयमा ! पयोगसा वि तं [ ग्रत्थितं प्रत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ ] | वीससा वितं [ श्रत्थित्तं प्रस्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ ] ॥ १३५. जहा ते भंते ! अत्थित्तं प्रत्थिते परिणमइ, तहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ ? जहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तहा ते प्रत्थितं प्रत्थिते परिणमइ ? हंता गोयमा ! जहा मे प्रत्थित्तं प्रत्थित्ते परिणमइ, तहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ । जहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तहा मे प्रत्थित्तं प्रत्थिते परिणमइ ॥ १३६. से नूणं भंते ! प्रत्थित्तं प्रत्थित्ते गमणिज्जं ? "नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं ? हंता गोयमा ! ग्रत्थित्तं प्रत्थित्ते गमणिज्जं । नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं ॥ १. कह णं (क); कहं पं ( ब, स ) । २. वितिगंछिया ( अ, ब, स ) ; वितिगिच्छिता (क); वितिकिछिगा (म) 1 ३. सं० पा० - धारेमाणे जाव भवति । ४. सं० पा० – गोयमा जाव परिणमइ । २७ ५. ६, ७. ८. तं ( अ, ब, स ) ; X (ता) 1 कोष्ठकवत्तपाठः व्याख्यांशोस्ति । सं० पा० - जहा परिणमइ दो आलावगा तहा गमणिज्जेण वि दो आलावगा भारिणयव्वा जाव तहा । Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ भगवई १३७. जंणं भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते गणिज्जं, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्ज, तं कि पयोगसा? वीससा? गोयमा ! पयोगसा वि तं अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्ज] । वीससा वि तं [अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं] । १३८. जहा ते भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज, तहा ते नत्थित्तं न त्थित्ते गमणिज्ज ? जहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं, तहा ते अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज ? हंता गोयमा! जहा मे अस्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज, तहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं । जहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्ज°, तहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज । भगवमो समता-पदं १३९. जहा ते भंते ! एत्थं गणिज्ज, तहा ते इहं गमणिज्ज ? जहा ते इहं गमणिज्जं, तहा ते एत्थं गमणिज्ज ? हंता गोयमा ! जहा मे एत्थं गमणिज्ज', 'तहा मे इहं गमणिज्ज । जहा मे इहं गमणिज्जं°, तहा मे एत्थं गमणिज्जं ।। कंखामोहणिज्जस्स बंधादि-पदं १४०. जीवा णं भंते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं बंधति ? हंता बंधंति ।। १४१. कहपण भंते ! जीवा कंखामोहणिज्जं कम्मं बंधति ? गोयमा! पमादपच्चया, जोगनिमित्तं च ।। १४२. से णं भंते ! पमादे किंपवहे ? गोयमा ! जोगप्पवहे ॥ १४३. से णं भंते ! जोए किंपवहे ? गोयमा ! बीरियप्पवहे ।। १४४. से णं भंते ! वीरिए किंपवहे ? गोयमा ! सरीरप्पवहे ।। १४५. से णं भंते ! सरीरे किंपवहे ? गोयमा ! जीवप्पवहे ।। १४६. एवं सति अस्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कार परक्कमेइ वा ॥ १. सं० पा०-गमरिणज्जं जाव तहा । २. कहं णं (अ)। ३. निमित्तयं (क)। ४. किपभवे (क, वपा) सर्वत्र । Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (तइओ उद्देसो) १४७. से नूणं भंते ! अप्पणा चेव उदीरेति ? अप्पणा चेव गरहति ? अप्पणा चेव संवरेति ? हंता गोयमा ! अप्पणा चेव' •उदीरेति । अप्पणा चेव गरहति । अप्पणा चेव संवरेति ॥ १४८. 'जणं भंते ! अप्पणा चेव उदीरेति, अप्पणा वेव गरहति, अप्पणा चेव संवरेति, तं कि --१. उदिण्णं उदोरेति ? २. अणुदिण्णं उदीरेति ? ३. अणुदिण्णं उदीरणावियं कम्मं उदीरेति ? ४. उदयाणंतरपच्छाकडं कम्मं उदीरेति ? गोयमा ! १. नो उदिण्णं उदी रेति । २. नो अणुदिण्णं उदीरेति । ३. अणदिणं उदीरणावियं कम्मं उदीरेति । ४. नो उदयाणंतरपच्छाकडं कम्म उदीरेति ।। १४६. जं णं भंते ! अणुदिण्णं उदीरणाबियं कम्म उदीरेति, तं कि उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार-परक्कमेणं अणुदिण्णं उदीरणावियं कम्म उदीरेति ? उदाहु तं अणुटुाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसवकारपरक्कमेणं अणुदिण्णं उदीरणावियं कम्म उदीरेति ? गोयमा ! तं उढाणेणं वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि अणुदिण्णं उदीरणावियं कम्म उदीरेति । णो तं अणुटुाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं अणुदिण्णं उदीरणा भवियं कम्म उदोरेति ॥ १५०. एवं सति अस्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कार परक्कमेइ वा ।। १५१. से नणं भंते ! अप्पणा चेव उवसामेइ ? अप्पणा चेव गरहइ ? अप्पणा चेव संवरेइ ? हंता गोयमा ! ""अप्पणा चेव उवसामेइ । अप्पणा चेव गरहइ । अप्पणा चेव संवरेइ ।। १. संवरइ (अ, ब, म, स)। उवसामेइ तं कि उटाणेणं जाब पुरिसक्कार२. सं० पा०–त चेव उच्चारेतब्बं । परक्कमे इ वा । से नूणं भंते ! अप्पणा चेव ३. तं (अ, क, ता, ब, म, स); क्वचित्प्रयुक्त. वेदेइ अप्पणा चेव गरहइ एत्थ वि सच्चेव प्रत्याधारेण स्वीकृतोऽसो पाठः । परिवाडी, नवरं उदिण्ण वेदेइ नो अणु दिण्णं वेदेइ ४. उदयअणंतर' (अ, क, ता, ब, स) एवं जाव पुरिसक्कार-परक्कमे इ वा। से ५. सं० पा०–एत्थ वि तह चेव भारिणयव्वं, नणं भंते ! अप्परगा चेव निज्ज रेइ अप्प० एत्थ नवरं अणदिण्णं उवसामेइ सेसा पडिसेहे- वि सच्चेव परिवाडी, नवरं उदयअरणंतरपच्छायव्वा तिणि 1 जं तं भंते ! अणूदिष्णं कडं कम्मं निज्जरेइ एवं जाव परक्कमेइ बा । Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० भगवई १५२. जणं भंते ! अप्पणा चेव उवसामेइ, अप्पणा चेव गरहति, अप्पणा चेव संवरेति, तं कि-१. उदिण्णं उवसामेइ ? २. अणुदिण्णं उवसामेइ ? ३. अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्म उवसामेइ ? ४. उदयाणंतरपच्छाकडं कम्म उवसामेइ ? गोयमा ! १. नो उदिण्णं उवसामेइ । २. अणुदिण्णं उवसामेइ। ३. नो अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्म उवसामेइ ! ४. नो उदयाणंतरपच्छाकडं कम्म उवसामेइ । १५३. ज णं भंते ! अणुदिण्णं उवसामेइ, तं कि उटाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार-परवकमेणं अणुदिण्णं उवसामेइ ? उदाहु तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपरिसक्कारपरक्कमेणं अणुदिण्णं उवसामेइ ? गोयमा ! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि अणुदिपणं उवसामेइ । णो तं अणुट्ठाणणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं अणुदिण्णं उवसामेइ ।। १५४. एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कार परक्कमेइ वा ।। १५५. से नूणं भंते ! अप्पणा चेव वेदेति ? अप्पणा चेव गरहति ? हता गोयमा ! अप्पणा चेव वेदेति । अप्पणा चेव गरहति ।। १५६. जं णं भंते ! अप्पणा चेव वेदेति, अप्पणा चेव गरहति तं किं--१. उदिण्णं वेदेति ? २. अणुदिण्णं वेदेति ? ३. अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं वेदेति ? ४. उदयाणंतरपच्छाकडं कम्मं वेदेति ? गोयमा ! १. उदिण्णं वेदेति । २. नो अणुदिण्णं वेदेति । ३. नो अणुदिण्णं उदोरणाभवियं कम वेदेति । ४. नो उदयाणंतरपच्छाकडं कम्मं वेदेति ।। १५७. जं णं भंते ! उदिण्णं वेदेति तं किं उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरि सक्कार-परक्कमेणं उदिण्णं वेदेति ? उदाहु तं अणुट्टाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदिण्णं वेदेति ? गोयमा ! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि उदिण्णं वेदेति । नो तं अणुट्टाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, प्रवीरि एणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदिण्णं वेदेति ।। १५८. एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कार परक्कमेइ वा ।। १५६. से नणं भंते ! अप्पणा चेव निज्जरेति ? अप्पणा चेव गरहति ? हंता गोयमा ! अप्पणा चेव निजरेति । अप्पणा चेव गरहति ।। Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (तइओ उद्देसो) ३१ १६०. जं णं भंते ! अप्पणा चेव निज्जरेति, अप्पणा चेव गरहति तं किं- १. उदिण्णं निज्जरेति ? २. प्रणुदिष्णं निज्जरेति ? ३. अणुदिष्णं उदीरणाभवियं कम्मं निज्जरेति ? ४. उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति ? गोयमा ! १ नो उदिष्णं निज्जरेति । २. नो अणुदिण्णं निज्जरेति । ३. नो अणुदिणं उदीरणाभवियं कम्मं निज्जरेति । ४. उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति ॥ १६१. जं णं भंते ! उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति तं कि उट्ठाणेणं, कम्मेणं, वलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार -परक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्ज - रेति ? उदाहु तं अणुट्टाणेणं, प्रकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति ? गोमा ! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति । णो तं प्रणुट्ठाणेणं, कम्मे, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति ॥ १६२. एवं सति प्रत्थि उट्ठाणेइ वा कम्मेइ वा बलेइ वा वीरिएइ वा पुरिसक्कार-परक्कमेइ वा ॥ १६३. नेरइया णं भंते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ? जहा प्रोहिया जीवा तहा नेरइया जाव' थणियकुमारा ॥ १६४. पुढविक्काइया णं भंते! कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ? हंता वेदेति ॥ १६५. कहणं भंते ! पुढविक्काइया कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ? गोमा ! तेसि णं जीवाणं णो एवं तक्का इवा, सण्णा इवा, पण्णा इवा, मणे इवा, वई तिवा - अम्हे णं कखामोहणिज्जं कम्मं वेदेमो, वेदेति पुण ते ॥ १६६. से नूणं भंते ! तमेव सच्चं नौसंकं, जं जिणेहि पवेइयं ? हंता गोयमा ! तमेव सच्चं नीसंकं, जं जिणेहिं पवेइयं । सेसं तं चैव जाव' प्रत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कार - परक्कमेइ वा ॥ १६७- एवं जाव' चउरंदिया || १६८. पंचिदियतिरिक्खजोगिया जाव' वेमाणिया जहा प्रोहिया जीवा ॥ १. भ० १११२६-१६२ । २. पू० ० २ । ३. भ० १११३२-१६२ । ४. पू० १०२ । ५. पू० प० २। ६. भ० १।१२६-१६२ । Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ १६६. प्रत्थि णं भंते ! समणा विनिग्गंथा कखामोहणिज्जं कम्मं वेएंति ? 'हंता प्रत्थि । १७०. कण्णं भंते ! समणा निग्गंथा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ? गोयमा ! तेहि तेहिं नाणंतरेहि, दंसणंतरेहिं चरितंतरेहि, लिंगंतरेहि, पवयणंतरेहि, पावयणंतरेहि, कप्पतरेहि, मगंतरेहिं मतंतरेहि, भंगंतरेहिं, णयंतरेहिं नियमंतरेहि, पमाणंतरेहिं संकिता कंखिता वितिकिच्छिता' भेदसमाबन्ना कलुससमावन्ना - एवं खलु समणा निग्गंथा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ॥ १७१. से नूणं भंते ! तमेव सच्चं नीसंक, जं जिणेहि पवेदितं ? हंता गोयमा ! तमेव सच्चं नीसंकं, जं जिणेहि पवेदितं ॥ १७२. एवं जाव' ग्रत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पुरिसक्कार-परक्कमेइ वा ॥ १७३. सेवं भंते! सेवं भंते' ! चउत्थो उद्देसो कम्म- पदं १७४. कति णं भंते ! कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ ? संग्रहणी - गाहा गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ता, कम्मप्पगडीए पढमो उद्देसो नेयव्वो जाव -- अणुभागो समत्तो । कति पगडी ? कह बंधति ? कतिहि व ठाणेहिं बंधती पगडी ? कति वेदेति व पगडी ? अणुभागो कतिविहो कस्स ? ||१|| उट्ठाण श्रवक्कमण-पदं १७५. जीवे णं भंते ! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उदिष्णेणं उवट्टाएज्जा ? हंता उवट्टाएज्जा" | १. हंतत्थि (ता) 1 २. दरिणंतरेहिं ( क ) । ३. चरितंतरेहिं तित्यंतरेहिं ( क ) । ४. मंतंतरेहिं ( अ, ब ) ; x ( क ) 1 ५. वितिकिल्लिया (ता) 1 भगवई ६. भ० १।१३२- १६२ । ७. भ० ११५१ । ८. ० २३।१ । ६. किह ( अ, क, ता, म); कहिं ( स ) । १०. उबट्टाएज्ज (क, ता ) । Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (चउत्थो उद्देसो) १७६. से भंते ! किं वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? अवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? ___ गोयमा ! वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा । णो अवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा । १७७. जइ वीरियत्ताए उवढाएज्जा, किं-बालवीरियत्ताए उवढाएज्जा ? पंडिय वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? बालपंडियवीरियत्ताए उववाएज्जा ? गोयमा ! वालवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा। नो पंडियबीरियत्ताए उवढाएज्जा। नो वालपंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ॥ १७८. जीवे णं भंते ! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उदिण्णणं प्रवक्कमेज्जा? . हंता अवक्क मेज्जा ।। १७६. से भंते ! कि वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? गोयमा ! वीरियत्ताए प्रवक्कमेज्जा । नो अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ।। १८०. जइ वीरियत्ताए प्रवक्कमेज्जा, कि-बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? पंडिय वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? ° वालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? गोयमा ! 'बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा। नो पंडियवीरियत्ताए अवक्क मेज्जा । सिय वालपंडियवोरियत्ताए अवक्कमेज्जा॥ १८१. जीवे गं भंते ! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उवसंतेण उवटाएज्जा ? हंता उवट्ठाएज्जा ॥ १८२. से भंते ! कि वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? अवीरियत्ताए उवद्वाएज्जा ? गोयमा ! वीरियत्ताए उवढाएज्जा । नो अवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ।। १८३. जइ वोरियत्ताए उवट्ठाएज्जा, कि- बालवीरियत्ताए उवढाएज्जा ? पंडिय वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? बालपंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? गोयमा ! 'नो बालवीरियत्ताए उवट्टाएज्जा। पंडियवोरियत्ताए उवट्ठाएज्जा। नो वालपंडियवारियत्ताए उवट्ठाएज्जा" ।। १८४. जीवे णं भंते ! मोहिणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उवसंतेणं प्रवक्कमेज्जा ? हंता अवक्कमेज्जा ।। १८५. से भंते ! कि वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? गोयमा ! वीरियत्ताए प्रवक्कमेज्जा ! नो अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा। १. सं० पा० -भते जाव बालपंडियवीरियत्ताए। यव्वा, नवरं उवहाएज्जा पंडियवीरियत्ताए २. वाचनान्तरे त्वेवम् –'बालवीरियत्ताए नो अवक्कमेज्जा बालपंडियवीरियत्ताए। पंडियवीरियत्ताए नो बालपंडियवीरियत्ताए' ४. वृद्धस्तु काञ्चिद्वाचनामाश्रित्येदं व्याख्यातं--- (व)। मोहनीयेनोपशान्तेन सता न मिथ्यादृष्टि३. सं० पा०---जहा उदिण्णेरणं दो आलाबगा र्जायते, साधः श्रावको वा भवतीति (व)। तहा उवसंतेरण वि दो आलावगा भारिण Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४ भगवई १८६. जइ वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा, किं-बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? पंडिय वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? वालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? गोयमा! नो बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा। नो पंडियवीरियत्ताए प्रवक्क मेज्जा । वालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमज्जा। १८७. से भंते ! किं पायाए प्रवक्कमइ ? अणायाए प्रवक्कमइ? गोयमा ! पायाए अवक्कमइ, नो अणायाए अवक्कमइ-मोहणिज्ज कम्म वेदेमाणे ॥ १८८. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! पुब्धि से एयं एवं रोयइ । इयाणि से एयं एवं नो रोयइ --एवं खलु एयं एवं कम्ममोक्ख-पदं १८६. से नूर्ण भंते ! नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स' वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता' मोक्खो ? हंता गोयमा ! नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स वा, देवस्स वा •जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो।। १६०. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयस्स वा •तिरिक्खजोणियस्स वा, मणु स्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नस्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो ? एवं खलु मए गोयमा ! दुविहे कम्मे पण्णत्ते, तं जहा–पदेसकम्मे य, अणुभागकम्मे य । तत्थ णं जंणं पदेसकम्मं तं नियमा वेदेइ। तत्थ णं जं गं अणुभागकम्मं तं' अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं णो वेदेइ । णायमेयं अरहया, सुयमेयं अरहया, विण्णायमेयं अरहया--इमं कम्म अयं जीवे अब्भोवगमियाए वेदणाए वेदेस्सइ, इमं कम्म अयं जीवे उवक्कमियाए वेदणाए वेदेस्सइ। अहाकम्म, अहानिका करण जहा जहा तं भगवया दिटुं तहा तहा तं विप्परिणमिस्सतीति । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइयस्स वा', 'तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि ण तस्स अवेदइत्ता मोक्खो ।। १. मणूसस्स (क, ता); मणुसस्स (ब, म, स)। ६. तं (अ, क, ता, ब, म, स) । २. x (अ, स)। ७. X (ता)। ३. अवेदयत्ता (अ, ब); अवेइत्ता (म, स)। ८. अभोवमियाए (क)। ४. सं० पा०-वा जाव मोक्खो। ६. सं० पा०-वा जाव मोक्खो। ५. सं० पा०-बा जाव मोक्खो। Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (चउत्थो उद्देसो) पोग्गल-जीवाणं तेकालियस-पदं १६१. एस णं भंते ! पोग्गले तीतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले तीतं अणतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया ।। १६२. एस णं भंते ! पोग्गले पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! एस णं पोरगले पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया० ॥ १९३. एस णं भंते ! पोग्गले अणागयं अणंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया? हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले अणागयं अणंतं सासयं समयं भविस्सतीति बत्तव्वं सिया० ॥ १६४. "एस णं भंते ! खंधे तीतं अणतं सासयं समयं भुवीति वत्तब्वं सिया ? हता गोयमा ! एस णं खंधे तीतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया ।। १६५. एस णं भंते ! खंधे पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया? हंता गोयमा ! एस णं खंधे पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया ।। १६६. एसणं भंते ! खंध अणागयं प्रणतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया? हंता गोयमा ! एस णं खंधे अणागयं अणंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया । १६७. एस णं भंते ! जीवे तीतं अणंतं सासयं समयं भवीति वत्तव्वं सिया ? हता गोयमा ! एस णं जीवे तीतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया ॥ १९८. एस णं भंते ! जीवे पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! एस णं जीवे पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया॥ १६. एस णं भंते ! जीवे अणागयं प्रणतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तन्वं सिया? हंता गोयमा! एस णं जीवे अणामयं अणंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया ।। मोक्ख-पदं २००. छउमत्थे णं भंते ! मणूसे तीतं अणतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं वंभचेरवासेणं, केवलाहि पवयणमायाहि सिज्झिसु ? १. पोग्गलेति परमाणुरुत्तरत्रस्कन्धग्रहणात् एवं जीवेण वि तिपिण आलावगा भारिण यव्वा । २. सं० पा०-तं चेव उच्चारयन्वं । ५. मणुस्से (अ, म)। ३. सं० पा०-तं चेव उच्चारेयवं। ६. माताहिं (ता, म)। ४. सं० पा०-एवं खंधेरण वि तिण्णि आलावगा। Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ भगवई बुज्झिसु' ? 'मुच्चिसु ? परिणिव्वाइंसु ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु ? गोयमा ! गो इण? समटे ।। २०१ से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ छउमत्थे णं मणुस्से तीतं अणंतं सासयं समयं –केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमायाहि नो सिज्झिसु ? नो बुझिसु ? नो मुच्चिसु ? नो परिनिब्वाइंसु ? नो सव्वदुक्खाणं' अंतं करिसु? गोयमा ! जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा--सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा -सब्वे ते उप्पण्णणाण-दसणधरा अरहा जिणा' केवली भवित्ता तो पच्छा 'सिझति, बुज्झति, मुच्चंति, परिनिव्वायंति", सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा । से तेण?णं गोयमा ! •एवं वुच्चइ छउमत्थे णं मणुस्से तीतं अणंतं सासयं समयं-केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमायाहि नो सिज्झिसु, नो बुझिसु, नो मुच्चिसु, नो परिनिब्वाइंसु, नो सव्वदुक्खाणं अंतं रिसु ॥ २०२. पडुप्पण्णे वि एवं चेव, नवरं-सिझंति भाणियव्यं ।। २०३. अणागए वि एवं चेव, नवरं-सिज्झिस्संति भाणियव्वं ।। २०४. जहा छउमत्थो तहा पाहोहियो वि, तहा परमाहोहियो' वि । तिण्णि तिण्णि पालावगा भाणियव्वा ।। २०५. केवली णं भंते ! मणूसे तीतं अणं सासयं समयं सिझिसु ? बुझिसु ? मुच्चिसु ? परिनिव्वाइंसु ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु ? हता गोयमा ! केवली णं मणूसे तीतं अणतं सासयं समयं सिभिसु, बुझिसु, मुच्चिंसु, परिनिव्वाइंसु, सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु ।। २०६. केवली णं भंते ! मणूसे पडुप्पण्णं सासयं समयं सिझंति ? बुझंति ? मुच्चंति ? परिनिव्वायंति ? सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? हंता गोयमा ! केवली णं मण से पडुप्पण्णं सासयं समयं सिज्झति, बुज्झति, मुच्चंति, परिनिव्वायंति, सब्वदुक्खाणं अंतं करेंति ।। १. सं० पा०--बुझिसु जाव सव्व। ६. भ० ११२००, २०१। २. सं० पा०--तं चेव जाव अंतं । ७. भ. ११२००, २०१ । ३. जिणे (अ, क, ता, ब, स)। ८. भ० ११२००-२०३। ४. "सिझती' त्यादिषु चतुर्ष पदेषु वर्तमान ६. परमोहिओ (अ, क ता, ब, म, वृपा)। निर्देशस्य शेषोपलक्षणत्वात् 'सिभिस् १०. सं० पा०-समयं जाव अंत हंता सिज्झिसु सिझति मिज्झिस्संती' त्येवमतीतादिनिर्देशो जाव अंते एते तिण्णि आलावगा भारिणद्रष्टव्यः (वृ)। यवा। छउमत्थस्स जहा नवरं सिझिस् ५. सं० पा.----गोयमा जाव सन्व' । सिज्झति सिभिस्संति । Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (पंचमी उद्देसो) ३७ २०७. केवली णं भंते ! मणूसे अणागयं प्रणतं सासयं समयं सिज्झिस्संति ? बुज्झिस्संति ? मुच्चिस्संति ? परिनिव्वाइस्संति ? सव्वदुक्खाणं यंतं करिस्संति ? हंता गोयमा ! केवली णं मणूसे प्रणागयं प्रणतं सासयं समयं सिज्झिस्संति, बुज्भिस्संति, मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्संति, सव्वदुक्खाणं अंतं करिस्सति ॥ २०८. से नूणं भंते ! तीतं प्रणतं सासयं समयं, पडुप्पण्णं वा सासयं समयं प्रणायं प्रणतं वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणं अंत करेंसुवा, कति वा, करिस्संति वा, सब्वे ते उप्पण्णणाण- दंसणधरा रहा जिणा केवली भवित्ता तो पच्छा सिज्यंति ? बुज्झति ? मुच्वंति ? परिनिव्वायंति ? सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा ? करेति वा ? करिस्सति वा? हंता गोयमा ! तीतं प्रणतं सासयं समयं, पडुप्पण्णं वा सासयं समयं, अणायं प्रणतं वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणं तं करें वा, करेति वा, करिस्सति वा, सव्वे ते उप्पण्णणाणदंसणधरा रहा जिणा केवली भवित्ता तम्रो पच्छा सिज्भति, बुज्झति, मुच्चति, परिनिव्वायंति, सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा करेंति वा, करिस्संति वा ॥ o २०६. से नूणं भंते ! उप्पण्णणाण- दंसणधरे रहा जिणे केवली, अलमत्थु त्ति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! उप्पण्णणाण-दंसणधरे ग्ररहा जिणे केवली अलमत्यु त्ति वत्तव्वं सिया ॥ २१०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! पंचमो उद्देस पुढ विपद २११. कति णं भंते! पुढवी पण्णत्ता ? गोयमा ! सत्त पुढवोओ पण्णत्तायो त जहा - रयणप्पभा, सक्करप्पभा, वालुयप्पभा, पंकप्पभा, धूमप्पभा, तमप्पभा", तमतमा ॥ १. सं० पा० - सिज्यंति जाव अंतं करिस्सति । द्रष्टव्यं १२० १ सूत्रस्य पादटिप्परगम् । २. सं० पा० - सासयं जाव करिस्सति । ३. भ० ११५१ । ४. सं० पा० - रयणप्पभा जाव तमतमा । Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८. भगवई २१२. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए कति निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? ___गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। संगहणी-गाहा तीसा य पन्नवीसा, पन्नरस दसेव या सयसहस्सा। तिन्नेगं पंचूणं, पंचेव अणुत्तरा निरया ॥१॥ आवास-पदं २१३. केवइया णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोयट्ठी असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता । संगहणी-गाहा एवं चोयट्ठी असुराणं, चउरासोई य होइ नागाणं । वावरि सुवण्णाणं, वाउकुमाराण छन्नउई ॥१॥ दीव-दिसा-उदहीणं, विज्जुकुमारिद-णियमग्गीणं । छण्हं पि जुयलयाणं, छावत्तरिमो सयसहस्सा ।।२।। २१४. केवइया णं भंते ! पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा असंखेज्जा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पण्णत्ता जाव' असंखिज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ।। २१५. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे कति विमाणावाससयसहस्सा पणत्ता ? ___ गोयमा ! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता। संगहणी-गाहा एवं बत्तीसट्ठावीसा, बारस-अट्ठ-चउरो सयसहस्सा। पन्ना-चत्तालीसा, छच्च सहस्सा सहस्सारे ।।१।। प्राणय-पाणयकप्पे, चत्तारि सयारणच्चुए तिणि । सत्त विमाणसयाई, चउसु बि एएसु कप्पेसु ।।२।। एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमए" सत्तुत्तरं सयं च मज्झमए । सयमेगं उवरिमए, पंचेव अणुत्तरविमाणा ।।३।। नेरइयारणं नाणावसासु कोहोवउत्तादिभंग-पदं पुढवी द्विति-प्रोगाहण-सरीर-संघयणमेव संठाणे । लेस्सा दिट्ठी गाणे, जोगुवनोगे य दस ठाणा ॥४॥ १. चोवट्ठी (क); चोसट्ठी (म, स)। ४. अट्ठ य (क, ता, म)। २. जुवलयाणं (अ, क, ता, ब)। ५. हेट्ठि मेसु (क, ता, म); हेट्टि मएसु (स)। ३. पू०प०२१ ६. ठाणे (अ, व)। Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंढमं सतं (पंचमो उद्देसो) २१६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ठितिट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा! असंखेज्जा ठितिट्ठाणा पण्णत्ता, तं जहा—जहणिया ठिती, समयाहिया जहणिया ठिती, दुसमयाहिया जणिया ठिती जाव असंखेज्ज समयाहिया जहणिया ठिती । तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिती ।। २१७. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेस एगमेगंसि निरयावासंसि जहणियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया किं-कोहोव उत्ता? माणोवउत्ता? मायोव उत्ता ? लोभोव उत्ता? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा १. कोहोवउत्ता। २. अहवा कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य । ३. अहवा कोहोव उत्ता य, माणोवउत्ता य । ४. अहवा कोहोव उत्ता य, मायोवउत्ते य। ५. अहवा कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य । ६. अहवा कोहोव उत्ता य, लोभोव उत्ते य । ७. अहवा कोहोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य'। ८. अहवा कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ते य । ६. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्त य, मायोव उत्ता य । १०. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोव उत्ते य। ११. कोहोव उत्ता य, माणोव उत्ता य, मायोवउत्ता य'। १२. कोहोव उत्ता य, माणोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य। १३. कोहोव उत्ता य, माणोव उत्ते य, लोभोवउत्ता य । १४. कोहोव उत्ता य, माणोव उत्ता य, लोभोवउत्ते य । १५. कोहोव उत्ता य, माणोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य । १६. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। १७. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ते य, लोभोव उत्ता य। १८. कोहोव उत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य । १६. कोहोव उत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोव उत्ता य । २०. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, १. 'म' प्रती--अतोने एवं माया विलोभो वि चतारि भंगा ८ एवं कोहेणं मायाए लोभेणं कोहेण भइयत्रो अथवा कोहोवउत्ता य चत्तारि भंगा १२ अहवा कोहोवउत्ता मागोमागोवउत्ते य मायोवउत्ते य पच्छा मारणेग व उत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते १ अहवा लोभेण य पच्छा मायाए लोभेरण य पच्छा कोहोव उत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोमारोग मायाए लोभेण य कोहो भरिणयको वउत्ता २ अहवा कोहोवउत्ता माणोवउत्ते ते कोहं अमुंचता कोहं अमुंचता एवं सत्तावीसं मायोबउत्ता लोभोवउत्ते ३ अहवा कोहोवउत्ता मारणोवउत्ते मायोवरत्ता लोभोवउत्ता ४ भंगा ऐयव्वा । अहवा कोहोव उत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ते २. 'ता' प्रती-अतोने एवं सत्तावीसं भंगा लोभोवउत्ते ५ अहवा कोहोवउत्ता मागोवउत्ता गतव्वा । मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ६ अहवा कोहोव३. 'क', 'ब' प्रत्योः -अतोने एवं सत्तावीसं भंगा उता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते य ७ अहवा कोहोव उत्ता मागोवउत्ता मायोवरोतव्वा । उत्ता लोभोवउत्ता ८ एवं सत्तावीसं भंगा ४. 'अ' प्रती-अतोने एवं कोहे मारणेणं लोभेरा गेयव्वा । Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई मायोवउत्ते य, लोभोव उत्ते य । २१. कोहोव उत्ता य, माणोव उत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य । २२. कोहोव उत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य । २३. कोहोव उत्ताय, माणोव उत्ते य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ताय । २४. कोहोव उत्ताय, माणोवउत्ता य, मायोव उत्तेय, लोभोवउत्ताय । २५. कोहोवउत्ता य, माणोव उत्ता य, मायोदउत्ते य, लोभोवउत्ता य! २६. कोहोवउत्ता य, माणोव उत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोव उत्ते य । २७. कोहोवउत्ता य, माणोक्उत्ता य, मायोव उत्ता य, लोभोव उत्ता य ।। २१८. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासि समयाहियाए जहण्णट्रितीए वट्टमाणा नेरइया कि-कोहोबउत्ता? माणोव उत्ता ? मायोव उत्ता? लोभोव उत्ता ? गोयमा ! कोहोक् उत्ते य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य । कोहोवउत्ता य, माणोबउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोव उत्ता य । अहवा कोहोबउत्ते य, माणोवउत्ते य । अहवा कोहोवउत्ते य, माणोव उत्ता य। एवं असीतिभंगा' नेयव्वा । २८, मारणोव उत्ता लोभोबउत्ता २६. मायोवउत्त लोभोवउत्ते ३०. मायोक् उत्ते लोभोवउत्ता ३१. मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ३२. मायोवउत्ता लोभोवउत्ता। ३-(३२) १.१-(८)-१. कोहोवउत्ते २. मारपोवउसे ३. मायोवउत्ते ४. लोभोवउत्ते ५. कोहोवउत्ता ६. मागोवउत्ता ७. मायोवउत्ता ८. लोभोवउत्ता। २-(२४)--६. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते १०. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता ११. कोहोवउत्ता मागोवउत्ते १२. कोहोवउत्ता मागोवउत्ता १३. कोहोवउरो मायोवउत्ते १४. कोहोवउत्ते मायोवउत्ता १५. कोहोबउत्ता मायोवउत्ते १६. कोहोवउत्ता मायोवउत्ता १७. कोहोवउत्ते लोभोवउत्ते १८. कोहोवउत्ते लोभोवउत्ता १६. कोहोव उत्ता लोभोवउत्ते २०. कोहोवउत्ता लोभोवउत्ता २१. मारणोवउत्ते मायोवउत्ते २२. मारगोबउत्ते मायोवउत्ता २३. मागोवउत्ता मायोवउत्ते २४. मागोवउत्ता मायोवउत्ता २५. मारगोवउत्ते लोभोवउत्ते २६. माणोवउत्ते लोभोवउत्ता २७. मारणोवउत्ता लोभोवउत्ते ३३. कोहोय उत्ते मारणोवउत्ते मायोवउले ३४. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते मायोवउत्ता ३५. कोहोवउत्ते मारणोबउत्ता मायोरस्ते ३६. कोहोवउत्ते मागोव उत्ता मायोवउत्ता ३७. कोहोव उत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते ३८. कोहोवउत्ता मारपोवउत्ते मायोवउत्ता ३६. कोहोवउत्ता मारमोव उत्ता मायोवउत्ते ४०. कोहोवउत्ता मारणोव उत्ता मायोवउत्ता ४१. कोहोव उत्ते मारणोवउत्ते लोभोवउत्ते ४२. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते लोभोवउत्ता ४३. कोहोवउत्ते मारणोबउत्ता लोभोवउत्ते ४४. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता लोभोवउत्ता ४५. कोहोवउत्ता मागोवउत्ते लोभोवउत्ते ४६. कोहोवउत्ता मारणोवउत्ते लोभोव उत्ता ४७. कोहोवउत्ता मारपोवउत्ता लोभोवउत्ते Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (पंचमो उद्देसो) __ एवं जाव संखेज्जसमयाहियाए ठितीए, असंखेज्जसमयाहियाए ठितीए तप्पाउ ___ गुक्कोसियाए ठितीए सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा' ।। २१६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमे गंसि निरयावासंसि ने रइयाणं केवइया ओगाहणाठाणा पण्णत्ता ? गोयमा! असंखेज्जा प्रोगाहणाठाणा पण्णत्ता, तं जहा-जहणिया ओगाहणा, पदेसाहिया जण्णिया प्रोगाहणा, दुपदेसायिा जहण्णिया प्रोगाहणा जाव असंखेज्जपएसाहिया जहणिया प्रोगाहणा । तप्पाउग्गुक्कोसिया प्रोगाहणा ।। २२०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि जहपिणयाए प्रोगाहणाए वट्टमाणा नेरइया कि कोहोबउत्ता? असीइभंगा भाणियव्वा' जाव संखेज्जपदेसाहिया जण्णिया प्रोगाहणा ! असंखेज्जपदेसाहियाए जहणियाए प्रोगाहणाए वट्टमाणाणं, तप्पाउग्गुक्कोसि ४६. कोहोव उत्ता मागोवउत्ता लोभोवउत्ता ४६. कोहोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ५०. कोहोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ५१. कोहोवउत्ते मायोव उत्ता लोभोवउत्ते ५२. कोहोव उत्ते मायोव उत्ता लोभोवउत्ता ५३. कोहोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ५४. कोहोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोव उत्ता ५५. कोहोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ५६. कोहोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ५७. मागोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोव उत्ते ५८. मागोवउते मायोवउते लोभोवउत्ता ५६. मारपोव उत्ते मायोव उत्ता लोभोवउत्ते ६०. मारखोव उत्ते मायोव उत्ता लोभोवउत्ता ६१. मागोवउत्ता मायोब उत्ते लोभोवउत्ते ६२. मागोव उत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ६३. मागोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ६४. माणोव उत्ता मायोवउत्त लोभोवउत्ता । ६७. कोहोवउत्ते मागोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ६८. कोहोवउत्ते मागोव उत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ६६. कोहोवउत्ते मागोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ७०, कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ७१. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता मायोव उत्ता लोभोवउत्ते ७२. कोहोवउत्ते मागोवउत्ता मायोव उत्ता लोभोवउत्ता ७३. कोहोव उत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ७४. कोहोवउत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ७५. कोहोवउत्ता मारपोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोव उत्ते ७६. कोहोव उत्ता मागोवउत्ते मायोव उत्ता लोभोवउत्ता ७७. कोहोव उत्ता मागवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ७८. कोहोवउत्ता मागोव उत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ७६. कोहोवउत्ता मारणोव उत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ८०. कोहोवउत्ता मारणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता । ४-(१६)-६५. कोहोवउत्ते माणीव उत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ६६. कोहोव उत्ते मारगोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोव उत्ता १. भ० ११२१७ । २. भ०११२१८ पादटिप्पण। Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई याए प्रोगाहणाए वट्टमाणाणं' सत्तावीसं भंगा ।। २२१. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए' 'तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु° एग मेगंसि निरयावासंसि नेरइयाण कइ सरीरया पण्णत्ता ? गोयमा ! तिणि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-वेउव्विए, तेयए, कम्मए । २२२. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव वेउब्वियसरीरे वट्टमाणा ने रइया कि कोहो वउत्ता? सत्तावीसं भंगा। २२३. एएणं गमेणं तिणि सरीरया भाणियवा।। २२४. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव नेरइयाणं सरीरया किसंघयणा" पण्णता? गोयमा ! छण्हं संघयणाणं असंघयणी नेवट्ठो, नेव छिरा', नेव हारूणि । जे पोस्गला अणिट्ठा अकंता अप्पिया असुहा अमणुण्णा प्रमणामा एतेसि" सरीर संघायत्ताए परिणमंति ।। २२५. इमीसे णं भंते ? रयणप्पभाए जाव' छण्हं संघयणाणं असंघयणे वट्टमाणा नेर इया कि कोहोवउत्ता? सत्तावीसं भंगा। २२६. इमीसे णं भंते ? रयणप्पभाए जाव" ने रइयाणं सरीरया किंसंठिया पण्णता ? गोयमा" ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--भवधारणिज्जा य, उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते हुंडसंठिया पणत्ता, तत्थ णं जे ते उत्तर वेउब्विया ते वि हुंडसंठिया पण्णत्ता ।। २२७. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाब" हुंडसंठाणे वट्टमाणा नेरइया कि कोहो व उत्ता? सत्तावीसं भंगा ॥ २२८. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव नेरइयाणं कति लेस्सायो पत्तायो ? गोयमा ! एगा काउलेस्सा पण्णत्ता ।। २२६. इमोसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव" काउलेस्साए वट्टमाणा नेरइया कि कोहो व उत्ता? सत्तावीसं भंगा ।।" १. वट्टमारणारण नेरइयाणं दोसु बि (अ); बट्ट- १०. ततेसि (क, ता, म)। माणाणं जाव नेरइयारणं दोसु वि (क, स); ११. भ० ११२१७॥ वट्टमारणारणं दोसु वि (म)। १२. भ०१।२१७ ॥ २. भ० १२१७ १३. भ० ११२१६ ॥ ३. सं० पा०-पुढवीए जाव एगमेगंसि । १४. 'नेरइयारणं सरीरया' इति शेषः । ४. भ. १२१७॥ १५. भ० १२१७ । ५. भ० ११२१७ ! १६. भ० ११२१७ । ६. भ० ११२१६ । १७. भ. श२१६ । ७. किसंघयणी (क, ता, स)। १८. भ० ११२१७ । । ८. च्छिरा (ता, म, स)। १६. भ० १।२१७ ६. अप्पिता (क)। Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ पढम सत (पंचमो उद्देसो) २३०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव' नेरइया किं सम्मदिट्ठी? मिच्छदिट्ठी ? सम्मामिच्छदिट्ठी? तिणि वि। २३१. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव' सम्मदसणे वट्टमाणा नेरइया कि कोहो वउत्ता? सत्तावीसं भंगा॥ २३२. एवं मिच्छदंसणे वि।। २३३. सम्मामिच्छदसणे असीतिभंगा। २३४. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव नेरइया कि नाणी,अण्णाणी? गोयमा! नाणी वि, अण्णाणी वि ! तिणि नाणाई नियमा । तिण्णि अण्णाणाई भयणाए। २३५. इमीसे ण भंते ! रयणप्पभाए जाव प्राभिनिबोहियनाणे वट्टमाणा नेरइया कि कोहोवउत्ता? सत्तावीसं भंगा ।। २३६, एवं तिपिण नाणाई, तिणि अण्णाणाई भाणियव्वाइं ।। २३७. इमीसे ण भंते ! रयणप्पभाए जाव' ने रइया कि मणजोगी? वइजोगी ? कायजोगी? तिणि वि।। २३८. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव' मणजोए वट्टमाणा नेरइया कि कोहो व उत्ता? सत्तावीसं भंगा । २३६. एवं वइजोए । २४०. एवं कायजोए।। २४१. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव नेरइया कि सागारोवउत्ता? अणागारो वउत्ता? गोयमा ! सागारोवउत्ता वि, अणागारोव उत्ता वि ।। २४२. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव" सहगारोवनोगे वट्टमाणा नेरइया कि कोहो वउत्ता? सत्तावीसं भंगा" ।। १. भ० १२१६ । २. भ० ११२२७॥ ३. भ० ११२१७॥ ४. भ० ११२१८ पादटिप्पण। ५. भ० ११२१६। ६. तिणि वि (ता)। ७. भ० ११२१७॥ ८. भ० ११२१७ । ६. भ. ११२१६ । १०. भ० ११२१७ । ११. भ० ११२१७1 १२. भ० ११२१६ । १३. अणगारोवउत्ता(अ); अगागारोवयुत्ता (ता)। १४ भ० ११२१७ । १५. भ० ११२१७ । Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ भगवई २४३. एवं प्रणागारोवउत्ते वि सत्तावीसं भंगा । २४४. एवं सत्त वि पुढबोनो नेयव्वाअो, नाणत्तं लेसासु ।। संगहणी-गाहा काऊ य दोसु, तइयाए मीसिया, नीलिया चउत्थीए। पंचमियाए मीसा, कण्हा तत्तो परमकण्हा ॥१॥ असुरकुमारादोरणं नारणादसासु कोहोवउत्तादि भंग-पदं २४५. च उसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमाराणं केवइया ठितिट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा ठितिढाणा पण्णत्ता। जहणिया ठिई जहा' ने रइया तहा, नवरं-पडिलोमा भंगा भाणियव्वा । सव्वे वि ताव होज्ज लोभोव उत्ता। अहवा लोभोवउत्ताय, मायोवउत्ते या अहवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ता य। एएणं गमेण नेयव्वं जाव थणियकुमारा, 'नवरं-नाणत्तं जाणियब्व" ।। २४६. असंखेज्जेसु णं भते ! पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइया वासंसि पुढविक्काइयाणं केवइया ठितिढाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा ठितिट्ठाणा पण्णत्ता तं जहा-जहणिया ठिई जाव' तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिई ॥ २४७. असंखेज्जेसु णं भंते ! पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइया वासंसि जण्णियाए ठितीए वट्टमाणा पुढविक्काइया कि कोहोवउत्ता? माणोवउत्ता ? मायोव उत्ता ? लोभोवउत्ता? गोयमा ! कोहोवउत्ता वि, माणोवउत्ता वि, मायोवउत्ता वि, लोभोवउत्ता वि। एवं पुढविक्काइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं, नवरं-तेउलेस्साए असीति भंगा ।। २४८. एवं ग्राउक्काइया वि॥ २४६. ते उक्काइय-वाउक्काइयाणं सब्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं । २५०. वणप्फइकाइया जहा पुढविक्काइया । १. भ० ११२१७ संस्थानलेश्यासूत्रेयु भवति (व) । २. भ० १।२११ । ६. भ० ११२१६ । ३. भ० ११२१६-२४३ । ७. भ० ११२१८ पादटिप्पण। ४. पू०प०२॥ ८. भ० ११२४७ ! ५. तच्च नारकारणामसुरकूमारादीनां च संहनन Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५ पढम सतं (छट्ठो उद्देसो) २५१. बेइंदिय-तेइंदिय-चरिंदियाणं जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं असीइभंगा तेहिं ठाणेहि असीई चेव, नवरं-अब्भहिया सम्मत्ते। आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे य एएहिं असीइभंगा। जेहिं ठाणेहिं ने रइयाणं सत्तावीसं भंगा तेसु ठाणेसु सव्वेसु अभंगयं ॥ २५२. पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियव्वा', नवरं-जेहिं सत्ता वीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्वं ॥ २५३. मणुस्सा वि । जेहिं ठाणेहि नेरइयाणं असीतिभंगा तेहि ठाणेहि मणुस्साण वि असीतिभंगा भाणियव्वा । जेसु सत्तावीसा तेसु अभंगयं, नवरं-मणुस्साणं अब्भहियं जहणियाए ठिईए, पाहारए य असीतिभंगा। २५४. वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया जहा भवणवासी, नवरं-नाणत्तं जाणियन्वं जं जस्स जाव अणुत्तरा !! २५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। छट्ठो उद्देसो सूरिय-पदं २५६. जावइयाओं णं भंते ! अोवासंतराम्रो उदयंते सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमाग च्छति, अत्थमंते वि य णं सूरिए तावतियानो चेव अोवासंतरामो चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति ? हंता गोयमा ! जावइयानो णं प्रोवासंतराम्रो उदयंते सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, अत्थमंते वि" •य णं सूरिए तावतियाश्रो चेव प्रोवासंतरामो चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति ।। २५७. 'जावइय णं", भंते ! खेत्तं उदयंते सूरिए प्रायवेणं सव्वो समंता अोभासेइ उज्जोएइ तबेइ पभासेइ, अत्थमंते वि य णं सूरिए तावइयं चेव खेत्तं प्रायवेणं सव्वनो समंता प्रोभासेइ ? उज्जोएइ ? तवेइ ? पभासेइ ? १. भ० श२१६-२४३ ।। ५. सं० पा०-वि जाव हव्व । २. कायन्वं जत्थ असीति तत्थ असीति चेव ६. जावइयाओ रणं (अ); जावइयाणं (ता); (अ)। जावइया रणं (म, स); स्वीकृतपाठे 'णं' ३. भ० ११५१ पदस्य योगे 'जावइय' पदस्य अनुस्वारलोपो ४. जावइया (अ) जातः। Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई हंता गोयमा ! जावतिय ण खेत्तं' उदयंते सूरिए प्रायवेणं सव्वलो समंता प्रोभासेइ उज्जोइए तवेइ पभासेइ, अत्थमते वि य ण सूरिए तावइयं चेव खेत्तं आयवेणं सव्वनो समता प्रोभासेइ उज्जोएइ तवेइ° पभासेइ ।। २५८. तं भंते ! किं पुटुं प्रोभासेइ ? अपुटुं प्रोभासेइ ? •गोयमा ! पुटुं प्रोभासे इ, नो अपुटुं॥ २५६. तं भंते ! कि प्रोगाढं प्रोभासेइ ? अणोगाढं प्रोभासेइ ? गोयमा ! प्रोगाढं प्रोभासेइ, नो अणोगाढं ।। २६०. तं भंते ! कि अणंतरोगाढं ओभासेइ ? परंपरोगाढं प्रोभासेइ ? गोयमा ! अणंतरोगाढं प्रोभासेइ, नो परंपरोगाढं । २६१. तं भंते ! किं अणु प्रोभासेइ ? बायरं प्रोभासेइ ? गोयमा ! अणु पि अोभासे इ, वायरं पि प्रोभासेइ ।। २६२. तं भंते ! कि उड्ढं प्रोभासेइ ? तिरियं प्रोभासेइ ? अहे प्रोभासेइ ? गोयमा ! उड्ढं पि अोभासेइ, तिरियं पि प्रोभासे इ, अहे पि अोभासेइ ।। २६३. तं भंते ! कि आई प्रोभासेइ ? मज्झे अोभासेइ ? अंते अोभासेइ ? गोयमा ! आई पि प्रोभासेइ, मझे पि अोभासेइ, अंते पि ओभासेइ ।। २६४. तं भंते ! कि सविसए प्रोभासेइ ? अविसए प्रोभासेइ ? गोयमा ! सविसए अोभासेइ, नो अविसए ।।। २६५. तं भंते ! किं आणुपुब्बि ओभासेइ ? अणाणुपुदिव प्रोभासेइ ? गोयमा ! आणुपुटिव प्रोभासेइ, नो अणाणपुट्वि ।। २६६. तं भंते ! कइदिसिं प्रोभासेइ ? गोयमा ! नियमा छद्दिसि प्रोभासेइ । २६७. एवं-उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ ।। फुसरणा-पदं २६८. से नणं भंते ! सव्वंति सव्वावंति फुसमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतियं फुसमाणे पुढे त्ति वत्तव्वं सिया? हंता गोयमा ! सवंति' 'सव्वावंति फुसमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ तावतियं फुसमाणे पुढे त्ति वत्तव्वं सिया ।।। २६६. तं भंते ! किं पुढें फुसइ ! ? अपुढे फुसइ ? गोयमा ! पुढे फुसइ, नो अपुढे जाव' नियमा छद्दिसिं फुसइ । १. सं० पा०-खेत जाव पभासेइ। सारि चापि न दृश्यते, किन्तु सर्वासु प्रतिषु २. सं० पा०-ओभासेइ जाव छदिसि । उपलब्धमस्ति । ३. सं० पा०-सव्वंति जाव वत्तव्वं ! ५. भ० ११२५८-२६६ । ४. एतत् सूत्रं वृत्तो व्याख्यातं नास्ति, प्रकरणान Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७ पढमं सतं (छट्टो उद्देसो) २७०. लोयंते भंते ! अलोयतं फूसइ ? अलोयंते वि लोयंत फूसइ ? हंता गोयमा ! लोयंते अलोयंतं फुसइ, अलोयंते वि लोयंतं फुसइ ।। २७१. तं भंते ! कि पूढे फुसइ ? अपुष्टुं फुसइ ? गोयमा ! पुढे फुसइ, नो अपुढे जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ।। २७२. दीवंते भंते ! सागरंतं फुसइ ? सागरते वि दीवंतं फुसइ ? हंता गोयमा ! दीवंते सागरंतं फुसइ, सागरते वि दीवंतं फुसइ जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ॥ २७३. 'उदयंते भंते ! पोयंत फुसइ ? पोयते वि उदयंत फुसइ ? हंता गोयमा ! उदयंते पोयतं फुसइ, पोयंते उदयंतं फुसइ जावं नियमा छद्दिसि फुसइ॥ २७४. छिदंते भंते ! दूसंतं फुसइ ? दूसते वि छिदंतं फुसइ ? हंता गोयमा ! छिदंते दूसंतं फुसइ, दूसते वि छिइंतं फुसइ जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ।। २७५. छायंते भंते ! आयवंतं फुसइ ? प्रायवंते वि छायंतं फुसइ ? हंता गोयमा ! छायंते आयवंतं फुसइ, प्रायवंते वि छायंतं फुसइ जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ।। किरिया-पदं २७६. अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाए णं किरिया कज्जइ ? हंता अस्थि ।। २७७. सा भंते ! कि पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ जाव' निव्वाघाएणं छद्दिसि, वाघायं पडुच्च सिया तिदिसिं, सिया चउदिसिं, सिया पंचदिसि ।। २७८. साभंते ! कि कडा कज्जइ? अकडा कज्जइ? गोयमा! कडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ ।। २७६. सा भंते ! किं अत्तकडा कज्जइ ? परकडा कज्जइ ? तदुभयकडा कज्जइ ? गोयमा ! अत्तकडा कज्जइ, नो परकडा कज्जइ, नो तदुभयकडा कज्जइ !! २८०. सा भंते कि 'पाणुपुब्धि कडा कज्जइ ? अणाणुपुब्बि कडा कज्जइ ? __गोयमा ! प्राणुपुब्धि कडा कज्जइ, नो अणाणुपुवि कडा कज्जइ । जा य १. भ० ११२५८-२६६ । ४. पोदंतं (क, ता, ब, म, स)। २. भ० १२५८-२६६ । ५, ६, ७, भ० १२५८-२६६ । ३. सं० पा०—एवं एएवं अभिलावेरणं उदयंते ८. भ० १०२५६-२६६ । पोयंत छिहते दूसंतं छायंते आयवंतं जाव ६. पारगपुश्विकडा (अ, क, ब)। नियमा। Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ भगवई कडा कज्जइ, जाय कज्जिस्सर, सब्वा सा ग्राणुपुव्विं कडा, नो प्रणाणुपुव्वि 'कडा ति" वत्तव्वं सिया || २८१. अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं पाणाइवायकिरिया कज्जइ ? हंता प्रत्थि || २८२. सा भंते! किं पुट्ठा कज्जइ ? गोमा ! २८३. सा भंते! अट्ठा कज्जइ ? पुट्ठा कज्जइ, नो प्रपुठ्ठा कज्जइ जाव' नियमा छद्दिस कज्जइ ॥ किं कडा कज्जइ ? कडा कज्जइ ? गोयमा ! कडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ ॥ २८४. तं चैव जाव' नो प्रणाणुपुठिंव कडा ति वत्तव्वं सिया || २८५. जहा नेरइया तहा एगिंदियवज्जा भाणियव्वा जाव' वेमाणिया । एगिदिया जहा जीवा तहा भाणियव्वा ॥ २८६. जहा पाणाइवाए तहा मुसावाए तहा प्रदिण्णादाणे, मेहुणे, परिग्गहे, कोहे, ' •माणे, माया, लोभे, पेज्जे, दोसे, कलहे, श्रब्भक्खाणे, पेसुण्णे, परपरिवाए, रतिरती, मायामोसे, मिच्छादंसणसल्ले-- एवं एए अट्ठारस । चउवीसं दंडगा भाणियव्वा ॥ २८७ सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति जाव' विहरति ॥ रोहस्स पह पर्द २८८. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवन महावीरस्स अंतेवासी रोहे णामं अणगारे पगइभहुए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे" मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे" विणीए समणस्स भगवओो महावीरस्स अदूरसामंते उड्डुंजाणू होसिरे भाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ १. कडा इति ( क ) ; कड ति ( ब, स ) । २. भ० ११२५६-२६६ । ३. भ० १।२७६, २८० । ४. भ० ११२८१-२५४ | ५. पू० प० २ । ६. भ० १।२७६-२८० । ७. भ० ११२७६-२८५ । ८. सं० पा० - कोहे जाव मिच्छादंसर सल्ले । ६. भ० १।५११ १०. ० भए पगइमउए पगइविणीए (अ क, ता. ब, म, स, 1 ११. ० माय ० ( ता ) | १२. ० संपुणे (स) । १३. आली भट्टए ( अ, क, ब); अल्ली भद्दए (ता, म, स, वृ ) | आदर्शषु वृत्तौ च 'पगइभद्दए' इतः समादाय 'विणीए' एतदंतानि सर्वाण्यपि पदानि वर्तन्ते, किन्तु औपपातिक ( ६१, ११६) सूत्रस्य संदर्भ 'पगइमउए पगइविरणीए भद्दए' एतानि atरिण पदानि द्विरुक्तानि सन्ति, तानि पाठान्तरे गृहीतानि । द्रष्टव्यं भ० २१७० सूत्रस्य पादटिप्पणम् । Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ पढमं सतं (छट्ठो उद्देसो) २८६. ततेणं से रोहे अणगारे' जायसड्ढे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वदासी--- २६०. पुब्वि भंते ! लोए, पच्छा अलोए ? पुटिव अलोए, पच्छा लोए ? रोहा ! लोए य अलोए य पुन्वि पेते, पच्छा पेते'-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुब्बी एसा रोहा ।। २९१. पुदि भंते ! जीवा, पच्छा अजीवा ? पुवि अजीवा, पच्छा जीवा ? • रोहा ! जीवा य अजीवा य पुदि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुत्वी एसा रोहा ! २६२. पुब्बि भंते ! भवसिद्धिया, पच्छा प्रभवसिद्धिया ? पुर्दिय अभवसिद्धिया, पच्छा भवसिद्धिया ? रोहा ! भवसिद्धिया य, अभवसिद्धिया य पुब्बि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुत्वी एसा रोहा! । २६३. पुवि भंते ! सिद्धि, पच्छा प्रसिद्धी ? पुट्वि प्रसिद्धी, पच्छा सिद्धी ? रोहा! सिद्धी य असिद्धी य पुब्वि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा ! २६४. पून्त्रि भंते ! सिद्धा, पच्छा असिद्धा ? पुग्वि प्रसिद्धा, पच्छा सिद्धा ? रोहा! सिद्धा य असिद्धा य पुटिव पेते, पच्छा पेते -दो वेते सासया भावा, प्रणाणुपुत्वी एसा रोहा ! • २९५. पुटिव भंते ! अंडए, पच्छा कुक्कुडी ? पुटिव कुक्कुडी, पच्छा अंडए ? रोहा ! से ण अंडए कसो ? भयवं ! कुक्कुडीओ। साणं कुक्कुडी को? भंते ! अंडयाओ। एवामेव रोहा ! से य अंडए, सा य कुक्कुडी पुटिव पेते, पच्छा पेते–'दो वेते' सासया भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा ! २६६. पूटिव भंते ! लोयंते, पच्छा अलोयंते ? पव्वि अलोयंते, पच्छा लोयते ? रोहा ! लोयते य अलोयंते य 'पुट्वि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा', अणाणुपुन्वी एसा रोहा ! १. भगवं अणगारे (क, ब); अणगारे भगवं जीवा य अजीवा य । एवं भवसिद्धिया य अभवसिद्धिया य सिद्धी असिद्धी सिद्धा असिद्धा। २. भ०१।१०। ५. भवसिद्धीया (क, ता, स)। ३. वेते (ता)। ६. दुवेए (स)। ४. सं० पा०-जहेव लोए य अलोए य तहेव ७. सं० पा०-य जाव अगाणपुवी Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २६७. पुचि भंते ! लोयंते, पच्छा सत्तमे अोवासंतरे ? "पुब्बि सत्तमे अोवासंतरे, पच्छा लोयंते ? रोहा ! लोयंते य सत्तमे अोवासंतरे य पब्दि पेते', •पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा°, अणाणुपुन्वी एसा रोहा ! २६८. एवं लोयंते य सत्तमे य तणुवाए। एवं घणवाए, घणोदही, सत्तमा पुढवी । एवं लोयंते एक्केकेणं संजोएतव्वे इमेहि ठाणेहि, तं जहासंगहरणी-गाहा अोवास-वात-घणउदहि-पुढवि-दीवा य सागरा वासा। नेरइयादि' अस्थिय, समया कम्माइ लेस्साप्रो ॥१॥ दिट्ठी दंसण-नाणे, सण्ण-सरीरा य जोग-उवनोगे। दव्व-पएसा-पज्जव, प्रद्धा कि पुटिव लोयते ॥२॥ २६६. "पुचि भंते ! लोयंते, पच्छा अतीतद्धा ? पुट्वि अतीतद्धा, पच्छा लोयंते ? रोहा ! लोयंते य अतीतद्धा य पुटिव पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा ! ३००. पुवि भंते ! लोयंते, पच्छा अणागतद्धा ? पुब्वि अणागतद्धा, पच्छा लोयंते ? रोहा ! लोयंते य अणागतद्धा य पुटिव पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा! ३०१. पुवि भंते ! लोयंते, पच्छा सव्वद्धा ? पुव्विं सव्वद्धा, पच्छा लोयते ? रोहा ! लोयंते य सव्वद्धा य पुटिव पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा ! • ३०२. जहा लोयंतेणं संजोइया सव्वे ठाणा एते, एवं अलोयतेण वि संजोएतव्वा सव्वे ।। ३०३. पुटिव भंते ! सत्तमे प्रोवासंतरे, पच्छा सत्तमे तणुवाए ? 'पुन्वि सत्तमे तणुवाए, पच्छा सत्तमे अोवासंतरे ? रोहा ! सत्तमे ओवासंतरे य सत्तमे तणुवाए य पुदि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा ! ० ३०४. एवं सत्तमं प्रोवासंतरं सव्वेहि समं संजोएतव्वं जाव सव्वद्वाए। ३०५. पवि भंते ! सत्तमे तणुवाए ? पच्छासत्तमे घणवाए ? 'पुवि सत्तमे घणवाए, पच्छा सत्तमे तणुवाए ? १. सं० पा०—पुच्छा। ६. भ० ११२६७-३०१ । २. सं० पा०--पेते जाव अरणाणपुवी। ७. सं० पा०-तणुवाए। ३. चउवीसं दंडगा। ४. कम्माइं (अ, क, ब, म, स)। ८. भ० श२६८-३०१! ५. सं० पा०---पुवि भंते ! लोयते पच्छा ६. सं० पा० घणवाए । सव्वदा। Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (छट्टो उद्देसो) रोहा ! सत्तमे तणुवाए य सत्तमे घणवाए य पुचि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा, अणाणुपुन्वी एसा रोहा ! • ३०६. एवं तहेव नेयव्वं जाव' सव्वद्धा ।। ३०७. एवं उवरिल एक्केक्कं संजोयंतेणं, जो जो हिटिल्लो तं तं छडूंतेणं नेयव्वं जाव' अतीत-अणागतद्धा, पच्छा सव्वद्धा जाव' अणाणुपुन्वी एसा रोहा ! ३०८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ॥ लोयटिठति-पदं ३०६. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं जाव' एवं वयासी३१०. कतिविहा णं भंते ! लोयट्रिती पण्णत्ता? गोयमा ! अढविहा लोयट्ठिति पण्णत्ता, तं जहा–१. अागासपइट्ठिए वाए। २. वायपइट्ठिए उदही। ३. उदहिपइट्टिया पुढवी। ४. पुढविपइट्ठिया तसथावरा पाणा । ५. अजीवा जीवपइट्ठिया । ६. जीवा कम्मपइद्विया। ७. अजीवा जीवसंगहिया । ८. जीवा कम्मसंगहिया ।। से' केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-अट्टविहा लोयट्टिती जाव जीवा कम्मसंगहिया ? गोयमा! से जहाणामए केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ', वत्थिमाडोवेत्ता उप्पि सितं बंधइ, बंधित्ता मज्झे गठि बंधइ, बंधित्ता उवरिल्लं गठि मयइ, मइत्ता उरिल्ल देसं वामेइ, वामेत्ता उवरिल्लं देसं 'ग्राउयायस्स पूरेइ , पूरेत्ता उप्पि सितं बंधइ, बंधित्ता मज्झिल्लं गठि मुयइ । से नूणं गोयमा! से आउयाए तस्स वाउयायस्स उप्पि उवरिमतले चिट्ठइ ? हंता चिट्टइ। से तेणगुणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-अट्ठविहा लोयट्टिती जाव जीवा कम्मसंगहिया । से जहा वा केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ, वत्थिमाडोवेत्ता कडीए बंधइ, बंधित्ता अत्थाहमतारमपोरुसियंसि२ उदगंसि प्रोगाहेज्जा । से नूणं गोयमा ! से पुरिसे तस्स आउयायस्स उवरिमतले चिट्ठइ ? हंता चिट्टइ। एवं वा अविहा लोयट्टिई जाव जीवा कम्मसंगहिया ।। १. एवं पि (क, ता, व, म, स)। ७. भ० ११३१० । २. भ० ११२६८-३०१। ८. बत्थि (क)। ३. भ० ११२६५-३०१ । ६. मज्झिलं (ब)। ४. भ० ११३०१ १०. आउयाए संपूरेइ (अ)। ५. भ० ११५१। ११. चेट्ठइ (अ); चेष्टति (ब)। ६. भ० ११०। १२. अत्थाहमपार ° (वृपा)। Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ जीव-पोग्गल पदं ३१२. प्रत्थि णं भंते ! जीवा य पोग्गला य अण्णमण्णबद्धा, अण्णमण्णपुट्ठा, ग्रण्णमण्णमोगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धा, अण्णमण्णधडत्ताए चिट्ठति ? हंता थि || ३१३. से केणट्टेणं भंते' ! एवं वुच्चइ - प्रत्थि णं जीवा य पोगला य प्रष्णमण्णवृद्धा, अण्णमण्णपुट्ठा, अण्णमण्णमोगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धा, अण्णमण्णघडत्ताए • चिट्ठति ? गोयमा ! से जहाणामए हरदे सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरघडत्ताए चिट्ठइ | अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरदंसि एवं महं नावं सयासर्व सयछिद्दं प्रोगाहेज्जा | से नूणं गोयमा ! सा नावा तेहि प्रसवदारेहिं प्रपूरमाणी-प्रापूरमाणी पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभर घडत्ताए चिट्ठइ ? हंता चिट्ठइ । सिरोहकाय-पदं ३१४. प्रत्थि णं भंते! सदा समितं सुहुमे सिणेहकाए पवडइ ? हंता प्रत्थि ॥ से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - प्रत्थि णं जीवा य' पोग्गला यग्रण्णमण्णबद्धा, अण्णमण्णपुट्ठा, ग्रण्णमण्णमोगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिवद्धा, अण्णnorasत्ताए • चिट्ठति ॥ ० ? ३१५. से भंते! कि उड्ढे पवडइ' ? हे पवडइ ? तिरिए पवडइ गोमा ! उड्ढे वि पवडइ, हे वि पवडइ, तिरिए वि पवडइ ॥ ३१६. जहा से बायरे प्राउयाए अण्णमण्णसमाउत्ते चिरं पि दोहकालं चिट्ठइ तहाणं सेवि ? भगवई णो इट्टे समट्टे । से णं खिप्पामेव विद्वंसमागच्छइ । ३१७ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ॥ १. सं० पा० - भंते जाव चिट्ठेति । २. महा (ता) । ३. सदा ० ( अ, क, ता, ब, स ) । ४. सदाखिडु ( अ ) ; सतछिड (ता) : सदछिड (व) । ५. सं० पा०--य जाब चिट्ठति । ६. पडइ ( अ, ब ) | ७. भ० ११५१ । Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (सत्तमो उद्देसो) सत्तमो उद्देसो देस-सव्व-पदं ३१८. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे, किं-१. देसेणं देसं उववज्जइ ? २. देसेणं सव्वं उववज्जइ ? ३. सब्वेणं देस उववज्जइ ? ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं उववज्जइ । २. नो देसेणं सव्वं उवबज्जइ 1 ३. नो सव्वेणं देसं उववज्जइ। ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ ।। ३१६. जहा नेरइए, एवं जाव वेमाणिए ।। ३२०. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे, कि-१. देसेणं देसं आहारेइ ?२. देसेणं सव्वं आहारेइ ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ ? ४. सवेणं सव्वं आहारेइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं आहारेइ। २. नो देसण सव्वं आहारेइ । ३. सव्वेणं वा देसं आहारेइ । ४. सव्वेणं वा सव्वं प्राहारेइ ।। ३२१. एवं जाव' वेमाणिए। ३२२. नेरइए णं भंते ! नेरइएहितों उब्वट्टमाणे, किं–१. देसेणं देसं उव्वट्टइ ? २. " देसेणं सव्वं उव्वट्टइ ? ३. सव्वेणं देसं उब्वट्टइ ? ४. सब्वेणं सव्वं उब्वट्टइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं उव्वट्टइ । २. नो देसेण सव्वं उव्वइ । ३. नो सब्वेणं देसं उव्वट्टइ। ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ ।। ३२३. एवं जाव वेमाणिए।।। ३२४. नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उवट्टमाणे, किं-१. देसेणं देसं पाहारेइ ? २. देसेणं सव्वं आहारेइ ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ ? ४. सव्वेणं सव्वं प्राहारेइ ? गोयमा! १. नो देसेणं देसं आहारेइ । २. नो देसेणं सव्वं प्राहारेइ। ३. सव्वेणं वा देसं पाहारेइ । ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ ।। १. पू० प० २। जाव वेमाणिया । नेरइए णं भंते ! नेरइएस २. पू०प०२ उववणे कि देसेग देसं उववष्णे एसो वि ३. वेमागिया (म)। तहेव जाव सन्धेरणं सव्वं उववण्णे। जहा ४. नेरइएसु (ता, म)। उववज्जमाणे उच्वट्टमाणे य चत्तारि दंडगा ५. सं०पा०—जहा उववज्जमाणे तहेव उव्वट्ट- तहा उववष्णेणं उब्वट्टेरग वि चत्तारि दंडगा माणे वि दंडगो भारिण्यव्यो। नेरइए भारिणयवा-सवेरा सव्वं उववष्णे, सवेरा भंते ! नेरइएहितो उव्वट्टमाणे कि देसेरण वा देसं पाहारेइ, सब्वेण वा सव्व आहारेइ । देसं आहारेइ तहेव जाव सव्वेण वा देस एएणं अभिलावणं उववण्णे वि उबट्टे वि आहारेइ । सब्वेण वा सव्वं आहारेइ। एवं नेयव्वं । Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४ भगवई ३२५. एवं जाव वेमाणिए ॥ ३२६. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववण्णे, किं–१. देसेणं देसं उववण्णे ? २. देसेणं सव्वं उववण्णे ? ३. सव्वेणं देसं उबवणे? ४. सव्वेणं सव्वं उववण्णे ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं उववण्णे । २. नो देसेणं सव्वं उववण्णे। ३. नो सव्वेणं देसं उववण्णे । ४. सव्वेणं सव्वं उववण्णे ।। ३२७. एवं जाव वेमाणिए । ३२८. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववणे, किं-१. देसेणं देसं आहारेइ ? २. देसेणं सव्वं पाहारेइ? ३. सव्वेणं देसं पाहारेइ ? ४. सव्वेणं सव्वं प्राहारेइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं पाहारेइ । २. नो देसेणं सब्वं प्राहारेइ। ३. सव्वेणं वा देसं आहारेइ । ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ ।। ३२६. एवं जाव वेमाणिए ।। ३३०. नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उव्वट्टे, किं-१. देसेणं देसं उव्वट्टे ? २. देसेणं सव्वं उव्वट्टे ? ३. सव्वेणं देसं उव्वट्टे ? ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टे ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं उन्वट्टे । २. नो देसेणं सध्वं उव्वट्टे । ३. नो सन्वेणं देसं उव्वट्टे । ४. सव्वेणं सव्वं उब्वट्टे ॥ ३३१. एवं जाव वेमाणिए । ३३२. नेरइए णं भंते ! नेरइएहिंतो उबट्टे, किं- १. देसेणं देसं आहारेइ ? २. देसेणं सव्वं आहारेइ ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ ? ४. सव्वेणं सव्वं आहारेइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं आहारेइ । २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ । ३. सव्वेणं वा देसं पाहारेइ । ४. सव्वेणं वा सव्वं प्राहारेइ ।। ३३३. एवं जाव वेमाणिए ।' ३३४. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे, किं-१. अद्धेणं अद्धं उववज्जइ ? २. अद्धेणं सव्वं उववज्जइ ? ३. सव्वेणं अद्धं उववज्जइ ? ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ ? जहा पढमिल्लेणं अटठदंडगा तहा अ ण विटठ दंडगा भाणियव्वा. नवरंजहिं देसेणं देसं उववज्जइ, तहिं अद्धेणं अद्धं उववज्जइ इति भाणियव्वं, एयं नाणत्तं । एते सव्वे वि सोलस दंडगा भाणियव्वा ।। विगहगइ-पदं ३३५. जोवे णं भंते ! कि विग्गहराइसमावण्णए ? अविग्गगइसमावण्णए ? गोयमा ! सिय विग्गहगइसमावण्णए, सिय अविरगहगइसमावण्णए ।। १. अस्मिन्नालापके वत्तिकृता पाठान्तरस्य दंडको ततस्तूत्पादप्रतिपक्षत्वादुद्वर्तनाया उल्लेखः कृतोस्ति-'पुस्तकान्तरे तूत्पादतदा- उद्वर्त्तनातदाहारदंडको उद्वर्तनायां चोवृत्तः हारदंडकानन्तरमुत्पादे सत्युत्पन्नतदाहार- स्यादित्युवृत्ततदाहारदंडकौ (व)। Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढनं सतं (सत्तमो उद्देसो) ३३६. एवं जाव' वेमाणिए। ३३७. जीवा णं भंते ! कि विग्गहगइसमावण्णया ? अविग्गहराइसमावण्णया ? गोयमा ! विग्गहगइसमावण्णगा वि, अविग्गहगइसमावण्णगा वि ॥ ३३८. नेरइया णं भंते ! कि विग्गहगइसमावण्णगा? अविग्गहग इसमावण्णगा? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्ज अविग्गहगइसमावण्णगा । अहवा अविगहगइसमावण्णगा, विग्गगइसमावण्णगे य । अहवा अविग्गहगइसमावण्णगा य, विग्गगइसमावण्णगा य। एवं जीव-एगिदियवज्जो तियभंगो। प्रायु-पदं ३३६. देवे णं भंते ! महिड्ढिए महज्जुइए महब्बले महायसे महेसक्खे महाणभावे अविउक्कंतियं चयमाणे किंचिकाल' हिरिवत्तिय दुगंछावत्तियं परीसहवत्तियं' आहारं नो आहारेइ । अहे णं आहारेइ आहारिज्जमाणे पाहारिए, परिणामिज्जमाणे परिणामिए, पहीणे य आउए भवइ । जत्थ उववज्जइ तं आउयं पडिसंवेदेइ, तं जहा—तिरिक्खजोणियाउयं वा, मणुस्साउयं वा ? हंता गोयमा! देवेणं महिड्ढिए' 'महज्जुइए महब्बले महायसे महेसक्खे महाणभावे अबिउक्कतियं चयमाणे किंचिकाल हिरिवत्तियं दुगंछावत्तियं परीसहवत्तियं आहारं नो पाहारेइ । अहे णं आहारेइ पाहारिज्जमाणे आहारिए, परिणामिज्जमाणे परिणामिए, पहीणे य आउए भवइ । जत्थ उववज्जइ तं आउयं पडिसंवेदेइ, तं जहा-तिरिक्खजोणियाउयं वा ° मणुस्साउयं वा । गन्म-पदं ३४०. जोवे णं भंते ! गभं वक्कममाणे किं सइंदिए वक्कमइ ? अणिदिए वक्कमह? गोयमा ! सिय सइंदिए वक्कमइ । सिय अणिदिए वक्कमइ ।। ३४१. से केण→णं भंते ! एवं बुच्चइ-सिय सइंदिए वक्कमइ ? सिय अणिदिए वक्कमइ ?. गोयमा ! दविदियाइं पडुच्च अणिदिए वक्कमइ । भाविदियाइं पड़च्च सइंदिए वक्कमइ । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वच्चइ-सिय सइंदिए वक्कमइ । सिय अणिदिए वक्कमइ ॥ १. पू०प०२। २. महड्ढिए (क)। ३. महासुक्खे (अ); महासोक्खे (म, वृपा) ! ४. चयं चयमारणे (अ, ता, ब, म, स, वृपा) । ५. कचि (ता)। ६. हिरिवित्तियं (स)। ७. परिस्सह ° (क, ता, स)। ८. सं० पा०-महिढिए जाव मस्साउयं । Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ भगवई ३४२. जीवे णं भंते ! गम्भं वक्कममाणे किं ससरीरी वक्कमइ, अस रीरी बक्कमइ ? गोयमा ! सिय ससरीरी वक्कमइ । सिय असरीरी बक्कमइ ।। ३४३. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी वक्कमइ ? सिय ग्रसरीरी वक्कमइ ? गोयमा ! पोरालिय-वे उदिव्य-आहारयाई पडुच्च असरीरी वक्कमइ। तेया-कम्माइं पडुच्च ससरीरी वक्कमइ । से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ सिय ससरीरी वक्कमइ । सिय असरीरी वक्कमइ ।।। ३४४. जीदे णं भंते ! गभं वक्कममाणे तप्पढमयाए किमाहारमाहारेइ ? गोयमा! माउनोयं पिउसुक्क-तं तदुभयसंसिट्ठ तप्पढमयाए प्राहार माहारेइ॥ ३४५. जीवे णं भंते ! गभगए समाणे किं पाहारमाहारेइ ? गोयमा ! जं से माया नाणाविहाओ रसविगतीनो आहारमाहारेइ, तदेकदेसेणं पोयमाहारेइ ।। जीवस्स णं भंते ! गभगयस्स समाणस्स अस्थि उच्चारे इ वा पासवणे इ वा खेले इ वा सिंघाणे इ वा 'वंते इ वा पित्ते इ वा" ? णो इणठे समठे ।। ३४७. से केणटठेणं ? गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे जमाहारेइ तं चिणाइ, तं जहा -सोइंदियत्ताए, 'चविखंदियत्ताए, घाणिदियत्ताए, रसिदियत्ताए°, फासिदियत्ताए, अट्ठि-अट्ठिमिज-केस-मंसु-रोम-नहत्ताए। से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्च इ-जीवस्स णं गब्भगयस्स समाणस्स णत्थि उच्चारे इ वा पासवणे इ वा खेले इ वा सिंघाणे इ वा वंते इ वा पित्ते इ वा ।। ३४८. जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे पभू मुहेणं कावलियं आहारमाहारित्तए ? गोयमा ! णो इणठे समझें ।। ३४६. से केपटठेणं? गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे सव्वनो आहारे इ, सव्वनो परिणामेइ, सव्वरो उस्ससइ, सव्वनो निस्ससइ; अभिक्खणं पाहारेइ, अभिक्खणं परिणामेइ, अभिक्खणं उस्ससइ, अभिक्खणं निस्ससइ; पाहच्च प्राहारेइ, पाहच्च परिणामेइ, पाहच्च उस्सस इ, पाहच्च निस्ससइ। १. आहारादी (अ, ब); आहाराई (ता, स)। २. संसिट्ठ कलुस किविसं (अ, क, म, स)। ३. रसवतीओ (अ, के, व, म); रसवित्तीओ (ता)। ४. x (अ, क, ता, ब) एते पदे वृत्तावपिन व्याख्याते । ५. सं०पाल-सोइदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए। ६. नीससति (अ, क, ता, म, स)। Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७ पढम सतं (सत्तमो उद्देसो) माउजीवरसहरणी, पुत्तजीवरसहरणी, माउजीवपडिवद्धा पुत्तजीवफुडा'--तम्हा पाहारेइ, तम्हा परिणामेइ । अवरा वि य ण पुत्तजीवपडिवद्धा माउजीवफुडा----तम्हा चिणाइ, तम्हा उवचिणाइ । से तेणठेण" *गोयमा ! एवं वुच्चइ-जोवे णं गभगए समाणे ° नो पभू मुहेणं कावलियं आहारमाहारित्तए॥ माइय-पेइय-अंग-पदं ३५०. कइ णं भंते ! माइयगा पण्णत्ता? गोयमा ! तो माइयंगा पण्णत्ता, तं जहा-~मसे, सोणि, मत्युलगे ।। ३५१. कइणं भते ! पेतियंगापण्णता? गोयमा ! तो पेतियंगा पण्णता, तं जहा-अट्ठि, अमिजा, केस-मंसु. रोम-नहे। ३५२. अम्मापेइएणं भंते ! सरीरए केवइयं काल संचिट्ठइ ? गोयमा ! जावइयं से कालं भवधारणिज्जे सरीराए अव्वावन्ने भवइ एवतियं कालं संचिठ्ठइ, अहे णं समए-समए वोयसिज्जमाणे-वोयसिज्जमाणे चरिम कालसमयसि वोच्छिण्णे भवइ ।। गब्भस्स नरगगमरण-पदं ३५३. जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे ने रइएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ।।। ३५४. से केणठेणं भंते ! एवं बुच्चइ–अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा? गोयमा ! से ण सण्णी पंचिदिए सव्वाहि पज्जत्तीहि पज्जत्तए वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए पराणीयं प्रागयं सोच्चा निसम्म पएसे निच्छुभइ, निच्छभित्ता वेब्वियसमुग्धारण समोहण्णइ, समोहणित्ता चाउरंगिणि सेण विउव्वइ, विउव्वित्ता चाउरंगिणीए सेणाए पराणीएण सद्धि संगाम संगामेइ । से णं जीवे अत्थकामए रज्जकामए भोगकामए कामकामए, अत्थकंखिए रज्जकंखिए भोगकखिए काम कखिए, अत्थपिवासिए रज्जपिवासिए भोगपिवासिए कामपिवासिए, तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदज्झवसिए तत्तिव्वज्झव साणे तदोवउत्ते तदप्पियकरणे तब्भावणाभाविए, एयंसि णं अंतरंसि कालं १. पुत्तजीवं फुडा (वृ)। ६. . पिइए (अ, म, स)। २. माउजीवं फुडा (वृ)। ७. निसम्मा (ता)। ३. सं० पा०-तेराटठेणं जाव नो। ८. समोहणइ (अ, स)। ४. • लुए (अ, क, स); ० लिंगे (म)। ६. सेण्णं (क, ता, ब, म, स)। ५. पितियंगा (अ, म, स)। Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई करेज्ज नेरइएसु उववज्जइ । से तेणठेणं गोयमा ! • एवं वुच्चइ-अत्थेगइए उववज्जेज्जा , अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ।। गब्भस्स देवलोगगमण-पदं ३५५. जीवे णं भंते ! गभगए समाणे देवलोगेसु उबवज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए. उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ॥ ३५६. से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ–अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा? गोयमा ! से णं सपणी पचिदिए सव्वाहि पज्जत्तीहि पज्जत्तए तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि प्रारियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म तनो भवइ संवेगजायसड्ढे तिव्वधम्माणुरागरते। से णं जीवे धम्मकामए पुण्णकामए सम्गकामए मोक्खकामए, धम्मकंखिए पुण्णकंखिए सग्गकखिए मोक्खकंखिए, धम्मपिवासिए पुण्णपिवासिए सग्गपिवासिए मोक्खपिवासिए, तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदभवसिए तत्तिव्वझवसाणे तदट्ठोव उत्ते तदप्पियकरणे तब्भावणाभाविए, एयंसि णं अंतरंसि कालं करेज्ज देवलोगेसु उववज्जइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ–अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ।। ३५७. जोवे णं भंते ! गब्भगए समाणे उत्ताणए वा पासल्लए वा अंवखुज्जए वा अच्छेज्ज वा ? चिठेज्ज वा ? निसीएज्ज वा ? तुयट्टेज्ज वा ? माउए सुयमाणीए" सुवइ ? जागरमाणीए जागरइ ? सुहियाए सुहिए भवइ ? दुहियाए दुहिए भवइ हंता गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे 'उत्ताणए वा पासल्लए वा अंबखुज्जए वा अच्छेज्ज वा चिट्ठज्ज वा निसीएज्ज वा तुयट्टेज्ज वा। माउए सुयमाणीए सुवइ, जाग रमाणोए जागरइ, सुहियाए सुहिए भवइ ° दुहियाए दुहिए भवइ । अहे णं पसवणकालसमयसि सोसेण वा पाएहि वा आगच्छति सममागच्छति', तिरियमागच्छति विणिहायमाबज्जति । वण्णवज्झाणि य से कम्माई बद्धाइं पुट्ठाई निहत्ताई कडाई पट्ठवियाई अभिनिविट्ठाइं अभिसमण्णागयाइं उदिण्णाईनो उवसंताई भवंति, १. सं० पा०-गोयमा जाव अत्थे । २. • जाइसड्ढे (ब, स)। ३. उत्ताणे (ता)। ४. पोसल्लए (अ); पासिल्लए (क); पासल्लिए (ता, म)। ५. सुवमागीए (क, ता, म)। ६. सं० पा०-समाणे जाव दुहियाए । ७. सम्ममा ० (अ, ब, स, पा) । Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (अट्ठमो उद्देसो) तनो भवइ दुरूवे दुवण्णे 'दुग्गंधे दुरसे' दुफासे अणिठे अकते अप्पिए असुभे अमणुण्णे अमणामे होणस्सरे दीणस्सरे अणिट्ठस्सरे अकंतस्सरे अप्पियस्सरे असुभस्सरे अमणुण्णस्सरे अमणामस्सरे 'अणाएज्जवयणे पच्चायाए" या वि भव। वण्णवज्झाणि य से कम्माइं नो बद्धाइं 'नो पुट्ठाइं नो निहत्ताइं नो कडाइं नो पठ्ठवियाई नो अभिनिविट्ठाई नो अभिसमण्णागयाइं नो उदिण्णाई-उवसंताई भवंति, तो भवइ सुरूवे सुवण्णे सुगंधे सुरसे सुफासे इठे कंते पिए सुभे मणुण्णे मणामे अहीणस्सरे अदीणस्सरे इगुस्सरे कंतस्सरे पियस्सरे सुभस्सरे मणुण्णस्सरे मणामस्सरे 'प्रादेज्जवयणे पच्चायाए* या वि भवइ ।। ३५८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। अट्ठमो उद्देसो बालस्स पाउय-पदं ३५६. एगंतबाले णं भंते ! मणुस्से कि नेरइयाउयं पकरेति ? तिरिक्खाउयं पकरेति ? मणुस्साउयं पकरेति ? देवाउयं पकरेति ? ने रइयाउयं किच्चा नेरइएस् उववज्जति ? तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साउयं किच्चा मणुस्से सु उववज्जति ? देवाउयं किच्चा देवलोगेसु उववज्जति ? गोयमा ! एगंतबाले णं मणुस्से ने रइयाउयं पि पकरेति, तिरियाउयं वि पकरेति, मणुस्साउयं पि पकरेति, देवाउयं पि पकरेति, नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति, तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति, मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवलोगेसु उववज्जति ॥ पंडियस्स पाउय-पदं ३६०. एगंतपंडिए णं भंते ! मणुस्से कि नेरइयाउयं पकरेति' ? •तिरिक्खाउयं पकरेति ? मणुस्साउयं पकरेति ? देवाउयं पकरेति ? नेरइयाउयं किच्चा १. दुगंधे (म)! ३. सं. पा०—पसत्थं नेयम्वं जाव आदेज्ज । २. • वयणपच्चाए (अ, क, ता, ब, म, स); ४. ° वयणपच्चाए (क, ता)। स्थानाङ्गे (३१०) 'पच्चायाए' इत्येव ५. भ० ११ ५१ । पाठोस्ति। ६. सं० पा०--पकरेति जाव देवाउयं । Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० भगवई नेरइएस उववज्जति ? तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति ? ° देवाउयं किच्चा देवलोएसु उववज्जति ? गोयमा ! एगंतपंडिए णं मणुस्से प्राउयं सिय पकरेति, सिय णो पकरेति, जइ पकरेति णो ने रइयाउयं पकरेति णो तिरियाउयं पकरेति, गो मणुस्साउयं पकरेति, देवाउयं पकरेति णो नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति, णो तिरिया उयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति, णो मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति । ३६१. सेकेणट्ठेणं जावर देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ? गोयमा ! एगंतपंडियस्स णं मणुस्सस्स केवलमेव दो गतीय पण्णायंति, तं जहा - अंतकिरिया चेव, कप्पोववत्तिया चेव । से तेणट्ठेणं गोयमा ! जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ॥ बालपंडियस्स प्राउय-पदं ३६२. वालपंडिए णं भंते ! मणुस्से किं नेरइयाज्यं पकरेति ? तिरिक्खाउयं पकरेति ? मणुस्साउयं पकरेति ? देवाउयं पकरेति ? नेरइयाउयं किच्चा नेरइएस उववज्जति ? तिरियाज्यं किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साज्यं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति ? देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ? गोयमा ! बालपंडिए णं मणुस्से णो नेरइयाज्यं पकरेति णो तिरिखखाउयं पकरेति णो मणुस्साउयं पकरेति, देवाज्यं पकरेति णो नेरइयाउयं किच्चा नेरइएस उववज्जति, णो तिरियाज्यं किच्चा तिरिएसु उववज्जति, णो मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ॥ ३६३. से केणट्ठेणं जाव' देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ? गोमा ! बालपंडिए णं मणुस्से तहारूवरस समणस्स वा माहणस्स वा प्रति गमविप्ररियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म देस उवरमइ, देसं णो उवरमइ, देसं पच्चकखाइ, देसं णो पच्चक्खाइ । 'से तेणं" देसोवरम देसपच्चक्खाणेणं णो नेरइयाउयं पकरेति जाव देवायं किच्चा देवेसु उववज्जति । से तेणट्ठेणं जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ॥ १. मरण से (ता) | २. भ० ११३६० । ३. सं० पा० - पकरेति जाव देवाउयं । ४. भ० ११३६२ । ५. यारियं (क, ता) 1 ६. सिम्मा ( अ, ता, ब ) । ७. से ं ते (क); सेरणं ते (ता, ब) 1 ८. भ० ११३६० । Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (मो उद्देसो) किरियापदं ३६४. पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा दहंसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा वलयंसि वा नू मंसि वा गहणंसि वा गहणविदुम्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्दयविदुग्गंसि वा वस वा वर्णविदुग्गसि वा मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एते मिति काउ अण्णयरस्स मियस्स वहाए कूडपासं उद्दाति', ततो णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंच करिए | ३६५. से केणट्ठेणं भंते ! एवं वुच्चइ - सिय तिकिरिए ? सिय चउकिरिए ? सिय पंचकरिए ? गोयमा ! जे भविए उद्दवणयाए - णो बंधणयाए, णो मारणयाए - तावं चणं से पुरिसे काइयाए, ग्रहिगरणियाए, पानोसियाए ' - तिहि किरियाहि पुट्ठे । भवि उता वि, बंधणताए विणो मारणताए-तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पात्रोसियाए, पारितावणियाए - चउहि किरियाहि पुट्ठे । ६१ भवि उणता' वि, बंधणताए वि, मारणताए वि, तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पात्रोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए -- पंचहि किरियाहि पुट्टे । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए || ३६६. पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा जाव" वणविदुग्गंसि वा तणाई ऊसविय - ऊसविय अगणिकायं निसिरइ – तावं च णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंच करिए । ३६७. से केणट्ठे भंते ! एवं वुच्चइ - सिय तिकिरिए ? सिय चउकिरिए ? सिय १. मियवत्तिए ( अ ) ; मिश्रवत्तीए ( स ) | २. मिए ( अ, ता, व, म, स ) 1 ३. उड्डाइ ( अ, क, ता, ब, स ) । ४. जाव चां से पुरिसे कच्छंसि वा जाव कूडपासं उड्डाइ ताव च मं से पुरिसे सिय (क, ता, म, स ) । पंच करिए ? गोमा ! जे भविए उस्सवणयाए" - णो निसिरणयाए, णो दहणयाए-तावं ५. चतु० (ता) । ६. पाउसियाए ( अ, व, म) 1 ७. पायोसियाए ( ब ) | 5. उद्दरण्याए (ता) | ६. सं० पा०-- तेरराट्ठे जाव पच । १०. भ० १।३६४ । ११. सं० पा० - उस्सवरल्याए तिर्हि, उस्सवरण्याए विनिसिरयाए वि दो दहरण्याए चउहिं, जे भविए उत्सवण्याए विनिसिरयाए वि दहयाए वि तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि । Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पामोसियाए---तिहिं किरियाहिं पुढे। जे भविए उस्सवणयाए वि, निसिरणयाए वि, णो दहणयाए-तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पामोसियाए, पारितावणियाए-चउहि किरियाहिं पुठे। जे भविए उस्सवणयाए वि, निसिरणयाए वि, दहणयाए वि, तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पासोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए-पंचहि किरियाहिं पुठे ! से तेणठेणं गोयमा ! एवं बुच्चइसिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा जाव' वणविदुग्गंसि वा मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एते 'मिय त्ति" काउं अण्णत रस्स मियस्स वहाए उसु निसिरति, ततो णं भंते ! से पुरिसे कति किरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। ३६६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ—सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए ? गोयमा ! जे भविए निसिरणयाए–णो विद्धसणयाए, णो मारणयाएतावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पामोसियाए--तिहि किरियाहिं पुढें। जे भविए निसिरणताए वि, विद्धंसणताए वि–णो मारणयाए--तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिग रणियाए, पामोसियाए, पारितावणियाए-चउहिं किरियाहिं पुढें। जे भविए निसिरणयाए वि, विद्धंसणयाए वि, मारणताए वि-तावं च णं से पुरिसे' 'काइयाए, अहिगरणियाए, पामोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए°-पंचहिं किरियाहिं पुढें । से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ -सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए ।। ३७०. पुरिसे गं भंते ! कच्छसि वा जाव वणविदुग्गसि वा ? मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एते मिय त्ति काउ अण्णतरस्स मियस्स वहाए आयत-कण्णायतं उसु आयामेत्ता चिट्ठज्जा, अण्णयरे पुरिसे मग्गतो आगम्म सयपाणिणा असिणा सीसं छिदेज्जा, से य उसू ताए चेव पुव्यायामणयाए तं १. भ० १३६४। ४. भ०१:३६४ 1 २. मिए त्ति (अ); मिया ति (ता, म); मिये ५. अण्णे य से (क, ता, म) । ति (व, स)। ६. सत° (ता)। ३. सं० पा०--पुरिसे जाव पंचहि । Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) मियं विधेज्जा, से णं भंते ! पुरिसे कि मियवेरेणं पुढें ? पुरिसवेरेणं पुठे ? गोयमा ! जे मियं मारेइ, से मियवेरेणं पुठे । जे पुरिसं मारेइ, से पुरिसवेरेणं पुढें ॥ ३७१. से केणठेणं भंते ! एवं बच्चई'-- •जे मियं मारेइ, से मियवेरेण पुठे ? जे पुरिसं मारेइ, से° पुरिसवेरेणं पुढें ? से नणं गोयमा ! कज्जमाणे कडे, संधिज्जमाणे संधिते, निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिते, निसिरिज्जमाणे निसिठे त्ति वत्तव्वं सिया ? हंता भगवं ! कज्जमाणे कडे', 'संधिज्जमाणे संविते, निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिते, निसिरिज्जमाणे निसिछे त्ति वत्तव्वं सिया । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–जे मियं मारेइ, से मियवेरेणं पुढें । जे पुरिसं मारेइ, से पुरिसवेरेणं पुढें । अंतो छण्हं मासाणं मरइ-काइयाए', 'अहिगरणियाए, पामोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए °--पंचहि किरियाहिं पुछे । बाहिं छण्हं मासाणं मरइ-काइयाए 'अहिगरणियाए, पाओसियाए° पारितावणि याए-..-चउहि किरियाहिं पुढें ।।। ३७२. पुरिसे णं भंते ! पुरिसं सत्तीए समभिधंसे ज्जा, सयपाणिणा" वा से असिणा सीसं छिदेज्जा, ततो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए समभिधंसेति, सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिदति–तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए पासोसियाए, पारितावणियाए °, पाणातिवातकिरियाए-पंचहिं किरियाहिं पुढें। पासण्णवधएण य अणवखणवत्तीए" णं पुरिसवेरेणं पुढें ।। जय-पराजय-पदं ३७३. दो भंते ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिव्वया सरिसभंडमत्तोवगरणा अण्णमण्णेणं सद्धि संगामं संगामेंति तत्थ णं एगे पुरिसे पराइणति, एगे पुरिसे परायिज्जति । से कहमेयं भंते ! एवं ? १. सं० पा०-वुच्चइ जाव पुरिस । ८. अभिधंसेइ (अ, ब, स)। २. संधेज्जमारणे (ता)। ६. सपाणिणा (क, ता)। ३. निसट्टे (क, ता)। १०. सं० पा०-अहिगरणियाए जाव पारणा । ४. सं० पा०–कडे जाव निसिट्रे। ११. अरणवखवत्तीए (अ, स)। ५. सं० पा०काइयाए जाव पंचहिं । १२. सरसया (ब)। ६. सं० पा०–काइयाए जाव पारिया; १३. सरिसत्तया (ता)। कातियाए (ता)। १४. पराइणिज्जइ (अ, ता, ब); पराएज्जइ ७. सपारिगणा (क, ता)। Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! सवीरिए परायिणति, अवीरिए परायिज्जति ।। ३७४. से केणद्वेणं' •भंते ! एवं बुच्चइ-सवीरिए परायिणति ? अवीरिए परायिज्जति ? गोयमा ! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई नो बधाई नो पुट्ठाई 'नो निहत्ताइं नो कडाइं नो पट्ठवियाइं नो अभिनिविट्ठाई ° नो अभिसमण्णागयाई नो उदिण्णाई-उवसंताई भवंति से णं परायिणति । जस्स णं वीरियवज्भाई कम्माई बधाई. पुदाई निहत्ताई कडाई पट्ठवियाई अभिनिविट्ठाई अभिसमण्णागयाइं° उदिण्णाइं णो उव संताई भवंति से णं पुरिसे परायिज्जति, से तेणद्वेणं । गोयमा! एवं वुच्चति-सवीरिए परायिणति, अवीरिए परायिज्जति ।। वोरिय-पदं ३७५. जीवा णं भंते ! कि सीरिया ? अवीरिया ? गोयमा ! सीरिया वि, अवीरिया वि ।। ३७६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवा सवीरिया वि ? अवीरिया वि? गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संसारसमावण्णगा य, असंसार समावण्णगा य। तत्थ णजे ते असंसारसमावण्णगा ते णं सिद्धा। सिद्धाणं अवीरिया । तत्थ णं जे ते संसारसमावण्णगा' ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सेलेसिपडिवण्णागा य, असे लेसिपडिवण्णगा य । तत्थ णं जे ते सेलेसिपडिवण्णगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया। तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवण्णगा ते ण लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि, अवीरिया वि । से तेणठेगं गोयमा ! एवं वुच्चई-जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सवीरिया वि, अवीरिया वि।। ३७७. नेरइया णं भंते ! कि सवोरिया ? अवीरिया ? गोयमा ! नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया य, अवीरियाय॥ ३७८. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया ? करण वीरिएणं सवीरिया य? अवीरिया य? गोयमा ! जेसि गं ने रइयाणं अस्थि उहाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार १. सं० पा०-केरगटे जाव परायिज्जति। २. सं० पा०-पुटाई जाव नो। ३. सं० पा०-बद्धाइं जाव उदिण्णाई। ४. x (क, ता, व, म)। ५. ° वणया (क, ता, म)। Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (नवमो उद्देसो) परक्कमे, ते णं नेरइया लद्धिवीरिएण वि सवीरिया, करणवीरिएण वि सवीरिया। जेसि णं नेरइयाणं गथि उठाणे' 'कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार. परक्कमे, ते ण नेरइया लद्धिवीरिएणं सीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ--ने रइया लद्धिवीरिएणं सवीरिया। करण वीरिएणं सवीरिया य, अवीरिया य ।। ३७६. जहा ने रइया एवं जाव' पंचिदियतिरिक्खजोणिया ।। ३८०. "मणुस्सा णं भंते ! कि सीरिया ? अवीरिया ? गोयमा ! सीरिया वि, अवीरिया वि।। ३८१. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ----मणुस्सा सवीरिया वि? अवीरिया वि? गोयमा ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सेलेसिपडिवण्णगा य, असेलेसिपडिवण्णगा य। तत्थ णं जे ते सेलेसिाडिवण्णगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया। तत्थ ण जे ते असेलेसिपडिवण्णगा ते णं लद्धिवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि, अवीरिया वि 1 से तेणट्रेणं गोयमा ! एवं वुच्च इ-- मणुस्सा सवीरिया वि, अवीरिया वि° ॥ ३८२. वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया जहा ने रइया ।। ३८३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। नवमो उद्देसो गुरु-लघु-पदं ३८४. कहण्णं भंते ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति ? गोयमा ! पाणाइवाएणं मुसावाएणं अदिण्णादाणेणं मेहुणेणं परिग्गहेणं कोह-माण-माया-लोभ-पेज्ज-दोस-कलह-अभदखाण-पेसन्न- 'परपरिवाय-परतिरति-मायामोस-मिच्छादसणसल्लेणं-एवं खलु गोयमा ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति ।। १. सं० पा०-उढारणे जाव परक्कमे । ५. भ० १५१ । २. पू०प०२ । ६. कहं रणं (अ, ब)। ३. सं० पा० ... मरणस्सा जहा ओहिया जीवा ७. रतियरतिपरपरिवाय (अ, ब, स)। गवरं सिद्धवज्जा भारिणयब्वा । ८. गुरु तं (ब)। ४. भ० ११३७७, ३७८ । Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३८५. कहण्णं भंते ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! पाणाइवायवे रमणेणं' 'मुसावायवे रमणेणं अदिण्णादाणवे रमणेणं मेहणवे रमणेणं परिग्गहवे रमणेणं 'कोह-माण-माया-लोभ-पेज्ज-दोस-कलहअब्भक्खाण-पेसन्त-परपरिवाय-परतिरति-मायामोस -मिच्छादसणसल्ल वेर मणेण एवं खल गोयमा ! जीवा लहयत्तं हवमागच्छति ।। ३८६. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं पाउलीकरेंति? गोयमा ! पाणाइवाएणं जाव' मिच्छादसणसल्लेणं--एवं खलु गोयमा ! जीवा संसारं पाउलीकरोति । ३८७. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं परित्तीकति ? गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव' मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं एवं खलू गोयमा ! जीवा संसारं परित्तीकरेंति ।। ३८८. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं दीहीकाति? गोयमा ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं-एवं खलु गोयमा ! जीवा संसारं दीही करति ।। ३८६. कहण्णं भंते जीवा संसार हस्सीकरति ? गोयमा ! पाणाइवायवे रमणणं जाव मिच्छादसणसल्लवे रमणेणं-एवं खलू गोयमा ! जीवा संसारं ह्रस्सीकरति ।। ३६०. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं अणुपरियति ? गोयमा ! पाणाइवाएणं जाव' मिच्छादसणसल्लेणं-एवं खलु गोयमा ! जीवा संसारं अणुपरियति ।। ३६१. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं बीतिवयंति ? गोयमा ! पाणाइदायवेरमणेणं जाव' मिच्छादसणसल्लवे रमणेणं एवं खलु गोयमा! जीवा संसारं वीतिवयंति। ३६२. सत्तमे णं भंते ! अोवासंतरे किं गरुए" ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगस्यलहुए ? गोयमा ! णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए। १. पाणायवाय ° (ब, स); ४. भ० ११३८४ । सं० पा.-पाणाइवायवेरमरोणं जाव ५. भ० ११३८५ । मिच्छा। ६. भ० ११३८४ । २. स्थानाङ्ग ११११४-१२६ क्रोधादीनामग्रे ७. भ० ११३८५। 'विवेगे' इति पदं प्रयुक्तमस्ति । ८. भ० ११३८४। ३. सं० पा०-एवं संसारं आउलीकरेंति एवं परित्तीकरेंति एवं दीहीकरेंति एवं हस्सी ६. भ० ११३८५। करेंति एवं अपरियट्रोंति एवं वीईवयंति १०. उवासंतरे (क, ब, म, स)। पसस्था चत्तारि अपसत्था चत्तारि। ११. गुरुए (अ)। ------ Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (नवमी उद्देसो) ३६३. सत्तमे णं भंते ! तणुवाए कि गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ? गोमा ! णो गए, णो लहुए, गरुयलहुए, जो अगस्यलहुए ।। ३६४. एवं सत्तमे घणवाए, सत्तमे घणोदही, सत्तमा पुढवी ॥ ३६५. प्रोवासंतराई सब्वाई जहा' सत्तमे प्रवासंतरे ॥ ३६६. 'जहा तणुवाए एवं श्रोवास वाय- घणउदही, पुढवी दीवा य सागरा वासा ॥ ३६७. नेरइया णं भंते ! कि गरुया' ? 'लहुया ? गरुयलहुया ? ० अगरुयलहुया ? गोमा ! जो गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया वि, अगरुयलहुया वि || ३६८. से केणट्ठेणं भंते ! एवं वृच्चइ-नेरइया जो गरुया ? णो लहुया ? गरुयलहुया वि ? अमरुयलहुया वि ? गोयमा ! विउब्विय तेयाई पडुच्च णो गरुया, णो लहूया, गरुयल हुया, णो गरुलहुया | जीवं च कम्मगं च पडुच्च णो गरुया, णो लहुया, जो गरुयलहुया, अगरुयलहुया । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - नेरइया णो गरुया, जो लहुया, गरुयलहुया वि, श्रगख्यलहुयावि ॥ ? अगरुयल हुए ३६६. एवं जाव' वेमाणिया, नवरं - नाणत्तं जाणियव्वं सरीरेहिं || ४००. धम्मत्थिकाए' णं भंते ! कि गरुए ? लहुए ? गरुयल हुए ? अगरुयल हुए ? गोयमा ! णो गरुए, जो लहुए, जो गरुयलहुए, अगरुयल हुए || ४०१. अहम्मत्थिकाए णं भंते ! किं गरुए ? लहुए ? मरुयल हुए गोयमा ! णो गरुए, जो लहुए, गो गरुयलहुए, अगरुयल हुए || ४०२. आगासत्थिकाए णं भंते ! किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ? गोमा ! णो गरुए, णो लहुए, गरुयल हुए, अगरुयल हुए || ४०३. जीवत्थिकाए णं भंते ! किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयल हुए गोमा ! णो गरुए, जो लहुए, जो गरुयल हुए, अगरुयल हुए ° ॥ ४०४. पोरगलत्थिकाए णं भंते ! किं गरुए ? लहुए ? गरुयल हुए गोमा ! णो गए, जो लहुए, गरुयलहुए वि, ४०५. से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चइ - णो गरुए ? णो ? o १. भ० ११३९२ । २. ' एवं गरुलहुए' इति पाठ: एकस्मिन् क्वचित् प्रयुक्ते आदर्श लभ्यते । एतत् संग्रहगाथायाश्चरणद्वयमस्ति तेन पूर्वोक्तस्थापि 'ओवास' पदस्य पुनरुल्लेखोत्र जातोस्ति । ३. सं० पा० – गरुवा जाव अगस्य २ । ६७ अगरुयलहुए ? गरुयल हुए वि ॥ लहुए ? गरुयल हुए वि ? अगरुयल हुए वि ? गोयमा ! गरुयल हुयदव्वाई पडुच्च णो गरुए, जो लहुए, गरुयलहुए, जो ४. कस्मकं ( क ) ; कम्मरा ( वृत्तौ लिखिते पाठसंकेते ) | ५. पू० प० २ । ६. सं० पा० - धम्मस्थिकाए जाव जीवत्थिकाए उत्थपणं । Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई अगरुयलहुए । अगरुयलहुयदव्वाइं पडुच्च णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए । ४०६. "समया णं भंते ! कि गरुया ? लहुया ? गरुयलया ? अगरुयलहुया ? ___ गोयमा ! णो गरुया, णो लहुया, णो गरुयलहुया, अगरुयलहुया ।। ४०७. कम्माणि णं भंते ! कि गरुयाइं? लहयाई? गरुयलहयाई? अगरुयलहयाई? गोयमा ! णो गरुयाई, णो लहुयाई, णो गरुयलहुयाई, अगस्यलहुयाई ।। ४०८. कण्हलेस्सा णं भंते ! कि गरुया' ?• लहुया ? गरुयलहुया? ० अगरुयलहुया ? गोयमा ! णो गरुया, णो लहुया, गरुयल हुया वि, अगरुयलहुया वि।। ४०६. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ-कण्हलेस्सा णो गरुया ? णो लहुया ? गरुयलहुया वि? अगरुयलहुया वि? गोयमा ! दवलेस्सं पडुच्च ततियपदेणं, भावलेस्सं पडुच्च च उत्थपदेणं ।। ४१०. एवं जाव' सुक्कलेसा॥ ४११. दिट्ठी-दसण-'णाण-अण्णाण'-सण्णाश्रो चउत्थएणं पदेणं नेतव्वाग्रो ।। ४१२. हेट्ठिल्ला चत्तारि' सरीरा नेयव्वा ततिएणं पदेणं । कम्मयं चउत्थएणं पदेणं । ४१३. मणजोगो, वइजोगो चउत्थएणं पदेणं, कायजोगो ततिएणं पदेणं ।। ४१४. सागारोवनोगो, अणागारोवोगो चउत्थाणं पदेणं ॥ ४१५. सव्वदव्वा, सव्वपएसा, सव्वपज्जवा जहा पोग्गलत्थिकानो"।। ४१६. तोतद्धा, अणागतद्धा, सम्वद्धा चउत्थएण पदेणं ।। पसत्थ-पदं ४१७. से नूणं भते ! लाघवियं अप्पिच्छा अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं ? हंता गोयमा ! लापवियं अप्पिच्छा अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं ! ४१८. से नूणं भंते ! अकोहत्तं प्रमाणत्तं अमायत्तं प्रलोभत्तं समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं ? १. सं० पा०--समया कम्मारिग य च उत्थपदेणं। ८. नायव्वा (अ, बस)। २. सं० पा०-गरुवा जाव अगरुय । ६. कम्मया (क, म, स); कम्मइए (ता)। ३. गरुयलहुपा । १०. जधा (अ, ब, म)। ४. अगस्यलया। ११. भ० ११४०४ । ५. भ० १११०२। १२. चउत्थेणं (क, ता, ब, म)। ६. नाणाण्णाण (ता)। १३. सं० पा०-लापवियं जाब पसत्थं । ७. ओरालियवेउवियआहारगतेया। Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (नवमो उद्देसो) हंता गोयमा ! अकोहत्तं प्रमाणत्तं 'अमायत्तं प्रलोभत्तं समणाणं निग्गंथाणं पसत्थं ॥ कंखापदोस-पदं ४१६. से नणं भंते ! कंखापदोसे खीणे समणे निरगंथे अंतकरे भवति, अंतिमसरीरिए बहुमोहे वि य णं पुद्धि विहरित्ता ग्रह पच्छा संवुडे कालं करेइ ततो पच्छा सिज्झति' 'बुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाणं° अंतं करेति ? । हंता गोयमा ! कंखापदोसे खीणे 'समणे निग्गंथे अंतकरे भवति, अंतिमसरीरिए वा। बहुमोहे वि य णं पुब्विं विहरित्ता अह पच्छा संवुडे कालं करेइ ततो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाणं' अंत करेति ।। इह-पर-भवियाउय-पदं ४२०. अण्ण उत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति, एवं भासंति, एवं पण्णवेंति, एवं परूवेति-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो पाउयाइं पकरेति, तं जहाइहभवियाउयं च, परभवियाउयं च । जं समयं इहभवियाउयं पकरेति, तं समयं परभवियाउयं पकरेति । जं समयं परभवियाउयं पकरेति, तं समयं इहभवियाउयं पकरेति । इहवियाउयस्स पकरणयाए परभवियाउयं पकरेति, परभविया उयस्स पकरणयाए इहभवियाउयं पकरेति । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पकरेति, तं जहा-इहभवियाउयं च, परभवियाउयं च ।। ४२१. से कहमेयं' भंते ! एवं? गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव' एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पकरेति, तं जहा-इहभवियाउयं च, परभवियाउयं च । जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि', •एवं भासेमि, एवं पण्णवेमि, एवं परूवेमि–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एग आउयं पकरेति, तं जहा- इहभवियाउयं वा, परभवियाउयं वा । १. सं० पा०-अमारगत जाव पसत्थं । ६. आउगं (क)। २. अहा (अ, ता, व, म)। ७. • मेतं (ना, म); ° मेवं (स)। ३. सं० पा०--सिझति जाव अंतं । ८. भ० ११४२० । ४. कंख° (अ, ब, स)। ६. सं० पा०---एवमाइक्खामि जाव परूवेमि । ५. सं० पा०—खोरणे जाव अंतं । Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जं समयं इहभवियाउयं पकरेति, णो तं समयं परभवियाउयं पकरेति । ज़ समयं परभवियाउयं पकरेति, णो तं समयं इहभवियाउयं पकरेति । इहभवियाउयस्स पकरणताए णो परभवियाउयं पकरेति । परभवियाउयस्स पकरणताए णो इहवियाउयं पकरेति । एवं खलु एगे जी एगेणं समएणं एग ग्राउयं पकरेति, तं जहा--इहभवियाउयं वा, परभवियाउयं वा ।। ४२२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव' विहरति । कालासवेसियपुत्त-पदं ४२३. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे कालासवेसियपुत्ते णामं अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते' एवं वयासीथेरा सामाइयं न याति, थेरा सामाइयस्स अटुं न याणंति । थेरा पच्चवखाणन याणति, थेरा पच्चक्खाणस्स अटठं न याति। थेरा संजमं न याति, थेरा संजमस्स अटठं न याति । थेरा संवरं न याति, थेरा संवरस्स अट्ठे न याति । थेरा विवेगं न याति, थेरा विधेगस्स अट्ठ ण याणति । थेरा विउस्सग्गं न याति, थेरा विउस्सग्गस्स अटुं न याति ।। ४२४. तए णं थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वदासी जाणामो णं अज्जो ! सामाइयं, जाणामो णं अज्जो ! सामाइयस्स अट्ठ । जाणामोणं अज्जो! पच्चक्खाणं, जाणामो णं अज्जो ! पच्चक्खाणस्स अटठं। जाणामो णं अज्जो ! संजमं, जाणामो णं अज्जो ! संजमस्स अट्ठ। जाणामो णं अज्जो ! संवर, जाणामो णं अज्जो ! संवरस्स अठं । जाणामो णं अज्जो ! विवेग, जाणामो णं अज्जो ! विवेगस्स अट्ठ । जाणामो णं अज्जो ! विउस्सगं°, जाणामो णं अज्जो ! विउस्सग्गस्स अट्ठ ।। ४२५. तते णं से कालासवेसिययुत्ते अणगारे ते थेरे भगवंते एवं वयासी-जइ" णं अज्जो ! तुब्भे जाणह सामाइयं, तुब्भे जाणह सामाइयस्स अट्ठे जाव' जइ णं अज्जो ! तुब्भे जाणह विउस्सग्गं, तुम्भे जाणह विउस्सग्गस्स अट्ठ। के भे' ५. जति (अ, क, व, म)। ६. भ० १६४२३। १. भ० ११५१ । २. भगवं (अ, ब)1 ३. सामातियस्स (ता)। ४. सं० पा०-अटुं जाव जाणामो। Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (नवमो उद्देसो) अज्जो! सामाइए ? के भे अज्जो ! सामाइयस्स अट्टे ? जाव के भे अज्जो ! विउस्सग्गे ? के भे अज्जो! विउस्सगस्स अट्ठे ? ४२६. तए णं थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी प्राया णे अज्जो ! सामाइए, आया णे अज्जो ! सामाइयस्स अट्टे । 'पाया णे अज्जो ! पच्चवखाणे, पाया णे अज्जो ! पच्चक्खाणस्स अट्टे । माया णे अज्जो ! संजमे, प्राया णे अज्जो! संजमस्स अट्रे। पाया णे अज्जो ! संवरे, प्राया णे अज्जो ! संवरस्स अट्रे। पाया गे अज्जो ! विवेगे, पाया णे अज्जो ! विवेगस्स अट्रे॥ आया णे अज्जो ! विउस्सग्गे, आया णे अज्जो ! • विउस्सग्गस्स अट्टे ।। ४२७. तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वदासी जइ भे अज्जो ! आया सामाइए, प्राया सामाइयस्स अट्ठे जाव' आया विउस्सग्गस्स अट्ठ- अवहटु कोह-माण-माया-लोभे किमटुं अज्जो ! गरहह' ? कालासा ! संजमठ्ठयाए । ४२८. से भंते ! कि गरहा संजमे ? अगरहा संजमे ? कालासा ! गरहा संजमे, णो अगरहा संजमे। गरहा वि य णं सव्वं दोसं पविणेति, सव्वं बालियं परिणाए । एवं खुणे आया संजमे उवहिते भवति । एवं खु णे पाया संजमे उचिए भवति । एवं खु णे आया संजमे उवद्विते भवति ।। ४२६. एत्थ णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे संबुद्धे थेरे भगवते वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एएसि णं भंते ! पयाणं पुब्वि अण्णाणयाए असवणयाए अबोहीए अणभिगमेणं अदिद्वाणं अस्सुयाणं अमुयाण अविण्णायाणं अव्योकडाणं' अव्वोच्छिण्णाणं अणिज्जूढाणं अणुवधारियाणं एयमढे नो सद्दहिए नो पत्तिइए नो रोइए। इदाणि भंते ! एतेसि पयाणं जाणयाए सवणयाए बोहीए अभिगमेणं दिवाणं सूयाणं मुयाण विण्णायाणं वोगडाणं वोच्छिण्णाणं णिज्जूढाणं उव धारियाणं' एयमढें सद्दहामि पत्तियामि रोएमि । एवमेयं से जहेयं तुब्भे वदह ।। ४३०. तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी--सद्दहाहि १. सं० पा० -अट्टे जाव विउस्सरगस्स ! ६. असुयारणं (म); वृत्तौ 'अस्मृतानां' इति २. भ० ११४२३ । व्याख्यातमस्ति । ७. अब्बोगडारणं (अ,ब, स); अवोकडाणं (क,म)। ३. गरहट्ट (ब)। ८. सुयाणं (ब); X (म)। ४. कालास (स)। ६. अवधारियाणं (म) 1 ५. अबोहियाए (अ, स)। १०. जहेदं (ता)। Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ भगवई अज्जो ! पत्तियाहि अज्जो ! रोएहि अज्जो ! से जहेयं अम्हे वदामो ॥ ४३१. तए णं से कालासवेसियपत्ते अणगारे थेरे भगवते वंदह नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी-इच्छामि ण भंते ! तुभं अंतिए चाउज्जामाप्रो धम्माप्रो पंचमहव्व इयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ ४३२. तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता चाउज्जामाओ धम्मायो पचमहत्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ता ण विहरति ।। ४३३. तए णं से कालासवेसियपुत्ते प्रणगारे बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता जस्साए कीरइ नग्गभावे मुडभावे अण्हाणयं अदंतवणयं अच्छत्तयं अणोवाहणयं भूमिसेज्जा फलसेज्जा कट्ठसेज्जा केसलोनो बंभचेरवासो परघरप्पवेसो लद्धावलद्धी उच्चावया गामकंटगा बावीसं परिसहोवसग्गा अहियासिज्जति, तमटुं पाराहेइ, आराहेत्ता चरमेहिं उस्सास-नीसासेहिं सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे' सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ अपच्चक्खाणकिरिया-पदं ४३४. भते ति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, बंदित्ता नमसित्ता एवं वदासी.-से नृणं भंते ! सेट्ठियस्स' य तणुयस्स य किवणस्स" य खत्तियस्स य 'समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जई ? हंता गोयमा ! सेट्टियस्स' •य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ।। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्च इ-सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? गोयमा ! अविरति पडुच्च । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सेट्टियस्स य तणुयस्स •य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जई॥ प्राहाकम्म-पदं ४३६. 'आहाकम्म णं" भुजमाणे समणे निगथे कि बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? १. कुरुष्व इति गम्यम् (व)। ५. किविणस्स (ता)। २. अदंतवणयं (क); ६. समच्चेव (ब, म)। अदंतधुवरणयं (ता, ब, स)। ७. सं० पा०–सेट्रियस्स जाव अपच्चक्खाण । ३. परिसिव्वुए (अ, ता, ब); ८. सं० पा० -तणयस्स जाव कज्जइ। परिणिव्वुते (क, म)। ६. आहाकम्मे रणं (क); आहाकम्म णं (ता); ४. सेटुिस्स (ता, ब); सिट्ठिस्स (म)। आहाकम रणं (ब); आहाकम्मण्णं (म)। ४३५. Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (नवमी उद्देसो) गोयमा ! ग्राहाकम्मं णं भुजमाणे ग्राउयवज्जाश्रो सत्त कम्मप्पगडीओ सिढिलबंधणवद्धा धणियबंधणबद्धाओ पकरेइ, "हस्सकालठिइयाओ दीहकालठिझ्या करेइ, मंदाणुभावाओ तिब्बाणुभावाओ पकरेइ, अप्पपएसमा बहुपसग्गाओ करेइ, प्राउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, अस्साया - वेणिज्जं च गं कम्मं भुज्जो - भुज्जो उवचिणाइ, श्रणाइयं च णं प्रणवदग्गं दीमद्धं चाउरतं संसार कतारं ग्रणुपरियदृइ || ४३७. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ – ग्राहाकम्मं णं भुजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीग्रो सिढिलबंधणवद्धाश्र धणियवंधणवद्धाओ पकरेइ जाव' चाउरंत संसारकंतारं अणुपरियदृइ ? गोमा ! आहाकम्मं णं भुंजमाणे श्रध्याए, धम्मं अइक्कमइ, आयाए धम्मं इक्कममाणे पुढविकायं णावकखइ', आउकार्य णावकखइ, तेउकार्य णावकखइ, वाउकायं णावकखइ, वणस्सइकायं णावकखइ, तसकायं णाव - कखइ, जेसिपि य णं जीवाणं सरीराई श्राहारमाहारेइ ते वि जीवे गावकखइ । से तेणणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - प्राहाकम्मं णं भुजमाणे प्राउयवज्जाश्रो सत्त कम्मपगडीओ सिढिलवणवद्धाश्रो धणियवंधणवद्धाओ पकरेइ जाव चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियदृइ || फासु-एस रिगज्ज-पदं ४३८. फासु-एसणिज्जं णं भते ! भुंजमाणे समणे निग्गंधे किं बंधइ ? कि पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? गोमा ! फासू-एसणिज्जं णं भुजमाणे प्राउयवज्जाश्रो सत्त कम्मपयडीग्रो aforareद्धा सिढिलबंधणबद्धाम्रो पकरेइ, दीहकालट्ठिइयाओ हस्सकालइया पकरेइ तिव्वाणुभावाश्रो मंदाणुभावात्रो पकरेइ, बहुप्पएसओ पपएसग्गाम्रो पकरेइ, प्राउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नबंध, प्रसायाय णिज्जं च गं कम्मं नो भुज्जो भुज्जो उवचिणाइ, प्रणादीयं च णं प्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकतारं वीईवयइ || ४३६. से केणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ-फासु एसणिज्जं णं भुंजमाणे प्राउयवज्जाओ सत्त कम्पयडीओ धणियबंधणवद्धाश्रो सिढिलबंधणबद्धाओ पकरेइ जाव चाउरंतं संसारकंतारं वीईवयइ ? गोयमा ! फासू- एसणिज्जं णं १. सं० पा०-- पकरेइ जाव अपरियदृइ । २. भ० ११४३६ ३. सं० पा० – गावकखइ जाव तसकार्य । ४. सं० पा०-- जहा संवुडे, नवरं आउयं च गं ७३ भुंजमाणे समणे निग्गंथे आया धम्मं कम्मं सिय बंधइ सिय सो बंधइ सेसं तहेव जाव वीईars | ५. भ० १।४३८ । Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ भगवई नाइक्कमइ, आयाए धम्मं प्रणइक्कममाण पुढविकाय' प्रवकखइ जाव' तसकार्य rajas, जेसिपि य णं जीवाणं सरीराई ( आहारं ? " ) आहारेइ ते वि जीवे अवकखइ । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-फासु- एसणिज्जं णं भुंजमाणे प्रायवज्जाश्रो सत्त कम्मपयडीओ धणियबंधणबद्धाम्रो सिढिलबंधणबद्धाओ पकरेइ जाव' चाउरंतं संसारकंतारं वीईवयइ || ४४०. से नूणं भंते! ग्रथिरे पलोदृइ, नो थिरे पलोदृइ ? प्रथिरे भज्जइ, नो थिरे सासए वालए, बालियत्तं असासयं ? सासए पंडिए, पंडियत्तं भज्जइ ? सासयं ? हंता गोयमा ! अथिरे पलोट्टई, नो थिरे पलोट्टई । ग्रथिरे भज्जइ, नो थिरे भज्जइ । सासए बालए, बालियत्तं असासयं । सासए पंडिए, पंडियत्तं सासयं || ४४१. सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥ दसमो उद्देसो परसमययत्तव्वया-पदं ४४२. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खति, एवं भासंति, एवं पण्णवेति, एवं ० परूवेंति - एवं खलु चलमाणे प्रचलिए' । उदीरिज्जमाणे अणुदीरिए । वेदिज्जमाणे वेदिए । पहिज्ज माणे अपहीणे । छिज्जमाणे अच्छिण्णे । भिज्जमाणे अभिण्णे | दमाणे दड्ढे । मिज्जमाणे मए । निज्जरिज्जमाणे प्रणिज्जिण्णे । दो परमाणुपोग्गला एगयो न" साहणंति, कम्हा दो परमाणुपोग्ला एगयो न साहण्णंति ? दोहं परमाणुपोग्लाणं नत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो न साहति । १. पुढविक्कायं (ता, म, स ) । २. भ० ११४३७ । ३. द्रष्टव्यं - भ० १।४३७ सूत्रम् । ४. भ० ११४३८ । ५. सं० पा०—पलोदृइ जाव पंडितं । ६. भ० १५१ । ७. सं० पा० - एवमाइक्खति जाव परूवेंति 1 ८. सं० पा० - अचलिए जाव निज्जरिज्जमारणे । ६. एगततो ( कम ); एगतो (ता) 1 १०. सो (ता) । Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम सतं (दसमो उद्देसी) तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयनो साहण्णंति, कम्हा तिणि परमाणुपोग्गला एगयनो साहण्णति ? तिहं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिष्णि परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णंति । ते भिज्जमाणा 'दुहा वि'', तिहावि कज्जति । दुहा कज्जमाणा' एगयो दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवइ-एगयो वि दिवढे परमाणुपोग्गले भवइ । तिहा कज्जमाणा तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति । एवं चत्तारि। पंच परमाणुपोग्गला एगयो साहाणंति, एगयो साहणित्ता' दुक्खत्ताए कज्जति । दुक्खे वि य णं से सासए सया समितं' उवचिज्जइ य, अवचिज्जइय। पुब्धि' भासा भासा । भासिज्जमाणी भासा अभासा । भासासमयवितिक्कत च णं भासिया भासा । जा सा पुवि भासा भासा । भासिज्जमाणी भासा अभासा। भासासमयवितिक्कंतं च णं भासिया भासा । सा कि भासो भासा ? अभासमो भासा ? प्रभासयो णं सा भासा । नो खलु सा भासप्रो भासा । पूचि किरिया दुक्खा। कज्जमाणी किरिया अदुक्खा। किरियासमयवितिक्कतं च णं कडा किरिया दुक्खा । जा सा पूवि किरिया दुक्खा। कज्जमाणी किरिया अदुक्खा । किरियासमयवितिक्कंतं च णं कडा किरिया दुक्खा । सा किं करणो दुक्खा ? प्रकरणपो दुक्खा ? प्रकरणो णं सा दुक्खा । नो खलु सा करणो दुक्खा–सेवं वत्तव्वं सिया। अकिच्चं दुक्खं, अफुसं दुक्खं, अकज्जमाणकडं दुक्खं, अकटु-अकटु पाण भूय-जीव-सत्ता वेदणं वेदेति—इति वत्तव्वं सिया ॥ ससमयवत्तव्यया-पदं ४४३-से कहमेयं भंते ! एवं ? १. दुविहा (ब)। २. तिविहा (ब, स)। ३. किज्जमाणा (ब)। ४. एवं जाव (अ, क, ता, ब, म, स); अत्र 'जाव' पदं प्रवाहपतितमायातमिति संभाव्यते । किं च अनेनात्र किञ्चित ग्राह्य नास्ति। ५. साहणित्ता (ता, ब)। ६. समियं (अ, स)। ७. पूवं (क, म, स)। Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! जण्ण' ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव वेदण वेदेति—इति वत्तव्वं सिया। जे ते एवमाहंसु, मिच्छा ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि, एवं भासेमि, एवं पण्णवमि, एवं परूवेमि-एवं खल चलमाणे चलिए। 'उदीरिज्जमाणे उदीरिए । वेदिज्जमाणे वेदिए। पहिज्जमाणे पहीणे । छिज्जमाणे छिण्णे । भिज्जमाणे भिण्णे । दज्झमाणे दड्ढे । मिज्जमाणे मए । निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे। दो परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयनो साहण्णंति ? दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णति। ते भिज्जमाणा दुहा कज्जति । दुहा कज्जमाणा एगयो परमाणुपोग्गलेएगयो परमाणुपोग्गले भवति । तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयनो साहणंति, कम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयनो साहणति ? तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिणि परमाणुपोग्गला एगयनो साहणंति। ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि कज्जंति । दुहा कज्जमाणा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे भवति । तिहा कज्जमाणा तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति । एवं चत्तारि। पंच परमाणपोग्गला एगयनो साहति । एगयो साहणित्ता खंधत्ताए कति । खंधे वि य णं से असासए सया समितं उवचिज्जइ य, अवचिज्जइ य। पुदिध भासा अभासा, भासिज्जमाणी भासा भासा, भासास मयवितिक्कंतं च णं भासिया भासा अभासा। १. जणं (ता)। २. भ० २४४२ । ३. मिच्छं (ता) ४. सं. पा०-चलिए जाव निजरिज्जमाणे। ५. एवं जाव (अ, क, ता, ब, म, स); अत्र 'जाव' पदं प्रवाहपतितमायातमिति संभाव्यते । किं च अनेनात्र किञ्चित् ग्राह्य नास्ति। ६. अस्य पाठस्य रचना एवं संभाव्यते----- चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति, कम्हा चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति ? चउण्हं परमाणुपोग्गलारणं अस्थि सिणेहकाए; तम्हा चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णति । ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि,चउहा वि Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं सतं (दरामो उद्देसो) जा सा पुवि भासा प्रभासा । भासिज्जमाणी भासा भासा भासासमयवितिक्कतं च णं भासिया भासा प्रभासा । सा किं भासनो भासा ? अभासप्रो भासा ? भासग्रोणं भासा, नो खलु सा प्रभासग्रो भासा पुव्वि किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया दुक्खा । किरिया समयवितिक्कतं च णं कज्जमाणी किरिया श्रदुक्खा 1 जा सा पुव्विं किरिया प्रदुक्खा । कज्जमाणी किरिया दुक्त्वा । किरियासमय वितिक्कतं च णं कज्जमाणी किरिया दुक्खा । सा किं करण दुक्खा प्रकरण दुक्खा ? ० ? करणो णं सा दुक्खा । नो खलु सा प्रकरण दुक्खा - सेवं वत्तव्वं सिया । किच्चं दुक्खं, फुसं दुक्खं, कज्जमाणकडं दुक्खं, कट्टु-कट्टु पाण-भूय-जीवसत्ता वेद वेदति---इति वत्तव्वं सिया || इरियावहिया - संपराइया-पदं ४४४. अण्णउत्थिया णं भंते । एवमाइक्खति, एवं भासंति एवं पण्णवेति, एवं परूवंति - एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरिया पकरेति, तं जहा - इरियावहियं च, संपराइयं च । 0 जं समयं इरियावहियं पकरेइ, तं समयं संपराइयं पकरेइ । • "जं समयं संपराइयं पकरेइ, तं समयं इरियावहियं पकरेइ । staraहियाए पकरणयाए संपराइयं पकरेइ | संपराइयाए पकरणयाए इरियावहियं पकरेइ । E ४४५. से कहमेयं भंते ! एवं ? एवं खलु एगे जीवे एगेणं समणं दो किरिया पकरेति तं जहा - इरियावहियं च, संपराइयं च ॥ कज्जति । दुहा कज्जमागा एगयओ दुपएसिए खंधे - एगयओ व दुपए सिए खधे | अहवा एगओ तिपएसिए खंभे - एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ । गोयमा ! जण ते श्रण्णउत्थिया एवमाइक्खति, एवं भासति एवं पण्णवति, तिहा कज्जमारणा एगयओ दुपए सिए खंधे--- एगयओ एगे एगे परमाणुपोग्गले भवइ । चउहा कज्जमाणा चत्तारि परमाणुपोगला भवंति १. सं० पा० - जहा भासा तहा भारिणयव्वा किरिया विजाव करणओ । २. सं० पा०-- एवमा इक्खति जाव एवं । ३. रिया ( अ, ता, व, म) । ४. सं० पा०--- परउत्थियत्तव्वं शेयत्वं ससमयवत्तब्वयाए रोयव्वं जाव इरियावहियं; 'क', 'ता' संकेतितयोरादर्शयोवृत्तौ च संक्षिप्तपाठो लभ्यते । शेषादर्थेषु वृत्तिकृता विस्तारं नीतः Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई एवं परूवेति-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियानो पकरेति, जाव' इरियावहियं च, संपराइयं च । जे ते एवमाहंसु । मिच्छा ते एवमाहंसु ! अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि, एवं भासेमि, एवं पण्णवेमि, एवं परूवेमि --एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एक्कं किरियं पकरेइ, तं जहा- इरियावहियं वा, संपराइयं वा । जं समयं इरियावहियं पकरेइ, नो तं समयं संपराइयं पकरेइ । जं समयं संपराइयं पकरेइ नो तं समयं इरियावहियं पकरेइ । इरियावहियाए पकरणयाए नो संपराइयं पकरेइ । संपराइयाए पकरणयाए नो इरियावहियं पकरेइ । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एग किरियं पकरेइ, तं जहा°-इरिया वहियं वा, संपराइयं वा ।। उपपात-पदं ४४६. निरयगई णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णता ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता ।। ३४७ एवं वक्कतीपयं भाणियव्वं निरवसेसं ॥ ४४८. सेवं भंते ! सेवं भंते त्ति जाव' विहरइ ।। पाठो दृश्यते । अत्र च ११४२०, ४२१ मूत्रा- नुसारेण स पूर्ति नीतोस्ति । १. भ० ११४४४ २. प०६। ३. भ० ११५१1 Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअं सतं पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा १ 'ऊसास खंदए वि य, २ समुग्याय ३,४ पुढविदिय ५ अण्णउत्थि ६ भासा य । ७ देवा य ८ चमरचंचा, ६,१० समयक्खित्तथिकाय बीयसए" ॥१॥ उक्खेव-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णामं नयरे होत्था-वण्णयो। सामी समोसढे । परिसा निग्गया। धम्मो कहियो । पडिगया परिसा ।। सासुस्सास-पदं २. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो महावी रस्स जेटे अंतेवासी जाव' पज्जुवासमाणे एवं वदासी-- जे इमे भंते ! बेइंदिया तेइंदिया चरिदिया पंचिदिया जोवा, एएसि णं आणामं वा पाणाम वा उस्सासं वा निस्सासं वा जाणामो पासामो । जे इमे पुढविकाइया जाव' वणप्फइकाइया-एगिदिया जीवा, एएसि णं प्राणाम वा पाणामं वा उस्सास वा निस्सासं वा न याणामो न पासामो। एएणं भंते ! जीवा प्राणमंति वा ? पाणमंति वा ? ऊससंति वा? नीससंति वा? हंता गोयमा ! एए वि णं जीवा प्राणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा ॥ १. x (अ, ता, ब, भ, स) । २. ओ० सू०१। ३. भ० १६,१०। ४. भ० ११४३७ । ७४ Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई 3. " किण्णभंते ! एते जीवा प्राणमंतिवा? पाणमंति वा? ऊससंति वा? नीससंति वा? गोयमा ! दव्वनो अणंतपएसियाइं दवाई, खेत्तनो असंखेज्जपएसोगाढाइं, कालो अण्णय रठितियाई, भावनो वण्णमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई प्राणमति वा, पाणमंति वा, ऊससति वा, नीससंति वा ।। ४. जाइंभावनो वण्णमंताई प्राणमति वा, पाणमति वा ऊससंति वा. नीससंति वा ताई कि एगवण्णाई जाव कि पंचवण्णाई प्राणमंति वा? पाणमंति वा? ऊससंति वा? नीससंति वा ? गोयमा ! ठाणमरगणं पड़च्च एगवण्णाइंपि जाव पंचवण्णाई पि प्राणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा। विहाणमग्गणं पडुच्च कालवण्णाई पि जाव सुक्किलाई पि आणमंति वा, पणमंति वा, ऊससंति वानीससति वा । पाहारगमो नयवो' जाव-- ५. पुढविकाइया णं भंते ! कइदिसं आणमंति वा? पाणमंति वा ? ऊससंति वा? नीससंति वा? गोयमा ! निव्वाघाएणं छदिसि , वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसि सिय पंचदिसि ।। ६. किण्णं भंते ! नेरइया आणमंति वा ? पाणमंति वा ? ऊससंति वा ? नीससंति वा? तं चेव जाव' नियमा छद्दिसि पाणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा ।। ७. जीव-एगिदिया वाघाय-निव्वाघाया च भाणियब्वा । सेसा नियमा छद्दिसि ।। ८. वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव प्राणमंति वा ? पाणमति वा ? ऊससंति वा ? नीससंति वा? हंता गोयमा ! वाउयाए • 'वाउयाए चेव आणमंति वा, पाणमति वा, ऊससंति वा °, नीससति वा ।। वाउकायस्स कायट्टिइ-पदं ६. वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव भज्जो-भुज्जो पच्चायाति ? १. किरणं (ता)। ५, ६, ७. प० २८.१। २. दवओ पं (अ, म, स)। ८. प० २८।१। ३. ०ठितीयाई (अ, क, ता, ब, म, स)। ६. प० २८१1 ४. सं० पा०—एगवण्णाई आसमंति वा पाग - १०, सं० पा०—वाउयाए एं जाव नीससंति। मंति वा ऊससंति वा नीससंति वा आहारगमो नेयन्त्रो जाव पंचदिसं। Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीसतं ( पढमो उद्देसो) १०. से भंते! कि पुट्ठे उद्दाति ? पुट्ठे उद्दाति ? गोमा ! पुढे उद्दाति, नो प्रपुट्ठे उद्दाति ॥ ११. से भंते ! किं ससरीरी निक्खमइ ? सरीरी निक्खमइ ? गोयमा ! सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय सरीरी निक्खमइ ॥ हंता गोयमा' ! 'वाउयाए णं वाउयाए चेव प्रणेगसयस हस्सखुत्तो उद्दाइत्ताउद्दात्त तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायाति ॥ १२. से केणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ -- सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय सरीरी निक्खमइ ? गोयमा ! वाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा -- श्रोरालिए, विए, तैयए, कम्मए । ओरालिय-वेउव्वियाई विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय सरीरी निक्खमइ ॥ डाइ-नियंठ-पदं १३. मडाई णं भंते ! नियंठे नो निरुद्धभवे, नो निरुद्धभवपवंचे', नो पहीणसंसारे, नो पहीणसंसारवेयणिज्जे, नो वोच्छिण्णसंसारे, नो वोच्छिण्णसंसारवेयणिज्जे, नो निट्ठियट्ठे नो निट्ठियट्ठकरणिज्जे पुणरवि इत्थत्थं हव्वमागच्छइ ? हंता गोयमा ! मडाई णं नियंठे नो निरुद्धभवे, नो निरुद्धभवपवंचे, तो पहीणसंसारे, नो पहीणसंसारवेय णिज्जे, नो वोच्छिण्णसंसारे, नो वोच्छिण्णसंसारवेयणिज्जे, नो निट्ठियट्ठे, नो निट्ठियट्ठकरणिज्जे पुणरवि इत्थत्थं * ८. १ हव्वमागच्छइ ॥ १४. से णं भंते ! किं ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! पाणे त्ति वत्तव्वं सिया । भूए त्ति वत्तव्वं सिया । जीवेत्ति वत्तव्वं सिया । सत्ते त्ति वत्तव्वं सिया । विष्णु' त्ति वत्तव्वं सिया । 'वेदेत्ति" वत्तव्वं सिया | पाणे भूए जीवे सत्ते विष्णू वेदे त्ति वत्तव्वं सिया ।। १५. से केणट्ठेणं पाणे त्ति वत्तव्वं सिया जाव वेदे त्ति वत्तव्वं सिया ? १. सं० पा० - गोयमा जाव पच्चायाति । २. मडादी (ता) | ३. ० पबंधे ( ब ) 1 गोयमा ! जम्हा आणमइ वा, पाणमइ वा, उस्ससइ वा, नीससइ वा तम्हा पाणे त्ति वत्तव्वं सिया । जम्हा भूते भवति भविस्सति य तम्हा भूए त्ति वत्तम्वं सिया । ४. इत्थत्त ( अ, ता, ब, स वृपा); इत्तत्थं (क); वृत्ती 'इत्यर्थ - एनमर्थम्' इति व्या ख्यातमस्ति तेन तत्रापि इत्तत्थमिति पाठः संभाव्यते । ५. विन्नुय ( ब ) । ६. वेदाति (क, ता, ब, म) 1 Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२ भगवई जम्हा जीवे जीवति', जीवत्तं प्राउयं च कम्मं उवजीवति तम्हा जीवे त्ति वत्तव्वं सिया । जम्हा सत्त सुभासुभेहि कम्मेहिं तम्हा सत्ते त्ति वत्तव्वं सिया । जम्हा 'तित्तकडुकसायंविलमहुरे रसे " जाणइ तम्हा विष्णु त्ति वत्तव्वं सिया । जम्हा वेदेति य सुह- दुक्खं तम्हा वेदे त्ति वत्तव्वं सिया से तेणट्ठेणं पाणे त्ति वत्तव्वं सिया जाव वेदे त्ति वत्तव्वं सिया ॥ १६. मडाई णं भंते ! नियंठे निरुद्धभवे, निरुद्धभवपवंचे', 'पहीणसंसारे, पहीणसंसारवेयणिज्जे, वोच्छिण्णसंसारे, वोच्छिष्णसंसारवेयणज्जे, निट्ठियट्ठे, निट्ठियट्ठकर णिज्जे तो पुणरवि इत्थत्थं हवमागच्छइ ? हंता गोयमा ! मडाई णं नियंठे' "निरुद्धभवे, निरुद्धभवपवंचे, पहीणसंसारे, पहीणसंसारवेयणिज्जे, वोच्छिण्णसंसारे, वोच्छिण्णसंसारवेय णिज्जे, निट्ठियट्ठे, निट्ठियट्ठकरणिज्जे तो पुणरवि इत्थत्थं हव्वमागच्छइ ॥ १७. से णं भंते ! किं ति वत्तव्वं सिया ? गोमा ! सिद्धेत्ति वत्तब्वं सिया । बुद्धेत्ति वत्तव्वं सिया । मुत्ते त्ति वत्तव्वं सिया । पारगए त्ति वृत्तव्वं सिया । परंपरगए त्ति वृत्तव्वं सिया । सिद्धे बुद्धे परिनिव्वडे अंतकडे सव्वदुक्खप्पहीणे त्ति वत्तव्वं सिया ॥ १८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति, वंदित्ता नर्मसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति ॥ २६. तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाम्रो नगराओ गुणसिलाओ चे श्राश्र पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणव यविहारं विहरइ ॥ खंदकहा- पदं २०. तेणं कालेणं तेणं समएण कयंगला नाम नगरी होत्था - वण्णओ ॥ २१. तीसे णं कयंगलाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थि मे दिसीभाए छत्तपलासए नाम चेइए होत्था - वणो ॥ २२. तए णं समणे भगवं महावोरे उप्पन्ननाणदंसणधरे" रहा जिणे केवली जेणेव कयंगला नयरी जेणेव छत्तपलासए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता १. जीवेति ( क ) 1 . २. उवजीवेइ ( ब ) 1 ३. ० कटु ० ( ब ) ; ° महररसे (ता, 1 ४. तेजाव ( अ, क, ता, ब, म) 1 ५. सं० पा० – निरुद्धभवपवंचे जाव निट्ठियं ६. सं० पा० - नियंठे जात्र नो । o । ७. अंतगडे (क) ८. ओ० सू० १ । ६. ओ० सू०२-१३ । १०. सं० पा० - उप्पन्ननारदंसगधरे जाव समो सरणं । Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअं सतं (पढमो उद्देसो) अहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हइ, ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ जाव' ० समोसरणं । परिसा निग्गच्छइ ।। २३. तीसे णं कयंगलाए नयरीए अदूरसामंते सावत्थी नामं नयरी होत्था-वण्णो ॥ २४. तत्थ णं सावत्थीए नयरीए गहभालस्स' अंतेवासी खंदए नामं कच्चायणसगोत्तं परिव्वायगे परिवसई-रिव्वेद'-जजुब्वेद-सामवेद-अहन्वणवेद-इतिहास-पंचमाणं निघंटुछठाणं- चउण्हं वेदाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं सारए धारए पारए सडंगवी सद्वितंतविसारए, संखाणे सिक्खा-कप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोतिसामयणे', अण्णेसु य बहूसु बभण्णएसु" परिव्वायएसु य नयेसु सुपरिनिट्ठिए या वि होत्था ! २५. तत्थ णं सावत्थीए नयरीए पिंगलए नाम नियंठे वेसालियसावए" परिवसइ ।। २६. तए णं से पिंगलए नामं नियंठे वेसालियसावए अण्णया कयाइ जेणेव खंदए कच्चायणसगोत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खंदगं कच्चायणसगोतं इणमक्खेवं पुच्छे-मागहा ! १. कि सघते लोए ? अणते लोए ? २. सते जीवे ? अणंते जीवे ? ३. सग्रंता सिद्धी ? अणंता सिद्धी ? ४. सञते सिद्धे ? अणते सिद्धे ? ५. केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ?-एतावताव आइक्खाहि वुच्चमाणे एवं ।। २७. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावएणं इणम् क्खेवं पुच्छिए समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने णो संचाएइ पिंगलयस्स नियंठस्स वेसालियसावयस्स किंचि वि पमोक्ख मक्खाइउं, तुसिणीए संचिट्ठइ ।। २८. तए णं से पिंगलए नियंठे वेसालियसावए खंदयं कच्चायणसगोत्तं दोच्चं पि तच्चं पि इणमक्खेवं पुच्छे-मागहा ! १. प्रो० सू० १६-५१ 1 (ब, वृ); धारए (वृपा)। . २. ओ० सू०१। ६. जोतिसांअयणे (ता)। ३. गद्दभालिस्स (ब)। १०. बम्हण्णए (क)। ४. खंडए (ब)। ११. वेसालीसावए (क, ता); घेसालियरसावए ५. वसइ (अ)। ६. रिउव्वेद (अ, ब, स); रिजुम्वेद (क)। १२. कयाए (स)। ७. अथव्वरण (अ); अत्थव्वेय (क); अथव्ववेद १३. मागधा (ता)। (ता, म); अहव्वेद (ब)। १४. संते (ता)। ८, वारए धारए (अ, क, म, स); वारए १५. एतावता (अ, क, ब); एत्तावताव (ता, म)। Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४ भगवई १. किं सते लोए ? •अणते लोए ? २. सभंते जीवे ? अणते जीवे ? ३. सग्रंता सिद्धी ? अणता सिद्धी ? ४. सञते सिद्धे ? अणते सिद्ध ? " ५. केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ? --एतावताव प्राइक्खाहि वुच्चमाणे एवं ।। २६. तए णं से खदए कच्चायणसगोत्ते पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावएणं दोच्चं पि तच्च पि इणमक्खेवं पुच्छिए समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए' भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने णो संचाएइ पिंगलस्स नियंठस्स वेसालियसावयस्स किचि वि पमोक्खमक्खाइउं, तुसिणीए संचिट्ठइ ।। ३०. तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग'-'तिग-च उक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह ०. पहेसु महया जणसंमद्दे इ वा जणवूहे इ वा *जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी इ वा जणुक्कलिया इ वा जणसग्णिवाए इ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ, एवं भासेइ, एवं पण्णवेइ, एवं परूवेइएवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे प्राइगरे जाव सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपाविउकामे पुवाणुपुत्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इहसंपत्ते इहसमोसढे इहेव कयंगलाए नयरीए बह्यिा छत्तपलासए चेइए अहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं महप्फलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताण भगवंताणं नामगोयस्सवि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए? एगस्सवि पारियस्स धम्मियस्स सूवयणस्स सवणयाए, किमंग पूण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो। एयं णे पेच्च भवे इयभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कटु वहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता एवं दुप्पडोयारेणं-राइण्णा खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता, अण्णे य वहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितो जाव' महया उक्किट्ठसीहनाय-बोल-कलकलरवेणं पक्खुभियमहासमु दर वभूयं पिव करेमाणा सावत्थीए नयरीए मझमझेण निग्गच्छति ॥ ३१. तए णं तस्स खंदयस्स कच्चायणसगोत्तस्स बहुजणस्स अंतिए एयमटुं सोच्चा निसम्म इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था १. सं० पा०-लोए जाव केरण । २, गिछिए (अ)। ३. सं० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु । ४. ° सद्दे (अ, म, वृपा)। ५. सं० पा०-जगवहे इ वा परिसा निग्गच्छइ । ६. भ० ११७ ७. ओ० सू० ५२। Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५ बीनं सतं (पढमो उद्देसो) 'एवं खलु समणे भगवं महावीरे कयंगलाए नयरीए बहिया छत्तपलासए चेइए संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं गच्छामि गं समणं भगवं महावीरं वदामि नमसामि । सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता, नमंसित्ता सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासित्ता इमाइं च णं एयारूवाइं अट्ठाई हेऊई पसिणाइं कारणाई वागरणाई पुच्छित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिदंडं च कुंडियं च कंचणियं च करोडियं च भिसियं च केसरियं च छण्णालयं च अंकुसयं च पवित्तयं च गणेत्तियं च छत्तयं च वाहणाओं य पाउयानो' य धाउरताओ य गेण्हइ, गेण्हित्ता परिवायावसहाम्रो पडिनिक्खमाइ, पडिनिक्खमित्ता तिदंड-कुंडिय-कंचणिय-करोडिय-भिसिय-केसरिय-छण्णालय-अंकुसय-पवित्तय-गणेत्तियहत्थगए, छत्तोवाहणसंजुत्ते', धाउरत्तवत्थपरिहिए सावत्थीए नयरीए मझमज्झेणं निग्गच्छइ,निग्गच्छित्ता जेणेव कयंगला नगरी, जेणेव छत्तपलासए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।। ३२. गोयमाई ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-- दच्छिसि णं गोयमा ! पुव्वसंगइयं । क भंते ! ? खंदयं नाम। से काहे वा? किह वा ? केवच्चिरेण वा? ३३. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नाम नगरी होत्था वण्णो " । तत्थ णं सावत्थीए नयरीए गद्दभालस्स अंतेवासी खंदए नाम कच्चायणसगोत्ते परिव्वायए परिवसइ । तं चेव जाव" जेणेव ममं अंतिए, तेणेव पहारेस्थ गमणाए । से अदूरागते बहुसंपत्ते अद्धाणपडिवण्णे अंतरा पहे वट्टइ । अज्जेव णं दच्छिसि गोयमा! ३४. भत्तेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता __एवं वदासी-पहू णं भंते ! खंदए कच्चायणसगोत्ते देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे १. X (क, ता, व)। ७. ° वारणह° (क)। २. X (अ, ब, म)। ८. ० दि (क, ता, म)। ३. छण्हालय (ता)। ६. कंत (अ, क, ता)। ४. पवित्तियं (क)। १०. ओ० सू०१। ५. पाहणाओ (ता)। ११. भ० २।२५-३११ ६. ओवाइय (सू० ११७) सूत्रे 'पाउयाओ' इति १२. अदूराइते (क); अदूरियाते (व)। पदं नास्ति, प्रस्तुतप्रकरणे पि किंचिदने १३. दिच्छसि (अ, स); दच्छसि (म) । 'छत्तोवाहणसंजुत्ते' इत्यत्रापि तन्नास्ति । Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ = भवित्ता' अगाराओ' अणगारियं पव्वइत्तए ? हंता पभू ॥ ३५. जावं च णं समणे भगवं महावीरे भगवो गोयमस्स एयमट्ठ परिकहेइ, तावं च णं से खंदए कच्वायणसगोत्ते तं देस हब्वमागए ॥ } ३६. तए णं भगवं गोयमे खंदयं कच्चायणसगोत्तं दूरागतं जाणित्ता खिप्पामेव प्रभुट्टेति प्रभुट्टेत्ता खिप्पामेव पच्चुवगच्छइ, जेणेव खंदए कच्चायणसगोत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खंदयं कच्चायणसगोत्तं एवं बयासी - हे खंदया ! सागयं खंदया ! सुसागयं खंदया ! अणुरागयं खंदया ! सागयमणुरागयं खंदया ! से नूणं तुमं खंदया ! सावत्थीए नवरीए पिंगलएणं नियंडेणं वेसालियसावणं इणमक्खेवं पुच्छिए-मागहा ! किं सअंते लोगे ? श्रणंते लोगे ? एवं तं चेव जाव' जेणेव इहं, तेणेव हव्वमागए । से नूणं खंदया ! 'अट्ठे समट्ठे' ?" हंता अत्थि || ३७. तए णं से खंदए कच्चायणसगोते भगवं गोयमं एवं वयासी ---' से केस णं गोयमा" ! तहारूवे नाणी वा तवस्सी वा, जेणं तव एस अट्ठे मम ताव' रहस्यकडे हव्वमक्खाए, जो गं तुमं जाणसि ? ३८. तए णं से भगवं गोयमे खंदयं कच्चायणसगोत्तं एवं वयासी एवं खलु खंदया ! ममं धम्माfर धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे उप्पण्णनाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली तीयप चुप्पन्नमणागयवियाणए सव्वण्णू सव्वदरिसी जेणं मम एस अट्ठे तव ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए, जो णं श्रहं जाणामि खंदया ! १. भवित्ताणं (क, ता, ब, स ) 1 २. आगाराओ ( अ, क, ब, स ) । भगवई ३६. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी गच्छामो णं गोमा ! तव धम्मायरियं धम्मोवदेसयं समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामी" •सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं • पज्जुवासामो | हासुहं देवाप्पिया ! मा पड़िबंध || o ४०. तए ण से भगवं गोयमे खंदएण कच्चायणसगोत्तेणं सद्धि जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ ४१. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे वियट्टभोई" यावि होत्था || ३. अदूरआग ( अ, ब, स ) ; अदूरमागतं ( ता ) | ४. पच्चु गच्छ ( अ, क, ता, स ); पत्थुगच्छ (ब) 1 ५. रेफस्य आगमिकत्वात् ( वृ) 1 ६, भ० २।२६-३५ । -- ७-अत्थे समत्थे (क, वृ); अट्ठे समट्ठे (वृपा) । ८. सेकेणं गोयमा ( अ, ब ) ; केस णं गोयमा से (ता) ६. आय (ता) । १०. सं० पा०- नमसामो जाव पज्जुवासामो । ११. विट्टभोति ( अ, ता, ब, म स ) । Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीष सतं (पढमो उद्देसो) ४२. तए ण समणस्स भगवो महावीरस्स वियट्टभोइस्स' सरीरयं पोरालं सिंगारं कल्लाणं सिवं धन्न मंगल्लं' अणकियविभूसियं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणं चिट्ठइ ॥ । ४३. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवनो महावीरस्स वियदृभोइस्स सरीरयं अोरालं' सिंगारं कल्लाणं सिवं धन्न मंगल्लं अणलंकियविभूसियं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं सिरीए° अतीव-अतीव उवसोभेमाणं पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमाणदिए गंदिए' पीइमणे' परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ', 'करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता णच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे पज्जुवासइ ।।। खंदयाति ! समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणसगोत्तं एवं वयासी-से नणं तुमं खंदया ! सावत्थीए नयरीए पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावएणं इणमक्खेवं पुच्छिए.-मागहा ! १. कि सप्रेते लोए ? अणते लोए ? २. सग्रंते जीवे ? अणंते जीवे ? ३. सम्रता सिद्धी ? अणंता सिद्धी ? ४. सअंते सिद्धे ? अणते सिद्धे ? ५. केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ? एवं तं चेव जाव' जेणेव ममं अंतिए तेणेव हव्वमागए । से नूणं खंदया ! अठे समठे ? हंता अत्थि।। जे वि य ते खंदया! अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था—कि सभंते लोए ? अणते लोए ?--तस्स वि य णं अयमठेएवं खलु मए खंदया ! चउविहे लोए पग्णत्ते, तं जहा-~-दव्वरो, खेत्तयो, कालो, भावो। दव्वो णं एगे लोए सअंते । खेत्तो णं लोए असंखेज्जाबो जोयणकोडाकोडीअो पायाम-विक्खंभेणं, असंखेज्जाना जायणकाडाकाडामा पोरक्खवेण पण्णत्त, अत्थि पूण से आते। कालो णं लोए न कयाइ न पासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सह --भर्विस य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे नियए' सासए अक्खए अव्वए अव ट्ठिए निच्चे, नत्थि पुण से अंते । १. वियट्टाभोगिरस (ता, व, म)। ६. परमसोमणसिए (अ, क, ता, ब, म, स)। २. मंगल्लं सस्सिरीयं (क)। ७. सं० पा०---करेइ जाव पज्जुवासइ। ३. सं० पा०-पोरालं जाव अतीव । ८. भ० २।२६-३५। ४. x (अ, क, ब, म,स)1 ६. रिणतिए (अ, क, ता); रिणतए (ब)। ५. पीतमणे (अ, स)। Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८ भगवई भावनो णं लोए अणंता वण्णपज्जवा, अणंता गंधपज्जवा, अणंता रसपज्जवा, अणंता फासपज्जवा, अणंता संठाणपज्जवा, अणंता गरुयलहुयपज्जवा, अणंता अगरुयलहुयपज्जवा, नत्थि पुण से अंते । सेत्तं खंदगा ! दव्वो लोए सते, खेत्तनो लोए सते, कालो लोए अणते, भावप्रो लोए अणते ।।। ४६. जे वि य ते खंदया' ! 'अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे सम्प्पज्जित्था--- कि सञते जीवे ? • अणंते जीवे ? तस्स वि य णं अयमढें—एवं खलु •मए खंदया ! चउब्विहे जीवे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वरो, खेत्तो, कालो, भावनो। दव्वनो णं एगे जीवे सश्रते। खेत्तो णं जीवे असंखेज्जपएसिए, असंखेज्जपएसोगाढे, अत्थि पुण अंते । कालो णं जीवे न कयाइ नासो', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइभविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे, नत्थि पुण" से अंते ।। भावो णं जीवे अणंता नाणपज्जवा, अणंता दंसणपज्जवा, अणता चारित्तपज्जवा, अणंता गरुयलहुयपज्जवा, अणंता अगरुयलहुयपज्जवा, नत्थि पुण से अंते। सेत्तं खंदगा ! दव्वनो जीवे सप्रेते, खेत्तो जीवे सञते, कालो जीवे अणते, भावनो जीवे अणंते ।। ४७. जे वि य ते खंदया ! अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था--- कि सबंता सिद्धी? अणंता सिद्धी? तस्स वि य णं अयमढे । एवं खलु भए खंदया ! चउम्विहा सिद्धी पण्णत्ता, तं जहा—दव्वग्रो, खेत्तनो, कालो, भावग्रो । दव्वनो णं एगा सिद्धी समंता। खेत्तनो णं सिद्धी पणयालीसं जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साई दोण्णि य अउणापन्नजोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ता, अस्थि पुण से अंते। १. ४ (क, ब)। २. सं० पा०-खंदया जाव अता । ३. सं० पा०-खल जाव दवओ। ४. सं० पा०--आसी जाव निच्चे। ५. पुरणाइ (ता, ब, म): ६. सं० पा०-खंदया पुच्छा। Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८. बीय सतं (पढमो उद्देसो) कालो णं सिद्धी न कयाइ न पासी', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ —भविसु य, भवति य, भविस्सइ य–धुवा नियया सासया अक्खया अव्वया अवठ्ठिया निच्चा, नत्थि पुण सा अंता। भावप्रोणं सिद्धीए अणता वण्णपज्जवा, अणंता गंधपज्जवा, अणंता रसपज्जवा, अणंता फासपज्जवा, अणंता संठाणपज्जवा, अणंता गरुयलहुयपज्जवा, अणंता अगरुयलहयपज्जवा, नत्थि पूण सा अंता। सेत्तं खंदया ! °दव्वो सिद्धी सअंता, खेत्तयो सिद्धी सअंता, कालो सिद्धी अणंता, भावो सिद्धी अणता ॥ जे वि य ते खंदया ! 'नयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्थाकि सते सिद्धे ? अणते सिद्धे ? तस्स वि य णं अयमठे –एवं खलु मए खंदया ! चउविहे सिद्धे पण्णत्ते, तं जहा--दव्यो , खेत्तनो, कालो, भावप्रो !' दव्वनो णं एगे सिद्धे सन्यते । खेत्तनो णं सिद्धे असंखेज्जपएसिए, असंखेज्जपएसोगाढे, अत्थि पुण से अंते ! कालो णं सिद्धे सादीए, अपज्जवसिए, नत्थि पुण से अंते । भावप्रो णं सिद्धे अणंता नाणपज्जवा, अगंता दंसणपज्जवा, अणंता' अगरुयलहुयपज्जवा, नत्थिपु ण से अंते ।। सेत्तं खंदया ! दम्वनो सिद्धे सअंते, खेत्तयो सिद्धे सते, कालो सिद्धे अणते, भावो सिद्धे अणंते ।। ४६. जे वि य ते खंदया ! इमेयारूवे अज्झथिए चितिए •पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-- केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ? तस्स वि य णं अयमठे- एवं खलु खंदया ! मए दुविहे मरणे पण्णत्ते, तं जहा-बालमरणे य, पंडियमरणे य । से कि तं बालमरणे ? बालमरणे दुवालसविहे पण्णत्ते, तं जहा१. बलयमरणे २. वसट्टमरणे ३. अंतोसल्लमरणे ४. तब्भवमरणे ५. गिरिपडणे ६. तरुपडणे ७. जलप्पवेसे ८. जलणप्पवेसे ६. विसभक्खणे १०. सत्थोवाडणे १. सं० पा०-कालओ य भावओ य जहा चेव जाव दध्वयो। लोयस्स तहा भागियव्वा, तत्थ । ३. जाव पज्जवा (अ, क, ता, ब, म, स)। २. सं० पा० खंदया जाव किं अणते सिद्धे तं ४. सं० पा०—चितिए जाव समूप्यज्जित्था । Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ११. वेहाणसे १२. गद्धपट्ठे - इच्चेतेणं खंदया ! दुवालसविहेणं बालमरणेणं मरमाणे जीवे प्रणतेहि रइयभवग्गहणेहिं अप्पाणसंजोएइ, प्रणतेहि तिरियभवपाणं संजोएइ, प्रणतेहि मणुयभवग्गहणेहि अप्पाणं संजोएइ, अणतेहि देवभवग्ग्रहणेहिं अप्पाणं संजोएइ, प्रणाइयं च णं प्रणवदग्गं चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियदृइ । सेत्तं मरमाणे वड्ढइ-वड्ढइ । सेत्तं बालमरणे । से किं तं पंडियमरणे ? पंडिमरणेदुविहे पण्णत्ते, तं जहा - पावगमणे' य, भत्तपच्चक्खाणे य से किं तं पावगमणे ? पावगमणे दुबिहे पण्णत्ते, तं जहा -नीहारिमेय, अनीहारिमेय । नियमा अप्पण्डिकम्मे । सेत्तं पावगमणे | से किं तं भत्तपच्चक्खाणे ? भत्तपच्चवखाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -नीहारिमेय, अनीहारिमेय । नियमा सडकम्मे | सेत्तं भत्तपच्चक्खाणे | इच्चेतेणं खंदया ! दुविहेणं पंडियमरणेणं मरमाणे जीवे प्रणतेहि नेरइयभवग्गणेहिं अप्पाणं विसंजोएइ, प्रणतेहि तिरियभवग्गहणेहि अप्पाणं विसंजोएइ, अणतेहि मणुयभवग्गहणेहि अप्पाणं विसंजोएइ, प्रणतेहि देवभवग्गहणेहिं पण विसंजोएइ, अणाइयं च णं णवदग्गं चाउरंत संसारकंतारं ० वीईवयइ । सेत्तं मरमाणे हायइ - हायइ । सेत्तं पंडियमरणे | इच्चेणं संदया ! दुविहेणं मरणेणमरमाणे जीवे वड्ढइ वा, हायइ वा ॥ ५०. एत्थ गं से खंदए कच्चायणसगोत्ते संबुद्धे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदिता नमसित्ता एवं क्यासी -- इच्छामि णं भंते ! तुब्भं अंतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं निसाभित्तए । हासुहं देवाणुपिया ! मा पडिबंधं ॥ ५१. तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयस्स कच्चायणसगोत्तस्स, तीसे य महइमहालियाए परिसाए धम्मं परिकहेइ । धम्मका भाणियव्वा ॥ १. अरणवयां (अ, ब ); अरगवइगं (म ) 1 २. पाओ० (ता, म ) | ३. सं० पा– विसंजोएइ जाव वीईवयइ । ४. ओ० सू० ७१-७७ ॥ Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीग्रं सतं (पढमो उद्देसो) ५२. तए णं से खंदए कच्चा यणसगोत्ते समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हतु?' चित्तमाणं दिऐ णंदिऐ पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए उठाए उठेइ, उद्वैत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीसदहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, अब्भठेमि णं भंते ! निग्गंथ पावयणं । एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! - से जहेयं तुब्भे वदह त्ति कटु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभायं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता तिदंडं च कुंडियं च जाव धाउरत्तानो य एगंते एडेड, एडेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद, उवागच्छित्ता समण भगवं महावीरं तिक्खत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेता' 'वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-प्रालित्ते णं भत्ते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, आलित्त-पलित्ते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य। से जहानामए केइ गाहावई अगारंसि झियायमाणंसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगाए, तं गहाय प्रायाए एगंतमंत अवक्कम इ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा 'पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ । एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झ वि पाया एगे भंडे इठे कंते पिए मणणे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए 'बहुमए अणुमए" भंउकरंडगसमाणे, मा णं सीयं, मा णं उण्ह, मा णं खुहा, मा णं पिवासा, मा णं चोरा, मा णं वाला,मा ण दंसां, मा णं मसया, माणं वाइय-पित्तिय-सेंभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायंका परीस १. सं० पा०–हडतुडे जाब हियए; ° हिदये जातं स्यात् । अर्थमीमांसया भारपदस्यैवात्र संगतिर्वर्तते । २. भ० २।३१। ५. ° गुरुए (क, स)। ३. सं० पा.---करेता जाव नमंसित्ता। ६. पुराए (अ, ता, ब); पुरा (क, म) । ४. अप्पसारे (अ, क, ता, ब, स, वृ); एतत् ७. धेज्जे (अ); पेज्जे (म)। परिवर्तनं लिपिहेतुकं संभाव्यते । वृत्तिकारेण ८. अणुमए बहुमए (ता)। परिवर्तितः पाठो लब्धः, तथैव व्याख्यातः। ६. इह प्रथमावहुवचनलोपो दृश्यः (द)। अथवा वृत्तावपि भारस्य साररूपेण परिवर्तनं Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . भगवई U होवसग्गा फुसतु त्ति कटु एस में नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं, सयमेव सेहावियं, सयमेव सिक्खावियं, सयमेव अायार-गोयरं विणय-वेणइय-चरण करण-जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं ॥ ५३. तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणसगोत्तंस यमेव पवावेइ सयमेव मुंडावेइ, सयमेव सेहावेइ, सयमेव सिक्खावेइ, सयमेव पायार-गोयरं विण यवेण इय-चरण-करण-जायामायावत्तियं° धम्म माइक्खइ"-एवं देवाणु प्पिया ! गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं, एवं निसीइयव्वं, एवं तुयट्टियव्वं, एवं भंजियव्वं, एवं भासियव्वं, एवं उठाय-उट्ठाय पाणेहि भूएहिं जीवेहि सत्तेहिं संजमेणं संजमियव्वं, अस्सि च णं अट्ठ णो किचि वि' पमाइयव्वं ।।। ५४. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवरो महावीरस्स इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्म संपडिवज्जइ----तमाणाए तह गच्छइ, तह निसीयइ, तह तुयट्टइ, तह भुजई, तह भासइ, तह उट्ठाय-उट्ठाय पाणेहि भूएहिं जीवेहि सत्तेहिं संजमेणं संजमेइ, अस्सि च णं अट्ठे णो पमायइ ।। ५५. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते अणगारे जाते---इरियासमिए भासासमिए एसणासमिए पायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाणजल्ल-पारिद्वावणियास मिए मणमिए वइसलिए कायसमिए मणगुत्ते वइगुत्ते" कायगुत्ते गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी चाई लज्जू धन्ने खंतिखमे जिइंदिए सोहिए अनियाणे अप्पुस्सुए अबहिल्लेसे सुसामण्णरए दंते इणमेव निग्गथं पावयणं पुरो काउं विहरइ।। ५६. तए णं समणे भगवं महावीरे कयंगलामो नयरीनो छत्तपलासापो चेइयाओ पडि निक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । ५७. तए णं से खंदए अणगारे समणस्स भगवनो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवाग च्छित्ता समणं भगवं महावीरं बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी---इच्छामि गं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। १. परिस्सहो० (ता, म)। ६. X (अ, ब, स)। २. X (अ, क, ता, ब, म)। ७. वय (अ) ३. वित्तियं घुवं (क); वित्तियं (ता,म,स) । ८. लज्ज (अ, ब)। ४. सं० पा०- पञ्चावेइ जाव धम्म । 8. सामाइगमादियाति (क, ब); सामातिय५. ° माइक्खाइ (अ, ता, व, स)। मातियाई (स)। Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ बीअं सतं (पढमो उद्देसो) अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध । ५८. तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हठे जाव' नमंसित्ता मासियं भिक्खपडिम उवसंपज्जित्ता णं विहरइ।। ५६. तए णं से खंदए अणगारे मासियं भिक्खुपडिम अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं अहासम्म सम्म' काएण फासेइ पालेइ सोभेइ तोरेइ पूरेइ किट्रेइ अणपालेइ आणाए पाराहेइ, सम्म काएण फासेत्ता' पालेत्ता सोभेत्ता तोरेत्ता पूरेत्ता कित्ता अणुपालेत्ता आणाए° पाराहेत्ता जेणेव समणे भगव महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं' •महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं क्यासी-इच्छामि गं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता गं विहरित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबधं । तं चेव ।। ६०. एवं तमासियं, चउम्मासियं, पंचमासियं, छम्मासियं, सत्तमासियं, पढमसत्तरा तिदियं, दोच्चसत्तरातिदियं, तच्चसत्तरातिदियं, रातिदियं', एगरातियं ।। ६१. तए णं से खंदए अणगारे एगरातियं भिक्खुपडिमं अहासुतं जाव आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीर •वंद नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! तब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मउवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध ।। ६२. तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठ तुठे जाव" नमंसित्ता गुण रयणसंवच्छरं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरति, तं जहापढमं मासं च उत्थं च उत्येण अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे, रत्ति वीरासणेणं अवाउडेण य । दोच्चं मासं छठंछठेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेण दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए आयावेमाणे, रत्ति वीरासणेणं अवाउडेण य । १. भ० २१५२ 1 २. x (ता, म, वृ); समं (म, स); स्थानाङ्ग (७१३) 'अहासम्म' इति पदं नास्ति, केवलं 'सम्म' वर्तते । ३. सं० पा०--फासेत्ता जाव आराहेत्ता । ४. सं० पा०-भगवं जाव नमंसित्ता।। ५. भ० २१५८, ५६ । चेव एवं दोमासियं (अ, क, ता, ब, म, स)। ६. भ० २०५८-५९ । ७. अहोरातिदियं (अ, ता, म, स)। ८. एगरातिदियं (अ, क, म, स) ! ६. भ० २१५६ । १०. सं० पा०-महावीरं जाव नमसित्ता। ११. गुरपरयणं (क, ता, म, स)। १२. भ० २।५२ Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3x भगवई एवं तच्च मासं अट्ठमंअट्टमेणं । चउत्थं मासं दसमंदसमेणं । पंचमं मासं बारसमंबारसमेणं । छटुं मासं च उद्दसमंचउद्दसमेणं । सत्तमं मासं सोलसमंसोलसमेणं । अट्ठमं मासं अट्ठारसमंअट्ठारसमेणं । नवम मासं वीस इमंवीसइमेणं । दसमं मासं बावीसइमंबावीसइमेणं । एक्कारसमं मासं चउवीसइमंचउवीसइमेणं । बारसमं मासं छन्वीसइमंछब्बीसइमेणं 1 तेरसमं मासं अट्ठावीसइमंअट्ठावीसइमेणं । चउद्दसमं मास तिसइमंतिसइमेणं । पण्णरसमं मासं वत्तीसइमबत्तीसइमेणं । सोलसं मासं चोत्तीस इमंचोत्तीस इमेणं अणिविखत्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे, रत्ति वीरासणेणं अवाउडेण य।। ६३. तए णं से खंदए अणगारे गुण रयणसंवच्छरं तवोकम्मं अहासुत्तं अहाकप्पं जाव' पाराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता बहूहिं चउत्थ-छठ्ठट्ठम-दसमदुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । ६४. तए णं से खंदए अणगारे तेणं सोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पगहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महाणभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठि-चम्मावण द्धे किडिकिडियाभूए' किसे धमणिसंतए जाए यावि होत्था । जीवंजीवेणं गच्छइ, जीवंजीवेणं चिटठइ, भासं भासित्ता वि गिलाइ, भासं भासमाणे गिलाइ, भासं भासिरसामीति गिलाइ । से जहानामए कट्ठसगडिया इ वा, पत्तसगडिया इ वा, पत्त-तिल-भडगसगडिया" इ वा, एरंडकट्ठसगडिया इ वा, इंगालसगडिया' इ वा -उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससदं गच्छइ, ससई चिट्ठइ, एवामेव खंदए अणगारे ससई गच्छइ, ससह चिटठइ, उवचिए तवेणं अवचिए मंस-मोजिएणं, हयासणे विव भास रासिपडिच्छण्णे तवेणं, ते एणं, तव-तेयसिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे उबसोभेमाणे चिट्ठ ।। ६५. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे समोसरणं जाव" परिसा पडिगया ।। ६६. तए णं तस्स खंदयस्स अणगारस्स अण्णया कयाइ पुबरत्ताव रत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए' 'पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपज्जित्था--- १. भ० २०५६ । २. भुक्खे (अ, म)। ३. • किडिय° (अ, ब)। ४. तिलसंठगसगडिया (वृपा)। ५. इंगालकट्ठसगडिया (अ, ब)। ६. खंदए वि (ता, म)। ७. ओ० सू० १६-८० । ८. सं.पा-चितिए जाव समुप्पज्जित्था । Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसतं (पढमो उद्देसो ) एवं खलु ग्रहं इमेणं एयारूवेणं ओरालेणं' विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लक्खे निम्मंसे अट्ठि चम्मावण किडि - fasयाभूए किसे धर्माणिसंतए जाए। जीवंजीवेणं गच्छामि, जीवजीवेणं चिट्ठामि', भासं भासिता वि गिलामि, भासं भासमाणे गिलामि, भासं भासिसामीति गिलामि | - से जहानामए कट्ठसगडिया इ वा, पत्तसगडिया इवा, पत्त-तिल-भंडगसगडिया इवा, एरंडकट्ठसगडिया इ वा इंगालसगडिया इ वा उन्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससद्दं गच्छइ, ससद्दं चिट्ठइ°, एवामेव अहं पि ससद्दं गच्छामि, चिट्ठामि | १. उराले ( क ता, म स ) ; सं० पा०ओरालेणं जाव किसे । २. धवरिण ० ( क, ता, ब, म) । ३. सं० पा० - चिट्ठामि जाव गिलामि जाव एवामेव | तं प्रत्थिता मे उट्ठा कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे तं जावता प्रत्थि उट्टा कम्बले वीरिए पुरिसक्कार परक्कमे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवदेस समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पल कमल कोमलुम्मिलियम्मि अहपंडुरे पभाए, रत्तासोपासे, किय- सुयमुह - गुंजद्धरागसरिसे, कमलागरसंडवोहए, उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नम सित्ता' 'णच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सुसमाणे श्रभिमुहे विणएणं पंजलियडे ० पज्जुवासत्ता समणेण भगवया महावीरेण ग्रव्भणुग्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाणि आरोवेत्ता, समणाय समणीग्रो य खामेत्ता तहारूवेहिं थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं 'सणियं सणियं दुरुहित्ता मेहघणसंनिगासं" देवसन्निवातं पुढवीसिलापट्ट पडिले हित्ता, दव्भसंधारगं संथरित्ता दव्भसंथारोवगयस्स संलेहणाभूसणाभूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पायोवगयस्स कालं प्रणव कखमाणस्स विहरिए ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव त्ति मसूरे सहस्रस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते जेणेव समणे भगवं महावीरे" तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण -पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता पच्चासन्ने जातिदूरे सुस्समाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे • पज्जुवासइ || ४. रतणीए (ता) । ५. अहपंडरे ( अ, ता, ब ) ; अहापंडुरे ( स ) 1 ६५ ६. ० पगासे ( क ); ० संकासे (ता) | ७. सं० पा० - नमसित्ता जाव पज्जुवासित्ता ! ८. सरिणतं सणितं (क) 1 ६. दुहिता (क, म ); दू हित्ता (ता); रुहित्ता (a); दुरुहिता (स) 1 १०. मेघ० ( अ ) 1 ११. सं० पा० - महावीरे जाव पज्जुवासइ | Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६६ ६७. खंदाइ ! समणे भगवं महावीरे खंदयं अणगारं एवं वयासी से नूणं तव खंदया ! पुव्वरत्तावरत्त कालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूबे अज्झतिथए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - एवं खलु ग्रहं इमेणं एयारूवेणं तवेणं ओरालेणं विउलेणं तं चेव जाव कालं प्रणवकखमाणस्स विहरित्तए ति कट्टु एवं संपेहेसि संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्टियम्म सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते जेणेव ममं अंतिए तेणेव हव्वमागए । से नूणं खंदया ! अट्ठे समट्ठे ? हंता ग्रत्थि । हासुहं देवाप्पिया ! मा पडिबंधं 11 ६८. तए गं से खंदए अणगारे समणेण भगवया महावीरेण श्रब्भणुष्णाए समाणे हट्ठतुट्ठ' चित्तमाणं दिए दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए उठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ', करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता सयमेव पंच महाव्वयाई ग्रारुहेड', आरुहेत्ता समणा व समणीश्रो य खामेइ, खामेत्ता तहारूवेहि थेरेहि कडाईहि सद्धि विपुलं पव्वयं सनियं-सणियं द्रुहइ, दुहित्ता मेहघणसन्निगासं देवसन्निवातं पुढविसिलापट्ट्यं' पडिलेइ, पडिलेहेत्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिले हेत्ता दम्भसंथारंगं संथरइ, संथरिता पुरत्याभिमुहे संपलियंक निसणे करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासी-नमोत्थु णं अरहंताणं भगवंताणं जाव" सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपत्ताणं । नमोत्थु णं समणस्स भगवप्रो महावीरस्स जाव" सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपाविउकामस्स | वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासउ मे भगवं तत्थगए इह्गयं ति कट्टु वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - पुव्विं पि मए समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव" मिच्छादंसणसल्ले पच्चक्खाए जावज्जीवाए। इयाणि पि य णं समणस्स भगवओो महावीरस्स अंतिए १. पुव्वरत्तावररत० (क); सं० पा० - पुष्वरत्तावरत जाव जागरमाणस्स | २. सं० पा० - अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्था | ३. भ०२/६६ । ४. भ० २।६६ ५. सं० पा०-हदुतुट्ट जाव हियए । ६. सं० पा० - करेइ जाव नमसित्ता । ७. आरुभेइ (क, म ) | कडादीहि ( अ, ब, स ); कडायीहिं (ता, म) 1 ६० वट्टयं ( अ, क, म, स ) १०. औ० सू० २१ | ११. ओ० सू० २१ १२. मे से (क, ब, म, स ) ! १३. भ० १।३८४ । Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअं सतं (पडमो उद्देसो) १७ सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जावज्जीवाए जाव मिच्छादसण सल्लं पच्चक्खामि जावज्जीवाए । सव्वं असण-पाण-खाइम-साइमं–चउन्विहं पि आहारं पच्चक्खामि जावज्जोवाए । जं पि य इमं सरोरं इठें कंतं पियं जाव' मा णं वाइयपित्तिय-सेभिय-सन्निवाइय' विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कटु एयं पिणं चरिमेहि उस्सास-नीसासे हि वोसिरामि त्ति कटु संलेहणाझूसणाझसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाअोवगए काल अणवकंखमाणे विहरइ ।। ६९. तए णं से खंदए अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता, बहुपडिपुण्णाई दुवालसवासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सठ्ठि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता पालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते प्राणुपुवीए कालगए ।। ७०. तए णं ते थेरा भगवंतो खंदयं अणगारं कालगयं जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउसरग करेंति, करेत्ता पत्त-चीवराणि गेण्हंति, गेण्हित्ता विपुलाओ पव्वयानो सणियं-सणियं पच्चोहंति', पच्चोरुहिता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए नाम अणगारे 'पगइभद्दए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे' विणीए । से णं देवाणुप्पिएहिं अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाणि प्रारुहेत्ता', समणा' य समणीयो य खामेता, अम्हेहिं सद्धि विपुलं पव्वयं ० सणियं-सणियं हित्ता जाव' मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सर्द्वि भत्ताई अणसणाए छदेत्ता पालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते ° प्राणुपुवीए कालगए । इमे य से आयारभंडए । ७१. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदई नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणु प्पियाण अंतेवासी खंदए नाम अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहि गए ? कहिं उववण्णे ? गोयमाइ ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वदासी—एवं खलु १. भ० २०५२। इति द्विरुक्तमस्ति तेन औपपातिकपाठ एव २. द्रष्टव्यं २०५२ सूत्रस्य पादटिप्परम् । समीचीनोस्ति। ३. पच्चोसक्कंति (स)। ६. आरोवेत्ता (अ, क, ता, ब, स); ग्रारोहेत्ता ४. अलीणे (क, ब)। (म)। ५. प्रोपपातिके (९१, ११९) एतावान् एव ७. समणे (अ, ता, ब, म)। पाठोस्ति । अत्र केषुचिदादर्शषु 'पगइम उए ८. सं० पा०--पव्वयं तं चेव निरवसे,सं जाव पगइविणीए' इति पाठोप्यस्ति तथा 'मिउ- आरणपुब्बीए। महवसंपन्ने भद्दए विणीए' इत्यपि वर्तते । ६. भ० २१६८, ६६ । Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई W गोयमा ! मम अंतेवासी खंदए नाम अणगारे पगइभइए' पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपण्णे अल्लीणे विणीए, से णं मए अब्भणण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाइं प्रारहेता जाव' मासियाए संलेखणाए अत्ताणं झूसित्ता, सट्ठि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समा हिपत्ते कालमासे कालं किच्चा अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववण्णे ।। ७२. तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं वावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता तत्थ णं खंदयस्स वि देवस्स बावीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ७३. से णं भंते ! खंदए देवे तानो देवलोयानो पाउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं च इत्ता कहिं गच्छिहिति' ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणं अंतं करेहिति ।। बीमो उद्देसो समुग्धाय-पदं ७४. कइ णं भंते ! समुग्घाया पण्णता? गोयमा! सत्त समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा.-१. वेदणासमुग्घाए २. कसायसमुग्याए ३. मारणंतियसमुग्घाए ४. वेउव्वियसमुग्घाए ५. तेजससमुग्घाए ६. पाहारगसमुग्धाग ७. केबलियसमुग्घाए। छाउमत्थियसमुरघायवज्ज' समुग्घायपदं नेयव्वं ॥ १. सं० पा०-गइभदए जाव सेरणं । २. स. पा०-आरुहेत्ता तं चेव सव्वं अविसे सितं __णेयव्वं जाव आलोइय० । ३. भ० २।६८, ६६ । ४. गमिहिति (अ, ब, स); गच्छिही (ता)। ५. एवं रामुग्घायपदं छाउमित्थयसमुग्घायवज्ज भारिणयव्वं जाव-वेमारिणया। कसाय- समुग्धाया, अप्पाबहुयं । अरणगारस्स एवं भंते ! भावियप्पगो के बलीसमग्घाए जाव-सासतं, अरणागयद्धं चिटुंति? समुग्धायपदं नेयव्वं (अ, ब)। ६. सूत्रकृता प्रज्ञापनायाः 'मरणस्सा जहा जीवा, नवर–मरणसमुग्घाएर समोहया असंखेज्जगुणा' इत्येव पाठोत्र विवक्षितः, अतः परवर्ती छाद्मस्थिकसमुद्घातप्ररूपक पाठो नात्र अधि. कृतोस्ति । द्रष्टव्यम्-प्रज्ञापना, पद ३६ । Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ बीअं सतं (चउत्यो उद्देसो) तइभो उद्देसो पुढवि-पदं ७५. कइ णं भंते ! पुढवीपो पण्णत्ताओ? गोयमा! सत्त पुढवीरो पण्णत्ताओ, तं जहा---१. रयणप्पभा २. सक्करप्पभा ३. बालयप्पभा ४. पंकप्पभा ५. धूमप्पभा ६. तमप्पभा ७. तमतमा। जीवाभिगमे नेरइयाणं जो बितिम्रो उद्देसो सो नेयम्वो' जाव - ७६. 'किं सव्वे पाणा उववष्णपुव्वा ?" हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो।। चउत्थो उद्देसो इंदिय-पदं ७७. कइ णं भंते ! इंदिया पण्णता? गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता, तं जहा-१. सोइंदिए २. चक्खिं दिए ३. पाणिदिए ४ रसिदिए ५. फासिदिए । पढमिल्लो इंदियउद्देसो नेयव्वो जाव' ७८. अलोगे णं भंते ! किणा फुडे ? कतिहिं वा काएहि फुडे ? १. जी. ३१२। इमी से रणं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए २. अतोने ‘क, ता, म' संकेतितादर्शषु 'पुढवी निरयावाससयसहस्सेसु इक्कमिक्कसि निरया ओगाहित्ता, निरया संठारणमेव बाहल्लं । जाव वासंसि सव्वे पाणा सब्वे भूया सवे जीवा कि' एवं पाठो वर्तते । शेषादर्शषु 'बाहल्लं' सव्वे सत्ता पुढविकाइयत्ताए जाव वरणस्सइ. इति पदस्याग्रे 'विक्खंभ-परिक्खेवो, वण्णो गंधो काइयत्ताए, नेरइयत्ताए उववण्णपुवा ? य फासो य जाव किं' एवं पाठोस्ति । वृत्ति- ४. प०१५.१। कृता एका टिप्पणी कृतास्ति-सूत्रपुस्तकेषु ५. अतोने सर्वादशः 'संठाणं बाहल्लं पोहत्तं च पूर्वार्द्धमेव लिखितं, शेषाणां विवक्षितार्थानां जाव अलोगे' इति पाठोस्ति, इह च सूत्रपुस्तयावच्छब्देन सूचितत्वात् । असौ गाथा जीवा- केषु द्वारत्रयमेव लिखितं, शेषास्तु तदर्था भिगमस्य नारकद्वितीयोद्देशकार्थसंग्रहपरा वर्तते यावच्छन्देन सूचिता : (वृ)। ३. अत्र संक्षिप्तपाठः । जीवाभिगमे (३।२) पूर्ण- ६. प० १५१ । पाठः एवमस्ति Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० भगवई गोयमा ! नो धमस्थिकाएणं फुडे जाव' नो अागासत्थिकाएणं फुडे, प्रागासत्थिकायस्स देसेणं फुडे अागासत्थिकायस्स पदेसेहि फुडे, नो पुढविकाइएणं फुडे जाव' नो अद्धासमएणं फुडे, एगे अजीवदव्वदेसे अगुरुलहुए अणंतेहिं अगुरुलहुयगुणेहि संजुत्ते सव्वगासे अगंतभागूणे ।। पंचमो उद्देसो परिचारणा-वेद-पदं ७६. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति भासंति पण्णवंति परूवेंति --- १. एवं खलु नियंठे कालगए समाणे देवभूएण' अप्पाणेणं से णं तत्थ नो अण्णे देवे, नो अण्णेसि देवाणं देवीयो 'आभिजुजिय-अभिजिय" परियारेइ, नो अप्पणिच्चियानो देवीप्रो अभिजंजिय-अभिजुजिय परियारेइ, अप्पणामेव अप्पाणं विउविवय-विउव्विय परियारेइ। २. एगे वि य णं जोवे एगेणं समएणं दो वेदे वेदेइ, तं जहा-इत्थिवेदं च, पुरिसवेदं च। "जं समयं इत्थिवेयं वेएइ तं समयं पुरिसवेयं वेएट । जं समयं पुरिसवेयं वेएइ तं समयं इत्थिवेयं वेएइ । इत्थिवेयस्स वेयणाए पुरिसवेयं वेएइ, पुरिसवेयस्स वेयणाए इस्थिवेयं वेएइ। एवं खलू एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं दो वेदे वेदेइ, तं जहा° ---इत्थिवेदं च, पुरिसवेदं च ।। ८०. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जंणं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' इत्थिवेदं च, पुरिसवेदं च। जे ते एवमाहंसु, मिच्छं ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि भासामि पण्णवेमि परवेमि १. प०१५।१। २. प०१५।१ । ३. प्राकृतत्वात् भकारस्य द्वित्वम् । ४. अहियं जिय (ब)। ५. अप्पणो ० (अ, क, ता, ब); अप्पिरिणच्चि याओ (वृ); अप्परिणज्जियाओ (ठा० ३१६)। ६. सं० पा०--एवं परउत्थियवत्तव्वया ऐयव्वा जाव इत्थिवेदं। ७. भ० २।७६ । Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीसतं (पंचमो उद्देसो) १०१ १. एवं खलु नियंठे कालगए समाणे ग्रण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति - महिड्ढिएस महज्जुतीएसु महावलेसु महायसेसु महासोक्खे सु° महाणुभागे दूरगतीसु चिरट्ठितीएसु । से गं तत्थ देवे भवइ महिड्दिए जाव' दस दिसा उज्जोएमाणे पभासेमाणे' 'पासाइए दरिसणिज्जे प्रभिरूवे परूिवे । से णं तत्थ अण्णे देवे, ग्रणसि देवाणं देवीम्रो अभिजुंजिय- अभिजुंजिय परियारेइ, अप्पणिच्चिया देवीओ अभिजुजिय- अभिजुंजिय परियारेइ, नो अपणामेव अप्पाणं विउब्विय- विउब्बिय परियारेइ । २. एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं एवं वेदं वेदेइ, तं जहा - इत्थिवेदं वा, पुरिसवेदं वा । जं समयं इत्थवेदं वेदेइ नो समयं पुरिसवेदं वेदे | जं समयं पुरिसवेदं वेदेइ, नो तं समयं इत्थिवेदं वेदे | इत्थवेदस्स उदएणं नो पुरिसवेदं वेदेइ, पुरिसवेदस्स उदएणं नो इत्थवेदं वेदेइ | एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एवं वेदं वेदेइ, तं जहा -- इत्थीवेदं वा, पुरिसवेदं वा । इत्थी इत्थवेदेणं उदिणे पुरिसं पत्थेइ । पुरिसो पुरिसवेदेणं उदिष्णेणं इत्थपत्थे | दो विप्रणमण्णं पत्थति, तं जहा - इत्थी वा पुरिसं, पुरिसे वा इत्थि || गन्भ-पदं ८१. उदगब्भे' णं भंते ! उदगब्भे त्ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोमा ! जहणेणं एकं समयं उक्कोसेणं छम्मासा || ८२. तिरिक्खजोणियगब्भे णं भंते! तिरिक्खजोणियगब्भे त्ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोमा ! जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अट्ठ संवच्छराई ॥ ८३. मणुस्सीगब्भे णं भंते ! मणुस्सोगभे त्ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोमा ! जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराई ॥ ८४. कायभवत्थे णं भंते! कायभवत्थे त्ति कालग्रो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं चउवीसं संवच्छराई ॥ १. प्राकृतशैल्या उपपत्ता भवतीति दृश्यम् (वृ) | २. सं० पा० - महिड्डिएसु जाव महाणुभागेसु । ३. ठा० ८।१०। o ४. सं० पा० - प्रभासेमाणे जाव पडिरूवे | ५. अप्परणच्चियायो ( अ, क, ता, ब) 1 ६. उदगगब्भे ( अ, ब, स ) ; दगगब्भे (वृपा ) | Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ भगवई ८५. मणुस्स-पंचेंदियतिरिक्खजोणियबीए णं भंते ! जोणिभूए केवतियं कालं संचिट्ठइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता ।। ८६. एगजीवे णं भंते ! एगभवग्गणेणं केवइयाणं पुत्तत्ताए हवामागच्छइ ? गोयमा ! जहण्णेणं इक्कस्स वा 'दोण्ह वा तिण्ह' वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तस्स' जीवा गं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति ॥ ८७. एगजीवस्स णं भंते ! एगभवग्गहणेणं केवइया जीवा पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति ॥ १८. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ . जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्को सेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवाणं पुत्तत्ताए° हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! इत्थीए पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणीए मेहुणवत्तिए नामं संजोए सम्प्पज्जइ । ते दुस्रो सिणेहं 'चिणंति, चिणित्ता तत्थ णं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति । से तेणठेण *गोयमा ! एवं वुच्चइ-जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए° हव्वामागच्छति ।। ८६. मेहणण्णं भंते ! सेवमाणस्स केरिसए असंजमे कज्जई ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे रूयनालियं" वा बूरनालियं वा तत्तेणं कणएणं समभिद्धंसेज्जा, एरिसएणं गोयमा ! मेहुणं सेवमाणस्स असंजमे कज्जइ॥ १०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ ॥ १. तए णं समणे भवगं महावीरे रायगिहारो नगरानो गुणसिलामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिवखमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। तुंगियानयरी-समणोवासय-पदं ६२. तेणं कालेणं तेणं समएणं तुगिया नामं नयरी होत्था-वण्णयो । १३. तीसे णं तुंगियाए नयरीए बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभागे" पुप्फवतिए नामं चेइए होत्थावण्णो " ।। १. दोण्हं वा तिण्हं (अ, स)। ६. केरिसे (अ, ता, ब, स)। २. पुहुत्तस्स (क, स)। १०. रूवनालियं (क); रूयण्णालियं (ता); स्व३. एगजीव० (स)। ___णालियं (म)। ४. सं० पा०-वुच्चइ जाव हव्व० । ११. पूर० (ता, ब)। ५. इत्थीए य (क, ता, ब, म)। ११. भ० ११५१ । ६. संचिरांति, संचिरिणत्ता (म)। १२. ओ० सू०१। ७. सं० पा०-तेगडेरणं जाव हव्व०। १३. दिसाभागे (क)। 5. मेहुणं (अ); मेहुणेणं (स)। १४. ओ० सू० २-१३। Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ati ad (पंचमो उद्देसी) १०३ ६४. तत्थ णं तुंगियाए नयरीए बहवे समणोवासया परिवसंति-ग्रड्ढा दित्ता वित्थविपुलभवण-सयणासण जाणवाहणाइण्णा बहुधण - बहुजायरूव रयया प्रयोगपयोगसंपत्ता विच्छड्डियविपुलभत्तपाणा बहुदासी - दास - गो-महिस-गवेल - यप्पभूया बहुजणस्स अपरिभूया ग्रभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्ण - 'पावा आसव'"-संवर-निज्जर' - किरियाहिकरणबंध' - पमोक्खकुसला' सहेज्जा देवासुरनागसुवण्ण जक्ख रक्खस्स किन्नर किंपुरिस गरुलगंधव्वमहोरगादिए हिं' देवगणेहिं निग्गंथा पावयणाश्रो' ग्रणतिक्कमणिज्जा, निग्गंथे पावयणे निस्संकिया निक्कंखिया निव्वितिगिच्छा' लट्ठा' गहियट्ठा पुच्छियट्ठा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्ठिमिजपेम्माणुरागरत्ता" प्रयमाउसो ! निम्गंथे पावणे अट्ठे अयं परमट्ठे से से अणट्ठे, ऊसियफलिहा श्रवगुयदुवारा " "चियत्तंते उरघरप्पवेसा'' चाउद्दसट्ठसुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं प्रणुपालेमाणा, समणे निथे फासू- एसणिज्जेणं असण- पाण- 'खाइम - साइमेणं वत्थपडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं पीढ-फलग - सेज्जा - संथारएणं 'प्रोसह भेसज्जेणं १५ पडिलाभेमाणा बहूहिं सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण - पोसहोवबासेहिं महापरिम्हहिं तवोकमेहिं श्रप्पा भावे माणा विहरति ॥ १. पावासव (ता) | २. निज्जरा ( अ ) | ३. ० हिगरण कुसला (अ) 1 ४. प्पमोक्ख ० ( क, ता, म, स), मोक्ख • (ब) । ५. असहेज्ज ( अ, क, ता, व, म स ); असाहाय्यास्ते च ते देवादयश्चेति कर्मधारयः अथवा व्यस्तमेवेदम् (च) 1 ६. महोरगादी ( अ, म, स ) । o o ७. पवाओ (ब) 1 ८. निव्वितिगिछिया (ता) | ६. लट्ठिा ( ब ) 1 १०. ० पेमापुराव (ता) | ११. अपंगुय ० ( क ); श्रवगुत ० (म ) 1 १२. चित्तंते उरपरधर ० ( ता ) : अतोग्रे सर्वेषु आदर्शेषु 'बहूहिं सीलव्वय-गुण- वेरामणपच्चक्खाण – पोसहोववासेहि' इति पाठो दृश्यते । वृत्तिकृतापि असौ अत्रैव व्याखातः वाक्यरचनायाः सम्बन्धयोजनार्थं च ' त्रैर्युक्ता इति गम्यम्' इति उल्लिखितम् । किन्तु ओवाइय रायपसे इयसूत्रयोरवलोकनेन प्रतीयते असो पाठ: 'पडिला भेमारणा' इति पदस्यानन्तरं युज्यते ! ओवाइयसूत्रे (१२० ) ' पडिलाभेमाणे सीलव्वय-गुणवेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहि अहापरिग्गहिएहि तवोकम्मे हि अप्पाणं भावेमाणे' । रायसेाइयसूत्रे ( ६६८ ) पडिला भेमाणे बहूहिं सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चवखारणपोसहवासे हि अप्पारणं भावेमाणे ।' अनयोः पाठयोराधारेण अत्रापि असी पाठ: 'पडिलाभेमारणा' इति पदस्यानन्तरं गृहीतः । १३. चाउसि० ( ता ) ! १४. खातिम- सातिमेणं ( ब, स ) 1 १५. x ( क ) : १६. अहापडि ० ( स, वृ) । - Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ भगवई ६५. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना बलसंपन्ना रूवसंपन्ना विणयसंपन्ना नाणसंपन्ना सणसंपन्ना चरित्तसंपन्ना लज्जासंपन्ना लाघवसंपन्ना ओयंसी तेयसी वच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जियनिद्दा जिइंदिया जियपरीसहा जीवियास'-मरणभविप्पमुक्का' 'तवप्पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा निग्गहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा मद्दवप्पहाणा अज्जवप्पहाणा लाधवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विज्जाप्पहाणा मंतप्पहाणा वेयप्पहाणा बंभप्पहाणा नयप्पहाणा नियमप्पहाणा सच्चप्पहाणा सोयप्पहाणा चारुपण्णा सोही अणियाणा अप्पुस्सुया अबहिल्लेसा सुसामग्णरया अच्छिद्दपसिणवागरणा कुत्तियावणभूया बहुस्सुया बहुपरिवारा पंचहि अणगारसएहिं सद्धि संपरिबुडा अहाणुपुश्वि चरमाणा गामाणुगामं दूइज्जमाणा सुहंसुहेणं विहरमाणा जेणेव तुंगिया नगरी जेणेव पुप्फवइए चेइए 'तेणेव उवागच्छंति', उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं प्रोग्गह अोगिण्हित्ता णं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति ॥ ६६. तए णं तुंगियाए नयरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु जाव एगदिसाभिमुहा निज्जायंति ॥ ६७. तए णं ते समणोवासया इमोसे कहाए लट्ठा समाणा हट्ठतुट्ठ चित्तमाणंदिया दिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना जाव" अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिहित्ता णं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरति । तं महाफलं खलु देवाणु प्पिया! तहारूवाणं थेराणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण-पडिपुच्छम-पज्जुवासणयाए" ? ° एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्य अट्ठस्स गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया! थेरे भगवते वंदामो नमसामो२ ° सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं पज्जुवासामो । एयं णे पेच्चभवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामि ------- - - - १. ४ (क)। २. जितेंदिया (अ, क, ब); जितिदिया (म)। ३. जीवियासा (अ, ता, ब, स)। ४. सं० पा.-मरणमय विप्पमुक्का जाव कुत्तिया । ५. X (अ, ब)। ६. तेरणेवाग (अ, क, ब)। ७. X (अ, क, ब, म, स)। ८. राय० सू०६८७-६८६ । ६. सं० पा०-हट्टतुटु जाव सद्दावेति । १०. राय० सू० ६८६ । ११. सं० पा०-पज्जुवासणयाए जाव गहरणयाए। १२. सं. पा० नमसामो जाव पज्जवासामो जाव भविस्सति । Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअंसतं (पंचमो उद्देसो) १०५ 0 यत्ताए भविस्सति इति कट्टु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमट्ठे पडिसुर्णेति, पडिसुत्ता जेणेव साई-सयाई गिहाई तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता व्हाया कयबलिकम्मा कयको य-मंगल-पायच्छत्ता सुद्धप्पावेसाई मंगललाई 'वत्थाई पवर परिहिया" ग्रप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा सएहि-सएहिं गिहे हितो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता एगयो' 'मेलायंति, मेलाथित्ता" पायविहारचारेणं तुंगियाए नयरीए मज्भंमज्भेणं निगच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव पुप्फबतिए' चेइए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते पंचविणं अभिगमेण अभिगच्छंति, [तं जहा - १. सच्चित्ताणं दव्वाणं विसरणयाए २. अचित्ताणं दव्वाणं विसरणयाए ३. एगसाडिएणं उत्तरासंगकरणे ४. चक्खुप्फासे अंजलिप्पग्गहेण ५. मणसो एगत्तीकरणेणं] जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता' वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता • तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति || १८. तए णं तं थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं तीसे 'महइमहालियाए महच्चपरिसाए चाउज्जामं धम्मं परिकहेंति, तं जहा -- ० सव्वा पाणाइवायाओ वेरमणं, सव्वाश्र मुसावायाओ वेरमणं, दिण्णादाणा वेरमणं, सव्वाओ बहिद्धादाणा वेरमणं' ॥ सव्वा तणं ते समणोवासया थेराणं भगवंताणं अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ट तुट्ठा जाव' हरिसवसविसप्पमाणहियया तिक्खुत्तो श्रायाहिण-पयाहिणं करेंति, 'करेत्ता एवं " वयासी - संजमेणं भंते ! किंफले ? तवे" किंफले ? १००. तए णं ते थेरा भगवंतो ते समणोवासए एवं वयासी" संजमे णं प्रज्जो ! फले, तवे वोदाणफले ॥ &&. १०१. तए णं ते समणोवासया थेरे भगवंते एवं क्यासी - जइ णं भंते ! संजमे अणण्हयफले, तवे वोदाणफले । किपत्तियं णं भंते ! देवा देवलोएसु उववज्जति ? १. पवराई परिहिया ( क ) ; वत्थाई पवराईपरिहि त्ति क्वचिदृश्यते क्वचिच्च वत्थाई पवर परिहियत्ति (ब्रु) । २. गेहेहितो ( म स ) | ३. एगओ (ता) 1 ४. मिलायंति २ ( अ, म) 1 ५. पुप्फवतीए ( अ, क, ब, स ) । ६. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांश: प्रतीयते । जहा केसि सामिस्स, जाव समगोवासियत्ताए आगाए आराहए भवंति जाव धम्मो कहिश्रो ( अ, म, स ) ; महइमहालियाए जाव धम्मो कहिओ (क, ता, ब ) 1 ६. भ० २।४३ | १०. करेत्ता जाव तिविहाए पज्जुवासरण्याए पज्जुवासंति २ एवं (ता, म स ) ; करेता जाव एवं ( क ) 1 ११. तवे णं भंते ! (अ) | ७. सं० पा०—करेत्ता जाव तिविहाए । ८. महइमहालियाए चाउज्जामं धम्मं परिकर्हेति । १२. वदिसु ( क ) | Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १०२. तत्थ णं कालियपुत्ते नाम थेरे ते समणोवासए एवं वयासी-पुवतवेणं अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति ।। तत्थ णं मेहिले नाम थेरे ते समणोवासए एवं वयासी-पुव्वसंजमेणं अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । तत्थ णं आणंदरक्खिए नाम थेरे ते समणोवासए एवं वयासी-कम्मियाए अज्जो ! देवा देवलोएस उववज्जति ।। तत्थ णं कासवे नाम थेरे ते समणोवासए एवं वयासी--संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । पुवतवेणं, पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे गं एस' अछे, नो चेव णं पायभाववत्तव्वयाए । तए णं ते समणोवासया 'थेरेहिं भगवहि इमाइं एयारूवाई वागरणाइं वागरिया समाणा हट्ठतुट्ठा थेरे भगवंते वंदंति नमसंति, पसिणाई पुच्छंति, अट्ठाई उवादियंति, उवादिएत्ता' जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया। १०४. 'तए णं ते थेरा अण्णया कयाइं तुंगियाओ नयरीनो पुप्फवतियाओ चेइयानो पडिनिग्गच्छंति', बहिया जणवयविहार विहरति । १०५. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था-सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया । १०६. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेठे अंतेवासी इंदभूई नाम अणगारे जाव' संखित्तविपुलतेयलेस्से छठेछठेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। १०७. तए णं भगवं गोयमे छटुक्खमणपारणगंसिपढमाए पोरिसीए" सज्झायं करेइ, बीयाए पोरिसीए झाणं झियाइ, तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभंते म्हपोत्तियं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाई" पडिलेहेइ,पडिलेहेत्ता भायणाई पमज्जइ, पमज्जित्ता भायणाई उग्गाहेइ, उम्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे १. एसे (क, ब, म)। ५. X (ता, ब)। २. X (क, ता, ब)। ६. भ०१७, ८। ३. उवादिएत्ता उठाए उट्टेन्ति उद्वेत्ता धेरे ७. भ० ११६ । भगवंते तिक्खुत्तो वंदति नमसंति २ थेराणं ८. रणं से (अ, क, ता, म, स); रणं समरणे (ब)। भगवंताणं अंतियाओ पुप्फवतियाओ चेइयाओ ६. • गंमि (ता)। पडिनिक्खमंति (अ, म, स)। १०. पोरुसीए (क, ता, म)। ४. पडिनिक्खमंति (अ)। ११. भायणाई वत्थाई (अ, ब, स)। Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बोरं सतं (पंचमो उद्देसो) १०७ तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे छठ्ठक्खमणपारणगंसि रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ १०८. तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगव या महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियानो गुणसिलामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रियं 'सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाइं धरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अडइ। १०६. तए ण भगवं गोयमे रायगिहे नगरे 'उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाई घरसमु दाणस्स भिक्खायरियाए° अडमाणे बहुजणसई निसामेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! तुंगियाए नयरीए बहिया पुप्फवइए चेइए पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो समणोवासएहि इमाई एयारूवाइं वागरणाइं पुच्छिया-संजमे गं भंते ! किंफले ? तवे किंफले? तए णं ते थेरा भगवंतो ते समणोवासए एवं वयासी-संजमे णं अज्जो ! अणण्हयफले, तवे वोदाणफले तं चेव जाव" पुन्वतवेणं, पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे णं एस मठे, नो चेव णं पायभाववत्तव्वयाए। से कहमेयं मन्ने एवं ।। ११०. तए णं' भगवं गोयमे इमीसे कहाए लट्ठ समाणे जायसड्ढे जाव' समुप्पन्न कोउहल्ले अहापज्जत्तं समुदाणं गेण्हइ, गेण्हित्ता रायगिहारो नयरानो पडिनिक्खमइ अतुरिय मचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रियं सोहेमाणे ° -सोहेमाणे जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामंते गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता एसणमणेसणं आलोएइ, आलोएत्ता भत्तपाणं पडिदंसेइ, पडिदसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी-एवं खलु भंते ! अहं तुन्भेहिं अब्भणुग्णाए समाणे राय१. सोहेमारणे (क, ता, ब)। ६. भंते ! (अ, ब)। २. रणं से (अ, क, ब, म, स)। ७. रणं से (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा०-नयरे जाव अडमाणे। ८. भ० १२१०। ४. भ० २।०१, १०२। ६. सं० पाo--अतुरिय जाव सोहेमाणे। ५. मट्ठे समढे (क); अढे (ता)। १०. सं० पा०-महावीरं जाव एवं । Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गिहे नयरे उच्च-नीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणसई निसामेमि–एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुंगियाए नयरीए बहिया पुप्फवइए चेइए पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो समणोवासएहि इमाई एयारूवाइं वागरणाइं पुच्छिया—संजमे णं भंते ! किंफले ? तवे किंफले ? तं चेव जाव' सच्चे णं एस मठे, नो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए । तं' पभू णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाई वागरणाई वागरेत्तए? उदाह अप्पभु ? समिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोबासयाणं इमाई एयारूवाइं वागरणाइं वागरेत्तए ? उदाहु असमिया ? आउज्जिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाई वागरणाइं वागरेत्तए ? उदाहु अणाउज्जिया? पलिउज्जिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसि सभणोवासयाणं इमाई एयारूवाई वागरणाई वागरेत्तए ? उदाहु अपलिउज्जिया?-पुन्वतवेणं अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे णं एस मट्ठ, नो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए। पभू गं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाई वागरणाइं वागरेत्तए, नो 'चेव णं' अप्पभू । समिया णं गोयमा! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाई एयारूवाइं वागरणाइं वागरेत्तए । पाउज्जिया णं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाइं वागरणाइं वागरेत्तए । पलिउज्जिया णं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाई एयारूवाई वागरणाइं वागरेत्तए-पुवतवेणं प्रज्जो! देवा देवलोएसु उववज्जति पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे णं एस मढे, नो चेव णं पायभाववत्तव्वयाए। अहं पिणं गोयमा ! एवमाइक्खामि, भासामि, पण्णवेमि, परूवेमि-पूव्वतवेणं देवा देवलोएस उववज्जति । पूव्वसंजमेणं देवा देवलोएस उववज्जति। कम्मियाए देवा देवलोएसु उववज्जति । संगियाए देवा देवलोएसु उववज्जति । पुव्वतवेणं, पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएस उववज्जति । सच्चे णं एस मटे, नो चेव णं पायभाववत्तद्वयाए । १. भ० २१६६-१०२। २. अढे (ता)। ३. एयं (ब)। ४. अस्समिया (क, ता, म)। ५. X (अ, क, ब)। ६. सं० पा०—तह चेव नेयव्वं अविसेसियं जाव पभू समियं आउज्जियपलिउज्जिय जाव सच्चे। Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीअं सतं (पंचमो उद्देसो) १०६ १११. तहारूवं णं भंते ! समणं वा माहणं वा पज्जुवासमाणस्स किफला पज्जुवासणा? गोयमा ! सवणफला। से णं भंते ! सवणे किंफले ? नाणफले । से णं भंते ! नाणे किंफले ? विण्णाणफले । से गंभंते ! विण्णाणे किंफले ? पच्चक्खाणफले । से णं भंते ! पच्चक्खाणे किंफले ? संजमफले । से णभंते ! संजमे किफले ? अणण्यफले । से णं भंते ! अणण्हए किंफले ! तवफले। से ण भंते ! तवे किंफले ? वोदाणफले । से णं भंते ! वोदाणे किंफले ? अकिरियाफले। सा णं भंते ! अकिरिया किंफला ? सिद्धिपज्जवसाणफला-पण्णत्ता गोयमा ! संगहरणी-गाहा सवणे नाणे य विण्णाणे, पच्चक्खाणे य संजमे । अणण्हए तवे चेव, वोदाणे अकिरिया सिद्धी ॥१॥ उण्हजलकुंड-पदं ११२. अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति, भासंति, पण्णवेति, परूवति–एवं खलू रायगिहस्स नयरस्स बहिया वेभारस्स पव्वयस्स अहे, एत्थ णं महं एगे हरए' अघे' पण्णत्ते-अणेगाई जोयणाई अायाम-विक्खंभेणं, नाणादुमसंडमंडिउद्देसे, सस्सिरीए' •पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे ° पडिरूवे । तत्थ णं बहवे अोराला १. ० हरगे (ता)। ३. सं० पा०---सस्सिरीए जाव पडिरूवे । २. अप्पे (अ, के, ब, म, स); क्वचित्तु हरए त्ति न दृश्यते 'अघ' इत्यस्य च स्थाने 'अप्पे' त्ति दृश्यते (वृ)। Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई बलाहया संसेयंति संमुच्छंति वासंति । तव्वइरित्ते य णं सया समियं उसिणे उसिणे पाउकाए अभिनिस्सवइ । ११३. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! ज णं ते अण्णउत्थिया एवमा इक्खंति जाव जे ते एवमाइक्खंति, मिच्छं ते एवमाइक्खंति'। अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि, भासामि, पण्णवेमि, परूवेमि–एवं खलु रायगिहस्स नय रस्स बहिया वेभारस्स पव्वयस्स अदूरसामंते, एत्थ णं महातवोवतीरप्पभवे नाम पासवणे पण्णत्ते-पंच धणुसयाई प्रायाम-विक्खंभेणं, नाणादुमसंडमंडिउद्देसे सस्सिरीए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तत्थ णं बहवे उसिणजोणिया' जीवा य पोग्गला य उदगत्ताए वक्कमति विउक्कमति चयंति उववज्जति । तव्वइरित्ते वि य णं सया समियं उसिणे-उसिणे आउयाए अभिनिस्सवइ। एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवे पासवणे। एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवस्स पासवणस्स अट्टे पण्णत्ते ॥ ११४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ॥ छट्ठो उद्देसो भासा-पदं ११५. से नूणं भंते ! मन्नामी ति अोहारिणी भासा? एवं भासापदं भाणियव्वं ।। सत्तमो उद्देसो ठाण-पदं ११६. कृति' णं भंते ! देवा पण्णता? गोयमा ! चउव्विहा देवा पण्णत्ता, तं जहा--भवणवइ-वाणमंतर-जोइस वेमाणिया ।। १. एवमाइक्खंति जाव सव्वं नेयव्वं (अ, स); ३. उदत्ताए (ता)। एवमाइक्खंति जाव सब्वं नेयव्वं जाव ४. उवचयंति (अ, ब) । (क, ता, म)। ५. महातवोतीर० (क, ता, ब, म)। २. उसिणजोणीया (अ, ता, म, स); उसुरण- ६. १० ११ । जोगीया (ब)। ७. कतिविहा (अ, ता, म)। Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअं सतं (अट्ठमो उद्देसो) १११ ११७. कहि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जहा ठाणपदे' देवाणं वत्तव्वया सा भाणियव्वा' । उववाएण' लोयस्स असंखेज्जइभागे एवं सव्वं भाणियव्वं, जाव" सिद्धगंडिया समत्ता। कप्पाण पइट्ठाणं, बाहुल्लुच्चत्त मेव संठाणं । जीवाभिगमे जो वेमाणिउद्देसो सो भाणियब्बो सव्वो।। अट्ठमो उद्देसो चमरसभा-पदं ११८. कहि णं भंते ! चम रस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो सभा सुहम्मा पण्णत्ता ? गोयमा ! जंबुद्दीवे" दीवे मंदरस्सं पव्वयस्स दाहिणे णं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स वाहिरिल्लाप्रो वेइयंताप्रो अरुणोदयं" समुह बायालीसं जोयणसयसहस्साई प्रोगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स अरिदस्स असुरकुमाररण्णो तिगिछिकूडे" नाम उप्पायपव्वए पण्णत्ते-सत्तरसएक्कवीसे जोयणसए उड्ढं उच्चत्तेणं चत्तारितीसे जोयणसए कोसं च 'उध्वेहेणं मूले दसबावीसे जोयणसए विक्खंभेणं, मज्झे चत्तारि चउवीसे जोयणसए विक्खंभेणं, [ उरि सत्ततेवीसे जोयणसए विखंभेणं, ] मूले तिण्णि जोयणसहस्साइं, दोण्णि य बत्तीसुत्तरे जोयणसए किचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, मज्झे एगं जोयणसहस्सं तिण्णि य इगयाले" जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, उरि दोषिण १. प०२। ८. X (अ, म, स)। २. भाणियब्वा नवरं भवरणा पण्णत्ता (अ, क, ६. असुररण्णो (क, ता, ब)। ता, ब, म, स); नवरं भवरणा पुण्णत्त त्ति १०. जंबुदीवे (म)। क्वचिद् दृश्यते तस्य च फलं न सम्यगव- ११. °मसंखेज्ज (ता, व, स) ! गम्यते (वृ)। १२. वीति ० (अ, क, ब, म) ३. उववादेणं (अ, क, ब, म)। १३. अरुणोदं (क, म)। ४. ५०२ 1 १४. जोयणसहस्साई (अ, क, ता, म, स)। ५. सम्मत्ता (क, ब, म, स)। १५. तिगिच्छि° (क); तिगिच्छ० (म)। ६. जाव (अ)। १६. इयाले (अ) 1 ७. वेमारिणयुद्देसो (ता, ब)। Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ भगवई य जोयणसहस्साई, दोण्णि य छलसीए जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं,' मूले वित्थडे, मज्झे संखित्त, उप्पिं विसाले, वरव इरविग्गहिए महामउंदसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे 'सण्हे लण्हे घटे मढे निरए निम्मले निप्पंके निक्कंकडच्छाए सप्पभे समिरिईए सउज्जोए पासादीएद रिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । से णं एगाए पउमवरवेइयाए, वणसंडेण य सव्वो समंता संपरिक्खित्ते । पउमवरवेइयाए वणसंडस्स य वण्णो । ११६. तस्स णं तिगिछिकूडस्स उप्पायपव्वयस्स उप्पि बहुसम-रमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते-वष्णनों ।। १२०. तस्स णं बहुसम-रमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महं एगे पासायव.सए पण्णत्ते—अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं, पणुवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं । पासायवण्णो । उल्लोयभूमिवण्णओ। अट्ठजोयणाई मणिपेढिया । चमरस्स सीहासणं सपरिवार भाणियव्वं ।। १२१. तस्स णं तिगिछिकडस्स दाहिणे णं छक्कोडिसए पणवन्नं च कोडोश्रो पणतीसं च सयसहस्साइं पण्णासं च सहस्साई अरुणोदए समुद्दे तिरियं वीइवइत्ता अहे रयणप्पभाए पुढवीए चत्तालीसं जोयणसहस्साइं, प्रोगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचा नामं रायहाणी पण्णत्ता एगं जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं जंबूदीवप्पमाणा। १. उव्वेहेणं गोथुभस्स आवासपव्वयस्स पमारणेणं नेयवं, नवरं उवरिल्लं पमाणं मझे भारिणयव्वं जाव (क, ता, ब, वृ)। अ, म, स संकेतितादर्शष द्वयोव योमिथणं श्यते । २. ० विग्गहे (अ, ब, स)। ३. सं० पा०-अच्छे जाव पडिरूवे । ४. राय० मू० १८६-२०१ । ५. राय० सू० २४-३११ ६. पण ० (अ, स)। ७. राय० सू० २०४। ८. राय० सू० २४-३४; भ० वृत्ति । है. तच्चवम् तस्स णं सिंहासणस्स अवरुत्तरे ण, उत्तरेरणं, उत्तरपुरथिमे णं, एत्थ एं चमरस्स चउसट्ठी सामारिणयसाहस्सोणं, चउसट्ठी भद्दासणसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, एवं पुरथिमे ग पंचण्ई, अगमहिसोरणं सपरिवाराणं पंच भद्दासगाई सपरिवाराई, दाहिरणपुरस्थिमे ण अभितरियाए परिसाए चउध्वीसाए देवसाहस्सीणं चउव्वीसं भद्दासणसाहस्सीओ, एवं दाहिणणं पच्चत्यिमे र सत्तण्हं अरिणयाहिवईणं मज्झिमाए अट्ठावीसं भद्दासणसाहस्सीओ, दाहिरणपच्चत्थिमे णं बाहिराए बत्तीसं भद्दासणसाहसीओ, सत्त भद्दासगाई, चउद्दिसं आयरक्खदेवाणं चत्तारि भद्दासणसहस्सच उसट्ठीओ (वृ)। Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बोग्रं सतं (नवमो उद्देसो) अोवारियलेणं सोलसजोयणसहस्साइं आयाम-विक्खंभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, सव्वप्पमाणं वेमाणियप्पमाणस्स अद्धं नेयव्वं'। नवमो उद्देसो समयखेत्त-पदं १२२. किमिदं भंते ! समयखेत्ते त्ति पच्चति ? गोयमा ! अड्ढाइज्जा दीवा, दो य समुद्दा, एस णं एवइए समयखेत्तेति पच्चति ॥ १२३. तत्थ णं अयं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाणं सब्वभंतरे । एवं जीवाभिगम वत्तव्वया नेयव्वा जाव' अभिंतर-पुक्खरद्धं जोइसविहूणं' । १. एतदेव वाचनान्तरे उक्तम --'चत्तारि परि वाडीओ पासायवडेंसगाणं अद्धद्धहीणाओ (वृ), राय० सू० २०४-२०८ 1 २. जी० ३। ३. वाचनान्तरे तु 'जोइसअट्ठविहूणं' ति इत्यादि बहु दृश्यते, तत्र 'जंबुद्दीवे रणं भंते ! कइ चंदा पभासिंसु वा ३? कति सरीया तविसु वा ३? कइ नक्खत्ता जोइं जोइंसु वा ३? इत्यादिकानि प्रत्येकं ज्योतिष्कसत्राणि, तथा-से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे ?, गोयमा ! जंबडीवे णं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेण लवणस्स दाहिरणे एवं जाव तत्थ २ वहवे जंबुरुक्खा जंबूवण्णा जाव उपसोहेमाणा चिटुंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे इत्यादीनि प्रत्येकमर्थसूत्राणि च सन्ति, ततश्चैतद्विहीनं यथा भवत्येवं जीवाभिगमवक्तव्यतया नेयं अस्योद्देशकस्य सूत्रं 'जाव इमा गाह' ति संग्रहगाथा, सा च- "अरहंत समय बायर, विज्जू थगिया बलाहगा अगरगी। आगर निहि नइ उवराग निगमे वुड्ढिवयरणं च (वृ)। Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई दसमो उद्देसो अस्थिकाय-पदं १२४. कति णं भंते ! अत्थिकाया पण्णत्ता? गोयमा ! पंच अस्थिकाया पणत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए, आगासत्थिकाए, जीवत्थिकाए, पोरगलत्थिकाए । १२५. धम्मत्थिकाए णं भंते ! कतिवणे ? कतिगंधे ? कतिरसे ? कतिफासे ? गोयमा ! अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे; अरूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासमो पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वो, खेत्तग्रो, कालओ, भावओ, गुणओ। दव्वनो णं धम्मत्थिकाए एगे दव्वे, खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते, कालो न कयाइ न आसि, न कयाइ' 'नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवति य, भविस्सइ य–धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए°, णिच्चे। भावप्रो अवणे, अगंधे, अरसे, अफासे । गुणनो गमणगुणे ॥ १२६. अधम्मत्थिकाए' •णं भंते ! कतिवण्णे ? कतिगंधे ? कतिरसे ? कतिफासे ? गोयमा ! अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे; अरूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासो पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा--दव्वरो, खेत्तो, कालो, भावग्रो, गुणओ। दव्वयो णं अधम्मत्थिकाए एगे दव्वे । खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते। कालो न कयाइ न आसि, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवति य, भविस्सइ य---धुवे, णियए, सासए, अक्खाए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे। भावनो अवण्णे, अगंधे, परसे, अफासे । गुणो ठाणगुणे° || १. सं० पा०--कयाइ जाव णिच्चे। २. सं० पा.- अधम्मस्थिकाए एवं चेव नवरं गुणओ ठाणगुणे। Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बोयं सतं (दसमो उद्देसो) १२७. आगासत्थिकाए' •णं भंते ! कतिवणे ? कतिगंधे ? कतिरसे ? कतिफासे ? गोयमा ! अवणे, अगंधे, अरसे, अफासे ; अरूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वरो, खेत्तमो, कालो, भावनो, गुणनो। दव्वओ णं आगासस्थिकाए एगे दव्वे । खेत्तनो लोयालोयप्पमाणमेत्ते—अणंते। कालो न कयाइ न आसि, न कयाइ नथि, न कयाइ न भविस्सइ---भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अब्दए, अवढिए. णिच्चे । भावओ अवणे, अगंधे, अरसे, अफासे 1° गुणो अवगाहणागुणे ॥ १२८. जीवत्थिकाए णं भंते ! कतिवण्णे ? कतिगंधे ? कतिरसे ? कतिफासे ? गोयमा ! अवणे', 'अगंधे, अरसे, अफासे ° ; अरूवी, जीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासओ पंचविहे पण्णत्ते,-तं जहा-दव्वओ', खेत्तओ, कालनो, भावो', गुणओ। दव्वओ णं जीवत्थिकाए अणंताई जीवदव्वाइं । खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते ।। कालओ न कयाइ न आसि', 'न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ–भविंसु य, भवति य, भविस्सइ य–धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए° णिच्चे। भावप्रो अवणे, अगंधे, अरसे, अफासे। गुणनो उवओगगुणे ॥ १२६. पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! कतिवण्णे ? कतिगंधे ? कति रसे° ? कतिफासे ? गोयमा ! पंचवणे, पंचरसे, दुगंधे, अट्ठफासे; रूवी, अजोवे, सासए, अवट्ठिए, लोगदव्वे । १. सं० पा०-~आगासस्थिकाए वि एवं चेव ३. सं० पा०—दम्वओ जाव गुणओ। नवरं खेत्तओ णं आगासस्थिकाए लोयालो- ४. सं० पा०--आसि जाव णिच्चे। - यप्पमाणमेते अणंते चेव जाव गुणओ। ५. सं० पा.--कतिवण्णे जाव कतिफासे । २. सं० पा०-अवणे जाव अरूवी। Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई से समासो पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा--दव्वओ, खेत्तो, कालओ, भावओ गुणओ। दव्वओ णं पोग्गलत्थिकाए अणंताई दवाई । खेत्तो लोयप्पमाणमेत्ते । कालो न कयाइ न आसि', 'न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवति य, भविस्सइ य---धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्टिए°, णिच्चे। भावनो वण्णमंते, गंधमंते, रसमंते, फासमंते । गुणो गहणगुणे ।। १३०. एगे भंते ! धम्मत्थिकायपदेसे धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! णो इणटे सम? ।। १३१. एवं दोण्णि, 'तिपिण, चत्तारि" पंच, छ, सत्त, अट्ठ, नव, दस, संखेज्जा, असं खेज्जा । भंते ! धम्मत्थिकायपदेसा धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्य सिया ? गोयमा ! णो इणद्वै समढें ॥ १३२. एगपदेसूणे वि य णं भंते ! धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! गो इणद्वै समढे ।। १३३. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणे वि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए ति वत्तव्वं सिया? से नणं गोयमा ! खंडे चक्के ? सगले चक्के ? भगवं! नो खंडे चक्के, सगले चक्के । ""खंडे छत्ते ? सगले छत्ते ? भगवं ! नो खंडे छत्ते, सगले छत्ते । खंडे चम्मे? सगले चम्मे ? भगवं ! नो खंडे चम्मे, सगले चम्मे । खंडे दंडे ? सगले दंडे ? भगवं ! नो खंडे दंडे, सगले दंडे । खंडे दूसे ? सगले दूसे ? १. सं० पा०-आसि जाव णिच्चे। २. दोणि वि (अ, स); दो (क)। ३. तिणि वि चत्तारि वि (अ, स)। ४. सं० पा०-एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे आउहे मोदए। Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअं सतं (दसमो उद्देसो) ११७ भगवं ! नो खंडे दूसे, सगले दूसे। खंडे आयुहे ? सगले आयुहे ? भगवं! नो खंडे आयुहे, सगले प्रायुहे । खंडे मोदए ? सगले मोदए ? भगवं! नो खंडे मोदए, सगले मोदए । ° से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइएगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धण्मस्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणे वि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ।। १३४. से किंखाइ' णं भंते ! धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! असंखेज्जा धम्मत्थिकायपदेसा, ते सव्वे कसिणा पडिपुण्णा निरवसेसा एकग्गहणगहिया–एस णं गोयमा ! धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ।। १३५. एवं अधम्मत्थिकाए वि। आगासत्थिकाय-जीवत्थिकाय-पोग्गलत्थिकाया वि एवं चेव, नवरं-तिण्हं पि पदेसा अणंता भाणियव्वा । सेस तं चेव ।। जीवत्त-उवदंसण-पदं १३६. जीवे णं भंते ! सउठाणे सकम्मे सबले सवोरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे आयभावेणं जीवभाव उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! जीवे णं सउट्ठाणे 'सकम्मे सवले सवीरिए सपुरिसक्कार परक्कमे प्रायभावेणं जीवभावं° उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया ॥ १३७. से केणद्वेण भंते ! एवं बुच्चइ--जीवे णं सउहाणे सकम्मे सवले सवीरिए सपरिसक्कार-परक्कमे अायभावेणं जीवभावं उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया? गोयमा! जीवे णं अणताणं आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं, अणंताणं सुयनाणपज्जवाणं, अणंताणं अोहिनाणपज्जवाण, अणताणं मणपज्जवनाणपज्जवाणं, अणंताणं केवलनाणपज्जवाणं, अणंताणं मइअण्णाणपज्जवाणं, अणंताणं सुयअण्णाणपज्जवाणं, अणंताणं विभंगनाणपज्जवाणं, अणंताणं चक्खुदंसणपज्जवाणं, अणताणं अचवखुदंसणपज्जवाणं, अणंताणं प्रोहिदसणपज्जवाणं, अणंताणं केवलदसणपज्जवाणं उवयोगं गच्छइ । उवप्रोगलक्खणे णं जीवे । से एएणद्वेणं एवं वुच्चइ-गोयमा ! जीवे णं सउट्टाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे पायभावेणं जीवभावं उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया ॥ १. आउहे (क, ब)। २. मोयए (अ, क, ब, स)। ३. किंखाइए (ता)। ४. सं० पा० --सउढाणे जाव उवदंसेतीति । ५. सं० पा०—केरगडेरणं जाव वत्तत्वं । ६. सं० पा०-सउढाणे जाव वत्तव्वं । Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई प्रागास-पदं १३८. कतिविहे णं भंते ! आगासे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे आगासे पण्णत्ते, तं जहा-लोयागासे' य अलोयागासे य ॥ १३६. लोयागासे णं भंते ! कि जीवा ? जीवदेसा? जीवप्पदेसा ? अजीवा ? अजीवदेसा? अजीवप्पदेसा? गोयमा ! जीवा वि, जीवदेसा वि, जीवप्पदेसा वि'; अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवप्पदेसा वि। जे जीवा ते नियमा एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चरिदिया, पंचिंदिया, अणिदिया। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा', 'बेइंदियदेसा, तेइंदियदेसा, चरिदियदेसा, पंचिदियदेसा', अणिदियदेसा । जे जीवप्पदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा', 'बेइंदियपदेसा, तेइंदियपदेसा, चरिदियपदेसा, पंचिदियपदेसा, अणिदियपदेसा। जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–रूवी य अरूवी य । जे रूवी ते चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, परमाणुपोग्गला। जे अरूबी ते पंचविहा पण्णता, तं जहा-धम्मत्थिकाए, नो धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा; अधम्मत्थिकाए, नो अधम्मत्थिकायस्स देसे, अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमए ।।। १४०. अलोयागासे णं भंते ! कि जीवा ? •जीवदेसा? जीवप्पदेसा? अजीवा ? अजीवदेसा? अजीवप्पदेसा? गोयमा ! नो जीवा', 'नो जीवदेसा, नो जीवप्पदेसा; नो अजीवा, नो अजीवदेस °, नो अजीवप्पदेसा; एगे अजीवदव्वदेसे अगरुयलहुए अणंतेहिं अगरुयलहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासे अणंतभागूणे ॥ अत्थिकाय-पदं १४१. धम्मत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुड़े लोयं चेव फुसित्ता णं चिद्रइ ।। १. ° कासे (क, ता, म)। ४. सं० पा०-जीवा पुच्छा तह चेव । २. सं.पा.-एगिदियदेसा जाव अणिदिय देसा। ५. सं० पा०-जीवा जाव नो। ३. सं० पा०----एगिदियपदेसा जाव अणिदिय पदेसा। Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीस ( दसमी उद्देसी) १४२. अधम्मत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ ॥ १४३. लोयाकासे णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ ॥ १४४. जीवत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चैव फुसित्ता णं चिट्ठइ ॥ १४५. पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठ° ॥ कुसरणा-पदं १४६. अहोलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवइयं फुसति ? गोयमा ! सातिरेगं अद्धं फुसति ॥ १४७. तिरियलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवइयं फुसति ? " गोयमा ! असंखेज्जइभागं फुसति ॥ ० १४८. उड्ढलोए णं भंते! 'धम्मत्थिकायस्स केवइयं फुसति ? गोयमा ! देसूणं अद्धं फुसति ॥ १४६. इमाणं भंते ! रयणप्पभापुढवी धम्मत्थिकायस्स कि संखेज्जइभागं फुसति ? असंखेज्जइभागं फुसति ? संखेज्जे भागे फुसति ? असंखेज्जे भागे फुसति ? सव्वं सति ? गोयमा ! णो संखेज्जइभागं फुसति, असंखेज्जइभागं फुसति, णो संखेज्जे भागे फुसति, णो प्रसंखेज्जे भागे फुसति, जो सव्वं फुसति ॥ १५०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदही धम्मत्थिकायस्स किं संखेज्जइभागं फुसति ? श्रसंखेज्जइभागं फुसति ? संखेज्जे भागे फुसति ? असंखेज्जे भागे फुसति ? सव्वं फुसति ? जहा रयणप्पभा तहा घणोदहि-घणवाय-तणुवाया वि ॥ ११९ १५१. इमी से णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए श्रोवासंतरे धम्मथिकायस्त किं संखज्जइभागं फुसति ? असंखेज्जइभागं फुसति ? संखेज्जे भागे फुसति ? असंखेज्जे भागे फुसति ? सव्वं फुसति ? गोयमा ! संखेज्जइभागं फुसति, नो असंखेज्जइभागं फुसति, नो संखेज्जे भागे फुसति, नो प्रसंखेज्जे भागे फुसति, नो सव्वं फुसति । प्रवासंत राई सव्वाई ॥ १. सं० पा० एवं अधम्मत्थिकाए लोया कासे जीवfत्थकाए पोगलत्थिकाए पंच वि एक्काभिलावा । २. सं० पा० - भंते पुच्छा । ३. सं० पा० - भंते पुच्छा । Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० भगवई १५२. जहा रयणप्पभाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया एवं जाव' अहेसत्तमाए । एवं सोहम्मे कप्पे जाव' ईसीपब्भारा पुढवी--एते सव्वे वि असंखेज्जइभागं फुसंति । सेसा पडिसेहियव्वा । १५३. एवं अधम्मत्थिकाए, एवं लोयाकासे वि । संगहणी-गाहा पुढवोदही घण-तणू, कप्पा गेवेज्जणुत्तरा सिद्धी । संखेज्जइभागं अंतरेसु सेसा असंखेज्जा ॥१॥ १. भाणिया (अ, ता, ब, स)। २. भ० २११४६-१५१, २१७५ । ३. अहेसत्तमाए जंबुद्दीवाइया दीवसमुद्दा (अ, ता, म)। ४. अ० सु० २८७ Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संग्रहणी - गाहा १. केरिसविउव्वणा २. चमर ३. किरिय ४, ५. जाणित्थि ६. नगर ७. पाला य । ८. हिवह 8. इंदिय १० परिसा, ततियम्मि सए' दसुद्देसा ||१|| तइयं सतं पढमो उद्देस उक्खेव पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं मोया नामं नयरी होत्था -- वण्ण' || २. तीसे णं मोयाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे नंदणे नामं चेइए होत्था - वणो ॥ ३. 'तेणं कालेणं तेणं समएणं" सामी समोसढे । परिसा निग्गच्छर, पडिगया परिसा || देवविकुव्वरणा-पदं ४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स दोच्चे अंतेवासी भूई नाम अणगारे गोयमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वदासि - चमरे णं भंते ! प्रसुरिंदे असुरराया के महिड्ढीए' ? के महज्जुतीए ? केमहाबले ? केमहायसे ? केमहासोक्खे ? केमहाणुभागे ? केवइयं च णं पभू विकुव्वित्तए ? १. सदे (ता) । २. ओ० सू० १ । ३. ओ० सू० २-१३ । ४. X ( ता ) । ५. भ० १६, १० गोयमा ! चमरे णं असुरिंदे असुरराया महिड्ढीए, महज्जुतीए, महाबले, महायसे, महासोक्खे', महाणुभागे । से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं, चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं, तायत्तीसाएं ताबत्तीसगाणं, ६. के महड्ढीए ( कम ) | ७. सं० पा० – महिड्ढीए जाव महाभागे । ८. भवण ० ( अ, क, ता, म) 1 ९. तावत्तीसाए ( अ, ता, ब, म, स ) । १०. सं० पा० - तावत्तीसगाणं जाव विहरइ । Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ भगवई 'चउण्हं लोगपालाणं, पंचण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, चउसट्ठीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं, अण्णेसिं च बहूणं चमरचंचा रायहाणिवत्थव्वाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं आणा-ईसर-सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयनमृगीय-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइंगपडुप्पवाइयर वेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजेमाणे विहरइ। एमहिड्ढीए,' 'एमहज्जुतीए, एमहाबले, एमहायस, एमहासोक्खे,° एमहाणभागे । एवतियं च णं पभ विकृवित्तए । से जहानामए-जूवती जवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया वेउव्विय समुग्घाएणं समोहण्णइ,' समोहणित्ता 'संखेज्जाइं जोयणाई" दंड निसिरइ, तं जहा–रयणाण' 'वयराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगब्भाणं पुलगाणं सोगंधियाणं जोईरसाण अंजणाणं अंजणपुलगाणं रययाण जायरूवाणं अंकाणं फलिहाणं रिटाणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ, परिसाडेत्ता अहासुहमे पोग्गले परियायइ', परियाइत्ता दोच्चं पि वे उब्वियसमुग्धाएणं समोहण्णति । पभू णं गोयमा ! चमरे असुरिदे असुरराया केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं बहूहि असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य पाइण्णं वितिकिण्णं उवत्थडं संथडं फुडं अवगाढावगाढं करेत्तए। अदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चमरे असुरिंदे असुरराया तिरियमसंखेज्जे दीव-समुद्दे बहूहि असुरकुमारेहि देवेहिं देवीहि य आइण्णे वितिकिण्णे उवत्थडे संथडे फडे अवगाढावगाढे करेत्तए। एस णं गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, णो चेव णं संपत्तीए विकुविसु वा विकुम्वति वा विकुव्विस्सति वा । ५. जइ णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुरराया एमहिड्ढीए जाव एवइयं च णं पभू विकुवित्तए, चमरस्स णं भंते ! असुरिदस्स असुररण्णो सामाणिया देवा केमहिड्ढीया ? जाव" केवइयं च णं पभू विकुन्वित्तए ? १. सं० पा.-एमहिड्ढीए जाव एमहाणुभागे। जोतीरसाणं अंकारणं अंजणाणं रयणाणं २. समोहणइ (अ, ता, स)। जायरूवारणं अंजणपूलयारणं फलिहारणं । ३. संखेज्जाणि जोयणाणि (अ, ब)। ६. परियाति (क)। ४. उड्ढं दंडं (ता, म)। ७. अरगाढावगाढं (अ, ता, ब)1 ५. सं० पा०–रयगारणं जाव रिट्ठाणं । अस्य. ८. अरगाढावगाळे (अ, क, ता, ब)। पूर्ति:--'रायपसेरगइय' (१०) सूत्रेण कृता। ६. अतमेता° (ता)। भगवतीवृत्ती तु एतत् पूत्तिरित्थमस्ति- १०. भ० ३।४। वइराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसार- ११. भ० ३१४ । गल्लारणं हंसगब्भारणं पुलयारणं सोगंधियाणं Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सइयं सतं (पढमी उद्देसो) . १२३ 0 गोयमा ! चमरस्स प्रसुरिदस्स असुररण्णो सामाणिया देवा महिड्ढीया' ● महज्जुतीया महाबला महायसा महासोक्खा महाणुभागा । ते णं तत्थ साणं-साण भवणाणं, साणं- साणं सामाणियाणं, साणं साणं श्रगमहिसीणं जाव' दिव्वाइं भोग भोगाई भुजमाणा विहति । एमहिड्ढोया जाव' एवइयं च णं 'पभू विकुव्वितए । से जहानाम—– जुवती जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो एगमेगे सामाणियदेवे वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहण्णइ जाव' दोच्चं पि वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहण | पभू णं गोयमा ! चमरस्स प्रसुरिदस्स असुररण्णो एगमेगे सामाणियदेवे केवल कप्पं जंबुद्दी दीव बहूहिं सुरकुमारेहि देवेहिं देवीहि य आइण्णं वितिकिष्णं उवत्थड संथ फुडं प्रवगाढावगाढं करेत्तए । अदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चमरस्स असुरिंदरस असुररण्णो एगमेगे सामाणियदेवे तिरियमसंखेज्जे दीव-समुद्दे बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहि देवीहि य श्राइणे वितिकिण्णे उवत्थडे संथडे फुड़े अवगाढावगाढे करेत्तए । एस णं गोयमा ! चमरस्स ग्रसुरिदस्स असुररण्णो एगमेगस्स सामाणि देवस्स यमेरूवे विस विसयमेत्ते बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विकुव्विसु वा विकुव्वंति वा विकुव्विस्संति वा । ६. जइ णं भंते ! चमरस्स प्रसुरिदस्स असुररण्णो सामाणियदेवा एमहिड्ढीया जाव एवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए, चमरस्स णं भंते! असुरिदस्स असुररण्णो तावत्तीया' देवा के महिड्ढीया' ? तावत्तीसया जहा सामाणिया तहा नेयव्वा । लोयपाला तहेव, नवरं - संखेज्जा दीव- समुद्दा भाणियव्वा' । ७. जइ णं भंते ! चमरस्स प्रसुरिंदस्स असुररण्णो लोगपाला देवा एमहिड्ढीया जाव' एवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए, चमरस्स णं असुरिंदरस असुररण्णो अग्गमहिसीश्रो देवी के महिढिया जाव" केवइयं च णं पभू विकुव्वित्तए ? गोयमा ! चमरस्स णं असुरिदस्स असुररण्णो अग्गमहिसीओ देवीओ महिड्ढियाश्रो १. सं० पा०-- महिड्ढीया जाव महाणुभागा । २. भ० ३३४ । ३. भ० ३१४ | ४. भ० ३।४ । ५. भ० ३।४ । ६. तायत्ती ० ( क ) 1 ७. महड्डिया ( स ) | ८. भारिणयव्वा बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवेहि य आइन् जाव विकुव्विस्संति वा ( अ, ब ) । ६. भ० ३।४ । १०. भ० ३१४ | Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १२४ जाव' महाणुभागाओ' । तानो णं तत्थ साणं-साणं भवणाणं, साणं-साणं सामाणियसाहस्सीणं, साणं-साणं महत्तरियाणं', साथ-साणं परिसाणं जाव' एमहिड्ढोयानो। अण्णं जहा लोगपालाणं अपरिसेसं ।। ८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं,दोच्चे गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तच्चं गोयमं वायुभूति अणगारं एवं वदासि—एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया एमहिड्ढोए तं चेव एवं सव्वं अपुट्ठवागरणं नेयव्वं अपरिसे सियं जाव' अग्गमहिसीणं वत्तव्वया समत्ता। ६. तेणं से तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे दोच्चस्स गोयमस्स अग्गिभूतिस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स भासमाणस्स पण्णवेमाणस्स परूवेमाणस्स एयमटुं नो सहहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एयम४ असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे उट्ठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव पज्जुवासमाणे एवं बयासी-एवं खलु भंते ! दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे मम एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ–एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्ढीए' जाव" महाणुभागे । से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं तं चेव सव्वं अपरिसेसं भाणियव्वं जाव" अग्गमहिसीण वत्तब्वया समत्ता। १०. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे तच्चं गोयमं वायुभति अणगारं एवं वयासीजणं गोयमा ! तव दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ–एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिदे असुरराया महिड्ढीए तं चेव सव्वं जाव" अग्गमहिसीओ । सच्चे णं एसमढें। अहं पि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि भासामि पण्णवेमि परूवेमि-एवं खलु गोयमा ! चमरे अरिदे असुरराया महिड्ढीए" तं चेव जाव" अग्गमहिसीओ । 'सच्चे णं एसपट्टे । १. भ० ३१४ । २. महाणुभावाओ (ता)। ३. मयहरिया° (अ, ब)। ४. भ० ३।४। ५. x (क, ता, म)। ६. अपरिसेसं (अ, क, स)। ७. भ० ३४-७ । ८. भ० १११०। ६. एमहिड्ढीए (अ, क, ता, ब)। १०. भ० ३।४1 ११. भ० ३३४-७ । १२. अग्गमहिसीओ (अ, क, ता, ब)। १३. भ० ३।४-७ । १४. महिड्ढीए सो चेव बितिओ गमो भारिण यवो (अ, ब, म, स)। १५. भ० ३।४-७१ १६. सच्चमेसे अट्टे (अ, क, ता, ब)। Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (पढमो उद्दे सो) १२५ ११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समणं भगवं महावीर वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव दोच्चे गोयमे अग्गि भूई अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दोच्चं गोयमं अग्गिभूइं अणगारं बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एयभट्ट सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेइ ॥ १२. 'तए णं से तच्चे गोयमे वायुभूति अणगारे दोच्चे णं गोयमेणं अग्गिभूतिणा अणगारेणं सद्धि जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी–जइ ण भंते ! चमरे असुरिंदे असुरराया एमहिड्ढीए जाव' एवतियं च णं पभ विकूव्वित्तए, बली णं भंते! वइरोयणिदे वइरोयणराया केमहिड्ढीए ? जाव' केवइयं च णं पभू विकुन्वित्तए ? 'गोयमा ! बली णं वइरोयणिदे वइरोयणराया महिड्ढीए जाव' महाणभागे । जहा चमरस्स तहा बलिस्स वि नेयव्वं, नवरं-सातिरेगं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं भाणियन्वं, सेसं तं चेव निरवसेसं नेयव्वं, नवरं—नाणत्तं जाणियव्वं भवणेहिं सामाणिएहि य ।। १. भ०१।१०। २. ततेणं से दोच्चे गोतमे अग्गिभूती अरणगारे तच्चेणं गोतमे वायुभूइसा अरणगारे एतमटुं सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामिए समाणे उट्ठाए उढे इ, उद्वेत्ता तच्चेणं गोतमेण वायुभूतिरणा अरणगारेण सद्धि जेणेव समरणे भगवं महावीरे तेरणेव उवागच्छद, उवागच्छिता समणं भगव महावीर वंदद नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी (क, ता); अब प्रश्नकर्ता तृतीयो गोतमो वर्तते तेन प्रस्तुतवाचना समीचीना न दृश्यते । ३. भ० ३।४। ४. भ० ३१४ । ५. भ० ३।४। ६. गोयमा! बली वइरोयरिणदे वइरोयणराया महिड्ढीए, से णं तत्थ तीसाए भवरणावाससयसहस्साएं सट्टीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा चमरस्स, नवरं-चउण्हं सट्ठीणं आयरक्खदेवसाहस्सोणं अन्नेसि जाव भुज मारणे विहरति । से जहानामए एवं जहा चमरस्स तहा बलिस्स वि नेयध्वं, नवरंसातिरेग केवलकप्पं जंबुद्दीवं भारिणयव्वं सेसं तं चेव निरवसेसं नेयवं, नवर-नाणत्तं जाणियब्वं भवणेहि सामाणिएहिं (अ); गोयमा ! जाव महिड्ढीए ।५। से रणं तत्थ तीसाए भवणावाससतसहस्साणं सट्टीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा चमरस्स, नवर-चउण्हं सट्ठीरणं आतरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसि च जाव भंजमारणे विहरइ । से जहानामए एवं जहा चमरस्स, नवरंसाइरेग जंबुद्दीवं जाव एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए इमे दूइए विसए जाव विउविस्संति वा (क); गोयमा ! जाव महिडुढीए ।५। से एं तत्थ तीसाए भवणावाससतसहस्सारणं सट्टीए सामारिणय साहस्सीणं सेसं जहा चमरस्स, नवरं—चउण्हं सट्ठीणं आतरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णसिं च जाव भुंजमारणे विहरइ । से जहानामए एवं जहा चमरस्स, नवरं साइरेगं केवलकप्पं जंबुद्दीवं Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ भगवई १३. सेवं भंते ? सेवं भंते! त्ति तच्चे गोयमे 'वायुभूई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति, वंदित्ता नमसित्ता णच्चासपणे णातिदूरे सुस्सुसमाणे णमंसमाणे अभिमु विणणं पंजलियडे ० पज्जुवासइई " ॥ १४. तते गं से दोच्चे गोयमे अगिभूई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - जइ गं भंते ! बली वइरोयणिदे वइरोयणराया एम हिड्ढोए जाव' एवतियं च णं पभु विकुव्वित्तए, धरणे णं भंते ! नागकुमारिंदे नागकुमारराया केमहिड्ढोए ? जाव' केवइयं च णं पभू विकुव्वित्तए ? गोयमा ! धरणे णं नागकुमारिंदे नागकुमारराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे । सेणं तत्थ चोयालीसाए भवणावाससयस हस्ताणं, छण्हं सामाणियसाहस्सीणं, तायत्तीसाए तावत्तीसगाणं, चउन्हं लोगपालाणं, छव्हं श्रग्गमहिसोणं सपरिवाराणं, तिरहं परिमाणं, सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईणं, चउव्वीसाए आय रक्खदेवसाहस्सीणं श्रण्णेसि, च जाव' विहरइ । एवतियं च णं पभू विउव्वित्तए । से जहानामए जुवती जुवाणे जाव' पभु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं जाव तिरियं संखेज्जे दीव-समुद्दे बहूहि नागकुमारीहिं जाव विकुव्विस्सति वा ! सामाणिया तावत्तीस लोगपालग्गमहिसीओ य तहेव जहा चमरस्स, नवरं - संखेज्जे दीव-समुद्देभाणियव्वे || १५. एवं जाव' थणियकुमारा, वाणमंतरा, जोईसिया वि, नवरं - दाहिणिल्ले स अगिभूई पुच्छर, उत्तरिल्ले सब्वे वायुभूई पुच्छइ ॥ १६. भंतेत्ति ! भगवं दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नर्मसित्ता एवं वयासी- जइ णं भंते! जोइसिंदे जोइसराया एमहिढी जाव" एवतियं च णं पभू विकुब्वित्तए, सक्के णं भंते! देविदे देवराया महिढी ? जाव" केवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए ? दीवं भारितव्वं सेसं तहेब जाव विउठिव संति वा । जइरणं भंते ! बली वइरोयरिंगदे वइरोयाराया एवमहिड्ढीए जाव एवतियं च णं पभू विवित्तए, बलिस्सरणं भंते । वइरोयणस्स वइ सामाणिया देवा केमहिड्ढीया एवं सामाणिया तावतीसा तावत्तोसा लोगपालगमहिसीओ य जहा चमरस्स, नवरं— सातिरेगं जंबुद्दीवं जाव एगमेगाए अम्गमहिसीदेवीए इमे वतिए विसए जाव विउव्वि संति वा (ता) 1 १. २. सं० पा० - च्चासणे जाव पज्जुवासइ । वायुभूई जाव विहरइ ( अ, ब, म, स ) । ३. भ० ३।१२ । ४. भ० ३।१२ । ५. भ० ३४ १ ६. भ० ३।४ । ७. भ० ३१४ । ८. ६. भ० ३।५-७ 1 पू० प०२ । १० भ० ३।४ । ११. भ० ३१४ | Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (पढमो उद्देसो) १२७ गोयमा ! सक्के गं देविदे देवराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे । से णं बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साणं, चउरासीए' सामाणियसाहस्सीणं, 'तायत्तीसाए तावत्तीसगाणं, चउण्डं लोगपालाणं अट्रणहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्डं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईणं°, चउण्हं चउरासीणं पायरक्खसाहस्सीणं, अण्णसिं च जाव' विहरइ । एमहिड् ढए जाव' एवतियं च णं पभू विकुवित्तए, एवं जहेव' चमरस्स तहेव भाणियंव्वं, नवरं-दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अवसेसं तं चेव । एस णं गोयमा ! सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो इमेयारूवे विसए विसयमेत्ते' बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विकुविसु वा विकुव्वति वा विकुब्बिस्सति वा ॥ १७. जइ णं भंते ! सक्के देविदे देवराया एमहिड्ढीए जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए, एवं खलु देवाणु प्पियाणं अंतेवासि तीसए नाम अणगारे पगइभहए' 'पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे० विणीए छटुंछद्रेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे बहुपडिपुण्णाई अट्ट संवच्छराइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता, मासियाए सलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, सद्धि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सयंसि विमाणंसि उववायसभाए देवसर्याणज्जसि देवदूसंतरिए अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्तीए" प्रोगाहणाए सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उवण्णे। तए णं तीसए देवे अहुणोववण्णमेत्ते समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं२ गच्छइ [तं जहा-आहारपज्जत्तीए, सरीरपज्जत्तीए, इंदियपज्जत्तीए, प्राणापाणपज्जत्तोए, भासा-मणपज्जत्तीए तए णं तं तीसयं देवं पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं" गयं समाणं सामाणियपरिसोववण्णया देवा करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाविति वद्धावित्ता एवं वयासी-अहो णं देवाणुप्पिएहिं १. भ० ३४ २. चउरासीतीए (क, ता, म)। ३. सं० पा०--सामाणियसाहस्सीणं जाव चउण्हं । ४. भ० ३।४ ५. भ० ३।४। ६. भ० ३।४-७ । ७. विसयमेत्ते ग (म, स)। ८, भ० ३।४। ६. सं० पा०-पगइभद्दए जाव विणीए । १०. मासिय (क, ब)। ११. असंखेज्जभाग ° (अ, ब); असंखेज्जभागमे ताए (स)। १२. पज्जत्तभाव (ता) 1 १३. असो कोष्ठकत्तिपाठो ब्याख्यांश : प्रतीयते ? १४. पज्जत्तभावं (अ, स)। Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए। जारिसिया' णं देवाणुप्पिएहि दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिवे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए, तारिसिया णं सक्केण वि देविदेण देवरण्णा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए । जारिसिया णं सक्केणं देविदेणं देवरण्णा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए ! जारिसिया णं देवाणुप्पिएहि दिव्वा देविडढी जाव अभिसमण्णागए। से णं भंते । तीसए देवे केमहिड्ढोए जाव केवतियं च णं पभू विकुन्वित्तए ? गोयमा ! महिड्ढीए जाव' महाणुभागे। से णं तत्थ सयस्स विमाणस्स, चउण्हं सामाणियसाहस्सोणं, चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाण, सत्तण्ह अणियाण, सत्तण्ह प्रोणयाहिबईण, सोलसण्हं नायरक्खदेवसाहस्सीण. अण्णसिं च बहणं वेमाणियाण देवाणं, देवीण य जाव विहरह। एमहिड्ढीए जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए। से जहानामए जुवती जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, जहेव सक्कस्स तहेव जाव' एस णं गोयमा ! तीसयस्स देवस्स अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, णो चेव णं संपत्तीए विकुटिवसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा ।। १८. जइ णं भंते ! तीसए देवे महिड्ढोए जाव' एवइयं च णं पभू विकुवित्तए, सक्कस्स गं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो अवसेसा सामाणिया देवा केमहिड्ढीया ? तहेव सव्वं जाव' एस ण गोयमा ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो एगमेगस्स सामाणियस्स' देवस्स इमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विकुविसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा। तावत्तीसय-लोगपालग्गमहिसी णं जहेव चमरस्स, नवरं-दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अण्णं तं चेव ।। १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति दोच्चे गोयमे जाव विहरइ ।। २०. भंतेति ! भगवं तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी-जइ णं भंते ! सक्के देविदे देवराया १. जारिसाणं (अ, ब)। २. भ० ३.४॥ ३. भ० ३।४। ४. भ० ३४। ५. भ० ३॥१६॥ ६. भ० ३।४। ७. भ० ३।१७। ८. सामाणिय (अ)। ६. भ० ३१६, ७! १०. भ० ११५१ । ११. सं० पा०-भगवं जाव एवं । Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (पढमो उद्देसो) १२ε महिड्ढीए जाव' एवइयं च णं पभू विकुव्वित्तए, ईसाणे णं भंते! देविंदे देवराया महिढी ? एवं तहेव', नवरं - साहिए दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अवसेसं तहेव ॥ भू २१. जइ णं भंते! ईसाणे' देविंदे देवराया एमहिड्ढीए जाव एवतियं च णं विकुव्वित्तए, एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुरुदत्तपुत्ते नामं अणगारे पगतिभए जाव विणीए अट्टमंत्रमेणं अणिक्खित्तेणं, पारणए आयंबिलपरिग्ाहिएणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाओ परिज्भिय-परिज्भिय सूराभिमुहे प्रयावणभूमीए आयामाणे बहुपडिपुण्णे छम्मासे सामण्णपरियागं पाउणित्ता, अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं भूसेत्ता, ' तीसं भत्ताई प्रणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे सरांसि विमाणंसि उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूतरिए अंगुलस्स असंखेज्जइभाग मेत्तीए ग्रोगाहणाए ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उववण्णे । जा तीसए वसव्वया' सच्चेव परिसेसा कुरुदत्तपुते वि. नवरं सातिरेगे दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, प्रवसेसं तं चैव । एवं सामाणि तावत्तीसग - लोगपाल अम्ग महिसीणं जाव' एस णं गोयमा ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए प्रयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विकुव्विसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा । २२. एवं सणकुमारेवि, " नवरं चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अदुत्तरं च णं तिरियमसंखेज्जे | एवं" सामाणि तावत्तीसग लोगपाल अग्ग महिसीण । प्रसंखेज्जे दीव- समुद्दे सव्वे विकुव्वंति, सणकुमाराम्रो आरद्धा" उवरिल्ला लोगपाला " सव्वे वि असंखेज्जे दीवमुद्देविकुव्वति || १. भ० ३।१६ । २. भ० ३।१६ । ३. तीसारखे (ता) । ४. भ० ३।४ । ५. भ० ३।१७। ६. भोसइत्ता ( अ, ब, स ) ; झोसेत्ता (ता, म) 1 ७. भ० ३।१७ १ ८. सा० (ता) । ६. भ० ३१५-७ । १०. भ० ३ । १६ । ११. भ० ३।५-७ 1 १२. यद्यपि सनत्कुमारे स्त्रीणामुत्पत्तिर्नास्ति तथापि याः सौधर्मोत्पन्नाः समयाधिकपल्योपमादिदशपल्योपमान्तस्थितयोऽपरिगृहीतदेव्यस्ताः सनत्कुमारदेवानां भोगाय संप - द्यन्ते इति कृत्वाग्रमहिष्य इत्युक्तम् (वृ); इत्यपि संभाव्यते 'अग्गमहिसीणं' इति पाठ: आदषु प्रवाहरूपेण आगतः, वृत्तिकृता संगत्यर्थं उक्तव्याख्या कृता । १३. आरद्ध (अ) । १४. लोगवाला (म ) 1 Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३० भगवई २३. एवं माहिंदे वि, नवरं-सातिरेगे चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे । एवं बंभलोए वि, नवरं-अट्ठ केवलकप्पे । एवं लतए वि, नवरं--सातिरेगे अटू केवलकप्पे । महासुक्के सोलस केवलकप्पे । सहस्सारे सातिरेगे सोलस । एवं पाणए वि, नवरं-वत्तीसं केवलकप्पे । एवं अच्चुए वि, नवरं सातिरेगे बत्तीसं केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अण्णं तं चेव ।। २४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समणं भगवं महावीर वंदइ नमसइ जाव' विहरई॥ तामलिस्स ईसाणिद-पदं २५. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ मोयानो नयरीमो नंदणाप्रो चेइयायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। २६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था–वण्णो ' जाव' परिसा पज्जुवासइ ।। २७. तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे देविदे देवराया ईसाणे कप्पे ईसाणवडेंसए विमाणे जहेव रायप्पसेणइज्जे जाव' दिव्वं देविड्ड दिव्वं देवजुर्ति दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसइबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्ता जाव जामेव दिसि पाउन्भूए, तामेव दिसि पडिगए। २८. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता। एवं वदासी-ग्रहो णं भंते ! ईसाणे देविदे देवराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे। ईसाणस्स णं भंते ! सा दिव्या देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे कहिं गते ? कहिं अणुपविट्ठे ? गोयमा ! सरीरं गते, सरीरं अणुपवितु ॥ २६. से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सरीरं गते ! सरीरं अणुपविट्टे ? गोयमा ! से जहानामए कडागारसाला सिया दुहनो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगंभीरा । तीसे णं कूडागारसालाए अदूरसामंते, एत्थ णं महेगे जणसमूहे एगं महं अभवद्दलगं वा वासवद्दलगं वा महावायं वा एज्जमाणं १. भ० ११५१ । नवहेमचारूचित्तचंचलकुंडलविलिहिज्जमाण२. मोतातो (क, ता)। गडे जाव दस दिसाओ उज्जोवेमारणे पभासे३. ओ० सू० १। माणे (अ, म, स)। ४. ओ० सू० १६-५२ । ६. राय. सू० ७-१२० । ५. देवराया सूलपाणी वसभवाहणे उत्तरड्ढलो- ७. भ० ३।४ । गाहिवई अट्ठावीसविमाणावाससयसहस्साहि- ८. सं० पा०-कूडागारसालदिद्रुतो भारिणयव्वो। वई अरयंवर वत्थधरे आलइयमालमउडे Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (पढमो उद्देसो) १३१ पासति, पासित्ता तं कूडागारसालं अंतो अणुपविसित्ता णं चिट्ठइ । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चति–सरीरं गते, सरीरं अणुपवि? ° ॥ ३०. ईसाणेणं भंते ! देविदेणं देवरण्णा सा दिव्वा देविड्ढो दिव्वा देवज्जुती दिवे देवाणुभागे किण्णा लद्धे ? किण्णा पत्ते ? किण्णा अभिसमण्णागए ? के वा एस आसि पुव्वभवे ? किनामए वा? किंगोत्ते वा ? कयरंसि वा गामंसि वा नगरंसि वा जाव' सण्णिवेसंसि वा? किं वा दच्चा? किं वा भोच्चा? किं वा किच्चा ? कि वा समायरित्ता? कस्स वा तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि पारियं धम्मियं सूक्यण सोच्चा निसम्म ? जंण ईसाणेणं देविदेणं देवरणा सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए? । ३१. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे तामलित्ती' नामं नयरी होत्था–वण्णो । ३२. तत्थ णं तामलित्तीए नयरीए तामली नाम मोरियपुत्ते गाहावई होत्था---अड्डे दित्ते जाव' बहुजणस्स अपरिभूए यावि होत्था ।। ३३. तए णं तस्स मोरियपुत्तस्स तामलिस्स गाहावइस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्त कालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे प्रज्झथिए 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-अस्थि ता मे पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सपरक्कंताण सभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफलवित्तिविसेसे. जेणाई हिरण्णणं वड्ढामि सुवण्णेणं वड्ढामि, धणेणं वड्ढामि, धणेणं वड्ढामि, पुत्तेहि वड्ढामि, पसूहि वड्ढामि, विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पवालरत्तरयण-संतसारसावएज्जेणं अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, तं कि णं अहं पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं 'सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं° कडाणं कम्माणं 'एगंतसो खयं" उवेहमाणे विहरामि ? तं जावताव" अहं हिरणेणं वड्ढामि जाव अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, जावं च मे मित्त-नाति-नियग-सयण-संबधि-परियणो आढाति परियाणाइ सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाणं मंगलं देवयं विणएणं चेइयं पज्जुवासइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव" उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा १. भ० ११४६। ७. सुपरि (अ, म); सुप्पर (क, ता, स); २. वा किंवा सोच्चा (क) । सुप्परि° (ब)। ३. तामलती (म)। ८. सं० पा०-सुचिण्णाण जाव कडाणं । ४. ओ० सू० १। 2. सोक्खयं (अ, क, ब, म, स) । ५. भ० २।९४ । १०. जाव (ब)। ३. संपा०-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था। ११. भ० २०६६। Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ भगवई जलते सयमेव दारुमयं पडिगहग करेत्ता विउल 'असण-पाण-खाइम-साइमं २ उवक्खडावेत्ता, मित्त-नाइ नियम-सयण',-संबंधि-परियणं आमंतेत्ता, तं मित्त-नाइनियग-सयण-संबंधि-परियण विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरियणस्स पुरो जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता, तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरियणं जेट्टपुत्तं च पापुच्छित्ता, सयमेव दारुमयं पडिग्गहगं गहाय मुंडे भवित्ता पाणामाए' पव्वज्जाए पव्वइत्तए ! पव्वइए वि य णं समाणं इम एयारूवं अभिग्गह अभिगिण्हिस्सामि--कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछ?ण अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड़ढं बाहाम्रो 'पगिज्झिय-पगिझिय' सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए पायावेमाणस्स विहरित्तए, छठुस्स वि य णं पारणयंसि आयावणभूमीग्रो पच्चोरुभित्ता सयमेव दारुमयं पडिग्गहगं गहाय तामलित्तीए नयरीए उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता सुद्धोदणं पडिग्गाहेत्ता तं तिसत्तक्खुत्तो उदएण पक्खालत्ता तो पच्छा आहारं पाहारित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाब" उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते सयमेय दारुमयं पडिग्गहगं करेइ, करेत्ता विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेइ, उवक्खडावेत्ता ततो पच्छा रहाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाई वत्थाई पवर परिहिए अप्पमहरघाभरणालंकियसरीरे भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सहासणवरगए तेणं' मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं सद्धि तं विउलं असणपाण-खाइम-साइमं प्रासादेमाणे वीसादेमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरइ। जिमियभत्तुत्तरागए वि य णं समाणे प्रायते चोक्खे परमसुइब्भूए तं मित्त. नाइनियग-सयण-संबंधि- परियणं विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणइ, तस्सेव मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि परियणस्स पुरओ जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेइ, ठावेत्ता तं मित्त-नाइ"- नियग-सयण १. पडिग्गा (अ, म, स)। २. असरणं पाणं खाइम साइम (अ, स)। ३. X (क, ता, ब, म, स)। ४. खातिमसातिमेरणं (ब, स): ५. कुडुबे (ता) ६. पाणायामाए (व)। ७. पगझिय २ (स)। क. पारपंसि (म)। ६. दए (ता, म)। १०. भ० २१६६ । ११. अप्पमहग्धालंकारभूसितसरीरे (ता)। १२. तए रणं (अ, ता, ब, म, स)। १३. सं० पा०—मित्त जाव परियणं । १४. सं० पा०-नाइ जाव परियणस्स । १५. सं० पा०-नाइ जाव परियां। Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं ( पढमो उद्देसो) १३३ संबंधि- परियणं जेट्टपुत्तं च प्रापुच्छइ, प्रापुच्छित्ता मुंडे भवित्ता पाणामाए पव्वज्जाए पव्वइए । पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिगहं अभिगिहइ -- कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं जाव ग्रहारितए त्ति कट्टु इमं एयारूवं अभिग्ग अभिगिन्हित्ता जावज्जीवाए छट्टछट्टेणं प्रणिविखत्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढ वाहाम्रो पगिभिय-पगिज्भिय सूराभिमुहे प्रायावणभूमीए श्रायामाणे विहरइ । छस्स वियणं पारणयंसि श्रायावणभूमीश्र पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता सयमेव दारुमयं पडिग्गहगं गहाय तामलित्तीए नयरीए उच्च-नीय मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए इ, ग्रडित्ता सुद्धोयणं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेत्ता तिसत्तक्खुत्तो उदरणं पक्खालेइ, पक्खालेत्ता तम्रो पच्छा ग्रहारं आहारेइ || ३४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ पाणामा पव्वज्जा ? गोयमा ! पाणामाए णं पव्वज्जाए पाइए समाणे जं जत्थ पासइ -- इंदं वा खंद वा रुद्दं वा सिवं वा वेसमणं वा प्रज्जं वा कोट्टकिरियं वा रायं वा ईसरं वा तलवरं वा मावियं वा कोडुवियं वा इब्भं वा सेट्ठि सेणावई वा सत्थवाहं वा काकं वा साणं वा पाणं' वा उच्च पासइ उच्चं पणामं करेइ, नीयं पासइ नीयं पणाम करेइ, जं जहा पासइ तस्स तहा पणामं करेइ । से तेणट्टेण गोयमा ! एवं बुच्चई पाणामा पव्वज्जा ॥ ३५. तए णं से तामली मोरियपुत्ते तेणं ओरालेणं विपुलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं बाल वोकम्मेणं सुक्के लुक्खे' "निम्मंसे अट्ठि चम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धर्माणिसंतए जाए यावि होत्था । ३६. तए णं तस्स तामलिस्स बालतवस्सिस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकाल - समयंसि प्रणिच्च जागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपज्जित्था एवं खलु ग्रहं इमेणं ओरालेणं विपुलेणं' • पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं उदग्गेणं उत्तेणं उत्तमेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे जाव" धर्माणिसंतए जाए, तं प्रत्थि जा" मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार- परक्कमे तावता मे सेयं १. अभिग्गहं अभिगिण्हइ ( अ, क, ता, ब, म, स ); 'उबंगा' ( ३।४२ ) सूत्रे सोमिलस्य प्रव्रज्याप्रसंगे एतत् पदं नास्ति । अत्रापि तथैव युक्तमस्ति । २. पच्चोरुहइ ( अ, ब ) । ३. • इरियं (ता) 1 ४. सं० पा० - रायं वा जाव सत्यवाहं । ५. सत्थाहं (ता) । ६. पाणगं ( अ ) । ७. भुक्खे ( अ, क, व, स ), सं० पा० - लुवखे जाव धर्माणि० । ८. सं० पा० - अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था | ६. सं० पा० - विपुलेणं जाव उदग्गेरणं । १०. भ० ३।३५ । ११. X ( अ ) ; ता (ता); इ ( ब ) | Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते तामलित्तीए नगरीए दिट्राभट्रे य पासंडत्थे य गिहत्थे य पुव्वसंगतिए य' परियायसंगतिए य प्रापुच्छित्ता तामलित्तीए नगरीए मझमझेणं निग्गच्छित्ता पादुग-इंडिय-मादीयं उवगरणं दारुमयं च पडिग्गहगं एगते एडित्ता तामलित्तीए नगरीए उत्तरपुरस्थिमे दिसिभाए णियत्तणिय-मंडल प्रालिहित्ता' संलेहणा भूसणा झूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पानोवगयस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते 'तामलित्तीए नगरीए दिद्वाभटे य पासंडत्थे य गिहत्थे य पुवसंगतिए य परियायसंगतिए य आपुच्छइ, पापुच्छित्ता तामलित्तीए नयरीए मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पादुगकुंडिय-मादीयं उवगरणं दारुमयं च पडिग्गहगं एगंते एडेइ, एडेत्ता तामलित्तीए नगरीए उत्तरपुरथिमे दिसिभाए णियत्तणिय-मंडलं आलिहइ, प्रालिहिता संलेहणाझूसणाझूसिए ° भत्तपाणपडियाइक्खिए पापोवगमणं निवण्णे ॥ ३७. तेणं कालेणं तेणं समएणं बलिचंचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया या वि होत्था ॥ ३८. तए णं ते वलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीप्रो य तामलि बालतवस्सिं ओहिणा आभोएंति. प्राभोएत्ता अण्णमण्णं सहावेति. सहावेत्ता एवं वयासि—एवं खल देवाणप्पिया! बलिचंचा रायहाणी अणिदा अपरोहिया. अम्हे य णं देवाणुप्पिया ! इंदाहीणा इंदाहिटिया इंदाहीणकज्जा, अयं च णं देवाणुप्पिया! तामली बालतवस्सी तामलित्तीए नगरीए बहिया उत्तरपुरथिम दिसिभागे' नियत्तणिय-मंडलं आलिहित्ता संलेहणाभूसणाझूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगमणं निवणे, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं तामलि बालतवस्सि बलि चंचाए रायहाणीए ठितिपकप्पं पकरावेत्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमढें पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता बलिचंचाए रायहाणीए मज्झमझेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव रुगि उप्पायपव्वए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता वे उब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति, समोहणित्ता जाव' उत्तरवे उब्वियाई रूवाइं विकुव्वंति, विकुढिवत्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्याए 'उद्धयाए दिव्वाए" देवगईए तिरियं असंखेज्जाणं दीवसमुदाणं मझमझेणं 'बोईवयमाणा-वीईवयमाणा" १. य पच्छासंगतिए य (अ, म)। ५. दिसाभाए (क, ता)। २. पाउग (अ, क, ब, म)। ६. ययिदे (अ, ब); रुयइंदे (क, ता, म)। ३. आलिभित्ता (ता)। ७. राय० सू० १०।। ४. सं. पा०-जलते जाव प्रापुच्छइ २ ताम- ८. दिवाए उद्ध्याए (अ, क, ता, ब, स, वृ)। लित्तीए एगंते एडेइ जाव भत्त । ६. एते पदे 'रायपसेरणझ्य'(१०)सूत्रात् पूरिते। Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सत (पढमो उद्देसो) जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नगरी जेणेव तामली मोरियपुत्ते तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तामलिस्स बालतवस्सिस्स उप्पि सपक्खि सपडिदिसि ठिच्चा दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवज्जुति दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसतिविह नदविहि उवदंसति. उवदंसेत्ता तामलि बालतवस्सि तिक्खत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेंति', करेत्ता वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी--एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे बलिचंचारायहाणीवत्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य देवाणुप्पियं वंदामो नमंसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो। अम्हण्ण देवाणुप्पिया! वलिचंचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया, अम्हे य णं देवाणुप्पिया ! इंदाहीणा इंदाहिट्ठिया इंदाहीणकज्जा, तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! बलिचंचं रायहाणि आढाह परियाणह सुमरह, अटुं बंधह, निदाणं पकरे, ठितिपकप्पं पकरेह, तए णं तुभे कालमासे कालं किच्चा बलिचंचाए" रायहाणीए उववज्जिस्सह, तए णं तुब्भे अम्ह इंदा भविस्सह, तए णं तुब्भे अम्हेहि सद्धि दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरिस्सह ।। ३६. तए णं से तामली वालतवस्सी तेहिं बलिचंचारायहाणिवत्थव्वएहि बहिं असुर कुमारेहिं देवेहि देवीहि य एवं वुत्ते समाणे एयमटुं नो पाढाइ, नो परियाणेइ', तुसिणीए संचिट्ठइ॥ ४०. तए णं ते वलिचंचारायहाणिवत्थव्वया वहवे असुरकुमारा देवा य देवीप्रो य तामलि मोरियपत्तं दोच्चं पि तच्चं पि तिक्खत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेंति जाव' अम्हं च णं देवाणुप्पिया ! बलिचंचा रायहाणी अणिदा' 'अपुरोहिया, अम्हे य णं देवाणप्पिया! इंदाहीणा इंदाहिट्ठिा इंदाहीणकज्जा, तं तुभे देवाणुप्पिया ! बलिचंचं रायहाणि पाढाह परियाणह सुमरह, अटुं बंधह, निदाणं पकरेह , ठितिपकप्पं पकरेह जाव दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे 'एयमटुं नो प्राढाइ, नो परियाणेइ , तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ ४१. तए णं ते वलिचंचारायहाणिवत्थन्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीमो य तामलिणा बालतवस्सिणा प्रणाढाइज्जमाणा अपरियाणिज्जमाणा जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया।। ४२. तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे कप्पे अणि १. पकरेंति (अ, ता): २. सं. पा०--नमसामोजाव पज्जवासामो। ३. अम्हाणं (अ, स)। ४. आढह (अ, स)। ५. बलिचंचा (अ, ब, म, स)। ६. परियाणइ (अ, क, ता, म); परियारणाइ (व)। ७. भ० ३१३८ । ८. सं० पा०--अरिंगदा जाव ठिति । ९. सं० पा०-समाणे जाव तुसिणीए । Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६ भगवई ४३. तए णं से तामली बालतवस्सी बहुपडिपुण्णाई सट्ठि वाससहस्साई परियागं पाउपित्ता, दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं भूसित्ता, सवीसं भत्तसयं प्रणसणाए छेदित्ता कालका से कालं किच्चा ईसाणे कप्पे ईसाणवडेंसए विमाणे उववायसभाए देवस्यणिज्जंसि देवदूतरिए अंगुलस्स श्रसंखेज्जइभागमेत्तीए प्रोगाहणाए ईसाणदेविंदविरहियकालसम्यंसि ईसाणदेविदत्ताए' उववण्णे || ४४. तए णं से ईसा देविदे देवराया ग्रहणोववणे पंचविहार पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं गच्छइ, [तं जहा - ग्राहारपज्जत्तीए जाव' भासा -मणपज्जत्तीए ] ॥ ४५. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवाय देवीश्री य तामलि बालaafia कालगतं जाणित्ता, ईसाणे य कप्पे देविदत्ताए उववरणं पासित्ता श्रसुरुता रुट्ठा कुविया चंडिक्किया मिसिमिसेमाणा बलिचंचाए रायहाणीए मज्झंमज्भेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव' जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नयरी जेणेव तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरए तेणेव उवागच्छंति, वामे पाए' सुंबेण बंधंति, तिक्खुत्तो मुहे निट्ठर्हति', तामलित्तीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर- चउम्मुह महापह-पहेसु 'प्राकड्ढ विकड्डि" करेमाणा, महया मया सद्देणं उग्घोसेमाणा उग्घोसेमाणा एवं बयासि - केस" णं भो ! से तामली बालतवस्ती सयंगहियलिंगे" पाणामाए पव्वज्जाए पव्वइए ? केसणं से ईसाणे कप्पे ईसाणे देविदे देवराया ? -- ति कट्टु तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरयं हीलति निदंति खिसंति गरहंति श्रवमण्णंति तज्जेति ताति परिवर्हेति पव्वति, आकड्ढ - विकढि करेंति, होलेत्ता" निदित्ता खिसित्ता गरहित्ता अवमणेत्ता तज्जेत्ता तालेत्ता परिवहेत्ता पव्वहेत्ता आकड्ढ विकढि करेत्ता एगते एडति, एडिता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया ॥ ४६. तए णं ते " ईसाणकप्पवासी" बहवे वेमाणिया देवा य देवीग्रो य वलिचंचारायहाणिवत्थव हि बहूहि असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य तामलिस्स वालतवस्सिस्स सरीरयं हीलिज्जमाणं निदिज्जमाणं" खिसिज्जमाणं गरहिज्जमाणं श्रवमणिज्जमाणं तज्जिज्जमाणं तालेज्जमाणं परिवहिज्जमाणं पव्वहिज्जमाणं • आकड्ढ ० १. • दूसंतरियंसि ( अ ); ° दूसंतरियं ( ब ) | २. ईसाणे ( अ, ता) । 0 ३. भ० ३।१७ 1 ४. असो कोष्ठकवत्तिपाठी व्याख्यांशः प्रतीयते । १२. हीलयंति ( ता ) | १३. ५. भ० ३।३८ । ६. पायंसि ( क ) । ७. सुंदेणं ( अ ) । ८. उठ्ठहंति ( अ, ब, म, स ) 1 ६. आकट्ट-विकट्टि (क, ब, म, स ) । १०. से के ( अ, ब ) । ११. सइंग्रिहिय (क, ता, 1 O सं० पा० - हिलेत्ता जाव आकड्ढ । १४. X ( अ, ब ) । १५. ईसासि ( ब ) । १६. सं० पा० - निंदिज्जमारणं जाव आकड्ढ | Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (पढमो उद्देसो) विकड्ढि कीरमाणं पासंति, पासित्ता आसुरुत्ता' जाव' मिसिमिसेमाणा जेणेव ईसाणे देविदे देवराया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाति, वद्धावेत्ता एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! बलिचंचारायहाणिवत्थन्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीमो य देवाणुप्पिए कालगए जाणित्ता ईसाणे य कप्पे इंदत्ताए उववण्णे पासेत्ता आसुरुत्ता जाव एगते एडेंति, एडेत्ता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया। ४७. तए णं ईसाणे देविदे देवराया तेसि ईसाणकप्पवासीणं बहूणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य अंतिए एयम8 सोच्चा निसम्म प्रासुरुत्ते जाव' मिसिमिसेमाण तत्थेव सयणिज्जवरगए तिवलियं भिडिं निडाले साहटु बलिचंचारायहाणि अहे सपक्खिं सपडिदिसिं समभिलोएइ॥ ४८. तए णं सा बलिचंचा रायहाणी ईसाणेणं देविदेणं देवरण्णा अहे सपक्खि सपडिदिसि समभिलोइया समाणी तेणं दिव्बप्पभावेणं इंगालभूया मुम्मुरब्भूया छारियब्भूया तत्तकवेल्ल कन्भूया तत्ता समजोइब्भूया जाया यावि होत्था ।। ४६. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य तं बलिचंच रायहाणि इंगालब्भूयं जाव' समजोइब्भूयं पासंति, पासित्ता भीमा तत्था' तसिग्रा' उव्विग्गा संजायभया सव्वनो समता प्राधावेंति परिधावति, प्राधावेत्ता परिधावेत्ता अण्णमण्णस्स कायं समतुरंगेमाणा-समतुरंगेमाणा चिटुंति ।। ५०. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीओ य ईसाणं देविदं देवरायं परिकुवियं जाणित्ता ईसाणस्स देविदस्स देवरण्णो तं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवज्जुई दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणा सवे सपक्खि सपडिदिसं ढिच्चा करयलपरिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटट जएणं विजएण वद्धावति, वद्धावत्ता एवं वयासी-अहो ! ण देवाणप्पिएहि दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते ° अभिसमण्णागए, तं दिवा णं देवाणुप्पियाणं दिव्वा देविड्ढी 'दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणभावे' लद्धे पत्ते अभिसमण्णामाए, तं खामेमो णं देवाणुप्पिया! खमंतु णं १. आसुरत्ता (व, म)। २. भ० ३४५ 1 ३. भ० ३।४५ ४. बलिचंचा (अ, क, ब, म, स)। ५. भ० ३.४८ । ६. उत्तत्था (ता, स)। ७. तेसिया (व); सुसिया (स); हस्तलिखितवृत्ती क्वचित्तसियत्ति शुषितानंदरसाः, क्वचिच्च 'सुसियत्ति' शुषितानंदरसा इति लभ्यते । ८. सं० पा०-देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। ६. सं० पा०-देविड्ढी जाव लद्धे । Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई देवाणुप्पिया ! खंतुमरिहंति' णं देवाणुप्पिया ! पाइ' भुज्जो' एवं करणयाए त्ति कटु एयमटुं सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेति ।। ५१. तए णं से ईसाणे देविदे देवराया तेहिं बलिचंचारायहाणिवत्थव्वएहिं बहूहि असुरकुमारेहि देवेहि देवीहि य एयमटुं सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामिते समाणे तं दिव्वं देविड्ढि जाव तेयलेस्स पडिसाहरइ । तप्पभिति च णं गोयमा ! ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीपो य ईसाणं देविदं देवरायं आढंति परियाणंति सक्कारेंति सम्माणति कल्लाणं मंगल देवयं विणएणं चेइयं° पज्जुवासंति, ईसाणस्स य देविदस्स देवरण्णो आणा-उववायवयण-निद्देसे चिट्ठति। एवं खलु गोयमा ! ईसाणेणं देविदेणं देवरण्णा सा दिव्वा देविड्ढी 'दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते • अभिसमण्णागए ।। ५२. ईसाणस्स भंते ! देविंदस्स देवरण्णो केवतियं कालं ठिई पण्णता ? गोयमा ! सातिरेगाई दो सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता ।। ५३. ईसाणे णं भंते ! देविदे देवराया तारो देवलोगाओ पाउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता' कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति" 'बुज्झिहिति मुच्चिहिति सव्वदु क्खाणं ° अंतं काहिति ।। सक्कोसारण-पदं ५४, सक्करस णं भंते ! देविदस्स देवरण्णो विमाणेहितो ईसाणस्स देविंदस्स देवरणो विमाणा ईसि उच्चतरा चेव ईसिं उन्नयतरा चेव ? ईसाणस्स वा देविंदस्स देवरण्णो विमाणेहितो सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो विमाणा ईसि णीयतरा चेव ईसि निण्णतरा चेव ? हंता गोयमा ! सक्कस्स तं चेव सव्वं नेयव्वं ।। ५५. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ १. खंतुमरिहंतु (अ, ब); खमंतुमरिहंतु (ता, स)। ७. सं० पा०-देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। २. गाई (ता, स)। ८. केवइ (ता)। ३. भुज्जो-भुज्जो (अ, क, स)। ६. सं० पा०-आउक्खएणं जाव कहि । ४. भ० ३१५०। १०. सं. पा.-सिज्झिहिति जाव अंतं । ५. ० वत्थव्वा (अ, ता, ब, म, स)। ११. उन्नयरा (अ, ता, ब, ब, स)। ६. आढायंति (क, ता); सं० पा०-आदति जाव पज्जुवासंति । Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ sai ( पढो उद्देसी) १३८ गोयमा ! से जहानामए करयले सिया - देसे उच्चे देसे उन्नए । देसे पीए, देसे निण्णे | से तेणट्टेणं गोयमा ! सक्करस देविंदस्स देवरण्णो जाव' ईसि निण्णतरा चेव ! ५६. पभू णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतियं पाउ भवित्तए ? हंतापभू || ५७. से भंते ! कि आढामाणे पभू ? अणाढामाणे पभू ? गोमा ! आढामाणे पभू, नो प्रणाढामाणे पभू ॥ ५८. पभू णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो अंतियं पाउ भवित्तए ? हंता पभू || ५६. से भंते ! कि आढामाणे पभू ? श्रणाढामाणे पभू ? गोमा ! श्राढामाणे वि पभू, अणाढामाणे विपभू ॥ ६०. पभू णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया ईसाणं देविदं देवरायं सपक्खि सपदिसि समभिलोइत्तए ? हंता पभू ॥ ६१. से भंते ! किं प्राठामाणे पभू ? प्रणाढामाणे पभू ? गोमा ! आढामाणे पभू, नो अणाढामाणे पभू || ६२. पभू णं भंते ! ईसाणे देविदे देवराया सक्कं देविदं देवरायं पक्खि पडिदिसि समभिलोइत्तए ? हंता पभू || ६३. से भंते ! किं प्राढामाणे पभू ? श्रणाढामाणे पभू ? गोयमा ! आढामाणे वि पभू, प्रणाढामाणे वि पभू ६४. पभू णं भंते ! सक्के देविदे देवराया ईसाणेणं देविदेणं देवरप्णा सद्धि मालावं वा संला वा करेत्तए ? हंता पभू ॥ ६५. " से भंते! किं प्राढामाणे पभू ? प्रणाढामाणे पभू ? गोयमा ! आढामाणे पभू, नो प्रणाढामाणे पभू ॥ १. भ० ३३५४ २. आदामीणे ( अ, क, ता, ब, म); आढायमाणे (स) । ३. असादामीणे ( अ, क, ता, ब, म ); अरणाढायमाणे ( स ) | ४. सपक्खं ( क, ता) | ५. सं० पा० - जहा पादुब्भवरणा तहा दो वि आलावा पेयव्वा । ६. सं० पा० - जहा पादुब्भवा । Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० भगवई ६६. पभू णं भंते ! ईसाणे देविदे देवराया सक्केणं देविदेणं देवरण्णा सद्धि आलावं वा संलावं वा करेत्तए? हता पभ ।। ६७. से भंते ! कि आढामाणे पभू ? अणाढामाणे पभू ? गोयमा ! पाढामाणे वि पभ, प्रणाढामाणे वि पभू । ६८. अत्थि णं भंते ! तेसिं सक्कीसाणाणं देविदाणं देवराईणं किच्चाई करणिज्जाई समुप्पज्जति ? हंता अस्थि ।। ६६. से कहमिदाणि पकरेंति ? गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्के देविदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतियं पाउन्भवति, ईसाणे वा देविदे देवराया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतियं पाउब्भवति इति भो ! सक्का! देविदा ! देवराया ! दाहिणड्ढलोगाहिवई ! इति भो ! ईसाणा ! देविदा ! देवराया ! उत्तरड्ढलोगाहिवई ! इति भो ! इति भो ! त्ति ते अण्णमण्णस्स किच्चाई करणिज्जाइं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ॥ ७०. अस्थि णं भंते ! तेसि सक्कीसाणाणं देविदाणं देवराईणं विवादा समुप्पज्जति ? हंता अस्थि ।। ७१. से कहमिदाणि पकरेंति ? गोयमा ! ताहे चेव ण ते सक्कीसाणा देविदा देवरायाणो सणकुमारं देविद देवरायं मणसीकरेंति । तए णं से सणकुमारे देविंदे देवराया तेहि सक्कीसाणेहि देविदेहि देवराईहिं मणसीकए समाणे खिप्पामेव सक्कीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं अंतियं पाउन्भवति, जं से वदइ तस्स प्राणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिटुंति । सरणंकुमार-पदं ७२. सणकुमारे णं भंते ! देविदे देवराया कि भवसिद्धिए ? अभवसिद्धिए ? सम्म हिट्री ? मिच्छदिट्ठी ? परित्तसंसारिए ? अणंतसंसारिए ? सुलभवोहिए ? दुल्लभबोहिए ? पाराहए ? विराहए ? चरिमे ? अचरिमे ? गोयमा ! सणंकुमारे णं देविदे देवराया भवसिद्धिए', नो अभवसिद्धिए । 'सम्म १. X (अ, ब, क)। २. ° बोहीए (अ, ब, स)। ३. भवसिद्धीए (ता)। ४. सं० पा०-एवं स प सु आ च पसत्थं नेयव्वं । Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (पढमो उद्देसो) ट्ठिी, नो मिच्छदिट्ठी। परित्तसंसारिए, नो अणंतसंसारिए। सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए । पाराहए, नो विराहए। चरिमे, नो अचरिमे ।। ७३. से केणतुणं भंते ! गोयमा ! सणंकुमारे णं देविदे देवराया बहूणं समणागं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं हियकामए सुहकामए पत्थकामए आणुकंपिए निस्सेयसिए हिय-सुह-निस्सेसकामए । से तेणटेणं गोयमा ! सणंकुमारे णं देविदे देवराया भवसिद्धिए', 'नो अभवसिदिए। सम्मट्ठिो, नो मिच्छदिट्ठी। परित्तसंसारिए. नो अगंतसंसारिए । सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए । आराहए, नो विराहए । चरिमे°, नो अचरिमे ॥ ७४. सणंकुमारस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! सत्त सागरोवमाणि ठिती पण्णत्ता ।।। ७५. से णं भंते ! तारो देवलोगाओ आउक्खएण' •भवक्खएणं ठिइक्खएणं अगंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ° ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति' 'बुझिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सबदुक्खाणं° अंतं करेहिति ।। ७६. सेवं भंते ! सेवं भंते । संगहणी-गाहा छट्टममासो, अद्धमासो वासाइं अट्ठ छम्मासा । तीसग-कुरुदत्ताणं, तव-भत्तपरिण-परियायो ॥१॥ उच्चत्त विमाणाणं, पाउन्भव पेच्छणा य संलावे । किच्च विवादुप्पत्ती, सणकुमारे य भवियत्त ।।२।। १. सं० पा०-भवसिद्धिए जाव नो। २. सं० पा०--पाउखएणं जाव कहिं । ३. सं० पा०—सिज्झिहिति जाव अंतं । ४. भ० ११५१ । ५. भवियव्वं (ता); अतोग्ने सर्वेष्वादशेषु 'मोया सम्मत्ता' इति पाठोस्ति, वृतिकृतापि व्याख्यातोसौ, किन्तु मोया-प्रकरणं तामलितापसप्रकरणात् पूर्वमेव समाप्तम्, तेन नावश्यकोसौपाठः। Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ भगवई बीओ उद्देसो ७७. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नगरे होत्था जाव' परिसा पज्जुवासइ ।। ७८. तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरे असुरिंदे असुरराया चमरचंचाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, चमरंसि सीहासणंसि, चउसट्ठीए सामाणियसाहसहि जाव' नट्टविहिं उवदंसेत्ता जामेव दिसि पाउडभए तामेव दिसि पडिगए । ७९. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति? गोयमा ! णो इणद्वे समटे । ८०. एवं जाव' अहेसत्तमाए पुढवीए, सोहम्मस्स कप्पस्स अहे जाव' अत्थि णं भंते ! ईसिप्पन्भाराए पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति ? णो इणढे समढे॥ ८१. से कहि खाइ णं भंते ! असुरकुमारा देवा परिवसंति ? गोयमा ! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए असीतुत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए एवं असुरकुमारदेववत्तन्वया जाव' दिन्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणा विहरति । ८२. अस्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए ? हंता अस्थि ।। ८३. केवतियण्ण भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा? जाव अहेसत्तमाए पुढवोए । तच्चं पुण पुढवि गया य गमिस्संति य ॥ ८४. किंपत्तियण्णं भंते ! असुरकुमारा देवा तच्चं पुढवि गया य गमिस्संति य ? गोयमा ! पुववेरियस्स वा वेदणउदीरणयाए, पुव्वसंगतियस्स वा वेदणउवसाम णयाए---एवं खलु असूरकुमारा देवा तच्चं पुढवि गया य गमिस्संति य ।। ८५. अत्थि णं भंते ? असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गतिविसए पण्णत्ते ? हता अत्थि॥ ८६. केवतियण्णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! जाव असंखेज्जा दीव-समुद्दा, नंदिस्सरवरं पुण दीवं गया य गमिस्संति य ।। ८७. किंपत्तियण्णं भंते ! असुरकुमारा देवा नंदिस्सरवरं दीवं गया य गमिस्संति य ? १. ओ० सू० १६-५२ । २. राय० सू० ७-१२० । ३. दिसं (ता, ब, म, स)। ४. अ० सू० २८७ ५. अ० सू० २८७। ६. असीउत्तर (अ, ब, म, स)। ७. १०२। ८. केवतियं णं (स)। ९. किंपत्तिय सं (अ, ता, ब, म)। Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (बीओ उद्देसो) १४३ गोयमा ! जे इमे अरहंता भगवंतो', एएसि णं जम्मणमहेसु वा निक्खमण महेसु वा, नाणुप्पायमहिमासु' वा, परिनिव्वाणमहिमासु वा - एवं खलु असुरकुमारा देवा नंदिस्सरवरं दीवं गया य गमिस्संति य ॥ अस्थि भंते असुरकुमाराणं देवाणं उड्ढं गतिविसिए ? हंता प्रत्थि || ८. केवतियण्णं भंते! असुरकुमाराणं देवाणं उड्ढं गतिविसए ? गोयमा ! 'जाव अच्चुतो" कप्पो, सोहम्मं पुण कप्पं गया य गमिस्संति य । ६०. किंपत्तियण्णं भंते ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य ? गोयमा ! तेसि णं देवाणं भववच्चइए वेराणुबंधे, ते णं देवा विकुव्वेमाणा परियारेमाणा वा आय रक्खे देवे वित्तासेति बहाल हुसगाई रथणाई गहाय आया । एतमंत प्रवक्कमति || १. अस्थि भंते! तेसि देवाणं अहालहुसगाई रयणाई ? हंता प्रत्थि ॥ ९२. से कहमिदाणि पकरेंति ? तसे पच्छा कार्य पव्वहंति || ६३. भूणं भंते ! असुरकुमारा देवा तत्य गया चेव' समाणा ताहि अच्छराहि सद्धि दिव्वाई भोग भोगाई भुजमाणा विहरित्तए ? जो इट्टे समट्टे । ते णं ततो पडिनियत्तति, ततो पडिनियत्तित्ता इमागच्छति । जइ णं ताम्रो मच्छराम्रो प्राढायंति परियाणंति, पभू णं ते असुरकुमारा देवा ताहि श्रच्छ राहिं सद्धि दिव्वाई भोग भोगाई भुजमाणा विहरितए । ग्रहणं ताओ अच्छराम्रो तो आढति, नो परियाणंति, नो गं पभू ते असुरकुमारा देवा ताहि श्रच्छराहि सद्धि दिव्वाई भोग भोगाई भुजमाणा विहरित्तए । एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य ॥ ६४. केवइयकालस्स णं भते ! असुरकुमारा देवा उड्ढ उप्पयंति जाव सोहम्मं कप्पं गयाय गमिस्संति य ? गोयमा ! प्रणताहि 'ग्रोसप्पिणीहि, अणताहि उस्सप्पिणीहि" समतिक्कंताहि १. भगवंता (क, ब, स ) २. नारगुप्पत्ति ० ( क ) ३. जावच्चुए (अ. ता, व, म, स ) 1 ४. पच्चइय ( अ, ब, म, स ) । ५. ताति २ (ता) | ६. च्चेव (ता) | ७. इह समागच्छति ( अ, व) 1 ८. आढायंति (क, ता, म, स) 1 ६. केवइकालस्स ( अ, क, ब, म, स ) 1 १०. उस्सप्पिणीहि अस्ताहि अवसप्पिणीहि (अ, ब, स) । Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ भगवई अस्थि णं एस भावे लोयच्छेरयभूए समुप्पज्जइ, जं णं असुरकुमारा देवा उड्ढे उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ।। ६५. किं निस्साए णं भंते ! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव साहम्मो कप्पो ? गोयमा ! से जहानामए इहं सबरा' इ वा बब्बरा इ वा टंकणा' इ वा चुचुया' इ वा पल्हा इ वा पुलिंदा इ वा एग महं 'रण्णं वा गड्ढे वा दुग्ग वा दरिं वा विसमं वा पव्वयं वा नीसाए सुमहल्लमवि पासबलं वा हस्थिबलं वा जोहबलं वा धणुबल वा पागले ति, एवामेव असुरकुमारा वि देवा नण्णथ अरहते वा अरहंतचेतियाणि वा अणगारे वा भाविअप्पणो निस्साए उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो।। ६६. सब्वे विणं भंते ! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ? गोयमा ! णो इणढे समढे । महिड्ढिया णं असुरकुमारा देवा उड्ढे उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो । ६७. एस वि य णं भंते । चमरे असुरिंदे असुरराया उड्ढं उप्पइयपुव्वे जाव सोहम्मो कप्पो ? हंता गोयमा ! एस वि य णं चमरे असुरिंदे असुरराया उड्ढं उप्पइयपुब्वे जाव सोहम्मो कप्पो॥ १८, अहो णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्डीए महज्जुईए 'जाव महाणु भागे। चमरस्स गं भते ! सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे कहिं गते ? कहिं अणुपविढे ? कूडागारसालादिद्रुतो भाणियन्वो ॥ ६६. चमरेणं भंते ! असुरिंदेणं असुररण्णा सा दिव्वा देविड्ढी •"दिव्या देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे• किण्णा लद्धे ? पत्ते ? अभिसमण्णागए ? १००. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेण समएणं इहेव जंदूदोवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले बेभेले नामं सण्णिवेसे होत्था–वण्णो " ।। १. सब्बरा (अ, ब)। ७. सं० पा०~-महज्जुईए जाव कहिं ! २. ढंकरणा (क)। ८. भ० ३।४। ३. भुंभुया (अ); चूच्या (अ); (क, ब); भुत्तुया ६. ° सालदिटुंतो (क, ता, ब, म) । १०. भ० ३।२६। ४. पण्हाया (अ); पण्हवा (क, ता); पण्हा ११. सं० पा०–त चेव । (ब, स)। १२. ओ० सू०१; एत्दवर्णन 'नंदरावण-सन्निभि५. X (अ, क, ब, म)। प्पगासे' एतावदेव ग्राह्यम् । ६. X (अ, ता, ब)। Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सइय सतं (बीओ उद्देसो) १४५ १०१. तत्थ णं बेभेले सण्णिसे पूरणे नामं गाहावई परिवसइ-अड्ढे दित्ते' जाव' बहुजणस्स अपरिभूए या वि होत्था । १०२. तए णं तस्स पूरणस्स गाहावइस्स अण्णया कयाइ पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कटबजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-अत्थि ता मे पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफल वित्तिविसेसे, जेणाहं हिरण्णणं वडढामि, सुवण्णणं बड्ढामि, धणेणं वड्ढामि, धण्णेणं वड्ढामि, पुत्तेहि वड्ढामि, पसूहि वड्ढामि, विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पबाल-रत्तरयण-संतसारसावएज्जेणं अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, तंकिणं अहं पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं जाव कडाणं कम्माणं एगंतसो खयं उवेहमाणे विहरामि ? तं जावताव' अहं हिरण्णेणं वड्ढामि जाव अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, जावं च मे मित्त-नाति-नियग-सयण-संबंधि-परियणो आढाति परियाणाइ सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाणं मंगलं देवयं विणएणं चेइयं पज्जुवासइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते सयमेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहगं करेत्ता, विउलं असण-पाणखाइम-साइमं उवक्खडावेत्ता, मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं आमंतेत्ता, तं मित्त-नाइ-निय ग-सयण-संबंधि-परियण विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव मित्त-नाइ-नियगसयण-संबंधि-परियणस्स पुरनो जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता, तं मित्त-नाइ-नियगसयण-संबंधि-परियणं जेट्टपुत्तं च आपुच्छित्ता°, सयमेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहगं गहाय मुंडे भवित्ता दाणामाए पव्वज्जाए पव्वइत्तए । पब्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिहिस्सामि-कप्पइ मे जावज्जीवाए छदैछद्रेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिझिय-पगिझिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए, छटुस्स वि य गं पारणंसि पायावणभूमीग्रो पच्चोरुभित्ता सयमेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिगहगं गहाय बेभेले सण्णिवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाइं धरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता जं मे पढमे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं पंथे पहियाणं दलइत्तए। १. सं० पा०--जहा तामलिस्स वत्तब्वया तहा २. भ० २१६४ । नेतन्वा, नवरं चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहयं ३. भ० २१६६ । करेत्ता जाव विउलं असरगपाणखाइमसाइमं ४. सं० पा.---तुं चेव जाव आयावरण जाव सयमेव। । Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ भगवई 'जं में' दोच्चे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं काग-सुणयाणं' दलइत्तए । 'जं मे तच्चे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं मच्छ कच्छभाणं दलइत्तए । जं मे चउत्थे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं अप्पणा आहारं आहारेत्तए -त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रथणीए तं वेव निरवसेसं जाव जं से चउत्थे पुडए पडइ, तं पणा प्रहारं आहारेइ || १०३. तए गं से पूरणे बालतवस्सी तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं बालतवोकम्मेणं' 'सुक्के लक्खे निम्मंसे ऋट्टि - चम्मावद्धे किडिकडियाभूए किसे धर्माणिसंतए जाए यावि होत्था || १०४. तए णं तस्स पूरणस्स बालतवस्सिस्स अण्णया कयाइ पुव्व रत्तावरत्तकाल समयंसि प्रणिच्चजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे प्रभत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था -- एवं खलु अहं इमेणं प्रोरालेणं विपुलेणं पयत्तेणं पग्गहिएवं कल्लाणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएण उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे जाव धर्माणिसंतए जाए, तं प्रत्थि जा मे उट्टा कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते बेभेलस सणित्रेस्स दिट्ठाभट्ठे य पासंडत्थे य हित्थे य पुव्वसंगतिए य परियायसंगतिए य आपुच्छित्ता बेभेलस्स सण्णिवेसस्स मज्भंमज्भेणं निग्गच्छित्ता, पादुग-कुंडिय-मादीयं उवगरणं चउप्पुडयं दारुमयं च पडिग्गहगं एगंते एडित्ता, वेभेलस्स सणिवेसस्स दाहिणपुरत्थिमे दिसीभागे अद्धनियत्तणिय-मंडल आलिहित्ता संहणा - भूसणा-भूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पानोवगयस्स कालं अणवकखमाणस्स विहरित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते बेभेले सण्णवेसे दिट्ठाभट्ठे य पासंडत्थे य हित्थे य पुव्वसंगतिए य परियायसंगतिए य ग्रापुच्छ, प्रापुच्छित्ता बेभेलस्स सण्णिवेसस्स मज्भंमज्भेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पादुग-कुंडिय-मादीयं उवगरणं दारुमयं च पडिग्गहगं एगते एडेइ, एडेत्ता वेभेलस्स सष्णिवेसस्स दाहिणपुरत्थि मे दिसीभागे श्रद्धनियत्तणियमंडलं ग्रालिहित्ता संलेहणा - भूसणाभूसिए भत्तपाणपडिया इक्खिए पावगमणं निवण्णे || १०५. तेणं कालेणं तेणं समएणं ग्रहं गोयमा ! छउमत्थकालियाए एक्का रसवासपरियाए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणु १. सुरणकारणं (क, ता); सुखगाणं (म ) | २. जम्मे (ता) । ३. सं० पा० - तं चेव जाव बेभेलस्स 1 ४. भ० ३।३५ । ५. भ० २।६६ | Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सइयं सतं (बीओ उद्देसो) १४७ पुब्विं चरमाणे गामाशुगामं दृइज्जमाणे जेणेव सुंसुमारपुरे नगरे जेणेव असोयसंडे' उज्जाणे जेणेव असोयवरपायवे जेणेव पुढवीसिलावट्टए तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता प्रसोगवरपायवस्स हेट्ठा पुढवीसिलावट्टयंसि श्रमभत्तं परिण्हामि, दो वि पाए साहट्टु वग्घारियपाणी एगपोग्गलनिविदिट्ठी प्रणिमिसणयणे ईसिप भारगएणं' काएणं, ग्रहापणिहिएहिं गत्तेहि, सव्विदिएहिं गुत्तेहिं एगराइयं महापडिमं उवसंपज्जेत्ता णं विहरामि ॥ १०६. तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरचंचा रायहाणी प्रणिदा अपुरोहिया या वि होत्या ॥ १०७. तए मं से पूरणे बालतवस्ती बहुपडिपूण्णाई दुवाल सवासाइं परियागं पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए प्रत्ताणं भूसेत्ता, सद्वि भत्ताइं श्रणसणाए छेदेत्ता, कालमासे कालं किच्चा चमरचंचाए रायहाणीए उववायसभाए जाव इंदत्ताए उववण्णे ।। १०५. तए णं से चमरे सुरिंदे असुरराया अहुणोववण्णे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभाव' गच्छइ, [तं जहा - आहारपज्जत्तीए जाव' भास - मणपज्जत्तीए' ] ॥ १०६. तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं गए समाणे उड्ढं वीससाए ओहिणा श्राभोएइ जाव" सोहम्मो कप्पो, पासइ य तत्थ - सक्कं देविदं देवराय, मघवं पाकसासणं । सथक्कतुं सहस्सक्खं, वज्जपाणि पुरंदर" ॥ • दाहिणड्ढलो गाहिवई बत्तीसविमाणस्यसहस्सा हिवई एरावणवाहणं सुरिंद अरयंबरवत्थधरं ग्रालइयमालमउडं नव-हेम चारुचित्त चंचल- कुंडल-विलिहिज्जमाणगंडं भासुरबोंदि पलंबवणमालं दिव्वेणं वण्णेणं जाव० दस दिसाओ उज्जोवेमाणं पभासेमाणं सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंसए विभाणे सभाए सुहम्माए सक्कसि सीहासांसि जाव" दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणं पासइ, पासित्ता इमेयाख्वे" प्रज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - केसणं एस अपत्थियपत्थए" दुरंतपंतलक्खणे हिरिसिरिपरिवज्जिए हीणपुण्णचाउसे १. असोपवणसंडे (क, म, स ) । २. परिगिहामि ( स ) 1 ३. ईसिं० ( क स ) । ४. भ० ३।४३ । ५. पज्जत्तभावं ( ब ) 1 ६. भ० ३।१७ । ७. असौ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । ८. सयक्कउं (क, ता) । ६. सं० पा० - पुरंदरं जाव दस । १०. उवा० २।४० ११. उवा० २।४० भ० ३ १६ । १२. इमे एया (क, ब) । १३. ० पत्थिए (ब, म, स ) । Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जंणं ममं इमाए एयारूवाए दिव्वाए देविड्ढीए' दिव्वाए देवज्जुतीए 'दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए" उपि श्रप्पुस्सुए दिव्वाई भोग भोगाई भुजमाणे विहरइ - एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता सामाणियपरिसोबवण्णए देवे सद्दावेइ, सहावेत्ता एवं वयासी - केस णं एस देवाणुप्पिया ! प्रपत्थियपत्थए जाव दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ ? समाणा ११०. तए णं ते सामाणियपरिसोववण्णगा देवा चमरेणं असुरिंदेणं असुररण्णा एवं वृत्ता तु चित्तमाणंदिया णंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण • हिय्या करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु जणं विजणं वद्धावेति वद्धावेत्ता एवं वयासी - एस णं देवाणुप्पिया ! सक्के देविंदे देवराया जाव' दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ || १४८ १११. तए णं से चमरे सुरिंदे असुरराया तेसि सामाणियपरिसोववण्णगाणं देवाणं अंतिए एयमट्ठे सोच्चा निसम्म प्रासुरुते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे ते सामाणियपरिसोववण्णगे देवे एवं वयासी - ग्रण्णे खलु भो ! से सक्के देविदे देवराया, अण्णे खलु भो ! से चमरे सुरिंदे असुरराया, महिड्ढीए खलु भो ! से सक्के देविंदे देवराया, अप्पिड्ढीए खलु भो ! से चमरे प्रसुरिंदे असुरराया, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सक्कं देविदं देवरायं सयमेव अच्चासाइत्तए' त्ति कट्टु उसि उसिणग्भूए जाए यावि होत्था || ११२. तए गं से चमरे सुरिंदे असुरराया ओहिं परंजइ', परंजित्ता ममं ब्रोहिणा श्राभोए', आभोत्ता इमेयारूवे प्रज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपज्जित्था - एवं खलु समणे भगवं महावीरे जंबूदीवे दीवे भारहे वासे सुंसुमारपुरे" नयरे असोगसंडे" उज्जाणे असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलावट्टयंसि अट्टमभत्तं परिहित्ता एगराइयं महापडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरत्ति, तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं गीसाए सक्कं देविदं देवरायं सयमेव अच्चासाइत्तए ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता सर्याणिज्जा" प्रभु, प्रभुत्ता देवसं परिहे, परित्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे १. सं० पा० देवड्ढीए जाव दिव्वे । २. एतान्यरि अत्र सप्तम्यन्तानि पदानि विद्यन्ते । ३. सं० पा० --- हट्ट तुट्ट जाव हियया । ४. भ० ३।१०६ । ५. आसुरते ( अ, ब ) 1 ६. अच्चासादेत्तए ( अ, ता, व, स ) 1 ७. पयुंजइ (ता) | ८. आलोएइ ( ब ) | ९. अतो 'तस्स' इति पदमध्याहार्यम् । १०. सं० पा० - अज्भथिए जाव समुप्पज्जित्था | ११. सुसमारपुरे ( स ) १२. ० वरणसंडे ( अ, क, ता, व, म, स ) । १३. सत्तणिज्जाओ (ता) | Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ इतयं सतं (बीओ उद्देसो) तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता फलिहरयणं परामुसइ, एगे अवीए' फलिहरयणमायाए महया अमरिसं वहमाणे चमरचंचाए रायहाणीए मज्झमझेणंणिग्गच्छइ, णिगच्छित्ता जेणेव तिगिछिक डे' उपायपव्वए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता जाव' उत्तरवेउव्वियं रूवं विकुम्वइ, विकुवित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए उद्धयाए दिवाए देवगईए तिरियं असंखेज्जाणं दीव-समुद्दाणं मज्झमझेणं बीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव सुसुमारपुरे नगरे जेणेव असोयसंडे उज्जाणे जेणेव असोयवरपायवे जेणेव पुढविसिलावट्टए जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवाच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ', 'करेत्ता वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भं नीसाए सक्क दोवद दवराय सयमेव अच्चासाइत्तए त्ति कटट उत्तरपूरत्थिम दिसीभागं प्रवक्कमेइ, अवक्कमेत्ता वेउब्वियसमग्घाएणं समोहण्णति, समोहणित्ता जाव' दोच्च पि वे उब्वियसमुग्धाएणं समोहण्णइ' एगं महं घोरं घोरागारं भीमं भीमागारं भासुरं भयाणीयं गंभीरं उत्तासणयं कालड्ढरत्त-मासरासिसंकासं जोयणसययसाहस्सीय महाबोंदि विउच्वइ, विउदिवत्ता अप्फोडेइ? वग्गइ गज्जइ, हयहेसियं करेइ, हत्थिगुलगुला इयं करेइ, रहघणघणाइयं करेइ, पायदद्दरगं करेइ, भूमिचवेडयं दलयइ, सीहणादं नदइ, उच्छोलेइ पच्छोलेइ, तिवति" छिदइ, वामं भुयं ऊसवेइ, दाहिणहत्थपदेसिणीए अंगुटुणहेण य वितिरिच्छं मुहं विडंवेइ, महया-मया सद्देण कलकलरवं करेइ एगे अवीए" फलिहरयणमायाए उड्ढं वेहासं उप्पइए-खोभते चेव अहेलोयं कंपेमाणे व मेइणीतलं साकड्ढते व तिरियलोयं, फोडेमाणे व अंबरतलं, १. अवितिए (क, ता)। ११. बहुलासु प्रतिषु क्रियानन्तरं सर्वत्र कत्वा२. तिगिच्छि (ता, म): तिगिच्छ (ब)। प्रत्ययस्स प्रयोगा दृश्यन्ते, यथा-अफोडेइ, ३. राय० सू० १०॥ अप्फोडेता। ४. वेउव्वियरूव (म)। १२. ४ (क, ता, ब, म)। ५. सं० पा०—करेइ जाव नमंसित्ता। १३. तिपति (ता)। ६. राय० सू०१०। १४. अवितिए (क, ता, ब)। ७. समोहगइ (अ, स)। १५. च्चेव (ता)। ८. भामरं (क, ता)। १६. तिव (ता); वा (ब, म)। ६. भासरासि ° (अ) १७. मेयणि ° (अ); मेतिणी' (क, म); १०. जोतरण ° (ता)। मेदिणी (ता)। १८. प्राकड्ढते (अ, म, स); आसाकड्ढते (ब)। Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० भगवई कत्थइ गज्जंते, कत्थइ विज्जुयायंते, कत्थई वासं वासमाणे', कत्थइ रयुग्घायं पकरेमाणे, कत्थइ तमुक्कायं पकरेमाणे, वाणमंतरे देवे वित्तासेमाणे- वित्तासेमाणे जोइसि देवे हा विभयमाणे विभयमाणे, आयरक्खे देवे विपलायमाणेविपलायमाणे', फलिहरयणं अंबरतलंसि वियट्टमाणे वियट्टमाणे, विउम्भाएमाणेविउभाएमाणे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सहाए सिग्धाए उद्धयाए दिव्वाए देवगईए तिरियमसंखेज्जाणं दीव-समुद्दाणं मज्झमज्भेणं वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव सोहम्मे कप्पे, जेणेव सोहम्मवडेंसए विमाणे, जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छइ, एगं पायं पउमवरवेइयाए करेइ, एगं पायं सभाए सुहम्माए करेइ, फलिहरयणेणं महया - महया सदे तिक्खुत्तो इंदकीलं प्राउडेइ, भाउडेत्ता एवं वयासी - कहि णं भो ! सक्के देविदे देवराया ? कहि णं ताम्रो चउरासीइसामाणियसाहस्सीश्रो ? कहि णं तेतात्तीसयतावत्तसगा ? कहि णं ते चत्तारि लोगपाला ? कहि णं ताम्रो अटु अग्ग महिसीओ सपरिवाराश्रो ? कहि णं ताओ तिष्णि परिसाओ ? कहि ते सत्त अणिया ? कहि णं ते सत्त प्रणियाहिवई ? कहि णं ताओ चत्तारि चउरासीईओ आयरक्खदेवसाहस्सीओ ? कहि णं ताम्रो प्रणेगा अच्छराकोडीश्रो ? श्रज्ज हणामि, श्रज्ज महेमि, अज्ज व्हेमि, अज्ज ममं अवसा मच्छराम्रो वसमुवणमंतु त्ति कट्टु तं प्रणि कंतं श्रप्पियं प्रसुभं श्रमण अमणामं फरुसं गिरं निसिरइ | ११३. तए णं से सक्के देविदे देवराया तं प्रणिट्ठ' प्रक्तं श्रप्पियं असुभं मणुष्णं • श्रमणामं स्यवं फरुसं गिरं सोच्चा निसम्म आसुरुते रुट्ठे कुविए चंडि - क्किए मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहट्टु चमरं असुरिंद असुररायं एवं वदासि-हं भो ! चमरा ! असुरिदा ! असुरराया ! अपत्थियपत्थया" ! दुरंतपंतलक्खणा ! हिरिसिरिपरिवज्जिया ! ० हीणपुण्णचाउद्दसा ! अज्ज न भवसि नाहि" ते सुहमत्थीति कट्टु तत्थेव सीहासणवरगए वज्जं परासइ, परामुसित्ता तं जलंतं फुडतं तडतडत" उक्कासहस्साई विणि १. वासेमाणे ( अ, क ) 1 २. वित्तासमारणे ( अ ) 1 ३. विपलासमाणे ( अ ) 1 ४. विउबभासे मारणे (ता) 1 ५. सं० पा०—उक्किट्ठाए जाव तिरिय० । ६. से ( क ) । D ७. सं० पा० - ० सामारिणयसाहस्सीओ जाव कहि 5. सं० पा०-अरिंगट्ठे जाव अमणामं । ६. सं० पा० - आसुरुते जाव मिसिमिसेमाणे । १०. सं० पा० - अपत्थियपत्थया जाव हीरापुण्ण ११. नहि ( ब ) | 0 १२. तडवडतं ( ता ) ; तडातडंत ( ब ) | Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइय सतं (बीओ उद्देसो) म्मुयमाणं-विणिम्मुयमाणं, जालासहस्साई प{चमाणं-पमुंचमाणं, इंगालसहस्साइं पविक्खिरमाणं-पविक्खिरमाणं, फुलिंगजालामालासहस्सेहिं चक्खुविखेवदिट्ठिपडिघातं पि पकरेमाणं हुयवहअइरेगतेयदिप्पंतं जइणवेगं फुल्लकिसुय समाणं महन्भयं भयंकर चमरस्स असुरिदस्स असुरगणो वहाए वज्ज निसिरइ ॥ ११४. तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया तं जलंतं जाव' भयंकरं वज्जमभिमुहं आवयमाणं पासइ, पासित्ता झियाइ पिहाइ, पिहाइ झियाइ, झियायित्ता पिहाइत्ता तहेव संभग्रामउडविडवे' सालबहत्याभरणे उड्ढपाए अहोसिरे कक्खागयसेयं पिव विणिम्मुयमाणे-विणिम्मुयमाणे ताए उक्किट्टाए जाव' तिरियमसंखेज्जाणं दोव-समुद्दाणं मझमझेणं वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव जंबूदीवे दीवे जाव' जेणेव असोगवरपायवे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता भीए भयगग्गरसरे 'भगवं सरणं' इति वयमाणे ममं दोण्ह वि पायाणं अंतरंसि झत्ति वेगेणं समोवडिए' ।। तए णं तस्स सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो इमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पतिथए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-नो खलु पभू चमरे असुरिदे असुरराया, नो खलु समत्थे चमरे असुरिंदे असुरराया, नो खलु विसए चमरस्स प्रसुरिंदरस असुररण्णो अपणो निस्साए उड्ढं उप्पइत्ता जाव सोहम्मो कप्पो, नण्णत्थ अरहते वा, अरहंतचेइयाणि वा, अणगारे वा भाविअप्पाणो नीसाए उड्ढे उप्पयइ जाव सोहम्मो कप्पो, तं महादुक्खं खलु तहारूवाणं अरहताणं भगवंताणं अणगाराण य अच्चासायणाए त्ति कटु प्रोहि पउंजइ, ममं अोहिणा आभोएइ, पाभोएत्ता हा ! हा! अहो ! हतो अहमंसि त्ति कटु ताए उक्किट्ठाए जाव' दिवाए देवगईए वज्जस्स वीहि अणुगच्छमाणे-अणुगच्छमाणे तिरियमसंखेज्जाणं दीव-समुदाणं मज्झमझेणं जाव" जेणेव असोगवरपायवे, जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं चउरंगुलमसंपत्तं वज्जं पडिसाहरइ, अवि याइं मे गोयमा ! मुट्ठिवाएणं केसम्गे वीइत्था । ११६. तए णं से सक्के देविदे देवराया वज्जं पडिसाहरित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासि-एवं खलु भंते ! अहं तुभं नीसाए चमरेणं असुरिंदेणं असुररण्णा सयमेव अच्चासाइए। तए णं मए परिकुविएणं समाणेणं चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो बहाए १. भ० ३१११२ । ६. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। २. विडए (अ, क); पिडए (ब)। ७. अरहंत (क); अरहंता (ता)। ३. भ० ३।११२। ८. भ. ३।११२१ ४. भ० ३.११२। ६. भ० ३१११२। ५. समोवइए (ता)। Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई वज्जे निस? । तए णं ममं इमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पथिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-नो खलु पभू चमरे असुरिंदे असुरराया', 'नो खलु समत्थे चमरे असुरिंदे असुरराया, नो खलु विसए चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो अप्पणो निस्साए उडढं उप्प इत्ता जाव सोहम्मो कप्पो, नण्णत्थ परहंते वा, अरहंतचेइयाणि वा, अणगारे वा भाविअप्पाणो नीसाए उड्ढे उप्पयइ जाव सोहम्मो कप्पो, तं महादुक्खं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं अणगाराण य अच्चासायणाए त्ति कटु° प्रोहि पउंजामि, देवाणुप्पिए प्रोहिणा आभोएमि, आभोएत्ता हा ! हा ! अहो ! हतो अहमंसि त्ति कटु ताए उक्किट्ठाए जाव जेणेव देवाणुप्पिए तेणेव उवागच्छामि, देवाणुप्पियाणं चउरंगुलमसंपत्तं वज्जं पडिसाहरामि, वज्जपडिसाहरणट्टयाए णं इहमागए इह समोसढे इह संपत्ते इहेव अज्ज उवसंपज्जित्ता णं विहरामि । तं खामेमि णं देवाणप्पिया ! खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खंतुमरिहंति णं देवाणुप्पिया ! नाई भुज्जो एवं करणयाए त्ति कटु ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं प्रवक्कमइ, वामेणं पादेणं तिक्खुत्तो भूमि विदलेइ', विदलेत्ता चमरं असुरिदं असुररायं एवं वदासि-मुक्को सिणं भो चमरा! असुरिंदा ! असुरराया ! समणस्स भगवो महावीरस्स पभावेणं-नाहि ते" दाणि" ममातो भयमस्थि त्ति कटु जामेव दिसि पाउन्भए तामेव दिसि" पडिगए ।। ११७. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी–देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव" महाणुभागे पुव्वामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेवं अणुपरियट्टित्ता णं गेण्हित्तए ? हंता पभू॥ ११८. से केण?णं५ भंते ! एवं वुच्चइ-देवे गं महिड्ढीए जाव" महाणुभागे पुवामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियट्टित्ता णं गेण्हित्तए ? गोयमा ! पोग्गले णं खित्ते समाणे पुवामेव सिग्घगई भवित्ता ततो पच्छा १. निसि? (अ, स)। २. सं० पा०--अज्झथिए जाव समुपजित्था । ११. इदाणि (क, म) 1 ३. सं० पाo-तहेव जाव ओहिं । १२. ममतो (अ, क)। ४. भ० ३।११५ । १३. दिसं (ता, ब, म)। ५. मरुहंतु (अ, स)। १४. भ० ३।४। ६. नाइं (ता, ब)। १५. सं० पा०—केण?णं जाव गेण्हित्तए। ७. पकरणयाए (वृ, स)। १६. भ० ३।४। म. दालेइ (अ, क, ब, स), दलइ (म)। १७. खित्ते णं (अ); विखित्ते (स)। ९. माहि (अ, क, ता); नहि (ब)। १८. सिग्धागई (ब)। Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइये सतं (बीओ उद्देसी) मंदगती भवति, देवे णं महिड्ढोए जाव महाणुभागे पुटिव पि पच्छा वि सोहे सीहगती चेव तुरिए तुरियगती चेव ! से तेणटेणं जाव पभू मेण्हित्तए ।। ११६. जइ णं भंते ! देवे' महिड्ढीए जाव पभू तमेव अणुपरियट्टित्ता णं गेण्हित्तए, कम्हा गं भंते ! 'सक्केणं देविदेणं देवरणा" चमरे असुरिंदे असुरराया नो संचाइए साहित्थं गेण्हित्तए ? गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गइविसए 'सीहे-सीहे चेव तुरिए-तुरिए चेव, उड्ढे गइविसए अप्पे-अप्पे चेव मंद-मंदे चेव । वेमाणियाणं देवाणं उड्ढे गइविसए सीहे-सीहे चेव । तुरिए-तुरिए चेव, अहे गइविसए अप्पे-अप्पे चेव मंद-मंदे चेव। जावतियं खेत्तं सक्के देविंदे देवराया उड्ढं उप्पयइ एक्केणं समएणं, तं वज्जे दोहि, जं वज्जे दोहि, तं चमरे तिहिं । सव्वत्थोवे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उड्ढलोयकंडए, अहेलोयकंडए' संखेज्जगुणे । जावतियं खेत्तं चमरे असुरिंदे असुरराया अहे ओवयइ एक्केणं समएणं, तं सक्के दोहिं, जं सक्के दोहि, तं वज्जे तोहिं । सब्वत्थोवे चभरस्स असुरिंदस्स असुररणो अहेलोयकंडए, उड्ढलोयकंडए संखेज्जगुणे । एवं खलु गोयमा ! सक्केणं देविदेणं देवरण्णा चमरे असुरिंदे असुरराया नो संचाइए साहत्थि गेण्हित्तए । १२०. सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो उड्ढं अहे तिरियं च गइविसयस्स कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा? विसेसाहिए वा? गोयमा ! सम्वत्थोवं खेत्तं सक्के देविदे देवराया अहे प्रोवयइ एक्केणं समएणं तिरियं संखेज्जे भागे गच्छइ, उड्ढे संखेज्जे भागे गच्छइ ।।। १२१. चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररण्णो उड्ढं अहे तिरियं च गइविसयस्स कयरे कयरहितो अप्पे वा? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा? गोयमा ! सव्वत्थोवं खेतं चमरे असुरिंदे असुरराया उड्ढं उप्पयइ एक्केणं समएणं, तिरियं संखेज्जे भागे गच्छइ, अहे संखेज्जे भागे गच्छइ ।। "वज्जस्स गं भंते ! उड्ढे अहे तिरियं च गइविसयस्स कयरे कयरेहितो अप्पे वा? वहए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवं खेत्तं वज्जे अहे प्रोवयइ एक्केणं समएणं, तिरियं विसेसाहिए भागे गच्छइ, उड्ढं विसेसाहिए भागे गच्छइ°॥ १२२. १. देविदे (अ, ता, व, स)। २. भ० ३।११। ३. सक्के देविदे देवराया (स)। ४. संचाइति (अ); संचाएति (स) । ५. सिग्वे-सिग्ये (अ, स)। ६. अहो. (अ, ब)। ७. सं० पा०--वज्जं जहा सक्कस्स तहेव नवरं विसेसाहियं कायव्वं । Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ भगवई १२३. सक्कस्स णं भंते ! देविदस्स देवरण्णो प्रोवयणकालस्स य, उप्पयणकालस्स य कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उप्पयणकाले, प्रोवयणकाले संखेज्जगुणे ।। १२४. चमरस्स वि जहा सक्कस्स, नवरं--सव्वत्थोवे प्रोवयणकाले, उप्पयणकाले संखेज्जगुणे ।। १२५. वज्जस्स पुच्छा। गोयमा ! सम्वत्थोवे उप्पयणकाले, प्रोवयणकाले विसेसाहिए। १२६. एयस्स णं भंते ! वज्जस्स, वज्जाहिवइस्स, चमरस्स य असुरिंदस्स असुररण्णो प्रोवयणकालस्स य, उप्पयणकालस्स य कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? वहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सक्क्कस्स य उप्पयणकाले, चमरस्स य प्रोवयणकाले-एए णं दोण्णि' वि तुल्ला सम्वत्थोवा । सक्कस्स य प्रोक्यणकाले, वज्जस्स य उप्पयणकालेएस णं दोण्ह वि तुल्ले संखेज्जगुणे । चमरस्स य उपयणकाले, वज्जस्स य प्रोवयणकाले—एस णं दोण्ड वि तल्ले विसेसाहिए। १२७. तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया वज्जभयविप्पमुक्के, सक्केणं देविदेणं देवरण्णा महया अवमाणेणं अवमाणिए समाणे चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि ओहयमणसं कप्पे चितासोयसागरसंपविढे करयलपल्हत्थमुहे अट्टज्माणोवगए भूमिगयदिट्टीए झियाति ।। १२५. तए णं चमरं असुरिदं असुररायं सामाणियपरिसोववण्णया देवा अोहयमणसंकप्पं जाव' झियायमाणं पासंति, पासित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाति, वद्धावेत्ता एवं वयासी-कि गं देवाणप्पिया ! ओहयमणसंकप्पा चिंतासोयसागरसंपविट्ठा करयलपल्हत्थमुहा अट्टज्माणोवगया भूमिगदिट्ठीया झियायह ? तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया ते सामाणियपरिसोववण्णए देवे एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए समणं भगवं महावीरं नीसाए सक्के देविदे देवराया सयमेव अच्चासाइए। तए ण तेणं परिकविएणं समाणेणं मम वहाए वज्जे निसट्टे । तं भद्दण्णं भवतु देवाणुप्पिया ! समणस्स भगवो महावीरस्स जस्सम्हि पभावेणं अकिटे अन्वहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसढे १२६. १. विण्णि (ता, म)। २. भ० ३।१२७ । ३. निसिट्टे (अ, स)। ४. भई णं (अ, स): ५. जस्ससि (ता)। Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (बीमो उद्देसो) इह संपत्ते इहेव अज्ज उवसंपिज्जत्ता णं विहरामि । तं गच्छामो णं देवाणप्पिया। समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो जाव' पज्जुवासामो त्ति कटु च उसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव' सव्विड्ढोए जाव' जेणेव असोगवरपायवे, जेणेव मम अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं 'करेत्ता वंदेता नमंसित्ता एवं वयासि-एवं खलु भंते ! मए तुभं नीसाए सक्के देविदे देवराया सयमेव अच्चासाइए'। 'तए ण तेणं परिकुविएणं समाणेणं ममं वहाए वज्जे निसटे । तं भद्दण्णं भवतु देवाणुप्पियाणं जस्सम्हि पभावेणं अकिटे अव्वहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसढे इह संपत्ते इह अज्ज उदसंपज्जित्ता णं' विहामि । तं खामेमि णं देवाणु प्पिया! • खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खंतुमरिहंति णं देवाणुप्पिया! नाइ भुज्जो एवं करणयाए त्ति कटु ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता° उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता जाव वत्तीसइंबद्ध नट्टविहिं उवदं सेइ, उवदंसेत्ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए। १३०. एवं खलु गोयमा ! चमरेणं असुरिदेणं असुररण्णा सा दिव्वा देविड्ढी •दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते ° अभिसमण्णागए । ठिई सागरोवमं महा विदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव" अतं काहिइ ।। १३१. किंपत्तियं णं भंते ! असुरकुमारा देवा उड्ढे उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ? गोयमा ! तेसि णं देवाणं अहणोववण्णाण वा चरिमभवत्थाण वा इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जइ-अहो ! णं अम्हेहिं दिव्या देविड्ढी जाव"अभिसमण्णागए, जारिसिया णं अम्हेहि दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए, तारिसिया णं सक्केणं देविदेणं देवरण्णा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। जारिसिया णं सक्केणं देविदेणं देवरण्णा जाव अभिसमण्णागए, तारिसिया णं अम्हेहि वि जाव अभिसमण्णागए । तं गच्छामो णं सक्कस्स देविंदस्स देवरगणो अंतियं पाउभवामो पासामो ताव सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो दिव्यं देविड्ढि जाव अभिसमण्णागयं, पासउ ताव अम्ह वि सक्के देविदे देवराया १. भ० २।३०। २. भ० ३।४। ३. राय० सू०५८ । ४. सं.पा.–पयाहिणं जाव नमंसित्ता। ५. सं० पा०-अच्चासाइए जाव तं । ६. सं० पा०–अकिटे जाव विहामि। ७. सं० पा.---देवाणप्पिया जाव उत्तर । ८. राय० स०६५-१२० । है. बत्तीसविह (क)। १०. सं० पा०-देविड्ढी जाव अभि । ११. भ० २।७३। १२. अहुणोववण्णण गाण (अ, ब)। १३. सं० पा०—अज्झथिए जाव समुप्पज्जइ । १४. भ० ३।१३० । Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ दिव्वं देविढि जाव अभिसमण्णागयं । तं जाणामो ताव सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो दिव्वं देविड्ढि जाव अभिसमण्णागयं, जाणउ ताव अम्ह वि सक्के देविंदे देवराया दिध्वं देविड्ढि जाव अभिसमण्णागयं । एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ।। १३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति।। तइप्रो उद्देसो किरिया-पदं १३३. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था जाव' परिसा पडिगया ॥ १३४. तेणं कालेणं तेणं समएणं' 'समणस्स भगवो महावीरस्स ° अंतेवासी मंडिअपुत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी-कइ णं भते ! किरियानो पण्णत्तानो ? मंडिग्रपत्ता ! पंच किरियानो पण्णत्ताओ, तं जहा--काइया, अहिंगरणिया, पामोसिमा, पारियावणिया, पाणाइवायकिरिया ।। १३५. काइया णं भंते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता? मंडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-अगुवरयकायकिरिया य, दुप्पउत्तकाय किरिया य ।। १३६. अहिगरणिआ णं भंते ! किरिया कइविहा पण्णता? मंडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–संजोयणाहिगरणकिरिया' य, निवत्त णाहिगरणकिरिया य ।। १३७. पाओसिमा णं भंते ! किरिया कइविहा पण्णता ? मंडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा—जीवपाओसिमा य, अजीवपायोसिमा य॥ १. भ० ११५१ २. भ० ११४-८ । ३. सं० पा०-समएणं जाव अंतेवासी। ४. भ० ११२८८, २८६ । ५. पायो' (क, ता)। ६. दुप्पयुत्त° (ता)। ७. करण ° (क, ता, स)। ८. करण ° (ता, ब, स)। 8. पादोसिया (अ, क, ब);पामोसिगा (ता)। Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (तइओ उद्देसो) १३८. पारियावणिया णं भंते ! 'किरिया कइविहा पण्णता ? मंडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्थपारियावणिप्राय, परहत्यपारि यावणिग्रा य ॥ १३९. पाणाइवायकिरिया णं भंते ! 'किरिया कइविहा पण्णत्ता ?'२ मंडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्णपाणाइवायकिरिया य, परहत्थ पाणाइवायकिरिया य ।। किरिया-वेदणा-पदं १४०. पुवि भंते ! किरिया, पच्छा वेदणा? पुवि वेदणा, पच्छा किरिया ? मंडिअपुत्ता ! पुट्वि किरिया, पच्छा वेदणा! णो पुचि वेदणा, पच्छा किरिया ।। १४१. अत्थि णं भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ? हंता अस्थि ।। १४२. कहाणं' भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ? मंडिअपुत्ता ! पमायपच्चया, जोगनिमित्तं च । एवं खलु समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ।। अंतकिरिया-पदं १४३. जीवे णं भंते ! सया समितं एयति वेयति' 'चलति फंदइ घट्टई" खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं परिणमइ? हंता मंडिअपुत्ता ! जीवे णं सया समितं एयति वेयति चलति फंदइ घट्टइ खुभइ उदीरइ° तं तं भावं परिणमइ । १४४. जावं च णं भंते ! से जीवे सया समितं 'एयति वेयति चलति फंदइ घट्टइ खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं° परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंत किरिया भवइ ? नो इणद्वे सम₹ । १४५. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जावं च णं से जीवे सया समितं 'एयति वेयति चलति फंदइ घट्टाइ खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया न भवति ? मंडिग्रपुत्ता ! जावं च णं से जीवे सया समित" •एयति वेयति चलति फंदइ पद १. पुच्छा (ब)। २. पुच्छा (ता, ब)। ३. कह णं (अ, क, ब); कह रणं (ता); कहि __ णं (स)। ४. समियं (अ, ता, ब, म, स)। ५. वेदति (ता)। ६. चलेइ फंदेइ घट्टेइ (अ, ब, स)। ७. सं० पा०-एयति जाव तं । ८. सं० पा०---समितं जाव परिणमइ । ६. तिरण? (अ, क, ब, म, स)। १०. सं० पा०-समितं जाव अंते । ११. सं० पा०-समितं जाव परिणमइ। Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५८ भगवई o घट्टइ खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं से जीवे - 'आरभइ सारभइ समारभइ", आरंभे वट्टइ सारंभे वट्टइ समारंभ बट्टइ, 'आरभमाणे सारभमाणे समारभमाणे", आरंभे वट्टमाणे सारंभे वट्टमाणे समारंभे वट्टमाणे बहूणं पाणणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खावणयाए' सोयावणयाए जूरावणयाए तिप्पाणयाए पिट्टावणयाए परियावणयाए वट्टइ ॥ से तेणणं मंडित्ता ! एवं बुच्चइ - जावं च गं से जीवे सया समितं एयति' • वेयति चलति फंदइ घट्टइ खुम्भइ उदीरइ तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया न भवति ॥ १४६. जीवे णं भंते ! सया समितं नो एयति' नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो 0 घट्टइ नो खुबभइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ ? हंता मंडिग्रपुत्ता ! जीवे णं सया समितं नो एयति नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ || १४७. जावं च णं भंते! से जीवे नो एयति' नो बेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ० नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते तकिरिया भवइ ? हंता' ममिपुत्ता ! जावं च णं से जीवे नो एयति नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ || १४८. से केणट्टेणं' "भंते ! एवं बुच्चइ - जावं च णं से जीवे नो एयति नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ ? मंडित्ता ! जावं च णं से जीवे सया समितं नो एयति" नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नी खुब्भइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ, तावं चणं से जीवे नो आरभइ नो सारभइ नो समारभइ, नो आरंभे वट्टइ नो सारंभे वट्टइ नो समारंभे वट्टइ, अणारभमाणे असारभमाणे असमारभमाणे, आरंभे वट्टमाणे सारंभ अवट्टमाणे समारंभे श्रवट्टमाणे वहूणं पाणाणं भूयाणं १. आरंभइ सारंभइ समारंभ ( अ, स ) 1 २. आरंभमाणे सारंभमाणे समारंभमाणे (अ) क, ता, स) । ३. क्वचित्पठ्यते--' दुक्खणयाए' इत्यादि, तच्च व्यक्तमेव, यच्च तत्र 'किलामायाए उद्दarrare, इत्यधिकमभिधीयते (वृ) । ४. सं० पा०-- एयति जाव परिमणइ | ५. सं० पा०- - एयति जाव नो । ६. सं० पा० – समितं जाव नो । ७. सं० पा० - एयति जाव नो । ८. सं० पा०-- हंता जाव भवइ । ६. सं० पा० - केणट्टेणं जाव भवइ । १०. सं० पा०-- एयति जाव नो । Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (ताओ उद्देसो) १५६ जीवाणं सत्ताणं अदुक्खावणयाए' 'असोयावणयाए अजूरावणयाए अतिप्पावणयाए अपिट्टावणयाए ° अपरियावणयाए वट्टइ। से जहानामए केइ पुरिसे सुक्क' तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं मंडिअपुत्ता! से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जइ ? हंता मसमसाविज्जइ। से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लसि उदयबिंदु पक्खिवेज्जा, से तृणं मंडिअपुत्ता ! से उदयबिदू तत्तंसि अयकवल्लसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ ? हंता विद्धसमागच्छइ । से जहानामए हरए सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे बोलट्टमाणे बोसट्टमाणे समभरघडत्ताए चिट्ठति' । अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरयसि एगं महं नावं सतासवं सतच्छिदं प्रोगाहेज्जा, से नूणं मंडिअपुत्ता ! सा नावा तेहिं पासवदारेहि' प्रापूरमाणी-प्रापूरमाणी पुण्णा पुष्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठति ? हंता चिट्ठति। अहे णं केइ पुरिसे तीसे नावाए सव्वनो समंता आसवदाराई पिहेइ, पिहेत्ता नावा-उस्सिचणएणं उदयं उस्सिचेज्जा से नूणं मंडिअपुत्ता ! सा नावा तंसि उदयंसि उस्सित्तंसि समाण सि खिप्पामेव उदाइ ? हंता उदाइ। एवामेव मंडिअपुत्ता ! अत्तत्ता-संवुडस्स अणगारस्स इरियासमियस्स भासासमियस्स एसणासमियस्स आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमियस्स उच्चारपासवणखेल-सिंघाण-जल्ल-पारिट्ठावणियासमियस्स मणसमियस्स वइसमियस्स कायसमियस्स मणगुत्तस्स वइगुत्तस्स कायगुत्तस्स गुत्तस्स गुत्तिदियस्स ° गुत्तबंभयारिस्स, पाउत्त गच्छमाणस्स चिट्ठमाणस्स' निसीयमाणस्स तुयट्टमाणस्स, आउत्तं वत्थ-पडिग्गह-कवल-पायपुछणं गेण्हमाणस्स निक्खिवमाणस्स जाव चक्खुपम्हनिवायमवि वेमाया सुहुमा इरियावहिया किरिया कज्जइ-सा पढमसमय १. सं० पा०—अदुवावणयाए जाव अपरिया- ६. रिया' (ता, व, म); सं० पा०---इरियावणयाए। समितरस जाव गुत्तवंभयास्सि । २. मुक्क (अ, ब)! ७. सर्वेष्वपि पदेषु 'आउत्तं' इति पदं गम्यम् । ३. चिट्ठइ हंता चिट्टइ (ता, म, स)। ८. वेमाता (ता); संपेहाए (वृपा)। ४. दारेहि (ता, ब, म)। ६. रिया० (अ, ता, ब)। ५. तुदाति (ता); उद्दाइ (म); उड्ढं उदाइ (स) Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० भगवई बद्धपुट्टा', बितियसमयवेइया', ततियसमयनिज्जरिया। सा बद्धा पुटा उदीरिया वेडया निज्जिण्णा सेयकाले अकम्मं वावि भवति । से तेणदेणं मंडिअपत्ता ! एवं वुच्चइ-जावं च णं से जीवे सया समितं नो एयति' 'नो वेयति नो चलति नो फदइ नो घटइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स ° अंते अंतकिरिया भवइ ।। पमत्तापमत्तद्धा-पदं १४६. पमत्तसंजयस्स णं भंते ! पमत्तसंजमे वट्ट माणस्स सव्वा वि यणं पमत्तद्धा कालो केवच्चिर होइ? मंडिअपुत्ता ! एगं जीवं पडुच्च जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणा पुठ्वकोडी । नाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धा ।। १५०. अप्पमत्तसंजयस्स णं भंते ! अप्पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्वा वि य णं अप्पम त्तद्धा कालो केवच्चिर होइ ? मंडिअपुत्ता ! एग जीवं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं 'देसूणा पुव्वकोडी नाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धं ।। १५१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं मंडिअपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीर वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा प्रप्पाणं भावेमाणे विहरति ।। लवणसमुद्द-बुड्ढि-हाणि-पदं १५२. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसंइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-कम्हा णं भंते ! लवणसमुद्दे चाउद्दसट्ठमुट्ठिपुण्णमासिणीसु अतिरेगे वड्ढइ वा ? हायइ वा ? लवणसमुद्दवत्तव्वया नेयव्वा जाव लोयट्टिई, लोयाणुभावे ।। १५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ? त्ति जाव विहरति" ।। १. समत० (ता)। २. बीयसमयवेतिता (क); ०वेदिता (ता); बीय० (ब)। ३. टितिय० (ब)। ४. चावि (ता)। ५. सं० पा०-एयति जाव अंते ।। ६. केवचिर (अ, क)। ७. पुवकोडी देसूणा (क, ता, ब, म, स)। ८. जहा जीवाभिगमे लवण ° (स)। ६. जी० ३ मन्दरोद्देशकः । १०. भ० ११५१। ११. बिहरइ किरिया समत्ता(अ, क, ता, ब, म,स) Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (चउत्थो उद्देसो) चउत्थो उद्देसो भाविअप्प-पदं १५४. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवं वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणं जाणइ-पासइ ? गोयमा! १. अत्थेगइए देवं पासइ, नो जाणं पासइ । २. अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देव पासइ। ३. अत्थेगइए देवं पिपासइ, जाणं पिपासइ । ४. अत्थे गइए नो देवं पासइ, नो जाणं पासइ ।। १५५. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवि वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणि जाणइ-पासइ? गोयमा ! १. अत्थेगइए देवि पासइ, नो जाणं पासइ । २. अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवि पासइ। ३. अत्थेगइए देवि पि पासइ, जाणं पिपासइ। ४. अत्थे गइए नो देवि पासइ, नो जाण पास इ° ।। १५६. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवं सदेवीनं वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाण रूवेणं जामाणं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! १. अत्थेगइए देवं सदेवीअं पासइ, नो जाणं पासइ। २. अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं सदेवीअं पासइ। ३. अत्थेगइए देवं सदेवीअं पि पासइ, जाण पि पासइ। ४. अत्यंगइए नो देवं सदेवीअं पास इ, नो जाणं पासइ ॥ १५७. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा रुक्खस्स किं अंतो पासइ ? बाहिं पासइ ? ""गोयमा ! १. अत्थेगइए रुक्खस्स अंतो पासइ, नो बाहिं पासइ । २. अत्थेगइए रुक्खस्स बाहिं पासइ, नो अंतो पासइ । ३. अत्यंगइए रुक्खस्स अंतो पि पासइ, वाहि पि पासइ। ४. अत्थेगइए रुक्खस्स नो अंतो पासइ, नो बादि पासइ ।। १५८. "अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा रुक्खस्स किं मूलं पास इ ? कंदं पासइ ? गोयमा ! १. अत्थेगइए रुक्खस्स मूलं पासइ, नो कंदं पासइ । २. अत्थेगइए रुवखस्स कंदं पासइ, नो मूलं पासइ। ३. अत्थेगइए रुक्खस्स मूलं पिपासइ, कंदं पि पासइ । ४. अत्थेगइए रुक्खस्स नो मूलं पासइ, नो कंदं पासइ । १. जायमाणं (ग्र, क, ब, स)। २. जाइमाणि (अ, ब); जायमाणि (क, स)। ३. सं० पा० --एवं चेव । ४. सं० पा०- एतेणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा। ५. सं० पा०-चउभंगो। ६. सं० पा०-एवं कि पास? चउभंगो। मूलं पासइ, कदं Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ भगवई १५६. मूलं पास इ ? खंधं पासइ ? च उभंगो ॥ १६०. एवं मूलेणं जाव ?] बीजं संजोएयव्वं ॥ १६१. एवं कदेण वि समं संजोएयव्वं जाव बीयं ।। १६२. एवं जाव पुप्फेण समं बीयं संजोएयव्वं ।। १६३. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा रुक्खस्स किं फलं पासइ ? बीयं पासइ ? चउभंगो।। वाउकाय-पदं १६४. पभू णं भंते ! वाउकाए एगं महं इत्थिरुवं वा पुरिसरूवं वा [प्रासरूवं वा ?] हत्थिरूवं बा जाणरूवं वा जुग्गरूवं वा गिल्लिरूवं वा थिल्लिरूव वा सीयरूवं वा संदमाणियरूवं वा विउवित्तए ? गोयमा! नो इणढे समटे । वाउकाए' णं विकुव्वमाणे एगं महं पडागासंठियं रूवं विकुब्वइ । १६५. पभू णं भंते ! वाउकाए एगं महं पडागासंठियं रूवं विउव्वित्ता प्रणेगाइं जोय णाइं गमित्तए ? हंता पभू॥ १. एवमिति मूलकदसूत्राभिलापेन मूलेन सह २५. त्वक् शाखा २६. त्वक् प्रवाल कंदादिपदानि वाच्यानि यावबीजपदम् । तत्र २७. त्वक पत्र २८. त्वक् पुष्प मूलम्, कंदः, स्कन्धः, त्वक, शाखा, प्रवालम्, २६. त्वक फल ३०. त्वक् बीज पत्रम्, पुष्पम्, फलम्, बीजम चेति दश पदानि, ३१. शाखा प्रवाल ३२. शाखा पत्र एषां च पञ्चचत्वारिंशद् द्विकसयोगाः भङ्गाः- ३३. शाखा पुष्प ३४, शाखा फल १. मूल कंद २. मूल स्कंध ३५. शाखा बीज ३६. प्रवाल पत्र ३. मूल त्वक् ४. मूल शाखा ३७. प्रवाल पुष्प ३८. प्रवाल फल ५. मूल प्रवाल ६. मूल पत्र ३६. प्रवाल बीज ४०. पत्र पुष्प ७. मूल पुष्प ८. मूल फल ४१. पत्र फल ४२. पत्र बीज ६. मूल वीज १०. कंद स्कंध ४३. पुष्प फल ४४. पुष्प बीज ११. कंद त्वक् १२. कंद शाखा ४५. फल बीज (वृ): १३. कंद प्रवाल १४. कंद पत्र २. चउभंगो एवं (ना)। १५. कंद पुष्प १६. कंद फल ३. १७६ सूत्रे 'आसरूव' इति पाठो विद्यते १७. कंद बीज १८. स्कंध त्वक वृत्तावपि तस्योल्लेखोस्ति, तेनात्रापि १६. स्कघ शाखा २०. स्कंध प्रवाल संभाव्यते। २१. स्कंध पत्र २२. स्कंध पुष्प ४. खिल्लि (क)। २३. स्कंध फल २४. स्कंध बीज ५. वाउयाए (क, ता)। Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (उत्थो उद्देसो) १६६. से भंते ! कि प्राइड्ढीए' गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छइ ? गोमा ! प्राइड्ढीए गच्छइ, नो परिड्ढीए गच्छइ ॥ १६७. से भंते ! किं श्रायकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ? गोमा ! आयकम्मुणा गच्छइ, नो परकम्मुणा गच्छइ ॥ १६८. से भंते ! किं आयप्पयोगेण गच्छइ ? परप्पयोगेण गच्छइ ? गोयमा ! आयप्पयोगेण गच्छइ, नो परप्पयोगेण गच्छइ° ॥ १६६. से भंते ! किं ऊसिप्रोदयं गच्छइ ? पतोदयं गच्छइ ? गोमा ! ऊसिश्रोदयं पि गच्छइ, पतोदयं पि गच्छइ ।। १७०. से भंते ! किं एगोपडागं गच्छइ ? दुहनोपडागं गच्छइ ? गोमा ! एगोपडागं गच्छइ, नो दुहनोपडागं गच्छइ ॥ १७१. से भंते! कि वाउकाए ? पडागा ? गोमा ! वाउकाए णं से, नो खलु सा पडागा ॥ बलाहक-पदं १७२. पभू णं भंते ! बलाहए एवं महं इत्थिरूवं वा जाव ' संदमाणियरूवं वा परिणात्तए ? हंता पभू ॥ १७३. पभू णं भंते ! बलाहए एवं महं इत्थिरूवं परिणामेत्ता अणेगाई जोयणाई गतित्तए । हंता पभू || १७४. से भंते ! किं आइड्ढीए गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छइ ? गोमा ! नो आइड्ढीए गच्छइ, परिड्ढीए गच्छइ ॥ १७५. "से भंते! किं प्रायकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ? गोयमा ! नो प्रायकम्मुणा गच्छइ, परकम्मुणा गच्छइ ॥ १७६. से भंते! किं श्रयप्पयोगेणं गच्छइ ? परप्पयोगेणं गच्छइ गोयमा ! नो प्रायप्पयोगेणं गच्छइ, परप्पयोगेणं गच्छइ ॥ १७७. से भंते! किं ऊसियोदयं गच्छइ ? पतोदयं गच्छइ ? गोयमा ! ऊसिप्रोदयं पि गच्छइ, पतोदयं पि गच्छइ । १. आयड्ढीए ( अ, ब, स ) ; आतिड्ढीए (क, म) २. सं० पा० - जहा आयड्ढीए एवं अयकम्मुणा विप्रायप्पयोगेण वि भारिणयव्वं । ३. ऊसिओदगं ( म, स ) | ४. पागं वा (ता) | १६३ ५. भ० २।१६४ । ६. सं० पा०--- एवं नो आयकम्मुणा, परकम्मुरणा । नो आयप्पयोगेणं, परप्पयोगेणं । ऊसिओदयं वा गच्छ पयोदयं वा गच्छइ । Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६४ भगवई १७८. से भंते ! कि बलाहए ? इत्थी ? गोयमा ! बलाहए णं से, नो खलु सा इत्थी । १७६. एवं पुरिसे, आसे, हत्थी॥ १८०. पभू णं भंते ! बलाहए एगं महं जाणरूवं परिणामेत्ता अणेगाई जोयणाई गमित्तए? जहा इत्थिरूवं तहा भाणियव्वं ॥ १८१. से भंते ! कि एगोचक्कवालं गच्छइ ? दुहोचक्कवालं गच्छइ ? गोयमा ! एगोचक्कवालं पि गच्छइ, दुहोचक्कवालं पि गच्छइ° ।। १८२. जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीया-संदमाणिया तहेव' ।। किलेसोववाय-पदं १८३. जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! किलेस्सेसु उववज्जइ? गोयमा ! जल्लेस्साई दवाइं परियाइत्ता कालं करेइ, तल्लेस्सेसु उववज्जइ, तं जहा–कण्हलेस्सेसु वा, नीललेस्सेसु वा, काउलेस्सेसु वा । एवं जस्स जा लेस्सा सा तस्स भाणियव्वा । जाव:-- जीवे णं भंते ! जे भविए जोइसिएसु उववज्जित्तए", से णं भंते ! किलेस्सेसु उववज्जइ ? गोयमा ! जल्लेसाई दवाई परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेस्सेसु उववज्जइ, तं जहा-तेउलेस्सेसु॥ १८५. जीवे णं भंते ! जे भविए वेमाणिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! किलेस्सेसू उववज्जइ ? गोयमा ! जल्लेस्साई दव्वाइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेस्सेसु उववज्जइ, तं जहा-तेउलेस्सेसु वा, पम्हलेस्सेसु वा, सुक्कलेसे वा ॥ १८४. १. भ० ३०१७३-१७८1 ८. जाव जीवेणं भंते जे भविए असुरकुमारेसु २. भ० ३०१७३-१७८ । उववज्जइ से भंते किलेसेसु असुरकुमारेसु ३. सं० पा०-नवरं एगो चक्कवालं पि दुह- उजवज्जइ? जल्लेसाई दबाई परियाइत्ता ओचक्कवाल पि भारिणयध्वं । कालं करेइ तल्लेसेसु असुरकुमारेसु उववज्जइ । ४. संदमाणिया णं (अ, ब, स)। तं कण्हनीलकाउतेउलेसेस् वा एवं जहा नेरइ५. भ० ३।१७३-१७८ । याणं नवरं अभहियं तेउलेसेसु वा एवं जस्स ६. उववज्जइए (अ)। जा सा भारिणयव्वा जाव (ता); पू०प० २। ७. जं लेसाई (अ, स)। ६. सं० पा०-पुच्छा। १०. परियाइतित्ता (अ, ब, स)। Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (चउत्थो उद्देसो) १६५ भाविप्रप्प-विकुम्वरणा-पदं १८६. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू वेभारं पव्वयं उल्लंघेत्तए वा? पल्लंघेत्तए वा ? गोयमा ! नो इणटे समटे ।।। १८७. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू वेभारं पव्वयं उल्लंघेत्तए वा ? पल्लंघेत्तए वा ? हंता पभू ।। १८८. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता जावइयाई रायगिहे नगरे रूवांइ, एवइयाई विकुवित्ता वेभारं पव्वयं अंतो अणुप्पविसित्ता पभ समं वा विसमं करेत्तए ? विसमं वा समं करेत्तए ? गोयमा ! नो इण? समद्वै॥ १८६. "अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता जावइयाइं राय गिहे नगरे रूवाई, एवइयाइं विकुम्वित्ता वेभारं पव्वयं अंतो अणुप्पविसित्ता पभू समं वा विसमं करेत्तए ? विसमं वा समं करेत्तए? हंता पभू ° । १६०. से भंते ! कि माई विकुम्वइ ? अमाई ? विकुम्वइ गोयमा ! माई विकुव्वइ, नो अमाई विकुब्वइ । १६१. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चई- माई विकुव्वइ, नो अमाई विकव्वइ ? गोयमा ! माई णं पणीयं पाण-भोयणं भोच्चा-भोच्चा वामेति । तस्स णं तेणं पणीएणं पाण-भोयणेणं अट्ठि-अट्टिमिजा बहलीभवंति, पयणुए मंस-सोणिए भवति । जे वि य से अहाबायरा पोग्गला ते वि य से परिणमंति, तं जहासोइंदियत्ताए' चक्खिंदियत्ताए पाणिदियत्ताए रसिदियत्ताए ° फासिदियत्ताए, अट्ठि-अद्विमिज-केस-मंसु-रोम-नहत्ताए, सुक्कत्ताए, सोणियत्ताए। अमाई णं लहं पाण-भोयणं भोच्चा-भोच्चा णो वामेइ। तस्स णं तेणं लहेणं पाण-भोयणेणं अद्वि-अद्धिमिजा पयणूभवंति, बहले मंस-सोणिए । जे वि य से अहाबायरा पोग्गला ते वि य से परिणमंति, तं जहा—उच्चारत्ताए पासवणताए" 'खेलत्ताए सिंघाणत्ताए वंतत्ताए पित्तताए पूयत्ताए ° सोणियत्ताए । से तेण?ण भंते ! एवं वुच्चइ-माई विकुब्वइ°, नो अमाई विकुव्वइ ।। १. वेभार (ता)। २. सं० पा०.-एवं चेव बितिओ वि आलावगो नवरं परियातिइत्ता पभू। ३. सं० पा०-बुच्चइ जाव नो। ४. सं० पा०-सोइंदियत्ताए जाव फासिंदियत्ताए। ५. सं० पा०-पासवणताए जाव सोणियत्ताए। ६. सं० पा०—तेगडेणं जाव नो। Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ भगवई १६२. माई णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते' कालं करेइ, नत्थि तस्स आराहणा । अमाई णं तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते कालं करेइ, श्रत्थि तस्स राहण || १६३. से भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ पंचमो उद्देसो १४. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एवं महं इत्थीरूवं वा जाव' संदमाणियरूवं वा विउव्वित्तए ? नो इट्टे समट्टे ॥ १६५. अणगारे णं भंते ! भाविश्रप्पा बाहिरए पोगले परियाइत्ता पभू एवं महं इत्थीरूवं वा जाव' संदमाणियरूवं वा विउव्वित्तए ? हंता पभू ॥ १६६. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा केवइयाई पभू इथिरूवाइं विउब्वित्तए ? गोयमा ! से जहानामए - जुवई जुवाणे हत्थेणं हत्थंसि गे‍हेज्जा, चक्कस्स वा नाभीरगाउत्तासिया, एवामेव अणगारे वि भाविप्पा वेउव्वियससमुग्धाएणं समोहणइ जाव' पभू णं गोयमा ! अणगारे णं भाविप्पा केवलकप्पं जंबुद्दीव बहू इथिरूवेहिं ग्राइण्णं वितिकिष्ण उवत्थड संथडं फुडं अवगाढावगाढं करेत्तए । एस णं गोयमा ! अणगारस्य भाविप्पणो अयमेयारूवे सिए, विसयमेत्ते बुइए, जो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा विउब्वति वा, विउब्विस्सति वा । एवं परिवाडीए नेयव्वं जाव' संदमाणिया || १६७ से जहानामए केइ पुरिसे प्रसिचम्मपाय' गहाय गच्छेज्जा, एवामेव प्रणगारे वि भाविप्पा सिचम्मपायहत्थकिच्च गएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? हंता उप्पएज्जा | १. अगालोतिय ( अ, ब, स ) । २. भ० ११५१ । ३. भ० ३।१६४१ ४. भ० ३।१६४ । ५. भ० ३।४ । ६. सं हा०वितिकिष्णं जाव एस । ७. भ० ३।१६४। ८. असि चम्म० (ता) Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (पंचमो उद्देसो) १६७ १६८. अणगारे णं भंते ! भाविप्रप्पा केवइयाई पभू असिचम्म (पाय ? ) हत्थकिच्च - गयाई रुवाई विउव्वित्तए ? गोयमा ! से जहानामए - जुबई जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, तं चैव जाव' विव्विसुवा, विव्वति वा, विउव्विस्सति वा ॥ १९६. से जहानामए केइ पुरिसे एगोपडागं काउं गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविप्पा एगोपडागाहत्य किच्चगएणं' अप्पाणेण उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? हंता उप्पएज्जा ।। २००. अणगारे णं भंते! भाविप्पा केवइयाइं पभू एगोपडागाहत्यकिच्च गयाई रुवाई विकुव्वित्तए ? एवं चैव जाव विकुव्विसु वा विकुव्वतिवा वा, विकुव्विस्सति वा ॥ २०१. एवं दुहप्रोपागं पि । २०२. से जहानामए केइ पुरिसे एगोजण्णोवइतं काउं गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविश्रप्पा एगोजण्णोवइतकिच्चगएणं प्रप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? हंता उप्पएज्जा ।। २०३. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा केवइयाई पभू एगोजण्णोवइतकिच्चगयाई रुवाई विकुव्वित्तए ? तं वा विकुव्विसु वा विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा । २०४. एवं दुहओजण्णोवइयं पि ॥ २०५. से जहानामए केइ पुरिसे एगोपल्हत्थियं काउं चिट्ठेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविप्पा गोल्हत्थिय किच्चगएणं प्रप्पाणेण उड्ढं वेहास उप्पएज्जा ? तं चैव जाव विकुव्विसु वा विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा ॥ २०६. एवं दुहओपल्हत्थियं पि ॥ २०७० से जहानामए केइ पुरिसे एगओपलियंक काउं चिट्ठेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविप गओ पलियं क किच्चगएण अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? तं चैव जाव' विकुव्विसु वा, विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा ॥ २०८० एवं दुहनोपलियंकंपि ॥ १. भ० ३।१६६ | २. एगततोपडागा (ता) | ३. वेहायसं ( ब ) | ४. हंता गोयमा ( अ, ता, ब, स ) 1 ५. भ० ३।१६६ / ६. भ० ३।१६६ ७. भ० ३१२०२, २०३ । ८. भ० ३।२०२, २० Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई भाविप्रप्प-अभिजुजरणा-पदं २०६. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एग महं प्रासरूवं वा हत्थिरूवं वा सोहरूवं वा विग्धरूवं वा विगरूवं वा दीवियरूवं वा अच्छरूवं वा तरच्छरूवं वा परासररूवं वा अभिजित्तए ? नो इणटे समटे ।। २१०. अणगारे ण भंते ! भाविअप्पा बाहिरिए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगं महं प्रासरूवं वा हत्थिरूवं वा सोहरूवं वा वग्घरूवं वा विगरूवं वा दीवियरूवं वा अच्छरूवं वा तरच्छरूवं वा परासररूवं वा अभिजुंजित्तए ? हंता पभू°॥ २११. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा (पभू?) एगं महं प्रासरूवं वा अभिमुंजित्ता अणेगाइं जोयणाई गमित्तए ? हंता पभू॥ २१२. से भंते ! कि आइड्ढोए गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छइ ? गोयमा ! पाइड्ढीए गच्छइ, नो परिड्ढीए गच्छइ ।। २१३. से भंते ! कि आयकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ? गोयमा ! आयकम्मुणा गच्छइ, नो परकम्मुणा गच्छइ ।। २१४. से भंते! किं पायप्पयोगेणं गच्छइ ? परप्पयोगेणं गच्छइ ! गोयमा ! पायप्पयोगेणं गच्छइ, नो परप्पयोगेणं गच्छइ ।। २१५. से भंते ! किं ऊसिप्रोदयं गच्छइ ? पतोदयं गच्छइ ? गोयमा ! ऊसियोदयं पि गच्छइ, पतोदयं पि गच्छइ० ॥ २१६. से गं भंते ! किं अणगारे ? अासे ? गोयमा ! अणगारे णं से, नो खलु से आसे ।। २१७. एवं जाव परासररूवं वा ।। २१८. से भंते ! किं 'भायी विकुव्वई', ? अमायी विकुव्वइ ? ___ गोयमा ! मायी विकुब्वइ, नो अमायो विकुव्वइ ।। १. वग° (क, ता, ब, म)। २. इह अन्यान्यपि शृगालादिपदानि वाचनान्तरे ___दृश्यन्ते (वृ)। ३. सं० पा०-~एवं बाहिरए पोमगले परियाइत्ता पभु। ४. सं० पा०–एवं पायकम्मूणा नो परकम्मणा आयप्पयोगेण नो परप्पयोगेण उस्सिओदयं वा गच्छइ पयोदयं वा गच्छइ । ५. भ० ३।२०६, २११-२१६ । ६. भायी अभिजूंजइ""अधिकृतवाचनायां 'मायी विक्कुब्बई' त्ति दृश्यते (वृ)। Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (पंचमो उद्देसो) १६६ २१६. मायी णं भंते ! तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ, कहिं उववज्जइ ? गोयमा ! अण्णयरेसु आभियोगिएसु देवलोगेसु देवत्ताए उववज्जइ ।। २२०. अमायो णं भंते ! तस्स ठाणस्स झालोइय-पडिक्कते कालं करेइ, कहि उववज्जइ? ___ गोयमा ! अण्णयरेसु प्रणाभियोगिएसु देवलोएसु देवत्ताए उववज्जइ ।। २२१. सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति। संगहरणी-गाहा १. इत्थी असी पडागा, जण्णोवइए य होइ बोद्धव्वे' । पल्हत्थिय पलियंके, अभियोग विकुव्वणा मायी ॥ छट्ठो उद्देसो भावियप्प-विकुव्वणा-पदं २२२. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा मायी मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वे उध्वियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वाणासि नरि समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाई जाणइ-पासइ? हंता जाणइ-पासइ । २२३. से भंते ! कि तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! नो तहाभावं जाणइ-पासइ, अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ।। २२४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नो तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ–एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाइं जाणामि-पासामि । 'सेस सण-विवच्चासे' भवइ । से तेणटेणं*गोयमा ! एवं वुच्चइ-नो तहाभावं जाणइ-पासइ, अण्णहाभावं जाणइ ° -पासइ॥ १. आभियोगेसु (अ, ब, स); आभिओग्गिएसु ४. से से दंसरणे विवच्चासे (अ, ब, स, वृ); से (ता)। से दसणे विवरीए विवच्चासे (वपा)। २. भ० ११५१ । ५. सं० पा० तेरणढेरणं जाव पासइ । ३. बोधव्वे (अ, क, म, स)। Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७० भगवई २२५. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा मायी मिच्छदिट्ठी' वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए ° रायगिहे नगरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रूवाइं जाणइ-पासइ? हंता जाणइ-पासइ।। २२६. से भंते ! कि तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ? गोयमा! नो तहाभावं जाणइ-पासइ, अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ।। २२७. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ –नो तहाभाव जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ? गोयमा ! • तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाई जाणामि-पासामि । सेस दसण-विवच्चासे भवति ! से तेणढेणं' गोयमा! एवं वुच्चइ–नो तहाभावं जाणइ-पासइ°, अण्णहाभावं जाणइ-पास इ॥ २२८. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा मायो मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वे उब्वियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वाणासि नरि, रायगिहं च नगरं, अंतरा' एगं महं जणवयगं समोहए, समोहणित्ता वाणारसिं नार रायगिहं च नगरं अंतरा' एगं महं जणवयग्गं जाणति-पासति ? हंता जाणति-पासति । २२६. से भंते ! कि तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ? गोयमा! नो तहाभावं जाणइ-पासइ, अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ।। २३०. से केणटेण' •भंते ! एवं वुच्चइ-नो तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! तस्स खलु एवं भवति-एस खलु वाणारसी नगरी, एस खलु रायगिहे नगरे, एस खलु अंतरा एगे महं जणवयग्गे, नो खलु एस महं वीरियलद्धी वेउवियलद्धी विभंगनाणलद्धी इड्ढि जुती जसे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए 'सेस दंसण-विवच्चासे" भवति । से तेणट्रेण *गोयमा ! एवं वुच्चइ--नो तहाभावं जाणइ-पासइ, अण्णहाभावं जाणइ० - पासइ ।। १. सं० पा०-मिच्छट्ठिी जाव रायगिहे। सम्मुखवतिषु आदर्शषु 'जणवयवग्गं' इति २. सं० पा०-तं चेव जाव तस्स । पाठः आसीत् तेन तथा व्याख्यातोसौ लभ्यते । ३. सं० पा०-तेगडेरणं जाव अण्णहाभावं। ६. तं० च अंतरा (क, ता, व, म)। ४. अंतरा य (क, ता, ब)। ७. सं० पा.-केण्डेणं जाव पासइ । ५. जरणवयवग्गं (क, म, स, वृ); अत्र स्वीकृत : ८. से से दसणे विवच्चासे (अ, क, ब, स)। पाठ : समीचीन : प्रतिभाति । वृत्तिकृत: १. सं० पा०-तेण?णं जाव पासइ । Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (छट्ठो उद्देसो) २३१. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्टी वीरियलद्धीए वे उब्वियलद्धीए ओहिनाणलद्धोए रायगिह नगरं समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रूवाइं जाणइ-पासइ? हंता जाणइ-पासइ ।। २३२. से भंते ! कि तहाभावं जाण इ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पास इ ? गोयमा ! तहाभावं जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं जाण इ-पासइ ।। २३३. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-तहाभावं जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं जाणइ-पास इ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ–एवं खलु अहं रायगिहे नयरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रूवाइं जाणामि-पासामि । सेस दंसण-अविवच्चासे भवति । से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ-तहाभावं जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं जाणइ-पासइ !! २३४. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वे उब्वियलद्धीए मोहिनाणलद्धीए वाणारसिं नार समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाई जाणइ-पासइ? हंता जाणइ-पासइ॥ २३५. से भंते ! किं तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभाव जाणइ-पासइ ।। २३६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-तहाभाव जाणइ-पासइ ? नो अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ–एवं खलु अहं वाणारसि नगरि समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाइं जाणामि-पासामि । सेस दंसण-अविवच्चासे भवति । से तेगट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ।। २३७. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए प्रोहिनाणलद्धीए रायगिह नगर, वाणारसिं च नगरि, अंतरा एगं महं जणवयग्ग' समोहए, समोहणित्ता रायगिहं नगरं, वाणा रसिं च नगरि, अंतरा" एगं महं जण वयग्गं जाणइ-पासई? हंता जाणइ-पासई॥ ३. जणवयवग्ग (क, म, स); जगवदग्गं (ता) । ४. तं च अंतरा (क, ता, ब, म)। १. तहारूवं (क) २. सं० पा०-बितिओ वि आलावगो एवं चेव नवरं वारपारसीए समोहया ऐयवा। रायगिहे नगरे रूवाई जारगइ पासइ । Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ भगवई २३८. से भंते ! किं तहाभावं जाणइ-पासइ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! तहाभावं जाणइ-पास इ, नो अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ।। २३६. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-तहाभावं जाणइ-पासइ ? नो अण्णहाभावं जाणइ-पासइ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवति-नो खलु एस रायगिहे नगरे, नो खलु एस वाणारसी नगरी, नो खलु एस अंतरा एगे जण वयग्गे, एस खलु ममं वीरियलद्धी वेउव्वियलद्धी मोहिनाणलद्धी इड्ढी जुती जसे वले वोरिए पुरिसक्कार-परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए । सेस दंसण-अविवच्चासे भवइ । से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-तहाभावं जाणइ-पास इ, नो अण्णहाभा जाणइ-पासइ ।। २४०. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं गामरूवं वा नगररूवं वा जाव' सण्णिवेसरूवं वा विउवित्तए ? नो तिणढे समढे । २४१. "अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एग महं गामरूवं वा नगररूवं वा जाव सण्णिवेसरूवं वा विउवित्तए ? हंता पभू° ॥ २४२. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा केवइयाई पभू गामरूवाइं विकुवित्तए ? गोयमा ! से जहानामए-जुवति जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा तं चेव जाव' विकुविसु वा, विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा ।। २४३. एवं जाव' सण्णिवेसरूवं वा॥ प्रायरक्ख-पदं २४४. चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररण्णो कइ पायरक्खदेवसाहस्सीयो पण्णत्तायो ? गोयमा ! चत्तारि चउसट्ठीनो आयरक्खदेवसाहस्सीग्रो पण्णत्तानो । ते णं प्राय रक्खा-वण्णमो॥ २४५. एवं सव्वेसि इंदाणं जस्स जत्तिया प्राय रक्खा ते भाणियव्वा ।। २४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' !! १. भ० ११४६ । २. सं० पा०-एवं बित्तिओ वि आलावगो नवरं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभु । ३. भ० ३११८६ । ४. भ०११४६1 ५. राय० सू० ६६४; वरणओ जहा रायपसेरण इज्जे (ब, म); अयं च पुस्तकान्तरे साक्षाद् दृश्यत एव (व)। ६. प० २। ७. भ०१५१ । Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इयं सतं (सत्तमो उद्देसो) सत्तम उद्देसो लोगपाल - पदं २४७. रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी - सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो कति लोगपाला पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, तं जहा- सोमे जमे वरुणे वेसमणे ॥ २४८. एएसि णं भंते ! चउण्हं लोगपालाणं कति विमाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि विमाणा पण्णत्ता, तं जहा - संभप्पभे वरसिट्टे सयंजले वग्गू ॥ २४६. कहि णं भंते ! सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारष्णो संझप्पभे नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरियां-गहगण' - नक्खत्त तारारूवाणं बहूई जोयणाई जाव' पंच वडेंसया पण्णत्ता, तं जहा - असोगवडेंसए, सत्तवण्णवडेंसए, चंपयवडेंस ए, चूयवडेंसए', मज्झे सोहम्मवडेंसए || सोम-पदं २५० तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरत्थिमे णं सोहम्मे कप्पे असंखेज्जाई जोयणाई वीइवइत्ता, एत्थ णं सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो संझप्पभे नामं महाविमाणे पण्णत्ते - अद्धते रसजोयणसय सहस्साइं " आयाम - विक्खंभेणं, उयालीसं' जोयणस्यसहस्साई बावन्नं च सहस्साइं श्रट्ठ य' अडयाले जोयणसए किचि विसेसाहिए परिवखेवेणं पण्णत्ते । जा सूरियाभविमाणस्स वत्तव्वया सा अपरिसेसा भाणियव्वा जाव' अभिसेस्रो, नवरं-सोमो देवो ॥ २५१. संझप्पभस्स णं महाविमाणस्स अहे, सपविख, सपडिदिसि प्रसंखेज्जाई जोयणसहस्साई गाहिता, एत्थ णं सवकस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो १. सूरिम (क, ता, म ) २. गृह (ता) । ३. राय० सू० १२४, १२५ ४. भूय ० ( ब, म, स ) | ५. अड्ड° (ता) । १७३ ६. ऊया (क, ता, व ) । ७. X (अस) । ८. राय० सू० १२६-१८० । ६. जोयणस्यसहस्साइं (क, ब ) । Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७४ भगवई सोमा नामं रायहाणी पण्णत्ता-एगं जोयणसयसहस्सं पायाम-विक्खंभेणं जंबुद्दीवप्पमाणा। वेमाणियाणं पमाणस्स अद्धं नेयव्वं जाव' ओवारियलेण' सोलस जोयणसहस्साई आयाम-विक्खंभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचि विसेसणे परिवखेवेणं पण्णत्तं । पासायाण चत्तारि परिवाडीयो नेयव्वाओ, सेसा नस्थि ।। २५२. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारपणो इमे देवा प्राणा-उववाय वयण-निद्देसे चिट्ठति, तं जहा-सोमकाइया इ वा, सोमदेवयकाइया इ वा, विज्जुकुमारा, विज्जुकुमारीओ, अग्गिकुमारा, अग्गिकुमारीयो, वायकुमारा', वायकुमारीओ', चंदा, सूरा, गहा णक्खत्ता, तारारूवाजे यावण्णे तहप्पगारा सवे ते त्तभत्तिया, तप्पक्खिया, तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो आणा-उववाय-क्यण-निहेसे चिट्रति ॥ २५३. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाई इमाइं समुप्पज्जति, तं जहा गहदंडा इ वा, गहमुसला इ वा, गहगज्जिया इ वा, गहजुद्धा इ वा, गहसिंघाडगा इवा, गहावसव्वा इ वा, 'अब्भाइ वा अब्भरुक्खा इवा, संझाइ वा, गंधवनगरा इ वा, उक्कापाया इ वा, दिसिदाहा इ वा, गज्जिया इ वा, विज्जुया इ वा, पंसुवुट्ठी इ वा, जूवे इ वा, जक्खालित्तए त्ति वा, धूमिया इ वा, महिया इ वा, रयुग्धाए त्ति वा, चदोवरागा इ वा सूरोवरागा इ वा, चंदपरिवेसाइ वा, सूरपरिवेसा इवा, पडिचंदा इवा, पडिसूरा इ वा, इदधणू इ वा, उदगमच्छा इ वा, कपिहसिया इ वा, अमोहा इ वा, पाईणवाया इवा, पईणवाया इवा", 'दाहिणवाया इवा, उदीणवाया इवा, उड्ढावाया इवा, अहोवाया इ वा, तिरियवाया इ वा, विदिसीवाया इ वा, वाउभामा इ वा, वाउक्कलिया इ वा, वायमंडलिया इ वा, उक्कलियावाया इ वा, मंडलियावाया इवा. गंजावाया इवा, झंझावाया इ वा°, संवद्रयवाया इ बा, गामदाहा इ वा, जाव सण्णिवेसदाहा इ वा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कलक्खया, वसणब्भूया मणारिया —जे यावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देवि १. राय० सू० २०४-२०८ । २. भ० २।१२१ । ३. उवगारियलेणं (अ, स)। ४. वायु (क); वाउ ° (ता) । ५. वायु° (क); वाउ° (ता)। ६. एवं गहजुद्धा (अ, क, ता, ब, म, स)! ७. X (अ, ता, म, स)। ८. परिएसा (ब, म)। ६. परिएसा (व, म)। १०. उदगमच्छगे (ब, म)। ११. सं० पा०—पईणवाया इ वा जाव संवद्रय वाया। १२. भ० १।४६ । १३. मकारोलाक्षणिकः । Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (सत्तमो उद्देसो) १७५ दस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया' अविण्णाया, तेसि वा सोमकाइयाणं देवाणं ॥ २५४. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारणो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया' होत्था, तं जहा-इंगालए वियालए लोहियक्खे सण्णिच्चरे' चदे सूरे सूक्के बुहे बहस्सई राहू ।। २५५. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सतिभाग पलिग्रोवमं ठिई पण्णत्ता ! अहावच्चाभिण्णायाण देवाणं एगं पलिपोवमं ठिई पण्णत्ता । एमहिड्ढीए जाव' महाणुभागे सोमे महाराया ।। यम-पदं २५७. २५६. कहि णं भंते ! सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिटे नाम महाविमाणे पण्णत्ते? गोयमा ! सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स दाहिणे णं सोहम्मे कप्पे असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई वीईवइत्ता, एत्थ णं सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिटे नामं महाविमाणे पण्णत्ते-अद्धतेरसजोयणसयसहस्साइं-जहा सोमस्स विमाणं तहा जाव' अभिसेो। रायहाणी तहेव जाव" पासायपंतीओ। सक्कस्स णं देविदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा पाणा". उववायबयण-निद्देसे चिट्ठति, तं जहा-जमकाइया इवा, जमदेवयकाइया' इ वा, पेतकाइया इ वा, पेतदेवयकाइया इ वा, असुरकुमारा, असुरकुमारीयो, कंदप्पा, निरयपाला", अभियोगा"-जे यावण्णे तहप्पगारा" सव्वे ते तब्भत्तिगा, तप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरणो जमस्स महारण्णो ग्राणा". 'उववाय-वयण-निद्देसे° चिट्ठति ॥ १. असुया (अ, क, म); अस्मृतपदस्य असुयं ८. विमाणो (क. ता, ब)। अमयं इतिरूपदयं भवति । वृत्तिकृता असु- ६. भ० ३।२५० । यत्ति अस्मृता इति व्याख्यातम् । १०. भ० ३१२५१ । २. अहाभिण्णाता (क, ता) ११. सं० पा०-याणा जाव चिट्ठति । ३. सचिरे (अ); सण्णिच्छरे (क, ब, म); १२. जमदेवतक्काइया (ता); जमदेवकाइया सणिचरे (ता)। (म, स)। ४. सइंभागं (ता); सत्तिभागं (ब, म)। १३. निरयवाला (अ)। ५. अहापच्चभिण्णायाणं (क); अहापच्चभिण्णा- १४. पाभियोग्गा (ता, ब)। ताणं (ता)। १५. तप्पगारा (ता, ब)। ६. भ० ३।४। १६. सं० पा०-आणा जाव चिट्ठति । ७. सोहम्मवडंसयस्स (स): Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २५८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाइं इमाइं समुप्पज्जति, तं जहा डिंबा इवा, डमरा इ वा, कलहा इ वा, बोला इ वा, खारा इ वा, महाजुद्धा इ वा, महासंगामा इ वा, महासस्थनिवडणा इ वा, महापुरिसनिवडणा' इ वा, महारुहिरनिवडणा इ वा, दुब्भूया इ वा, कुलरोगा इ वा, गामरोगा इवा, मंडलरोगा इ वा, नगररोगा इ वा, सीसवेयणा इवा, अच्छिवेयणा इ वा कण्णवेयणा इ वा, नहवेयणा इ वा, दंतवेयणा इ वा, इंदग्गहा इ वा, खंदग्गहा इ वा, कुमारग्गहा इ वा, जक्खग्गहा इवा, भूयग्गहा' इ वा, एगाहिया इ वा, वेहिया इ वा, तेहिया इ वा, चाउत्थया' इ वा, उव्वेयगा इ वा, कासा इ वा, 'सासाइवा, सोसा" इ वा, जरा इ वा, दाहा इ वा, कच्छकोहा इवा, अजीरगा इ वा, पंडुरोगा इ वा, अरिसा इ बा, भगंदला' इ वा, हिययसूला इ वा, मत्थयसूला इ वा, जोणिसूला इ वा, पाससूला इवा, कुच्छिसूला इ वा, गाममारी इ वा, नगरमारी इ वा, खेडमारी इ वा, कव्वडमारी इ वा, दोणमुहमारी इ वा, मडंबमारी इ वा, पट्टणमारी इ वा, प्रासममारी इ वा, संवाहमारी इ वा, सण्णिवेसमारी इवा, पाणक्खया, जणवखया, धणक्खया, कुलक्खया, 'वसणभूया मणारिया जे यावणे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया अविण्णाया, तेसि वा जमकाइयाणं देवाणं ।। २५९. सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया' होत्था, तं जहासंगहणी-गाहा अंबे अंबरिसे चेव, सामे सबले त्ति यावरे । रुद्दोवरुद्दे काले य, महाकाले त्ति यावरे ॥१॥ 'असिपत्ते धणू कुंभे", वालुए" वेतरणी त्ति य । खरस्सरे महाघोसे, एते" पण्ण रसाहिया ॥२॥ १. एवं महापुरिस (ग्र, क, ता, ब, म. स)। ८. जे या वि अन्ने (ब, म)। २. भूमगहा (ता)। ६. अहाभिण्णाया (क, ता)। ३. चतुत्थया (ता, म)। १०. असी य असिपत्ते कुंभे (क, वृ); असिपत्त ४. खासा इ वा सासा (अ)। ___धणू कुंभे (वृपा)। ५. अरसा (अ); हरिसा ब, म)। ११. वालू (अ, ता, ब, म, स)। ६. भगंदरा (ता)। १२. वेदरणी (ब, म)। ७. ० भूयमणारिया (अ, क. ता); भूतामणा. १३. एमए (क, ब, वृ)। रिया (ब)। Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इयं सतं (सत्तमो उद्देसो) १७७ २६०. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो सतिभागं पलि ठिई पण्णत्ता, ग्रहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिप्रोवमं ठिई पण्णत्ता । एमहिड्ढीए जाव' महाणुभागे जमे महाराया || वरुण-प २६१. कहि णं भंते ! सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारष्णो सयंजले नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोमा ! तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पच्चत्थिमे णं जहा सोमस्स तहा विमाण - रायधाणीओ भाणियव्वा जाव' पासादवडेंसया, नवरं - नामनागतं ॥ २६२. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो 'इमे देवा आणाउववायवयण - निसे चिट्ठति तं जहा - वरुणकाइया इ वा वरुणदेवयकाइया इवा, नागकुमारा, नागकुंमारीश्रो, उदहिकुमारा, उदहिकुमारी, थणियकुमारा, श्रणियकुमारीश्रो- यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया, "तप्पक्खिया, भारिया सक्क देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारष्णो आणा उववायवयण - निद्देसे चिट्ठति ॥ २६३. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे गं जाई इमाई समुप्पज्जंति, तं जहा -- इवासा इवा, मंदवासा इवा, सुवुट्टी इ वा दुवुट्ठी इ वा उदब्भेदा' इ वा, उदप्पीलाइ वा प्रवाहा' इवा, पवाहा इ वा, गामवाहा इ वा, जाव' सण्णिवेसवाहा इ वा, पाणक्कखया", "जणक्खया, धणक्खया, कुलक्खया, वसन्भूया मारिया जेयावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्क्स्स देविंदस्स देवरणो वरुणस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया प्रमुया श्रविण्णाया, तेसि वा वरुणकाइयाणं देवाणं ॥ २६४. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो इमे देवा ग्रहावच्चाभिष्णाया होत्था, तं जहा कक्कोडए कद्दमए, अंजणे संखवालए पुंडे | पलासे मोए जए, दहिमुहे " अपुले कार्यारिए || १. भ० ३।४ । २. भ० ३।२५०, २५१ । ३. सं० पा० --- महारण्णो जाव चिट्ठति । ४. सं० पा०--तम्भत्तिया जाव चिट्ठति । ५. मंदबुट्टी ( अ, क, ता, ब, म) 1 ६. उभेदा ( क ब ) । ७. उप्पीला (क, ब ) | 5. उदवाहा ( अ, क ) 1 ६. भ० ३।२५८ । १०. सं० पा० पाणक्खया जाव तेसि । ११. ओहिमुहे ( क ); उदधिमुहे (ता) । Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७८ भगवई २६५. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो देसूणाई दो पलिश्रोमाई ठिई पण्णत्ता । श्रहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिप्रोवमं ठिई पण्णत्ता । महिढी जाव' महाणुभागे वरुणे महाराया || वेसमण-पदं २६६. कहि णं भंते ! सवकस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णी वग्गू नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोमा ! तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरे णं जहा सोमस्स विमाण - रायहाणि वत्तब्वया तहा नेयव्वा जाव' पासादवडेंसया || २६७. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारष्णो इमे देवा प्राणा-उववायवय - नि चिट्ठति तं जहा - वेसमणकाइया इ वा, वेसमणदेवयकाइया इवा, सुवणकुमारा, सुवण्णकुमारीयो, 'दीवकुमारा, दीवकुमारीप्रो' दिसाकुमारा, दिसाकुमारी, वाणमंतरा, वाणमंतरीश्रो- जे यावण्णे तहप्पगारा सब्वे ते तब्भत्तिया तप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णी प्राणा-उववाय वयण निद्दे से चिट्ठति ॥ ० २६८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाई इमाई समुत्पजंति, तं जहा - प्रयागरा इ वा, तउयागरा इ वा, तंबागरा इवा, 'सीसागरा इवा, हिरण्णागरा इवा" सुवण्णागरा इ वा, रयणागरा इवा, वइरागरा इवा, वसुहारा इवा, हिरण्णवासा इवा, सुवण्णवासा इवा, रयणवासा इवा, वइरवासा इवा, आभरणवासा इवा, पत्तवासा इवा, पुप्फवासा इ वा फलवासा इवा, बीयवासा इवा, मल्लवासा इवा, वण्णवासा इवा, चुण्णवासा इवा, गंधवासा इवा, वत्थवासा इवा, हिरण्णवुट्ठी इवा, सुवण्णवुट्ठी इवा, रयणवुट्ठी इवा, बरखुट्टी इवा, ग्राभरणवुट्ठी इवा, पत्तवुट्ठी इ वा, पुप्फवुट्टी इ वा, फलवुट्ठी इवा, बीयबुट्ठी इवा, मल्लबुट्टी इ वा वण्णवुट्ठी इ वा, चुण्णवुट्ठी इवा, गंधट्ठी इवा, वत्थवुट्ठी इवा, भायणवुट्टी इवा, खीरखुट्टी इ वा सुकाला इवा, दुक्काला इवा, अप्पग्धा इवा, महग्वा इ वा, सुभिक्खा इवा, दुब्भिक्खा इवा, कयविक्कया इ वा, सष्णिही इवा, सष्णिचया इ वा निही इवा, निहाणाइ वा - चिरपोराणाइ वा, पहीणसामियाइ वा पहीणसेतुयाइ वा, पहीणमग्गाइ वा, पहीणगोत्तागाराइ वा उच्छष्णसामियाइ वा, उच्छण्णसेतुयाइ वा, (उच्छण्णमग्गाइ वा ? ) उच्छणगोत्तागारा इवा, सिंघाडग -तिग- चउक्क १. भ० ३१४ १ २. भ० ३/२५०, २५१ ३. X ( क, ता, म) 1 ४. सं० पा०--तम्भत्तिया जाव चिट्ठति । ५. एवं सिसाग हिरण्ण (ता) । ६. सुयाला (ता) 1 ७. X ( क, ता, ब, म ) । Q Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तय सतं ( मी उद्देसो) चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु वा' नगरनिद्धमणेसु' वा, सुसान - गिरि-कंदरसंति-सेलोवद्वाण --भवणगिहेसु संनिक्खित्ताई' चिट्ठति, न ताई सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो 'अण्णायाइं श्रदिट्ठाई असुयाई प्रमुयाई विष्णयाई तेसि वा वेसमणकाइयाणं देवाणं ॥ २६. सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारष्णो इमे देवा महावच्चाभिण्णाया होत्या, तं जहा -- पुण्णभद्दे माणिभद्दे सालिभद्दे सुमणभद्दे चक्करक्खे पुण्ण रक्खे सव्वाणे सव्वजसे सव्वकामे समिद्धे अमोहे असंगे ॥ २७०. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो दो पलिप्रोमाई ठिई पण्णत्ता । अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिप्रोवमं ठिई पण्णत्ता । एमहिड्ढीए जाव' महाणुभागे वेसमणे महाराया ॥ २७१. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति' || १७६ अट्ठमो उद्देसो २७२. रायगिहे नगरे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी - असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं कइ देवा हेवच्चं जाव' विहरति ? गोयमा ! दस देवा आहेवच्च जाव विहरति तं जहा - चमरे असुरिंदे असुरराया, सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे, बलो वइरोयणिदे वइरोयणराया, सोमे, जमे, वेसमणे", वरुणे ॥ १. ० द्भवणेसु (वृ ) । २. संनिविखत्ता ( अ, ता ) 1 ३. अन्नाया दिट्ठा असुया असुया अविण्णाया ( अ, क, ता, ब ) । ४. सव्वकाम ( अ, ता, म) 1 ५. असंमे (अ); असंते (क, स ) । ६. भ० ३।४ । ७. भ० १।५१ । ८. भ० ११४-१० । ६. भ० ३।४ १०. स्थानांगे ४।१२२ सूत्रे ' दाक्षिणात्यलोकपालेषु यो तृतीयचतुर्थी तो ओदीच्येषु चतुर्थतृतीयो स्तः । प्रस्तुतसूत्रादर्शेषु वृत्तौ च नैष क्रमो लभ्यते । वृत्तिकृता अस्य क्रमस्य पाठान्तररूपेणोल्लेखः कृतः - इह च पुस्तकान्तरेऽयमर्थो दृश्यते - दाक्षिणात्येषु लोकपालेषु प्रतिसूत्रं यौ तृतीयचतुर्थी तावौदीच्येषु चतुर्थतृतीयाविति । किन्तु वैमानिकदेवेषु वृत्तिकृता तृतीयचतुर्थयोन्यंत्पयः स्वीकृतः - सनत्कुमारादीन्द्रयुग्मेषु पूर्वेन्द्रापेक्षयोत्तरेन्द्रसम्बन्धिनां लोकपालानां तृतीयचतुर्थयो व्यंत्यो वाच्यः (वृ ) । असौ क्रमः पूर्वक्रमाद् भिन्नोस्ति । अस्माभिः सर्वत्र स्थानाङ्गानुसारी एक एव क्रमः स्वीकृतः । Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८०. भगवई २७३. नागकुमाराणं भंते ! १ .देवाणं कइ देवा आहेवच्चं जाव' विहरंति ? ० गोयमा ! दस देवा आहेवच्चं जाव विहरंति, तं जहा–धरणे णं नागकुमारिंदे नागकुमारराया, कालवाले, कोलवाले,सेलवाले, संखवाले, भूयाणंदे नागकुमारिंदे नागकुमार राया, कालवाले, कोलवाले, 'संखवाले, सेलवाले" ।। २७४. जहा नागकुमारिंदाणं एताए वत्तव्वयाए नीयं एवं इमाणं नेयव्वं सुवण्णकुमाराणं-वेणुदेवे, वेणुदाली, चित्ते, विचित्ते, चित्तपक्खे, विचित्तपक्खे । विज्जुकुमाराणं-हरिकंत-हरिस्सह-पभ-सुप्पभ-पभकंत-सुप्पभकता। अग्गिकुमाराणं-अग्गिसिह-अग्गिमाणव-तेउ-तेउसिह-तेउकंत-तेउप्पभा । दीवकुमाराणं-पुण्ण-विसिट्ठ-रूय-रूयंस-रूयकत-रूयप्पभा । उदहीकुमाराणं-जलकंत-जलप्पभ-जल-जलरुय-जलकंत-जलप्पभा। दिसाकुमाराणं-अमितगति, अमितवाहण-तुरियगति-खिप्पगति-सीहति-सीहविक्कमगती। वाउकुमाराणं-वेलब-पभंजण-काल-महाकाल-अंजण-रिट्ठा । थणियकुमाराणं-घोस-महाघोस-पावत्त-वियावत्त-नंदियावत्त-महानंदियत्ता। एवं भाणियव्वं जहा असुरकुमारा ।। २७५. पिसायकुमाराणं भंते ! देवाणं कइ देवा आहेवच्चं जाव विहरंति ? ० गोयमा ! दो देवा आहे वच्चं जाव विहरंति, तं जहा--- संगहणी-गाहा काले य महाकाले, सुरूव-पडिरूव-पुण्णभद्दे य । अमरवई माणिभद्दे, भीमे य तहा महाभीमे ॥१॥ किन्नर-किपुरिसे खलु, सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे । अइकाय-महाकाए, गीयरई चेव गीयजसे ।।२।। एते वाणमंतराणं देवाणं ।। १. सं० पा०-पुच्छा। तु ८ का आ १० इत्यनेनाक्षरदशकेन २. भ० ३१४ । दाक्षिणभवनपतीन्द्राणां प्रथमलोकपालनामानि ३. सेलवाले संखवाले (अ, क, म)। सुचितानि, वाचनान्तरे त्वेतान्येव गाथायां, ४. तेउसीह (अ)। साचेयम्-सोमे य १ महाकाले २ चित्त ३ ५. वसि? (ता, ब); विस? (स)। प्पभ ४ तेउ ५ तह रुए चेव ६ । जल तह ७ ६. जलरूय (अ); जलरते (ठा० ४।१२२)। तरिय गई य ८ काले आउत्त १० पढमा ७..भ० ३।२७२। उ॥ एवं द्वितीयादयोप्पयभ्यूद्याः (व)। ८. अतोने आदर्शषु वृत्तौ च सांकेतिक: पाठो ६. सं० पा०-पुच्छा। वर्तते । वृत्तिकृता तस्योल्लेख एवं कृतः- १०. भ० ३।४ । सो १ का २ चि ३ प ४ ते ५ रु ६ ज ७ Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं सतं (नवमो उद्देसो) १८१ २७६. जोइसियाणं देवाणं दो देवा आहेबच्चं जाव' विहरंति, तं जहा-चंदे य, सूरे य॥ २७७. सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु कइ देवा आहेबच्चं जाब विहरंति ? गोयमा ! दस देवा आहेवच्चं जाव विहरंति, तं जहा–सक्के देविंदे देवराया, सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे। ईसाणे देविंदे देवराया, सोमे, ज मे, 'वेसमणे, वरुणे"। एसा वत्तव्वया सम्वेसु वि कप्पेसु एए चेव भाणियव्वा । जे य इंदा ते य भाणियव्वा ।। २७८. सेवं भंते ! सेवं भंते !त्ति ।। नवमो उद्देसो २७९. रायगिहे जाव' एवं वयासी-कइविहे णं भंते ! इंदियविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे इंदिय विसए' पण्णत्ते, तं जहा–सोतिदियविसए चक्खिदियविसए घाणिदियविसए सिदियविसए फासिदियविसए । जीवाभिगमे जोइसियउद्देसनो नेयम्वो अपरिसेसो । १. भ० ३४॥ २. भ० ३।४। ३. वरुणे वेसमणे (क, ब, म, स)। ४. भ० ११५१ । ५. भ. ११४-१०1 ६. वाचनान्तरे च–'इंदियविसए उच्चावय-- सुभिणो' ति दृश्यते, तत्र इन्द्रियविषयसूत्रं दशितमेव, उच्चावयसूत्रं त्वेवम्-'से नूरणं भंते ! उच्चावएहि सहपरिणामेहि परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्तवं सिया? हंता गोयमा!' इत्यादि, 'सुभिणो त्ति, इदं सूत्रं पुनरेवम् --'से नूणं भंते ! सुब्भिसहपोग्गला दुभिसइत्ताए परिणमंति? हंता गोयमा !' इत्यादि। Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ भगवई दसमो उद्देसो २८०. रायगिहे जाव' एवं वयासी-चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररण्णो कइ परिसायो पण्णत्ताओ? गोयमा ! तो परिसायो पण्णत्तामओ, तं जहा-समिया, चंडा, जाया । एवं जहाणुपुवीए 'जाव अच्चुत्रो" कप्पो । २८१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ ३. भ० ११५१ 1 १. भ. ११४-१०। २. जावच्चुओ (अ, क, ब); ठा० ३३१४३-१६०; जी०३। Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संगही-नाहा चउत्थं सतं १, २, ३, ४ उद्देसो चत्तारि विमाणेहिं चत्तारि य होंति रायहाणीहि । नेरइए लेस्साहि य, दस उद्देसा चउत्थसए ॥१॥ १. रायगिहे नगरे जाव' एवं वयासी --- ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो कई लोगपाला पण्णत्ता गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, तं जहा- सोमे, जमे, 'वेसमणे, वरुणे ॥ २. एएसि णं भंते ! लोगपालाणं कइ विमाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि विमाणा पण्णत्ता, तं जहा - सुमणे, सव्वश्रोभद्दे, वग्गू, सुवग् ॥ ३. कहि णं भंते! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सुमणे नामं महाविमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव' ईसाणे नामं कप्पे पण्णत्ते । तत्थ णं जाव पंच वडेंसया पण्णत्ता, तं जहा -- अंकवडेंसए, फलिहवडेंसए, रयणवडेंसए, जायरूववडेंसए, मज्झें' सावडेंस ॥ १. भ० ११४-१० २. वरुणे वेसणे ( ब ) । ३. १०२ । १८३ ४. १०२ । ५. मज्झे तत्थ ( अ ); मज्भे यत्थ (क, ता, म ) । Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४. तस्स णं ईसाणवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरथिमे णं तिरियमसंखेज्जाइं जोयणसहस्साई बीईव इत्ता, एत्थ णं ईसाणस्स देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो सुमणे नामं महाविमाणे पण्णत्ते अद्धतेरसजोयसणसयहस्साइं, जहा सक्कस्स वत्तव्वया तइयसए तहा ईसाणस्स वि जाव' अच्चणिया समत्ता ।। ५. चउण्ह वि लोगपालाणं विमाणे-विमाणे उद्देसनो, चऊसु वि विमाणेसु चत्तारि उद्देसा अपरिसेसा, नवरं-ठिईए नाणत्तं-- संगहणी-गाहा आदि दुय तिभागूणा, पलिया धणयस्स होति दो चेव । दो सतिभागा वरुणे, पलियमहावच्चदेवाणं ॥१॥ ५, ६, ७, ८ उद्देसो ६. रायहाणीसु वि चत्तारि उद्देसा भाणियब्वा जाव एमहिड्ढीए जाव' वरुणे महाराया । नवमो उद्देसो ७. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जइ ? अनेरइए नेरइएसु उववज्जइ ? पण्णवणाए लेस्सापए तइप्रो उद्देसो भाणियवो जाव नाणाई ।। ३. अनेरइए णं भंते ! (अ.स)। १. भ० ३।२५०-२७१। २.भ० ३।२५०-२७१। Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं सतं (दसमो उद्देसो) १८५ दसमो उद्दसो ८. से नणं भंते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए, तावण्णत्ताए, तागंधत्ताए, तारसत्ताए, ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हंता गोयमा ! कण्हलेसा नीललेसं पप्प तारूवत्ताए, तावण्णत्ताए, तागंधत्ताए, तारसत्ताए, ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एवं चउत्थो उद्देसको पण्णवणाए चेव लेस्सापदे नेयव्दो जाव'संगहणी-गाहा परिणाम-वण्ण-रस-गंध-सुद्ध-अपसत्थ-संकिलिठ्ठण्हा । गइ-परिणाम-पएसोगाह-वग्गणायणमप्पबहुं ॥१॥ है. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ १. जावेत्यादि परिणामेत्यादि द्वारमाथोक्तद्वार- २. भ० ११५१ । परिसमाप्तिं यावदित्यर्थः (व) । Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संग्रहणी - गाहा पंचमं सतं पढमो उद्देसो १ चंप - रवि २ अनिल ३ गठिय ४ सद्दे ५-६ छउभाउ ७ एयण ८ नियंठे ६ रायगि १० चंपा चंदिमा य दस पंचमम्मि सए ||१|| जंबुद्दीवे सूरिय-वत्तव्वया-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नगरी होत्था - वण्णो ॥ २. तीसे गं चंपाए नगरीए पुण्णभद्दे नामं चेइए होत्था - वण्णो' । सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया || ३. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे गोय गोतेणं जाव एवं वयासी -- जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उदी - पाईणमुग्गच्छ' पाईण दाहिणमागच्छति पाईण-दाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडी मागच्छंति', दाहिण-पडीणमुग्गच्छ पडीण उदीणमागच्छंति, पडीण उदीपमुग्गच्छ उदीचि पाईणमागच्छति ? हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उदीण पाईणमुग्गच्छ जाव उदीचि - पाईणमागच्छति ॥ १. मायु (अस) । २. ओ० सू० १ । ३. ओ० सू० २।१३ । ४. भ० १७, ८ १८६ ५. भ० १६, १० । ६. पादी ( अ, ता) t O ७. ०पदीण (ता, म) । ८. उदीचि (क, ता, ब, म) । ० Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम सतं (पढमो उद्देंसो) जंबुद्दी दिवसई-वत्तव्वया-पदं ४. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तयाणं उत्तरढेवि दिवसे भवइ; जया णं उत्तरड्ढे ' दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं राई भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे' दिवसे जाव पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं राई भवइ ॥ ५. जयाणं भंते ! जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं दिवसे भवइ, तथा णं पच्चत्थिमे ण वि दिवसे भवइ; जया णं पच्चत्थिमे णं दिवसे भवइ, तया णं जंबूदीवे दीवे मंद रस्स पव्वयस्स उत्तर दाहिणे गं राई भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं दिवसे जाव उत्तर- दाहिणे णं राई भवइ || ६. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे उवकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि उनकोसए ग्रट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवइ; जया णं उत्तरड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं जहष्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे उनकोसए द्वारसमुहुत्ते दिवसे जाव दुवालसमुहुत्ता राई भवइ || ७. जया णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तथाणं पच्चत्थिमे वि उक्कोसेणं अट्ठारसमुत्ते दिवसे भवइ, जया णं पच्चत्थिमे णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तर दाहिणे णं जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? १८७ हंता गोयमा ! जाव भवइ ॥ ८. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया उत्तरड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे जाव राई भवइ ॥ १. उत्तरड्डेवि ( अ, ता, स ) । २. पुरत्यिमे ( अ, ता ) । ३. दाहिणड्ढे वि (ता) 1 ४. स० पा०-- उत्तर जाव राई । Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८८ भगवई ६. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे गं अट्ठारसमुहत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे वि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ ; जया णं पच्चत्थिमे अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, तदा णं जंबुदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हंता गोयमा! जाव भवइ॥ एवं एएणं कमेणं प्रोसारेयव्वं--सत्तरसमुहत्ते दिवसे, ते रस मुहत्ता राई । सत्तरसमुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा तेरसमुहुत्ता राई । सोलसमुहुत्ते दिवसे, चोद्दसमुहुत्ता राई । सोलस मुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा च उद्दसमुहुत्ता राई। पण्णरसमुहुत्ते दिवसे, पण्णरसमुहुत्ता राई। पण्णरस मुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा पण रसमुहुत्ता राई । चोद्दसमुहुत्ते दिवसे, सोलसमुहुत्ता राई। चोद्दसमुहुत्ताणतरे दिवसे, साइरेगा सोलसमुहुत्ता राई। तेरसमुहुत्ते दिवसे, सत्तरसमुहुत्ता राई । ते रसमुहत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा सत्तरसमुहुत्ता राई॥ ११. जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि ; जया णं उत्तरड्ढे, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पन्वयस्स पुरस्थिम-पच्चत्थिमे णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ ? हंता गोयमा ! एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव राई भवइ ।। १२. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं जहण्णए दुवालस मुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे ण वि ; जया णं पच्चत्थिमे', तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवई? हंता गोयमा ! जाव राई भवइ ।। जंबुद्दीवे उउ-वत्त वया-पदं १३. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिगड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया णं उत्तरड्ढे वि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ ; जया णं उत्तरड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंद रस्स पव्वयस्स पुरथिमपच्चत्थिमे णं अणंतरपुरक्खडे समयंसि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ ? १. पच्चत्थिमे ण वि (अ, क, ता, ब, म, स)। २. उत्तरढे वि (स)। Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं तं ( पढो उद्देसो) १८६ हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तह चेव जाव पडिवज्जइ ॥ १४. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थि मे णं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया णं पच्चत्थिमे ण वि वासाणं पढने समए पडिवज्जइ; जया णं पच्चत्थि मे णं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तथा णं' "जंबुद्दीवे दीवे " मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं अगंतरपच्छाकडसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवन्ने भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं एवं चैव उच्चारयव्वं जाव पडिवन्ने भवइ || १५. एवं जहा समएणं अभिलावो भणिनो वासाणं तहा आवलियाएवि भाणियव्वो । प्राणापाणूणवि, थोवेर्णावि, लवेणवि, मुहुत्तेर्णावि, ग्रहोरत्तणवि, पक्खेणवि, मासेवि, उऊणवि । एएसि सर्व्वेसि जहा समयस्स अभिलावो तहा भाणियव्वो । १६. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे हेमंताणं पढमे समए पडवज्जइ, जहेव वासाणं प्रभिलावो तहेव हेमंताण वि, गिम्हाण वि भाणियव्वो जाव' उऊए | एवं तिण्णि वि । एएसि तीसं आलावगा भाणियव्वा ॥ जंबुद्दीवे श्रयणादि-वत्तध्वया-पदं १७. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे पढमे अयणे पडिवज्जइ, तया णं उत्तरड्ढे वि पढमे प्रयणे पडिवज्जइ, जहां समएणं अभिलावो तहेव प्रयणेण वि भाणियव्वो जाव' अगंतरपच्छाकडसमयंसि पढमे प्रणे पडिवन्ने भवइ || १८. जहा प्रयणेण श्रभिलावो तहा संवच्छरेण वि भाणियव्वो । जुएण वि, वाससण वि, वाससहस्सेण वि, वाससयसहस्सेण वि, पुव्वंगेण वि, पुव्वेण वि, तुडियंगेण वि तुडिएण वि-एवं पुब्वंगे, पुढवे, तुडियंगे, तुडिए, डडंगे, अडडे, प्रववंगे, अववें, हूहूयंगे, हुहुए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, प्रत्थणिउरंगे, प्रत्थणिउरे, ग्रउयंगे, प्रउए, णउयंगे, णउए, पउयंगे पउए, चूलियंगे, चूलिया, सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया - पलियोवमेण, सागरोवमेण वि भाणियव्वो || १. सं० पा० तयारगं जाव मंदरस्स । २. पाणूण (व) । ३. भ० ५।१३-१५ 1 ४. भ० ५।१३, १४ । ५. अपपे (बम) 1 Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० भमवई १६. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स दाहिणड्ढे पढमा अोस प्पिणी पडिवज्जइ, तया णं उत्तरड्ढे वि पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जइ; जया णं उत्तरडढे पढमा प्रोसप्पिणी पडिवज्जइ; तथा णं जंबुट्टीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिम-पच्चस्थिमे णं नेवत्थि ओसप्पिणी, नेवत्थि उस्सप्पिणी, प्रवटिए णं तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो ? हंता गोयमा ! तं चेव उच्चारेयव्वं जाव समणाउसो । २०. जहा ओसप्पिणीए पालावरो भणियो एवं उस्सप्पिणीए वि भाणियब्वो !! लवणसमुद्दादिसु सूरियादि-वत्तव्वय-पदं २१. लवणे णं भंते ! समुद्दे सूरिया उदीग'-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमागच्छंति, जच्चेव जंबुद्दीवस्स वत्तव्वया भणिया सच्चेव सव्वा अपरिसेसिया लवणसमुदस्स वि भाणियव्या', नवरं-अभिलावो इमो जाणियव्वो ।। २२. जया णं भंते ! लवणसमुद्दे' दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तं चेव जाव तदा णं लवणसमुद्दे पुरथिम-पच्चत्थिमे णं राई भवति ।।। २३. एएणं अभिलावेणं नेयव्वं जाव' जया णं भंते ! लयणसमुद्दे दाहिणड्ढे पढमा प्रोसप्पिणी पडिवज्जइ, तया णं उत्तरड्ढे वि पढमा प्रोसप्पिणी पडिवज्जइ; जया णं उत्तरड्ढे पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जइ, तया णं लवणसमुद्दे पुरस्थिमपच्चत्थिमे णं नेवत्थि प्रोसप्पिणी', नेवत्थि उस्सप्पिणी अवट्ठिएणं तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो? हंता गोयमा ! जाव समणाउसो ॥ २४. धायइसंडे णं भंते ! दीवे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमागच्छंति, जहेव जंबुद्दीवस्स वत्तबया भणिया सच्चेव धायइसंडस्स वि भाणियव्वा, नवरं--इमेणं अभिलावेणं सव्वे पालावगा भाणियव्वा । २५. जया णं भंते ! धायइसंडे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तदा णं उत्तरड्ढे वि; जया ण उत्तरड्ढे, तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्बयाणं पुरथिमपच्चत्थिमे ण राई भवइ? हंता गोयमा ! एवं चेव जाव राई भवइ॥ १. उदीचि (अ)। २. भ० ५।३ । ३. लवणे समुद्दे (क, ब, स)। ४. भ. ५।४। ५. भर श५-१६॥ ६. सं० पा.-ओसप्पिणी जाव समरणाउसो। ७. अतोग्रे 'जहा ओसप्पिणीए आलावओ भणिओ एवं उस्सप्पिणीए वि भागियन्दो' इति ५०२० सूत्रं अध्याहार्यम् । क. भ० ५।३। Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (बीओ उद्देसो) १९१ २६. जया णं भंते ! धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरथिमे णं दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थि मे ण वि; जया गं पच्चत्थिमे णं दिवसे भवइ, तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ ? हंता गोयमा ! जाव भवइ ।। २७. एवं एएणं अभिलावेणं नेयव्वं जाव' जया णं भंते ! दाहिणड्ढे पढमा प्रोसप्पिणी, तया णं उत्तरड्ढे वि; जया णं उत्तरड्ढे वि; तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाण पुरस्थिम-पच्चत्थिमे णं नत्थि प्रोसप्पिणी जाव समणाउसो? हंता गोयमा ! जाव समणाउसो' ॥ २८. जहा लवणसमुहस्स वत्तब्वया तहा कालोदस्स वि भाणियव्वा, नवरं--कालो दस्स नाम भाणियब्वं ॥ २६. अभितरपुक्खरद्धे णं भंते ! सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमा गच्छंति, जहेव धायइसंडस्स वत्तव्वया तहेव अभितरपुक्खरद्धस्स वि भाणियब्वा, नवरं--अभिलावो जाणियब्बो जाव तया णं अभितरपुक्ख रद्धे मंदराणं पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं नेवत्थि प्रोसप्पिणी, नेवत्थि उस्सप्पिणी, अवट्टिए तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो । ३०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति।। बीओ उद्देसो वाउ-पदं ३१. रायगिहे नगरे जाव' एवं वयासी-अत्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया“ पत्था वाया मंदा वाया 'महावाया वायंति ?'१० हंता अस्थि ।। १. भ०१५-१८ । ५. भ० ५।२४-२७ । २. भ० ५॥१६॥ ६. भ० ११५१। ३. अतोग्रे 'जहा ओसप्पिणीए आलावओ भणिो ७. भ० १।४-१०। एवं उस्सप्पिणीए विभाणिय व्वों' इति ५।२० ८. सहवाता: (व)। सूत्रं अध्याहार्यम् । ६. पच्छा (अ, क, ता, स)। ४. भ० ५५२१-२३ । १०. महावाता वाता वातंति (क, ता) सर्वत्र । Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ भगवई ३२. अत्थि णं भंते ! पुरत्थिमे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति ? हंता अस्थि ।। ३३. एवं पच्चत्थिमे गं, दाहिणे णं, उत्तरे गं, उत्तर-पुरथिमे णं, 'दाहिणपच्चत्थिमे णं, दाहिण-पुरथिमे णं'५ 'उत्तर-पच्चत्थिमे णं ।। ३४. जया णं भंते ! पुरथिमे णं ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पच्चत्थिमे ण वि ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति; जया णं पच्चत्थिमे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पुरथिमे ग वि ? हंता गोयमा ! जया गं पुरथिमे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पच्चत्थिमे ण वि ईसिं पुरे वाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति; जया णं पत्थिमे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पुरथिमे ण वि ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायति ।। ३५. एवं दिसासु, विदिसासु ।। ३६. अस्थि णं भंते ! दीविच्चया' ईसि पुरेवाया' ? हंता अत्थि ॥ ३७. अस्थि णं भंते ! सामुद्दया ईसि पुरेवाया' ? हंता अस्थि ।। ३८. जया णं भंते ! दोविच्चया ईसि पुरेवाया, तया णं सामुद्दया वि ईसिं पुरेवाया', जया णं सामुद्दया ईसिं पुरेवाया, तया णं दीविच्चया वि ईसि पुरेवाया ? जो इण? समद्रु॥ ३६. से केणटुणं भंते ! एवं वुच्चइ-जया णं दीविच्चया ईसि पुरेवाया , णो णं तया सामुद्दया ईसिं पुरेवाया", जया ण सामुद्दया ईसि पुरेवाया", णो णं तया दीविच्चया ईसिं पुरेवाया ? गोयमा ! तेसि णं वायाणं अण्णमण्णविवच्चासेणं लवणसमुद्दे वेलं नाइक्कमइ । से तेण?णं जाव णो णं तया दो विच्चया ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति ।। १. दाहिणपुरस्थिमे ए दाहिणपच्चरिथमेणं (स) २. एवं विदिसासु (क, ता)। ३. दीविच्चता (ब)। ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, ११, १२. पू० भ० ५।३१ । Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४. पंचमं सतं (बीओ उद्देसो) १६३ ४०. अस्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति ? हंता अस्थि ।। ४१. कया णं भंते ! ईसि पुरेवाया जाव' वायंति ? गोयमा ! जया गं वाउयाए अहारियं रियति', तया णं ईसि पुरेवाया जाव वायंति ।। ४२. अत्थि गं भंते ! ईसिं पूरेवाया? हंता अस्थि । ४३. कया णमंते ! ईसि पुरेवाया ? गोयमा ! जया गं वाउयाए उतरकिरियं रियइ, तया णं ईसिं पुरेवाया जाव' वायति ।। अत्थि णं भंते ! ईसि पुरेवाया ? हंता अस्थि ।। ४५. कया णं भंते ! ईमि पुरेवाया पत्था वाया ? गोयमा ! जया णं वाउकुमारा, वाउकुमारीग्रो वा अप्पणो परस्स वा तदु भयस्स वा अढाए वाउकायं उदीरेंति तया गं ईसिं पुरेवाया जाव वायंति" ।। ४६. धाउयाए णं भंते ! बाउयायं चेव प्राणमंति वा ? पाणमंति वा ? ऊससंति वा? नीससंति वा? ""हंता गोयमा ! वाउयाए णं वाउयाए चेव प्राणमंति वा, पाणमंति वा, ऊस संति वा, नीससंति वा !! ४७. वाउयाए गं भंते ! वाउयाए चेत्र अगसयसहस्सखुतो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्येव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति ? हंता गोयमा ! वाउयाए णं वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति ।। ४८. से भंते ! कि पु? उद्दाति ? अपुढे उद्दाति ? गोयमा ! पुढे उद्दाति, नो अपुढे उद्दाति ।। १. भ० २४०। १०. इह चैकसूत्रेणैव वायुवानकारणत्रयस्य वक्तुं २. रियंति (भ, क, स) । शक्यत्वे यत्सूत्रत्रयकरणं तद्विचित्रत्वात्सूत्र३,४. पू० भ० ५।४०1 गतेरिति मन्तव्यं, वाचनान्तरे त्वाचं कारणं ५. भ० ५।४०1 महावातवजिताना, द्वितीय तु मन्दवातवजि६,७. पू० भ० ५१४०। ताना, तृतीयं तु चतुर्णामप्युक्तमिति [व] । ८. अप्पणो वा (क, ता, ब)। ११. सं० पा०-जहा खंदए तहा चत्तारि आलाहै. भ. ५१४०। वगा नेयम्वा अरोगसयसहस्स पुढे उद्दाइ समरीरी निक्खमइ । Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९४ भगवई ४६. से भंते ! कि ससरीरी निक्खमइ ? असरीरी निक्खमइ ? गोयमा ! सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ ।। ५०. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ-सिय ससरीरी निक्खमइ ? सिय असरीरी निक्खमइ ? गोयमा ! वाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-पोरालिए वेउव्विए तेयए कम्मए। ओरालिय-वे उव्वियाइं विप्पजहाय तेयय-कम्मरहि निक्खमइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ° । प्रोदणादोरणं किसरीरत्त-पदं ५१. अह णं भंते ! प्रोदणे, कुम्मासे, सुरा-एए णं किंसरीरा ति वत्तव्वं सिया? गोयमा ! प्रोदणे, कुम्मासे, सुराए य जे घणे दव्वे-एए णं पुयभावपण्णवणं पडुच्च वणस्सइजीवसरीरा। तो पच्छा सत्थातीया, सत्थपरिणामिया, अगणिज्झामिया, अगणिभूसिया, अगणिपरिणामिया अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्वं सिया। सुराए य जे दवे दव्वे-एए णं पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च आउजीव सरीरा। तो पच्छा सत्थातीया जाव अगणिजीवसरीरा' ति वत्तव्वं सिया॥ ५२. अह णं भंते ! अये, तबे, तउए, सीसए, उवले, कसट्टिया---एए णं किसरीरा ति वत्तव्वं सिया? गोयमा ? अये, तंब्रे, तउए, सीसए, उवले, कसट्टिया---एए णं पुब्वभावपण्णवणं पडुच्च पुढवो जीवसरीरा ! तो पच्छा सत्थातीया जाव' अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्यं सिया ॥ ५३. अह णं भंते ! अट्ठी, अटिज्झामे, चम्मे, चम्मज्झामे, रोमे, रोमज्झामे, सिंगे, सिंगज्झामे, खुरे, खुरज्झामे, नखे, नखज्झामे - एए णं किसरीरा ति वत्तव्वं सिया? गोयमा ! अट्ठी, चम्मे, रोमे, सिंगे, खुरे, नखे ---एए णं तसपाणजीवसरीरा। अद्विज्झामे, चम्मज्झामे, रोमज्झामे, "सिंगज्झामे, खुरज्झामे, नखज्झामे"-- एए णं पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च तसपाणजीवसरीरा । तो पच्छा सत्थातीया जाव 'अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्वं सिया।। १. भूसिया अगणिसेविया (अ, स)। वृत्ती ३. भ० ५१५१ । अगणिझसिया इति पदस्य अग्निना सेवितानि ४. सिंग-खुर-नखज्झामे (अ, ता, स)। वा इति वैकल्पिकोर्थ: आसीत् सएव केचित् ५. भ. ५१५१ । उत्तरवादशेषु मूलपाठरूपेण स्वीकृतोभूत्। ६. अगणि त्ति (अ, स)। २. भगणिकायसरीरा (स)। Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (बीओ उद्देसो) १६५ ५४. अह णं भंते ! इंगाले, छारिए, भुसे, गोमए–एए णं किसरीरा ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! इंगाले, छारिए, भुसे, गोमएएए णं पुन्वभावपण्णवणं पडुच्च एगिदियजीवसरीरप्पयोगपरिणामिया वि जाव' पंचिंदियजीवसरीरप्पयोगपरिणामिया' वि । तो पच्छा सत्थातीया जाव अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्वं सिया।। लवरणसमुद्द-पदं ५५. लवणे णं भंते ! समुद्दे केवइयं चक्कवालविक्खंभेणं पण्णत्ते ? ___ एवं नेयव्वं जाव लोगट्टिई, लोगाणुभावे ।। ५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव विहरइ ।। तइओ उद्देसो प्राउ-पकरण-पडिसंवेदरण-पदं ५७. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति भासंति पण्णवेंति परूवेति ---से जहा नामए जालगंठिया सिया -प्राणुपुविगढिया अणंतरगढिया परंपरगढिया अण्णमण्णगढिया, अण्णमण्णगरुगत्ताए अण्णमण्णभारियत्ताए अण्णमण्णगस्यसंभारियत्ताए अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठइ, एवामेव बहूणं जीवाणं बहूसु आजातिसहस्सेसु बहूई आउयसहस्साइं आणुपुबिग ढियाइं जाव चिटुंति ! एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पडिसंवेदेइ", तं जहा-इहभवियाउयं च, परभवियाउयं च । जं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ, तं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ । जं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ, तं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ । १. तुसे (क)। २. भ०२।१३६ । ३. परिणता (म)। ४. भ० ५१ । ५. जी० ३ मंदरोद्देशकः । ६. भ० १॥५१ ७. एवं परूति (क, ब, स)। ८. आणुपुब्बि° (ब, स)। ६. आयति ° (क); आयाति° (ब)। १०. पडिसंवेदयति (अ, क, ब, म)। ११. सं० पा०-पडिसंवेदेइ जाव से । Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ भगवई इहभवियाउयस्स पडिसंवेदणयाए परभवियाउयं पडिसंवेदेइ, परभवियाउयस्स पडिसंवेदणयाए इहभवियाउयं पडिसंवेदेह। एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो पाउयाइं पडिसंवेदेइ, तं जहा - इहभविया उयं च, परभवियाउयं च ।। ५८. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जण्णं तं अण्णउत्थिया तं चेव जाव परभवियाउयं च। जे ते एवमाहंसु तं मिच्छा, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि भासामि पण्णवेमि परूवेमि-से जहानामए जालगंठिया सिया---'प्राणुपुबिगढिया अणंतरगढिया परंपरगढिया अण्णमण्णगढिया, अण्णमण्णगरुयत्ताए अण्णमण्णभारियत्ताए अण्णमण्णगरुय-संभारियत्ताए ° अण्णमण्णघडताए चिट्ठति, एवामेव एगमेगस्स जीवस्स बहूहिं पाजातिसहस्सेहिं बहूई आउयसहस्साइं आणुपुब्विगढियाइं जाव चिट्ठति । एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं एग ग्राउयं पडिसंवेदेइ, तं जहा- इहभवियाउयं वा, परभवियाउयं वा। जं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ, नो तं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ । जं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ, नो तं समयं इहभविया उयं पडिसंवेदेइ । इहभवियाउयस्स पडिसंवेदणाए, नो परभवियाउयं पडिसंवेदेइ । परभवियाउयस्स पडिसंवेदणाए, नो इहवियाउयं पडिसंवेदेइ । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एग पाउयं पडिसंवेदेइ, तं जहा-इहभवियाउयं वा, परभवियाउयं वा ।। साउयसंकमण-पदं ५९. जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कि साउए संकमइ ? निराउए संकमइ ? गोयमा ! साउए संकमइ, नो निराउए संकमइ ।। ६०. से णं भंते ! अाउए कहि कडे ? कहि समाइण्गे ? गोयमा ! पुरिमे भवे कडे, पुरिमे भवे समाइण्णे ।। ६१. एवं जाव' वेमाणियाणं दंडअो । ६२. से नूणं भंते ! जे 'जं भविए जोणि" उववज्जित्तए, से तमाउयं पकरेइ, तं --- - १. सं० पा०-सिया जाव अण्णमण्णघडताए। ४. विभक्तिपरिणामाद् यो यस्यां योनाबूत्पत्तं २. आउगे (ता)। योग्य इत्यर्थः (क)। ३. पू०प०२। Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं ससे (तइओ उद्देसो) १९७ जहानेरइयाउयं वा ? 'तिरिक्खजोणियाउयं वा ? मणुस्साउयं वा ? ० देवाउयं वा? हंता गोयमा ! जे जं भविए जोणि उववज्जित्तए, से तमाउयं पकरेइ, तं जहा –नेरइयाउयं वा, तिरिक्खजोणियाउयं वा, मगुस्साउयं वा देवाउयं वा । नेरइयाउयं पकरेमाणे सत्तविहं पकरेइ, तं जहा-- रयणप्पभापुढविने रइयाउयं बा', 'सक्करप्पभापुढविनेरइयाउयं वा, बालुयप्पभापुढविने रइयाउयं वा, पंकप्पभापुढविनेरइयाउयं वा, धूमप्पभापुढविनेरइयाउयं वा, तमप्पभापुढविनेरइयाउयं वा°, अहेसत्तमापुढविनेरइयाउयं वा। तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे पंचविहं पकरेइ, तं जहा~-एगिदियतिरिक्खजोणियाउयं वा', 'बेइंदियतिरिक्खजोणियाउयं वा, तेइंदियतिरिक्खजोणियाउयं वा, चउरिदियतिरिक्खजोणियाउयं वा, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाउयं वा। मणुस्साउयं दुविहं 'पकरेइ, तं जहा-सम्मुच्छिममणुस्साउयं वा, गब्भवक्कतियमणुस्साउयं वा । देवाउयं चउव्विहं पकरेइ, तं जहा-भवणवासिदेवाउयं वा. वाणमंतरदेवा उयं वा, जोइसियदेवाउयं वा, वेमाणियदेवाज्यं वा ।। ६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। चउत्थो उद्देसो छउमत्य-कवलोरणं सद्दसवरण-पदं ६४. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से आउडिज्जमाणाई सद्दाइं सुणेइ, तं जहा-संखसहाणि वा, सिंगसद्दाणि वा, संखियसद्दाणि वा, खरमुहीसद्दाणि वा, पोयासहाणि वा, पिरिपिरियासदाणि' वा, पणवसद्दाणि वा, पडहसद्दाणि वा, भंभासदाणि वा, होरंभसहाणि वा, भेरिसदाणि वा, झल्लरीसद्दाणि वा, दुंदुभिसद्दाणि वा, तताणि वा, वितताणि वा, घणाणि वा, झुसिराणि वा ? १. सं० पा० नेरइयाउयं वा जाव देवाउयं । २. सं० पा०-रयणप्पभापुढविणेरइयाउयं वा ___ जाव अहेसत्तमा । ३. सं० पा०-भेदो सव्वो भाणियब्यो। ४. सं० पा०-मरणुस्साउयं दुविहं । ५. सं० पा०-देवाउयं चउविहं। ६. भ० ११५१ । ७. परि (अ, स)। ८. सुसिराणि (क)1 Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हंता गोयमा ! छउमत्थे णं मणुस्से आउडिज्जमाणाई सद्दाई सुणेइ, तं जहा---- संखसद्दाणि वा जाव झसिराणि वा। ताइं भंते ! कि पुट्ठाई सुणेइ ? अपुट्ठाइं सुणेइ ? गोयमा ! पुढाई सुणेइ, नो अपुट्ठाई सुणेइ । 'जाइं भंते ! पुट्ठाइं सुणेइ ताई किं प्रोगाढाई सुणेइ ? अणोगाढाई सुणेइ ? गोयमा ! प्रोगाढाइं सुणइ, नो अणोगाढाइं सुणेइ । जाइं भंते ! ओगाढाइं सुणेइ ताई कि अणंतरोगाढाइ सुणेइ ? परंपरोगाढाई सुणेइ ? गोयमा ! अणंतरोगाढाई सुणेइ, नो परंपरोगाढाइं सुणेइ । जाइं भंते ! अणंत रोगाढाइं सुणेइ ताई कि अणूई सुणेइ ? बादराई सुणेइ ? गोयमा ! अणूइं पि सुणेइ, बादराई पि सुणेह। जाई भंते ! अणूई पि सुणेइ बादराई पि सुणेइ ताइं कि उड्ढं सुणेइ ? अहे सूणेइ ? तिरियं सूर्णइ ? गोयमा ! उड्ढं पि सुणेइ, अहे वि सुणेइ, तिरियं पि सुणेइ । जाई भंते ! उड्ढं पि सुणे इ अहे वि सुणेइ तिरियं पि सुणेइ ताइं कि आइं सूणेइ ? मज्झे सुणेइ ? पज्जवसाणे सुणेइ ? गोयमा ! आई पि सुणेइ, मज्झे पि सुणेइ, पज्जवसाणे वि सुणेइ । जाई भंते ! आई पि सुणेइ मज्झे वि सुणेइ पज्जवसाणे वि सुणेइ ताई कि सविसए सुणेइ ? अविसए सुणेइ ? गोयमा ! सविसए सुणेइ, नो अविसए सुणेइ । जाई भंते ! सविसए सुणेइ ताई कि आणुपुब् िसुणेइ ? अणाणुपुब्विं सुणेइ ? गोयमा ! आणुपुत्विं सुणेइ, नो अणाणुपुब्बि सुणेइ । जाइं भंते ! आणुपुब्बि सुणेइ ताई कि तिदिसि सुणेइ जाव छद्दिसि सुणेइ ? गोयमा ! ० नियमा छद्दिसि सुणेइ ॥ ६५. छउमत्थे णं भंते ! मणूसे कि पारगयाइं सद्दाइं सुणेइ ? पारगयाइं सद्दाई सुणेइ ? गोयमा ! आरगयाइं सहाई सुणेइ, नो पारगयाइं सद्दाइं सुणेइ ॥ ६६. जहा णं भंते ! छउमत्थे मणूसे पारगयाई सद्दाई सुणेइ, नो पारगयाइं सद्दाई सुणेइ, तहा णं' केवली कि पारगयाइं सद्दाइं सुणेइ ? पारगयाई सद्दाइं सुणेइ ? गोयमा ! केवली णं पारगयं वा, पारगयं वा सव्वदूर-मूलमणंतियं सई जाणइ-पासइ ।। १. सं० पा०–सुणेइ जाव नियमा । २. ण भंते ! (स)। Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ६७. से के णटेणं' भंते ! एवं वुच्चइ- केवली णं आरगयं वा, पारगयं वा सव्वदूर मूलमणतियं सह जाणइ-पासइ ? गोयमा ! केवलीणं पुरथिमे गं मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ । एवं दाहिणे णं. पच्चरिथमे णं. उत्तरे ण, उड़ढ़, अहे मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ। सव्वं जाणइ केवली, सव्वं पासइ केवली । सवओ जाणइ केवली, सव्वो पासइ केवली। सव्वकालं जाणइ केवली, सव्वकालं पासइ केवली। सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली। अणंते नाणे केवलिस्स, अणंते सणे केवलिस्स । निव्वुडे नाणे केवलिस्स, निव्वुडे दंसणे केवलिस्स। से तेणढणं *गोयमा ! एवं बुच्चइ-केवलो णं आरगयं वा, पारगयं वा सव्वदूर-मूलमणंतियं सदं जाणइ°-पासइ ।। छउमस्थ-केवलोणं हास-पदं ६८. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से हसेज्ज वा ? उस्सुयाएज्ज का ? हंता हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा ॥ ६६. जहा णं भंते ! छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा, तहा णं केवली विहसेज्ज वा ! उस्स्याएज्ज वा! गोयमा ! णो इण? सम8 ।। ७०. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जहा णं छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुया एज्ज वा, नो णं तहा केवली हसेज्ज वा ? उस्सुयाएज्ज वा ? । गोयमा ! जं णं जीवा चरित्तमोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं हसंति वा, उस्स्यायंति वा। से णं केवलिस्स नत्थि । से तेण?णं" गोयमा ! एवं वच्चइ---जहा णं छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा°, नो णं तहा केवली हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा ॥ ७१. जीवे णं भंते ! हसमाणे वा, उस्सुयमाणे वा कई कम्मपगडीओ बंधइ ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्टविहबंधए वा। एवं जाव' वेमाणिए । पोहत्तएहिं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो ।। १. सं० पा०--तं चेव केवलीणं आरगयं वा ४. सं० पा०—केण?णं जाव नो। पारागयं वा जाव पासइ । ५. सं० पा०--तेरणढेरणं जाव नो। २. वाचनान्तरे तु 'निब्बुड़े वितिमिरे विसुद्धे' त्ति ६. कति (क, ब, म)। विशेषणत्रयं ज्ञानदर्शनयोरधीयते (ब)। ७. पू०प० २। ३. सं० पा०-तेरण?ण जाव पासइ। ८. वेमाणिए नेरइया रणं भंते ! हसमाणा कई० Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० उमत्थ- केवल निद्दा-पर्द ७२. छउमत्थे णं भंते ! मगुस्से निद्दाएज्ज वा ? पयलाएज्ज वा ? हंता निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा ॥ ७३. जहा णं भंते ! छमत्ये मणुस्से निद्दाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा, तहा णं केवली वि निद्दाएज्ज वा ? पयलाएज्जा वा ? गोयमा ! जो इट्ठे समट्टे ॥ ७४. सेकेणट्टे भंते ! एवं बुज्वइ - जहा णं छउमत्थे मणुस्से निद्दाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा, नो णं तहा केवली निद्दाएज्ज वा ? पयलाएज्ज वा ? गोयमा ! जं णं जीवा दरिसणावर णिज्जस्स कम्मस्स उदएणं निद्दायति वा, पयलायंति' वा । से णं केवलिस्स नत्थि । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जहा णं छमत्थे मणुस्में निद्दाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा नो णं तहा केवली निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा ॥ ७५. जीवे णं भंते ! निदायमाणे वा, पयलायमाणे वा कह कम्मप्पगडीश्रो बंधइ ? गोमा ! सत्तविहबंध वा अट्ठविहबंधए वा । एवं जाव' वेमाणिए । पोहत्तिएस जीवेगिदियवज्जो तियभंगो ॥ गम्भसाहरण-पदं ७६. 'से गोयमा ! सब्वे वि ताव होज्ज सत्तविहबंधा | अहवा सत्तविधगाय अट्टविहबंधगे य | अहवा सत्तविहबंधगा य अविबंधगा (क, व, म,स) 1 भगवई नूण भंते! हरि-नेगमेसी" सक्कदए इत्थीगब्भं संहरमाणे किं गन्भाश्रो गब्भं साहरइ ? गभाओ जोणि साहरइ ? जोणीओ गव्भं साहरइ ? जोणीओ जोणि साहरइ ? गोमा ! नो गभाओ गन्भं साहरइ, नो गन्भायो जोणि साहरइ, नो जोणीओ जोणि साहरइ, परासिय-परामुसिय अव्वाबाहेणं श्रव्वावाहं जोणीश्रो गब्र्भ साहरइ || ७७. पभू णं भंते! हरि-नेगमेसी सक्कदए । इत्थीगव्भं नहसिरंसि वा, रोमकूवंसि वा साहरितए वा ? नीहरितए वा ? १. सं० पा० – जहा हसेज्ज वा तहा नवरं दरिसणावर णिज्जस्स कम्मस्स उदएणं निद्दायंति वा पयलायति वा, से यणं केवलिस्स नत्थि अणं तं चैव । - २. पयलाईति ( स ) । ३. ५० प० २ । ४. हरी गं भंते! हरिगमेसी ( अ, क, ता); हरी गं भंते! हरिगमेसी (स ); 'हरी भंते! हरिणेगमेसी' इति द्वयर्थकं पदं द्वयो चिनायोः संमिश्रणेन जातम् । ५. सक्कस्स दूते ( व, स ) ; सक्कस्स दूए (म ) 1 Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंच तं (चो उद्देसी) हंता पभू, नो चेव णं तस्स गब्भस्स किंचि' आवाहं वा विवाहं वा उप्पाएज्जा, छविच्छेदं पुण करेज्जा । एसुहुमं च गं साहरेज्ज वा, नोहरेज्ज वा । अमुत्तग-पदं ७८. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओो महावीरस्स अंतेवासी प्रमुते' नामं कुमार समणे पगइभद्दए' 'पगइउवसंते पगइपयणुको हमाणमायालोभे उमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विणीए || ७६. तए णं से प्रमुत्ते कुमार-समणे अण्णया कयाइ महावुद्विकार्यसि निवयमाणंसि कक्खपडिग्गह-रयहरणमायाए" वहिया संपट्टिए विहाराए || ८०. तए णं से प्रमुत्ते कुमार-समणे वाहयं वहमाणं पासइ, पासिता मट्टियाए पालि बंध, बंघित्ता 'णाविया में, णाविया में नाविप्रो विव णावमयं परिग्गहगं उदसि' पव्वाहमाणे-पव्वाहमाणे अभिरमइ । तं च थेरा अद्दक्खु' । जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता एवं वदासी A एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी अइमुत्तं नामं कुमार-समणे, से णं भंते ! इमुत्ते कुमार-सम कतिहि भवग्गणेहि सिज्भिहिति' बुज्भिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणं अंत करेहिति ? ८१. अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे ते थेरे एवं वयासी - एवं खलु अज्जो ! ममं अंतेवासी प्रभुत्ते नामं कुमार-समणे पगइभद्दए जाव' विणीए से णं प्रमुत्ते कुमार-समणे इमेणं चेत्र भवग्गणं सिज्झिहिति जाव" अंतं करेहिति । तं मा णं ग्रज्जो ! तुब्भे प्रमुत्तं कुमार-समणं ही लेह निदह खिसह गरहह श्रवमण्णह" । तुम्भे गं देवाणुप्पिया ! ग्रइमुत्तं कुमार-समणं अगिलाए संगिण्हह, प्रमिलाए afree, ग्रगिलाए भत्तेणं पाणेणं विणएणं वेयावडियं करेह । श्रइमुत्ते णं कुमार-समणे अंतकरे चेव, अंतिमसरीरिए चेव || १. किचि वि ( स ) । २. मुहमं ( ता) | ३. अतिमुत्ते (क, ब, म ) । ४. सं० पा०--पगइभहए जाव विरणीए । o ८२. तए णं तं थेरा भगवंतो समणेगं भगवया महावीरेणं एवं वृत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, प्रमुत्तं कुमार समणं श्रगिलाए संगिण्हंति", गिलाए उवगिति, गिलाए भत्तेणं पाणेणं विणएणं वेयावडियं" करेंति ॥ ५. रतहरणमाताए (ता) ६. उदगंसि कट्टु (क, ता, ब, म, स ) । २०१ ७. अदव (ता, म ) । ८. सं० पा०-सिज्झिहिति जाव अंतं । ६. ४०५।७८ । १०. भ० २।७३ । ११. अवमण्णह परिभवह ( वृपा ) 1 १२. सं० पा०--संगिण्हति जाव वेयावडियं । १३. वेदावडियं (ब, म) 1 Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ भगवई महासुक्कागयदेव-पण्ह-पर्द ८३. तेणं कालेणं तेणं समएणं महासुक्कामो कप्पासो, महासामाणाप्रो' विमाणाश्रो दो देवा महिड्ढिया जाव' महाणुभागा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं पाउब्भूया । तए णं ते देवा समण भगवं महावीर' वंदति नमंसति, मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं पुच्छंति८४. कति णं भंते ! देवाणुप्पियाणं अंतेवासीसयाइं सिज्झिहिति जाव' अंत करेहिति? तए णं समणे भगवं महावीरे तेहिं देवेहि मणसा पुढे तेसि देवाणं मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरेइ--एवं खलु देवाणुप्पिया! ममं सत्त अंतेवासीसयाइं सिज्झिहिति जाव अंत करेहिति । तए णं ते देवा समणेणं भगवया महावीरेणं मणसा पटेणं मणसा चेव इम एयारूवं वागरणं वागरिया समाणा हटुतुटु"चित्तमाणंदिया णंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया समणं भगवं महावीरं वदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता मणसा चेव सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहा' *विणएणं पंजलियडा पज्जुवासंति॥ ८५. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदंभूई नाम अणगारे जाव अदरसामते उड्ढं जाणू 'अहोसिरे झाणकोट्टोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे ° विहरई। तए णं तस्स भगवनो गोयमस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु दो देवा महिड्ढिया जाव" महाणुभागा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं पाउन्भूया", तं नो खलु अहं ते देवे जाणामि कयरामो कप्पाप्रो वा सग्गाग्रो वा विमाणाग्रो वा कस्स वा अत्थस्स अट्ठाए इहं हव्वमागया ? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वदामि नमसामि जाव प्रज्जु वासामि, इमाइं च णं एयारूवाई वागरणाई पुच्छिस्सामि त्ति कटु एवं संपेहेइ, १. महारामाणाओ (अ, ब, म); महासमगायो ६. सं० पा०- हद्वतुट्ठ जाव हियया। (स) । एकस्मिन्नादर्श 'महासग्गाओ' इति ७. सं० पा० --अभिमुहा जाव पज्जुवासंति । पाठो लभ्यते, किन्तु समवायांगसूत्रस्य सप्त- ६. भ० ११६ । दशसमवायस्य (१८) संदर्भे 'महासामारणाओ' ९. सं० पा०-उड्ढूजाणू जाव विहरइ । इत्येव पाठः समीचीनोस्ति । १०. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। २. भ० ३।४। ११. भ० ३।४। ३. महावीर मणसा चेव (अ, स); महावीरं १२. पादुब्भूता (क, ब, म)। मरणसा (ब, म)। १३. देवा (ता, ब)। ४. X (क, ता, ब, म): १४. भ० २।३०। ५. भ० २०७३ । Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं स (चो उद्देसी) २०३ संपेत्ता उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव' पज्जुवासइ ! ८६. गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी से नूणं तव गोमा ! भाणंतरिया वट्टमाणस्स इमेयारूवे ग्रज्झतिथए जाव' जेणेव ममं तिए तेणेव हव्वमा गए, से नूणं गोयमा ! श्रट्टे समट्ठे ? हंता ग्रत्थि । तं गच्छाहि णं गोयमा ! एए चैव देवा इमाई एयारूवाई वागरगाई वागरेर्हिति ॥ ८७. तए णं भगवं गोयमे समणेण भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, जेणेव ते देवा तेणेव पहारेत्थ गमणाए || ८८. तए णं ते देवा भगवं गोयमं एज्जमाणं पासंति, पासित्ता हट्ट तुट्ठचित्तमाणंदिया नंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण हियया खिप्पामेव भुट्ठेति श्रभुत्ता खिप्पामेव अव्भुवगच्छति' जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छति जाव नमसित्ता एवं व्यासी- एवं खलु भंते ! ग्रम्हे महासुक्काश्रो कप्पा महासामाणा विमाणाओ दो देवा महिड्डिया जाव महाणुभागा समणस्स भगवो महावीरस्स प्रतियं पाउन्भूया । तए णं ग्रम्हे समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो, वंदित्ता नमसित्ता मणसा चेव इमाई एयारुवाई वागरणाई पुच्छामो – कइ णं भंते ! देवाणुप्पियाणं अंतेवासीसयाई सिज्झिहिति जाव" अंतं करेहिति ? तए णं समणे भगवं महावीरे श्रम्हेहिं मणसा पुट्ठे भ्रम्ह" मणसा चैव इमं एयारूवं वागरणं वागरेइ - एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम सत्त अंतेवासीसयाई जाव अंतं करेहिति । तए णं अम्हे समणेण भगवया महावोरेणं मणसा चेव पुट्टेणं मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरिया समाणा समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो जाव" पज्जुवासामो त्ति कट्टु भगवं गोयमं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगया ॥ देवाणं नोसंजयवत्तव्वया-पदं ८. भंतेति ! भगवं गोयमे समण भगवं महावीरं वंदति नम॑सति जाव" एवं क्यासी - देवा णं भंते ! संजया ति वृत्तव्वं सिया ? १. भ० १।१० २. भ० ५८५ । ३. अत्थे ( अ, क, ता, स ) 1 ४. समत्ये ( अ ) 1 ५. इज्जमाणं t ६. सं० पा०-हदु जाव हियया । ७. पच्चुवगच्छति २ ( अ, क, ता, स ) । ८. भ० १।१० । ६. महासग्माओ ( स ) 1 १०. भ० ३१४ | ११. भ० २।७३ | १२. अम्हे ( कम ) | १३. भ० २३० । १४. भ० १।१० Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०४ भगवई गोयमा ! णो ति प्रब्भक्खाणमेयं देवाण। ६०. देवा णं भंते ! असंजता ति वत्तत्वं सिया ? गोयमा ! णो तिण? समटे । निठुरवयणमेयं देवाणं' ।। ६१. देवा णं भंते ! णो संजयासंजया ति वत्तव्वं सिया ? गोयमा ! णो तिण? सम₹ । असब्भूयमेयं देवाणं ।। १२. से कि खाइ णं भंते ! देवा ति वत्तव्वं सिया? गोयमा ! देवाणं नोसंजया ति वत्तव्वं सिया ।। देवभाषा-पदं १३. देवा णं भंते ! कयराए भासाए भासंति? कयरा व भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति ? गोयमा ! देवा णं अद्धमागहाए भासाए भासंति । सा वि य णं अद्धमागहा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति ।। छउमत्थ-केवलोरणं नाणभेद-पदं १४. केवली णं भंते ! अंतकरं वा, अंतिमसरीरियं वा जाणइ-पासइ ? हंता जाणइ-पासइ ॥ ६५. जहा णं भंते ! केवली अंतकरं वा, अंतिमसरीरियं वा जाणइ-पासइ, तहाणं छउमत्थे वि अंतकरं वा, अंतिमसरीरियं वा जाणइ-पासइ ? गोयमा ! णो इणटे समटे । सोच्चा जाणइ-पासइ, पमाणतो वा !! ६६. से किं तं सोच्चा ? सोच्चा णं केव लिस्स वा, केवलिसावगस्स' वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा, तप्पक्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा, तपक्खियसावियाए वा तप्पक्खियउवासगस्स वा तप्पक्खियउवासियाए वा। से तं सोचा।। ६७. से कि तं पमाणे? पमाणे चउविहे पण्णत्ते; तं जहा-पच्चक्खे अणुमाणे अोवम्मे आगमे, जहा अणुयोगदारे तहा नेयवं पमाणं जाव तेण परं सुत्तस्स वि अत्थस्स वि नो अत्तागमे, नो अणंतरागमे, परंपरागमे । १. x (स)। २. अस्संजता (अ, क, ता, ब, म)। ३. X (स)। ४. सारीरियं (अ, क, ब, स)। ५. गोयमा (क, म); हंता गोयमा (स)। ६. तधा (अ, स)। ७. छदुमत्थे (ता)। ८. सावयस्स (क, ब, म, स)। ६. अ० सू० ५१६-५५१ । Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०५ पंचमं सतं (चउत्थो उद्देसो) १८. केवली णं भंते ! चरिमकम्मं वा, चरिमणिज्जरं वा जाणइ-पासइ? हंता' जाणइ पासइ ।। ६६. जहा णं भंते ! केवली चरिमकम्मं वा, चरिमणिज्जरं वा जाणइ-पासइ, तहा गं छउमत्थे वि चरिमकम्म वा, चरिमणिज्जरं वा जाणइ-पासइ ? गोयमा ! णो इणटे सम? । सोचा जागइ-पासइ, पमाणतो वा । जहा गं अंतकरण पालावगो तहा चरिमकम्मेण वि अपरिसे सिनो नेयम्वो ॥ केवलोणं पणीय-मरण-वइ-पदं १००. केवली णं भंते ! पणीयं मणं वा, वइं वा धारेज्जा ? हंता धारेज्जा। १०१. जणं भंते ! केवली पणीयं मणं वा, वई वा धारेज्जा, तण्ण' वेमाणिया देवा जाणति-पासंति ? गोयमा ! अत्थेगतिया जाणंति-पासंति, अत्थेगतिया ण जाणंति, ण पासंति ।। १०२. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ—प्रत्थेगतिया जाणंति-पासंति, प्रत्थेगतिया ण जाणंति °, ण पासंति ? गोयमा! वेमाणिया देवा दुबिहा पण्णत्ता, तं जहा- माइमिच्छादिट्ठी उबवण्णागा य, अमाइसम्मदिट्ठीउववण्णगा य । तत्थ गंजे ते माइमिच्छादिट्ठी उबवण्णगा ते ण जाणंति ण पासंति । 'तत्थ णं जे ते अमाइसम्मदिट्ठोउववण्णगा ते णं जाणंति-पासंति । से केण?णं ? गोयमा ! अमाइसम्मदिट्ठी दुविहा पण्णता, तं जहा-अणंतरोववण्णगाय, परंपरोवण्णगाय । तत्थ ण जे ते अणंतरोववण्णगाते ण जाणंति. ण पासंति । तत्थ णं जे ते परंपरोववष्णगा ते ण जाणति-पासंति । से केणटेणं ? गोयमा ! परंपरोववण्णगा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–अपज्जत्तगा य, पज्जत्तगा य । तत्थ गं जे ते अपज्जत्तगा ते ण जाणति, ण पासंति । तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा ते ण जाणंति-पासंति । से केणटेणं ? गोयमा ! पज्जत्तगा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-अणुवउत्ता य उवउत्ता य । तत्थ णं जे ते अणव उत्ता ते ण जागति, ण पासंति । तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते गं जाणंति-पासंति । से तेणट्रेणं गोयमा ! एवं वुच्चद—अत्थेगतिया जाणति-पासंति, अत्यंगतिया ण जाणंति, ण पासंति ।। १. गोयमा (अ, म); हता गोयमा (स)। २. अंत करेरणं वा (म, स)। ३. भ० ५६६,६७। ४. जं रणं (ता); जहा शं (म, स)। ५. तं रणं (क, ता, ब, म)। ६. सं० पा०–केरगटेणं जाव रण। ७. एवं अणंतर परंपर पज्जत्त अपज्जत्ता य उवउत्ता अणुवउत्ता । तत्थ णं जे ते उवउत्ता Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६ भगवई अणुत्तरोववाइयारणं केवलिणा पालाव-पदं १०३. पभू णं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएणं केवलिणा सद्धि पालावं वा, संलावं वा करेत्तए ? हंता पभू ।। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-पभू णं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएणं केवलिणा सद्धि पालावं वा, संलावं वा करेत्तए ? गोयमा ! जण अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा अटुं वा हेउं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा पुच्छंति, तण्णं इहगए केवली अटुं वा 'हेउं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा वागरेइ । से तेणढणं गोयमा ! एवं वुच्चइपभ णं अणुत्तरोक्वाइया देवा तत्थग्या चेव समाणा इहगएणं केवलिणा सद्धि पालावं वा, संलावं वा करेत्तए ।। १०५. जण्णं भंते ! इहगए केवली अटुं वा 'हेउं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा वागरेइ, तण्णं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति-पासंति ? हंता जाणंति-पासंति ।। १०६. से केणद्वेणं' भंते ! एवं वुच्चइ--जण्णं इहगए केवली अटुं वा हेउं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा वागरेइ, तण्णं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति -पासंति ? गोयमा ! तेसि णं देवाणं अणंतानो मणोदव्ववरगणाप्रो लद्धामो पत्ताओ अभिसमण्णागयानो भवंति । से तेणटेण*गोयमा ! एवं वुच्चइ-जण्णं इहगए केवली अटुं वा हेउं वा पसिणं वा कारण वा वागरणं वा वागरेइ, तण्णं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति -पासंति ।। १०७. अणुत्तरोववाइया णं भंते ! देवा कि उदिण्णमोहा? उवसंतमोहा ? खीण मोहा? गोयमा ! नो उदिण्णमोहा, उवसंतमोहा, नो खीणमोहा ।। केवलीसं इंदियनाण-निसेध-पदं १०८. केवली णं भंते ! आयाणेहि जाणइ-पास इ ? गोयमा ! नो तिणढे समढे ।। ते जाणंति पासंति से तेरगट्रेणं तं चेव (अ, २. सं० पा०--अटू वा जाव वागरणं । क, ता, ब, म, वृ); वाचानान्तरेस्विदं सूत्रं ३. सं० पा०-अटुं वा जाव वागरे । साक्षादेव उपलभ्यते (व)। ४. सं० पा०-केणट्रेणं जाव पासंति । १. सं० पा०-केणटेणं जाव पभू णं अणु- ५. सं० पा०–तेरणतुणं जण्णं इगए केवली त्तरोववाइया देवा जाव करेत्तए। जाव पासंति । Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (बीओ उद्देसो) १०६. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्च इ.- केवली णं आयाणेहि ण जाणइ, ण पासइ? गोयमा ! केवली णं पुरथिमे णं मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ । एवं दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं, उड्ढे, अहे मियं पि जाणइ,अमियं पिजाणइ। सव्वं जाणइ केवली, सव्वं पासइ केवली। सव्वानो जाणइ केवली, सब्वनो पासइ केवली। सव्वकालं जाणइ केवली, सव्वकालं पास इ केवली। सव्वभावे जाणइ केवली, सब्वभावे पासइ केवली । अणते नाणे केवलिस्स. अणंते दंसणे केवलिस्स। निवडे नाणे केवलिस्स निव्वुडे दंसणे केवलिस्स । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-केवली णं आयाणेहि ण जाणइ, ण पासइ° ॥ केवलीरणं जोगचंचलया-पदं ११०. केवली णं भंते ! अस्सि समयंसि जेसु आगासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ता णं चिट्ठति, पभू णं केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव आगासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ताणं चिट्टित्तए? गोयमा ! णो तिणढे सम?।। १११. से केणट्रेणं भंते" ! •एवं वुच्चइ° - केवली णं अस्सि समयंसि जेसु पागासप देसेसू हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ताणं चिति, णो णं पभू केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव प्रागासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरु वा ओगाहित्ता ण° चिद्वित्तए ! गोयमा ! केवलिस्स णं वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए चलाई उवकरणाई भवति । चलोवकरणट्टयाए य णं केवली अस्सि समयंसि जेसु मागासपदेसेसु हत्थं वा •पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ता णं° चिट्ठति, णो णं पभू केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव" 'पागासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ताणं • चिट्टित्तए । से तेणट्टेण" *गोयमा ! एवं वुच्चइ-केवली णं अस्सि समयंसि जेसु आगासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरं वा प्रोगा१. सं० पा.---केणढेरणं जाव केवली। ७. सं० पा०-हत्थं वा जाव चिट्ठित्तए। २. सं० पा०-जाणइ जाव निम्बुड़े दंसणे ८. जंसि (अ) । केवलिस्स से तेरगट्टेणं । ६. सं० पा०-हत्थं वा जाव चिट्ठति । ३. समतंसि (ता)। १०. सं० पा०-चेव जाव चिट्ठित्तए। ४. सं० पा–हत्थं वा जाव ओगाहित्ता। ११. सं० पा०–तेह्रणं जाव वुच्चइ। केवली ५. सं० पा०भंते जाव केवली। णं अस्सि समयंसि जाव चिद्वित्तए। ६. सं० पा०–आगासपदेसेसु जाव चिट्ठति । Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०८ भगवई हित्ता णं चिट्ठति, णो णं पभू केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव प्रागासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा ओगाहित्ता गं° चिट्ठित्तए । चोद्दसपुवीरणं सामथ-पदं ११२. पभू णं भंते ! चोद्दसपुवी घडायो घडसहस्सं, पडायो पडसहस्सं, कडामो कडसहस्सं, रहासो रहसहस्सं, छत्ताप्रो छत्तसहस्सं, दंडापो दंडसहस्सं अभिनिव्वदे॒ता उवदंसेत्तए ? हंता पभू ।। से केशद्वेणं पभू चोहमपुवी जाव' उवदंसेत्तए ? गोयमा ! चोद्दसपुस्विस्स णं अणंताई दवाई उक्कारियाभेएणं भिज्जमाणाई लद्धाइं पत्ताइं अभिसमण्णागयाई भवंति । से तेण?णं' गोयमा ! एवं वुच्चइ-भू णं चोद्दसपुब्बी घडायो घडसहस्सं, पडायो पडसहस्सं, कडानो कडसहस्सं, रहायो रहसहरसं, छत्तानो छत्तसहस्सं, दंडायो दंडसहस्सं अभिनिव्वदृत्ता उवदंसेत्तए। ११४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। ११३. पंचमो उद्देसो मोक्ख-पदं ११५. छउमत्ये णं भंते ! मणूसे तीयमणंतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहि पवयणमायाहिं सिज्झिसु ? बुझिसु ? मुच्चिसु ? परिणिव्वाइंसु ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु ? । गोयमा ! गो इण? सम? । जहा पढमसए चउत्थु से पालावगा तहा नेयव्वा जाव' अलमत्थु त्ति वत्तव्वं सिया ।। एवंभूय-प्रणेवभूय-वेदणा-पदं ११६. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव' परूवति-सव्वे पाणा सव्वे भूया सब्वे जीवा सव्वे सत्ता एवं भूयं वेदणं वेदेति ।। १. भ० ५।११२ । ३. सं. पा०-तेगट्रेणं जाव उवदसेत्तए । २. प्रज्ञापनासूत्रे भाषापदे 'उक्करियाभेए' इति ४. भ० ११५१ । पदं लभ्यते, तत्रापि केषुचिदादशेषु उक्का- ५. भ० ११२०१.२०६ 1 रियाभेए इत्यपि पाठो लभ्यते । ६. भ० ११४२० । Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (पंचमो उद्देसो) ११७. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जण्णं ते श्रण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' सब्वे सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति । जे ते एवमाहंसु, मिच्छ्रं ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि - प्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदेणं वेदेति, ग्रत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता प्रणेवंभूयं वेदणं वेदेति ॥ ११८. से केणट्टेण भंते ! एवं वुच्चइ-प्रत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, प्रत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता प्रणेवंभूयं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! जे गं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा तहा वेदणं वेदेति, ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदेणं वेदेति । जेणं पाणा भूया जीवा सत्ता जहां कडा कम्मा तो तहा वेदणं वेदेति, ते पं पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति । से तेणद्वेष" गोयमा ! एवं बुच्चइ – प्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, प्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति ॥ ११६. नेरइया णं भंते ! कि एवंभूयं वेदणं वेदेति ? प्रवभूयं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! नेरइया णं एवंभूयं पिवेदणं वेदेति णेवंभूयं पि वेदणं वेदेति ॥ १२०. से केणट्टेणं' "भंते ! एवं वुच्चइ नेरइया णं एवंभूयं पि वेदणं वेदेति, अणेवं १२१. एवं जाव' वेमाणिया || कुलगरादि-पदं भूयं पिवेदणं वेदेति ? गोयमा ? जेणं नेरइया जहा कडा कम्मा तहा वेदणं वेदेति, ते णं नेरइया एवंभूयं वेदणं वेदेति । जे गं नेरइया जहा कडा कम्मा नो तहा वेदणं वेदेति, तेणं नेरइया अणेवंभयं वेदणं वेदेसि 1 से तेणट्टेणं ॥ १२२. संसारमंडल नेयव्वं ॥ १२३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥ १. भ० ५।११६ । २. मिच्छा ( अ, क, ब, म, स) । ३. भ० १।४२१ । ४. सं० पा० तं चैव उच्चारेयव्वं । ५. सं० पा० ६. सं० पा० तहेव ।) तं चेव । २०६ ७. पू० प० २। ८. यव्वं । जंबूदीवे गं भंते ! इह भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए समाए कई कुलगरा होत्था ? गोमा ! सत्त । एवं तित्थयरमायरो, पियरो, पढमा सिस्सिसीओ, चक्कवट्टिमायरो, इत्थि Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१० भगवई छ8ो उद्देसो अप्पायु-दोहायु-पदं १२४. कहण भंते ! जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ? गोयमा ! पाणे अइवाएत्ता, मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता-एवं खलु जीवा अप्पाउयत्ताए कम्म पकरंति? १२५. कहण्णं भंते ! जीवा दीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ? गोयमा ! नो पाणे अइवाएत्ता', नो मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा फासुएणं एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेण पडिलाभेत्ता--एवं खलु जीवा दीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ॥ असुभसुभ-दोहायु-पदं १२६. कहण्णं भंते ! जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ? गोयमा ! पाणे अइवाएत्ता, मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा हीलित्ता निदित्ता खिसित्ता गरहित्ता अवमण्णित्ता 'अण्णयरेणं अमणुण्णेणं अपीतिकारएण' असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता-एवं खलु जीवा असुभदीहा उयत्ताए कम्मं पकरेंति ॥ १२७. कहण्णं भंते ? जीवा सभदीहाउयत्ताए कम्म पकरेंति? गोयमा ! नो पाणे अइबाएत्ता, नो मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा वंदित्ता नमंसित्ता जाब प्रज्जुवासित्ता 'अण्णयरेणं मणुण्णेणं पीतिकारएणं" असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता-एवं खलु जीवा सुभदोहाउयत्ताए कम्म पकरेंति ।। रयणं, बलदेवा, बासुदेवा, वासुदेवमायरो, २. कह णं (अ, ता, म); कहि णं (क);। कह पियरो; एएसि पडिसत्त जहा समवाए नाम- ण (ब)। परिवाडीए तहा नेयध्या (अ, क, ब, स); ३. गोयमा तिहि ठाणेहिं तं (ब. स) सर्वत्र एषु प्रादर्शषु द्वयोर्वाचनयो: सम्मिश्रणं जातम् । द्रष्टव्यं-ठा० ३११७-२० । वृत्तिकृता अस्य वाचनान्तरस्य उल्लेखोपि ४. हेता (म)। कृतोस्ति, यथा--प्रथ चेह स्थाने वाचनान्तरे ५. अतिवतित्ता (अ, म)। कुलकर तीर्थकरादि वक्तव्यता रश्यते, ततश्च ६. फासु (अ, क, ता, म,स)। ७. हीलेत्ता (क, ता, ब, म)। 'संसारमंडल' शब्देन पारिभाषिकसञ्जया सेह ८. वाचनान्तरे तु अफासुएणं अपेसणिज्जेणं सुचितेति संभाव्यते (वृ)। पइण्णगसमवाय ति दृश्यते (वृ)। २१८-२४७ । ९. भ०२३० । १. भ० ११५१। १०. वाचनान्रे तु फासुएणं इत्यादि दृश्यते (१) । Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (ट्ठो उद्देसो) कयविक्कए किरिया-पदं १२८. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स केइ भंडं अवहरेज्जा, तस्स णं भंते ! 'भंडं अणुगवेसमाणस्स' किं प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? पारिगहिया' किरिया कज्जइ ? मायावत्तिया किरिया कज्जइ ? अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? मिच्छादसणवत्तिया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! प्रारंभिया किरिया कज्जइ, पारिग्गहिया किरिया कज्जइ, मायावत्तिया किरिया कज्जइ, अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ, मिच्छादसणकिरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ। अह से भंडे अभिसमण्णागए भवइ, तनो से पच्छा सव्वाओ तानो पयणुई भवंति ।। १२९. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किण माणस्स कइए' भंडं साइज्जेजा, भंडे य से अणुवणीए सिया! गाहावइस्स णं भंते ! तानो भंडासो किं नारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव' मिच्छादसणकिरिया कज्जइ ? कइयस्स वा तानो भंडाओ कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ? गोयमा ! गाहावइस्स तायो भंडाप्रो आरंभिया किरिया कज्जइ 'जाव' अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ! मिच्छादसणकिरिया' सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ । कइयस्स णं ताओ सव्वाग्रो पयणुईभवंति ।। १३०. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स' 'कइए भंडं साइज्जेजा, भंडे से उवणीए सिया। कइयस्स णं भंते ! तानो भंडानो कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादसणकिरिया कज्जइ? गाहावइस्स वा तायो भंडायो कि आरंभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादसण किरिया कज्जइ ? गोयमा ! कइयस्स तारो भंडारो हेछिल्लायो चत्तारि किरियाओ कज्जति । मिच्छादसणकिरिया भयणाए । गाहावइस्स णं तानो सव्यानो पयणुई भवंति । १. तं भंडयं गवेस (ब, म)। २. परि° (अ, स)। ३. कतिए (क, ता, ब, म, स)। ४. भ० ५।१२८ । ५. भ० ५।१२८ । ६. जाव अपच्चक्खाण मिच्छादसणवत्तिया० (अ, स); जाव मिच्छादसणवत्तिया० (क, ता, म); जाव मिच्छादसण (ब)। ७. सं० पा०-विक्किणमाणस्स जाव भंडे । 5. भ० ५५१२८ । Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१२ भगवई १३१. गाहावइस्स णं भंते ! भंड' विक्किणमाणस्स कइए भंड साइज्जेज्जा, धणे य से अणुवणीए सिया ? कइयस्स णं भंते ! ताप्रो धणाओ कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव' मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ? गाहावइस्स वा ताओ धणाओ कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ? गोयमा ! कइयस्स तानो धणाम्रो हेट्ठिल्लाप्रो चत्तारि किरियानो कज्जति । मिच्छादसणकिरिया भयणाए। गाहावइस्स णं तानो सव्वाओ पयणुईभवंति ।। १३२. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विविकणमाणस्स कइए भंडं साइज्जेजा , धणे से उवणीए सिया। गाहावइस्स णं भंते ! ताो धणाओ कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव' मिच्छादसणकिरिया कज्जइ ? कइयस्स वा ताो धणालो कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादसणकिरिया कज्जइ? गोयमा ! गाहावइस्स तानो धणाओ प्रारंभिया किरिया कज्जह जाव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जाइ । मिच्छादसणकिरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ। कइयस्स णं तानो सव्वाअो पयणुई भवंति ।। अगरिएकाए महाकम्मादि पदं १३३. अगणिकाए णं भंते ! अहुणोज्जलिए समाणे महाकम्मतराए चेव, महा किरिया तुराए चेव, महासवतराए'चेव, महावेदणतराए चेव भवड। ग्रहेणं समएसमए 'वोक्कसिज्जमाणे-वोक्कसिज्जमाणे' चरिमकालसमयंसि इंगालन्भूए मुम्मुरभूए छारियभूए', तो पच्छा अप्पकम्मतराए चेव, अप्पकिरियतराए १. सं० पा०—भंडं जाव धरणे य से अणुवरणीए ३. भ० ५११२८ । सिया? एयं पि जहा भंडे उवणीए तहा ४. अहणुज्जलिए (ता); अहुणुज्जलिए (ब)। नेयवं। ५. च्चेव (ता)। चउत्थो आलावगो-'धणे य से उवणीए ६. महस्सव (अ, ता, ब)। सिया' जहा पढमो आलावगो...'भंडे य से ७. वोयसिज्जमाणे २ वोच्छिज्जमाणे २ अणुवणीए सिया', तहा नेयत्वो। (अ.स);वोक सिज्जमारणे २ वोच्छिज्जमाणे २ पढम-चउत्थाणं एक्को गमो, बितिय-तझ्याण (ता); वोयसिज्जमाणे २ (म)। एक्को गमो। ८. छारभूए (अ)। २. भ० ५५१२८॥ Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (छट्ठो उद्देसो) चेव, अप्पासवतराए चेव, अप्पवेयणत राए चेव भवइ ? हंता गोयमा ! अगणिकाए णं अहुणोज्जलिए समाणे तं चेव ।। धणुपक्खेवे किरिया-पदं १३४. पुरिसे णं भंते ! धणुं परामुसइ, परामुसित्ता उसु परामुसइ, परामुसित्ता ठाणं' ठाइ, ठिच्चा आयतकण्णातयं उसु करेति, उड्ढं वेहासं उसु उब्विहइ। तए णं से उसू उड्ढं वेहासं उविहिए समाणे जाई तत्थ पाणाइं भूयाइं जीवाई सत्ताई अभिहणइ वत्तेति लेसेति' संधाएइ संघटृति परितावेइ किलामेइ', ठाणाओ ठाणं संकामेइ, जीवियानो ववरोवेइ ! तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे धणु परामुसइ', 'उसुं परामुसइ, ठाणं ठाइ, आयतकण्णातयं उसु करेंति, उड्ढे वेहासं उसु उब्विहइ, तावं च णं से पुरिसे काइयाए 'अहिगरणियाए, पानोसियाए, पारियावणियाए°, पाणाइवायकिरियाए--- पंचहि किरियाहिं पुढे । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहि धणू निव्वत्तिए ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहि पुट्ठा"। एवं पाहि, जोवा पंहि, हारू पंचहि, उस पंचहि--सरे, पत्तणे, फले, हारू पंचहि ॥ १३५. अहेण से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए, भारियत्ताए, गुरुसंभारियत्ताए अहे वीससाए पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाइं जाव" जीवियानो ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए जाव जीवियानो ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव' चहि किरियाहि पुढे । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहि वण निव्वत्तिए ते वि जीवा चउहि किरियाहि, धणुपट्टे६ चउहि, धणपट १. परामसइ (ब, म)। २. वेसाहं ठाणं (उ० १०२२) । ३. ० कण्णाइयं (अ, स); कण्णाययं (म, 30 १।२२) । ४. ततो (क, ता, ब, स)। ५. उतुं (स)! ६. वेहासे (ता)। ७. लेस्सेति (अ, ब, स)। ८. किलोमेह उद्दवेह (भ० ८।२८७) । है. सं० पापरामुसइ जाव उविहइ। १०. सं० पा०.-काइयाए जाव पाणाइवाय । ११. पुढे (अ, ता, व, म, स); पट्टो (क)। अत्र जीवा इति कत पदं बहुवचनान्तमस्ति तेन 'पुट्ठा' इति पदं स्वीकृतम् । १२. धणू° (अ, ता, स); धणूपिट्टे (ब)। १३. अधे (ता)। १४. भ० ५।१३४ । १५. भ० ५१३४ १६. ° पुढे (अ, म, स)। Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४ भगवई जीवा चहिं, पहारू चहि, उसू पंचहि- सरे, पत्तणे, फले, हारू पंचहि । जे वि य से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे' वद्वृति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ।। अण्णउत्थिय-पदं १३६. अण्णउत्थिया णं भंते ! एबमातिक्खंति जाव परूवति से जहानामए जुवति जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव जाव चत्तारि पंच जोयणसयाई बहुसमाइण्णे मणुयलोए' मणुस्सेहि ।। १३७. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जण्णं ते अप्णउत्थिया एवमातिवखंति जाव बहुसमाइण्णे मणुयलोए मणुस्सेहिं । जे ते एवमाहंसु , मिच्छं ते एवमासु। अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि-से जहानामए जुवति जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया , एमामेव जाव चत्तारि पंच जोयणस याई बहुसमाइण्णे निरयलोए ने रइएहिं ।। नेरइयविउव्वरणा-पदं १३८. नेरइया ण भंते ! कि एगत्तं पभू विउवित्तए ? पुहत्तं पभू विउवित्तए ? गोयमा ! एगत्तं पि पहू विउवित्तए, पुहत्तंपि पहू विधिवत्तए । जहा जीवाभिगमे आलावगो तहा नेयव्वो जावविउव्वित्ता अण्णमण्णरस कायं अभिहणमाणा-अभिहणमाणा वेयणं उदीरेंति-उज्जलं विउलं पगाढं कवकसं कड्यं फरुसं निठुरं चंडं तिव्वं दुक्खं दुग्गं दुरहियासं ॥ प्राहाकम्मादिनाहारे आराहणादि-पदं १३६. प्राहाकम्मं 'अणवज्जे' त्ति मणं पहारेत्ता भवति, से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय पडिक्कते' कालं करेइ-नस्थि तस्स आराहणा । से णं तस्स ठाणस्स पालोइय पडिक्कते कालं करेइ-अत्थि तस्स राहणा। १४०. एएणं गमेणं नेयव्वं-कीयगड", ठवियं', रइयं, कतार भत्तं 'दुभिवखभत्तं, वदलियाभत्तं", गिलाणभत्तं, सेज्जायरपिंडं, रापिड ॥ १. ओवग्गहे (अ)1 ६. जी. ३; नेरइय-उद्देसो २ । २. भ० १४२० । १०. ° लोतिय° (अ, स)। ३. मणुस्स (ता)। ११. कीयकडं (क, ब); उद्देसियं कीयकडं (ता) ४. भ० ११३६ । १२. ठवियकं (क, ता); ठवितकडं (ब)। ५. मिच्छा (अ, क, ब, म, स)। १३. रतियक (क, ब); रइयकं (ता)। ६. सं० पा०–एवमाइक्खामि जाव एवामेव । १४. °वत्तं वद्दलियावत्तं (ब)। ७. भ० ११४२१ । १५. ४ (क)। ८. पहुत्तं (ता)। Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (छट्ठो उद्देसो) २१५ १४१. श्राहाकम्म 'प्रणवज्जे' त्ति' सयमेव परिभु जित्ता भवति, से णं तस्स ठाणस्स 'प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ- नत्थि तस्स राहणा । से णं तस्स ठाणस्स __ पालोइय-पडिक्कते कालं करेइ० –अत्थि तस्स पाराहणा ॥ १४२. एयं पि तेह चेव जाव' रायपिडं ॥ १४३. प्राहाकम्म* 'प्रणवज्जे' त्ति अण्णमण्णस्स अणुप्पदावइत्ता भवइ, से णं तस्स *ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते कालं करेइ---नत्थि तस्स आराहणा। से णं तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते कालं करे ---अत्थि तस्स राहणा° ॥ १४४. एयं पि तह चेव जाव रायपिडं ।। १४५. प्राहाकम्मं णं 'अणवज्जे' त्ति बहुजणमज्झे पण्णवइत्ता भवति, से णं तस्स' 'ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ--नत्थि तस्स राहणा ! से ण तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते काल करेइ० --अस्थि तस्स राहणा ।। १४६. एवं पि तह चेव जाव रायपिंडं । पायरिय-उवझायस्स सिद्धि-पदं १४७. पायरिय- उवज्झाए णं भते ! सविसयंसि गणं अगिलाए संगिण्हमाणे, अगि लाए उवगिण्हमाणे काहिं भवग्गणे हि सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति, अत्यंगतिए दोच्चेणं भव गहणणं सिझति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमति ।। मभक्खारिणस्स कम्मबंध-पदं १४८. जे णं भंते ! परं अलिएणं असम्भूएणं अब्भक्खाणेणं अभक्खाति", तस्स कहप्पगारा कम्मा कज्जति? गोयमा ! जे णं परं अलिएणं, असंतएणं अब्भक्खाणेणं अभक्खाति, तस्स णं तहप्पगारा चेव कम्मा कज्जति । जत्थेव णं अभिसमागच्छति तत्थेवणं पडिसंवेदेति, तसो से पच्छा वेदेति ।। १४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति"। १. त्ति बहजरास्स मउझे भासित्ता (अ, स)। २. सं० पा०-ठाणस्स जाव अत्यि। ३. भ० ५१४०। ४. अहाकम्म (अ)। ५. सं. पा०–तस्स। ६. भ० ५१४० । ७. सं. पा.----तस्स जाव अत्थि । ८. भ०५।१४० । ६. भ०११४४। १०. ४ (अ)। ११. अब्भाइक्खइ (क, ता, ब)। १२. असंतवयणेणं (म, स)। १३. भ० ११५१ Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६ भगवई सत्तमो उद्देसो परमारण-खंधारणं एयरणादि-पदं १५०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! एयति वेयति' 'चलति फंदइ घट्टइ खुब्भइ उदीरइ°, तं तं भावं परिणमति ? गोयया ! सिय एयति वेयति जाव तं तं भावं परिणमति ; सिय नो एयति जाव नो तं तं भावं परिणमति ॥ १५१. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति जाव' तं तं भावं परिणमति ? गोयमा ! सिय एयति जाव तं तं भावं परिणमति । सिय नो एयति जाव नो तं तं भावं परिणमति । सिय देसे एयति, देसे नो एयति ॥ १५२. तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति ? गोयमा ! सिय एयति, सिय नो एयति । सिय देसे एयति, नो देसे एयति । सिय देसे एयति, नो देसा एयंति । सिय देसा एयंति, नो देसे एयति ।। १५३. चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति ? गोयमा ! सिय एयति, सिय नो एयति । सिय देसे एयति, नो देसे एयति । सिय देसे एयति, नो देसा एयंति । सिय देसा एयंति, नो देसे एयति । सिय देसा एयंति, नो देसा एयंति । जहा चउप्पएसियो तहा पंचपएसियो, तहा जाव अणंतपएसियो॥ परमाणु-खंधाण छदादि-पदं १५४. परमाणुपोग्गले णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा प्रोगाहेज्जा ? हंता प्रोगाहेज्जा'। से णं भंते ! तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा? गोयमा नो तिणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १५५. एवं जाव असंखेज्जपएसियो ।। १५६. अणंतपएसिए णं भंते ! खंधे असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेज्जा ? हंता प्रोगाहेज्जा। से णं भंते ! तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा ? गोयमा ! अत्थेगइए छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा, अत्थेगइए नो छिज्जेज्ज वा नो भिज्जेज्ज वा ॥ १. सं० पा०-वेयति जाव तं। २. भ० ५।१५०। ३. ओगाहिज्ज (क, ब, म, स)। Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं ( ससमो उद्देमो) १५७. परमाणुपोग्गले णं भंते ? अगणिकायस्स मज्भंमज्झेणं वीइवएज्जा ? हंता वीइवएज्जा । से णं भंते ! तत्थ झियाएज्जा ? गोमा ! नो इणट्ठे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । से णं भंते! पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्भंमज्भेण वीइवएज्जा ? हंता वीइवएज्जा | से णं भंते ! तत्थ उल्ले सिया ? गोमा ! नो इट्टे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्यं कमइ । से णं भंते ! गंगाए महाणदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ? हंता हव्वमागच्छेज्जा । से णं भंते ! तत्थ विणिहायमावज्जेज्जा ? गोयमा ! नो इणट्टे समट्टे, नो खलु तत्थ सत्यं कमइ । से णं भंते ! उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा प्रोगाहेज्जा ? हंता श्रोगाहेज्जा | से णं भंते ! तत्थ परियावज्जेज्जा ? गोमा ! नो इट्टे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥ १५८. एवं जाव प्रसंखेज्जपएसियो || १५६. प्रणतपएसिए णं भंते ! खंधे अगणिकायस्स मज्झमज्भेणं वीइवएज्जा ? हंता वीइवएज्जा | से णं भंते ! तत्थ भियाएज्जा ? गोयमा ! प्रत्येगइए क्रियाएज्जा, प्रत्येगइए नो भियाएज्जा । से णं भंते! पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्भंमज्झेणं वीइवएज्जा | हंता वीइवएज्जा | से णं भंते ! तत्थ उल्ले सिया ? गोमा ! प्रत्येगइए उल्ले सिया, प्रत्थेगइए नो उल्ले सिया । से णं भंते ! गंगाए महानईए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ? हंता हव्वमागच्छेज्जा । से णं भंते ! तत्थ विनिहाय मावज्जेज्जा ? १. सं० पा० एवं अगणिकायस्स मज्झमज्भेणं तहि नवरं क्रियाएज्ज भाणियव्वं । एवं पुक्खल संवट्टगस्स महामेहस्स मज्भमज्भेणं तहि उल्ले सिया । एवं मंगाए महासदीए २१७ पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा तहिं विरिणहायमावज्जेज्जा | उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा ओगाहेज्जा | से गं तत्थ परियावज्जेज्जा । Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१८ गोयमा ! अत्थेगइए मावज्जेज्जा | भगवई विणिहायमावज्जेज्जा, प्रत्येगइए नो विणिहाय से णं भंते ! उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा प्रोगाहेज्जा ? हंता गाज्जा | से गं भंते ! तत्थ परियावज्जेज्जा ? गोयमा ! अत्थेrइए परियावज्जेज्जा, ग्रत्थेगइए नो परियावज्जेज्जा ॥ o परमाणु - खंधाणं सग्रड्ढ समज्भादि-पदं १६०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सग्रड्ढे समज्झे सपएसे ? उदाहु ग्रणड्ढे ग्रमज्भे अपए से गोमा ! णड्ढे अमज्भे श्रपसे, नो सअड्ढे नो समझे नो सपएसे || १६१. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कि सग्रड्ढे समज्भे सपए से ? उदाहु श्रणड्ढे श्रमज्झे एसे ? गोयमा ! सप्रड्ढे अमज्झे सपएसे, नो प्रणड्ढे नो समज्झे तो अपएसे || १६२. तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा । गोमा ! गड्ढे समज्झे सपएसे, नो सग्रड्ढे नो श्रमज्झे नो अपएसे || १६३. जहा दुप्पएसियो तहा जे समा ते भाणियव्वा, जे विसमा ते जहा तिप्पएसिश्रो तहा भाणियव्वा ॥ १६४. संखेज्जपएसिए णं भंते ! खंधे कि सग्रड्ढे ? पुच्छा | गोमा ! सिय सड्ढे अमज्भे सपएसे, सिय प्रणड्ढे समज्झे सपएसे । जहा संखेज्जपएसिश्रो तहा असंखेज्जपएसियो वि, अणतपएसियो वि ॥ परमाणु-खंधारणं परोप्परं फुसरणा-पदं १६५. परमाणुपोगले णं भंते ! परमाणुपोग्गलं फुलमाणे कि १. देसेणं देस फुसइ २. देसेहिं देसे फुसइ ३. देसेणं सव्वं फुसइ ४. देसे हिंदेसे फुसइ ५. देसेहिं देसे फुसइ ६. देसेहि सव्वं फुसइ ७ सव्वेणं देस फुसइ ८. सव्वेणं देसे फुसइ . सव्वेणं सव्वं फुसइ ? १. सद्धे (ब) 1 २. उआहु (ब) । ३. (१) देशेन देशम् गोयमा ! १. नो देसेणं देतं फुसइ २. नो देसेणं देसे फुसइ ३. नो देसेणं सव्वं फुसइ ४. नो देहि देस फुसइ ५. नो देसेहिं देसे फुसइ ६. नो देसेहि सव्वं (२) देशेन देशान् (३) देशेन सर्वम् (४) देश: देशम् (५) देश: देशान् (६) देशैः सर्वम् (७) सर्वेशा देसम् । (८) सर्वेण देशान् ( ९ ) सर्वेण सर्वम् । Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (सत्तमो उद्देसो) २१६ फुसइ ७. नो सव्वेणं देसं फुसइ ८. नो सवेणं देसे फुसइ ६. सव्वेणं सव्वं फुसइ । १६६. परमाणुपोग्गले' दुप्पएसियं फुसमाणे सत्तम-णवमेहिं फुसइ ! परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं फुसमाणे निपच्छिमएहि तिहिं फुसइ। जहा परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं फुसावित्रो एवं फुसावेयव्वो जाव अणंत पएसियो॥ १६७. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे कि देसेणं देसं फुसइ ? पुच्छा । ततिय-नवमेहि फुसइ। दुप्पएसियो दुप्पएसियं फुसमाणे पढम-ततिय-सत्तम-नवमेहि फुसइ। दुप्पाए सिनो तिप्पएसियं फुसमाणे आदिल्लएहि य, पच्छिल्लएहि य तिहिं' फुसइ, मज्झिमएहिं तिहिं विपडिसेहेयव्वं । दुप्पएसियो जहा तिप्पएसियं फसादियो एवं फुसावेयवो जाव अणंतपएसियं ।। १६८. तिपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा। ततिय-छट्ठ-नवमेहि फुसइ।। तिपएसियो दुपएसियं फुसमाणे पढमएणं, ततिएणं, च उत्थ-छट्ठ-सत्तम-नवमेहि फुसह। तिपएसियो तिपएसियं फुसमाणे सव्वेसु वि ठाणेसु फुसइ। जहा तिपएसियो तिपएसियं फुसाविमो एवं तिप्पएसियो जाव अणंतपएसिएणं संजोएयव्वो। जहा तिपएसियो एवं जाव अणंतपएसिप्रो भाणियव्वो ॥ परमाणु-खंधाणं संठिइ-पदं १६६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालगो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवं जाव अणंतपएसियो॥ १७०. एगपएसोगाढे णं भंते ! पोग्गले सेए तम्मि वा ठाणे वा, अण्णम्मि वा ठाणे कालनो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं । एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे ।। १. एवं पर° (क, ता)। २. अन्त्यः । ३. X (क, ता)। ४. सेते (ता)। Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० भगवई १७१. एगपएसोगाढे णं भंते ! पोग्गले निरेए कालमो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एग समय, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवं जाव असंखेज्ज पएसोगाढे ।। १७२. एगगुणकालए णं भंते ! पोग्गले कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं । एवं जाव अणंतगुणकालए। एवं वण्ण-गंध-रस-फास जाव' अणंतगुणलुक्खे । एवं सुहुमपरिणए पोग्गले, एवं बादरपरिणए पोग्गले ॥ १७३. सद्दपरिणए णं भंते ! पोग्गले कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।। १७४. असद्दपरिणए •ण भंते ! पोग्गल कालमो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणणं एग समयं, उवकोसेणं असंखेज्ज कालं ।। परमाणु-खंधाणं अंतरकाल-पदं १७५. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ।। १७६. दुप्पएसियरस णं भंते ! खंधस्स अंतरं कालरो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं । एवं जाव अणंतपएसियो।। १७७. एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स सेयस्स अंतरं कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे॥ एगपएसोगाढस्स णं भंते । पोग्गलस्स निरेयस्स अंतरं कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा! जहण्णेणं एग समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं । एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे । वण्ण-गंध-रस-फास-सुहुमपरिणय-बायरपरिणयाणं-- एतेसि 'जं चेव" संचिट्ठणा तं चेव अंतरं पि भाणियव्वं ।। १७६. सद्दपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालरो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं एग समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं ॥ १८०. असहपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं एगं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं ।। १७८. १. प. १। २. सं० पा०-असद्दपरिगए जहा एगगुण- कालए। ३. जच्चेव (अ, क, ता, ब, म)। ४. भ०५।१७२। Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (सत्तमो उद्देसो) २२१ परमाणु-खंधाणं परोप्परं प्रप्पाबहुयत्त-पदं १८१. एयस्स णं भंते ! दवट्ठाणाउयस्स, खेत्तट्ठाणाउयस्स, प्रोगाहणट्ठाणाउयस्स, भावट्ठाणाउयस्स कयरे कयरे हितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? ' विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवे खेत्तट्ठाणाउए, ओगाहणट्ठाणाउए, असंखेज्जगुणे, दव्व ट्ठाणाउए असंखेज्ज गुणे, भावट्ठाणाउए असंखेज्जगुणे। संगहणी-गाहा खेत्तोगाहणदवे, भावट्ठाणाउयं च अप्प-बहुं । खेत्ते सव्वत्थोवे, सेसा ठाणा असंखेज्जगुणा ॥१॥ जीवाणं सारंभ सपरिग्मह-पदं १८२. नेरइया णं भंते ! कि सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु अणारंभा अपरिग्गहा? गोयमा ! नेरइया सारंभा सपरिग्गहा, नो अणारंभा अपरिग्गहा । १८३. से केण?णं' भंते ! एवं बुच्चइ- नेरइया सारंभा सपरिग्गहा, नो अणारंभा° अपरिगहा' ? गोयमा ! नेरइया णं पुढविकायं समारंभंति, ग्राउकायं समारंभंति, तेउकायं समारंभंति, वाउकायं समारंभंति, वणस्सइकायं समारंभंति तसकायं समारंभंति, सरीरा परिग्गहिया भवंति, कम्मा परिम्गहिया भवंति, सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति । से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ ..नेर इया सारंभा सपरिग्गहा, नो अणारंभा अपरिग्गहा ॥ १८४. असुरकुमारा ण भंते ! किं सारंभा ? पुच्छा। गोयमा ! असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा, नो अणारंभा अपरिग्गहा ।। १८५. से केण?णं ? गोयमा ! असुरकुमारा णं पुढविकायं समारंभंति जाव' तसकायं समारभति, सरीरा परिग्गहिया भवंति, कम्मा परिग्गहिया भवंति, भवणा परिग्गहिया भवंति, देवा देवीमो मणुस्सा मणुस्सीयो तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीप्रो परिग्गहिया भवंति, पासण-सयण-भंड-मत्तोक्गरणा परिगहिया भवंति, सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्वाइं परिगहियाइं भवंति । से तेणटेणं १. सं० पा०कयरेहितो जाब विसेसाहिया। ५. सं० पा...-तं चेव । २. सं० पा०–केरगडेरणं जाव अपरिम्गहा। ६. भ० ५.१८३ । ३. नो अपरि (ता)। ७. मिस्सियाई (ब); मीसजाई (क)। ४. सं० पा.-समारंभंति जाव तसकायं । ८. सं० पा०-तहेव । Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२२ भगवई • गोयमा ! एवं बुच्चइ - प्रसुरकुमारा सारंभा सपरिगहा, नो यणारंभा अपरिग्गहा ॥ 0 १८६. एवं जाव थणियकुमारा । एगिंदिया जहा नेरइया || १८७. बेइंदिया णं भंते ! कि सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु यणारंभा अपरिग्गहा ? तं चैव बेइंदिया णं पुढविकार्य समारंभंति जाव तसकार्य समारंभंति, सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिगहिया भवंति, वाहिरा भंड- मत्तोवगरणा परिग्गहिया भवति, 'सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्वाइं परिग्महियाई भवंति " ॥ १८८. एवं जाव' चउरिदिया || १८६. पंचिदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! किं सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु प्रणारंभा अपरिग्गहा ? तं चैव जाव' कम्मा परिग्गहिया भवंति टंका कूडा सेला सिहरी पब्भारा परिगहिया भवंति, जल-थल - बिल-गुह-लेणा परिग्गहिया भवंति, उज्झर-निज्झर चिल्लल-पल्लल' - वप्पणा परिग्गहिया भवंति, प्रगड - तडाग" - दह-नईग्रो वावी ; क्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ विलपतियाश्रो परिग्गहियाओ भवति, आरामुज्जाण" काणणा वणा वणसंडा वणराईश्रो " परिगहिया भवंति देवउल- सभ-पव- धूभ - खाइय- परिखाओ परिग्गहियाश्रो भवंति, पागार अट्टालग - चरिय-दार गोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासाद-घरसरण-लेण प्रवणा परिग्गहिया भवंति, सिंघाडग-तिग- चउक्क- चच्चर-चउम्मुहमहापह पहा परिग्गहिया भवंति, सगड - रह जाण-जुग्ग- गिल्लि - थिल्लि सीयसंदमणिया परिग्गहियाश्रो भवति, लोही-लोहकडाह - कडुच्छया परिगहिया भवंति भवणा परिग्गहिया भवति, देवा देवोश्रो मणुस्सा मणुस्सीम्रो तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणी परिग्गहिया भवंति आसण-सयण-खंभ- भंडसचित्ताचित्त-मीसयाइं दव्वाइं परिग्गहियाइं भवति । से तेणद्वेणं ॥ 1 १६०. जहा तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्सा वि भाणियव्वा । वाणमंतर - जोइसमणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्वा" | १. पू० प० २ । २. भ० ५।१८२, १८३ । ३. ४. ४० ५।१८३ । ५. बाहिरिया ( अ, क, ब, म, स ) । ६. X (अ) : ७. भ० २।१३८ । ८. भ० ५।१८३ । 8. पिल्लव ( ब ) । १०. तलाग (क, ता, ब, म) । ११. ० मुज्जारा (क, ब, स ) 1 १२. वरातीओ ( अ, ता, स) । १३. भ० ५।१८४, १८५ । Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं स ( मी उद्देसो) हेज-पदं १६१. पंच' हेऊ पण्णत्ता, तं जहा- हेउं जाणइ, हेउं पासइ, हेउं बुज्झइ, हे अभिसमागच्छइ, हेउ छउमत्थमरणं मरइ || १६२. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा- हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमत्थमरणं मरइ | १९३. पंच हेऊ पण्हत्ता, तं जहा - हेउं ण जाणड़ जाव' हे अण्णाणमरणं मरइ ॥ १९४. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा - हेउणा ण जाणइ जाव' हेउणा अण्णाणमरणं मरइ ॥ १६५. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा-प्रहेउं जाणइ जाव प्रहेउं केवलिमरणं मरइ || १६६. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा ग्रहेउणा जाणइ जाव' अहेउणा केवलिमरणं मरइ || १७. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा - ग्रहेउं न जाणइ जाव ग्रहेउं छउमत्थमरणं मरइ || १६८. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा - अहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ || १६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || अट्टमो उद्देसो नियंठिपुत्त- नारयपुत्त-पदं २०० तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव" परिसा पडिगया || २०१. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवप्रो महावीरस्स अंतेवासी नारयपुत्ते नाम अणगारे पगइभहुए जाव" विहरति । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवन महावीरस्स अंतेवासी नियंठिपुत्ते नामं श्रणगारे पगइभद्दए जाव विहरति । १. स्थानाङ्गस्य पंचमस्थाने (७५-८२) एतानि अष्टसूत्राणि क्रमभेदेन तथा किञ्चित् पाठभेदेन लभ्यन्ते । २. भ० ५ १६१ ३. भ० ५।१६१ । ४. भ० ५।१६१ । ५. भ० ५।१६१ । २२३ ६. भ० ५।१६१ । ७. भ० ५।१६१ । ८. भ० ५।१६१ ६. भ० ११५१ । १०. भ० १४८ ११. भ० १२८८ Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई तए गं से नियंठिपुत्ते अणगारे जेणामेव नारयपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता नारयपुत्तं अणगारं एवं व्यासी- सव्वपोग्गला ते अज्जो ! किं सड्ढा समझा सपएसा ? उदाहु प्रणड्ढा श्रमज्झा अपएसा ? अज्जो ! ति नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं प्रणमारं एवं वयासी- सव्वपोग्गला मे अज्जो ! सप्रड्ढा समज्झा सपएसा, नो प्रणड्ढा ग्रमज्भा अपएसा । २०२. तए णं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी - जड़ णं ते अज्जो ! सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समज्झा सपएसा, नो ग्रणड्ढा श्रमज्झा अपएसा, किं- दव्वादेसेणं ग्रज्जो ! सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समज्झा सपएसा, नो प्रणड्ढा अमझा श्रपएसा ? खेत्तादेसेणं अज्जो ! सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा श्रमज्झा अपएसा ? ० कालादेसेणं अज्जो ! सव्वमोग्गला सम्राड्ढा समज्झा सपएसा, नो प्रणड्ढा २२४ श्रमज्झा अपएसा भावादेसेणं अज्जो ! सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्भा अपएसा ? G तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वयासी- दव्वादेसेण वि मे ग्रज्जो ! सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समज्झा सपएसा, नो प्रणड्ढा अमा अपएसा, 'खेत्ता देसेण वि, कालादेसेण वि, भावादेसेण वि ॥ २०३. तए गं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं प्रणगारं एवं वयासी- जइणं श्रज्जो ! दव्वादेसेणं सव्वपोगल्ला सड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमा ग्रपएसा, एवं ते परमाणुपोग्गल्ले वि सम्राड्ढे समज्झे सपएसे, नो अणड्ढे म पसे । जइ णं अज्जो खेत्ता देसेण वि सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समज्झा सपएसा, एवं ते एगपएसो गाढे वि पोगले सड्ढे समज्भे सपए से । जइ णं श्रज्जो ! कालादेसेणं सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समज्झा सपएसा, एवं ते ए समयद्वितीए वि पोग्गले सश्रड्ढे समज्भे सपएसे" । १. सं० पा० - तह चेव । २. सं० पा० तं चेव । ३. सं० पा० – तहेव । ४. एवं खेत्तकालभावादेसेण वि नेतव्वं (ता) | ५. सपए से ३ तं चेव ( अ, क, ता, स ) । Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) २२५ जइ णं अज्जो ! भावादेसेणं सन्दपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, एवं ते एगगुणकालए वि पोग्गले सप्रड्ढे समज्झे सपएसे। अह ते एवं न भवति तो जं वयसि 'दव्वादेसेण वि सव्वपोग्गला समड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा, एवं खेत्तादेसेण वि, काला देसेण वि, भावादेसेण वि' तं णं मिच्छा ।। २०४. तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वयासी-नो खलु एवं देवाणुप्पिया ! एयमढे जाणामो-पासामो। जइ णं देवाणुप्पिया नो गिलायंति परिकहित्तए, तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म जाणित्तए । २०५. तए णं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी -दव्वादेसेण वि मे अज्जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि--अणंता । खेत्तादेसेण वि' •मे अज्जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा विप्रणंता । कालादेसेण वि मे अज्जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि-प्रणंता। भावादेसेण वि मे अज्जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि–अणंता। जे दत्रओ अपएसे से खेत्तो नियमा अपएमे, कालो सिय सपएसे सियअपएसे, भावग्रो सिय सपएस सिय अपएसे ।। जे खेत्तनो अपएसे से दव्वो सिय सपएसे सिय अपएसे, कालो भयणाए, भावग्रो भयणाए। जहा खेत्तनो एवं कालो, भावप्रो । जे दव्वरो सपएसे से खेत्तमो सिय सपएसे सिय अपएसे । एवं कालो, भावनो वि। जे खेत्तनो सपएसे से दव्वनो नियमा सपएसे, कालो भयणाए, भावनो भयणाए। जहा दव्वनो तहा कालो, भावनो वि ॥ २०६. एएसि णं भंते ! पोरगलाणं दव्वादेसेणं, खेत्तादेसेणं, कालादेसेणं, भावादेसेणं सपएसाणं अपएसाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? वहया वा? तुल्ला वा ? • बिसेसाहिया वा ? नारयपुता ! सव्वत्थोवा पोग्गला भावादेसेणं अपएसा, कालादेसेणं अपएसा असंखेज्जगुणा, दव्वादेसेणं अपएसा असंखेज्जगुणा, खेत्तादेसेणं अपएसा असंखे १. सपएसे ३ तं चेव (अ, क, ता, स)। २. एयं (अ, क, ता, ब); X (स)। ३. सं० पा० खेत्तादेसेण वि एवं चेव कालदेसेण __ वि भावादेसेरण वि एवं चेव ! ४. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २२६ ज्जगुणा, खेत्तादेसेणं चेव सपएसा असंखेज्जगुणा, दव्वादेसेणं सपएसा विसेसा हिया. कालादेसेणं सपएसा विसेसाहिया. भावादेसेणं सपएसा विसेसाहिया ।। २०७. तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नम सित्ता एयमटुं सम्मं विणएणं भज्जो-भुज्जो खामेति, खामेत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ जीवाणं-वुढि-हाणि-अवढिइ-पदं २०८. भंतेत्ति ! भगवं गोयमे समण •भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नम सित्ता एवं क्यासी-जीवा णं भंते ! कि बड्दति ? हायंति ? अवट्ठिया? गोयमा ! जीवा नो वड्ढंति, नो हायंति, अट्ठिया ।। २०६. नेरइया णं भंते ! कि वड्ढति ? हायंति ? अवट्टिया? गोयमा ! नेरइया बड्ढेति वि, हायंति वि, अवट्ठिया वि ॥ २१०. जहा नेरइया एवं जाव' वेमाणिया ।। २११. सिद्धा णं भंते ! पुच्छा। गोयमा ! सिद्धा वड्ढ़ति, नो हायंति, अवटिया वि ।। ११२. जीवा णं भंते ! केवतियं कालं अवट्रिया ? गोयमा ! सव्वद्धं ॥ २१३. नेरइया णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढेति ? गोयमा! जहण्णणं एग समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।। २१४. एवं हायंति वि।। २१५. नेरइया णं भंते ! केवतियं कालं अट्टिया ? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउवीसं मुहुत्ता ।। २१६. एवं 'सत्तसु वि" पुढवीसु 'वड्ढंति, हायंति' भाणियब्वं, नवरं-अवट्ठिएसु इम नाणतं, तं जहा - रयणप्पभाए पुढवीए अडयालीसं मुहुत्ता, सक्करप्पभाए चोद्दस राइंदिया', वालुयप्पभाए मासं, पंकप्पभाए दो मासा, धूमप्पभाए चत्तारि मासा, तमाए अट्ट मासा, तमतमाए बारस मासा ।। २१७. असुरकुमारा वि वड्ढेति, हायति जहा नेरइया । अवट्ठिया जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अट्चत्तालीसं महत्ता ।। २१८. एवं दसविहा वि ।। ------ - १. सं० पा.-.-समण जाव एवं । ५. राइंदियाई (अ, क, ब, म); राइंदिया रणं २. पू०प०२। ३. वा (अ, क, ता, स)। ६. अडतालीसं (ता)। ४. सत्त (ता)। Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) २२७ २१६. एगिदिया वड्ढेति वि, हायं ति वि अवट्ठिया वि। एएहि तिहि वि जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेशं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं ॥ २२०. बेइंदिया 'वड्ढ़ति, हायंति' तहेव, अवट्ठिया जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दो अंतोमुहुत्ता ॥ २२१. एवं जाव' चरिदिया ।। २२२. अवसेसा सब्वे 'वड्दंति, हायंति' तहेव, अवट्ठियाणं नाणत्तं इम, तं जहा--- समुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं दो अंतोमुहुत्ता, गभवक्कंतियाणं चउव्वीसं मुहुत्ता, संमुच्छिममणुस्साणं अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, गम्भ वक्कंतियमणुस्साणं चउवोसं मुहुत्ता, वाणमंतर-जोतिसिय-सोहम्मीसाणेसु अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, सणंकुमारे अट्ठारस राइंदियाइं चत्तालीस य मुहुत्ता, माहिदे चउवीसं रइंदियाइं वीस य मुहुत्ता, बंभलोए पंचचत्तालीसं राइंदियाई, लंतए नउई राइंदियाई, महासुक्के सट्टि राइंदियसयं, सहस्सारे दो राइंदियसयाई, प्राणयपाणयाणं संखेज्जा मासा, पारणच्चुयाणं संखेज्जाइं वासाइं, एवं गेवेज्जदेवाणं', विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियाणं असंखेज्जाइं वाससहस्साइं, सव्वसिद्धे पलिग्रोवमस्स संखेज्जइभागो। एवं भाणियव्वं --'बड्ढंति, हायंति जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं, अवट्टियाणं जं भणिय" ॥ २२३. सिद्धा णं भंते ! केवइयं कालं वड़ढंति ? गोयमा! जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अट्ठ समया ॥ २२४. केवइयं कालं अवट्ठिया? गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा ।। जीवाणं सोवचय-सावचयादि-पदं २२५. जीवा णं भंते ! कि सोवचया ? सावचया ? सोवचय-सावचया ? निरुवचय निरवचया? गोयमा ! जीवा नो सोवचया, नो सावचया, नो सोवचय-सावचया, निरुवचय-- निरवचया। एगिदिया ततियपदे, सेसा जीवा चउहि वि पदेहि भाणियव्वा ।। १. असंखेज्जभागं (क, ब, म) । २. बेतिदिया (अ, स)। ३. भ० २११३८ । ४. जोतिस (अ, क, स)। ५. नउयं (अ, स)। ६. सटुं (ता, ब)। ७. गेवेज्जग ° (ता)। ८. एतद् निगमनवाक्यं तेन पूर्वोक्तस्य पुनरुक्त मस्ति । ६. X (अ, क, स) : Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२० भगवई २२६. सिद्धा णं भंते ! पुच्छा। गोयमा ! सिद्धा सोवचया, नो सावचया, नो सोवचय-सावचया, निरुवचय-- निरवचया ॥ २२७. जीवाणं भंते ! केवतियं कालं निरुवचय-निरवचया ? गोयमा ! सव्वद्धं ॥ २२८. नेरइया णं भंते ! केवतियं कालं सोवचया ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभाग ।। २२६. केवतियं कालं सावचया ? एवं चेव ।। २३०. केवतियं कालं सोवचय-सावचया? एवं चेव ।। २३१. केवतियं कालं निरुवचय-निरवचया ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहत्ता । एगिदिया सव्वे सोवचय-सावचया सव्वद्धं । सेसा सव्वे सोवचया वि, सावचया वि, सोवचय-सावचया वि', जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं । अवट्टिएहि वक्कतिकालो भाणियब्बो। २३२. सिद्धा णं भंते ! केवतियं कालं सोवचया ? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अट्ठ समया ।। २३३. केवतियं कालं निरुवचय-निरवचया ? जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छ मासा ।। २३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति।। १. वि निरूवचय-निरवचया वि (क, ब, स)। २. भ० १५१ ॥ Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचम सप्त (नवमो हेसो) ९२१ नवमो उद्देसो किमिदंरायगिह-पदं २३५. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव' एवं वयासो-किमिदं भंते ! नगरं रायगिह ति पवुच्चइ ? कि पुढवी नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि पाऊ नगर रायगिहं ति पवुच्चइ' ? 'कि तेऊ वाऊ वणस्सई नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि टंका कूडा सेला सिहरी पन्भारा नगरं राहगिह ति पवुच्चइ ? कि जल-थल-विल-गुह-लेणा नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि उज्झर-निझरचिल्लल-पल्लल-वप्पिणा नगरं रायगिह ति पवुच्चइ ? कि अगड-तडाग दहनईग्रो वावी-पुक्खरिणी-दीहिया गुजालिया सरा सरपंतियानो सरसरपंतियाओ बिलपंतियानो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि पारामुज्जाण-काणणा वणा वणसंडा वणराईनो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि देवउल-सभ-पव-थूभखाइय-परिखानो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? किं पागार-अट्टालग-चरियदार-गोपुरा नगर रायगिह ति पवुच्चइ ? किं पासाद-घर-सरण-लेण-प्रावणा नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुहमहापह-पहा नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लिथिल्लि-सीय-संदमाणियानो नगरं रायगिह ति पवुच्चइ ? किं लोही-लोहकडाहकडुच्छया नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि भवणा नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? किं देवा देवीग्रो मगुस्सा मगुस्सोमो तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीसो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ? किं सयण-खंभ-भंड-सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्वाइं नगरं रायगिहं ति पव च्चइ? गोयमा ! पुढवि वि नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ जाव सचित्ताचित्त-मीसथाई दव्वाईनगरं रायगिई ति पवच्चइ। २३६. से केणट्रेणं ? गोयमा ! पुढवी जीवा इ य, अजीवा इ य नगरं रायगिह ति पवुच्चइ जाव सचित्ताचित्त-मीसयाइं दव्वाइं जीवा इ य, अजीवा इ य नगरं रायगिह ति पवुच्चइ । से तेणटेणं तं चेव ।। उज्जोय-अंधयार-पदं २३७. से नूणं भंते ! दिया उज्जोए ? राइं अंधयारे ? हंता गोयमा ! •दिया उज्जोए, राइं° अंधयारे । १. भ० ११४-१०। २. किमियं (क); किमितं (ब, म)। ३. सं. पा.-पवुच्चइ जाव वरणस्सई ? जहा एयणुद्देसए पंचिदियतिरिक्खजोरिणयारणं वत्त व्वया तहा भारिणयव्वा जाव सचित्ताचित्त । ४. सं. पा.-गोयमा जाव अंधयारे। Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३० भगवई २३८. से केणट्रेणं ? गोयमा ! दिया सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे, राई असुभा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे । से तेण?णं ।। २३६. नेरइयाणं भंते ! कि उज्जोए ? अंधयारे ? गोयमा ! नेरइयाणं नो उज्जोए, अंधयारे । २४०. से केगट्टेणं ? गोयमा ! नेरइयाणं असुभा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे । से तेणटेणं ।। २४१. असुरकुमाराणं भंते ! कि उज्जोए ? अंधयारे ? गोयमा ! असुरकुमाराणं उज्जोए, नो अंधयारे ।। २४२. से केण?णं ? गोयमा ! असुरकुमाराणं सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे । से तेणद्वेणं । जाव' थणियकुमाराणं ॥ २४३. पुढविक्काइया जाव तेइंदिया 'जहा ने रइया" ।। २४४. चउरिदियाणं भंते ! कि उज्जोए ? अंधयारे ? गोयमा ! उज्जोए वि, अंधयारे वि।। २४५. से केणद्वेणं ? गोयमा ! चरिदियाणं सुभासुभा य पोग्गला सुभासुभे य पोग्गलपरिणामे । से ते णटेणं ॥ २४६. एवं जाव' मणुस्साणं ॥ २४७. वाणमंतर-जोइस वेमाणिया जहा असुरकुमारा ।। मणुस्सखेत्ते समयादि-पद २४८. अस्थि णं भंते ! नेरइयाणं तत्थगयाणं एवं पण्णायए, तं जहा--समया इवा, प्रावलिया इ वा जाव प्रोसप्पिणी इ वा, उस्सप्पिणी इवा? णो तिण? समढे ।। २४६. से केण?ण' भंते ! एवं वुच्चइ--ने रइयाणं तत्थगयाणं नो एवं पण्णायए, तं जहा.--समया इ वा, प्रावलिया इ वा जाव" प्रोसप्पिणी इ वा, उस्सप्पिणी इवा? गोयमा ! इहं तेसि माणं, इहं तेसिं पमाणं, इह तेसि एवं पण्णायए, तं जहासमया इ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा । से तेणद्वेणं जाव नो एवं पण्णायए, तं जहा-समया इ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा ।। १. रत्ति (ता, ब, म)। ६. पू० प० २। २. जाव एवं बुच्चइ जाव (अ, क, ता, ब, म, स) ७. भ० ५।२४१, २४२ । ३. थणियाणं (क, ता, ब, म, स)। ८. ठा० २१३८७-३८६ । ४. पू० प०२। ६. सं० पा०–केरगडेरणं जाव समया। ५. नेरइया जहा (क, ता, ब, म); भ० ५।२३६, १०. ठा०२१३८७-३८६ । २४०। Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं सतं (नवमो उद्देसो) २३१ २५०. एवं जाव' पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं ॥ २५१. अत्थि णं भंते ! मणुस्साणं इहगयाणं एवं पण्णायते', तं जहा. समया इ वा जाव' उस्सप्पिणी इ वा ? हंता अस्थि ।। २५२. से केणटेणं ? गोयमा ! इहं तेसि माण, इहं तेसि पमाणं, इहं चेव तेसिं एवं पण्णायते, लं जहा--समया इ वा जाव' उस्सप्पिणी इ वा । से तेणद्वेण ।। २५३. वाणमंतर-जोइस-वेमाणियाणं जहा ने रइयाण ॥ पासावच्चिज्ज-पदं २५४. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा एवं वयासी.-से नणं भंते ! असंखेज्जे लोए अणंता राइंदिया उपज्जिसु वा, उप्पज्जति वा, उप्पज्जिस्संति वा? विर्गाच्छसुवा, विगच्छंति वा, विच्छिस्संति वा ? परित्ता राइंदिया उपज्जिसू वा, उप्पज्जति वा, उप्पज्जिस्संति वा? विच्छंसु वा, विगच्छंति वा, विगच्छिस्संति वा ? हंता अज्जो ! असंखेज्जे लोए अणता राइंदिया तं चेव ।। २५५. से केणटेणं जाव विगच्छिस्संति वा? से नूर्ण भे अज्जो! पासेणं अरहया पुरिसादाणिएणं सासए लोए बुइए-अणादीए अणवदग्गे परित्ते परिवुडे हेट्टा विच्छिण्णे, माझे संखित्ते, उप्पि विसाले, अहे पलियंकसंठिए, मझे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठिए । तेसि च णं सासयंसि लोगसि प्रणादियंसि अणवदग्गंसि परित्तंसि परिवुडंसि हेट्ठा विच्छिण्णंसि, मज्झे संखितंसि, उप्पि विसालसि, अहे पलियंकसंठियंसि, मझे बरवइरविग्गहियंसि, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठियसि अणता जीवधणा उप्पज्जित्ताउप्पज्जित्ता निलीयंति, परित्ता जीवघणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयंति । से भूए' उप्पण्ण विगएपरिणए, अजीवहिं लोक्कइ पलोक्कइ, जे लोक्कइ से लोए? हंता भगवं! से तेण?णं अज्जो ! एवं वुच्चइ-असंखेज्जे लोए अणंता राइंदिया तं चेव । १. पू०प० २। २. पण्णायति (अ, क, ब, म);पण्णायइ ता।। ३. ठा० २।३८७-३८६ । ४. ठा० २१३८७-३८६ । ५. भ० ५४२४८-२४६ । ६. विगिच्छिसु (अ, ता, म)। ७. नूणं (स)। Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३२ तप्पभिदं च णं ते पासावच्चेज्जा थेरा भगवंतो समणं भगवं महावीरं पञ्चभिजाणंति सव्वष्णू सव्वदरिसी || २५६. तए णं तं थेरा भगवंतो समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - इच्छामि णं भंते ! तुब्भं अंतिए चाउज्जामात्र धम्मा पंचमहव्वइयं पडिक्कमणं धम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए । महासू देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ २५७. तए णं ते पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो चाउज्जामाग्रो धम्मात्र पंचमहत्वइयं सपडिक्कमणं धम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरति जाव' चरिमेहि उस्सास- निस्सासेहि सिद्धा बुद्धा मुक्का परिनिब्बुडा सव्वदुक्खप्पहीणा । प्रत्येगतिया देवलोएसु' उववण्णा || देवलोय-पदं २५८. कइविहा गं भंते ! देवलोगा पण्णत्ता ? संग्रहणी - गाहा गोमा ! चउत्रिहा देवलोगा पण्णत्ता, तं जहा - भवणवासी 'वाणमंतरजोतिसिय-वेमाणियभेदेणं" । भवणवासी दसविहा, वाणमंतरा श्रट्ठविहा, जोतिसिया पंचविहा वेमाणिया दुविहा । किमिदं रायगिति य, उज्जोए अंधया र समए य । पासंतिवासिपुच्छा, रातिंदिय देवलोगा य ॥१॥ २५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्तिः ॥ भगव दसम उसो २६०. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नगरी, जहा पढमिल्लो उद्देश्रो तहा नेयव्वो एसो वि, नवरं - चंदिमा भाणियव्वा ॥ १. भ० ११४३३ ॥ २. सं० पा० - सिद्धा जाव सव्व ० । ३. देवा देवलोएसु ( अ, क, ता, व, म) 1 ४. वाणमंतरा जोइसिया वैमारिया भेदेणं ( अ, ता, म) । ५. भ० १५१ 1 ६. अस्यैव शतकस्य । Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संगहणी - गाहा छट्ठ सतं पढमो उद्देस १. वेदण २. ग्राहार ३. महस्सवे य ४. सपदेश ५ तमुए ६. भविए । ७. साली ८. पुढवी ह. 'कम्म १०. अण्णउत्थि दस छट्टगम्मि सए ||१|| सत्यनिज्जराए सेयत्त-पदं १. से नूणं भंते! जे महावेदणे से महानिज्जरे ? जे महानिज्जरे से महावेदणे ? महावेदस्य पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जराए ? 'हंता गोयमा ! जे महावेदणे से महानिज्जरे, जे महानिज्जरे से महावेदणे, महावेदणस्स व पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जराए || २. छट्ट-सत्तमासु णं भंते ! पुढवीसु नेरइया महावेदणा ? हंता महावेदणा ॥ ३. ते णं भंते ! समणेहितो निग्गथेहितो महानिज्जरतरा ? गोमा ! तो इट्टे समठ्ठे || ४. से केणं खाइ प्रद्वेण भंते ! एवं वुच्चइ - जे महावेदणे' से महानिज्जरे ? जे महानिज्जरे से महावेदणे ? महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे० पसत्थनिज्जराए ? १. तमुवाए ( क्व० ) । २. कम्मण्णउत्थि (क, ता, ब, म) । गोयमा ! से जहानामए दुवे वत्था सिया - एगे वत्थे कद्दमरागरत्ते, एगे वत्थे खंजणरागरते । एएसि णं गोयमा ! दोण्हं वत्थाणं कयरे वत्थे दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुपरिकम्मतराए चेव; कयरे वा वत्थे सुद्धोयतराए चेव, ३. सं० पा० एवं चेव । ४. सं० पा० – महावेदले जाव पसत्थनिज्जराए २३३ Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३४ भगवई सुवामतराए चेव, सुपरिकम्मतराए चेव; जे वा से वन्ये कद्दम रागरते ? जे वा से वत्थे खंजणरागरते ? भगवं ! तत्थ णं जे से कद्दम रागरत्ते, से णं वत्थे दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुप्परिकम्मत राए चेव, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माइं गाढीकयाई, चिक्कणीकयाई', सिलिट्ठीकयाई, खिलीभूताई भवति । संपगाढं पिय णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिज्जरा, नो महापज्जवसाणा भवंति । से जहा वा केइ पुरिसे अहिगणि पाउडेमाणे मया-मया सद्देणं, महया-महया घोसेणं, महया-महया परंपराघाएणं नो संचाएइ तीसे अहिगरणीए केइ अहावायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माई गाढीकयाई, चिक्कणीकयाई, सिलिट्ठीकयाई, खिलोभूताई भवति । संपगाढं पि य णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिज्जरा, नो महापज्जवसाणा भवंति । भगवं ! तत्थ जे से खंजण रागरत्ते, से णं वत्ये सुद्धोयत राए चेव, सुवामतराए चेव, सुपरिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माई सिढिलीकयाई, निद्वियाई कयाई, विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धस्थाई भवंति। जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवंति । से जहानामए केइ पुरिसे सुक्क तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा, से नणं गोयमा! से मुबके तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति ? हंता मसमसाविज्जति । एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माइं", "सिढिलीकयाई, निद्रियाई कयाई, विप्परिणामियाइं खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति । जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा,° महापज्जवसाणा भवंति। से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदबिंदु२ •पक्खिवेज्जा, से नणं गोयमा! से उदगबिंदु तत्तंसि अयकवल्लसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धसमागच्छइ ? हंता विद्धंसमागच्छइ। १. से वत्थे (क, ब, म)। २. भंते (ब, म)। ३. X (अ)। ४. सिढिलोकयाई (म, स)। ५. खिलीकयाई (अ, स)। ६. आकोडेमाणे (अ, क, ता, ब, म, स)। ७. सं० पा०--गाढीकयाइं जाव नो। ८. सागाई (अ, स)। ६. से वत्थे (अ, क, ता, ब, म, स)। १०. कडाइं (अ, क, ता, ब, म, स)। ११. सं० पा०---कम्माइं जाव महा° । १२. सं० पा०-उदगबिदूं जाव हता। Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३५ छटुं सतं (पढमो उद्देसो) एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं' 'अहाबायराई कम्माई, सिढिलीकयाई, निट्टियाइं कयाई, विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति। जावतियं तावतियं पि णं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवंति । से तेणद्वेणं जे महावेदणे से महानिज्जरे •जे महानिज्जरे से महावेदणे, महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थ निज्जराए ।। करण-पद ५. कतिविहे णं भंते ! करणे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउम्विहे करणे पण्णत्ते, तं जहा--मणकरणे, वइकरणे, कायकरणे कम्मकरणे ॥ ६. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे करणे पणते ? गोयमा ! चउब्धिहे पण्णत्ते, तं जहा - मणकरणे, वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे ।। ७. एवं पंचिदियाणं सव्वेसि चउविहे करणे पण्णत्ते । एगिदियाणं दुविहे—कायकरणे य, कम्मकरणे य । विलिदियाणं तिविहे. वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे। नेरइयाणं भंते ! कि करणो असायं वेदणं वेदेति ? प्रकरणो असायं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! नेरइया णं करणो असायं वेदणं वेदेति, नो प्रकरणम्रो असायं वेदणं वेदेति॥ ६. से केणट्रेणं ? गोयमा ! नेरइया णं चउविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा----मणकरणे वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे । इच्चेएणं चउव्विहेणं असुभेणं करणेणं नेरइया करणो अस्सायं वेदणं वेदेति, नो अकरणो । से तेणटेणं ।। १०. असुरकुमारा णं किं करणो ? अकरणो? गोयमा ! करणनो, नो अकरणो ॥ ११. से केण?णं ? गोयमा ! असुरकुमाराणं चउन्विहे करणे पण्णत्ते, तं जहा-- मणकरणे, वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे। इच्चेएणं सुभेणं करणेणं असुर कुमारा करणो सातं वेदणं वेदेति, नो अकरणो ।। १२. एवं जाव' थणियकुमारा॥ १. सं० पा०-निग्गंथाणं जाव महा ! २. सं० पा०-महानिज्जरे जाव निज्जराए। ३. पू० प० २। Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १११ १३. पुढवीकाइयाणं एवामेव पुच्छा, नवरं-इच्चएणं सुभासुभेणं' करणेणं पुढविक्का इया करणनो वेमायाए वेदणं वेदेति, नो अकरणो ।। १४. ओरालियसरीरा सव्वे सुभासुभेण वेमायाए । देवा सुभेणं सायं ।। महावेदणा-महानिज्जरा-चउभंग-पदं १५. जीवा गं भंते ! कि महावेदणा महानिज्जरा ? महावेदणा अप्पनिज्जरा ? अप्पवेदणा महानिज्जरा ? अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ? गोयमा ! अत्थेगतिया जीवा महावेदणा महानिज्जरा, अत्थेगतिया जीवा महावेदणा अप्पनिज्जरा, अत्थेगतिया जीवा अप्पवेदणा महानिज्जरा, अत्थेगतिया जीवा अप्पवेदणा अप्पनिजरा ।। १६. से केणटेणं? गोयमा ! पडिमापडिवन्नए अणगारे महावेदणे महानिज्जरे। छट्ठ-सत्तमासु पुढवीसु नेरइया महावेदणा अप्पनिज्जरा। सेलेसि पडिवन्नए अणगारे अप्पवेदणे महानिज्जरे । अणुत्तरोववाइया देवा अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ।। १७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। संगहणी-गाहा महावेदणे य वत्थे, कद्दम-खंजणकए य अहिगरणी। तणहत्थे य कवल्ले, करण-महावेदणा जीवा" ॥१॥ १. असुभेरणं (म)। ४. भ० १०५१ । २. विविधमात्रया कदाचित् साताम्, कदाचित् ५. अतोने 'सेवं भंते ! सेवं भते ! त्ति' पाठ: ___ असातामित्यर्थः (वृ)। सर्वेषु आदर्शषु अस्ति, किन्तु संग्रहणी-गाथाया ३. सत्तमीसु (क, ता, ब, म)। अनंतरं अस्य कि प्रयोजनं न ज्ञायते । Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३७ छुटुं सतं (सइओ उद्देसो) बीभो उद्देसो १८. रायगिहं नगरं जाव' एवं वयासी—ाहारुद्देसनो जो पण्णवणाए' सो सम्वो निरवसेसो नेयव्वो ॥ १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ! तइनो उद्देसो संगहणी-गाहा १. बहुकम्म २. वत्थपोग्गल-पयोगसा-वीससा य ३. सादीए। ४. कम्मट्ठिति ५. त्थि ६. संजय ७. सम्मदिट्ठी य ८. सन्नी य ।।१।। ६.भविए १०.दसण ११. पज्जत्त १२.भासय १३. परित्ते १४.नाण १५. जोगेय । १६, १७. उवओगाहारग १८, सुहुम १६. चरिमबंधे य २०. अप्पबहुं ।।२।। महाकम्मादीण पोग्गलबंधादि-पदं २०. से नूर्ण भंते ! 'महाकम्मस्स, महाकिरियस्स, महासवस्स", 'महावेदणस्स सव्वानो पोग्गला बझंति, सव्वो पोरगला चिज्जति, सव्वप्रो पोग्गला उवचिजति ; सया समियं पोग्गला बझंति, सया समियं पोग्गला चिज्जति, सया समियं पोग्गला उवचिज्जति ; सया समियं च णं तस्स पाया दुरूवत्ताए दुवण्णत्ताए दुगंधत्ताए दुरसत्ताए दुफासत्ताए, अणि?त्ताए अकंतत्ताए अप्पियत्ताए असुभत्ताए अमणुण्णत्ताए अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए-नो उड्ढत्ताए, दुक्खत्ताए–नो सुहत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ? हंता गोयमा ! महाकम्मस्स तं चेव ।।। २१. से केणटेणं ? गोयमा ! से जहानामए वत्थस्स अयस्स वा, धोयस्स वा, तंतुम्गयस्स वा आणुपुवीए परिभुज्जमाणस्स सव्वप्रो पोग्गला बज्झति, सव्वग्रो पोग्गला चिज्जति जाव' परिणमंति से तेणद्वेणं ।। १. भ० १२४-१०। २. प० २८ । ३. भ० १५५१ ४. महस्सवस्स (ता, म)। ५. महाकम्मस्स महासवस्स महाकिरियरस (अ); महासवरस, महाकम्मस्स महाकिरियस्स (क, ता, म, स)। ६. भ०६।२०। Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३८ भगवई अप्पकम्मादोणं पोग्गलभेदादि-पदं २२. से नणं भंते ! अप्पकम्मस्स, अप्पकिरियस्स, अप्पासवस्स, अप्पवेदणस्स सव्वग्रो पोग्गला भिज्जति, सव्वनो पोग्गला छिज्जति, सव्वनो पोग्गला विद्धंसंति, सब्वनो पोग्गला परिविद्धंसंति; सया समियं पोग्गला भिज्जंति, सया समियं पोग्गला छिज्जंति, सया समियं पोग्गला विद्धंस्संति, सया समियं पोग्गला परिविद्धस्संति; सया समियं च णं तस्स पाया सुरूवत्ताए' 'सुवण्णत्ताए सुगंधताए सुरसत्ताए सुफासत्ताए इट्टत्ताए कंतताए पियत्ताए सुभत्ताए मणुण्णत्ताए मणामत्ताए इच्छियत्ताए अणभिझियत्ताए उड्ढत्ताए - नो अहत्ताए°, सुहत्ताए -नो दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ? हंता गोयमा ! जाव परिणमंति ।। २३. से केणदेणं ? गोयमा ! से जहानामए वत्थस्स जल्लियस्स बा, पंकियस्स वा, मइल्लियस्स बा, रइल्लियस्स' वा आणुपुवीए परिकम्मिज्जमाणस्स सुद्धणं वारिणा धोव्वेमाणस्स' सम्वनो पोग्गला भिज्जंति जाव परिणमंति। से तेण?णं ॥ कम्मोवचय-पदं २४. वत्थस्स णं भंते ! पोग्गलोवचए कि पयोगसा ? वीससा ? गोयमा ! पयोगसा वि, वीससा वि ।। २५. जहा णं भंते ! वत्थस्स णं पोग्गलोवचए पयोगसा वि, वीससा वि, तहाणं 'जीवाणं कम्मोवचए कि पयोगसा ? वीससा ? गोयमा ! पयोगसा', नो वीससा ।। से केणद्वेणं ? गोयमा ! जीवाणं तिविहे पयोगे पण्णत्ते, तं जहा-मणप्पयोगे, वइप्पयोगे, कायप्पयोगे। इच्चेए तिबिहेणं पयोगेणं जीवाणं कम्मोवचए पयोगसा, नो वीससा। एवं सम्वेसि पंचिदियाणं तिविहे पयोगे भाणियन्वे । पुढवीकाइयाणं एगविहेणं पयोगेणं, एवं जाव' वणस्सइकाइयाणं । विगलिंदियाणं दुविहे पयोगे पण्णत्ते, तं जहा- वइपयोगे, कायपयोगे य । २६ १. सं. पा.-पसस्थं नेयव्वं जाव सुहत्ताए। २. रतिल्लियस्स (ब, म, स)। ३. धोव्व° (अ, क, ब, म)। ४. भ०६।२२। ५. भंते ! जीवरस पुग्गलोवचए (ब)। ६. पओगसा (स)। ७. भ० ११४३७ । ८, वय° (क, ब, म, स)। Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छुटुं सतं (तइओ उद्देसो) २३६ इच्चेएणं दुविहेणं पयोगेणं कम्मोवचए पयोगसा, नो वीससा । से तेणद्वेणं' *गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवाणं कम्मोवचए पयोगसा, नो वीससा । 'एवं जस्स जो पयोगो जाव वेमाणियाणं" ।। कम्मोवचयस्स सादि-अनादित्त-पदं २७. वत्थस्स णं भंते ! पोग्गलोवचए कि सादोए सपज्जवसिए ? सादीए अपज्जव सिए ? अणादीए सपज्जवसिए ? अणादीए अपज्जवसिए ? गोयमा ! वत्थस्स णं पोग्गलोवचए सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए अपज्जव सिए, नो अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए ।। २८. जहा णं भंते ! वत्थस्स पोग्गलोवचए. सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए अपज्जवसिए, नो अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए, तहा णं जीवाणं कम्मोवचए पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतियाणं जीवाणं कम्मोवचए सादीए सपज्जवसिए, अत्थेगतियाणं अणादीए सपज्जवसिए, अत्थेगतियाणं अणादीए अपज्जवसिए, नो चेव णं जीवाणं कम्मोवचए सादीए अपज्जवसिए॥ २६. से केणद्वेणं ? गोयमा ! इरियावहियबंधयस्स कम्मोवचए सादीए सपज्जवसिए, भवसिद्धियस्स कम्मोवचए अणादीए सपज्जवसिए, अभवसिद्धियस्स कम्मो वचए अणादीए अपज्जवसिए । से तेण?णं ।। जीवाणं सादि-अनादित्त-पदं ३०. वत्थे णं भंते ! कि सादीए सपज्जवसिए-चउभंगो ? गोयमा ! वत्थे सादीए सपज्जवसिए, अवसेसा 'तिणि वि" पडिसेहेयव्वा ।। ३१. जहा णं भंते ! वत्थे सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए अपज्जवसिए, नो अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए, तहा णं जीवा किं सादीया सपज्जवसिया? चउभंगो-पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिया सादीया सपज्जवसिया-चत्तारि वि भाणियन्वा ।। ३२. से केणट्टेणं ? गोयमा ! नेरतिय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवा गतिरागति पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, सिद्धा गति पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, भवसिद्धिया लद्धि पडुच्च अणादीया सपज्जवसिया, अभवसिद्धिया संसारं पडुच्च प्रणादीया अपज्जवसिया। से तेण?णं ।। १. सं० पा०-तेगदेणं जाव नो। २. एतद् द्विरुक्तमिव आभाति । ३. रिया (अ, ता, ब, म)। ४. x (अ); तिण्णि (क, ता, ब, म) । Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० भगवई कम्मपगडीबंध विवेयण-पदं ३३. कति णं भंते ! कम्मप्पगडीओ पण्णतायो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ, तं, जहा-१. नाणावरणिज्जं २. दरिसणावरणिज्ज' •३. वेदणिज्ज ४. मोहणिज्ज ५. पाउगं ६. नाम ७. गोयं ८. अंतराइयं ।। ३४. नाणावरणिज्जस्स गं भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं बंधट्टिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिण्णि य वाससहस्साई अबाहा, प्रबाहूणिया कम्मद्विती--कम्मनिसेप्रो। "दरिसणावरणिज्जं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीग्रो, तिण्णि य वाससहस्साई अवाहा, अबाहूणिया कम्महिती-कम्मनिसेओ० । वेदणिज्जं जहण्णेणं दो समया, उक्कोसेणं' तीसं सागरोवमकोडाकोडीयो, तिण्णि य वाससहस्साइं प्रबाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती-कम्मनिसेनो' । मोहणिज्जं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीनो, सत्त य वाससहस्साणि अबाहा, अवाहणिया कम्मटिती-कम्मनिसेग्रो।। पाउगं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाणि पुवकोडितिभागमब्भहियाणि, कम्मट्टिती-कम्मनिसेओ। नाम-गोयाणं जहणेणं अट्ठ मुहुत्ता, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीयो, दोण्णि य वाससहस्साणि प्रवाहा, अवाहूणिया कम्मट्टिती--कम्मनिसेप्रो । अंतराइयं 'जहणणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीग्रो, तिण्णि य वाससहस्साइं अबाहा, अवाहूणिया कम्मट्टितो~-कम्मनिसेप्रो० ॥ ३५. नाणावरणिज्ज" णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? नपुंसनो बंधइ ? नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसनो बंधइ ? गोयमा ! इत्थी वि बंधइ, पुरिसो वि बंधइ, नपुंसो वि बंधइ । नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसश्रो सिय बंधइ सिय नो बंधइ । एवं आउगवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीओ।। ३६. प्रागंणं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ ? पुरिसो वंधइ ? नपुंसनो बंधइ ? 'नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसओ बंधइ ?'५ । १. दंसणा (ब); सं० पा०-दरिसरणावररिण- ४. सं० पा०--जहा नाणावरणिज्जं । ज्ज जाव अंतराइयं । ५. नाणावरणिज्जे (म, स)। २. सं० पा०-एवं दरिसरणावरणिज्ज पि । ६. पुच्छा (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा०--जहा नारणावरगिज्ज । Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (तइओ उद्देसो) २४१ गोयमा ! इत्थी सिय बंधइ, सिय नो बंधइ ।' पुरिसो सिय बंधइ, सिय नो बंधइ । नपुंसनो सिय बंधइ, सिय नो बंधइ ।' नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसमो न बंधइ।। नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्म कि संजाए बंधइ ? अस्संजए बंधइ ? संजयासंजए बंधइ ? नोसंजए नोअसंजए नोसंजयासंजए बंधइ ? गोयमा ! संजए सिय बंधइ, सिय नो वंधइ । अस्संजए बंधइ, संजयासंजए वि बंधइ । नोसंजए नोअस्संजए नो संजयासंजए न बंधइ । एवं पाउगवज्जायो सत्त वि । प्राउगे हेट्ठिल्ला तिण्णि भयणाए, उवरिल्ले न बंधइ ।। ३८. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं किं सम्मदिट्ठी बंधइ ? मिच्छदिट्ठी' बंधइ ? सम्मामिच्छदिट्ठी बंधइ ? गोयमा ! सम्मदिट्ठी सिय बंधइ, सिय नो बंधइ । मिच्छदिट्ठी बंधइ, सम्मामिच्छदिट्ठी बंधइ। एवं आउगवज्जानो सत्त वि । पाउगे हेछिल्ला दो भयणाए, सम्मामिच्छदिट्ठी न बंधइ ॥ ३९.. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं कि सण्णी बंधइ ? असण्णी बंधइ? नोसण्णी नोअसण्णी बंधइ ? गोयमा ! सण्णो सिय बंधइ, सिय नो बंधइ । असण्णी बंधइ। नोसण्णी नोअसण्णी न बंधइ ! एवं वेदणिज्जाउगवज्जायो छ कम्मप्पगडीप्रो। वेदणिज्जं हेडिल्ला दो बंधंति, उरिल्ले भयणाए । आउगं हेडिल्ला दो भयणाए, उवरिल्ले न बंधइ ।। ४०. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं किं भवसिद्धिए बंधइ ? अभवसिद्धिए बंधइ ? नोभवसिद्धिए नोप्रभवसिद्धिए बंधइ ? गोयमा ! भवसिद्धिए भयणाए, अभवसिद्धिए बंधइ । नोभवसिद्धिए नोअभवसिद्धिए न बंधई। एवं आउगवज्जायो सत्त वि । आउगं हेद्विल्ला दो भयणाए। उवरिल्ले न बंधइ।। ४१. नाणावरणिज्जणं भंते ! कम्मं कि चक्खुदंसणी बंधइ ? अचक्खुदंसणी बंधइ ? प्रोहिदसणी बंधइ ? केवलदसणी बंधइ ? गोयमा ! हेदुिल्ला तिण्णि भयणाए, उरिल्ले न बंधइ । एवं वेदणिज्जवज्जाओ सत्त वि! वेदणिज्ज हेट्ठिल्ला तिण्णि बंधति, केवल दसणी भयणाए॥ १. सं० पा०–एवं तिणि वि भारिणयवा। २. मिच्छा ° (क) । Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२ भगवई ४२. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं कि पज्जत्तए बंधइ ? अपज्जत्तए बंधइ ? नोपज्जत्तए नोअपज्जत्तए बंधइ? गोयमा ! पज्जत्तए भयणाए, अपज्जत्तए बंधइ। नोपज्जत्तए नोअपज्जत्तए न बंधइ। एवं आउगवज्जायो सत्त वि । आउगं हेट्ठिल्ला दो भयगाए, उरिल्ले न बंधइ। ४३. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं किं भासए बंधइ ? अभासए बंधइ ? गोयमा ! दो वि भयणाए। एवं वेदणिज्जवज्जाओ सत्त वि । वेदणिज्जं भासए बंधइ, अभासए भयगाए ।। ४४. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं कि परित्ते बंधइ ? अपरित्ते बंधइ ? नोपरित्ते नोअपरित्ते बंधइ ? गोयमा ! परित्ते भयणाए, अपरित्ते बंधइ। नोपरित्ते नोअपरित्ते न बंधइ । एवं प्राउगवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीयो । आउयं परित्ते वि, अपरित्तं वि भयणाए, नोपरित्ते नोअपरित्तन बंधइ॥ ४५. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं कि प्राभिणिबोहियनाणी बंधइ ? सुयनाणो बंधइ ? अोहिनाणी बंधइ ? मणपज्जवनाणी बंधइ ? केबलनाणी बंधइ ? गोयमा ! हेट्ठिल्ला चत्तारि भयणाए। केवलनाणी न बंधइ । एवं वेदणिज्जवज्जाम्रो सत्त वि । वेदणिज्जं हेट्रिल्ला चत्तारि बंधंति. केवल नाणी भयणाए। ४६. नाणावरणिज्ज ण भंते ! कम्मं कि मइअण्णाणी बंधइ ? सुयअण्णाणी बंधइ ? विभंगनाणी बंधइ? गोयमा ! आउगवज्जानो सत्तवि बंधंति, अाउगं भयणाए ।। ४७. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं कि मणजोगी वंधइ ? वइजोगी बंधइ ? कायजोगी बंधइ ? अजोगी बंधइ ? गोयमा ! हेटिल्ला तिणि भयणाए, अजोगी न बंधइ। एवं वेदणिज्जवज्जानो सत्त वि । वेदणिज्ज हेट्टिल्ला बंधति, अजोगी न बंधइ ।। ४८. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं कि सागारोवउत्ते' बंधइ ? अणागारोवउत्ते बंधइ ? गोयमा ! अट्ठसु वि भयणाए । ४६. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं कि आहारए बंधइ ? अणाहारए बंधइ ? गोयमा! दो वि भयणाए । एवं वेदणिज्जाउगवज्जाणं छण्हं । वेदणिज्जं आहारए बंधइ, अणाहारए भय णाए। पाउए आहारए भयणाए, अणाहारए न बंधइ ।। १. आउए (अ, ब, स)। ३. सागारोक्युत्ते (अ, स)। २. वय (म, स)। Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (चउत्थो उद्देसो) २४३ ५०. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं किं सुहुमे बंधइ ? बादरे बंधइ ? नोसुहुमे नोबादरे बंधइ ? गोयमा ! सुहमे बंधइ, बादरे भयणाए । नोसुहुमे नोबादरे न बंधइ । एवं आउगवज्जानो सत्त वि । आउगं सुहमे वादरे भयणाए । नोसुहमे नोबादरे न बंधइ ।। ५१. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्म कि चरिमे बंधइ ? अचरिमे बंधइ ? गोयमा ! अट्ठ वि भयणाए । वेदगावेदगाण जीवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं ५२. एएसि णं भंते ! जीवाणं इत्थोवेदगाणं पुरिसवेदगाणं, नपुंसगवेदगाणं, अवेदगाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा? ० गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पुरिसवेदगा, इत्थिवेदगा संखेज्जगुणा, अवेदगा अणंतगुणा, नपुंसगवेदगा अणंतगुणा। एएसि सव्वेसि पदाणं' अप्प-बहुगाई उच्चारेयव्वाइं जाव' सव्वत्थोवा जीवा प्रचरिमा, चरिमा अणंतगुणा ।। ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। चउत्थो उद्देसो कालादेसेणं सपदेस-अपदेस-पदं ५४. जीवे णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसे ? अपदेसे ? गोयमा ! नियमा सपदेसे ।। ५५. नेरइए णं भंते ! कालादेसेणं कि सपदेसे ? अपदेसे ? गोयमा! सिय सपदेसे, सिय अपदेसे ।। ५६. एवं जाब सिद्धे ।। ५७. जीवा णं भंते ! कालादेसेणं कि सपदेसा? अपदेसा? गोयमा! नियमा सपदेसा॥ १. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. भ० ६।३७-५१ । ३. प. ३ । ४. भ०११५१ । ५. पू०प० २। Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४४ ५८. नेरइया णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा ? अपदेसा ? गोमा ! १. सव्वे वि ताव होज्जा सपदेसा २. हवा सपदेसा य अपदेसे य ३. हवा सपदेसा य अपदेसाय || ५६. एवं जाव' थणियकुमारा || ६०. पुढविकाइया णं भंते ! कि सपदेसा ? अपदेसा ? गोयमा ! सपदेसा वि, अपदेसा वि || ६१. एवं जाव वणप्फइकाइया ॥ ६२. सेसा जहा नेरइया तहा जाव सिद्धा || ६३. आहारगाणं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो । प्रणाहारगाणं जीवेगिदियवज्जा' छभंगा एवं भाणियव्वा - १. सपदेसा वा २ अपदेसा वा ३ अहवा सपदेसे य अपदेसे य४. हवा सपदेसे य अपदेसा य ५. ग्रहवा सपदेसा य अपदेसे य ६. अहवा सपदेसाय अपदेसा य | सिद्धेहि तियभंगो । भवसिद्धिया, अभवसिद्धिया जहा प्रोहिया। नोभवसिद्धिय नो भव सिद्धियजीव- सिद्धेहिं तियभंगो । सणीहिं जीवादितियभंगो। असण्णीहि एगिदियवज्जो तियभंगो । नेरइयदेवमणुएहि छन्भंगो । नोसणि-नोश्रसण्णि जीव- मणुय- सिद्धेहिं तियभंगो । ससा जहा ओहिया । कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा जहा ग्राहारस्रो, नवरं -- जस्स प्रत्थि एयाओ । तेउलेस्साए जीवादियो तियभंगो, नवरंपुढविक्काइए, आउवणप्फतीसु छन्भंगा । पम्हलेस्स - सुक्कलेस्साए जीवादिश्रो तियभंग | असेहि जीव- सिद्धेहिं तियभंगो । मणुएसु छन्भंगा । सम्मट्ठीहि जीवादियो तियभंगो। विगलिदिएसु छन्भंगा | मिच्छदिट्ठीहि एगिदियवज्जो तियभंगो । सम्मामिच्छदिट्ठीहि छभंगा। संजएहि जीवादिश्रो तिथभंगो | अस्संजएहिं एगिदियवज्जो तियभंगो। संजया संजएहि तियभंगो जीवादि । नोसंजय-नोश्रसंजय-नोसंजयासंजय जीव- सिद्धेहिं तियभंगो | सकसाईहि जीवादिओ तियभंगो । एगिदिए अभंगकं । कोहकसाईहि जीवे - गिदियवज्जो तियभंगो | देवेहिं छब्भंगा | माणकसाई मायाकसाईहिं जीवेगि १. पृ० प०२ 1 २. पू० १०२ । ३. वरणस्स ० ( क ) 1 ४. भ० ६।५५, ५८ । ५. पू० प० २ । ६. जीवपदे एकेन्द्रियपदे च सपएसा य अप्पएसा भगवई य इत्येवंरूप एक एव भंगकः, बहूनां विग्रहगत्यापन्नानां सप्रदेशानामप्रदेशानां च लाभात् (वृ) । ७. भ० ६।५४, ५७ ८. असंजएहिं ( कम ) C. सकसादीहि (ता) । Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ सतं (उत्थो उद्देसो) दियवज्जो तियभंगो | नेरइय-देवेहिं छब्भंगा । लोभकसाईहिं जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो | नेरइएसु छब्भंगा कसाई जीव- मणुएहि, सिद्धेहि तियभंगो । हिना आभिणिवोहियनाणे, सुयनाणे जीवादियो तियभंगो । विगलिदिएहिं छ०भंगा। ओहिनाणे 'मणपज्जवनाणे केवलनाणे" जीवादिश्रो तियभंगो । हिए अण्णाणे, मण्णाणे, सुयण्णाणे, एगिदियवज्जो तियभंगो । विभंगनाणे जीवादिनो तियभंगो । सजोगी जहा ओहिओ, मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी जीवादियो तियभंगो, नवरं -- कायजोगी एगिदिया, तेसु प्रभंगयं । अजोगी जहा अलेस्सा | सागारोवउत्त-प्रणागारोवउत्तेहिं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो । सवेदगा जहा सकसाई । इत्थिवेदग - पुरिसवेदग नपुंसगवेदगेसु जीवादिनो तियभंगो, नवरं - -नपुंसगवेदे एगिदिएसु प्रभंगयं । वेदगा जहा कसाई | ससरीरी जहा ओहियो । ओरालिय- वेउब्वियसरीराणं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो | प्रहारगसरीरे जीव- मणुएसु छब्भंगा, तेयग-कम्मगाई जहा ओहिया । सरीरेहिं जीव - सिद्धेहि तियभंगो । संगही - गाहा आहारपज्जत्तीए, सरीरपज्जत्तीए, इंदियपज्जत्तीए, आणापाणपज्जत्तीए' जीवेगिदियवज्जो तियभंगो, भासा - मणपज्जत्तीए जहा सण्णी । श्राहार-अपज्जतीए जहा ग्रणाहारगा, सरीर अपज्जत्तीए, इंदिय-प्रपज्जत्तीए, आणापाणपज्जत्तीए जीवेगिदियवज्जो तियभंगो, नेरइय देव मणुएहि छन्भंगा, भासामणप्रपज्जत्तीए जीवादिश्रो तियभंगो, नेरइय-देव- मणुएहि छब्भंगा | २४५ सपदेसाहारग-भविय-सण्णि-लेसा - दिट्टि संजय कसाए । नाणे जोगुवोगे, वेदे य सरीर-पज्जत्ती ॥१॥ पक्चक्खाणादि पर्द ६४. जीवा णं भंते! किं पच्चक्खाणी ? प्रपञ्चक्खाणी ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणी ? गोयमा ? जीवा पच्छक्खाणी वि, ग्रपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी वि ॥ १. मणकेवलना ( अ, क, ता, म, स) । २. सजोति (ता) | ३. अभंगगं (ता) | ४. कम्माई ( अ, ता, म ); कम्मगाणं ( स ) | ५. आरपार (क, ता, ब, म) 1 ६. भास ( अ, क, ता, ब ) | Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ ६५. सव्वजीवाणं एवं पुच्छा । गोयमा ! नेरइया अपच्चक्खाणी जाव' चउरिदिया [सेसा दो पडिसेहेयव्वा' ] । पंचिदियतिरिक्खजोणिया नो पच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणापचक्खाणी वि । मणूसा तिष्णि वि । सेसा जहा ने रइया ॥ ६६. जीवा णं भंते ! किं पच्चवखाणं जाणंति ? अपच्चक्खाणं जाणंति ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणं जाणंति ? गोयमा ! जे पंचिदिया ते तिणि वि जाणंति, अवसेसा 'पच्चक्खाणं न जाणंति", ग्रपच्चवखाणं न जाणंति, पच्चक्खाणापच्चक्खाणं न जाणंति ॥ ६७. जीवा णं भंते ! किं पच्चक्खाणं कुव्वंति ? अपच्चक्खाणं कुव्वंति ? पञ्चक्खाणापच्चक्खाणं कुव्वंति ? जहा प्रोहियो तहा कुव्वणा || ६८. जीवा णं भंते ! किं पच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया ? ग्रपच्चवखाणनिव्वत्तियाउया ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया ? गोयमा ! जीवा य, वेमाणिया य पच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया, तिण्णि वि । वसेसा पच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया । संग्रहणी - गाहा १. पच्चक्खाणं २. जाणइ, ३. कुव्वइ तिष्णेव ४. आउनिव्वत्ती । सपएसुसम्मिय, एमेए दंडगा चउरो || १ || ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति' ॥ पंचमी उद्देसो तमुक्काय-पदं ७० किमियं भंते! तमुक्काए ति पब्वुच्चति ? किं पुढवी तमुक्काए त्ति पव्यच्चति ? आऊ' तमुक्काए त्ति पव्वुच्चति ? गोमा नो पुढवि तमुक्काए त्ति पव्वुच्चति, ग्राऊ तमुक्काए ति पव्वुच्चति ।। १. पू० प० २ । २. असो कोष्ठकतिपाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । ३. प्रपच्चक्खाणं जाणंति (ता, म) । ४. भ० १५१ । ५. पुढवि ( अ, क, ता, स ) 1 ६. आउ ( अ, क, ब, म, स ) 1 भगवई Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (पंचमो उद्देसो) २४७ ७१. से केणद्वेणं ? गोयमा ! पुढविकाए णं अत्थेगइए सुभे देसं पकासेइ, अत्थेगइए' देसं नो पकासेइ । से तेण?णं ।। ७२. तमुक्काए' णं भंते ! कहिं समुट्टिए ? कहिं संनिदिए' ? गोयमा ! जंबूदीवस्स दीवस्स वहिया तिरियमसंखेज्जे दीव-समुद्दे वीईवइत्ता, अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयंतायो अरुणोदयं समुदं वायालीसं जोयणसहस्साणि प्रोगाहित्ता उवरिल्लानो जलंताओ एगपएसियाए सेढीए-- एत्थ णं तमुक्काए समुट्टिए। सत्तरस-एक्कवीसे जोयणसए उड्ढं उप्पइत्ता तो पच्छा तिरियं पवित्थरमाणे-पवित्थरमाणे सोहम्मीसाण-सणकुमारमाहिदे चत्तारि वि कप्पे आवरित्ता णं उड्ढं पि य णं जाव' बंभलोगे कप्पे रिदविमाणपत्थड संपत्ते –एत्थ णं तमुक्काए संनिट्ठिए। ७३. तमुक्काए णं भंते ! किसंठिए पण्णते ? गोयमा ! अहे मल्लग-मूलसंठिए, उप्पि कुक्कुडग'-पंजरगसंठिए पण्णत्ते ।। ७४. तमुक्काए णं भंते ! केवतियं विक्खंभेणं, केवतियं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--संखेज्जवित्थडे य, असंखेज्जवित्थडे य । तत्थ णं जे से संखेज्जवित्थडे, से णं संखेज्जाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं, प्रसंखेज्जाई जोयणसहस्साई परिक्खवेणं पण्णत्तं । तत्थ ण जे से असंखेज्जवित्थडे, से णं असंखेज्जाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं, असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पण्णत्ते ।। ७५. तमुक्काए णं भंते ! केमहालए पण्णते ? गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाणं सव्वभंतराए जाव एगं जोयणसयसहस्सं पायाम-विक्खंभेणं, तिष्णि जोयणसयसहस्साई सोलससहस्साई दोणि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाइं अद्धंगुलगं च किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते । देवे णं महिड्ढीए जाव महाणुभावे इणामेव-इगामेवत्ति कटु केवलकप्पं जंबूदीवं दीवंतिहिंअच्छरानिवाएहि तिसत्तक्खुत्तो अगुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छिज्जा, से णं देवे ताए उक्किद्वाए तुरियाए जाव" दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जाव १. X (क, ता)। २. तमुकाए (अ, क, ता, ब, म)। ३. सणिट्ठिए (ता)। ४. तत्थ (अ, स)। ५. X (अ)। ६. संनिविट्टिए (अ, स); संनिहिते (क) । ७. कुकुडग (म, स)। ८. अयं रणं (क, म); अय णं (ता, स)। 8. ठा० १४२४८1 १०. भ० ३१४ । ११. भ० ३।३८1 Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८ भगवई एकाहं वा, दुयाहं वा, तियाहं वा, उक्कोसेणं छम्मासे वीईवएज्जा, अत्थेगतियं तमुक्कायं वीईवएज्जा अत्थेगतियं तमुक्कायं नो वीईवएज्जा। एमहालए णं गोयमा ! तमुक्काए पण्णत्ते ।। ७६. अस्थि णं भंते ! तमुक्काए गेहा इ वा? गेहावणा इ वा ? णो तिणटे सम? ।। ७७. अत्थि णं भंते ! तमुक्काए गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ? णो तिणटे सम? ॥ ७८. अत्थि णं भंते ! तमुक्काए पोराला बलाहया संसेयंति ? सम्मुच्छंति ? वासं वासंति ? हंता अस्थि ॥ ७९. तं भंते ! किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? गोयमा ! देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नागों विपकरेति ।। ८०. अत्थि णं भंते ! तमुक्काए बादरे थणियसद्दे ? बादरे विज्जुयारे' ? हंता अत्थि ॥ तं भंते ! किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? तिण्णि विपकरेति ।। ८२. अत्थि णं भंते ! तमुक्काए बादरे पुढविकाए ? बादरे अगणिकाए ? णो तिणटे समढे, नण्णत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं ।। ८३. अत्थि णं भंते ! तमुक्काए चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ? णो तिणढे समटे, पलियस्सो पुण अत्थि ।। ८४. अत्थि णं भंते ! तमुक्काए चंदाभा ति वा ? सूराभा ति वा ? णो तिणढे समढे, 'कासणिया पुण" सा ।। ८५. तमुक्काए णं भंते ! केरिसए वण्णएणं पण्णत्ते ? गोयमा ! काले कालोभासे गंभीरे लोमहरिसजणणे भीमे उत्तासणए परमकिण्हे वण्णेणं पण्णत्ते। देवे वि णं अत्थेगतिए जे णं तप्पढमयाए पासित्ता णं खुभाएज्जा', अहेणं अभिसमागच्छेज्जा तनो पच्छा सीहं-सीहं तुरियं-तुरियं खिप्पामेव वीतीवएज्जा। ८६. तमुक्कायस्स णं भंते ? कति नामधेज्जा पण्णता? १. भ० ११४६ । ५. गंभीर (अ, क, ता, ब, स, वृ)। २. नाओ (ता, म)। ६. खोभाएज्ज (क, ता, म); खभाएज्जा (स)। ३. विज्जयाए (अ); विज्जुए (क, ता, ब, म)। ७. एतत् पदं वृत्तौ नास्ति व्याख्यातम् । ४. काउसणिया पुरणं (ता)। Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ सतं (पंचमो उद्देसो) २४६ गोयमा ! तेरस नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा तमे इ वा, तमुक्काए इवा, अंधकारे इवा, महंधकारे इवा, लोगंधकारे इ वा, लोगतमिसे' इ वा, देवंधकारे इवा, देवतमिसे' इवा, देवरणे' इवा, देववूहे' इ वा, देवफलिहे' इ वा, देवपडिक्खो इ वा अरुणोदए इ वा समुद्दे ॥ ८७. तमुक्काए णं भंते! कि पुढविपरिणामे ? श्राउपरिणामे ? जीवपरिणामे ? पोग्गलपरिणामे ? गोमा ! नो पुढविपरिणामे, आउपरिणामे वि, जीवपरिणामे वि, पोग्गलपरिणामे वि ।। ८८. तमुक्काए णं भंते! सब्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव तसकाइयत्ताए उववन्नपुब्वा ? हंता गोयमा ! असति' अदुवा प्रणतक्खत्तो, नो चेव णं बादरपुढविकाइयत्ताए, बादरअगणिकाइयत्ताए वा । कण्हराइ पदं ८६. कइ णं भंते! कण्हराती गोमा ! अटु कण्हराती ६०. कहि णं भंते ! एयाओ ट्ठ कण्हरातीओ" पण्णत्ताओ ? गोयमा ! उप्पि सणकुमार- माहिदाणं कप्पाणं हव्विं" बंभलोए कप्पे 'रिट्ठे विमाणपत्थडे, एत्थ गं अक्खाडग - समचउरंस संठाणसंठियाओ ट्ठ कण्हराती पण्णत्ताओ, तं जहा - पुरत्थिमे णं दो, पच्चत्थि मे णं दो, दाहिणे ‍ दो, उत्तरे णं दो । पुरत्थिमभंतरा" कण्हराती दाहिण - बाहिरं कण्हराति पुट्ठा, दाहिणभंतरा कण्हराती पच्चत्थिम- बाहिरं कण्हराति पुट्ठा, पच्चत्थिमब्भंतरा कण्हराती उत्तर-बाहिरं कण्हराति पुट्ठा, उत्तरम्भंतरा" कण्हराती पुरत्थिमबाहिरं कण्हराति पुट्ठा १. ० तिमिसे (क, ता, म) 1 २. देवतिभिसे ( अ, क, ता, स) । ३. देवारणे (क, ता, व ) ४. देवपूहे ( ता ) 1 ५. ० पलिहे (ता) | ६. समुद्देति वा (अस) । ७. भ० ११४३७ । ८. असई सई (ता) | ६. द्रष्टव्यं ठा० ८१४३-४७ । पण्णत्ताश्रो ? पण्णत्ताओ || १०. ०रायीतो ( ब ) | ११. हेट्ठि ( अ, क, ब, म ); हिट्ठि (स); स्थानाङ्गसूत्रे ( ८ ४३, वृत्तिपत्र ४१० ) अभयदेवसूरिणा 'हेट्टि ति अधस्तात्' ब्रह्मलोकस्य इति व्याख्यातम् । अत्र च ( वृत्तिपत्र २७१ ) 'हव्वित्ति समं' इति व्याख्यातम् । १२. रिट्ठविभाग (ठा० ६१४३ ) | Q १३. पुरत्थिमभितरा (क) । १४. उत्तरमभंतरा ( ब, स ) । Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० भगवई दो पुरस्थिम-पच्चत्थिमायो बाहिरामो कण्हरातीमो छलंसाओ, दो उत्तरदाहिणालो बाहिरामो कण्हरातीमो तंसानो, दो पुरथिम-पच्चत्थिमानो अभंत राम्रो कण्हरातीनो चउरंसानो, दो उत्तर-दाहिणाओ अभंत राम्रो कण्हरातीअो चउरसायो। संगहणी-गाहा पुवावरा छलसा, तसा पुण दाहिणुत्तरा बज्झा । अभंतर चउरंसा, सव्वा वि य कण्हरातीमो ॥१॥ ६१. कण्हरातीनो णं भंते ! केवतियं अायामेणं ? केवतियं विक्खंभेणं? केवतियं परिक्खेवेणं पण्णत्तायो ? गोयमा ! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं पायामेणं, संखेज्जाइं जोयणसहस्साई विक्खंभेणं, असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं पण्णत्ताओ ।। कण्हरातीमो णं भंते ! केमहालियाप्रो पण्णत्तानो ? गोयमा ! अयं णं जंबुद्दोवे दीवे जाव' देवे णं महिड्ढीए जाव' महाणुभावे इणामेव-इणामेव त्ति कटु केवलकप्पं जंवूदोवं दोवं तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छिज्जा, से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जाव एकाहं वा, दुयाहं वा, तियाहं वा, उक्कोसेणं° अद्धमासं वीईवएज्जा, अत्थेगइए कण्हराति वीईवएज्जा। प्रत्थेगद्दए कण्हराति णो वीईवएज्जा, एमहालियानो णं गोयमा ! कण्हरातोश्रो पण्णतायो । ६३. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु गेहा इ वा ? गेहावणा इ वा ? गो इणद्वे समटे ॥ ६४. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु गामा इ वा ? जाब सण्णिवेसा इ वा ? णो इणढे समढे ॥ ६५. अस्थि णं भंते ! कण्हरातीसु ओराला बलाहया संसेयंति ? सम्मुच्छंति ? वासं वासंति? हंता अस्थि ।। ६६. तं भंते ! किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? गोयमा ! देवो पकरेति, नो असुरो, नो नागो पकरेति ।। १. सं० पा०-दीवे जाव अद्धमासं । २. भ०६७५ । ३. भ० ३।४। ४. भ०३१३८1 ५. भ० ११४६ : Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (पंचमो उद्देसो) २५१ ६७. अस्थि णं भंते ! कण्हरातीसु बादरे थणियसद्दे ? बादरे विज्जुयारे ? "हंता अस्थि ॥ ६८. तं भंते ! किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? गोयमा ! देवो पकरेति, नो असुरो, नो नागो पकरेति ॥ अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु बादरे आउकाए ? बादरे अगणिकाए ? बादरे वणप्फइकाए? णो तिणढे समतु, नण्णत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं ।। १००. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ? णो तिण? सम? ।। १०१. अस्थि णं भंते ! कण्हरातीसु चंदाभा ति वा ? सुराभा ति वा ? णो तिण8 समढे ॥ १०२. कण्हरातीनो ण भंते ! केरिसियानो वणेण पण्णत्तायो? गोयमा ! कालाओ' 'कालोभासायो गंभीरानो लोमहरिसजणणायो भीमानो उत्तासणाप्रो परमकिण्हारो वण्णेणं पण्णत्तायो । देवे वि णं अत्थेगतिए जे णं तप्पढमयाए पासित्ता णं खुभाएज्जा, अहेणं अभिसमागच्छेज्जा तो पच्छा सोहं-सीहं तुरियं-तुरियं खिप्पामेव वीतीवएज्जा। १०३. कण्हराती णं भंते ! कति' नामधेज्जा पण्णता ? गोयमा ! अट नामज्जा पण्णत्ता, तं जहा-कण्हराती इवा, मेहराती इवा, मघा इवा, माघवई इ वा, वायफलिहा इ वा, वायपलिक्खोभा इ वा, देव फलिहा इ वा, देवपलिक्खोभा इ वा ।। १०४. कण्हरातीमो णं भंते ! कि पुढवीपरिणामाओ? आउपरिणामाग्रो ? जीवपरिणामायो ? पोग्गलपरिणामायो? गोयमा ! पुढविपरिणामानो, नो आउपरिणामानो, जीवपरिणामाप्रो वि, पोग्गलपरिणामाओ वि । १०५. कण्हरातीसु णं भंते ! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव' तसकाइयत्ताए उववण्णपुवा ? हंता गोयमा ! असइं अदुवा अणंतक्खुत्तो; नो चेव णं बादरा उकाइयत्ताए, बादरअगणिकाइयत्ताए, बादरवणप्फइकाइयत्ताए वा ॥ १. सं० पा०-जहा ओराला तहा । २. सं० पा०-कालाओ जाव खिप्पामेव । ३. केवइया (ता)। ४. भ० ११४३७ । Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५२ भगवई लोगंतियदेव-पदं १०६. एएसि णं अट्ठण्ह कण्हराईणं अट्ठसु प्रोवासंतरेसु अट्ठ लोगंतिगविमाणा पण्णत्ता, तं जहा--१. अच्ची २. अच्चिमाली ३. वइरोयणे ४. पभंकरे' ५. चंदाभे ६. सूराभे ७. सुक्काभे' ८. सुपइट्ठाभे, 'मझे रिट्ठाभे" ।। कृष्णराजी : स्थापना उत्तरा त्रिकोण कृष्णराजी ८. सुप्रतिष्ठाभ ও. যুঙ্গাম चतुष्कोण कृष्णराजी १. अर्णि ६. सूराभ चतुष्कोण कृष्णराजी षट्कोण कृष्णराजी पश्चिमा षट्कोण कृष्णराजी ३. वैरोचन चतुष्कोण कृष्णराजी २. अचिमाली Ment In १. बभंकरे (ता)। २. सुकामे (ता)। ३. इह चावकाशान्तरवर्तिषु अष्टासु अचिःप्रभृ- तिषु विमानेषु वाच्येषु यत् कृष्णराजीनां मध्यमभागवति रिष्टं विमानं नवम उक्तं तद्विमानप्रस्तावाद् अवसेयम् (वृ)। Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (पंचमो उद्देसो) २५३ १०७. कहि णं भंते ! अच्चि-विमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! उत्तर-पुरस्थिमे णं ।।। १०८. कहि णं भंते ! अच्चिमाली विमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पुरथिमे णं । एवं परिवाडीए नेयव्यं जाव१०६. कहि णं भंते ! रिट्टे विमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! बहुमज्झदेसभाए । ११०. एएसु णं अट्ठसु लोगंतियविमाणेसु अट्ठविहा लोगतिया देवा परिवसंति, तं जहासंगहणी-गाहा सारस्सयमाइच्चा, वण्ही वरुणा य गद्दतोया य । तुसिया अव्वावाहा, अम्गिच्चा चेव रिठ्ठा य ॥१॥ कहि णं भंते ! सारस्सया देवा परिवसंति ? गोयमा ! अच्चिम्मि विमाणे परिवसति ।। ११२. कहि णं भंते ! आइच्चा देवा परिवसंति ? गोयमा ! अच्चिमालिम्मि विमाणे । एवं नेयव्वं जहाणुपुव्वीए जाव११३. कहि णं भंते ! रिट्रा देवा परिवसंति? गोयमा ! रिदम्मि विमाणे ॥ ११४. सारस्सयमाइच्चाणं भंते । देवाणं कति देवा, कति देवसया पण्णत्ता? गोयमा ! सत्त देवा, सत्त देवसया परिवारोपण्णत्तो।। वण्ही-वरुणाणं देवाणं च उद्दस देवा, चउद्दस देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो। गद्दतोय-तुसियाणं देवाणं सत्त देवा, सत्त देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो। अवसेसाणं नव देवा, नव देवसया परिवारो पण्णत्तो। संगणी-गाहा पढम-जुगलम्मि सत्तो, सयाणि बीयम्मि चउद्दससहस्सा । तइए सत्तसहस्सा, नव चेव सयाणि सेसेसु ॥१॥ ११५. लोगंतिगविमाणा णं भंते ! किंपइट्ठिया पण्णत्ता ? गोयमा ! बाउपइट्ठिया पण्णत्ता । एवं नेयव्वं विमाणाण पइट्टाणं, बाहुल्लुच्चत्तमेव संठाणं, बंभलोयवत्तव्वया नेयव्वा' जाव' ३. जी० ३। १. X (अ, क, ता, ब, म)। २. नेयब्वा जहा जीवाभिगमे देवुद्देसए (अ, स) Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ भगवई ११६. लोयंतियविमाणेसु णं भंते । सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढविकाइयत्ताए, प्राउकाइयत्ताए, तेउकाइयत्ताए, वाउकाइयत्ताए, वणप्फइकाइयत्ताए, देवत्ताए, देवित्ताए उववण्णपुव्वा ? हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतक्खुत्तो, नो चेव णं देवित्ताए। ११७. 'लोगंतिय देवाण' भंते ! केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! अट्ट सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता ।।। ११८. लोगतियविमाणेहितो णं भंते ! केवतियं अबाहाए लोगते पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं अबाहाए लोगते पणते ।। ११६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । छट्ठो उद्देसो नेरइयादी प्रावास-पदं १२०. कति णं भंते ! पुढवीनो पण्णतायो ? गोयमा ! सत्त पुढवीनो पण्णत्ताओ, तं जहा - रयणप्पभा जाव' अहेसत्तमा । रयणप्पभाईणं आवासा भाणियव्वा जाव अहेसत्तमाए। एवं जत्तिया अावासा ते भाणियव्वा जाव -- १२१. कति णं भंते ! अशुत्तरविमाणा पण्णत्ता? । गोयमा ! पंच अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता, तं जहा--विजए", वेजयंते, जयंते, अपराजिए° सब्वट्ठसिद्धे ।। मारणंतियसमुग्घाय-पदं १२२. जी वे णं भंते ! मारणंतियसमुग्धाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि निरयावासंसि १. देवत्ताए (म, स)। २. लोगतियविमाणेसु रणं (अ, क, ता, ब, म)। ३. आबाहाए (ता)। ४. भ० १५१ । ५. भ० ११२११ । ६. तमतमा (अ, स)। ७. भ० ११२१२। ८. जे जतिया (अ, क, ब, म, स)। ६. भ० ११२१३-२१५ १०. सं० पा०-विजए जाव सव्वदसिद्धे । Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (छट्टो उद्देसो) २५५ मेरइयत्ताए उवधज्जित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा ? परिणामेज्ज वा? सरीरं वा बंधेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगतिए तत्थगए चेव याहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा; प्रत्येगतिए तो पडिनियत्तति', ततो पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, प्रागच्छित्ता दोच्चं पि मारणंतियसमुग्धाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता इमीसे रयणप्पभाए पुडवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववज्जित्तए, तो पच्छा आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा । एवं जाव १२३. जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए च उसट्ठीए असरकुमारावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारत्ताए उववज्जित्तए, जहा नेरइया तहा भाणियव्वा जाव' थणियकुमारा।। १२४. जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए असंखे ज्जेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते! मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमे णं केवइयं गच्छेज्जा? केवइयं पाउणेज्जा ? गोयमा ! लोयंत गच्छेज्जा, लोयंतं पाउणेज्जा ।। १२५. से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा? परिणामेज्ज वा ? सरोरं वा बंधेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगतिए तत्थगए चेव आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा; अत्थेगतिए तो पडिनियत्तइ, पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, दोच्चं पि मारणंतियसमुग्धाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमे णं अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेतं वा, संखेज्जइभागमेत्तं वा, वालगं वा, वालगपुहत्तं वा; एवं लिक्ख-जय-जव-अंगुल जाव' जोयणको डि वा, जोयणकोडाकोडि वा संखेज्जेसु वा असंखेज्जेसु वा जोयणसहस्सेसु, लोगते वा एगपएसियं सेटिं मोत्तूण असंखेज्जेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए उववज्जेत्ता, तओ पच्छा पाहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा। जहा पुरथिमे णं मंदरस्स पव्वयस्स पालावरो भणिो , एवं दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं, उड्ढे, अहे । १. नियत्तेति (अ, स) २. भ० ११२११ । ३. पू०प० २। ४. इह हवमा० (स)। ५. °पुहुत्तं (म)। ६. वृ; अ० सू० ४०० । Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जहा पुढविकाइया तहा एगिदियाणं सव्वे सि एक्केक्कस्स छ आलावगा भाणियब्वा। जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता जे भविए असंखेज्जेसु बेइंदियावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि बेइंदियावासंसि बेइंदियत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा ? परिणामेज्ज वा ? सरीरं वा बंधेज्जा? जहा ने रइया', एवं जाव' अणुत्तरोववाइया ।। १२७. जीवे णं भंते ! मारणंति यसमुग्वाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालए सु महाविमाणेसु अण्णयरंसि अणुत्तरविमाणंसि अणुत्त रोववाइयदेवत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा? परिणामेज्ज वा ? सरीरं वा बंधेज्जा ? तं चेव जाव' आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा। १२८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' । सत्तमो उद्देसो धन्नाणं जोणि-ठिइ-पदं १२६. अह भंते ! सालीणं, वीहीणं, गोधूमाणं, जवाणं, जवजवाणं-एएसि णं धन्नाणं कोट्ठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचा उत्ताणं मालाउत्ताणं प्रोलित्ताण' लित्ताणं पिहियाणं मुद्दियाणं लछियाण केवतियं कालं जोणी संचिट्ठाई ? गोयमा ! जहाणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि संवच्छराइं । तेण परं जोणी पमिलायइ, तेण परं जोणी पविद्धंसई', तेण परं वीए अवीए भवति, तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो ! १३०. अह भंते ! कल'-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निप्फाव-कुलत्थ-आलिसंदग-सतीण पलिमंथगमाईणं'–एएसि णं धन्नाणं कोट्ठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचाउत्ताणं १. भ० ६६१२२ । २. भ. १।२१४, २१५ । ३. भ०६।१२२ । ४. भ० ११५१ । ५. उल्लित्ताणं (स)। ६. विद्धसेइ (अ, क, स)। ७. कलाव (अ); कलाय (ब, स); कालाव (म) ८. निप्पाव (ता, स)। ६. संतीण (अ, ब, स)। १०. तिलिमिथग० (ता)। Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ8 सतं (सत्तमो उद्देसो) २५७ मालाउत्ताणं श्रोलित्ताणं लित्ताणं पिहियाणं मुहियाणं लंछियाणं केवतियं कालं जोणी संचिटइ? गोयमा! जहणणं अंतोमूहत्तं, उक्कोसेणं पंच संवच्छराइं । तेण परं जोणी पमिलायइ, तेण परं जोणी पविद्धंसइ, तेण परं बीए अबीए भवति, तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो' ! १३१. ग्रह भंते ! अयसि-कुसुंभग-कोद्दव-कंगु-वरग-रालग-कोदुसग'-सण-सरिसव भूलाबीयमाईण - एएसि णं धन्नाणं कोट्टाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचाउत्ताणं मालाउत्ताणं अोलित्ताणं लित्ताणं पिहियाणं मुद्दियाणं लंछियाणं केवतियं कालं जोणी संचिट्ठइ ? ""गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त संवच्छराइं । तेण परं जोणी पमिलायइ, तेण परं जोणी पविद्धंसइ, तेण परं बीए अबीए भवति, तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो' ! गरगना-काल-पदं १३२. एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवतिया ऊसासद्धा वियाहिया ? गोयमा ! असंखेज्जाणं समयाणं समुदय-समिति-समागमेणं सा एगा 'पावलिय ति" पवुच्चाइ, संखेज्जा प्रावलिया ऊसासो, संखेज्जा प्रावलिया निस्सासो गाहा हवस्स प्रणवगल्लस्स, निरुवकिटूस्स जंतुणो। एगे ऊसास-नीसासे, एस पाणु त्ति वुच्चइ ॥१॥ सत्त पाणूई से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे। लवाणं सत्तहत्तरिए", एस मुहुत्ते वियाहिए ॥२॥ तिणि सहस्सा सत्त य, सयाई तेवतरि च ऊसासा। एस मुहुत्तो दिट्ठो, सव्वेहि अणंतनाणीहि ।।३।। १. सं० पा०.-जहा सालीणं तहा एयाणि वि नवरं पंच संवच्छराई सेसं तं चेव । २. वरट्ट (ठा० ७।१०)। ३. कोडुसग (ब)। ४. मूलग० (अ, क, स)। ५. सं० पा०-एयाणि वि तहेव नवरं सत संवच्छराई। ६. तुलना--ठा० ३।१२५; ५२०६७।१०। ७. आवलिया ति (क, ता, ब)। ८. णिरवकट्टस्स (ता) ६. पाणि (अ, स)। १०. सत्तस० (क, ब)। Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५८ भगवई एएणं मुहत्तपमाणेणं तीसमुहुत्ता अहोरत्तो, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उडू, तिण्णि उडू अयणे, दो' अयणा संवच्छरे, 'पंच संवच्छराई'३ जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससयाइं वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीइं वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वंगे, चउरासीइं पुव्वंगा सयसहस्साइं से एगे पुव्वे, एवं तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे,हुहुयंगे', हूहूए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, अथनिउरंगे, अत्थनिउरे',अउयंगे, अउए', 'नउयंगे, नउए, पउयंगे, पउए चूलियंगे, लिया, सीसपहेलियंगे, सीसपहेलिया । एताव ताव गणिए, एताव ताव गणियस्स विसए, तेण परं प्रोवमिए ।। ओवमिय-काल-पदं १३३. से किं तं प्रोवमिए? अोवमिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--पलिओवमे य, सागरोवमे य॥ १३४. 'से कि तं पलिग्रोवमे ? से कि तं सागरोवमे ?'५० गाहा सत्थेण सुतिक्खेण वि, छेत्तुं भेत्तुं व किर न सका। तं परमाणु सिद्धा, वदंति आदि पमाणाणं ॥१॥ अणताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदय-समिति-समागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्हिया इ वा, साहसहिया इ वा, उड्ढरेणू इ वा, तसरेणू इ वा, रहरेणू इ वा, वालम्गे" इ वा, लिक्खा इवा, जूया इ वा, जवमझे इवा, अंगुले इ वा । अट्ठ उस्साहसण्हियानो सा एगा सहसण्हिया, अट्ठ सण्हसण्हियानो सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूत्रो सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूगो सा एगा रहरेण, अट्ठ रहरेणूमो से एगे देवकुरु-उत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं वालग्गे ; 'एवं हरिवासरम्भग-हेमवय-एरन्नवयाणं, पुव्व विदेहाणं मणुस्साणं अट्ठ वालग्गा सा एगा ---.---..--... १. उदू (ता, व)! (क); पज्जुए य नज्जुए य (ब)। २. बे (ता, ब)। ६. उवमिए (अ, क, ब, म, स) । तुलना-अ० ३. पंचसंवच्छरिए (अ, क, ता, ब, म, स)। ४. अपये (व, स)। १०. से कि त पलिओवमे सागरोवमे २ (अ, स); ५. हूहूय (अ, क, स)। से कि तं पलितोवमे २ (क, ता)। ६. निपूरे (क, ता, ब)। ११. च (अ, क, ब, म, स, वृ)। ७. अतुए (अ, स); अपुए (क); अज्जुए (व)। १२. उद्ध० (अ, क, ता, ब, म)। ८. पदुए २, नउए २ (अ, ता, स); पज्जुए य० १३. बालग्गा (स)। Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुटुं सतं (सत्तमो उद्दसौ) २५६ लिक्खा", अट्ठ लिक्खानो सा एगा जूया, अट्ठ जूयानो से एगे जव मज्झे, अट्ठ जवमझा से एगे अंगुले। एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाणि पादो, बारस अंगुलाई विहत्थी', चउवीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छन्न उति' अंगुलागि से एगे दंडे इ वा, धणू इ वा, जूए इ वा, नालिया इ वा, अक्खे इ वा, मुसले इ वा। एएणं धणुप्पमाणेणं दो घणुसहस्साई गाउयं, चत्तारि गाउयाइं जोयणं । एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं पायाम-विक्खंभेणं, जोयणं उड्ढं उच्चत्तेणं, तं तिउणं', सविसेसं परिएणं-से णं एगाहिय-बेहिय-तेहिय', उक्कोसं सत्तरत्तप्परूढाणं संमद्धे संनिचिए भरिए वालग्गकोडीणं । ते णं वालग्गे नो अग्गो दहेज्जा, नो वातो हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा', नो परिविद्धंसेज्जा, नो पूतित्ताए हव्वमागच्छेज्जा। तप्रोणं वाससए-वाससए गते"एगमेगं वालग्गं प्रवहाय"जावतिएणं कालेणं से पल्ले खोणे निरए निम्मले निट्टिए निल्लेवे अवहडे विसुद्धे भवइ । से तं पलिप्रोवमे । गाहा २. एएसि पल्लाणं, कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया। तं सागरोवमस्स उ, एक्कस्स भवे परिमाणं ॥ १. प्रस्तुतपाठे भरतैरवतयोर्मनुष्याणामुल्लेखो अट्ठ भरहेरवयाणं मणुस्सारणं बालग्गा सा नास्ति, अनुयोगद्वारसूत्रे विद्यते । तस्य पूर्ण- एगा लिक्खा (अ० सू० ३६६) । पाठः इत्थमस्ति २. वितत्थी (अ)। अट्ठ देवकुरु-उत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं वालग्गा ३. छण्हउद (ता)। हरिवास-रम्मगवासाणं मणुस्साणं से एगे ४. तिओरणं (अ) । वालग्गे। ५. षष्ठीबहुवचनलोपाद् एकाहिकव्याहिकत्र्याहिअद्र हरिवास-रम्मगवासाणंम गुस्साणं वालग्गा कारणाम (द)। हेमवय-हेरण्ण वयाणं मणस्साणं से एगे ६. संस? (अ, म)। वालग्गे ! ७. हरिए (ता)। अट्ट हेमवय-हेरण्णवयाणं मणुस्साणं वालग्गा ८. कुत्येज्जा (अ, ब, म) । पुव्वविदेह-अवर विदेहाणं मणुस्साणं से ६. तए (अ, क)। एगे वालग्गे। १०. x (अ, ता, म, स)। अट्ठ पुत्वविदेह-अवरविदेहाणं मणुस्साणं ११. अवहाय २ (ता)। वालग्गा भरहेरवयाणं मगुस्साणं से एगे वालग्गे। Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० भगवई एएणं सागरोवमपमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो मुसम सुसमा १. तिणि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसमा २. दो' सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसम - दूसमा ३. एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दूसम-सुसमा ४. एक्कवीस वाससहस्साई कालो दूसमा ५. एक्कवीस वाससहस्साई कालो दूसम - दूसमा ६. | रवि उस्सप्पिणीए एक्कवीस वाससहस्साई कालो दूसम दूसमा १ एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दुसमा २. एगा सागरोवमकोडाकोडी वायालीसाए वास सहस्सेहिं ऊणिया कालो दूसम- सुसमा ३. दो सागरोवमकोडाकोडीग्रो कालो सुसम - दूसमा ४. तिष्णि सागरोवमकोडाकोडोश्रो कालो सुसमा° ५ चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसम - सुसमा ६ । दस सागरोवमकोडाकोडीश्रो कालो ओसप्पिणी, दस सागरोवमकोडाकोडीओो कालो उस्सप्पिणी, वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ कालो ओसप्पिणी उस्सप्पिणी य ॥ सुसम सुसमाए भरहवास-पदं १३५. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे इमी से प्रसप्पिणीए सुसम सुसमाए समाए उत्तिमट्टपत्ताए', भरहस्स वासस्स केरिसए प्रागारभाव पडोयारे होत्था ? गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहानामए-- प्रालिंगपुक्ख रे ति वा, एवं उत्तरकुरुवत्तव्वया नेयव्वा जाव' तत्थ णं बहवे भारया मणुस्सा मस्सीय प्रासयति संयंति चिट्ठति निसीयंति तुयदृति हसंति रमंति ललति । तीसे णं समाए भारहे वासे तत्थ तत्थ देसे - देसे तर्हि तहि बहवे उद्दाला कोद्दाला जाव' कुस - विकुस - विसुद्ध रक्खभूला जाव' छव्विहा मणुस्सा अणुस - ज्जित्था, तं जहा -- म्हगंधा, मियगंधा, श्रममा, तेतली, सहा, सणिचारी ॥ १३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ १. दुष्णि ( क ) 1 २. दुसमा (ता, स ) 1 ३. सं० पा० - दुसमा जाव चत्तारि । ४. उत्तमदु० ( स ) । ५. पडोगारे (ता, ब, म) 1 ६. जी० ३; जं० २ ॥ ७. जी० ३; जं० २ । ८. जी० ३; जं० २ । ६. तेतली ( ब ) 1 १०. भ० १।५१ 1 Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (अट्ठमो उद्देसो) २६१ अट्ठमो उद्देसो पुढवी-ग्रादिसु गेहादियुच्छा-पदं १३७. कति णं भंते ! पुढवीनो पण्णत्तानो ? गोयमा ! अट्ठ पुढवीओ पण्णत्तानो, तं जहा- रयणप्पभा जाव' ईसीपन्भारा !। १३८. अत्थि णं भंते ! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे गेहा इ वा ? गेहावणा इवा? गोयमा ! णो इणटे समटे । १३६. अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए अहे गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ? णो इण? समटे । १४०. अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे अोराला बलाहया संसेयंति ? संमुच्छंति ? वासं वासंति ? हंता अस्थि । तिणि वि पकरेंति–देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नागो विपकरेति १४१. अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए वादरे थणियसद्दे ? हंता अत्थि ! तिणि वि पकरेंति ॥ १४२. अस्थि णं भंते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे बादरे अगणिकाए ? गोयमा ! णो इगट्ठ समढे, नन्नत्थ विरगहगतिसमावन्नएणं ।। १४३. अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे चंदिम - सूरिय-गहगण नक्खत्त° तारारूवा? णो इण? सम?।। अस्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे चंदाभा ति वा ? सूराभा तिवा? णो इण? समटे । एवं दोच्चाए पुढवीए भाणियव्वं, एवं तच्चाए वि भाणियव्वं, नवरं-देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नो नागो पकरेति । चउत्थीए वि एवं, नवरंदेवो एक्को पकरेति, नो असुरो, नो नागो। एवं हेट्ठिल्लासु सव्वासु देवो' पकरेति। १. ठा० ८।१०८। २. भ० ११४६ ३. द्रष्टव्यम्-भ०६।७६ ! ४. द्रष्टव्यम् -भ० ६८१। ५. सं० पा०-चंदिम जाव तारारूवा । ६. देवो एक्को (अ, के, ब, म, स)। Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६२ भगवई १४५. अस्थि णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं आहे गेहा. इ वा ? गेहावणा इ वा ? णो इट्टे समट्ठे || १४६. श्रत्थि णं भंते ! ओराला बलाह्या' ? हंता अस्थि । देवो पकरेति, असुरो वि पकरेति, नो नाओ । एवं सिवि ॥ १४७. श्रत्थि णं भंते । बादरे पुढवीकाए ? बादरे गणिकाए ? जो इट्ठे समट्ठे, नन्नत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं ॥ १४८. प्रत्थि णं भंते ! चंदिम-सूरिय- गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ? गो इट्टे समट्टे ॥ १४६ प्रत्थि णं भंते ! गामा इ वा ? जाव' सष्णिवेसा इ वा ? इट्टे समट्ठे ॥ १५० प्रत्थि णं भंते ! चंदाभा ति वा ? सूराभा ति वा ? गोयमा ! णो इट्टे समट्टे । एवं सणकुमार माहिदेसु, नवरं देवो एगो पकरेति । एवं बंभलोए वि । एवं बंभलोगस्स' उवरि सम्वेहिं देवो पकरेति । पुच्छियव्वोय बादरे आउकाए, बादरे अगणिकाए, बादरे वणस्सइकाए । अण्णं तं चैव । संग्रहणी - गाहा तमुकाए कप्पपण, गणी पुढवीय प्रगणि पुढवीसु 1 ग्राऊ तेऊ वणस्सई, कप्पुवरिमकण्हराईसु ॥१॥ श्राउयबंध-पदं १५१. कतिविहे णं भंते ! आउयबंधे पण्णत्ते ? गोयमा ! छवि प्राउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा - जातिनामनिहत्ताउए, गतिनामनिहत्ताउए, ठितिनामनिहत्ताउए, श्रगाहणानामनिहत्ताउए, पएसनामनिहताउए, अणुभागनाम निहत्ताउए । दंडग्रो जाव' वेभाणियाणं || १५२. जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहत्ता ? गतिनामनिहत्ता' ? ठितिनामनिहत्ता ? गाहणानामनित्ता ? पएसनामनिहत्ता ? अणुभागनामनिहत्ता ? गोयमा ! जातिनामनिहत्ता वि जाव प्रणुभागनाम निहत्ता वि । दंड जाव माणियाणं ॥ १. पू० भ० ६।७८ । २. भ० ११४६ । ३. बम्ह० (क, ब) 1 ४. पू० १०२ । ५. सं० पा०-- गतिनामनिहत्ता जाव अणुभाग ० ६. पू० प० २ । Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छटुं सतं (अट्ठमो उद्देसो) २६३ १५३. जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहत्ताउया? जाब' अणुभागनामनिहत्ताउया ? गोयमा। जातिनामनिहत्ताउया वि जाव अणुभागनामनिहत्ताउया वि। दंडगो जाव वेमाणियाणं !। १५४. एवं एए दुवालस दंडगा भाणियव्वा जीवा णं भंते ! किं १. जातिनामनिहत्ता ? २. जातिनामनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं ३. जातिनामनिउत्ता? ४. जातिनामनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं ५. जातिगोयनिहत्ता? ६. जातिगोयनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! कि ७. जातिगोयनिउता? ८. जातिगोयनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! कि ह. जातिनामगोयनिहत्ता? १०. जातिनामगोयनिहाउत्तया? जीवा णं भंते ! कि ११. जातिनामगोयनिउत्सा? १२. जातिनामगोयनिउत्ताउया ? जाव' ७२. अणुभागनामगोनिउत्ताउया ? १. भ० ६.१५१ । २. पू०प०२॥ ३. एतत् पदं त्रयोदशभंगात द्वासप्ततितमपर्यन्तानां भंगानां संग्राहकमस्ति जीवा णं भंते ! किं १३. गतिनामनिहत्ता? १४. गतिनामनिहत्ता उया? जीवा रणं भंते ! किं १५. गतिनामनिउत्ता? १६. गतिनामनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! कि १७. गतिगोयनिहत्ता? १६. गतिगोयनिहत्ताउया? जीवा गं भंते ! कि १९. गतिगोयनिउत्ता? २०. गतिगोयनिउत्ताउया? जीवाणं भंते ! किं २१. गतिनामगोयनिहत्ता? २२. गतिनामगोयनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! कि २३. गतिनामगोयनिउत्ता? २४. गतिनामगोयनिउत्ताउया? जीवा रणं भंते ! किं २५. ठितितामनिहत्ता? २६. ठितिनामनिहत्ताउया ? जीवा रणं भंते ! किं २७. ठितिनामनिउत्ता? २८. ठितिनामनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं २६. ठितिगोयनिहत्ता? ३०. ठितिगोयनिहत्ताउया? जीवा णं भंते ! कि ३१. ठितिगोयनिउत्ता? ३२. ठितिगोयनिउत्ताउया? जीवा गं भंते ! कि ३३. ठितिनामगोयनिहत्ता? ३४. ठितिनामगोयनिहत्ताउया? जीवा णं भंते ! किं ३५. ठितिनामगोयनिउत्ता? ३६. ठितिनामगोयनिउत्ताउया ? जीवाणं भंते ! कि ३७. ओगाहणानामनिहत्ता? ३८. ओगाहरणानामनिहत्ताउया? जीवा णं भंते ! कि ३६. ओगाहणानामनि उत्ता? ४०. ओगाहरणानामनिउत्ताउया? जीवा रणं भंते ! किं ४१. ओगाहणागोयनिहत्ता? ४२. ओगाहणागोयनिहत्ताउया? जीवा र भंते ! कि ४३. ओगाहणागोयनिउत्ता? ४४. ओगाहणागोयनिउत्ताउया? जीवा णं भंते ! किं ४५. ओगाहणानामगोयनिहत्ता? ४६. ओगाहणानामगोयनिहत्ताउया ? जीवा गं भंते ! कि ४७. ओगाहणानामगोयनिउत्ता? ४८. ओगाहणानामगोयनिउत्ताउया ? जीवा संभंते ! कि ४६. पएसनामनिहत्ता? ५०. पएसनामनिहत्ताउया ? Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ गोयमा ! जातिनामगोयनिउत्ताउया वि जाव प्रणुभागनामगोयनिउत्ताउया वि । दंड जाव' वेमाणियाणं ॥ वरणादिसमुद्द-पदं १५५. लवणे णं भंते! समुद्दे किं उस्सिनोदए ? पत्थडोदए ? खुभियजले ? खुभिजले ? गोयमा ! लवणे णं समुद्दे उस्सिप्रोदए, नो पत्थडोदए, खुभियजले, नो खुभिजले || १५६. "जहा णं भंते! लवणसमुद्दे उस्सियोदए, नो पत्थडोदए, खुभियजले, नो खुभियजले तहाणं बाहिरगा समुद्दा किं उस्सियोदगा ? पत्थडोदगा ? खुभियजला ? अखुभियजला ? गोयमा ! बाहिरगा समुद्दा नो उस्सियोदगा, पत्थडोदगा; नो खुभियजला, खुभियजला पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति !! १५७. अस्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे बहवे प्रोराला बलाहया संसेयंति ? संमुच्छंति ? वासं वासंति ? भगवई हंता अस्थि || १५८. जहा णं भंते ! लवणसमुद्दे बहवे ओोराला बलाहया संसेयंति, संमुच्छंति, वासं वासंति, तहाणं बाहिरगेसु वि समुद्देसु बहवे ओराला बलाह्या संसेयंति ? संमुच्छंति ? वासं वासंति ? जीवा णं भंते ! किं ५१. पएसनामनिउत्ता ? जीवाणं भंते ! किं ५३. पएसगोयनिहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ५५. पएसगोयनिउत्ता ? जीवा णं भते ! किं ५७. पएसनामगोयनिहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ५६. पएसनामगोयनिउत्ता ? जीवा णं भंते ! कि ६१. अणुभागनामनिहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ६३. अणुभागनामनिउत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ६५. अणुभागगोयनिहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ६७. अणुभागगोयतिउत्ता ? जीवा णं भते ! किं ६६. अणुभागनामगोयनिहत्ता ? जीवा णं भंते! किं ७१. प्रणुभागनामगोयनिउत्ता ? १. पू० प० २ । २. उसिओदए (क, म, स ) । ३. सं० पा० एतो आढत्तं जहा जीवाभिगमे जाव से । ५२. पएस नामनिउत्ताउया ? ५४. पएस गोयनिहत्ताउया ? ५६. पएस गोयनिउत्ताउया ? ५८. पएसनामगोयनिहत्ताउया ? ६०. पएसनामगोय निउत्ताउया ? ६२. अणुभागनाम निहत्ताज्या ? ६४. अणुभागनामनिउत्ताउया ? ६६. अणुभाग गोयनिहत्ता उया ? ६८. अणुभागगोयनिउत्ताउया ? अणुभागनाम गोय निहत्ताउया ? ७२. अणुभागनामगोय निउत्ताउया ? ७०. Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छ8 सतं (नवमो उद्देसो) २६५ नो इणढे समढे ।। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-बाहिरगा णं समुद्दा पुण्णा जाव' समभरघडताए चिट्ठति ? गोयमा ! वाहिरगेसु णं समुद्देसु बहवे उदगजोणिया जोवा य पोग्गला य उदगत्ताए बक्कमंति, विउक्कमंति, चयंति, उवचयंति° । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-बाहिरया णं समुद्दा पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति, संठाणो एगविहिविहाणा, वित्थारो अणेगविहिविहाणा, दुगुणा, दुगुणप्पमाणा' जाव' अस्सि तिरियलोए असंखेज्जा दीव-समुद्दा सयंभूरमणपज्जवसाणा पण्णत्ता समणा उसो ! १६०. दीव-समुद्दा णं भंते ! केवतिया नामधेज्जेहि पण्णत्ता। गोयमा! जावतिया लोए सुभा नामा, सुभा रूवा, सुभा गंधा, सुभा रसा, सुभा फासा, एवतिया णं दोव-समुद्दा नामधेज्जेहिं पण्णत्ता। एवं नेयव्वा सुभा नामा, उद्धारो, परिणामो, सव्वजीवाणं (उप्पानो ?) ॥ १६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति'! नवमो उद्देसो कम्मष्पगडिबंध-पदं १६२. जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्ज कम्म बंधमाणे कति कम्मप्पगडीओ बंधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्टविहबंधए वा, छबिहबंधए वा। बंधुद्देसो पण्णवणाए नेयम्वो॥ १. भ० ६.१५६ । २. दीव-समुद्दा (अ, क, ता, ब, म, स); जीवाभिगमे तृतीयप्रतिपत्तौ 'समुद्दा इत्येवपद मस्ति, तदेवाऽत्र प्रासंगिकम् । ३. °मारणाओ (अ, क, ता, ब, म, स) । ४. अस्य पूरकपाठः जीवाभिगमस्य तृतीयप्रति पत्तो लभ्यते। स चैवमस्ति-- 'पडप्पाएमाणा-पडुप्पाएमारणा पवित्थर- मारणा-पवित्थरमाणा ओभासमाणवीइया बहुउप्पलप उमकुमुयणलिणसुभगसोगंधियपोंड रीयमहापोंडरीयसयपत्तसहस्सपत्तफुल्लकेसरोचिया पत्तेय-पत्तेयं पउमवरवेइयापरिक्वित्ता पत्तेयं-पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्ता । ५. सम्वजीवाणं ति-सर्व जीवानां द्वीप-समुद्रेष त्पादो नेतव्य:--इति सूचितं वृत्तिकृता । तदनुसृत्यात्र 'सव्वजीवाएं उप्पाओ' इतिपाठो युज्यते। ६. भ० ११५१ । ७. प० २४ । Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ भगवई महिड्ढोयदेव-विकुव्वणा-पदं १६३. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव' महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवणं एगरूवं विउवित्तए ? गोयमा ! नो इण? समढें ॥ १६४. देवे णं भंते । बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवण्णं एगरूवं विउवित्तए ? हंता पभू ॥ १६५. से णं भंते ! किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउन्वति ? गोयमा ! नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति । एवं एएणं गमेणं जाव' १. एगवणं एगरूवं २. एगवण्णं प्रणेगरूवं ३. अणेग वणं एगरूवं ४. अणेगवणं अणेगरूवं-चउभंगो॥ १६६. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालगं' पोग्गलं नोलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? नीलगं पोग्गलं वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? गोयमा ! नो इणद्वे सम? । परियाइत्ता पभू ।। १६७. से णं भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति? गोयमा ! नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति । एवं एएणं गमेणं जाव' १. एगवण्णं एगरूवं २. एगवण्णं अणेगरूवं ३. अणेगवण्णं एगरूवं ४. अणेगवण्णं अणेगरूवं-चउभंगो० । एवं कालगपोग्गलं लोहियपोग्गलत्ताए। एवं कालएणं जाव सुक्किलं । एवं नीलएणं जाव सुक्किलं । एवं 'लोहिएणं जाव सुक्किलं" । एवं हालिद्दएणं जाव सुक्किलं । एवं" एयाए परिवाडीए गंध-रस फासा"। मात १. भ० ३१४ । २. अपरियादिइत्ता (अ, ता, ब, म)। ३. भ० ६.१६३, १६४ । ४. भ० ३।४। ५. कालतं (क)। ६. गोलपोग्ग० (अ, क, ता)। ७. सं० पा.-तं चेव नवरं परिणामेति त्ति भारिणयव्वं । ८. भ० ६.१६३, १६४ । ६. लोहियपोग्गलं जाव सुक्किलत्ताए (अ, स); लोहियपोग्गलं जाव सुक्किलं (म) । १०. तं एवं (अ, क, ता, ब, म)। ११. कक्खडफासपोग्गलं मउय-फासपोग्गलत्ताए, एवं दो दो गरुयलहुय-सीयउसिण-णिद्धलुक्खवण्णाई सम्वत्थ परिणामेइ । आलावगा दो दो पोग्गले अपरियाइत्ता, परियाइत्ता(अ,ब,म,स)। Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छतं (नवमो उद्देसो) अविसुद्धसादि देवानं जाणणा-पासणा-पदं १६८. १. अविसुद्धले से गं भंते ! देवे प्रसमोहरणं' अप्पाणेण श्रविसुद्धलेसं देवं, देवि, अण्णयरं जाणइ पासइ ? णो तिट्टे समट्ठे' । एवं - २. प्रविसुद्धले से देवे श्रसमोहरणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं ३. अविसुद्धले से देवे समोहरणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं ४. अविसुद्धले से देवे समोहणं पाणं विसुद्धलेसं देवं ५. श्रविसुद्धले से देवे समोहयासमोहरणं प्रप्पाणं अविसुद्धलेसं देवं ६. अविसुद्धले से देवे समोहया समोहरणं प्रप्पाणेणं विसुद्धले सं देवं ७. विसुद्धले से देवे असमोहणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं विसुद्ध लेसे देवे समोहरणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं ॥ १६. ९. विसुद्धले से णं भंते! देवे समोहएणं श्रप्पाणेणं श्रविसुद्धलेसं देवं जाणइपासइ ? २६७ हंता जाणइ पासइ | एवं - १०. विसुद्धले से देवे समोहरणं अप्पाणेणं विसुद्ध लेसं देवं ११. विसुद्धले से देवे समोहयासमोहरणं प्रप्पाणेण श्रविसुद्धलेसं देवं १२. विसुद्धले से देवे समोयासमोहणं अप्पाणेणं विसुद्धले सं देवं || १७०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति * ॥ १. असंमो० ( अ, ता, म, स ) 1 २. अणगारं ( क ब ) | ३. सम एवं हैट्ठिल्लएहि अट्ठहिं न जाइ न पासइ उवरिल्लएहि चउहिं जारइ-पासइ (क, ता, वृ); स्वीकृत पाठस्य वृत्तिकृता वाचनान्तरत्वेन उल्लेखः कृतोस्ति--- वाचनान्तरे तु सर्वमेवेदं साक्षाद्यते ( वृ) 'अ, ब, म, स' संकेतितादर्शेषु द्वयोर्वाचनयोमिश्रणं दृश्यते । तत्र द्वादशभंगानन्तरं एवं एहि' इत्यादि पाठोस्ति । ४. भ० ११५१ । Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ भगवई दसमो उद्देसो सुह-दुह-उवदंसरण-पदं १७१. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव' परूवेति जावतिया रायगिहे नयरे जोवा, एवइयाणं जीवाणं नो चक्किया केइ सहं वा दुहं वा जाव कोलदिगमायमवि, निप्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूया मायमवि', लिक्खामायमवि अभिनिवतॄत्ता' उवदंसेत्तए । १७२. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जं णं ते अण्ण उत्थिया एवमाइक्खंति जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि सब्वलोए वि य णं सन्दजीवाणं नो चक्किया केइ सुहं वा 'दुहं वा जाव कोलट्ठिगमायमवि, निप्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूयामायमवि, लिक्खा मायमवि अभिनिवर्दृत्ता° उवदंसेत्तए । १७३. से के णदणं ? गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव' विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते । देवे णं महिड्ढीए जाव' महाणुभागे एगं महं सविलेवणं गंधसमुग्गगं गहाय तं अवद्दालेति, प्रवद्दालेत्ता जाव इणामेव कटु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहि अरछरानिवाएहि तिसत्तखत्तो अणपरियत्तिा णं हवमागच्छेज्जा। से नणं गोयमा ! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे तेहि घाणपोग्गलेहि फुडे ? हंता फुडे । चक्किया णं गोयमा ! केइ तेसि घाणपोग्गलाणं कोलदिमायमवि", निप्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूयामायमवि, लिक्खामायमवि अभिनिवदे॒त्ता उवदंसेत्तए ? नो तिणढे समढें । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ--नो चक्किया केइ सुहं वा जाव उवदंसेत्तए। जीव-चेयणा-पदं १७४. जीवे णं भंते ! जीवे ? जीवे जीवे ? गोयमा! जीवे ताव नियमा जीवे, जीवे वि नियमा जीवे ।। १. भ० ११४२० । २. जूय (क, ब); ऊया० (ता)। ३. ० तेत्ता (ता)। ४. भ० ११४२१ । ५. भ. ११४२१ । ६. सं० पा०-तं चेव जाव उवदंसेत्तए। ७. भ० ६.७५ । ८. भ०३।४। ६. तिहिं (अ, स)। १०. केयति (स)। ११. सं० पा०--कोलट्रिमायमवि जाव उवदंसेत्तए Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सतं (दसमो उद्देसो) १७५. जीवे णं भंते ! नेरइए ? नेरइए जीवे ? गोमा ! नेरइए ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय नेरइए, सिय अनेरइए || १७६. जीवे णं भंते ! असुरकुमारे ? असुरकुमारे जीवे ? गोमा ! असुरकुमार ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय असुरकुमारे, सिय सुकुमारे || १७७. एवं दंडओ भाणियव्वों जाव वैमाणियाणं ॥ १७८. जीवति भते ! जीवे ? जीवे जीवति ? गोमा ! जीवति ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय जीवति, सिय नो जीवति ।। १७६. जीवति भंते ! नेरइए ? नेरइए जीवति ? गोमा ! नेरइए ताव नियमा जीवति जीवति पुण सिय नेरइए, सिय अनेरइए || १८०. एवं दंडग्रो नेयव्वो जाव' वेमाणियाणं ॥ १८१ भवसिद्धिए णं भंते ! नेरइए ? नेरइए भवसिद्धिए ? गोमा ! भवसिद्धिए सिय नेरइए, सिय अनेरइए । नेरइए वि य सिय भवसि - डीए, सिय अभवसिद्धीए ॥ १८२. एवं दंडओ जाव' वैमाणियाणं ॥ वेदणा-पदं १८३. ग्रण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खति जाव' परूवेति - एवं खलु सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता एतदुक्खं वेदणं वेदेति ।। १८४. से कहमेयं भंते ! एवं ? २६६ गोमा ! जं णं णउत्थिया जाव' मिच्छं ते एवमाहंसु, श्रहं पुण गोयमा ! एवमाक्खामि जाव' परूवेमि - श्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतदुक्खं वेदणं वेदेति, ग्राहच्च सायं । अत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतसायं वेदणं वेदेति, ग्रहच्च अस्साय' । प्रत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता बेमायाए वेदणं वेदेति - ग्राहच्च सायमसायं ॥ १८५. से केणट्टेणं ? गोयमा ! नेरइया एगंतदुक्खं वेदणं वेदेति, ग्राहच्च सायं । भवणवइ-वाणमंतरजोइस-वेमाणिया एगंतसायं वेदणं वेदेति, ग्राहच्च अस्सायं । पुढविक्काइया जाव' मगुस्सा मायाए वेदणं वेदेति - ग्राहच्च सायमसायं । से तेणट्टेणं ।। १. नेतव्वो (क, ता, ब ) 1 २. पू० प० २ । ३. पू० १० २ । ४. पू० प० २1 ५. भ० १४२० । ६. भ० ११४२१ । ७. भ० १।४२१ । ८. प्रसायं वेदणं वेदेति ( अ, ता, म, स ) 1 ६. पू० ५०२। Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७० भगवई नेरइयादोणं प्राहार-पदं १८६. नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले अत्तमायाए आहारेति तं कि आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए अाहारेंति ? अणंतरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए पाहारेंति ? परंपरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति ? गोयमा ! आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारति, नो अणंतरखेतोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति, नो परंपरखेत्तोगाढे पोरगले अत्तमायाए आहारति । जहा ने रइया तहा जाव' वेमाणियाणं दंडयो ।। केवलिस्सनाण-पदं १८७. केवली णं भंते ! आयाणेहि जाणइ-पासइ ? गोयमा ! नो इणद्वै सम? ॥ १८८. से केणटेणं ? गोयमा ! केवली णं पुरथिमे णं मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ जाव' निव्वुडे दंसणे केवलिस्स । से तेणतुणं । संगहणी-गाहा जीवाण य सुहं दुक्खं, जीवे जीवति तहेव भविया य ! एगंतदुक्खं वेयण-प्रत्तमायाय केवली ।।१।। १८६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति'11 ३. भ० ११५१। १. पू० प० २। २. भ० ५१६७ । Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं पढमो उद्देसो संगहरणी-गाहा १. पाहार २. विरति ३. थावर, ४. जीवा ५. पक्खी य ६. प्राउ ७. अणगारे। ८. छउमत्थ ६. असंवुड, १०. अण्णउत्थि दस सत्तमंमि सए ॥१॥ प्रणाहारग-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव' एवं वदासी-जीवे णं भंते ! कं' समयमणा हारए भवइ? गोयमा ! पढमे समए सिय पाहारए सिय प्रणाहारए, बितिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए, ततिए समए सिय पाहारए सिय अणाहारए, चउत्थे समए नियमा आहारए। एवं दंडो-जीवा य एगिदिया य च उत्थे समए', सेसा ततिए समए॥ सव्वप्पाहारग-पदं २. जीवे णं भंते ! कं समयं सव्वप्पाहारए भवति ? गोयमा ! पढमसमयोववन्नए वा चरिमसमयभवत्थे वा, एत्थ णं जीवे सव्वप्पाहारए भवति । दंडो भाणियव्वो जाव वेमाणियाणं ।। १. भ० १२४-१०। २. किं (अ)। ३. नियमा आहारए' इति शेषम् । ४. 'नियमा आहारए' इति शेषम् । ५. °समए (स)। ६. पू०प० २। २७१ Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२ भगवई लोगसंठाण-पदं ३. किसंठिए णं भंते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा ! सुपइट्ठगसंठिए लोए पण्णत्ते-हेट्ठा विच्छिण्णे', 'मज्झे संखित्ते, उप्पि विसाले ; अहे पलियंकसंठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए°, उपि उद्धमुइंगाकारसंठिए। तंसि च णं सासयंसि लोगंसि हेढा विच्छिण्णंसि जाव उम्पि उद्धमइंगाकारसंठियं सि उप्पण्णनाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ-पासइ, अजीवे वि जाणइ-पासइ, तो पच्छा सिज्झइ' 'बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वाइ सव्वदुक्खाणं ° अंतं करेइ ।। समणोवासगस्स किरिया-पदं ४. समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स' तस्स ___णं भंते ! कि रियावहिया किरिया कज्जइ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! नो रियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ।। ५. से केणद्वेणं' भंते ! एवं वुच्चइ–नो रियावहिया किरिया कज्जइ ? ० संपरा इया किरिया कज्जइ? गोयमा ! समणोवासयस्स णं सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स पाया अहिगरणी भवइ, आयाहिगरणवत्तियं च णं तस्स नो रियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ । से तेणटेणं ।। समणोवासगस्स प्रणाउट्टिहिंसा-पदं ६. समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव तसपाणसमारंभे पच्चक्खाए भवइ, पुढवि समारंभे अपच्चवखाए भवइ । से य पुढवि खणमाणे अण्णयरं तसं पाणं विहिसेज्जा, से णं भंते ! तं वयं अतिचरति ? नो इणद्वे समढे, नो खलु से तस्स अतिवायाए प्राउट्टति ।। ७. समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव वणप्फइसमारंभे पच्चक्खाए । से य पुढवि खणमाणे अण्णयरस्स रुक्खस्स मूलं छिदेज्जा, से गं भंते ! तं वयं अतिचरति ? नो इण? समढे, नो खलु से तस्स अतिवायाए प्राउट्टति ।। १. सं० पा०—विच्छिण्णे जाव उप्पि ५. प्रत्थ (अ, ब, म, स)। २. तसि (अ); तसि तेसि (ता); तस्सि (म)। ६. इरिया ° (क, ता)। ३. सं० पा.-सिज्झइ जाव अंत । ७. सं० पा०-केरएट्रेणं जाव संपराइया। ४. समोवासए (क, स)। Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (पढमो उद्देसो) समणपडिलामेण लाभ-पदं ८. समणोवासए णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासु-एसणिज्जेणं असण पाण-'खाइम-साइमेणं" पडिलाभेमाणे कि लब्भइ? गोयमा ! समणोवासए णं तहारूवं समणं वा माहणं वा फासु-एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं ° पडिलाभेमाणे तहारूवस्स समणस्स वा माणस्स वा समाहि उप्पाएति, समाहिकारए णं तामेव समाहि पडिलभइ॥ ६. समणोवासए णं भंते ! तहारूवं समणं वा 'माहणं वा फासु-एसणिज्जेणं असण पाण-खाइम-साइमेण पडिलाभेमाणे कि चयति ? गोयमा ! जीवियं चयति, दुच्चयं चयति, दुक्करं करेति, दुल्लह लहइ, बोहिं बुज्झइ, तो पच्छा सिज्झति जाव' अंतं करेति ॥ प्रकम्मस्त गति-पदं १०. अस्थि णं भंते ! अकम्मस्स गती पण्णायति ? हंता अस्थि ॥ ११. कहण्णं भंते ! अकम्मस्स गतो पण्णायति ? गोयमा ! निस्संगयाए, निरंगणयाए, गतिपरिणामेणं, बंधणछेदणयाए', निरिंधणयाए, पुवप्पनोगेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ।। कहण्णं भंते ! निस्संगयाए, निरंगणयाए, गतिपरिणामेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ? से जहानामए केइ पुरिसे सुक्कं तुंबं निच्छिड्डं निरूवा प्राणुपुवीए परिकम्मेमाणे-परिकम्मेमाणे दबभेहि य कुसेहि य वेढेइ, वेढेत्ता अहि मट्टियालेवेहि लिंपइ, लिपित्ता उण्हे दलयति, भूति-भूति सुक्कं समाणं अत्थाहमतारमपोरिसियंसि उदगंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! से तुंवे तेसि अट्ठण्हं मट्टियालेवाणं गुरुयत्ताए भारियत्ताए गुरुसंभारियत्ताए सलिलतलमतिवइत्ता अहे धरणितलपइट्ठाणे भवइ ? हंता भवइ । अहे णं से तुबे तेसि अट्ठण्हं मट्टियालेवाणं परिवखएवं धरणितलमतिवइत्ता उप्पि सलिलतलपइट्ठाणे भवइ ? १. खातिम-सातिमेणं (अ, ब, स)। २. सं० पा०—समणं वा जाव पडिलाभे । ३. तमेव (क्व०)। ४. सं० पा०-समरणं वा जाव पष्टिलाभे०। ५. दुचयं (स)। ६. भ० ७१३ । ७. बंधवोच्छेदणताए (ता)। ८. इह मकारौ प्राकृतप्रभवो ()। Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७४ भगवई हंता भवइ। एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए, निरंगणयाए, गतिपरिणामेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ।। १३. कहाणं भंते ! बंधणछेदणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति' ? गोयमा ! से जहानामए कलसिंवलिया इवा, मुग्गसिबलिया इ वा, माससिबलिया इ वा, सिंबलिसिंबलिया' इ वा, एरंडमिजिया इ वा उण्हे दिन्ना' सुक्का समाणी फुडित्ता णं एगंतमंतं गच्छइ । एवं खलु गोयमा! बंधणछेदणयाए प्रकम्भस्स गती पण्णायति ।। १४. कहण्णं भंते ! निरिंधणयाए अकम्मरस गती पण्णायति ? गोयमा से जहानामाए धूमस्स इंधणविप्पमुक्कस्स उड्ढं वीससाए निव्वाघाएणं गती पवत्तति । एवं खलू गोयमा ! निरिंधणयाए अकम्मस्स गती पण्णायति ।। १५. कहण्णं भंते ! पव्वप्पयोगेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ? गोयमा! से जहानामए कंडस्स कोदंडविप्पमुक्कस्स लक्खाभिमुही निव्वाधाएणं गती पवत्तइ । एवं खलु गोयमा ! पुवप्पयोगेणं अकम्मस्स गती पण्णायति । एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए, निरंगणयाए', 'गतिपरिणामेणं, बंधणछेदण याए, निरिंधणयाए°, पुवप्पग्रोगेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ।। दुक्खिस्स दुवखफासादि-पदं १६. दुक्खी भंते ! दुक्खेणं फुडे ? अदुक्खी दुक्खेणं फुडे ? ___ गोयमा ! दुक्खी दुक्खेणं फुडे, नो अदुक्खी दुक्खेणं फुडे । १७. दुक्खी भंते ! नेरइए दुक्खेणं फुडे ? अदुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे ? गोयमा ! दुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे, नो अदुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे ।। १८. एवं दंडअो जाव' वेमाणियाणं ।। १६. एवं पंच दंडगा नेयव्वा-१. दुक्खी दुक्खेणं फुडे २. दुक्खी दुक्खं परियायइ ३. दुक्खी दुक्खं उदीरेइ ४. दुक्खी दुक्खं वेदेति ५. दुक्खी दुक्खं निज्जरेति ॥ इरियावहिय-संपराइय-किरिया-पदं २०. अणगारस्स णं भंते ! अणाउत्तं गच्छमाणस्स वा, चिट्ठमाणस्स' वा, निसीय माणस्स वा, तुयट्टमाणस्स वा, अणाउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं गेह १. पण्णत्ता (अ, क, ता, ब, म, स)। २. सेंबलिसें बलिया (ता)। ३. दित्ता (स)। ४. नीसंगयाए (अ, क, ब, म, स)। ५. सं० पा०-निरंगरण्याए जाव पुव्व' । ६. पू०प०२। ७. सर्वेष्वपि पदेषु 'अगाउत्त' इति पदं गम्यम् ! Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समं सतं (पढमो उद्देसो) २७५ माणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा तस्स णं भंते ! किं' रियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! नो रियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ॥ २१. से केणट्टेणं ? गोयमा ! जस्स णं कोह- माण - माया लोभा वोच्छिण्णा' भवंति तस्स णं रियावहिया किरिया कज्जइ', जस्स णं कोह- माण- माया लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ । अहासुत्तं रीयमाणस्स रियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ । से णं उस्सुत्तमेव रोयती' । से तेणट्टेणे ॥ इंगाला दिदोस-पाणभोयण-पदं २२. अह् भंते ! सइंगालस्स, सधूमस्स, संजोयणादोसदुटुस्स पाण-भोयणस्स के अपण्णत्ते ? गोयमा ! जेणं निग्गंथे वा निग्गंधी वा फासु- एसणिज्जं प्रसण पाण- खाइमसाइमं पडिग्गाहेता मुच्छिए गिद्धे गढिए प्रज्भोववन्ने ग्रहारमाहारेइ, एस णं गोमा ! सगाले पाण-भोयणे । जेणं निग्थे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण- पाणखाइम साइमं पडिगाता महापत्ति कोहकिलामं करेमाणे श्राहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! धूमे पाण-भो । जेणं निरये वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण- पाण- खाइम - साइमं डिग्गात्ता गुगुप्पायणहेउं प्रण्णदव्वेणं सद्धि संजोएत्ता श्राहारमाहारेइ, एस गोमा ! संजोयणादोसदुट्ठे पाण-भोयणे । एस णं गोयमा ! सइंगालस्स, सधूमस्स, संजोयणादोसदुस्स पाण- भोयणस्स पण्णत्ते ॥ २३. ग्रह भंते ! वीतिंगालस्स, वीयधूमस्स, संजोयणादोसविप्यमुक्कस्स पाण-भोयपण्णत्ते ? स के गोमा ! जेणं निम्थे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण-पाण खाइम १. X ( क, ता, ब ) 1 २. विच्छिण्णा ( ब ) 1 ३. कज्जइ नो संपराइया किरिया कज्जइ (म) | ४. कज्जइ नो इरियावहिया किरिया कज्जइ ( म, स) । ५. रियति ( अ, क, व, म, स) । ६. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेता । ७. गुणप्पयाण ० ( अ, स ) ; गुरगुप्पाणा (ता) ८. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता । Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७६ भगवई साइमं पडिग्गाहता मुछिए' 'अगिद्धे प्रगढिए प्रणज्भोववन्ने ग्राहारमा ०हारेइ, एस णं गोयमा ! वीर्तिगाले पाण. भोयणे । जेणं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण पाण खाइम साइमं ० पडिगाहेत्ता णो महयाप्पत्तियं कोहकिलामं करेमाणे आहारमा हारेइ, एस णं गोयमा ! वीयधूमे पाण- भोयणे । जेणं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण- पाण- खाइम साइमं ० डिग्गाहेत्ता जहा लद्धं तहा आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! संजोयणादोसfarmers पण भो । एस णं गोयमा ! वीतिंगालस्स, वीयधूमस्स, संजोयणादोस विप्पमुक्कस्स पाणभोयणस्स टु पण्णत्ते ॥ २४. ग्रह भंते ! खेत्तातिक्कंतस्स, कालातिक्कंतस्स, मग्गातिक्कंतस्स, पमाणातिक्कंतस्स पाण-भोयणस्स के द्वे पण्णत्ते ? गोयमा ! जेणं निग्ये वा निग्गंथी वा फासु· एस णिज्जं श्रसण पाण- खाइम साइमं प्रणुग्गए सूरिए पडिग्गाहेत्ता उग्गए सूरिए श्राहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! खेत्तातिवकते पाण-भोयणे । जेणं निम्गंथे वा निग्गंधी वा फासु-एस णिज्जं असणं- पाण- खाइम - साइमं पढमाए पोरिसीए पडिग्गाहेत्ता पच्छिम पोरिसि उवाइणावेत्ता श्राहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! कालातिक्कंते पाण-भोयणे । जे गं निग्ये वा "निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण- पाणखाइम ० - साइमं पडिग्गाहेत्ता परं श्रद्धजोयणमेरा वीइक्कमावेत्ता' आहारमाहारेइ, एस णं गोमा ! मग्यातिक्कते पण भोयणे । जेणं निग्गंथे" वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं" असण-पाणखाइम° साइमं डिग्गात्ता पर बत्तीसाए कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ताणं कवलाणं आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! पमाणातिक्कंते पाण-भोयणे । अट्ट कुक्कुडिडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे", दुवालस कुक्कुडिडगपमाणमेत्ते कवले ग्राहारमाहारेमाणे अवड्ढोमोयरिए", सोलस १. सं० पा०- - अमुच्छिए जाव आहारेइ । २. सं० पा०-निगथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता । ३. स० पा० - महयाअष्पत्तियं जाव आहारेइ ४. सं० पा०-निथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता । ५. क्षेत्र --- सूर्य संबन्धितापक्षेत्रं दिनमित्यर्थः । तदतिक्रान्तं यत् तत् क्षेत्रातिक्रान्तम् (वृ) 1 ६. सं० पा०-निरगंथे वा जाव साइमं । ७. उवायरणा ( अ, म ) । O ८. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव साइमं । ६. वीइक्कमावइत्ता (स) 1 १०. निग्गंयो (क, ता, स ) । ११. सं० पा० एसणिज्जं जाव साइमं । १२. सावुर्भवतीति गम्यम् । १३. अवड्ढोमोयरिया ( अ, ता) | Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमं सतं (बीओ उद्देसो) २७७ कुक्कुडिडगपमाणमेत्ते कवले श्राहारमाहारेमाणे दुभागप्पत्ते, चउव्वीसं कुक्कुडिगपमाण मेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे ग्रोमोदरिए, बत्तीसं कुक्कुडिअंगप्रमाणमेत्ते कवले श्राहारमाहारेमाणे पमाणपत्ते, एत्तो एक्केण विघासेणं ऊणगं आहारमाहारेमाणे समणे निग्र्गये तो पकामरसभोईति वत्तव्वं सिया । एस णं गोयमा ! खेत्तातिक्कंतस्स, कालातिक्कंतस्स, मग्गातिक्कंतस्स, पमाणातिक्तस्स पाण- भोयणस्स ट्ठे पण्णत्ते ॥ २५. ग्रह भंते ! सत्यातीतस्स, सत्यपरिणामियस्सर, एसियस्स, वेसियस्स, सामुदापियस्स पाण- भोयणस्स के ट्ठे पण्णत्ते ? गोयमा ! जेणं निम्गंथे वा निम्गंथी वा निक्खित्तसत्थमुसले ववगयमालावण्णग- विलेवणे ववगय-चुय चइय चत्तदेहं जीवविप्पजढं, अकयं, अकारिथं, असंकप्पियं प्रणाहूयं प्रकीयकडं, अणुद्दिट्ठ, नवकोडीपरिसुद्धं, दसदोसविप्प मुक्कं, उग्गमुपायसणासुपरिसुद्ध, वीतिगालं, वोतधूमं संजोयणादोसविध्यमुक्कं, असुरसुरं, अचवचवं, अदुयं ग्रक्लिंबियं, अपरिसाडि अक्खोवंजण-वणाणुलेवणभूयं संजमजायामायावत्तियं, संजमभारवहणट्टयाए विलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेण श्राहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! सत्यातीतस्स, सत्यपरिणामियस्स • एसियस्स, वेसियस्स, सामुदाणियस्स पाण- भोयणस्स अट्ठे पण्णत्ते ॥ २६. सेवं भंते ! सेवं भंते । ति ॥ o बीओ उद्देसो सुपच्चक्खारण- दुपच्चवखाण-पदं २७. से दूणं भंते! सव्वपाणेहिं सव्वभूएहि, सव्वजीवेहि, सव्वसत्तेहिं पच्चक्खायमिति वदमाणस्स सुपच्चवखायं भवति ? दुपच्चक्खायं भवति ? गोयमा ! सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पच्चवखायमिति वदमाणस्स सिय सुपच्चवखायं भवति, सिय दुपच्चक्खायं भवति ॥ १. सं० पा० - ० पमाणे जाव आहार° । २. ओमोदरिया ( अ, ता, स ) ; ओमोदरियाए ( ब ) । ६. ३. ० पारि (ता) | ४. असुरुसुरं (ता) । ५. सं० पा० - सत्यपरिणामियस्स जाव पाण | प्रथमट्ठे ( अ ) | ७. भ० १।५१ । Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७८ - भगवई २८. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सव्वपाणेहि जाव' सव्वसत्तेहि पच्चक्खाय मिति वदमाणस्स सिय सपच्चवखायं भवति ? सिय दपच्चवखायं भवति ? गोयमा ! जस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चक्खायमिति वदमाणस्स णो एवं अभिसमन्नागयं भवति- इमे जीवा, इमे अजीवा, इमे तसा, इमे थावरा, तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चवखायमिति वदमाणस्स नो सुपच्चक्खायं भवति, दुपच्चक्खायं भवति ।। एवं खलु से दुपच्चवखाई सध्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति बदमाणे नो सच्चं भासं भासइ, मोसं भासं भासइ । एवं खलु से मुसावाई सव्वपाणेहिं जाव सब्वसत्तेहिं तिविहं तिविहेणं असंजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मे, सकिरिए, असंवुडे, एगंतदंडे, एगंतवाले यावि भवति । जस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चवखायमिति वदमाणस्स एवं अभिसमत्नागयं भवतिइमे जीवा, इमे अजीवा, इमे तसा, इमे थावरा, तस्स णं सव्वपाहि जाव सव्वसत्तहि पच्चदखायमिति वदमाणस्स सुपच्चक्खायं भवति, नो दुपच्चक्खायं भवति । एवं खलु से सुपच्चक्खाई सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणे सच्चं भासं भासइ, नो मोसं भासं भासइ । एवं खलु से सच्चवादी सव्वपाणेहिं जाव सव्वसहि तिविहं तिविहेणं संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मे, अकिरिए, संवुडे, एगंतपंडिए यावि भवति । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ'- सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणस्स सिय सुपच्चवखायं भवति°, सिय पच्चक्खायं भवति ।। पच्चक्खाण-पदं २६. कतिविहे णं भंते ! पच्चवखाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पच्चवखाणे पप्णत्ते, तं जहा-- मूलगुणपच्चवखाणे य, उत्तर गुणपच्चक्खाणे य॥ ३०. मूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे य, देसमूलगुण पच्चक्खाणे य॥ ३१. सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे गं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा- सव्वानो पाणाइवायाप्रो वे रमणं', १. भ० ७।२७ । २. सं० पा०--सव्वसत्तेहि जाव सिय । ३. सं० पा०-बुच्चइ जाव सिय । ४. सं० पा०-वेरमण जाव सव्वाओ। . Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७६ सत्तमं सतं (बीओ उद्देसो) •सव्वानो मुसावायाप्रो वेरमणं, सव्वानो अदिण्णादाणाओ वेरमणं, सव्वानो मेहुणालो वेरमणं, सव्वानो परिग्गहारो वेरमणं ।। ३२. देसमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहाथूलाओ पाणाइवायानो वेरमण', •थूलाग्रो मुसावायानो वेरमणं, थूलाओ अदिण्णादाणाप्रो वेरमणं, थूलाग्रो मेहणाओ वेरमणं , थूलामो परिग्गहारो वेरमणं ।। ३३. उत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णते, तं जहा-सव्वुत्तरगुणपच्चवखाणे य, देसुत्तरगुण पच्चक्खाणे य॥ ३४. सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दसविहे पण्णत्ते, तं जहागाहा १, २. अणागयमइक्कतं ३. कोडीसहियं ४. नियंटियं चेव । ५, ६. सागारमणागारं ७. परिमाणकडं ८. निरवसेसं । ६. संकेयं चेव १०. अद्धाए, पच्चक्खाणं भवे दसहा ॥१॥ ३५. देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा--१. दिसिव्वयं' २. उवभोगपरिभोगपरिमाणं ३. अणत्थदंडवेरमणं' ४. सामाइयं ५. देसावगासियं ६. पोसहोव वासो ७. अतिहिसंविभागो' । अपच्छिममारणंतियसलेहणाझूसणा राहणता । पच्चक्खाणि-अपच्चक्खारिण-पदं ३६. जीवा णं भंते! कि मूलगुणपच्चक्खाणी? उत्तरगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी? गोयमा ! जीवा मूलगुणपच्चक्खाणी वि, उत्तरगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्च क्खाणी वि।। ३७. नेरइया णं भंते ! कि मूलगुणपच्चक्खाणी ? पुच्छा। गोयमा ! ने रइया नो मूलगुणपच्चक्खाणी, नो उत्तरगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी॥ १. सं० पा०-वेरमणं जाव थूलाओ। २. साएतं (ता, म); साकेयं (स, वृ); संकेयगं (ठा० १०१०१) केत: चिन्हं सहकेतेन वर्तते सकेतम-दीर्घता च प्राकृतत्त्वात् (वृ) । ३. दिसुध्वतं (ता)। ४. अणट्ठा (ता) ५. अहासविभाग (म)। ६. संलेखनामविगणय्य सप्त देशोत्तरगुणा इत्यु क्तम, अस्याश्चैतेष पाठो देशोत्तरगृणधारिगाऽपीयमन्ते विधातव्येत्यस्यार्थस्य स्थापनार्थ: Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८० भगवई ३८. एवं जाव' चरिदिया ।। ३६. पंचिदियतिरिक्खजोणि या मणुस्सा य जहा जीवा, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ।। ४०. एएसि णं भंते ! जीवाणं मूलगुणपच्चक्खाणीणं, उत्तरगुणपच्चक्खाणीणं, अपच्चक्खाणीण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया का ? तुल्ला वा ? ' विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चवखाणी अणंतगुणा ॥ ४१. एएसि णं भंते ! पचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! सव्वत्थोवा' पंचिदियतिरिक्खजोणिया मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तर. गुणपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा ।। ४२. एएसि णं भंते ! मणुस्साणं मूलगुणपच्चवखाणीणं पुच्छा। गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी संखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा ॥ जीवा णं भंते ! कि सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी ? देसमूलगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चवखाणी? गोयमा ! जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी वि, देसमूलगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चवखाणी वि॥ नेरइयाणं पुच्छा। गोयमा ! नेरइया नो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, नो देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी ॥ ४५. एवं जाव चरिदिया । पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा। गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया नो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुण पच्चक्खाणी', अपच्चक्खाणी वि॥ ४७. "मणुस्साणं भंते ! किं सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी ? देसमूलगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी? गोयमा ! मणुस्सा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी वि, देसमूलगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि° ॥ ४४. १. पू० प० २। २. सं० पा.-.---कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३. सम्वत्थोवा जीवा (अ)। ४. पू०प०२। ५. ० पच्चक्खाणी वि (क, ता, म, स)। ६. सं० पाo-मणुस्सा जहा जीवा। Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (बीओ उद्देसो) ४८. वाणमंतर - जोइस-वेमाणिया जहा नेरइया || ४६. एएसि णं भंते ! जीवाणं सव्वमूलगुणपच्चक्खाणीणं, देसमूलगुणपच्चक्खाणीणं, अपच्चक्खाणीण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा १० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सब्वमूलगुणपच्चवखाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी प्रणतगुणा || ५०. एएसि णं भंते! पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुणपच्चक्खाणी, श्रप्पच्चक्खाणी श्रसंखेज्जगुणा ॥ ५१. एएसि णं भंते! मणुस्साणं सव्वमूलगुणपच्चवखाणीणं पुच्छा | गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी सखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा || ० ५२. जीवा णं भंते! कि सब्बुत्तरगुणपच्चक्खाणी ? देसुत्तरगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चवखाणी ? गोयमा ! जीवा सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणी वि.' 'देसुत्तरगुणपच्चवखाणी वि अपच्चवखाणी वि° । पचिदियतिरिखखजोणिया मणुस्सा य एवं चेव । सेसा प्रपञ्चवखाणी जाव माणिया || पच्चकखाणी अप्पाबहुगाणि तिणि वि ५३. एएसि णं भंते! जीवाणं सव्वत्तरगुणपर जहा पढमे दंड जाव' मणुस्साणं ॥ ५४. जीवा गं भंते ! कि संजया ? असंजया ? संजयासंजया ? गोयमा ! जीवा संजया वि, संजया वि, संजयासंजया वि । एवं जहेव पण्णवणाए तहेव भाणियव्वं जाव' वेमाणिया । अप्पाबहुगं तहेव तिष्ह वि भाणियव्वं ॥ ५५. जीवा णं भंते! किं पच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणी ? १. सं० पा० - करेहितो जाव विसेसाहिया । ४. पू० १०२ । २. सं० पा० - एवं अप्पाबहुगारिण तिष्णि वि ५. भ० ७।४०-४२ । जहा पढमिल्ले दंडए, नवरं -- सव्वत्थोवा ६. सं० पा०तिष्णि वि । पंचिदियतिरिक्खजोगिया देसमूलगुणपच्च ७. पृ० ३२ । ८. भ० ७१४०-४२ । क्खाणी, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा । ३. सं० पा०-तिष्णि वि। २०१ Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८-२ गोयमा ! जीवा पच्चक्खाणी वि. अपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी वि || ५६. एवं मणुस्साण विरे | पंचिदियतिरिखखजोणिया प्रादिल्लविरहिया । सेसा सव्वे अपच्चक्खाणी जाव' वेमाणिया || ५७. एएसि णं भंते! जीवाणं पच्चक्खाणीण' 'अपच्चक्खाणीणं पच्चक्खाणापच्चवखाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा° ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पच्चक्खाणी, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चवखाणी अनंतगुणा । पंचिदियतिरिक्खजोणिया सव्वत्थोवा पच्चक्खाणापच्चक्खाणी, प्रपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा | मस्सा सव्वत्थोवा पच्चक्खाणी, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी संखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा' || सासय-असासय-पदं ५८. जीवा णं भंते ! कि सासया ? असासया ? गोयमा ! जीवा सिय सासया, सिय प्रसासया ॥ ५६. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ - जीवा सिय सासया ? सिय प्रसासया ? गोयमा ! दव्वट्टयाए सासया, भावट्टयाए असासया । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चई'-- जीवा सिय सासया, सिय सासया || ६०. नेरइया णं भंते ! कि सासया ? असासया ? एवं जहा जीवा तहा नेरइया वि । एवं जाव" वेमाणिया सिय सासया, सिय असासया ।। ६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ॥ १. सं० पा०-तिष्णि वि । २. वि तिष्णि वि (अ, स ) । भगवई ५. तुलना - भ० ६ ६४ । ६. सं० पा० - वुच्चइ जाव सिय । ३. पू० १० २ । ७. पृ० प० २ । ४. सं० पा० – पच्चक्खाणीरणं जाव विसेसाहिया ८. भ० १।५१ । Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (तइओ उद्देसो) २८३ तइओ उद्देसो वण्णस्सइ-पाहार-पदं ६२. वणस्सइक्काइया णं भंते ! कं' कालं सवप्पाहारगा वा, सव्वमहाहारगा वा भवंति ? गोयमा! पाउस-वरिसारत्तेसु णं एत्थ णं वणस्सइकाइया सव्वमहाहारगा भवंति, तदाणंतर च णं सरदे', तदाणतरं च णं हेमते, तदाणंतरं च णं वसंते, तदाणंतरं च णं गिम्हे । गिम्हासु णं वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवंति ।। ६३. जइ णं भंते ! गिम्हासु वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवंति, कम्हा णं भंते ! गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया, पुफिया, फलिया, हरियगरेरिज्जमाणा, सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा चिटुंति ? गोयमा! गिम्हासु णं वहवे उसिण जोणिया जीवा य, पोग्गला य वणस्स इकाइयत्ताए वक्कमंति, चयति', उववज्जति । एवं खलु गोयमा ! गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया, पुफिया', 'फलिया, हरियगरेरिज्जमाणा, सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणा-उवसोभेमाणा' चिट्ठति ।। ६४. से नूणं भंते ! मूला मूलजीवफुडा, कंदा कंदजीवफुडा, खंधा खंधजीवफुडा, तया तयाजीवफुडा, साला सालजीवफुडा, पवाला पवालजीवफुडा, पत्ता पत्तजीवफुडा, पुप्फा पुप्फजीवफुडा, फला फलजीवफुडा , वीया वीयजीवफुडा ? हंता गोयमा ! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया वीयजीवफुडा ।। ६५. जइ णं भंते ! मूला मूलजीवफुडा जाव' बीया वीयजीवफुडा, कम्हा णं भंते ! वणस्सइकाइया आहारेति ? कम्हा परिणामेंति ? गोयमा ! मूला मूलजीवफुडा पुढवीजीवपडिबद्धा तम्हा अाहारेति, तम्हा परिणामेति । कंदा कंदजीवफुडा भूलजीवपडिबद्धा, तम्हा आहारेंति, तम्हा परिणामेति । एवं जाव' बीया बीयजीवफुडा फलजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेंति, तम्हा परिणामेति ।। १. किं (क, म)। २. तद (ब)। ३. सरए (अ)। ४. विउक्कमति (अ, क); विउक्कमति चयंति ५. सं० पा०—पुफिया जाव चिटुंति ! ६. सं० पा०--कंदजीवफूडा जाव बीया। ७. भ० ७.६४। Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८४ अकाय-पदं ६६. अह भंते ! आलुए, मूलए, सिंगबेरे, हिरिलि, सिरिलि, सिस्सिरिलि', किट्टिया, छिरिया, छीरविरालिया, कण्हकंदे, वज्जकंदे, सूरणकंदे, खेलूडे भद्दमोत्या, fuse लिद्दा', लोही, णीहू, थोहू, थिभगा', प्रस्कण्णी, सीहकण्णी, सिउंढी, मुसंढी, जेयावणे तहप्पगारा सव्वे ते प्रणतजीवा विविहसत्ता' ? हंता गोयमा ! आलुए, मूलए जाव अणंतजीवा विविहसत्ता || कम्म महाकम्मपदं ६७. सिय भंते! कण्हले से नेरइए अप्पकम्मतराए ? नोललेसे नेरइए महाकम्मतराए ? हंता सिय" | ६८. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - कण्हलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए ? नीललेसे नेरइए महाकम्मतराए ? गोयमा ! ठिति पडुच्च । से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव महाकम्मतराए ॥ ६६. सिय भंते ! नीललेसे नेरइए अप्पकम्मतराए ? काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ? हंता सिय || ७०. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - नीललेसे नेरइए श्रप्पकम्मतराए ? काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ? गोमा ! ठिति पहुन्च । से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव महाकम्मतराए || ७१. एवं असुरकुमारे वि, नवरं - तेउलेसा प्रभहिया । एवं जाव" वेमाणिया । जस्स जइ लेस्साओ तस्स तत्तिया भाणियव्वाओ । जोइसियस्स न भण्णइ जाव७२. सिय भंते! पम्हलेस्से वेमाणिए अप्पकम्मतराए ? सुक्कलेस्से वेमाणिए महाकम्मत राए हंता सिय || ? ७३. से केणद्वेणं ?" गोयमा ! ठिति पहुच्च । से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव महा कम्मतराए || १. सिस्सेरिलि (ता) । २. किट्टिया ( अ, ता) । ३. छीरि० ( अ ) । ४. खल्लू डे ( अ ) ; खल्लुए (ता) । ५. अमोत्था ( अ, म, स ) | ६. भिंड (क) 1 ७. विभंगा (प्र); थिरुगा ( म, स ) । भगवई ८. सीढी ( अ ) ; सीदंडी (क); संदिट्ठी ( ब ) ; सीदंवी (म); साठी ( स ) 1 ६. विचित्तविहितत्ता (वृपा ) | १०. सिया ( अ, ब ) । ११. पू० प० २ । १२. सं० पा० - सेसं जहा नेरइयस्स । Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ससमं सतं (तइओ उद्देसो) २८५ वेदणा-निज्जरा-पवं ७४. से नूणं भंते ! जा वेदणा सा निज्जरा? जा निज्जरा सा वेदणा ? गोयमा ! णो इणट्टे समढे । ७५. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जा वेदणा न सा निज्जरा? जा निज्जरा न सा वेदणा? गोयमा ! कम्मं वेदणा, नोकम्म निज्जरा । से तेण?णं गोयमा' ! 'एवं वुच्चइ -जा वेदणा न सा निज्जरा, जानिज्जरा न सा वेदणा ।। ७६. नेरइया णं भंते ! जा वेदणा सा निज्जरा ? जा निज्जरा सा वेदणा? गोयमा ! णो इणटे समटे ।। ७७. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-रइयाणं जा वेदणा न सा निज्जरा? जा निज्जरा न सा वेदणा? गोयमा ! नेरइयाणं कम्मं वेदणा, नोकम्म निज्जरा। से तेण?णं गोयमा' ! •एवं वुच्चइ--नेरइयाणं जा वेदणा न सा निज्जरा, जा निज्जरा' न सा वेदणा ॥ ७८. एवं जाव वेमाणियाणं ।। ७६. से नूणं भंते ! जं वेदेसु तं निज्जरेंसु ? जं निज्जरेंसु तं वेद॑सु ? णो इणद्वे समटे ।। ५०. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जं वेदेंसु नो तं निज्जरेंसु ? जं निज्जरेंसु नो तं वेदेंसु ? गोयमा ! कम्मं वेदेंसु, नोकम्म निज्जरसु। से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो तं वेदेंसु ।। ८१. एवं ने रइया वि, एवं जाव वेमाणिया॥ ८२. से नूणं भंते ! जं वेदेति तं निज्जरेंति ? जं निजरेंति तं वेदेति ? गोयमा ! णो इण? सम? ।। ८३. से केणट्रेणं भंते ! एवं वच्चइ----जाव नो तं वेदेति ? गोयमा ! कम्मं वेदेति, नोकम्मं निज्जरेंति। से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव नो तं वेदेति ।। ८४. एवं नेरइया वि जाव वेमाणिया ।। ८५. से नूणं भंते ! जं वेदिस्संति तं निजरिस्संति ? जं निज्जरिस्संति तं वेदिस्संति ? __ गोयमा ! णो इणद्वे समटे ।। १. कम्म (अ, क, म)। २. सं. पा.-गोयमा जाव न । ३. सं० पा०-गोयमा जाव न । ४. पू०प०२। ५. नेरइया रणं भंते ! जं वेदेंसु तं निज्जरेंसु एवं (अ, क, ता, ब, म, स)। Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८६ भगवई ८६. से केणद्वेणं जाव नो तं वेदिस्संति ? गोयमा ! कम्मं वेदिस्संति, नोकम्मं निजरिस्संति । से तेणद्वेणं जाव नो तं निज्जरिस्संति ॥ ८७. एवं नेरइया वि जाव वेमाणिया ।। ८८. से नणं भंते ! जे वेदणासमए से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए से वेदणा समए ? णो इण? समढे ॥ ८६. से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जे वेदणासमए न से निज्जरासमए ? जे निज्ज रासमए न से वेदणासमए ? गोयमा ! जं समयं वेदेति नो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति नो तं समयं वेदेति-अण्णम्मि समए वेदेति, अण्णम्मि समए निज्जरेंति । अण्णे से वेदणासमए, अण्णे से निज्जरासमए। से तेण?णं जाव न से वेदणासमए, न से निज्जरासमए॥ ६०. नेरइया णं भंते ! जे वेदणासमए से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए से वेदणासमए? गोयमा ! णो इणद्वे सम? ।। ६१. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ---ने रझ्या णं जे वेदणासमए न से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए न से वेदणासमए ? गोयमा ! नेरइया णं जं समयं वेदेति नो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति नो तं समयं वेदति-अण्णम्मि समए वेदेति, अण्णम्मि समए निज्जरेति । अण्णे से वेदणासमए, अण्णे से निज्जरासमए । से ते णटेणं जाव न से वेदणासमए । ६२. एवं जाव वेमाणियाणं ।। सासय-प्रसासय-पदं ६३. नेरइया णं भंते ! कि सासया ? असासया ? गोयमा ! सिय सासया, सिय प्रसासया ।। ६४. से केपट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - नेरइया सिय सासया ? सिय असासया ? गोयमा ! अव्वोच्छित्तिनयट्टयाए सासया, वोच्छित्तिनयट्टयाए असासया। से तेण?णं जाव सिय सासया, सिय प्रसासया ॥ ६५. एवं जाव वेमाणिया जाव सिय प्रसासया ।। ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। १. भ. ११५१। Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८७ सत्तमं सतं (पंचमो उद्देसो) चउत्थो उद्देसो संसारस्थजीव-पदं ६७. रायगिहे नयरे जाव' एवं वयासि-कतिविहा णं भंते ! संसारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता ? गोयमा ! छबिहा संसारसमावन्नगा जोवा पण्णता, तं जहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया । एवं जहा जीवाभिगमे जाव' एगे जीवे एगेणं समएणं एगं किरियं पकरेइ, तं जहा-सम्मत्तकिरियं वा, मिच्छत्तकिरियं वा ।। १८. सेवं भंते ! सेवं भले ! त्ति। पंचमो उद्देसो जोगीसंगह-पदं ६९. रायगिहे जाव एवं वयासी-खहयरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कतिविहे जोणीसंगहे पण्णत्ते? गोयमा ! तिविहे जोणीसंगहे पण्णत्ते, तं जहा-अंडया, पोयया, संमुच्छिमा। एवं जहा जीवाभिगमे जाव' नो चेव णं ते विमाणे बीतीवएज्जा, एमहालया णं गोयमा! ते विमाणा पण्णत्ता। १००. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। १. भ०१४-१०। २. जी०३। ३. अतोने एका संग्रहगाथा लभ्यते-- जीवा छव्विह पुढवी, जीवाण ठिती भव ट्रिती काये । गिल्ले वरण अणगारे, किरिया सम्मत-मिच्छत्ता ॥ (अ, ता, ब, म, स, वृपा)। ४. भ० ११५१॥ ५. जी०३। ६. अतोने एका संग्रहगाथा लभ्यतेजोगीसंगह-लेसा, दिद्वी नाणे य जोग-उवओगे ! उववाय-ट्ठिति-समुग्घाय-चवरण-जाती-कुल वीहीओ ।। (वृपा)। ७. भ० १५१ 1 Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८८ भगवई छट्ठो उद्देसो प्राउयपकरण-वेयणा-पदं १०१. रायगिहे जाव' एवं वयासी-जोवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए', याउयं पकरेइ ? उववज्जमाणे नेरइया उयं पकरेइ ? उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ ? गोयमा ! इहगए नेरइयाउयं पकरेइ, नो उववज्जमाणे नेरइयाउयं पकरेइ, नो उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ । एवं असुरकुमारेसु वि, एवं जाव' वेमाणिएसु ॥ १०२. जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कि इहगए नेर इयाउयं पडिसंवेदेइ ? उववज्जमाणे नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ ? उववन्ने नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ ? गोयमा ! नो इहगए नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ, उववज्जमाणे नेरइयाउयं पडिसं वेदेइ, उववन्ने वि नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ । एवं जाव वेमाणिएसु ॥ १०३. जीवे णं भंते ! जे भविए ने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कि इहगए महावेदणे ? उववज्जमाणे महावेदणे ? उववन्ने महावेदणे ? गोयमा ! इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, उववज्जमाणे सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, अहे णं उववन्ने भवइ तो पच्छा एगंतदुक्खं वेदणं वेदेति, प्राहच्च सायं ।। १०४. जीवे णं भंते ! जे भविए असरकुमारेस उववज्जित्तए, पृच्छा। गोयमा । इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, उववज्जमाणे सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, अहे ण उववन्ने भवइ तो पच्छा एगतसातं वेदणं वेदेति, पाहच्च असायं । एवं जाव' थणियकुमारेसु ।। १०५. जोवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, पुच्छा। गोयमा ! इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, एवं उववज्जमाणे वि, अहे णं उववन्ने भवइ तो पच्छा वेमायाए वेदणं वेदेति । एवं जाव' मणुस्सेसु । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएमु जहा असुरकुमारेसु ।। १०६. जीवा गं भंते ! किं आभोगनिव्वत्तियाउया ? अणाभोगनिव्वत्तियाउया ? गोयमा! नो पाभोगनिव्वत्तियाउया, अणाभोगनिव्वत्तियाउया ! एवं नेरइया वि, एवं जाव वेमाणिया ।। १. भ० १४-१०। २. उववज्जति (ब)। ३. पू० ५०२। ४. अस्सायं (अ, स)। ५. पू० प० २। ६. पू० प० २। ७. पू०प०२। Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (छट्ठो उद्देसो) २८१ कक्कस-अकक्कसवेयणीय-पदं १०७. अत्थि णं भंते ! जीवाणं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कन्जंति ? हंता अस्थि ।। १०८. कहण्णं भंते ! जीवाणं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? गोयमा! पाणाइवाएण जाव' मिच्छादसणसल्लेणं -एवं खलु गोयमा ! जीवाणं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ।। १०६. अस्थि णं भंते ! नेरइया णं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? एवं चेव । एवं जाव वेमाणियाणं ।। ११०. अत्थि णं भंते ! जीवाणं अकक्कसवेयणिज्जा कामा कज्जंति ? हंता अस्थि ।। १११. कहण्णं भंते ! जीवाणं अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? गोयमा! पाणाइवायवे रमणेणं जाव' परिग्गहवेरमणेणं, कोहविवेगेणं जाव" मिच्छादसणसल्लविवेगेणं-एवं खलु गोयमा ! जोवाणं अकक्कस वेयणिज्जा कम्मा कज्जति ॥ ११२. अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? णो इणटे समढें । एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं—मणुस्साणं जहा जीवाणं ।। सायासाय-वेयणीय-पदं ११३. अत्थि णं भंते ! जीवाणं सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? हंता अस्थि ।। ११४. कहण्णं भंते ! जीवाणं सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? गोयमा ! पाणाणुकंपयाए, भूयाणुकंपयाए, जीवाणुकंपयाए, सत्ताणुकंपयाए, बहूण पाणाणं 'भूयाणं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए अपरियावणयाए-एवं खलु गोयमा ! जीवाणं सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति । एवं नेरइयाण वि, एवं जाव वेमाणियाणं ।। ११५. अत्थि णं भंते ! जीवाणं असाताबेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? हंता अस्थि ।। ११६. कहण्णं भंते ! जीवाणं असातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ? गोयमा ! परदुक्खणयाए, परसोयणयाए, परजूरणयाए, परतिप्पणयाए, पर १. भ० ११३८४ २. पू. ५०२। ३. भ० ११३८५। ४. ठा० ११११५-१२५ । ५. सं० पा०--पारगारणं जाव सत्ताणं । Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० भगवई पिट्टणयाए, परपरियावणयाए, बहूणं पाणाणं' 'भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए, सोयणयाए', 'जूरणयाए, तिप्पणयाए, पिट्टणयाए°, परियावणयाएएवं खलु गोयमा ! जीवाणं असातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति । एवं नेरइयाण वि, एवं जाव वेमाणियाणं ।। दुस्समदुस्समापदं ११७. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे' इमीसे प्रोसप्पिणीए दुस्सम-दुस्समाए समाए उत्तम कट्टपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ ? गोयमा ! कालो भविस्सइ हाहाभूए, भंभन्भूए' कोलाहलभूए । समाणुभावेण य णं खर-फरुस-धूलिमइला दुव्विसहा वाउला भयंकरा वाया संवट्टगा य वाहिति । इह अभिक्खं धूमाहिति य दिसा समंता रउस्सला रेणुकलुस-तमपडलनिरालोगा । समयलुक्खयाए य णं अहियं चंदा सीयं मोच्छंति । अहियं सूरिया तवइस्संति । अदुत्तरं च णं अभिक्खणं बहवे अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खत्तमेहा अपिगमेहा विज्जुमेहा विसमेहा असणिमेहा-अपिवणिज्जोदगा," वाहिरोगवेदणोदोरणा-परिणामसलिला, अमणुण्णपाणियगा चंडानिलपहयतिक्खधारा-निवायपउरं वासं वासिहिति, जेणं भारहे वासे गामागर-नगर-खेडकब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासमगयं जणवयं, च उप्पयगवेलए, खहयरे य पक्खिसंघे, गामारण्ण-पयारनिरए तसे य पाणे, बहुप्पगारे रुवख-गुच्छ-गुम्म-लयवल्लि-तण-पव्वग-हरितोसहि-पवालंकुरमादीए य तण-वणस्सइकाइए विद्धसेहिंति, पव्वय-गिरि-डोंगरुत्थल-भट्टिमादीए वेयड्ढगिरिवज्जे विरावेहिति,सलिलविल गड्ड-दुग्गविसमनिण्णुन्नयाइं च गंगा-सिंधुवज्जाइं समीकरेहिति ।। ११८. तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स भूमीए केरिसए आगारभाव-पडोयारे भविस्सति ? गोयमा ! भूमी भविस्सति इंगालब्भूया मुम्मुरब्भूया छारियभूया तत्तकवेल्लयब्भूया" तत्तसमजोतिभूया" धूलिबहुला रेणुबहुला पंकवहुला पणगबहुला चलणि १. स० पा०-पारणाम जाव सत्ताणं । ६. अहितं (क, व, म)। २. सं० पा०-सोयणयाए जाव परियावरण्याए। १०. खट्टमेहा (म); खत्तमेहा (वृपा)। ३, दीवे भारहे वासे (अ, क, ब, म, स) । ११. अजवणिज्जोदगा (अ, ब, स, वृपा); अप्पि४. भंभाभूए (अ, क, म); भंभेभूए (ब)। वणिज्जोदया (क, म); अवणिज्जोदगा (ता) ५. कोलाहलग° (क, ब, म)। १२. समा० (ब, स)। ६. समयाणु° (स, वृ)। १३. डोंगरथल (अ, क, ता, वृपा) । ७. रयोसला (क, ता, ब, म); रओसला (स)। १४. कवल्लय (क); कवल्लग (ता)। ८. मोच्छिति (अ, क, ता, ब, म, स)। १५. प्रस्तुतागमस्य ३१४८ सुत्रे तथा स्थानांगस्य Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६१ सत्तमं सतं (छट्टो उद्देसो) बहुला' बहूणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दुन्निक्कमा यावि भविस्सति ।। ११६. तीसे गं भंते ! समाए भरहे' वासे मणुयाणं केरिसए आगारभाव-पडोयारे भविस्सइ? गोयमा! मणुया भविस्संति दुरूवा दुवण्णा' दुग्गंधा दुरसा दुफासा अणिट्ठा अकता 'अप्पिया असुभा अमणुण्णा° अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा' अणिस्सरा •अकंतस्सरा अप्पियस्सरा असुभस्स रा ग्रमणुण्णस्सरा० अमणामस्सरा अणादेज्जवयणपच्चायाया, निल्लज्जा, कूड-कवड-कलह-वह-बंध-वेरनिरया, मज्जायातिक्कमप्पहाणा, अकज्जनिच्चज्जता, गुरुनियोग-विणयरहिया य, विकलरूवा, परूढनह-केस-मस-रोमा, काला. खर-फरुस-झामवण्णा, फुटसिरा, कविलपलियकेसा, बहुण्हारुसंपिणद्ध'-दुइंसणिज्जरूवा, संकुडितवलीतरंगपरिवेढियंगमंगा, जरापरिणतव्व थेरगनरा, पविरलपरिसडियदंतसेढी, उन्भडघडामुहा विसमणयणा, वंकनासा, वंक-वलीविगय-भेसणमुहा, कच्छु-कसराभिभूया, खरतिक्खनखकंडूइय-विक्खयतणू", ददु-किडिभ-सिब्भ-फुडियफरुसच्छवी, चित्तलंगा, टोलगति"-विसमसंधिबंधण-उक्कुडुअट्ठिगविभत्त-दुब्बला कुसंघयणंकुप्पमाण-कुसंठिया, कुरूवा, कुट्ठाणासण-कुसेज्ज-कुभोइणो, असुइणो, अणेगबाहिपरिपीलियंगमंगा, खलत-विब्भलगती", निरुच्छाहा,सत्तपरिवज्जिया, विगयचेटुनट्टतेया, अभिक्खणं सीय-उण्ह-खर-फरुसवायविज्झडियमलिणपंसुरउग्गुंडियंगमंगा, बहुकोह-माण-माया, बहुलोभा, असुह-दुक्खभागी, उस्सणं धम्मसण्णसम्मत्तपरिभट्टा, उक्कोसेणं रयणिप्पमाणमेत्ता, सोलस-वीस तिवासपरमाउसो, 'पुत्तनत्तुपरिवाल-पणयबहुला'५ गंगा-सिंधूओ महानदीओ, वेयड्ढं च पव्वयं (८।१०) सूत्रे 'तत्त' पदं पृथग् गृहीतं, वृत्ता- ८. घडमुहा (अ, म), ° घडोमुहा (क, ब); वपि च तथव व्याख्यातमस्ति । जंबूद्वीप- घाडामुहा (ता. वृषा) घडग=घडा । अत्र प्रज्ञप्ति (२ वक्षस्कार) वृत्ती अत्र च 'तत्त' एकपदे सन्धिर्जातः । पदं समस्तं गृहीतमस्ति, व्याख्यातमपि च ६ बंग (क, ता, ब, म, पा)। तथैव । १०. ० कंदूझ्य (ता, व, स) । १. चलनप्रमाण: कई मश्चलनी (वृ) ! ११. विक्कय (अ, क)। २. दोन्मिक्कमा (अ, स)। १२. सिंभ (ता, म)। ३. भारहे (अ, क, स)। १३. टोलागति (ता, व, म, वृपा)। ४. दुव्वण्णा (ता, ब, म)। १४. बंभल (अ); वेंभल (क, ता)। ५. सं० पा०-अर्कता जाव अमरणामा। १५. ० रयपुंडियंगमंगा (अ)। ६. सं० पा०-अरिगट्ठस्सरा जाव अमणामस्सरा १६. ° परियार० (अ); °परियाल (ब, स); ७. ० हारुरिण' (अ, ब, स); ° हारुणिसंवि- परिपालणबहुला (क, वृपा) । णद्ध (ता)। Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २६२ निस्साए बात्तरि निग्रोदा वीयं वीयमेत्ता बिलवासिणो भविस्संति ।। १२०. ते णं भंते ! मण्या कं पाहारं पाहारेहिति ? । गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं गंगा-सिंधो महानदीपो रहपहवित्थ रामो अक्खसोयप्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिति, से वि य णं जले बहुमच्छकच्छभाइण्णे, गो चेव णं आउवहुले भविस्सति । तए णं ते मण्या सूरुगमणमुहुत्तंसि य सूरत्थमणमुहत्तंसि य विलेहितो निद्धाहिति, निद्धाइत्ता मच्छ-कच्छभे थलाई गाहेहिति, गाहेत्ता सीतातवतत्तएहि मच्छ-कच्छएहिं एक्कवीसं वाससहस्साई वित्ति कप्पेमाणा विहरिस्संति।। १२१. ते णं भंते ! मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा, उस्सण्णंमंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! उस्सण्णं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उवजिहिति ।। १२२. ते णं भंते ! सीहा, वग्घा, वगा, दीविया, अच्छा, तरच्छा, परस्सरा निस्सीला तहेव जाव कहि उववजिहिति ? गोयमा ! उस्सण्णं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववजिहिति ।। १२३. ते गं भंते ! ढंका, कंका, विलका, मद्दुगा, सिहो निस्सीला तहेव जाव' कहिं उववज्जिहिंति ? गोयमा ! उस्सणं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिति ।। १२४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। सत्तमो उद्देसो संवडस्स किरिया-पदं १२५. संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स पाउत्तं गच्छमाणस्स', 'पाउत्तं चिट्ठमाणस्स, आउत्तं निसीयमाणस्स, आउत्तं तुयट्टमाणस्स, आउत्तं वत्थं पडिग्गह कंबलं १. बाहत्तरि (ता, ब)। २. नियोया (ता)। ३. धीयामेत्ता (अ, क, व, म, स)। ४. ओस्सण (अ, स)। ५. भ० ७।१२१ । ६. पिलका (अ)। ७. भ० ७.१२१ । ८. भ० १३५१ ६. संपा.--गच्छमाणस्स जाव आउत्तं । Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (सत्तमो उद्देसो) २६३ पादपणं गेहमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा, तस्स णं भंते! किं इरियाहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स उत्तं गच्छमाणस्स जाव तस्स गं इरियावहिया किरिया कज्जइ, तो संपराइया किरिया कज्जइ ॥ १२६. ते केणट्टे भंते ! एवं बुच्चइ - संवुडस्स णं जाब नो संपराइया, किरिया कज्जइ ? णगारस्स आउत्तं गच्छमाणस्स गोयमा ! जस्स णं कोह- माण- माया-लोभा वोच्छिण्णा भवति, तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ', जस्स णं कोह- माण-माया लोभा वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ । श्रहासुतं रीयमाणस्स इरियाहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ । से णं महासुत्तमेव रीयइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - संवुडस्स गं अणगारस्स ग्राउत्तं गच्छमाणस्स जाव तो संपराइया किरिया कज्जइ ॥ काम भोग-पदं १२७. रूवी भंते ! कामा ? रूवी कामा ? गोयमा ! रूवो कामा, नो ग्ररूवी कामा ॥ १२८. सचित्ता भंते ! कामा ? श्रचित्ता कामा ? गोयमा ! सचित्ता वि कामा, ग्रचित्ता विकामा || १२६. जीवा भंते ! कामा ? श्रजीवा कामा ? गोयमा ! जीवा वि कामा, अजीवा वि कामा || १३०. जीवाणं भंते ! कामा ? अजीवाणं कामा ? गोयमा ! जीवाणं कामा, नो प्रजीवाणं कामा || १३१. कतिविहाणं भंते ! कामा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा कामा पण्णत्ता, तं जहा सद्दा य, रुवाय ॥ १३२. रूवी भंते ! भोगा ? ग्ररूवी भोगा ? गोयमा ! ख्वी भोगा, नो अरूवी भोगा || १३६. सचित्ता भंते ! भोगा ? अचित्ता भोगा ? गोमा ! सचित्ता वि भोगा, अचित्ता वि भोगा || १३४. जीवा भंते ! भोगा ? अजीवा भोगा १० गोयमा ! जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा || १. रिया० ( ब ) । २. सं० पा० तहेव जाव उस्सुतं । ३. तुलना भ० ७२०, २१ । ४. रूवि ( अ, क, ता, व, म, स ) । ५. सं० पा०- भोगा पुच्छा । Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ भगवई १३५. जीवाणं भंते ! भोगा? अजीवाणं भोगा? गोयमा ! जीवाणं भोगा, नो अजीवाणं भोगा । १३६. कतिविहा णं भंते ! भोगा पण्णता ? गोयमा ! तिविहा भोगा पण्णत्ता, तं जहा---गंधा, रसा, फासा ।। १३७. कतिविहा णं भंते ! काम-भोगा पण्णता? गोयमा ! पंचविहा काम-भोगा पण्णता, तं जहा-सद्दा, रूवा, गंधा, रसा, फासा ।। १३८. जीवा णं भंते ! कि कामी? भोगी? गोयमा! जीवा कामी वि, भोगी वि।। १३६. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवा कामी वि ? भोगी वि? गोयमा ! सोइंदिय-चविखंदियाइं पडुच्च कामी, घाणिदिय-जिभिदियफासिदियाइं पडुच्च भोगी। से तेण?णं गोयमा ! •एवं वुच्चइ-जीवा कामी वि°, भोगी वि ।। १४०. नेरइया णं भंते ! किकामी? भोगी? एवं चेव जाव थणियकुमारा ।। १४१. पुढविकाइयाण-पच्छा गोयमा ! पुढविकाइया नो कामी, भोगी ।। १४२. से केणद्वेणं जाव भोगी? गोयमा ! फासिदियं पडुच्च । से तेणटेणं जाव भोगी! एवं जाव वणस्सइकाइया । बेइंदिया एवं चेव, नवरं-जिभिदियफासिदियाइं पडुच्च । तेइंदिया वि एवं चेव, नवरं-- पाणिदिय-जिब्भिदिय-फासिदियाई पडुच्च ।। १४३. चउरिदियाणं-पुच्छा। गोयमा ! चउरिदिया कामी वि, भोगी वि ।। १४४. से केण?णं जाव भोगी वि? गोयमा ! चक्खिदियं पडुच्च कामी, घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियाई पडुच्च भोगी । से तेण?णं जाव भोगी वि । अवसेसा जहा जीवा जाव वेमा णिया।। १४५. एएसि णं भंते ! जीवाणं 'कामभोगीणं, नोकामीणं, नोभोगीणं, भोगीण' य कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? १. सं० पा०--गोयमा जाव भोगी। २. x (अ); एवं जाव (क, ब, म, स); पू० प०२। ३. कामीणं भोगीरणं नोकामीणं नोभोगीण य (क, ता)। ४. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (सत्तमो उद्देसो) २६५ गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा कामभोगी, नोकामी नोभोगी अणतगुणा, भोगी ग्रणतगुणा ॥ दुब्बलसरीरस्स भोगपरिच्चाय-पदं १४६. छउमत्थे गं भंते ! मणूसे जे भविए अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववज्जि त्तए, से नूणं भंते ! से खीणभोगी नो पभू उठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार-परक्कमेणं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए ? से नणं भंते ! एयम₹ एवं वयह ? गोयमा ! णो तिणटे सम? । पभू णं से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइं विपुलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महापज्ज वसाणे भवइ॥ १४७. पाहोहिए' णं भंते ! मणूसे जे भविए अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववज्जित्तए, से नेणं भंते ! से खीणभोगी नो पभू उहाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वोरिएणं, पुरिसक्कार-परक्कमेणं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए ? से नूणं भंते ! एयमट्ठ एवं वयह ? गोयमा ! णो तिणढे समटे । पभू णं से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइं विपुलाई भोगभोगाई भंजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महा पज्जवसाणे भवइ ।। १४८. परमाहोहिए णं भंते ! मणसे जे भविए तेणेव भवरगहणेणं सिज्झित्तए जाव' अंतं करेत्तए, से नणं भंते ! से खीणभोगी 'नो पभू उदाणेणं, कम्मेणं, बलेण बोरिएणं पुरिसक्कार-परक्कमेणं विउलाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ? से नूणं भंते ! एयमटुं एवं वयह ? गोयमा ! णो तिणटे सम? । पभू णं से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइं विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महापज्जवसाणे भवइ° । १. मणंत० (ता)। २. मणुस्से (ता)। ३. बदहा (ता, ब)। ४. अहोहिएणं (ता, ब)। ५. सं० पा०--एवं चेव जहा छउमत्थे जाव महा° । ६. तेणं चेव (क, ता, ब, म)। ७. भ० ११४४ । ८. सं० पा०-सेसं जहा छउमत्थस्स । Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ भगवई १४६, केवली णं भंते ! मणूसे जे भविए तेणेव भवग्गहणेणं •सिज्झित्तए जाव' अंत करेत्तए, से नूणं भंते! से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार परक्कमेणं विउलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरितए ? से नूणं भंते ! एयमट्ठ एवं वयह ? गोयमा ! णो तिणट्टे समट्टे । पभू णं से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि वीरिएण वि पुरिसक्कार- परक्कमेण वि प्रणयराई विपुलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महापज्जवसाणे भवति ॥ प्रकामनिकरण-वेदणा-पदं १५०. जे इमे भंते ! असण्णणो पाणा, तं जहा - पुढविकाइया जाव' वणस्सइकाइया, छट्ठाय एगतिया तसा - एए णं अंधा, मूढा, तमंपविट्ठा, तमपडल-मोहजालपच्छिन्ना प्रकामनिकरणं वेदणं वेदतीति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! जे इमे प्रसणिणो पाणा जाव वेदणं वेदेतीति वत्तव्वं सिया | १५१. प्रत्थि णं भंते ! पभू वि श्रकामनिकरणं वेदणं वेदति ? हंता ! प्रत्थि || १५२. कहण्णं भंते ! पभू वि श्रकामनिकरणं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! जेणं नो पभू विणा पदीवेणं अंधकारंसि रुवाई पासित्तए, जे गं नो पभू पुरो रुवाई अणिज्भाइत्ता णं पासित्तए, जेणं नो पभू मग्गो रुवाई प्रणवयक्खित्ताणं पासित्तए, जेणं तो पभू पासग्रो रुवाई गणवलोएत्ता गं पात्तिए, जेणं नोपभू उड्ढ रुवाई प्रणालोएत्ता णं पासित्तए, जेणं नो पभू हे रुवाई प्रणालोएत्ता णं पासित्तए, एस णं गोयमा ! पभूवि अकामनिकरणं वेदणं वदति ॥ पकामनिकरण-वेदणा-पदं १५३. प्रत्थि णं भंते! पभू वि पकामनिकरणं वेदणं वेदेति ? हंता ग्रत्थि || १५२. कण्णं भंते ! पभू वि पकामनिकरणं वेदणं वेदेति ? गोमा ! जेणं नोपभू समुहस्स पारं गमित्तए, जेणं नोपभु समुहस्स पारगयाई रुवाई पासित्तए, जेणं नो पभू देवलोगं गमित्तए, जेणं दो पभू देव १. सं० पा० - एवं चैव जहा परमाहोहिए जाव महा 1 २. भ० ११४४ । ३. भ० १।४३७ । Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) २६७ लोगगयाइं रूवाइं पासित्तए, एस णं गोयमा ! पभू वि पकामनिकरणं वेदणं वेदेति ।। १५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। ------- अट्ठमो उद्देसो मोक्ख-पदं १५६. छउमत्थे णं भंते ! माणूसे तीयमणंतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं वंभचेरवासेणं, केवलाहि पवयणमायाहिं सिज्झिसु ? बुझिसु ? मुच्चिसु ? परिणिव्वाइंसु ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु? गोयमा ! नो इण? समढे जाव'-- १५७. से नूणं भंते ! उप्पणणाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थु त्ति वत्तव्वं सिया? हंता गोयमा ! उप्पण्णणाण-दंसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थु त्ति वत्तव्वं सिया० ॥ हत्थि-कुंथु-जीव-समाणत्त-पदं १५८. से नूणं भंते ! हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे ? हंता गोयमा! हस्थिरस य कथुस्स य समे चेव जीवे। " से नूणं भंते ! हत्थीओ कुंथू अप्प कम्मतराए चेव अप्पकिरियत राए चेव अप्पासवतराए चेव एवं अप्पाहारत राए चेव अप्पनीहारतराए चेव अप्पुस्सासतराए चेव अप्पनीसासतराए चेव अप्पिढितराए चेव अप्पमहत राए चेव अप्पज्जुइतराए चेव ? कुंथुनो हत्थी महाकम्मत राए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महाहारतराए चेव महानीहारतराए चेव महाउस्सासतराए चेव महानीसासतराए चेव महिड्ढितराए चेव महामहतराए चेव महज्जुइतराए चेव ? १. भ० ११५१ । ४. तुलना-भ० ११२००-२०६; ५१११५ । २. सं० पा०—एवं जहा पढमसए चउत्थे उद्देसए ५. सं० पा० ---एवं जहा रायपसेरणइज्जे जाब तहा भाणियव्वं जाव अलमत्थु । खुड्डियं । ३. भ० ११२०१-२०८ । Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६८ भगवई हंता गोमा हत्थी कुंथू अप्पकम्मतराए चेव कुंथुश्रो वा हत्थी महाकम्मतराए चेव, हत्थी कुंथू अप्पकिरियतराए चेव कुंथूनो वा हत्थी महाकिरियतराए चेव, हत्थी कुंथू अप्पासवतराए चेव कुंथुप्रो वा हत्थी महासवतराए चेव, एवं आहार- नीहार- उस्सास- नीसास- इड्ढि - महज्जुइ एहि हत्थीओ कुंथू अप्पतराए व कुंथू वा हत्थी महातराए चेव || १५. से केणट्टे भंते ! एवं बुच्चइ - हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चैव जीवे ? गोमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया - दुहस्रो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा निवाया निवायगंभीरा । ग्रहणं केइ पुरिसे जोई व दीवं व गहाय तं कूडागारसालं अंतो-तो अणुपविस, तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता धणनिचिय- निरंतर निच्छिड्डाई दुवार वयणाई पिहेति, तीसे कूडागारसालाए बहुमज्भसभाए तं पवं पलीवेज्जा । तसे पईवे तं कूडागारसाल अंतो-तो प्रोभासइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं बाहि । ग्रहणं से पुरिसे तं पवं इड्डरएणं पिज्जा, तए णं से पईवे तं इड्डरयं संतो तो प्रोभासेइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं इडुरगस्स बाहि, नो चेव णं कूडागारसालं, नो चेव णं कूडागारसालाए वाहि । एवं - गोकिलिजेणं पच्छियापिडएणं गंडमाणियाए प्राढणं श्रद्धाढएणं पत्थएणं अद्धपत्थएणं कुलवेणं अद्धकुलवेणं चाउ भाइयाए भाइयाए सोलसियाए बत्तीसियाए चउसट्टियाए । अह गं पुरिसे तं पवं दीवचंपणं पिज्जा । तए गं से पदीवे दीवचंपगस्स तो-तो ओभासति उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं दीवचंपगस्स बाहि, नो चेव णं चउसट्टियाए वाहि, नो चेव णं कूडागारसाल, नो चेव णं कूडागार - सालाए वाहि । एवामेव गोयमा ! जोवे वि जं जारिसयं पुव्वकम्मनिवद्धं बोंदि निव्वत्तेइ तं असंखेज्जेहिं जीवपदेसेहिं सचित्तीकरेइ - खुड्डियं वा महालियं वा ।° से तेणट्टेणं गोयमा' ! एवं बुच्चइ - हत्थिस्स य कुंथुस्स य° समे चेव जीवे ' ॥ सुह- दुक्ख पदं १६०. नेरइयाणं भंते! पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जिस्सइ सव्वे से दुक्खे, जे निज्जिपणे से सुहे ? १. सं० पा० गोयमा जाव समे । २. एतच्च सर्वमपि वाचनान्तरे साक्षाल्लिखितमेव दृश्यते (वृ) । Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ सत्तमं सतं (अट्टमो उद्देसो) हंता गोयमा ! नेरइयाणं पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जि स्सइ सव्वे से दुक्खे, जे निज्जिपणे से ° सुहे । एवं जाव' वेमाणियाणं ।। दस विहसण्णा-पदं १६१. कति णं भंते ! सण्णाओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! दस सण्णाश्रो पण्णत्तानो, तं जहा-आहारसण्णा, भयसण्णा, मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा, कोहसण्णा, माणसण्णा, मायासण्णा, लोभसण्णा, लोग सण्णा, मोहसण्णा । एवं जाव वेमाणियाणं ।। नेरइयाणं दसविहवेदणा-पदं १६२. नेरइया दसविहं वेयणं पच्चणुभवमाणा विहरति, तं जहा-सीयं, उसिणं, खुह, पिवासं, कंडु, परज्झ, जरं, दाहं, भयं, सोगं । हत्थि-कुंथूणं अपच्चक्खाणकिरिया-पदं १६३. से नणं भंते ! हत्थिस्स य कुंथस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? हंता गोयमा ! हथिस्स य कथुस्स य' 'समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ।। १६४. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ'--'हत्थिस्स य कुंथुस्स य समा चेव अपच्चक्खा णकिरिया कज्जइ? गोयमा ! अविरतिं पडुच्च । से तेणद्वेण गोयमा ! एवं वुच्चइ-हत्थिस्स य कुंथुस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया• कज्जइ। अहाकम्मादि-पदं १६५. अहाकम्म णं भंते ! भुंजमाणे किं बंधइ ? कि पकरेइ ? किं चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? "गोयमा ! अहाकम्मं णं भुजमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीयो सिढिलबंधणवद्धानो धणियबंधणबद्धानो पकरेइ ०७ जाव सासए पंडिए, पंडियत्तं प्रसासयं । १६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। १. सं० पा०-कम्मे जाव सुहे। २. पू० १० २। ३. सं० पा०-कुंथुस्स य जाव कज्जइ। ४. सं० पा०-वुच्चइ जाव कज्जइ । ५. सं० पा०-तेरगडेरणं जाव कज्जई। ६. सं० पा–एवं जहा पढमे सए नवमे उद्देसए तहा भाणियब्वं । ७. भ० ११४३६-४४० । ८. भ० १५१ । Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नवमो उद्देसो असंवुड-अणगारस्स विउवणा-पदं १६७. असंवुडे णं भंते ! अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवण्णं एगरूवं विउव्वित्तए ? णो इण? समटे ।। १६८. असंवुडे णं भंते ! अणगारे वाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवण्णं एगरूवं' विउव्वित्तए ? ० हंता पभू! १६६. से णं भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ ? तत्थगए पोग्गले परि याइत्ता विकुब्वइ ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ ? गोयमा ! इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ, नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्बइ। एवं २. एगवणं अणेगरूवं ३. 'अणेगवण्णं एगरूवं ४. अणेगवण्णं अणेगरूवं चउभंगो।। १७०. असंवुडे णं भंते ! अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालगं पोग्गलं नीलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? नीलगं पोग्गलं वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामत्तए? गोयमा ! नो इणद्वै समटे । परियाइत्ता पभू जाव१७१. असंवडे णं भंते ! अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू निद्धपोग्गलं लुक्खपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? लुक्खपोरगलं वा निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए? गोयमा ! नो इणद्वे समढें । परियाइत्ता पभू ।। १७२. से गं भंते कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? गोयमा ! इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो अण्णत्थगए पोमाले परियाइत्ता परिणामेति ॥ १. सं० पा०–एगव जाव हता। २. सं० पा०- पोरगले जाव विकुम्बइ । ३. सं० पा०-चउभंगो जहा छदसए नवमे उसा तहा इह वि भाणियन्व, नवरं अगगारे इहगयं च इहगते चव पोग्गले परियाइत्ता विकुब्बइ, सेसं तं वेव जाव लुक्खपोग्गलं निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए। हंता पभू । से भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता जाव नो अग्णस्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकूब्बइ। ४. भ० ६।१६३-१६७ । Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (नवमो उद्देसो) महासिला कंटयसंगाम - पदं १७३. नायमेयं अरया, सुयमेयं श्ररया, विण्णायमेयं श्ररया - महासिलाकंटए संगमे । महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था' ? गोयमा ! वज्जी, विदेहपुत्ते जइत्था, नव मल्लई, नव लेच्छई --- कासी - कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो पराजइत्था || १७४. तए णं से कोणिए राया महासिलाकंटगं संगामं उवद्वियं जाणित्ता कोडुंबिय पुरिसे सहावेइ, सहावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! उदाई' हत्थिरायं पडिकप्पेह, हय-गय-रह-पवरजोहक लियं चाउरंगिण सेणं सण्णा हेह सणात्ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिण || १७५. तए णं ते कोडुंबिय पुरिसा कोणिएणं रणा एवं वृत्ता समाणा हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिया जाव' मत्थए अंजलि कट्टु एवं सामी ! तहत्ति ग्राणाए विणणं वयणं पडिसुणंति, पडिणित्ता खिप्पामेव छेयायरियोवएस-मति कप्पणाविकप्पेहि सुनिउणेहिं उज्जलवत्थ-हत्व - परिवच्छियं सुसज्जं जाव' भीमं संगामियं प्रोज्भं' उदाई हत्थिरायं पडिकपेति, हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिण सेणं • सष्णाति, सुष्णात्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु कूणियस्स रण्णो तमाणत्तियं पच्चपिति ॥ 0 १७६. तए णं से कूणिए राया जेणेव मज्जणघरं तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मज्जणघरं श्रणुष्पविसइ, प्रणुष्पविसित्ता व्हाए कयवलिकम्मे कयको उय-मंगलपायच्छत्ते सव्त्रालंकारविभूसिए सण्णद्ध वद्ध-वम्मियकवए उप्पीलियस रासणपट्टिए पिवेज्ज" विमलवरवद्ध चिधपट्टे गहिया उपहरणे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमागेणं चउचामरवालबीजियंगे" मंगलजयसद्दक्यालोए" जाव" जेणेव उदाई हत्थिराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उदाई हत्थिराय दु १. पर। जित्था (ता) । २. जदित्था (क, ता) | ३. उदायि (क, तर, ब म ); उदाति ( स ) | ४. भ० ३।११० । ५. सुशिउहि एवं जहा ओववाए जाव ( अ, क, ता, ब, म, स) । वाचनान्तरे विदसाक्षाल्लिखितमेव दृश्यते ( बृ) 1 ६. ओ० सू० ५७ । ७. अउ ( व, स ) | ३०१ ८. सं० पा०य जाव सृष्ण हेति । ६. सं० पा०—करयल जाव कूरियरस । १०. ०पट्टीए (अ, क, व, म, स) ११. विवि० (ता, म स ) । १२. ० वीतियंगे (श्र, स ) ; ०दीतितमे ( क ब ) । १३. जत० (व); कयलोए एवं जहा उववाइए ( अ, क, ता, व, म, स ) । १४. ओ० सू० ६३ । Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०२ भगवई १७७. तए णं से कूणिए राया' हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे' जाव' सेयवरचामराहिं उद्धव्वमाणीहि-उद्धृव्वमाणीहि हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडे महयाभडचडगरविदपरिक्खित्ते जेणेव महासिलाकंटए संगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महासिलाकंटगं संगामं ओयाए । पुरो य से सके देविदे देवराया एगं महं अभेज्जकवयं वइरपडिरूवर्ग विउवित्ता णं चिट्ठइ । एवं खलु दो इंदा संगाम संगामेंति, तं जहा-देविदे य, मणुइंदे य । 'एगहत्थिणा वि णं पभू कूणिए राया जइत्तए", एगह त्थिणा वि णं पभू कूणिए राया पराजिणित्तए । १७८. तए णं से कूणिए राया महासिलाकंटगं संगाम संगामेमाणे नव मल्लई, नव लेच्छई-कासी-कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो ह्य-महिय-पवरवीर-घाइय विवडियचिध-द्धयपडागे किच्छपाणगए' दिसोदिसि पडिसेहित्था । १७६. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ--महासिलाकंटए संगामे ? गोयमा ! महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे तत्थ आसे वा हत्थी वा जोहे वा सारही वा तणेण वा कटेण वा पत्तेण वा सक्कराए वा अभिहम्मति, सव्वे से जाणेइ महासिलाए अहं' अभिहए । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ महासिलाकंटए संगामे ॥ १८०. महासिलाकंटा णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीमो वहियारो ? गोयमा ! चउरासीइंजणसयसाहस्सीनो बहियारो।।। १८१. ते णं भंते ! मणुया निस्सीला 'निग्गुणा निम्मेरा° निप्पच्चक्खाणपोस होववासा रुट्ठा परिकुविया समरहिया अणुवसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया ? कहिं उववण्णा ? गोयमा ! उस्साणं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववण्णा ।। रहमुसलसंगाम-पदं १८२. नायमेयं अरहया, सुबमेयं अरया, विण्णायमेयं अरहया-रहमुसले संगामे । रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था ? गोयमा ! वज्जी, विदेहपुत्ते, चमरे असुरिदे असुरकुमारराया जइत्था; नव मल्लई, नव लेच्छई पराजइत्था ! १. परिंदे (क, ता, ब, म)। २. °वच्छे एवं जहा उबवाइए (अ, क, ता, ब, ५. किच्छोवगयपाणे (ना० १।८।१६६) । ६. हं (क, ब, स)। ७. सं० पा०-निस्सीला जाव निप्पच्चक्खाण। ८. संगामे रह २ (ता)! ३. ओ० सू० ६५। ४. ४ (अ, ब, म, स)। Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तम सतं (नवमो उद्देसो) १८३. तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगाम उवट्ठियं जाणित्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! भूयाणंदं हत्थिरायं पडिकप्पेह, हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णाहेह, सग्णाहेत्ता मम एयमाणत्तिय खिप्पामेव पच्चप्पिणह ।। १८४. तए णं ते कोडंबियपुरिसा कोणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हटुतुटुचित्तमाणं दिया जाव' मत्थए अंजलि कटु एवं सामी! तहत्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता खिप्पामेव छेयायरियोवएस-मति-कप्पणा-विकप्पेहि सुनिउणेहिं उज्जलणेवत्थ-हत्वपरिवच्छियं सुसज्ज जाव भीमं संगामियं अोझ भूयाणंदं हत्थिरायं पडिकप्पति, हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णाहेति, सण्णाहेत्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवाच्छित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु कुणियस्स रण्णो तमाणत्तियं पच्चप्पिणति ।। तए णं से कूणिए राया जेणेव मज्जणघरं तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगलपायच्छिते सव्वालंकारविभू सिए सण्णद्ध-बद्ध-वम्मियकवए उप्पोलियस रासणपट्टिए पिणद्धगेवेज्ज-विमलवरबद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं च उचामरवालवीजियंगे. मंगलजयसहकयालोए जाव' जेणेव भूयाणंदे हत्थिराया तेणेव उवागच्छइ, उवाईच्छत्ता भूयाणंदं हत्थिरायं १८६. तए णं से कूणिए राया हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे जाव' सेयवरचामराहिं उद्धवमाणीहिं-उद्धवमाणीहि य-गय-रह-पव रजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडे महया भडच डगरविंदपरिक्खित्ते जेणेव रहमुसले संगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहमुसलं संगाम ओयाए । पुरो य से सक्के देविदे देवराया एगं महं अभेज्ज कवयं वइरपडिरूवर्ग विउवित्ता गं चिट्टइ । मग्गनो य से चमरे असुरिदे असुरकुमारराया एगं महं प्रायस किढिणपडिरूपगं' विउव्वित्ता णं चिट्ठइ । एवं खलु तो इंदा संगाम संगामेंति, तं जहा -देविदे य, मणुइंदे य, असुरिंदे य । एगहत्थिणा वि णं पभू कूणिए राया जइत्तए, १. सं० पास--सेसं जहा महासिलाकंटए नवरं ४. प्रो० सू० ६३ । भूयाणंदे हस्थिराया जाव रहमुसलं संगामं ५. ओ सू० ६५ । ओयाए। पुरओ य से सक्के देविदे देवराया ६. असुरराया (अ, स)। एवं तहेव जाव चिट्ठइ। ७. कढिरण ° (अ); किडिवण (क, स)। २. ३।११०। ८. सं० पा०-तहेव जाव दिसोदिसि । ३. ओ० सू० ५७ 1 Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०४ भगवई •एगहत्थिणा वि णं पभू कूणिए राया पराजिणित्तए ।। १८७. तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगाम संगामेमाणे नव मल्लई, नव लेच्छई कासी-कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो हय-महिय-पवरवीर-घाइय विवडियचिध-द्धयपडागे किच्छपाणगए दिसोदिसि पडिसेहित्था । १८८. से केपट्टेण भंते ! एवं वच्चइ – रहमूसले संगामे ? गोयमा ! रहमुसले णं संगामे वट्टमाणे एगे रहे अणासए, असारहिए, अणारोहए, समुसले महया जणक्खयं, जणवह, जणप्पमई, जणसंवट्टकप्पं हिरकद्दमं करेमाणे सव्वनो समता परिधावित्था । से तेणटुण' 'गोयमा ! एवं वुच्चइरहमुसले संगामे ।। १८६. रहमुसले शं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीनो बहियायो ? गोयमा ! छण्ण उति जणसयसाहस्सीओ वहियाप्रो ।। १६०. ते ण भते ! मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा रुट्ठा परिकुविया समरवहिया अणु वसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया ? कहि° उववन्ना ? गोयमा ! तत्थ णं दससाहस्सीनो एगाए मच्छियाए कुच्छिसि उववन्नाओ। एगे देवलोगेसु उववन्ने । एगे सुकुले पच्चायाए । अवसेसा उस्सण्णं नरग-तिरि खजोणिएसु उववन्ना ।। १६१. कम्हा णं भंते ! सक्के देविदे देवराया, चमरे य असुरिंदे असुरकुमारराया कणियस्स रणो साहेज्ज दल इत्था ? गोयमा ! सुक्के देविदे देवराया पुब्वमंगतिए, चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया परियायसंगतिए । एवं खलु गोयमा ! सक्के देविदे देवराया, चमरे य असुरिदे असुरकुमारराया कूणियस्स रणो साहेज्जं दलइत्था ।। वरुण-नागनत्तुय-पदं १६२. बहुजणे णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइक्ख इ जावं परूवेइ–एवं खलु बहवे मणुस्सा अण्णय रेसु उच्चावएसु संगामेसु 'अभिमुहा चेव पहया समाणा काल मासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति ।। १६३. से कहमेयं भंते ! एवं ? । गोयमा ! जण से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' परूवेइ ---एवं १. सं० पा०-तेगडेर जाव रह° । २. सं० पा.--निस्सीला जाव उववन्ना। ३. मच्द्रीए (म)। ४. साहिज्ज (क); साहज्ज (ता, म)। ५. भ० १४२० । ६. अभिहता चेव पहता (क, स); अभिहया (ता) ७. सं० पा०-एवमाइक्वइ जाव उववत्तारो। ८. भ०११४२० । Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (नवमो उद्देसो) ३०५ खलु बढे मगुस्सा अण्णय रेसु उच्चावएसु संगामेसु अभिमुहा चेव पहया समाणा कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए ° उववत्तारो भवंति, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वेसाली नामं नगरी होत्था--वण्णो ' । तत्थ णं वेसालीए नगरीए वरुणे नामं नागनत्तुए परिवसइअड्ढे जाव' अपरिभूए, समणोवासए, अभिगयजीवाजीवे जाव' समणे निगंथे फासु-एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं 'पोसह-भेसज्जेणं' पडिलाभेमाणे छटुंछट्टेणं अणि खित्तेणं तबोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरति । १६४. तए णं से वरुणे नागनत्तुए अण्णया कयाइ रायाभियोगेणं', गणाभियोगेणं, बलाभिओगेणं रहमुसले संगामे आणत्ते समाणे छट्ठभत्तिए अट्ठमभत्तं अणुवट्टेति, अणवत्ता कोडंबियपूरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउरघंटं पास रहं जुत्तामेव उवट्ठावेह, हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णाहेह°, सण्णाहेत्ता मम एयभाणत्तियं पच्चप्पिणह॥ १६५. तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव" पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सच्छत्तं सज्झयं जावर चाउग्घंटं पास रहं जुत्तामेव उवट्ठावेंति, ह्य-गय-रह. पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं • सण्णाति, सण्णाहेत्ता जेणेव वरुणे नागनत्तुए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता जाव" तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ।। १६६. तए णं से वरुणे नागनत्तुए जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छति, "उवागच्छित्ता मज्जणधरं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगलपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सण्णद्ध-वद्ध-वम्मियकवए" सकोरेंटमल्ल १. भ० १।४२१ । ६. उवट्ठवेह (अ)। २. ओ० सू०१ ! १०. सं० पा० -पवर जाव सण्णाहेत्ता । ३. भ० २।९४ । ११. भ० ७१७५ ४. भ० २०६४। १२. राय० सू० ६८१; वाचनान्तरे तु साक्षादेव ५. वृत्ती उद्धृते पाठे एतन्नास्ति । भ० २।६४ दृश्यते (बू) । सूत्रादसौ पाठः पूरितस्तत्रापि 'क' प्रतौ एतत् १३. सं० पा०—रह जाव सण्णाहेति । नास्ति। १४. भ० ७।१७५ । ६. रायाहियोगेरणं (अ, स); रायनियोगेणं (ता) १५. सं० पा०-जहा कूणिओ जाव पायच्छित्ते । ७. कोदुंबिय ° (ता); कोटुंबिय ° (स)। १६. पू० भ० ७१७६ । ८. युक्तमेव रथसामग्र्या इति गम्यम् (वृ)। १७. सं० पा०—सकोरेंटमल्ल जाव परिज्ज° । Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई 'दामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं, अणेगगणनायग'- 'दंडनायग-राईसर-तलवरमाडंबिय-कोडुबिय-इन्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाह -दूय-संधिपालसद्धि' संपरिवुडे मज्जणघरानो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव चाउरघंटे पास रहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउग्घंट प्रासरहं दुरुहइ', दुरुहित्ता हय-गय-रह- पव रजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडे, महयाभडचडग रविंदपरिक्खित्ते जेणेव रहमुसले संगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहमुसल संगामं प्रोयाए । १६७. तए णं से वरुणे नागनत्तुए रहमुसलं संगाम अोयाए समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हइ-कप्पति मे रहमुसलं संगामं संगामेमाणस्स जे पुवि पहणइ से पडिहणित्तए', अवसेसे नो कप्पतीति; अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हइ अभिगेण्हेत्ता रहमुसलं संगाम संगामेति ।। १६८. तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसलं संगामं संगामेमाणस्स एगे पुरिसे सरिसए 'सरित्तए सरिव्वए' सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पडिरहं हन्वमागए ।। १६६. तए णं से पुरिसे वरुणं नागनत्तुयं एवं वदासी-पहण भो वरुणा ! नागनत्तुया ! पहण भो वरुणा ! नागनत्तुया ! २००. तए णं से वरुण नागनत्तुए तं पुरिसं एवं वदासी-नो खलु मे कप्पइ देवाण पिया ! पुवि अयस्स पहणित्तए, तुमं चेव णं पुब्बि पहणाहि ॥ २०१. तए णं से पुरिसे वरुणेणं नागनत्तुएणं एवं वुत्ते समाणे आसुस्ते 'रुटे कुविए चंडिविकए मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ, परामुसित्ता उसु परामुसइ, परामुसित्ता ठाणं ठाति, ठिच्चा पाययकण्णाययं उस करेइ, करेत्ता वरुणं नागनत्तयं गाढप्पहारीकरेइ ।। २०२. तए णं से वरुणे नागनत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे आसुरुत्ते' •रुटे कुविए चंडिक्किाए मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ, परामु सित्ता उसं परामुसइ, परामुसित्ता प्राययकण्णाययं उस करेइ, करेत्ता तं पुरिसं एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाग्रो ववरोवेइ ।। २०३. तए णं से वरुणे नागनत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अवले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कटु तुरए निगिण्हइ, निगिण्हित्ता रहं परावत्तेइ, परावत्तेत्ता रहमुसलामो संगामामो पडिनिक्खमति, १. सं० पा०-अणेगगणनायग जाव दूय । २. संधिवाल० (अ, क, ब, म); संधिवालंग० (ता)। ३. द्रुहेति (क); द्रुति (ता, ब)। ४. सं० पा०-रह जाव संपरिवुडे ! ५. गर जाव परिक्खित्ते (अ, क, ता, ब, म, स) ६. पडिपह० (ता) । ७. सरिसत्तए सरिसवए (क) । ८. सं० पा०-आसुरुत्ते जाव मिसि । ६. सं० पा.-आसुरुते जाव मिसि । Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सतमं सतं (नवमो उद्देसो) ३०७ पडिनिक्खमित्ता एगंतमंत' अवक्कमइ, अवक्कमित्ता तुरए निगिण्हइ, निगिहित्ता रहं ठवेइ, ठवेत्ता रहाप्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता तुरए मोएइ, मोएत्ता तुरए विसज्जेइ, विसज्जेत्ता दब्भसंथारगं संथरइ, संथरित्ता दव्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसण्णे करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावतं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी-नमोत्थ णं अरहंताणं भगवंताणं जाव' सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमोत्थु णं समणस्स भगवनो महावीरस्स प्रादिगरस्स जाव सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोबदेसगस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासउ' मे से भगवं तत्थगए इहगयं ति कटु वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-पुवि पि णं मए समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए, एवं जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि पिणं अहं तस्सेव भगवनो महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जावज्जीवाए जाव मिच्छादसणसल्लं पच्चक्खामि जावज्जीवाए । सव्वं असण-पाण-खाइम-साइम-चउन्विहं पि आहारं पच्चक्खामि जावज्जीवाए । जं पि य इमं सरीरं इ8 कंतं पियं जाव" मा णं वाइयपित्तिय-सेभिय-सणिवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कटट एयं पि णं चरिमेहि ऊसास-तीसासेहि वोसिरिस्सामि त्ति कटट सण्णाहपट्ट मुयइ, मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेइ, करेत्ता पालोइय-पडिक्कते समाहि पत्ते प्राणुपुबीए" कालगए । वरुणनागनत्तुय-मित्त-पदं २०४. तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स एगे पियबालवयंसए रहमुसलं संगाम संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामेरु अवले अवीरिए अपूरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कटु वरुणं नागनत्तुयं रहमसलामो संगामाग्रो पडिनिक्खममाणं पास इ, पासित्ता तुरए निगिण्हइ, निगिहित्ता जहा वरुणे जाव" तुरए विसज्जेति, पडसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहे" १. एगंतं (क)। ८. सं. पा...एवं जहा खंदओ जाव एवं । २. सं० पा०—करयल जाव कटु । ६. भ० ११३८४ । ३. ओ० सू० २१ । १०. भ० २।५२ । ४. ओ० सू० २१ ॥ ११. पुब्बि (ता)। ५. पासइ (ता)। १२. सं० पा०-अत्थामे जाव अधारगिज्जमिति ६. सं० पा०-तत्थगए जाव बंदइ । १३. भ० ७।२०३। ७. भ० ७।३२ । १४. सं. पा.--पूरस्थाभिमहे जाव अंजलि । Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३०८ भगवई •संपलियंकनिसपणे करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं बयासी–जाइ णं भंते ! मम पियबालवयंसस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स सीलाई क्याई गुणाई वेरमणाई पच्चक्खाण-पोसहोववासाइं, ताइ णं 'ममं पि" भवंतु त्ति कटु सण्णाहपढें मुयइ', मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेइ, करेत्ता आणुपुव्वीए कालगए ।। २०५. तए णं तं वरुणं नागनत्तुयं कालगयं जाणित्ता अहासन्निहिएहिं वाणमंतरेहि देवेहि दिव्वे सुरभिगंधोदगवासे वुटे, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, दिब्वे य गीय-गंधव्वनिनादे कए या वि होत्था । २०६. तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स तं दिव्वं देविड्ढि दिव्यं देवज्जुति दिवं देवाणुभाग सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खाइ जाव' परूवेइ--एवं खलु देवाणुप्पिया! बहवे मणुस्सा' 'अण्णय रेसु उच्चावएस संगामेसु अभिमुहा चेव पहया समाणा कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए ° उववत्तारो भवति ।।। २०७. वरुणे णं भंते ! नागनत्तुए कालमासे कालं किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? गोयमा ! सोहम्मे कप्पे, अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिनोवमाइं ठिती पण्णत्ता। तत्थ णं वरुणस्स वि देवस्स चत्तारि पलियोवमाई ठिती पण्णत्ता ।। २०८. से णं भंते ! वरुणे देवे तानो देवलोगायो प्राउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्ख एणं 'अणंतरं चयं चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणं अंतं करेहिति ।। २०६. वरुणस्स णं भंते ! नागनत्तुयस्स पियबालवयंसए कालमासे कालं किच्चा कहि गए ? कहि उववन्ने ? गोयमा ! सुकुले पच्चायाते ।। २१०. से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उध्वट्टित्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उवज्जि हिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिझिहिति जाव अंतं काहिति ।। २११. सेवं भंते ! सेवं भंते! ति। १. मम वि (ब)। २. ओमुयति (अ, क, ता, ब)। ३. निवाडिते (अ, क, ता)। ४. भ०११४२० । ५. सं० पा०-मरणस्सा जाब उववत्तारो। ६. सं० पाo-ठिइक्खएर जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं । ७. भ० ७२०८। ८. भ० ११५१ । Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (दसमो उद्देसो) दसमो उद्देसो कालोदाइपभितीणं पंथिकाए संदेह-पदं २१२. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था - वण्णत्रो' । गुणसिलए चेइए - वण्णओ जाव' पुढविसिलापट्टयो । तस्स णं गुणसिलयस्स चेइयस्स दूरसामंते बहवे प्रणउत्थिया परिवसंति, तं जहा - कालोदाई, सेलोदाई, सेवालोदाई', उदए, नामुदए', नम्मुदए, अण्णवालए, सेलवालए), संखवालए, सुहत्थी गाहावई || २१३. तए णं तेसि अण्णउत्थियाणं अण्णया कयाइ' एगयो सहियाणं समुवागयाणं सणिविद्वाणं सष्णिसण्णाणं प्रयमेयारूवे' मिहोक हा समुल्लावे समुप्पज्जित्था - एवं खलु समणे नायपुत्ते पंच अत्थिकाए पण्णवेति तं जहा - धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थकार्य । १. ओ० सू० १ । २. ओ० सू० २-१३ । ३. सेवलो ० ( ता ) 1 तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि ग्रत्थिकाए ग्रजीवकाए पण्णवेति, तं जहाधम्मत्थिकार्य, श्रधम्मत्थिकाय, 'आगासत्थिकार्य, पोगलत्थिकार्य" । एगं च णं समणे नायपुत्ते जीवत्थिकार्य अरूविकायं जीवकार्य पण्णवेति । तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि श्रत्थिकाए अरूविकार पण्णवेति तं जहाधम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं श्रागासत्थिकायं, जीवत्थिकायं । एवं च गं समणे नायपुत्ते पोग्गलत्थिकायं रूविकायं अजीवकाय पण्णवेति । से कहमेयं मण्णे एवं ? २१४. तेण कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव" गुणसिलए चेइए समोसढे जाव" परिसा पडिगया || ४. सामुए (ता); गोमुदए ( ब ) । ५. X ( अ, ता, म) 1 ६. कयाई ( क ); कदायी (ता, ब, म ); कयाई ३०६ (स) 1 ७. X ( क, ता, व, म, स ) 1 ८. अतमेतारुवे (ता) | ६. अगासत्थिकार्य ( अ, क, ता, ब, म, स); १२. भ० १1८ 1 भ० ७२११८ सूत्रे कालोदायिना प्रतिपादितस्य भगवतः सिद्धान्तस्य भगवता स्ववचनेन स्वीकृति : क्रियते । तत्र 'तं सच्चे णं एसम कालोदाई ! अहं पंचत्थिकार्य पण्णवेनि, तं जहा - धम्मत्थिकार्य जाव पोरगलत्थिकार्य' एतदनुसारेण एष पाठो युक्तोस्ति, तेन एतदनुसारेणासी स्वीकृतः । १०. पोग्गलत्थिकार्य आगासत्थिकार्य ( ता ) । ११. भ० १७ । Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१० भगवई २१६. २१५. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवरो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे 'गोयमे गोत्तेण" जाव' भिक्खायरियाए अडमाणे अहापज्जतं भत्त-पाणं पडिग्गाहित्ता रायगिहायो' 'नगरानो पडिनिक्खमइ, अतुरियमचवलमसंभंतं जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरनो रियं सोहेमाणे-सोहेमाणे तेसिं अण्णउत्थियाणं अदरसामंतेणं वीईवयति ।। तए णं ते अण्ण उत्थिया भगवं गोयमं अदूरसामंतेणं वीईवयमाणं पासंति, पासित्ता अण्णमण्णं सदावति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमा कहा अविप्पकडा', अयं च णं गोयमे अम्हं अदूरसामंतेणं वोईवयइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं गोयमं एयमटुं पुच्छित्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमटुं पडिसुगंति, पडिसुणित्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता भगवं गोयमं एवं क्यासी-एवं खलु गोयमा ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए समर्ण नायपुत्ते पंच अस्थिकाए पण्णवेति, तं जहा-धमथिकायं जाव पोरगलत्थिकायं । तं चेव जाव' रूविकायं अजीवकायं पण्णवेति । से कहमेयं गोयमा ! एवं? कालोदाइस्स समाहाणपुव्वं पन्वज्जा-पदं २१७. तए णं से भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-नो खलु वयं देवाणुप्पिया ! अत्थिभावं नत्थि त्ति वदामो, नत्थिभावं अत्थि त्ति वदामो। अम्हे ण देवाणुप्पिया! सव्वं अस्थिभावं अत्थि त्ति बदामो, सव्वं नत्थिभावं नत्थि त्ति वदामो। तं चेयसा खलु तुभे देवाणुप्पिया ! एयमट्ठ सयमेव पच्चुवेक्खह त्ति कट्ट ते अण्णउत्थिए एवं वदासी, वदित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव भत्त-पाणं पडिदंसेति, पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे जाव पज्जुवासति ।। २१८. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे महाकहापडिवण्णे या वि होत्था। कालोदाई य तं देसं हव्वमागए। कालोदाईति ! समणे भगवं महावीरे कालोदाई १. गोयमगोत्ते णं (अ, ता)। ६. आगासस्थिकायं (अ, क, ब, म, स)। २. एवं जहा वितियसते णियंठुद्देसए जाव (अ, ७. भ० ७।२१३ । क, ता, ब, म, स); भ० २।१०६-१०६। ८. वेदसा (अ, ता, म, वृपा)। ३. सं० पा०--रायगिहाओ जाव अतुरियमच- ६. वदति (ता,व, म)। वलमसंभंत जाव रियं । १०. एवं जहा नियंठुद्देसए जाव (अ, क, ता, ब, ४. भ० २१११० सूत्रे 'मसंभंते' इति पाठः म, स); भ० २१११० । __ स्वीकृतोस्ति । ११. भ० ३३१३ । ५. अवि उप्पकड़ा (अ, क, ब, म, वृपा)। Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सत (दसमो उद्देसो) एवं वयासी-से नूणं भे कालोदाई ! अण्णया कयाइ एगयो सहियाणं समुवागयाणं सण्णिविट्ठाणं सण्णिसण्णाणं अयमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था-एवं खलु समणे नायपुत्ते पंच अस्थिकाए पण्णवेति तहेव जाव से कहा मेयं मण्णे एवं ? से नूणं कालोदाई ! अत्थे समत्थे ? हंता अस्थि । तं सच्चे णं एसमटे कालोदाई ! अहं पंचत्थिकायं पण्णवेमि, तं जहा-धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं ।। तत्थ णं अहं चत्तारि अस्थिकाए अजीवकाए' पण्णवेमि, "तं जहा-धम्मत्थिकार्य, अधम्मत्थिकायं, पागासत्थिकायं, पोग्गलत्थिकायं । एगं च णं अहं जीवत्थिकायं अस्वीकार्य जीवकायं पण्णवेमि । तत्थ णं अहं चत्तारि अत्थिाए अस्वीकाए पण्णवेमि, तं जहा-धम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, आगासस्थिकायं, जीवत्थिकायं ।' एगं च णं अहं पोग्गलत्थि कायं रूविकायं पण्णवेमि।। २१६. तए णं से कालोदाई समणं भगवं महावीरं एवं वदासी- एयंसि णं भंते ! धम्मत्थिकायंसि. अधम्मस्थिकायंसि. अागासत्थिकायंसि अरूविकायंसि अजीवकायंसि चक्किया केइ पास इत्तए वा? सइत्तए वा ? चिठ्ठइत्तए वा ? निसीइत्तए वा? तुयद्वित्तए वा? णो तिणद्वे समढे। कालोदाई ! एगंसि णं पोग्गलस्थिकायंसि रूविकायंसि अजीवकायंसि चक्किया केइ पास इत्तए वा, सइत्तए वा', 'चिट्ठइत्तए वा, निसीइत्तए वा , तुयट्टित्तए वा ।। २२०. एयंसि णं भंते ! पोग्गलत्थिकायंसि रूविकायंसि अजीवकायंसि जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कज्जति ? णो तिण? समटे । कालोदाई ! एयंसि णं जीवत्थिकायंसि अरूविकार्यसि जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कज्जति । एत्थ णं से कालोदाई संबुद्धे समण भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीइच्छामि णं भंते ! तुभं अंतियं धम्मं निसामेत्तए । एवं जहा खंदए तहेव पव्वइए, तहेव एक्कारस अंगाई अहिज्जइ जाव' विचित्तेहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ॥ २२१. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहाम्रो नगरानो, गुणसिलाओ चेइयानो पडिनिक्खमति, पडिनिवखमित्ता वहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ १. भ० ७।२१३॥ २. अजीवताए (क); अजीवस्थिकाए (स)। ३. सं० पा०-तहेब जाव एग। ४. चिट्टित्तए (अ, ब, ता)। ५. सं० पा०-सइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए। ६. भ० २१५०-६३ । Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१२ भगवई कालोदाइस्स कम्मादिविसए पसिण-पदं २२२. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नगरे, गुणसिलए चेइए । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ जाव समोसढे, परिसा जाव' पडिगया ॥ २२३. तए णं से कालोदाई अणगारे अण्णया कयाइ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कज्जति ? हंता अस्थि ॥ कहाणं भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कज्जति ? कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुण्णं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाकुलं विससंमिस्सं भोयणं भुजेज्जा, तस्स णं भोयणस्स आवाए भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे-परिणममाणे दुरूवत्ताए, दुवण्णत्ताए, दुगंधत्ताए जाव' दुक्खत्ताए–नो महत्ताए भुज्जो-मुज्जो परिणमति । एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवाए जाव' मिच्छादसणसल्ले, तस्स णं आवाए भद्दए भवइ, तो पच्छा 'विपरिणममाणे-विपरिणममाणे" दुरूवत्ताए दुवण्णत्ताए दुगंधत्ताए जाव दुक्खत्ताए–नो सुहत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं पावा कम्मा 'पावफलविवागसंजुत्ता कज्जति । २२५. अस्थि णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा कल्लाणफलविवागसंजुत्ता कज्जति ? हंता अस्थि ।। २२६. कहण्णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा 'कल्लाणफलविवागसंजुत्ता कज्जति ? कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुण्णं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाकुलं प्रोसहमिस्स भोयणं भुजेज्जा, तस्स णं भोयणस्स आवाए नो भद्दए भवइ, तो पच्छा परिणममाणे-परिणममाणे सुरूवत्ताए सुवण्णत्ताए जाव' सुहत्ताए - नो दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवे रमणे कोहविवेगे जाव" मिच्छादसणसल्लविवेगे, तस्स १. भ० १७1 ७. फलविवाग जाव कज्जति (अ); फल जाव २. भ० श। __ कज्जति (क, ता)। ३. जहा महस्सवए जाव (अ, क, ता, ब, म, ८. सं० पा०-कम्मा जाव कज्जंति । स); भ०६।२०। ६. भ० ६१२२ । ४. भ० ११३८४ । १०. भ० १३८५। ५. तस्य प्रारणातिपातादे: (ब)। ११. ठा० ११११५-१२५ । ६. परिणममाणे-परिणममाणे (अ, क, ता, म)। Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तमं सतं (दसमो उद्देसो) ३१३ णं आवाए नो भद्दए भवइ, तो पच्छा परिणममाणे-परिणममाणे सुरूवत्ताए सुवण्णत्ताए जाव सुहत्ताए–नो दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमइ । एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा' 'कल्लाणफलविवागसंजुत्ता कज्जति ॥ २२७. दो भंते ! पुरिसा सरिसया' •सरित्तया सरिव्वया' सरिसभंडमत्तोवगरणा अण्णमण्णणं सद्धि अगणिकायं समारंभंति । तत्थ णं एगे पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ, एगे पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ । एएसि णं भंते ! दोण्हं पुरिसाणं कयरे पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव ? महावेयणतराए चेव ? कयरे वा पूरिसे अप्पकम्मत राए चेव ? 'अप्पकिरियतराए चेव ? अप्पासवतराए चेव ? ० अप्पवेयणत राए चेव ? जे वा से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ, जे वा से पुरिसे अगणिकायं निव्वावे? कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ, से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियत राए चेव, महासवतराए चेब, महावेयणतराए चेव । तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ, से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव', 'अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव °, अप्पवेयणत राए चेव ।। २२८. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्च इ--तत्थ णं जे से पुरिसे 'अगणिकायं उज्जालेइ, से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव ? महावेयणतराए चेव ? तत्थ पंजे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ, से णं पूरिसे अप्पकम्मतराए चेव ? अप्पकिरियतराए चेव ? अप्पासवतराए चेव° ? अप्पवेयणतराए चेव ? कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ, से णं पुरिसे बहतरागं पुढविक्कायं समारभति, बहुतरागं आउक्कायं समारभति, अप्पतरागं तेउक्कायं समारभति, बहुत राग वाउकायं समारभति, बहुतराग वणस्सइकायं समारभति, बहुतरागं तसकायं समारभति । तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ, से णं पुरिसे अप्पतरागं पुढविकायं समारभति, अप्पतरागं आउक्कायं समारभति, बहुतरागं तेउक्कायं समारभति, अप्पतरागं वाउकायं समारभति, अप्पत रागं वणस्सइकायं समारभति, अप्पतरागं तस कार्य समारभति । से तेणटेणं कालोदायी ! • •एवं वुच्चइ–तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ, से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव, महा१. सं० पा०—कम्मा जाव कज्जति । ५. सं० पा०-चेव जाव अप्पवेयण । २. सं० पा०--सरिसया जा सरिसभंड° । ६. सं० पा०..-पुरिसे जाब अप्पवेयरण । ३. सं० पा०--चेव जाव अप्पवेयण । ७. सं० पा० --कालोदायी जाव अपवेयण । ४. सं० पा०-चेव जाव महावेयरण । Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४ भगवई किरियतराए चेव, महासवतराए चेव, महावेयणतराए चेव । तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ, से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव, अप्पकिरियत राए चेव, अप्पासवत राए चेव , अप्पवेयणतराए चेव ।। २२६. अत्थि णं भंते ! अच्चित्ता वि पोग्गला ओभासंति ? उज्जोवेति ? तवेंति ? पभासेंति ? हंता अत्थि ॥ २३०. कयरे णं भंते ! ते अच्चित्ता वि पोग्गला प्रोभासंति' ? 'उज्जोवेंति ? तवैति? ० पभासें ति? । कालोदाई ! कुद्धस्स' अणगारस्स तेय-लेस्सा निसट्ठा समाणी दूरं गता दूर निपतति, देसं गता देसं निपतति, जहि-जहि च णं सा निपतति तहि-तहि च णं ते अचित्ता वि पोग्गला ओभासंति', 'उज्जोवेति, तवेंति °, पभाति । एतेणं कालोदाई ! ते अचित्ता वि पोग्गला प्रोभासंति', उज्जोवेंति, तवेंति, पभासेंति॥ २३१. तए णं से कालोदाई अणगारे समणं ,भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता बहूहिं चउत्थ-छट्ठट्ठम- दसम-दुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ २३२. "तए णं से कालोदाई ! अणगारे जाव' चरमेहिं उस्सास-नीसासेहि सिद्ध बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे ° सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ २३३. सेवं भते ! सेवं भंते ! ति। १. सं० पा०-ओभासंति जाव पभासेति । २. विभक्तिपरिणामात्क्रुद्धेन (वृ)। ३. सं० पा० ओभासंति जाव पभासेति । ४. सं० पा०–ओभासंति जाव पभाति । ५. सं० पा०-छट्टम जाव अप्पारणं । ६. सं० पा०-'जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते जाव सव्वदुक्ख °। ७. भ० ११४३३ । ८. भ. ११५१ । Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा १. पोग्गल २. ग्रासीविस ३. रुक्ख ४. किरिय ५. प्राजीव ६, ७. फासुकमदत्ते । ८. पडिणीय ह.बंध १०. आराहणा य दस अट्ठमंमि सते ।।१।। पोग्गलपरिणति-पदं १. रायगिहे जाव' एवं वदासी-कतिविहा णं भंते ! पोग्गला पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा-पयोगपरिणया, मीसापरिणया', वीससापरिणया ।। (१) पयोगपरिणति-पदं २. पयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-एगिदियपयोगपरिणया', 'बेइंदियपयोगपरिणया, तेइंदियपयोगपरिणया, चरिंदियपयोगपरिणया, पंचिदियपयोग परिणया ।। ३. एगिदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पचविहा पण्णत्ता, तं जहा-पूढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया. 'ग्राउकाइयएगिदियपयोगपरिणया, तेउकाइयएगिदियपयोगपरिणया, वाउकाइयएगिदियपयोगपरिणया, वणस्सइकाइयएगिदियपयोगपरिणया ।। ४. सं० पा०-पुढविकाइयएगिदियफ्योगपरिणया जाव वणस्सइ० । १. भ० ११४-१०। २. मीससा (अ, स); मीस ° (क, ब, म)। ३. सं० पा०-एगिदियफ्योगपरिणया जाव पंचिदिय । ३१५ Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१६ भगवई ४. पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहुमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया, बादरपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया य। आउकाइयएगिदियपयोगपरिणया एवं चेव । एवं दुयो' भेदो जाव वणस्सइकाइया य ।। ५. बेइंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा । गोयमा ! अणेगविहा पण्णत्ता । एवं तेइंदिय-च उरिदियपयोगपरिणया वि ।। यचिदियपयोगपरिणयाणं पूच्छा। गोयमा ! चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा–नेरइयपंचिदियपयोगपरिणया, तिरिक्ख-मणुस्स-देवपचिदियपयोगपरिणया ।। ७. नेरइयपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा - रयणप्पभपुढविने रइयपंचिदियपयोग परिणया' वि जाव' अहेसत्तमपुढविने रइयपंचिदियपयोगपरिणया वि ।। ८. तिरिक्खजोणियपंचिंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा । गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-जलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया, थलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया, खहचरतिरिक्ख जोणियपंचिदियपयोगपरिणया। ६. जलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–संमुच्छिमजलचरतिरिक्खजोणियपंचिदिय पयोगपरिणया, गब्भवतियजलचरतिरिक्ख जोणियपंचिदियपयोगपरिणया ।। १०. थलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा ! दुबिहा पण्णत्ता, तं जहा-च उप्पयथलचरतिरिक्खजोणियपंचिदिय पयोगपरिणया, परिसप्पथलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया ।। ११. चउप्पयथल चरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा ! गोयमा ! दुविहा पण्णता, तं जहा -संमुच्छिमचउप्पयथलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया, गभवक्कंतिय उप्पयथलचरतिरिक्खजोणियपंचिदिय पयोगपरिणया॥ १२. एवं एएणं अभिलावेणं परिसप्पा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-उरपरिसप्पा य भयपरिसप्पा य । उरपरिसप्पा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-समुच्छिमा य गब्भ वक्कंतिया य । एवं भुयपरिसप्पा वि ! एवं खहयरा वि ॥ १३. मणुस्सपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। ३. भ० २।७७ । १. दुपओ (क, ब, स, वृपा)। २. रयणप्पभा० (अ, स)। Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रटुमं सतं (पढमो उद्देसो) ३१७ गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -- संमुच्छिममणुस्सपंचिदियपयोगपरिणया, गब्भवक्कंतियमणुस्सपेचिदियपयोगपरिणया ।। १४. देवपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा ! चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा-भवणवासिदेवपंचिंदियपयोगपरिणया, एवं जाव' वेमाणिया ।। १५. भवणवासिदेवपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा ! दसविहा पणत्ता, तं जहा-असुरकुमारदेवपंचिदियपयोगपरिणया जाव थणियकुमारदेवपंचिदियपयोगपरिणया ।।। एवं एएणं अभिलावणं अविहा वाणमंतरा–पिसाया जाव' गंधवा । जोतिसिया पंचविहा पुण्णत्ता, तं जहा-चंदविमाणजोतिसिया जाव' ताराविमाणजोतिसियदेवपंचिदियपयोगपरिणया। वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहाकप्पोवगवेमाणिया कप्पातीतगवेमाणिया । कप्पोवगवेमाणिया दुवालसविहा पण्णत्ता, तं जहा--सोहम्मकप्पोवगवेमाणिया जाव' अच्चुयकप्पोवगवेमाणिया । कप्पातीतगवेमाणिया विहा पण्णत्ता, त जहा-गेवज्जगकप्पातीतगवेमाणिया अणुत्तरोववातियकप्पातीतगवेमाणिया । गेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया नवविहा पण्णत्ता, तं जहा–हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया जाव' उवरिम उवरिमगेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया । १७. अणुत्तरोववातियकप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिंदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-विजयप्रणुत्तरोववातिय कप्पातीतगवेमाणियदेवचिदियपयोग परिणया जाव' सम्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववातियकप्पा तीतगवेमाणियदेवपंचिदियपयोगपरिणया। (२) पज्जतापज्जतं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं १८. सुहमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा"-पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय"एगिदियपयोग ° १. भ० २१११६ । है. जाव परिणया (अ, क, ता, व, म, स)। २. पू० प० २! १०. अतोग्रे 'केति अपज्जत्तगं पढम भणंति पच्छा ३. ठा० ८.११६ । पज्जत्तगं' इति पाठोऽस्ति । वृत्ती नासौ ४. ठा० ५१५२। व्याख्यातोऽस्ति । असौ मतभेदसूचक: पाठो ५. अ० सू० २८७ । वृत्त्युत्तरकाल मुले प्रक्षिप्तोभूदितिसंभाव्यते । ६. ठा० ६१३८ । ११. सं० पा०-पज्जत्तासुहमपुढविकाइय जाव ७. संपा०-विजयअणत्तरोववतिय जाव परिणया परिणया; एगपदे सन्धिरत्र, तेन 'पज्जत्तग' ८. भ०६।१२१ । इति परिपदस्य 'पज्जत्ता' इति रूपं जातम् । Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१८ भगवई २१. परिणया य, अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइय"एगिदियपयोग परिणया य । वादरपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया । एक्केका दुविहा सुहमा य, बादरा य, पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य भाणियव्वा ॥ बेइंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगवेइंदियपयोगपरिणया य, अप ज्जत्तग जाव परिणया य । एवं तेइंदिया वि, एवं चउरिदिया वि ।। २०. रयणप्पभपुढविनेरइयपयोगपरिणयाणं पुच्छा। गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तग रयणप्पभ जाव परिणया य, अपज्जत्तग जाव परिणया य । एवं जाव अहेसत्तमा । समुच्छिमजलचरतिरिक्ख--पुच्छा । गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--पज्जत्तग अपज्जत्तग । एवं गब्भवक्कंतिया वि । संमुच्छिमच उप्पयथलचरा एवं चेव । एवं गब्भवक्कतिया वि । एवं जाव संमुच्छिमखय रगब्भवक्कंतिया य। एक्केक्के पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य भाणियव्वा ॥ २२. संमुच्छिममणुस्सपेचिदिय- पुच्छा। गोयमा ! एगविहा पण्णत्ता-- अपज्जत्तगा चेव ।। २३. गब्भवक्कंतियमणुस्सपंचिदिय पुच्छा। गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगगब्भवक्कंतिया वि, अपज्जत्तग गब्भवक्कंतिया वि।। २४. असुरकुमारभवणवासिदेवाणं पुच्छा ।। गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगअसुरकुमार, अपज्जत्तगासुरकुमार । एवं जाव' थणियकुमारा पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य ।। एवं एतेणं अभिलावेणं दुयएण भेदेणं पिसाया जाव' गंधव्वा । चंदा जाव' ताराविमाणा। सोहम्मकप्पोवगा जावच्चुतो। हेटिमहेट्ठिम-गेवेज्जकप्पातीत जाव' उवरिमउवरिमगेवेज्ज । विजयप्रणुत्तरोववाइय जाव' अपराजिय । २६. सव्वट्ठसिद्धकप्पातीत-पुच्छा । गोयमा ! दुविहा पण्णता, तं जहा-पज्जत्तासवट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय, अपज्जत्तासव्वट्ठ जाव परिणया वि ।। २५. १. सं० पा०-पुढविकाइय जाव परिणया। २. पू० प० ३ । ३. ठा० ८।११६ । ४, ठा० ५२५२। ५. अ० सू० २८७ । ६. ठा० ६१३८ । ७. भ०६।१२१ । Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मट्ठमं सतं (पढमो उद्देसो) ३१६ (३) सरीरं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं २७. जे अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया ते ओरालिय-तेया-कम्मा सरीरप्पयोगपरिणया। जे पज्जत्तासुहुम जाव परिणया ते ओरालिय-तेयाकम्मासरीरप्पयोगपरिणया। एवं जाव चरिदिया पज्जता, नवरं-जे पज्जताबादरवाउकाइयएगिदियप्पयोगपरिणया ते ओरालिय-वेउविय-तेया-कम्मा सरीरप्पयोगपरिणया' । सेसं तं चेव ।। २८. जे अपज्जत्तरयणप्पभापुढविनेरइयपंचिंदियपयोगपरिणया ते वेउव्विय-तेया कम्मासरीरप्पयोगपरिणया । एवं पज्जत्तगा वि । एवं जाव अहेसत्तमा ।। २६. जे अपज्जतासमुच्छिमजलचर जाव परिणया ते पोरालिय-तेया कम्मासरीर जाव परिणया। एवं पज्जत्तगा वि। गब्भवतियअपज्जत्ता एवं चेव । पज्जत्तगाणं एवं चेव, नवरं –सरीरगाणि चत्तारि जहा वादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं । एवं जहा जलचरेसु चत्तारि पालावग भणिया एवं चउप्पया' उरपरिसप्प-भुयपरिसप्प खहयरेसु वि चत्तारि पालावगा भाणियब्वा ।। ३०. जे समुच्छिममणुस्सपंचिदियपयोगपरिणया ते ओरालिय-तेया-कम्मासरीर प्पयोगपरिणया! एवं गब्भवक्कंतिया वि। अपज्जत्तगा वि, पज्जत्तगा वि एवं चेव, नवरं-सरोरगाणि पंच भाणियव्वाणि ।। ३१. जे अपज्जत्ताप्रसूरकूमारभवणवासि जहा नेरइया तहेव । एवं पज्जत्तगा वि । एवं दुयएणं भेदेण जाव थाणयकुमारा । एवं पिसाया जाव गंधव्वा । चंदा जाव ताराविमाणा । सोहम्मकप्पो जावच्चुनो। हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जग जाव उवरिमउवरिमगेवेज्जग । विजयप्रणुत्तरोववाइय जाव सव्वट्ठसिद्धमणुत्त रोक्वाइय। एक्केक्के दुयो भेदो भाणियव्वो जाव जे पज्जत्तासव्वटुसिद्धअणुत्तरोववाइय.. 'कप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिदियपयोग परिणया ते वे उब्विय-तेया-कम्मा सरीरप्पयोगपरिणया ।। (४) इंदियं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३२. जे अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया ते फासिदियपयोगपरिणया जे पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय एवं चेव । जे अपज्जत्ताबादरपुढविकाइय एवं चेव । एवं पज्जत्तगा वि । एवं चउक्कएणं भेदेण जाव वणस्सतिकाइया ।। १. कम्म° (अ, ब, म); कम्मग ° (स); अत्रापि स्वीकृतपाठे एकपदे सन्धिः । २. जाव परिणया (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. चतुष्पद (क, ब)। ४. ° जाव परिणया (अ, क, ता, ब, म, स)। ५. अपज्जता (अ, क, ता, ब, म, स); सं० पा०-वाइय जाव परिगया। Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२० भगवई ३३. जे अपज्जत्ताबेइंदियपयोगपरिणया ते जिभिदिय-फासिंदियपयोगपरिणया, जे पज्जत्ताबेइंदिय एवं चेव । एवं जाव चरिदिया, नवरं-एक्केक्कं इंदियं वडढेयव्वं ॥ जे' अपज्जत्तरयणप्पभपुढविनेरइयपंचिदियपयोगपरिणया ते सोइंदिय-चविखदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियपयोगपरिणया। एवं पज्जत्तगा वि । एवं सब्वे भाणियव्वा तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवा जाव जे प्रज्जतासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय' 'कप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिदियपयोग परिणया ते सोइंदिय-चक्खिदिय घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियपयोग परिणया ॥ (५) सरीरं इंदियं च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३५. जे अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयएगिदियोरालिय-तेया-कम्मासरीरप्पयोगपरि णया ते फासिदियपयोगपरिणया । जे पज्जत्तासुहुम एवं चेव । बादरअपज्जत्ता एवं चेव । एवं पज्जत्तगा वि।। एवं एतेणं अभिलावेणं जस्स जति इंदियाणि सरीराणि य तस्स ताणि भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्तासव्वदृसिद्धअणुत्तरोववाइय कप्पातीतगवेमाणिय° देवपंचिदियवेउब्विय-तेया-कम्मासरीरप्पयोगपरिणया ते सोइंदिय-चक्खिदिय जाव फासिदियप्पयोगपरिणया ।। (६) वणादि पडुच्च पयोगपरिणति-पदं जे अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयएगिदियपयोगपरिणया ते वण्णमो कालवण्णपरिणया वि, नील-लोहिय-हालिद्द-सुक्किलवण्णपरिणया वि; गंधओ सुब्भिगंधपरिणया वि, दुब्भिगंधपरिणया वि; रसो तित्तरसपरिणया वि, कडुयरसपरिणया वि, कसायरसपरिणया वि, अंबिलरसपरिणया वि, महुररसपरिणया वि; फासो कक्खडफासपरिणया वि', 'मउयफासपरिणया वि, गरुयफासपरिणयावि, लहयफासपरिणया वि. सीतफासपरिणया वि, उसिणफासपरिणया वि, णिद्धफासपरिणया वि°, लुक्खफासपरिणया वि; संठाणग्रो परिमंडलसंठाणपरिणया वि, वट्ट-तंस-चउरंस-अायत-संठाणपरिणया वि । जे पज्जत्तासुहुमपुढवि० एवं चेव । एवं जहाणुपुवीए नेयव्वं जाव जे पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धप्रणुत्तरोववाइय जाव परिणया ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव आयतसंठाणपरिणया वि ।। ३६. १. जाव (क, ता, ब)। २. सं० पा०-वाइय जाव परिणया। ३. सं० पा०-चविखदय जाव परिणया । ४. अरज्जत्ता० (अ, क, ब, स); सं० पा० वाइय जाव देव० । ५. लोहिग (ता, ब, म)। ६. स० पा०—वि जाव लुक्ख०। Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं ( पढो उद्देसो) (७) सरीरं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३७. जे ग्रपज्जत्तासुमपुढविक्काइए गिदियो रालिय- तेया- कम्मासरी रपयोगपरिया ते वण्ण कालवण्णपरिणया वि जाव श्रायतसंठाणपरिणया वि । जे पत्ता मुहमढविकाइय एवं चेव । एवं जहाणुपुव्वीए नेयव्वं, जस्स जइ सरीराणि जाव जे पज्जत्तासम्बद्ध सिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिदिवे उब्विय-या-कम्मासरोरपयोगपरिणया' ते वण्णओ कालवण्णपरिणया वि जाव प्रायतसंठाणपरिणया वि || (८) इंदियं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३८. जे अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए गिदियफासिंदियपयोगपरिणया ते वण्णश्रो कालवण परिणया वि जाव श्रायतसंठाणपरिणयादि । जे पज्जत्तासुमपुढ विकाइय एवं चेव । एवं जहाणुपुवीए जस्स जति इंदियाणि तस्स तति भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्तासव्वट्टसिद्धप्रणुत्त रोववाइय'"कपातीतगवेभाणिय' देवपचिदियसोतिदिय जाव फासिदियपयोगपरिणया ते वण कालवण्णपरिणया वि जात्र प्रायतसंठाणपरिणया वि ॥ (e) सरीरं इंदियं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३६. जे अपज्जत्तासु हुमपुढविक्काइयएगिदियोरालिय- तेया- कम्मा - फासिंदियपयोगपरिणया ते वण्णी कालवण्णपरिणया वि जाव प्रयतसंठाणपरिणया वि । जे पज्जत्तासु हुम पुढविक्काइय एवं चेव । एवं जहाणुपुव्वीए जस्स जति सरीराणि इंदियाणि य तस्स तति भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्तासम्बट्ठसिद्धअणुत्तरोक्वाइयकप्पातीतगवेमाणियदेव पंचिदियवे उब्विय तेया- कम्मा-सोइंदिय जाव फासिंदियपयोगपरिणया ते वण्ण कालवण्णपरिणया वि जाव प्रयतसंठाण परिणया वि । एते नव दंडगा " ॥ मोसपरिणति-पदं ४०. मीसापरिणया णं भंते ! पोगला कतिविहा पण्णत्ता ? गोमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - एगिदियमीतापरिणया जाव पंचिदियमीसापरिणया || ३२१ ४१. एगिदियमीसापरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? एवं जहा पयोगपरिणएहिं नव दंडगा भणिया, एवं मीसापरिणएहि वि नव १. ० जाव परिणया ( अ, क, ता, व, म, स ) 1 २. सं० पा० ० वाइय जाव देव° । ३. एवं नव दंडगा भरिया ( अ, स ) 1 ४. मोस ० ( अ ) । Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२२ भगवई दंडगा भाणियव्वा, तहेव सव्वं निरवसेसं, नवरं-अभिलावो 'मीसापरिणया' भाणियव्वं, सेसं तं चेव जाव' जे पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धप्रणुत्तरोबवाइय जाव प्रायतसंठाणपरिणया वि ॥ वीससापरिणति-पदं ४२. वीससापरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-वण्णपरिणया, गंधपरिणया, रसपरिणया, फासपरिणया, संठाणपरिणया । जे वण्णपरिणया ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा~-कालवण्णपरिणया जाव' सुक्किलवण्णपरिणया। जे गंधपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--सुब्भिगंधपरिणया', दुन्भिगंधपरिणया। जे रसपरिणया ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-तित्तरसपरिणया जाव' महुररसपरिणया । जे फासपरिणया ते अढविहा पण्णता, तं जहा--कक्खडफासपरिणया जाव' लुक्खफासपरिणया! जे संठाणपरिणया ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा--परिमंडलसंठाणपरिणया जाव' आयतसंठाणपरिणया । जे वण्णो कालवण्णपरिणया ते गंधो सुभिगंधपरिणया वि, दुब्भिगंधपरिणया वि! एवं जहा पण्णवणाए तहेव निरवसेस जाव' जे संठाणो आयतसंठाणपरिणया ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव लुक्खफासपरिणया वि ।। एग दवं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ४३. एगे भंते । दव्वे किं पयोगपरिणए ? मोसापरिणए ? वीससापरिणए ? ____ गोयमा ! पयोगपरिणए वा, मीसापरिणए वा, वीससापरिणए वा ।। पयोगपरिणति-पदं ४४. जइ पयोगपरिणए कि मणपयोगपरिणए ? वइपयोगपरिणए ? कायपयोग परिणए" ? १. भ० ८१३-३६। ७. भ० ८१३६ । २. भ० ८।३६ ! ८. प०१। ३. सुगंधपरिगया वि(अ, स);सुरभि (ता, ब)। ६. मरणप्प (ता, म)। ४. दुगंधपरिणया वि(अ, स); दुरभि ० (ता, ब)। १०. वयप ° (क); वयप्प ° (ब, म)। ५. भ० ८१३६। ११. कायप्प (अ, क, ता, ब, म, स)। ६. भ. ८॥३६ Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पट्ठमं सतं (पढमो उद्देसो) गोयमा! मणपयोगपरिणए वा. वइपयोगपरिणए वा, कायपयोगपरिणए वा ॥ मणपयोगपरिणति-पदं ४५. जइ मणपयोगपरिणए कि सच्चमणपयोगपरिणए ? मोसमणपयोगपरिणए ? सच्चामोसमणपयोगपरिणए ? असच्चामोसमणपयोगपरिणए ? गोयमा ! सच्चमणपयोगपरिणए वा, मोसमणपयोगपरिणए वा, सच्चा मोसमणपयोगपरिणए वा, असच्चामोसमणपयोगपरिणए वा ॥ ४६. जइ सच्चमणपयोगपरिणए किं प्रारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? अणारंभसच्च मणपयोगपरिणए ? सारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? असारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? समारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? असमारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? गोयमा ! आरंभसच्चमणपयोगपरिणए वा जाव असमारंभसच्चमणपयोग परिणए वा॥ ४७. जइ मोसमणपयोगपरिणए कि प्रारंभमोसमणपयोगपरिणए ? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेण वि ! एवं सच्चामोसमणपयोगेण वि । एवं असच्चामोसमणपयोगेण वि ।। वइपयोगपरिणति-पदं ४८. जइ वइपयोगपरिणए कि सच्चवइपयोगपरिणए ? मोसवइपयोगपरिणए ? एवं जहा मणपयोगपरिणए तहा वइपयोगपरिणए वि जाव असमारंभवइ. पयोगपरिणए वा ॥ कायपयोगपरिणति-पदं जइ कायपयोगपरिणए कि अोरालियसरीरकायपयोगपरिणए ? ओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? वेउव्वियसरीरकायपयोगपरिणए ? वेउन्वियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? आहारगसरीरकायपयोगपरिणए ? पाहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? कम्मासरीरकायपयोगपरिणए ? गोयमा ! ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायपयोग परिणए वा ।। ५०. जइ पोरालियसरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियोरालियसरीरकायपयोग परिणए ? जाव पंचिदियओरालिय' सरीरकायपयोग परिणए ? १. एवं जाव (अ, स)। २. सं.पा.-पंचिदियओरालिय जाव परिगए। Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! एगिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए वा जाव' पंचिदियोरा लियसरीरकायपयोगपरिणए वा ।। ५१. जइ एगिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए कि पुढविक्काइयएगिदिय गोरा लियसरीरकायययोग परिणए ? जाव वणस्सइकाइयएगिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए ? गोयमा ! पुढविक्काइयएगिदियोरालियसरीरकायपयोग परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिदिय ओरालि यसरीरकायपयोग परिणए वा ॥ ५२. जइ पुढविक्काइयएगिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणएं किं सुहुमपुढ विक्काइय जाव परिणए ? बादरपुढविक्काइय जाव परिणए ? गोयमा ! सुहुमपुढविकाइयएगिदिय जाव परिणए वा, बादरपुढविक्काइय जाव परिणए वा॥ ५३. जइ सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए कि पज्जत्तासुहमपुढविक्काइय जाव परिणए ? अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइय जाव परिणए ? गोयमा ! पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा, अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा। एवं बादरा वि। एवं जाव वणस्सइकाइयाणं चउक्कनो भेदो। वेइंदिय-ते इंदिय-चरिदियाणं दुयो भेदो-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य ।। ५४. जइ पंचिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए कि तिरिक्ख जोणियपंचिदिय पोरालियसरीरकायपयोगपरिणए ? मणुस्सपंचिदिय जाव परिणए ? गोयमा ! तिरिक्खजोणिय जाय परिणए वा, मणुस्सपंचिदिय जाव परिणए वा ।। ५५. जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए कि जलचरतिरिक्ख जोणिय जाव परिणए ? थलचर-खहचर जाव परिणए? एवं च उक्को भेदो जाव खहचराणं ।। ५६. जइ मणुस्सपंचिदिय जाव परिणए कि संमुच्छिममणुस्सपंचिदिय जाव परिणए ? गब्भवतियमणुस्स जाव परिणए ? गोयमा ! दोसु वि ॥ ५७. जइ गब्भवतियमणुस्स जाव परिणए कि पज्जत्तागभवतिय जाव परिणए ? अपज्जत्तागब्भवक्कंतिय जाव परिणए ? १. वेइंदिय जाव परिणए वा (अ, क, व, म, स); बेइंदिय जाव (ता)। २. सं० पा० - ० एगिदिय जाव परिणए। ३. सं० पा०-० एगिदिय जाव परिणए। ४. स० पा० - ० एगिदिय जोव परिगए। ५. सरीर जाव परिणए (अ,क, ता, ब,म, स)। Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सतं (पढमो उद्देसो) गोयमा ! पज्जत्तागब्भववकंतिय जाव परिणए वा अपज्जत्तागब्भवक्कतिय जाव परिणए वा ॥ ५८. जइ ओरालियमीसासरी रकायपयोगपरिणए कि एगिदियो रालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? बेइंदिय जाव परिणए ? जाव पंचिदियश्रोरालिय जाव परिणए ? गोयमा ! एगिदियोरालियमी सासरी रकायपयोगपरिणए एवं जहा प्रोरालियसरीरकायपयोगपरिणएणं आलावगो भणिश्रो तहा ओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणाण विग्रालावगो भाणियव्वो, नवरं - बादरवाउक्काइय-गव्भवव कंतियपंचिदियतिरिक्ख जोणीय - गब्भवक्कंतियमणुस्सान' एएसिणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं, सेसाणं श्रपज्जत्तगाणं || ५६. जइ वेउब्वियसरी रकायपयोगपरिणए किं एगिदियवेउब्वियसरी रकायपयोगपरिणए ? पंचिदियवे उब्वियसरीर जाव परिणए ? ३२५ गोमा ! एगिदिय जाव परिणए वा, पंचिदिय जाव परिणए वा ।। ६०. जइ एगिंदिय जाव परिणए कि वाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए ? अवाउक्काइएगिदिय जाव परिणए ? गोयमा ! वाउक्काइयएगिदिय जाव परिणए, नो ग्रवाउक्काइयएगिंदिय जाव परिणए । एवं एएणं अभिलावेणं जहा प्रोगाहणसंठाणे वेउव्वियसरीरं भयंता इह विभाणियव्वं जाव पज्जत्तासम्बद्धसिद्धश्रणुत्त रोववाइयकप्पातीतावेमाणियदेव पंचिदियवे उब्वियसरी रकायपयोगपरिणए वा, सव्वट्टसिद्ध प्रणत्त रोववाइय जाव परिणए वा ॥ ६१. जइ वेउब्वियमोसासरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? जाव पंचिदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? अपज्जत्ता एवं जहा वेउब्वियं तहा वेउब्वियमीसगं पि, नवरं - देव - नेरइयाणं अपज्जत्तगाणं, सेसाणं पज्जत्तगाणं' जाव नो पज्जत्तासव्वसिद्धश्रणुत्तरोववाइय जाव परिणए, ग्रपज्जत्ता सव्वट्टसिद्धश्रणुत्त रोववाइयदेवपंचिदियवे उब्वियमी सासरीरकायपयोगपरिणए || ६२. जइ श्राहारगसरी रकायपयोगपरिणए कि मणुस्साहारगस रीरकायपयोगपरिणए ? अमणुस्साहारंग जाव परिणए ? एवं जहा प्रोगाहणसंठाणे जाव इड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिद्विपज्जत्तगसंखेज्जवासाउय जाव परिणए, नो अणिड्ढित्तपमत्तसंजयसम्मदिट्टिपज्जत्तसंखेज्जवासाउय जाव परिणए । १. ० मरगुस्साण य ( अ, क, ता, ब ) । २. एतन्नामके प्रज्ञापनाया एकविंशतितमे पदे । ३. पज्जत्तगाणं तहेव ( अ स ) ; अत्र द्वयोमिश्रणम् तहेव (क, ता, म) Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२६ भगवई ६३. जइ आहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए कि मणुस्साहारगमीसासरीरकाय पयोगपरिणए ? एवं जहा आहारगं तहेव मीसग पि निरवसेसं भाणियन्वं ।। ६४. जइ कम्मासरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए ? जाव पंचिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए ? गोयमा ! एगिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए, एवं जहा प्रोगाहणसंठाणे कम्मगस्स भेदो तहेव इह वि जाव पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धग्रणुत्तरोववाइय कप्पातीतगवेमाणिय देवपंचिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए वा, अपज्जत्तासव्वटू सिद्धअणुत्तरोववाइय जाव परिणए वा ।। मीसपरिणति-पदं ६५. जइ मीसापरिणए कि मणमीसापरिणए ? वइमीसापरिणए' ? कायमीसा परिणए ? गोयमा ! मणमीसापरिणए वा, वइमीसापरिणए वा, कायमीसापरिणए वा ।। ६६. जइ मणमोसापरिणए कि सच्चमणमीसापरिणए ? मोसमणमीसापरिणए ? जहा पयोगपरिणए तहा मीसापरिणए वि भाणियव्वं निरवसेसं जाव पज्जत्तासव्वदृसिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिदियकम्मासरीरगमीसापरिणए वा, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव कम्मासरीरमीसापरिणए वा ।। वीससापरिणति-पदं ६७. जइ वीससापरिणए कि वण्णपरिणए ? गंधपरिणए ? रसपरिणए ? फास परिणए ? संठाणपरिणए? गोयमा ! वण्णपरिणए वा, गंधपरिणए वा रसपरिणए वा, फासपरिणए वा, संठाणपरिणए वा ॥ ६८. जइ वण्णपरिणए कि कालवण्णपरिणए जाव' सुक्किलवण्णपरिणए ? गोयमा ! कालवण्णपरिणए वा जाव सुक्किलवण्णपरिणए वा ।। ६६. जइ गंधपरिणए कि सुबिभगंधपरिणए ? दुभिगंधपरिणए ? गोयमा ! सुब्भिगंधपरिणए वा, दुब्भिगंधपरिणए वा ॥ ७०. जइ रसपरिणए कि तित्तरसपरिणए ? पुच्छा। गोयमा ! तित्तरसपरिणए वा जाव' महुररसपरिणए वा ।। ७१. जइ फासपरिणए कि कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए ? मोयमा ! कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए । ३. नील जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। १. सं० पा०-वाइय जाव देव । २. वय (अ, स); वति' (क)। Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो) ३२७ ७२. जइ संठाणपरिणए-पुच्छा । गोयमा ! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आयतसंठाणपरिणए वा ।। दोणि दव्वाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ७३. दो भंते दवा ! कि पयोगपरिणया ? मीसापरिणया ? वीससापरिणया ? गोयमा ! १. पयोगपरिणया वा २. मीसापरिणया वा ३. वीससापरिणया वा ४. अहवेगे पयोगपरिणए, एगे मीसापरिणए ५. अहवेगे पयोगपरिणए, एगे वीससापरिणए ६. अहवेगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए । ७४. जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया? वइपयोगपरिणया ? कायपयोग परिणया? गोयमा ! १. मणपयोगपरिणया वा २. वइपयोगपरिणया वा ३. कायपयोगपरिणया वा ४. अहवेगे मणपयोगपरिणए, एगे वइपयोगपरिणए ५. अहवेगे मणपयोगपरिणए, एगे कायपयोगपरिणए ६. अहवेगे वइपयोगपरिणए, एगे कायपयोगपरिणाए।। ७५. जइ मणपयोगपरिणया कि सच्चमणपयोगपरिणया ? असच्चमणपयोगपरिणया? सच्चमोसमणपयोगपरिणया ? असच्चमोसमणपयोगपरिणया ? गोयमा ! १. सच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असच्चमोसमणपयोगपरिणया वा ५. अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे मोसमणपयोगपरिणए ६. अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए ७. अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए ८. अहवेगे मोसमणपयोगपरिणए, एगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए ६. अहवेगे मोसमणपयोगपरिणए, एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए १०. अहवेगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए, एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए । ७६. जइ सच्चमणपयोगपरिणया कि प्रारंभसच्चमणपयोगपरिणया ? जाव' असमा रंभसच्चमणपयोगपरिणया ? गोयमा! प्रारंभसच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असमारंभसच्चमणपयोगपरि प्रारंभसच्चमणपयोगपरिणए, एगे अणारंभसच्चमणपयोगपरिणए। एवं एएणं गमेण दुयासंजोएणं' नेयव्वं, सव्वे संजोगा जत्थ जत्तिया उद्वेति ते भाणियव्वा जाव सव्वट्ठसिद्धगत्ति ॥ ७७. जइ मीसापरिणया कि मणमीसापरिणया ? एवं मीसापरिणया वि ॥ Trr777 णयावा. अवग बारमत १. भ० ८।४६ । २. दुय ° (ब)। Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३२८ ७८. जइ वीससापरिणया कि वणपरिणया ? गंधपरिणया? एवं बीससापरिणया वि जाव अहवेगे चउरंससंठाणपरिणए, एगे पायतसंठाण परिणए । तिषिण दव्वाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ७६. तिणि भते ! दव्वा कि पयोगपरिणया ? मीसापरिणया? वीससापरिणया ? गोयमा ! १. पयोगपरिणया वा २. मी सापरिणया वा ३. वीससापरिणया वा ४. अहवेगे पयोगपरिणए, दो मीसापरिणया ५. अहवेगे पयोगपरिणए, दो वोससापरिणया ६. अहवा दो पयोगपरिणया, एगे मीसापरिणए' ७. अहवा दो पयोगपरिणया, एगे वीससापरिणए ८. अहवेगे मीसापरिणए, दो वीससापरिणया ६. अहवा दो मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १०. अहवेगे पयोगपरि णए, एगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए । ८०. जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया? वइपयोगपरिणया? कायपयोग परिणया ? गोयमा ! मणपयोगपरिणया वा, एवं एक्कासंयोगो, दुयासंयोगो', तियासंयोगो' य भाणियन्वो ॥ जइ मणपयोगपरिणया कि सच्चमणपयोगपरिणया? असच्चमणपयोगपरिणया? सच्चमोसमणपयोगपरिणया? असच्चमोसमणपयोगपरिणया? गोयमा ! सच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असच्चामोसमणपयोगपरिणया वा, अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, दो मोसमणपयोगपरिणया। एवं यासंयोगो तियासंयोगो भाणियब्वो एत्थ वि तहेव जाव अहवेगे तंससंठाणपरिणए, एगे चउरंससंठाणपरिणए, एगे आयतसंठाणपरिणए । चत्तारि दवाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ८२. चत्तारि भंते ! दव्वा कि पयोगपरिणया? मीसापरिणया? वीससापरिणया? गोयमा ! १. पयोगपरिणया वा २. मीसापरिणया वा ३. वीससापरिणया वा ४. अहवेगे पयोगपरिणए, तिणि मीसापरिणया ५. अहवेगे पयोगपरिणए, तिणि वीससापरिणया ६. अहवा दो पयोगपरिणया, दो मीसापरिणया ७. अहवा दो पयोगपरिणया, दो वी ससापरिणया ८. अहवा तिणि पयोगपरिणया, एगे मीसापरिणए ६. अहवा तिषिण पयोगपरिणया, एगे वीससापरिणए १०. अहवेगे मीसापरिणए, तिण्णि वीससापरिणया ११. अहवा दो मीसापरिणया, दो ८१. १. मीससा (स)। २. एक्क° (ब)। ३. दुय° (ब)। ४. तिय ० (ब)। ५. तिण्णिओ (ता)। Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टम सत (बीओ उद्देसो) ३२६ वीससापरिणया १२. ग्रहवा तिणि मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १३. ग्रहगे पयोगपरिणए, एगे मीसापरिणए, दो वीससापरिणया १४. महवेगे योगपरिणए, दो मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १५. अहवा दो प्रयोगपरिणया, एगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए । ८३. जइ पयोगपरिणया किं मणपयोगपरिणया ? वइपयोगपरिणया ? कायपयोगपरिणया ? एवं एएणं कमेणं पंच छ सत्त जाव दस संखेज्जा असंखेज्जा प्रणता य दव्वा भाणिव्वा - दुया संजोएणं तियासंजोएणं जाव दससंजोएणं वारससंजोएणं उवजुंजिऊणं' जत्थ जत्तिया संजोगा उट्ठेति ते सव्वे भाणियव्वा, एए पुण जहा नवमसए पवेसणए भणिहामो तहा उवजुंजिऊण भाणियव्वा जाव असंखेज्जा प्रणता एवं चेव, नवरं - एक्कं पदं अब्भहियं जाव अहवा अणंता परिमंडलसंठाणपरिणया जाव प्रणता श्रायतसंठाणपरिणया || ८४. एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं पयोगपरिणयाणं, मीसापरिणयाणं, वीससापरिणयाणं य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला पयोगपरिणया, मीसापरिणया प्रणतगुणा, वीससापरिणया प्रणतगुणा ॥ ८५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ बी उद्देस प्रासीविस-पदं ८६. कतिविहाणं भंते ! प्रासीविसा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा श्रासीविसा पण्णत्ता, तं जहा - जातिओसीविसा य, कम्मश्रासीविसाय ॥ ८७. जातिसीविसा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? १. उवजुज्जित्तणं ( क ); उववज्जिकरणं ( ता ) ; उवजुत्तिऊण (ब); उवजुज्जिऊरणं ( स ) | २. भ० ६।८६-१३२ । ww ३. सं० पा०- कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ४. भ० १।५१ । Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा–विच्छुयजातिप्रासोविसे, मंडुक्कजाति सीविसे, उरगजातिप्रासीविसे, मणुस्सजातिआसीविसे ।। ८८. विच्छ्यजातियासीविसस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णते ? गोयमा ! पभू णं विच्छुयजातियासीविसे अद्धभरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिगय विसट्टमाणं पकरेत्तए। विसए से विसट्ठयाए, नो चेद णं संपत्तीए करंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा ॥ ८९. मंडुक्कजातिप्रासीविसस्स "णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? ० गोयमा ! पभू णं मंडुक्कजातियासीविसे भरहप्पमाणमेत्तं वोदि विसेणं विसपरिगयं विसट्टमाणं पकरेत्तए । विसए से विसट्ठयाए, नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा, करेंति वा°, करिस्संति वा ।। ६०. "उरगजातिप्रासीविसस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णते ? गोयमा ! पभू णं उरगजातिप्रासीविसे जंबुद्दीवप्पमाणमेत्तं बोदि विसेणं विसपरिगयं विसट्टमाणं पकरेत्तए । विसए से विसट्टयाए, नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा, करेंति वा°, करिस्संति वा ।। ६१. मणुस्सजातिप्रासीविसस्स •णं भंते ! केवतिए विसर पण्णते ? गोयमा ! पभू णं मणुस्सजातिआसीविसे समयखेत्तप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिगयं विस?माणं पकरेत्तए। विसए से विसट्ठयाए, नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा, करेति वा,° करिस्संति वा ।। ६२. जइ कम्मग्रासीविसे कि नेरइयकम्मआसीविसे ? तिरिक्खजोणियकम्मआसी विसे ? मणुस्स कम्मआसीविसे ? देवकम्मनासीविसे ? गोयमा! नो ने रइयकम्मासीविसे, तिरिक्खजोणियकम्मासीविसे वि, मणुस्सकम्मासीविसे वि, देवकम्मासीविसे वि ॥ जइ तिरिक्खजोणियकम्मासीविसे कि एगिदियतिरिक्खजोणियकम्मासौविसे जाव पंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ? गोयमा! नो एगिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे जाव नो चउरिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, पंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे । जइ पंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे कि संमुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजो --. --- १. मणुय० (ता)। २. विसपरिणयं (ठा० ४।५१४) । ३. इह चैकवचनप्रक्रमेपि बहुवचन निर्देशो वृश्चि काशीविषाणां बहुत्वज्ञापनार्थम् (वृ)। ४. सं० पा० पुच्छा । ५. सं० पा०—सेसं तं चेव जाव करिस्संति । ६. सं० पा० ---एवं उरगजातिआसीविसस्स वि, नवरं-जंबुद्दीवप्पमाणमत्तं बोंदि विसेणं विसपरिगयं, सेसं तं चेव जाव करिस्सति । ७. सं० पा०–वि एवं चेव, नवर–समयखेत्तप्पमाणमेतं बोंदि विसेणं विसपरिगयं, सेसं तं चेव जाव करिस्संति। Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (बीप्रो उद्देसो) freeम्मासीविसे ? गब्भवक्कतियपंचिदियतिरिक्खजोणिय कम्मासीविसे ? एवं जहा वे उव्वियसरी रस्स भेदो जाव' पज्जत्तासंखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियपंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, नो अपज्जत्तासंखेज्जवासाउय जाव कम्मासीविसे || ६४. जइ मणुस्सकम्मासीविसे कि समुच्छिममणुस्सकम्मासीविसे ? गब्भवक्कंतियमणुस्सकम्मासीविसे? गोमा ! नो संमुच्छिम मणुस्तकम्मासोविसे, गन्भवक्कंतिय मणुस्स कम्मासीविसे, एवं जहा वे उब्वियसरीरं जाव पज्जत्तसंखेज्जवासाउयकम्मभूमागब्भवक्कंतियमणुस्तकम्मासीविसे, नो अपज्जत्ता जाव कम्मासीविसे || ६५. जइ देवकम्मासोविसे किं भवणवासिदेवकम्मासीविसे जाव वैमाणियदेवकम्मासीविसे ? गोयमा ! भवणवासिदेवकम्मासीविसे, वाणमंतर - जोतिसिय-वेमाणियदेवकम्मासोविवि । जइ भवणवासिदेवकम्मासीविसे कि असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे जाव थणियकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? गोयमा ! असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे वि जाव थणियकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसेवि ! जई असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे' किं पज्जत्ताअसुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? अपज्जतासुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? गोयमा ! नो पज्जत्ताश्रसुर कुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे, अपज्जत्ताअसुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे । एवं जाव थणियकुमाराणं । जइ वाणमंतर देवकम्मासीविसे किं पिसायवाणमंत रदेवकम्मासीविसे ? एवं सव्येसि अपज्जत्तगाणं । जोइसियाणं सव्वेसि अपज्जत्तगाणं । जइ वेमाणियदेवकम्मासीविसे कि कप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? कप्पातीयावेमाणियदेवकम्मासोविसे ? ३३१ गोमा ! कप्पवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, नो कप्पातीयावेमाणियदेवकम्मासीविसे । १. ०२१ । २. ० कम्मभूमग ° (स) 1 जइ कप्पवावेमाणियदेवकम्मासीविसे किं सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे जाव अच्चुकम्पोवावे माणियदेवकम्मासीविसे ? ३. असुरकुमार जाव कम्म ० म, स ) | ४. कप्पोवग • ( अ, क, ता, म, स ) । (अ, क, ता, ब, Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३२ भगवई गोयमा ! सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे वि जाव सहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे वि, नो आणयकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे जाव नो अच्चयकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे । जइ सोहम्मकप्पोवा' 'वेमाणियदेव कम्मासीविसे किं पज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? अपज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? गोयमा ! नो पज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासोविसे, अपज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, एवं जाव नो पज्जत्तासहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासोविसे, अपज्जत्तासहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मा सीविसे ॥ छउमत्य-केवलि-पदं १६. दस ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं न जाणइन पासई, तं जहा–१. धम्मत्थि कार्य २. अधम्मत्थिकायं ३. आगास त्थिकायं ४. जीवं असरीरपडिबद्धं ५. परमाणुपोग्गलं ६. सई ७. गंधं ८. वातं ६. अयं जिणे भविस्सइ वा न वा भविस्सइ १०, अयं सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्सइ वा न वा करेस्सइ । एयाणि चेव उप्पण्णनाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणइपासइ, तं जहा--धम्मत्थिकार्य', 'धम्मत्थिकायं, आगासत्थिकायं, जीवं असरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सई, गंध, वातं, अयं जिणे भविस्सइ वा न वा भविस्सइ, अयं सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्सइ वा न वा करेस्सइ॥ नारण-पदं ६७. कतिविहे गं भंते ! नाणे पण्णते ? गोयमा ! पंचविहे नाणे पण्णत्ते, तं जहा--प्राभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे, मोहिनाणे, मणपज्जवनाणे, केवलनाणे ।। १८. से कि तं प्राभिणिबोहियनाणे? आभिणिबोहियनाणे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-प्रोग्गहो, ईहा, अवारो, धारणा । एवं जहा 'रायप्पसेणइज्जे' नाणाणं भेदो तहेव इह भाणियव्वो जाव सेत्तं केवलनाणे । १. सं० पा०-सोहम्मकप्पोवा जाव कम्मा- सीविसे । २. सं० पा०-धम्मस्थिकायं जाव करेस्सइ । ३. राय सू० ७४१-७४५ । ४. यच्च वाचनान्तरे श्रतज्ञानाधिकारे यथा नन्द्यामङ्गप्ररूपरणेत्यभिधाय 'जाव भवियअभविया तत्तो सिद्धाअसिद्धा य' इत्युक्तं तस्यायमर्थ:-श्रतज्ञानसत्रावसाने किल नन्द्यां श्रतविषयं दर्शयतेदमभिहितम् – 'इच्चेयं मि दुवालसंगे गणिपिडए अता भावा अणंता Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमं सतं (बीओ उद्देसो) ६६. अण्णाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा---मइअण्णाणे, सुयअण्णाणे, विभंगनाणे ।। १००. से किं तं मइअण्णाणे ? मइअण्णाणे चउन्बिहे पण्णत्ते, तं जहा- प्रोग्गहो', •ईहा, अवानो, धारणा ।। १०१. से कि तं प्रोगहे ? प्रोग्गहे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- अत्थोगहे य वंजणोग्गहे य । एवं जहेव आभिणिवोहियनाणं तहेव, नवरं-एगट्ठियवज्ज' जाव' नोइंदियधारणा ! सेत्तं धारणा, सेत्तं मइअण्णाणे ।। १०२. से कि तं सुय प्रणाणे ? सुयअण्णाणे --जं इमं अण्णाणिएहि मिच्छादिदिएहि सच्छंदबुद्धि-मइ-विग्गपियं, तं जहा -भारह, रामायणं जहा नंदीए जाव' चत्तारि वेदा संगोवंगा । सेत्तं सूयअण्णाणे ॥ से कि तं विभंगनाणे? विभंगनाणे प्रणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा---गामसंठिए, नगरसंठिए, जाव' सण्णिवेससंठिए, दीवसंठिए, समुद्दसंठिए, वाससंठिए, वासहरसंठिए, पव्वयसंठिए, रुक्खसंठिए, थूभसंठिए, हयसंठिए, गयसंठिए, नरसंठिए, किन्नरसंठिए, किंपुरिससंठिए, महोरगसंठिए, गंधव्वसंठिए, उसभसंठिए, पसुसंठिए, पसयसंठिए, विहगसंठिए, वानरसंठिए-नाणासंठाणसंठिए' पण्णत्ते ।। जीवाणं नाणि-अण्णाणित्त-पदं १०४. जीवा णं भंते ! कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! जीवा नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते प्रत्येगतिया दुयणाणी, अत्थेगतिया तिण्णाणी, अत्थेगतिया चउनाणी, अत्यंगतिया एगनाणी । जे दुण्णाणी ते आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी अभावा जाव अगता भवसिद्धिया अणंता २. १. ओगेण्हणया २. उवधारणया ३. सवणया अभवसिद्धिया अता सिद्धा अता असिद्धा ४. अवलंबणया ५. मेहा (नंदी सू० ४३); पण्णत्ते' ति, अस्य च सूत्रस्य या संग्रहगाथा-- इत्यादीनि पंच-पंचकाथिकान्यवग्रहादीनामधीभावमभावा हेऊमहेउ कारगमकारणा जीवा। तानि, मत्यज्ञाने तु न तान्यध्येयानीति भावः अजीव भवियाऽभविया, तत्तो सिद्धा असिद्धा य॥ ३. नंदी सू० ४०.४८ । इत्येवंरूपा, तस्या: खण्डमिदमेतदन्तं ४. नंदी सू० ६७ । श्रुतज्ञानसूत्रमिहाध्येयमिति (वृ)। ५. भ० १९४६ ।। १. सं० पा० --ओग्गहो जाव धारणा । ६. नारणासंठिए (ता, ब)। ७. दुयाणाणी (क, ता, ब, म, स)। Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई य। जे तिण्णाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, प्रोहिनाणी, अहवा अभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, मणपज्जवनाणी । जे चउनाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, प्रोहिनाणी, मणपज्जवनाणी । जे एगनाणी ते नियमा केवलनाणी। जे अण्णाणी ते अत्थेगतिया दुअण्णाणी, अत्थेगतिया तिअण्णाणो । जे दुअण्णाणी ते मइअण्णाणी सुयअण्णाणी य । जे तिअण्णाणी ते मइअण्णाणो, सुयअण्णाणी, विभंगनाणी ॥ १०५. नेरइया णं भंते ! कि नाणी? अण्णाणी? गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा तिण्णाणी, तं तहा--आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, मोहिनाणी। जे अण्णाणो ते प्रत्थेगतिया दुअण्णाणी, अत्थेगतिया तिअण्णाणी । एवं तिण्णि अण्णाणाणि भयणाए।। १०६. असुरकुमारा णं भंते ! कि नाणो ? अण्णाणो ? जहेव नेरइया तहेव, तिणि नाणाणि नियमा, तिणि अण्णाणाणि भयणाए। एवं जाव' थणियकुमारा। १०७. पुढविक्काइया णं भंते ! कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी। जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी-मइ अण्णाणी सुयअण्णाणी य । एवं जाव वणस्सइकाइया ।। १०८. बेइंदियाण पूच्छा। गोयमा ! नाणी वि अण्णाणी वि। जे नाणी ते नियमा दुण्णाणी, तं जहा-श्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी य । जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी, तं जहा -माइग्रगणाणी सुयअण्णाणी य । एवं तेइंदिय-चरिदिया वि ।। १०६. पंचिदियतिरिक्खजोणियाण पूच्छा। गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणो वि । जे नाणी ते अत्थेगतिया दुग्णाणी, प्रत्येगतिया तिण्णाणी। जे अण्णाणी ते अत्थेगतिया दुअप्णाणी, प्रत्थेगतिया तिअण्णाणी । एवं तिण्णि नाणाणि, तिपिण अण्णाणाणि भयणाए । मणुस्सा जहा जीवा, तहेव पंच नाणाणि, तिष्णि अण्णाणाणि भयणाए। वाणमंतरा जहा नेरइया । जोइसिय वेमाणियाणं तिणि नाणाणि, तिणि अण्णाणाणि नियमा ।। ११०. सिद्धाणं भंते ! पूच्छा। गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी ; नियमा एगनाणी-केवलनाणी ॥ १. पू०प० २ Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (बीओ उद्देसो) अंतरालगत पडुच्च १११. 'निरयगतिया गं" भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । तिण्णि नाणाइं नियमा, तिष्णि अण्णाणाई भयणाए । ११२ तिरियगतिया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! दो नाणा, दो अण्णाणा नियमा' || ११३. मणुस्सगतिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! तिष्णि नाणाई भयणाए, दो अण्णाणाइं नियमा । देवगतिया जहा निरयगतिया || ११४. सिद्धगतिया गं भंते ! जीवा किं नाणी ? जहा' सिद्धा । इंदिय पडुच्च ११५. सइंदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! चत्तारि नाणाई, तिष्णि प्रण्णाणाई – भयणाए || ११६. एगिदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? जहा पुढविकाइया । बेइंदिय - ते इंदिय - चउरिदिया णं दो नाणा, दो अण्णाणा नियमा । पंचिदिया जहा सइंदिया || ११७. प्रणिदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? जहा सिद्धा || काय पडुच्च ११८. सकाइया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? - ११६. अकाइया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? जहा सिद्धा || गोयमा ! पंच नाणाई, तिष्णि अण्णाणाई – भयणाए । पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुग्रण्णाणी, तं जहा - मइअण्णाणीय सुयण्णाणी य । तसकाइया जहा सकाइया ॥ सुहुम-बादरं पडुच्च १२०. सुहमा णं भंते ! जीवा किं नाणी ? जहा पुढविक्काइया || १. निरयगतिया (बु) 1 २. नियम (ता) | ३३५ ३. भ० ६।११० Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १२१. वादरा णं भंते ! जीवा कि नाणो ? जहा सकाइया ॥ नोबादरा णं भंते ! जीवा कि नाणी? जहा सिद्धा । पज्जत्तापज्जतं पडुच्च१२३. पज्जत्ता णं भंते ! जीवा कि नाणी ? जहा सकाइया ॥ १२४. पज्जत्ता णं भंते ! नेरइया कि नाणी ? तिण्णि नाणा, तिणि अण्णाणा नियमा। जहा नेरइया एवं थणियकुमारा । पूढविकाइया जहा एगिदिया। एवं जाव चरिदिया ।। १२५. पज्जत्ता णं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया कि नाणी ? अण्णाणी? तिण्णि नाणा, तिणि अण्णाणा-भयणाए । मणुस्सा जहा सकाइया । वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिया जहा ने रइया ।। १२६. अपज्जत्ता णं भंते ! जीवा कि नाणी? अण्णाणी? तिण्णि नाणा, तिणि अण्णाणा-भयणाए। १२७. अपज्जत्ता णं भंते ! नेरइया कि नाणी? अण्णाणी ? तिणि नाणा नियमा, तिण्णि अण्णाणा भयणाए। एवं जाव थणियकुमारा। पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया जहा एगिदिया ।। १२८. बेइंदियाणं पुच्छा। दो नाणा, दो अण्णाणा-नियमा। एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं ।। १२६. अपज्जत्तगाणं भंते ! मणुस्सा कि नाणी ? अण्णाणी? तिण्णि नाणाइं भयणाए, दो अण्णाणाई नियमा। वाणमंतरा जहा नेरइया । अपज्जत्तगाणं जोइसिय-वेमाणियाणं तिण्णि नाणा, तिणि अण्णाणा-नियमा ।। १३०. नोपज्जत्तगा-नोअपज्जत्तगाणं भंते ! जोवा कि नाणी ? जहा सिद्धा ॥ भवत्थं पडुच्च१३१. निरयभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? जहा निरयगतिया ।। १३२. तिरियभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? तिण्णि नाणा, तिण्णि अण्णाणा-भयणाए । १३३. मणुस्सभवत्था? जहा सकाइया ॥ Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३७ अट्ठमं सतं (बीओ उद्देसो) १३४. देवभवत्था णं भंते ! ___ जहा निरयभवत्था । अभवत्था जहा सिद्धा ।। भवसिद्धियाभवसिद्धियं पडुच्च१३५. भवसिद्धिया गं भंते ! जीवा कि नाणी ? जहा सकाइया ।। १३६. अभवसिद्धियाणं पुच्छा। गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी; तिणि अण्णाणाई भयणाए । १३७. नोभवसिद्धिया-नोग्रभवसिद्धिया णं मंते ! जीवा किनाणी ? जहा सिद्धा !! सण्णि-प्रणि पडच्च१३८. सण्णीणं पुच्छा। जहा सइंदिया । असण्णी जहा वेइंदिया। नोसण्णी-नोअसण्णी जहा सिद्धा!! लद्धि-पदं १३६. कतिविहा णं भंते लद्धी पण्णत्ता? गोयमा ! दसविहा लद्धी पण्णत्ता, तं जहा--१. नाणलद्धो २. दंसणलद्धी ३. चरित्तलद्धी ४. चरित्ताचरित्तलद्धी ५. दाणलद्धी ६. लाभलद्धी ७. भोग लद्धी ८. उवभोगलद्धी ६. वीरियलद्धी १०. इंदियलद्धी ।। १४०. नाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णता ? गोयमा! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-पाभिणिवोहियनाणलद्धी जाव' केवल नाणलद्धी। १४१. अण्णाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा --मइअण्णाणलद्धी, सुयअण्णाणलद्धी, विभंगनाणलद्धी ।। १४२. दंसणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--- सम्मदसणलद्धी, मिच्छादसणलद्धी, सम्मामिच्छादसणलद्धी ।। १४३. चरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णता? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-सामाइयचरित्तलद्धी, छेदोवद्रावणियचरित्तलद्धी, परिहारविसुद्धिचरित्तलद्धी, सुहमसंपरायचरित्तलद्धी, अक्खायचरित्तलद्धी॥ १. भ०८।६७। Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १४४. चरित्ताचरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एगागारा पण्णत्ता । एवं जाव उवभोगलद्धी एगागारा पण्णत्ता ॥ १४५. बीरियल द्धी णं भंते ! कतिविहा पत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--बालवीरियलद्धी, पंडियवीरियलद्धी, बालपंडियवीरियलद्धी ।। १४६. इंदियलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-- सोइंदियलद्धी जाव' फासिदियलद्धी ।। नारद्धि पडुच्च-नाणि-अण्णाणित्त-पदं १४७. नाणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणो ? गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । अत्थेगतिया दुण्णाणी, एवं पंच नाणाई भयणाए । १४८. तस्स अलद्धीया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा! नो नाणी, अण्णाणी । अत्थेगतिया दुअण्णाणी, तिपिण अण्णाणा भयणाए। १४६. प्राभिणिवोहियनाणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी ! अत्थेगतिया दुग्णाणो, चत्तारि नाणाई भयणाए । १५०. तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी? अण्णाणी? गोयमा! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा एगनाणी-- केवलनाणी जे अण्णाणी ते अत्थेगतिया दुअण्णाणी, तिणि अण्णाणाई भयणाए। एवं सुयनाणलद्धि या वि। तस्स अलद्धिया वि जहा आभिणि वोहियनाणस्स अलद्धीया ॥ १५१. ओहिनाणलद्धियाणं पुच्छा । गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । अत्यंगतिया तिण्णाणी, अत्थेगतिया चउनाणी। जे तिण्णाणी ते आभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, मोहिनाणी। जे चउनाणी ते आभिणि बोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मण पज्जवनाणी ।। १५२. तस्स अलद्धि याणं पुच्छा। गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । एवं प्रोहिनाणवज्जाई चत्तारि नाणाई, तिणि अण्णाणाई-भयणाए॥ १५३. मणपज्जवनाणलद्धि याणं पुच्छा । १. भ०२१७७. २. लद्धीया (अ, ब, म,स); अर्थसमीक्षया एत पदमशुद्ध प्रतिभाति । Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (बोश्रो उद्देसो) ३३८ गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । प्रत्येगतिया तिष्णाणी, अत्थेगतिया चउनाणी । जे तिण्णाणो ते आभिणि बोहियनाणी, सुयनाणी, मणपज्जवनाणी | जे चउनाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ग्रोहिनाणी मणपज्जवनाणी । १५४. तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा ! गोमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । मणपज्जवनाणवज्जाई चत्तारि नाणाई, तिष्णि अण्णाणाई – भयगाए । १५५. केवलनाणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोमा ! नाणी, नो अण्णाणी । नियमा एगनाणी - केवलनाणी || १५६. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा । गोमा ! नाणी वि, ग्रण्णाणी वि । केवलनाणवज्जाई चत्तारि नाणाई, तिष्णि अण्णाणाई - भयणाए । १५७. अण्णाणलद्धियाणं पुच्छा । गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी । तिष्णि प्रण्णाणाई भयणाए || १५८. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा ! गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी | पंच नाणाई भयणाए । जहा अण्णाणस्स य दिया अलद्धिया य भणिया, एवं मइअण्णाणस्स सुयश्रण्णाणस्स य लद्धिया अलद्धिया य भाणिव्वा । विभंगनाणलद्धियाणं तिष्णि अण्णाणाई नियमां । तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए, दो ग्रण्णाणारं नियमा | दंसणं पडुच्च १५६. दंसणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? ग्रण्णाणी ? गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । पंच नाणाई, तिष्णि प्रण्णाणाई - भयगाए ॥ १६० तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! तस्स अलद्धिया नत्थि । सम्मदंसणलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए । तस्स ग्रलद्धियाणं तिष्णि अण्णाणाई भयणाए || मिच्छादंसणलद्धियाणं तिष्णि अण्णाणाई भयणाए तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई, तिष्णिय अण्णाणाई – भयणाए । सम्मामिच्छादंसणलद्धिया, अलद्धिया य जहा मिच्छादंसणलद्धिया अलद्धिया तहेव भाणियव्वा || चरितं - पडुच्च १६१. चरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! पंच नाणाइं भयणाए ॥ Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४० भगवई तस्स अलद्धोयाणं मणपज्जवनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाइं, तिष्णि य अण्णाणाईभयणाए। सामाइयचरित्तलद्धि या णं भंते ! जीवा किं नाणो ? अण्णाणी ? गोयमा ! नाणी--केवलवज्जाइं चत्तारि नाणाइं भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई, तिणि य अण्णाणाई-भयणाए । एवं जहा सामाइयचरित्तलतिया अलद्धीया य भणिया, एवं जाव अहक्खायचरित्तलद्धीया अलद्धीया य भाणियव्वा. नवरं-महक्खायचरित्तलद्धीयाणं पंच नाणाई भय णाए। चरित्ताचरितं पडुच्च १६३. चरित्ताचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । अत्यंगतिया दुण्णाणी, अत्थेगतिया तिण्णाणी। जे दुण्णाणी ते प्राभिणिवोहियनाणी य सुय नाणी य । जे तिण्णाणी ते आभिणि बोहिय नाणी, सुय नाणी, श्रोहिनाणी ।। दाणाइं पडुच्च१६४. तस्स अलद्धियाणं पंच नाणा, तिणि अण्णाणाई-भयणाए । दाणलद्धियाणं पंच नाणाइं, तिण्णि अण्णाणाई --भयणाए ।। १६५. तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा। गोयमा! नाणी, नोअण्णाणी। नियमा एगनाणी--केबलनाणी। एवं जाव वीरियस्स 'लद्धीया अलद्धीया" य भाणियव्वा । बालाइवीरियं पडुच्च बालवीरियलद्धियाणं तिणि नाणाइं, तिणि अण्णाणाई-भयणाए। तस्स अलद्धियाण पंच नाणाई भयणाए। पंडियवीरियलद्धियाण पंच नाणाईभयणाए। तस्स अलद्धीयाणं मणापज्जवनाणबज्जाइनाणाई, अण्णाणाणि य भयणाए। बालपंडियवीरियलद्धियाणं तिणि नाणाई भयणाए। तस्स अलद्धीयाणं पंच नाणाई, तिणि अण्णाणाई-भयणाए । इंदियं पडुच्च१६६. इंदियलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी? अण्णाणी ? गोयमा ! चत्तारि नाणाई, तिधिण य अण्णाणाई - भयणाए ।। १६७. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा ।। गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । नियमा एगनाणी--केवलनाणी ।। १. लद्धीए (अ, क, ता, व, म, स)। २. लद्धी अलद्धी (अ, क, ता, ब, म, स)! Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (बीओ उद्देसो) १६८. सोइंदियलद्धिया गं जहा इंदियलद्धिया || १६६. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा । गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते अत्येगतिया दुण्णाणी, प्रत्येगतिया एगनाणी । जे दुण्णाणी ते प्रभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी । जे एगनाणी ते केवलनाणी । जे अण्णाणी ते नियमा दुग्रण्णाणी, तं जहा - मइण्णाणी य सुयण्णाणी य । चविखदिय- घाणिदियाणं लद्धीया अलद्धीया य जहेव सोइंदि यस्स || १७० जिभिदियलद्धियाणं चत्तारि नाणाई, तिणि य अण्णाणाई - भयणाए । १७१ तस्स अलद्धियाणं पुच्छा । गोयमा ! नाणी वि, श्रण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा एगनाणी - केवलनाणी । जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी, तं जहा --- मइअण्णाणी व सुयअण्णाणी य । फासिदियलद्धीया लढीया य जहा इंदियलद्धया अलद्धिया य || उवउत्ताणं नाणि श्रष्णा णित्त-पदं १७२. सागारोवउत्ता णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? पंच नाणाई, तिष्णि अण्णाणाई - भयणाए || १७३. आभिणिवोहियनाणसागारोवउत्ता णं भंते ? चारि नाणाई भयणाए । एवं सुयनाणसागारोवउत्ता वि । श्रहिनाणसागारोवउत्ता जहा श्रहिनाणलद्धिया | मणपज्जवनाणसागारोवउत्ता जहा मणपज्जवनालद्धया । केवलनाणसागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धीया । मइण्णाणसागारोवउत्ताणं तिणि अण्णाणाई भयणाए । एवं सुयण्णाणसागारोवउत्तावि । विभंगनाणसागारोवउत्ताणं तिष्णि अण्णाणाइं नियमा || १७४ अणागारोवउत्ता णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? पंच नाणाई, तिष्णि ग्रण्णाणाई - भयणाए । एवं चक्खुदंसण प्रचक्खुदंसणणागारोवउत्तावि, नवरं -- चत्तारि नाणाई, तिणि अण्णाणाई - भयणाए || १७५. मोहिदंसणप्रणागारोवउत्ताणं पुच्छा । गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते प्रत्येगतिया तिष्णाणी, अत्थेगतिया चउनाणी । जे तिष्णाणी ते प्रभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, ओहीनाणी । जे चउनाणी ते श्रभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी । जे अण्णाणी ते नियमा तिमण्णाणी, तं जहा- मइयण्णाणी, सुयश्रण्णाणी, विभंगनाणी । केवलदंसणणागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धिया || जोगं पडुच्च- १७६. सजोगी णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? जहा सकाइया । एवं मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी वि । अजोगी जहा सिद्धा || १. भ० ८११८ 1 ३४१ Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई लेस्सं पडुच्च१७७. सलेस्सा णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? जहा सकाइया ।। १७८. कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? जहा' सइंदिया । एवं जाव पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा जहा सलेस्सा। अलेस्सा जहा सिद्धा। कसायं पडुच्च१७६. सकसाई णं भंते ! जीवा कि नाणी? अण्णाणी ? ___ जहा सइंदिया । एवं जाव लोभकसाई ।। १५०. अकसाई णं भंते ! जीवा किनाणी? अण्णाणी? पंच नागाइं भयणाए।। वेदं पडुच्च-- १८१. सवेदगा णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? जहा सइंदिया। एवं इत्थिवेदगा वि, एवं पुरिसवेदगा वि, एवं नपुंसग वेदगा वि । अवेदगा जहा अकसाई ।। प्राहारगं पडुच्च१८२. पाहारगाणं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी? जहा सकसाई, नवरं-केवलनाणं पि ।।। १८३. अणाहारगाणं भंते ! जीवा कि नाणी? अण्णाणी? मणपज्जवनाणवज्जाइं नाणाई, अण्णाणाई तिण्णि-भयणाए। नाणाणं विसय-पदं १८४. आभिणिबोहियनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासो च उविहे पण्णत्ते, तं जहा--दव्वो, खेत्तओ, कालो, भावओ। दव्वो णं आभिणिबोहियनाणी पाएसेणं सव्वदव्वाइं जाणइ-पासइ । खेत्तनो णं आभिणिबोहियनाणी आएसेणं सव्वं खेत्तं जाणइ-पासई! "कालो णं आभिणिबोहियनाणी पाएसेणं सव्वं कालं जाणइ-पासइ । भावनो णं आभिणिबोहियनाणी पाएसेणं सव्वे भावे जाणइ-पासइ ० ।। १. भ० ८.११५। २. सं० पाल-एवं कालओ वि, एवं भावओ वि। ३. नन्दीसूत्रे अस्मिन् विषये विवक्षाभेदोस्ति दव्वओरणं आभिरिणबोहियनाणी आएसेरणं सव्वदव्वाई जारगइ, न पासइ । खेत्तओ णं आभिरिणबोहियनाणी आएसेरणं सवं खेत्तं जाएइ, न पासइ। Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (बीओ उद्देसो) ३४३ १८५. सुयनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा–दवो, खेत्तनो, कालो, भावनो। दव्वरो णं सुयनाणी उव उत्ते सव्वदव्वाइं जाणइ-पासइ । "खेत्तो णं सुयनाणी उवउत्ते सव्ववेत्तं जाणइ-पासइ । कालओणं सुयनाणी उवउत्ते सव्वकालं जाणइ-पासइ। भावप्रो णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वभावे जाणइ-पासइ ।। १८६. प्रोहिनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते? गोयमा ! से समासो चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वओ, खेत्तरो, कालो, भावनो। दव्वनो णं लोहिनाणी 'जहण्णेणं अगंताई रूविदव्वाइं जाणइ-पासइ ! उक्कोसेणं सव्वाई रूविदव्वाइं जाणइ-पासइ । खेत्तनो णं सोहिनाणी जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं जाणइ-पासइ । उक्कोसेणं असंखेज्जाइं अलोगे लोयमेत्ताई खंडाइं जाणइ-पासइ। कालो णं प्रोहिनाणी जहण्णेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं जाणइ-पासइ। उक्कोसेणं असंखेज्जाग्रो प्रोसप्पिणीग्रो उस्सप्पिणीयो अईयमणागयं च काल जाणइ-पास। भावप्रोणं ग्रोहिनाणी जहण्णणं अगते भावे जाणइ-पासइ । उक्कोसेण वि अणते भावे जाणइ-पासइ, सव्वभावाणमणंतभाग जाणइ-पासइ ।। मणपज्जवनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वग्रो, खेत्तनो, कालो, भावो। दम्वनो णं उज्जुमती अणते अणंतपदेसिए खंधे जाणइ-पासइ। ते चेव विउलमई अब्भहियतराए विउलतराए विसुद्धतराए वितिमिरतराए जाणइ-पास। खेत्तो णं उज्जुमई अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्ले खुडडागपयरे, उड्ढं जाव जोइसस्स उवरिमतले, तिरियं जाव अंतोमणुस्सखेत्ते अड्ढाइज्जे सु दीवसमुद्देसु पण्ण रससु कम्मभूमीसु तीसाए अकम्मभूमीसु कालओ रणं आभिरिणबोहियनाणी आएसेणं १. सं० पा०--एवं खेत्तओ वि, कालओ वि। सव्व कालं जाणइ, न पासइ। २. सं० पा०-ओहिनापी रूविदव्वाइं जाणइभावओ णं आभिरिणबोहियनाणी आएसेणं पासइ जहा नंदीए जाव भावओ। सवे भावे जाराइ, न पासइ (सू०५४)। ३. सं० पा०--जहा नंदीए जाब भावओ। Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४४ भगवई छप्पण्णए अंतरदीवर्गसु सणणं पंचिदियाणं पज्जत्तयाणं मणोगए भावे जाणइपासइ । तं चेव विउलमई अड्ढाइज्जेहिमंगुलेहि अब्भहियतरं विउलतरं विसुद्धतरं वितिमिरतरं खेत्तं जाणइ-पासइ । कालो णं उज्जुमई जहणणं पलिग्रोवमरस, असंखिज्जयभागं, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमरस असंखिज्जयभागं अतीयमणागयं वा कालं जाणइ-पासइ । तं चेव विउलमई अमहियतरागं विउलत राग विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जाणइ पासइ। भावनो णं उज्जुमई अणते भावे जाण इ-पासइ, सब्वभावाणं अणंतभागं जाणइ. पासइ। तं चेव विउलमई अमहियत राग बिउलत रागं विसुद्धतरागं वितिमिरत रागं जाणइ-पासइ॥ केवलनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासयो चउविहे पणत्ते, तं जहा-- दध्वयो, खेत्तत्रो, कालो, भावनो। दव्वनो णं केवलनाणी सव्वदव्वाईजाणइ पासइ । खेत्तनो णं केवलनाणी सव्वं खेत्तं जाणइ-पासइ । कालओ णं केवलनाणी सव्वं कालं जाणइ-पासइ। भावो णं केवलनाणी सत्वे भावे जाणइ-पास इ ।। १८६. मइअण्णाणस्स णं भंते ! के वतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासनो चउब्विहे पणत्ते, तं जहा--दव्वओ, खेत्तो, कालो, भावो। दव्वो णं मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगयाइं दवाइं जाणइ-पास। 'खेत्तनो णं मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगयं खेत्तं जाणइ-पासइ। कालो णं मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगयं कालं जाणइ-पासइ। भावओ णं मइअण्णाणी मइअण्णागपरिगए भावे जाणइ-पासइ।। १९०. सूयअण्णाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णते? गोयमा ! से समासयो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-दबनो, खेत्तो, कालो, भावप्रो। दव्वनो णं सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगयाई दवाइं आघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ'। १. सं० पा०---एवं जाव भावओ। २. सं० पा०-पासइ जाव भावओ। ३. वाचनान्तरे पुनरिदमधिकमवलोक्यते 'दसे ति निदसति उवदसेति' (व)। Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (बीओ उद्देसो) ३४५ "खेत्तनो णं सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगयं खेत्तं प्राधवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ । कालो णं सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगयं कालं आघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ । भावो णं सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगए भावे आघवेइ', 'पण्णवेइ, परूवेइ° ॥ १६१. विभंगनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा- दव्वओ, खेत्तमो, कालो, भावनो। दव्वनो णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयाइंदव्वाइंजाणइ-पासइ । "खेत्तमोणं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयं खेत्तं जाणइ-पासइ। कालग्रो ण विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयं कालं जाणइ-पासइ। भावनो णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगए भावे जाणइ-पासइ ।। नाणीणं संठिइ-पदं १६२. नाणी णं भंते ! नाणी ति कालो केच्चिर होइ ? गोयमा ! नाणी दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--१. सादीए वा अपज्जवसिए २. सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ पंजे से सादीए सपज्जवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं छाव४ि साग रोवमाई सातिरेगाई। १६३. प्राभिणिवोहियनाणी णं भंते ! प्राभिणिबोहिय' नाणी ति कालमो केवच्चिरं होइ? गोयमा ! एवं चेव' ।। १६४. एवं सुयनाणी वि ।। १६५. मोहिनाणी वि एवं' चेव, नवरं---जहण्णेणं एक्कं समयं ।। १६६. मणपज्जवनाणी णं भंते ! मणपज्जवनाणी ति कालमो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणं पुवकोडि ।। ११७. केवलनाणी णं भंते ! केवलनाणी ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सादीए अपज्जवसिए ।। १९८. अण्णाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी णं भंते ! पूच्छा। १. सं० पा०–एवं खेत्तनो कालओ। [अट्ठण्ह वि (अ)] संचिट्ठणा जहा काय२. सं० पा०-तं चेव। ठितीए अंतरं सव्वं जहा जीवाभिगमे अप्पा३. सं० पा०-एवं जाव भावओ। बहुगाणि तिष्णि जहा बहुवत्तव्वयाए। ४. सं० पा०---एवं नाणी आभिणिबोहियनाणी ५. भ० ८।१६२ । जाव केवलनाणी अण्णाणी मइअण्णाणी सुय- ६. भ० ८.१६२ । अण्णाणी विभंगनाणी एएसि दसण्ह वि ७. भ० ८.१६२ । Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४६ भगवई गोयमा ! अण्णाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी य तिविहे पणत्ते, तं जहा –१. अणादीए वा अपज्जवसिह २. अणादीए वा सपज्जवसिए ३. सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ णं ज से सादीए सपज्जवसिए से जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणतं कालं - अणता प्रोसप्पिणी उस्सप्पिणीयो कालो, खेत्तो अवड्ढं पोग्गलपरियट्ट देसूणं ।। १६६. विभंगनाणी ण भंते ! पुच्छा।। गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई देसूणाए पुवकोडीए अभहियाई ॥ नाणीणं अंतर-पदं २००. आभिणिवोहियनाणिस्स णं भंते ! अंतरं कालगो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणतं कालं जाव' अवड्ढं पोग्गल परियढें देसूणं ।। २०१. सुयनाणि-मोहिनाणि-मणपज्जवनाणीणं एवं चेव !! २०२. केवलनाणिस्स पुच्छा। गोयमा ! नत्थि अंतरं ।।। २०३. मइअण्णाणिस्स सुयअण्णाणिस्स य पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुतं, उबको सेणं छावद्धि साग रोवमाइं साइरेगाई ।। २०४. विभंगनाणिस्स पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसणं वणस्सइकालो ।। नाणोणं अप्पाबहुयत्त-पदं २०५. एतेसि णं भंते ! जीवाणं आभिणिवोहियनाणीणं, सुयनाणीणं, ओहिनाणोणं मणपज्जवनाणीणं केवलनाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवनाणी, प्रोहिनाणी असंखेज्जगुणा, आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी दो वि तुल्ला विसेसाहिया, केवलनाणी अणंत गुणा ।। २०६. एतेसि णं भंते ! जीवाणं मइअण्णाणीणं, सुयअण्णाणीण, विभंगनाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा विभंगनाणी, मइअण्णाणी सुयअण्णाणी दो वि तुल्ला अणंतगुणा ॥ १. भ० ८१६८। Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (बीओ उद्देसो) २०७. एतेसि णं भंते ! जीवाणं आभिणिबोहियनाणीणं सुयनाणीणं ओहिनाणीणं मणपज्जवनाणीणं केवलनाणोणं मतिश्रण्णाणीणं सुयप्रण्णाणीणं विभंगनाणीण य करे करेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवनाणी, प्रोहिताणी असंखेज्जगुणा, आभिणिवोहियनाणी सुयनाणी य दो वि तुल्ला विसेसाहिया, विभंगनाणी असंखेज्जगुणा, केवलनाणी प्रणतगुणा, मइअण्णाणी सुयण्णाणी य दो वितुल्ला तगुणा ॥ नाणपज्जव-पदं २०८. केवतिया णं भंते ! आभिणिबोहियनाणपज्जवा पण्णत्ता ? गोमा ! अनंता आभिणिवोहियनाणपज्जवा पण्णत्ता ॥ २०६. केवतिया णं भंते ! सुयनाणपज्जवा पण्णत्ता ? एवं चैव ॥ २१०. एवं जाय केवलनाणस्स । एवं मइण्णाणस्स सुयश्रण्णाणस्स || २११. केवतिया णं भंते ! विभंगनाणपज्जवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अनंता विभंगनाणपज्जवा पण्णत्ता ॥ नाणपज्जवाणं अध्याबहुयत्त-पदं २१२. एतेसि णं भंते ! श्राभिणिबोहियनाणपज्जवाणं, सुयनाणपज्जवाणं, ओहिनाणपज्जवाणं, मणपज्जवनाणपज्जवाणं, केवलनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहितो' • अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गामा ! सम्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा, ओहिनाणपज्जवा प्रणतगुणा, सुयनाणपज्जवा अणंतगुणा, ग्राभिणिबोहियनागपज्जवा प्रणतगुणा, केवलनाणपज्जवा प्रणतगुणा । २१३. एएसि णं भंते! मइण्णाणपज्जवाणं, सुयप्रण्णाणपज्जवाणं, विभंगताणपज्जवाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा ? o गोयमा ! सव्वत्थोवा विभंगनाणपज्जवा, सुयश्रण्णाणपज्जवा प्रणतगुणा, मइअण्णाणपज्जवा अनंतगुणा ॥ २१४. एएसि णं भंते ! श्रभिणिबोहियनाणपज्जवाणं जाव केवलनाणपज्जवाणं, मइअण्णाणपज्जवाणं, सुयप्रण्णाणपज्जवाणं, विभंगनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? ३. सं० पा० कयरेहितो जाव विसेसाहिया । १. सं० पा०-- करेहिंतो जाव विसेसाहिया । २. सं० पा० - करेहितो जाव विसेसाहिया । ३४७ Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४८ भगबई गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा, विभंगनाणपज्जवा अणंतगुणा, प्रोहिनाणपज्जवा अणंतगुणा, सुयअण्णाणपज्जवा अतगुणा, सुयनाणपज्जवा विसेसाहिया, मइअण्णाणपज्जवा अणंतगुणा, आभिणिबोहियनाणपज्जवा विसे साहिया, केवलनाण पज्जवा अणंतगुणा ।। २१५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। तइअो उद्देसो वणस्सइ-पदं २१६. कतिविहा णं भंते ! रुक्खा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा रुक्खा पण्णत्ता, तं जहा–संखेज्जजीविया, असंखेज्जजीविया, अणंतजीविया ।। २१७. से कितं संखेज्जजीविया ? संखेज्जजीविया प्रणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा ताल' तमाले तक्कलि, तेयलि' 'साले य सालकल्लाणे । सरले जावति केयइ, कंदल तह चम्मरुक्खे य ।।१।। भुयरुवख हिंगुरुक्खे, लवंगरुक्खे य होति बोधव्वे । पूयफली खज्जूरी, बोधव्वा नालिएरो य° ॥२॥ जे यावण्णे तहप्पगारा। सेत्तं संखेज्जजीविया ।। २१८. से किं तं असंखेज्जजीविया ? असंखेज्जजीविया दुविहा पण्णत्ता, तं जहाएगट्ठिया य बहुबीयगा य ।। २१६. से किं तं एगट्ठिया ? एगट्ठिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा निबंब जंबु 'कोसंब, साल अंकोल्ल पीलु सेलू य । सल्लइ मोयइ मालुय, बउल पलासे करंजे य ॥१॥ पुत्तंजीवयरिट्टे, बिभेलए हरडए य भल्लाए। उंबभरिया' खीरिणि, बोधब्बे धायइ पियाले ।।२।। १. भ० १५१ २. ताले (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा०-जहा पण्णवणाए जाव नालिएरी। ४. सं० पा०-जहा पण्णवणापदे जाव फला। ५. प्रज्ञापनावृत्ती "उंबेभरिका' इति दृश्यते । भ० २२।२ सूत्रे 'उंबभरिका' इतिपदमस्ति । Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (तइओ उद्देसो) ३४६ पूइयनिंबारग सेण्हा, तह सीसवा य असणे य । पुण्णाग नागरुक्खे, सीवणि तहा असोगे य ।।३।। जे यावण्णे तहप्पगारा। एएसि णं मूला वि' असंखेज्जजीविया, कंदा वि खंधा वि तया वि साला वि पवाला वि । पत्ता पत्तेयजीविया । पुप्फा अणेगजीविया । फला एगदिया। सेत्त एगट्टिया ।। २२०. से कि तं बहबीयगा? बहुबोयगा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा अस्थिय तिदु कविटे, अंबाडग माउलिंग बिल्ले य ! प्रासलग फणस दाडिम, आसोत्थे उंबर वडे य ॥१॥ नग्गोह नंदिरुक्खे, पिप्परि सयरी पिलुक्खरुक्खे य । काउंबरी कुत्थु भरि, बोधव्वा देवदाली य ।।२।। तिलए लउए छत्तोह, सिरीसे सत्तिवण्ण दहिवणे । लोद्ध धव चंदणज्जुग, नोमे कुडए कयंबे य ।।३।। जे यावण्णे तहप्पगारा । एएसि गं मूला वि असंखेज्जजीविया, कंदा वि खंधा वि तया वि साला वि पवाला वि । पत्ता पत्ते यजीविया । पुप्फा अणेगजीविया । फला बहुबीयगा । सेत्तं बहुबोयगा । सेत्तं असंखेज्जजीविया ।। २२१. से किं तं प्रणतजीविया ? अणंतजीविया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-आलुए, मूलए, सिंगबेरे--एवं जहा - सत्तमसए जाव' सिउंढी', मुसुंढी । जेयावणे तहप्पगारा। सेत्तं अणंतजीविया ॥ जीवपएसाणं-अंतर-पदं २२२. अह भंते ! कुम्मे, कुम्मावलिया, गोहा, गोहावलिया, गोणा, गोणावलिया, मणुस्से, मणुस्सावलिया, महिमे, महिसावलिया-एएसि णं दुहा वा तिहा वा संखेज्जहा वा छिन्नाणं जे अंतरा ते वि ण तेहि जीवपएसेहि फुडा? हंता फुडा ।। २२३. पुरिसे णं भंते ! अंतरे हत्थेण वा पादेण वा अंगुलियाए वा सलागाए' वा कट्टेण वा किलिचेण वा आमुस माणे वा संमुसमाणे वा प्रालिहमाणे वा विलिहमाणे वा अण्णयरेण वा तिक्खेणं सत्थजाएणं पाछिदमाणे वा विछिदमाणे वा, १. भ० ७१६६ । ३. सलागए (अ); X (ता)। २. सीउण्हे (अ); सीउण्ही (क); सीउण्णी (ता); ४. कलिंचेण (अ, ता, ब, म, स) । सीकण्हे (स)। Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५० भगवई अगणिकाएण वा समोडमाणे तेसि जीवपएसाणं किंचि प्रबाहं वा विवाहं वा उप्पाएइ ? छविच्छेदं वा करेइ ? तिट्ठे समट्ठे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ' ।। चरिम-प्रचरिम-पदं २२४. कइ णं भंते ! पुढवीओ पण्णत्ताओ ? गोमा ! अट्ट पुढवीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - रयणप्पभा जाव असत्तमा, ईसीप भारा || २२५. इमाणं भंते! रयणप्पभापुढवी कि चरिमा ? चरिमा ? चरिमपदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव'--- २२६. वेमाणिया णं भंते ! फासचरिमेणं किं चरिमा ? प्रचरिमा ? गोयमा ! चरिमा वि, प्रचरिमा वि ॥ २२७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ उत्थो उद्देसो किरियापदं २२८. रायगिहे जाव' एवं वयासी -- कति णं भंते ! किरिया पण्णत्ताओ ? गोयमा ! पंच किरिया पण्णत्ताश्रो, तं जहा - काइया, ग्रहिगरणिया, पाओसिया, पारियावणिया, पाणाइवायकिरिया - एवं किरियापदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव' सव्वत्थोवाओ मिच्छादंसणवत्तिया किरियाओ, ग्रप्पच्चक्खाकिरिया विसेसाहियाओ, पारिग्गहियायो किरिया आरंभिया किरिया विसेसाहियात्री, मायावत्तिया साहिया || विसेसाहियाओ, किरियाओ विसे २२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ १. संकमइ ( म, स ) 1 २. भ० २.७५ ३. प० १० । ४. भ० १५१ । ५. भ० १।४८ । ६. १० २२ । ७. भ० १।५१ Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (पंच मो उद्देसो) ३५१ पंचमो उद्देसो आजीवियसंदम्भे समणोवासय-पदं २३०. रायगिहे जाव' एवं वयासी-आजीविया णं भंते ! थेरे भगवंते एवं वयासी समणोवासगरसणं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ भंडं अवहरेज्जा, से णं भंते ! तं भंडं अणुगवेसमाणे कि सभंड' अणुगवेसइ ? परायगं भंडं अणुगवेसइ ? गोयमा ! सभंडं अणुगवेसइ, नो परायगं भंडं अणुगवेसइ ।। २३१. तस्स णं भंते ! तेहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं से भंडे अभंडे भवई ? हंता भव ॥ २३२. से केणं खाइ णं अद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सभंडं अणुगवेसइ, नो परायगं भंड अणुगवेसइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-नो मे हिरण्णे, नो मे सुवणे, नो मे कसे, नो मे दुसे, नो मे विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयणमादीए संतसारसावदेज्जे', ममत्तभावे पुण से अपरिणाए भवइ । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वच्चइ–सभंडं अणुगवेसइ, नो परायगं भंडं अणुगवेसइ ॥ २३३. समणोवासगस्स गं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ' जायं चरेज्जा, से गं भंते ! किं जायं चरइ ? अजायं चरइ ? गोयमा ! जायं चरइ ? नो अजायं चरइ ।। २३४. तस्स णं भंते ! तेहिं सोलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं सा जाया अजाया भवइ ? हंता भवइ ।। २३५. से केणं खाइ गं अष्टेणं भंते एवं वुच्चइ-जायं चरइ ? नो अजायं चरइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-नो मे माता, नो मे पिता, नो मे भाया, नो मे भगिणी, नो मे भज्जा, नो मे पत्ता, नो मे ध्या, नो मे सूण्हा; पेज्जबंधणे पुण से प्रयोच्छिन्ने भवइ। से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जायं चरइ०, नो अजायं चरइ।। १. भ० १।४-८ । ४. हवइ (ता)। २. एवं वक्ष्यमाणप्रकारमवादिषुः, यच्च ते तान् ५. सापदेज्जे (ता); सावतेज्जे (ब)। प्रत्यवादिषुस्तद्गौतमः स्वयमेव पृच्छन्नाह ६. ममत्ति° (क, ता, ब) । ७. केवइ (ता)। ३. सयभंडं (अ); सं भंड (ता, म); सयं भंड ८. अवो० (अ)। है. सं० पा०--गोयमा जाव नो। Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५२ भगवई २३६. समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव थूलए पाणाइवाए अपच्चक्खाए' भवइ, से णं भंते ! पच्छा पच्चाइक्खमाणे कि करेइ ? गोयमा! तीयं पडिक्कमति. पडप्पन्नं संवरेति, अणागयं पच्चक्खाति ।। २३७. तीयं पडिक्कममाणे कि १. तिविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? २. तिविहं दुविहेणं पडिक्कमति ? ३. तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति? ४. दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? ५. दुविहं दुविहेणं पडिक्कमति ? ६. दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति ? ७. एगविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? ८. एगविहं दुविहेणं पडिक्कमति ? ६. एगविहं एगविहेणं पडिक्कमति ? गोयमा ! तिविहं वातिविहेणं पडिक्कमति, तिविहं वा दुविहेणं पडिक्कमति, एवं' चेव जाव एगविहं वा एगविहेणं पडिक्कमति । १. तिविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा। २. तिविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा ३.ग्रहवा न करेइ, न कारवेइ, करत नाणुजाणइ मणसा कायसा ४. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा । ५. तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा ६. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा ७. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ कायसा। ८. दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ६. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १०. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा।। ११. दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, मणसा वयसा १२. अहवा न करेइ, न कारवेइ मणसा कायसा १३. अहवा न करेइ, न कारवेइ वयसा कायसा १४. अहवा न करेइ, करतं नाणुजाणइ मणसा वयसा १५. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १६. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा १७. अह्वा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा १८. अहह्वा न कारवेइ, करतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १६. अह्वा न कारवेइ, करतं नाणुजाणइ वयसा कायसा । . २०. विहं एक्कविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा २१. अहवा न करेइ, न कारवेइ वयसा २२. अहह्वा न करेइ, न कारवेइ कायसा २३. अहवा १. वाचनान्तरे तु 'अपच्चक्खाए' इत्यस्य स्थाने २.४ (स)। 'पच्चक्खाए' त्ति 'पच्चाइक्खमाणे' इत्यस्य च ३. तं (अ, क, ता, स)। स्थाने 'पच्चक्खावेमारणे' त्ति दृश्यते (व)। Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (पंचमी उद्देसो) न करेड करें ना जाणइ मणसा २४. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा २५. अहह्वा न करेइ, करेतं नागुजाणइ कायसा २६. श्रहवा न कारवेइ, करें नाणुजाणइ मणसा २७ श्रहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा २८. अहवा न कारवेइ, करेतं नाणुजाणइ कायसा । २६. एगविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, मणसा वयसा कायसा ३०. अहवा न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ३१. अहवा करेंतं नाणुजागइ मणसा वयसा कायसा । ३२. एक्कविहं दुविणं पडिक्कममाणे न करेइ मणसा वयसा ३३. अहवान करेइ मणसा कायसा ३४. अहवा न करेइ वयसा कायसा ३५. अहवा न कारवेइ मणसा वयसा ३६. अहवा न कारवेइ मणसा कायसा ३७ अहह्वा न कारवेइ वयसा कायसा ३८. ग्रहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा ३६. अहवा करें नाणुजाण मणसा कायसा ४०. ग्रहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा । ४१. एगविह एगविणं पडिक्कममाणे न करेइ मणसा ४२ अहवान करेइ वयसा ४३. अहवान करेइ कायसा ४४. ग्रहवा न कारवेइ मणसा ४५. अहवा न कारवेइ वयसा ४६. ग्रहवा न कारवेइ कायसा ४७. अह्वा करत नाणुजाणइ मणसा ४८. अह्वा करेंतं नाणुजाणइ वयसा ४९. अहवा करेंत नाणुजाणइ कायसा २३८. पडुप्पन्न संवरेमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ ? २३६. श्रणागयं पच्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं पच्चक्खाइ ? एवं जहा पक्किममाणं एगूणपन्नं भंगा भणिया एवं संवरमाणेण वि एगुणपन्नं भंगा भाणियब्वा || ३५३ एवं एते' चैव भंगा एगूणपन्न भाणियव्वा जाव प्रहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा ॥ २४०. समणोवासगस्स णं भंते ! पुव्वामेव थूलए मुसावाए अपच्चक्खाए भवइ, से गं भंते ! पच्छा पच्चाइक्खमाणे किं करेइ ? १. X ( अ, म ); ते (क, ब, स ) 1 (ता) । २. एवं जहा पाणाइवायस्स सोयालं भंगसयं भणियं, तहा मुसावायस्स वि भाणियव्वं । एवं अदिन्नादाणस्स वि, एवं थूलगस्स वि मेहुणस्स, थूलगस्स वि परिग्गहस्स जाव अहह्वा करेंतं नाणुजाणइ कायसा । एते खलु एरिसमा समणोवासगा भवंति नो खलु एरिसगा प्राजीविनोवासगा भवंति ॥ ३. वि भाणितव्वं ( ता ) 1 Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २४१. आजीवियसमयस्स णं अयमढे अक्खीणपडिभोइणो सव्वे सत्ता; से हता, छेत्ता, भेत्ता, लुपित्ता, विलुपित्ता, उद्दवइत्ता आहारमाहारेति ।। २४२. तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवति. तं जहा—१. ताले २. ताल पलंबे ३. उविहे ४. संविहे ५. अवविहे ६. उदए' ७. नामुदए ८. णम्मदए' है. अणुवालए १०. संखवालए ११. अयंपुले १२. कायरए'- इच्चेते दुवालस आजीविनोवासगा अरहंतदेवतागा', अम्मापिउसुस्सूसगा, पंचफलपडिक्कंता, [तं जहा--उंबरेहि, वडेहि, बोरेहि, सतरेहि, पिलक्खूहि]" पलंडुल्हसुणकंदमूलविवज्जगा', अणिलंछिएहि अणक्कभिन्नेहिं गोहि तसपाणविवज्जिएहिं छेत्तेहिं वित्ति कप्पेमाणा विहरंति । एए वि ताव एवं इच्छंति किमंग ! पुण जे इमे समणोवासगा भवंति, जेसि नो कप्पंति इमाई पन्नरस कम्मादाणाई सयं करेत्तए वा, कारवेत्तए वा, करेंतं वा अन्तं समणुजाणेत्तए, तं जहाइंगालकम्मे, वणकम्मे, साडीकम्मे, भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दंतवाणिज्जे, लक्खवाणिज्जे, केसवाणिज्जे, रसवाणिज्जे, विसवाणिज्जे, जंतपीलणकम्मे, निल्लंछणकम्मे , दवग्गिदावणया, सर-दह-तलागपरिसोसणया", असतीपोसणया। इच्चेते समणोवासगा सुक्का, सुक्काभिजातीया भवित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति ।। २४३. कतिविहा णं भंते ! देवलोगा पण्णत्ता ?, गोयमा! चउव्विहा देवलोगा पण्णत्ता, तं जहा-भवणवासी, वाणमंतरा जोइसिया, वेमाणिया ।। २४४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति" ॥ १. उवए (अ)। ७. अरणे ° (क, ता, स)। २. णमुदए (स)। ८. बित्तेहिं (अ); छत्तेहिं (क, म); चित्तेहिं (स) ३. कारिए (ता, ब, म)। है. निलंछण (अ); गेल्लछण (ता)। ४. देवयागा (क्व०)। १०. तलाय ° (अ.स)। ५. असो कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांश: प्रतीयते। ११. भ० ११५१ । ६. पलंडूल्हसण ° (स)। Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठ मं सतं (छट्ठो उद्देसो) छट्ठो उद्देसो समरणोवासगकयस्स दाणस्स परिणाम-पदं २४५. समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासु-एसणिज्जेणं असण पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेमाणस्स किं कज्जइ ? गोयमा ! एगंतसो से निज्जरा कज्जइ, नत्थि य से पावे कम्मे कज्जइ ।। २४६. समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा अफासुएणं अणेस णिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं' पडिलाभेमाणस्स किं कज्जइ ? गोयमा ! बहुतरिया से निज्जरा कज्जइ, अप्पतराए से पावे कम्मे कज्जइ ।। २४७. समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं अस्संजय-विरय-पडिय-पच्चक्खायपाव कम फासूएण वा, अफासूएण वा, एसणिज्जेण वा, अणेसणिज्जेण वा असणपाण'- खाइम-साइमेणं पडिलाभेमाणस्स ° किं कज्जइ ? गोयमा ! एगंतसो से पावे कम्मे कज्जइ, नत्थि से काइनिज्जरा कज्जइ॥ उवनिमंतिपिंडादि-परिभोगविहि-पदं २४८. निग्गंथं च णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविटुं केइ दोहि पिंडेहि उवनिमंतेज्जा-एगं आउसो ! अप्पणा भुजाहि, एग थेराणं दलयाहि । से य तं पडिग्गाहेज्जा', थेरा य से अणुगवेसियव्वा सिया। जत्थेव अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्थेव अगुप्पदायवे' सिया, नो चेव णं अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तं नो अप्पणा भुजेज्जा, नो अण्णेसिं दावए, एगंते अणावाए अचित्ते बहुफासुए थंडिल्ले पडिलेहेत्ता पमज्जित्ता परिट्ठावेयव्वे सिया।। निग्गंथं च णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविट्ठ केइ तिहि पिडेहि उवनिमंतेज्जा--एगे पाउसो ! अप्पणा भंजाहि, दो थेराणं दलयाहि । से य ते पडिग्गाहेज्जा, थेराय से अणुगवेसियव्वा सिया । जत्थेव अणगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्थेव अणुप्पदायब्वे सिया, नो चेव णं अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा ते नो अप्पणा भुजेज्जा, नो अण्णेसि दावए, एगते अणावाए अचित्ते वहफासूए थंडिल्ले पडिलेहेत्ता पमज्जित्ता परिट्ठावेयव्वा सिया । एवं जाव दसहि पिडेहि १. सं०पा---पाण जाव पडिलाभेमारणम्स । २. बहुतरिता (क, ब, म)। ३. अविरय (अ, क, ब, म)। ४. सं० पा०—पाण जाव कि। ५. कावि (क, ब)। ६. पडिगाहेज्जा (अ, स); पडिग्गहेज्जा (ब) । ७. अणुप्पतातश्वे (ता)। ८. परिटवेयब्वे (अ, स)। ६. सं० पा०-सेसं तं चेव जाव परिट्रायब्वा। Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५६ भगवई उवनिमंतेज्जा, नवरं- एगं आउसो ! अप्पणा भुजाहि, नव थेराणं दलयाहि । सेसं तं चेव जाव परिट्ठावेयध्वा सिया ॥ २५०. निग्गयं च गाहावइ कुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविटुं' केइ दोहिं पडिग्गहेहि उवनिमतेज्जा-एगं अाउसो! अप्पणा पडि जाहि, एग थेराणं दलयाहि । से य तं पडिग्गाहेज्जा, •थेरा य से अणुगवेसियव्वा सिया। जत्थेव अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्थेव अणुप्पदायव्वे सिया, नो चेव णं अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तं नो अप्पणा परि जेज्जा, नो अण्णेसि दावए, एगते अणावाए अचित्ते बहुफासुए थंडिल्ले पडिलेहेत्ता पम्मज्जित्ता परिट्ठावेयवे सिया । एवं जाव दसहि पडिग्गहेहिं । एवं जहा पडिग्गहवत्तव्वया भणिया, एवं गोच्छग-रयहरण-चोलपट्टग-कंबललट्ठि-संथारगवत्तव्वया य भाणियव्वा जाव दसहिं संथारएहिं उवनिमंतेज्जा जाव परिट्ठावेयव्वा सिया॥ पालोयणाभिमुहस्स प्राराहय-पदं २५१. निग्गंथेण य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पवितुणं अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स णं एवं भवति–इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स पालोएमि, पडिक्कमामि, निदामि, गरिहामि, विउट्टामि', विसोहेमि, अकरणयाए अब्भुटेमि, अहारियं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जामि, तो पच्छा थेराणं अंतियं पालोएस्सामि जाव तवोकम्म पडिवज्जिस्सामि।। १. से य संपट्ठिए असंपत्ते, थेरा य पुवामेव' अमुहा सिया । से णं भंते ! कि पाराहए ? विराहए ? गोयमा ! आराहए, नो विराहए । २. से य संपट्ठिए असंपत्ते, अप्पणा य पुवामेव अमुहे सिया । से णं भंते ! कि पाराहए? विराहए ? गोयमा ! पाराहए, नो विराहए। ३. से य संपदिए असंपत्ते, थेरा य कालं करेज्जा । से णं भंते ! कि पाराहए? विराहए ? गोयमा ! पाराहए, नो विराहए। १. सं० पा.-गाहावइ जाव केइ। २. सं० पा०-तहेव जाव तं नो अप्पणा परि- भंजेज्जा , नो अण्णेसि दावए, सेसं तं चेव जाव परिद्ववेयव्वे । ३. विउट्टेमि (ता) । ४. अंतिए (अ)। ५. x (अ, ता, व, म)। Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अटुमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ४. से य संपट्ठिए असंपत्ते, अप्पणा य पुवामेव कालं करेज्जा । से णं भंते ! कि पाराहए ? विराहए ? गोयमा ! आराहए, नो विराहए। ५. से य संपट्ठिए संपत्ते, थेरा य अमुहा सिया । से णं भंते ! कि पाराहए ? विराहए ? गोयमा ! आराहए, नो विराहए। ६. से य संपट्ठिए संपत्ते अप्पणा य "अमुहे सिया । से णं भंते ! कि आराहए ? विराहए ? गोयमा ! पाराहए, नो विराहए । ७. से य संपट्टिए संपत्ते, थेरा य कालं करेज्जा। से णं भंते ! कि पाराहए ? विराहए? गोयमा ! पाराहए, नो विराहए। ८. से य संपट्टिए संपत्ते अप्पणा य कालं करेज्जा । से णं भंते कि पाराहए ? विराहए ? गोयमा ! पाराहए, नो विराहए ॥ २५२. निग्गंथेण य वहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खंतेणं अण्णयरे अकि च्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स णं एवं भवति–इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स आलोएमि –एवं एत्थ वि ते चेव अट्टालावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए। २५३. निरगंथेण य गामाणुगामं दूइज्जमाणेणं अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स णं एवं भवइ-इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स आलोएमि-एवं एत्थ वि ते चेव अट्ठ पालावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए । २५४. निरगंथीए य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठाए अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तीसे णं एवं भवइ–इहेव ताव अहं एयरस ठाणस्स पालोएमि जाव तवोकम्म पडिवज्जामि ; तो पच्छा पवत्तिणीए अंतियं प्रालोएस्सामि जाव तवोकम्म पडिवज्जिस्सामि । सा य संपट्ठिया असंपत्ता, पवत्तिणी य अमुहा सिया। साणं भंते ! कि आराहिया? विराहिया? गोयमा ! पाराहिया, नो विराहिया। सा य संपट्टिया जहा निग्गंथस्स तिण्णि गमा भणिया एवं निग्गंथीए वि तिण्णि आलावगा भाणियव्वा जाव पाराहिया, नो विराहिया ।। १. सं० पा० एवं संपत्तेण वि चत्तारि आला- २. विचार° (ता, म); वितार (ब) ° ! वगा भाणियब्वा जहेव असंपत्तेणं । ३. पवित्तिरपीए (अ, ता, ब, स)। . Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५.८ २५५. से केणट्टण भंते ! एवं वुच्चइ - आराहए ? नो विराहए ? गोमा ! से जहानामए केइ पुरिसे एगं महं उष्णालोमं वा, गयलोमं वा, सणलोमं वा, कप्पासलोमं वा, तणसूयं वा दुहा वा तिहा वा संखेज्जहा वा छिंदित्ता किस पविखवेज्जा, से नूणं गोयमा ! छिज्जमाणे छिण्णे, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, 'दज्भमाणे दड्ढे" त्ति वत्तव्वं सिया ? हंता भगवं ! छिज्जमाणे छिण्णे, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, दज्झमाणे दड्ढे त्ति वत्तव्वं सिया । से जहा वा केइ पुरिसे वत्थं अहतं वा, धोतं वा, तंतुग्गयं वा मंजिट्ठ' - दोणीए पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, रज्जमाणे रत्ते त्ति वत्तव्वं सिया ? हंता भगवं ! उविखप्पमाणे उविखत्ते, पविखप्पमाणे पविखत्ते, रज्जमाणे रते त्ति वत्तव्वं सिया । तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - प्राराहए, नो विराहए || जोति जलण-पदं २५६. पदीवरस णं भंते ! भियायमाणस्स कि पदीवे भियाइ ? लट्ठी झियाइ ? वत्ती भियाइ ? तेल्ले भियाइ ? दीवचंपए भियाइ ? जोती भियाइ ? गोमा ! नो पदीवे भियाइ', 'नो लट्ठी भियाइ, नो वत्ती भियाइ, नो तेल्ले झियाइ, नो दीवचंपए भियाइ, जोती झियाइ ॥ भगवई २५७. अगारस्स्' णं भंते! झियायमाणस्स कि अगारे झियाइ ? कुड्डा झियाइ ? ast भियाइ ? धारणा भियाइ ? बलहरणे भियाइ ? वंसा झियाइ ? मल्लाभियाइ ? वागा झियाइ ? छित्तरा भियाइ ? छाणे भियाइ ? जोती झियाइ ? किरियापदं २५८. जीवे णं भंते ! ओरालियसरी राम्रो कतिकिरिए ? गोमा ! नो गारे भियाइ, नो कुड्डा : भियाइ जाव नो छाणे भियाइ, जोती भियाइ ॥ १. उज्झमाणे उज्झे (ता, ब ) | २. सं० पा०-- छिणे जाव दड्ढे । ३. मंजिट्ठा (अस) । गोमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए, सिय अकिरिए || ४. सं० पा० - उक्खित्ते जाव रत्ते । ५. सं० पा० - भियाइ जाव नो । ६. आगारे ( अ, म, स ) 1 Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (छट्ठो उद्देसो) २५६. नेरइए णं भंते ! ओरालियसरीरामो कति किरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। २६०. असुरकुमारे णं भंते ! ओरालियसरी राम्रो कतिकिरिए ? एवं चेव । एवं जाव वेमाणिए, नवरं-मणुस्से जहा जीवे ।। २६१. जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिए ? गोयमा! सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए॥ २६२. नेरइए णं भंते ! अोरालियसरीरेहितो कतिकिरिए ? एवं एसो वि' जहा' पढमो दंडगो तहा भाणियव्वो जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा' जीवे॥ २६३. जीवाणं भंते ! पोरालियसरीरानो कतिकिरिया ? गोयमा! सिय तिकिरिया जाव सिय अकिरिया ।। २६४. नेरइया णं भंते ! ओरालियसरीराम्रो कतिकिरिया ? एवं एसो वि जहा पढमो दंडग्रो तहा भाणियव्वो जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा ।। २६५. जीवा णं भंते ! पोरालियसरीरेहिंतो कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया बि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि, अकिरिया वि ।। २६६. नेरइया णं भंते ! अोरालियसरीरेहितो कतिकिरिया ? गोयमा! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि। एवं जाव वेमा णिया, नवरं-मणुस्सा जहा जीवा ।। २६७. जीवे णं भंते ! वेउब्वियसरीरामओ कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय अकिरिए। २६८. नेरइए णं भंते ! वेउव्वियसरीरामो कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए। एवं जाव वेमाणिए, नवरंमणुस्से जहा जीवे । एवं जहा पोरालियसरीरेणं चत्तारि दंडगा भणिया तहा वे उब्वियसरीरेण वि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा, नवरं-पंचमकिरिया न भण्णइ, सेसं तं चेव । एवं जहा वेउव्वियं तहा आहारगं पि, तेयगं पि कम्मगं पि भाणियव्वं-एक्केक्के चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव-- २६६. वेमाणिया णं भंते ! कम्मगसरीरेहितो कतिकिरिया ? गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि ।। २७०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ १. X (अ, क, ता, म, स)। २. भ० ८।२५६ 1 ३. तहा इमो वि अपरिसेसो (अ, क, ता, ब, स) ४. भ०८/२५८ । ५. भ० ११५१ । Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६० भगवई सत्तमो उद्देसो अण्णउत्थियसंवाद-पदं प्रदत्तं पडुच्च - २७१. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे-वण्णनो', गुणसिलए चेइए--वण्णओ जाव' पुढविसिलावट्टयो। तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामते बहवे अण्णउत्थिया परिवति । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पादिगरे जाव' समोसढे जाव परिसा पडिगया ।। २७२. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स बहवे अंतेवासी थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना बलसंपन्ना विणयसंपन्ना नाणसंपन्ना दसणसंपन्ना चरित्तसंपन्ना लज्जासंपन्ना लाघवसंपन्ना ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जियनिद्दा जिइंदिया जियपरीसहा जीवियास-मरणभावप्पमुक्का समणस्स भगवओ महावीरस्स अदरसामंते उड्ढंजाणू अहोसिरा झाणकोट्ठोवगया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति ।। २७३. तए णं ते अण्ण उत्थिया जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरयपडिहय' -पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असंवुडा, अगंतदंडा° एगंतबाला या वि भवह ॥ २७४. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय - पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असंवुडा, एगंतदंडा , एगंतवाला या वि भवामो? २७५. तए ण ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुन्भेणं अज्जो ! अदिन्नं गेण्हह, अदिन्नं भुंजह, अदिन्नं सातिज्जह । तए णं ते तुब्भे अदिन्नं गेण्हमाणा, अदिन्नं भुजमाणा, अदिन्नं सातिज्जमाणा तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय पडिय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतबाला या वि भवह ।। १. ओ० सू०१। ६. जाब विहरति (अ, क, ता, म, स) । २. ओ० सू० २-१३। ७. अविरय-अपडिहय (अ, क, ब, म, स)। ३. भ० ११७ । ८. सं० पा०-जहा सत्तमसए बितिए उद्देसए ४. भ० ११८। जाव एगंतबाला। ५. सं० पा०-जहा वितियसए जाव जीक्यिास। ६. सं. पा.--विरय जाव एगतबाला। १०. तुम्हे (ब)। Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६१ असतं (सप्तमो उद्देसो) म्हे अदिन्नं २७६. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी- केण कारणेणं अज्जो ! हामो, अदिन्नं भुंजामो, अदिन्नं सातिज्जामो, जए' णं अम्हे अदिन्नं गेहमाणा, अदिन्नं भुंजमाणा अदिन्नं सातिज्जमाणा तिविहं तिविणं संजय - विरय-पडिय-पच्चक्खाय पावकम्मा जाव एगंतबाला या वि भवामो ? म २७७. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी - तुब्भण्णं' प्रज्जो ! दिज्जदिने, पडिग्गाज्जमाणे ग्रपडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे प्रणिसिट्टे । तुम्भणं प्रज्जो ! दिज्ज माणं पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा केइ अवहरेज्जा गाहावइस्स णं तं नो खलु तं तुब्भं तए णं तुब्भे अदिन्न गण्हह, अदिन्नं भुजह, अदिन्नं सातिज्जह । तए णं तुब्भे अदिन्नं गेण्हमाणा जाव' एयंतबाला या विभवह || २७८. तए णं ते येरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी - नो खलु ग्रज्जो ! म्हे अदिन्न गण्हामो, प्रदिन्नं भुंजामो, अदिन्नं सातिज्जामो । ग्रम्हे णं अज्जो ! दिन्न गण्हामो, दिन्नं भुंजामो, दिन्नं सातिज्जामो । तए णं अम्हे दिन्नं गेहमाणा, दिन्नं भुंजमाणा, दिन्नं सातिज्जमाणा तिविहं तिविहेणं संजय - विरयपडिह्य- पच्चक्खायपावकम्मा, अकिरिया, संवुडा • एगंतपंडिया या वि भवामो ॥ २७६. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी- केण कारणेणं अज्जो ! तुम्हे दिन्नं हह, दिन्नं भुंजह, दिन्नं सातिज्जह, जए णं तुब्भे दिन्नं हमाणा जाव" एगंतपंडिया या वि भवह ? २८०. तए णं तं थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी- म्हणणं अज्जो ! दिज्जमाणे दिन्ने, पडिग्गाहिज्जमाणे पडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे निसिट्ठे | म्हणणं अज्जो ! दिज्जमाणं पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा केइ अवहरेज्जा, ग्रम्हणणं तं, नो खलु तं गाहावइस्स, तए णं अम्हे दिन्नं गेण्हामो, दिन्नं भुजामो, दिन्नं सातिज्जामो तए णं अम्हे दिन्नं गेण्हमाणा", दिन्नं भुजमाणा, दिन्नं सातिज्जमाणातिविहं तिविणं संजय - विरय पडिय - पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंत १. ताए (अ, क, ता, ब, म, स) २. सं० पा० - हमारणा जाव अदिन्न । ३. तुम्हाणं ( म, स ) 1 ४. निसरिञ्ज (क) 1 ५. सं० पा०--- गेहह जाव अदिन्नं । ६. भ० ८।२७६ । ७. सं० पा० - जहा सत्तमसए जाव एगंतपंडिया ८. सं० पा०--- गण्हह जाव दिन्नं ६. तए ( अ, क, ता, ब, म स ) । १०. भ० ८२७८ । ११. सं० पा० – गेहमाणा जाव दिन्नं । Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई पंडिया या वि भवामो। तुब्भे गं अज्जो! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरयपडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतबाला या वि भवह ।। २८१. तए णं ते अण्ण उत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय-पडिय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतबाला या वि भवामो? २८२. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं क्यासी ---तुब्भे णं अज्जो ! अदिन्नं गेण्हह, अदिन्नं भुजह, अदिन्नं सातिज्जह, तए णं तुब्भे अदिन्नं गेण्हमाणा जाव एगंतवाला या वि भवह ।। २८३, तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो ! अम्हे अदिन्नं गेण्डामो जाव एगंतबाला या विभवामो? २८४. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी--तुब्भणं अज्जो! दिज्ज माणे अदिन्ने पडिग्गाहेज्जमाणे अपडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे अणिसिद्धे । तुब्भण्णं अज्जो ! दिज्जमाणं पडिग्महगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा केइ अवहरेज्जा, गाहावइस्स णं तं, नो खलु तं तुभं ! तए णं तुभे अदिन्नं गेहह जाव' एगंतवाला या वि भवह ।। हिसं पडुच्च ... २८५. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो! तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपाबकम्मा जाव एगंतबाला या विभवह।। २८६. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी--केण कारणेणं अज्जो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवामो ? । २८७. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं क्यासी-तुब्भे गं अज्जो! रीयं रीयमाणा पुढवि पेच्चेह अभिहणह वत्तेह लेसेह संघाएह संघदेह परितावेह किलामेह उद्दवेह, तए णं तुभे पुढवि पेच्चेमाणा अभिहणमाणा' 'वत्तेमाणा लेसेमाणा संघाएमाणा संघट्टेमाणा परितावेमाणा किलामेमाणा° उद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतबाला या वि भवह ॥ २८८. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउस्थिए एवं वयासी-नो खलु अज्जो ! अन्हे रीयं रीयमाणा पुढवि पेच्चामो अभिहणामो जाव उद्दवेमो। अम्हे णं अज्जो ! ३. सं० पा०-अभिहरणमाणा जाव उद्दवेमाणा। १. सं० पाल-तं चेव जाव गाहावइस्स । २. तं चेव जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रट्ठमं सतं (सत्तमो उद्देसो) रीयं रीयमाणा कायं वा, जोयं वा, रियं वा पडुच्च देसं देसेणं वयामो, पदेसं पदेसेणं वयामो, तेणं अम्हे देसं देसेणं वयमाणा, पदेसं पदेसेणं वयमाणा नो पुढवि पेच्चेमो अभिहणामो जाव उद्दवेमो, तए णं अम्हे पुढवि अपेच्चेमाणा अणभिहणमाणा जाव प्रणोद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं संजय-विरय-पडिहयपच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतपंडिया या वि भवामो। तुब्भे णं अज्जो! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतबाला या वि भवह ।। २८६. तए ण ते अण्ण उत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला या वि भवामो ? २६०. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं बयासी-तुब्भे णं अज्जो! रीयं रीयमाणा पुढदि पेच्चेह जाव उद्दवेह, तए णं तुब्भे पुढवि पेच्चेमाणा जाव उद्दवे माणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला या वि भवह ।। गममाणगयं पडुच्च२६१. तए णं ते अण्ण उत्थिया ते थेरे भगवते एवं वयासी-तुब्भण्णं अज्जो ! गम्म माणे अगते, वोतिक्कमिज्जमाणे प्रवीतिक्कते, रागिहं नगरं संपाविउकामे असंपत्ते ।। २६२. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्ण उत्थिए एवं वयासी-नो खलु अज्जो ! अम्हं गम्ममाणे अगते, वीतिक्कमिज्जमाणे अवीतिक्कते, रायगिहं नगरं संपाविउकामे असंपत्ते । अम्हण्णं अज्जो ! गम्ममाणे गए, वीतिक्कमिज्जमाणे वीतिक्कते, रायगिहं नगरं संपाविउकामे संपत्ते । तुब्भण्णं अप्पणा चेव गम्ममाणे अगते, वीतिक्कमिज्जमाणे अवीतिक्कते, रायगिह' 'नगरं संपाविउकामे असंपत्ते तए णं ते थेरा भगवंतो अण्णउत्थिए एवं पडिभगंति, पडिभणित्ता गइप्पवायं नाम अज्झयणं पण्णवइंसु ।। २६३. कतिविहे णं भंते ! गइप्पवाए पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे गइप्पवाए पण्णत्ते, तं जहा–पयोगगई, ततगई, बंधणछेयणगई, उववायगई, विहायगई। एत्तो प्रारब्भ' पयोगपयं निरवसेसं भाणियव्वं जाब सेत्तं विहायगई। २६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति'॥ १. सं० पा०–रायगिह जाव असंपत्ते। २. पडिहराइ (अ, क, ता, ब, म, स)! ३. विहागती (ता)। ४. आरद्धं (क, ता, ब, म)। ५. प०१६ । ६. भ. ११५१। Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भमवई अट्ठमो उद्देसो पडिरणीय-पदं २६५. रायगिहे जाव एवं वयासी-गुरू णं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया' पण्णता ? गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा-पायरियपडिणीए, उवज्झाय पडिणीए, थेरपडिणीए । २६६. गति' णं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ? गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा-इहलोगपडिणीए, परलोग पडिणीए, दुहोलोगपडिणीए॥ २६७. समूहण्णं भंते ! पडच्च कति पडिणीया पण्णत्ता? गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा–कुलपडिणीए, गणपडिणीए, संघपडिणीए॥ २६८. अणुकंपं पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता? ' गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा-तवस्सिपडिणीए, गिलाणपडिणीए, सेहपडिणीए॥ २६६. सुयण्णं भंते । पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता? ० गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा-सुत्तपडिणीए, अत्थपडिणीए, तदुभयपडिणीए । ३००. भावणं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता? ० गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा-नाणपडिणीए, दसणपडिणीए, चरित्तपडिणीए । पंचववहार-पदं ३०१. कतिविहे णं भंते ! ववहारे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे ववहारे पण्णत्ते, तं जहा–प्रागमे, सुतं, प्राणा, धारणा, जीए। ५. दुहालोग ° (अ, ब, म); उभयपडि (क); दुहलोग° (ता)। १. भ० ११४-१०। २. पडुच्चा (क, म)। ३. पडरिणया (ता, म); तुलना–ठा० ३।४८८ ४६३। ४. अत्र णकारयोगे अनुस्वारलोपः । ७. सं० पा०-पुच्छा। ८. सं० पा०-पुच्छा। ६. तुलना-ठा० ५।१२४; व० १०॥ Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) जहा से तत्थ आगमे सिया आगमेणं बवहारं पट्टवेज्जा। णो य से तत्थ आगमे सिया, जहा से तत्थ सुए सिया, सुएणं ववहारं पट्ठवेज्जा । णो य से तत्थ सुए सिया, जहा से तत्थ आणा सिया, प्राणाए ववहारं पटूवेज्जा । णो य से तत्थ प्राणा सिया, जहा से तत्थ धारणा सिया, धारणाए ववहार पट्टवेज्जा । णो य से तत्थ धारणा सिया, जहा से तत्थ जीए सिया, जीएणं ववहारं पट्ठवेज्जा । इच्चेएहिं पंचहि ववहारं पट्टवेज्जा, तं जहा-आग मेणं, सुएणं आणाए, धारणाए, जीएणं । जहा-जहा से आगमे सुए आणा धारणा जीए तहा-तहा ववहारं पट्टवेज्जा। से किमाहु भंते ! आगमबलिया समणा निग्गंथा ? इच्चेतं पंचविहं ववहारं जदा-जदा जहि-जहिं तदा-तदा तहि-तहिं अणिस्सि प्रोवस्सितं सम्म ववहरमाणे समणे निग्गंथे आणाए पाराहए भवइ ।। बंध-पर्द ३०२. कतिविहे गं भंते ! बंधे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा-इरियावहियबंधे य, संपराइयबंधे य ।। इरियावहियबंध-पदं ३०३. इरियावहियं णं भंते ! कम्मं किं नेरइनो बंधइ ? तिरिक्खजोणियो बंधइ ? तिरिक्खजोणिणी बंधइ ? मणुस्सो बंधइ ? मणु स्सी बंधइ ? देवो बंधइ ? देवी बंधइ? गोयमा ! नो नेरइयो बंधइ, नो तिरिक्खजोणिओ बंधइ, नो तिरिक्खजोणिणी बंधइ, नो देवो बंधइ, नो देवी बंधइ । पुष्व पडिवन्नए पडुच्च मणुस्सा य मणुस्सीयो य बंधति, पडिवज्जमाणए पडुच्च १. मणुस्सो वा बंधइ २. मणुस्सी वा बंधइ ३. मणुस्सा वा बंधति ४. मणुस्सीमो वा बंधंति ५. अहवा मणुस्सो य मणुस्सी य बंधइ ६. अहवा मणुस्सो य मणुस्सीनो य बंधंति ७. अहवा मणुस्सा य मणुस्सी य बंधति ८. अहवा मणुस्सा य मणुस्सीयो य बंधति ।। १. तहा-तहा (अ, स)। निर्ग्रन्थाः! पञ्चविधव्यवहारस्य फल मिति २. हन्त ! आहुरेवेति गुरुवचनं गम्यमिति, अन्ये शेषः, अत्रोत्तरमाह--'इच्चेय' मित्यादि (वृ)। तु 'से किमाहु भंते !' इत्याद्येवं व्याख्यान्ति- ३. °वधिय ° (म); ° वहिया° (स)। अथ किमाहुर्भदन्त ! आगमबलिकाः श्रमणा ४. वहिया (अ, क, स); ° वहिय (ता)। Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३०४. तं भंते ! कि इत्थी बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? नपुंसगो बंधइ ? इत्थीयो ? बंधति ? पुरिसा बंधंति ? नपुंसगा बंधंति ? नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसगो बंधइ ? गोयमा ! नो इत्थी बंधइ, नो पुरिसो बंधइ' •नो नपुंसगो वंधइ, नो इत्थीयो बंधति, नो पुरिसा बंधंति, नो नए सगा बंधंति, नोइत्थी नोपुरिसो° नोनपुंसगो बंधइ-पुव्वपडिवन्नए पडुच्च अवगयवेदा बंधति, पडिवज्जमाणए पडुच्च अवगयवेदो वा बंधइ अवगयवेदा वा बंधंति ।। ३०५. जइ भंते ! अवगयवेदो वा बंधइ, अवगयवेदा वा बंधति तं भंते ! किं १. इत्थीपच्छाकडो बंधइ ? २. पुरिसपच्छाकडो बंधइ ? ३. नपुंसगपच्छाकडो बंधइ? ४. इत्थीपच्छाकडा बंधंति ? ५. पुरिसपच्छाकडा बंधंति ? ६. नपुंसगपच्छाकडा बंधंति ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ ४? उदाह इत्थीपच्छाकडो य नसगपच्छाकडो य । बंधइ ४ ? उदाह पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंघइ ४? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य नपुसगपच्छाकडो य बंधइ ८ एवं एते छव्वीसं भंगा जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति ? गोयमा ! १. इत्थीपच्छाकडो वि बंधइ २. पुरिसपच्छाकडो वि बंधइ ३. नएसगपच्छाकडो वि बंधइ ४. इत्थीपच्छाकडा वि बंधंति ५. पुरिसपच्छाकडा वि बंधंति ६. नपुसगपच्छाकडा वि बंधंति ७. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ, एवं एए चेव छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव २६. अहवा इत्थीपच्छाक डा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति ।।। तं भंते ! किं १. बंधी बंधइ बंधिस्सइ? २. बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ३. बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ? ४. बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ? ५. न बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? ६. न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ७. न बंधी न बंधड़ बंधिस्सइ ? ८. न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ? गोयमा ! भवागरिसं पडुच्च अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, एवं तं चेव सव्वं जाव अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ। ३०६. १. सं० पा०---बंधइ जाव नोनपंसगो। २. ८. अहवाइत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य बंधति ६. अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसरच्छाकडो य बधइ १०. अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य बंधति ११. अहवा इत्थीपच्छाकडोय नसगपच्छाकडो य बंधइ १२. अहवा इत्थीपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति १३. अहवा इत्थीपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ १४. अहवा इत्थीपच्छाकडाय नपुंसगपच्छाकडा य बंधति Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (अट्टम उद्देसी ) ३६७ गहणागरसं पडुच्च प्रत्येगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, एवं जाव' प्रत्येगतिए न बंधी बंध बंधिस्सइ, नो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, प्रत्येगतिए न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ || ३०७. तं भंते । किं सादीयं सपज्जवसियं बंधइ ? सादीयं अपज्जवसियं बंधइ ? प्रणादीयं सपज्जवसियं बंधइ ? प्रणादीयं अपज्जवसियं बंधइ ? गोयमा ! सादीयं सपज्जवसियं बंधइ, नो सादीयं प्रज्जवसियं बंधइ, नो श्रणादीयं सपज्जवसियं बंधइ, नो प्रणादीयं अपज्जवसियं बंधइ ॥ ३०८. तं भंते! किं देसेणं देसं बंघइ ? देसेणं सव्वं बंधइ ? सव्वेणं देसं बंधइ ? सव्वेणं सव्वं बंधइ ? गोयमा ! नो देसेणं देसं बंधइ, नो देसेणं सव्वं बंधइ, नो सव्वेणं देसं बंधइ, सव्वेणं सव्वं बंधइ ॥ संपराइयबंध-पदं ३०६. संप राइयं णं भंते ! कम्मं किं नेरइस्रो बंधइ ? तिरिक्खजोणिय बंधइ ? जाव' देवी बंधइ ? गोमा ! नेरइओ वि बंधइ, तिरिक्खजोणिश्रो वि बंधइ, तिरिक्खजोगिणी वि बंध, मस्सो वि बंधइ, मणुस्सी वि बंधइ, देवो वि बंधइ, देवी वि बंधइ ॥ ३१०. तं भंते ! किं इत्थी बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? तहेव जाव' नोइत्थी नोपुरिसो नोपुंसगो बंधइ ? गोयमा ! इत्थी वि बंधइ, पुरिसो वि बंधइ जाव नपुंसंगा वि बंधंति, 'हवा एते " य अवयवेदो य बंधइ, ग्रहवा एते य अवगयवेदा य बंधति ॥ १५. अहवा पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाast य बंधइ १६. अहवा पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति १७ अहवा पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ १८. अहवा पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति १६. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंध २०. हवा इत्थी पच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति २१. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ २२. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति २३. ग्रहवा इत्यीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसंगपच्छाकडो व बंधइ २४. अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकटोय नपुंसगपच्छाकडा यधति २५. अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ । १. अत्र जाव- पदेन त्रयो भङ्गा गृहीताः । २. भ० ६।३०३ । ३. भ० ६।३०४ । ४. अहवेए ( अ, ब, स ) ; अहवेते (ता, म) 1 Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३११. 'जइ भंते ! अवगयवेदो य बंधड, अवगयवेदा य बंधति' तं भंते ! कि इत्थीपच्छाकडो बंधइ? परिसपच्छाकडो बंध? एवं जदेव इरियावडियबंधगस्स तहेव निरवसेसं जाव अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नसगपच्छाकडा य बंधंति ।। ३१२. तं भंते ! किं १. बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? २. बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ३. बंधी न बंधइ बंधिस्सइ? ४. बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ? गोयमा ! १. अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ २. अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ३. अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ४. अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ॥ ३१३. तं भंते ! किं सादीयं सपज्जवसियं बंधइ ? पुच्छा तहेव । ___ गोयमा ! सादीयं वा सपज्जवसियं बंधइ, अणादीयं वा सपज्जव सियं बंधइ, प्रणादीयं वा अपज्जवसियं बंधइ, नो चेव णं सादीयं अपज्जवसियं बंधइ ।। ३१४. तं भंते ! कि देसेणं देसं बंधइ ? एवं जहेव इरियावहियबंधगस्स जाव' सव्वेणं सव्वं बंधइ॥ कम्मप्पगडोसु परीसहसमवतार-पदं ३१५. कइ णं भंते ! कम्मप्पगडीनो पण्णत्तायो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीयो पण्णत्तानो, तं जहा-नाणावरणिज्जं दंसणाव रणिज्जं वेदणिज्ज मोहणिज्ज आउगं नाम गोयं' अंतराइयं ।। ३१६. कइणं भंते ! परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! वावीसं परीसहा पण्णत्ता, तं जहा—दिगिछापरीसहे, पिवासापरीसहे. 'सीतपरीसहे उसिणपरीसहे दंसमसगपरीसहे अचेलपरीसहे अरइपरीसहे इत्थिपरीसहे चरियापरीसहे निसीहियापरीसहे सेज्जापरीसहे अक्कोसपरीसहे वहपरीसहे जायणापरीसहे अलाभपरीसहे रोगपरीसहे तणफासपरीसहे जल्लपरीसहे सक्कारपुरक्कारपरीसहे 'पण्णापरीसहे नाणपरीसहे सण परीसह ॥ ३१७. एए णं भंते ! बावीसं परीसहा कतिसु कम्मप्पगडीसु समोयरंति ? गोयमा ! चउसु कम्मप्पगडीसु समोयरंति, तं जहा--नाणावरणिज्जे, वेदणिज्जे, मोहणिज्जे, अंतराइए !! १. X (ब)। २. भ० ८.३०८। ३. गोदं (ब)। ४. सं० पा०—पिवासापरिसहे जाव दंसरण ° । ५. अन्नाणपरिसहे (उत्त० २१३) । ६. नाणपरीसहे दंसणपरीसहे पण्णापरीसहे (स० २२६१) Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तं (मो उद्देसो) ३१८. नाणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ? गोमा ! दो परीसहा समोयरंति, तं जहा - पण्णापरीसहे नाणपरीसहे' य ॥ ३१६. वेदणिज्जे गं भंते ! कम्मे कृति परीसहा समोयरंति ? गोमा ! एक्कारस परीसहा समोयरंति, तं जहा पंचेव आणुपुब्वी, चरिया सेज्जा वहे य रोगे य । तणफास—जल्लमेव य, एक्कारस वेदणिज्जम्मि ||१|| ३२०. दंसणमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परिसहा समोयरंति ? गोयमा ! एगे दंसणपरीसहे समोयरइ ॥ ३२१. चरित्तमोहणिजे गं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ? गोयमा ! सत्त परीसहा समोयरंति, तं जहा - अरती प्रवेल इत्थी, निसीहिया जायणा य अक्कोसे । सक्कार - पुरक्कारे, चरितमोहम्म सत्तेते ॥१॥ ३२२. अंतराइए णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ? गोमा ! एगे लाभपरीसहे समोयरइ || ३२३. सत्तविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता । वीसं पुण वेदेइ - जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं निसीहियापरीसह वेदेइ, जं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदे ॥ ३२४. ' एवं प्रदुविहबंधगस्स वि' || ३२५. छव्विहबंधगस्स णं भंते ! सरागछ उमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता ? गोमा ! चोट्स परिसहा पण्णता । वारस पुण वेदेइ – जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसह वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ, जं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ ॥ १. अण्णाण ( अ ) | २. अट्ठ विहबंधगस्स णं भंते ! कति परिसहा प० गो० बावीस परीसहा, तं छुहापरीस हे पिवासा परीस हे सीयपरीसहे उसिरापरीस हे दंसमसगपरीसहे जाव अलाभपरीसहे एवं - ३६९ विहबंधगस्स वि (क, व, म); अट्ठविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा प० गो० बावीसं परीसहा पं० एवं अदुविधबंधगस्स (ता, स ) । ३. उमुग (ता) । ० Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३२६. एक्कविहबंधगस्स णं भंते ! वीयरागछउमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता? गोयमा ! एवं चेव-जहेव छविहबंधगस्स ।। ३२७. एगविहबंधगस्स णं भंते ! सजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पण्णत्ता ? गोयमा ! एक्कारस परीसहा पण्णत्ता । नव पुण वेदेइ । सेसं जहा छव्विहबंधगस्स ।। ३२८. अबंधगस्स णं भंते ! अयोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पण्णत्ता? गोयमा ! एक्कारस परीसहा पण्णत्ता । नव पुण वेदेइ--जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ, जं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ ॥ सूरिय-पद ३२६. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? मङतियमुहत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति ? अत्थमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? हता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि दूरे य' 'मूले य दीसंति, मज्झतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति', अस्थमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति ॥ ३३०. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि, मज्झतियमुहत्तंसि य, अस्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं ? हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमण' मुहत्तंसि, मज्झतियमुहत्तंसि य, अत्थमणमुहुत्तसि य सव्वत्थ समा० उच्चत्तेणं ।। ३३१. जइ णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमहत्तंसि, मज्झतियमूहत्तंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि' *य सव्वत्थ समा० उच्चत्तेणं, से केणं खाइ अद्वेणं भते ! एवं वुच्चइ - जंबुद्दीये णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? जाव अत्थमणमुहत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? गोयमा ! लेसापडिपाएणं उग्गमणमुहुत्तसि दूरे य मूले य दीसंति, लेसाभितावेणं मझंतियमहत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति, लेसापडिघाएणं अत्थमणमुहत्तंसि १. सं० पा०-तं चेव जाव अस्थमण । 'अस्थमणमुहुत्तसि मूले जाव उच्चत्तेणं' इति २. सं० पा०-उगमण जाव उच्चत्तेरणं । पाठोऽस्ति । अत्र 'मूले' इति पदं नावश्यक ३. सं० पा०-प्रत्थमणमुहुतंसि जाव उच्च- प्रतिभाति ! तेणं । 'अ, ता, ता, म, स' सकेतितादर्शषु ४. ° मुहुत्तसि य (अ, क,ता, ब, म, स)। Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमं सतं ( अनुमो उद्देसो) ३७१ दूरेय मूले यदीति । से तेणणं गोयमा ! एवं वुच्चइ – जंबुद्दीवे णं दीवे सुरिया उग्गमणमुहतसि दूरे य मूले य दीसंति जाव श्रत्थमण मुहुत्तंसि दूरे य मूले य° दीसंति ॥ ३३२. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया कि तीयं खेत्तं गच्छति ? पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छति ? प्रणामयं खेत्तं गच्छति ? गोयमा ! नो तीयं खेत्तं गच्छति, पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छति, नो प्रणागयं खेत्तं गच्छति || ३३३. जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं प्रोभासंति ? पडुप्पन्नं खेत्तं प्रभासंति ? प्रणागयं खेत्तं प्रोभासंति ? गोयमा ! नो तीयं खेत्तं प्रोभासंति, पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति, नो प्रणागयं खेत्तं प्रभासंति || ३३४. तं भंते ! किं पुढं प्रोभासंति ? अपुढं प्रोभासंति ? गोयमा ! टुंग्रोभासंति, नो अटुं प्रोभासंति जाव' नियमा छद्दिसि || ३३५. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया कि तीयं खेत्तं उज्जोर्वेति ? एवं चैव जाव नियमा छद्दिसिं ॥ ३३६. एवं तवेति, एवं भासति जाव नियमा छद्दिसिं ॥ ३३७. जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे सूरियाणं कितीए खेत्ते किरिया कज्जइ ? पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ ? प्रणागए खेत्ते किरिया कज्जइ ? गोयमा ! नो तीए खेते किरिया कज्जइ, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, नो गए खेत्ते किरिया कज्जइ । ३३८. सा भंते! किं पुट्ठा कज्जइ ? ग्रपुट्ठा कज्जइ ? गोमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो ग्रपुट्ठा कज्जइ जाव' नियमा छद्दिसि || ३३६. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया केवतियं खेत्तं उड़ढ़ तवंति ? केवतियं खेत्तं प्रहे तवंति ? केवतियं खेत्तं तिरियं तवंति ? गोमा ! एवं जोयणसयं उड्ढ तवंति, अट्ठारस जोयणसयाई ग्रहे तवंति, सीयालीस जोयणसहस्साई दोणिय तेवढे जोयणसए एक्कवीसं च सहिभाए जोयणस्स तिरियं तवंति ॥ जोइसियाणं उववत्ति-पदं ३४०. अंतो णं भंते! माणुसुत्तरपव्वयस्स जे चंदिम-सूरिय-‍ भंते! देवा किं उड्ढोववन्नगा ? ३. भ० १।२५६-२६६ । १. सं० पा० अत्यमण जाव दीसंति । २. भ० १।२५६ - २६६ । -गहगण-णवखत्त-तारारूवा Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७२ भगवई जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव'३४१. इंदट्ठाणे णं भंते ! केवतियं कालं विरहिए उववाएणं ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा ।। ३४२. बहिया णं भंते ! माणुसुत्तरपव्वयस्स जे चंदिम-सूरिय-गहगण-णवखत्त-तारारूवा ते णं भंते ! देवा कि उड्ढोववन्नगा? जहा जीवाभिगमे जाव३४३. इंददाणे णं भंते ! केवतियं कालं उववाएणं विरहिए पण्णत्ते ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा ।। ३४४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' । नवमो उद्देसो बध-पदं ३४५. कतिविहे गं भंते ! बंधे पण्णत्ते ! गोयमा ! दुविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा—पयोगबंधे य, वीससाबंधे य ।। वीससाबंध-पदं ३४६. वीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सादीयवीससाबंधे य, अणादीयवीससाबंधे य ॥ ३४७. अणादियवीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-धम्मस्थिकायअण्णमण्णअणादीयवीससाबंधे, अधम्मत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससाबंधे, प्रागासत्थिकायअण्ण मण्णअणादीयवीससाबंधे ।। . धम्मत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससाबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधे, नो सव्वबंधे । एवं अधम्मत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससाबंधे वि, एवं आगासत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससाबंधे वि ॥ १. जी० ३ । २. जी. ३ ३. भ० १५१ ४. अणातीत ° (ता)। Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (नवमी उद्देसो) ३७३ ३४९. धम्मत्थिकायष्णमण्णश्रणादीयवीससाबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्वद्धं । एवं अधम्मत्थिकायअण्णमण्णश्रणादीयवीससाबंधे वि एवं श्रागात्थायण्णमण्णश्रणादीयवीस साबंधे वि' ॥ ३५०. सादीयवीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा -- बंधणपच्चइए, भायणपच्चइए, परिणामपच्चइए ॥ ३५१. से किं तं बंधणपच्चइए ? बंधणपच्चइए - जणं परमाणुपोग्गलदुप्पदेसिय-तिप्पदेसिय जाव दसपदेसियसंखेज्जपदेसिय-असंखेज्जपदेसिय-प्रणतपदेसियाणं खंधाणं वेमायनिद्धयाए, वेमायलुक्याए, वेमायनिद्धलुक्खयाए बंधणपच्चएणं' बंधे समुप्पज्जइ, जहणणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । सेत्तं बंधणपच्चइए ॥ ३५२. से किं तं भायणपच्चइए ? भायणपच्चइए - जण्णं जुष्णसुर- जुण्णगुल- जुण्णतंदुलाणं भायणपच्चएणं' बंधे समुप्पज्जइ, जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं भायणपच्चइए || ३५३. से किं तं परिणामपच्चइए ? परिणामपच्चइए -- जपणं अब्भाणं, प्रब्भरुक्खाणं जहा ततियसए जाव' श्रमोहाणं परिणाम पच्चएणं बंधे समुप्पज्जइ, जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा | सेत्तं परिणामपच्चइए । सेत्तं सादीयवीससाबंधे । सेत्तं वीससाबंधे ॥ पयोगबंध-पदं ३५४. से किं तं पयोगबंधे ? पयोगबंधे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा -- प्रणादीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा प्रज्जवसिए, सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ णं जे से प्रणादीए अपज्जवसिए से गं प्रदृण्हं जीवमज्झपएसाणं, तत्थ वि णं तिन्हं तिष्हं प्रणादीए अपज्जवसिए, सेसाणं सादीए । तत्थ णं जे से सादीए अपज्जवसिए से णं सिद्धाणं । तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिए से गं १. अस्य सूत्रस्यानन्तरं 'ता' प्रतौ एतावानतिरिक्तः पाठोऽस्ति 'धम्मत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससाबंधस्स गं भंते ! केवइयं कालं अंतरं होइ गो नत्थि अंतरं एवं तिण्हवि सेत्तं retaturateसाबंधे ' २. ० पच्चइए ( अ ) | ३. ० पच्चइए ( अ, स) 1 ४. ५. भ० ३।२५३ । ० पञ्चइएरणं ( अ, स ) 1 Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७४ भगवई चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा - श्रालावणबंधे, अल्लियावणबंधे, सरीरबंधे, सरीरप्पयोगबंधे || झालावर पडुच्च ३५५. से किं तं श्रालावणबंधे ? आलावणबंधे जपणं तणभाराण वा, कट्ठभाराण वा, पत्तभाराण वा, पलालभाराण वा', वेत्तलता-वाग-वरत्त-रज्जु- वल्लि कुस - दब्भमादी एहि श्रालावणबंधे समुत्पज्जइ, जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं श्रालावणबंधे ॥ प्रल्लियावणं पडुच्च ३५६. से किं तं ग्रल्लियावणबंधे ? अलियाणबंधे चरविहे पण्णत्ते, तं जहा -लेसणाबंधे, उच्चयबंधे, समुच्चयबंधे, साहणणाबंधे ।। ३५७. से किं तं लेसणावंधे ? लेसणाबंधे - जण्णं कुड्डाणं, कोट्टिमाण, संभाणं, पासायाणं, कट्ठाणं, चम्माणं, घडणं, पडणं, कडाणं छुहा- चिक्खल्ल-सिलेस - लक्ख-महुसित्थमाईएहि लेसणएहिं बंधे समुप्पज्जइ, जहणेण प्रतोमुहुत्तं, उक्कोसेण संखेज्जं कालं । सेत्तं सणाबंधे ॥ ३५८. से किं तं उच्चयबंधे ? उच्चयबंधे - जणं तणरासीण वा, कटुरासीण वा, पत्तरासीण वा, तुसरासीण वा, भुसरासीण वा गोमयरासीण वा, अवगररासीण वा, उच्चत्तेण बंधे समुप्पज्जइ, जहणेणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्ज कालं । सेत्तं उच्चयबंधे || ३५६. से किं तं समुच्चयबंधे ? समुच्चयबंधे - जपणं अगड-तडाग-नदी- दह - वावी पुरखरिणी दीहियाणं गुंजालियाणं, सराणं, सरपंतियाणं, सरसरपंतियाणं, बिलपतियाणं देवकुल- सभ-प्पवथूभ - खाइयाणं, फरिहाणं, पागारट्टालग चरिय-दार गोपुर-तोरणाणं, पासाय :घर-सरण - लेण श्रावणाणं, सिघाडग-तिय- चउक्क चच्चर- चउम्मुह - महापहपहमादीणं, छुहा - चिवखल्ल-सिला - समुच्चएणं बंधे समुप्पजइ, जहण्णेणं तोमुत्तं, उवकोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं समुच्चयबंधे ॥ १. वा वेल्लभाराण वा (श्र, स ) | v २. साहणबंधे (ता); सहणाण ( म, स ) । ३. कुट्टिमा ( क ) | ४. परिहाणं (क, ब, म) 1 ५. चउमुह (क, ता) | ६. सिलेस ( अ, स ) ; सेला (ता) | Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७५ अट्ठमं सतं (नवमो उद्देसो) ३६०. से किं तं साहणणावंधे ? साहणणाबंधे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा देससाहणणाबंधे य, सव्वसाहणणाबंधे य ।। ३६१. से कि तं देससाहणणावंधे ? देससाहणणाबंधे--जष्णं सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीय-संदमाणीलोही-लोहकडाह-कडच्छुय'-आसण-सयण-खंभ-भंडमत्तोवगरणमादीणं देससाहणणाबंधे समुप्पज्जइ, जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उवकोसेणं संखेज्ज कालं । सेत्तं देससाहणणाबंधे।। ३६२. से कि तं सव्वसाहणणाबंधे ? सव्वसाहणणाबंधे-से णं खीरोदगमाईणं। सेत्तं सव्वसाहणणाबंधे । सेतं साहणणाबंधे। सेत्तं अल्लियावणबंधे।। सरीरं पडुच्च३६३. से कि तं सरीरबंधे ? सरीरबंधे दुविहे पण्णते, तं जहा---पुब्बपयोगपच्चइए' य, पडुप्पन्नपयोग पच्चइए य॥ ३६४. से किं तं पुत्वपयोगपच्चइए ? पुवपयोगपच्चइए-जण्णं ने रझ्याणं संसारस्थाणं सव्वजीवाणं तत्थ-तत्थ तेसुतेसु कारणेसु समोहण्णमाणाणं' जीवप्पदेसाणं बंधे समुप्पज्जइ । सेत्तं पुव्व पयोगपच्चइए । ३६५. से कि तं पडुप्पन्नपयोगपच्चइए ? पडुप्पन्नपयोगपच्चइए-जण्णं केवलनाणिस्स अणगारस्स केवलिस मुग्घाएणं समोहवस्स ताओ समुग्घायानो पडिनियत्तमाणरस अंतरा मथे वट्टमाणस तेयाकम्माणं बंधे समुप्पज्जइ। किं कारण? ताहे से पएसा एगत्तीगया भवंति । सेत्तं पडुप्पन्नपयोगपच्चइए । सेत्तं सरीरबंधे ।। १. कडेच्छुय(ता, व, म);कडुच्छया (भ० ५।१८६) जीवप्रदेशाश्रिततैजसकार्मणशरीरप्रदेशानामि२. देससाधणणाएवंथे (ता)। ति द्रष्टव्यं, शरीरिबन्ध इत्यत्र तु पक्षे समुद्३. तुबप्पयोग ° (ता)। घातेन विक्षिप्य सङ्कोचितानामुपसर्जनीकृत४. पच्चुप्पण्ण ° (ता, ब, म) । तेजसादिशरीरप्रदेशानां जीवप्रदेशानामेवेति ५. समोहण ° (स)। (४)। ६. इह जीवप्रदेशानामित्युक्तावपि शरीरवन्धा- ७, शरीरिबन्ध इत्यत्र तु पक्षे तेयाकम्मारणं बंधे धिकारात्तात्स्यात्तव्यपदेश इति न्यायेन समुपज्जइ (बू)। Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७६ सरोरप्पयोगं पडुच्च ३६६. से किं तं सरीरप्पयोग बंधे ? सरपयोग बंधे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - श्रोरालियस रीरप्पयोगबंधे, वेउब्वियसरीरप्पयोग बंधे, आहारगसरीरप्पयोगबंधे, तेयासरीरप्पयोगबंधे, कम्मासरीरप्पयोगबंधे || श्रोलियसरी रप्पयोगं पडुच्च ३६७. ओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - एगिदियोरालियसरी रप्पयोग बंधे, बेइंदियओरालियस रीरप्पयोगबंधे जाव पंचिदियश्रो रालियस रीरप्पयोगबंधे || ३६८. एगिदियोरालियसरी रप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा- पुढविक्काइयएगिदियोरालि यसरीरप्पयोगबंधे, एवं एएवं ग्रभिलावेण भेदो जहा श्रोगाहणसंठाणे श्रोरालियसरीरस्स तहा भाणियव्वो जाव' पज्जत्तागब्भवक्कंतियमणुस्स पंचिदियओरालियसरीरप्पयोग बंधे य, ग्रप्पज्जत्तागब्भववकंतियमणुस्स पंचिदियोरा लियसरीरपयोग बंधे य ॥ 0 ३६६. प्रोरालियस रीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च आउयं च पडुच्च ओरालियसरी रप्पयोगनामकम्मस्स उदएणं श्रोरा लिय सरीरयोगबंधे ॥ ३७०. एगिदियोरालियसरी रप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? एवं चैव । पुढविवकाइयएगिदियो रालियस रीरप्पयोगबंधे एवं चैव, एवं जाव arteइकाइया । एवं बेइंदिया, एवं तेइंदिया, एवं चउरिदिया ॥ ३७१. तिरिक्खजोणियपंचिदियओरालिय सरीरप्पयोगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मरस उदगं ? एवं चैव ॥ ३७२. मणुस्स पंचिदियो रालियस रीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए पमादपच्चया' कम्मं च जोगं व भवं च० श्राउयं च पडुच्च मणुस्सर्पचिदियश्रो रालियस रीरप्पयोगनामकम्मरस उदणं मणुस्पंचिदियओरालियस रीरप्पयोगबंधे || ३७३. ओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? १. प० २१ । २. सं० पा० - ० मरगुस्स जाव बंधे । भगवई ३. सं० पा०- पमादपच्चया जाव आउयं । Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (नवमो उद्देसो) गोयमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि ।। ३७४. एगिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? __एवं चेव । एवं पुढविक्काइया एवं जाव३७५. मणुस्सपंचिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि !! ३७६. पोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसवंधे जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं समयूणाई॥ ३७७. एगिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्ववंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं समयूणाई। पुढविक्काइयएगिदियपुच्छा ।। गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसवंधे जहणणं खुड्डाग' भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई समयूणाई। एवं सव्वेसि सव्वबंधो एक्कं समयं, देसबंधो जेसि नत्थि वे उव्वियसरीरं तेसिं जहणेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं जा सा ठिती सा समयूणा कायव्वा, जेसिं पुण अस्थि वे उब्वियसरीरं तेसि देसबंधो जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं जा जस्स ठिती सा समयूणा कायवा जाव मणुस्साणं देसबंधे जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं समयूणाई। ३७६. पोरालियसरीरबंधंतरं णं भंते ! कालमो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्ववंधंतरं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई पुवकोडिसमयाहियाई । देसबंधंतरं जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्को सेणं तेत्तीसं सागरोवमाई तिसमयाहियाई ।। ३८०. एगिदियोरालियपुच्छा। गोयमा ! सव्ववंधतरं जहण्णेणं खुड्डागं भवम्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई समयाहियाई। देसबंधंतरं जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ३८१. पुढविक्काइयएगिदियपुच्छा। सव्वबंधंतरं जहेव एगिदियस्स तहेव भाणियव्वं ! देसबंधंतरं जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिण्णि समया । जहा पुढविक्काइयाणं एवं जाव चउरिदियाणं वाउवकाइयवज्जाणं, नवरं-सव्वबंधतरं उक्कोसेणं जा जस्स ठिती सा समया १. समयऊरपाइं (क)। २. खुड्डाग (क) प्रायः सर्वत्र । Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७८ भगवई हिया कायव्वा ! वाउक्काइयाणं सव्वबंधंतरं जहणेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उनकोसेणं तिणि वाससहस्साई समयाहियाई। देसबंधंतरं जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुत्तं ।। ३८२. पंचिदियतिरिक्खजोणियोरालियपुच्छा। सब्बवंधतरं जहण्णणं खुड्डागं भवग्गणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं पुन्वकोडी समयाहिया । देसबंधतरं जहा एगिदियाणं तहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, एवं मणुस्साण वि निरवसेसं भाणियब्वं जाव उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ३८३. जीवस्स णं भंते ! एगिदियत्ते, नोएगिदियत्ते, पुणरवि एगिदियत्ते एगिदिय ओरालियसरीरप्पयोगबंधतरं कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्ववंधंतरं जहण्णेणं दो खुड्डाई भवग्गहणाई तिसमयूणाई, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमभहियाइं । देस बंधतरं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गणं समयाहियं, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवास महियाई॥ ३८४. जीवस्स णं भंते ! पुढविक्काइयत्ते, नोपुढविक्काइयत्ते, पुणरवि पुढविक्काइयत्ते पुढविक्काइयएगिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधतरं कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहण्णणं दो खुड्डाई भवम्गहणाई तिसमयूणाई', उक्कोसेणं आणतं कालं--अणंताग्रो ओस प्पिणीओ उस्सप्पिणीनो कालो, खेत्तओ अणता लोगा-- असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, ते णं पोग्गलपरियट्टा आवलियाए असंखेज्जइभागो । देसबंधंतरं जहण्णणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं, उक्कोसेणं अणतं कालं जाव आवलियाए असंखेज्जइभागो। जहा पुढविक्काइयाणं एवं वणस्सइकाइयवज्जाणं जाव मणुस्साणं । वणस्सइकाइयाणं दोण्णि खुड्डाई एवं चेव, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं-- असंखेज्जारो अोसप्पिणीओ उस्सप्पिणीओ कालो, खेत्तयो असंखेज्जा लोगा, एवं देसबंधंतरं पि उक्कोसेणं पुढविकालो।। ३८५. एएसि णं भंते ! जीवाणं अोरालियसरीरस्स देसबंधगाणं, सव्वबंधगाणं, प्रबंध गाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला बा ? विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा ओरालियसरीरस्स सव्वबंधगा, प्रबंधगा विसेसाहिया, देसबंधगा असंखेज्जगुणा ।। १. एवं चेव (अ, क, ता, ब, म); तिसमयूणाई एवं चेव (स); अत्र द्वयोमिश्रणं जातम् । 'एवं चेव' त्ति करणात् 'तिसमयूणाई' ति २. तरुकालो वण (ता) । ३. सं० पा०-- कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठ मं सतं (नवमो उद्देसो) वेउब्वियसरीरप्पयोग पछुच्च३८६. वेउनियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--एगिदियवेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे य पंचें दियवेउब्दियसरीरप्पयोगबंधे य ।। ३८७. जइ एगिदियवे उब्धियसरीरप्पयोगबंधे कि वाउबकाइयएगिदियसरीरप्पयोग बंधे ? अवाउक्काइयएगिदियसरीरप्पयोगबंधे ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा प्रोगाहणसंठाणे वेउब्वियसरीरभेदो तहा भाणियव्वो जाव पज्जत्तासम्वसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीयवेमाणियदेवपंचिदियवे उब्वियसरीरप्पयोग बंधे य, अपज्जत्तासवट्ठसिद्ध 'अणुत्तरोववाइयकप्पातीयवेमा णियदेवपंचिदियवेरवियसरीरप्पयोगबंधे य ।। ३८८. उब्वियसरीरप्पयोगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मरस उदएणं? गोयमा ! बीरिय-सजोग-सब्वयाए 'पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च° पाउयं च द्धि वा" पडुच्च वेउध्वियसरीरप्पयोगनामाए करमरस उदएणं वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे।। ३८९. वाउक्काइयएगिदियवेउब्वियसरीरप्पयोगपुच्छा। गोयमा ! वीरिय-सजोग-सव्वयाए एवं चेव जाव लद्धि पडुच्च वाउक्काइय एगिदिय वेउव्वियं "सरीरप्पयोग° बंधे।। ३६०. रयणप्पभापुढविनेरइयपंचिदियवेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे गं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा ! बीरिय-सजोग-सव्वयाए जाव पाउयं वा पडुच्च रयणप्पभापूढवि ने रइयपंचिदियवे उध्वियसरीरप्पयोग बंधे, एवं जाव अहेसत्तमाए । तिरिक्खजोणियपंचिदियवेउब्वियसरीरपुच्छा। गोयमा ! वीरिय-सजोग-सव्वयाए जहा वाउक्काइयाणं । मणुस्सपंचिदियवे उब्वियसरीरप्पयोगबंधे एवं चेव । असुरकुमारभवणवासिदेवपंचिदियवेउव्वियसरीरप्पयोगबंधे जहा रयणप्पभापुढविने रइयाणं ! एवं जाव थणियकुमारा । एवं वाणमंतरा । एवं जोइसिया ! एवं सोहम्मकप्पोवया वेमाणिया। एवं जाव अच्चुयगेवेज्जकप्पातीया वेमाणिया । अणुत्तरोववाइयकप्पातीया वेमाणिया एवं चेव । १. प०२१ । २. सं० पा०-- सिद्ध जाव पयोगबंधे। ३. सं० पा०-सद्दव्वयाए जाव आउयं । ४. वा लद्धिं (अ); वा लद्धिं वा (क, ता, ब, म, स)। ५. सं० पा०--- वेउव्विय जाव बंधे। ६. सं० पा०- पुढवि जाव बंधे। ७. ०कापोवा (ता)। Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८० भगवई ३६२. वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि। वाउक्काइयएगिदियवे उब्वियसरीरप्पयोगबंधे वि एवं चेव । रयणप्पभापुढवि नेरइया एवं चेव । एवं जाव अणुत्तरोववाइया ।। ३६३. वेउब्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते । कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा! सव्वबंधे जहणणं एक्कं समयं, उवकोसेणं दो समया । देसबंधे जहण्णणं एक्कं समयं, उनकोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं समयूणाई ।। ३९४. वाउक्काइयएगिदियवे उवियपुच्छा । गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ३६५. रयणप्पभापुढविनेरइयपुच्छा ! गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णणं दसवाससहस्साई तिसमयूणाई, उवकोसेणं सागरोवमं समयूणं ! एवं जाव अहे सत्तमा, नवरं--- देसबंधे जस्स जा जहणिया ठिती सा तिसमयूणा कायन्वा जाव उक्कोसिया सा समयूणा । पंचिदियतिरिक्ख जोणियाणं मगुस्साण य जहा वाउक्काइयाण, असुरकुमार-नागकुमार जाव अणुत्तरोववाइयाणं जहा ने रझ्याणं, नवरं- जस्स जा ठितो सा भाणियवा जाव अणुत्तरोववाइयाणं सत्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं तिसमयूणाई', उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोबमाइं समयूणाई॥ ३६६. वे उब्वियसरीरप्पयोगबंधंतरं णं भंते ! कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा! सब्वबंधंतरं जहण्णणं एक्कं समयं, उवकोसेणं प्रणतं काल-अणंतामो 'अोसप्पिणीयो उस्सप्पिणीयो कालो, खेत्तमो अणंता लोगा- असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, ते णं पोरगलपरियट्टा' प्रावलियाए असंखेज्जइभायो । एवं देसबंधंतरं पि॥ ३६७. वाउक्काइयवेउव्वियसरीरपुच्छा। गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पलिअोवमस्स असंखेज्जइभागं । एवं देसबंधंतरं पि॥ ३६८. तिरिक्खजोणियपंचिदियवेउब्वियसरीरप्पयोगबंधंतरं-पुच्छा। गोयमा ! सव्वबंधतरं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडीपुहत्तं । एवं देसबंधंतरं पि । एवं मणूसस्स वि' ।। १. तिसमऊरपाइं (क, ता, ब)। २. सं० पा.---अयंताओ जाव आवलियाए। ३. मणुयस्स (क, म); मगुस्सा (ता, ब) । Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०१. अट्टम सत (नवमो उद्देसो) ३६६. जीवस्स णं भंते ! वाउक्काइयत्ते, नोवाउकाइयत्ते, पुणरवि वाउकाइयत्ते वाउक्काइयएगिदियवे उव्वियपुच्छा । गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणतं कालं-वणस्सइ कालो । एवं देसबंधंतरं पि ।। ४००. जीवस्स णं भंते ! रयणप्पभापुढविने रइयत्ते, नोरयणप्पभापुढविनेरइयत्ते, पुणरवि रयणप्पभापुढविनेरइयत्ते - पुच्छा। गोयमा ! सव्वबंधतरं जहणणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं वणस्सइकालो। देसबंधंतरं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-वणस्सइकालो। एवं जाव अहेसत्तमाए, नवरं-जा जस्स ठिती जहणिया सा सव्वबंधंतरं जहण्णणं अंतोमुहु तमब्भहिया कायव्वा, सेसं तं चेव । पंचिदियतिरिक्खजोणिय-मणुस्साण य जहा वाउक्काइयाणं । असुरकुमार-नागकुमार जाव सहस्सारदेवाणं-एएसिं जहा रयणप्पभापुढविनेरइयाण, नवरं-सव्वबंधंतरं जस्स जा ठिती जहष्णिया सा अंतोमुत्तमब्भहिया कायव्वा, सेसं तं चेव ।। जीवस्स णं भंते ! प्राणयदेवत्ते', नोग्राणयदेवत्ते, पुणरवि प्राणयदेवत्ते पुच्छा। गोयमा ! सन्वबंधतरं जहाणेणं अट्ठारस सागरोवमाइं वासपुहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं अणतं कालं - वणस्सइकालो । देसबंधंतरं जहणणं वासपुहत्तं, उक्कोसेणं अणतं कालं-वणस्सइकालो । एवं जाव अच्चुए, नवरं-जस्स जा ठिती सा सव्वबंधंतरं जहणेणं वासपुहत्तमभहिया कायन्वा, सेसं तं चेव ।। ४०२. गेवेज्जाकप्पातीतापुच्छा। गोयमा ! सव्वबंधतरं जहह्मणेण बावीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उकोसेणं अणंतं काल-वणस्सइकालो। देसबंधंतरं जहण्णेणं वासपुहत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो ।। ४०३. जीवस्स णं भंते ! अणुत्तरोववाइयपुच्छा । गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणेणं एक्कतीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं संखेज्जाइं सागरोवमाई । देसबंधंतरं जहण्णेणं वासपुहत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं सागरोवमाइं! ४०४. एएसि णं भंते ! जीवाणं वेउब्वियसरीरस्स देसबंधगाणं, सव्वबंधगाणं, प्रबंधगाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा वेउव्वियसरीरस्स सव्वबंधगा, देसबंधगा असंखेज्जगुणा, अबंधगा अणंतगुणा । १. आरगया ° (अ)। २. सं० पा.-कयरेहितो जाव विसेसाहिया । Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८२ श्राहारगसरोरप्पयोगं पडुच्च - ४०५. आहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा ! एगगारे पण्णत्ते ॥ ४०६. जइ एगागारे पण्णत्ते किं मणुस्साहारगसरीखपयोगबंधे ? श्रमगुस्साहारग सरीरप्पयोगबंधे ? गोयमा ! मणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे, नो अमणुस्साहारगसरीप्पयोगबंधे । एवं एएणं प्रभिलावेगं जहा प्रोगाहणसंठाणे जाव' इड्डित्तपमत्तसंजयसम्म - दिपिज्जत्तसंखेज्जवासा उयक मभूमागब्भवक्कंतियमणुस्साहा रगस रीरप्पयोग-बंधे, नो प्रणिपित्तपमत्त संजयसम्मदिद्विपज्जत्तसंखेज्जवासाउयकम्मभूमाभवतियमणुस्सा' हारगसरी रप्पयोगबंधे ॥ ४०७ श्राहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदरणं ? ४०८. ग्राहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसवंधे ? सव्वबंधे ? गोमा ! सबंधे वि, सव्वबंधे 11 गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए' 'पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च प्राउयं च लद्धि वा पडुच्च श्राहारगसरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदरणं आहारगसरीरप्पयोग बंधे || ४०१. आहारगसरी रख्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं देसबंधे जहणणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि तो मुहुत्तं ॥ ४१०. आहारगसरी रपयोग बंधंतरं णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ? भगवई गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं प्रणतं कालं श्रणंताओ श्रसप्पिणी उस्सप्पिणी ओ कालग्रो, खेत्तस्रो श्रणंता लोगा अवड्ढपोग्गलपरियट्टं देणं । एवं देसबंधंतरं पि ॥ ४११. एएसि णं भंते ! जीवाणं श्राहारगसरीरस्स देसबंधगाणं, सव्वबंधगाणं, अबंधगाय कयरे कयरेहितो' आप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा श्राहारगसरीरस्स सव्वबंधगा, देसबंधगा संखेज्जगुणा, अबंधगा अनंतगुणा || १. १० २१ । २. सं० पा०-०पमत्त जाव आहारग । ० ३. सं० पा० - सद्दव्वयाए जाव लगि । ४. पडुच्चा (ता, ब ) । ५. ० बंधंतरे ( अ, क, स ) 1 ६. सं० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया । Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (नवमो उद्देसी) तेया सरीरपयोगं पडुच्च ४१२ तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? ४१३. एगिंदियतेयासरी रप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - एगिदियतेयासरी रख्पयोगबंधे, बेइंदियतेयासरीरप्पयोगबंधे जाव पंचिदियतेयासरीरप्पयोगबंधे ॥ ४१४. तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? एवं एएणं अभिलावेण भेदो जहा प्रोगाहणसंठाणे जाव' पज्जत्तासव्वट्टसिद्धश्रणुतरोववाइयकप्पातीत वेमाणियदेवपंचिदियते यासरीरप्पयोगबंधे य, अपज्जत्तासव्वट्टसिद्ध ग्रणुत्तरोववाइय कप्पातीत वेमाणियदेव पंचिदियतेयासरीरप्पयोग ०बंधे य ॥ ४१५. तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? गोमा ! देसबंधे, नो सव्वबंधे || गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्व्वयाए' पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च ० आउयं वा पडुच्च तेयासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं तेयासरीरम्पयोगबंधे ॥ ४१६. तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ? ४१७. तेयासरीरप्पयोगबंधंतरं णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ? ३८३ गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -प्रणादीए वा अपज्जबसिए, अणादीए वा सज्जवसिए || गोयमा ! प्रणादीयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतर, प्रणादीयस्स सपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं ॥ ४१८. एएसि णं भंते ! जीवाणं तेयासरीरस्स देसबंधगाणं, प्रबंधगाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोमा ! सव्वत्थोवा जीवा तेयासरीरस्स अबंधगा, देसबंधगा अनंतगुणा || कम्मासरोरप्पयोगं पडुच्च ४१६. कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? १. प० २१ । २. सं० पा० ० वाइय जाव बंधे। ३. सं० पा० - सद्दव्वयाए जाव आउयं । गोयमा ! अविहे पण्णत्ते, तं जहा -नाणावर णिज्जकम्मासरोरप्पयोगबंधे जाव अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे || ४. च (ता, ब, म ) । ५. अजादिए (ता) । ६. सं० पा० - करेहिंतो जाव विसेसाहिया । Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५४ भगवई ४२०. नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा ! नाणपडिणीययाए, नाणणिण्हवणयाए, नाणंतराएणं, नाणप्पदोसेणं, नाणच्चासातणयाए', नाणविसंवादणाजोगेणं नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे ।। दरिसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदाणं? गोयमा ! दंसणपडिणीययाए, 'दंसणिण्हवणयाए, दसणंतराएणं, दंसणप्पदोसेण, दसणच्चासातणयाए, दंसणविसंवादणाजोगेणं दसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं दरिसणावरणिज्जकम्मासरीर०पयोग बंधे ॥ ४२२. सायावेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? गोयमा ! पाणाणुकंपयाए, भूयाणुकंपयाए, • जीवाणुकंपयाए, सत्ताणुकंपयाए, बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए° अपरियावणयाए सायावेयणिज्जकम्मासरीरप्प योगनामाए कम्मस्स उदएणं सायावेयणिज्जकम्मा सरोरप्पयोग बंधे ।। ४२३. असायावेयणिज्ज कम्मासरीरप्पयोगबंधे ण भंते ! कस्स कम्मरस उदएणं? गोयमा ! परदुक्खणयाए, परसोयणयाए, "परजूरणयाए, परतिप्पणयाए, पपिद्रणयाए,परपारयावणयाए, वहण पाणाण भयाण जीवाण सत्ताण दुक्खणयाए सोयणयाए जरणयाए तिप्पणयाए पिटणयाए० परियावणयाए असायावेयणिज्जकम्मा' सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं असायावेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे। मोहणिज्जकम्मासरीर' उपयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदाणं ? गोयमा ! तिव्वकोयाए, तिव्वमाणयाए, तिव्वमाययाए तिब्वलोभयाए, तिव्वदंसण मोहणिज्जयाए, तिव्वचरित्तमोहणिज्जयाए मोहणिज्जकम्मासरीर". प्पयोगनामाए कम्मस उदएणं मोहणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंध ।। १. सादरणाए (अ); सादणताए (क, बे, म); ६. सं० पा०--कम्मा जाव बंधे । सातणाताए (ता)1 ७. सं० पा०-पुच्छा। २. नाणावररिणजं° (अ, स)। ८. सं० प०-जहा सत्तमसए दुस्समाउद्देसए ३. सं० पा०-एवं जहा नागवरणिज्जं, नवरं- जाव परिया। दसणनामं घेतब्वं जाव दंसण° । ६. सं० पा...- कम्सा जाव पयोग । ४. सं० पा०--उदएणं जाव पयोग ! १०. सं० पा०-पुच्छा। ५. सं० पा.--एवं जहा सत्तमसए दुस्सम उद्देसए ११. सं० पा०-. सरीर जाव पयोग ° । जाव अपरिया। Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमं सतं (नवमो उद्देसो) ३८५ ४२५. नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगबंध णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? ० गोयमा ! महारंभयाए, महापरिग्गयाए, 'पंचिदियवहेणं, कुणिमाहारेण नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं नेरइयाउयकम्मासरीर प्पयोगबंधे ।। ४२६. तिरिक्खजोणियाउयकम्मासरोर पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदए ? गोयमा ! माइल्लयाए, नियडिल्ल्याए, अलियवयणेणं, कूडतुल-कूडमाणेणं तिरिक्खजोणियाउयकम्मा सरोरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं तिरिक्खजो णियाउयकम्मासरीर०पयोगबंधे ॥ ४२७. मणुस्साउयकरमासरीरप्पयोगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? . गोयमा ! गइभद्दयाए, पगइविणीययाए, साणुक्कोसयाए", अमच्छरियाए मणुस्साउयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं मणुस्साउयकम्मासरीर ०प्पयोगबंधे ॥ ४२८. देवाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? . गोयमा ! सरागसंजमेणं, संजमासंजमेणं, बालतवोकम्मेणं", अकामनिज्जराए देवाउयकम्मा सरोरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं देवाउयकम्मासरीर प्पयोगबंधे।। ४२६. सुभनामकामासरीर पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? ० गोयमा ! काउन्जुययाए", 'भावुज्जुययाए, भासुज्जुययाए', अविसंवादणाजोगेणं सुभनामकम्मा" सरीरप्पयोगनामाए कम्मरस उदएणं सुभनामकम्मासरीर प्पयोगवंधे ॥ ४३०. असुभनामकम्मासरीरपयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! कायअणुज्जुययाए, भावअणुज्जुययाए, 'भासप्रणुज्जुययाए विसंवाद १. सं० पा०-पुच्छा। ६. सं० पा०-पुच्छा। २. कूणिमाहारेरणं, पंचिदियवहेण (क, ब, म)। १०. बालतवेणं ()। ३. सं० पा०--पुच्छा। ११. सं० पा०-कम्मा जाव पयोग । ४. ० तोल (अ); तुल्ल (स)। १२. सं० पा०—पुच्छा। ५. सं० पा०-० कम्मा जाब पयोग ° । १३. कायजययाए (अ); कायउज्जययाए (स)। ६. सं० पा०-पुच्छा। १४. भासुज्जययाए भावुज्जययाए (ता)। ७. साणुकोसिवाए (अ); साणुक्कोसरणयाए(क) १५. सं० पा०-- ० कम्मा जाव पयोग ° । ८. सं० पा० -पुच्छा। १६. सं० पा०--पुच्छा । Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८६ भगवई णाजोगेणं" असुभनामकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं असुभनाम कम्मासरीर प्पयोगबंधे ॥ ४३१. उच्चागोयकम्मासरीर पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? ० गोयमा ! जातिअमदेणं, कुलअमदेणं, बलअमदेणं, रूवअमदेणं, तवअमदेणं, 'सुयग्रमदेणं, लाभग्रमदेणं', इस्सरियअमदेणं' उच्चागोयकम्मा सरीरप्पयोग नामाए कम्मस्स उदएणं उच्चागोयकम्मासरीरप्पयोगबंधे ।। ४३२. नीयागोयकम्मासरीरप्पयोगवंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? . गोयमा ! जातिमदेणं, कुलमदेणं, बलमदेणं', 'रूवमदेणं, तबमदेणं. सुयमदेणं, लाभमदेणं, इस्सरियमदेणं नीयागोयकम्मा' सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं नीयागोयकम्मासरीरप्पयोगबंधे। ४३३. अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? . गोयमा ! दाणंतराएणं, लाभंतराएणं, भोगंतराएणं, उवभोगतराएणं, वीरियंतराएणं, अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे।। पयोगबंधस्स देसबंध-सव्वबंध-पदं ४३४. नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे ? सब्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधे, नो सब्दबंधे । एवं जाव अंतराइयं ।। ४३५. नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा सपज्जवसिए । एवं जाव अंतराइयस्स ।। ४३४ नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधतरंणं भंते कालो केवच्चिरं होड? गोयमा ! प्रणादीयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, अणादीयस्स सपज्ज वसियस्स नत्थि अंतरं° । एवं जाव अंतराइयस्स ।। ४३७. एएसि णं भंते ! जीवाणं नाणावरणिज्जस्स कम्मरस देसबंधगाणं, अबंधगाण १. वायअणुज्जययाए भावअणुज्जयाए (ता)। २. सं० पा०-कम्मा जाव पयोग । ३. सं० पा०-पुच्छा। ४. लाभअमदेणं, सुय अमदेणं (अ)। ५. दिस्सरिय° (म)। ६. सं० पा.-.-० कम्मा जाव पयोग। ७. सं० पा०-पुच्छा। ८. सं० पा०-बलमदेरण जाव इस्सरिय० । ६. तिस्सरिय° (म। १०. सं० पा०-० कम्मा जाव पयोग । ११. सं० पा०-पुच्छा। १२. सं० पा०–एवं जहा तेयगस्स संचिणा तहेव। १३. सं० पा० -एवं जहा तेयगसरीरस्स अंतर तहेव। Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असतं (नवमी उद्देसो) ३८७ य करे करेहितो प्रप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोमा ! सव्वत्योवा जीवा नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स अबंधगा देसबंधगा, अनंतगुणा । एवं प्राउयवज्जं जाव अंतराइयस्स || ० ४३८. उयस्स पुच्छा । गोमा ! सव्वत्थोवा जीवा प्राउयस्स कम्मस्स देसबंधगा, प्रबंधगा संखेज्जगुणा || ४३६. जस्स णं भते ! ओरालियसरीरस्स सव्वबंधे, से णं भंते! वेउव्वियसरीरस्स कि बंधए ? प्रबंध ? गोमा ! नो बंधए, अबंधए ॥ श्राहारगसरीरस्स' किं बंधए ? प्रबंधए ? गोयमा ! नो बंधए, प्रबंधए ॥ तेयासरीरस्स किं वंधए ? प्रबंधए ? गोयमा ! बंधए, नो प्रबंधए । as बंधए कि देसबंधए ? सव्वबंधए ? गोयमा ! देसबंधए, नो सव्वबंधए । कम्मासरीरस्स किं बंधए ? अबंधए ? गोयमा ! बंधए, नो प्रबंधए । as बंध किं देसवंधए ? सव्वबंधए ? गोयमा ! देसबंधए, नो सव्वबंध | ४४०. जस्स णं भंते ! ओरालियसरीरस्स देसबंधे, से णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स किं बंध ? प्रबंध ? गोयमा ! तो बंधए, अबंधए । एवं जहेव सव्वबंधेण भणियं तहेव देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स ॥ ४४१. जस्स णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स सव्वबंधे, से णं भंते ओरालियस रस्स कि बंधए ? अबंधए ? गोमा ! नो बंधए, प्रबंधए । आहारगसरीरस्स एवं चेव । तेयगस्स कम्मगस्स य जहेब ओरालिएणं समं भणियं तहेवं भाणियव्वं जाव देसबंधए, तो सव्वबंधए ॥ ४४२. जस्स णं भंते! वेडव्वियसरीरस्स देसबंधे, से णं भंते! ओरालियस रस्स कि बंधए ? प्रबंध ? १. सं० पा० - करयरेहितो जाव अप्पाबहुगं जहा तेयगस्स ! २. आहारासरीरस्स (ता, ब ) । ३. सं० पा० - जहेब तेयगस्स जाव देसबंधए । ४. भ० ८।४३६ । Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८८ भगवई गोयमा ! नो बंधए, अबंधए । एवं जहेव सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स ।। ४४३. जस्स णं भंते ! पाहारगसरीरस्स सव्ववंधे, से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स कि बंधए ? प्रबंधए? गोयमा ! नो बंधए, प्रबंधए। एवं वेउव्वियस्स वि । तेया-कम्माणं जहेव पोरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियव्वं ।। ४४४. जस्स णं भंते ! आहारगसरीरस्स देसबंधे, से णं भंते ! ओरालियसरी रस्स किं बंधए ? अवंधए ? गोयमा! नो बंधए, प्रबंधए । एवं जहा पाहारगस्स सव्वबंधेणं भणियं तहा देस बंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स ।। ४४५. जस्स णं भंते ! तेयासरीरस्स देसबंधे, से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं बंधए ? अबंधए ? गोयमा! बंधए वा, प्रबंधए वा। जइ बंधए कि देसबंधए? सव्वबंधए? गोयमा ! देसबंधए वा, सव्वबंधए वा ? वे उव्वियसरीस्स किं बंधए ? अबंधए? एवं चेव । एवं पाहारगस्स' वि । कम्मगसरीरस्स कि बंधए ? अवंधए ? गोयमा ! बंधए, नो अबंधए। जइ बंधए कि देसबंधए ? सव्ववंधए? गोयमा ! देसबंधए, नो सव्वबंधए । ४४६. जस्स णं भंते ! कम्सासरी रस्स देसबंधे, से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स कि बंधए ? प्रबंधए ? गोयमा ! नो बंधए, अबंधए । जहा तेयगस्स बत्तव्बया भणिया तहा कम्मगस्स वि भाणियव्वा जावतेयासरीरस्स' कि बंधए ? अवंधए? गोयमा ! बंधए, नो अबंधए । जइ बंधइ कि देसबंधए ? सव्वबंधए ? गोयमा ! • देसवंधए, नो सव्वबंधए ।। ४४७. एएसि णं भंते ! जीवाण' अोरालिय-वे उब्विय-आहारग-तेयाकम्मासरीरगाणं १. भ० ८।४३६। २. आहारगसरीरस्स (अ, स)। ३. सं० पा०--तेयासरोरस्स जाव देसबंधए। ४. सध्वजीवाणं (अ, स)। Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रमं सतं (दसमो उद्देसो) ३८६ देसबंधगाणं, सव्वबंधगाणं, अबंधगाण य कयरे कय रेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! १. सव्वत्थोवा जीवा श्राहारगसरीरस्स सव्वबंधगा २ तस्स चेव सबंधा संखेज्जगुणा ३. वेउव्वियसरी रस्स सव्वबंधगा असंखेज्जगुणा ४. तस्स चेव देसवंधगा असंखेज्जगुणा ५. तेया- कम्मगाणं' प्रबंधमा अनंतगुणा ६. प्रोरालियसरीरस्स सव्वबंधगा श्रणंतगुणा ७ तस्स चेव प्रबंधगा विसेसाहिया ८. तस्स चेव देसवंधगा प्रसंखेज्जगुणा ६. तेया - कम्मगाणं देसवंधगा विसेसाहिया १०. वेउव्वियसरीरस्स प्रबंधगा विसेसाहिया ११. आहारगसरीरस्स बंधगा विसेसाहिया || ४४८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' । दसमो उसो सु- सील-पद ४४९. रायगिहे नगरे जाव' एवं वयासी- अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खति जाव एवं परूवेति एवं खलु १ सीलं सेयं २. सुयं सेयं ३. 'सुयं सील सेयं ॥ ४५०. से कहमेयं भंते ! एवं ? - गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' जे ते एवमाहंसु, मिच्छा ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि एवं खलु मए चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - १. सीलसंपन्ने नाम एगे नो सुसंपन्ने २. सुयसंपन्ने नाम एगे नो सीलसंपन्ने ३. एगे सीलसंपन्ने वि सुयसंपन्ने वि ४. एगे तो सीलसंपन्ने नो सुयसंपन्ने । तत्थ णं जे से पढमे पुरिसजाए से गं पुरिसे सीलवं असुयवं-उबरए, प्रविणाधम्मे । एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसाराहए पण्णत्ते । १. सं० पा० - करेहिती जाव विसेसाहिया | २. ० गाणं दोन्ह वि तुल्ला ( अ, ता, स ) । ३. भ० ११५१ । ४. भ० ११४-१० 1 ५. भ० ११४२० 1 ६. सुयं सेयं सीलं सेयं (क, ता, ब, स, वृ) | ७. भ० ८१४४६ | ८. भ० १४२१ । Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६० भगवई तत्थ णं जे से दोच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं सुयवं - प्रणुवरए, विष्णाम्मे । एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते । तत्थ णं जे से तच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं सुयवं-उवरए, विष्णाय - धम् । स णं गोमा ! मए पुरिसे सव्वाराहए पण्णत्ते । तत्थ णं जे से चउत्थे पुरिसजाए से गं पुरिसे असीलवं असुयवं - अणुवरए, विणायधम्मे । एस णं गोयमा ! मए पुरिसे सव्वविराहए पण्णत्ते । श्रीराहरणा-पदं ४५१. कतिविहा णं भंते ! आराहणा पण्णत्ता ? गोमा ! तिविहा आराहणा पण्णत्ता, तं जहा - नाणाराहणा, दंसणा राहणा, चरिताराहणा || ४५२. नाणाराहणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- उक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा ॥ ४५३. दंसणा राहणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - उक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा || ४५४. चरिताराहणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ! गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा उनकोसिया, मज्झिमा, जहण्णा ॥10 ४५५. जस्स णं भंते ! उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स उक्कोसिया दंसणा राहणा ? जस्स उक्कोसिया दंसणा राहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा ? गोयमा ! 'जस्स उक्कोसिया" नाणाराहणा तस्स दंसणाराहणा उक्कोसा वा हक्कोसा वा । जस्स पुण उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स नाणाराहणा कोसा वा, जहणा वा प्रजहण्णमणुक्कोसा वा ॥ ४५६. जस्स णं भंते ! उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरिताराहणा ? जस्स उक्कोसिया चरिताराहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा ? • गोयमा ! जस्स उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स चरिताराहणा उक्कोसा वा हक्कोसा वा । जस्स पुण उक्कोसिया चरिताराहणा तस्स नाणाराहणा कोसा वा जहणा वा प्रजहण्णमणुक्कोसा वा० ॥ ४५७. जस्स णं भंते ! उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरिताराहणा ? जस्स उक्कोसिया चरिताराहणा तस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा ? १. सं० पा० एवं चेव तिविहा वि, एवं चरिताराहरणा वि। २. जस्सुक्कोसिया ( अ, ता, ब ) । ३. सं० पा०-- जहाँ उक्कोसिया नाणाराहणा यदसणाराहणा य भारिगया तहा उक्कोसिया नारणाराहणा य चरिताराहरणाय भाणियब्वा । Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो) ३६१ गोयमा ! जस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स चरित्ताराहणा उवकोसा वा, जहण्णा वा, अजहण्णमणुक्कोसा वा । जस्स पुण उक्कोसिया चरित्ताराहणा तस्स दसणाराहणा नियमा उक्कोसा ।। ४५८. उक्कोसियण्ण' भंते ! नाणाराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए तेणेव भवग्गहणेगं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति', अत्थेगतिए कप्पोवएसु वा कप्पातीएसु वा उववज्जति ।। ४५६. उक्कोसियण्णं भंते ! दंसणाराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहहिं 'सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा! अत्थेगतिए तेणेव भवन्गहणेणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, अत्थेगतिए कप्पोवएसु वा कप्पातीएसु वा उववज्जति ।। ४६०. उक्कोसियण्णं भंते ! चरित्ताराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति? गोयमा ! अत्थेगतिए तेणेव भवगहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुवखाणं अंतं करेति, प्रत्येगतिए कप्पातीएसु उववज्जति ।। ४६१. मज्झिमियण्णं भंते ! नाणाराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्यंगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमइ॥ ४६२. मज्झिमियण्णं भंते ! दसणाराहणं पाराहेत्ता "कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवरगहणेणं सिझति जाव सब्वदुक्खाणं अंतं करेति, तच्चं पूण भवगहणं नाइवकमाइ।। मज्झिमियण्णं भंते ! चरित्ताराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमइ ° ।। १. उक्कोसिया (व, स)। ५. सं० पा०-एवं चेव । २. उक्कोसिया ण (अ, क, ब, स); उक्कोसिय ६. सं० पा०-एवं चेव नवरं अत्थेगतिए । रणं (ता)। ७. सं० पा०-एवं चेव एवं मज्झिमियं चरित्ता३. भ० ११४४। राहणं पि। ४. करेति, अत्थेगतिए दोच्चे रणं भवग्गहरोणं सिज्झति जाव अंतं करेति (क, ब, म, स)। Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६२ भगवई ४६४. जहणियष्णं भंते ! नाणाराहणं प्राराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करोति ? गोयमा ! प्रत्येगतिए तच्चेणं भवग्गणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति, सत्तट्ठ भवग्गहणाई पुण नाइक्कमइ || ४६५. जहणियष्णं भंते ! दंसणाराहणं श्राराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोमा ! प्रत्येति तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति, सत्तट्ठ भवग्गहणाई पुर्ण नाइक्कमइ ॥ ४६६. जहण्णियण्णं भंते ! चरित्ताराहणं श्राराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं तं करेति ? गोयमा ! प्रत्येगतिए तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्भति जाव सव्वदुवखाणं अंत करेति, सत्तट्ठ भवग्गणाई पुणे नाइक्कमइ ॥ पोग्गल परिणाम-पदं ४६७. कतिविहे णं भंते ! पोग्गलपरिणामे पष्णते ? गोयमा ! पंचविहे पोम्गलपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा- वण्णपरिणामे, गंधपरिणामे, रसपरिणाम, फासपरिणामे, संठाणपरिणामे || ४६८. वण्णपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - कालवण्णपरिणामे जाव' सुक्किलवण्णपरिणामे । एवं एएवं ग्रभिलावेगं गंधपरिणामे दुविहे, रसपरिणामे पंचविहे, फासपरिणामे विहे || ४६६. संठाणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - परिमंडलसंठाणपरिणामे जाव प्रायतसंठाणपरिणामे || पोल एसस्स दव्वादीहिं भंग-पदं ४७०. एगे भंते ! पोग्गलत्थि कायपदेसे कि १. दव्वं ? २. दव्वदेसे ? ३. दव्बाई ? ४. दव्वदेसा ? ५. उदाहु दव्वं च दव्वदेसे य ? ६. उदाहु दव्वं च दव्वदेसा य? ७. उदाहु दव्वाई च दव्वदेसे य ? ८. उदाहु दव्वा च दव्वदेसा य ? १. सं० पा०--एवं दंसणाराहरणं पि एवं चरिताराहणं पि । २. भ० ८।३६ । ३. भ० ८।३६ । ४. एगे णं ( अ ) । Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टमं सतं (दसमो उद्देसो) गोयमा ! १. सिय दव्वं २. सिय दव्वदेसे ३. नो दवाइं ४. नो दव्वदेसा ५. नो दव्वं च दबदेसे य ६. नो दव्वं च दव्वदेसा य ७. नो दवाइं च दव्वदेसे य८. नो दवाइं च दव्वदेसा य ।। ४७१. दो भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दवं ? दव्वदेसे ?-पुच्छा। गोयमा ! सिय दिव्वं, सिय दब्वदेसे, सिय दव्वाई, सिय दव्वदेसा, सिय दव्वं च दव्वदेसे य । सेसा पडिसेहेयव्वा ।। ४७२. तिणि भंते पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्वं ? दव्वदेसे ? –पुच्छा। गोयमा ! सिय दव्वं, सिय दबदेसे, एवं सत्त भंगा भाणियव्वा जाव सिय दवाई च दव्वदेसे य, नो दव्वाइं च दव्वदेसा य॥ ४७३. चत्तारि भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्वं?—पुच्छा। गोयमा ! सिय दवं, सिय दव्वदेसे, अट्ट वि भंगा भाणियव्वा जाव सिय दव्वाइं च दव्वदेसा य । जहा चत्तारि भणिया एवं पंच, छ, सत्त जाव असंखेज्जा। ४७४. अणता भंते ! पोरगलस्थि कायपदेसा कि दव्वं ? एवं चेव जाब सिय दव्वाइं च दव्वदेसा य ।। पएस-परिमाण-पदं ४७५. केवतिया णं भंते ! लोयागासपदेसा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा लोयागासपदेसा पण्णत्ता। ४७६. एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स केवइया जीवपदेसा पण्णत्ता? गोयमा ! जावतिया लोयागासपदेसा, एगमेगस्स णं जीवस्स एवतिया जीवपदेसा पण्णत्ता॥ कम्माणं अविभागपलिच्छेद-पदं ४७७. कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पण्णत्तानो? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडोओ पण्णत्तानो, तं जहा-नाणावरणिज्ज जाव' अंतराइयं ।। ४७८. नेरइयाणं भंते ! कति कम्मपगडीयो पण्णत्ताओ? गोयमा ! अट्ट । एवं सव्वजीवाणं अट्ठ कम्मपगडीयो ठावेयव्वानो जाव वेमाणियाणं ।। ३. भ० ६।३३ । १. पुच्छा तहेव (अ, क, ता, ब, म, स)। २. य नो दव्वं च दव्वदेसा य (अ, क, ता, व, म, स)। Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४७६. नाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतिया अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणता अविभागपोलच्छेदा पण्णत्ता ।। ४८०. नेरइयाणं भंते ! नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवतिया अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता? गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ।। ४८१. एवं सवंजीवाणं जाव वेमाणियाण-पूच्छा। गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता। एवं जहा नाणावरणिज्जस्स अविभागपलिच्छेदा भणिया तहा अट्टण्ह वि' कम्मपगडीणं भाणियव्वा जाव वेमाणियाणं अंतराइयस्स ।। ४८२. एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स एगमेगे जीवपदेसे नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केव तिएहिं अविभागपलिच्छेदेहि आवेढिय-परिवेढिए ? गोयमा ! सिय प्रावेढिय-परिवेढिए, सिय नो आवेढिय-परिवेढिए । जइ आवे ढिय-परिवेढिए नियमा अणंतेहिं ।। ४८३. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स एगमेगे जीवपदेसे नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवतिएहि अविभागपलिच्छेदेहि प्रावेढिय-परिवेढिए ? गोयमा ! नियम अणतेहिं । जहा नेरइयस्स एवं जाव वेमाणियस्स, नवरं--- मणूसस्स जहा जीवस्स ।। कम्माणं परोप्परं नियमा-भयणा-पदं ४८४. एगमेगस्स णं भंते ! जोवस्स एगमेगे जीवपदेसे दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवतिएहि अविभागपलिच्छेदेहि आवेढिय-परिवेढिए ? गोयमा ! नियम अणंतेहिं । जहा जीवस्स एवं जाव वेमाणियस्स, नवरंमणूसस्स जहा जीवस्स । एवं जहेव नाणावरणिज्जस्स तहेव दंडगो भाणियव्वो जाव वेमाणियस्स । एवं जाव अंतराइयस्स भाणियव्वं, नवरं—वेयणिज्जस्स, आउयस्स, नामस्स, गोयस्स-एएसि चउण्ह वि कम्माणं मणूसस्स जहा नेरइय स्स तहा भाणियव्वं । सेसं तं चेव ।। ४८५. जस्सणं भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स दरिसणावरणिज्ज ? जस्स दंसणावरणि ज्जं तस्स नाणावरणिज्जं? गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिज्जं तरस दसणावरणिज्ज नियमं अस्थि, जस्स णं दरिसणावरणिज्जं तस्स वि नाणावरणिज्जं नियमं अस्थि ।। ४८६. जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स वेयणिज्जं? जस्स वेयणिज्जं तस्स नाणा वरणिज्जं? १. अंतरातियस्स (अ, स); अंतरादियस्स (ता) २. केवइहि (ता)। Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो) ३६५ गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्ज तस्स वेयणिज्जं नियम अस्थि जरस पुण वेयणि ज्जं तस्स नाणावरणिज्ज सिय अस्थि, सिय नत्थि ।। ४८७. जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स मोहणिज्ज? जस्स मोहणिज्जं तस्स नाणावरणिज्जं? गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्जं तस्स मोहणिज्जं सिय अस्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण मोहणिज्ज तस्स नाणावरणिज्ज नियमं अस्थि ।। ४८८. जस्स ण भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स पाउयं ? ' जस्स पाउयं तस्स नाणावर णिज्जं? गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्जं तस्स आउयं नियमं अत्थि, जस्स पुण पाउयं तस्स नाणावरणिज्ज सिय अत्थि, सिय नत्थि । एवं नामेण वि, एवं गोएण वि सम, अंतराइएण जहा दरिसणावरणिज्जेण समं तहेव नियमं परोप्पर भाणियव्वाणि ॥ ४८६. जस्स णं भंते ! दरिसणावरणिज्जं तस्स वेयणिज्ज? जस्स वेयणिज्ज तस्स दरिसणावरणिज्ज? जहा नाणावरणिज्ज उरिमेहिं सत्तहि कम्मेहिं समं भणियं तहा दरिसणावरणिज्ज पि उवरिमेहि छहि कम्मेहि समं भाणियव्वं जाव अंतराइएणं ॥ वेयणिज्जं तस्स मोहणिज्ज? जस्स मोहणिज्जं तस्स वेयणिज्जं? गोयमा ! जस्स वेयणिज्जं तस्स मोहणिज्ज सिय अस्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण मोहणिज्जं तस्स वेयणिज्जं नियम अस्थि ।।। ४११. जस्स णं भंते ! वेयणिज्जं तस्स आउयं ? जस्स पाउयं तस्स वेयणिज्जं? एवं एयाणि परोप्परं नियमं । जहा पाउएण समं एवं नामेण वि गोएण वि समं भाणियव्वं ॥ ४६२. जस्स णं भंते ! वेयणिज्जं तस्स अंतराइयं ? जस्स अंतराइयं तस्स वेणिज्जं? गोयमा ! जस्स वेयणिज्जं तस्स अंतराइयं सिय अत्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण अंतराइयं तस्स वेयणिज्जं नियम अस्थि ॥ ४६३. जस्स णं भंते ! मोहणिज्ज तस्स पाउयं ? जस्स आउयं तस्स मोहणिज्ज ? गोयमा ! जस्स मोहणिज्ज तस्स आउयं नियम अस्थि, जस्स पुण आउयं तस्स मोहणिज्जं सिय अत्थि, सिय नस्थि । एवं नामं गोयं अंतराइयं च भाणियव्वं ।। १. नितमं (ब)। २. सं० पा०—एवं जहा वेयरिणज्जेण समं भरिणयं तहा आउएण वि समं भाणियवं। ३. सं० पा०--पुच्छा। ४. तस्स पुरण (अ, क, ता, ब, म, स)। Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६६ भगवई ४६४. जस्स णं भंते ! ग्राउयं तस्स नामं? "जस्म नामं तस्स आउयं ? ० गोयमा ! दो वि परोप्परं नियम । एवं गोत्तेण वि सम भाणियव्वं ।। ४६५. जस्स गं भंते ! आउयं तस्स अंतराइयं ? "जस्स अंतराइयं तस्स आउयं ? ' गोयमा ! जस्स आउयं तस्स अंतराइयं सिय अत्थि, सिय नस्थि; जस्स पुण अंतराइयं तस्स ग्राउयं नियम अस्थि ।। ४६६. जस्स णं भंते ! नामं तस्स गोयं जस्स गोयं तस्स नाम ? गोयमा ! दो वि एए परोप्परं नियमा अस्थि ।। ४६७. जस्स णं भंते ! नामं तस्स अंतराइय ? •जस्स अंतराइयं तस्स नाम ? ० गोयमा जस्स नामं तस्स अंतराइयं सिय अत्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण अंतराइयं तस्स नामं नियम अस्थि ॥ ४६८. जस्स ण भंते ! गोयं तस्स अंतराइयं ? ' जस्स अंतराइयं तस्स गोयं ? ० गोयमा ! जस्स गोयं तस्स अंतराइयं सिय अस्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण अंतराइयं तस्स गोयं नियम अत्थि ॥ पोग्गलि-पोग्गल-पदं ४६६. जीवे णं भंते ! कि पोग्गली ? पोग्गले ? गोयमा ! जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ॥ ५००. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ? गोयमा ! से जहानामए छत्तेणं छत्ती, दंडेणं दंडी, घडेणं घडी, पडेणं पडी, करेणं करी, एवामेव गोयमा ! जीवे वि सोइंदिय-चक्खिदिय-घाणिदियजिभिदिय-फासिदियाइं पडुच्च पोग्गली, जीवं पडुच्च पोग्गले । से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ।। ५०१. नेरइए णं भंते ! कि पोग्गली ! पोग्गले ? एवं चेव। एवं जाव वेमाणिए, नवरं- जस्स जइ इंदियाइं तस्स तइ भाणियब्वाइं ।। ५०२. सिद्धे णं भंते ! किं पोग्गली ? पोग्गले ? गोयमा ! नो पोग्गली, पोग्गले ॥ १. सं० पा०—पुच्छा। २. सं० पा०-पुच्छा । ३. सं० पा०-पुच्छा। ४. सं० पा०--पुच्छा । ५. सं. पा.--पुच्छा । Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६७ अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो) ५०३. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चई-सिद्धे नो पोग्गली , पोग्गले ? गोयमा ! जीवं पडुच्च । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सिद्धे नो पोग्गली, पोग्गले ।। ५०४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। १. सं० पा०-वुच्चइ जाव पोरगले। २. भ०११५१। Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं पढमो उद्देसो १. जंबुद्दीवे २. जोइस, ३०. अंतरदीवा ३१. असोच्च ३२. गंगेय । ३३. कुंडग्गामे ३४. पुरिसे, णवमम्मि सतम्मि चोत्तीसा ॥१॥ जंबुद्दीव-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला नाम नगरी होत्था-वण्णो । माणिभद्दे चेतिए –वण्णाओ। सामी समोसढे, परिसा निग्गता जाव भगवं गोयमे पज्जुवासमाणे एवं वदासी—कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ! किंसंठिए णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ? ‘एवं जंबुद्दीवपण्णत्ती भाणियव्वा जाव एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे चोइस सलिला-सयसहस्सा छप्पन्नं च सहस्सा भवंतीति मक्खाया ॥ २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ १. ओ० सू०१। २. माणभद्दे (ता, म)। ३. ओ० सू०-२-१३ । ४. भ० ११८-१०। ५. जं० १-६। ६. वाचनान्तरे पुनरिदं दृश्यते---जहा जंबुद्दीव- पण्णत्तीए तहा नेयत्वं जोइसविहूणं जाव-- खंडा जोयण वासा, पव्वय कूडारण तित्थ सेढीओ। विजय इह सलिलामो, य पिंडए होति संगहणी।। (वृ)। ७. भ० ११५१ । Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बीओ उद्देसो) बीभो उद्देसो मोsस-पदं ३. रायगिहे जाव' एवं वयासी - जंबुद्दीचे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिसु वा ? भासेति वा ? पभासिस्संति वा ? एवं जहा जीवाभिगमे जाव' एगं च सयसहस्सं, तेत्तीस खलु भवे सहस्साइं । नवय सया पन्नासा, तारागणकोडिकोडीणं ॥ १ ॥ सोभिसु, सोभिति, सोभिस्संति ॥ ४. लवणे णं भंते! समुद्दे केवतिया चंदा पभासिसु वा ? पभासेति वा ? भासिस्संति वा ? एवं जहा जीवाभिगमे जाव' ताराओ । धायइसंडे, कालोदे, पुक्खरवरे, अन्तक्खरद्धे', मणुस्सखेत्ते --एएसु सव्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव'एससी परिवारो, तारागणकोडिकोडीणं ॥ ५. पुक्खरोदे णं भंते! समुद्दे केवतिया चंदा पभासिसु वा ? पभासेति बा ? पभासिस्संति वा ? ३६६ एवं सव्वेसु दीव-समुद्देसु जोतिसियाणं भाणियव्वं जाव' सयंभूरमणे जाव सोभिसुवा, सोभिति वा, सोभिस्संति वा ॥ ६. सेवं भंते ! सेवं भंते! ति" | १. भ०११४- १० ॥ २. जी० ३ । ३. ० कोडाकोडी (ता, व, म) । ४. सोभं सोभितु (बम) | ५. जी० ३ । ६. अब्भिंतर° ( स ) | ७. जी० ३ । ८. जोतिसं (क, ता, व, म) । ६. जी० ३ । १०. भ० १५१ । Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०० भगवई ३-३० उद्देसा अंतरदीव-पदं ७. रायगिहे जाव' एवं वयासी---कहि णं भंते । दाहिणिल्लाणं एगुरुयमणुस्साणं एगूरुयदीवे नामं दीवे पणते ? गोयमा! जंवूद्दीचे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं 'चुल्ल हिमवंतस्स वासहरपन्क्यस्स पुरथिमिल्लानो चरिमंतानो लवणसमुदं उत्तरपुरथिमे णं तिषिण जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिल्लाणं एगूरुयमणुस्साणं एगुरुयदी वे नाम दीवे पणत्ते---तिणि जोयणसयाई प्रायाम-विक्खंभेणं, नव एगणवन्ने जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्वेवेणं । से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सवनो समंता संगरिक्खित्ते ! दोण्ह वि पमाणं वष्णो य । एवं एएणं कमेणं' 'एवं जहा जीवाभिगमे जाव सुद्धदंतदीवे जाव देवलोगपरिग्गहा णं ते मणुया पण्णत्ता समणाउसो !'५ एवं अट्ठावीसंपि अंतरदीवा सएण-सएणं पायाम-विक्खंभेणं भाणियव्या, नवरं --दीवे-दीवे उद्देसनो, एवं सब्वे वि अट्ठावीसं उद्देसगा।। ८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। एगतीसइमो उद्देसो असोच्चा उवलद्धि-पदं ६. रायगिहे जाव' एवं वयासी --असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा, केवलिसादगस्स वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउदासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा, तप्पक्खियरस वा, तप्पक्खियसावगस्स वा, तप्पक्खियसावियाए वा, तप्पक्खियउवासगस्स वा, तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए ? १. भ० ११४-१०। २. एगरूय° (अ); एगुरुय° (व, म); एगो रुय° (स)। ३. ४(क ता)। ४. जी०३। ५. वाचनान्तरे विदं दृश्यते एवं जहा जीवा- भिगमे उत्तरकुरुवत्तब्बयाए नेयन्बो नारगत्तं अट्ठधणुसया उस्सेहो चाउसटिपिटुकरंडया अणुसज्जरणा नत्यि (वृ)। ६. भ० ११५१ । ७. भ०१४-१०। ८. लभेज्जा (अ, म, स)। Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवम सतं (एगतीसइमो उद्देसो) ४०१ गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्यंगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपण्णतं धम्म नो लभेज्ज सवणयाए । १०. से केण?णं भंते ! एवं वच्चइ-असोच्चा णं जाव नो लभेज्ज सवणयाए ? गोयमा ! जस्म णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवइ से असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्वियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे 'नो कडे" भवइ से णं असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तपक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म नो लभेज्ज सवणयाए । से तेगटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-~ 'असोच्चा " जाव नो लभेज्ज सवणयाए । ११. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बोहिं बुज्झज्जा? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं बोहि बुज्झेज्जा, अत्यंगतिए केवलं बोहिं नो बुज्झेज्जा। १२. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ -- असोच्चा णं जाव केवलं बोहिं नो बुज्झज्जा ? गोयमा ! जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कड़े भवई से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल बोहि बुज्झज्जा, जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं वोहिं नो बुज्झज्जा । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलं बोहिं नो बुज्झज्जा ।। १३. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मुंडे भवित्ता अगारानो अणगारियं पव्वएज्जा ? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पवारज्जा, प्रत्येगतिए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं नो पव्वएज्जा ।। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलं मुंडे भवित्ता अगारामो अणगारियं नो पव्वएज्जा ? गोयमा! जस्स णं धम्मतराइयाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवति से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खिय उवासियाए वा केवल मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वएज्जा, जस्स णं धम्मतराइयाण कम्माणं खोवसमे नो कडे भवति से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा १४. १. कडे नो (ता)। २. तं चेव (अ, क, ता, व, म, स)। Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०२ भगवई केवलं मुंडे भवित्ता' अगाराओ अणगारियं ० तो पव्वज्जा | से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारयं नो पव्वज्जा ॥ १५. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवल बंभचेरवासं प्रवसेज्जा ? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं बभचेरवासं ग्रावसेज्जा, प्रत्येगतिए केवलं बंभचेरवासं नो आवसेज्जा | १६. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं बंभचेरवासं नो आवसेज्जा ? गोयमा ! जस्स णं चरित्तावरणिज्जाणं क्रम्माणं खत्रोवसमे कडे भवइ से गं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तपक्खियउवासियाए वा केवलं बंभचेरवासं श्रवसेज्जा, जस्स णं चरितावर णिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं सच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा | से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं बंभचेरवासं नो श्रावसेज्जा ।। १७. असोच्चा णं भंते! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा ? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा, प्रत्येगतिए केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा ॥ १८. से केणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा ? गोयमा ! जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ से णं सच्चा केवलस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संजमेण संजज्जा, जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माण खत्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव' तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा | से तेणद्वेगं गोयमा ! एवं बुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलणं संजमेणं नो संजमेज्जा | १६. असोच्चा णं भंते! केवलिस्स वा जात्र तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा ? गोयमा ! सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तपक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलेणं संवरेणं' संवरेज्जा, प्रत्येगतिए केवलेणं संवरेणं नो संवरेज्जा | १. सं० पा० - भवित्ता जाव नो । २. आवासेज्जा (ता, ब) 1 ३. जाव अत्येगतिए ( अ, क, ता, ब, भ, स) : ४. जाव ( अ, क, ता, व, म, स ) । Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (एगतीस इमो उद्देसो) ४०३ २०. से केण्ट्रेणं भंते ! एवं बुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलेणं संवरेणं नो संवरेज्जा ? गोयमा ! जस्स णं अज्झवसाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा, जस्स णं अज्झवसाणावरगिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संबरेणं नो संवरेज्जा । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–असोच्चा णं जाव केवलणं संवरेणं नो संवरेज्जा ।। २१. असोच्चा णं भंते केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं आभिणि वोहियनाणं उप्पाडेज्जा? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं आभिणिबोहियनाणं नो उप्पाडेज्जा। २२. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–असोच्चा णं जाव केवलं आभिणिबोहियनाणं नो उप्पाडेज्जा? गोयमा ! जस्स णं ग्राभिणिवोहियनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं ग्राभिणिवोहियनाण उप्पाडेज्जा, जस्स णं आभिणिबोहियनाणावरणिज्जाणं कम्माण खोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं आभिणिवोहियनाणं नो उप्पाडेज्जा । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ -असोच्चा णं जाव केवलं आभिणिवोहियनाणं नो उप्याडेज्जा । २३. असोच्चा गं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेग तिए केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं सुयनाणं नो उप्पाडेज्जा ।। २४. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ- असोच्चा णं जाव केवलं सुयनाणं तो उप्पाडेज्जा।। १. सं. पा.--एवं जहा आभिरिणकोहिपनाएस्स वत्तब्वया भणिया तहा सुयनारणस्स वि भारिणयव्वा, नवरं-सुयनाणावरणिज्जाणं कम्मारणं खग्रोवसमे भाणिपन्वे । एवं चेव केवलं ओहिमाणं भाणियब्वं, नवरं-मोहि नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे भाणियब्वे । एवं केवलं मणपज्जवनाण उप्पाडेज्जा, नवरं-मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे भारिणयवे। Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०४ भगवई गोयमा ! जस्स णं सुयनाणावरणिज्जाणं क्रम्माणं खग्रोवसमे कडे भव इ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं सुयनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं सुयनाणं नो उप्पाडेज्जा। से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं सुयनाणं नो उप्पाडेज्जा ।। २५. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासिए वा केवलं अोहिनाणं उप्पाडेज्जा? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं प्रोहिनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं प्रोहिनाणं नो उप्पाडेज्जा ।। २६. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ–असोच्चा णं जाव केवलं प्रोहिनाणं नो उप्पाडेज्जा? गोयमा ! जस्स णं प्रोहिनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं प्रोहिनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं अोहिनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मोहिनाणं नो उप्पाडेज्जा । से तेणद्वेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलं प्रोहिनाणं नो उप्पाडेज्जा ॥ २७. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मण पज्जवनाणं उप्पाडेज्जा? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं मणपज्जवनाण उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं मणपज्जवनाणं नो उप्पाडेज्जा। २८. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ... असोच्चा णं जाव केवलं मणपज्जवनाणं नो उप्पाडेज्जा ? गोयमा ! जस्स णं मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्मपणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केलिस्स वा जाव तप्पक्खिय उवासियाए वा केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मणपज्जवनाणं नो उप्पाडेज्जा। से तेणतुणं गोयमा ! एवं वुच्चइ- असोच्चा णं जाव केवलं मणपज्जवनाणं नो उप्पाडेज्जा ॥ २६. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाणं उप्पाडेज्जा? Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (एगतीसइमो उद्देसो) ४०५ "गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थे गतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा ।। ३०. से केणगुणं भंते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा? गोयमा ! जस्स णं केवल नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए कडे भवइ से णं प्रसोच्चा केलिस्स वा जाब तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ.- असोच्चा णं जाव केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा ।। ३१. असोच्चा' णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा-१. केवलि पण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए २. केवलं बोहिं बुज्झज्जा ३. केवलं मुंडे भवित्ता प्रागाराग्यो अणगारियं पव्वएज्जा ४. केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा ५. केवलेणं संजमेण संजमेज्जा ६. केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा ७. केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा' ८. 'केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा ६. केवलं ओहिनाणं उप्पाडेज्जा. १०. केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा ११. केवलनाणं उप्पाडेज्जा? गोयमा! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्य क्खियउवासिए वा-१. प्रत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म नो लभेज्ज सवणयाए २. अत्थेगतिए केवलं बोहिं बुज्झज्जा, अत्थेगतिए केवलं बोहि नो बुज्झज्जा ३. अत्थेगतिए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पब्वएज्जा, प्रत्थेगतिए' केवलं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं नो पव्वएज्जा ४. अत्थेगतिए केवलं वंभचेरवासं आवसेज्जा, अत्थेगतिए केवलं बंभचेरवासं नो पावसेज्जा ५. अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा. अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा ६.प्रत्थेगतिए केवलेणं संवरेण संवरेज्जा. अत्थेगतिए केवलेणं संवरेणं नो संवरेज्जा° ७. अत्थेगतिए केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए' • केवलं आभिणीबोहियनाणं नो उप्पा १. सं० पा०-एवं चेब, नवर-केवलनाणावरणि- क्त्यदर्शनेन द्वयोर्वाचनयोः सम्मिश्रणं प्रती ज्जाणं कम्माणं खए भाणियब्वे, सेसं त चेव। यते। २. एकत्रिशद्-द्वात्रिंशत् सूत्रयोः पूर्वपादित एव ३. सं० पा०.-उप्पाडेज्जा जाव केवलं । विषयः पुनरुक्तोस्ति । वृत्तिकृतात्र एका टिप्प- ४. सं० पा०-अत्थेगतिए जाव नो। णीकृतास्ति पूर्वोक्तानेवार्थान् पुनः समु. ५. सं. पा०—एवं संवरेण वि। दायेनाह (व), किन्तु समविषयस्य पौनरु- ६. सं. पा०-अत्यंगतिए जाव नो। Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई डेज्जा ८. "प्रत्थेगतिए केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं सुयनाणं नो उप्पाडेज्जा १. अत्थेगतिए केवलं अोहिनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं प्रोहिनाणं नो उप्पाडेज्जा १०. अत्थेगतिए केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं मणपज्जवनाणं नो उप्पाडेज्जा° ११. अत्थेगतिए केवलनाणं उपाडेज्जा, अत्थे गतिए केवल नाणं नो उप्पाडेज्जा। ३२. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं तं चेव जाव अत्थेगतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा? गोयमा ! १. जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ २. जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ ३. जस्स णं धम्मतराइयाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ ४..जस्स णं चरित्तावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ ५. जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ ६. जस्स णं अज्झवसाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे तो कडे भवइ ७. जस्स णं आभिणिवोहियनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ ८. जस्स णं सुयनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ ६. जस्स णं ओहिनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ १०. जस्स णं° मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमें नो कडे भवइ ११. जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए नो कडे भवइ, से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म नो लभेज्ज सवणयाए, केवलं बोहि नो बुज्झज्जा जाव केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा। जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ, जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माण खग्रोवसमे कडे भवइ, जस्स णं धम्मतराइयाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ, एवं जाव जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए कडे भवइ, से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, केवलं बोहिं बुज्झज्जा जाव केवलनाणं उप्पाडेज्जा॥ ३३. तस्स णं' छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं वाहाओ 'पगिझिय-पगि झिय" सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए आयावेमाणस्स पगइभद्दयाए, पगइउव १. सं. पा.---एवं जाव मणपज्जवनाणं । मणपज्जव । २. सं० पा०–एवं चरित्तावरणिज्जाणं जयणा- ३. पं भंते (अ, क, ता, व, स)। वरणिज्जाणं अज्झवसाणावरणिज्जाणं ४. पगझिय २ (स)। प्राभिणिबोहियनारणावरणिज्जाणं जाव Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (एगतीसइमो उद्देसो) ४०७ संतयाए, पगइपयणुकोह-माण-माया-लोभयाए, मिउमद्दवसंपन्नयाए, अल्लीणयाए', विणीययाए, अण्णया कयावि 'सुभेणं अज्झवसाणेणं, सुभेणं परिणामेणं, लेस्साहि विसुज्झमाणोहि-विसुज्झमाणीहिं" तयावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमेणं ईहापोहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स विभंग नाम अण्णाणे समुप्पज्जइ। से णं तेणं विभंगनाणेण" समुप्पन्नेणं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं असंखेज्जाइंजोयणसहस्साईजाणइ-पासइ । सेणं तेणं विभंगनाणेणं समुप्पन्नेणं जीवे वि जाणइ, अजीवे वि जाणइ, पासंडत्थे सारंभे सपरिग्गहे संकिलिस्समाणे वि जाणइ, विसुज्झमाणे वि जाणइ। से णं पुत्वामेव सम्मत्तं पडिवज्जइ, सम्मत्तं पडिवज्जित्ता समणधम्म रोएति, समणधम्म रोएत्ता चरितं पडिवज्जइ, चरित्तं पडिवज्जित्ता लिंगं पडिवज्जइ । तस्स णं तेहिं मिच्छत्तपज्जवेहि परिहायमाहि-परिहायमाणेहिं सम्मदंसणपज्जवेहि परिवड्ढमाणेहि-परिवड्ढमाणेहि से विभंगे अण्णाणे सम्मत्तपरिग्गहिए खिप्पामेव प्रोही परावत्तइ ।। ३४. से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु' होज्जा ? गोयमा ! तिसु विसुद्धलेस्सासु होज्जा, तं जहा-तेउलेस्साए, पम्हलेस्साए, सुक्कलेस्साए !! ३५. से णं भंते ! कतिसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा ! तिसु-आभिणियोहियनाण-सुयनाण-प्रोहिनाणेसु होज्जा । ३६. से णं भंते ! किं सजोगी होज्जा ? अजोगी होज्जा? गोयमा ! सजोगी होज्जा, नो अजोगी होज्जा। जइ सजोगी होज्जा, कि मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी होज्जा? गोयमा ! मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा ।। ३७. से णं भंते ! कि सागारोवउत्ते होज्जा ? अणागारोव उत्ते होज्जा? गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होज्जा, अणागारोवउत्ते वा होज्जा ।। ३८. से णं भंते ! कयरम्मि संघयणे होज्जा? गोयमा! वइरोसभनारायसंघयणे' होज्जा। १. अल्लीणयाए भदयाए (अ, क, ता, ब, म, ४. विभंग (अ, ता, म)। ५. लेसासु (क, ता, स)। ६. वि (क) सर्वत्र । ७. वइरोसह (ब, म)। २. X (क, ता,)1 ३. इहापूह° (अ, म); इहावूह (ता)। Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०८ भगवई ४२. ४३. ३६. से णं भंते ! कय रम्मि संठाणे होज्जा ? गोयमा! छण्हं संठाणाणं अण्णयरे संठाणे होज्जा ।। ४०. से णं भंते ! कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरयणीए, उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होज्जा ॥ ४१. से णं भंते ! कयरम्मि ग्राउए होज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेणं पुवकोडिगाउए होज्जा॥ से णं भंते ! किं सवेदए होज्जा ? अवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो अवेदए होज्जा। जइ सवेदए होज्जा कि इत्थिवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिसनपुसगवेदए होज्जा ? 'नंपुसगवेदए होज्जा ?" गोयमा ! नो इथिवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, 'नो नपुंसगवेदए होज्जा', पुरिस-नपुंसगवेदए वा होज्जा ॥ से णं भंते ! कि सकसाई होज्जा ? अकसाई होज्जा ? गोयमा ! सकसाई होज्जा, नो अकसाई होज्जा। जइ सकसाई होज्जा से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा ! च उसु- संजलणकोह-माण-माया लोभेसु होज्जा ।। ४४. तस्स णं भंते ! केवइया अज्झवसाणा पण्णत्ता ? गोयमा! असंखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। ४५. ते णं भंते ! कि पसत्था ? अप्पसत्था ? गोयमा ! पसत्था, नो अप्पसत्था ।। से गं भंते ! तेहिं पसत्थेहि अज्झवसाणेहिं वड्ढमाणेहिं अणंतेहि नेरइयभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणतेहि तिरिक्खजोणियभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं मणुस्सभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहि देवभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ । जागो वि य से इमानो नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवगतिनामारो चत्तारि उत्तरपगडीओ, तासि च णं प्रोवगहिए अणंताणुबंधी कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता अपच्चक्खाणकसाए कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पच्चक्खाणावरणे कोह-माणमाया-लोभे खवेइ, खवेत्ता संजलणे कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पंचविहं नाणावरणिज्जं, नवविहं दरिसणावरणिज्ज, पंचविहं अंतराइयं, ताल १.४ (क, ब, म)। २. ४ (क, ब, म)। ३. सकसादी (अ, ता)। ४. उवगहिए (क, म, स)! Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं ( एगतीसइमो उद्देसी) मत्थाकड' चणं मोहणिज्जं कट्टु कम्मरयविकिरणकरं प्रपुव्वकरणं श्रणुपविइस प्रणते प्रणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुपज्जति ॥ ४७. से णं भंते! केवलिपण्णत्तं धम्मं आघवेज्ज वा ? पण्णवेज्ज वा ? परुवेज्ज वा ? नोति समट्ठे, नण्णत्थ' एगनाएण वा, एगवागरणेण वा ॥ ४८. से णं भंते ! पव्वावेज्ज वा ? मुंडावेज्ज वा ? णो तिट्टे समट्ठे, उवदेसं पुण करेज्जा ॥ ४६. से गं भंते ! सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? हंता सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ ५०. से गं भंते! किं उड़द होज्जा ? श्रहे होज्जा ? तिरियं होज्जा ? गोमा ! उड्ढ वा होज्जा, ग्रहे वा होज्जा, तिरियं वा होज्जा । उड्ढं होमाणे' सद्दावइ-वियडावइ-गंधावइ-मालवंतपरिया सु वट्टवेयड्ढपव्वसु होज्जा, साहरणं पडुच्च सोमणसवणे वा पंडगवणे वा होज्जा । अहे होमाणे गड्डाए वा दरीए वा होज्जा, साहरणं पडुच्च पायाले वा भवणे वा होज्जा । तिरियं होमाणे पण्णरससु कम्मभूमीसु होज्जा, साहणं पडुच्च 'अड्ढाइज्जदीव-समुद्द"तदेक्कदेसभाए होज्जा ! ५१. ते णं भंते ! एगसमए णं केवतिया होज्जा ? गोयमा ! जहणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं दस । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउदासियाए वा प्रत्येगतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए सच्चा णं केवलस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्मं नो लभेज्ज सवणयाए जाव अत्येगतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा | १. ० मत्थ ( अ, क ); मत्था - अत्र एकपदे सन्धितः । वृत्तौ अस्य व्याख्या एवमस्ति - मस्तकं - मस्तकशुची कृतं छिन्नं यस्यासो मस्तककृत्तः, तालश्चासौ मस्तककृत्तश्च तालमस्तककृत्तः, छान्दसत्वाच्चैवं निर्देशः तालमस्तककृतः इव यत्तत्तालमस्तककृत्तम् (वृ) 1 २. पविट्ठस्स ( अ, क, ता, म) 1 ३. अण्णत्थ (ता) | ४०६ ४. भ० ११४४ । ५. होज्जमाणे ( ब, स ) 1 ६. अड्ढाइज्जे दीवसमुद्दे ( अ, स ) । Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सोच्चा उवलद्धि-पदं ५२. सोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा, केवलिसावगस्स वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलि उवासियाए वा, तप्पक्खियस्स वा, तप्पक्खियसावगस्सवा, तप्पविखयसावियाए वा, तप्पक्खियउवासगस्स वा, तप्पक्खियउबासि. याए वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए ? गोयमा ! सोच्चा णं केवलिरस वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं नो लभेज्ज सवणयाए । ५३. से केण?णं भते ! एवं वुच्चइ-सोच्चा णं जाव नो लभेज्ज सवणयाए? गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खिय उवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नोकडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म नो लभेज्ज सवणयाए। से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सोच्चा णं जाव नो लभेज्ज सवणयाए । ५४. एवं 'जा चेव असोच्चाए वत्तव्वया 'सा चेव सोच्चाए वि भाणियब्वा, नवरं --अभिलावो सोच्चे त्ति, सेसं तं चेव निरवसेसं जाव जस्स णं मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ, जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए कडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, केवलं बोहिं बुज्झज्जा जाव केवल नाणं उप्पाडेज्जा ॥ ५५. तस्स णं अट्ठमंअट्टमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणस्स पगइभ ह्याए, 'पगइउवसंतयाए, पगइपयणुकोह-माण-माया-लोभयाए, मिउमद्दवसंपनयाए, अल्लीणयाए, विणीययाए, अण्णया कयावि सुभेणं अज्झवसाणेणं, सुभेणं परिणामेणं, लेस्साहि विसुज्झमाणीहि-विसुज्झमाणीहिं तयावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमेणं ईहापोहमग्गण गवेसणं करेमाणस्स ओहिनाणे समुप्पज्जइ । से ण तेणं मोहिनाणेणं समुप्पन्नेणं जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं असंखेज्जाइं अलोए लोयप्पमाणमेत्ताइं खंडाइं जाणइ-पासइ ।। --- - ----- १. सं० पा०--वा जाव तप्पक्खिय उवासियाए २. जच्चेव (क, ता, म); जहेव (स)। वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवरण्याए? ३. सच्चेव (क, ता, ब, म)। गोयमा ! सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव ४. भ० ६।११-३२ अत्येगतिए केवलिपपणतं धम्म । ५. सं० पाo-तहेव जाव गवेसणं । Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (एगतीसइमो उद्देसो) ४११ ५६. से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा? गोयमा ! छसु लेस्सासु होज्जा, तं जहा-कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए । ५७. से णं भंते ! कतिसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा ! तिसु वा, चउसु वा होज्जा । तिसु होमाणे' आभिणिबोहियनाणसुथनाण-अोहिनाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे प्राभिणिबोहियनाण-सुयनाण ओहिनाण-मणपज्ज वनाणेसु होज्जा ।। ५८, से णं भंते ! कि सजोगी होज्जा ? अजोगी होज्जा ? गोयमा ! सजोगी होज्जा, नो अजोगी होज्जा । जइ सजोगी होज्जा, कि मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी होज्जा ? गोयमा ! मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा । ५६. से णं भंते ! कि सागारोव उत्ते होज्जा ? अणागारोवउत्ते होज्जा ? गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होज्जा, अणागारोवउत्ते वा होज्जा ।। ६०. से णं भंते ! कयरम्मि संघयणे होज्जा ? गोयमा ! वइरोस भनारायसंघयणे होज्जा ।। ६१. से णं भंते ! कयरम्मि संठाणे होज्जा ? गोयमा ! छण्हं संठाणाणं अण्णयरे संठाणे होज्जा । ६२. से णं भंते ! कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरयणीए, उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होज्जा। ६३. से गं भंते ! कयरम्मि पाउए होज्जा? गोयमा ! जहणेणं सातिरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेणं पुव्वकोडिअाउए होज्जा ॥ ६४. से णं भंते ! कि सवेदए होज्जा ? अवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा । जइ अवेदए होज्जा कि उवसंतवेदए होज्जा ? खीणवेदए होज्जा ? गोयमा ! नो उवसंतवेदए होज्जा, खीणवेदए होज्जा। जइ सवेदए होज्जा कि इत्थीवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? 'पुरिसनपुंसगवेदए" होज्जा? गोयमा ! इत्थीवेदए वा होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, पुरिस-नपंसगवेदए वा होज्जा ॥ १. भ. १।१०२। २. होज्जमाणे (अ, क,)। ३. सं० पा०–एवं जोगो, उवओगो, संघयणं, संठाणं, उच्चत्तं, पाउयं च–एयाणि सव्वाणि जहा असोच्चार तहेव भाणिय व्वाणि। ४. सं० पा०-पुच्छा । ५. नपुंसगवेदए (अ, म)। Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१२ भगवई ६५. से णं भंते ! किं सकसाई होज्जा ? अकसाई होज्जा? गोयमा ! सकसाई वा होज्जा, अकसाई वा होज्जा । जइ अकसाई होज्जा कि उवसंतकसाई होज्जा ? खीणकसाई होज्जा ? गोयमा ! नो उवसंतकसाई होज्जा, खीणकसाई होज्जा। जइ सकसाई होज्जा से णं भंते ! कतिसु कसाएस होज्जा ? गोयमा ! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एक्कम्मि वा होज्जा। च उसु होमाणे चउसु-संजलणकोह-माण-माया-लोभेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु-संजलणमाण-माया-लोभेसु होज्जा, दोसु होमाणे दोसु-संजलणमाया-लोभेसु होज्जा, एगम्मि होमाणे एगम्मि -संजलणलोभे होज्जा ।। ६६. तस्स णं भंते ! केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता? गोयमा! असंखेज्जा अज्भवसाणा पणत्ता ।। ६७. ते णं भंते ! किं पसत्था ? अप्पसत्था ? गोयमा ! पसत्था, नो अप्पसत्था । ६८. से णं भंते ! तेहिं पसत्थेहि अज्झवसाणेहि वड्ढमाणेहि अणंतेहिं ने रइय भवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहि तिरिक्खजोणियभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं मणुस्सभवग्गणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं देवभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ । जानो वि य से इमानो नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवगतिनामारो चत्तारि उत्तरपगडीग्रो, तासिं च णं ओवग्गहिए अणंताणुबंधी कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता अपच्चक्खाणकसाए कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पच्चक्खाणावरणे कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता संजलणे कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पंचविहं नाणावरणिज्ज, नवविहं दरिसणावरणिज्जं, पंचविहं अंतराइयं तालमत्थाकडं च णं मोहणिज्ज कटु कम्मरयविकिरणकरं अपुवकरण अणुपविट्ठस्स अणते अणुत्तरे निव्वाधाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे' केवलवरनाण-दंसणे समुप्पज्जइ॥ ६६. से गं भंते ! केवलिपग्णत्तं धम्म आघवेज्ज वा ? पण्णवेज्ज वा ? परूवेज्ज वा? हंता आघवेज्ज वा, पण्णवेज्ज वा, परवेज्ज वा ।। ७०. से णं भंते ! पवावेज्ज वा ? मुंडावेज्ज वा ? हंता पव्वावेज्ज वा, मुंडावेज्ज वा ।। १. सं० पा०—एवं जहा असोच्चाए तहेव जाव २. वा तस्स रा मते ! सिस्सा वि पव्वावेज्ज वा केवल । मुंडावेज्ज वा हंता पवावेज्ज वा मुंडावेज्ज वा (क, ता, ब)। Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ७१. से णं भंते ! सिज्झति बुज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ? हंता सिज्झति जाव सम्बदक्खाणं अंतं करेति ।। ७२. तस्स णं भंते ! सिस्सा वि सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? हंता सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ॥ ७३. तस्स भंते ! पसिस्सा वि सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? 'हंता सिझति" जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ७४. से णं भंते ! कि उड्ढं होज्जा ? जहेव असोच्चाए जाव' अड्ढाइज्जदीवसमुद्द तदेक्कदेसभाए होज्जा । ७५. ते णं भंते ! एगसमए णं केवतिया होज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं अट्ठसयं । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव' तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा॥ ७६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ बत्तीसइमो उद्देसो पासावच्चिज्जगंगेय-पसिण-पदं ७७. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नामं नयरे होत्था-वण्णो । दूतिपला सए चेइए। सामी समोसढे । परिसा निग्गया। धम्मो कहियो। परिसा पडिगया ।। ७८. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे गंगेए नाम अणगारे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामते टिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वदासी-- १. भ० ११४४ । २. एवं चेव (अ, क, ता, त्र, म, स) । ३. भ० ६५० ! ४. भ. ६१५१ । ५. केवलिउवासियाए (अ, क, ता, स)। ६. भ० ११५१ । ७. प्रो० सू० १। ८. चेइए वण्णओ (ता)। Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१४ भगवई संतर-निरंतर-उववज्जणादि-पदं ७६. संतरं भंते ! नेरइया उववज्जति ? निरंतरं ने रइया उववज्जति ? गंगेया ! संतरं पि नेरइया उववज्जति, निरंतरं पि ने रइया उववज्जति ।। ८०. संतरं भंते ! असुरकुमारा उववज्जति ? निरंतरं असुरकुमारा उववज्जति ? गंगेया ! संतरं पि असुरकुमारा उववज्जति, निरंतरं पि असुरकुमारा उवव ज्जति । एवं जाव थणियकुमारा॥ ८१. संतरं भंते ! पुढविक्काइया उववज्जति ? निरंतरं पुढविक्काइया उववज्जति ? गंगेया ! नो संतरं पुढविक्काइया उववज्जति, निरंतरं पुढविक्काइया उववज्जति । एवं जाव वणस्सइकाइया। बेइंदिया जाव वेमाणिया एते जहा नेरइया। ८२. संतरं भंते ! नेरइया उव्वटुंति ? निरंतर नेरइया उव्वटंति ? गंगेया ! संतरं पि ने रइया उव्वद्वृति, निरंतरं पि नेरइया उध्वट्ठति । एवं जाव थणियकुमारा॥ ८३. संतरं भंते ! पुढविक्काइया उन्वट्ठति ?-पुच्छा। गंगेया ! नो संतरं पुढविक्काइया उव्वटुंति, निरंतरं पुढविक्काइया उव्वद॒ति । एवं जाव वणस्सइकाइया-नो संतरं, निरंतरं उव्वद॒ति ।। ८४. संतरं भंते ! बेइंदिया उव्वटुंति ? निरंतरं बेइंदिया उव्वटुंति ? गंगेया ! संतरं पि बेइंदिया उव्वटुंति, निरंतरं पि बेइंदिया उव्वद॒ति । एवं जाव वाणमंतरा॥ ८५. संतरं भंते ! जोइसिया चयंति ? -- पुच्छा। गंगेया! संतरं पि जोइसिया चयंति, निरंतरं पि जोइसिया चयंति । एवं वेमाणिया वि।। पवेसण-पदं ८६. कतिविहे णं भंते ! पवेसणए पण्णते ? गंगेया ! चउन्विहे पवेसणए पण्णत्ते, तं जहा -- नेरइयपवेसणए, तिरिक्खजो णियपवेसणए, मणुस्सपवेसणए, देवपवेसणए । ८७. नेरइयपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गंगेया ! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा - रयणप्पभापुढविने र इयपवेसणए' जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए ।। १. सांतरं (क, ता, म)। २. रयणप्पभ° (क, ता) । Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०. नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ५८. एगे भंते ! नेरइए नेरइयपवेसणएणं पविसमाणे किं रयणप्पभाए होज्जा, सक्करप्पभाए होज्जा जाब अहेसत्तमाए होज्जा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ।। दो भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविस माणा कि रयणप्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होज्जा ? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अह्वा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाब एगे रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ! अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। एवं एक्केका पुढवो छड्डेयव्वा जाव अहवा एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा'। तिण्णि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा जाव अहेसत्तमाए होज्जा? गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो सक्करप्पभाए एग अहसत्तमाए होज्जा, एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया, तहा सव्वपूढवीण भाणियव्वं जाव अहवा दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा'। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे बालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए १. द्विसंयोगजा भङ्गाः २१ । २. द्विसंयोगजा भङ्गा: ४२ । Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अह्वा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकष्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे बालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा, अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ चत्तारि भंते ! नेरइया ने रइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ?-पुच्छा। गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अह्वा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए तिणि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिणि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव प्रहवा दो रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए तिणि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहि समं चारियं तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाहिं समं चारेयवं, एवं एक्केक्काए समं चारेयव्वं जाव अहवा तिण्णि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव एगे रय १. त्रिसंयोगजा भङ्गा: ३५ । २. द्विसंयोगजा भङ्गाः ६३ । Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) णप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहदा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहह्वा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणव्यभाए एगे बालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एग रयणपभाए एग वालूयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । एवं एएणं गमएणं जहा तिण्हं तियासंजोगो तहा भाणियव्वो जाव अहवा दो धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, अहह्वा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, 'अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा", अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धमप्पभाए होज्जा, अहवाएगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे बालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एमे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए १. तिय ° (अ, म, स)। २. त्रिसंयोगजा भङ्गा: १०५ । ३. एवं जाब अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्क रणभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१८ भगवई १२. होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा । एवं जहा रयणप्पभाए उरिमाप्रो पुढवीओ चारियायो तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाप्रो चारियन्वानो जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धमप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा ।। पंच भंते ! नेरइया ने रइयप्पवेसणएणं पविसमरणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिणि अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा तिण्णि रयणप्पभाए दोणि सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए चत्तारि बालुयप्पभाए होज्जा। एवं जहा रयणप्पभाए समं उवरिमपुढवीयो चारियायो तहा सक्करप्पभाए वि समं चारेयव्वाग्रो जाव अहवा चत्तारि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमार होज्जा। एवं एक्केक्काए सम चारेयव्वाप्रो जाव अहवा चत्तारि तमाए एगे ग्रहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिणि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिषिण अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा अगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एग सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए एगे वालयप्पभाए होज्जा. एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव १. चतुःसंयोगजा भङ्गाः ३५ । २. द्विसंयोगजा भनाः ८४ ! For Private & Personal use only Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ४१६ श्रसत्तमाए । ग्रहवा तिणि रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा तिणि रयणापभाए एगे सक्करम्पभाए एगे श्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एमे वालुयप्पभाए तिष्णि पंकप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं जहा चउन्हं तियासंजोगो' भणितो तहा पंचहवि तियासंजोगो भाणियव्वो, नवरं तत्थ एगो संचारिज्जर, इह दोणि, सेसं तं चैव जाव हवा तिणि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा' ! ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करम्पभाए एगे वालुयपभाए दो पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाब ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करम्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो प्रसत्तमाए होज्जा । श्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव ग्रसत्तमाए । ग्रहवा एगे रणभाए दो सवकरप्पभाए एगे वालुभाए एगे पंकम्पभाए होज्जा, एवं जाव हवाएंगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे श्रसत्तमाए होज्जा । अवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करव्पभाए एगे वालुष्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुभाए एगे श्रसत्तमाए होज्जा | ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करख्पभाए एगे पंकप्पभाए दो धूमप्पभाए होज्जा, एवं जहा उन्हं चउक्कसंजोगो भणियो तहा पंचण्ह त्रि चउक्कसंजोगो भाणियव्को नवरं - ग्रव्भहियं एगो संचारेयव्वो, एवं जाव ग्रहवा दो पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे प्रसत्तमाए होज्जारौं । अहवाएंगे रयणप्पभाए एगे सक्करम्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकल्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए ए वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए जाय एगे पंकल्पभाए एगे हेरात्तमाए होज्जा, अहवा गुगे रयणप्पभाए एगे सक्कररूपभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रणसभाए एगे सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे सत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे १. ति ( क ) 1 २. इमाहिं ( अ, क, व, म, स ) ; इमेहि (ता) | ३. त्रिसंयोगजा भङ्गाः २१० 1 ४. चतु:संयोगजा भङ्गाः १४० । Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे श्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एमे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एंगे पंकप्पभाए एवं तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, हवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करपभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे श्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे प्रसत्तमाए होज्जा' ॥ ६३. छ भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? ४२० —पुच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव ग्रसत्तमाए वा होज्जा । हवा एगे रयणप्पभाए पंच सक्करप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच अहेसत्तमाए होज्जा | ग्रहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा । अहह्वा तिणि रयणप्पभाए तिणि सक्करपभाए । एवं एएणं कमेणं जहा पचण्हं दुयासंजोगो तहा छह वि भाणियव्वो, नवरं एक्को अभहियो संचारेयव्वो जाव ग्रहवा पंच तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । हवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा, हवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि महेसत्तमाए होज्जा । हवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं तियासंजोगो भणि तहा छण्ह वि भाणियव्वो, १. पञ्चसंयोगजा भङ्गाः २१ । २. द्विसंयोगजा भङ्गाः १०५ । Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो), ४२१ नवरं-एक्को अहियो उच्चारेयव्वो, सेसं तं चेव । चउक्कसंजोगो वि तहेव', पंचगसंजोगो वि तहेव, नवरं-एक्को अमहिओ संचारेयन्वो जाव पच्छिमो भंगो, अहवा दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे तभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए ‘एगे सक्करप्पभाए" एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एरे सक्करप्पभाए एगे वालु यप्पभाए जाव एगे ग्रहे सत्तमाए होज्जा ।। ६४. सत्त भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? --पुच्छा ! गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ! ग्रहवा एगे रयणप्पभाए छ सक्करप्पभाए होज्जा। एवं एएणं कमेणं जहा छण्हं दुयासंजोगो तहा सत्तण्ह वि भाणियव्वं, नवरं-एगो अभहिरो संचारिज्जइ, सेसं तं चेव । तियासंजोगो', चउक्कसंजोगो', पंचसंजोगो ,छक्कसंजोगो य छण्हं जहा तहा सत्तण्ह वि भाणियव्वं, नवरं-एक्केक्को अब्भहियो"संचारेयव्वो जाव छक्कगसंजोगो अहवा दो सक्करप्पभाए एगे बालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा"। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ।। ६५. अट्ठ भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहह्वा एगे रयणप्पभाए सत्त सक्करप्पभाए होज्जा । एवं दुयासंजोगो जाव १. त्रिसंयोगजा भङ्गाः ३५० । ६. पंचा' (क); पञ्चसंयोगजा भङ्गाः ३१५ । २. चतु:संयोगजा भङ्गाः ३५० । १०. छक्का (क, ब)। ३. पञ्चसंयोगजा भङ्गाः १०५ । ११. अहिओ (अ); अहितो (क); अधितो (ता)। ४. जाव (अ, क, ता, ब, म, स) । १२. षट्संयोगजा भङ्गाः ४२ । ५. पटसंयोगजा भङ्गाः ७ ॥ १३. द्विसंयोगजा भङ्गाः १४७, त्रिसंयोगजा ६. द्विसंयोगजा भङ्गा: १२६ । भङ्गा ७३५, चतुःसंयोगजा भङ्गाः १२२५, ७. त्रिसंयोगजा भङ्गा: ५२५ । पञ्चसंयोगजा भङ्गाः ७३५ । ८. चतु:संयोगजा भङ्गा: ७००। Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२२ भगवई छक्कसंजोगो य जहा सत्तण्हं भणिओ तहा पदण्ह विभाणियब्वो, नवरं--- एक्केक्को अन्भहियो संचारेयव्वो, सेसं तं चेव जाव छक्कगसंजोगस्स अहवा तिणि सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे तमाए दो अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए जाव दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । एवं संचारेयव्वं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ।। ६६. नव भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? --पुच्छा । गंगेया! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए अट्ठ सक्करप्पभाए होज्जा । एवं दुयासंजोगो' जाव सत्तगसंजोगो य जहा अटुण्हं भणियं तहा नवण्हं पि भाणियव्वं, नवरं-एक्केको अन्महिनो संचारेयव्वो, सेसं तं चेव पच्छिमो आलावगो-ग्रहवा तिष्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ ६७. दस भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? —पूच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए नव सक्करप्पभाए होज्जा। एवं दुयासंजोगो' जाव सत्तसंजोगो य जहा नवण्हं, नवरं-एक्कक्को अन्भहिलो संचारेयव्वो, सेसं तं चेव पच्छिमो पालावगो-- अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा। संखेज्जा भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ?- पुच्छा। गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा सवकरप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे १. षट्संयोगजा भङ्गाः १४७ । २. सप्तसंयोगजा भङ्गाः ७ । ३. द्विसंयोगजा भङ्गाः १६८, त्रिसंयोगजा भङ्गाः ९८०, चतु:संयोगजा भङ्गाः १९६०, पञ्चसंयोगजा भङ्गाः १४७०, पटसंयोगजा भङ्गाः ३६२। ४. वडेंसगसंजोगो (अ)। ५. सप्तसंयोगजा भङ्गा: २८ । ६. द्विसंयोगजा भङ्गाः १२६, त्रिसंयोगजा भङ्गा: १२६०, चतु:संयोगजा भङ्गाः २६४०, पञ्चसंयोगजा भङ्गाः २६४६, षट्-संयोगजा भङ्गाः ८५२ । ७. अपच्छिमो (अ, क, ता, म, स)। ८. सप्तसंयोगजा भङ्गाः ५४ Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ४२३ रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा, एव जाव अहवा दा रयणप्पभाए संखेज्ना अहंसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा तिण्णि रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं एक्केक्को संचारेयव्दो जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा। एवं जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए सखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा बालूयप्पभाए होज्जा, एवं जहा रयणप्पभा उवरिमपूढवीहि समं चारिया एवं सक्करप्पभा वि उवरिमपूढवीहि समं चारेयव्वा, एवं एक्केक्का पुढवी उवरिमपुढवीहि समं चारेयव्वा जाव अहवा संखेज्जा तमाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्प भाए एगे सक्करप्पभाए खेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, प्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगं सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेज्जा वालयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अह्वा एगे रयणप्पभाए तिष्णि सक्करप्पभाए संज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं एक्ने क्को संचारेयव्यो सक्करप्पभाए जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संवेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालयप्पभाए होज्जा. एवं एएणं कमेणं एक्केको रयणप्पभाए संचारेयन्वो जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रवणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो वालुयप्पभाए संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं तियासंजोगो, चउक्कसंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा दसण्हं तहेव भाणियब्यो । पच्छिमो पालावगो सत्तसंजोगस्स- अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए जाव संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा ।। ६६. असंखेज्जा भंते ! ने रइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? --पुच्छा। Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२४ भगवई गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा।। अहवा एगे रयणप्पभाए असंखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा, एवं दुयासंजोगो जाव सत्तगसंजोगो' य जहा संखेज्जाणं भणिो तहा असंखेज्जाण वि भाणियवो, नवरं-असंखेज्जओ अभहियो भाणियव्वो, सेसं तं चेव जाव सत्तगसंजोगस्स पच्छिमो मालावगो अहवा असंखेज्जा रयणप्पभाए असंखेज्जा सक्करप्पभाए जाव असंखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। उक्कोसेणं भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा? -पुच्छा। गंगेया ! सव्वे वि ताव रयणप्पभाए होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा, एवं जाव महवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए धूमाए होज्जा, एवं रयणप्पभं प्रमुयंतेसु जहा तिण्हं तियासंजोगो भणियो तहा भाणियब्वं जाव अहवा रयणप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा। अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए य होज्जा, ग्रहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा चउण्हं चउक्कगसंजोगो भणितो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा। अहवा रयणप्पभाए सवकरप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव पंकप्पभाए तमाए य होज्जा, अह्वा रयणप्पभाए जाव पंकप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, ग्रहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालयप्पभाए धमप्पभाए तमाए य होज्जा, एवं रयणप्पभं अमयंतेस जहा पंचण्हं पंचगसंजोगो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए जाव अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव धूमप्पभाए तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव धूमप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव पंकप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पंकप्पभाए जाव १. सत्ता°, (अ ता, ब)। Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ४२५ अहेसत्तमाए य होउजा. अहवा रयणप्पमाए वालयप्पभाए जाव असत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य जाव अहेसत्तमाए य होज्जा ।। १०१. एयस्स णं भंते ! रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणगस्स सक्करप्पभापुढविनेरइय पवेसणगस्स जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणगस्स कयरे कयरेहितो' प्रप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गंगेया! सव्वत्थोवे अहेसत्तमापुढविने रइयपवेसणए, तमापुढविने रइयपवेसणए असंखेज्जगुणे, एवं पडिलोमगं' जाव रयणप्पभापुढविनेरइयरवेसणए असंखेज्जगुणे ।। १०२. तिरिक्खजोणियपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गंगेया! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए जाव पंचिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए ।।। १०३. एगे भंते ! तिरिवखजोणिए तिरिवखजोणियपवेसणएणं पविसमाणे कि एगि दिएसु होज्जा जाव पंचि दिएसु होज्जा? गंगेया ! एगिदिएसु वा होज्जा जाव पंचिदिएसु वा होज्जा ।। १०४. दो भंते ! तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियपवेसणएणं-पुच्छा! गंगेया! एगिदिए सु वा होज्जा जाव पंचिदिएसु वा होज्जा। अहवा एगे एगिदिएसु होज्जा एगे बेइंदिएसु होज्जा, एवं जहा ने रइयपवेसणए तहा तिरिक्ख जोणियपवेसणए वि भाणियब्वे जाव असंखेज्जा ।। १०५. उक्कोसा भंते ! तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियपवेसणएणं-पुच्छा। गंगेया ! सव्वे वि ताव एगिदिएसु होज्जा, अहवा एगिदिएसु वा बेइंदिएसु वा होज्जा । एवं जहा ने रइया चारिया तहा तिरिक्खजोणिया वि चारेयव्वा । एगिदिया अमुयंतेसु दुयासंजोगो, तियासंजोगो, चउक्कसंजोगो', पंचसंजोगो उवजुजिऊण भाणियव्वो जाव अहवा एगिदिए सु वा, बेइंदिए सु वा जाव पंचि दिए सु वा होज्जा ॥ १०६. एयरस णं भंते ! एगिदियतिरिवखजोणियपवेसणगरस जाव पंचिदियतिरिवखजोणियपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गंगेया ! सव्वथोवे पंचिदियतिरिक्खजोणियपदेसणए, चउरिदियतिरिवख १. सं० पा०- कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. उप्पडि (क, ता, ब)। ३. य, (अ, ता); या (क)। ४. चउक्का (अ, क, ब) । ५. पंचा (क, ब)। ६. उववज्जिऊण (अ); उवउज्जित्तण (क), उवउज्जिऊण (ता, स)। ७. सं० पा०कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया । Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १०६. जोणियपवेसणए विसेसाहिए, तेइंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए, बेइंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए, एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए। १०७. मणुस्सपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गंगेया ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-समुच्छिममणुस्सपवेसणए, गम्भवक्कंतिय मणुस्सपवेसणए य ।। १०८. एगे भंते ! मणुस्से मणुस्सपवेसणएणं पविसमाणे किं समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा? गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा ? गंगेया ! समुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गब्भवक्कंतियमणुस्से सु वा होज्जा ।। दो भंते ! मणुस्सा--पुच्छा। गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होज्जा । अहवा एगे समुच्छिममणुरसेसु होज्जा एगे गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा नेरइयपवेसणए तहा मणुस्सपवेसणए वि भाणियब्वे जाव दस॥ संखेज्जा भंते ! मणुस्सा--पुच्छा। गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होज्जा। अहवा एगे समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा संखेज्जा गभवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा, अहवा दो समुच्छिम्मणुस्सेसु होज्जा संखेज्जा गभवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा, एवं एक्केक्कं उस्सारितेसु जाव अहह्वा संखेज्जा संमुच्छिममणुस्सेसु होज्जा संखेज्जा गभवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा ।। १११. असंखेज्जा भंते ! मणस्सा-- पुच्छा। गंगेया ! सव्वे वि ताव संमुच्छिममणुस्लेसु होज्जा। अहवा असंखेज्जा संमुच्छिममणुस्सेसु एगे गब्भवक्कं तियमणुस्सेसु होज्जा, अहवा असंखेज्जा संमुच्छिममणुस्सेसु दो गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा, एवं जाव असंखेज्जा संमुच्छिम मणुस्सेसु होज्जा संखज्जा गब्भवतियमणुस्सेसु होज्जा ।। ११२. उक्कोसा भंते ! मणुस्सा-पुच्छा।। गंगेया! सव्वे वि ताव संमुच्छिममणुस्सेसु होज्जा । अहवा समुच्छिममणुस्सेसु य गन्भवतियमणुस्सेसु य होज्जा॥ ११३. एयस्स णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सपवेसणगस्स गब्भवक्कंतियमणुस्सपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो गप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? १. सं० पा०–कयरेहितो जाव विरोसाहिया । Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२७ गंगेया ! सव्वत्थोवे गव्भववकंतियमणुस्सपवेसणए समुच्छिममणुस्सप वेसणए असंखेज्जगुणे ॥ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ११४. देवपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गंगेया ! चव्विहे पण्णत्ते, तं जहा- भवणवासिदेवपवेसणए जाव वेमाणियदेववेसण || ११५. एगे भंते ! देवे देवपवेसणएणं पविसमाणे कि भवणवासीसु होज्जा ? वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिएसु होज्जा ? गंगेया ! भवणवासी वा होज्जा, वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिएसु वा होज्जा | ११६. दो भंते ! देवा देवपवेसणएणं-- पुच्छा गंगेया ! भवणवासीसु वा होज्जा, वाणमंतर जोइसिय-वे माणिएसु वा होज्जा । हवाएगे भवणवासीसु एगे वाणमंतरेसु होज्जा, एवं जहा तिरिक्खजोणियपवेसण तहा देवपवेसणए वि भाणियव्वे जाव असंखेज्जति ॥ ११७. उक्कोसा भंते ! पुच्छा । गंगेया ! सब्वे वि ताब जोइसिएस होज्जा, श्रहवा जोइसिय भवणवासीसु य होज्जा, ग्रहवा जोइसिय- वाणमंतरेसु य होज्जा, ग्रहवा जोइसिय-वेमाणिएसु य होज्जा, हवा जोइसिएमु य भवणवासीसु य वाणमंतरेसु य होज्जा, अहवा जोइसिसु य भवणवासीसु ए वेमाणिएसु य होज्जा, ग्रहवा जोइसिएस य वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होज्जा, ग्रहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य वाणमंतरेसु य माणिएसु य होज्जा ।। ११८. एयस्स णं भंते ! भवणवासिदेवपवेसण गस्स, वाणमंतरदेवपवेसण गस्स, जोइसियदेव पवेसणगस्स, वेमाणियदेवपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गंगेया ! सव्वत्थोवे वेमाणियदेवपवेसणए, भवणवासिदेवपवेसणए प्रसंखेज्ज - गुणे, वाणमंत देवपवेसणए असंखेज्जगुणे, जोइसियदेवपवेसणए संखेज्जगुणे ॥ ११६. एस्स णं भंते! नेरइयपवेसण गस्स तिरिक्खजोणियपवेसणगस्स मणुस्सपवेसण - गस्स देवपवेसणगस्स य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गंगेया ! सव्वत्थवे मणुस्सपवेसणए, नेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे, देवपवेसणए असंखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियपवेसणए असंखेज्जगुणे ॥ १. सं० पा०—करेहितो जाव विसेसाहिया । २. सं० पा० - कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया । Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२८ संतर- निरंतर उववज्जणादि-पदं १२०. संतरं भंते! नेरड्या उववज्जंति निरंतरं नेरइया उववज्र्ज्जति संतरं असुरकुमारा उववज्जंति निरंतरं असुरकुमारा उववज्जंति जाव संतरं वैमाणिया उववज्जति निरंतरं वेमाणिया उववज्जंति ? संतरं नेरइया उब्वट्टेति निरंतरं नेरइया उब्वट्टंति जाव संतरं वाणमंतरा उव्वट्टेति निरंतरं वाणमंतरा उब्वट्टंति ? संतरं जोइसिया चयंति निरंतरं जोइसिया चयंति संतरं वैमाणिया चयंति निरंतरं वैमाणिया चयंति ? गंगेया ! संतरं पि नेरइया उववज्र्ज्जति निरंतरं पि नेरइया उववज्जति जाव संतरं पिथणियकुमारा उववज्र्ज्जति निरंतरं पि थणियकुमारा उववज्जंति, नो संतरं पुढविक्काइया उववज्जति निरंतरं पुढविक्काइया उववज्जंति, एवं जाव artaइकाइया | सेसा जहा नेरइया जाव संतरं पिवेमाणिया उववज्जंति निरंतरं पिवेमाणिया उववज्जंति | संतरं पि नेरइया उव्वदृति निरंतरं पि नेरइया उव्वदृति एवं जाव थणियकुमारा । नो संतरं पुढविक्काइया उव्वट्टति निरंतरं पुढविक्काइया उव्वति एवं जाव वणस्सइकाइया | सेसा जहा नेरइया, नवरं - जोइसियवेमाणिया चयंति अभिलावो जाव संतरं पि वेमाणिया चयंति निरंतरं पि वेमाणिया चयंति ॥ सतो असतो उववज्जणादि-पदं भगवई १२१. सतो' भंते! नेरइया उववज्जंति, असतो' नेरइया उववज्जंति, सतो असुरकुमारा उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया उववज्जंति, असतो वेमाणिया उववज्जति ? सतो नेरइया उव्वदृति, प्रसतो नेरइया उब्वति, सतो असुरकुमारा उव्वति जाव सतो वेमाणिया चयंति, असतो वेमाणिया चयंति ? १. सांतरं (क, ता, व, म) । २. अस्मिन् प्रकरणे द्वयोर्वाचनायोमिश्रणं दृश्यते । प्रथमा वाचना किञ्चित् संक्षिप्तास्ति, द्वितीया च किञ्चिद् विस्तृता । एतन् मिश्रणं वृत्तिरचनातः उत्तरकालमेव जातं सम्भाव्यते, तेनैव वृत्तिकृता नास्मिन् विषये किञ्चिद् लिखितम् । आदर्शषु च प्राप्यते । अस्माभिवृत्तिमनुसृत्य एका वाचना स्वीकृता, द्वितीया च पाठान्तरे न्यस्ता, यथा'सतो भंते! नेरइया उववज्जति ? असतो नेरइया उववज्जंति ? गंगेया ! सतो नेरइया उववज्जति, तो असतो नेरइया उववज्जति । एवं जाव वैमाणिया । 'सतो भंते! नेरइया उब्वट्टति ? असतो नेरइया उब्वट्टति ? गंगेया ! सतो नेरइया उव्वट्टति, नो असतो नेरइया उब्वट्टति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं - जोइसियमारिए चयंति भाणियव्वं ।' ३. असओ (ता) | Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ४२६ गंगेया ! सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति, सतो असुरकुमारा उववज्जति, नो असतो असुरकूमारा उववज्जति जाव सतो वेमाणिया उववज्जति. नो असतो वेमाणिया उववज्जति, सतो नेरइया उव्वट्ठति, नो असतो नेरइया उव्वटुंति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति ॥ १२२. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति ? से नणं मे गंगेया ! पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए बुइए अणादीए अणवदग्गे परित्ते परिवूडे हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झे संखित्ते, उप्पि विसाले; अहे पलियंकसंठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठिए । तसिं च णं सासयंसि लोगंसि अणादियंसि अणवदग्गंसि परित्तसि परिवुडंसि हेवा विच्छिण्णंसि, मज्झे संखित्तंसि, उपि विसालंसि, अहे पलियंकसंठियंसि, मज्झे वरवइरविग्गहियंसि, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठियंसि अणंता जीवघणा उपज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयंति, परित्ता जीवघणा उपज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयति । से भूए उपाणे विगए परिणए, अजीवेहिं लोक्कइ पलोक्कइ°, जे लोक्कइ से लोए । से तेण?णं गंगेया! एवं वुच्चइ ---जाव सतो वेमाणिया चयति, नो असतो वेमाणिया चयंति ॥ सतो परतो वा जागरणा-पदं १२३. सयं' भंते ! एतेवं जाणह, उदाहु असयं, असोच्चा एतेवं जाणह, उदाह सोच्चा - सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरझ्या उववज्जति जाव' सतो वेमाणिया, चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति ? गंगेया ! सयं एतेवं जाणामि, नो असयं, असोच्चा एतेवं जाणामि, नो सोच्चासतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति ॥ १२४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ- सयं एतेवं जाणामि, नो असयं, असोच्चा एतेवं जाणामि, नो सोच्चा--सतो ने रइया उक्वज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया चयंति °, नो असतो वेमाणिया चयंति ? १. ते (अ)। २. सं० पा०--जहा पंचमसए जाव जे। ३. सतं (क, ता)। ४. एवं (अ, क); एते एवं (ता); एवं एवं (ब) ५. सं० पा०—तं चेव जाव नो। Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३० भगवई गंगेया ! केवली णं पुरत्थिमे णं मियं पि जागइ, अभियं पि जाणइ । दाहिणे णं, "पच्चत्थिमे गं, उत्तरे णं, उड्द, अहे मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ । सव्वं जाणइ केवली, सव्वं पासइ केवली। सव्वनो जाणइ केवली, सव्वनो पासइ केवली। सव्वकालं जाणइ केवली, सव्वकालं पासइ केवलो। सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली। अणते नाणे केवलिस्स, अणते दंसणे केवलिस्स । निव्वुडे नाणे केवलिस्स, निबुडे सणे केवलिस्स ° । से तेणट्रेणं गंगेया ! एवं वुच्चइ–सयं एतेवं जाणामि, नो असयं असोच्चा एतेवं जाणामि, नो सोच्चा-तं चेव जाव नो असतो वेमाणिया चयंति।। सयं असयं उववज्जणा-पदं १२५. सयं भंते ! नेरइया ने रइएसु उववज्जति ? असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति ? गंगेया ! सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति, नो असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति ॥ १२६. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ... सयं ने रइया नेरइएसु उववज्जति, नो असयं ने रइया नेरइएसु ° उववज्जति ? गंगेया ! कम्मोदएणं, कम्मगुरुयत्ताए, कम्मभारियत्ताए, कम्मगुरुसंभारियताए; असुभाणं कम्माणं उदएणं, असुभाणं कम्माणं विवागेणं, असुभाण् कम्माणं फलविवागेणं सयं ने रइया नेरइएमु उतवज्जति, नो असयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति। से तेणद्वेणं गंगेया ! •एवं वुच्चइ – सयं ने रइया नेरइएसु उवत्रज्जति, नो असयं नेरइया ने रइएसु ° उववज्जति ।। १२७. सयं भंते ! असुरकुमारा-पुच्छा। गंगेया ! सयं असुरकुमारा' 'असुरकुमारेसु° उववज्जति, नो असयं असुर कुमारा' 'असुरकुमारेसु° उववज्जति ।। १२८. से केण?णं तं चेव जाव उववज्जति ? गंगेया! कम्मोदएणं', कम्मविगतीए', कम्मविसोहीए, कम्मविसुद्धीए; सुभाणं कम्माणं उदएणं, सुभाणं कम्माणं विवागेणं सुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं १. स. पा०-एवं जहा सदुद्देसए जाव निगुडे ४. सं० पा०-असुरकुमारा जाब उववज्जति । नाएं केवलिस्स। ५. सं० पा०-अमुरकुमारा जाव उववज्जति । २. सं० पा०-चुच्चइ जाव उववज्जति । ६. कम्मोदएणं कम्मोवसमेणं (अ, क, वृपा)। ३. सं०या०-~-गंगेया जाव उवव जति । ७. कम्मचियत्ताए (ता)। Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३०. नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो) ४३१ असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए उववज्जंति, नो असयं असुरकुमारा' असरकुमार ताए ° उववज्जति । से तेणटेणं जाव उववज्जति ! एवं जाव थणियकुमारा ।। १२६. सयं भंते ! पुढविक्काइया-पुच्छा ! गंगेया! सयं पुढविक्काइया' 'पुढविक्काइएसु° उववज्जति नो असयं पुढविक्काइया' 'पुढविक्काइएसु° उववज्जति ।। से केण्टेणं जाव उववज्जति ? गंगेया ! कम्मोदएणं, कम्मगुरुयत्ताए, कम्मभारियत्ताए, कम्मगुरुसंभारियत्ताए; सुभासुभाणं कम्माणं उदएणं, सुभासुभाणं कम्माणं विवागेणं, सुभासुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं पुढविक्काइया' 'पुढविक्काइएस० उववज्जति, नो असयं पुढविक्काइया' 'पुढविक्काइएसु° उववज्जति । से तेणटेणं जाव उववति ।। १३१. एवं जाव मणुस्सा ।। १३२. वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । से तेणद्वेणं गंगेया! एवं वुच्चइ-सयं वेमाणिया 'वेमाणिएसु° उववज्जति, नो असयं 'वेमाणिया बेमाणिएमु ° उववज्जति ॥ गंगेयस्स संबोधि-पदं १३३. तप्पभिति च णं से गंगेये अणगारे समणं भगवं महावोरं पच्चभिजाणइ सव्वष्णु सव्वदरिसि । तए णं से गंगेये अणगारे समण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायहिणपयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! तुभ अंतियं चाउज्जामाओ धम्मायो पंचमहन्वइयं "सपडिक्कमणं धम्मं उबसंपज्जित्ता णं विहरित्तए । ग्रहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध ।। १३४. तए णं से गंगेये अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता चाउज्जामायो धम्माओ पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरति ।। १३५. तए णं से गंगेये अणगारे बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता १. स० पा०-असुरकूमारा जाव उवबज्जति। ६. सं० पा०-वेमाणिवा जाव उवबज्जति । २. सं० पा०—पुढविक्काइया जाव उववज्जति। ७. सं. पा.--असयं जाव उववज्जति । ३. सं० पा०—पुढविक्काइया जाव उववज्जति । ८. सं० पा०--एवं जहा कालासवेसियपत्तो तहेव ४. सं० पा०—पुढधिक्काइया जाव उववज्जति । भारिणयन्वं जाव सव्यदक्खप्पहीणे। ५. सं० पा०-पूढविक्काइया जाव उववज्जति । Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३२ भगवई जस्सट्टाए कोरइ नग्गभावे मुंडभावे अण्हाणयं अदंतवणयं अच्छत्तयं अणोवाहणयं भूमिसेज्जा फलहसेज्जा कठ्ठसेज्जा केसलोनो बंभचेरवासो परघरप्पवेसो लद्धावलद्धी उच्चाक्या गामकंटगा बावीसं परिसहोवसग्गा अहियासिज्जंति, तमटुं पाराहेइ, आराहेत्ता चरमेहिं उस्सास-नीसासेहिं सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे ° सव्वदुक्खप्पहीणे ।। १३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ! तेत्तीसइमो उद्देसो उसभदत्त-देवाणंदा-पदं १३७. तेणं कालेणं तेणं समरणं माहणकुंडग्गामे नयरे होत्था-वण्णो । बहुसालए चेइए–वण्णो । तत्थ णं माहणकुंडग्गामे नयरे उस भदत्ते नामं माहणे परिवसइ–अड्ढे दित्ते वित्ते जाव बहुजणस्स अपरिभूए रिव्वेद'-जजुव्वेद'-सामवेद-अथव्वणवेद- इतिहासपंचमाणं निघंटुछट्ठाणं-चउण्हं वेदाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं सारए धाराए पारए सडंगवी सद्वितंतविसारए, संखाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोतिसामयणे', अण्णेसु य बहूसु बभण्णएसु नयेसु सुपरिनिट्ठिए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुण्णपावे जाव' अहापरिम्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तस्स णं उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणंदा नाम माहणी होत्था-सुकुमालपाणिपाया जाव" पियदसणा सुरूवा समणोवासिया अभिगथजीवाजीवा उबलद्धपुण्णपावा जाव प्रहापरिग्ग हिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी विहरइ ।। १३८. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे । परिसा पज्जुवासइ ।। १. भ० ११५१ ! ६. यजुवेद (अ); यजुव्वेद (म)। २. ओ० सू०१। ७. सं० पा०-जहा खंदओ जाव अण्णेसु । ३. ओ० सू० २-१३ 1 ८. अधिगत (ता); अहिगय° (ब, म)। ४. भ० २०६४। ६. भ० २१६४ ५. रिउवेद (अ, स); रिउव्वेद (क); रुग्वेद (म) १०, ओ० सू० १५ ॥ Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तत्तीसइमो उद्देसो) १३६. तए णं से उसभदत्ते माहणे इमीसे कहाए लढे समाणे हटु''तुटुचित्तमाणदिए णंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसबसविसप्पमाण हियए जेणेव देवाणंदा माहणी तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता देवाणंदं माहणि एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव' सव्वष्णू सव्वदरिसी प्रागासगएणं चक्केणं जाव' सुहंसुहेण विहरमाणे बहसालए चेइए अहापडिरूवं प्रोग्गहं योगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं महष्फलं खलु देवाणु प्पिए ! तहारूवाणं अरहताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्स वि पारियस्स' धम्मियस्स मुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिए ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कहलाणं मंगलं देवयं चेइयं ० पज्जुवासमो। एयं णे इहभवे य परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ ।। १४०. ताणं सा देवाणंदा माहणी उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वुत्ता समाणी हट्ठ तुटुचित्तमाणंदिया मंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण ° हियया करयल परिगहियं दसनहं सिरसावतं मत्थए अंजलि ' कटु उसभद त्तरस माहणस्स एय १४१. तए णं से उसभदत्ते माहणे कोवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी खिप्पामेत्र भो देवाणुप्पिया! लहुक रणजुत्त-जोइय-समखुरवालिहाण-समलिहियसिंगेहि", जंबूणयामयकलावजुत्त-पतिविसिद्धेहि", रययामयघंटा-सुत्तरज्जुयपवरकंचणनत्थपरगहोग्गहियहि, नीलुप्पलकयामेलहि, पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणि रयण-घंटियाजालपरिगयं, सुजायजुग-जोत्तरज्जुयजुग-पसत्थसुविरचियनिमियं, पवरलक्खणोववेयं-धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवदवेह, उवट्ठ वेत्ता मम एतमाणत्तियं पच्चप्पिणह ।।। १४२. ताए गं ते कोडुबियपुरिसा उस भदत्तेणं माहणेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठा तुटुचित्त माणंदिया णंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण • हियया १. सं० पा०-हट्ठ जाव हियए। (भ० २।३०)। २. भ० ११७ । ८. सं० पा०-हट्ट जाव हियया। ३. ओ० सू० १६ । ६. सं० पा०—करयल जाव कट्ट । ४. सं० पा०---अहापडिरूवं जाव विहर। १०. ० संगएहि (ता, म)। ५. आयरियस्स (अ, स)। ११. परिविसढेहिं (अ, स); पविसिद्धेहि (क, ता)। ६. सं० पा०-नमसामो जाव पज्जवासामो। १२. सं० १०-हट जाब हियया । ७. X (क, ता, ब, म); निस्सेयसाए Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई करयल' परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु ° एवं सामी ! तहत्ताणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति', पडिसुणेत्ता खिप्पामेव लहुकरणजुत्त जाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेत्ता' तमाणत्तियं पच्चप्पिणति ।। १४३. तए णं से उसभदत्ते माहणे हाए जाव' अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे सामो गिहाम्रो पडिणिक्खमति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढे ॥ १४४. तए णं सा देवाणंदा माहणो ण्हाया जाव' अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरा वहहि खुज्जाहिं, चिलातियाहि जाव चेडियाचक्कवाल-वरिसधर-थेरकंचुइज्जमहत्तरगवंदपरिक्खित्ता अंतेउरानो निग्गच्छति, निगच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा ।। तए णं से उसभदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए सद्धि धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढे समाणे नियगपरियालसंपरिवुडे माहणकुंडग्गामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए तित्थकरातिसए पासइ, पासित्ता धम्मियं जाणप्पवरं ठवेइ, ठवेत्ता धम्मियाओ जाणप्पवरानो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छाति, [तं जहा --१. सच्चित्ताणं दव्वाणं १. सं० पा०...-करयल। गरुधूवधूविया, सिरिसमाणदेसा (ब) । २. जाव (अ, क, ता, ब, म, स) ! ७. भ०३३३३ ३. उवट्ठ वेत्ता जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। ८. वामणीहि वडभीहिं बब्बरीहि बउसियाहि ४. भ. ३।३३। जोणियाहि पल्हवियाहि ईसिगिणियाहिं चारु ५. ढूँढे (ता)। (वास) गिरिणयाहि ल्हासियाहि लउसियाहिं ६. वाचनान्तरे देवानन्दावर्णक एवं दृश्यते---- आरवीहिं दमिलीहि सिंहलीहि पुलिदीहि पक्क अंतो अंतेउरंसि व्हाया कयबलिकम्मा कय- णीहि (पुक्कलीहि) बहलीहि सुरुडीहि सवरीहि कोउय-मंगल-पायच्छित्ता, किंच [किते (ब)]- पारसीहि णारगादेस-विदेस परिपिडियाहि सदेवरपादपत्त होउर-मणिमेहला-हाररचित-उचिय- सनेवत्थगहियवेसाहि इंगित-चितित-पत्थिरकडग-खुडाग-एकावली-कंठसुत्त-उरत्थगेवेज्ज- वियाणियाहि कुसलाहि विरणीयाहि (अ, ता, सोणिसुत्तग-नारणामणि-रयरण भूसणविराइयंगी, ब, स); इदं च सर्व वाचनान्तरे साक्षादेवाचीणसुयवत्यपवरपरिहिया, दुगुल्लसुकुमाल स्ति (वृ)। उतरि जा, सनोतु सुरभिकुसुमवरियसिरया, ६. जाव धम्मियं (अ, क, ता, ब, म, स)। वरचंदणवंदिता, वराभरणभूसितंगी, काला- १०. चुत्तीसाए (म)। Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४३५ विप्रोसरणयाए २. अचित्ताणं दव्वाणं अविनोसरणयाए ३. एगसाडिएणं उत्तरासंगकरणेणं ४. चक्खुप्फासे अंजलिप्पग्गहेणं ५. मणसो एगत्तीकरणेणं] जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ।।। १४६. तए णं सा देवाणंदा माहणी धम्मियानो जाणप्पवरात्रो पच्चोरुहति, पच्चोरु हित्ता बहूहिं खुज्जाहिं जाव' चेडियाचक्कवाल-वरिसधर-थेरकंचुइज्ज-महत्तरगवंदपरिक्खित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ, [तं जहा–१. सचित्ताणं दव्वाणं विप्रोसरणयाए २. अचित्ताणं दव्वाणं अविमोयगयाए ३. विणयोणयाए गायलट्ठीए ४. चक्खुप्फासे अंजलिपग्रहेणं ५. मणस्स एगत्तीभावकरणेणं] 'जेणेव समणे भगवं महाबीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता उसभदत्तं माहणं पुरो कटु ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी नमसमाणी अभिमुहा विणएणं पंजलि कडा पज्जु वासइ॥ १४७. तए णं सा देवाणंदा माहणी ग्रागयपण्हया पप्पूयलोयणा संवरियवलयबाहा कंचयपरिक्खित्तिया धाराहयकलंवगं पिव समूसवियरोमकवा समणं भगवं महावीरं अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी-देहमाणी चिट्ठइ ।। १४८. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावोरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासो-किं णं भंते ! एसा देवाणंदा माहणी भागयपण्या पप्पुयलोयणा संवरियवलयवाहा कंचयपरिक्खित्तिया धाराहयकलंवगं पिव समूसविय° रोमकूवा देवाणु प्पियं अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी-देहमाणी चिटुइ ? गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी--एवं खलु गोयमा ! देवाणंदा माहणी ममं अम्मगा, अहण्णं देवाणंदाए माहणीए अत्तए। 'तण्णं एसा" देवाणंदा माहणी तेणं पुव्वपुत्तसिणेहरागेणं प्रागयपण्हया 'पप्पुयलोयणा, संवरियवलयवाहा कंचुयपरिक्खित्तिया धाराहयकलंबग पिव समूसवियरोमकूवा ममं अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी-देहमाणी चिट्ठइ ।। -- -...-. .... १. स० पा०—एवं जहा वितियसए जाव तिवि- ६. पप्फुय° (अ, ता, स); पप्फुल्ल ° (क)। हाए। ७. सं० पा०-तं चेव जाव रोमकूवा । २. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्याशः प्रतीयते । ८. गोयमादी (क, ता, ब, म)। ३. भ० ६१४४। ६. तए ए सा (अ, म)। ४. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । १०. सं. पा०—आगयपण्या जाव समूसविय। ५. पंजलिउडा (अ)। Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३६ भगवई १४९. तए णं समणे भगवं महावीरे उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणंदाए माहणीए तीसे य महति महालियाए इस्पिरिसाए' मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अगस्याए प्रणेगसयबंदा अणेगसयवंदपरियालाए ओवले इवले महत्वले अपरिमियवल-वोरिय-तेय - माहप्प - कंति जुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुरगंभीरकोंच णिग्घोस दुदुभिस्सरे उरे वित्थडाए कंठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए अम्म्मणाए सुव्वत्सक्खर सण्णिवाइयाए पुण्णरत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरसईए जोयणणीहारिणा सरेणं श्रद्धमागहाए भासाए भासइ -- धम्मं परिकहेइ० जाव परिसा पडिगया || 10 १५०. तए णं से उसभदत्ते माहणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मं सच्चा निसम्म हट्टे उट्टाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो ग्रायाहिण पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वदासी - एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! ० – से जहेयं तु भे वह त्ति कट्ट उत्तरपुरत्थिमं दिसिभागं श्रवक्कमति, अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं श्रोमुयइ, ग्रोमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उपागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेई', करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता • नमसित्ता एवं वयासी- आलित्ते णं भंते! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, प्रालित्त पलित्ते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य । " से जहानामाए केइ गाहावई श्रगारंसि भियायमाणंसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए, तं गहाय आयाए एगंतमंत श्रवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुराय हिलाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए श्रणुगामियत्ताए भविस्सइ | एवामेव देवाणुपिया ! मज्झ वि आया एगे भंडे इट्ठे कंते पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए बहुमए प्रणुमाए भंडकरंडगसमाणे, मा णं सीयं मा णं उन्हं, माणं खुहा, माणं पिवासा, मा णं चोरा, माणं वाला, मा णं दंसा, मा णं मसया, माणं वाइय-पत्तिय-सेंभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायका परीसहोग्गा कुसंतुति कट्टु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ | १. सं० पा० - इसिप रिसाए जाव । २. ओ० सू० ७१ ७६ । ३. अंतिए (ता) । ४. सं० पा०-तिक्खुतो जाव नमसित्ता । ५. सं० पा०-- जहा खंदओ जाब से । ६. सं० पा०-- करेइ जात्र नमसित्ता । ७. सं० पा० - एवं एएवं कमेणं जहा खंदओ तहेव पव्वदओ | Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं ( तेत्तीसइमो उद्देसो) ४३७ तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सयमेव पञ्चावियं सयमेव मुंडावियं, सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं, सयमेव ग्रायारगोयरं विषय-वेणइय चरण-करण जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं || १५१. तए णं समणे भगवं महावीरे उसभदत्तं माहणं सयमेव पव्वावेइ सय मेव मुंडावेइ, सयमेव सेहावेइ, सयमेव सिक्खावेइ, सयमेव आयार-गोयरं विषय- वेणइय चरण-करण जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खइ - एवं देवाणुप्पिया गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं, एवं निसोइयव्वं, एवं तुयट्टियव्वं, एवं भुजियन्वं, एवं भासियव्वं एवं उट्ठाय उट्ठाय पाणेहि भूएहिं जीवेहि सत्तेहि संजमेणं संजमियन्द अस्सिं चणं अट्ठे णो किंचि विपमाइयव्वं । तए णं से उसभदत्ते माइणे समणस्स भगवग्रो महावीरस्स इमं एयारूवं धम्मियं उवएस सम्म संपडिवज्जई ' जाव' सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई ग्रहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ छट्टम दसम - दुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि विचितेहि तवोकम्मे हिं श्रप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ, पाणित्ता मासियाए संलेहणाए प्रत्ताणं भूसेइ, भूसेत्ता सट्टि भत्ताई अणसणाए छेदेइ, छेत्ता जस्सद्वारा कीरति नग्गभावे जाव तमट्ठ आराहेइ, श्रहेत्ता' • चरमेहि उस्सास- नीसासेहि सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे' सव्वदुक्खप्पहीणे || १५२. तए णं सा देवाणंदा माहणी समणस्स भगवन महावीरस्स प्रतियं धम्मं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टा समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो ग्रायाहिण -पयाहिणं' करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - एवमेयं भंते! तमेयं भंते ! एवं जहा उसभदत्तो तहेव जाव धम्ममाइक्खियं ॥ १५३. तए णं समणे भगवं महावीरे देवाणंद माहणि सयमेव पव्वावेइ, पव्वावेत्ता सयमेव ग्रज्जचंदणाए ग्रज्जाए सीसिणित्ताए दलयइ || १५४. तए णं सा अज्जचंदणा अज्जा देवानंदं माहणि सयमेव ' मुंडावेति, सयमेव सेहावेति । एवं जहेव उसभदत्तो तहेव प्रज्जचंदणाए अज्जाए इमं एयारूवं धम्मियं उवदेसं सम्मं संपडिवज्जइ, तमाणाए तह गच्छइ जाव' संजमेणं संजमति || १५५. तए णं सा देवागंदा अज्जा एक्कारस श्रंगाई श्रहिज्जइ, १. भ० २५३-५७ । २. जाव ( अ, क, ता, ब, स ) । ३. सं० पा० - दसम जाव विचितेहि । ४. भ० १।४३३ | ५. सं० पा० - आराहेत्ता जाव सव्व । अज्जचंदणाए अज्जाए अंतियं सामाइयमाइयाई ग्रहिज्जित्ता बहूहि चउत्थ छट्ठट्ठम- दसम दुवाल - १० ६. सं० पा०-- पयाहिणं जाव नमसित्ता । ७. X (ब, म) 1 ८. सयमेव पव्वावेति सयमेव (क, व, म) 1 ६. भ० २।५४ । १०. सं० पा० - सेस तं चैव जाव सव्व । Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४३८ सेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ, असेत्ता सद्धि भत्ताई अणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता चरमेहिं उस्सास-नीसासेहि सिद्धा बुद्धा मुक्का परिनिव्वुडा ° सव्वदुक्खप्पहीणा ॥ जमालि-पदं १५६. तस्स गं माहणकुडग्गामस्स नगरस्स पच्चत्थिमे णं एत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे नाम नयरे होत्था-वण्णो । तत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे नयरे जमाली नाम खत्तियकुमारे परिवसइ --अड्ढे दित्ते जाव' बहुजणस्स अपरिभूते, उपि पासा. यवरगए फुट्टमाणेहि मुइंगमत्थाएहि बत्तीसतिबद्धेहिं णाडएहि वरतरुणीसंपउ. तेहि उवनच्चिज्जमाणे-उवनच्चिज्जमाणे, उवगिज्जमाणे-उवगिज्जमाणे, उवलालिज्जमाणे-उवलालिज्जमाणे, पाउस-वासारत्त-सरद-हेमंत-वसंत-गिम्हपज्जते छप्पि उऊ जहाविभवेणं माणेमाणे, कालं गालेमाणे, इढे सद्द-फरिस रस-रूव-गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरइ ।। १५७. तए ण खत्तियकुण्डग्गामे नयरे सिंघाडग-तिक-चउक्क-चच्चर- चउम्मुह-महा पह-पहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवूहे इ वा जणवोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी इ वा जणुक्कलिया इ वा जणसण्णिवाए इ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ°, एवं पण्णवेइ, एवं परूवेइ, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव' सव्वण्ण सव्वदरिसी माहणकंडग्गामस्स नगरस्स वहिया बहसालए चेइए अहापडिरूवं प्रोग्गहं योगिण्डित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे • विहरह। तं महप्फलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए जहा प्रोववाइए जाव' एगाभिमुहे खत्तियकुण्डग्गामं नयरं मझमज्झणं निग्गच्छंति', निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए, तेणेव उवागच्छंति एवं जहा अोववाइए जाव" तिविहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासंति ॥ १. प्रो०.सू. १ 1 ६. ओ० सू०१६। २. भ० २१६४। ७. सं० पा०—अहापडिरूवं जाब विहरइ। ३. णाणाविहवरतरुणी (अ, ब, स)। ८. ओ० सू० ५२, वाचनान्तर पृ.० १४७ । ४. उडू (अ); उदू (ता, ब, स)। ६. निग्गच्छइ (क, ता)। ५. सं० पा०-चच्चर जाव बहुजरासद्दे इ वा १०. ओ० सू० ५२, ६६। जाव एवं। Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३६ नवमं सतं (तेतीसमो उद्देसो) ० १५८. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तं मह्याजणसद्दं वा जाव जणसन्निवायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूवे प्रभत्थिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - किण्णं अज्ज खत्तियकुंङग्गामे नयरे इंदम इवा, खंदमहे इ वा, मुगुंदमहे इ वा, नागमहे इ वा, जक्खमहे इवा, भूमहे इ वा कूवमहे इ वा, तडागमहे इ वा, नईमहे इवा, दहमहे इ वा, पवमहे इवा, रूक्खमहे इवा, चेइयमहे इवा, थूभमहे इवा, जण्णं एते बहवे उगा भोगा, राइण्णा, इक्खागा, णाया, कोरव्वा, खत्तिया, खत्तियपुत्ता, भडा, भडपुत्ता, ' 'जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता प्रष्णेय बहवे राईसर - तलवर-- माडंबिय - कोडुंबिय -- इब्भ-सेट्ठि - सेणावइ ०. - सत्थवाहपतियो व्हाया कयवलिकम्मा जहा प्रोववाइए जाव' खत्तियकुंडग्गामे नयरे मज्भंमज्झेणं निग्गच्छति ? --एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कंचुइ - पुरिसं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वदासी -- किरण देवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहे इवा जाव निग्गच्छंति ? १५६. तए णं से कंचुइ- पुरिसे जमालिना खत्तियकुमारेणं एवं वृत्ते समाणे हट्टतुट्टे समणस्स भगवओ महावीरस्स श्रागमणगहियविणिच्छए करयल परिगहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु जमालि खत्तियकुमारं जएणं विजएणं वृद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! श्रज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहे इ वा जाव' निग्गच्छति । एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज सम भगवं महावीरे आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी माहणकुंडग्गामस्स नयरस्स बहिया बहुसालए चेइए ग्रहापडिख्वं प्रोग्गहं योगिव्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं एते बहवे उग्गा, भोगा जाव " निग्गच्छति ॥ 0 १६०. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे कंचुइ - पुरिसस्स प्रतियं एयम सोच्चा निसम्म हट्टे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं श्रासरह जुत्तामेव उवद्ववेह, उवद्ववेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चपिह ॥ १. सं०पा० - अज्झात्थिए जाव समुप्पज्जित्था । २. नाता (क, व, म) 1 ३. सं०पा० - जहा ओववाइए जाव सत्यवाह | ४. श्र० सू० ५२ । ५. कंचुइज्ज ( अ, क, ता, ब) 1 ६. सं० पा०-- करयल । ७. भ० ६।१५८ । ८. ओ० सू० १६ । ६. सं० पा०-- ओग्गहं जाव विहरइ । १०. ओसू सू० ५२; जाव अप्पेगइया वंदणवत्तियं जाव ( अ, क, ता, ब, म) 1 ११. कंचुति ( अ, क, व, स ) | Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४० भगवई १६१. तए णं ते कोडुवियपुरिसा जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ता समाणा' 'चाउ घंट आस रहं जुत्तामेव उवट्ठवेंति, उवट्ठवेत्ता तमाणत्तियं ° पच्चप्पिणंति ! १६२. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवाग च्छित्ता हाए कयवलिकम्मे जाव चंदणुक्खित्तगायसरीरे' सव्वालंकारविभूसिए मज्जणघरानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव चाउग्घंटे पास रहे तेणेव उवागच्छ इ, उवागच्छित्ता चाउग्धंट प्रासरह दुरुहइ, दुरुहित्ता सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं, महयाभडचडकरपहकरवंदपरिक्खित्ते खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे, जेणेव बहुसालए चेहए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तुरा निगिण्हेइ, निगिण्हेत्ता रहं ठवेइ, ठवेत्ता रहाम्रो पच्चोरुहति, पच्चोहित्ता पुप्फतंबोलाउहमादियं पाहणाओ य विसज्जेति, विसज्जेत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, करेत्ता यायंते चोक्खे परमसुइभूए अंजलिमउलियहत्थे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समर्ण भगवं महावीरं तिवखुत्तो पायाहिण-पायाहिणं करेइ, करेसा बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ।। १६३. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स, तीसे य महतिमहा लियाए इसि परिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए अणे गसयवंदाए अणेगसयवंदपरियालाए पोहबले अइवले महब्बले अपरिमियवलवीरिय-तेय-माहप्प-कति-जुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुरगंभीर-कोचणिग्घोस-दंदुभिस्सरे उरे वित्थडाए कंठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए अमम्मणाए सुव्वत्तक्खर-सषिणवाइयाए पुण्णरत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिणा सरेण अद्धमागहाए भासाए भासइ-धम्म परिकहेइ ° जाव परिसा पडिगया ।। १. संपा०----समारणा जाव पच्चप्पिणति । ३. चंदरगोकिषण (ता,म); चंदणोखिप्पा (ब) २. जाव ओववाइए परिसावण्णओ तहा भाणि- ४. दूहइ (अ, ता, ब); ब्रुति (क) । यवं जाव (अ, क, ता, ब, म, स); मज्जन- ५. संकोरंट (म, स)। गृहप्रकरणे परिवारवानस्य सूचना स्वाभा- ६. वाहणाओ (अ, म); पाणहाओ (क); वाणविकी नास्ति, अतः प्रतीयते अत्र पाठसंक्षेपी- हाओ (स) । करणे कश्चिद् विपर्ययो जातः । न च एतद्- ७. अंजलितमउ० (ता)। रूपेणासौ पाठः औपपातिके लभ्यते, अतए- ८. सं० पा० ---करेत्ता जाव तिविहाए। वासौ पाठान्तरत्वन स्वीकृतः । द्रष्टव्यम्- ६. सं० पा०--इसि जाव धम्मकहा। ओ० सू० ६३ । १०. ओ० सू० ७१-७६ 1 Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४४१ १६४. तए णं से जमाली खत्ति यकुमारे समणस्स भगवश्री महावी रस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ट तुट्टचित्तमाणदिए णदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए उठाए उठेइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-सद्दहामि णं भंते ! निगंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! निरगथं पावयणं, रोएमिणं भंते ! निगंथं पावयणं, अभट्रेमि णं भंते! निग्गथं पावयणं, एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! •इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! ०-से जहेयं तुन्भे वदह, जं नवरं- देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो पापुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुडे भवित्ता अगारामो अणगारियं पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध ॥ १६५. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणेणं 'भगवया महावीरेण एवं वृत्ते समाणे हट्टतुटे समणं भगवं महावीरं तिवखुत्तो' 'मायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तमेव चाउग्घंटे प्रासरहं दुरुहइ, दुरुहित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियानो बहुसालाओ चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिवखमित्ता सकोरेट मल्लदामेणं छत्तेण धरिज्जमाणेणं महयाभडचडगर पहकरवंद परिबिखत्ते, जेणेब खत्तियक डग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खत्तियकुंडग्गाम नयरं मझमझेणं जेणेव सए गेहे जेणेव' वाहिरिया उवदाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागरिछत्ता तुरए निगिहइ, निगिण्हित्ता रहं ठवेइ, ठवेत्ता रहाम्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता जेणेव अभिंतरिया उवदाणसाला, जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अम्मापियरो जएणं विजएणं बद्धावेइ, बद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अम्मताओ ! मए समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, से वि य मे धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए अभिरुइए॥ १६६. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी--धन्ने सिणं तुम जाया ! कयत्थे सि णं तुम जाया ! कयपुणे सि णं तुम जाया ! कयलक्खणे सि णं तुमं जाया ! जणं तुमे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, से वि य ते धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए ।। १. सं० पा०-हटु जाव हियए। २. सं० पा०-तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता । ३. सं० पा०-भंते जाव से । ४. सं० पा०—तिवखुत्तो जाव नमसित्ता। ५. सं० पा०--सकोरेंट जाव धरिज्जमारणेणं । ६. सं० पा०-चडगर जाव परिक्खिते। ७. अम्मयाओ (अ, स); अम्माताओ (ब)। Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४२ भगवई १६७. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे सम्मापियरो दोच्चं पि एवं वयासी - एवं खलु मए अम्मताओ ! समणस्स भगवन महावीरस्स अंतिए धम्मे निसते', • सेविय मे धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए । तए णं अहं ग्रमताओ ! संसारभव्विग्गे, भीते जम्मण - मरणेणं, तं इच्छामि णं श्रमताओ ! तुब्भेहि अब्भणुष्णाए समाणे समणस्स भगवत्र महावीरस्स प्रतियं मुंडे भवित्ता श्रगाराश्रो ऋणगारियं पव्वइत्तए || १६८. तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माता तं ग्रणि प्रकंतं अप्पियं श्रणुष्णं प्रणामं प्रस्सुपुव्वं गिरं सोच्चा निसम्म सेयागयरोमकूपगलतचिलिणगत्ता', सोगभरपवेवियंगमंगी नित्तेया दीणविमणवयणा, करयलमलिय व्व कमलमाला, तक्खणलुग्गदुब्बलसरीरलायण्णसुन्ननिच्छाया", गयसिरीया पसिढिलभूसणपडतखुणियसं चुण्णियधवलवलय' - पब्भद्वउत्तरिज्जा, मुच्छावसणटुचेतगरुई, सुकुमालविकिष्ण केस हत्था, परसुणियत्त' व्व चंपगलया, निव्वत्तमहे ब्व इंदलट्ठी, विमुक्कसंधिबंधणा कोट्टिमतलंस' धसत्ति सव्वंगेहि" संनिवडिया " || १६६. तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया ससंभमोवत्तियाए" तुरियं कंचणभिंगारमुहविणिग्गय सीयलजलविमलधार परिसिच्चमाणनिव्वावियगायलट्ठी", उadar - तालियंट वीयणगजणियवाएणं, सफुसिएणं अंतेउरपरजणेणं आसा सिया समाणी रोयमाणी कंदमाणी सोयमाणी विलवमाणी जमालि खत्तियकुमारं एवं वयासी - तुमं सिणं जाया ! म्हं एगे पुत्ते इट्ठे कंते पिए मणुष्णे मणामे थेज्जे वेसासिए समए बहुमए प्रणुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणव्भूए जीविऊसविए "हिययनं दिजणणे उंबरपुप्फे पिव" दुल्लभे सवणयाए", किमंग ! पुणपाणयाए ? तं नो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो तुब्भं खणमवि विप्पयोगं, तं श्रच्छाहि ताव जाया ! जाव ताव आम्हे जीवामो तन पच्छा ग्रम्हहिं कालगएहि समाणेहिं परिणयवए वड्ढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स ११. ० यत्तियाए (क, ता); चेट्या इति गम्यम् (दृ) । १२. सोयलविमलजल (अ); सीतल विमल ० (क); "सीतलविमलधारपरिसिच्चमाणनिव्ववित (ता); ० निव्ववित ( ब ) ; सीयलविमलजलधारपरिसिच्चमाणनिव्ववित ( स ) १३. जीवियउस्सासिए (वृपा, ना० १।१।१०६ ) । १४. विव ( क ). १५. समणवाए ( अ ) । १. सं० पा० निसंते जाव अभिरूइए । २. जम्मजरा ( क्व० ) । ३. ० विलीरणगत्ता ( अ, ब, स ) 1 ४. ० लावण्ण ० ( ना० १।१।१०५ ) | ५. सढिल ( अ, क, ता, भ) । ६. ० खुम्मिय ( ना० १।१।१०५ ) । ७. ० गुरुई ( अ, ता, व, स ) 1 ८. ०णितत्त (ता); ° कित्त ( ब ) | ६. सन्वंगेहिं धसति ( ना० १|१|१०५ ) | १०. निवडिया ( अ, ता, स ) । Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४४३ भगव महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराश्रो अणगारियं पव्वइहिसि || १७०. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे सम्मापियरो एवं वयासी - तहा विणं तं अम्मता ! जणं तुब्भे मम एवं वदह-तुमं सि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इट्ठे कंते तं चैव जाव' पव्वइहिसि एवं खलु अम्मता ! माणुस्सए भवे अणेगजाइ जरा मरण-रोग-सारी रमाणसपकामदुक्खवेयण वसणस तो वद्दवाभिभूए धुवे ग्रणितिए सासए संभम्भरागसरिसे जलबुब्बुदसमाणे कुसग्गजलबिंदुसन्निभे सुविणदंसणोवमे विज्जुलयाचंचले प्रणिच्चे सडण पडण विद्वंसणधम्मे, पुदि वा पच्छा वा ग्रवस्सविप्पजहियव्वे भविस्सs, से केस' गं जाणइ श्रमता ! के पुब्वि गमणयाए, के पच्छा गमणयाए ? तं इच्छामि गं अम्मता ! तुभेहिं अभगुण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइत्तए || १७१. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं सम्मापियरो एवं वयासी - इमं च ते जाया ! सरीरगं पविसिट्ठरुवं' लक्खण वंजण-गुणोववेयं उत्तमवल-वीरियसत्तजुत्तं विणा विक्खणं ससोहग्गगुणसमुसियं अभिजायमहक्खमं विविहवाहिरोगरहियं, निस्वय- उदत्त' - लट्ठपचिदियपडु' पढमजोव्वणत्थं ग्रणेगउत्तमगुणेहिं संजुत्तं तं प्रणुहोहि ताव जाया ! नियगसरी ररूव-सोहग्ग-जोब्वणगुणे, तत्रो पच्छा अणुभूय नियगसरीररूव सोहग्ग- जोव्वणगुणे ग्रम्हेहि कालगाएहि समाणेहिं परिणयवए वड्ढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि निरवयक्ले समणस्स भगवो महावीरस अतियं मुंडे भवित्ता प्रगारा अणगारियं पव्वइहिसि ॥ १७२. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे सम्मापियरो एवं वयासी - तहा विणं तं अम्मता ! जणं तुब्भे ममं एवं वदह - इमं च णं ते जाया ! सरीरगं तं चेव जाव' पव्वइहिसि एवं खलु अम्मताओ ! माणुस्सगं सरीरं दुक्खाययणं, विविवाहितयसंनिकेतं श्रयिकछुट्टियं, छिराण्हारुजाल - प्रोणद्धसंपिणचं, भिंड व दुव्वलं, असुइकिलिट्ठ ग्रणिट्टविय सव्वकालसंठप्पयं, जराकुणिमजज्जरघरं व सडण-पडण- विद्वंसणधम्मं, पुव्वि वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वं भविस्सइ । से केस गं जाणइ अम्मता ! के पुवि "गमणयाए, के पच्छा गमणयाए ? तं इच्छामि णं अम्मतान ! तुब्भेहिं ग्रब्भणुण्णाए समाणे १. भ० ६ १६६ २. सुविणगसदं ० ( क म ); सुविणगदं ० ( स ) 1 ३. के (ठा, ना० १|१|१०७) ४. सं० पा० समणस्स जाव पव्वइत्तए । ५. पत्रि० (ता, ब) 1 ६. ० समूवियं ( ता ) । ७. उयग्ग ( ता ) । ८. लट्ठ ० ( स ) 1 ६. भ० ६६१६६ । १०. सं० पा० - तं चैव जाव पव्वइत्तए । Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४४ भगवई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पव्व इत्तए । १७३. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमानो य ते जाया ! विपुलकुलबालियानो' कलाकुसल-सव्वकाललालिय-सुहोचियानो', मद्दवगुणजुत्त-निउणविणग्रोवयारपंडिय-वियक्खणायो, मंजुलमियमहरभणियविहसिय-विप्पेक्खिय-गति-विलास-चिट्ठियविसारदाओ, अविकलकुल-सीलसालिणीयो', विसुद्धकुलवंससंताणतंतुवद्धण-प्पगभुभवपमाविणीग्रो, मणाणुकूलद्वियइच्छियाप्रो. अद्र तज्झ गणवल्लहायो उत्तमायो, निच्च भावाणरत्तसवंगसुंदरीओ' । तं भुंजाहि ताव जाया ! एताहिं सद्धि विउले माणुस्सए कामभोगे, तमो पच्छा भुत्तभोगी विसय-विगयवोच्छिण्ण-कोउहल्ले अम्हेहि कालगएहि *समाणेहिं परिणयवए वढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवओ महावीररस अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारियं ° पव्वइहिसि ।। १७४. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहा वि णं तं अम्मतानो ! जण्णं तुन्भे मम एयं वदह -इमायो ते जाया ! विपुलकुलबालियानो जाव' पब्वइहिसि, एवं खलु अम्मतानो! माणुस्सगा कामभोगा' उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाणग-वंत-पित्त-पूय-सुक्क-सोणिय-समुब्भवा, अमणुएणदुरुय'-मुत्त-पूइय-पुरीसपुण्णा, मयगंधुस्सास-असुनिस्सास उव्वेयणगा, वीभच्छा", अप्पकालिया, लहुसगा', 'कलमलाहिवासदुक्खा बहुजणसाहारणा", परिकिलेसकिच्छदुक्खसज्झा, अवुहजणणिसेविया, 'सदा साहुगरहणिज्जा'", - -- ---- -- - - - १. वालियाओ (स); सनिसियाओ, सरित्तयाओ, विणीओ (पा)। सरिव्वयाओ. सरिसलावण्णरूव...जोब्बग- ५. ° संदरीओ भारियाओ (ब, म, स)। गुणोववेयाओ, सरिसएहितो कुले हितो आणि- ६. सं० पा०-कालगएहि जाव पव्वरहिसि । एल्लियाओ (अ, क, व, म, स); असौ पाठः ७. भ० ६।१७३ । 'ता' सकेतिते आदर्श नास्ति तथा वृतावधि ८. कामभोगा असुई, असासया, वंतासवा, पित्तागास्ति व्याख्यातः । नायाधम्मकहाओ (१११ सवा, खेलासवा, सुक्कासवा, सोरिणयासबा १०८) असौ विद्यते । तस्य वाचनान्तरे चैष (अ, ब, म, स)। पाठो नास्ति । वाचनान्तरगतश्च पाठः ६. °दुरूव (अ, क, व, स)। प्रस्तुतभगवतीपाठसशोस्ति । १०. मद° (ता); मत ° (ब)। २. सुहोइयाओ (ब)। ११. वीभत्था (ब)। ३. ०णियाओ (ब)। १२. लहूसना (अ, क, ब, म)। ४. प्प गव्यभप्पभा° (अ); पगम्भवयभा° (क, १३. दुक्खबहुजरण ° (क, ता, ब, म)। वृ); पगब्भवपभा° (ता); पगब्भुब्भवपभा- १४. साधुजरणगरहणिज्जा (ता)। Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४४५ अणंतसंसारवद्धणा, कडुगफलविवागा चुडल्लिव अमुच्चमाण', दुक्खाणुबंधिणो, सिद्धिगमणविग्घा । से केस णं जाणइ अम्मतायो ! के पुचि गमणयाए ? के पच्छा गमणयाए ? तं इच्छामि णं अम्मताओ! 'तुब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइत्तए ।। तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी--इमे य ते जाया ! अज्जय-पज्जय-पिउपज्जयागए सुबह हिरण्णे य', सुवणे य, कसे य, दूसे य, विउलधण-कणग- रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-पवाल रत्तरयण ° - संतसारसावएज्जे, अलाहि जाव अासत्तमायो कुलवंसानो पकामं दाउं, पकामं भोत्तु, परिभाषउं, तं अणहोहि ताव जाया ! विउले माणस्सए इढि-सक्कारसमुदए, तओ पच्छा अणहयकल्लाणे, वढियकुलवंस तंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं मंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं० पव्वइहिसि ॥ १७६. तए णं से जमालो खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहा विणं तं अम्मतायो ! जग्णं तुब्भे ममं एवं वदह-इमं च ते जाया ! अज्जय-पज्जयपिउपज्जयागए जाव' पब्वइहिसि, एवं खलु अम्मताओ! हिरण्णे य, सुवण्णे य जाव सावएज्जे अग्गिसाहिए, चोरसाहिए, रायसाहिए, मच्चुसाहिए, दाइयसाहिए, अग्गिसामण्णे', 'चोरसामण्णे, रायसामण्णे, मच्चुसामण्णे °, दाइयसामण्णे, अधुवे, अणितिए, असासए, पुब्बि वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियब्वे भविस्सइ, से केस णं जाणइ "अम्मताओ ! के पुवि गमणयाए, के पच्छा गमणयाए ? तं इच्छामि णं अम्मतानो! तुम्भेहिं अब्भणुग्णाए समाणे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं मुंडे भविता अगाराओं अणगारियं पव्वइत्तए। १७७. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मतानो जाहे नो संचाएंति विसयाणुलोमाहि वहि प्राघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विग्णवणाहि य, प्राघवेत्तए वा पण्णवेत्तए वा सण्णवेत्तए वा विण्णवेत्तए वा, ताहे विसयपडिकलाहिं संजमभयुव्वेयणकरीहि पण्णवाहि पण्णवेमाणा एवं वयासी-एवं १. इह प्रथमाबहुवचनलोपो दृश्यः (वृ)। २. सं० पा०—अम्मताओ जाव पव्वइत्तए। ३. या (क, ता, ब, म) सर्वत्र । ४. सं० पा०-करराग जाव सासार । ५. सं० पा०-वढियकुल वंस जाव पध्वइहिसि। ६. भ० ६।१७५। । ७. सं० पा०- अग्गिसामण्णे जाव दाइयसामण्णे। ८. सं० पा०-तं चेव जाव पव्वात्तए। ६. भयुम्वेवक ° (ता); भयुव्वेवणक° (व)। Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४६ भगवई खल जाया ! निग्गंये पावयणे सच्चे अणत्तरे केवले पडिपण्णे या संसडे सल्लगत्त मग मुत्तिमम्गे निजाणमग्गे निव्वाणमग्गे अवितहे अविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे, एत्थं ठिया जीवा सिझंति बुज्झति मुच्चंति परिनिवायंति ° सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति । अहीव एगंतदिट्ठीए, खुरो इव एगंतधाराए, लोहमया जवा चावेयब्वा, वालुयाकवले इव निस्साए, गंगा वा महानदी पडिसोयंगमणयाए, महासमुद्दो वा भुयाहिं दुत्तरो, तिक्खं कमियव्वं, गरुयं लंबेयव्वं, असिधारगं वयं चरियव्वं ।। नो' खलु कप्पइ जाया ! समणाणं निग्गंथाणं अहाकम्मिए इ वा, उद्देसिए इ वा, मिस्सजाए इ वा, अज्झोयरए इ बा, पूइए इ वा, कीते इ वा, पाभिच्चे इ वा, अच्छेज्जे इ वा, अणिसटे इ वा, अभिहडे इ वा, कतारभत्ते इ वा, दुब्भिक्खभत्ते इ वा, गिलाणभत्ते इ वा, वद्दलियाभत्ते इ वा, पाहुणगभत्ते इ वा, सेज्जायरपिंडे इ वा, रायपिंडे इ वा, मूल भोयणे इ वा, कंदभोयणे इ वा, फल भोयणे इ वा, वीयभोयणे इ वा, हरियभोयणे इ वा, भोत्तए वा पायए वा। तुम सि च णं जाया! सुहसमुचिए नो चेव णं दुहसमुचिए, नालं सीयं, नालं उण्हं, नालं खुहा, नालं पिवासा, नालं चोरा, नालं वाला, नालं दंसा, नालं मसगा, नालं बाइय-पित्तिय-संभिय-सन्निवाइए विविहे रोगायके, परिस्सहोवसग्गे उदिण्णे अहियासेत्तए । तं नो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो तुब्भं खणमवि विप्पयोग, तं अच्छाहि ताव जाया! जाव ताव अम्हे जीवामो तो पच्छा अम्हेहि' 'कालगहि समाणेहिं परिणयवए, वड्ढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं मुडे भवित्ता अगाराओ अण गारियं पव्वइहिसि ।। १७८. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहा वि तं अम्मतानो ! जण्णं तुब्भे ममं एवं वदह– एवं खलु जाया ! निगंथे पावयणे सच्चे अणत्तरे केवले तं चेव जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मतायो ! निग्गंथे पावयणे कीवाणं कायराणं कापुरिसाणं इहलोगपडिबद्धाणं परलोगपरंमुहाणं विसयतिसियाणं दुरणुचरे पागयजणस्स, धीरस्स निच्छियस्स ववसियस्स नो खलु एत्थं किंचि वि दुक्करं करणयाए, तं इच्छामि णं अम्मताओ ! तुन्भेहिं १. सं० पा०—जहा आवस्सए जाव सव्व ० । २. गुरुयं (अ) ३. णो य (अ, ता, ब)। ४. मीसजाए (ता); मिस्साजाए (ब)। ५. उज्झो० (अ, स)। ६. सं० पा०- अम्हेहिं जाव पध्वइहिसि । ७. अम्मयाओ (अ, स)। ८. भ० ६।१७७१ Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४७ नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो) अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स' प्रतियं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं° पब्वइत्तए ।।। १७६. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति विसयाणुलो माहि य, विसयपडिकूलाहि य वहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य आघवेत्तए वा' 'पण्णवेत्तए वा सण्णवेत्तए वा विण्णवेत्तए वा, ताहे अकामाइं चेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स निक्खमणं अणु मण्णित्था ।। १८०. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दा. वेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणु प्पिया ! खत्तियकुंडग्गामं नयरं सभितरबाहिरियं आसिय-सम्मज्जियोवलितं जहा प्रोववाइए जाव' सुगंधवरगंधगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । ते वि तहेव पच्चप्पिणंति ।। १८१. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया दोच्चं पि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासो-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स महत्थं महापं महरिहं विपुलं निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह । तए णं ते कोडुवियपुरिसा तहेव जाव उवट्ठवेति ॥ तए णं तं जमालि' खत्तियकुमारं अम्मापियरो सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं निसीयाति, निसीयावेत्ता अट्ठसएणं सोवणियाणं कलसाणं, ''अट्ठसएणं रुप्पमयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं मणिमयाणं कलसाग, अट्ठसएणं सुवण्णरुप्पामयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं सुवण्णमणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं रुप्पमणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं सुवण्णरुप्पमणिमयाणं कलसाणं', अट्टसएणं भोमेज्जाणं कलसाणं सविड्ढीए सव्वजुतीए सव्वबलेणं सव्वसमुदएण सव्वादरेणं सब्वविभूईए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं सव्वपुप्फगंधमल्लालंकारेणं सव्वतुडियसद्द-सणिणाएणं महया इड्ढीए मया जुईए महया बलेणं महया समुदएणं महया बरतुडिय-जमगसमग-प्पवाइएणं संख-पणव-पडह-भेरि-झल्लरि-खरमुहिहडुक्क-मुरय-मुइंग-दुंदुहि-णिग्घोसणाइय° रवेणं महया-महया निक्खमणाभि सेगेणं अभिसिचंति, अभिसिंचित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं १. सं० पाo-महावीरस्स जाव पव्वइत्तए । इति पदं अत्र नावश्यकं प्रतिभाति । २. सं० पा०--वा जाव विण्णवेत्तए । ५. सं० पा०—एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव ३. ओ० सू० ५५। अठ्ठसएणं । ४. पच्चप्पिणंति (अ, क, ता, ब, म, स); ६. सं० पा--सविडढीए जाव रवेणं । नााधम्मकहाओ (१६१।११६,११७) सूत्रा- ७. सं० पा०-करयल जाव जए। नूसारेण एतत्पदं स्वीकृतम् । 'पच्चप्पिणति' Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४८ भगवई मत्थए अंजलि कटु जएणं विजा,णं बद्धाति, बद्धावेत्ता एवं वयासी---भण जाया ! किं देमो? किं पयच्छामो ? 'किणा व" ते अट्ठो ? १८३. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरों एवं क्यासी-- इच्छामि णं अम्म तानो! कुत्तियावणानो रयहरणं च पडिग्गहं च ग्राणिय', कासवगं च सद्दावियं ।। १८४. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिता कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी--खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सिरिघरानो तिषिण सयसहस्साई गहाय 'दोहिं सयसहस्सेहि कुत्तियावणाप्रो रयहरणं च पडिग्गहं च प्राणेह, सयसहस्सेणं कासवगं सद्दावेह ।। १८५. तए णं ते कोडुबियपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा करयल परिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट एवं सामी ! तहत्ताणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति °, पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सिरिघरानो तिणि सयसहस्साई "गिण्हति, गिण्हित्ता दोहि सयसहस्सेहि कुत्तियावणामो रयहरणं च पडिग्गहं च प्राणेति, सयसहस्सेणं ° कासवगं सद्दावेंति ।। १८६. तए णं से कासवए जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडुबियपुरिसेहि सद्दा विए समाणे हट्ठतुट्टे हाए कयबलिकम्मे कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिए अप्पमहन्धाभरणालंकिय सरीरे, जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल'परिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्या अंजलि कटु जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पियरं जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावेत्ता एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया! जं मए करणिज्जं? १८७. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कासवगं एवं वयासी-तुमं देवाणुप्पिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरंगुलवज्जे निक्खमणपायोग्गे अग्गकेसे कप्पेहि ॥ १८८. तए णं से कासवगे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं बुत्ते समाणे १. किं णा वा (ब, स); किं णा व (म)। २. आणिउं (ता. ब)। ३. सद्दावेउं (ता); सद्दावितुं (ब)। ४. गहेत्ता (ता)। ५. दोहि सयसहस्सेणं (अ, क); एगसतसहस्सेणं (ता); सयसहस्सेणं (ब, म, स); बहुवचनान्तं पदं नायाधम्मकहाओ (१।१।१२२) सूत्रस्या धारेण स्वीकृतम्। ६. सं. पा.-करयल जाब पडिसूणेत्ता । ७. सं० पा०-तहेव जाव कासवगं । ८. सं० पा०-कयवलिकम्मे जाब सरीरे। ६. सं० पा०-- करयल । Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं गतं (तेत्तीस इमो उद्देसो) हट्ठतुढे करयल परिगहियं दसनहं सिरसावतं मत्थए अंजलि कटु एवं सामी ! तहताणाए विणएणं वयणं पडिसुणे इ, पडिसुणेत्ता सुरभिणा गंधोदएणं हत्थपादे पक्खालेइ, पक्खाले ता सुद्धाए अट्ठपडलाए' पोत्तीए मुहं बंधइ, बंधिता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं च उरंगुल वज्जे निक्खमणपायोग्गे असगकेसे कप्पेइ ।। १८६. तए णं सा जमालिस्रा खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छइ, पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ, पक्खालेत्ता अग्गेहि वरेहि गंधेहि मल्लेहिं अच्चेति, अच्चेत्ता 'सुद्धे वत्थे" बंधइ, बंधित्ता रयणकरंडगंसि पक्खिवति, पविखवित्ता हार-वारिधार-सिंदुवार-छिण्णमुत्तावलिप्पगासाई सुवियोगदूसहाई अंसूई विणिम्मुयमाणी-विणिम्मुयमाणी एवं वयासो--- एस णं अम्हं जमालिस्स खत्तियकुमारस्स वहूसु तिहीसु य पव्वणीसु य उस्सवेसु य जण्णेसु य छणेसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सतीति कटु ऊसीसगमूले टवेति ॥ तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो दोच्चं पि उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयाति, रयावेत्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सेया-पीयएहिं कलसेहिं ण्हावेति, पहावेता पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गंधकासाईए गायाई ल हेंति, लूहेत्ता सररोणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिपंति, अणुलिपित्ता नासानिस्सासवायवोझ चक्खुहरं वण्ण-फरिसजुत्तं हयलालापेलवातिरेगं धवलं कणगखचितंतकम्मं महरिहं हंसलक्खणपडसाडगं परिहिति, परिहित्ता हार पिणद्धेति', पिणद्वेता अद्धहारं पिणद्धेति', पिणद्धत्ता "एगावलि पिणद्धति, पिणवेत्ता मुत्तावलि पिणद्धति, पिणद्धता रयणावलि पिणद्धेति, पिणहेत्ता एवं-अंगयाइं केयूराई कडगाई तुडियाई कडिसुत्तगं दसमुद्दाणंतगं विकच्छसुत्तगं' मुरवि कंटमुरविं पाल व कुडलाई चूडामणि"० चित्तं रयणसंकडुक्कडं मउडं पिणद्वेति, कि बहुणा ? गंथिम-वेढिम-पूरिम-संघातिमेणं चउव्विहेणं मल्लेणं कप्परुवखगं पित्र अलंकिय-विभूसियं करेंति" ॥ १. सं० पा०-करयल जाव एवं । ६. सं० पा० ---एवं जहा सूरियाभस्स अलंकारो २. चउप्फलाए (ना० १११।१२५) । तहेव जाव चित्तं । ३. सुद्धवत्थेणं (अ, स)। १०. वच्छसुत्तं (भ० वृ०); वेकच्छसुत्तं (वृपा)। ४. दूसहसहाई (क, व, म)। ११. वाचनान्तरे स्वयमलंकारवर्णक: साक्षाल्लि. ५. सीया (अ, ब, म, स)। खित एव दृश्यते (वृ)। ६. ° संजुतं (अ) १२. वाचनान्तरे पुनरिदमधिकं 'दद्द रमलयसुगंधि७. पिणिहंति (ता, ब), गंधिएहिं गायाइं भुकुडेति' ति दृश्यते (वृ) । ८. पिणहेंति (ब) Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५० १६१. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुबियपुरिसे सहावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणु प्पिया ! अणेगखंभसयसण्णिविट्ठ, लीलद्वियसालभंजियागं जहा रायपसेण इज्जे विमाणवणो जाव' मणिरयणपंटियाजालपरिविखत्तं पुरिससहस्सवाहिणि सीयं उबट्टवेह, उवद्ववेत्ता मम एयमाण त्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणति ।। १६२. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे केसालंकारेणं, वत्थालंकारेणं, मल्लालंकारेणं, आभरणालंकारेण ---चबिहेणं अलंकारेणं अलंकारिए समाणे पडिपुण्णालंकारे सीहासणाम्रो अभट्रेइ, अभद्वेत्ता सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणे सीयं दुरुहइ', दुहित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सण्णिसणे १९३. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माता पहाया कयवलिकम्मा जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सोयं ग्रणप्पदाहिणीकरेमाणी सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणे पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा ।।। १९४. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मधाती व्हाया कयवलिकम्मा जाव' अप्पमहग्घाभरणालकियसरीरा रयहरणं पडिग्गहं च गहाय सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणी सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स वामे पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा ।। १६५. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकमारस्स पिट्यो एगा वरतरुणी सिंगारागार चारुबेसा संगय-ग- हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-संलाव-निउणजुत्तोवयारकुसला सुदरथण-जघण-बयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण ° एकजोवण-विलासकलिया' सरदब्भ-हिम-रयय कुमुद-कुददुप्पगासं सकोरेंटमल्लदामं धवलं आयवत्तं गहाय सलील 'अोबरेमाणो-अोधरेमाणी चिट्ठति ।। १. राय० सू० १७ । २. वाचनान्तरे पुनरयं वर्णकः साक्षादृश्यत एव । ३. द्रुहति (क, ता, ब)। ४. भ० ३३३ । ५. भ० ३।३३ । ६. सं० पा०-संगयगय जाव रूव। ७. विलासकलिया सदरथण (अ, ब, म, स); एषु आदर्शपु 'विलासकलिया' इति पदस्याने 'सदरथरण' इति संक्षिप्तपाठो विद्यते; किन्तु एष पाठः 'बिलासकलिया' इति पदस्थादौ विद्यमानोस्ति, नेन नात्र युज्यते । वृत्तिकृतापि उक्तपदानन्तरमसौ पाठः स्वीकृत:, किन्तु एतस्मिन् स्वीकारे पाठस्य पुनरुक्तिर्जायते, यथा -'रूवजोवरणविलासक लिया' सुन्दरथ जहावयरण करचरणरणयरगलायग्णरुवजोव्वगणगुणोववेय' ति सूचितम् (व), अस्माकं पाठानुसन्धान प्रयुक्ते प्रतिद्वये एष पाटो नास्ति । एषा वाचना सम्यक् प्रतीयते । है. उवधरेमाणीओ उवधरेमागीयो (अ); उपरि धरेमाणीओ २ (स)। Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेत्तीस इमो उद्देसो) ४५१ १९६. तए णं तस्म जमालिस्स (खत्तियकुमारस्स?) उभो पासि दुवे वरतरुणीओ सिगारागार चारवेसाप्रो संगय-गय-हसिय-भणिय-चेट्टिय-विलास-सललियसंलाव-निउणजुत्तोवयारकुसलामो सुंदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयणलावण्ण-रूव-जोव्वण-विलास ° कलियानो नाणामणि-कणग-रयण-विमलमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदंडायो, चिल्लियाओ, संखक-कुद-दगरय-अमयमहिय-फेणपजसगिणकामानो धवलामो चामरानो गहाय सलील वीयमाणीयो वीयमाणीग्रो चिट्ठति ।। १६७. तए णं तम्स जमालिरम खत्तियकुमारस्म उत्तरपुरथिमे णं एगा वरतरुणी सिंगारागार चारुवेसा संगय-गय-हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-संलावनिउणजुत्तोवयारकुसला सुंदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूवजोव्वण-विलास कलिया सेतं रययामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमहामुहा कितिसमाणं भिगारं गहाय चिट्ठइ ।। १९८. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणपुरस्थिमे णं एगा वरतरुणी सिंगारागार चारुवेसा संगय-गय-हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-संलावनिउणजुत्तोबयारकुसला संदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूवजोव्वण-विलास कलिया चित्तकणगदंडं तालवेटे गहाय चिट्टइ ।। तर तस्स जमालिस्स खत्तियकमा रस्स पिया कोडंबियपरिसे सहावेइ. सहावेत्ता एवं बयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सरिसयं सरित्तयं सरिव्वयं सरिसलावण्ण रूव-जोवण-गुणोववेयं, एगाभरणवसण-गहियनिज्जोयं कोडं वियवरतणसहस्सं सद्दावेह।।। २००. तए णं ते कोडुवियपुरिसा जाव' पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सरिसयं सरित्तयं' 'सरिब्वयं सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वण-गुणोववेयं एगाभरणवसण-गहियनिज्जोयं कोवियवरतरुणसहस्सं सदावेति ।। तए णं ते कोवियवरतरुणपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडवियपुरिसेहिं सदाविया समाणा हट्ठतृट्ठा व्हाया कयत्रलिकम्मा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता एगाभरणवसण-गहियनिज्जोया जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं १. सं० पा०--सिंगारागार जाव कलिया। २. सेयवरचामराम्रो (क)। ३. सं० पा०-सिंगारागार जाव कलिया। ४. सं० पा० -सिंगारागार जाव कलिया। ५. एगारसभरण (अ)। ६. भ०६।१८५। ७. सं० पा०-सरित्तयं जाव सहावेति । ८. अस्मिन पदे 'वरतरुण' इति पाठः नायाधम्म___ कहाओ (१११११४०) सूत्रानुसारेण स्वीकृतः । ६. सं० पा०-करयल जाव बद्धोवेत्ता । Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५२ भगवई मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाति, ° वद्धावेत्ता एवं वयासी-संदि संतु णं देवाणुप्पिया ! जं अम्हेहि करणिज्ज । २०२. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कोडुवियवरतरुणसहस्सं एवं वयासी- तन्भे ण देवाणप्पिया! ण्हाया कय वलिकम्मा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता एगाभरणवसण -गहियनिज्जोया जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहेह ।। २०३. तए णं ते कोडुबियवरतरुणपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ता समाणा जाब' पडिसुणेता व्हाया जाव' एगाभरणवसण-गहियनिज्जोगा जमालिरस खत्तियकुमाररस सीयं परिवहति ।। २०४. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठमंगलगा पुरओ अहाणुपुवीए संपट्ठिया, तं जहा -सोत्थिय-सिरिवच्छ'- दियावत्त-वद्धमाणग-भद्दासण-कलस-मच्छ ° -दप्पणा। तदाणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगारं, दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दसण-रइयआलोय-दरिसणिज्जा, वाउद्धय-विजयवेजयंती य ऊसिया गगणतलमणुलिहंती पुरो ग्रहाणपुवीए संपट्ठिया । "तदाणंतरं च णं वेरुलिय-भिसंत-बिमलदंडं पलंवकोरंटमल्लदामोवसोभियं चंदमंडलणिभं समूसियं विमल पायवत्तं, पवरं सीहासणं वरमणि रयणपाद-पीढं सपाउयाजोयसमाउत्तं बहुकिंकर-कम्मकर-पुरिस-पायत्त-परिक्खित्तं पुरो ग्रहाणुपुवीए संपट्ठियं । तदाणंतरं च णं वहवे लटिग्गाहा कुतग्गाहा चामरगाहा पासग्गाहा चावगाहा पोत्थयग्गाहा फलगग्गाहा पीढग्गाहा वीणग्गाहा कूवगाहा हडप्परगाहा पुरो अहाणुपुवीए संपट्टिया। तदाणतरं च णं वहये दंडिणो मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिछिणो हासकरा डमरकरा दबकरा चाडुकरा कंदप्पिया कोक्कुइया किडकरा य वायंता य गायंता य णच्चंता य हसंता य भासंता य सासंता य सावेंता य रक्खंता य° आलोयं च करेमाणा जय जय सदं पउंजमाणा पुरो प्रहाणुपुवीए संपट्ठिया । १. सहस्सं पि (अ, क, ब, म, स)। २. सं० पा०---कय जाव गहिय । ३. भ०६१८५। ४. भ०६।२०१। ५. सं.पा.----सिरिवच्छ जाय दप्पणा ! ६. सं० पा०- जहा ओवकाइए जाव गगण; अनेन च यदुपात्तं तद्वाचनान्तरे साक्षादेवास्ति (वृ)। ७. सं० पा०–एवं जहा ओववाइए तहेव भाणि यव्वं जाव ग्रालोयं; एतच्च वाचनान्तरे प्रायः साक्षादृश्यत एव (व); वत्तिकता वाच नान्तरे अधिकपाठस्यापि सूचना कृतास्ति। Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४५३ तदाणंतरं च णं वहवे उग्गा भोगा खत्तिया इक्खागा नाया कोरवा जहा प्रोववाइए जाव' महापुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरो य मग्गतो य पासपो य अहाणुपुवीए संपट्ठिया ॥ २०५. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया पहाए कयवलिकम्मे कयकोउय मंगल-पायच्छित्ते सव्वालंकार विभूसिए हथिक्खंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहि उद्धव्वमाणीहि-उद्धव्वमाणोहि हय-गयरह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवडे महयाभडचडगर विदपरिक्खित्ते' 'जमालि खत्तियकुमारं" पिट्ठो अणुगच्छइ ।। २०६. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरनो महं आसा आसवरा', उभयो पासि नागा नागवरा, पिट्ठो रहा, रहसंगेल्लो ।। २०७. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अभुग्गभिगारे, परिग्गहियतालियटे', ऊस वियसेतछत्ते, पवीइयसेतचामरबालवीयणीए, सव्विड्ढीए जाय' इंदहि-णिग्योसणादित रवेण खत्तियकु डग्गामं नयरं मज्झमझेणं जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे, जेणेव बहुसालए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पाहारेत्य गमणाए।। २०८. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स खत्तियकंडग्गामं नयर मज्झमज्झण निग्गच्छमाणस्स सिंघाडग-तिय-च उक्क चच्चर-चउम्मुह-महापह° पहेसु वहवे अत्यत्थिया कामत्थिया भोगत्थिया लाभत्थिया किदिवसिया कारोडिया कारवाहिया संखिया चक्किया नगलिया मुहमंगलिया वद्धमाणा पूसमाणया खंडियगणा ताहि इट्ठाहि कंताहि पियाहि मणुण्णा हि मणामाहिं मणाभिराभाहिं हिययगमणिज्जाहि वहिं जयविजयमंगलसएहि अणवरयं अभिनंदंता य अभित्थणता य एवं वयासो-जय-जय नंदा ! धम्मेणं, जय-जय नंदा! तवेणं, जय १. ओ० सू० ५२ । जाव पुत्थयम्गाहा जाव बीरणम्गाहा, तदाण२. स. पा.-करबलिकम्मे जाव विभूसिए । तरं च णं अट्ठसयं गयाणं, अट्ठसयं तुरयाणं, ३. ०गर जाव परिचिखते (अ, क, ता, व, अटुसर्य रहाणं, तदारणंतर च ण लउड-असिम, स)। कोतहस्थारणं बह पायत्ताणोणं पूरओ संप४. जमालिस्स खत्तियकुमारस्स (अ, स) ! ट्टियं, तदाणतरं च रणं बहवे राईसर-तलवर ५. आसवारा (वृपा)। जाव सत्यवाहप्पभियओ पुरओ संपट्टिया।' ६. °तालयटे (क, ता)। असौ पाठ: अतः पूर्ववर्ती विद्यते । लिपिदोपेण ७. भ० ६।१८२। प्रमादेन वा अत्र प्रवेशः प्राप्तः । ५० बेचर८. अतोने 'अ, ब, म, स' इति संकेतितेषु । दाससम्पादितभगवत्यामपि इत्थमेव अस्ति । एतावान् अधिक: पाठो लभ्यते-- १. सं० पा०--चउक्क जाव पहंसु । 'तदारणंतरं च ण बहवे लडिग्गाहा कुतरगाहा १०. सं० पा०--जहा ओववाइए जाव अभिनंदता Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५४ भगवई 7 जय नंदा ! भद्दं ते' ग्रभग्गेहि नाण- दंसण- चरितेहिमुत्तमेहिं ग्रजियाई जिणाहि इंदियाई, जियं पालेहि समणधम्मं, जियविग्धो वि य वसाहि तं देव ! सिद्धिम, निहणाहि य रागदोसमल्ले तवेणं धितिर्धाणियबद्धकच्छे, मद्दाहि यग्र कम्मसत्तू भाणं उत्तमेणं सुक्केणं, ग्रप्पमत्तो हराहि श्राराहणपडागं च धीर ! तेलोक्करंगमज्भे, पावय वितिमिरमणुत्तरं केवलं च नाणं, गच्छ य मोक्खं परं पदं जिणवरोवदिद्वेणं सिद्धिमग्गेणं प्रकुडिलेणं हंता परीसहचमूं अभिभविय' गामकंटकोवसग्गा णं, धम्मे ते ग्रविग्वमत्थु त्ति कट्टु अभिनंदति य अभियुतिय || २०६. तए गं से जमाली खत्तियकुमारे नयणमालासहस्सेहि पेच्छिज्जमाणे- पेच्छिज्जमाणे "हिययमालासहस्सेहि अभिणं दिज्जमाणे श्रभिमंदिज्जमाणे मणोरहमालास हस्से हिं विच्छिष्पमाणे विच्छिप्पमाणे वयणमालासहस्सेहिं ग्रभिथुव्वमाणेअभिवमाणे कंतिसोहग्गगुणेहिं पत्थिज्जमाणे- पत्थिज्जमाणे बहूणं नरनारिसहस्साणं दाहिणहत्थेणं अंजलि मालासहस्साइं पडिच्छमाणे परिच्छमाणे मंजुमंजुघो प्राच्छिमाणे- श्रापडिपुच्छमाणे भवणपतिसहस्साई समइच्छमाणे समइच्छमाणे खत्तिय कुंडग्गामे नयरे मज्भंमज्भेणं निगच्छद्द, निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए तित्थग रातिसए पासइ, पासित्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीयं Bas, पुरिससहस्वाहिणीश्रो सीयाओ पच्चोरुहइ || २१०. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं सम्मापियरो पुरओ काउं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्त' ●याहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता एवं बयासी - एवं खलु भंते ! जमाली खत्तियकुमारे अम्हं एगे पुत्ते इट्ठे कंते' "पिए म मा जे सासिए संमए बहुमए श्रणुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे भूए जीविऊसविए हिययनं दिजणणे उंवरपुप्फं पिव दुल्लभे सवणयाए०, किमंग ! पुण पासणयाए ? से जहानामए उप्पले इ वा, पउमे इ वा जाव' सहस्सपत्ते इ वा पंके जाए जले संबुडे नोवलिप्पति पंकरएणं, नोवलिप्पति जलरएणं, एवामेव जमाली विखत्तियकुमारे कामेहिं जाए, भोगेहिं संबुड्ढे १: भवतादिति गम्यते ( वृ) | ५. सं० पा० - एवं जहा ओववाइए कूणिओ जाव निग्गच्छ । २. अभिग्गेहिं (अ) 1 ३. चरितमुत्तमेहिं ( अ, क, म, स); चरितमु ६. सं० पा०-तिवखुत्तो जाव नमसित्ता । तेहि (ता) | ७. सं० पा० कंते जाव किमंग । ८. ओ० सू० १५० । ४. अभिभविया ( अ, क, म); अभिभविता (ता); अभिसमिया ( ब ) । Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेत्तीस इमो उद्देसो) ४५५ नोवलिप्पति कामरएणं, नोवलिप्पति भोगरएण, नोवलिप्पति मित्त-गाइणियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं । एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभयुट्विग्गे भीए जम्मण-मरणेण, इच्छइ देवाणु प्पियाणं अंतिए मुडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइत्तए । तं एयं णं देवाणुपियाणं अम्हे सीसभिक्खं दलयामो, पडि च्छत णं देवाणपिया! सीसभिवरखं ।। २११. 'तए णं समणे भगवं महावीरे जमालि खत्तियकुमारं एवं बयासो"-अहासुहं देवाण प्पिया ! मा पडिबंध ।। २१२. ताणं से जमाली खत्तियकुमारे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं बुत्ते समाणे हद्वतुटुं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसिभागं अवक्कमइ, प्रवक्कमित्ता सयमेव आभरण-मल्लालंकारं ओमुयइ ।। २१३. तर णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलवखणेणं पडसाइएण आभरण मल्लालंकारं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता हार-वारि धार-सिंदुवार-छिन्तमुत्तावलिप्पग्गासाई अंसुणि° विणिम्मुयमाणी-विणिम्मुयमाणी जमालि खत्तियकुमार एवं वयासी-'जयब्बं जाया ! घडियव जाया ! परक्कमियध्वं जाया ! अस्सि च णं अट्ठ णो पमा तव्वं ति कटु जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो समण भगवं महावीरं वंदति नमति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया । २१४. तए णं से जमालो खत्तियकुमारे सयमेव पंचमुट्टियं लोयं करेइ, करेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, "उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी--प्रालित्ते णं भंते ! लोए, पलिते णं भंते ! लोए, आलित्तपलिते णं भंते ! लोग जराए मरणेण य । १. x (अ, क, ता, व, म, स)। ३. X (अ, क, ब, म)। २. पब्बतेति (अ); पब्वयति (क); पव्वइतइ ४. सं० पा०-तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता । (ता); पब्वतिति (व); पध्वतितं (म); ५. सं० पा० --वारि जाव विणिम्म्यमाणी। पव्वतिते (स) अत्र 'इच्छइ, पब्वइत्तए' ६. घडियन्वं जाया जइयब्वं (अ, क, ता, ब, एते द्वे अपि पदे नायाधम्मकहाओ म, स}। (१११११४५) सूत्रस्याधारेण स्वीकृते स्तः। ७. सं० पा०.-- एवं जहा उसभदत्तो तहेव पव्वसर्वेषु अपि आदर्शपु लिपिदोपेण पाठपरिवर्तन इओ नवरं पंचहि पुरिससएहि सद्धि तहेव जातम् । तन्मध्यवतिपाठानां नहि कश्चिदर्थो. जाब । वगम्यते । Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५६ भगवई से जहानामए केइ गाहावई अगारंसि झियाय माणसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए, तं गहाय आयाए एगंतमंतं अवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ। एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झ वि आया एगे भंडे इ8 कंते पिए मणुष्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए वहमए अणमए भंडकरंडगसमाणे, माणं सीयं, माणं उण्ह, मा णं खहा, माण पिवासा, मा णं चोरा, माणं वाला, माणदंसा. मा णं मसया, मा णं वाइय-पित्तिय-सेंभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसम्मा फुसंतु त्ति कटु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ। तं इच्छामि णं देवाणु प्पिया ! सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं, सयमेव सेहावियं, सयमेव सिक्खावियं, सय मेव अायार-गोयरं विणय-वेणइय-चरणकरण-जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं ।।। तए णं समणे भगवं महावीरे जमालि खत्तियकुमारं पंचहि पुरिससएहि सद्धि सयमेव पवावेइ ° जाव' सामाइयमाझ्याइं एवकारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ-ट्ठट्टम'-'दसम-दुवालसेहि मासद्ध-मासखमणेहि विचित्तेहि तबोकम्मे हि अप्पणि भावेमाणे विहरइ ।। २१६. तए णं से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छ इ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइनमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासो-इच्छामि णं भंते ! तुभेहि अभYण्णाए समाणे पंचहि अणगार सएहि सद्धि बहिया जणवयविहारं विहीरत्तए । २१७. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयमटुं नो आढाइ, नो परिजाणइ, तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ २१८. तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! तुम्ह अभणुण्णाए समाणे पंचहि अणगारसएहि सद्धि' 'बहिया जणवयविहारं विहरित्तए ॥ २१६. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स दोच्चं पि, तच्च पि एयमद्र नो श्राढाइ', 'नो परिजाणइ°, तुसिणीए संचिट्ठइ । २२०. तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदद नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियानो बहुसालानो चेइयानो १. भ० २१५३.५७। २. सं० पा०-छट्ठम जाव मासद्ध । ३. सं० पा०-~-सद्धि जाव विहरित्तए। ४. सं० पा०पाढाइ जाव तुसिणीए। Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सत (तेत्तीसइमो उद्देसो) ४५७ पडिनिवखमइ, पडिनिक्खमित्ता पंचहि अणगारसएहि सद्धि बहिया जणवय विहारं विहरइ॥ २२१. तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नाम नयरी होत्था--वण्णओ', कोट्टए चेइए-वण्णो जाव वणसंडस्स । तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था-वण्णओ' । पुण्णभद्दे चेइए-वण्णओ जाव' पुढविसिलापट्टयो । २२२. तए णं से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ पंचहि अणगारसएहिं सद्धि संपरिडे पुवाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुग्गामं दुइज्जमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोटुए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हइ, प्रोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ २२३. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ पुवाणुपुवि चरमाणे *गामाणु ग्गाम दुइज्जमाणे० सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं ओग्गह अोगिण्हइ, प्रोमिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहर।। २२४. तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहिं 'अरसेहि य', विरसेहि य अंतेहि य, पंतेहि य, लू हेहि य, तुच्छेहि य, कालाइक्कतेहि य, पमाणाइक्कतेहि य' पाणभोयणेहि अण्णया कयाइ सरीरगंसि विउले रोगातके पाउन्भूए-उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडुए चंडे दुक्खे दुग्गे तिट्वे दुरहियासे । पित्तज्जरपरि गतसरीरे, दाहवक्कतिए' या वि विहरइ ।। २२५. तए णं से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे निग्गंथे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! मम सेज्जा-संथारगं संथरह ।। २२६. तए णं ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एतमटुं विणएणं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जमालिस्स अणगारस्स सेज्जा-संथारगं संथरंति ।। २२७. तए णं से जमाली अणगारे वलियतरं वेदणाए अभिभूए समाणे दोच्चं पि समणे निग्गंथे सहावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी--मम णं देवाणुप्पिया ! सेज्जासंथारए कि कडे ? कज्जइ ? तते णं ते समणा निग्गंथा जमालिं अणगारं एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पियाणं सेज्जा-संथारए कडे, कज्जइ ।। १. ओ० सू०१। ७. य सीओएहि य (अ); य सीएहि (ब); य २. ओ० सू० २-१३ । ___ सीतेहि य (स)। ३. ओ० सू०१। ८. वितुले (ब, म); ति उले (स, वृ); विउले ४. ओ० सू० २-१३ । (वृपा)। ५. सं० पा०-चरमाणे जाव सुहंसुहेणं । ६. दाहवुक्कंतिए (ब)। ६. अरसेहि या (क, ता, ब) सर्वत्र । १०. मम (अ, स)। Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५८ भगवई २२८. तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था-जण्णं समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव' एवं परूवेइ-एवं खलु चलमाणे चलिए, उदीरिज्जमाणे उदीरिए', •वेदिज्जमाणे वेदिए, पहिज्जमाणे पहोण, छिज्जमाणे छिण्णे, भिज्जमाणे भिण्ण, दज्झमाणे दड्ढे, मिज्जमाणे मए°, निजरिज्जमाणे निज्जिण्णे, तण्णं मिच्छा। इमं च णं पच्चक्खमेव दीसइ सेज्जा-संधारए कज्जमाणे अकडे, संथरिज्जमाणे असंथरिए । जम्हा णं सेज्जा-संथारए कज्जमाणे अकडे, संथरिज्जमाणे असंथरिए । तम्हा चलमाणे वि अचलिए जाव निजरिज्जमाणे वि अनिज्जिणे ---एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता समणे निरगंथे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-जण्णं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ - एवं खलु चलमाणे चलिए ''जाव निजरिज्जमाणे निज्जिण्णे, तण्णं मिच्छा। इमं च णं पच्चवखमेव दीसइ सेज्जा-संथारए कज्जमाणे अकडे, संथरिज्जमाणे असंथरिए । जम्हा ण सेज्जा-संथाराा कज्जमाणे अकडे, संथरिज्जमाणे असंथरिए । तम्हा चलमाणे वि अचलिए जाव निज्जरिज्जमाणे वि अनिज्जिण्णे।। २२६. तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाब परूवमाणस्स अत्थेगतिया समणा निग्गंथा एयम४ सद्दहति पत्तियंति रोयंति, अत्थेगतिया समणा निग्गथा एयमटुं नो सद्दहति नो पत्तियंति नो रोयंति । तत्थ णं जे ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयम₹ सद्दहति पत्तियंति रोयंति, ते णं जमालि चेव अणगारं उवसंपज्जित्ता णं विहरति । तत्थ णं जे ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमटुं नो सद्दहति नो पत्तियंति नो रोयंति, ते णं जमालिस्स अणगारस्स अंतियानो कोटगानो चेइयानो पडिनिक्खमंति, पडिनिवखमित्ता पुवाणुपुदिव चरमाणा गामाणुग्गामं दूइज्जमाणा जेणेव चंपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता समणं भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ता णं विहरति । २३०. तए णं से जमाली अणगारे अण्णया कयाई ताओ रोगायंकायो विप्पमुक्के हटे जाए, अरोए वलियसरीरे सावत्थीयो नयरीमो कोटगाओ चेइयाओ १. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। ४. सं० पा०-तं चेव जाव। २. भ० ११४२० । ५. कयाति (अ, ब, स); कदायी (ता)। ३. सं० पा.-उदीरिए जाव निजरिजमाणे। Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेत्तीस इमो उद्देसो) पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पुव्वाण पुचि चरमाणे, गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामते ठिच्चा समणं भगवं महाबोरं एवं क्यासी-जहा गं देवाणुप्पियाणं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्थावक्कमणेणं' अवक्ता , नो खलु अहं तहा छउमत्थावक्कमणेणं' अवक्कते, अहं णं उत्पन्ननाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवक्कमणेणं अवक्कते ।। २३१. तए णं भगवं गोयमे जमालि अणगारं एवं वयासी-नो खलु जमाली ! केव लिस्स नाणे वा दंसणे वा सेलसि वा 'थंभंसि वा थूभंसि वा प्रावरिज्जइ वा निवारिज्जइ वा, जदि णं तुम जमालो ! उप्पन्ननाण-दसणधरे अरहा जिणे केवलि भवित्ता केवलिप्रवक्कमणणं अवक्कते, तो णं इमाइंदो वागरणाई वागरेहि-सासए लोए जमालो ! असासए लोए जमालो ? सासए जीवे जमाली! असासए जीवे जमाली ? २३२. तए णं से जमालो अणगारे भगवया गोयमेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए" वितिगिच्छिए भेदसमावण कलुससमावण्णे जाए या वि होत्था, नो संचाएति भगवो गोयमस्स किंचि वि पमोक्खमाइक्खित्तए, तुसिणोए संचिट्ठइ ।। २३३. जमालीति ! समणे भगवं महावोरे जमालि अणगारं एवं वयासी-अस्थि णं जमालो ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था, जे णं पभू एयं वागरणं वागरित्तए, जहा णं अहं, नो चेव णं एतप्पगारं भासं भासित्तए, जहा णं तुम! सासए लोए जमाली ! जं न कयाइ तासिन कयाइ न भवड. न कयाइत भविस्सइ-भवि च, भवइ य, भविस्सइ य–धुवे, नितिए सासए, अक्खए, अव्वए, अवदिए निच्चे। प्रसासए लोए जमाली ! जं प्रोसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ, उस्सप्पिणी भवित्ता प्रोसप्पिणी भवइ । सासए जीवे जमाली ! जं न कयाइ नासि', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ-भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य-धुवे, नितिए, सासए, अक्खए, अब्वए, अवट्ठिए निच्चे। १. छउमत्या भवेत्ता छउमत्था (अ, क, म, स) ५. च्चेव (ता)। २. छउमत्था भवेत्ता छउमत्था ° (अ, क, म, स) ६. X (क, ता)। ३. X (अ, ब, म)! ७. सं० पा०-नासि जाव निच्चे । ४. सं० पा०-कंखिए जाव कलुस । Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई असासए जीवे जमाली ! जण्णं ने रइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ, तिरिवखजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ, मणुस्से भवित्ता देवे भवइ ।। तए णं से जमाली अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव' एवं परूवेमाणस्स एतमट्ठ नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एतमटुं असदहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे दोच्चं पि समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियानो आयाए अवक्कमइ, अवक्कमित्ता बहूहिं असब्भावुभावणाहि मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च वग्गाहेमाणे वप्पाएमाणे बहई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ, पाणित्ता अद्धमासियाए सलेहणाए अत्ताणं झसे इ, झूसेत्ता तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा लतए कप्पे तेरससागरोवमठितीएसु देवकिदिवसिएस देवेसु देवकिदिवसियत्ताए उववन्ने ।। २३५. तए णं भगवं गोयमे जमालि अणगारं कालगयं जाणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसिता एवं बयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाण अतेवासी कुसिरसे जमाली नाम अणगारे से णं भंते ! जमालो अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववन्ने ? गोयमादो ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासो-एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी कुसिस्से जमाली नामं अणगारे, से णं तदा ममं एवमाइक्खमाणस्स एवं भासमाणस्स एवं पण्णवेमाणस्स एवं परूवेमाणस्स एतमढें नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एतमढे असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे, दाच्च पि मम प्रतियामा आयाए प्रवक्कमइ, प्रवक्कमित्ता बहदि असब्भावुभावणाहिं "मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च वग्गाहेमाणे बुप्पाएमाणे बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता, अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमठिती एसु देवकिदिवसिएसु देवेसु देवकिग्विसियत्ताए उववन्ने ।। ३६. कतिविहाणं भंते ! देवकिदिवसिया पणत्ता ? गोयमा ! तिविहा देवकिदिवसिया पण्णत्ता, तं जहा--तिपलिग्रोवमद्विइया, तिसागरोवमट्टिइया, तेरससागरोवमट्टिइया ।। २३७. कहि णं भंते ! तिपलिग्रोवमट्ठिया देवकिदिवसिया परिवसंति ? ३. सं० पा०.--तं चेव जाव देव ° । १. भ० ११४२० । २. ठाणस्स (ता, म, स)। Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (तेतीसइमो उद्देसो) गोयमा ! उपि जोइसियाग, हिट्टि' सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु, एत्थ णं तिपलियो वमद्विइया देवकिदिवसिया परिवसति ।। २३८. कहिणं भंते ! तिसागरोवमट्रिइया देवकिदिवसिया परिवसंति ? गोयमा ! उप्पि सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं, हिट्ठि सणंकुमार-माहिदेसु कप्पेसु, एत्थ णं तिसागरोवमट्टिइया देवकिदिवसिया परिवसंति ॥ २३६. कहिं णं भंते ! तेरससागरोवमद्विइया देवकिदिवसिया परिवसंति ? गोयमा ! उप्पि बंभलोगस्स कप्पस्स, हिट्ठि लतए कप्पे, एत्थ णं तेरससागरो वमट्रिइया देवकिदिवसिया देवा परिवसंति ।। २४०. देवकिदिबसिया णं भंते ! केसु कम्मादाणेसु देवकिदिवसियत्ताए उववत्तारो भवंति ? गोयमा ! जे इमे जीवा आयरियपडिणीया, उवज्झायपडिणीया, कुलपडिणीया, गणपडिणीया, संघरडिणीया, पायरिय-उवज्झायाणं अयसकारा' अवण्णकारा अकित्तिकारा बहूहिं असम्भावुभावणाहि, मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं पर च तदुभयं च दुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा वहूइं वासाइं सामण्ण परियागं पाउणंति, पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणालो इयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेस देवकिब्विसिएस देवकिदिवसियत्ताए उववत्तारो भवंति, तं जहा—तिपलिप्रोवमट्टितिएसु वा, तिसागरोवमद्वितिएसु वा, तेरससागरोवमदितिएसु वा॥ २४१. देवकिदिवसिया णं भंते ! तारो देवलोगानो पाउक्खएणं, 'भवक्खएणं, ठिति क्खएणं' अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ? गोयमा ! जाव चत्तारि पंच नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवभवग्गहणाई संसारं अणुपरिट्टित्ता तो पच्छा सिझंति बुज्झति' 'मुच्चंति परिणिव्वायंति सव्वदुक्खाणं• अंतं करति, अत्थेगतिया अणादीयं अणवदग्गं दीहभद्धं चाउरतं संसारकतारं अपरियति ।। २४२. जमाली णं भंते ! अणगारे अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लहाहारे तुच्छाहारे अरसजीवो विरसजीवी अंतजीवी पंतजीवी लहजीवी तुच्छजीवी उवसंतजीवी पसंतजीवी विवित्तजीवी ? हंता गोयमा ! जमाली णं अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी ।। २४३. जति णं भंते ! जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी १. हन्धि (ता) सर्वत्र; हर्दिव (म)। ४. सं० पा०-- दुज्झति जाव अंतं । २. करा (अ, स); सर्वत्र; अयसकारगा (ब)। ५. सं० पा०-विरसजीवी जाव तुच्छजीवी। ३. ठितिक्खएणं भवरखएणं (ता)। Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२ २४४. जमाली णं भंते! देवे ताओ देवलोगाओ २४५. भगवई कम्हा णं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमट्टितिए देवकिव्विसिएस देवेसु देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने ? गोयमा ! जमाली णं अणगारे आयरियपडिणीए, उवज्झायपडिणीए, प्रायरियउवज्झायाणं श्रयसकारए प्रवण्णकारए' प्रकित्तिकारए बहूहिं प्रसन्भावुभावाहि, मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं परं च तदुभयं च बुग्गाहमाणे • वुप्पाएमाणे बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता, श्रद्धमासियाए संलेहणाए ती भत्ताइं प्रणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे "तेरससागरोवमट्ठितिएस देवकिव्विसिएस देवेसु देवव्विसियत्ताए उववन्ने || उक्खएणं' भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! चत्तारि पंच तिरिक्खजोणिय- मणुस्स - देवभवग्गहणाई संसारं प्रणुपरियत्ति तो पच्छा, सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति || सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ o चोत्तीसइमो उद्देसो एगस्स वधे प्रणेrवध-पदं २४६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव एवं वयासी – पुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसं हणइ' ? नोपुरिसे हणइ ? गोमा ! पुरिसं पिहणइ, नोपुरिसे वि हणइ || २४७. से केणणं भंते ! एवं वच्चइ पुरिसं पि हणइ, नोपुरिसे वि हणइ ? १. सं० पा० -अवष्णकारए जाव दुप्पाएमाले । ५. भ० १५१ । २. सं० पा० - कप्पे जाव उववन्ने । ३. सं० पा० - आउनखएणं जाव कहि । ४. सं० पा० - सिज्झिहिति जाव अंतं । ६. भ० ११४-१० 1 ७. छणइ (कृपा) 1 Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवर्म सतं (चोत्तीसइमो उद्देसो) गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ -एवं खलु अहं एगं पुरिसं हणामि, से णं एग पुरिसं हणमाणे 'अणेगे जीवे" हणइ । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ पुरिस पि हणइ, नोपुरिसे वि हणइ ।। २४८. रिसे णं भंते ! प्रासं हणमाणे किं प्रासं हणइ ? नोग्रासे हणइ ? गोयमा ! प्रासं पि हणइ, नोग्रासे वि हणइ ।। से केणद्वेणं ? अट्ठो तहेव । एवं हथि, सीहं, वग्घं जाव' चिल्ललगं' ।। इसिस्स वधे अणंतवध-पदं २४६. पुरिसे णं भंते ? इसि हणमाणे किं इसि हणइ ? नोइस हणइ ? गोयमा ! इसि पि हणइ, नोइसि पि हणइ ।। २५०. से केणतुणं भंते ? एवं वुच्चई-- इसिं पि हणइ, ° नोइसि पि हणइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं एग इसि हणामि, से णं एग इसिं हणमाणे 'अणते जीवे हणइ । से तेणटेणं "गोयमा ! एवं वुच्चइ–इसि पि हणइ. नोइसि पि हणइ° ।। वेर-बंध-पदं २५१. पुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसवेरेणं पुढे ? 'नोपुरिसवेरेणं पुढे ?' गोयमा ! नियम-ताव पुरिसवेरेणं पुढे, अह्वा पुरिसवेरेण य नोपुरिसवेरेण य १. अहोगा जीवा (अ, क, ता, म, स)। अण्णयरंगि तसं पाणं, हाइ नोअण्णयरे वि २. नोआसं (ब); नोमासे वि (म) । तसे पारणे हणइ ? गोयमा ! तस्स रणं एवं २. प०१। भवइ --एवं खलु अहं एग अण्णयरं तसं ४. चित्तलग (ब); अनोग्ने 'क, ता, व' एपु- पाणं हणामि, से एग अण्णयरं तसं पाणं 'एते सव्वे इक्कगमा' इति पाठोस्ति, 'अ, ब, हरणमाणे अगोगे जोवे हणई। से तेणट्रेण म, स'---एलेगु आदर्शगु 'चिल्ललगं इति गोषमा ! तं चेव । एए सव्वे वि एक्कगमा' । पाठानन्तरं एष पाठोस्ति-- वृत्तावपि नासौर याख्यातः, अतोस्माभिरसौ 'पूरिसे णं भंते ! अण्णयर तसं पारणं हणमारणे पाठान्तरत्वेन स्वीकृतः । कि अगर तसं पाणं हणइ, नोअण्णतरे ५. सं० पा०-वच्चइ जाव नोइसि । तसे पाणे हणइ ? गोयमा ! अण्णयर पि ६. अणंता जीवा (अ, क, ता, ब, म) । तसं पाणं हण, नोअण्णतरे वि तसे पारणे ७. सं० पा० -निक्खेवो । हणा। से केणट्रेणं भते! एवं वच्चइ'- ८. x (ता)। Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई पुढे, प्रहवा पुरिसवेरेण य नोपुरिसवेरेहि य पुढे । एवं प्रासं जाव चिल्ललगं जाव अहवा चिल्ललगवरेण य नोचिल्ललगवेरेहि य पुढे ।। २५२. पुरिसे णं भंते ! इसि हणमाणे किं इसिवेरेणं पुढे ? नोइसिवेरेणं पुढे ? गोयमा ! नियम इसिवेरेण य' नोइसिवेरेहि य पुढे । पुढविक्काइयादोणं प्राण-पाण-पदं २५३. पुढविश्काइए णं भंते ! पुढविक्कायं चेव प्राणमइ वा ? पाणमइ वा ? ऊससइ वा? नीससइ वा ? हंता गोयमा ! पुढविक्काइए पुढविक्काइयं चेव प्राणमइ वा जाव नीससइ वा ।। २५४. पुढविक्काइए णं भंते ! आउक्काइयं प्राणमइ वा जाव नोससइ वा ? हंता गोयमा ! पुढविक्काइए णं आउक्काइयं आणमइ वा जाव नीससइ वा। एवं तेउक्काइयं, वाउक्काइयं, एवं वणस्स इकाइयं ।। २५५. आउक्काइए णं भंते ! पुढविक्काइयं प्राणमइ वा जाव नीससइ वा ? हंता गोयमा ! आउक्काइए णं पुढविक्काइयं प्राणमइ वा जाव नीससइ वा ॥ २५६. आउक्काइए णं भंते ! आउक्काइयं चेव प्राणमइ वा ? एवं चेव । एवं ते उ-वाउ-वणस्सइकाइयं ।।। २५७. तेउक्काइए णं भंते ! पुढविक्काइयं प्राणमइ वा? एवं जाव वणस्सइकाइए णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव प्राणमइ वा ? तहेव ।। किरिया-पदं २५८. पुढविक्काइए णं भंते ! पुढविक्काइयं चेव आणममाणे वा, पाणममाणे वा ऊससमाणे वा, नीससमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय च उकिरिए, सिय पंचकिरिए। २५६. पुढविक्काइए णं भंते ! आउक्काइयं आणममाणे वा ? एवं चेव । एवं जाव वणस्सइकाइयं । एवं प्राउक्काएण वि सव्वे भाणियव्वा । एवं तेउक्काइएण वि, एवं वाउक्काइएण वि जाव १. चित्तला (ब); चिल्लला° (म)। २. नियमं ताव (क); नितमं (ब)। ३. य जाव (ता); एतत् सम्यकनास्ति । ऋषि- पक्षे तु ऋषिवरेण नो नोऋषिवैरश्चेत्येवमेक एव (वृ)। ४. सं० पा०---एवं चेव । ५. सव्वे वि (ता, स)। Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमं सतं (वीत्तीसइमो उद्देसो) २६०. वणस्सइकाइए णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव आणममाणे वा - पुच्छा ? गोमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंच करिए || २६१. वाउक्काइए णं भंते ! रुक्खस्स मूलं 'पचालेमाणे वा" पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। एवं कंदं, एवं जाव'-- २६२. बीयं पचालेमाणे वा - पुच्छा ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिथ पंच करिए || २६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' || १. X ( क ) 1 २. भ० २१६ ļ ३. भ० ११५१ । ४६५ Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं सतं पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा १. दिस २. संवुडणगारे', ३. आइड्ढी ४. सामहत्थि ५. देवि ६. सभा । ७-३४ उत्तरअंतरदीवा, दसमम्मि सम्मि चउत्तीसा ॥१॥ दिसा-पदं १. रायगिहे' जाव एवं वयासी-किमियं भंते ! 'पाईणा ति" पवच्चई ? गोयमा ! जीवा चेव, अजीवा चेव ।। २. किमियं भंते ! पडीणा ति पच्चइ ? गोयमा ! एवं चेव । एवं दाहिणा, एवं उदीणा, एवं उड्ढा, एवं अहो वि ।। ३. कति णं भंते ! दिसाम्रो पण्णतामो? गोयमा ! दस दिसानो पण्णताओ, तं जहा-१. पुरत्थिमा २. पुरथिमदाहिणा ३. दाहिणा ४. दाहिणपचत्थिमा ५. पच्चत्थिमा ६. पच्चत्थिमुत्तरा ७. उत्तरा ८. उत्तरपुरत्थिमा ६. उड्ढा १०. अहो ।। ४. एयासि णं भंते ! दसण्हं दिसाणं कति नामधेज्जा पण्णत्ता ? गोयमा ! दस नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा १. संवुडमणगारे (अ, के, ब, म)। २. आयड्ढी (अ, स)। ३. रायगिधे (ता)। ४. भ० ११४-१०। ५. पाईणत्ति (क, स); पादीणा ति (ता)। ६. अहा (अ, क, ब, म); अधो (ता)। ७. अहा (अ, क, ब, म); अधा (ता)। ४६६ Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दस मं सतं (पढमो उद्देसो) ४६७ इंदा अग्गेयो जम्मा', य नेरई वारुणी य वायव्वा । सोमा ईसाणी या, विमला य तमा य बोद्धव्वा ।।१।। ५. इंदा णं भंते ! दिसा कि १. जीवा २. जोवदेसा ३. जोवपदेसा ४. अजोवा ५. अजीवदेसा ६. अजीवपदेसा? गोयमा ! जोवा वि, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजोवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि।। जे जीवा ते नियमाएगिदिया वेइंदिया तेइंदिया चरिदिया. पंचिदिया, अणिदिया। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा। जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा बेइंदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा। जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–रूविअजीवा य, अरूविअजीवा य । जे रूविग्रजीवा ते चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा--खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, परमाणुपोग्गला। जे अरूविग्रजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता.तं जहा--१. नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायम्स देसे २. धम्मत्यिकायस्स पदेसा ३. नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे ४. अधम्मत्थिकायम्स पदेसा ५. नोमागासत्थिकाए अागासत्थिकायस्स देसे ६. आगासस्थिकायस्स पदेसा ७. अद्धासमए । अग्गेयी णं भंते ! दिसा कि जीवा, जोवदेसा, जोवपदेसा -पुच्छा। गोयमा ! नोजोवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि।। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा, अह्वा एगिदियदेसा य वेइंदियस्स य देसे, अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स य देसा, अहवा एगि दियदेसा य वेइंदियाण य देसा। अहवा एगिदियदेसा य तेइंदियस्स य देसे । एवं चेव तियभंगो भाणियब्बो। एवं जाव अणिदियाणं तियभंगो। जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा! अहवा एगिदियपदेसा य वेइंदियस्स पदेसा, अहह्वा एगिदियपदेसा य वेइंदियाण य पदेसा । एवं आइल्लविरहिरो जाव अणिदियाणं । जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- रूविग्रजोवा य, अरूविग्रजीवा य । जे रूविग्रजीवा ते च उविवहा पण्णत्ता, तं जहा–खंधा जाव परमाणुपोग्गला । १. जमा (ख)। २. सं० पा०-तं चेव जाव प्रजीवपदेसा। ३. संपा०-वेइंदिया जाव पंचिदिया। ४. नियम (ता); X (ब)! ५. रूवि अजीवा (ता, )। Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६८ भगवई जे अरूविनजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा- नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, एवं अधम्मत्थिकायस्स वि जाव आगासत्थिकायस्स पदेसा, प्रद्धासमए । ७. जम्मा णं भंते ! दिसा कि जीवा ? जहा इंदा 'तहेव निरवसेस । नेरती' य जहा अग्गयी। वारुणी जहा इंदा । वायव्वा जहा अरगयी। सोमा जहा इंदा। ईसाणी जहा अग्गेयी। विमलाए जीवा जहा अग्गेयीए, अजीवा जहा इंदाए। एवं तमाए वि, नवरं-अरूवी छव्विहा, अद्धासमयो न भण्णति ।। सरीर-पदं ८. कति णं भंते ! सरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच सरीरा पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए" •वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए।। ६. पोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? एवं प्रोगाहणासंठाणं निरवसेसं भाणियव्वं जाव" अप्पाबहुगं ति ।। १०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। बीओ उद्देसो संवुडस्स किरिया-पदं ११. रायगिहे जाव एवं वयासी-संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स वीयीपंथे ठिच्चा पुरो रूवाइं निज्झायमाणस्स, मरगयो रूवाई अवयक्खमाणस्स, पासपो रूवाई अवलोएमाणस्स, उड्ढं रूवाइं प्रोलोएमाणस्स, अहे रूवाई पालोएमाणस्स तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ? १. अद्धासमए । विदिसासु नत्थि जीवा, देसे ४. सं० पा०-ओरालिए जाव कम्मए। भंगो य होइ सम्वत्थ (अ, ब, म, स)। ५. प० २१॥ २. तहा निरवसेसा (क)। ६. भ० ११५१ । ३. निरुती (क)। ७. भ० ११४-१०। Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३. दसमं सतं (बीओ उद्देसो) ४६६ गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वोयीपंथे ठिच्चा' 'पुरो रूवाइं निज्झायमाणस्स, मग्गो रूवाई अवयक्खमाणस्स, पासपो रूवाइं अवलोएमाणस्स, उड्ढं रूवाइं प्रोलोएमाणस्स, अहे रूवाइं पालोएमाणस्स° तस्स णं नो इरिया वहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ । १२. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ–संवुडस्स णं जाव संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ । अहासुत्तं रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ । से णं उस्सुत्तमेव रीयति । से तेण?णं जाव संपराइया किरिया कज्जइ ।। संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा पुरो रूवाइं निज्झायमाणस्स जाव' तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? -पुच्छा। गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा जाव तस्स णं इरिया वहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ ।। १४. से केणटेणं भते ! एवं वुच्चइ-संवुडस्स णं जाव इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ? "गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ। अहासुत्तं रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ ।से णं अहासुत्तमेव रीयति ! से तेणटेणं जाव नो संपराइया किरिया कज्जइ । जोणी-पदं १५. कतिविहा णं भंते ! जोणी पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा जोणी पण्णत्ता, तं जहा-सीया, उसिणा, सीतोसिणा। एवं जोणीपदं निरवसेसं भाणियन्वं ॥ वेदणा-पदं १६. कतिविहा णं भंते ! वेयणा पण्णत्ता? १. सं० पा०--ठिच्चा जाब तस्स । २. सं० पा०–एवं जहा सत्तमसए पढमउद्देसए जाव से। ३. भ० १०११। ४. सं० पा०-जहा सत्तमसए सत्तमुद्देसए जाव से।। ५. प०६ Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७० भगवई गोयमा ! तिविहा वेयणा पण्णत्ता, तं जहा-सीया, उसिणा, सीसोसिणा। एवं वेयणापदं भाणियव्वं जाव'१७. नेरइया णं भंते ! कि दुक्खं वेयणं वेदेति ? सुहं वेयणं वेदेति ? अदुक्खमसुहं वेयण वेदति ? गोयमा ! दुक्खं पि वेयणं वेदेति, सुहं पि वेयणं वेदति, अदुक्खमसुहं पि वेयणं वेदेति ॥ भिक्खुपडिमा-पदं १८. मासियण्णं भिक्खुपडिम पडिवन्नस्स अणगारस्स', निच्चं 'वोसट्ठकाए, चियत्त देहे" जे केइ परीसहोवसग्गा उप्पज्जति, तं जहा—दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा ते उप्पन्ने सम्म सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ । एवं मासिया भिवखुपडिमा निरवसेसा भाणियब्वा, जहा दसाहि जाव' आराहिया भवइ ।। अकिच्चट्ठाणपडिसेवण-पदं १६. भिक्खू य अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसे वित्ता से गं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय पडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स पालोइय पडिक्कते कालं करेइ अस्थि तस्स पाराहणा ।। २०. भिक्खू य अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसे वित्ता तस्स णं एवं भवइ-पच्छा विणं अहं चरिमकालसमयंसि एयरस ठाणस्स पालोएस्सामि', 'पडिक्कमिस्सामि, निदिस्सामि, गरिहिस्सामि, विउट्टिस्सामि, विसोहिस्सामि, प्रकरणयाए अभुट्ठिस्सामि, अहारियं पायच्छित्तं तवोकम्म° पडिवज्जिस्सामि', से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय परिक्कते कालं करेई० नत्थि तस्स पाराहणा, सेणं तस्स ठाणस्स ग्रालोझ्य-पडिदकते कालं करेइ अस्थि तस्स पाराहणा ॥ २१. भिक्खू य अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवइ-जइ ताव समणोवासगा वि कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, किमंग ! पुण अहं अणपन्नियदेवत्तणंपि" नो लभिस्सामि त्ति १. ५० ३५। त्वस्य स्थाने पडिसेविज त्ति दृश्यते (व) । २. मासिय णं भंते (क, ता, स)। ७. सं० पा०-आलोएस्सामि जाव पडिवज्जि३. अयमाचारो भवतीति शेषः । सामि। ४. वोसट्टे काए चियत्ते देहे (वृ)। ८. पडिक्कमामि (ब)। ५. दसा° ७। ६. सं० पा०—अणालोइय जाद नत्थि । ६. प्रतिषेविता भवतीति गम्यम् । वाचनान्तरे १०. अणवणि (ब)। Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं सतं (तइओ उद्देसो) ४७१ कटु से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स पाराहणा, से णं तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते कालं करेइ अस्थि तस्स राहणा। २२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। तइअो उद्देसो प्राइड्ढोए परिढोए वोइवयण-पदं २३. रायगिहे जाव एवं वयासी—ाइड्ढीए णं भंते ! देवे जाव चत्तारि, पंच देवावासंतराई वीतिक्कते', तेण परं परिड्ढीए ? हंता गोयमा ! आइड्ढोए णं देवे जाव चत्तारि, पंच देवावासंतराइं वीति कंते, तेण परं परिड्ढीए । एवं असुरकुमारे वि, नवरं--असुरकुमारावासंतराई, सेसं तं चेव । एवं एएणं कमेणं जाव थणियकुमारे, एवं वाणमंतरे, जोइसिए वेमाणिए जाव तेण परं परिड्ढीए ।। देवाणं विणयविहि-पदं २४. अप्पिड्ढोए णं भंते ! देवे महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेणं वोइवएज्जा ? नो इण२ समटे॥ २५. समिड्ढीए णं भंते ! देवे समिड्ढीयस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा? नो इणट्रे समटे, पमत्तं पुण वीइवएज्जा ॥ २६. से भंते ! कि विमोहित्ता पभू ? अविमोहित्ता पभू ? गोयमा ! विमोहित्ता पभू, नो अविमोहित्ता पभू ।। २७. से भंते ! किं पुब्धि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा? पुटिव वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा ? गोयमा ! पुद्वि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा, नो पुदिव वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा ॥ १. भ० ११५१ । २. भ० १२४-१०॥ ३. आतड्ढिए (अ, स); आतिड्ढीए (क, व, म), आयड्ढीए (ता) ४. वीईवयह (वृपा)। ५. सं० पा०-तं चेव । ६. से ण (व, म, स)। Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७२ भगवई २८. महिड्ढीए णं भंते ! देवे अप्पिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? हंता वीइवएज्जा।। २६. से भंते ! कि विमोहित्ता पभू ? अविमोहित्ता पभू ? गोयमा ! विमोहित्ता वि पभू, अविमोहित्ता वि पभू ।। ३०. से भंते ! कि पुवि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा ? पुदि वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा? गोयमा ! पुन्धि वा विमोहेत्ता पच्छा वो इवएज्जा, पुटिव वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा !! ३१. अप्पिड्ढिए' णं भंते ! असुरकुमारे महिड्ढियस्स असुरकुमारस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा? नो इणद्वै समढे । एवं असुरकुमारेण वि तिण्णि पालावगा भाणियव्वा जहा ओहिएणं देवेणं भणिया ! एवं जाव थणियकुमारेणं। वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिएणं एवं चेव ।। ३२. अप्पिड्ढिए णं भंते ! देवे महिड्ढियाए देवीए मझमझेणं वीइवएज्जा ? नो इणढे समठे ।। ३३. समिड्ढिए' णं भंते ! देवे समिड्ढियाए देवीए मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? एवं तहेव देवेण य देवीए य दंडअो भाणियव्वो जाव' वेमाणियाए । ३४. अप्पिढिया णं भंते ! देवी महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? एवं एसो वि ततियो' दंडनो भाणियव्वो जाव३५. महिड्ढिया वेमाणिणी अप्पिड्ढियस्स वेमाणियस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा ? हंता वीइवएज्जा ।। ३६. अप्पिड्ढिया णं भंते ! देवी महिड्ढियाए देवीए मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? नो इणद्वै समटे । एवं समिड्ढिया देवी समिड्ढियाए देवीए तहेव । महिड्ढिया वि देवी अप्पिड्ढियाए देवीए तहेव । एवं एक्केके तिण्णि-तिण्णि पालावगा भाणियव्वा जाव३७. महिड्ढिया णं भंते ! वेमाणिणी अप्पिड्ढियाए वेमाणिणीए मज्झमझेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा॥ ३८. सा भंते ! कि विमोहित्ता पभू ? अविमोहित्ता पभू ? १. अप्पड्ढीए (क्व०)। २. समड्ढीए (अ)। ३. तिनो (अ, स.)। ४. महड्ढिया (क्व)। Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं सतं (तइनो उद्देसो) ४७३ गोयमा ! विमोहित्ता वि पभू, अविमोहित्ता विपभू । तहेव जाव पुचि वा वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा । एए चत्तारि दंडगा ।। आसस्स 'खु-खु' करण-पदं ३६. प्रासस्स णं भंते ! धावमाणस्स कि 'खु-खु' त्ति करेति ? गोयमा ! अासस्स णं धावमाणस्स हिययस्स य जगस्स' य अंतरा एत्थ णं 'कक्कडए नाम" वाए संमुच्छइ, जेणं आसस्स धावमाणस्स 'खु-खु' त्ति करेति ।। पण्णवणी-भासा-पदं ४०. अह भंते ! पास इस्सामो, सइस्सामो, चिट्ठिस्सामो, निसिइस्सामो, तुयट्टि स्सामो-पण्णवणी णं एस भासा ? न एसा भासा मोसा? हंता गोयमा ! पास इस्सामो, ' स इस्सामो, चिट्ठिस्सामो, निसिइस्सामो, तुय हिस्सामो-पण्णवणी णं एसा भासा, न एसा भासा मोसा ॥ ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ १. जगयस्स (अ, क, स,); जातस्स (ता) । (अ, के, ता, ब, म, स); अस्मिन् संग्रह२. कक्कडनाम (ता); कब्बडए नाम (स)। गाथाद्वये 'असच्चामोसा' भाषाया द्वादश३. समुत्थइ (अ, ता, ब, म, स)। प्रकारा निरूपिताः सन्ति । प्रज्ञापनाया: ४. अतोने गाथाद्वयं लभ्यते भाषापदे एवमेवास्ति । अत्र प्रज्ञापनीभाषाआमंतणी आणवणी, प्रकरणे प्रासङ्गिकरूपेण अमू संग्रहगाथे जायणी तह पुच्छणी य पण्णवणी। लिखिते आस्ताम् । केनचित् प्रतिलि पिका पञ्चक्खाणी भासा, भासा इच्छाणुलोमा य॥ मूले प्रक्षिप्ते। उत्तरकाले तथैव अनुगते, अणभिग्गहिया भासा, वृत्तिकृतापि तथैव व्याख्याते। भासा य अभिग्गहम्मि बोद्धव्वा । ५. सं० पा०-तं चेव जाव न । संसयकरणी भासा, वोयडमव्वोयडा चेव ॥ ६. भ० ११५११ Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७४ भगवई चउत्थो उद्देसो तावत्तीसगदेव-पदं ४२. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नयरे होत्था-वण्णो '। दुतिपलासए चेहए। सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया ।। ४३. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे जाव' उड्ढं जाणू' 'अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।।। ४४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतेवासी सामहत्थी नाम अणगारे पगइभद्दए "पगइ उवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोमे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विणीए समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामंते उड्ढं जाणू अहोसिरे भाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे° विहरई ।। ४५. तए णं से सामहत्थी अणगारे जायसड्ढे जाव' उट्ठाए उ8इ, उद्वेत्ता जेणेव भगव गोयमे तणव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भगव गोयम तिक्खत्तो जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी४६. अत्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमारणो तावत्तीसगा देवा-ताव त्तीसगा देवा ? हंता अस्थि ।। ४७. से केणट्रेणं भंते ! एवं उच्चइ~-चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमार रण्णो ताव त्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? एवं खलु सामहत्थी ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे कायंदी नामं नयरी होत्था-वष्णो । तत्थ णं कायंदीए नयरीए तायत्तीसं" सहाया" गाहावई समणोवासया परिवसंति–अड्ढा जाव" बहुजणस्स अपरिभूता अभिगयजीवाजीवा, उवलद्धपुण्णपावा" जाव" अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणा विहरति ।। १. ओ० सू० १३ ८. तायत्तीसगा (क्व०)। २. भ० १७,८1 ६. ओ० सू० १॥ ३. भ० शहा १०. तावत्तीसं (क, ता, ब, म)। ४. सं० पा० ----उड्ढंजाणू जाव विहरइ। ११. साहाया (अ)। ५. सं० पा.--जहा रोहे जाव उड्ढंजाणू जाव १२. भ० २१६४। विहरइ । १३. उवलद्धपुण्ण वण्णओ(अ, क, ता, ब, म, स)। ६. भ० १।१० १४. भ. १९४) ७. भ० ११० Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८. तए ४६. दसमं सतं (च उत्थो उद्देसो) ४७५ तए णं ते तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया पुदि उग्गा उग्गविहारी, संविग्गा संविगविहारी भविता तो पच्छा पासत्था पासत्थविहारी, प्रोसन्ना ओसन्नविहारी, कुसीला कुसीलविहारी, हाच्छंदा ग्रहाच्छंदविहारी बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताण झसेत्ता, तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कता कालमासे कालं किच्चा चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमार रणो तावत्तीसगदेवत्ताए उववण्णा ।। जप्पभिई च णं भंते ! ते कायंदगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स अमुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, तप्पभिई च णं भते ! एवं वुच्च इ-चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररणो तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? तए णं भगवं गोयमे सामहत्थिणा अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए उठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता सामहत्थिणा अणगारेणं सद्धि जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी५०. अत्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवा तावत्तीसगा देवा ? हंता अस्थि ।। ५१. से केणगुणं भंते ! एवं वुच्चइ–एवं तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाब जप्पभिइं च णं भंते ! ते कायंदगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स असूरिदस्स असुरकुमाररणो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ता, तप्पभिइं च णं भंते ! एवं बुच्चइ-~चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमार रग्णो तावत्तीसगा देवातावत्तोसमा देवा? नो इणढे समढे । गोयमा ! चमरस्स णं असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेज्जे पण्णत्ते-जंन कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ', भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अन्वए अवट्ठिए° निच्चे, अव्वोच्छित्तिनयट्टयाए अण्णे चयंति, अण्णे उववज्जति ॥ ५२. अस्थि णं भंते ! बलिस्स वइरोणिदस्स वइरोयणरण्णो तावत्तीसगा देवा तावत्तीसगा देवा? हंता अस्थि ।। १. सं० पा०--भविस्सइ जाव नि । Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७६ भगवई ५३. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो' ताव त्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे बेभेले नामं सण्णिवेसे होत्था–वण्णयो। तत्थ णं बेभले सण्णिवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया परिवसंति - जहा चमरस्स जाव' तावत्तीसग देवत्ताए उववण्णा ।। ५४. जप्पभिई च णं भंते ! ते बेभेलगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयण रण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, सेसं तं चेव जाव' निच्चे, अब्वोच्छित्तिनयट्ठयाए अण्णे चयंति, अण्णे उववज्जति ।। ५५. अत्थि णं भंते ! धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमार रण्णो तावत्तीसगा देवा तावत्तीसगा देवा? हंता अत्थि ।। ५६. से केणद्वेणं जाव तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? गोयमा ! धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो तावत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेज्जे पण्णत्ते-जं न कयाइ नासी जाव अण्णे चयंति, अण्णे उवव ज्जति । एवं भूयाणंदस्स वि, एवं जाव' महाघोसस्स ।।। ५७. अस्थि णं भंते ! सक्कस्स देविदस्स देव रण्णो "तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? हंता अस्थि । ५८. से केण?णं जाव तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पालए नाम सण्णिवेसे होत्था-वण्णो । तत्थ णं पालए सण्णिवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया जहा चमरस्स जाव' विहरति ।। ५६. तए णं ते तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया पुबि पि पच्छा वि उग्गा उम्गविहारी, संविग्गा संविग्गविहारी वहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, सर्टि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, पालोइय-पडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा' 'सक्कस्स देविंदस्स १. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। ५. भ० ३१२७४। २. ओ० सू० १, एतद्वर्णनं 'नंदणवण-सन्निभ- ६. सं० पा०—पुच्छा। प्पगासे' एतावदेव ग्राह्यम् । ७. वालाए (अ); पालाए (ब); पालासए (स)। ३. भ० १०१४७-४८ ८. भ० १०॥४७। ४. भ० १०.४६-५११ ६. सं० पा०—किच्चा जाव उववन्ना। Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७७ देवरण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना । जप्पभिदं च णं भंते! ते पालगा' तायत्तीस सहाया गाहावई समणोवासगा, सेसं जहा चमरस्स जाव अण्णे उववज्जति ॥ ६०. प्रत्थि गं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो तावत्तीसगा देवा - तावत्तीसगा देवा ? दसमं सतं (पंचमी उद्देसो) एवं जहा सक्करस, नवरं - चंपाए नयरीए जाव' उववण्णा जप्पभिदं च णं भंते ! ते चंपिज्जा तायत्तीसं सहाया, सेसं तं चैव जाव अण्णे उववज्जति ॥ ६१. ग्रत्थि णं भंते ! सणकुमारस्स देविंदस्स "देवरण्णो तावत्तीसगा देवा - तावत्ती - सगा देवा ? ० हंता प्रत्थि ॥ ६२. से केणट्टेणं ? जहा धरणस्स तहेव, एवं जाव पाणयस्स, एवं प्रच्चयस्स जाव अण्णे उववज्जंति || ६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति !! पंचमी उद्देसो hari तुडिएण सद्वि दिव्वभोग-पदं ६४. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे । गुणसिलए चेइए जाव' परिसा पडिगया । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवत्र महावीरस्स बहवे अंतेवासी थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जहा अट्टमे सए सत्तमुद्देसए जाव' संजमेणं तवसा अप्पा भावेमाणा विहरति । तए णं ते थेरा भगवंतो जायसड्ढा जायसंसया जहा गोयमसामी जाव' पज्जुवासमाणा एवं वयासी६५. चमरस्स णं भंते प्रसुरिदस्स असुरकुमाररण्णो कति अग्गमहिसीयो पण्णत्ताओ ? १. वालगा ( अ, म ); पालागा ( क, ब); पालागा ( स ) | २. भ० १०/५७-५६। ३. सं० पा०-- पुच्छा । ४. भ० ११५१| ५. भ० ११४-८ ६. भ० ८ २७२। ७. भ० १।१० Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७८ भगवई अज्जो ! पंच अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा-काली, रायी, रयणी, विज्ज, मेहा । तत्य णं एगमेगाए देवीए अट्ठ देवीसहस्सं परिवारो पण्णत्तो ।। पभू णं भंते ! ताओ एगमेगा देवी अण्णाइं अट्ठठ्ठ देवीसहस्साई परियार विउवित्तए ? एवामेव सपुत्वावरेणं चत्तालीसं देवीसहस्सा । सेत्तं तुडिए ।। ६७. पभ णं भंते ! चमरे अरिदे असरकमारराया रराया चमरचंचाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, चमरंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धि दिव्वाई भोग भोगाई भंजमाणे विहरित्तए ? नो इणद्वे सम8 ।। ६८. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नो पभू चमरे असुरिंदे असुरकुमार राया चमरचंचाए रायहाणीए जाव' विहरित्तए ? अज्जो! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचाए रायहाणीए,सभाए सुहम्माए, माणवए चेइयखंभे वइरामएसु गोल-वट्ट-समुग्गए वहयो जिणसकहाम्रो सन्निक्खित्तायो चिटुंति, जानो णं चमरस्स असुरिदस्स असुर कुमाररणो अण्णेसि च बहूणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ वंदणिज्जानो नमंसणिज्जायो पूयणिज्जायो सक्कारणिज्जासो सम्माणणिज्जाम्रो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जाओ भवंति । से तेणट्टेणं अज्जो ! एवं वच्चइ-नो पभू चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया 'चमरचंचाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, चमरंसि सिहासणंसि तुडिएणं सद्धि दिव्वाइं भोग भोगाई भुजमाणे ° विहरित्तए । पभ णं अज्जो! चमरे अरिदे असूरमारराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए, चमरंसि सीहासणंसि च उसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहि, तायत्तीसाए' तावत्तीसगेहिं, चउहि लोगपाले हिं, पंचहिं अगमहिसोहि सपरिवाराहि चउसट्ठीए पायरक्खदेवसाहस्सीहि , अण्णेहि य बर्हि असुरकुमारेहि देवेहि य, देवीहि य सद्धि संपरिबुडे महयाय नट्ट-गीय-वाइयतंती-तल-ताल-तुडिय-धणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई • भंजमाणे विहरित्तए ? केवलं परियारिड्ढीए, नो चेव णं मेहुणवत्तियं ।। ६९. १. ° सहस्सा (ता, स)। २. भ० १०६७ ३. भवंति तेसिं पणिहाए णो पभू (अ, स)। ४. सं० पा०—असुरकुमारराय जाव विहरि ५. सं० पा०.–तायत्तीसाए जाव अण्णेहि। ६. अण्णेस (अ, स)। ५. सं० पा० .-महयाय जाव भुजमारणे । Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं सतं (पंचमी उद्देसो) ४७६ ७०. चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारष्णो कति अग्ग महिसीओ पण्णत्ताओ ? अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसी पण्णत्ताओ, तं जहा कणगा, कणगलता, चित्तगुत्ता, वसुंधरा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे पण्णत्ते || ७१. पभू णं ता 'एगामेगा देवी" अण्णं एगमेगं देवीसहस्सं परियारं विउव्वित्तए ? एवामेव सपुव्वावरेणं चत्तारि देवीसहस्सा । सेत्तं तुडिए 11 ७२. पभू णं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो सोमे महाराया सोमाए यहाणीए सभाए सुहम्माए, सोमंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धि दिव्वाई भोग भोगाई भुजमाणे विहरित्तए ? प्रवसेसं जहा चमरस्स, नवरं - परियारो जहा सूरियाभस्स । मेसं तं चेव जाव' नो चेव गं मेहुणवत्तियं ॥ ७३. चमरस्स णं भंते! असुरिदस्स असुरकुमार रण्णो जमस्स महारण्णो कति Q अगमसियो ? एवं चेव', नवरं - जमाए रायहाणीए, सेसं जहा सोमस्स । एवं वरुणस्स वि नवरं - वरुणाए रायहाणीए । एवं वेसमणस्स वि, नवरं - बेसमणाए रायहाणीए | सेसं तं चैव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं' | ७४. बलिस्स णं भंते ! वइरोयणिदस्स-पुच्छा । अज्जो ! पंच अग्गमहिसीओ पण्णत्तायो, तं जहा - सुभा, निसुंभा, रंभा, निरंभा, मदणा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए अदृट्ठ देवीसहस्सं परिवारो, सेसं जहा चमरस्स, नवरं - बलिचंचाए रायहाणीए, परियारो जहा" मोउद्देसए । सेसं तं चैव जाव नो चेव गं मेहुणवत्तियं ॥ ७५. बलिस्स णं भंते! वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारष्णो कति महिसी पण्णत्तायो ? प्रज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताग्रो, तं जहा - मीणगा, सुभद्दा, विज्जुया", अणी । तत्थ गं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवी सहस्सं परिवारो, सेसं जहा चमरसोमस्स एवं जाव वरुणस्स ।। १. एगमेगंसि ( स ) | २. परियारो (ता) | ३. एगमेगाओ देवी ( अ ) एगमेगाए देवीए (a) I ४. राय० सू० ७ ५. भ० १०१६७-६६। ६. सं० पा० - भंते जाव रण्णो । ७. भ० १०/७०-७२ । ८. ० पत्तियं ( ब ) । ६. सुभा ( अ, ब, स ) 1 १०. भ० ३।१२। ११. विजया ( स ) । १२. वेसमणस्स (अ, स ) 1 Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८० भगवई ७६. धरणस्स णं भंते! नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो कति अग्गमहिसीनो पण्णत्ताओ ? ग्रज्जो ! छ अग्गमहिसो पण्णत्ताओ, तं जहा - प्रला', सक्का, सतेरा', सोदामिणी, इंदा, घणविज्जुया । तत्थ णं एगमेगाए देवीए छ-छ देवीसहस्स परिवारो पण्णत्तो ॥ ७७. पभू णं ताम्रो एगमेगा देवी ग्रण्णाई छ-छ देविसहस्साइं परियारं विउब्वित्तए ? एवामेव सपुव्वावरेणं छत्तीसाई देविसहस्ताई । सेत्तं तुडिए । ७८. पभू णं भंते! धरणे ? सेसं तं चेव, नवरं - धरणाए रायहाणीए, धरणंसि सीहासांसि स परियारो' | सेसं तं चैव || ७६. धरणस्स णं भंते ! नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो कालवालस्स' महारष्णो कति महिसी पण्णत्ताओ ? अज्जो चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ तं जहा असोगा, विमला, सुप्पभा, सुदंसणा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो, अवसेसं जहा' चमरलोगपालाणं । एवं सेसाणं तिन्ह वि ॥ ८०. भूयाणंदस्स भंते ! – पुच्छा | ग्रज्जो ! छ महिसाओ पण्णत्ताश्रो, तं जहा हा रूपसा सुरूया, रूपगावतो, रूपकंवा, रूपमा । तत्थ गं एगमेगाए देवोए ऐगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, श्रवसेसं जहा धरणस्स ! ८१. भुयाणंदस्स णं भंते! नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो नागचित्तस्स - पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि श्रग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-सुनंदा, सुभद्दा, सुजाया, सुमणा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, अवसेसं जहा चमरलोगपालाणं । एवं सेसाणं तिष्ह वि लोगपालाणं । जे दाहिणिल्ला इंदा तेसि जहा धरणिदस्स, लोगपालाण वि तेसि जहा धरणस्स लोगपालाणं । उत्तरिल्लाणं इंदाणं जहा भूयाणंदस्स, लोगपालाण वि तेसि जहा भूयाणंदरस लोगपालाणं, नवरं - इंदाणं सव्वेसि रायहाणीओ सीहासणाणि यसरि णामगाणि, परियारो जहा " मोउद्देसए । लोगपालाणं सव्वेसि रायहा १. आला ( ब ) ; इला ( क्व०) 1 २. मक्का (ता, व, म); सुक्का ( स ), कमा ( ना० २३९ ) । ३. सतारा ( अ, स ) 1 ४. ५. भ० १०/६७-६६ । सहस्सा ( अ, ता, ब, म, स ) । ६. भ० ३११४४ ७. काल लोगपालस्स (अ); लोगपालस्स काललोगपालस्स ( स ) | ८. भ० १०/७०-७२१ ६. X (ता, ब ) । १०. भ० ३।१४, १५ । Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं सतं (पंचमो उद्देमो) पी पालाणं ॥ ८२. कालस्स णं भंते! पिसायिदस्स पिसायरण्णो कति श्रग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ ? श्रज्जो ! चत्तारि ग्रग्गमहिसीओ पण्णत्तात्र, तं जहा - कमला, कमलप्पभा, उप्पला, सुदंसणा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो, सेसं जहा' चमरलोगपालाणं । परिवारो तहेव, नवरं कालाए रायहाणीए, कासि सीहासांसि सेसं तं चैव । एवं महाकालस्स वि ॥ ८३. सुरुवस्स णं भंते ! भूर्तिदस्य भूतरण्णो- पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि अगमहिसीय पण्णत्ताप्रो, तं जहा - रूववई, बहुरुवा, सुरूवा, सुभगा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा कालस्स । एवं परुिवस्स वि || ४८ १ सीहासणाणि य सरिसणामगाणि, परियारो जहा चमरस्स लोग ८४. पुण्णभद्दसणं भंते! जक्खिदम्स पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि ग्रग्गमहिसीयो पण्णत्तायो, तं जहा - पुण्णा, बहुपुत्तिया, उत्तमा, तारया । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा कालस्स | एवं माणिभदस्स वि ॥ ८५. भीमस्सगं भंते! रक्खसिदस्य पुच्छा । ग्रज्जो ! चत्तारि ग्रग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा -- पउमा, वसुमती', कणगा, रयणप्पभा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा कालस्स । एवं महाभीमस्स वि || ८६. किन्नरस्स णं- पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिती पण्णत्ताओ, तं जहा-वडेंसा, केतुमती, रतिणा, पिया । तत्थ णं ऐगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सं तं चैव । एवं किंपुरिसस्स वि ॥ ८७. सप्पुरिसस्स णं पुच्छा । - ग्रज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीग्रो पण्णत्ताग्रो, तं जहा - रोहिणी, नवमिया, हिरी, पुष्पवती । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं तं चैव । एवं महापुरिसस्स वि ।। ८८. श्रतिकायस्स गं पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि ग्रामहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा भुयगा, भुयगवती, १. भ० १०१७०-७३ । २. भ० १०/७१, ७२ । ३. पमवती ( अ स ) ; पउमावती ( कम ) | ४. भुयंगा ( स ) । Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८२ भगवई महाकच्छा, फुडा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं तं चेव । एवं महाकायस्स वि ।। गीयरइस्स णं-पुच्छा। प्रज्जो ! चत्तारि अग्ग महिसीनो पण्णत्ताओ, तं जहा-सुघोसा, विमला, सूस्सरा, सरस्सई। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं तं चेव । एवं गीयजसस्स वि। सव्वेसि एएसिं जहा कालस्स, नवरं-सरिसनामियानो रायहाणीयो सीहासणाणि य, सेसं तं चेव ।। चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइस रणो - पुच्छा। अज्जो ! वत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा चंदप्पभा, दोसिणाभा', अच्चिमाली, पभंकरा। एवं जहा जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव सूरस्स वि सूरप्पभा, प्रायवा', अच्चिमालो, पभंकरा । सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं ।। ६१. इंगालस्स णं भंते ! महागहस्स कति अगमहिसोप्रो-पुच्छा। अज्जो ! चत्तारि अगामहिसीयो पग्णत्तानो, तं जहा-विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिया । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्म परिवारे, सेसं जहा चंदस्स, नवरं-इंगालवडेसए विमाणे, इंगालगंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव । एवं वियालगस्स वि। एवं अट्ठासीतिए वि महग्गहाणं' भाणियव्वं जाव' भावके उस्स, नवरं-वडेंसगा सीहासणाणि य सरिसनामगाणि, सेसं तं चेव ।। ६२. सक्कस्स णं भंते ! देविदस्स देवरणो-पुच्छा। अज्जो ! अट्ठ अग्गमहिसिनो पण्णत्ताओ, तं जहा-पउमा, सिवा, सची, अंजू, अमला, अच्छरा, नवमिया, रोहिणी। तत्थ णं एगमेगाए देवीए सोलस-सोलस देवीसहस्सा परिवारो षण्णत्तो।। ६३. पभू णं तानो एगमेगा देवी अण्णाई सोलस-सोलस देवीसहस्साई परिवारं विउवित्तए ? एवामेव सपुवावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देवीसयसहस्सं । सेत्तं तुडिए ।। ६४. पभू ण भंते ! सक्के देविदे देवराया सोहम्मे कप्पे, सोहम्मव.सए विमाणे, सभाए सुहम्माए, सक्कंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धि दिव्वाइं भोगभोगाई १. ओसिणाभा (ता, स)। २. जी०३। ३. आयच्चा (अ, स). ४. भ० १०॥६७-६६. ५. सेसं तं चेव (अ, स)। ६. महागहाणं (अ, क, ब, स)। ७. ठा० २१३२५ । ८. सेया (अ, स); सुयी (क, ता, म)। Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ४८३ भुंजमाणे विहरित्तए । सेसं जहा चमरस्स, नवरं–परियारो जहा' मोउद्देसए ।। ६५. सक्कस्स णं देविंदरस देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अगमहिसीओ पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि अग्गम हिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा-रोहिणी, मदणा, चित्ता, सोमा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं -सयंपभे विमाणे, सभाए सुहम्माए, सोमंसि सोहासणंसि, सेसं तं चेव । एवं जाव वेसमणस्स, नवरं-विमाणाई जहा ततियसए । १६. ईसाणस्स णं भंते ! ---पुच्छा ! अज्जो ! अटु अगमहिसीओ पणत्ताओ, तं जहा-कण्हा, कण्हराई, रामा, रामरक्खिया, वसू, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुंधरा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा सक्कस्स ।। ६७. ईसाणस्स गण भंते ! देविंदस्स देवराणो सोमस्स महारपणो कति अग्गम हिसीनो -पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि अगमहिसीनो पगात्तातो, तं जहा-पुहवी, राई, रयणी, विज्जू । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाण, एवं जाव वरुणस्स, नवरं-विमाणा जहाँ चउत्थसए, सेसं तं चेव जाव' नो चेव णं मेहुणवत्तियं ॥ १८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। छट्ठो उद्देसो सुहम्मा सभा-पदं ६६. कहि णिं भंते ! सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पग्णत्ता ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढ १. भ० ३।१६। २. भ० १०७०-७२। ३. भ० ३१२५०, २५१, २५६, २६१, २६६ । ४. भ. १०९६२-६४ । ५. भ० ४।२-४। ६. भ० १०१६७-६६। ७. भ० १५१ । Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૪૬૪ भगवई वीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो उड्ढ एवं जहा राय पसेणइज्जे जाव' पंचवडेंसगा पण्णत्ता, तं जहा - असोगवडेंसए, सत्तवण्णवडेंसए, चंपगवडेंसए, चूयवडेंसएम, सोहम्मवडेंसए । से णं सोहम्मवडेंसए महाविमाणे श्रद्धते रसजोयस सहस्सा आयामविक्खभेणं, एवं जह सूरिया, तहेव माण तहेव उववाश्रो । सक्करस य अभिसेश्रो तहेव जह सूरियाभस्स । अलंकारच्चणिया, तहेव जाव' प्रायरक्खत्ति ॥१॥ दो सागरोवमाई ठिती ॥ सक्क पर्द १००. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया के महिड्दिए जाव' के महासोक्खे' । गोमा ! महिड्दिए जाव महासोक्खे । से णं तत्थ बत्तीसार विमाणावासस्यसहस्साणं जाव' दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ । एमहिड्दिए जाव एमहासोक्खे सक्के देविदे देवराया || १०१. सेवं अंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। ७-३४ उद्देसा अंतरदीव-पदं १०२. कहि णं भंते ! उत्तरिल्लाणं एगुरुयमणुस्साणं एगुरुयदीवे नामं दीवे पण्णत्ते ? एवं जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव" सुद्धदंतदीवो ति । एए अट्ठावीसं उद्देगा भाणिव्वा ॥ १०३. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति जाव" अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ १. राय० सू० १२४, १२५ । २. सं० पा० - असोगवडेंसए जाव मज्भे । ३. पमाणं ( अ, क, ता, म, स ) । ४. राय० सू० १२६-६६६ । ५. भ० ३।४ । ६. के महेसक्खे ( ब, स ) 1 ७. भ० ३।१६ ८. भ० ११५१ । C. एगुरुय ( अ, म, स ) | १०. जी० ३ । ११. भ० १५१ । Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं पढमो उद्देसो १. उप्पल २. सालु ३. पलासे ४. कुंभी ५. नाली य ६. पउम ७. कपणी य'। ८. नलिण ह. सिव १०. लोग ११,१२. कालालभिय दस दो य एक्कारें ॥१॥ उप्पलजीवाणं उववायादि-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी-उप्पले णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? गोयमा! एगजीवे, नो अणेगजीवे । तेण परं जे अण्णे जीवा उववज्जति ते गं नो एगजीवा अणेगजीवा ।। २. ते णं भंते ! जीवा कतोहितो उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति ? 'तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? मणुस्से हितो उववज्जति" ? देवेहितो उववज्जति ? - -..............- - -. . . १. या (ब)। २. अतोग्रे प्रमोद्देशकद्वारसंग्रहगाथा लभ्यन्ते, ताश्च इमाउववाओ परिमाणं, अवहारुच्चत्त बंध वेदे य । उदए उदीरणाए, लेसा दिट्टी य नाणे य ॥ जोगुवओगे वण्ण, रसमाई ऊसासगे य आहारे । विरई किरिया बंधे, सन्न कसायित्थि बंधे य ।। सन्निदिय अरगुबंधे, संवेहाहार ठिइ समुग्धाए। चयरणं मूलादीसु य, उववाओ सव्वजीवाणं ॥ (वृपा) ॥ ३. भ० ११४-१० । ४. तिरि मणु (अ, क, ता, व, म, स) । ४८५ Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८६ भगवई गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, मणुस्से हितो उववज्जति देवेहितो वि उववज्जति । एवं उबवानो भाणियव्वो जहा वक्कंतीए वणस्स इकाइयाणं जाव' ईसाणेति ।। ३. ते णं भंते ! जीवा एगसमए णं केवइया उववज्जति ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्को बा दो वा तिषिण वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा' असंखेज्जा वा उववज्जति ॥ ४. ते णं भंते ! जीवा समए-समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा केवतिकालेणं अवहीरति ? गोयमा ! ते णं असंखेज्जा समए-समए 'अवहीरमाणा-अवहीरमाणा' असंखे ज्जाहि ओसप्पिणि-उस्स प्पिणीहि अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया ।। ५. तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उचकोसेणं सातिरेगं जोयण सहस्सं ।। ६. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मरस कि बंधगा? प्रबंधगा ? गोयमा! नो अबंधगा, बंधए वा, बंधगा वा ।। ७. एवं जाव अंतराइयस्स, नवरं-आउयस्स-पुच्छा। गोयमा ! १. बंधए वा २.प्रबंधए वा ३. बंधगा वा ४. प्रबंधगा वा ५. अहवा बंधए य प्रबंधए य ६. ग्रहवा बंधए य प्रबंधगा य ७. अहवा बंधगा य अबंधए य ८. अहवा बंधगा य प्रबंधगा य-एते अट्ठ भंगा॥ ८. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कि वेदगा? अवेदगा? गोयमा ! नो अवेदगा, वेदए वा, वेदगा वा । एवं जाव अंतराइयस्स ॥ ६. ते णं भंते ! जीवा कि सायावेदगा ? असायावेदगा? गोयमा ! सायावेदए वा, असायावेदए वा- अट्ठ भंगा ।। १०. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कि उदई ? अणुदई ? गोयमा ! नो अणुदई, उदई वा, उदइणो वा । एवं जाव अंतराइयस्स ।। ११. ते ण भते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं उदीरगा? अणदीरगा? गोयमा ! नो अणुदीरगा, उदीरए वा, उदीरगा वा। एवं जाव अंतराइयस्स, नबरं-वेदणिज्जाउएसु अट्ठ भंगा ॥ १२. ते णं भंते ! जीवा कि कण्हलेसा ? नीललेसा? काउलेसा ? तेउलेसा? १. प०६। २. वा उवव (ता)। ३. अवहीरेमारणा २ (स)। ४. ° प्पिणीहि (ब, म)। Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (पढमो उद्देसो) ४८७ गोयमा ! कण्हलेसे वा नीललेसे वा काउलेसे वा तेउलेसे वा, कण्हलेस्सा वा नीललेस्सा वा काउलेस्सा वा तेउलेस्सा वा, अह्वा कण्हलेसे य नीललेसे य। एवं एए दुयासंजोग-तियासंजोग-च उक्कसंजोगेणं असीती भंगा भवति ।। १३. ते णं भंते ! जीवा कि सम्माद्दिट्ठो ? मिच्छादिट्ठी ? सम्मामिच्छादिट्ठी? गोयमा ! नो सम्मट्ठिो, नो सम्मामिच्छादिट्ठो, मिच्छादिट्ठो वा मिच्छा दिट्टिणो वा ।। १४. ते णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी वा, अण्णाणिणो वा ।। १५. ते णं भंते ! जीवा कि मणजोगी ? वइजोगी ? कायजोगी ? गोयमा ! नो मणजोगी, नो वाइजोगी, कायजोगी वा, कायजोगिणो वा ।। १६. ते णं भंते ! जीवा किं सामारोव उत्ता? अणागारोव उत्ता? गोयमा! सागारोवउत्ते वा, अणागारोवउत्ते वा-अट्ठ भंगा ।। १७. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा कतिवण्णा, कतिगंधा, कतिरसा, कतिफासा, पण्णत्ता? गोयमा ! पंचवण्णा, पंचरसा, दुगंधा, अट्ठफासा पण्णत्ता। ते पुण अप्पणा अवण्णा, अगंधा, अरसा, अफासा पण्णत्ता ।। १८. ते णं भंते ! जोवा कि 'उस्सासगा? निस्सासगा ? नोउस्सासनिस्सासगा ?" गोयमा ! १. उस्सासए वा २. निस्सासए वा ३. नोउस्सासनिस्सासए वा ४. उस्सासगा वा ५. निस्सासगा वा ६. नोउस्सासनिस्सासगा वा १-४ अहवा उस्सासए य निस्सासए य १-४ अहवा उस्सासए य नो उस्सासनिस्सासए य १-४ अहवा निस्सासए य नोउस्सासनिस्सास य १-८ अहवा उस्सासए य निस्सासए य नोउस्सासनिस्सासए य-अटू भंगा । एते छव्वीसं भंगा भवंति ॥ १६. ते णं भंते ! जीवा कि आहारगा ? अणाहारगा? गोयमा ! आहारए वा, अणाहारए वा ---अट्ठ भंगा ॥ २०. ते णं भंते ! जीवा कि विरया ? अविरया ? विरयाविरया ? गोयमा ! नो विरया, नो विरयाविरया, अविरए वा अविरया वा ।। २१. ते णं भंते ! जीवा कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा ! नो अकिरिया, सकिरिए वा, सकिरिया वा ।। १. सं० पा०वा जाव तेउलेसे । २. चउक्कसंजोगेण य (अ, क, ता, म,स); चतु- बकासंजोगेरग य (क)। ३. द्रष्टव्यम्-भ० ११२१८ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । ४. उस्सासा निस्सासा नोउस्सासानिस्सासा (क, ता, 'म)। ५. एवं (ता)। Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८८ २२. ते णं भंते ! जीवा कि सत्तविहबंधगा ? दुविहवंधगा ? गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अदुविहबंधए वा अभंगा ॥ २३. ते णं भंते ! जीवा कि आहारसण्णोवउत्ता ? भयसण्णोवउत्ता ? मेहुणसष्णोवउत्ता ? परिग्गहसण्णोवउत्ता ? गोमा ! आहारसण्णोवउत्ता - ग्रसीती भंगार ॥ २४. ते णं भंते ! जीवा कि कोहकसाई ? माणकसाई ? मायाकसाई ? लोभकसाई ? ग्रसीती भंगार ॥ २५. ते णं भंते ! जीवा किं इत्थवेदगा ? पुरिसंवेदगा ? नपुंसगवेदगा ? गोमा ! तो इत्यिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदए वा, नपुंसगवेदगा वा ॥ २६. ते णं भंते ! जीवा किं इत्थिवेदबंधगा ? पुरिसवेदबंधगा ? नपुंसगवेदबंधगा ? गोमा ! इत्थवेदबंध वा, पुरिसवेदबंधए वा, नपुंसगवेदबंधए वा- छब्बीसं भंगा ॥ २७. ते णं भंते ! जीवा किं सण्णी ? असण्णी ? गोयमा! तो सण्णी, असण्णी वा असणिणो वा । २८. ते णं भंते ! जीवा किं सइंदिया ? श्रणिदिया ? गोयमा ! नो अणिदिया, सइंदिए वा, सइंदिया वा ॥ २६. से णं भंते ! उप्पलजीवेत्ति' कालग्रो केवच्चिरं होइ ? भगवई गोयमा ! जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ॥ ३०. से णं भंते ! उप्पलजीवे पुढविजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं असंखेज्जाई भवम्हणाई | कालादेसेणं जहणेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं श्रसंखेज्जं काल, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ॥ ३१. से णं भंते! उप्पलजीवे, आउजीव, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ! एवं चैव । एवं जहा पुढविजीवे भणिए तहा जाव वाउजीवे भाणियव्वे || ३२. से णं भंते ! उप्पलजीवे सेसवणरसइजीवें, से पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतिय 'काल सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? १, २. द्रष्टव्यम् भ० ११२१८ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । ३. भ० ११।१८। 8. sità (a) 1 ५. से वरण ० ( अ, क, ब, म, स) । Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (पढमो उद्देसो) ४८६ गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अणंताई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं अणंतं कालं तरुकालं', एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ।। ३३. से णं भंते ! उप्पल जीवे बेइंदियजीवे, पुणरवि उप्पलजोवेत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहणणेणं दो भवरगहणाई, उक्कोसेणं संखेज्जाई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णणं दो अंतोमहत्ता, उक्कोसेणं संखेज्ज कालं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं तेइंदियजीवे, एवं चरिदियजीवे वि ।। ३४. से णं भंते ! उप्पल जीवे पंचिदियतिरिक्खजोणियजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति --पुच्छा । गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ट भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं पुव्वकोडिपुहत्तं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं मणुस्सेण वि समं जाव एवतियं कालं गतिराति करेज्जा ।। ३५. ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेति ? गोयमा! दम्वनो अणंतपदेसियाई दबाई, खेत्तो असंखेज्जपदेसोगाढाई, कालो अण्णयरकालट्टिइयाइं, भावग्रो वण्णमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई एवं जहा ग्राहारुद्देसए वणस्स इकाइयाणं पाहारो तहेव जाव सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति, नवरं-नियमा छद्दिसि, सेसं तं चेव ।। ३६. तेसि ण भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं दस वाससहस्साई ।। ३७. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा ! तो समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा- वेदणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाए। ३८. ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्धाएणं किं समोहता मरंति ? असमोहता मरंति? गोयमा ! समोहता वि मरंति, असमोहता वि मरंति ।। ३६. ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उन्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति-कि १. ४ (क, ता, म)। २. एव चव नवरमरांतं कालं जाव कालाएसेरा वि (व)। ३. ५०२८।१। Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६० भगवई ने रइएसु उववज्जति ? तिरिक्ख जोणिएसु उववज्जति ? एवं जहा वक्कंतीए उव्वट्टाणाए वणस्सइकाइयाणं तहा भाणियव्वं' । अह भंते ! सव्वपाणा, सव्वभूता, सव्वजोवा, सव्वसत्ता उप्पलमूलत्ताए, उप्पलकंदत्ताए, उप्पलनालत्ताए, उप्पलपत्तत्ताए, उप्पलकेस रत्ताए, उप्पलकग्णियताए, उप्पलथिभगत्ताए' उववन्नपुव्वा ? हंता गोयमा ! असति अदुवा अणंतखुत्तो।। ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' । बीओ उद्देसो सालुयादिजीवाणं उववायादि पदं ४२. सालए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? गोयमा ! एगजीवे । एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अणंतखुत्तो, नवरं-सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं, सेसं तं चेव ॥ ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ १. प०६ । २. विभंगत्ताए (अ)। ३. भ० १५० ४. भ० ११।१-४०। ५. भ० ११५१॥ Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (चउत्थो उद्देसो) ४६१ तइअो उद्देसो ४४. पलासे णं भंते ? एगपत्तए कि एमजीवे ? अणेगजीवे ? एवं उप्पलुद्दे सगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियन्वा, नवरं सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं गाउयपुहत्ता' । देवेहितो न उवव ज्जति ।। ४५. लेसासु-ते णं भंते ! जीवा कि कण्हलेस्सा ? नीललेस्सा ? काउलेस्सा ? गोयमा ! कण्हलेस्से वा नीललेस्से वा काउलेस्से वा–छब्बीसं भंगा', सेसं तं चेव ।। ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ चउत्थो उद्देसो ४७. कुंभिए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एवं जहा पलासुद्देसए तहाँ भाणियव्वे, नवरं--ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वासपुहत्तं, सेसं तं चेव ।। ४८. सेवं भंते ! सेव भंते ! ति। १. पुहुत्तं (अ, ब)। २. देवा एएसु (अ, ब); देवेसु (ता, म); देवा एएसु चेव (स); वृत्तिकृतापि १११२ सूत्रस्य सन्दर्भ एव व्याख्या कृतास्ति । अस्माभिरपि तस्य सन्दर्भ एव पाठ : स्वीकृतः । ३. भ० ११.१८॥ ४. भ० ११५१। ५. भ० १।५१। Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६२ भगवई पंचमो उद्देसो ४६. नालिए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एवं कुंभिउद्देसगवत्तव्वया निरवसेसं भाणियव्वा ।। ५०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। छट्ठो उद्देसो ५१. पउमे णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा ।। ५२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। सत्तमो उद्देसो ५३. कण्णिए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एवं चेव निरवसेसं भाणियव्वं ।। ५४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' । १. भ० १५१ २. भ० ११५१॥ ३. भ० ११५१ Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (नवमो उद्देसो) ४९३ अट्ठमो उद्देसो ५५. नलिणे णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेग जीवे ? एवं चेव निरवसेसं जाव' अणंतखुत्तो॥ ५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । नवमो उद्देसो सिवरायरिसि-पदं ५७. तेणं कालेणं तेणं समएणं हथिगापुरे नाम नगरे होत्था-वण्णमओ' । तस्स णं हत्थिणापुरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभागे, एत्थ णं सहसंबवणे नाम उज्जाणे होत्था-सव्वोउय-पुष्फ-फलसमिद्धे रम्मे णंदणवणसन्निभप्पगासे सुहसीतलच्छाए मणोरमे सादुप्फले अकंटए, पासादीए 'दरिसणिज्जे अभिरूवे ° पडिरूवे ॥ ५८. तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे सिवे नाम राया होत्था-महयाहिमवंत-महंत-मलय मंदर-महिंदसारे-वण्णो । तस्स णं सिवस्स रण्णो धारिणी नामं देवी होत्था-सुकुमालपाणिपाया---वण्णो । तस्स णं सिवस्स रण्णो पुत्ते धारिणीए अत्तए सिवभद्दे नाम कुमारे होत्था-सुकुमालपाणिपाए, जहा सूरियकते जाव" रज्जं च रटुं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठारं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव पच्चुवेक्खमाणे-पच्चुवेक्खमाणे विहरइ । १. भ० ११४१-४०। ६. ° सन्निगासे (अ, क, ब, स)। २. भ० ११५१ ७. सं० पा०--पासादीए जाव पडिरूवे । ३. हत्थिरणागपुरे (अ, म); हत्थिरणपुरे (क); ८. ओ० सू० १४॥ हत्थिरणाउरे (ता)। ६. प्रो० सू०१५॥ ४. प्रो० स०१३ १०. राय० सू० ६७३,६७४ ५, सव्वोदुय (क, म)। Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६४ भगवई ५६. तए णं तस्स सिवस्स रण्णो अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि रज्जधुरं चितेमाणस्म अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-अत्थि ता मे पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफल वित्तिविमेसे, जेणाहं हिरण्णणं वड्ढामि सुवण्णेणं वड्ढामि, धणेणं वड्ढामि, धण्णणं वड्ढामि °, पुत्तेहिं वदामि, पसूहिं बड्ढामि, रज्जेणं वड्ढामि, एवं रटेणं बलेणं वाहणणं कोसेणं कोट्ठागारेणं पुरेणं अंतेउरेणं वडढामि, विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संखसिलप्पवाल-रत्तरयण ° -संतसारसावएज्जेणं अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, तं किं गं अहं पुरा पोराणाणं' •सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं 'एगंतसो खयं उवेहमाणे विहरामि ? तं जावताव अहं हिरण्णणं वड्ढामि जाव' अतीव-अतीव अभिवड्ढामि जाव मे सामंतरायाणो वि वसे वटुंति, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहुं लोही-लोहकडाह-कडच्छुयं तंवियं तावसभंडगं घडावेत्ता सिवभई कुमारं रज्जे ठावेत्ता तं सुबहुं लोही-लोहकडाह-कडच्छुयं तंबियं तावसभंडगं गहाय जे इमे गंगाकुले वाणपत्था तावसा भवंति, [तं जहा-होत्तिया पोत्तिया" कोत्तिया जहा अोववाइए जाव" यायावणाहिं पंचग्गि १. सं० पा०–अज्झस्थिए जाव समुपज्जित्था २. सं० पा०-जहा तामलिस्स जाव पुत्तेहिं । ३. सं० पा० रयण जाव संत०। ४. ° सावदेज्जेणं (क, ब, म, स)। ५. सं० पा-पोराणाणं जाब एगंतसोक्खयं । ६. एगंतसोक्वयं (अ)। ७. उव्वेह० (स)। ८. तं चेव जाव (अ, क, व, म. स)। ९. भ० २०६६ १०. कडेच्छुयं (क, ता, ब, म)। ११. सोत्तिया (क, ब, वृपा)। १२. केषुचिदादशेषु विस्तृतः पाठोस्ति । तदनन्तरं 'जहा ओववाइए' इति संक्षिप्तपाठस्य सूचनमप्यस्ति। एतद् द्वयोर्वाचनयोः सम्मिश्रणेन जातम् । केवलं 'ब' संकेतितादर्श एकव विस्तृतवाचना लभ्यते । सा च इत्थ मस्ति-होतिया पोतिया कोत्तिया जण्णाई सड्ढई थालई हुंबजट्ठा [हुंचउट्ठा (अ) हुंपतुट्ठा (क, व); उट्टिया (ता)] दंतुलिया उम्मज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा संपवखाला 'उद्धकंडुयगा अहोकं डुयगा' ['x' (क, व, म)] दाहिरणकूलगा उत्तरकूलगा संखधममा कूलधमगा मियलुद्धगा हत्थितावसा जलाभिसेयकढिरण गत्ता अंबुवासिगो वाउवासिणो सेवालवासियो [वेलनासिरणो (स)] अंबुभक्खिरगो वाउभक्विणो रोवालभक्विणो मूलाहारा कंदाहारा पत्ताहारा तयाहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडिय-पंड-पत्तपुप्फफलाहारा उद्दडा रुक्खमूलिया मंडलिया विलवासिणो [वलिवासिणो (क); पलवासिगो (व); वणवासिगो (म)] दिसापोक्खिया, आतावणेहि पंचग्गितावेहि Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (नवमी उद्देसो) ૪ तावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं कटुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा विहरंति ] ' तत्थ णं जे ते दिसापोक्खी तावसा तेसि प्रतियं मुंडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइत्तए, पब्वइते वि य णं समाणे अयमेयारूवं अभिग्यहं अभिगिहिसामि – कप मे जावज्जीवाए छटुंछद्वेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाओ परिज्झिय परिज्यि' सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स • विहरित्तए, त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए यी जाव उट्टियम्म सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणय रे तेयसा जलते सुबहु लोहीलोह' कडाह-कडच्छुयं तंवियं तावसभंडगं • घडावेत्ता कोडुंबियपुरिसे सहावेइ, सदावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! हत्थिणापुरं नगरं भिरबाहिरियं ग्रासिय सम्मज्जिग्रोवलित्तं जाव' सुगंधवरगंधगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह् य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । ते वि तमाणत्तियं पच्चपिति ॥ ६०. तए से सिवे राया दोच्चं पि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं क्यासी - खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! सिवभद्दस्स कुमारस्स महत्थं महग्धं महरिहं विलं रायाभिसेयं उवदुवेह । तए गं ते कोडुंबियपुरिसा तहेव उवद्ववेति ॥ ६१. तए णं से सिवे राया अणेगगणनायग- दंडनायगराईसर-तलवर-माइंबियकोडुंबिय इभ-सेट्ठि - सेणावइ- सत्थवाह दूय- संधिपाल सद्धि संपरिवुडे सिवभद्दं कुमारं सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुहं, निसियावेइ, निसियावेत्ता असणं सोचणियाणं कलसाणं जाव' असणं भोमेज्जाणं कलसाणं सव्विड्ढोए जाव दुंदुहि - णिग्घोसणाइयरवेणं महया - महया रायाभिसेगेणं अभिसिंचाइ, ग्रभिसि O इंगाजसोलितयं कंदु (ड.) सोल्लियं कटुसोल्लियं पिव अप्पा करेमारणा विहरति । 'ओववाइय' सूत्रस्य (६४) पूर्णपाठः एवमस्ति- 'होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुंबउट्ठा दंतुकखलिया उम्म ज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा संपखाला दविकूलगा उत्तरकूलगा संखधमया कूलधमगा मिगलुद्धगा हत्थितावसा उद्दंडगा दिसापोrant वाकवासिणो चलवासिखो जवासिणो रुखमुलिया अंबुभक्खिणो वाउभक्aिण सेवालभक्खिणो मूलाहारा कदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा ८. भ० ६।१८२ । बीयाहारा परिसडिय - कंद-मूल-तय- पत्त- पुप्फफलाहारा जलाभिसेय - कढिण-गाया आयावाहि पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं कटुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमारणा ।' असो कोष्ठक्रवर्ती पाठ: व्याख्यांशः प्रतीयते । २. सं० पा० - परिज्भिय जाव विहरित्तए । ३. भ० २१६६ । १. ४. सं० पा० - लोह जाव घडावेत्ता | ५. ओ० सू० ५५ । ६. सं० पा० - दंडनायग जाव संधिपाल | ७. भ० ६।१८२ । Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૪૬ भगवई चित्ता पम्हलसुकुमालाएं सुरभीए गंधकासाईए गायाई लूहेति, लूहेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणं गायाई अणुलिपति एवं जहेब जमालिस्स अलंकारो तहेव जाव' कप्परुक्खगं पिव अलंकिय - विभूसियं करेड़, करेत्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु सिवभद्दं कुमारं जएणं विजपणं वद्धावेइ, वृद्धावेत्ता ताहि इट्ठाहिं कंताहि पियाहि मणुष्णाहि मणामाहि मणाभिरामाहि fararमणिजाहि वग्गूहिं जय विजयमंगल सहि अणवरयं अभिनंदतो य अभित्थुतो य एवं वयासी जय-जय नंदा ! जय-जय भद्दा ! भद्दं ते, अजियं जिणाहि जियं पालयाहि, जियमज्भे वसाह | इंदो इव देवाणं, चमरो इव असुराणं, धरणो इव नागाणं, चंदो इव ताराणं, भरहो इव मणुयाणं बहूई वासाईं बहूई वाससयाई बहूई वाससहस्साइं बहूई वासस्यसहस्साइं प्रणहसमग्गो हो परमाउं पालयाहि, इट्ठजणसंपरिवुडे हत्थिणापुरस्स नगरस्स, अण्णेसि च बहूणं गामागर नगर खेड-कव्वड- दोणमुह-मडव-पट्टण-आसमनिगम-संवाह-सणिवेसाणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं ग्राणा-ईसर-सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे मह्याय-नट्ट-गीय वाइय-तंती-तलताल-तुडिय-धण-मुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहराहि ति कट्टु जयजयसद्द पउजति ।। ६२. तए णं से सिवभद्दे कुमारे राया जाते - महया हिमवंत-महंत मलय-मंदर-महिदसारे, वण्ण जाव' रज्जं पसासेमाणे विहरइ || ६३. तए णं से सिवे राया श्रण्णया कयाइ सोभणंसि तिहि करण-दिवस- मुहुत्त नक्खतंसि विपुलं असण- पाण- खाइम साइमं उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्तनाइ - नियम- सयण - संबंधि - परिजणं 'रायाणो य खतिए य" ग्रामतेति, ग्रामतेत्ता तम्रो पच्छा पहाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल- पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगललाई वत्थाई पवर परिहिए ग्रप्पमहन्याभरणालंकिय सरीरे भोयणवेलाए' भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए तेणं मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि" परिजणेण राएहि य खत्तिएहि सद्धि विपुलं असण- पाण- खाइम साइम "ग्रासादेमाणे वीसादेमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरइ । १. भ० १६० । २. सं० पा०करयल जाव कट्टु | ३. सं० पा० - जहा ओववाइए कूणियरस जाव परमाउं । ४. सं० पा० - नगर जाव विहराहि । ५. ओ० सू० १४ । ६. सं० पा० - नियग जाव परिजगं । ० ७. रायाणो य सत्तिया ( अ, क, म, स); रायाणो रायसत्तिए य (ता, ब ) । ८. सं० पा०-हाए जाव सरीरे । ६. X (ता, ब ) । १०. जाव ( अ, क, ता, व, म, स ) 1 ११. सं० पा० एवं जहा तामली जान सक्कारेइ Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (नवमो उद्दसो) ४६७ जिमियभुत्तुरागए वि य णं समाण आयंते चोक्खे परमसुइब्भूए तं मित्त-नाइनियग-सयण-संबंधि-परिजणं विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य° सक्कारेइ सम्माणे इ, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तं मित्त-नाइनियग-सयण-संबंधि-० परिजणं रायाणो य खत्तिए य सिवभई च रायाणं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सुबहुं लोही-लोहकडाह-कडच्छुयं तंबियं तावस ° भंडगं गहाय जे इमे गंगाकूलगा वाणपत्था तावसा भवंति, तं चेव जाव तेसिं अंतियं मुंडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पब्वइए, पब्वइए वि य णं समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हति–'कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुं छटेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढं वाहाम्रो पगिझिय-पगिज्झिय विहरित्तए' --- अयमेयारूवं ° अभिग्गह' अभिगिण्हित्ता पढम छट्ठक्खमणं उव संपज्जित्ताणं विहरइ ॥ ६४. तए णं से सिवे रायरिसी पढमछट्ठक्खमणपारणगंसि पायावणभूमीग्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता बागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिन्ना किढिण-संकाइयगं गिण्हइ, गिण्हित्ता पुरथिमं दिसं पोक्खेइ, पुरत्थिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं रायरिसिंअभिरक्खउ सिव रायारसि, जाणि य तत्थ कंदाणि य मुलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य वीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउ त्ति कट्ट पुरथिमं दिसं पसरइ, पस रित्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेहइ, गेण्हित्ता किढिण-संकाइयगं भरेइ, भरेत्ता दन्भे य कुसे य समिहामो य पत्तामोडं च गिण्हइ, गिण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं ठवेइ, ठवेत्ता वेदि वढ्ढेइ, वड्ढेत्ता उक्लेवण संमज्जणं करेइ, करेत्ता दमकलसाहत्थगए जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता 'गंगं महानदि ओगाहेइ, प्रोगाहेत्ता जलमज्जणं करेइ, करेत्ता जलकीडं करेइ, करेत्ता जलाभिसेयं करेइ, करेत्ता आयते चोक्खे परमसुइभूए देवय-पिति-कयकज्जे दब्भकलसाहत्थगए" गंगाप्रो महा १. सं० पा-नाइ जाव परिजण । ६. कढिरण (अ)। २. सं० पा०-कडच्यं जाव भंडगं । ७. सिवे (ब, स)। ३. भ० १११५६। ८. सरइ (ता, म)। ४. सं० पा० ...-तं चेव जाव अभिग्गह। है. दम्भकलस (अ); दब्भसगब्भकलसा (सग) ५. अभिग्गह अभिगिहइ (अ, क, ता, ब, म, हत्थगए (ता, वृपा) स); द्रष्टव्यम् -- भ० ३।३३ सूत्रस्य पाद- १०. गंगामहानदी (क, ब, म)। टिप्पणम् । ११. दन्भसगब्भकलसा (अ, क, ता, ब, म, स)। Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६८ भगवई नदी पच्चुत्तरइ, पच्चुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता दव्भेहिय कुसेहि य वालुयाएहि य वेदि रएति, रएत्ता सरएणं श्ररणि महे, महेत्ता रंग पाडेइ, पाडेत्ता ग्रग्गि संधुक्केइ, संधुक्केत्ता समिहाकट्ठाई पक्खिवइ, पक्खिवित्ता रिंग उज्जालेइ, उज्जालेत्ता "अगिस्स दाहिणे पासे, सत्तंगाई समादहे," [तं जहा सहं वक्कलं ठाणं, सिज्जाभंड कमंडलु । दंडदारू तहप्पाणं, हे ताई समावहे ||१|| ] ' माय aण य तंदुलेहि य रिंग हुई, हुणित्ता चरुं साहेइ, साहेत्ता वलिवइस्सदेव' करेइ, करेत्ता प्रतिहिपूयं करेइ, करेत्ता तम्रो पच्छा ग्रप्पणा श्राहारमाहारेति || ६५. तए गं से सिवे रायरिसी दोच्चं छट्ठवखमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ॥ ६६. तए णं से सिवे रायरसी दोच्चे छदुक्खमणपारणगंसि आयावणभूमी ० पच्चीरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उबागच्छइ, उवागच्छित्ता किठिण-संकाइयगं गिण्हइ, गिण्हित्ता दाहिणगं दिसं पोक्खेइ, दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं रायरिसि, सेसं तं चैव जाव' तम्रो पच्छा अप्पणा श्राहारमाहारेइ ॥ ६७. तए णं से सिवे रायरिसी तच्चं छट्टक्खमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ || ६८. तए णं से सिवे रायरिसि तच्चे छट्ठक्खमणपारणगंसि आयावणभूमीश्रो पच्चीरुहइ, पच्चरुहिता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं गिन्हइ, गिव्हित्ता पच्चत्थिमं दिसं पोक्खेइ पच्चत्थिमाए दिसाए वरुणे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं रायरिसि, सेसं तं चेव' जाव' तम्रो पच्छा अप्पणा श्राहारमाहारेइ || ६६. तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थं छटुक्खमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ || ७०. तए गं से सिवे रायरिसी चउत्थे छटुक्खमण पारणगंसि प्रायावणभूमीश्रो पच्चोरुहइ, पच्चरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं मिण्डुइ, गिण्हित्ता उत्तरदिसं पोक्खेइ, १. वेति ( अ, क, म, स ) । २. यावेड़ (ता) । ३. असौ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । ४. बलिविस्सदेवं ( अ, क, ता); बलि विस्सदेवं ( ब ) ; बलिविस्सादेवं (म); बलिविइस्सदेवं (स) o ५. सं० पा० एवं जहा पढमपारणगं नवरं । ६. भ० ११३६४ ७. सं० पा०- सेसं तं चैव नवरं । ८. भ० ११ ६४ | ६. सं० पा० - एवं तं वेव नवरं । Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (नवमो उद्देसो) ४६६ उत्तराए दिसाए वेसमणे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं रायरिसिं, सेसं तं चेव जाव' तो पच्छा अप्पणा आहारमाहारेइ ।। ७१. तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स छटुंछट्टेणं अणि क्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं' 'तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिझिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए यायावेमाणस्स पगइभद्दयाए पगइउवसंतयाए पगइपयणकोहमाणमायालोभयाए मिउमदवसंपन्नयाए अल्लोणयाए विणीयया अण्णया कया। तयावरणिज्जाणं कम्माणं वयोवसमेणं ईहापूहह्मग्गणगवेसणं करेमाणस्स विभंगे नाम नाणे समुप्पन्ने । से णं तेणं विभंगनाणेणं समुप्पन्नेणं पासति अस्सि लोए सत्त दीवे सत्त समुद्दे, तेण परं न जाणइ, न पासइ ।। ७२. तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारूवे अज्झथिए 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-- अस्थि णं ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य –एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता आयावणभूमीग्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेब सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुवहं लोही-लोहकडाह-कडच्छुय' 'तनियं तावस भंडगं किढिण-संकाइयगं च गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ. उवागच्छित्ता भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता हथिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिग''चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महामह -पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ अत्थि ण देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलू अस्सि लोग सत्त दीवा सत्त समूद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवाय समुद्दा य ॥ ७३. तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्रा अंतियं एयम8 सोच्चा निसम्म हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-निग" चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह°-पहेसु वहजणो अण्णमण्णरस एवमाइक्खइ जाब' परूवेइ--एवं खलु देवाणुप्पिया! सिवे रायरिसी एवमाइक्ख इ जाव परूवेद -अस्थि णं देवाणु पिया ! ममं अतिसेसे १. भ०११६४ । सं० पा० - कडच्छ्यं जाव भंडगं । २. सं० पा०-दिसाचकवालेणं जाव आया- ७. सं० पा० -तिग जाव पहेसु । वेमारणस्स। ८. भ० ११४२० । ३. सं० पा०-गइमनाए जाब विणीययाए। ६. सं० पा.-लोए जाव दीवा । ४. अण्णारगे (अ, का, ता, व, म) १०. सं. पा.-तिग जाव पहेसु । ५. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ११. भ० ११४२० । ६. कडुच्छुयं (अ, स); कडेच्छुयं (क, ब); Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा , तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य ! से कहमेयं मन्ने एवं ? ७४. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामो समोसढे, परिसा 'निग्गया। धम्मो कहियो परिसा पडिगया!! ७५. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई नाम अणगारे जहा बितियसए नियंठुद्देसए जाव' घरसमुदाणस्स भिवखायरियाए अडमाणे बहुजणसद निसामेइ, बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ–एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसि एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-अत्थि णं देवाणुप्पिया ! “ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं° वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य। से कहमेयं मन्ने एवं ? ७६. तए णं भगवं गोयमे वहुजणस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म जायसड्ढे ५ जाव समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासीएवं खलु भंते ! अहं तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे हत्थिणापुरे नयरे उच्चनीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणसइं निसामेमि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ -अत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य ।। ७७. से कहमेयं भंते ! एवं? गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी--जणं गोयमा ! 'एवं खलु एयस्स सिवस्स रायरिसिस्स छटुंछट्टेणं अणिक्खितेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिझिय-पगिज्झिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए पायावेमाणस्स पगइभद्दयाए पगइउवसंतयाए पगइपयणुकोहमाणमायालोभयाए मिउमद्दवसंपन्नयाए अल्लीणयाए विणीययाए अण्णया कयाइ तयावरणिज्जाणं कम्माणं खनोवसमेणं ईहापूहममाणगवेसणं करेमाणस्स विभंगे नाम नाणे १. सं० पा०-नाणदंसरणे जाव तेण। ३. सं० पा०-परिसा जाव पडिगया। ३. भ० २।१०६-१०६। ४. सं० पा०--तं चेव जाव वोच्छिन्ना । ५. सं० पा०-जहा नियंठद्देसए जाव तेण ! ६. भ० २।११०। Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कार सतं (नवमी उद्देसो) ५०१ समुप्पन्ने ।' 'तं चैव सव्वं भाणियव्वं जाव' भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता हत्थिणापुरे नगरे सिंधाडग-तिग- चउक्क चच्चर- चउम्मुह - महापह - पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परुवेइ - प्रत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं प्रतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु प्रस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य ससुद्दा य । तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतिए एयभट्ठे सोच्चा निसम्म हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिग- चउक्क चच्चर - चउम्मुह- महापह - पहेसु बहुजणी अण्णमष्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ - - एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी , माइक्खइ जाव परूवेइ - प्रत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं प्रतिसेसे नाणदंसणे समुन्ने, एवं खलु प्रस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा • तेण परं वोच्छिन्ना दीवाय समुद्दा य, तण्णं मिच्छा । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि - एवं खलु जंबुद्दीवादीया दीवा, लवणादीया समुद्दा संठाणयो गविहिविहाणा, वित्थारो ग्रणेगविहिविहाणा एवं जहा जीवाभिगमे जाव" सयंभूरमणपज्जवसाणा अस्सि तिरियलोए असंखेज्जा दीवसमुद्दा पण्णत्ता समणाउसो ! ७८. 'प्रत्थि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दव्वाई - सवण्णाई पि प्रवण्णाई पि संगंधाई पिगंधाई पि, सरसाई पिरसाई पि, सफासाई पि अफासाई पि, अण्णमण्णबद्धाई अण्णमण्णपुट्ठाई' अष्णमण्णबद्धपुट्ठाई अण्णमण्ण घडत्ताए चिट्ठति ? हंता अस्थि || ७६. 'प्रत्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे दव्वाई-सवण्णाई पि श्रवण्णाई पि, सगंधाई पि गंधाई पि, सरसाइं पि श्ररसाई पि सफासाई पि अफासाई पि श्रण्णमण्णबद्धाई अण्णमण्णपुट्ठाई' अण्णमण्णबद्धपुट्ठाई अण्णमण्ण घडत्ताए चिट्ठति ? हंता ग्रत्थि " || १. अस्य पाठस्य स्थाने सर्वेषु आदर्शेषु निम्ननिर्दिष्ट: पाठोस्ति - ' से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ', किन्तु पौर्वापर्यसमालोचनया नास्य सङ्गतिर्जायते । 'से बहुजणे' इत्यादिपाठ: 'भंडनिक्खेवं करेइ' ( ७२ ) अत: उत्तरवर्ती (७३) वर्तते । अस्य पूर्वविन्यासो नैव युक्तः स्यात् । संभाव्यते संक्षेपीकरणे क्वचिद विपर्यासो जात: । आस्माभिरस्य पाठस्य सङ्गतिरुत्तरवर्तिना ८३ सूत्रेण संपादितास्ति । २. भ० ११।६३-७२ । ३. सं० पा०-- तं चैव जाव वोच्छिन्ना । ४. सं० पा० -- तं चैव जाव तेण । ५. भ० ६११५६ ६. सं० पा०-अण्णमण्णपुट्ठाई जाव घडत्ताए । ७. X ( अ, क, ब, म) 1 ८. सं० पा० अण्णमष्णपुट्ठाई जाव घडत्ताए । ६. X ( ता ) । Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०२ भगवई ८०. ग्रत्थि णं भंते ! धायइसंडे दीवे दव्याई सवण्णाई पि अवण्णाई पि, सगंधाई पिगंधाई पि, सरसाई पिरसाई पि, सफासाइं पिफासाइं पि श्रष्णमण्णबद्धा अण्णमणपुट्ठाई अण्णमण्णबद्धनुट्ठाई अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति ? हंता प्रत्थि एवं जाव प्रत्थि णं भंते ! सयंभूरमणसमुद्दे दव्वाई - सवण्णाई पि श्रवण्णाई पि, सगंधाई पि, प्रगंधाई पि, सरसाई पिअरसाई पि, सफासाई पिफासाई पि अण्णमण्णबद्धाई ग्रण्णमण्णपुट्ठाई भ्रष्णमण्णवद्ध पुट्ठाई ग्रण्णमण्णधडत्ताए चिट्ठति ? हंता प्रत्थि | Q ८१. 0 ८२. तए णं सा महतिमहालिया महच्चपरिसा समणस्स भगवत्रो महावीरस्स तिए एयम सोच्चा निसम्म हदुतुट्टा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया || ८३. तए णं हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिग- चउकक-चच्चर- चउम्मुह महापह - पहेसु बहुजणो णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' परूवेद जण्णं देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परुवेइ – प्रत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं प्रतिसेसे नाण दंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य० समुद्दा य । तं नो इट्टे समट्ठे, समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ - एवं खलु एयस्स सिवस्स रायरिसिस्स छणं तं चैव जाव' भंडनिवखेवं करेइ, करेत्ता हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग - ●तिग- चउक्क चच्चर- चउम्मुह महापह-पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ – ग्रत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं प्रतिसेसे नाणदंसणे समुत्पन्ने, एवं खलु अस्सिं लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य । तणं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतियं एयमहं सोच्चा निसम्म जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य तष्णं मिच्छा, समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ--- एवं खलु जंबुद्दीवादीया दीवा लवणादीया समुद्दा तं चेव जाव" असंखेज्जा दीवसमुद्दा पण्णत्ता समणाउसो ! ८४. तए णं से सिवे रायरिसी बहुजणस्स प्रतियं एयभट्ठे सोच्चा निसम्म सकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था । तए णं १. सं० पा०- -एवं चैव । २. सं० पा० -- संयंभूरमणसमुद्दे जाव हंता । ३. श्रंतियं ( अ, क, स) ४. सं० पा०-- सिंघाडग जाव पहेन । ५. भ० १४२० ६. सं० पा० - नारण जाव समुद्दा | ७. भ० ११।७७ । ८. सं० पा० - सिंघाडग जाव समुद्दा । ६. भ० ११७३१ १०. भ० ११२७ Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (नवमो उद्देसो) तस्स सिवस्स रायरिसिस्स संकियस्स कंखियस्स वितिगिच्छियस्स भेदसमा बन्नस्स कलुससमावन्नस्स से विभंगे नाणे खिप्पामेव परिवडिए । ८५. तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारूवे अज्झस्थिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था--एवं खलु समणे भगवं महावीरे तित्थगरे आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी आगासगएणं चक्केणं जाव' सहसंबवणे उज्जाणे ग्रहापडिरूवं' पोरगहं प्रोगिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं महप्फलं खलू तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स "वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स ° गहणयाए ? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वदामि जाव पज्जुवासामि, एयं णे इहभवे य परभवे य 'हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए ° भविस्सइ त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तावसावसहं अणुप्पविसइ अणुप्पविसित्ता सुबहुं लोही-लोहकडाह"-"कडच्छुयं तंबियं तावसभंडगं° किढिण-संकाइयगं च गेण्हाइ गेण्हिता तावसावसहायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पडिवडियविब्भंगे हत्थिणापुर नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो बंदइ नमसइ, वदित्ता नमंसित्ता नच्चासन्ने नातिदरे सुस्ससमाणे नमसमाण अभिमुहे विणएणं पंजलिकडे" पज्जूवासइ । ८६. तए णं समणे भगवं महावीरे सिवस्स रायरिसिस्स तीसे य महतिसहालियाए परिसाए" धम्म परिकहेइ जाव" प्राणाए आराहए भवइ । ८७. तए णं से सिवे रायरिसी समणरस भगवनो महावी रस्स प्रतियं धम्म सोच्चा निसम्म जहा खंदनो जाव" उत्तरपुरस्थिम दिसीमानं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता सुबहुं लोही-लोहकडाह- कडच्छुयं तवियं तावसभंडगं • किढिण-संकाइयगं च १. सं० पा-केंखियस्स जाव कलुस १०. संपा०-लोहक डाह जाव किढिरण। २. अण्णाणे (क, स)। ११. तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं (स) । ३. संपा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । १२. सं० पा० --नातिदूरे जाव पंजलिकडे । ४. भ०१७। १३. पंजलियडे (ता)। ५. ओ० सू० १६॥ १४. पू०-ओ० सू० ७१] ६. सं० पा.-महापडिरूवं जाव विहरइ। १५. ओ० सू०७१-७७१ ७. सं० पा०.--जहा ओववाइए जाय गहणयाए। १६. भ० २१५२१ ८. भ० ॥३०॥ १७. सं० पा०-लोहकडाह जाव किढिरण। , ६. सं. पा०--य जाव भविस्सइ । Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०४ भगवई एगंते एडेइ, एडेत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं जहेव उसभदत्तो तहेव पव्व इनो, तहेव एक्का रस अंगाई अहिज्जइ, तहेव सव्वं जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि संघयणे सिझंति ? गोयमा ! वइरोसभणारायसंघयणे सिझंति, एवं जहेव ओववाइए तहेव । 'संघयणं संठाणं, उच्चतं पाउयं च परिवसणा। एवं सिद्धिगंडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव'--- अव्वाबाहं सोक्खं, अणुहोति सासयं सिद्धा ।। ८६. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति। ८८. दसमो उद्देसो खेत्तलोय-पदं 80. रायगिहे जाव' एवं वयासी—कतिविहे णं भंते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा ! चउव्विहे लोए पण्णत्ते, तं जहा-दव्वलोए, खेत्तलोए, काललोए, भावलोए । खेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-अहेलोयखेत्तलोए', तिरियलोयखेत्तलोए, उड्ढलोयखेत्तलोए॥ ६२. अहेलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा-रयणप्पभापुढविअहेलोयखेत्तलोए जाव' अहेसतमापुढविद्महेलोयखेत्तलोए ।। १. भ० ६.१५०,१५११ २. एतत् संग्रहगाथाघ औपपातिके नोपलभ्यते। इदं च कुतश्चिद अन्यस्थानाद् उद्धतमस्ति । ३. ओ० सू० १६५ ४. भ. ११५१ ५. भ. ११४-१०॥ ६. अहो (अ, क, म, स); अधे० (ता)। ७. रयणप्पभ ० (ता)। ८. भ० २७५ Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (दसमो उद्देसो) ६३. तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेज्जविहे पण्णत्ते, तं जहा-जंबुद्दोवे दीवे तिरियलोयखेत्तलोए जाव सयंभूरमणसमुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए । ६४. उड्ढलोय खेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पत्तरसविहे पण्णत्ते, तं जहा—सोहम्मकप्पउड्ढलोयखेत्तलोए' •ईसाण-सणंकुमार-माहिद बंभलोय-लंतय - महासुवक-सहस्सार-आणय-पाणयप्रारण° -अच्चुयकप्प उड्ढलोयखेत्तलोए, गेवेज्जविमाणउड्ढलोयखेत्तलोए, अणु त्तरविमाण उड्ढलोयखेत्तलोए, ईसिपब्भारपुढविउड्ढलोयखेत्तलोए । ६५. अहेलोयखेत्तलोए णं भंते ! किसंठिए पण्णने ? गोयमा ! तप्पागारसंठिए पणते ।। १६. तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! मल्ल रिसंठिए पण्णत्ते ॥ ६७. उड्ढलोयखेत्तलोए णं भंते ! किसठिए पण्णते ? गोयमा ! उड्ढमुइंगाकारसंठिए पण्णत्ते ।। लोयसंठाण-पदं १८. लोए णं भंते ! किंसंठिए पण्णते ? गोयमा ! सुपइटुगसंठिए पण्णत्ते', तं जहा–हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झे संखित्ते, •उप्पि विसाले ; अहे पलियंकसंठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए, उपि उद्धमईगाकारसंठिए । तंसि च णं सासयंसि लोगसि हेढा विच्छिण्णसि जाव उपि उद्धमुइंगाकारसंठियंसि उप्पण्णनाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ-पासइ, अजीवे वि जाणइ-पासइ, तो पच्छा सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वाइ सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ।। अलोयसंठाण-पदं ६६. अलोए णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! झसिरगोलसंठिए" पण्णत्ते ।। १. सं० पा०-सोहम्मकप्पउड्ढलोयखेत्तलोए ३. सं० पा० - जहा सत्तमसए पढमुद्देस ए जाव जाव अच्चुय० । २. लोए पत्त (अ, क, ब, म, स)। ४. सुसिरगोलकरांटिए (ब)। Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई लोयालोए जीवाजीव-मग्गणा-पदं १००. अहेलोयखेत्तलोए णं भंते ! कि १. जीवा २. जीवदेसा ३. जीवपदेसा ४. अजीवा ५. अजीवदेसा ६. अजीवपदेसा? गोयमा ! जोवा वि, जीवदेसा वि, जोवपदेसा वि, अजोवा वि, अजीवदेसा वि, अजोवपदेसा वि। जे जीवा ते नियमा एगिदिया बेइंडिया तेइंदिया चउरिदिया पंचिदिया, अणिदिया। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा ।। जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा बेबंदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा। जे अजीवा ते दुविहा पणत्ता, तं जहा--रूविअजीवा य, अरूविअजीवा य । जे रूविग्रजीवा ते चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, परमाणुपोग्गला। जे अरूविग्रजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा-१. नोधम्मस्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे २. धम्मत्थिकायस्स पदेसा ३. नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे ४. अधम्मत्थिकायस्स पदेसा ५. नोग्रागासत्थिकाए अागासत्यिका यस्स देसे ६. आगासस्थिकायस्स पदेसा० ७. अद्धासमए ।।। १०१. तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कि जीवा ? जीवदेसा? जीवपदेसा? एवं चेव ! एवं उड्ढलोयखत्तलोए वि, नवरं ---अरूवी छविहा, अद्धासमयो नत्थि ।। १०२. लोए णं भंते ! कि जीवा ? जीवदेसा? जीवपदेसा ? जहा बितियसए अत्थिउद्देसए लोयागासे', नवरं-अरूवि अजीवा सत्तविहा' *पण्णत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए नोधम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मस्थिकायस्स पदेसा, अधम्मस्थिकाए नोअधम्मत्थिकायस्स देसे , अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, नोग्रागासत्थिकाए अागासस्थिकायस्स देसे, प्रागासत्थिकायस्स पदेसा, अद्धास मए, सेसं तं चेव ।। १०३. अलोए णं भंते ! कि जीवा ? जीवदेसा? जीवपदेसा? एवं जहा अस्थिकायउद्देसए अलोयागासे, तहेव निरवसेसं जाव' सव्वागासे अणंतभागूणे ।। . १. सं० पा.-एवं जहा इंदा दिसा तहेव ३. सं० पा०-सत्तविहा जाव अधम्मत्थि निरवसेसं भाणियव्वं जाव अद्धासमए। ४. भ० २११४० । २. भ० २११३६७ १०॥५॥ Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (दसमो उद्देसो) ५०७ १०४. अहेलोगखेत्तलोगस्स णं भंते ! एगम्मि अागासपदेसे कि १. जीवा २. जीवदेसा ३. जीवपदेसा ४. अजीवा ५. अजीवदेसा ६. अजीवपदेसा? गोयमा! नो जीवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि। जे जीवदेसा ते नियम १. एगिदियदेसा २. अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे ३. अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा। एवं मन्भिल्लविरहियो' जाव अहवा एगिदियदेसा य अणिदियाण य देसा। जे जीवपदेसा ते नियम १. एगिदियपदेसा २. अहवा एगिदियपदेसा य बेइंदियस्स पदेसा ३. अहवा एगिदियपदेसा य बेइंदियाण य पदेसा, एवं पाइल्लविरहिरो' जाव पंचिदिएसु, अणिदिएसु तियभंगो। जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-रूवी अजीवा य, अरूवो अजीवा य । रूबी तहेव । जे अरूवो अजोवा ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसे, "नोअधम्मत्थिकाए अधम्मत्थि कायस्म देसे, अधम्मत्थिकायस्स पदेसे, अद्धासमा ।। १०५. तिरियलोगखेत्तलोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपदेसे कि जीवा? एवं जहा' अहेलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एवं उड्ढलोगखत्तलोगस्स वि, नवरं - अद्धासमयो नत्थि । अरूबी च उब्विहा ।। १०६. .लोगस्स णं भंते ! एगम्मि मागासपदेसे कि जीवा ? जहा अहेलोगखेत्तलोगस्स एगम्मि अागासपदेसे ।। १०७. अलोगस्स णं भंते ! एगम्मि अागासपदेसे--पुच्छा। गोयमा ! नो जीवा, नो जीवदेसा, "नो जीवप्पदेसा; नो अजीवा नो अजीव देसा, नो अजीवप्पदेना; एगे अजीवदव्वदेसे अगरुयल हुए ' अणंतेहिं अगरुयल हुयगुणेहिं संजुते सव्वागासस्स प्रणंतभागूणे ।। १०८. दवओ णं अहेलोगवेत्तलोए 'अणंता जीवदव्वा, अणंता अजीवदव्वा", अर्णता १. 'अहवा एगिदियदेसा य इंदियस्स य देसा' समुद्घात पिना एकस्य जीवस्य एकप्रदेश. इत्येवं रूपो यो मध्यमभङ्गः तद्विरहितोसी सम्भवोऽसङ्ख्यातानामेव भावात् (वृ)। त्रिकभङ्गः। मध्यमभङ्गकस्य असम्भवात् ४. सं० पा०-एवं अधम्मत्थिकायस्स वि । तथाहि द्वीन्द्रियस्स एकत्राकाशप्रदेशे बहवो ५, भ० ११४१०४। देशा न सन्ति, देशस्यैवभावात् (वृ)। ६. सं० पा०- लोगस्स। २. जाव अणिदिएसु जाव (अ, क, ता, ब, म)। ७. सं० पा०-तं चेव जाय अगतेहिं। ३. 'अहवा एगिदियपदेसा य वेइंदियस्स य पदेसे' ८. अणताइं जीवदव्वाइं अणताइं अजीवदवाई इत्येवंरूपाद्यभङ्गाविरहित: त्रिकभङ्गः, (क, ब, म)। तथाहि नास्त्यव एकत्राकाशप्रदेशे केवल Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५०६ भगवई जीवाजीवदव्वा । एवं तिरियलोयखेत्तलोए वि एवं उड्ढलोयखेत्तलोए वि ( एवं लोए वि ? ) । दव्वओ णं अलोए नेवत्थि जीवदव्वा, नेवत्थि अजीवदव्वा, नेवत्थि जीवाजीवदन्वा, एगे अजीवदव्वदेसे' अगरुयलहुए प्रणतेहि अगरुयल हुयगुणेहिं संजुत्ते सव्र्वागासस्स प्रणंतभागूणे । कालो णं हेलोयखेत्तलोए न कयाइ नासि', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भविसु य, भवइ य, भविस्सइ य- -धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए° निच्चे, एवं तिरियलोयखेत्तलोए, एवं उड्ढलोयखेत्तलोए, एवं लोए एवं अलोए । भाव णं हेलोयखेत्तलोए प्रणता वण्णपज्जवा, अनंता गंधपज्जवा, श्रणंता रसपज्जवा, श्रणता फासपज्जवा, प्रणता संठाणपज्जवा, प्रणता गरुयल हुयपज्जवा, ° प्रणता अगरुयल हुयपज्जवा, एवं तिरियलोयखेत्तलोए, एवं उड्ढलोयखेत्तलोए, एवं लोए । भावओ गं अलोए नेवत्थि वण्णपज्जवा, नेवत्थि गंधपज्जवा, नेवत्थि रसपज्जवा, नेवत्थि फासपज्जवा, नेवत्थि संठाणपज्जवा ०, नेवत्थि गरुयल हुयपज्जवा, एगे अजीवदव्वदेसे अगरुयलहुए अणतेहिं प्रगरूयलहुयगुणेहि संजुत्ते सव्वागासस्स प्रणंतभागुणे ॥ ० 7 लोयस्स परिमाण-पदं १०६. लोए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोमा ! प्रणं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव समुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव" एवं जोयणसयसहस्सं आयाम - विक्खंभेणं, तिणि जोयणसयसहस्साई सोलससहस्साई १. पूर्वक्रमानुसारेणात्रलोकसूत्रमपेक्षितमस्ति, किन्तु कस्मिन्नपि आदर्श नैव लभ्यते । कारणमत्र न ज्ञायते । अपेक्षितसूत्रस्य पाठस्य क्रम एवं स्यात्- 'एवं उड्ढलोयखेत्तलए वि एवं लोए वि' । २. सं० पा० - अजीवदव्वदेसे जाव सव्वागासस्स ३. सं० पा०--नासि जाब निच्चे । ४. सं० पा० - एवं जाव अलोए । ५. सं० पा० - जहा खंदंए जाव अनंता । ६. सं० पा० एवं जाव लोए । ७. सं० पा०—वण्णपज्जवा जाव नेवत्थि । म. अगरुयल हुय० ( अ, क, ब, म, स, वृ); अलोके अगुरुलघु पर्यवारणा भावात् अत्र 'नेवत्थि गरुयल हुयपज्जवा' एतत् पर्यन्त एव पाठो युज्यते 'ता' प्रती एवमेवास्ति । वृत्तिकृता 'जाव नेवत्थि अमरुयल हुयपज्जवा' इति पाठो लब्धस्तेन अर्थसङ्गतिकरसाय एवं व्याख्या कृता - अगुरुलघु पर्यवोपेतद्रव्याणां पुद्गलानां तत्राभावात् (वृ) । यदि वृत्तिकृता शुद्ध: पाठो लब्धोभविष्यत् तदा अस्या व्याख्याया नावश्यकताभविष्यत् । ६. सं० पा०-- अजीवदव्वदेसे जाव अनंत भागणे । १०. सं० पा० - सव्वदीव जाव परिवखेवेणं । ११. ठा० १२४८ Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (दसमो उद्देसो) ५०६ दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई अद्धंगुलगं च किंचिविसेसाहिए ° परिक्खेवेणं । तेणं कालेणं तेणं समएणं छ देवा महिड्ढीया जाव' महासोक्खा' जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वए मंदरचलियं सव्वो समंता संपरिक्खित्ताणं चिद्वेज्जा। अहे णं चत्तारि दिसाकुमारीयो महत्तरियाओ चत्तारि बलिपिडे गहाय जंबुद्दीवस्स दीवस्स चउसु वि दिसासु वहियाभिमुहीमो ठिच्चा ते चत्तारि बलिपिंडे जमगसमगं वहियाभिमुहे पक्खिवेज्जा। पभू णं गोयमा ! तो एगमेगे देवे ते चत्तारि बलिपिडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए। ते णं गोयमा ! देवा ताए उक्किट्ठाए' 'तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए उद्धयाए दिव्वाए° देवगईए एगे देवे पुरत्थाभिमुहे पयाते 'एगे देवे दाहिणाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उड्ढाभिमुहे पयाते" एगे देवे अहोभिमुहे पयाते। तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससहस्साउए दारए पयाते। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स आउए पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा लोगतं ° संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स अद्धिमिजा पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स आसत्तमे वि कुलवंसे पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स नामगोए वि पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति । तेसि णं भंते ! देवाणं कि गए बहए? अगए बहए? गोयमा! गए बहए, नो अगए बहुए, गयाओ से अगए असंक्खेज्जइभागे, अगयानो से गए असंखेज्जगुणे। लोए गं गोयमा ! एमहालए पण्णत्ते ।। अखोयस्स परिमाण-पदं ११०. अलोए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा ! अयण्णं समयखेत्ते पणयालीसं जोयणसयसहस्साई आयाम-विक्खंभेणं, "एगा जोयणकोडी वायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साई दोण्णि य अउणापन्नजोयणसए किंचि विसेसाहिए ° परिक्खेवेणं । १. भ० ३।४। २. महेसक्खा (अ, ता, व, स); महासुक्खा (क)। ३. बहिभिमुहे (क, ता)। ४. सं० पा०-उक्किटाए जाव देवगईए। ५. एवं दाहिणाभिमुहे एवं पच्चस्थाभिमुहे एवं उत्तराभिमुहे एवं उड्ढाभिमुहे (अ, क, ता, ब, म, स)। ६. सं० पा०- जाव संपाउणति । ७. सं० पा०-जहा खंदए जाव परिक्खेवेणं । Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१० भगवई तेणं कालेणं तेणं समएणं दस देवा महिढ़िया 'जाव' महासोक्खा जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वए मंदर चूलियं सव्वग्नो समंता' संपरिक्खित्ताणं संचिट्ठज्जा, अहं णं अट्ट दिसाकुमारीनो महत्तरियानो अट्ठ बलिपिडे गहाय माणुसुतरस्स पव्वयस्स चउसु वि दिसासु च उसु वि विदिसासु वहियाभिमुहीमो ठिच्चा ते अट्र बलिपिंडे जमगसमगं बहियाभिमहे' पक्खिवेज्जा। प णं गोयमा ! तग्रो एगमेगे देवे ते अट्ट बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए ! ते णं गोयमा ! देवा ताए उक्किट्ठाए 'तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्याए उद्धयाए दिव्वाए ° देवगईए लोगते ठिच्चा असभावपट्टवणाए एगे देवे पुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणपुरत्थाभिमुहे पयाते, ५०एगे देवे दाहिणाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणपच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थउत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तराभिमुहे पयाते एगे देवे ° उत्तरपुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे उड्ढाभिमुहे पयाते, एगे देवे अहोभिमुहे पयाते। तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससयसहस्साउए दारए पयाते । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति, नो चेवणं ते देवा अलोयतं संपाउणंति। "तए णं तस्स दारगस्स पाउए पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स अदिमिजा पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा अलोयंत संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स पासत्तमे वि कुलवंसे पहीणे भवति, नो चेव ण ते देवा अलोयंत संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स नामगोए वि पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा अलोयतं संपाउणंति । ° तेसि णं भंते ! देवाणं किं गए बहुए ? अगए बहुए ? गोयमा ! नो गए बहुए, अगए बहुए, गयाओ से अगए अणंतगुणे, अगयाओ से गए अणंतभागे। अलोए णं गोयमा ! एमहालए पण्णत्ते ।। लोगागासे जीवपदेस-पदं १११. लोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपदेसे जे एगिदियपदेसा जाव पंचिदियपदेसा अणिदियपदेसा अण्णमण्णवद्धा अण्णमण्णपुट्ठा 'अण्णमण्णबद्धपुट्ठा' अण्णमण्ण १. सं. पा.--तहेव जाव संपरिविवत्ताणं । अस्माभिः पूर्वसूत्रानुसारी पाठः स्वीकृतः । २, भ० ३१४ ४. सं० पा०—उविकट्टाए जाव देवगईए। ३. बाहियाभिमुहीओ (अ, क, ता, ब, म, स); ५. सं० पा०--एवं जाव उतर । अस्य पूर्ववर्तिलोकसूत्रे 'बहियामहे' इति ६. सं० पा०-तं चेव जाव तेसि । पाठोस्ति । अत्र सहशे एव प्रकरणे केनचिद् ७. सं० पा०-अण्णमण्णपुटा जाव अण्णमण्ण लिपिदोषादिकारणेन परिवर्तनं दृश्यते । Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (दसमो उद्देसो) घडताए चिटुंति ? अत्थि णं भंते ! अण्णमण्णस्स किंचि प्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पायंति ? छविच्छेदं वा करेंति ? नो इणद्वे समटे ।। ११२. से केणद्वेणं भते ! एवं वुच्चइ–लोगस्स णं एगम्मि पागासपदेसे जे एगिदिय पदेसा जाव अण्णमण्णधडत्ताए चिट्ठति, नत्थि णं भंते ! अण्णमण्णस्स किंचि प्राबाहं वा' 'वावाहं वा उप्पायंति ? छविच्छेदं वा करति ? गोयमा ! से जहानामए नट्टिया सिया--सिंगारागारचारुवेसा' संगय-गयहसिय-भणिय-चेट्रिय-विलास-सललिय-संलाव-निउणजुत्तोवयारकसला संदरथणजघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूव-जोव्वण-विलास ° कलिया रंगट्टाणंसि जणसयाउलसि (जणसहस्साउलंसि ?) जणसयसहस्साउलसि बत्तीसइविहस्स नट्टस्स अण्णयरं नट्टविहिं उवदंसेज्जा, से नूणं गोयमा ! ते पेच्छगा तं नट्रियं अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वनो समंता समभिलोएंति ? हंता समभिलोएंति। ताप्रो णं गोयमा ! दिट्ठीयो तंसि नट्टियंसि सव्वो समंता सन्निपडियायो ? हता सन्निपडियाओ'। अत्थि णं गोयमा ! ताओ दिट्ठीयो तीसे नदियाए किचि विश्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पायति ? छविच्छेदं वा करेंति ? नो इणद्वे समढे । 'सा वा" नट्टिया तासि दिट्ठीणं किंचि आवाहं वा वाबाहं वा उप्पाएति ? छविच्छेदं वा करेइ ? नो इणढे सम8। तानो वा दिट्ठीयो अण्णमण्णाए दिट्ठीए किचि प्राबाहं वा वावाहं वा उप्पाएंति ? छविच्छेदं वा कति ? नो इणद्वे समढ़े। से तेणद्वेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-'"लोगस्स णं एगम्मि आगासपदेसे जे एगिदियपदेसा जाव अण्णमण्णघडताए चिट्ठति, नत्थि ण अण्णमण्णस्स आवाहं वा वावाहं वा उप्पायंति °, छविच्छेदं वा करेंति ॥ ११३. लोगस्स णं भंते एगम्मि अागासपदेसे जहण्णपए जीवपदेसाणं, उक्कोसपए जीवपदेसाणं सव्वजीवाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? १. सं० पा०-आबाहं वा जाव करेंति । २. सं० पा०--सिंगारागारचारुवेसा जाव कलिया। ३. सन्निवडियाओं(अ)। ४. अहवा सा (अ, स)। ५. सं० पा.--तं चेव जाव छविच्छेदं । ६. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१२ भगवई गोयमा ! सम्वत्थोवा लोगस्स एगम्मि पागासपदेसे जहण्णपाए जीवपदेसा, सव्वजीवा असंखेज्जगुणा, उक्कोसपए जीवपदेसा विसेसाहिया ।। ११४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति !! एक्कारसमो उद्देसो सुदंसणसेट्ठि-पदं ११५. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नाम नगरे होत्था-वण्णयो। दूति पलासे चेहए-वण्णो जाव' पढविसिलापट्यो । तत्थ णं वाणियग्गामे नगरे सुदंसणे नामं सेट्ठी परिवसई-अड्ढे जाव' बहुजणस्स अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । सागी समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ ।। ११६. तए णं से सुदंसणे सेट्ठी इमोसे कहाए लट्ठ समाणे हद्वतुढे व्हाए कय बलि कम्मे कयकोउय-मंगल ° -पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सानो गिहाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं पायविहारचारेणं महयापुरिसवरगुरापरिक्खित्ते वाणियग्गामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गछित्ता जेणेव दुतिपलासे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ, [तं जहा-सच्चित्ताणं दव्वाणं विप्रोसरणयाए] ' जहा उसभदत्तो जाव"तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ।। ११७. तए णं समणे भगवं महावीरे सुदंसणस्स सेटिस्स तीसे य महतिमहालियाए" परिसाए धम्म परिकहेइ जाव आणाए पाराहए भवइ ।। १. भ० ११५१ २. ओ० सू० ११ ३. ओ० सू० २-१३१ ४. भ० २६४) ५. भ० २०६४ ६. ओ० सू० १६-५२। ७. सं. पा.-कय जाव पायच्छित्ते । ८. दूतिपलासए (अ)। ६. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । १०. अ०६।१४५। ११. महालयाए (स)। १२. पू०-प्रो० सू० ७१॥ १३. ओ० सू०७१-७७। Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एककारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) ११८. तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टे उट्ठाए उढेइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो आया हिण-पयाहिणं करेइ, करेता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी११६. कतिविहे णं भंते ! काले पण्णत्ते ? सुदंसणा ! च उबिहे काले पण्णत्ते, तं जहा---पमाणकाले, अहाउनिव्वत्तिकाले, मरणकाले, अद्धाकाले ।। १२०. से कि तं पमाणकाले ? पमाणकाले दुविहे पण्णत्ते, तं जहा --दिवसप्पमाणकाले, राइप्पमाणकाले य । च उपोरिसिए दिवसे, च उपोरिसिया राई भवइ । उक्कोसिया अद्धपंचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ।। १२१. जदा णं भंते ! उक्कोसिया अद्धपंचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसो भवइ, तदा णं कति भागमहत्तभागेणं परिहायमाणी-परिहायमाणी जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? जदा णं जहष्णिया तिमुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा णं कतिभागमुहुत्तभागेणं परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ? सुदंसणा! जदा ई उक्कोसिया अद्धपंचमुहुत्ता दिक्सस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा णं वादीससयभागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी-परिहायमाणी जहणिया तिमहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ। जदा वा जहणिया तिमहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा णं बावीससयभागमुहत्तभागेणं परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी उक्कोसिया अद्धपंचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ।। १२२. कदा णं भंते ! उक्कोसिया अपंचममुहुत्ता दिवसम्स वा राईए वा पोरिसी भवह ? कदा वा जहणिया तिमहत्ता दिवसस्स वा राईश वा पोरिसी भवइ? सदसणा ! जदा णं उक्कोसए अटारसमहत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दवालसमहत्ता राई भवइ, तदा णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ, जहणिया तिमुहुत्ता राई। पोरिसी भवइ । जदा णं उक्कोसिया अदारसमहुत्तिया राई भवई, जहण्णिए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तदा णं उक्कोसिया पद्धपंचममुहत्ता राईए पोरिसी भवइ, जहणिया तिमहत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ ।। १. सं० पा०-तिक्षुत्तो जाव नमंसित्ता। २. रत्ति° (अ, क, ब, म)। Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१४ भगवई १२३. कदा णं भंते ! उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवई ? कदा वा उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमहुत्ते दिवसे भवइ ? सुदंसणा ! प्रासाढपुण्णिमाए उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ। पोसपुण्णिमाए' णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णाए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ।। १२४. अस्थि णं भंते ! दिवसा य राईओ य समा चेव भवंति ? हंता अस्थि ।। १२५. कदा णं भंते ! दिवसा य राईनो य समा चेव भवंति ? सुदंसणा ! चेतासोयपुषिणमासु', एत्थ' णं दिवसा य राईनो य समा चेव भवंति -- पण्णरसमुहुत्त दिवसे पण्णरसमुहुत्ता राई भवइ । चउभागमुहुत्तभागूणा च उमुहुत्ता' दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । सेत्तं पमाणकाले।। . १२६. से कि तं अहाउनिव्वत्तिकाले ? अहाउनिव्वत्तिकाले-जण्णं जेणं नेरइएण वा तिरिक्खजोणिएण वा मणुस्सेण वा देवेण वा अहाउयं निव्वत्तियं । 'सेत्तं अहाउनिवत्तिकाले। २७. से कि तं मरणकाले? मरणकाले--जीवो वा सरीराओ सरीरं वा जीवानो' । सेत्तं मरणकाले ॥ १२८. से किं तं अद्धाकाले ? 'प्रद्धाकाले- से णं" समयट्ठयाए प्रावलियट्ठयाए जाव' उस्सप्पिणीट्ठयाए । एस णं सुदंसणा ! अद्धा दोहाराछेदेणं छिज्जमाणी जाहे विभागं नो हव्वमागच्छइ, सेत्तं समए समयट्ठयाए । असंखेज्जाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा प्रावलियत्ति पवुच्चइ। संखेज्जाग्रो आवलियारो उस्सासो जहा सालिउद्देसए जाव: एएसि णं पल्लाणं, कोडाकोडी हवेज्ज. दसगुणिया । तं सागरोवमस्स उ, एगस्स भवे परिमाणं ॥१॥ -- - --- - --... - --- १. पोसस्स पुण्णिमाए (म)। ६. वियुज्यते इति शेषः (वृ)। २. °मासु णं (क, ता, स)। ७. अद्धाकाले अणेगविहे पण्णत्ते (अ, स)। ३. तत्थ (अ, स)। ८. समयद्धयाए (अ) सर्वत्र । ४. चउभागमुहुत्ता (अ)। ६. अ० सू० ४१५॥ ५. सेत्तं पालेमाणे अहाउनिब्बत्तिकाले (अ, म, १०, दोहारच्छेदेणं (क, ब); दोहाराछेयणेणं (तू) स): सेत्तं पालेमाणे अहाउनिव्वत्तिकाले । ११. भ० ६.१३२-१३४॥ सेत्तं अहाउनिव्वत्तिकाले (ता)। Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) ५१५ १२६. एएहि णं भंते ! पलिमो वम-सागरोवमेहि किं पयोयणं ? सुदंसणा! एएहिं पलिनोवम-सागरोवमेहिं ने रइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स देवाणं आउयाई मविज्जति ।। १३०. नेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णता ? एवं ठिइपदं निरवमेसं भाणियब्वं जाव' अजहण्ण मणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोव माई ठिई पण्णत्ता ।। १३१. अत्थि णं भंते ! एएसि पलिग्रोवम-सागरोवमाणं खएति वा अवचएति वा ? हता अस्थि ।। १३२. से केण?ण भंते ! एवं वुच्च इ–अस्थि णं पासिं पलिग्रोवमसाग रोवमाणं 'खएति वा अवचएति वा ? एवं खलु सुदंसणा! तेणं कालेणं तेणं समएणं हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्थावण्णयो । सहसंबवणे उज्जाणे--वण्णओ। तत्थ णं तिथणापुरे नगरे वले नाम राया होत्था-वण्णग्रो। तस्स णं बलस्स रणो पभावई नामं देवी होत्था-सुकुमालपाणिपाया वण्णग्रो जाव' पंच विहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणु भवमाणी विहरइ ।। १३३. तए णं सा पभावई देवी अण्णया कयाइ तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरओ सचित्तकम्मे, बाहिरमो दूमिय-घट्ठ-मढे विचित्तउल्लोग-चिल्लियतले' मणिरयणपणासियंधयारे बहुसमसुविभत्तदेसभाए पंचवण्ण-सरससुरभि-मुक्कपुप्फपजोवयारकलिए कालागरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क-धूव-मघमघेत-गंधुद्धयाभिरामे सुगंववरगंधिए गंधवट्टिभूए, तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि-सालिंगणवट्टिए उभो विब्बोयगे दुहनो उण्णए 'मज्झे णय-गंभीरे'" गंगापुलिणवालुय-उद्दालसालिसए प्रोयविय"-खोमियदुगुल्ल पट्ट-पडिच्छयणे" सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे आइणग-रूयदूर-नवणीय-तूल फासे" सुगंधवरकुसुम-चुण्ण-सयणोवयारकलिए अद्धरत्तकाल १. प० ४। २. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. ओ० सू० १॥ ४. भ० ११५॥ ५. ओ० सू० १४॥ ६. ओ० सू० १५॥ ७. चिलग (अ)। ८, धूम (ता)। ६. मघत (म)। १०. मझेणं गंभीरे (ता); मझेरण य गंभीरे (वृपा); पणत्तगंडविब्बोयणे ति क्वचित दृश्यते (वृ)। ११. उयचिय (म, स); उवविय (१०)। १२. पलिच्छण्ण (ता)। १३. तुल्ल° (म)। Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई मयंसि' सुत्तजागरा प्रोहीरमाणी-ओहीरमाणी अयमेयारूवं अोरालं कल्लाणं सिवं धणं मंगल्लं सस्सिरीयं महासुविण पासित्ता पडिवुद्धा ।। हार-रयय-खीरसागर-ससंककिरण-दगरय-रययमहासेल-पंडरतरोरुरमणिज्ज'पेच्छणिज्ज थिर-लट्ठ-पउटु-वट्ट-पीवर-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-तिक्खदाढाविडंबियमुहं परिकम्मियजच्चकमलकोमल-माझ्यसोभंतलठ्ठओटुं' 'रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालुजीह मूसागयपवरकणगताविययावत्तायंत-व-तडिविमलसरिसनयणं विसालपीवरोरु पडिपुण्णविपुलखधं मिउविसयसुहमलक्खण-पसत्थविच्छिन्न' केसरसडोवसोभियं ऊसिय-सुनिम्मिय-सुजाय-अप्फोडियलंगूल सोमं सोमाकारं लीलायंतं जंभायंतं, नहयलामो 'अोवयमाणं, निययवयणमतिवयंत" सीहं सुविणे पासित्ता णं 'पडिबुद्धा समाणी हट्टतुटु चित्तमाणंदिया जंदिया पोइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण हियया धाराहयकलंवगं पिव समूसवियरोमकूवा" तं सुविणं प्रोगिण्हइ, योगिछिहत्ता सयणिज्जायो अभट्टेइ, अब्भद्वेत्ता अतुरियमचवलमसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गईए जेणेव बलस्स रण्णो सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवाग च्छित्ता बलं रायं ताहि इटाहि कंताहिं पियाहि मणुण्णाहिं मणामाहिं अोरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहि धन्नाहि मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहि मिय-महुर-मंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी-संलवमाणी पडिबोहेइ, पडिबोहेत्ता बलेणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्तसि" भद्दासणंसि निसीयति, निसीयित्ता प्रासत्था वीसत्था सुहासणवरगया बलं रायं ताहि इट्टाहि कंताहिं जाव मिय-महुर-मंजुलाहिं गिराहि संलवमाणी-संलवमाणी एवं वयासी--एवं खलु अहं देवाणु प्पिया! अज्ज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि सालिंगणवट्टिए तं चेव जाव नियगवयणमइवयंत सीह सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, तण्णं देवाणुप्पिया ! एयस्स अोरालस्स जाव महासुविणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? १. अड्ढ ° (ता, म) ६. x (अ, ख, ता, म)। २. महाविणं सुविणे (क, ता, व, म, स, वृ)। १०. निश्यक्यणकमलसरमइवंत (ता, म)। ३. पंडुर ° (अ, ब, स,)। ११. पडिबुद्धा तए गई सा भावती देवी अयमेया. ४. ° उर्दु (अ, क, व, स)। रूवं ओरालं जाव सस्सिरीयं महासुमिणं ५. वाचनान्तरे-रत्तुप्पलपत्तम उपसुकुमालतालु- सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्ध समारणी (क, निल्लालियग्गजीहं महुगुलियाभिसंतपिंगलच्छं ख, ता, ब, स)। (वृ)। १२. सं० पा०-हट्टतुटू जाव हियया । ६. विकिरण (ता, वृपा)। १३. समूससित (ब)। ७. ऊससिय (ता)। १४. रयणविचित्तंसि (ता)। ५. अप्फोडियतलनंगोलं (ख)। Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (एककारसमो उद्देसो) ५१७ १३४. तए णं से बले राया पभावईए देवीए अंतियं एयमटुं सोच्चा निसम्म हदुतुटु चित्तमाणंदिए णंदिए पीइमाणे परमसोमणस्सिए हरिसबसविसप्पमाण • हियए धाराहयनीवसुरभिकुसुम-चंचुमालइयतणुए उस विधरोमकूवे तं सुविणं ओगिण्हइ, प्रोगिण्हत्ता ईहं पविसइ, पविसिता अप्पणों साभाविएणं मइपुव्वएणं बृद्धिविण्णाणेणं तस्स सुविणस्स अत्थोग्गणं करेइ, करेत्ता पभावइं देवि ताहि इटाहि कंताहि जाव मंगल्लाहिं मिय-महुर-सस्सिरीयाहि वहिं संलवमाणेसंलवमाणे एवं वयासी-पोराले णं तुमे देवी! सुविणे दि8, कल्लाणे णं तुमे देवी ! सुविणे दिढे जाव' सस्सिरीए णं तुमे देवी ! सुविणे दिद्रु, 'आरोग्ग-तुट्टिदीहाउ-कल्लाण-मंगल्लकारए णं तुमे देवी ! सुविणे दिलै'', अत्थलाभो देवाणप्पिए ! भोगलाभो देवाणुप्पिए ! पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! 'रज्जलाभो देवागुप्पिए !" एवं खलु तुम देवाणु प्पिए ! नवण्हं मासाणं वहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं वीइक्कताणं अम्हं कुलकेउं कुलदीत्रं कुलपव्वयं कुलवडेंसयं कुलतिलगं कुलकित्तिकरं कुलनंदिकरं कुलजसकरं कुलाधारं कुलपायवं कुलविवद्धणकरं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुण्णपंचिदियसरीरं लक्खण-वंजणगुणोववेयं माणुम्माण-पमाण-पडिपुण्ण-सुजाय-रावगसुंदरंग° ससिसोमाकार कंतं पियदसणं सुरूवं देवकुमारसमप्पभं दारगं पयाहिसि । से वि य णं दारए उम्मुक्कवाल भावे विण्णय-"परिणयमेते जोव्वणगमणप्पत्ते सरे वीरे विक्कते वित्थिण्ण-विउलवल-वाहणे रज्जवई राया भविस्सइ । तं पोराले णं तुमे देवी ! सुविणे दिट्ठ जाव आरोग्ग-तुट्टि- दीहाउ-कल्लाण °. मंगल्लकारए णं तुमे देवी ! सुविणे दिट्टे त्ति कटु पभावति देवि ताहिं इट्टाहि जाव वगृहि दोच्चं पि तच्चं पि अणुबूहति ।। १३५. तए णं सा पभावती देवी बलस्स रण्णो अंतियं एयमटुं सोच्चा निसम्म हतुवा करयल परिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासीएवमेयं देवाण प्पिया! तहमेयं देवाणुप्पिया ! अवितहमेयं देवाणप्पिया ! असंदिद्धमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! पडिच्छियमेयं देवाणु १. सं० पा०-हट्टतुट्ठ जाव हियए। २. नीम ° (ता, ब)। ३. तणुय (अ, क, ख, ता, म, स) ! ४. भ० ११११३३। ५. महुररिभियगंभीर (ना० १११।२०)। ६. भ० ११३१३३१ ७. ४ (अ) ८. x (म)। ९. सं० पा. -- ०पंचिदियसरीरं जाव ससि । १०. विणाय (अ, ता, स)। ११. सं० पा०—तुहि जाव मंगल्लकारए । १२. हट्टतुट्ट (अ, ता, स)। १३. सं० पा०-करयल जाब एवं । Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५१५ মাই प्पिया ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! से जहेयं तुम्भे वदह त्ति कटु तं सुविणं सम्म पडिच्छइ', पडिच्छित्ता बलेणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी नाणामगिरयणभत्तिचित्ताओ भद्दासणानो अब्भुटेइ, अब्भुटेत्ता अतुरियमचवलं मसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए ° गईए जेणेव साए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सयणिज्जसि निसीयति, निसीयित्ता एवं वयासी--मा मे से उत्तमे पहाणे मंगलने सुविणे अण्णेहि पावसुमिणेहिं पडिहम्मिस्सइ त्ति कटु देवगुरुजणसंवद्धाहि पसत्याहि मंगल्लाहि धम्मियाहि कहाहि सुविण जागरियं पडिजागरमाणी-पडिजागरमाणी विहरइ ।। १३६. तए णं से बले राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं बयासी खिप्पा मेव भो देवाणुपिया ! अज्ज सविसेसं वाहिरियं उवट्ठाणसालं गंधोदयसित्तसुइय-संमज्जियोवलितं सुगंधवरपंचवण्णपुप्फोवयारकलियं कालागा-पवरकंदुरुक्क -तुरुक्क-धूव-मघमघेत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं° गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य सोहासणं रएह, एत्ता ममेतमा त्तियं पच्चप्पिणह ।। १३७. तए णं ते कोडु वियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सविसेसं बाहिरियं उवटाणसाल गंधोदयसित्त-सुइय-संमज्जियोवलित्तं सुगंधवरपंचवण्ण पुष्फोवयारकलियं कालागरु-पवरक दुरुक्क-तुरुवक-धूव-मघमत-गंधुद्धयाभिराम सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेत्ता य कारवेत्ता य सीहासणं रएत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणति ।। तए णं से बले राया पच्चूसकालसमयसि सणिज्जानो अब्भुटेइ, अब्भवेत्ता पायपीढामोपच्चोरुहइ,पच्चोरुहित्ता जेणेव अणसाला तेणेव उवागच्छइ अदाणसाल अणपविसइ, जहा प्रोववाइए तहेव अट्टणसाला तहेव मज्जणघरे जाव ससिव्व पियदसणे तरवई" जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवाग १. संपडिच्छइ (ख, स)। २. सं० पा०-- अतुरियमचवल जाव गईए। ३. देवतगुरु° (ता)। ४. X (अ)। ५. गंधोदय (ब)। ६. सं० पा०—पवरकंदुरुक्क जाब गंध । ७. करावेह (ख, स)। ८. ममेत जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६. भ. ६।१४२॥ १० सं० पा-उवदाणसालं जाव पच्चप्पिणंति । ११. पायवीढाओ (ख, ब, म)। १२. मो० स०६३ । १३. नरवई मज्जघराओ पडिनिक्खमइ २ (अ, क,ख, ता, ब, म, स); औषपातिकानुसारेण स्वीकृतपाठः एव समीचीन: । आदर्शषु परिवर्तनं संक्षेपीकरणेन जातम् । पाठसंक्षेपे प्राय एवं भवत्येव । Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) च्छिता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयइ, निसीयित्ता अप्पणो उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए अट्ठ भद्दासणाई सेयवत्थपच्चत्थुयाई सिद्धत्थगकथमंगलोक्याराई रयावेइ, रयावेत्ता अप्पणो अदूरसामंते नाणामणि-रयणमंडियं अहियपेच्छणिज्ज महग्घ-वरपट्टणुग्गयं सहपट्टभत्तिसयचित्तताणं' ईहामिय-उसभ...तुरग-नरमगर-विहग-वालग-किरणर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलय-प उमलय -भत्तिचित्तं अभिंतरियं जवणियं अंछावेइ, अंछावेत्ता नाणामणि रयणभत्तिचित्तं प्रत्थरय-मउयमसूरगोत्थयं सेयवस्थपञ्चत्युयं अंगसुहफासयं सुमउय पभावतीए देवीए भद्दासणं रयावेइ, रयावेत्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासि -खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अटुंगमहानिमित्तसुत्तत्यधारए विविह सत्थकुसले सुविणलक्खणपाढए सद्दावेह ।। १३६. तए णं ते कोडु वियपुरिसा जाव' पडिसुणेत्ता वलस्स रण्णो अंतियायो पडिनि क्खमंति, पडिनिक्खमित्ता सिग्धं तुरियं चवलं चंडं वेइयं हत्थिणपुरं नगरं मझमझेणं जेणेव तेसिं सुविणलक्खणपाढगाणं गिहाई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए सद्दावेति ।। तए णं ते सुमिणलक्खणपाढगा वलस्स रणो कोडंबियपुरिसेहि सद्दाविया समाणा हतुवा हाया कय बलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिया अप्पमहग्याभरणाल किय° सरीरा सिद्धत्थगहरियालियाकयमंगलमुद्धाणा सएहि-सएहिं गेहेहितो निग्गच्छिंति, निग्गच्छित्ता हत्थिणपुरं नगरं मझमज्झेणं जेणेव बलस्स रण्णो भवणवरवडेसए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता भवणवरवडेंसगपडिदुवारंसि एगो मिलंति, मिलित्ता जेणेव वाहिरिया उवट्टाणसाला जेणेव वले राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट बलरायं जएणं विजएणं वद्धाति । तए णं ते सुविणलक्खणपाढगा बलेणं रण्णा वंदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिया समाणा पत्तेयं पत्तेयं पुवण्णत्थेसु भद्दासणेसु निसीयंति ॥ १४१. तए णं से बले राया पभावति देवि जवणियंतरियं ठावेइ, ठावेत्ता पुप्फ-फल पडिपूण्णहत्थे परेणं विणएणं ते सुविणलक्खणपाढए एवं वयासी--- एवं खलु १. ° पच्चुत्थुयाई (म)। २. सण्हबहुभत्ति ° (ब, म)। ३. सं० पा०-उसभ जाव भत्तिचित्तं । ४. पच्चुत्थयं (ब, म, स)। ५. फासुयं (ख, ब)। ६. भ०६।१४२॥ ७. सं० पा०-- कय जाव सरीरा। ८. सं. पा०—करयल । Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२० भगवई देवाणुप्पिया ! पभावती देवी अज्ज तंसि तारिसगंसि वासघरंसि जाव' सीहं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, तण्णं देवाणुप्पिया ! एयस्स अोरालस्स जाव' महासुविणस्स के मन्ने कल्लाणे फवित्तिविसेसे भविस्सइ ? १४२. तए णं ते सुविण लक्खणपाढगा बलस्स रणो अंतियं एयमहूँ सोच्चा निसम्म हदुतुद्वा तं सुविणं प्रोगिण्हंति, ओगिरिहत्ता ईहं अणुप्पविसंति, अणुप्पविसित्ता तस्स सुविणस्स अत्थोग्गहणं करेंति, करेत्ता अण्णमण्णणं सद्धि संचालति', संचालत्ता तस्स सुविणस्स लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा बलस्स रण्णो पुरो सुविणसत्थाई उच्चारेमाणा-उच्चारेमाणा एवं वयासी --एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं सुविणसत्थंसि बायालीसं सुविणा, तीसं महासुविणा--- बावरि सव्वसुविणा दिट्ठा। तत्थ णं देवाणुप्पिया ! तित्थगरमायरो वा चक्कवट्टिमायरो वा तित्थगरंसि वा चक्कट्टिसि वा गन्भं वक्कममाणंसि एएसि तीसाए महासुविणाणं इमे चोद्दस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति, तं जहा-- गय उसह सीह अभिसेय दाम ससि दिणयरं झयं कुंभं । पउमसर' सागर विमाणभवण' रयणुच्चय सिहि च ॥१॥ वासुदेवमायरो वासुदेवंसि गड्भं वक्कममाणंसि एएसि चोद्दसण्हं महासुविणाणं अण्णयरे सत्त महासुविणे पासित्ता णं पडिबुझंति । बलदेवमायरो बलदेवंसि गब्भ वक्कममाणंसि एएसिं चोद्दसण्हं महासुविणाणं अण्णयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ता पं पडिबुझंति । मंडलियमायरो मंडलियंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसि णं चोद्दसण्हं महासुविणाणं अण्णयरं एगं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुज्झति । इमे य णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए एगे महासुविणे दिटे, तं अोराले णं देवाणप्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिडे जाव प्रारोग्ग-तुट्टि'दीहाउ कल्लाण -मंगल्लकारए गं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिवे, अत्थलाभो देवाणुप्पिया ! भोगलाभो देवाणुप्पिया ! पुत्तलाभो देवाणुप्पिया! रज्जलाभो देवाणुप्पिया! एवं खलु देवाणुप्पिया! पभावती देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं° वीइक्कताणं तुम्हें कुलके उं जाव" देवकुमारसमप्पभं दारगं पयाहिति । १. भ० ११११३३॥ नरकात् तन्माता भवनमिति (वृ)। २. भ० ११।१३३॥ ७. इह च गाथायां केषुचित्पदेष्वनुस्वारस्याश्रवणं ३. संलवंति (ता)। गाथाऽनुलोम्याद् दृश्यम् (४)। ४. वसह (क, ता, म)। ८. भ० ११:१३४॥ ५. पदुमसर (ता)। ६. सं० पाo---तुट्टि जाव मंगल्लकारए। ६. 'विमाणभवरण' ति एकमेव, तत्र विमाना- १०.सं० पा०-बहुपडिपुण्णाणं जाव वीइक्कंतागं । कारं भवनं विमानभवन, अथवा देवलोका- ११. भ० ११११३४॥ योऽवतरति तस्माता विमानं पश्यति यस्तु Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) सेवि य णं दारए उम्मुक्कवालभावे विण्णय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कते वित्थिण्ण- विउलवल-वाहणे रज्जवई राया भविस्सर, प्रणगारे वा भावियप्पा । तं ओराले णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिट्ठे जाव आरोग्ग-तुट्ठि- दीहाउ - कल्लारा' - मंगल्लकारए पभावतीए देवीए सुविदिट्ठे ॥ १४३. तए णं से बले राया सुविणलक्खणपाढगाणं अंतिए एयम सोच्चा निसम्म तुट्टे करयल परिगहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि • कट्टु ते सुविणलक्खणपाढगे एवं क्यासी- एवमेयं देवाणुप्पिया' ! 'तहमेयं देवाणुप्पिया ! वितहमेयं देवाणुप्पिया ! असंदिद्धमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छियमेयं देवाणुपिया ! पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! ० से जहेयं तुभेवदह त्ति कट्टु तं सुविणं सम्मं पडिच्छाइ, पडिच्छित्ता सुविणलक्खणपाढए विउलेणं असण- पाण- खाइम साइम- पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्माणत्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयई, दलयित्ता पडिविसज्जेइ, पडिविसज्जेत्ता सीहासणाश्रो प्रभुट्ठे, प्रभुत्ता जेणेव पभावती देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पभावति देवि ताहि इट्टाहि जाव' मिय-महुर-सस्सिरीयाहि वग्गृहि संलवमाणे संलवमाणे एवं वयासी–एवं खलु देवाणुप्पिए ! सुविणसत्यंसि वायालीसं सुबिणा, तीसं महासुविणा - बावतरं सव्वसुविणा दिट्ठा। तत्थ णं देवाणुप्पिए ! तित्थगरमायरो वा चक्कवट्टिमायरो वा तित्थगरंसि वा चक्कवट्टिसि वा गब्भं वक्कममासिएएस तीसा महासुविषाणं इमे चोदस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्यंति तं चैव जाव' मंडलियमायरो मंडलियंसि गव्भं वक्कममाणंसि एएसि णं चोदसहं महासुविणाणं श्रण्णयरं एवं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुज्भंति । इमे यणं तु देवाणुप्पिए ! एगे महासुविणे दिट्ठे, तं ओराले गं तुमे देवी ! सुविणे दिट्ठे जाव' रज्जवई राया भविस्सइ, अणगारे वा भावियप्पा, तं प्रोराले णं तुम देवी ! सुविणे दिट्टे जाव' आरोग्ग-तुट्टि दीहाउ-कल्लाण- मंगल्लकारए णं तु देवी ! सुविणे दिट्ठेत्ति कट्टु पभावति देवि ताहि इट्ठाहिं जाव मिय-महुरसिरीयाहि वग्गूहिं दोच्चं पि तच्चं पि प्रणुवूहइ || १. सं० पा०- उम्मुक्कबालभावे जाव रज्जवई । २. सं० पा०-- कल्लाण जाव दिट्ठे । ३. सं० पा०—करयल जाव कट्टु | ४. सं० पा० -देवाणु प्पिया जाव से । ५. संपडिच्छर (क, ता, म, स ) । ६. भ० ११।१३४ ७. भ० ११/१४२ ८. भ० ११।१४२ । ६. भ० ११ १३४ ५२१ Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२२ भगवई १४४. तए णं सा पभाव तो देवो बलस्स रपणो अंतियं एयमटुं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टा करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु ° एवं वयासी-- एयमेयं देवाणुप्पिया! जाव' तं सुदिणं सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता बलेणं रण्णा अभणुण्ण या समाणो नाणामणि रयणभत्ति चित्तानो भद्दासणाओ' अब्भट्टइ, अातुरियमचवल मसंभताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए ० गईए जेणेव सए भवणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सयं भवण मणुपविट्ठा ।। १४५. तए णं सा पभावतो देवो व्हाया कयबलिकम्मा जाव सव्वालंकारविभूसिया तं मभं नातिसोतेहि नाति उण्हेहि नातितित्तेहि नातिकडुएहि नातिकसाएहि नातिग्रंबिलेहि नातिमहुरेहि उउभयमाणसुहेहि भोयण-च्छायण-गंध-मल्लेहिं जं तस्स गभस्स हियं मितं पत्थं गव्भपोसणं तं देसे य काले य पाहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहि सयणासणेहि पइरिवकसुहाए मणाणुकूलाए बिहारभूमीए पसत्थदोहला संपुग्णदोहला सम्माणियदोहला अविमाणियदोहला वोच्छिण्णदोहला विणीय दोहला ववगयरोग-सोग-मोह-भय-परित्तासा तं गभं 'सुहंसुहेणं परिवहति" ।। १४६. तए णं सा पभावती देवो नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं वीइक्कंताणं सुकुमालपाणिप्राय अहीणपडिपुषणपंचिदियसरीरं लक्खण-वंजणगुणोबवेयं •माणम्माण-प्पमाण-पडिपुण्ण-मुजाय-सव्वंगसुंदरंग ° ससिसोमाकारं कंतं पियर्दसणं सुरूवं दारयं पयाया ।।। १४७. तए णं तोसे पभावतीए देवोए अंगपडियारियानो पभावति देवि पसूर्य जाणेत्ता जेणेव बले राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल" परिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु वल रायं जएणं विजएणं वद्धाति, वद्धावेत्ता एवं वयासो-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पभावती देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाण जाव" सुरूवं दारगं पयाया । तं एयण्ण" देवाणुप्पियाणं पियट्टयाए पियं निवेदेमो । पियं भे भवतु ।। १४८. तए ण से बले राया अंगपडियारियाणं अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म हद्वत •चित्तमाणदिए णदिए पोइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए १. सं० पा० करयल जाव एवं । ८. संपन्न ° (अ); ° डोहला (ता)। २. भ०११।१३५॥ ६. वाचनान्तरे-सुहंसुहेणं आसयइ सुयइ ३. संपा.-. भत्ति जाव अभट्टइ । चिट्ठ इ निसीयइ तुयट्टइ त्ति दृश्यते (वृ) । ४. सं० पा०-अतुरियमचवल जाव गई। १०. सं० पा०-गुरगोववेयं जाव ससि । ५. भ० ७१७६॥ ११. सं० पा०-करयल । ६. तदु° (ख); उतु° (ar, म); उडु ० १२. भ० ११११३४ । १३. एतणं (अ, स); एतं (ता)। ७. विचित्त (अ, ख, ता, थ, स)। १४. सं०पा०-हट्ट तुटु जाव धाराहयनीव जाव कूवे । Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) ५२३ धाराहयनीवसुरभिकुसुम-चंचुमालइयतणुए ऊसवियरोम ° कूवे तासि अंगपडियारियाणं मउडवज्ज जहामालिय' प्रोमोयं दलयइ, दलयित्ता सेत रययामयं विमलसलिलपुण्णं भिगारं पगिण्हइ, पगिणिहत्ता मत्थए धोवइ, घोवित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ, दलयित्ता सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेता सम्मा णेत्ता पडिविसज्जेइ ॥ १४६. तए णं से वले राया कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं बयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! हथिणापुरे नयरे चारगसोहणं करेह, करेत्ता माणुम्माणवड्ढण' करेह, करेत्ता हत्थिणापुर नगरं सब्भितरबाहिरियं आसिय-संमज्जियोवलितं जाव' गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य जूवसहस्सं वा चक्कसहस्सं वा पूयामहामहिमसंजुत्त' उस्सवेह, उस्सवेत्ता ममेतमाणत्तियं पच्चप्पिणह। १५०. तए णं ते कोडुवियपुरिसा वले णं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हतुवा जाव' तमाण त्तियं पच्चप्पिणति ।। १५१. तए णं से बले राया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं चेव जाव' मज्जणघरायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता उस्सुक्कं उक्कर उक्किटुं अदेज्ज अमेज्जं अभडप्पवेसं अदंडकोडिमं अधरिमं गणियावरनाडइज्जकलियं प्रणेगतालाचराणुचरियं अणुद्धयमुइंग अमिलायमल्लदाम" पमुइयपक्कीलियं सपरजण जाणवयं दसदिवसे ठिइवडियं करेति ।। १५२. तए णं से बले राया दसाहियाए ठिइडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए य सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए य दलमाणे य दवावेमाणे य, सइए य सय साहस्सिए य लभे' पडिच्छेमाणे य पडिच्छावेमाणे य एवं यावि विहरइ ।। १५३. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करेइ, तइए दिवसे चंदसूरदंसावणियं" करेइ, छठे दिवसे जागरियं करेइ, एक्कारसमे दिवसे वीइ १. जहाजमालितं (ता)। ७. ओ. सू० ६३ २. दलति (ता)। ८. ° पावेसं (ख); अहड° (ता)। ३. °बड्ढे (ता)। ६. अणुद्धत ° (क); अणद्धत्त° (ब)। ४. प्रो० सू०५५। १०. अमिलाण ° (ता)। ५. महिमसक्कारं वा (अ, म, स); आयाम- ११. लाभे (क, ब): लंभो (ता)। जावदिसक्कारं वा (क); ° संजुत्तं वा आया- १२. दंसणियं (क); ओपपातिकाद्यागमेषु 'दंसमेजाहससक्खा (ख); पूता (ता); पूया- णियं' इति पाठः प्रायेण स्वीकृतोस्ति । तत्र महिमसक्कारं वा (ब)। स्वीकृतपाठो नोपलब्धः । अर्थदृष्ट्यासी समी६. भ० ११११४६ । चीनोस्ति । Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२४ भगवई क्कते निव्वत्ते सुइजायकम्मकरणे संपत्ते 'वारसमे दिवसे" विउलं असणं पाण खाइमं साइमं उवक्खडावति, उत्रक्खडावेत्ता मित्त-नाइ नियग-सयण-संबंधिपरिजण रायाणो य खत्तिए य ग्रामतेति ग्रामंतेत्ता तम्रो पच्छा पहाया तं चेव जाव' सक्कारेंति सम्मार्णेति, सक्कारेत्ता सन्माणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ - • नियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स राईण य खत्तियाण य पुरो अज्जय-पज्जय पिउपज्जयागयं बहुपुरिसपरंपरप्परूडं कुला गुरुवं कुलसरिसं कुलसंताणतंतुबद्धणकरं प्रयमेयाख्वं गोण्णं गुणनिष्पन्नं नामधेज्जं करेंति - जम्हाणं ग्रम्हं इमे दारए बलस्स रण्णो पुत्ते प्रभावती देवीए अत्तए, तं होउ णं म्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं 'महब्बले - महत्वले" । तए णं तस्स दारगरस अम्मापियरो नामघेज्ज करेंति महब्वले त्ति || १५४. तए णं से महब्वले दारए पंचधाईपरिगहिए, [तं जहा - खीरधाईए ],' एवं जहा दढपइण्णस्स जाव' निव्वाय' निव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवति || १५५. तए णं तस्स महव्वलस्स दारगस्स सम्मापियरो प्रणुपुवेणं ठिइवडियं वा चंदसूरदसावणियं वा जागरियं वा नामकरणं वा परंगामणं वा पचंकामण' वा पजेमामणं वा पिंडवद्धणं वा पजंदावणं" वा कण्णवेणं वा संवच्छरपडिलेह वा चोलोयणगं" वा उवणयणं वा, ग्रण्णाणि य बहूणि गव्भाधाण" - जम्मणमादियाई कोउयाई कति ॥ १५६. तए णं तं महब्बलं कुमारं श्रम्मापियरो सातिरेगट्ठवासगं जाणित्ता सोभणंसि १. बारसाहदिवसे ( अ, क, ख, म, स ) ; बारसादिवसे (ता); बारहदिवसे ( ब ) ; 'राय पसे - इयं सूत्रस्य ८०२ सूत्रानुसारेणासौ पाठ: स्वीकृत: । विशेषावबोधाय द्रष्टव्यं 'जोववाइय' सूत्रस्य १४४ सूत्रस्य प्रथमं पादटिप्पणम् । २. सं० पा० - जहा सिवो जाव खत्तिए । ३. भ० ११/६३ । ४. सं० पा०- नाइ जाव राईण । ५. महब्बले ( अ, क, ख, ब, म, स ) । ६. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । ७. ओ० वाचनान्तर पृष्ठ १५१, १५२; राय० सू० ८०४ । ८. निवास ( अ, ता, व, म); नियात ( ख ) 1 ६. पयचंकमा ( अ ) ; पचकमावणं (ख, ब); पचक्कामवरणं (ता); पविचं काम (म) | पचंक्रमणं ( स ) | जेमावणं ( क, व, म, स ) । जपमाणं (क, ख ) ; पजपामणं (व) | पलेहणं ( ख ) ; ° वलेहरागं ( ता ) 1 चोलायणगं ( अ ) ; चोलोपरगं ( क, ख ); चोलगाfरण (ता); चोलोयर ( ब ) ! १४. गव्भदाण ( अ, ख ) ; गब्भायाण (ता); भादाण (ब, वृ); 'गन्भाहारण' पदस्य हकारयकारयोलिपिसादृश्यात् 'गब्भादारण' रूपे परिवर्तनं जातमिति संभाव्यते । १०. ११. १२. १३. Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) ५२५ तिहि-करण-नक्खत्त-मुहत्तंसि कलायरियस्स उवणेंति, एवं जहा दढप्पइण्णे जाव' अलंभोगसमत्थे जाए यावि होत्था ।। १५७. तए णं तं महब्बलं कुमारं उम्मुक्कबालभावं जाव' अलंभोगसमत्थं विजाणित्ता अम्मापियरो अटु पासायव.सए कारेंति'-अभुग्गय-मूसिय-पहसिए इव वण्णो जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पडिरूवे । तेसि णं पासायवडेंस गाणं वहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महेगं भवणं कारेंति -अणेगखंभसयसंनिविट्ठ वण्णो जहा राय प्पसेणइज्जे पेच्छाघरमंडवंसि जाव पडिरूवे ।। १५८. तए णं तं महब्बलं कुमारं अम्मापियरो अण्णया कयाइ सोभणसि तिहि-करण दिवस-नक्खत्त-मुहुत्तंसि पहायं कयबलिकम्म कयकोउप-मंगल-पायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं पमक्खणग-पहाण-गीय-वाइय-पसाहण-अटुंगतिलग-कंकण-अविहववहुउवणीयं' मंगलसुजंपिएहि य वरकोउयमंगलोवयार-कयसंतिकम्मं सरिसियाणं सरित्तयाण सरिव्वयाणं सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वणगुणोववेयाणं 'विणीयाणं कयको उय-मंगलपायच्छित्ताण सरिसएहि रायकुले हितो अाणिल्लि याणं अट्टण्हं रायवरकन्नाणं एगदिवसेण पाणि गिहाविसु ।।। १५६. तए गं तस्स महावलस्स कुमारस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं पीइदाणं दलयंति, तं जहा अट्ठ हिरण्णकोडीओ, अट्ठ सुवण्णकोडीओ, अट्ठ मउडे मउडप्पवरे, अट्ठ 'कुंडलजोए कुंडलजोयप्पवरे" अट्ट हारे हारप्पवरे, अट्ठ प्रद्धहारे अद्धहारप्पवरे, अट्ठ एगावलीओ एगावलिप्पवरायो, एवं मुत्तावलीप्रो, एवं कणगावलीओ, एवं रयणावलीग्रो, अट्ठ कडगजोए कडगजोयप्पवरे, एवं तुडियजोए, अट्ठ खोमजुयलाइं खोमजुयलप्पवराई, एवं वडगजुयलाई," एवं पट्टजुयलाइं, एवं दुगुल्लजुयलाई, अट्ठ सिरीयो, अट्ट हिरीयो, एवं धिईओ, कित्तीओ, बुद्धीग्रो, लच्छीओ, अट्ठ नंदाइं, अठ्ठ भद्दाई, अट्ठ तले तलप्पवरे सव्वरयणामए, नियगवरभवणकेऊ अट्ठ भए भयप्पवरे, अळू वए वयम्पवरे दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अट्ठ नाडगाई नाडगप्पवराई वत्तीसइबद्धेणं नाडएणं, अट्र प्रासे आसप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए, अट्ट हत्थी हत्थिप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए, अट्ठ जाणाइं जाणप्पवराई, अट्ठ जुगाइं जुगप्पवराई, एवं सिबियाओ", एवं संद ७. x (ब)। ६. आणिते (ति) ल्लियाणं (क, ख, ता, ब, १. ओ० सू० १४६-१४८, राय० म०८०५- ८०९। २. राय० स० ८१० ३. करेंति (अ, म, स)। ४. राय० स० १३७। ५. राय० सू ० ३२॥ ६. अविधववधुओवरणीतं (ता)। ६. कुंडलजुए कुंडलजुय ° (अ, स) । १०. पडलगजुवलाई (अ)। ११. सिविया (अ); सिताओ (ता)। Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई माणीनो', एवं गिल्लीनो, थिल्लोप्रो, अट्ट वियडजाणाई वियडजाणपत्र राई, अट्ठ रहे पारिजाणिए, अट्ठ रहे संगामिए, अटु पासे आसपवरे, अटु हत्थी हत्थिप्पवरे, अट्ठ गामे गामप्पवरे दसकुलसाहस्सिएणं गामेणं, अट्ठ दासे दासप्तवरे, एवं दासीयो, एवं किंकरे, एवं कंचुइज्जे, एवं वरिसधरे, एवं महत्तए, अट्ठ सोवण्णिए अोलंबणदीवे, अट्ठ रुप्पामाए प्रोलवणदीवे, अट्ठ सुवण्णरुप्यामाए अोलंबणदीवे, ग्रट सोवण्णिए उक्कंबणदीवे', एवं चेव तिणि वि. अट सोवष्णिा पंजरदीवे, एवं चेव तिणि वि, अट्ट सोवणिए थाले, अट्ठ रुपामए थाले, अट्ठ सुवण्णरुप्पामए थाले, अट्ठ सोवणियाग्रो पत्तीओ' ३, अट्ठ सोवणियाइं थासगाइं३, अट्ट सोणियाई मल्लगाइं३, अट्ट सोवणियानो तलियाओं ३, अट्ठ सोवणियानो कविचियाओं ३, अट्ट सोवण्णिए अवएडा ३, अट्ट सोवणियायो अवयक्कानो'३, अट्ठ सोवण्णिए पायपीढा३, अट्ठ सोवष्णियानो भिसियाओ३, अट्ट सोवणियानो करोडियानो३, अट्ट सोवणिए पल्लंके ३, अट्ठ सोवणियानो पडिसेज्जाओ३, अट्ट हंसासणाई, अट्ठ कोंचासणाई, एवं गरुलासणाई, उन्नयासणाइं, पणयासणाई, दीहासणाई, भद्दासणाई, पक्खासणाई, मगरासणाई, अट्ठ पउमासणाई, अट्ठ दिसासोवत्थियासणाई, अट्ट तेल्ल-समुग्गे, "अट्ठ कोट्ठसमुग्गे, एवं पत्त-चोयग-तगर-एल-हरियाल-हिंगुलय-मणोसिल-अंजण-समुग्गे', अट्ठ सरिसव-समुग्गे, अट्ठ खुज्जाओ जहा ओववाइए जाव' अट्ठ पारिसोरो, अट्ठ छत्ते, अट्ट छत्तधारोनो चेडीमो, अट्ठ चामरायो, अढ चामरधारीयो चेडीयो अट्ठ तालियंटे, अट्ठ तालियंटधारीयो चेडीओ, 'अट्ठ करोडियानो', अट्ठ करोडियाधारीयो चेडीओ, अटु खीरधाईयो", 'अट्ट मज्जणधाईओ, अट्ठ मंडणधाईओ अट्ट खेल्लावणधाईप्रो°, अट्ठ अंकधाईओ, अट्ठ अंगमद्दियानो, अट्ठ उम्मद्दियाओ अट्र पहावियानो, अट्ट पसाहियाओ, अट्ट वाणगपेसीनो, अट्ट चुण्णगपेसीयो", अट्ठ कीडागारीयो", अट्ट दवकारीयो", अट्ठ उवत्थाणियानो, अट्ठ नाडइज्जायो, १. संदमागी (अ); संदमाणियाओ (क, ता, ६. अवपाइए (अ, स}; अवयडा (ता)। ब, म)। ७. अवकाओ (अ, क, ग्ब, ता, म)। २. उक्कपणदीवे (क, ख, ता, ब, स)। ८. सं० पा–जहा रायपोरगइज्जे जाव अटु । ३. 'एवं तिषिण वि' इति पाठस्य सचकमक- ६. ओ० स० ७० भ०६।१४४) मिदं सर्वत्र। १०. x (अ, क, ख, ता, ब, म)। ४. चवलियाओ (ख); चवलियाओ अट्रसो- ११. सं० पा०--बीरधाईओ जाव अट्र । वणियाओ तिलियाओ (ता)। १२. x (ख) ५. कवचियाओ (अ, ख, ता, ब, म); कति- १३. कीलाकरीओ (ता)! वियाओ (क)। १४. उबकारीग्रो (क, ता)। Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) अट्ट कोडुंबणीश्रो, ट्ठ महाणसिणोश्रो, ट्ट भंडागारिणीश्रो, अ अभाधारिणी, अट्ट पुष्पधरणी, अट्ट पाणिघरणी, श्रट्ट बाहिरियो, ग्रह सेज्जाकारी, अट्ट अभितरिया पडिहारी, अटु बाहिरिया पडिहारीश्रो, मालाकारीग्रो टु पेसणकारी, ग्रण्णं वा सुबहुं हिरण्णं वा सुवण्णं वा कंसं वा दूसं वा विउलवण-कणगरयण-मणि-मोत्तिय संख-सिल-प्पवालरत्तरयण-॰संतसारसावएज्जं श्रलाहि जाव ग्रासत्तामात्र कुलवंसाप्रो पकामं दाउ, कामं भोक्तुं पकामं परिभाएउ || १६०. तए णं से महत्वले कुमारे एगमेगाए भज्जाए एगमेगं हिरण्णकोडि दलयइ, एगमेगं सुवणको दलयइ, एगमेगं मउडं मउडप्पवरं दलयइ, एवं तं चैव सव्वं जाव एगमेगं पेसणकारि दलयइ, ग्रण्णं वा सुबहुं हिरण्णं वा सुवण्णं वा कंसं वा दूसं वा विउलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय संख-सिल-प्पवाल - रत्तरयणसंतसारसावएज्जं, अलाहि जाव प्रासत्तमाओ कुलवंसाप्रो पकामं दाउं, पकामं भोत्तु, पकामं • परिभाएउं ॥ १६१. तए णं से महब्बले कुमारे उपि पासायवरगए जहा जमाली जाव' पंचविहे माणुस कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरइ | ५२७ १६२- तेणं कालेणं तेणं समएणं विमलस्स श्ररहम्रो पोप्पए' धम्मघोसे नाम अणगारे जाइसंपन्ने वण्णो जहा केसिसामिस्स जाव' पंचहि अणगारसएहि सद्धि संपरिवडे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुग्गामं दृइज्जमाणे जेणेव हत्थिणापुरे नगरे, जेणेव सहसंववणे उज्जाणे, तेणेव उवागच्छर, उवागच्छित्ता महापडि - रूवं श्रहं योगिहइ, श्रगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहइ || १६३. तए णं हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिय- चउक्क-चच्चर- चउम्मुह महापहपसु महया जणसद्दे इ वा जाव परिसा पज्जुवासइ || १६४. तए णं तस्स महब्बलरस कुमारस्स तं महयाजणसद्दं वा जणवूहं वा जाव जणसन्निवायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा एवं जहा जमाली तहेव चिंता, १. महाराणसीओ (क, ता, ब ) । २. सं० पा० कणग जाव संतसार । ३. परिभीत्तुं (क, ब, म, स ) 1 ४. परिभाइउं ( ख ) ; परियाभाएउ (ता) | ५. सं० पा०-हिरण्णं वा जाव परिभाएउ । ६. भ० ६ १५६ । ७. पदोप्पए ( ख ); पतोप्पए ( ब म ) । ८. राय० सू० ६८६ । ६. राय० सू० ६८७; ओ सू० ५२; भ० ६।१५७ । १० भ० ६।१५८ । Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२८ भगवई तहेव कंचुइज्ज-पुरिसं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी --किरण देवाणु प्पिया! अज्ज हत्थिणापुरे नयरे इंदमहे इ वा जाव निग्गच्छति ।। १६५. तए णं से कंचुइ-पुरिसे महब्बलेणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हळुतुटे धम्मघो सस्स अणगारस्स आगमणगहियविणिच्छए करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु महब्बलं कुमारं जएणं विजएणं वद्धावेइ, वहावेत्ता एवं क्यासी-तो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज हत्थिणापुरे नगरे इंदमहे इ वा जाव' निग्गच्छति । एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज विमलस्स अरहो पनोप्पए धम्मघोसे नामं अणगारे हथिणापुरस्स नगरम्स बहिया सहसंववणे उज्जाणे अहापडिरूवं प्रोग्गहं योगिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं एते वहवे उग्गा, भोगा जाव' निग्गच्छति ।। तए णं से महब्बले कुमारे तहेव' रहवरेणं निग्गच्छति । धम्मकहा जहा केसिसामिस्स । सो वि तहेव अम्मापियर आपुच्छइ, नवरं-धम्मघोसस्स अणगारस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइत्तए। तहेव वत्तपडिवत्तिया, तवरं-इमायो य ते जाया! विउलरायकुलबालियानो कलाकुसलसव्वकाललालिय-सुहोचियानो सेसं तं चेव जाब ताहे अकामाई चेव महब्बलकुमारं एवं वयासी-तं इच्छामो ते जाया ! एगदिवसभवि रज्जसिरि पासित्तए॥ १६७. तए णं से महब्बले कुमारे अम्मापिउ-वयणमणुयत्तमाणे तुसिणीए संचिटुइ ॥ १६८. तए णं से वले राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, एवं जहा सिबभद्दस्स तहेव सया भिसेनो भाणियव्वो जाव अभिसिंचति, करयलपरिग्गहियं 'दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु ° महब्बलं कुमारं जएणं विजएणं वद्धावेति, बद्धावेत्ता एवं क्यासी--भण जाया ! कि देमो ? किं पयच्छामो ? सेसं जहा जमालिस्स तहेव जाव --- १६६. तए णं से महव्वले अणगारे धम्मघोसस्स अणगारस्स अंतियं सामाइयमाइयाई चोद्दस पुवाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता वहूहिं च उत्थ- छट्टट्ठम-दसम-दुवाल१. सं० पा० --कंचुइज्जपुरिसो वि तहेव ४. अ० ६।१६०-१६२ । अक्खाति, नवरं-धम्मघोसस्स अणगारस्स ५. राय० स०६६३१ आगमणगहियविणिच्छा करयल जाव ६. व त्तपस्वित्तया (क्व)। निग्गच्छई। एवं खलु देवाणप्पिया ! ७. भ.६।१६४-१७६। विमलस्स अरहओ पओप्पए धम्मघोसे नाम ८. भ० ११:५६-६२। अणगारे, सेसं तं चेव जाव सो वि तहेव। . सं० पा०--करयपलरिगहियं । २. भ. १५८ १०. भ. १८०-२१५ । ३. भ० ११५८१ ११. सं० पा०—च उत्थ जाव विचित्तेहि । Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सत (एक्कारसमो उद्दे सो) ५२६ सेहि मासद्ध-मासखमणेहि विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहुपडिपुण्णाई दुवालस वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झसित्ता, सटैि भनाई अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते काल मासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम-सूरिय- गहगण-नक्खत्ततारारूवाण बहूई जोयणाई, वहूई जोयणसयाई, वहूई जोयणसहस्साइं, वहूई जोयणसयसहस्साई, वहुप्रो जोयणकोडोप्रो, वहुप्रो जोयणकोडाकोडोयो उड्ढं दूरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिदे कप्पे वीईवइत्ता • बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। तत्थ णं महत्वलस्स वि देवस्स दस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । से णं तुम सुदंसणा! वंभलोगे कप्पे दस सागरोवमाई दिब्वाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्ता तो देवलोगानो आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव वाणियग्गामे नगरे सेट्टिकुलसि पुत्तत्ताए पच्चायाए । १७०. तए णं तुमे सुदंसणा ! उम्मुक्कबालभावेणं विण्णय-परिणयमेत्तेणं जोव्वणगम णप्पत्तेणं तहारूवाणं थेराणं अंतियं केवलिपण्णत्ते धम्मे निसंते, सेवि य धम्मे इच्छिा , पडिच्छिए, अभिरुइए। तं सुट्ठ णं तुमं सुदंसणा ! 'इदाणि पि" करेसि । से' ते णट्रेणं सुदंसणा! एवं वुच्चइ-अत्थि णं एतेसि पलिग्रोवम सागरोवमाणं खएति वा अवचएति वा ।। १७१. तर णं तस्स सुदंसणस्स सेट्ठिस्स समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं एयमद्वं सोच्चा निसम्म सुभेण अज्झवसाणणं सुभेण परिणामेणं लेसाहिं विसुज्झमाणोहि तयावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमेण ईहापूह-मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स 'सण्णीपुब्वे जातीसरणे समुप्पो, एयमद्वं सम्म अभिसमेति ॥ १७२. तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समर्णण भगवया महावारेणं संभारियपुव्वभवे दुगुणा णीयसड्ढसंवेगे' प्राणंदसुपुष्णनयणे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिणपयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वदित्ता नमं सत्ता एवं बयासी - एवमेयं भंते ! तहमयं भंते ! अवितहमयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमयं भंते ! ०–से जहेयं तुब्भे वदह त्ति कटु उत्तरपुरथिमं दिसीभागं अवक्कमइ, सेसं जहा उसभदत्तस्स १. सं० पा० --जहा अम्मडो जाव बंभलोए। ३. इदाणि वि (अ, क, ख, ता, ब)। औपपातिकादशेषु तद् वृत्तौ च नैष पाठो ४. सोभणेरणं (ता)। लभ्यते, तेन चिन्त्यमिदम् । ५. सण्णीपुव्व जाती (अ, क, ता, ब, वृ)। २. तो चेव (अ) ताओ (ता, ब, म); ताओ ६. सद्द ° (म)। चेव (स)। ७, सं० पा०-भंते जाव से। Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५.३० जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे, नवरं - चोदस पुब्वाई अहिज्जइ, बहुपडिपुणाई दुवालस वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ, सेसं तं चैव ॥ १७३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ बारसमो उद्देसो इस भद्दत्त-पदं १७४. तेणं कालेणं तेणं समएणं आलभिया नामं नगरी होत्या. वण्णो । संखवणे चेइए - वण्णन * । तत्थ णं प्रालभियाए नगरीए बहवे इसिभद्दपुत्तपामोक्खा समणोवासया परिवसंति अड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव' श्रापरिग्रहिएहिं तत्रोकस्मेहि अप्पा भावेमाणा विहरंति || १७५. तए णं तेसि समणोवासयाणं श्रण्णया कयाइ एगयत्रो समुवागयाणं सहियाणं सणि विद्वाणं" सणसण्णाणं प्रयमेयाख्वे मिहोक हास मुल्लावे' समुप्पज्जित्था - देवलोगेसु णं प्रज्जो ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? १७६. तए णं से इसिभहपुत्ते समणोवासए देवट्टिती-गहियट्ठे ते समणोवासए एवं वयासी - देवलोएसु णं ग्रज्जो ! देवाणं जहणेणं दसवाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया, तिसमयाहिया जाव दससमयाहिया संखेज्जसमयाहिया, श्रसंखेज्जस मयाहिया, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता | तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ॥ १७७. तए णं ते समणोवासया इसिभद्दपुत्तस्स समणोवासगस्स एव माइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमट्ठे नो सद्दहंति नो पत्तियंति नो रोयंति एयमहं सहमाणा अपत्तियमाणा अरोयमाणा जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया || १. भ० ६।१५१ २. भ० ११५१| ३. ओ० सू० १ ४. ओ० सू० २-१३ ५. भ० २६४| ६. भ० २/६४ 1 भगवई ७. समुदविद्वाणं ( अ ); समुविद्वाणं (ख, ब, म, (ता); द्रष्टव्यम् - भ० वृ) समुबेद्वाणं ७।२१२ । ८. मिहोक हा समुल्लावे अज्झतिथए ( अ, ख, म); अज्भथिए ( ब ) | Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सत (बारसमो उद्देसो) १७८. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव' समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ । तर णं ते समणोवासया इमोसे कहाए लट्ठा समाजा, हतुट्टा • अण्णमण्णं सदावे ति, सहावेत्ता एवं वयासी—एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे जाव' पालभियाए नगरीए अहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ । तं महप्फलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-बंदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणाए? एगस्स वि पारियस्स धम्मियम्स मुवयणस्स सवणयाए, किग पुण विउलस्स अटुस्स गहणयाए ? तं गच्छामो गं देवाणुपिया ! समणं भगवं महावीर वंदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो। एयं णे पेच्च भवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कटु अग्णमण्णस्स अंतिए एयमटुं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जेणेव सयाइं-सयाइं गिहाई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पहाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिया अप्पमहायाभरणालंकियसरीरा सहि-सएहि गिहेहितो पडिनिक्खमंति, पडिनि खमित्ता एगयनो मेलायंति, मेलायित्ता पायविहारचारेणं ग्रालभियाए नगरीए मझमझेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव संखवणे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं जाव' तिविहाए पज्जुवासणाए° पज्जुवासंति । तए णं समणे भगवं महावीरे तेसि समणोवासगाणं तीसे य महतिमहालियाए परिसाए ‘धम्म परिकहेइ जाव' प्राणाए अाराहए भव १७६. तए णं ते समणोवासया समणस्स भगवनो महावीरस्स ग्रंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुटा उट्ठाए उट्ठति, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी–एवं खलु भंते ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए अम्हं एवमाइक्खइ जाव परवेइ–देवलोएसु णं अज्जो ! देवाणं जहण्णेणं दस १. भ० ११७ २. ओ० सू० २२-५२। ३. सं० पा.–एवं जहा तुंगिय उद्देसए जाव पज्जूवाति । ४. प्रो० सू० ५२॥ ५. भ० २०६७ ६. धम्सकहा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ७. प्रो० सू० ७१-७७। ८. भ० १२४२०॥ Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया जाव' तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य। १८०. से कहमेयं भंते ! एवं ? अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे ते समणोवासाए एवं वयासी-जण्णं अज्जो ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए तुभं एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-देवलोएसु णं देवाणं जहण्णणं दस वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया जाव तेण पर वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य - सच्चे णं एस मट्टे, अहं 'पिणं'' अज्जो ! एवमाइक्खामि जाव' परूबेमि–देवलोएसु णं अज्जो! देवाणं जहण्णेणं दस बाससहस्साई ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया, तिसमयाहिया जाव दससमियाहिया, संखेज्जसमयाहिया, असंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य–'सच्चे णं एसमद्रु॥ तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं एयमटुं सोच्चा निसम्म समणं भगवं महावीरं वदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता जेणेव इसिभइपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता इसिभदृप्रत्तं समणोवासगं वदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एयमद्रं सम्म विणएणं भज्जो-भज्जो खामेंति । तए णं ते समणोवासया पसिणाई पुच्छंति, पुच्छित्ता अढाइं परियादियंति, परियादियित्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया ॥ भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वदित्ता नमंसित्ता एवं बयासी...-पभू णं भंते ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए देवाणुप्पियाण अंतियं मंडे भवित्ता अगाराग्यो अणगारियं पव्वइत्तए ? नो इण? सम8 गोयमा! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए वहूहिं सीलव्वय-गुण-वेरमणपच्चक्खाण-पोसहोववासेहि अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे वहई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणिहिति, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अत्ताणं झूसेहिति, भूसेत्ता सट्ठि भत्ताई अणसणाए छेदेहिति, छेदेत्ता पालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे १. भ० ११।१७६॥ २. पुण (अ, स)। ३. भ० ११४२१. ४. स० पा०--तं चेव जाव तेण । ५. सच्चमेसे अटे (क, ख, ता, व, म)। ६. नमसित्ता उट्ठाते उ?ति २ (ता)। ७. गुणव्वय (ख, ब, म)। Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कारसं सतं (वारसमो उद्देसो) विमाणे देवत्ताए उववजिहिति । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिअोवमाइं ठिती पण्णत्ता। तत्थ पण इसिभद्दपुत्तस्स वि देवस्स चत्तारि पलिअोवमाइं ठिती भविस्सति ।। १८३. से णं भंते ! इसिभद्दपुत्ते देवे तानो देवलोगानो नाउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएण' अणंतरं चयं च इत्ता कहि गच्छिहिति ? • कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति' 'बुझिहिति मुच्चिहिति परिणिब्वा हिति सव्वदुक्खाणं ° अंत काहिति ।। १८४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव' अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। १८५. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ पालभियानो नगरीयो संखवणाम्रो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहारं विहरइ ।। पोग्गल-परिव्वायग-पदं १८६. तेणं कालेणं तेणं समएणं पालभिया नाम नगरी होत्था-- वष्णो ' । तत्थ णं संखवणे नामं चेइए होत्था... वण्णो । तस्स ण संखवणस्स चेइयस्स अदूरसामंते पोग्गले नाम परिव्वायए-रिउन्नेद-जजुम्वेद जाव' बंभण्णएसु परिव्वायएसु य नएमु सुपरिनिटिए छटुंछद्रेणं अणिक्खित्तेणं तबोकम्मेणं उड्ढं वाहायो •पगिझिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे अायावणभूमीए° पायावेमाणे विहरइ ।। १८७. तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स छटुंछटेणं' अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए' पायावेमा. णस्स पगइभद्दयाए, "पगइउवसंतयाए पगइपयणुकोहमाणमायालोभाए मिउमदृवसंपन्नयाए अल्लीणयाए विणीययाए अण्णया कयाइ तयावरणिज्जाणं कम्माण खग्रोवसमेणं ईहापूह-मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स ° विभंगे नाम नाणे" सम्प्पन्ने । से णं तेणं विभंगेणं नाणेणं समुप्पन्नेणं बंभलोए कप्पे देवाणं ठिति जाणइ-पासइ ।। १८८. तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अयमेयारूवे अज्झथिए२ •चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था-अस्थि णं ममं अतिसेसे नाणदंसणे १. सं० पा०--ठिइक्खएणं जाव कहिं। २. सं० पा०—सिज्झिहिति जाव अंतं । ३. भ० ११५१॥ ४. ओ० सू० १। ५. ओ० स० २-१३ । ६. परिवायए परिवसति (अ, स)। ७. भ० २।२४। ८. सं० पा०- बाहाओ जाव आयावेमाणे । ६. सं० पा०.---छटुंछट्टेणं जाव आयावेमारणस्स १०. सं० पा०-जहा सिवस्स जाव विभंगे। ११. अण्णाणे (अ)। १२. सं० पा०--अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३४ भगवई समुप्पन्ने, देवलोएसु णं देवाणं जहण्णणं दस वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं दससागरोवमाइं ठिती पण्णता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य--एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता पायावणभूमीनो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता 'तिदंडं च कुडियं च' जाव धाउरत्तानो य गेहइ, गेण्हित्ता जेणेव पालभिया नगरो, जेणेव परिवायगावसहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भंडनिक्लेव करेइ, करेत्ता आलभियाए नगरीए सिंघाडग'-तिग-चउक्क-चच्चर-च उम्मुह-महापह-पहेसु अण्णमण्णस्स एवमाइवखइ जाव परूवेइ अस्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, देवलोएसु णं देवाण जहणणं दसवाससहस्साई "ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दूसमयाहिया, जाव असंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं दससागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तेण परं० वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ।। तए गं पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अंतियं यमर्स्ट सोच्चा निसम्म आलभियाए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसुबहुजणो अण्णमएणस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एवं खलू देवाणु प्पिया ! पोग्गले परिव्वायए एवमाइक्खइ जाव परूवेइ अत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिससे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु देवलोएसु ण देवाणं जहणेणं दसवाससहस्साई ठितो पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असंखेज्जसमयायिा, उक्कोसेणं दससागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिगणा देवा य देवलोगा य । से कहमेयं मन्ने एवं? १६०. सामी समोसढे', 'परिसा निग्गया। धम्मो कहियो, परिसा पडिगया। भगवं गोयमे तहेव भिक्खायरियाए तहेव बहुजणसई निसामेइ, निसामेत्ता तहेव सव्वं भाणियव्वं जाव' अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि, एवं भासामि जाव परूवेमि–देवलोएसु णं देवाणं जहणणं दस वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असंखेज्जस मया हिया, उक्कोसे तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ।। १९१. अत्थि णं भंते ! सोहम्मे कप्पे दव्वाइं-सवण्णाई पि अवण्णाई पि, “सगंधाई पि अगंधाइं पि, सरसाइं पि अरसाइं पि, सफासाइं पि अफासाई १. तिदंडकुंडियं (अ. क, ख, ता, ब, म, स)| २. भ० २।३१। ३. सं० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु । ४. सं० पा०–तहेव जाव वोच्छिण्णा ।। ५. सं० पा०—आलभियाए नगरीए एवं एएणं अभिलावेणं जहा सिवस्स तं चेव जाव से । ६. सं० पा०-समोसढे जाव परिसा । ७. भ० १११७५-७७ । ८. सं० पा०-तहेव जाव हंता । Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एक्कार सतं (बारसमो उद्देसो) पिष्णमण्णवद्वाई अण्णमण्णपुट्ठाई ग्रण्णमण्णबद्धपुट्ठाई अण्णमण्णवडत्ताए चिट्ठति ? ० हंत्ता प्रत्थि । एवं ईसाणे वि, एवं जाव' अच्चुए, एवं गेवेज्जविमाणेसु, ग्रणुत्तरविमाणेसु वि, ईसिप भारा वि जाव ? हंता प्रत्थि || १६२. तए णं सा महतिमहालिया परिसा जाव' जामेव दिसि पाउ भूया तामेव दिसं पडिगया || १९३. तए णं आलभियाए नगरीए सिघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर-चउम्मुह- महापहपहेसु बहुजणो प्रष्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ जण्णं देवाणुप्पिया ! पोगले परिव्वायए एवमाइक्खइ जाव परुवेइ – प्रत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं प्रतिसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु देवलोएसु णं देवाणं जहणेणं दस वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असंखेज्जस मयाहिया, उक्कोसेणं दससागरोवमाई ठिती पण्णत्ता तेण परं वोच्छिणा देवाय देवलोगा य । तं नो इणट्ठे समट्ठे । समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव' देवलोएसु गं देवाणं जहणेणं दस वाससहस्साइं ठितो पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असं वेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ॥ १६४. तए णं से पोग्गले परिव्वायए बहुजणस्स प्रतियं एयमट्ठे सोच्चा निसम्म सकिए कखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था । तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स संकियस्स कंखियस्स वितिगिच्छियस्स भेदसमावन्नस्स कलुससमावन्नस्स से विभंगे नाणे खिप्पामेव पडिवडिए || १९५. तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स प्रमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - एवं खलु समणे भगवं महावीरे श्रादिगरे तित्थगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी आगासगएणं चक्केणं जाव' संखवणे चेइए १. भ० ११।६४ | २. भ० ११ । २ । ३. सं० पा० अवसेसं जहा सिवस्स जाव सव्वदुक्खप्प होणे, नवरं - तिदंडकुडियं जाव घाउ रत्तवत्थपरिहिए परिवडियविभंगे आलभियं नगरं मज्यंमज्भेणं निग्गच्छइ जाव ५३५ उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अबक्कमइ २ तिदंडकुडियं च जहा खंदओ जाव पव्वइओ सेसं जहा सिवस्स जाव । ४. भ० ११८३, १६० / ५. भ० १७ । ६. ओ० सू० १६ Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३६ भगवई ग्रहापडिरूवं प्रोगहं प्रोगिहिता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं महप्फलं खलु तहारूवाणं अरहताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-बंदण-नमसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्स वि ग्रारियस धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अदुस्स गहणयाए ? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वदामि जाव' पज्जुवासामि, एयं णे इहभवे य परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्से यसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव परिब्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता परिवायगावसहं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता तिदंडं च कंडियं च जाव' धाउरत्तायो य गेण्हइ, गण्हित्ता परिव्वायगावसहायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पडिवडियविभंगे आलभियं तगरि मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव संखवणे चेडा, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासले नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएण पंजलिकडे पज्जुवासइ ।। १६६. तए णं समणे भगवं महावीरे पोग्गलस्स परिवायगरस तोसे य महतिमहा लियाए परिसाए धम्म परिकहेइ जाव' आणाए आराहए भवइ ।। १६७. तए णं से पोग्गले परिव्वायए समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म जहा खंदग्रो जाव उत्तरपुरत्थिमं दिसीभार्ग अवक्कमइ, अवक्कमित्ता तिदंडं च कुंडियं च जाव' धाउरत्तायो य एगते एडेइ, एडेत्ता सयमेव पंचमदियं लोयं करेइ, करेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं जहेव उस भदत्तो तहेव' पव्वइग्रो, तहेव' एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, तहेव सव्वं जाव' सव्व दुक्खप्पहीणे !! १६८. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–जीवा णं भंते ! सिज्झमाणस्स कयरम्मि संधयणे सिझंति ? गोयमा ! वइरोस भणारायसंघयणे सिझंति, एवं जहेव प्रोववाइए तहेव । १. भ०२।३०। २. भ०२।३१ । ३. ओ० सू०७१-७७ । ४. भ० २१५२। ५. भ० २।३१ । ६. भ. ६।१५०,१५१ । ७. भ० ६।१५१। ८. भ० ६।११। Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एककारसं सतं (बारसमो उद्देसो) संघयण संठाण, उच्चत्तं ग्राउयं च परिवसणा। एवं सिद्धिगंडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव' अव्वाबाहं सोक्खं, अणुभवंति सासयं सिद्धा ।। १६६. सेवं भो ! सेवं भंते ! त्ति' ।। १. प्रो० सू० १६५। २. भ० १०५१। Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं पढमो उद्देसो १. संख २. जयंति ३. पुढवि ४. पोग्गल ५. अइवाय ६. राहु ७. लोगे य । ८. नागे य १. देव १०. आया, वारसमसए दसुद्देसा ।।१।। संख-पोक्खली-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नामं नगरी होत्था–वण्णओ। कोदए चेइए - वण्णो' । तत्थ णं सावत्थीए नगरीए बहवे मुखप्पामोक्खा समणोवासया परिवसंति-अड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया, अभिगयजीवाज वा जाव' अहापरिन्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणा विहरति । तस्स णं संखस्स समणोवासगस्स उप्पला नाम भारिया होत्था -- सुकुमालपाणिपाया जाव सुरूवा, समणोबासिया अभिगयजीवाजीवा जाव अहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी विहरइ । तत्थ णं सावत्थीए नगरीए पोक्खली नाम समणोवासए परिवसइ-अड्ढे, अभिगयजीवाजीवे जाव अहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरई॥ २. तेणं कालेणं तेणं समएण सामी समोसढे । परिसा जाव पज्जुवासइ । तए णं ते समणोवासगा इमीसे कहाए लट्ठा समाणा जहा पालभियाए जाव' पज्जुवासंति । तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणं तीसे य महति महालियाए परिसाए 'धम्म परिकहेइ" जाव परिसा पडिगया ।। ३. तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतदा समणं भगवं महावीरं वदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता पसि १. ओ० सू० ११ २. प्रो० स०२-१३ ॥ ३. भ० २०६४ ४. भ० २१६४ । ५. ओ० सू० १५। ६. ओ० सू० ५२ 1 ७. भ० ११११७८ । ८. धम्मकहा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६. ओ० सू० ७१-७६ । ५३८ Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (पढमो उद्देमो) ५३६ णाई पुच्छंति, पुच्छित्ता अट्ठाइं परियादियंति', परियादियित्ता उढाए उटुंति, उद्वैत्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियाओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सावत्थी नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।। ४. तए णं से संखे समणोवासए ते समणोवासए एवं वयासी -- तुम्भे गं देवाणु प्पिया ! विपुलं 'असणं पाणं खाइमं साइम' उवक्खडावेह । तए णं अम्हे तं विपुल असणं पाणं खाइम साइमं अस्साएमाणा' विस्साएमाणा 'परिभाएमाणा परिभ जेमाणा" पक्खियं पोसह पडिजागरमाणा विहरिस्सामो॥ ५. तए णं ते समणोवासगा संखस्स समणोवासगस्स एयमट्ट विणएण पडिसुणति ।। ६. तए णं तस्स संखस्स समणोवासगस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-नो खलु मे सेयं तं विपुलं असणं पाणं खाइम' साइमं अस्साएमाणस्स विस्साएमाणस्स परिभाएमाणस्स परिभुजेमाणस्स पक्खियं पोसह पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, सेयं खलु मे पोसहसालाए पोसहियस्स बंभचारिस्स प्रोमुक्कमणि-सुवण्णस्स ववगयमाला -वण्णग-विलेवणस्स निक्खित्तसत्थ-मुसलस्स एगस्स अविइयस्स दम्भसंथारोवगयस्स पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, सपेहेत्ता जेणेव सावत्थी नगरी, जेणेव सए गिहे, जेणेव उप्पला समणोवासिया, तेणेव उवागच्छइ, 'उवागच्छित्ता उप्पलं समणोवासिय प्रापच्छइ, ग्रापच्छित्ता जेणव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसाल अणुपविस्सइ, अणुपविस्सित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दम्भसथारगं संथरइ, संथरित्ता दव्भसंथारगं दुल्हइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभचारी 'प्रोमुक्कमणि-सुवणे ववगयमाला-वष्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थ-मुसले एगे अविइए दब्भसथारोवगए ° पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे विहरइ ।। ७. तए णं ते समणोवासगा जेणेव सावत्थी नगरी जेणेव साइं-साइं गिहाई. तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडावेत्ता अण्णमण्णं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणु १. पडियाइयंति (ता)। ५. पोसहियं (तं) (ख, ता, म)। २. प्रसरणपाणखाइमसाइमं (क, ख, ता, ब, ६. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। ७. जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ३. आसाएमारणा (स)। ८. पोसहियं (ख, ता, म.)। ४. परिभुजेमाणा परिभाएमाणा (अ, क, ख, ६. उम्मुक्क ° (ब, म)। स); परिभुजमारणा परियाभाएमारणा १०. ° मल्लग (ता) । (ता)। ११. सं० पा०-बंभचारी जाव पक्खियं । Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई पिया ! अम्हेहिं से विउले असण- पाणखाइम साइमे उवक्खडाविए, संखे य णं समणोवास नो हव्वमागच्छइ, तं सेयं खलु देवाणुपिया ! अम्हं संखं समणोवासगं सद्दावेत्तए || तए णं से पोक्खली समणोवासए 'ते समणोवासए" एवं वयासी - प्रच्छहणं तुभे देवाणुप्पिया ! सुनिव्वुय े - वीसत्था, ग्रहणं संखं समणोवासगं सद्दावेमि त्ति कट्टु तेसि समणोवासगाणं अंतियाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सावत्थीए नगरीए मज्झमज्भेणं जेणेव संखस्स समणोवासगस्स गिहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता संखस्स समणोवासगस्स सिंहं श्रणुपविट्ठे | ६. तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलि समणोवासयं एज्जमाणं पासित्ता हट्टतुट्ठा असणाओ अब्भुट्ठेइ प्रभुत्ता सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छइ, गच्छत्ता पोक्खलि समणोवासगं वंदति नम॑सति, वंदित्ता नमसित्ता ग्रासणेण उवनिमंतेइ', उवनिमंतेत्ता एवं वयासी - संदिसतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणप्पयोयणं ? पासइ. ५४० ८. १०. तए णं से पोक्खली समणोवासए उप्पलं समणोवासियं एवं वयासी -- कहिष्ण देवाप्पिया ! संखे समणोवासए ? ११. तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्र्खाल समणोवासयं एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए बंभचारी" ● प्रमुक्कमणि-सुवणे ववगयमाला वण्णग - विलेवणे निक्खत्तसत्य-मुसले एगे विइए दब्भसंथा रोवगए पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे विहरइ || १२. तए गं से पोक्खली समणोवासए जेणेव पोसहसाला, जेणेव संखे समणोवासए, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता संखं समणोवासगं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी -- एवं खलु देवाप्पिया ! अम्हेहि से विउले असण-पाण -खाइम साइमे उवक्खडाविए, तं गच्छामी देवाणुपिया ! तं विउलं असणं' पाणं खाइमं साइमं अस्साए - माणा' •विस्सा माणा परिभाएमाणा परिभुजे माणा पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा विहराभो || १३. तए णं से संखे समणोवासए पोक्खलि समणोवासगं एवं व्यासी- नो खलु १. x (ख, ता, ब, म) २. सुनिव्वया ( अ, स ) | ३. निमंतेइ (ता) | ४. कहि गं ( अ, क, ख, ता, ब, म) । ५. सं० पा० - बंभवारी जाव विहरइ | ० 0 o ६. x ( क, ख, ता, ब, म) 1 ७. सं० पा० असणं जाव साइमं । ८. सं० पा० - अस्साएमारणा जाव पडिजागरमाणा । Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसम सतं (पढमो उद्देसो) ५४१ कप्पइ देवाणुप्पिया! तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं अस्साएमाणस्स' 'विस्साएमाणस्स परिभाएमाणस्स परि जेमाणस्स पविखयं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, कप्पइ मे पोसहसालाए पोसहियस्स 'बंभचारिस्स ओमुक्कमणि-सुवण्णस्स ववगयमाला-वण्णग-विलेवणम्स निक्खत्तसत्थ-मुसलस्स एगस्स अविइयस्स दब्भसंथारोवगयस्स पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स' विहरित्तए, 'तं छंदेणं देवाणु प्पिया! तुब्भे तं विउलं असणं पाणं खाइम साइमं अस्साएमाणा' 'विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा' विहरह ।। १४. तए णं से पोक्खली समणोवासए संखस्स समणोवासगस्स अंतियानो पोसहसा लामो पडिनिवखमइ, पडिनिक्खमित्ता सावत्थि नगरि मज्झमझेणं जेणेव ते समणोवासगा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ते समणोवासए एवं वयासीएवं खलू देवाणप्पिया ! संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए जाव' विहरइ, तं छदेणं देवाणुप्पिया ! तुब्भे विउलं असणं' पाणं खाइमं साइमं अस्साएमाणा विस्साएमाणा परिभाएमाणा परि जेमाणा पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा' विहरह, संखे णं समणोवासए नो हव्वमागच्छइ । तए णं ते समणोवासगा तं विउलं असणं पाणं खाइम साइमं अस्साएमाणा जाव विहरंति ।। ताणं तस्स संखस्स समणोवासगस्स पूवरत्तावरत्तकालसमयंसिधम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे' 'प्रज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियम्मि सुरे सहस्स रस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता जाव पज्जुवासित्ता तओ पडिनियत्तस्स पक्खियं पोसहं पारित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणोए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते पोसहसालानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिए सानो गिहारो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं सावत्थि नर्गार मझमझेणं' 'निग्गच्छइ, १. सं० पा०-अस्साएमागस्स जाव पडिजा- ७. सं० पा०-अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । गरमाणस्स। ८. भ० २०६६ ॥ २. सं० पा०-पोसहियस्स जाव विहरित्तए। ६. भ० २१३१ । ३. तत्थ णं (अ); तं णं छंदेणं (ख) १०. x (ब)। ४. सं० पा०-अस्साएमापा जाव विहरह। ११. सं० पाo-मज्झमझेरणं जाव पज्जवासति ५. भ० १२१६ । अभिगमो नत्थि । ६. सं० पा०-असणं ४ जाव विहरह। Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४२ भगवई निग्गच्छिता जेणेव कोटुए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासति ।। १६. तए णं ते समणोवासगा कल्लं पाउपभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्मिम्मि दिणयरे तेयसा जलते पहाया कयवलिकम्मा जाव' अप्पमहरघाभरणालंकियसरीरा सएहि-सएहिं गिहेहितो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता एगयो मेलायति', मेलायित्ता 'पायविहारचारेणं सावत्याए नगरोए मज्झमझेणं निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्ठा चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं जाव' तिविहाए पज्जु वासणाए° पज्जुवासंति ॥ १७. तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणं तीसे य महतिमहालियाए परिसाए 'धम्म परिकहेइ जाव आणाए आराहए भवइ ।। १८. तए पं ते समणोवासगा समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हटतुट्टा उढाए उट्ठति, उर्दुत्ता समणं भगवं महावीरं वदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव संखे समणोवासए, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता संखं समणोवासयं एवं वयासो-तुम णं देवाणुप्पिया! हिज्जो अम्हे अप्पणा चेव एवं वयासी- तुम्हे णं देवाणुप्पिया! विउलं असणं' पाणं खाइमं साइम उवक्खडावेह । तए णं अम्हे तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं अस्साएमाणा विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा विहरिस्सामो । तए गं तुमं पोसहसालाए पोसहिए बंभचारी प्रोमुक्कमणिसुवण्णे ववगयमाला-वण्णग-बिलेवणे निक्खत्तसत्थ-मुसले एगे अविका दम्भसंथारोवगए पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे ° विहरिए, तं सुठ्ठ णं तुम देवाण प्पिया! अम्हे हीलसि" ।।। १९. अज्जोति ! समण भगवं महावारे ते समणोवासए एवं वयासी- मा णं अज्जो ! तुभे संखं समणोवासगं हीलह निंदह खिसह गरहह अवमण्णह। संखे णं समणोवासए पियधम्मे चेव, दढधम्मे चेव, सुदक्खु जागरियं जागरिए । १. भ० २.६६ । ६. धम्मक हा (अ, क, ख, ता, ब, ग, स)। २. भ. २०६७ ७. ओ० सू० ७१-७७ ।। ३. मिलायति (अ, ख, ब, स)। ८. सं० पा०-असणं जान विहरिस्सामो। ४. सं० पा०--सेसं जहा पढमं जाव पज्जुवा- ६. सं० पा०-पोसहसालाए जाव विहरिए। संति । १०. हीलेसि (अ, स)। ५. भ०२।१७। Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (पढमो उद्देसो) २०. भंतेति ! भगवं गोय मे समगं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-कतिविहाणं भंते ! जागरिया पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तं जहा–बुद्धजागरिया, अबुद्ध जागरिया, सुदक्खु जागरिया ।। २१. के केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तं जहा-बुद्धजा गरिया, प्रबुद्धजागरिया, सुदवखु जागरिया ? गोयमा ! जे इमे अरहंता भगवतो उप्पण्णनाणदंसणधरा "अरहा जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागवियाणए ° सव्वष्णू सव्वदरिसी एए णं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंति जे इमे अणगारा भगवंतो रियासमिया' भासासमिया' •एसणासमिया आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिया उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-जल्ल-परिद्वावणियासमिया मणसमिया बइसमिया कायसमिया मणगुत्ता वइगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिदिया ° गुत्तबंभचारों ---एए णं अबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति । जे इमे समणोवासगा अभिगयजीवाजीवा जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावमाणा विहरंति --एए णं सुदक्खुजागरियं जागरंति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं बच्चइ.--तिविहा जागरिया "पण्णत्ता, तं जहा बुद्धजागरिया, प्रबुद्धजागरिया , सुदक्खुजागरिया ।। २२. तए णं से संखे समणोवासए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी--कोहवसट्टे पं भंते ! जीवे कि बंधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? संखा ! कोहबसट्टे णं जीवे पाउयवज्जायो सत्त कम्मपगडीओ सिढिलबंधणबद्धानो धणियबंधणबद्धानो पकरेइ, हस्सकालठिइयायो दीहकालठिइयानो पकरेइ, मंदाणुभावायो तिव्वाणुभावाप्रो पकरेइ, अप्पपएसग्गाो बहुप्पएसग्गाग्रो पकरेइ, अाउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, अस्सायावेयणिज्ज च णं कम्मं भुज्जो-भुज्जो उचिणाइ, अणाइयं च णं अणव दगा दोहमद्ध चाउरत ससारकतार° अणपारयदइ ।। २३. माणवसट्टे ण भंते ! जोवे कि बंधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि १. सं० पा०-जहा खंदए जाव सवण्णू।। ७. सं० पा०-जागरिया जाव सुदक्खु । २. X (अ)। ८. सं० पा०–एवं जहा पढमसए असंवुडस्स ३. इरिया ° (ब म)। अणगारस्म जाव अरणपरियट्टइ ।। ४. सं० पा०—भासासमिया जाव गुत्तबंभचारी। १. सं० पा०-एवं चेव, एवं मायवसट्ट ५. चारिणो (अ)। वि एवं लोभक्सट्टे वि जाव अणुपरियट्टइ। ६. भ. २०१४। Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई उचिणाइ ? एवं चेव जाव' अण्परियट्टइ ।। २४. मायवसट्टे णं भंते ! जोवे कि बंधइ ? कि पकरेइ ? किं चिणाइ ? कि उवचि णाइ? एवं चेव जाव' अणुपरियट्टइ। २५. लोभवसट्टे णं भंते ! जीवे कि वंधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ? कि उचि णाइ ? एवं चेव जाव' अणुपरियट्टइ ।। २६. तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवो महावी रस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म भीया तत्था तसिया संसारभउब्विग्गा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसंइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव संखे समणोवासए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता संखं समणोवासगं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एयमटुं सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेति । तए णं ते समणोवासगा " पसिणाई पुच्छंति, पुच्छित्ता अढाइं परियादियति, परियादियित्ता समणं भगवं महावीरं वदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया ।। २७. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगव महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी--पभू णं भंते ! संखे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं मंडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारियं पव्वइत्तए ? नो इण? सम?। गोयमा ! संखे समणोवासए बहूहिं सीलव्वय-गुण-वेरमणपच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणिहिति, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अत्ताणं झूसेहिति, झूसेत्ता सट्ठि भत्ताइ अणसणाए छेदेहिति, छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिग्रोवमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं संखस्स वि देवस्स चत्तारि पलिग्रोवमाई ठिती भविस्सति ॥ २८. से णं भंते ! संखे देवे तानो देवलोगायो ग्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुझिहिति मुच्चि हिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणं• अंत काहिति !! २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। १. भ० १२।२२। २. मायावय? (व, म). ३. भ० १२।२२। ४. भ० १२१२२ । ५. सं० पा.-सेसं जहा आलभियाए जाव पडिगया। ६. सं०पा०-सेसं जहा इसिमपुत्तस्स जाव अंत। ७. भ० ११५१। Page #606 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (बीओ उद्देसो) ५४५ बीओ उद्देसो उदयरगादीणं धम्मसवरण-पदं ३०. तेणं कालेणं तेणं समाएणं कोसंबी नाम नगरी होत्था --वण्णयो। चंदोतरणे' चेइए--वण्णग्रो' । तत्थ णं कोसंबीए नगरीए सहस्साणीयस्स रण्णो पोते, सयाणीयस्स रण्णो पुत्ते, चेडगस्स रण्णो नत्तुए, मिगावतीए देवीए अत्तए, जयंतीए समणोबासियाए भत्तिज्जए उदयणे नामं राया होत्था ---वण्णप्रो। तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रणो सुण्हा, सयाणोयस्स रण्णो भज्जा, चेडगस्स रण्णो धूया, उदयणस्स रण्णो माया, जयंतीए समणोवासियाए भाउज्जा मिगावती नामं देवो होत्था-सुकुमालपाणिपाया जाव' सुरूवा समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा जाव प्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावमाणो विहरइ । तत्थ णं कोसंबीए नगरोए सहस्साणोयस्स रगणो धूया, सयाणीयस्स रण्णो भगिणी, उदयणस्स रपणो पिउच्छा, मिगावतीए देवीए नणंदा, वेसालियसावयाणं अरहंताणं पुव्वसेज्जातरी जयंती नाम समणोवासिया होत्था -सुकुमालपाणिपाया जाव सुरूवा अभिगयजीवाजीवा जाव अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणी विहरइ॥ ३१. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव" परिसा पज्जुवास ॥ ३२. तए णं से उदयणे राया इमोसे कहाए लढे समाणे हट्ठतुट्टे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कोसंबि नगरि सभिंतर-बाहिरियं आसित्त-सम्मज्जियोवलितं करेत्ता य कारवेत्ता य एयमा त्तियं पच्चप्पिणह । एवं जहा कणिो तहेव सव्वं जाव" पज्जुवासइ ।। ३३. तए णं सा जयंती समणोवासिया इमीसे कहाए लठ्ठा समाणो हट्ठतुट्ठा जेणेव मिगावती देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मिगावति देवि एवं वयासी-५ १. प्रो० सू० १ ! ९. वेसालीसावयाणं (अ, क, ख, ब, म, स)। २. चंदोत्तराए (अ); चंदोवरणे (ख); चंदो- १०. ० सिज्जायरी (अस)। वतरणे (स)। ११. ओ० सू० २२-५२ । ३. ओ० सू० २-१३ । १२. हट्टतुट्ठ (ता)। ४. उदायणे (अ); उद्दायणे (स)। १३. पू०-ओ० सू० ५५ । ५. ओ० स० १४ । १४. ओ० सू० ५६-६६। ६. होत्था वण्णओ (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १५. सं० पा०-एवं जहा नवमसए उसमदत्तो ७. प्रो० सू० १५ । जाव भविस्सइ। ८. भ. २०६४ Page #607 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४६ भगवई •एवं खलु देवाणुप्पिए ! समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव' सव्वष्णू सव्वदरिसी पागासगएणं चक्केणं जाव' सुहंसुहेणं विहरमाणे चंदोतरणे चेइए अहापडिरूवं प्रोग्गहं ओगिणिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं महप्फलं खलु देवाणु प्पिए ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए जाव' एयं णे इहभवे य, परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्से साए आणुगामियत्ताए ° भविस्सइ ।। ३४. तए णं सा मिगावती देवी जयंतीए समणोवासियाए एवं वुत्ता समाणी हतुटुचित्तमाणंदिया णंदिया पोइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया करयलपरिम्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जयंतीए समणोवासियाए एयमढे विणएणं° पडिसुणेइ ॥ ३५. तए णं सा भिगावती देवी कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्त-जोइय जाव' धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह' उवट्ठवेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ॥ ३६. तए णं ते कोडुबियपुरिसा मिगावतीए देवीए एवं वुत्ता समाणा धम्मियं जाण प्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेंति, उवट्ठवेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ॥ ३७. तए णं सा मिगावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि बहाया कयबलिकम्मा जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा बहूहिं खुज्जाहिं जाव चेडियाचक्कवालवरिसधर-थेरकंचुइज्ज-महत्तरगवंदपरिक्खित्ता अंतेउरानो निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मिए जाणप्पवरं ° दुरूढा" ॥ ३८. तए णं सा मिगावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा" समाणी नियगपरियालसंपरिखुडा जहा उसभदत्तो जाव" धम्मियानो जाणप्पवरायो पच्चोरुहइ ।। ३९. तए णं सा मिगावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि बहूहिं जहा देवाणंदा १. भ० ११७! ७. भ० २।९७ २. ओ० सू० १६ । ८. भ० ६।१४४ । ३. भ० ६.१३६। है. सं० पा०—उवागच्छित्ता जाव दुरूढा । ४. सं० पा० --जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेइ । १०. बूढा (अ, क, ख, ता, ब, म) । ५. भ० ६।१४१। ११. द्रूढा (अ, क, ख, ता, ब, म)। ६. सं० पा०-उवट्टवेह जाव उवट्ठवेति जाव १२. भ० ६।१४५ । पच्चप्पिणंति । Page #608 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (बीओ उद्देसो) ५४७ जाव' वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता उदयणं रायं पुरनो कटु ठिया चेव' 'सपरिवारा सुस्सूसमाणी नमसमाणी अभिमुहा विणएणं पंजलिकडा पज्जुवासइ ॥ ४०. तए णं समणे भगवं महावीरे उदयणस्स रण्णो मिगावतीए देवीए जयंतीए समणोवासियाए तीसे य महतिमहलियाए परिसाए जाव धम्म परिकहेइ जाव परिसा पडिगया, उदयणे पडिगए, भिगावती वि पडिगया ॥ जयंती-पक्षिण-पदं ४१. तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी–कहण्णं भंते ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति ? जयंती ! पाणाइवाएणं' 'मुसावाएणं अदिण्णादाणेणं मेहणेणं परिग्गहेणं कोहमाण-माया-लोभ-पेज्ज-दोस-कलह-अब्भक्खाण-पेसुन्न-परपरिवाय-अरतिरतिमायामोस-मिच्छादसणसल्लेणं--एवं खलु जयंती ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति ।। कहण्णं भंते ! जोवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति ? जयंती ! पाणाई यवेरमणेणं अदिण्णादाणवेरमणेणं मेहुणवेरमणेणं परिग्गहवेरमणेणं कोह-माण-माया-लोभ-पेज्ज-दोस-कलहअब्भक्खाण-पेसुन्न-परपरिवाय-अरतिरति-मायामोस-मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं --- एवं खलु जयंती ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छति ।। ४३. कहाण्णं भंते ! जीवा संसारं पाउलीकाति? जयंती! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं --एवं खलु जयंती ! जीवा संसारं पाउलीकरेंति !! कहण्णं भंते ! जीवा संसारं परित्तीकति ? जयंती! पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं-एवं खलु जयंती ! जीवा संसारं परित्तीकरेंति ॥ ४५. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं दीही करेंति ? १. भ० ६।१४६ । २. ठितिया (अ, क, ख, स)। ३. सं० पा०-चेव जाव पज्जुवासइ । ४. भ. ११४६। ५. ओ० सू० ७१-७६ ६. कह णं (क, ता, ब); कहं गं (ख, म); कहिण्णं (स)। ७. सं० पा०—पाणातिवाएणं जाव मिच्छादं सणसल्लेणं एवं खलु जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति एवं जहा पढमसए जाव वीतिवयंति । Page #609 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४८ भगवई जयंती ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं--एवं खलु जयंती ! जीवा संसारं दीहीकरेंति ।। ४६. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं ह्रस्सीकरेंति ? जयंतो पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं एवं खलु जयंती! जीवा संसारं ह्रस्सीकरति ।। ४७. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं अणुपरियट्टंति ? जयंती ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसलेणं-एवं खलु जयंती ! जीवा संसारं अणुपरियट्ठति ॥ ४८. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं वीतिवयंति ? जयती! पाणाइवायवे रमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं-एवं खलु जयंती ! जीवा संसारं वीतिवयंति ॥ ४६. भवसिद्धियत्तणं भंते ! जीवाणं कि सभावो? परिणामो? जयंती ! सभावओ, नो परिणामयो ।। ५०. सव्वेवि णं भंते ! भवसिद्धिया जीवा सिज्झिरसंति ? हंता जयंती ! सब्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति ।। ५१. जइ णं भंते ! सव्वे भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति, तम्हा णं भवसिद्धियविर हिए लोए भविस्सइ? नो इणटे समतु।। से केणं खाइणं' अद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ -सव्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति, नो चेव णं भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ? जयंति ! से जहानामए सव्वागाससेढी सिया-अणादीया अणवदग्गा परित्ता परिवडा, सा णं परमाणपोग्गल मेत्तेहिं खंडेहि समए-समए अवहीरमाणीअवहीरमाणी अणंताहि अोसप्पिणी-उस्स प्पिणीहिं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया । से तेणद्वेणं जयंती! एवं बुच्चइ-सव्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति, नो चेव णं भवसिद्धिविरहिए लोए भविस्सइ ।। ५३. सुत्तत्तं भंते ! साहू ? जागरियत्तं साहू ? जयंती ! अत्थेगतियाणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं जागरियत्तं साहू।। ५४. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगतियाणं' जीवाणं सुत्तत्तं साहू, अत्थेगति याणं जीवाणं जागरियत्तं० साहू ? जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया अम्माणुया अहम्मिट्ठा अहम्मक्खाई अहम्म पलोई अहम्मपलज्जणा ग्रहम्मसमुदायारा अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विह१. खाइएणं (ता); खातेणं (स) । २. सं० पा० -अत्थेगतियाणं जाव साह । Page #610 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (बीओ उद्देसो) ૪૨ रंति, एएसि णं जीवाणं सुत्तत्तं साहू । एए णं जीवा सुत्ता समाणा नो बहूणं पाणा भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुःखणयाए सोयणयाए' 'जूरणयाए तिप्पणयाए पिट्टणयाए • परियावणयाए वट्टेति । एए णं जीवा सुत्ता समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो वहूहिं श्रहम्मियाहि संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति एएसि णं जीवाणं सुत्ततं साहू | ० जयंती ! जे इमे जीवा धम्मिया धम्माणुया 'धम्मिट्ठा धम्मक्खाई धम्मपलोई धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसि णं जीवाणं जागरियतं साहू । एए णं जीवा 'जागरा समाणा" बहूणं पाणाणं' भूयाणं जीवाणं सत्ताणं प्रदुक्खणयाए' असोयणयाए ऋजूरणयाए प्रतिपणा पिट्टणयाए अपरियावणयाए वट्टति । एए' णं जीवा जागरा समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बहूहिं धम्मियाहिं संजोयणाहि संजोए - तारो भवति । एए णं जीवा जागरा समाणा धम्मजागरियाए अप्पाणं जागरइत्ता भवति । एएसि णं जीवाणं जागरियत्तं साहू । से तेणट्टेणं जयंती ! एवं बुच्चइ-प्रत्थेगतियाणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू, प्रत्येगतियाणं जीवाणं जागरियत्तं साहू ॥ ५५. बलियत्तं भंते ! साहू ? दुब्बलियत्तं साहू ? जयंती ! प्रत्थेगतियाणं जीवाणं बलियत्तं साहू, प्रत्येगतियाणं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू | ५६. से केणट्टेण भंते ! एवं वुच्चइ – प्रत्थेगतियाणं जीवाणं वलियत्तं साहू, प्रत्येगतियाणं जीवाणं दुब्बलियत्तं " साहू ? o जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव' अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसि णं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू । एए णं जीवा दुब्बलिया समाणा नो बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए जाव परियावणयाए वट्टेति । एए णं जीवा दुब्बलिया समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो बहूहिं अहम्मियाहि संजोयणाहि संजोएत्तारो भवंति । एएसि णं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू ! १. सं०पा० - सोयरण्याए जाव परियावणयाए । २. सं० पा० - धम्मारया जाव धम्मेणं । ३. जागरमाला ( अ, क, ख ) 1 ४. सं० पा० - पारगाणं जाव सत्ताणं । ५. सं० पा० - अदुक्खणयाए जाव अपरियावण याए । ६. ते (अ) । ७. सं० पा० - वुच्चइ जाव साहू | ८. भ० १२/५४ । ६. सं० पा० - एवं जहा सुत्तस्स तहा दुब्बलियवत्तव्त्रया भारिणयव्वा, बलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियव्वं जाव संजोएत्तारो । Page #611 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जयंती ! जे इमे जीवा धम्भिया जाव धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसि णं जीवाणं बलियत्तं साहू । एए णं जीवा बलिया समाणा बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए वटुंति। एए णं जीवा वलिया समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बहूहि धम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवति । एएसि गं जीवाणं बलियत्त साह । से तेणट्रेणं जयंती ! एवं वुच्चइ- 'अत्थेगतियाणं जीवाणं बलियत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं दुब्बलियत्तं ° साहू ॥ ५७. दक्खत्तं भंते ! साहू ? आलसियत्तं साहू ? जयंती ! अत्थेगतियाणं जीवाणं दक्खत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं पाल सियत्तं साहू ५८. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ- अत्थेगतियाणं जीवाणं दक्खत्तं साहू, अत्थे गतियाणं जीवाणं यालसियत्तं साहू ? जयंती! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसि णं जीवाणं पालसियत्तं साहू । एए णं जीवा आलसा' समाणा नो वहूणं "पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए जाव परियावणयाए वट्टति । एए णं जीवा मालसा समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो बहूर्हि अहम्मियाहि संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवति । एएसि णं जीवाणं आलसियत्तं साह। जयंति ! जे इमे जीवा धम्मिया जाव धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसिणं जीवाणं दक्खत्तं साहू। एए णं जीवा दक्खा समाणा बहणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए वटुंति । एए णं जीवा दक्खा समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बहहिं धम्मियाहि संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति । एए णं जीवा दक्खा समाणा बहू हिं पायरियवेयावच्चेहि उवज्झायवेयावच्चेहि थेरवेयावच्चेहिं तवस्सिवेयावच्चेहि गिलाणवेयावच्चेहिं सेहवेयावच्चेहिं कुलवेयावच्चेहिं गणवेयावच्चेहि संघवेयावच्चेहि साहम्मियवेयावच्चेहिं अत्ताणं संजोएत्तारो भवंति, एएसि णं जीवाणं दक्खत्तं साहू । से ते पट्टेणं "जयंती ! एवं वुच्चइ-प्रत्थेगतियाणं जीवाणं दक्खत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं पालसियत्तं साहू ॥ १. सं० पा०-तं चेव जाव साहू। भारिणयव्वा, जहा जागरा तहा दक्खा २. सं. पा.-तं चेव जान साह । भाणियन्वा जाव संजोएतारो। ३. अलसा (अ, ब)। ५. ° वेदावच्चेहिं (अ, ब)। ४. सं. पा.--जहा सुत्ता तहा आलसा ६. सं० पा०-तं चेव जाव साहू । Page #612 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (तइओ उद्देसो) ५६. सोइंदियवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधइ ? कि पकरेइ ? किं चिणाइ ? कि उवचिणाइ? जयंती ! सोइंदियवसट्टे णं जीवे आउयवज्जानो सत्त कम्मपगडीओ सिढिलबंधणवद्धानो धणियबंधणबद्धाो पकरेइ, हस्सकालठिइयानो दोहकालठिइयानो पकरेइ, मंदाणुभावानो तिव्वाणुभावाओ पकरेइ, अप्पपएसम्गाप्रो बहुप्पएसम्गायो पकरेइ. ग्राउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ. अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं भज्जो-भज्जो उवचिणाइ, अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरतं संसारकतारं अणुपरियट्टइ।। ६०. "चक्खिदियवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? एवं चेव जाव अणुपरियट्टइ ।। ६१. धाणिदियवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? एवं चेव जाव अणुपरियट्टइ ॥ रसिदियवसट्टे ण भंते ! जीवे कि बंधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? एवं चेव जाव अणुपरियट्टइ ।। फासिदियवसट्टे णं भंते ! जीवे कि बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? एवं चेव जाव' अणुपरियट्टइ।। तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं एयमटुं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा सेसं जहा देवाणंदा तहेव पव्वइया जाव' सव्वदुक्ख प्पहीणा। ६५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ तइमो उद्देसो पुढवी-पदं ६६. रायगिहे जाव' एवं वयासी-कति णं भंते ! पुढवीओ पण्णत्तायो? गोयमा ! सत्त पुढवीओ पण्णत्तानो, तं जहा-पढमा, दोच्चा जाब सत्तमा । १. सं० पा०–एवं जहा कोहवसट्टे तहेव जाव ट्टइ। ___अणुपरियट्टइ। ३. भ. ६।१५२-१५५ । २. सं० पा०—एवं चक्खिदियवसटे वि एवं ४. भ० १५१ जाव फासिदियवसट्टे वि जाव अणपरिय- ५. भ० १२४-१०। Page #613 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५२ भगवई ६७. पढमा णं भंते ! पुढवी किंगोता पण्णत्ता ? गोयमा ! घम्मा नामेणं, रयणप्पभा गोत्तेणं, एवं जहा जीवाभिगमे पढमो नेर इय उद्देसनो सो चेव निरवसे सो भाणियव्वो जाव' अप्पाबहुगं ति ।। ६८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। चउत्थो उद्देसो परमाणुपोग्गलाणं संघात-भेद-पदं ६६. रायगिहे जाब एवं वयासी दो भंते ! परमाणुपोग्गाला एगयनो साहण्णति, साहण्णित्ता किं भवइ ? गोयमा ! दुप्पएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा कज्जइ-एगयो परमाणुपोग्गले, ए गयनो परमाणुपोमगले भवइ ॥ तिष्णि भते ! परमाणु पोगला एग यो साहाणति, साहणित्ता कि भवइ ? गोयमा ! तिपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि कज्जइ-. दुहा कज्जमाणे एगयनो परमाणु पोग्गले, एगयनो दुपएसिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे तिष्णि परमाणुपोग्गला भवंति ।। ७१. चत्तारि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयनो साहण्णंति,' 'साहणित्ता कि भवई ? ० गोयमा ! चउपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि कज्जइ- दुहा कज्जमाणे एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयनो तिपएसिए खंधे भवद; अहवा दो दुपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपए सिए खंधे भवइ। चउहा कज्जमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति ॥ ७२. पंच भंते ! परमाणुपोग्गला 'एगयो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ?. गोयमा ! पंचपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि पंचहा वि कज्जइ- दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयनो चउपए १. जी०३। २. भ० १३५१। ३. भ० ११४-१०। ४. सं० पा०—साहण्णंति जाव पुच्छा। ५. सं० पा०-पुच्छा। Page #614 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ५५३ सिए बंधे भवइ ग्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयश्रो दो दुपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो दुपएसिए खंधे भवइ | पंचहा कज्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति ॥ ७३. छब्भंते ! परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहरणंति, साहणित्ता किं भवइ ? ० गोयमा छप्पएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव छब्बिहा विकज्जइ -- दुहा कज्जमाणे एगयश्री परमाणुपोग्गले, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगो चउपएसिए खंधे भवइ; हवा दो तिपएसिया खंधा भवंति ! तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगो चउपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयत्रो परमाणुपोगले, great दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा तिणि दुपसिया खंधा भवति । चउहा कज्जमाणे एगयत्रो तिणि परमाणुपोग्गला, एगो पिएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया संधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयत्रो चत्तारि परमाणुपोग्ला, एग दुपए सिए खंधे भवइ । छहा कज्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति || ७४. सत्त भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोमा ! सत्तपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव सत्तहा वि कज्जइ- दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ; श्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एग तिपएसिए खंधे, एगयश्रो चउपए सिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एग दो परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयत्रो दुपएसिए खंधे, एगयो चउपए सिए खंधे भवइ ; १. सं० पा० - पुच्छा । हवा एगो परमाणुपोग्गले, एगयग्रो दो तिपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगो दो दुपएसिया खंधा, एगयत्रो तिपएसिए खंधे भवइ । चउहा कज्जमाणे एगयो तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगो दो परमाणुपोग्गला, एगयत्रो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो परमाणुपोगले, एगयो तिष्णि दुपएसिया खंधा भवति । पंचहा कज्जमाणे एगयत्रो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए संधे भवइ; हवा एगयो तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयश्रो दो दुपए २. सं० पा०—पुच्छा । ० Page #615 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५४ भगवई ७५. सिया खंधा भवंति। छहा कज्जमाणे एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयनो दूपएसिए खंधे भवई। सत्तहा कज्जमाणे सत्त परमाणपोग्गला भवंति ।। अटू भंते ! परमाणुपोग्गला 'एगयनो साहण्णंति, साहणिता कि भवइ ? ' गोयमा ! अट्ठपएसिए खधे भवइ । • से भिज्जमाणे दुहा वि जाव अट्ठहा वि कज्जइ° दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो दुपए सिए खंधे, एगयनो छप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा दो चउप्पएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला भवंति, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुप्पएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयनो चउप्पएसिए खधे भवइ ; अहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयनो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो दोण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो दुपएसिया खंधा, ए गयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो चउप्पए सिए खंधे भवई; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । छहा कज्जमाणे एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयग्नो दुपएसिए खंधे भवइ । अट्टहा कज्जमाणे अट्ठ परमाणुपोग्गला भवति । नव भंते ! परमाणुपोग्गला "एगयो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? ० गोयमा ! 'नवपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाब नवहा वि कज्जइ ..- दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयनो अट्ठपएसिए खंधे १. सं० पा०-पुच्छा। २. सं० पा०-भवइ जाव दुहा । ३. सं० पा०-~-पुच्छा। ४. सं. पा.--गोयमा जाव नवहा । ५. नवविहा (ता, स)। Page #616 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५५ बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) भवइ; प्रहवा एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो तिपएसिए खंधे, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ ; ° अहवा एगयनो चउप्पएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए' खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गने, एगयग्रो दुपएसिए खंधे, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयग्रो पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयनो दो च उप्पएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयनो दपएसिए खंधे, एगयनो तिपएसिए खंधे. एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा तिणि तिपएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो छप्पएसिए खंधे भवाइ'; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ ; अह्वा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो तिण्णि दुप्पएसिया खंधा, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ । पंचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो चत्तारि दुपएसिया खंधा भवति । छहा कज्जमाणे एगयनो पंच परमाणपोग्गला एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुप्पएसिए खंधे, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो तिष्णि दुप्पए सिया खंधा भवंति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयनो दो दुपएसिया खंधा भवंति । अट्टहा कज्जमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे भवइ । नवहा कज्जमाणे नव परमाणुपोग्गला भवंति ॥ ७७. दस भंते ! परमाणुपोग्गला' *एगयो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? २. सं० पा-पोग्गला जाव दूहा। १. सं. पा.-एवं एक्केक्कं संचारतेहिं जाव अहवा। Page #617 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा! दसपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि कज्जइ° दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गल, एगयनो नवपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ अट्ठपएसिए खंधे भवइ ; "अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयनो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो चउप्पएसिए खंधे, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ° ; अहवा दो पंचपएसिया खंधा भवंति। तिहा कज्जमाणे एगयनो दो परमाणुपोग्गला, गयनो अटपएसिए खंधे भवइ: अहवा एगयनो परमाणपोग्गले. एगयनो दपएसिए खंधे, एगयनो सत्तपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयनो तिपएसिए खंधे, एगयनो छप्पएसिए खंधे भवइ ; महवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो चउप्पएसिए खंधे, एगयग्रो पंचपए सिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो दो चउप्पएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयनो दो तिपएसिया खंधा, एगयनो च उप्पएसिए खंधे भवइ । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ सत्तपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयो छप्पएसिए खधे भवइ; अहवा एगयो दो परमाणपोग्गला, एगयनो तिप्पएसिए खंधे, एगयनो पंचपएसिए खंधे भवइ'; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो चउप्पएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपिण तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो तिणि दुपएसिया खंधा, एगयो चउप्पएसिए खंध भवइ; ग्रहवा एगयनो दो दुपएसिया खंधा, एगयनो दो तिपएसिया खंधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो पंचपएसिए खंधे भवइ'; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयनो चउपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो दो दुपएसिया खंधा, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो परमाणपोग्गले, एगयो तिणि दुपएसिया खंधा, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा पंच दुपएसिया खंधा भवंति । छहा कज्जमाणे एगयो पंच १. सं. पा.---एवं एक्केक्कं संचारतेरणं जाव अहवा। Page #618 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो चउपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोगगला, एगयनो दो तिपएसिया खंधा भवंति ; अह्वा एगयो तिणि परमाणु पोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणपोसगला, एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो पंच परमाणु पोग्गला, एगयो दुपए सिए खंधे, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयग्रो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिष्णि दुपएसिया खंधा भवंति । अट्टहा कज्जमाणे एगयनो सत्त परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो छ परमाणुपोग्गला, एगयनो दो दुपएसिया खंधा भवंति । नवहा कज्जमाणे एगयनो अट्ठ परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे भवइ । दसहा कज्जमाणे दस परमाणुपोग्गला भवंति ।। संखेज्जा णं भंते ! परमाणुपोग्गला एगयनो साहणंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा ! संखेज्जपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि संखेज्जहा वि कज्जइ-दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयनो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयनो संखेज्जपएसिए खंधे भवाइ; एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; एवं जाव अहवा एगयो दसपएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले; एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; एवं जाव अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयनो दसपएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ'; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयनो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयनो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; एवं जाव अहवा एगयनो दसपएसिए खंधे, एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; अ हवा तिपिण संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिणि परमाणुपोग्गला, एगयनो खेज्जपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंध, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो दो परमाणपोग्गला, एगयनो तिप्पएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; एवं जाव अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दसपएसिए Page #619 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो संखेज्जपएसिया खंवा भवंति; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंबे, एगयनो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति जाव अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले एगयो दसपएसिए खंधे, एगयो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ तिणि संखेज्जपए सिया खंधा भवति ; अहवा एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयनो तिष्णि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति जाव अहवा एगयनो दसपएसिए खंधे, एगयनो तिणि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा चत्तारि संखज्जपएसिया खंधा भवंति; एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगो वि भाणियन्वो जाव नवगसंजोगो। दसहा कज्जमाणे एगयो नव परमाणुपोग्गला, एगयनो संखेज्जपए सिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो अट्ठ परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए, एगयनो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ । एएणं कमेणं एक्केक्को पूरेयव्वो जाव अहवा एगयो दसपएसिए खंधे, एगयो नव संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा दस संखेज्जपएसिया खधा भवति । सखज्जहा कज्जमाण सखज्जा परमाणपोग्गला भवति । ७६. अखेज्जा भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति', साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा ! असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि, संखेज्जहा वि, असंखेज्जहा वि कज्जइ -दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयनो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ जाव अहह्वा एगयो दसपएसिए खंधे भवइ, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो संखेज्ज. पएसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो असंखेज्जपएसिए खंध भव; अहवा एगयो परमाणपोग्गले. एगयो दपएसिए खंधे, एगयनो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ जाव अहबा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दसपएसिए खंधे, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो परमाणुयोगले, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; एवं जाव अहवा एगयो संखेज्जपएसिए खंधे, एगयो दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा तिण्णि असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयनो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयनो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; एवं चउक्कगसंजोगो जाव दसगसंजोगो । एए जहेव सांखेज्जपएसियस्स, नवरं असंखेज्जगं एग अहिगं भाणियव्वं जाव अहवा दस १. साहणंति (अ, क, ख, म, स)। Page #620 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ५५६ असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति । संखेज्जहा कज्जमाणे एगयो संखेज्जा परमाणुपोग्गला, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो संखेज्जा दुपएसिया खंधा, एगयनो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; एवं जाव अहवा एगयो संखेज्जा दसपएसिया खंधा, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो संखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा संखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति । असंखेज्जहा कज्जमाणे असंखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति ॥ अणंता णं भंते ! परमाणुपोग्गला' 'एगयनो साहणंति, साहणित्ता कि भवइ? गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव दसहा वि 'संखेज्जहा वि असंखेज्जहा वि' अणंतहा वि कज्जइ-दुहा कज्जमाणे एगयनो परमाणुपोग्गले एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा दो अणंतपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति, एवं जाव अहवा एगयनो दसपएसिए खंधे, एगयो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो संखेज्जपएसिए खंधे, एगयो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे, एगयो दो अणंतपएसिया खंधा भवंति; प्रहवा तिण्णि अणंतपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ; एवं चउक्कसंजोगो जाव असंखेज्जगसंजोगो । एते सब्वे जहेव असंखेज्जाणं भणिया तहेव अणंताण वि भाणियव्वं, नवरं-एक्कं अणंतगं अब्भहियं भाणियव्वं जाव अहवा एगयो संखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो संखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा संखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति। असंखेज्जहा कज्जमाणे एगयो असंखेज्जा परमाणुपोग्गला, एगयनो अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो असंखेज्जा दुपएसिया खंधा, एगयओ अणंतपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा १. सं० पा०-परमाणुपोग्गला जाव किं । २. संखेज्जाअसंखेज्ज (अ, क, ब, स); संखेज्जा असंखेज्जा (ख, म): संखेज्जासंखेज्जा (ता)। Page #621 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६० भगवई एगयो असंखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो असंखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ ; अहवा असंखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति । अणंतहा कज्जमाणे अणंता परमाणुपोग्गला भवंति ।। पोग्गलपरियट्ट-पदं ५१. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं साहणणा-भेदाणुवाएणं अणंताणंता पोग्गलपरियट्टा समणुगतव्वा भवंतीति मक्खाया? हंता गोयमा ! एएसि णं परमाणुपोग्गलाणं साहणणा ' भेदाणुवाएणं अणंताणता पोग्गलपरियट्टा समणुगंतव्वा भवंतीति° मक्खाया । ८२. कइविहे णं भंते ! पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते ? । गोयमा! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तं जहा - पोरालियपोग्गलपरियट्टे, वेउब्वियपोग्गलपरियट्टे, तेयापोग्गलपरियट्टे, कम्मापोग्गलपरियट्टे, मणपोग्गल परियट्टे, वइपोग्गलपरियट्टे, प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टे ॥ ८३. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते ? गोयमा ! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तं जहा-ओरालियपोग्गलपरियट्टे, वेउब्वियपोग्गलपरियट्टे जाव' आणापाणुपोग्गलपरियट्टे । एवं जाव' वेमाणियाण ॥ ८४. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? अणंता। केवइया पुरेक्खडा ? कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थी । जस्सस्थि जहण्णेणं एकको वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा ॥ ८५. एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवइया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता? अणंता। केवइया पुरेक्खडा ? कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थि । जस्सत्थि जहण्णेणं एकको वा दो वा तिग्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा ।' एवं जाव वेमाणियस्स ।। १. सं०पा०-साहणणा जाव मक्खाया। २. प्राणपाण° (ख)। ३. भ० १२१८२॥ ४. पू० प०२ ५. पुरेक्कडा (अ); पुरक्खडा (क, ता)। ६. सं० पा०- एवं चेव जाव एवं । Page #622 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (च उत्थो उद्देसो) ५६१ ८६. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया वेउव्वियपोग्गलपरियट्टा अतीता? अणंता । एवं जहेव पोरालियपोग्गलपरियट्टा तहेव वेउव्वियपोग्गलपरियट्टावि भाणियव्वा । एवं जाव' वेमाणियस्स । एवं जाव' आणापाणुपोग्गलपरियट्टा । एते एगत्तिया सत्त दंडगा भवंति ॥ ८७. नेरइयाणं भंते ! केवइया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? अणंता। केवइया पुरेक्खडा ? अणंता । एवं जाव वेमाणियाणं । एवं वे उब्वियपोग्गलपरियट्टावि । एवं जाव प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा वेमाणियाणं । एवं एए पोहत्तिया सत्त चउव्वीसति दंडगा ॥ ८८. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता? नत्थि एक्को वि। केवतिया पुरेक्खडा? नत्थि एक्को वि।। एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स असुरकुमारत्ते केवतिया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता? एवं चेव । एवं जाव थणियकुमारत्ते'। ६०. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयरस पुढविक्काइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गल परियट्टा अतीता? प्रणेता। केवतिया पुरेक्खडा? कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्यि । जस्सत्थि जहणणेणं एकको वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणता वा । एवं जाव मणुस्सत्ते। वाण मंतर-जोइसिय-वेमाणियत्ते जहा असुरकुमारत्ते ॥ ६१. एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स नेरइयत्ते केवतिया पोरालियपोग्गल परियट्टा ? एवं जहा ने रइयस्स वत्तव्वया भणिया, तहा असुरकुमारस्स वि भाणियव्वा जाव वेमाणियत्ते । एवं जाव थणियकुमारस्स । एवं पुढविक्काइयस्स वि ! एवं जाव वेमाणियस्स । सव्वेसि एक्को गमो ॥ १. पू०प०२ २. भ० १२॥२॥ ३. ° कुमारते जहा असुरकुमारत्ते (अ, स)। ४. सव्वेसि उ (ता)। ५. गमओ (क, ता, ब, म, स)। Page #623 -------------------------------------------------------------------------- ________________ মৰব ६२. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया वेउव्वियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? प्रणता। केवतिया पुरेक्खडा ? एकुत्तरिया' जाव अणंता वा । एवं जाव थणियकुमारत्ते ।। पुढविकाइयत्ते--पुच्छा। नत्थि एक्कोवि। केवतिया पुरेक्खडा? नत्थि एक्कोवि' । एवं जत्थ वेउव्वियसरीरंतत्थ एकुत्तरियो, जत्थ नत्थि तत्थ जहा पुढविकाइयत्ते तहा भाणियव्वं जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते । तेयापोग्गलपरियट्टा, कम्मापोग्गलपरियट्टा य सम्वत्थ एकुत्तरिया भाणियव्वा, मणपोग्गलपरियट्टा सव्वेसु पंचिदिएसु एगुत्तरिया, विगलिदिएसु नत्थि। वइपोग्गलपरियट्टा एवं चेव, नवरं-एगिदिएसु नत्थि भाणियव्वा । आणापाणु पोग्गलपरियट्टा सव्वत्थ एकुत्तरिया जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते ।। १४. नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ? 'नत्थि एक्कोवि"। केवतिया पुरेक्खडा ? नत्थि एक्कोवि । एवं जाव थणियकुमारत्त ।। पुढविकाइयत्ते-पुच्छा। अणंता। केवतिया पुरेक्खडा? अणंता । एवं जाव मणुस्सत्ते । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियत्ते जहा नेरइयत्ते। एवं जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते । एवं सत्त वि पोग्गलपरियट्टा भाणियव्वा -जत्थ अस्थि तत्थ' अतीता वि पुरेक्खडा वि अणंता भाणियव्वा, जत्थ नत्थि तत्थ दोवि नत्थि भाणियव्वा जाव-- ६६. वेमाणियाणं वेमाणियत्ते केवतिया प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा अतीता ? अणंता। केवतिया पुरेक्खडा? १५. १. एगुत्तरिया (अ); एक्कुत्तरिया (क, ता)। २. तेक्कोवि (ब, म)। ३. सरीरं अस्थि (अ, स)| ४. नत्थेक्कोवि (क, ख, म)। ५. वेमाणियस्स (क, ता, ब)। ६. जस्स (क, ता, ब, म)। ७. तस्स (क, ता, ब, म)। ८. जस्स (क, ख, ता, ब, म)। Page #624 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ५६३ अणंता ।। ६७. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ-पोरालियपोग्गलपरियट्टे-मोरालियपोग्गल परियट्टे ? गोयमा ! जण्णं जीवेणं ओरालियसरीरे वट्टमाणेणं ओरालियसरीरपायोग्गाई दव्वाइं पोरालियसरीरत्ताए गहियाई बद्धाइं पुट्ठाई कडाई पट्टवियाइं निविट्ठाई अभिनिविट्ठाई अभिसमण्णागयाइं परियादियाई परिणामियाइं निज्जिप्रणाइं निसिरियाई निसिद्राई भवंति । से तेणदेणं गोयमा! एवं वच्चइओरालियपोग्गलपरियट्रे-मोरालियपोग्गलपरियट्रे। एवं वेउवियपोग्गलपरियट्टेवि, नवरं-वेउव्वियसरीरे वट्टमाणेणं वेउब्वियसरीरप्पायोग्गाई दवाइं वेउव्वियसरीरत्ताए गहियाई, सेसं तं चेव सव्वं, एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टे, नवरं -प्राणापाणुपायोग्गाई सव्वदव्वाइं आणापाणुत्ताए गहियाई, सेसं तं चेव ॥ १८. ओरालियपोग्गलपरियट्टे णं भंते ! केवइकालस्स निव्वत्तिज्जइ ? गोयमा ! अणताहि 'प्रोसप्पिणीहिं उस्सप्पिणीहि" एवतिकालस्स निव्वत्ति ज्जइ । एवं वेउव्वियपोग्गलपरियट्टे वि । एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टेवि ।। ६६. एयस्स णं भंते ! पोरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकालस्स, वेउम्वियपोग्गल परियट्टनिव्वत्तणाकालस्स जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टनिव्बत्तणाकालस्स य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ° विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवे कम्मगपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले, तेयापोग्गल परियट्रनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, ओरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगूणे, प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, मणपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, वइपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे, वेउव्वियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले अणंतगुणे ।। एएसि णं भंते ! अोरालियपोग्गलपरियट्टाणं जाव आणापाणुपोग्गलपरियाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया या? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा वेउवियपोग्गलपरियट्टा, वइपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा, मणपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा, प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा, ओरालिय १००. १. ओसप्पिणि-उस्स (अ, ख, ब, म); २. सं० पा०---कयरेहितो जाव विसेसा हिया । उस्सपिणीहिं ओस (क); उस्सप्पिरिण- ३. सं. पा०-जयरेहितो जाव विसेसाहिया । ओस (स)। Page #625 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ भगवई पोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा, तेयापोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा, कम्मगपोग्गल परियट्टा अणंतगुणा ॥ १०१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं जाव' विहरइ ।। पंचमो उद्देसो वण्णादि अवण्णादिं च पडुच्च दव्ववीमंसा-पदं १०२. रायगिहे जाव' एवं वयासी -अह भंते ! पाणाइवाए, मुसावाए, अदिण्णादाणे, मेहुणे, परिग्गहे- एस णं कतिवणे, कतिगंधे, कतिरसे, कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, चउफासे पण्णत्ते ॥ १०३. अह भंते ! कोहे, कोवे, रोसे, दोसे, अखमा, संजलणे, कलहे, चंडिक्के, भंडणे, विवादे-एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचवण्णे, 'दुगंधे, पंचरसे', च उफासे पण्णत्ते ।। १०४. अह भंते ! माणे, मदे, दप्पे, थंभे, गवे, अत्तुक्कोसे, परपरिवाए, उक्कोसे', अवक्कोसे', उण्णते, उण्णामे, दुग्णामे –एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णते? गोयमा ! पंचवणे, "दुगंधे, पंचरसे, चउफासे, पण्णत्ते ॥ १०५. अह भंते ! माया, उवही, नियडी, वलए', गहणे, णूमे, कक्के, कुरुए, जिन्हे", किब्बिसे, पायरणया, गृहणया, वंचणया, पलिउंचणया, सातिजोगे--एस णं कतिवणे जाव कतिफासे पण्णत्ते? गोयमा ! पंचवणे "दुगंधे पंचरसे च उफासे पण्णत्ते ।। १०६. अह भंते ! लोभे, इच्छा, मुच्छा, कंखा, गेही, तण्हा, भिज्झा, अभिज्झा, प्रासासणया, पत्थणया, लालप्पणया, कामासा, भोगासा, जीवियासा, मर १. भ० ११५१ । २. भ० १९४-१०। ३. पंचरसे दुगंधे (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ४. अतुक्कासे (क, ख); अत्तक्करिसे (ता)। ५. उक्कासे (ख, वृपा)। ६. अवकासे (ख, वृपा)। ७. सं० पा०-जहा कोहे तहेव । ८. वलये (अ, क, ख, व, म, स)। ६. कुरूए (म)। १०. झिमे (अ, ब, स); जिम्मे (क); झिम्मे (ख); पिम्हे (ता)। ११. सं० पा०--जहेव कोहे। Page #626 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (पंचमो उद्देसो) णासा', नंदिरागे . एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? *गोयमा ! पंचवणे दुगंधे पंचरसे चउफासे पण्णत्ते ।। अह भते ! पेज्जे, दोसे, कलहे, 'अब्भक्खाणे, पेसुन्ने, परपरिवाए, अरतिरती, मायामोसे,° मिच्छादसणसल्ले - एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे चउफासे पण्णत्ते ।। १०८. ग्रह भंते ! पाणाइवायवेरमणे, जाव परिग्गहवे रमणे, कोहविवेगे जाव मिच्छा दसणसल्लविवेगे- एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! अवणे, अगंधे, अरसे, अफासे पण्णत्ते ।। १०६. अह भंते ! उप्पत्तिया, वेणइया, कम्मया, पारिणामिया—एस णं कतिवण्णा जाव कतिफासा पण्णत्ता ? 'गोयमा ! अवण्णा, अगंधा, अरसा, अफासा पण्णत्ता ।। ११०. ग्रह भंते ! प्रोग्गहे, ईहा, अवाए" धारणा--एस णं कतिवण्णा जाब कतिफासा पण्णत्ता? ११० गोयमा ! अवण्णा, अगंधा, अरसा °, अफासा पणत्ता ।। १११. अह भंते ! उटाणे, कम्मे, बले, वीरिए, पुरिसक्कार-परक्कमेएस णं कति वणे जाव कति फासे पण्णते? १६ गोयमा ! अवणे, अगंधे, अरसे°, अफासे पण्णत्ते ।। ११२. सत्तमे णं भंते ! प्रोवासंतरे कतिवण्ण जाव कतिफासे पण्णत्ते ? १२.गोयमा ! अवण्णे, अगंधे, अरसे°, अफासे पण्णत्ते ।। सत्तमे णं भंते ! तणुवाए कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? " गोयमा। पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे° अट्टफासे पण्णत्ते । एवं जहा सत्तमे तणुवाए तहा सत्तमे घणवाए, घणोदधी, पुढवी। छठे ओवासंतरे अवण्णे। तणुवाए जाव छट्ठी पुढवी-एयाई अट्ठफासाइं। एवं जहा सत्तमाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया तहा जाव पढमाए पुढवीए भाणियव्वं । जंबुद्दीवे दीवे जाव सयंभुरमणे समुद्दे, सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपब्भारा पुढवी, १. इदं च क्वचिन्त दृश्यते (वृ)। २. नंदीरागे (क, व, म)। ३. सं० पाo-जहेव कोहे । ४. सं० पा०-कलहे जाव मिच्छा! ५. सं० पा०-जहेव कोहे तहेव चउफासे । ६. भ० ११३८५। ७. ठा० ११११५-१२५ । ८. कम्मिया (अ, क, ख, ता, म) । ६. सं० पा० -तं चेव जाव अफासा । १०. अपोहे (क); अपाए (ब, म)। ११. सं० पाo. एवं चेव जाव अफासा । १२. सं० पा०—तं चेव जाव अफासे । १३. सं० पा०—एवं चेव जाव अफासे । १४. सं० पा०-जहा पाणाइवाए नवरं अट्ठफासे। Page #627 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६६ नेरइयावासा जाव वेमाणियावासा - एयाणि सव्वाणि अफासाणि ॥ ११४. नेरइयाणं भंते ! कतिवण्णा जाव कतिफासा पण्णत्ता ? गोमा ! वेउब्विय तेयाइं पडुच्च' पंचवण्णा, 'दुगंधा, पंचरसा", अट्ठफासा पण्णत्ता । कम्मगं पडुच्च पंचवण्णा, दुगंधा, पंचरसा, चउफासा पण्णत्ता । जीवं पडुच्च प्रवण्णा जाब फासा पण्णत्ता । एवं जाव श्रणियकुमारा || ११५. पुढविक्काइयाणं - पुच्छा । गोयमा ! ओरालिय- तेयगाई पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता । कम्मगं पडुच्च जहा नेरइयाणं । जीवं पडुच्च तहेव । एवं जाव चउरिदिया, नवरं वाउक्काइया प्रोरालिय- वे उब्विय-तेयगाई पडुच्च पंचवण्णा जाब अटूफासा पण्णत्ता, सेसं जहा नेरइयाणं । पंचिदियतिरिक्खजोगिया जहा वाउ वकाइया || ११६. मणुस्साणं पुच्छा ! मोरालिय-वेउब्विय आहारग-तेयगाई पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठासा पण्णत्ता | कम्मगं जीवं च पडुच्च जहा नेरइयाणं वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया । धम्मत्थिकाए जाव पोग्गलत्थिकाए- एए सव्वे प्रवण्णा, नवरं - पोग्गलत्थकाए पंचवणे, दुगंधे, पंचरसे, अट्ठफासे पण्णत्ते । नाणावर णिज्जे जाव' अंतराइए - एयाणि चउफासाणि || ११७. कण्हलेसा णं भंते ! कतिवण्णा जाव कतिफासा पण्णत्ता ? • दव्वलेसं पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता । भावलेसं पडुच्च प्रवण्णा, अगंधा, अरसा, अफासा पण्णत्ता । एवं जाव' सुक्कलेस्सा | फासे । मणजोगे, वइजोगे य चउफासे, कायजोगे सागारोवओगे अणागारोवोगे य श्रवण्णे ॥ ११८. सव्वदव्वा णं भंते ! कतिवण्णा "जाव कतिफासा पण्णत्ता ? ० सम्मदिठ्ठी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी, चक्खुदंसणे, अचक्खुदंसणे, ओहिदंसणे, केवलदंसणे, आभिणिबोहियनाणे जाव" विब्भंगनाणे, आहारसण्णा जाव परिग्गहसण्णा - एयाणि श्रवण्णाणि, अगंधाणि, अरसाण, अफासाणि । फासाणि । कम्मगसरीरे' चउ रायिसरीरे जाव तैयगसरीरे- एयाणि फासे । १. पडुच्चा (ता, ब, म) 1 २. पंचरसा दुगंधा ( अ, क, ख, ता, ब, म, भगवई स) । ३. भ० २।१२४ । ४. भ० ६।३३ । ५. सं० पा० - पुच्छा ! ६. भ० १।१०२ । ७. भ० २।१३७ ॥ ८. कम्मसरीरे ( ब म ) 1 ६. सं० पा० – पुच्छा | Page #628 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वारसमं सतं (छट्टो उद्देसो) ५६७ गोयमा ! प्रत्येगतिया सव्वदव्वा पंचवण्णा जाव फासा पण्णत्ता । श्रत्थेगतिया सव्वदव्वा पंचवण्णा जाव चउफासा पण्णत्ता । अत्थेगतिया सव्वदव्वा एगवण्णा, एगगंधा, एगरसा, दुफासा पण्णत्ता । अत्थेगतिया सव्वदव्वा श्रवण्णा जाव अफासा पण्णत्ता । एवं सव्वपएसा वि, सव्वपज्जवा वि । तीयद्धा श्रवण्णा जाव फासा । एवं प्रणागयद्धा वि, सव्वद्धा वि ॥ ११६. जीवे णं भंते ! गब्भं वक्कममाणे कतिवरणं, कतिगंध, कतिरसं, कतिफासं परिणामं परिणमइ ? गोयमा ! पंचवणं, दुगंधं, पंचरसं, अट्ठफासं परिणाम परिणमइ ।। कम्मो विभत्ति-पदं १२० कम्मो णं भंते ! जीवे नो श्रकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ ? कम्मश्रणं जए नो कम्मो विभत्तिभावं परिणमइ ? हंता गोयमा ! कम्मश्रणं कम्मो णं जए नो ग्रकम्मश्र विभत्तिभावं परिणमइ || १२१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ जीवे नो अकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ, छट्ठो उद्देसो चंद-सूर- गहण पदं १२२. रायगिहे जाव' एवं वयासी - बहुजण णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' एवं परूवेइ एवं खलु राहू चंदं गेण्हति एवं खलु राहू चंदं गेहति || से कह मेयं भंते ! एवं ? १२३. गोयमा ! जण्णं से बहुजणे श्रण्णमण्णस्स एवमाश्वखइ जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव" एवं परूवेमि-एवं खलु राहू देवे महिड्ढीए जाव' महेसक्खे' वरवत्थधरे वरमल्लधरे वरगंधधरे वराभरणधारी । १. X (ता) । २. X (ता) । ३. सं० पा० - तं चैव जाव परिणमइ । ४. म० १।५१ । ५. भ० १४-१० । ० ६. भ० १४२० 1 ७. भ० ११४२१ । ८. भ० ३।४ । ६. महेसक्के ( ब ) ; महसोक्खे (म ) 1 Page #629 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई राहुस्स णं देवस्स नव नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा-सिंघाडए' जडिलए खतए' खरए दद्दुरे भगरे मच्छे कच्छ कण्हसप्पे। राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवण्णा, पण्णत्ता, तं जहा -किण्हा, नीला, लोहिया, हालिद्दा, सुक्किला। अत्थि कालए राहुविमाणे खंजणवण्णाभे पण्णत्ते, अस्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिट्ठवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि पोतए राहुविमाणे हालिदवण्णाभे पण्णत्ते, अस्थि सुक्किलए राहुविमाणे भासरासिवण्णाभे पण्णत्ते । जदा णं राह आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पुरथिमेणं आवरेत्ता णं पच्चत्थिमेणं वीतीवयइ तदा ण पुरथिमेणं चंदे उवदंसेति, पच्चत्थिमेणं राहू। जदा णं राहू पागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदले पच्चत्थिमेणं पावरेत्ता णं पुरथिमेण वीतीवयइ तदा णं पच्चस्थिमेणं चंदे उवदंसेति, पुरथिमेणं राहू । एवं जहा पुरस्थिमेणं पच्चत्थिमेण य दो पालावगा भणिया एवं दाहिणणं उत्तरेण य दो पालावगा भाणियन्वा । एवं उत्तरपुरस्थिमेणं दाहिणपच्चत्थिमेण य दो पालावगा भाणियब्वा । एवं दाहिणपुरथिमेणं उत्तरपच्चत्थिमेण य दो पालावमा भाणियव्वा ! एवं चेव जाव तदा णं उत्तरपच्चत्थिमेणं चंदे उवदंसेति, दाहिणपुरस्थिमेणं राहू । जदा ण राहू आगच्छमाणे बा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पावरेमाणे-यावरेमाणे चिट्रइ तदा ण मणस्सलोए मणुस्सा वदति-एवं खलु राहू चंदं गेहति, एवं खलु राहू चंदं गेण्हति । जदा णं राह आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्स" आवरेत्ता णं पासेणं वीतीवयइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु चंदेणं राहुस्स कुच्छी भिन्ना, एवं खलु चंदेणं राहुस्स कुच्छी भिन्ना। जदा ण राहू लागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस आवरेत्ता णं पच्चोसक्कइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति --एवं खलु राहुणा चंदे वंते, एवं खलु राहुणा वंदे वंते। जदा णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं अहे सपक्खि सपडिदिसि पावरेत्ता णं चिट्ठइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति–एवं खलु राहुणा चंदे घत्थे, एवं खलु राहुणा चंदे घत्थे। १२४. कतिविहे णं भंते ! राहू पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे राहू पण्णत्ते, तं जहा-धुवराहू य, पव्वराहू य । तत्थ णं जे से धुवराहू से गं बहुलपक्खस्स पाडिवए पत्नरसतिभागेणं पन्नरसतिभागं १. संघाडए (ब)। २. खत्तए (अ); खंतए (ख); खंभए (स)। ३. अच्छभे (ब)। ४. चंदस्स लेसं (क, ब, म)! Page #630 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (छट्टो उद्देसो) ५६६ चंदलेस्सं ग्रावरेमाणे-ग्रावरेमाणे चिट्ठइ, तं जहा - पढमाए पढमं भागं, बितिया त्रितियं भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसमं भागं । चरिमसमये चंदे रत्ते भवइ, अवसेसे समये चंदे 'रत्ते वा विरते वा" भवइ । तमेव सुक्कपवखस्स' उवदंसेमाणे-उवदंसेमाणे चिट्ठइ, पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसमं भागं । चरिमसमये चंदे विरत्ते भवइ, अवसेसे समये चंदे 'रत्ते वा विरत्ते वा " भवइ । तत्थ णं जे से पव्वराहू से जहणेणं 'छण्हं मासाणं" उक्कोसेणं बायालीसाए मासाणं चंदस्स, ग्रडयालीसाए संवच्छराणं सूरस्स' ॥ ससि श्राइच्च पदं १२५ सेकेणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - चंदे ससी, चंदे ससी ? गोयमा ! चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोइसरण्णो मियंके विमाणे कंता देवा, कंताओ देवोश्रो, कंताई ग्रासण-सयण-खंभ- भंडमत्तोवगरणाई, अप्पणा वि य णं चंदे जोइसिंदे जोइसराया सोमे कंते सुभए पियदंसणे सुरूवे । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - चंदे ससी, चंदे० ससी ॥ १२६. से केणटुणं भंते ! एवं वुच्चइ - सूरे आदिच्चे, सूरे आदिच्चे ? गोयमा ! सूरादिया णं समया इ वा आवलिया इ वा जाव" प्रसप्पिणी इ वा उस्सप्पिणी इ वा । से तेणट्टेणं" गोयमा ! एवं वुच्चइ - सूरे आदिच्चे, सूरे० आदिच्चे || चंद-सुराणं कामभोग-पदं १२७. चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कति ग्रामहिसीओ पण्णत्ताओ ? जहा दसमसए जाव" नो चेव णं मेहुणवत्तियं । सूरस्स वि तहेव || १२८. चंदिम-सूरिया गं भंते! जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पच्चणु भवमाणा विहरंति ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे पढमजोव्वणुद्वाणबलत्थे पढमजोव्वणुट्ठाणवलत्थाए भारियाए सद्धि अचिरवत्तविवाहकज्जे प्रत्थगवेसणयाए सोलसवास ७. लेश्यामावृत्य तिष्ठतीति गम्यम् (वृ) | ८. लेश्यामावृत्य तिष्ठतीति गम्यम् (वृ) । ३. तामेव ( क, ख, ता, ब, म) । ९. सं० पा०-- तेणं जाब ससी । १०. ठा० २१३८७-३८६ । ४. प्रतिपदादिष्विति गम्यते ( वृ.) । ५. रते य विरते य ( अ, ख, ता ); रत्ते य ११. सं० पा० – तेणट्टेणं जाव आदिच्चे । विरते वा (क, ब, म, स ) 1 १. 'आवरेता गं चिट्ठइ' त्ति वाक्यशेष: (वृ) 1 २. रत्ते य विरते य (क) 1 ६. छम्मासारणं (ता) | १२. भ० १०/६० । १३. अचिरवत्तावाहुज्जे (ता) । Page #631 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई विप्पवासिए, से णं तो लद्धटे कयकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि नियगं गिहं हव्वमागए, पहाए कयवलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए मणुण्णं थालिपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाकुलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि "अभिंतररो सचित्तकम्मे बाहिरमो दूमिय-घट्ठ-मट्टे विचित्तउल्लोग-चिल्लियतले मणिरयणपणासियंधयारे, बहुसम-सुविभत्तदेसभाए पंचवण्ण-सरससुरभि-मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क. धूव-मधमघेत-गंधु द्धयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूए। तसि तारिसगंसि सयणिज्जसि-सालिंगणवट्टिए उभो विब्बोयणे दुहो उण्णए मज्झे णय-गंभीरे गंगापुलिणवालुय-उद्दालसालिसए प्रोयविय-खोमियदुगुल्लपट्ट पडिच्छयणे सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे पाइणग-रूय-बूरनवणीय-तलफासे सुगंधवरकूसूम-चण्ण ०.सयणोवयारकलिए ताए तारिसियाए भारियाए सिंगारागारचारुवेसाए' संगय-गय-हसिय-भणिय-चेद्रिय-विलाससललिय-संलाव-निउणजुत्तोवया रकुसलाए सुंदरथण-जघण-वयण-कर-चरणनयण-लावण्ण-रूव-जोव्वण-विलास कलियाए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणाणुकुलाए सद्धि इट्टे सद्दे फरिसे •रसे रूवे गंधे° पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुब्भवमाणे विहरेज्जा, से गं गोयमा ! पुरिसे विउसमणकालसमयंसि केरिसयं सायासोक्खं पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ? ओरालं समणाउसो! तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स कामभोगेहितो वाणमंतराणं देवाणं एतो अणंतगणविसिटू त रा चेव कामभोगा। वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहितो असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिद्वतराचेव कामभोगा। असुरिदवज्जियाणं भवणवासियाणं देवाणं कामभोगेहितो असुरकुमाराणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिटुतरा चेव कामभोगा। असुर कुमाराणं देवाणं कामभोगेहितो गहगण-नक्खत्त-तारारूवाणं जोतिसियाणं देवाणं एत्तो अणंतगणविसिट्रतरा चेव कामभोगा । गहगण-नक्खत्त"-'तारारूवाणं जोतिसियाणं कामभोगेहितो चंदिम-सूरियाणं जोतिसियाणं जोतिसराईणं एत्तो अणंतगुणविसिटुतरा चेव कामभोगा। चंदिम सूरिया णं गोयमा ! जोतिसिंदा जोतिसरायाणो एरिसे कामभोगे पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ।। - १. थालिपागसिद्धं (ब)। २. सं० पा०-वण्णओ महब्बले कुमारे जाव सयणो । ३. सं० पा०-सिंगारागारचारुवेसाए जाव कलियाए। ४. सं० पा–फरिसे जाव पंचविहे। ५. पा० सं०---नक्खत्त जाव काम । Page #632 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) १२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता' संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । सत्तमो उद्देसो जीवाणं सव्वत्थ जम्म-मच्चु-पदं १३०. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव' एवं वयासी–केमहालए णं भंते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा ! महतिमहालए लोए पण्णत्ते-पुरथिमेणं असंखेज्जाम्रो जोयणकोडाकोडीओ, दाहिणेणं असंखेज्जायो 'जोयणकोडाकोडीयो०, एवं पच्चत्थिमेण वि, एवं उत्तरेण वि, एवं उड्ढं पि, अहे असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीनो आयाम-विक्खंभेणं । १३१. एयंसि' णं भंते ! एमहालगंसि लोगंसि अत्थि केइ परमाणुपोग्गलमत्ते वि पएसे, जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा, न मए वा वि? गोयमा ! नो इणढे समढे ।। १३२. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-एयंसि णं एमहालगंसि लोगंसि नत्थि केइ पर माणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा, न मए वा वि? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे अया-सयस्स एग महं अया-वयं करेज्जा. से णं तत्थ जहण्णेणं एक्कं वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं अया-सहस्सं पक्खिवेज्जा, तानो णं तत्थ पउरगोयरामओ पउरपाणियाप्रो जहण्णेणं एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा, उक्कोसेणं छम्मासे परिवसेज्जा । अत्थि णं गोयमा ! तस्स अया-वयस्स केई परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जे णं तासि अयाणं उच्चारेण वा पासवणेण वा खेलेण वा सिंघाणेण वा वंतेण वा पित्तेण वा पूएण वा सुक्केण वा सोणिएण वा चम्मेहिं वा रोमेहि वा सिंगेहिं वा खुरेहिं वा नहेहिं वा अणोक्कंतपुव्वे भवइ ? नो इणढे समढे। होज्जा वि णं गोयमा ! तस्स अया-वयस्स केई परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, १. सं० पा०-नमंसित्ता जाव विहरइ । २. भ० ११४-१०। ३. सं० पा०–एवं चैव। ४. एयस्सि (ता)। ५. अणक्कतपुव्वे (क, स)। Page #633 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७२ भगवई जे णं तासि प्रयाणं उच्चारेण वा जाव नहेहि वा अणोक्तपुव्वे, नो चेव णं एयंसि एमहालगंसि लोगंसि लोगस्स य सासयं भावं, संसारस्स य प्रणादिभावं, जीवस्स य णिच्चभावं, कम्मवहुत्तं, जम्मण-मरणवाहुल्ल च पडुच्च अत्थि' केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा, न मए वा वि । से तेणटेणं "गोयमा ! एवं वुच्चइ-एयंसि णं एमहालगंसि लोगंसि नत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा', न मए वा वि ॥ असई अदुवा अणंतखुत्तो उववज्जण-पदं १३३. कति णं भंते ! पुढवीनो पाणतायो ? गोयमा ! सत्त पुढवीरो पण्णत्ताओ, जहा पढमसए पंचमउद्देसए तहेव प्रावासा ठावेयव्वा जाव' अणुत्तरविमाणेत्ति जाव' अपराजिए सव्वट्ठसिद्धे ।। १३४. अयण भंते ! जीवे इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, नरगताए, नेरइयत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा ! असइं, अदुवा अणंतखुत्तो।। १३५. सव्वजीवा वि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढबीए तोसाए निरयावाससय सहस्सेसु एग मेगंसि निरयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, नरगत्ताए, नेरइयत्ताए उवबन्नपुग्वे ? हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो।। १३६. अयण्णं भंते ! जीवे सक्करप्पभाए पुढवीए पणुवीसाए निरयावाससयसहस्से सु एगमेगंसि निरयावासंसि ° ? एवं जहा रयणप्पभाए तहेव दो पालावगा भाणि यव्वा । एवं जाव धूमप्पभाए। १३७. अयण्णं भंते ! जीवे तमाए पुढवीए पंचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगंसि निरयावासंसि ? सेसं तं चैव' । १३८. अयण्णं भंते ! जोवे अहेसत्तमाए पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु मतिमहालएसु महानिरएसु एगमेगंसि निरयावासंसि° ? सेस जहा रयणप्पभाए । १. 'नत्थि' इति पदं लभ्यते, किन्तु प्रस्तुतवाक्या- ३. भ० ११२११-२५५ । रम्भे 'नो चेव णं' इति पाठोस्ति, तेनैतत् ४. भ० ५२२२। । न सङ्गच्छते । वृत्ती सम्यक्पाठोस्ति । स ५. अय रणं (अ, क, ता, म); अयं णं (ख, ब)। एवास्माभिः स्वीकृतः। ६. सं० पा०-तं चव जाव अणंतखुत्तो। २. सं० पा०—तं चेव जाव न । . भ० १२११३४ । Page #634 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (सतपो उद्देसो) १३६. अयण्णं भंते ! जीवे च उसट्ठीए असुरकुमारावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि असुर कुमारावासंसि पुडविक्काइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवित्ताए पासण-सयण-भंडमत्तोवगरणत्ताए उववन्नपुग्ने ? हंता गोयमा' ! 'असई, अदुवा' अणंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं भंते ! एवं चेव । एवं जाव थणियकुमारेसु । नाणत्तं आवासेसु, आवासा पुव्वभणिया ।। १४०. अयण्णं भंते ! जीवे असंखेउ जेसु पुढविक्काइयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए उववन्नपुटवे ? हंता गोयमा ! • असई, अदुवा ° अणंतखुत्तो। एवं सव्वजोवा वि । एवं जाव वणस्सइकाइएसु॥ १४१. अयण्णं भंते ! जोवे असंखेज्जेसु बेइंदियावाससयसहस्सेसु' एगमेगंसि बेइंदिया वासंसि पुढविक्काइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, वेइंदियत्ताए उववन्नपुवे ? हता गोयमा ! 'सई, अदुवा' अणंतखुत्तो। सव्वजीवा वि णं एवं चेव । एवं जाव' मणुस्सेसु, नवरं तेइंदिएसु जाव वणस्सइकाइयत्ताए तेइंदियत्ताए, चरिदिएसु चरिदियत्ताए, पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु पंचिदियतिरिक्खजोणियत्ताए, मणुस्सेसु मणुस्सत्ताए, सेसं जहा बेइंदियाणं, वाणमंतर-जोइसिय-सोह म्मीसाणेसु य जहा असुरकुमाराणं ।। १४२. अयण्णं भंते ! जीवे सणकुमारे कप्पे वारससु' विमाणावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि वेमाणियावासंसि पुढविकाइयत्ताए "जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताएपासण-सयण-भंडमत्तोबगरणत्ताए उववन्नपुटवे ? हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो।' एवं सव्वजीवा वि ! एवं जाव आणयपाणएसु, एवं पारणच्चएम वि ॥ १४३. अयण्णं भंते ! जीवे तिसु वि अट्ठारसुत्तरेसु गेविज्जविमाणावाससयेसु एवं चेव ।। अयण्ण भते ! जोवे पंचसु प्रणुत्तरविमाणेसु एगमेगंसि अणत्तरविमाणंसि पुढविका इयत्ताए ? तहेब जाव असई, अदुवा अणंतखुत्तो, नो चेव णं देवत्ताए वा देवीत्ताए वा । एवं सव्वजीवा वि ।। १. सं० पा०-गोयमा जाव अगंतखुत्तो। २. सं० पा०—गोयमा जाब अणंतखत्तो। ३. बेंदिया (अ, क, ख, व, म, स)। ४. सं० पा०-गोयमा जाव अणंतखुत्तो। ५. तेंदिएमु (ख, स)। ६. सोहम्मीसाणे (अ, क, ख, ता, ब, म)। ७. वारसेसु (ख); बारस (ता)। ५. सं० पा०--सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव अणतखुत्तो नो चेव णं देवित्ताए। Page #635 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १४५. अयण्णं भंते ! जीवे सव्वजीवाणं माइत्ताए, पितित्ताए', भाइत्ताए, भगिणित्ताए भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सुण्हत्ताए उववन्नपुठवे ? हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो ।। १४६. सव्वजीवा वि णं भंते ! इमस्स जीवस्स माइत्ताए,' •पितित्ताए, भाइत्ताए, भगिणित्ताए, भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सुण्हत्ताए उववन्नपुग्वे ? हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो । १४७. अयण्णं भंते ! जीवे सव्वजीवाणं अरित्ताए, वेरियत्ताए, घातगत्ताए, वहगत्ताए, पडिणीयत्ताए, पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे ? । हंता गोयमा' ! 'असई, अदुवा अणंतखुत्तो।। १४८. सव्वजीवा वि णं भंते ! "इमस्स जीवस्स अरित्ताए, वेरियत्ताए, घातगत्ताए, वहगत्ताए, पडिणीयत्ताए, पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो।। १४६. अयण्णं भंते ! जीवे सव्वजीवाणं रायत्ताए, जुवरायत्ताए, 'तलवरत्ताए, माडं बियत्ताए, कोडुंबियत्ताए, इन्भत्ताए, सेट्टित्ताए, सेणावइत्ताए,° सत्यवाहत्ताए उववन्नपुग्वे ? हंता गोयमा ! •असई, अदुवा अणंतखुत्तो।। १५०. "सव्वजीवा वि णं भंते ! इमस्स जीवस्स रायत्ताए, जुवरायत्ताए, तलवरत्ताए माडंबियत्ताए, कोडुंबियत्ताए, इब्भत्ताए, सेद्वित्ताए, सेणावइत्ताए, सत्थवाहत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो ।। १५१. अयणं भंते ! जीवे सव्वजीवाणं दासत्ताए, पेसत्ताए, भयगत्ताए', भाइल्लत्ताए भोगपुरिसत्ताए, सीसत्ताए, वेसत्ताए उववन्नपुटवे ? हंता गोयमा ! 'असई, अदुवा अणंतखुत्तो ।। १५२. ""सव्वजीवा वि णं भंते ! इमस्स जीवस्स दासत्ताए, पेसत्ताए, भयगत्ताए, १. ४ (ख, म); पतिताए (ब, स)। ६. सं० पा०—गोयमा जाव अणंतखत्तो । २. सं० पाo-माइत्ताए जाव उववन्नपुवा ७. सं० पा०-सव्वजीवाणं एवं चेव । हंता गो जाव अणंतखुत्तो।। ८. भियगत्ताए (ख)। ३. सं० पा०--गोयमा जाव अणंतखुत्तो। ६. भाइलत्ताए (ता); भाइल्लगत्ताए (क्व०) । ४. सं० पा०-एवं चेव। १०. सं० पा०-गोयमा जाव अणंतखुत्तो। ५. सं० पा०--जुवरायत्ताए जाव सत्यवाह- ११. सं० पा० ---एवं सव्वजीवा वि अणंतखुत्तो। ताए। Page #636 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (अट्टम उद्देसो) भाइल्लत्ताए, भोगपुरिसत्ताए, सीसत्ताए, वेसत्ताए उववन्नपुव्वे ? हंता गोयमा ! असई, अदुवा प्रणतखुत्तो ॥ १५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥ अट्टमो उद्देसो देवार बिसरीरेसु उववाय-पदं १५४. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव' एवं वयासी - देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव' महेसवखे अनंतरं चयं चइत्ता बिसरीरेसु नागेसु उववज्जेज्जा ? हंता उववज्जेज्जा || १५५. से णं तत्थ अच्चिय-वंदिय-पूइय-सक्कारिय- सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाsिहरे यावि भवेज्जा ? हंता भवेज्जा ॥ १५६. से णं भंते ! तोहितो अनंतरं उब्वट्टित्ता सिज्भेज्जा जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेज्जा ? ५७५ हंता सिज्भेज्जा जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेज्जा ॥ १५७. देवे णं भंते ! महिड्ढीए "जाव महेसक्खे अनंतरं चयं चइत्ता • बिसरीरेसु मणी उववज्जेज्जा ? हंता उववज्जेज्जा । एवं चेव जहा नागाणं ॥ १५८. देवे णं भंते ! महिड्ढीए' जाव महेसक्खे अनंतरं चयं चइत्ता • बिसरीरेसु रुक्खेसु उववज्जेज्जा ? हंता उववज्जेज्जा । एवं चेव, नवरं – इमं नाणत्तं जाव सन्निहियपाडिहेरे लाल्लोइयमहिए यावि भवेज्जा ? हंता भवेज्जा ! सेसं तं चैव जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेज्जा ॥ पंचेदिय तिरिक्खजोणियाणं उववाय-पदं १५९ अह भंते ! गोनंगूलवस में, कुक्कुडवसभे, मंडुक्कवसभे - एए णं निस्सीला १. भ० १।५१ । २. भ० ११४- १० । ३. भ० १।३३६ । ४. भ० ११४४ | ५. सं० पा० - एवं चेव जाव बिसरीरेसु । ६. सं० पा० - महिड्ढीए जाव बिसरीरेसु । ७. गोलंगूल (क, ब); गोरांगल (ख, ता) । ० Page #637 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७६ भगवई १६०. निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसं' सागरोवमद्वितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा ? समणे भगवं महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्ने त्ति वत्तव्वं सिया।। अह भंते ! सीहे वग्घे, "वगे, दीविए अच्छे, तरच्छे °, परस्सरे-एए गं निस्सीला "निव्वया निरगुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसं सागरोवमद्वितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा ? समणे भगवं महावीरे वागरेइ---उववज्जमाणे उववन्ने त्ति वत्तव्वं सिया ।। १६१. अह भंते ! ढंके कंके विलए मदुए सिखी-एए णं निस्सीला निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसं सागरोवमद्वितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा? समणे भगवं महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्ने त्ति वत्तव्वं सिया ॥ १६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। नवमो उद्देसो पंचविह-देव-पदं १६३. कतिविहा णं भंते ! देवा पण्णता? गोयमा ! पंचविहा देवा पण्णत्ता, तं जहा-भवियदव्वदेवा, नरदेवा, धम्मदेवा, देवातिदेवा', भावदेवा ।। १६४. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ-भवियदव्वदेवा-भवियदव्वदेवा ? गोयमा ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवेसु उववज्जित्तए । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ--भवियदव्वदेवा-भवियदव्वदेवा ॥ १. उक्कोसेणं (क)। २. सं० पा०-जहा ओसप्पिणी उद्देसए जाव परस्सरे । ३. सं० पा०–एवं चेव जाव वत्तव्वं । ४. पिलए (अ, ख, ता, स)। ५. सं० पा०-सेसं तं चेव जाव वत्तव्वं । ६. भ० ११५१ । ७. देवाधिदेवा (अ, क, ब, म, स); 'देवाहिदेव' त्ति क्वचिद् दृश्यते (वृ)। ८, इह जातो एकवचनमतो बहुवचनार्थे व्याख्ये यम् (वृ)। ६. ते यस्माद्भाविदेवभावा इति गम्यम् (व)। Page #638 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७७ बारस मं सतं (नवमो उद्देसो) १६५. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइनरदेवा-नरदेवा ? गोयमा ! जे इमे रायाणो चाउरंतचक्कवट्टी' उप्पण्णसमत्तचक्करयणप्पहाणा 'नवनिहिपइणो समिद्धकोसा बत्तीसरायवर सहस्साणुयातमरगा" सागरवरमेहलाहिवइणो मणुस्सिदा । से तेण?' गोयमा ! एवं वुच्चइ° – नरदेवा नरदेवा । १६६. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-धम्मदेवा-धम्मदेवा ? गोयमा ! जे इमे अणगारा भगवंतो रियासमिया जाव' गुत्तबंभयारी। से तेणटेणं *गोयमा ! एवं वुच्चइ °-धम्मदेवा-धम्मदेवा ।। १६७. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ--देवातिदेवा-देवातिदेवा ? गोयमा ! जे इमे अरहंता भगवंतो' उप्पण्णनाण-दसणधरा" 'अरहा जिणा केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणया सवणू ° सव्वदरिसो। से तेणद्वेण" *गोयमा! एवं वुच्चइ° -देवातिदेवा-देवातिदेवा ।। १६८. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-भावदेवा-भावदेवा ? गोयमा ! जे इमे भवणव इ-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया देवा देवगतिनामगोयाई कम्माई वेदेति । से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ° —भावदेवा भावदेवा।। पंचविह-देवाणं उववाय-पदं १६६. भवियदव्वदेवा णं भते ! कमोहितो उववज्जति-कि नेरइएहितो उवव ज्जति ? तिरिक्ख-मणुस्स-देवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्ख-मणुस्स-देवेहितो वि उववज्जति । भेदो जहा वक्कंतीए सव्वेसु उववाएयव्वा जाव" अणुत्तरोववाइय त्ति, नवरंअसंखेज्जवासाउयप्रकम्मभूमगअंतरदीवगसव्वट्ठसिद्धवज्ज जाव अपराजियदेवेहितो वि उववज्जति॥ १. ते यस्माद् इति वाक्यशेषः (व) । १०. सं० पा०--उत्पन्ननारणदंसरगधरा जाव २. चिन्हाङ्कितः पाठो वृत्तौ नास्ति व्याख्यातः । सव्व । ३. सं. पा.---तेणट्रेणं जाव नरदेवा । ११. सं० पा०—तेणट्रेणं जाव देवाति । ४. ते यस्माद् इति वाक्यशेष: (वृ) । १२. ते यस्मात् (व)। ५. इरिया० (क)। १३. सं० पा०-तेणट्रेणं जाव भाव ६. भ० २१५५ । १४. प०६। ७. सं० पा०--तेगट्ठरणं जाव धम्म । १५. उववज्जति नो सम्वदसिद्धदेवेहितो उववज्जति ८. देवाधिदेवा (अ, क, ब, म, स)। (क, ख, ता, ब, म) 1 है. भगवंता (ख, ब, म); ते यस्मात् (वृ)। Page #639 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १७०. नरदेवा गं भंते ! कमोहितो उववज्जति --किनेरइएहितो—पुच्छा। गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जति, नो तिरिक्खजोणिएहितो, नो मणुस्सेहितो, देवेहितो वि उववज्जति ।। १७१. जइ नेरइएहितो उववज्जति–कि रयणप्पभापुढविनेरइहितो उववज्जति जाव अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो उववज्जति ? गोयमा ! रयणप्पभापुढविनेरइएहितो उववज्जति, नो सक्करप्पभापुढविनेर इएहितो जाव नो अहेसत्तमापूढविनेरहपहितो उववज्जति ।। १७२. जइ देवेहितो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमंतर जोइसिय-वेमाणियदेव हितो उववज्जति ? गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि उववज्जति, वाणमंतरदेवेहितो, एवं सव्वदेवेसु उववाएयव्वा, वक्तीए भेदेणं जाव' सम्बट्ठसिद्धत्ति ।। १७३. धम्मदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति -कि ने रइएहितो उववज्जति पुच्छा । एवं वक्कंतीभेदेणं सब्वेसु उववाएयव्वा जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, नवरं --तम अहेसत्तम-तेउ-वाउ-असंखेज्जवासाउयनकम्मभूमग-अंतरदीवगवज्जेसु ।। १७४. देवातिदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति - किं ने रइएहितो उववज्जति पुच्छा । गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जति, नो तिरिक्खजोणिएहितो, नो मण्णुस्सेहितो, देवेहितो वि उववज्जति ।। १७५. जइ नेरइएहितो ? एवं तिसु पुढवीसु उववज्जंति, सेसानो खोडेयवाओ ।। १७६. जइ देवेहितो? वेमाणिए सु सव्वेसु उववज्जति जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, सेसा खोडेयव्वा ।। १७७. भावदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ? एवं जहा वक्कंतीए भवणवासीणं उववाओ तहा भाणियवो ॥ पंचविह-देवाणं ठिइ-पदं १७८. भवियदव्वदेवाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं ।। १७६. नरदेवाणं-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं सत्त वाससयाई, उक्कोसेणं चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं ।। धम्मदेवाणं-पुच्छा । गोयमा ! जपणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुन्वकोडी ।। १. ५०६। Page #640 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं ( नवमो उद्देसो) १८१. देवातिदेवाणं' - पुच्छा । गोमा ! जहणणं बावर्त्तारि वासाई, उक्कोसेणं चउरासीइं पुण्वसयसहस्साई || १८२. भावदेवाणं पुच्छा | गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई || पंचविह-देवाणं विवरणा-पदं १८३. भवियदव्वदेवा णं भंते ! कि एगत्तं पभू विउब्वित्तए ? पुहत्तं पभू विउव्वित्तए ? गोयमा ! एगतं विपभू विउव्वित्तए, पुहत्तं पि पभू विउव्वित्तए । एगत्तं विवमाणे एगिदियरूवं वा जाव पंचिदियरूवं वा पुहत्तं विउव्वमाणे एगिदियरुवाणि वा जाव पंचिदियरुवाणि वा, ताइं संखेज्जाणि वा श्रसंखेज्जाणिवा, संवद्धाणि वा असंबद्धाणि वा, सरिसाणि वा असरिसाणि वा विउव्वंति, विव्वित्ता तओ पच्छा जहिच्छियाई कज्जाई करेंति । एवं नरदेवा वि, एवं धम्मदेवा वि ॥ १८४. देवातिदेवाण - पुच्छा । गोमा ! एगतं पिपभू विउब्वित्तए, पुहत्तं पि पभू विउव्वित्तए, नो चेवणं संपत्तीए विवि वा, विश्वति वा, विउव्विस्संति वा । भावदेवा जहा भवियदव्वदेवा ॥ पंचविह- देवाणं उचट्टण-पद १८५. भवियदव्वदेवा णं भंते ! अनंतर उव्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहि उवज्जंति - किं नेरइएस उववज्जति जाव देवेसु उववज्जति ? गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जंति, नो तिरिक्खजोणिएसु, नो मणुस्सेसु, देवेसु उववज्जति । 'जइ देवेसु उववज्जति ?" सव्वदेवेसु उववज्जंति जाव सम्बद्धसिद्धत्ति ॥ १८६. नेरदेवा णं भंते ! अनंतरं उब्वट्टित्ता - पुच्छा ! गोयमा ! नेरइासु उववज्जति, नो निरिक्खजोणिएसु नो मणुस्सेसु नो देवेसु उववज्जति । जइ नेरइएस उववज्जति ? सत्तसु वि पुढवीसु उववज्जति ॥ ५७६ १५७. धम्मदेवा णं भंते! ग्रणंतरं उव्वट्टित्ता - पुच्छा | गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जंति, नो तिरिक्खजोणिएसु, नो मणुस्सेसु, देवेसु उववज्जंति || १. देवाधि ( अ, क, ब, म, स ) । २. पच्छा अप्पणी ( अ, म, स) । ३. देवाधि ० ( अ, क, ख, ब, म, स ) ४. विउध्विति (व, म, स ) 1 ५. X (ब, म) । Page #641 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८० भगवई १८८. जइ देवेसु उववज्जति किं भवणवासि-पुच्छा। गोयमा ! नो भवणवासिदेवेसु उववज्जंति, नो वाणमंतरदेवेसु उववज्जंति, नो जोइसियदेवेसु उववज्जति, वेमाणियदेवेसु उववज्जति । सव्वेसु वेमाणिएसु उववज्जति जाव सव्वदसिद्धअणुत्तरोववाइय वेमाणियदेवेसु° उववज्जति, अत्थेगतिया सिझंति जाव सव्वदक्खाणं अंतं करेंति ।। १८६. देवातिदेवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छति ? कहिं उववज्जति ? - गोयमा ! सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ।। १६०. भावदेवा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता - पुच्छा। जहा वक्तीए असुरकुमाराणं उन्बट्टणा तहा भाणियव्वा ॥ पंचविह-देवाणं संचिट्ठणा-पदं १६१. भवियदव्वदेवे णं भंते ! भवियदव्वदेवे त्ति कालमो केवच्चिर' होइ ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिषिण पलिग्रोवमाई । एवं जच्चेव ठिई सच्चेव संचिट्ठणा वि जाव भावदेवस्स, नवरं-धम्मदेवस्स जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी ।। पंचविह-देवाणं अंतर-पदं १६२. भवियदव्वदेवस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं अणतं कालं-वणस्सइकालो। १६३. नरदेवाणं--पुच्छा ।। गोयमा! जहण्णेणं सातिरेग सागरोवम, उक्कोसेणं अणंतं कालं - अवढं पोग्गलपरियट्टू देसूणं ॥ १९४. धम्मदेवस्स णं--पुच्छा । गोयमा ! जहण्णणं पलिअोवमपुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवड्ढे पोग्गलपरियट्ट देसूणं ।। १६५. देवातिदेवाणं-पुच्छा। गोयमा! नत्थि अंतरं ॥ १६६. भावदेवस्स णं-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उवकोसेणं अणंतं कालं-वणस्सइकालो। १. सं० पा०- अणु त्तरोववाइय जाब उत्र° २. भ० ११४४ । ३. १०६। ४. केवचिरं (अ, क, ख, म)। ५. जहेव (ब, स)। Page #642 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (दसमो उद्देसो) पंचविह-देवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं १६७. एएसि णं भंते ! भवियदव्वदेवाणं, नरदेवाण', 'धम्मदेवाणं, देवातिदेवाणं, भावदेवाण य कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा नरदेवा, देवातिदेवा संखेज्जगुणा, धम्मदेवा संखेज्जगुणा, भवियदव्वदेवा असंखेज्जगुणा, भावदेवा असंखेज्जगुणा ।। १६८. एएसि णं भंते ! भावदेवाणं भवणवासीणं, वाणमंतराणं, जोइसियाणं, वेमाणियाण-सोहम्मगाणं जाव अच्चुयगाणं, गेवेज्जगाणं, अणुत्तरोववाइयाण य कयरे कयरेहिंतो 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सम्वत्थोवा अणुत्त रोववाइया भावदेवा, उवरिमगेवेज्जा भावदेवा संखेज्जगुणा, मज्झिमगेवेज्जा संखेज्जगुणा, हेट्ठिमगेवेज्जा संखेज्जगुणा, अच्चुए कप्पे देवा संखेज्जगुणा जाव ग्राणयकप्पे देवा संखेज्जगुणा, सहस्सारे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, महासुक्के कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, लतए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, बंभलोए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, माहिंदे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, सणंकुमारे कप्पे देवा असंखेज गुणा, ईसाणे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, सोहम्मे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, भवणवासिदेवा असंखेज्जगुणा, वाणमंतरा देवा असंखेज्जगुणा °, जोतिसिया भावदेवा असंखेज्जगुणा ।। १६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। दसमो उद्देसो अविह-पाय-पदं २००. कतिविहा णं भंते ! आया' पण्णत्ता ? गोयमा! अट्टविहा पाया पण्णत्ता, तं जहा-दवियाया, कसायाया, जोगाया, उवयोगाया, नाणाया, दसणाया, चरित्ताया, वीरियाया ।। २०१. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स कसायाया ? जस्स कसायाया तस्स दवियाया? १. सं० पा०-नरदेवारणं जाव भावदेवाणं । २. सं० पा०- कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३. ४ (क, म); देवाणं (ब)। ४. सं० पा.-कयरेहितो जाब विसेसाहिया। ५. सं० पा०—एवं जहा जीवाभिगमे तिविहे देवपूरिसे अप्पाबहयं जाव जोतिसिया। ६. भ० ११५१ । ७. आता (अ, ख, ता, ब, म,स)। Page #643 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८२ भगवई गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स कसायाया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण कसायाया तस्स दवियाया नियमं अस्थि ।। २०२. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स जोगाया ? "जस्स जोगाया तस्स दवियाया? गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स जोगाया सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स दवियाया नियम अस्थि ।। २०३. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स उवयोगाया ? जस्स उवयोगाया तस्स दवि याया?–एवं सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा । गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उवनोगाया नियम अस्थि । जस्स वि उवओगाया तस्स वि दवियाया नियमं अस्थि । जस्स दवियाया तस्स नाणाया भयणाए । जस्स पूण नाणाया तस्स दवियाया नियम अस्थि । जस्स दवियाया तस्स दंसणाया नियम अस्थि । जस्स वि दंसगाया तस्स वि दवियाया नियम अस्थि । जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए, जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियमं अत्थि । 'जस्स दवियाया तस्स वीरियाया भयणाए, जस्स पुण वीरियाया तस्स दवियाया नियम अस्थि° || २०४. जस्स णं भंते ! कसायाया तस्स जोगाया -पच्छा। गोयमा ! जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियम अस्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय प्रत्थि सियनत्थि । एवं उपयोगायाए वि सम कसायाया नेयव्वा । कसायाया य नाणाया य परोप्पर दो वि भइयव्वानो। जहा कसायाया य उवोगाया य तहा कसायाया य दसणाया य, कसायाया य चरित्ताया य दो वि परोप्परं भइयव्वाप्रो । जहा कसायाया य जोगाया य तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियब्वाग्रो'। एवं जहा कसायायाए वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाए वि उवरिमाहिं समं भाणियव्वाओ। जहा दवियायाए वत्तव्वया भणिया तहा उवयोगायाए वि उवरिल्लाहिं समं भाणियन्वा ! जस्स नाणाया तस्स दंसणाया नियमं अत्थि, जस्स पुण दंसणाया तस्स नाणाया भयणाए। जस्स नाणाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नस्थि, जस्स पुण चरित्ताया तस्स नाणाया नियमं अस्थि । नाणाया वीरियाया दो वि परोप्परं भयणाए। जस्स दसणाया तस्स उवरिमाप्रो दो वि भयणाए, जस्स पूण तायो तस्स दंसणाया नियम अस्थि । जस्स युण चरित्ताया तस्स वीरियाया नियम अस्थि, जस्स पुण बीरियाया तस्स चरित्ताया सिय अस्थि सिय नस्थि ।। १. सं० पा०--एवं जहा दवियाया कसायाया ३. भणितवाओ (ख, ता)। भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणियब्वा। ४. नेयव्वा (ब)। २. सं० पा०-एवं वीरियायाए वि समं। Page #644 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (दसमो उद्देसो) अविह प्रयाणं श्रप्पा बहुत-पदं २०५. एयासि णं भंते ! दवियायाणं, कसायायाणं जाव वीरियायाण य कयरे कयरेहितो' • अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोमा ! सव्वत्थोवा चरितायाम्रो, नाणायाश्रो प्रणतगुणाम्रो, कसायायाश्र अनंतगुणा जोगाया विसेसाहियाओं, वोरियायाओ विसेसाहियाम्रो, उवयोगदवियदसणायाम तिणि वि तुल्लायो विसेसाहिया || } नाणदंसणाणं प्रत्तणा भेदाभेद-पदं २०६. प्राया भंते ! नाणे ? 'अण्णे नाणे ? गोयमा प्राया सिय नाणे सिय अण्णाणे, नाणे पुण नियमं प्राया || २०७. आया भंते ! नेरइयाणं नाणे ? अण्णे नेरइयाणं नाणे ? गोमा ! श्राया नेरइयाणं सिय नाणे, सिय अण्णाणे | नाणे पुण से नियम आया । एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ २०८. श्राया भंते! पुढविकाइयाणं अण्णाणे ? अण्णे पुढविकाइयाणं अण्णाणे ? गोमा ! या पुढविकाइयाणं नियमं अण्णाणे, अण्णाणे वि नियमं ग्राया । एवं जाव वणस्सइकाइयाणं । वेइंदिय-तेइंदियाणं जाव वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं || २०६. प्राया भंते ! दंसणे ? अण्णे दंसणे ? गोयमा ! आया नियमं दंसणे, दंसणे वि नियमं आया ॥ २१०. श्राया भंते ! नेरइयाणं दंसणे ? अण्णे नेरइयाणं दंसणे ? सियवाद-पदं २११. या भंते! रयणप्पभा पुढवी ? अण्णा रयणप्पभा पुढवी ? गोयमा ! आया नेरइयाणं नियमं दंसणे, दंसणे वि से नियमं आया । एवं जाव वेमाणियाणं निरंतरं दंड ॥ ५८३ गोयमा ! रयणप्पभा पुढवी सिय माया, सिय नोआया, सिय अवत्तन्वं - श्रायाति य नोप्रायाति य ॥ २१२. से केणट्टेणं भंते ! एवं दुच्चइ -- रयणप्पभा पुढवी सिय ग्राया, सिय नोआया, सिय अवत्तव्वं प्रायाति य नोप्रायाति य ? गोमा ! अप्पणी आदिट्ठे प्राया परस्स आदिट्ठे नोप्राया, तदुभयस्स प्रादिट्ठे' प्रवत्तव्वं -- रयणप्पभा पुढवी आयाति य नोआयाति य । से तेणद्वेणं गोयमा ! १. सं० पा० – कय रेहितो जाव विसेसाहिया । २. अण्णाणे ( म स ) । ३. अतिट्ठा (ता, ब, म) 1 ४. सं० पा० तं चैव जाव नोआयाति । Page #645 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८४ भगवई एवं वुच्चइ –रयणप्पभा पुढवी सिय पाया, सिय नोप्राया, सिय अवत्तव्वं आयाति य° नोमायाति य ।। २१३. आया भंते ! सक्करप्पभा पुढवी ? जहा रयणप्पभा पुढवी तहा सक्करप्पभादि । एवं जाव अहेसत्तमा ।। २१४. आया भंते । सोहम्मे कप्पे --पूच्छा। गोयमा ! सोहम्मे कप्पे सिय पाया सिय नोप्राया', 'सिय अवत्तव्वं-आयाति य० नोप्रायाति य ।। २१५. से केणद्वेणं भंते ! जाव आयाति य नोमायाति य ? गोयमा ! अप्पणो आइट्ठ पाया, परस्स प्राइडे नोग्राया, तदुभयस्स आइटु प्रवत्तव्वं -प्रायाति य नोमायाति य । से तेणटेणं तं चेव जाव' आयाति य नोग्रायाति य । एवं जाव अच्चए कप्पे ।। २१६. आया भंते ! गे वेज्जविमाणे ? अण्णे गेवेज्जविमाणे ? एवं जहा रयणप्पभा तहेव । एवं अणुत्तरविमाणा वि । एवं ईसिपबभारा वि ।। २१७. पाया भंते ! परमाणुपोग्गले ? अण्णे परमाणुपोग्गले ? एवं जहा सोहम्मे तहा परमाणु पोग्गले वि भाणियब्वे ।। २१८. आया भंते ! दुपएसिए खंधे ? अण्णे दुपएसिए खंधे ? गोयमा ! दुपएसिए खधे १. सिय पाया २. सिय नोपाया ३. सिय प्रवत्तव्वं-- आयाति य नोभायाति य ४. सिय पाया यनोमाया य ५. सिय आया य अवत्तव्वं--प्रायाति य नोग्रायाति य ६. सिय नोग्राया य अवत्तव्वं--प्रआयाति य नोआयाति य ।। २१६. से केणतुणं भंते ! एवं तं चेव जाव नोपाया य अवत्तव्वं--प्रायाति य नोआयाति य ? गोयमा ! १. अप्पणो प्रादिद्वे आया २. परस्स प्रादिद्वे नोआया ३. तदुभयस्स पादितु अवत्तन्वं दुपएसिए खंधे -प्रायाति य नोआयाति य ४. देसे आदिट्रे सब्भावपज्जवे देसे आदितु असम्भावपज्जवे दुप्पएसिए खंधे आया य नोप्राया य ५. देसे पादितु सम्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वं-आयाति य नोआयाति य ६. देसे आदिट्टे असब्भावपज्जवे देसे प्रादिद्वै तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे नोमाया य अवत्तव्वं - प्रायाति य नोग्रायाति य । से तेणद्वेणं तं चेव जाव नोआया य अवत्तव्वं--प्रआयाति य नोआयाति य ॥ २२०. पाया भंते ! तिपएसिए खंधे ? अण्णे तिपएसिए खंधे ? १. सं० पा० नोआया जाव नोआयाति । Page #646 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (दसमो उद्देसो) ५५५ गोयमा ! तिपसिए खंधे १. सिय पाया २. सिय नोभाया ३. सिय अवत्तव्वं-- पायाति य नोग्रायाति य ४. सिय पाया य नोग्राया य ५. सिय आया य नोआयायो य ६. सिय प्रायानी य नोआया य ७, सिय पायाय प्रवत्तव्वं - प्रायाति य नोग्रायाति य ८. सिय आया य प्रवत्तब्वाई-प्रायाओ' य नोआयाओ य ६. सिय प्रायाओ य अवत्तव्वं-मायाति य नोपायाति य १०. सिय नोपाया य अवत्तन्वं-प्रायाति य नोग्रायाति य ११. सिय नोपाया य प्रवत्तव्वाई-आयामो य नोपायायो य १२. सिय नोमायामो य अवत्तव्वंप्रायाति य नोआयाति य १३. सिय आया य नोआया य अवत्तव्वं-आयाति य नोमायाति य॥ २२१. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ तिपएसिए खंधे सिय आया-एवं चेव उच्चा रेयव्वं जाव सिय प्राया य नोमाया य अवत्तव्वं -प्रायाति य नोप्रायाति य? गोयमा ! १. अप्पणो आदिट्ठ पाया २. परस्स आदितु नोग्राया ३. तदुभयस्स आदिद्वे अवत्तव्व-प्रायाति य नोआयाति य ४. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदिटु असम्भावपज्जवे तिपएसिए खंधे पाया य नोमाया य ५. देसे आदिलृ सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा तिपएसिए खंध प्राया य नोभायात्रो य ६. देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदितु असम्भावपज्जवे तिपएसिए खंधे प्रआयामो य नोमाया य ७. देसे आदिट्ट सब्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खधे आया य अवत्तव्वं-प्रायाति य नोप्रायाति य ८. देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वाई --आयामो य नोमायाओ य ६. देसा ग्रादिदा सब्भावपज्जवा देसे आदिट्रे तभयपज्जवे तिपएसिए खधे पायाोय अवत्तव्वं--प्रायाति य नोआयाति य १०. देसे आदिट्रे असब्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नोआया य अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रायाति य ११. देसे आदिटे असभावपज्जवे देसा आदिट्टा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे नोग्राया य अवत्तव्वाइं–प्रायायो य नोप्रायानो य १२. देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे ग्रादिट्रे तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नोनायाग्रो य प्रवत्तब्वं—ायाति य नोग्रायाति य १३. देसे आदि? सम्भावपज्जवे देसे आदिटे असब्भावपज्जवे देसे आदिवै तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नोआया य प्रवत्तव्वं --आयाति य नोआयाति य । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ--तिपएसिए खंधे सिय प्राया तं चेव जाव नोप्रायाति य ।। १. आयाइ (ता); प्रायः एकवचनम् । २. य एए तिष्णि भंगा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। Page #647 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५६ भगवई पाया भंते ! चउप्पएसिए खंधे ? अण्णे "चउप्पएसिए खंधे ? ० गोयमा ! चउप्पएसिए खंधे १. सिय आया २. सिय नोपाया ३. सिय अवत्तव्वं--प्रायाति य नोआयाति य ४-७. सिय पाया य नोग्राया य ८-११. सिय पाया य अवत्तव्वं १२-१५. सिय नोपाया य अवत्तव्वं' १६. सिय प्राया य नोपाया य अवत्तब्वं-आयाति य नोआयाति य १७. सिय आया य नोग्राया य अवत्तव्वाई-आयाम्रो य नोआयाम्रो य १८. सिय पाया य नोआयाओ य अवत्तव्वं-अायाति य नोग्रआयाति य १६. सिय पायाप्रो य नोपाया य अवत्तव्वं --प्रायाति य नोग्रायाति य ।। २२३. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-च उप्पएसिए खंधे सिय पाया य नोपाया य अवत्तव्वं-तं चेव अद्रे पडिउच्चारेयव्वं ? गोयमा! १. अप्पणो आदिढे आया २. परस्स आदितु नोआया ३. तदुभयस्स पादित अवत्तव्यं —ायाति य नोआयाति य ४-७. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदिट्रे असभावपज्जवे चउभंगो ८-११. सब्भावेणं तदुभयेण य च उभंगो १२-१५. असभावेणं तदुभयेण य च उभंगो १६. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदिद्रे असभावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नोमाया य अवत्तव्यं - आयाति य नोग्रआयाति य १७. देसे आदि सब्भावपज्जवे देसे आदितु असब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा चउप्पएसिए खंधे आया य नोप्राया य अवत्तब्वाइं--पायानो य नोआयाओ य १८. देसे आदिट्रे सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे आदिटे तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंध पाया य नोभायाग्रा य अवत्तब्वं--आयाति य नोयायाति य १६. देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदिढे असब्भावपज्जवे देसे आदिट्रे नभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे पायाोय नोआया य अवत्तब- आयाति य नोआयाति य । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ --चउप्पएसिए खंधे सिय प्राया सिय नोपाया सिय अवत्तव्वं - निक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयव्वा जाव प्रायाति य नोग्रायाति य ।। २२४. प्राया भंते ! पंचपएसिए खंधे ? अण्णे पंचपए सिए खंधे ? गोयमा ! पंचपएसिए खंधे १. सिय आया २. सिय नोग्राया ३. सिय अवत्तव्वं —ायाति य नोग्रायाति य ४-७. सिय आया य नोमाया य ८-११. सिय पाया य अवत्तव्वं १२-१५. नोआया य अवत्तव्वेण य' १६. "सिय पाया य नोमाया १. सं० पा०-पुच्छा ! २. एकवचन-बहुवचनभेदात् भङ्गाः। चत्वारश्चत्वारो ३. एकवचन-बहुवचनभेदात् चत्वारश्चत्वारो भङ्गाः । ४. सं. पा०-तियगसंजोगे एक्को न पडइ; Page #648 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारसमं सतं (दसमो उदेसो) ५८७ य अवत्तव्वं १७. सिय पाया य नोभाया य अवत्तव्वाइं १८, सिय आया य नोआयामो य अवत्तव्वं १६. सिय पाया य नोनायाग्रो य अवत्तव्वाइं २०. सिय प्रायाओ य नोभाया य अक्त्तन्वं २१. सिय पायानो य नोपाया य अवत्तब्वाइं २२. सिय प्रायानो य नोभायात्रो य अवत्तव्यं ।। २२५. से केपट्टेण भंते ! "एवं बुच्चइ- पंचपएसिए खंधे सिय ग्राया जाव सिय आयायो य नोग्रायायो य अवत्तव्वं ? ° गोयमा ! १. अप्पणो आदिढे आया २. परस्स आदिढे नोग्राया ३. तदुभयस्स आदिट्टे अवत्तव्ब ४. देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसे आदितु असब्भावपज्जवे - एवं दयगसंजोगे सब्वे पडंति, तियसंजोगे एक्को न पडइ । छप्पएसियरस सव्वे पडति । जहा छप्पाएसिए एवं जाव अणंतपएसिए।। २२६. संवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहर।। एकसंयोगजाः त्रयो भङ्गाः, द्विसंयोगजा: इतिरूप: पंचप्रदेशिकस्कन्धत्वात न सम्भवति । द्वादश भङ्गाः, त्रिकसंयोगजा: सप्त भङ्गाः अतः उक्तं 'तियगसंजोगे एक्को न पडई'। सर्वे मीलिता द्वाविशतिर्भाः पञ्चप्रदेशि- १. सं० पा०-तं चेव पडिउच्चारेयव्वं । कस्कन्धे भवन्ति । त्रिकसंयोगे अष्टमो भङ्गः २. तियगसंजोगे (ख); तिगसंजोगे (ब, म)। 'सिय आयाओ य नोग्रायाओ य अवत्तब्वाई' ३. भ० ११५१ । Page #649 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं पढमो उद्देसो १. पुढवी २. देव ३. मणंतर, ४. पुढवी ५. पाहा रमेव ६. उववाए। ७. भासा ८,९. कम्मणगारे, केयाघडिया' १०. समुग्घाए ॥ १ ॥ संखेज्जवित्थडेसु नरएसु उववाय-पदं १. रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! पुढवीरो पण्णत्तानो ? गोयमा ! सत्त पुढवीनो पण्णत्तानो, तं जहा-रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा । २. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता? गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते णं भंते ! किं संखेजवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा? गोयमा ! संखेज्जवित्थडा वि, असंखेज्जवित्थडा वि॥ ३. इमीसे णं भंते ! रयणप्प भाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्ज वित्थडेसु नरएसु १. एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जति ? २. केवतिया काउलेस्सा उववज्जति ? ३. केवतिया कण्हपक्खिया उक्वज्जति ? ४. केवतिया सुक्कपक्खिया उववज्जति ? ५. केवतिया सण्णी उववज्जति ? ६. केवतिया असण्णी उववज्जति ? ७. केवतिया भवसिद्धिया' उववज्जति ? ८. केवतिया अभवसिद्धिया उववजंति ? ६. केवतिया प्राभिणिबोहियनाणी उववज्जति ? १०. केवतिया सुयनाणी उववज्जति ? ११. केवतिया रोहिनाणी उववज्जति ? १२. केवतिया मइअण्णाणी उववज्जति ? १३. केवतिया सुयअण्णाणी उववज्जति ? १४. केवतिया विभंगनाणी उववज्जति ? १५. केवतिया चक्खुदंसणी ३. भवसिद्धीया (अ, ब, म, स)। १. केयाहडिया (अ, क, ख, ब, म)। २. भ० ११४-१०। ५८८ Page #650 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (पढमी उद्देसो) ५८६ उववज्जति ? १६. केवतिया अचक्खुदसणो उववज्जंति ? १७. केवतिया हिदंसणी उववज्जति ? १८. केवतिया आहारसण्णोवउत्ता उववज्जंति ? १६. केवतिया भयसण्णोवउत्ता उववज्जति ? २०. केवतिया मेहुणसण्णोवउत्ता उववज्जंति ? २१. केवतिया परिग्गहसण्णोवउत्ता उववज्जंति ? २२. केवतिया इत्थवेदगा उववज्जति ? २३. केवतिया पुरिसवेदगा उववज्जंति ? २४ केवतिया नपुंसगवेदगा उववज्जति ? २५ २८ केवतिया कोहकसाई उववज्जति जाव केवतिया लोभकसाई उववज्जंति ? २६-३३. केवतिया सोइंदियोवउत्ता उववज्जति जाव केवतिया फासिदियोवउत्ता उववज्जंति ? ३४. केवतिया नोइंदियोवउत्ता उववज्जंति ? ३५. केवतिया मणजोगी उववज्जंति ? ३६. केवतिया व जोगी उववज्जति ? ३७. केवतिया कायजोगी उववज्जति ? ३८. केवतिया सागारोवउत्ता उववज्जंति ? ३६. केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जंति ? गोमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास सयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडे नरए जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उववज्जति । जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा काउलेस्सा उववज्जति । जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा उक्कोसेणं संखेज्जा कण्हपक्खिया उववज्जति । एवं सुक्कपक्खिया वि, 'एवं सण्णी, एवं सणी", एवं भवसिद्धिया, अभवसिद्धिया, ग्राभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मण्णाणी, सुयश्रण्णाणी, विभंगनाणी । चक्खुदंसणी न उववज्जति । जहणेण एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेण संखेज्जा प्रचक्खुदंसणी उववज्जति, एवं श्रोहिदंसणी वि । श्राहारसण्णोवउत्ता वि जाव परिग्गहसणवत्ता वि । इत्थीवेयगा न उववज्जंति, पुरिसवेयगा न उववज्जति । जहणणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा उक्कोसेणं संखेज्जा नपुंसगवेयगा' उववज्जति । एवं कोहकसाई जाव लोभकसाई । सोइंदियोवउत्तान उववज्जंति, एवं जाव फासिदिश्रोवउत्ता न उववज्र्ज्जति । जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नोइंदिप्रोवउत्ता उववज्जति । मणजोगी न उववज्जंति, एवं वइजोगी वि । जहणणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा कायजोगी उववज्जति । एवं सागारोवउत्ता वि, एवं श्रणागारोव - उत्तावि ॥ १. एवं सण्णी वि असण्णी वि ( अ ) ; एवं सणी असण्णी (क, ता ); एवं सण्णी एवं अण्णी व (स) । २. नपुं सगवेदा (क, व, म); नपु सगा (ख, ता) | ३. अणगारो उत्ता ( अ, क, ख, ता, म) । Page #651 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६० भगवई संखेज्जवित्थडेसु नरएसु उव्वट्टण-पदं ४. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावासमयसहस्सेसु संखेज्ज वित्थडेसु नरामु एगसमएणं केवतिया ने रझ्या उन्वटुंति ? केवतिया काउलेस्सा उब्वटुंति जाव केवतिया अणागारोव उत्ता उबटुंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं जहण्णणं एकको वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा ने रइया उव्वट्टति । जहण्णेणं एक्को वा दो वा निषिण वा, उक्कोमेणं संखेज्जा काउलेस्सा उन्वति । एवं जाव सुण्णी । असण्णो न उबट्टति । जहपणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखज्जा भवसिद्धिया उव्वद॒ति । एवं जाव सुयअण्णाणी। विभंगनाणी न उव्वदृति, चक्खुदंसणी न उन्वय॒ति । जहणणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा अचक्खुदसणी उन्वटुंति । एवं जाव लोभकसाई । सोइंदियोवउत्ता न उव्वदृति, एवं जाव फासिदियोवउत्ता न उव्वट्ठति । जहण्णणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नोइंदियोवउत्ता उव्वद॒ति । मणजोगी न उव्वदृति, एवं वइजोगी वि। जहणणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सखेज्जा कायजोगी उव्वट्ठति । एवं सागारोव उत्ता, अणागारोव उत्ता।। संखेज्जवित्थडेसु नरएसु सत्ता-पदं ५. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्ज वित्थडेसू नरएस केवतिया नेरइया पण्णत्ता ? केवतिया काउलेस्सा जाव केवतिया अणागारोवउत्ता पण्णत्ता? केवतिया अणंत रोववण्णगा पण्णत्ता? केवतिया परंपरोववष्णगा पण्णत्ता? केवतिया अणतरोबगाढा पण्णत्ता? केवतिया परंपरोवगाढा पण्णत्ता? केवतिया अणनराहारा पणत्ता? केवतिया परपराहारा पण्णत्ता ? केवतिया अणंतरपज्जत्ता पणत्ता? केवतिया परंपरपज्जत्ता पण्णत्ता? केवतिया चरिमा पण्णत्ता ? केवतिया अचरिमा पणत्ता? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाष पुढवीए तीसाग निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नासु संखेज्जा नेरइया पणना, संखेज्जा काउलेस्सा पग्णत्ता, एवं जाव संखेज्जा सण्णी पण्णत्ता। असण्णी सिय अस्थि, सिय नस्थि । जइ अत्थि जहणणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा पण्णत्ता। संखेज्जा भवसिद्धिया पण्णत्ता । एवं जाव संखेज्जा परिग्गहसण्णोव उत्ता पण्णत्ता । इत्थिवेदगा नत्थि, पूरिसवेदगा नत्थि, संखेज्जा नपुंसगबेदगा पण्णत्ता। एवं कोह १. निरतेसु (ता)। Page #652 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सत (पढमो उद्देसो) ५६१ कसाई वि, माणकसाई जहा असण्णी, एवं जाव लोभकसाई । संखेज्जा सोइंदियोवउत्ता पण्णत्ता, एवं जाव फासिदियोव उत्ता। नोइंदियोव उत्ता जहा असण्णी। संखेज्जामणजोगी पण्णत्ता एवं जाव अणागारोवउत्ता । अणंतरोवण्णगा सिय अत्थि, सिय नत्थि । जइ अत्थि जहा असपणी । संखेज्जा परंपरोववण्णगा पण्णत्ता । एवं जहा अणंतरोववष्णगा तहा अणंतरोवगाढगा, अणंतराहारगा, अणंतरपज्जत्तगा। परंपरोवगाढगा जाव अचरिमा जहा परंपरोववण्णगा। ६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेस असंखेज्ज वित्थडेसु नासु एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जति जाव केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु असंखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं असंखेज्जा ने रइया उववज्जति । एवं जहेव संखेज्जवित्थडेसु तिण्णि गमगा' तहा असंखेज्जवित्थडेसु वि तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवरं--असंखेज्जा भाणियव्वा, सेसं तं चेव जाव असंखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता', नवरं--संखेज्जवित्थडेसु असंखेज्जवित्थडेसु वि प्रोहिनाणी अोहिदंसणी य संखेज्जा उव्वट्टा वेयव्वा, सेसं तं चेव ॥ ७. सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए केवतिया निरयावास सयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! पणुवीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते ण भंते ! कि संखेज्जवित्थडा ? असखज्जवित्थडा? एवं जहा रयणप्पभाए तहा सक्करप्पभाए वि, नवरं-असण्णी तिसु वि गमएसु न भण्णति, सेसं तं चेव ।। ८. वालुयप्पभाए णं-पुच्छा। गोयमा ! पन्नरस निरयावाससयसहस्सा पण्णता, सेसं जहा सक्करप्पभाए, नाणत्तं लेसासु, लेसाप्रो जहा पढमसए ।। ६. पंकप्पभाए णं-पुच्छा । गोयमा ! दस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, एवं जहा सक्करप्पभाए, नवरं -ओहिनाणी अोहिदसणी य न उव्वटुंति, सेसं तं चेव ।। १०. धूमप्पभाए णं-पुच्छा। १. गमा (ता)। नासौ पाठः संगच्छते । २. पण्णत्ता नागत्तं लेसासु लेसाओ जहा ३. सं० पा०-पुच्छा। पढमसए (अ, क, ख, ब, म, स); रत्न- ४. भ० ११२४४ । प्रभायां एकव कापोतीलेश्या भवति, तेन Page #653 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६२ गोयमा ! तिण्णि निरयावासस्यसहस्सा, एवं जहा पंकप्पभाए ॥ ११. तमाए णं भंते! पुढवीए केवतिया निरयावास सयसहस्सा पण्णत्ता • ? गोमा ! एगे पंचूणे निरयावास सय सहस्से पण्णत्ते । सेसं जहा पंकप्पभाए ॥ १२. प्रसत्तमाए णं भंते! पुढवीए कति अणुत्तरा महतिमहालया महानिरया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच अणुत्तरा मतिमहालया महानिरया पण्णत्ता, तं जहा - काले, महाकाले, रोरुए, महारोरुए, अपइट्ठाणे | ते णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा ? गोयमा ! संखेज्ज वित्थडे य असंखेज्जवित्थडा य ॥ १३. असत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु महानिरएसु संखेज्जवित्थडे नरए एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जंति ? एवं जहा पंकप्पभाए, नवरं - तिसु नाणेसु न उववज्जंति, न उब्वदृति, पण्णतसु त थि । एवं प्रसंखेज्जवित्थडेसु वि, नवरं - असंखेज्जा भाणियव्वा । १४. इमी से णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास सय सहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु कि सम्मद्दिट्ठी नेरइया उववज्जंति ? मिच्छदिट्टी नेरइया उववज्जति ? सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जंति ? गोयमा ! सम्मदिट्ठीवि नेरइया उववज्जंति, मिच्छदिट्ठी वि नेरइया उववज्जति, नो सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति ॥ १५. इमीसे गं भंते ! रयणम्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावासस्यसहस्सेसु संखेज्जवित्थडे नरसु किं सम्मदिट्ठी नेरइया उब्वट्टेति ? एवं चैव ॥ 4 भगवई १६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडा नरगा कि सम्मद्दिट्ठीहि नेरइएहि श्रविरहिया ? मिच्छदिट्ठीहिं एहि विरहिया ? सम्मामिच्छदिट्ठीहिं ने रइएहिं अविरहिया ? गोयमा ! सम्मट्टीहिं नेरइएहि अविरहिया, मिच्छदिट्ठीहि वि नेरइएहि अविरहिया, सम्मामिच्छदिट्ठीहि नेरइएहिं प्रविरहिया विरहिया वा । एवं असंखेज्ज वित्थडेसु वितिष्णि गमगा भाणियव्वा । एवं सक्करप्पभाए वि, एवं जाव तमाए वि ॥ १७. प्रसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंचसु श्रणुत्तरेसु जाव' संखेज्जवित्थडे नरए कि सम्मद्दिट्ठी नेरइया - पुच्छा ! १. सं० पा०- पुच्छा २. सं० पा०-- अणुत्तरा जाव अपद्वाणे । ३. महतिमहा जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) 1 ४. पण्णत्तासु ( अ, ता, म, स); पण्णत्तेसु (क, ब) 1 ५. भ० १३।१२ । Page #654 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (बीओ उद्देसो) ५६३ गोयमा ! सम्मट्ठिी नेरइया न उववज्जति, मिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति, सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया न उववज्जति । एवं उब्वट्ठति वि', अविरहिए जहेव रयणप्पभाए । एवं असंखेज्जवित्थडेसु वि तिण्णि गमगा ॥ १८. से नूणं भंते ! कण्हलेस्से, नीललेस्से जाव सुवकलेस्से भवित्ता कण्हलेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति ? हंता गोयमा ! कण्हलेस्से जाव उववज्जति ।। १६. से केणट्रेणं भंते ! एवं वच्चइ - कण्हलेस्से जाव उववज्जति ? गोयमा ! लेस्सट्ठाणेसु सकिलिस्समाणेसु-संकिलिस्समाणेसु कण्हलेसं परिणमइ, परिणमित्ता कण्हलेसेसु नेरइएसु उववज्जंति । से तेण?णं जाव उववज्जति । २०. से नूणं भंते ! कण्हलेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति? हंता गोयमा ! जाव उववज्जति ।। २१. से केणट्टेणं जाव उववज्जति ? गोयमा ! लेस्सट्टाणेसु संकिलिस्समाणेसु वा विसुज्झमाणेसु वा नीललेस्सं परिणमइ, परिणमित्ता नीललेस्सेसु ने रइएसु उववज्जति । से तेण?णं गोयमा ! जाव उववज्जति ।। २२. से नणं भंते ! कण्हलेस्से, नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता काउलेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति ? एवं जहा नीललेस्साए तहा काउलेस्साए वि भाणियव्वा जाव से तेणटेणं जाव उववज्जति ।। २३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति । वीओ उद्देसो २४. कतिविहा णं भंते ! देवा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउबिहा देवा पण्णता, तं जहा–भवणवासी, वाणमंतरा, जोइ सिया, वेमाणिया !! २५. भवणवासी णं भंते ! देवा कतिविहा पण्णत्ता ? १. भ० ११५१ । Page #655 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा - असुरकुमारा-- एवं भेस्रो' जहा वितियस देवद्देस जाव' अपराजिया, सव्बट्ठसिद्धगा | २६. केवतिया णं भंते ! असुरकुमारावासस्यसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोयट्ठि असुरकुमारावासस्यसहस्सा पण्णत्ता । ते णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा ? प्रसंखेज्जवित्थडा ? गोयमा ! संखेज्जवित्थडा वि, असंखेज्जवित्थडा वि || २७. चोयट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु ग्रसूरकुमारावासे एगसमएणं केवतिया असुरकुमारा उववज्जंति जाव केवतिया तेउलेस्सा उववज्जंति ? केवतिया कण्हपक्खिया उववज्र्ज्जति ? एवं जहा रयणप्पभाए तव पुच्छा, तहेव' वागरणं, नवरं - दोहिं वेदेहिं उववज्जति, नपुंसगवेयगा न उववज्जति, सेसं तं चेव । उव्वट्टंतगा वि तहेव, नवरं - प्रसण्णी उव्वति । ५६४ नाणी हिदंसणी य ण उब्वट्टंति, सेसं तं चेव । पण्णत्तएसु' तहेव, नवरंसंखेज्जगा इत्थवेदगा पण्णत्ता, एवं पुरिसवेदगा वि, नपुंसगवेदगा नत्थि । कोहकसाई सिय प्रत्थि सिय नत्थि । जइ प्रत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा पण्णत्ता । एवं माणकसाई मायकसाई | संखेज्जा लोभकसाई पण्णत्ता, सेसं तं चेव । तिसु वि गमएसु चत्तारि लेस्साओ भाणि - यव्वा । एवं असंखेज्जवित्थडेसु वि, नवरं - तिसु वि गमएसु प्रसंखेज्जा भाणियव्वा जाव' असंखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता ॥ २८. केवतिया णं भंते! नागकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? एवं जाव थणियकुमारा, नवरं - जत्थ जत्तिया भवणा | २६. केवतिया णं भंते । वाणमंतरावाससय सहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा वाणमंतरावाससयसहस्सा पण्णत्ता । ते णं भंते किं संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्ज वित्थडा ? गोयमा ! संखेज्जवित्थडा, नो असंखेज्ज वित्थडा || ३०. संखेज्जेसु णं भंते ! वाणमंतरावासस्यसहस्सेगु एगसमएणं केवतिया वाणमंतरा उववज्जति ? एवं जहा असुरकुमाराणं संखेज्जवित्थडेसु तिष्णि गमगा" तहेव भाणियव्वा वाणमंतराण वि तिष्णि गमगा ॥ १. X (ता, ब ) । २. भ० २।११७ १० २ । ३. चोसट्ठि (स) 1 ४. चोसट्ठीए ( स ) । ५. भ० १३।३ ॥ ६. पण्णत्तासु ( अ, क, व, म, स ) 1 ७. गमसु संखेज्जेसु ( अ, स ) 1 ८. भ० १३।५ । ६. भ० १।२१३ १०. गमा ( क, ख, ता, व, म) 1 Page #656 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (बीओ उद्देसो) ३१. केवतिया णं भंते! जोइसियविमाणावाससय सहस्सा' पण्णत्ता ? गोमा ! असंखेज्जा जोइसियविमाणावासस्यसहस्सा पण्णत्ता | ते णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा • ? एवं जहा वाणमंतराणं तहा जोइसियाण वि तिष्णि गमगा भाणियव्वा, नवरं - एगा तेउलेस्सा | उववज्जंतेसु पण्णत्तेसु य असण्णी नत्थि, सेसं तं चेव || ३२. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवतिया विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! बत्तीसं विमाणावासस्यसहस्सा पण्णत्ता । ते णं भंते! कि संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा ? गोमा ! संखेज्जवित्थडा वि, असंखेज्जवित्थडा वि ।। ३३. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे बत्तीसार विमाणावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडे सु विमाणे एसमएणं केवतिया सोहम्मा देवा उववज्जति ? केवतिया तेउलेस्सा उववज्जति ? एवं जहा जोइसियाणं तिष्णि गमगा तहेव तिणि गमगा भाणियव्वा, नवरं - तिसु विसंखेज्जा भाणियव्वा, ओहिनाणी हिदंसणी य चयावेयव्वा, सेसं तं चेव । असंखेज्जवित्थडेसु एवं चेव तिष्णि गमगा, नवरं-तिसु वि गमएसु असंखेज्जा भाणियव्वा । मोहिनाणी मोहिदंसणी य संखेज्जा चयंति, सेसं तं चेव । एवं जहा सोहम्मे वत्तव्वया भणिया तहा ईसाणे वि छ गमगा भाणि - यव्वा । सणकुमारे एवं चेव, नवरं - इत्थीवेयगा उववज्जंतेसु' पण्णत्तेसु य न तिणीति वि गमएसु न भण्णंति, सेसं तं चैव । एवं जाव सहस्सारे, नागतं विमाणेसु लेस्सासु य, सेसं तं चैव ॥ ३४. प्राणय-पाणएसु णं भंते ! कप्पेसु केवतिया विमाणावाससया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि विमाणावाससया पण्णत्ता । ते भंते ! कि संखेज्जवित्थडा ? प्रसंखेज्जवित्थडा ? ५६५ गोयमा ! संखेज्जवित्थडा वि, प्रसंखज्जवित्थडा वि । एवं संखेज्जवित्थडे सु तिष्णि गमगा जहा सहस्सारे, असंखेज्जवित्थडेसु उववज्जंतेसु चयंतेसु य एवं वेब संखेज्जा भाणियव्वा, पण्णत्तेसु असंखेज्जा, नवरं - नोइंदियोवउत्ता अनंतरोववण्णगा प्रणंतरोवगाढगा अनंतराहारंगा अणंतरपज्जत्तगा य एएसिं जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा पण्णत्ता, सेसा असंखेज्जा भाणियव्वा । 'आरण-प्रच्चुएसु' एवं चेव जहा प्राणय- पाणएसु, नाणत्तं विमासु । एवं गेवेज्जगा वि ॥ १. जोतिसियावास सहस्सा ( अ, क, ख, ता, ऋ, म) २. न उववज्जंति ( स ) 1 ३. आरणच्चुए ( अ, क, ख, ब, म, स ) | Page #657 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मगवई ३५. कति णं भंते ! अणुत्तरविमाणा पण्णता ? गोयमा ! पंच अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता। 'ते णं भंते ! कि संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा ? गोयमा" ! संखेज्जवित्थडे य असंखेज्जवित्थडा य ।। ३६. पंचसु णं भंते ! अणुत्तरविमाणेसु संखेज्जवित्थडे विमाणे एगसमएणं केवतिया अणुत्तरोववाइया उववज्जंति ? केवतिया सुक्कलेस्सा उववज्जति-पुच्छा तहेव। गोयमा ! पंचसु णं अणुत्तरविमाणेसु संखेज्जवित्थडे अणुत्तरविमाणे एगसमएणं जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा अणुत्तरोववाइया उववज्जंति, एवं जहा गेवेज्जविमाणेसु सांखेज्जवित्थडेसु, नवरं-किण्हपक्खिया, अभवसिद्धिया, तिसु अण्णाणेसु एए न उववज्जति, न चयंति, न वि पण्णत्त एसु भाणियन्वा, अचरिमा वि खोडिज्जति जाव संखेज्जा चरिमा पग्णत्ता, सेसं तं चेव ! असंखेज्जवित्थडेसु वि एए न भण्णंति, नवरं --अचरिमा अत्थि, सेसं जहा गेवेज्जएसु असंखेज्जवित्थडेसु जाव असंखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता ।। चोयट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु असुरकुमारावासेसु किं सम्मद्दिट्टी असुरकुमारा उववज्जंति ? मिच्छदिट्ठी असुरकुमारा उववज्जति ? एवं जहा रयणप्पभाए तिण्णि आलावगा भणिया' तहा भाणियव्वा । एवं असंखेज्जवित्थडेसु वि तिष्णि गमगा, एवं जाव गेवेज्जविमाणे, अणुत्तरविमाणेसु एवं चेव, नवरं-तिसु वि पालावएसु मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी य न भण्णंति, सेसं तं चेव ॥ ३८. से नूणं भंते ! कण्हलेस्से नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता कण्हलेस्सेसु देवेसु उववज्जति ? हंता गोयमा ! एवं जहेब नेरइएसु पढमे उद्देसए' तहेव भाणियब्वं । नीललेस्साए वि जहेव नेरइयाणं, जहा नीललेस्साए एवं जाव पम्हलेस्सेसु, सुक्कलेस्सेसु एवं चेव, नवरं-लेस्सहाणेसु विसुज्झमाणेसु-विसुज्झमाणेसु सुक्कलेस्सं परिणमंति, परिणमित्ता सुक्कलेस्सेसु देवेसु उववज्जति । से तेणटेणं जाव उववज्जति ।। ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ १. X (अ, क, ख, ता, व, म) ! २. भ० १३।१४ । ३. भ० १३।१८-२२ । ४. भ० ११५१ । Page #658 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (च उत्यो उद्देसो) तइयो उद्देसो ४०. नेरइया णं भंते ! अणंतराहारा, ततो निव्वत्तणया, एवं परियारणापद निरव सेसं भाणियव्वं ।। ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति । चउत्थो उद्देसो नरय-नेरइयाणं अप्पमहंत-पदं ४२. कति' णं भंते ! पुढवीनो पण्णत्तायो ? गोयमा ! सत्त पुढवीनो पण्णतामो, तं जहा~~-रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा ।। ४३. अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंच अणुत्तरा महतिमहालया 'महानिरया पण्णत्ता, तं जहा-काले, महाकाले, रोरुए, महारोहए,° अपइटाणे । ते णं नरगा छट्ठीए तमाए पुढवीए नरएहितो महत्तरा चेव, महावित्थिण्णतरा" चेव, महोगासतरा चेव, महापइरिक्कतरा चेव, नो तहा महप्पवेसणतरा" चेव, ग्राइण्णतरा चेव, याउलतरा चेव, अणोमाणतरा चेव । तेसु णं नरएसु ने रइया छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइएहितो महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, १. ५० ३४ । २. भ० ११५१ । ३. इह च द्वारगाये क्वचिद् दृश्येते, तद्यथा १. नेरइय २. फास ३. पणिहि, ४. निरयते चेव ५. लोयमझेय। ६. दिसिविदिसाण य पवहा, ७. पवत्तणं अत्थिकाएहि ॥१॥ ८. अत्थी पएसफुसणा, है. ओगाहणया य जीवमोगाढा । १०. अस्थि पएसनिसीयणं, ११. बहसमे लोयसंठाणे ॥२॥ (द)। ४. सं० पा०—महतिमहालया जाव अप इट्टाणे। ५. छठाए (अ, क, ख, ता, म)। ६. महंतरा (क, ब, म)। ७. महाविच्छिण्णतरा (अ, स)। ८. महावासतरा (अ, क); महोवासतरा (ख, ता); महावासंतरा (म, स)। .. 'नो' शब्दः उत्तरपदद्वयपि सम्बन्धनीयः (७)। १०. महापवेसरगतरा (म, स)। ११. अणोयणतरा (अ, ख, ता, म, स, वृपा)! Page #659 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई महासवतरा' चेव, महावेदणतरा चेव, नो तहा अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चेव, अप्पिड्ढियतरा' चेव, अप्पजुतियतरा चेव, नो तहा महिड्ढियतरा चेव, महज्जुतियतरा चेव । छट्ठीए णं तमाए पुढवीए एगे पंचूणे निरयावाससयसहस्से पण्णत्ते । ते णं नरगा अहेसत्तमाए पुढवीए नरएहिंतो नो तहा महत्तरा चेव, महावित्थिण्णतरा चेव, महोगासतरा चेव, महापइरिक्कतरा चेव, महप्पवेसणतरा चेव, प्राइगणतरा चेव, पाउलत रा चेव, अणोमाणतरा चेव । तेसु णं नरएसु नेरइया अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएहितो अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चेव ; नो तहा महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेदणतरा चेव; महिड्ढियतरा चेव, महज्जुइयतरा चेव ; नो 'तहा अप्पिड्ढियतरा" चेव, अप्पजुइयतरा चेव ।। छटीए णं तमाए पढवीए नरगा पंचमाए धमप्पभाए पढवीए नरएहितो महत्तरा चेव, महावित्थिण्णतरा चेव, महोगासतरा चेव, महापरिक्कतरा चेव ; नो तहा महप्पवेसणतरा चेव, प्राइण्णतरा चेव, पाउलतरा चेव, अणोमाणतरा चेव । तेसु णं न रएसु नेरइया पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइएहितो महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेदणतरा चेव ; नो तहा अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चेव; अप्पिड्ढियतरा चेव, अप्पजुतियतरा चेव; नो तहा महड्ढियतरा चेव, महज्जुतियतरा चेव । पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिण्णि निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता । एवं जहा छद्रोए भणिया एवं सत्त वि पुढवीओ परोप्परं भण्णंति जाव रयणप्पभंति जाव नो तहा महड्ढियतरा चेव, अप्पजुतियतरा चेव ।। नेरइयाणं फासाणुभव-पदं रयणप्पभापुढविने रइया णं भंते ! केरिसयं पुढविफासं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति? गोयमा ! अणिटुं जाव' अमणामं । एवं जाव अहेसत्तमपुढविने रइया । एवं पाउफासं, एवं जाव वणस्सइफासं ।। १. महस्सवतरा (क, ता, म)। २. अपिढितरा (ता, ब)। ३. अप्पज्जुत्तितरा (अ, ता, ब)। ४. तहप्पिड्ढियतरा (अ, क, ख, स); तहिप्पि ड्ढियतरा (ता)। ५. भ. १३५७१ Page #660 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं वउत्यो उद्देसो) ५९६ नरयाणं बाहल्ल-खुड्डत्त-पदं ४५. इमा णं भंते ! रयणपभापुढवी दोच्चं सक्करप्पभं पुढवि पणिहाय सब्वमहं तिया बाहल्लेणं, सव्वखुड्डिया सव्वतेसु ? "हंता गोयमा ! इमा ण रयणप्पभापुढवी दोच्चं पुढवि पणिहाय जाव सव्वखुड्डिया सब्बतेसु । दोच्चा णं भंते ! पुढवी तच्चं पुढवि पणिहाय सव्वमहंतिया बाहल्लेणं-पुच्छा। हंता गोयमा ! दोच्चा णं पुढवी जाव सव्वखुड्डिया सव्वंतेसु । एवं एएणं अभिलावेणं जाब छट्ठिया पुढवी अहेसत्तमं पुढवि पणिहाय जाव सव्वखुड्डिया सव्वंतेमु° निरयपरिसामंत-पदं ४६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु जे पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया तेणं जीवा महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेदणतरा चेव ? हंता गोयमा ! इमोसे णं रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु तं चेव जाव महावदणतरा चेव । एवं ° जाव अहेसत्तमा । लोगमझ-पदं ४.७. कहि णं भंते ! लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ? गोयमा ! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए प्रोवासंतरस्स असंखेज्जइभाग ओगाहेत्ता, एत्थ णं लोगस्स पायाममझ पण्णत्तं ।। ४८. कहि णं भंते ! अहेलोगस्स प्रायाममज्झे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए प्रोवासंत रस्स सातिरेगं अद्धं प्रोगाहेत्ता, एत्थ णं अहेलोगस्स पायाममज्झे पण्णत्ते ।। ४६. कहि णं भंते ! उड्ढलोगस्स अायाममज्झे पण्णते ? गोयमा ! उप्पि सगंकुमार-माहिदाणं कप्पाणं हेडिं बंभलोए कप्पे रिट्ठविमाणे पत्थडे, एत्थ णं उड्ढलोगस्स पायाममझे पण्णत्ते ।। ५०. कहिणं भंते ! तिरियलोगस्स प्रायाममझे पण्णते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्भदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए १. सं० पा०-एवं जहा जीवाभिगमे बितिए ३. सं० पा०—एवं जहा नेरइयउद्देसए जाय । नेरइय उद्देसए। ४. हत्थिं (क); हवि (ख, ता); हिट्टि (ब); २. निरयापरिसमतेसु (ता)। हदि (म)। Page #661 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपयरेस', एत्थ णं तिरियलोगमज्झे अट्ठपएसिए रुयए पण्णत्ते, जो णं इमामो दस दिसायो पवहंति, तं जहा--१. पुरत्थिमा २. पुरथिमदाहिणा ३. दाहिणा ४. दाहिणपच्चत्थिमा ५. पच्चस्थिमा ६. पच्चत्थिमुत्तरा ७. उत्तरा ८. उत्तरपुरस्थिमा ६. उड्ढा १०. अहो ।। ५१ एयासि णं भंते ! दसण्हं दिसाणं कति नामधेज्जा पण्णता? गोयमा ! दस नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा-- इंदा अग्गेयी जमा, य नेरई वारुणी य वायव्वा । सोमा ईसाणी या, विमला य तमा य वोद्धव्वा ॥१॥ ५२. इंदा णं भंते ! दिसा किमादीया, किपवहा, कतिपदेसादीया, कतिपदेसुत्तरा, कतिपदेसिया, किंपज्जवसिया, किसंठिया पण्णता ? गोयमा ! इंदा णं दिसा रुयगादीया, रुयगप्पवहा, दुपएसादीया, दुपएसुत्तरा, लोगं पडुच्च' असंखेज्जपएसिया, अलोगं पडुच्च प्रणतपएसिया, लोग पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, अलोग पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, लोगं पडुच्च मुरवसंठिया, अलोगं पडुच्च सगडुद्धिसंठिया पण्णत्ता॥ अग्गेयी णं भंते ! दिसा किमादोया, किंपवहा, कतिपएसादीया, कतिपएसवित्थिण्णा, कतिपएसिया, किंपज्जवसिया, किसंठिया पण्णता? गोयमा ! अग्गेयी णं दिसा रुयगादीया, रुयगप्पवहा, एगपएसादीया, एगपएसवित्थिण्णा- अणुत्तरा, लोगं पडुच्च असंखेज्जपएसिया अलोगं, पडुच्च अणंतपएसिया, लोगं पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, अलोगं पडुच्च सादीथा अपज्जवसिया, छिण्णमुत्तावलिसंठिया पण्णत्ता । जमा जहा इंदा, नेरई जहा अम्गेयी । एवं जहा इंदा तहा दिसानो चत्तारि', जहा अग्गेई तहा चत्तारि विदिसायो।। विमला णं भंते ! दिसा किमादीया, किंपवहा, कतिपएसादीया, कतिपएसवित्थिण्णा, कतिपएसिया, किंपज्जवसिया, किसंठिया पण्णत्ता ° ? गोयमा ! विमला ण दिसा रुयगादीया, रुयगप्पवहा, चउप्पएसादीया, दुपएसवित्थिण्णा--अणुत्तरा, लोगं पडुच्च असंखेज्जपएसिया, अलोगं पडुच्च अणंतपएसिया, लोगं पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, अलोगं पडुच्च सादीया अपज्जवसिया°, रुयगसंठिया पण्णत्ता । एवं तमा वि ॥ ५३. १. खुड्डाग° (ता, ब)। ४. चत्तारि वि (क, ख, ता, ब, म)। २. सं० पा०-एवं जहा दसमसए जाव नाम- ५. सं० पा०-पुच्छा जहा अग्गेयोए। धेज्जे ति। ६. सं० पा०--सेसं जहा अग्गेयीए नवरं रुयग३. पडुच्चा (ता) सर्वत्र । संठिया। Page #662 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (च उत्थो उद्देसो) लोय-पदं ५५. किमियं भंते ! लोएत्ति पच्चइ ? गोयमा ! पंचत्थिकाया, एस णं एवतिए लोएत्ति पवुच्चइ, तं जहा-धम्मत्थि काए, अधम्मत्थिकाए' मागासथिकाए, जीवत्थिकाए , पोग्गलत्थिकाए । ५६. धम्मत्थिकारणं भंते ! जीवाणं कि पवत्तति ? गोयमा ! धम्मत्थिकाएणं जीवाणं आगमण-गमण-भासुम्मेस-मणजोग-वइजोगकायजोगा, जे यावण्णे तहप्पगारा चला भावा सव्वे ते धम्मत्थिकाए पवत्तंति । गइलक्खणे णं धम्मत्थिकाए । ५७. अधम्मत्थिकाएणं भंते ! जीवाणं कि पवत्तति ? गोयमा ! अधम्मत्थिकाएणं जीवाणं ठाण-निसीयण-तुयट्टण', मणस्स य एगत्तीभावकरणता, जे यावण्णे तहप्पगारा थिरा भावा सव्वे ते अधम्मत्थिकाए पवत्तंति । ठाणलक्खणे णं अधम्मत्थिकाए । पागासत्थिकाएणं भंते ! जीवाणं 'अजीवाण य" किं पवत्तति ? गोयमा ! आगासत्थिकाए णं जीवदव्वाण ‘य अजीवदव्वाण य भायणभूए एगेण वि से पुण्णे, दोहि वि पुण्णे सयं पि माएज्जा। कोडिसएण वि पुण्णे, कोडिसहस्सं पि भाएज्जा ॥१॥ अवगाहणालवखणे णं आगासत्थिकाए । ५४. जीवस्थिकाए णं भंते ! जीवाणं कि पवत्तति ? गोयमा ! जीवस्थिकाएणं जीवे अणंताणं आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं, अणंताणं सुयनाणपज्जवाणं "प्रणताणं अोहिनाणपज्जवाणं, अणंताणं मणपज्जवनाणपज्जवाणं, अणंताणं केवलनाणपज्जवाणं, अणंताणं मइअण्णाणपज्जवाणं, अणंताणं सुयअण्णाणपज्जवाणं, अणंताणं विभंगनाणपज्जवाणं, अणंताणं चक्खुदंसणपज्जवाणं, अणताणं अचक्खुदंसणपज्जवाणं, अणंताणं अोहिदसणपज्जवाणं, अणंताणं केवलदसणपज्जवाणं ° उवयोगं गच्छति । उवयोगलक्खणे' णं जीवे ॥ ६०. पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! जीवाणं कि पवत्तति ? १. अहम्म ° (अ, क, म, स); सं० पा०- अधम्मत्थिकाए जाव पोरगलत्थिकाए। २. भासुमोस (अ, स); भासुमेस (ख)। ३. प्रथमाबहुवचनलोप दर्शनात् (व)। ४. X (ख, ब, म)। ५. ४ (ख)। ६. सं० पाo-एवं जहा बितियसए अत्थिकाय उद्देसए जाव उवयोग । ७. उवयोग (क, ता); उवजोग (ब)। ८. सं० पा०-पुच्छा। Page #663 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! पोग्गलत्थकारणं जीवाणं ओरालिय- वे उब्विय- 'ग्राहारा तेया कम्मा"सोइंदिय - चक्खिदियघाणिदिय जिभिदिय फासिंदिय-मणजोग-वइजोग-कायजोग-प्राणापाणूणं च गहणं पवत्तति । गहणलक्खणे णं मोग्गलत्थकाए || धम्मस्थिकायादीणं परोप्परं फास - पर्द ६१. एगे भंते ! धम्मत्थिकायपदेसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुट्टे ? गोमा ! जहणपदे तिहि, उक्कोसपदे छहि । केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठे ? जहण्णपदे चउहि, उक्कोसपदे सत्तहि । केवतिएहिं आगासत्थिकायपदेसेहि पुट्ठे ? सत्तहि । केवतिएहि जीवत्थि कायपदेसेहिं पुढे ? अणतेहि । haतिएहिं पोग्गलत्थकायपदेसेहि पुट्ठे ? प्रणतेहिं । केवतिएहि श्रद्धासमएहि पुट्ठे ? सिय पुढे सिय नो पुट्ठे, जइ पुट्ठे नियम अणतेहि || ६०२ ६२. एगे भंते ! धम्मत्थिकायपदे से केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहि पुट्ठे ? गोमा ! जहणपदे उहि उक्कोसपदे सत्तहिं । केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहि पुट्ठे ? जहणपदे तिहि, उक्कोसपदे छहिं । सेसं जहा धम्मत्थि कायस्स ॥ ६३. एगे भंते ! आगासत्थिकायपदे से केवतिएहि धम्मत्थि कायपदेसेहिं पुट्टे ? गोमा ! सिय पुट्टे सिय नो पुट्ठे, जइ पुट्ठे जहण्णपदे एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोपदे सतहि । एवं ग्रधम्मत्थिकायपदेसेहि वि । केवतिएहिं आगासत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? छहि । केवतिएहिं जीवत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठे ? सिय पुढे सियो पुट्ठे, जइ पुट्ठे नियमं प्रणतेहि । एवं पोगलत्थिकायपदेसेहि वि, श्रद्धासमएहिं वि ।। ६४. एगे भंते ! जीवत्थिकायपदेसे केवतिएहिं धम्मत्थिकाय' पदेसे हि पुट्ठे ? • जहण्णपदे चउहिं, उक्कोसपदे सत्तहिं । एवं प्रधम्मत्थिकायपदेसेहिं वि । केवतिएहिं प्रागासत्थिकाय' पदेसेहिं पुट्ठे ? सत्तहिं । केवतिएहि जीवत्थिकायपदेसेहि पुट्ठे ? तेहि । सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स || 0 ६५. एगे भंते ! पोग्गलत्थि कायपदेसे केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठे ? एवं जहेव' जीवत्थिकायस्स || - ६६. दो भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा के वतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहि पुट्ठा ? गोमा ! जहण्णपदे छहि, उक्कोसपदे बारसहिं । एवं अधम्मत्थिकायपदेसे हिं वि । केवतिएहि आगासत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठा ? वारसहि । सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स || १. आहारए तेयकम्मए ( ख ) । २. गोयमा ! जहणपदे ( स ) सर्वत्र | ३. सं० पा० पुच्छा । ४. सं० पा० पुच्छा ! ५. भ० १३/६१ । ६. भ० १३।६४ । ७. भ० १३ ६१ । Page #664 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ६७. तिष्णि भंते ! पोग्गलस्थिकायपदेसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठा ? जहणपदे अहि, उक्कोसपदे सत्तरहि । एवं अधम्मत्थिकायपदेसेहि वि । केवतिएहिं आगासस्थिकायपदेसेहिं पुट्ठा ? सत्तरसहिं। सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स । एवं एएण गमेणं भाणियव्वा' जाव दस, नवर. ....जहण्णपदे दोग्णि पक्खिवियत्रा, उक्कोसपदे पंच 1 चत्तारि पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे दसहि, उक्कोसपदे वावीसाए । पंच पोग्गलस्थिकायस्स पदेसा जहष्णपदे वारसहिं उक्कोसपदे सत्तावीसाए । छ पोरगलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे चोद्दसहि, उक्कोसपदे वत्तीसाए । सत्त पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे सोलसहि, उक्कोसपदे सत्ततीसाए । अट्ठ पोरगलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे अट्ठारसहिं, उक्कोसपदे बायालीसाए । नव पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे वीसाए, उक्कोसपदे सीयालीसाए। दस पोरगलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे वावीसाए, उक्कोसपदे बावन्नाए । मागासत्थिकायस्स सव्वत्थ उक्कोसग भाणियब ।। ८. संखेज्जा भंते ! पोरगलत्थिकायपदेसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुट्टा ? जहष्णपदे तेणेव संखेज्जएणं दुगुणणं दुरूवाहिएण, उक्कोसपदे तेणेव संखेज्जएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं । केवतिएहिं अधम्मत्थिकायपदेसेहि ? एवं चेव । केवतिएहि अागासत्थिकायपदेसेहि ? तेणेव संखज्जएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं। केवतिएहि जीवत्थिकायपदेसेहि ? अणतेहि । केवतिएहि पोमालत्थिकायपदेसेहि? अणंतेहिं । केवतिएहिं अद्धासमएहि ? सिय पुढे, सिय नो पुढे', 'जइ पुढे नियम अणतेहिं ।। ६६. असंखेज्जा भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पट्टा ? जहण्णपदे तेणेव असंखेज्जएणं दुगुणेणं दुरूवाहिएणं, उक्कोसपदे तेणेव असं खेज्जएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं । सेसं जहा संखेज्जाणं जाव नियम अणतेहिं ।। ७०. अणंता भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहिं धम्मस्थिकायपदेसेहि पुट्टा ? एवं जहा असंखेज्जा तहा अणंता वि निरवसेसं ।।। ७१. एगे भंते ! अद्धासमए केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? सत्तहिं । केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहिं पुढे? एवं चेव, एवं आगासत्थिकाएहि वि। केवतिएहिं जीवत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? अणंतेहि, एवं जाव अद्धासमएहि ।। ७२. धम्मत्थिकाए णं भंते ! केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पट्टे ? 'नथि एक्केण वि। केवतिएहिं अधम्मत्थिकायपदेसेहिं ? असंखेज्जेहिं । केवतिएहि पागासत्थिकायपदेसेहिं ? असंखेज्जेहिं । केवतिएहिं जीवत्थिकाय ३. नस्थिक्केण (अ, ख, ता); नस्थि इक्केण १. भाणियन्वं (म, स)। २. सं० पा०--पुढे जाव अणंतेहिं । Page #665 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सेहि ? तेहि । 'केवतिएहि पोग्गलत्थकायपदेसेहि ? अणतेहि । केवतिएहि श्रद्धासमह ? सिय पुट्टे, सिय नो पुढे, जइ पुढे नियमा प्रणतेहि ॥ ७३. अधम्मत्थिकाए णं भंते ! केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहि पुट्ठे ? संखेज्जेहिं । केवतिएहिं प्रधम्मत्थिकायपदेसेहिं ? नत्थि एक्केण वि । सेसं जहा धम्मथिका । एवं एएणं गमएणं सच्चे वि सद्वाणए नत्थि एक्केण विपुट्ठा, पट्टा दिल्लएहि तिहिं असंखेज्जेहिं भाणियव्वं, पच्छिल्लएसु तिसु प्रणंता भाणियव्वा जाव श्रद्धासमयो त्ति जाव केवतिएहिं श्रद्धासम एहिं पुट्ठे ? नत्थि एक्केण वि ॥ ६०४ धम्मस्थिकायादीरणं प्रगाढ पदं ७४. जत्थ णं भंते ! एगे धम्मत्थिकायपदेसे ओगाढे, तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा गाढा ? नत्थि एक्को वि । केवतिया ग्रधम्मत्थिकायपदेशा श्रगाढा ? एक्को । केवतिया गासत्धिकायपदेसा ओगाढा? एक्को । केवतिया जीवत्थिकायपदेसा प्रगाढा? प्रणता । केवतिया पोग्गलत्थिकायपदेसा श्रगाढा ? प्रणता । केवतिया श्रद्धासमया श्रगाढा ? सिय प्रगाढा, सिय नो प्रगाढा, जइ ग्रोगाढा यणता ॥ ७५. जत्थ णं भंते ! एगे अधम्मत्थिकायपदेसे योगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय पदेसा ओगाढा ? एक्को । केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा ? 'नत्थि एक्को" वि। सेसं जहा धम्मथिकास || ७६. जत्थ णं भंते ! एवं आगासत्थि कायपदेसे योगाढं तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा श्रोगाढा ? सिय प्रगाढा, सिय नो प्रोगाढा, जइ प्रगाढा एक्को । एवं अधम्मत्थिकायपदेसा वि । केवतिया आगासत्थिकायपदेसा ? नत्थि एक्को वि । केवतिया जीवत्थि कायपदेसा ? सिय श्रगाढा, सिय नो योगाढा, जइ श्रोगाढा अनंता । एवं जाव श्रद्धासमया ॥ ७७. जत्थ णं भंते ! एगे जीवत्थिकायपदेसे श्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय पदेसा प्रगाढा ? [ एक्को, एवं ग्रधम्मत्थि कायपदेसा वि एवं आगासत्थिकायपदेसा वि । केवतिया जीवत्थि कायपदेसा ? अनंता । सेसं जहा धम्मत्थि कायस्स || गाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय ७८. जत्थ णं भंते ! एगे पोग्गलत्थिकायपदेसे पदेसा प्रगाढा ? १. एवं पोरगलत्थि अद्धासमएहि य (ख, ता ) । २. सव्येसिण ( क ); सव्वेश (ता, व, म) 1 ३. X (ता) । ४. नरथेक्को ( ता ); नत्थेक्के ( ब, स ) ! Page #666 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ६०५ एवं जहा जीवत्थिकायपदेसे तहेव निरवसेसं ।। ७६. जत्थ णं भंते ! दो पोग्गलत्थिकायपदेसा प्रोगाढा तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय पदेसा ओगाढा ? सिय एक्को सिय दोणि, एवं अधम्मत्थिकायस्स वि, एवं अागासत्थिकायस्स वि । सेसं जहा धम्मस्थिकायस्स ।। ८०. जत्थ णं भंते ! तिगिण पोग्गलस्थिकायपदेसा प्रोगाढा तत्य केवतिया धम्म थिकायपदेसा ओगाढा ? सिय एक्को, सिय दोषिण, सिय तिण्यि, एवं अधम्मत्यिकायस्स वि, एवं आगासत्थिकायस्स वि । सेसं जहेव दोण्हं, एवं एक्केको वाड्ढयव्वो पदेसो पाइल्लएहिं तिहिं अत्थिकाएहि, सेसेहिं जहेव दोण्हं जाव दसण्हं सिय एक्को, सिय दोषिण, सिय तिणि जाव सिय दस ! संखेज्जाण' सिय एक्को, सिय दोणि जाव सिय दस, सिय संखेज्जा । असंखेज्जाणं सिय एक्को जाव सिय संखेज्जा, सिय असंखेज्जा । जहा असंखेज्जा एवं अणता वि ।। ८१. जत्थ णं भंते! एगे मद्धासमए प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्यिकायपदेसा प्रोगाढा? एक्को । केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा ? एक्को। केवतिया आगासत्थिकाय पदेसा? एक्को । केवतिया जीवत्यिकायपदेसा? अणंता । एवं जाव अद्धासमया ! ८२. जत्थ णं भंते! धम्मत्थिकाए प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थिकायपदेसा प्रोगाढा? नत्थि एक्को वि! केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा? असंखेज्जा । केवतिया आगासस्थिकायपदेसा? असंखेज्जा । केवतिया जीवत्थिकायपदेसा? अणंता। एवं जाव अद्धासमया । ८३. जत्थ णं भंते ! अधम्मत्थिकाए प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा प्रोगादा? असंखेज्जा। केवतिया अधम्मत्थिकायपदेता ? नत्थि एक्को वि । सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स ! एवं सब्वे ---सटाणे नत्थि एक्को वि भाणियब्वो, परट्टाणे आदिल्लगा तिगिण असंखेज्जा भाणियव्वा, पच्छिल्लगा तिणि अणंता भाणियन्वा जाव अद्धासमयो त्ति जाव केवतिया अद्धासमया प्रोगाढा ? नत्थि एक्को वि।। ८४. जत्थ णं भंते ! एगे पुढविक्काइए प्रोगाढे तत्थ णं केवतिया पुढविक्काइया प्रोगाढा? असंखेज्जा । केवतिया आउक्काइया प्रोगाढा ? असंखेज्जा । केवतिया तेउकाइया प्रोगाढा ? असंखेज्जा। केवतिया वाउकाइया ओगाढा ? असंखेज्जा। केवतिया वणस्सइकाइया प्रोगाढा ? अणंता। जत्थ णं भंते! एगे ग्राउक्काइए प्रोगाढे तत्थ णं केवतिया पदविक्काइया योगाढा? असंखेज्जा । केवतिया अाउक्काइया प्रोगाढा ? असंखेज्जा । एवं जहेव Page #667 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०६ भगवई पुढविक्काइयाणं वत्तव्वया तहेव सव्वेसि निरवसेसं भाणियव्वं जाव वणस्सइकाइयाणं जाव केवतिया वणस्सइकाइया प्रोगाढा? अणता ।। एयंसि' णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय--पागासस्थिकायंसि चक्किया केई प्रासइनए वा सइत्तए वा चिट्ठित्तए वा निसीयत्तए वा तुयट्टित्तए वा ? नो इण? समद्वे, अणता पुणत्थ जीवा प्रोगाढा ॥ ८७. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-एयंसि णं धम्मत्थि' काय-अधम्मत्थिकाय .यागा सथिकायंसि नो चक्किया केई प्रासइत्तए वा •सइत्तम वा चिद्वित्तए वा निसीयत्तए वा तुयट्टित्तए वा अणता पुणत्थ जीवा प्रोगाढा ? गोयमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया ...दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा ""णिवाया णिवायगंभीरा । अह णं केई पुरिसे पदोवसहस्सं गहाय कूडागारसालाए अंतो-अंतो अणुप्प विसइ, अणुप्पविसित्ता तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता घण-निचिय-निरंतर-णिच्छिड्डाइं° दुवारवयणाई पिहेइ, पिहेत्ता तोसे कडागारसालाए वहुमज्झदेसभाए जहणणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं पदोवसहस्सं पलोवेज्जा । से नूणं गोयमा ! ताओ पदीवलेस्सायो अण्णमण्णसंबद्धानो अण्णमण्णपुढाओ अण्णमण्णसंबद्धपुट्ठानो' अण्णमण्णधडत्ताए चिटुंति ? 'हंता चिट्ठति । चक्किया णं गोयमा ! केई तासु पदीवलेस्सासु प्रासइत्तए वा जाव तुट्टित्तए वा? भगवं! नो इणढे समढे । अणंता पुणत्थ जीवा प्रोगाढा । से तेगडेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव अणंता पुणत्थ जीवा प्रोगाढा ।। लोय-पदं ८८. कहिणं भंते ! लोए बहुसमे, कहि णं भंते ! लोए सव्वविग्गहिए पण्णत्ते ? गोयमा ! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेटिल्लेसु खुड्डगपयरेसु", एत्थ णं लोए वहुसमे, एत्थ णं लोए सव्वविग्गहिए पण्णत्ते ॥ १. एतेसि (क, ख, ता, ब, म, स)। दुवारवयणाई। २. पुरण तत्थ (अ, ख, म, स); पुणेत्थ (क)। ६. दीव (अ)। ३. सं. पा.-धम्मस्थि जाव आगासत्थि - .. जाव (अ, क, ता, ब, म,स)। कायंसि । ८. X (ब, म)। ४. सं० पा०-वा जाव ओगाढा। ६. पुण तत्थ (अ, ख, व, म, स) । ५. सं० पा०-जहा रायप्पसेणइज्जे जाव १०. खुड्डाग° (ब) : Page #668 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (पंचमो उद्देसो) ८६. कहि णं भंते ! विगहविग्गहिए । लोए पण्णत्ते ? गोमा ! विग्गहकंडए, एत्थ णं विग्गहविग्गहिए लोए पण्णत्ते ॥ ६०. किंसंठिए णं भंते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा ! सुपइट्टियसंठिए लोए पण्णत्ते - हेट्ठा विच्छिणे, मज्झे संखित्ते, उप विसाले; हे पलियंकसंठिए, मज्झे वरवइरविग्ाहिए, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठिए । तंसि च णं सासयंसि लोगंसि हेट्ठा विच्छिण्णंसि जाव उप्पि उद्धमुइंगाकार संठियंसि उप्पण्णनाण- दंसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइपास, अजीवे वि जाणइ पासइ, तो पच्छा सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वा सव्वदुक्खाणं • अंत करेति ॥ o ६१. एयस्स णं भंते! ग्रहेलोगस्स, तिरियलोगस्स, उड्ढलोगस्स य कयरे कयरेहितों प्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे तिरियलोए, उड्ढलोए प्रसंखेज्जगुणे, अहेलोए विसेसाहिए || ६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६०७ पंचमो उद्देसो श्राहार-पदं ६३. नेरइया णं भंते ! किं सचित्ताहारा ? अचित्ताहारा ? मीसाहारा ? गोयमा ! नो सचित्ताहारा, अचित्ताहारा, नो मीसाहारा । एवं असुरकुमारा, पढमो ने रइयउद्देश्रो निरवसेसो भाणियव्वो ॥ ६४. सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति' | १. विग्गहिए ( अ ) 1 २. विषण्णे ( अ, व, म) 1 ३. स० पा० - जहा सत्तमसए पढमुद्दे से जाव अंत | ४. सं० पा०—करेहिंतो जाव विसेसाहिया । ५. भ० १५१ । ६. १० २८१ । ७. भ० १।५१ Page #669 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०८ भगवई छट्ठो उद्देसो संतर-निरंतर-उववज्जणादि-पदं ६५. रायगिहे जाव' एवं बयासी-संतरं भंते ! नेरइया उववज्जति ? निरंतर नेर. इया उववज्जति ? गोयमा ! संतरं पि ने रइया उत्रवज्जति, निरंतरं पि नेरइया उववज्जति । एवं असुरकुमारा वि । एवं जहा गंगेये तहेव दो दंडगा जाव' संतरं पि वेमाणिया चयंति, निरंतरं पि वेमाणिया चयति ।। चमरचंच-प्रावास-पदं ६६. कहि णं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स अस रकुमार रण्णो' चमरचंचे नामं आवासे पण्णते? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदररस पव्वयस्स दाहिणे णं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे-~-एवं जहा बितियसए सभाउद्देसए वत्तव्वया सच्चेव अपरिसेसा नेयव्वा । तीसे णं चमरचंचाए रायहाणीए दाहिणपच्चत्थिमे णं छक्कोडिसए पणपन्नं च कोडीयो 'पणतीसं च सयसहस्साई पन्नासं च सहस्साइं अरुणोदगसमुहं तिरियं वीइवइत्ता, एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमार रण्णो चमरचंचे नामं आवासे पण्णत्ते--चउरासीइं जोयणसहस्साई यायामविक्खंभेणं, दो जोयणसयसहस्सा पन्नटुिं च सहस्साई छच्च बत्तीसे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं । से णं एगेणं पागारेणं सव्वनो समंता संपरिक्खित्ते । से णं पागारे दिवड्ढं जोयणसयं उड्ढं उच्चत्तेणं, एवं चमरचचाए रायहाणीए वत्तव्वया भाणियव्वा सभाविहूणा जाव' चत्तारि पासायपंतीनो। १. भ. ११४-१०। व, म स); अस्मिन् द्वितीयशतकस्य २. भ० १.८०-८५। सभाख्योद्देशकस्य समर्पणमस्ति । एतत्समर्प३. असुररणो (अ, ता, म, स)। णानुसारेण द्वितीयशतकस्या, 'जंबुद्दीवप्प४. चमरचंचा (अ, क, ख, ता, व, म, स)। माणा' एतावत्पर्यन्त: पाठोत्र समायोजनाहः, ५. भ० २१११५१२१; नेयव्वा, नवर—इम किन्तु 'नवर इमं नारगत्त' अस्याभिप्रायो नाणतं जाव तिगिच्छकूडस्स उपायपव्वयस्स नावगम्यते। 'नेयव्वा' अतः परतिपाठो चमरचंचाए रायहाणीए चमरचंचस्स नावश्यक: प्रतिभाति, तेनासौ पाठान्तरत्वेन आवासपब्वयस्स, अण्णे सिं च बहणं सेसं तं स्वीकृतः । चेव जाव तेरस य अंगुलाई अद्धंगुलं च किंचि ६. तं चेव जाव (अ, क, ख, ता, ब)। विसेसाहिया परिक्खेवेणं (अ, क, ख, ता, ७. भ० २।१२१ । Page #670 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सतं (छट्ठो उद्देसो) १७. चमरे णं भंते ! असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचे आवासे वसहि उवेति ? नो इण? समढें ।। १८. से केणं खाई अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-चमरचंचे आवासे, चमरचंचे आवासे ? गोयमा ! से जहानामए–इहं मणुस्सलोगंसि उवगारियलेणाइ वा, उज्जाणियलेणाइ वा, णिज्जाणियलेणाइ वा, धारावारियलेणाई वा, तत्थ णं बहवे मणुस्सा य मणुस्सीओ य पासयंति सयंति चिटुंति निसीयंति तुयटुंति हसंति रमंति ललति कीलंति कित्तति मोहेति पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सभाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणाणं° कल्लाणफलवित्तिविसेसं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, अण्णत्थ पुण वसहि उवेति । एवामेव गोयमा ! चमरस्स असुरिदस्स असरकुमाररण्णो चमरचंचे प्रावासे केवलं किड्डा-रतिपत्तियं, अण्णत्थ पुण वसहि उवेति । से तेण?णं 'गोयमा ! एवं वुच्चइ-चमरचंचे आवासे, चमर चंचे° आवासे ॥ ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव" विहरइ ।। १००. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहायो नगराओ गुण सिलायो चे इयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहारं. विहरइ ।। उद्दायणकहा-पदं १०१. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था-वण्णो । पुण्णभद्दे चेइए वण्णयो । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे 'गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं° विहरमाणे जेणेव चंपा नगरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता' 'ग्रहापडिरूवं प्रोग्गहं ओगिण्हइ सोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। १०२. तेणं कालेणं तेण समएण सिंधूसोबोरेसु" जणवासु वीतीभए" नामं नगरे होत्था –वण्णनो! तस्स णं वीतीभयस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभाए, १. वारधारिय° (अ, क, म); धारवारिय° ६. ओ० मू०१॥ (ख, ब); धारिवारिय ° (स)। ७. ओ० सू० २-१३ । २. सं.पा.-....जहा रायपसेणइज्जे जाव ८. सं० पा० --चरमाणे जाव विहरमाणे । कल्लाण । ६. सं० पा० ---उवागच्छित्ता जाव विहरइ । ३. सं० पा० -तेणदेणं जाव ग्रावासे । १०. सिंधु° (स)। ४. भ० ११५१ । ११. वीभवे (ता); 'विदर्भ' ति केचित् (वृ) । ५. सं० पा० -- गुणसिलाओ जाव विहरइ। १२. ओ० सू० १ । Page #671 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई एत्थ णं मियवणें नामं उज्जाणे होत्था -- सव्वोउय - पुप्फ-फलसमिद्धे – वण्णो' | तत्थ णं वीतीभए नगरे उद्दायणे नामं राया होत्था - महयाहिमवंत-महंत मलयमंदर - महिंदसारे - वण्ण । तस्स णं उद्दायणस्स रण्णो पउमावती नामं देवी होत्था - सुकुमालपाणिपाया - वण्ण । तस्स णं उद्दायणस्स रण्णो प्रभावती नाम देवी होत्था - वण्णओ जाव विहरइ । तस्स णं उद्दायणस्स रण्णो पुत्ते पभावतीए देवीए प्रत्तए अभीयी' नामं कुमारे होत्था -- सुकुमाल पाणिपाए प्रहीण-पडिपुण्ण- पंचिदिय सरीरे लक्खण- वंजण-गुणोववेए माणुम्माण पमाणपडिपुण्ण-सुजायसव्वंग - सुंदरंगे ससिसोमाकारे कंते पियदसणे सुरूवे पडिवे । सेणं अभीयी कुमारे जुवराया वि होत्था - उद्दायणस्स रण्णो रज्जं च रट्ठ च बलं च वाहणं च कोसं च कोठारं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव पच्चुवेक्खमाणे वेक्खमाणे विहरइ । तस्स णं उद्दायणस्स रण्णो नियए भाइणेज्जे ' केसी नाम कुमारे होत्था - सुकुमालपाणिपाए जाव सुरूवे 1 से णं उद्दायणे राया सिंधूसोवीरप्पामोक्खाणं सोलसण्हं जणवयाणं, वीतीभयप्पामोक्खाणं तिह तेसट्ठीणं नगरागरसयाणं, महसेणप्पामोक्खाणं दसव्हं राईणं बद्धमउडाणं विदिन्नछत्त चामर वालवीयणाणं, अण्णेसि च बहूणं राईसर - तलवर" - माडंबिय - कोडुंबिय - इ०भ - सेट्ठि सेणावइ सत्यवाहृत्पभिईण आहेवच्चं पोरेवच्चं " सामित्तं भट्टित्तं प्राणा- ईसर. सेणावच्च ० कारेमाणे पालेमाणे समणोवासए अभिगयजीवाजवे जाव प्रहारिग्महिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ || १०३. तए णं से उद्दायणे राया अण्णया कयाइ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, जहा संखे जाव" पोसहिए बंभचारी श्रोमुक्कमणिसुवण्णे ववगयमाला वण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्य-मुसले एगे अबिइए दब्भसंथारोवगए पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे विहरइ ॥ ६१० १०४. तए णं तस्स उद्दायणस्स रण्णो पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरिय जागरमाणस्स अयमेयारूवे ग्रज्भतिथए" चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे • १. भ० ११।५७ । २. ओदाणे ( अ ); उदायो ( स ) सर्वत्र । ३. ओ० सू० १४ । ४. ओ० सू० १५ ॥ o ५. ओ० सू० १५ । ६. अभीति ( अ, स ) । ८. भायोज्जे ( अ, ख, म ) । C. नगरस्याणं ( अ, ब, म, वृपा) । १०. सं० पा०--- तलवर जाव सत्यवाह ११. सं० पा०--पोरेवच्चं जाव कारेमाणे । १२. भ० ३६४ १३. भ० १२/६ ७. सं० पा० -- जहा सिवभद्दे जाव पच्चुवेक्ख- १४. सं० पा० - अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । माणे । Page #672 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (छट्टो उद्देसो) समुपज्जत्था - धन्ना णं ते गामागर-नगर- खेड - कब्बड-मडंब - दोणमुह-पट्टणासम-संवाहसण्णिवेसा जत्थ णं समणे भगवं महावीरे विहरइ, धन्ना णं ते राईसर-तलवर'-"मार्डविय-कोडुंबिय इब्भ-सेट्ठि सेणावइ सत्थवाहप्पभितयो' जेणं समण भगवं महावीरं वंदति नर्मसंति जाव' पज्जुवासंति । जइ णं समणे भगवं महावीरे पुब्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे इहमागच्छेज्जा, इह समोसरेज्जा, इहेव वीतीभयस्स नगरस्स बहिया मियवणे उज्जाणे महापडिरूवं योग्यहं योगिन्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरेज्जा, तो णं ग्रहं समणं भगवं महावीरं वंदेज्जा नमसेज्जा जाव पज्जुवासेज्जा | १०५. तए णं समणे भगवं महावीरे उद्दायणस्स रण्णो अयमेयारूवं अज्झत्थियं ' चितियं पत्थियं मणोगयं संकप्पं समुप्पन्नं वियाणित्ता चंपा नगरीस्रो पुणभद्दाओ चेइया पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता मुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणु' गामं वइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव सिंधूसोवीरे जणवए जेणेव वीतभये नगरे, जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जाव' संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ || १०६. तए णं वीतोभये नगरे सिंघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर-चउम्मुह महापह-पहेसु जाव' परिसा पज्जुवासइ ॥ 0 १. सं० पा० तलवर जाव सत्यवाह । २. ०१भिइओ (अस) 1 o १०७. तए णं से उद्दायणे राया इमीसे कहाए लट्ठे समाणे हट्टतुट्ठे कोडुंबियपुरि से सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! वीयीभयं नगरं सब्भितर बाहिरियं जहा कूणिश्रो श्रववाइए जाव" पज्जुवासइ । पउमावतीपामोक्खा देवीश्रो तहेव जाव" पज्जुवासंति | धम्मका ॥ १०८. तए णं से उद्दायणे राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ट उदाए उइ, उट्टेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमसित्ता एवं वयासी - एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते! प्रवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडि च्छिय ३. भ० २।३० । ४. सं० पा० -- गामाणुगामं जाव विहरमाणे । ५. सं० पा० - तवसा जाव विहरेज्जा ! ६. सं० पा० --- अज्झत्थियं जाव समुत्पन्नं । ७. सं० पा० - गामाणु जाव विहरमाणे । ६११ ८. भ० ११७ । ६. ओ० सू० ५२ । १०. ओ० सू० ५५-६६ । ११. ओ० सू० ७०१ १२. भ० १।१० । १३. सं० पा० - भंते जाव से । Page #673 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१२ भगवई मेयं भंते ! •--से जहेयं तुब्भे वदह त्ति कटु जं नवरं-देवाणुप्पिया ! अभीयिकुमारं रज्जे ठावेमि, तए णं अहं देवाणु प्पियाणं अंतिए मुडे भवित्ता' *अगाराओ अणगारियं पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ।। १०६. तए णं से उद्दायणे राया समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुटू समण भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तमेव आभिसेक्कं हत्थि द्रुहइ, द्रुहिता समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियाओ मियवणाम्रो उज्जाणाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बीतीभये नगरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए॥ तए णं तस्स उद्दायणस्स रणो अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-एवं खलु अभीयीकुमारे मम एगे पुत्ते इट्टे कते पणण्णे मणामे थेज्जे वेसासिए संमए वहमए अणमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणभूए जीविऊसविए हिययनंदिजणणे उंवरपुप्फ पिव दुल्लभे सवणयाए °, किमंग पुण पासणयाए ? तं जदि णं अहं अभीयोकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं मंडे भवित्ता' *अगाराम्रो अणगारियं ० पव्वयामि, तो णं अभीयीकुमारे रज्जे य रटे य' 'वले य वाहणे य कोसे य कोट्ठागारे य पुरे य अंतेउरे य° जणवए य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने अणादीयं अणवदग्गं दोहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियट्टिस्सइ, तं नो खलु मे सेयं अभीयीकुमार रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं मुडे भवित्ता अगाराग्यो अणगारियं° पव्वइत्तए, सेयं खलु मे नियगं भाइणेज्ज केसि कुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवनो •महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं° पव्वइत्तए----एवं सपेहइ, सपेहत्ता जेणव वायाभये नगरे तणव उवागच्छइ, उवागोच्छत्ता वीयीभयं नगर मज्झमझेणं जेणेव सए गेहे जेणे व बाहिरिया उबट्टाणसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता आभिसेक्कं हत्थि ठवेइ, ठवेत्ता आभिसेवकायो हत्थीग्रो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयति, निसीइत्ता कोडुबियपूरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! वीयीभयं नगरं १. सं० पा०-भवित्ता जाव पव्वयामि । २. दुहइ (ता)। ३. अभथिए (अ, ता, स); सं० पा०-- अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ४. सं. पा.---कते जाव किमंग । ५. सं० पा०-भक्त्तिा जाव पव्वयामि । ६. सं० पा० . रटे य जाच जणावए । ७. सं० पा० - भवित्ता जाव पव्वइत्तए । ८. सं० पा० -भगवओ जाव पव्वइतए। Page #674 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं ( छट्ठो उद्देशो) सभितरवाहिरियं पासिय-समज्जियोवलितं जाव' सुगंधवरगंधगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । ते वि तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ।। १११. तए णं से उद्दायणे राया दोच्चं पि कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी --खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! केसिस्स कुमारस्स महत्थं महाधं महरिहं विउलं एवं रायाभिसेग्रो जहा सिवभहस्स कुमारस्स तहेव भाणियन्वो जाव' परमाउं पालयाहि, इंद्रजणसंपरिवडे सिंधसोवीरपामोक्खाणं सोलसण्हं जणवयाण वीयीभयपामोक्खाणं तिणि तेसट्ठीण नगरागरसयाणं महसेणपामोक्खाणं दसण्हं राईण, अण्णेसि च बहणं राईसर- तलवर-माडबिय-कोडविय-इब्भसंवि-सेणावइ-सत्यवाहप्पभिईणं आहेवच्चं पोरेबच्चं सामित्तं भट्टित्तं प्राणा-ईसर सेणावच्चं कारेमाणे, पालेमाणे विहराहि त्ति कटु जयजयसई पउंजंति ।। ११२. तए णं से केसी कुमारे राया जाए .-महयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे जाव रज्जं पसासेमाणे विहरइ ।। ११३. तए णं से उद्दायणे राया केसि रायाणं पापुच्छइ ।। ११४. तर णं से केसी राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ-एवं जहा जमालिस्स तहेव सभितरवाहिरियं तहेब जाव' निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेति ॥ ११५. तए णं से केसी राया अणेगगणनायग'- दंडनायग-राईसर-तलवर-माइंबिय कोडुविय-इन्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाह-दूय-संधिपाल-सद्धि -संपरिवुडे उद्दायणं रायं सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयावेति, निसीयावेत्ता अदृसएणं सोवपिणयाणं कलसाणं एवं जहा जमालिस्स जाव' महया-महया निक्खमणाभिसेगेणं अभिसिति, अभिसिचित्ता करयलपरिहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेति, वढावेत्ता एवं वयासी-भण सामी ! किं देमो ? कि पयच्छामो ? किणा वा ते अट्ठो ? ११६. तए णं से उद्दायणे राया के सि रायं एवं वयासी----इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! कुत्तियावणानो रयहरणं च पडिग्गहं च प्राणियं, कासवगं च सदावियं-एवं जहां जमालिस्स, नवरं—पउमावती अम्गकेसे पडिच्छइ पियविप्पयोगदूसहा ॥ ११७. तए णं से केसी राया दोच्चं पि उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयावेति, रयावेत्ता उद्दायणं रायं सेया-पीतएहि कलसेहिं व्हावेति, व्हावेत्ता सेसं जहा जमालिस्स १. सं० पा–बाहिरियं जाव पच्चप्पिणति । ६. भ.४।१००, १८१। २. ओ० सू० ५५ ७. सं० पा०-ग्रणेगगणनायग जाव संपरिवूडे । ३. भ०११।६१ ८. भ० ६१५२। ४. सं० पा.-राईसर जाव कारेमाणे। ९. भ० ६।१८४-१८६ । ५. मो० सू० १४! Page #675 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१४ भगवई जाव' चउव्विहेणं अलंकारेण अलंकारिए समाणे पडिपुण्णालंकारे सीहासणाश्रो प्रभु, प्रभुट्टेत्ता सीयं प्रणुष्वदाहिणीकरेमाणे सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता सीहाणवरंसि पुरत्याभिमुहे सणसणे, तहेव अम्मधाती, नवरं पउमावती हंस लक्खणं पडसाडगं गहाय सीयं ग्रणुप्पदाहिणीकरेमाणी सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता उद्दायणस्स रण्णो दाहिणे पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा सेसं तं चेव जाव छत्तादीए तित्थगरातिसए पासइ, पासित्ता पुरिससहस्वाहिणि सीयं ठवेइ, पुरिससहस्स वाहिणीओ सोयाओ पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदइ नमसइ, वंदित्ता नसित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं श्रवक्कमइ, अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ ॥ ११८. तए णं सा पउमावती देवी हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणमल्लालंकारं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता हार-वारिधार - सिंदुवार छिन्न-मुत्तावलि - पगासाइं श्रंसूणि विणिम्यमाणी - विणिम्मुयमाणी उद्दायणं रायं एवं वयासी - जइयव्वं सामी ! घडियव्वं सामी ! परक्कमियब्वं सामी ! अस्सि च णं अट्ठे नो पमादेयव्वं ति कट्टु केसी राया पउमावती य समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता' जामेव दिसं पाउन्भुया तामेव दिसं पडिगया || ११६. तए णं से उद्दायणे राया सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ सेसं जहा उसभदत्तस्स ० o जाव' सव्वदुक्ख पहीणे || १२०. तए णं तस्स अभीथिस्स कुमारस्स प्रण्णदा कदाइ पुव्वरत्ताव रत्तकालसमयंसि कुडुंब जागरियं जागरमाणस्स श्रयमेयारूवे प्रज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए कप्पे समुपज्जत्था एवं खलु अहं उद्दायणस्स पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए, तए णं से उद्दायणे राया ममं अवहाय नियगं भाइणेज्जं केसि कुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ' “महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं • पव्वइए - इमेणं एयारूवेणं महया प्रप्पत्तिएणं मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे अंते उरपरियालसंपरिवुडे सभंडमत्तोवगरणमायाए वीतीभयान नय राम्रो निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दृइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी, जेणेव कूणिए राया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कूणियं रायं १. भ० ६।१६०- १६२ । २. भ० ६ १६३, १६४ १ ३. भ० ६।१६५ - २०६ । ४. सं० पा० तं चेव पउमावती पडिच्छर जाव घडियब्वं सामी ! जाव नो । ५. सं० पा०—नमंसित्ता जाव पडिगया । ६. भ० ६ १५०,१५१ । ७. सं० पा० – प्रज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । ८. सं० पा० – भगवओ जाव पब्वइए । Page #676 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसम सतं (सत्तमो उद्देसो) उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तत्थ वि णं से विउल भोगसमितिसमन्नागए यावि होत्था । तए णं से अभीयीकुमारे समणोवासए यावि होत्था—अभिगयजीवाजीवे जाव' अहापरिग्गहिए हिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, उद्दाय णम्मि रायरिसिम्मि समणुबद्धवेरे यावि होत्था । १२१. इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु चोयट्ठि' असुरकुमारावाससयस हस्सा पण्णत्ता। तए णं से अभीयीकमारे बहई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई अणसणाए छेएइ, छए ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामतेसु चोयट्ठीए आयावाअसुरकुमारावाससयसहस्सेसु' अण्णयरंसि पायावाअसुरकुमारावासंसि आयावाअसुरकुमारदेवत्ताए उववण्णो। तत्थ णं अत्थेगतियाण पायावगाणं असुरकुमाराणं देवाणं एग पलिअोवमं ठिई पण्णत्ता, तत्थ णं अभीयिस्स वि देवस्स एगं पलिग्रोवमं ठिई पण्णत्ता ।। १२२. से णं भंते ! अभीयोदेवे ताओ देवलोगानो आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं उबट्टिता कहिं गच्छिहिति? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ।। १२३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति। सत्तमो उद्देसो भासा-पदं १२४. रायगिहे जाव' एवं वयासी-आया भंते ! भासा ? अण्णा भासा? गोयमा! नो पाया भासा, अण्णा भासा । रूवि भंते ! भासा? अरूवि भासा? १. भ० २१६४। तेनात्र पाठान्तरत्वेनास्माभिः स्वीकृतः । २. तेणं कालेणं तेणं समएणं इमीसे (अ, क, ३. चोसट्ठि (स)। ख, ता, ब, म, स); अयं पाठः अप्रासङ्गि- ४. ° सहस्सेसु असुरकुमारावासेसु (ता)। कोस्ति । शाश्वतपदार्थानां निरूपणे काल- ५. भ० २७३ । निदेशो नावश्यकोस्ति । केनापि कारणेन ६. भ० ११११। प्रवाहपाती लेखः संजातः इति प्रतीयते, ७. भ. ११४-१०॥ Page #677 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ भगवई गोयमा ! रूवि भासा, नो अरूवि भासा । सचित्ता भंते ! भासा ? अचित्ता भासा? गोयमा! नो सचित्ता भासा, अचित्ता भासा । जीवा भंते ! भासा ? अजीवा भासा ? गोयमा ! नो जीवा भासा, अजीवा भासा । जीवाणं भंते ! भासा? अजीवाणं भासा? गोयमा ! जीवाणं भासा, नो अजीवाणं भासा । पूव्वि भंते ! भासा ? भासिज्जमाणी भासा? भासासमयवीतिक्कंता भासा ? गोयमा ! नो पुद्वि भासा, भासिज्जमाणी भासा, नो भासासमयवीतिकंता भासा । पुट्वि भंते ! भासा भिज्जति ? भासिज्जमाणी भासा भिज्जति ? भासासमयवीतिक्कता भासा भिज्जति ? गोयमा ! नो पुट्वि भासा भिज्जति, भासिज्जमाणी भासा भिज्जति, नो भासासमयवीति ककंता भासा भिज्जति ।। १२५. कतिविहा णं भंते ! भासा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउव्विहा भासा पण्णत्ता, तं जहा–सच्चा, मोसा, सच्चामोसा असच्चामोसा ।। मण-पदं १२६. प्राया भंते ! मणे? अण्णे मणे? गोयमा ! नो पाया मणे, अण्णे मणे। रूवि भंते ! मणे ? अरूवि मणे ? गोयमा! रूवि मणे, नो अरूवि मणे । सचित्ते भंते ! मणे ? अचित्ते मणे? गोयमा ! नो सचित्ते मणे, अचित्ते मणे। जीवे भंते ! मणे? अजीवे मणे? गोयमा ! नो जीवे मणे, अजीवे मणे ।। जीवाणं भंते ! मणे? अजीवाणं मणे? गोयमा ! जीवाणं मणे °, नो अजीवाणं मणे । पुवि भंते ! मणे ? मणिज्जमाणे मणे ? ' मणसमयवीतिक्कते मणे? १. सच्चित्ता (क, ता, म)। २. अच्चित्ता (क, ता, म)। ३. सं० पा०. -जहा भासा तहा मणे वि जाव नो। ४. सं० पा०--एवं जहेव भासा। Page #678 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरस में सत (सत्तमो उद्देसो) ६१७ गोयमा ! नो पुब्धि मणे, मणिज्जमाणे मणे, नो मणसमयवीतिक्कते मणे । पुब्वि भंते ! मणे भिज्जति, मणिज्जमाणे मणे भिज्जति, मणसमयवीतिक्कते मणे भिज्जति ?२० गोयमा ! नो पुब्धि मणे भिज्जति, मणिज्जमाणे मणे भिज्जति, नो मणसमय वीतिक्कते मणे भिज्जति ° ।। १२७. कतिविहे णं भंते ! मणे पण्णते ? गोयमा ! चउव्विहे मणे पण्णत्ते, तं जहा–सच्चे', 'मोसे, सच्चामोसे °, असच्चामोसे ॥ काय-पदं १२८, पाया भंते ! काये ? अण्णे काये ? गोयमा ! प्राया विकाये, अण्णे वि काये । रूवि भंते ! काये ? अरूवि काये ? गोयमा ! रूवि पि काये, अरूवि पि काये । "सचित्ते भंते ! काये ? अचित्ते काये ? गोयमा ! सचित्ते विकाये, अचित्ते विकाये। जीवे भंते ! काये ? अजीवे काये ? गोयमा ! जीवे वि काये,अजीवे वि काये। जीवाणं भते ! काये ? अजीवाणं काये ? गोयमा! जीवाण वि काये, अजीवाण वि काये ० । पूटिव भंते ! काये ? " कायिज्जमाणे काये ? कायसमयवीतिक्कते काये ? गोयमा पुर्दिव पि काये, कायिज्जमाणे वि काये, कायसमयवी तिक्कते वि काये। पुब्वि भंते ! काये भिज्जति ? "कायिज्जमाणे काये भिज्जति ? कायसमयवीतिक्कते काये भिज्जति ? गोयमा ! पुदिव पि काये भिज्जति', 'कायिज्जमाणे वि काये भिज्जति, कायसमयवीतिक्कंते वि° काये भिज्जति ।। १२६. कतिविहे णं भंते ! काये पण्णत्ते ? गोयमा ! सत्तविहे काये पण्णत्ते, तं जहा-ओरालिए', ओरालियमीसए, वेउब्विए, वेउव्वियमीसए, ग्राहारए, आहारगमीसए, कम्मए ।। १. सं. पा.-एवं जहेव भासा । विकाये। २. सं० पा०- सच्चे जाव असच्चामोसे । ५. स० पा०—पूच्छा। ३. काये पुच्छा (स)। ६. सं० पा.-पुच्छा ४. सं० पा.-एवं एक्केक्के पुच्छा । सचित्ते । वि काये, अचित्ते वि काये । जीवे विकाए, ७. सं० पाo.--भिज्जति जाव काये । अजीवे वि काए, जीवाण वि काए, अजीवाण ८, अोराले (स)। Page #679 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई मरण-पदं १३०. कतिविहे गं भंते ! मरणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे मरणे पण्णत्ते, तं जहा--आवीचियमरणे', अोहिमरणे', आतियंतियमरणे, वालमरणे, पंडियमरणे ।। १३१. आवीचियमरणे ण भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा · दवावीचियमरणे, खेत्तावीचियमरणे, कालावीचियमरणे, भवावीचियमरणे, भावावीचियमरणे ।। १३२. दवावीचियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा–नेरइयदव्वावीचियमरणे, तिरिक्ख जोणियदव्वाबीचियमरणे, मणुस्सदव्वावीचियमरणे, देवदवावीचियमरणे ।। १३३. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरझ्यदन्वावीचियमरणे-नेरइयदवावीचिय मरणे ? गोयमा ! जण्णं नेरइया नेरइए दव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाइं ने रइयाउयत्ताए गहियाई बद्धाइं पुढाई कडाई पट्टवियाई 'निविट्ठाई अभिनिविट्ठाई" अभिसमण्णागयाइं भवंति ताइं दव्वाइं अावीचिमणुसमयं निरंतरं मरंति त्ति कट्ठ । से तेणट्रेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-नेरइयदवावीचियमरण, एवं जाव देवदव्वा वीचियमरणे ॥ १३४. खेत्तावीचियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-नेरइयखेत्तावीचियमरणे जाव देवखेत्ता वीचियमरणे।। १३५. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ --नेरइयखेत्तावीचियमरणे-नेरइयखेत्तावीचिय मरणे ? गोयमा ! जण्णं नेरइया ने रइयखेत्ते वट्टमाणा जाइं दवाइं ने रइयाउयत्ताए गहियाई एवं जहेव दवावीचियमरणे तहेव खेत्तावोचियमरणे वि। एवं जाव भावावीचियमरणे ॥ १३६ मोहिमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वोहिमरणे, खेत्तोहिमरणे, कालोहिमरणे, भवोहिमरणे°, भावोहिमरणे ॥ १. आवीयिय (ब)। ४. x (ब)। २. अवहि° (ब, म)। ५. आवीचियम (क, स)। ३. आदितिय ° (अ, स); आदियंतिय; (क, ६. सं० पा०-खेत्तोहिमरणे जाव भवो' । Page #680 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (सत्तमो उद्दसो) ६१६ १३७. दम्वोहिमरणे णं भंते कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा -नेरइयदलवोहिमरणे जाव देवदव्वोहि मरणे ।। १३८. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइयदव्वोहिमरणे-नेरइयदव्वोहिमरणे ? गोयमा ! 'जे णं' नेरइया नेरझ्यदव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाइं संपयं मरंति, 'ते णं' नेरइया ताई दवाइं अणागए काले पुणो वि मरिस्संति । से तेण?णं गोयमा ! जाव दव्वोहिमरणे। एवं तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवदव्वोहिमरणे' वि । एवं एएणं गमेणं खेतोहिमरणे वि, कालोहिमरणे वि, भवोहिमरणे वि, भावोहिमरणे वि ।। १३६. प्रातियंतियमरणे णं भंते ! --पूच्छा। गोयमा! पंचविहे पण्णते, तं जहा --दव्वातियंतियमरणे, खेत्तातियंतियमरणे जाव भावातियंतियमरणे ॥ १४०. दव्वातियंतियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउन्विहे पण्णत्ते, तं जहा -नेरइयदव्वातियंतियमरणे जाव देवदव्वा तियंतियमरणे ।। १४१. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–नेरइयदव्वातियंतियमरणे-नेरइयदव्वातियंतिय मरणे ? गोयमा ! 'जे ण" नेरइया ने रइयदव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाइं संपयं मरंति, 'ते ण नेरइया ताई दव्वाइं अणागए काले नो पुणो वि मरिस्संति । से तेणद्वेणं जाव नेरइयदव्वातियंतियम रणे । एवं तिरिवखजोणिय-मणुस्स-देवदवातियं तियमरणे । एवं खेत्तातियंतियमरणे वि, एवं जाव भावातियंतियमरणे वि ॥ १४२. बालमरणेणं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ! गोयमा ! दुवालसविहे पण्णत्ते, तं जहा–१. वल यमरणे ०२. वसट्टमरणे ३. अंतोसल्लमरणे ४. तब्भवमरणे ५. गिरिपडणे ६. तरुपडणे ७. जलप्पवेसे ८. जलणप्पवेसे ६. विसभक्खणे १०. सत्थोवाडणे ११. वेहाणसे ° १२. गद्धपढे ।। १४३. पंडियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा—पाओवगमणे य, भत्तपच्चक्खाणे य ।। १४४. पारोवगमणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? १. जंणं (अ, क, ख, ता, ब); जण्णं (म)। २. जंण (अ, ता, ब, स); जे रणं (ख); 'त' इति गम्यम् (वृ)। ३. देवोहिमरणे (अ, क, ख, ता, ब, म) ४. जं एवं (अ, क, ता, स); जणं (म)। ५. जे णं (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६. सं० पा०--जहा खंदए जाव गद्धपढे । ७. ०गमणमरणेणं (ता);पाओवगमरणेणं(ब)। Page #681 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२० भगवई गोयमा ! दुविहे पण्णते, तं जहा नीहारिमे य, अनीहारिमे य । नियमं अप डिकम्मे ।। १४५. भत्तपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा—नीहारिमे य, अनी हारिमे य 1 ° नियम सपडिकम्मे ।। १४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति'। अट्ठमो उद्देसो कम्मपगडि-पद १४७. कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पण्णत्तायो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्तायो । एवं बंधट्टिइ-उद्देसो भाणियब्बो निरवसेसो जहा पण्णवणाए ।। १४८. सेवं भंते ! सेवं भत! त्ति ।। नवमो उद्देसो भावियप्प-विउवणा-पदं १४६. रागिहे जाव' एवं क्यासी-से जहानामए केइ पुरिसे केयाघडियं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा केयाघडियाकिच्चहत्थगएणं अप्पागणं उड्ढं वेहासं उप्पाएज्जा? हंता उप्पएज्जा ।। चेयं--- पयडीण भेयाठिई, बंधोवि य इंदियाण वाएणं । केरिसय जहन्न ठिइं, बंधइ उक्कोसियं वावि ।। १. सं० पा०-एवं तं चेव तवरं नियमं सप डिकम्मे । २. भ० ११५१ । ३. उद्देसओ (क, ता, ब, म)। ४. प० २४1 ५. इह च वाचनान्तरे संग्रहणीगाथास्ति, सा ६. भ०११५१ 1 ७. भ० ११४-१० । Page #682 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (नवमो उद्देसो) ६२१ १५०. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू केयाघडियाकिच्चहत्थगयाइ रूवाई विउव्वित्तए ? गोयमा ! से जहानामए जुवति जुवाणे हत्येणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा वेउब्वियसमुग्धारण समोहण्णइ जाव' पभू ण गोयमा ! अणगारे णं भाविअप्पा केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं बर्हि इत्थिरूवेहिं आइपणं वितिकिण्णं उवत्थडं संथडं फुडं अवगाढावगाढं करेत्तए । एस णं गोयमा ! अणगारस्स भाविअप्पणो अयमेयारूवे विसए, विसयमेत्ते बुइग, नो चेव णं संपत्तीए विउदिसु वा विउव्वति वा विउव्वि स्सति वा ।। १५१. से जहानामए केइ पुरिसे हिरण्णपेलं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा हिरणपेलहत्थकच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढे वेहास उप्पएज्जा ? सेसं तं चेव एवं सुवण्णपेलं, एवं रयणपेलं, बइरपेल, वत्थपेलं', प्राभरणपेलं, एवं वियलकडं', सुबकडं', चम्मकडे, कंबलकडं, एवं अयभारं, तंवभार, तउय भार, सोसगभारं, हिरण्णभारं, सुवण्णभारं, वइरभारं॥ १५२. से जहानामए वग्गुलो सिया, दो वि पाए उल्लंबिया-उल्लं विया उड्ढ्पादा अहोसिरा चिट्रेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा वग्गुली किच्चगएण अप्पाणणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? एवं जण्णोवइयवत्तव्वया भाणियव्वा जाव' विउव्विस्सति वा ।। १५३. से जहानामए जलोया सिया, उदगंसि कायं उविहिया-उबिहिया गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेसं जहा वग्गुलीए ।। १५४. से जहानामए वीयंबीयगसउणे" सिया, दो वि पाए समतुरंगेमाणे-समतुरंगेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेस तं चेव ।। १५५. से जहानामए पक्खिविरालए मिया, रुक्खायो रुक्खं डेवेमाणे-डे वेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेसं तं चेव ।। १. केयाघड़ियाहा (ये) किच्चगयाइ (क, ख, ७. मुठकडं (अ); सुठकिड (ख, ब); सुठकिर ता, ब, म, म)। (ता); गुटिकङ (म); ° किड्ड (स)। २. सं० पा० एवं जहा नइयसए पंचमुद्देसए ८. किडं (क, ख, ब); °किरं (ता); जाव नो। किड्ड (स)। ३. भ० ३१४ । ६. किडं (क, ख, ब); किरं (ता); ४. हिरणपेर (ता); हिरण पेउ° (क्व०) किड्ड (स)।। ५. X (क, ब, म)। १०. भ० ३।२०२,२०३ । ६. विधलकिडं (क, ख, ब, स); विदलकिर ११. ° सउरणएं (ख, ता)। Page #683 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२२ भगवई १५४. १५६. से जहानामए जीवंजीवगसउणे सिया, दो वि पाए समतुरंगेमाणे-समतुरंगेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेसं तं चेव ।। १५७. से जहानामए हंसे सिया, तीराओ तीरं अभिरममाणे-अभिरममाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा हंसकिच्चगएणं अप्पाणेणं, तं चेव ।। १५८. से जहानामए समुद्दवायसए सिया, वीईओ वीइं डेवेमाणे-डेवेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, तहेव ॥ से जहानामए केइ पुरिसे चक्कं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा चक्कहत्थकिच्चगएणं अप्पाणेणं, सेसं जहा' केयाघडियाए । एवं छत्तं, एवं चम्म ॥ १६०. से जहानामए केइ पुरिसे रयणं गहाय गच्छेज्जा, एवं चेव । एवं वइरं, वेरुलियं जाव' रिटुं । एवं उप्पलहत्थगं, एवं पउमहत्थगं, कुमुदहत्थगं, "नलिणहत्थगं, सुभगत्थगं, सुगंधियहत्थगं, पोंडरीयहत्थगं, महापोंडरीयहत्थगं, सयपत्तहत्थगं°, से जहानामए केइ पुरिसे सहस्सपत्तगं गहाय गच्छेज्जा, एवं चेव ॥ १६१. से जहानामए केइ पुरिसे भिसं अवद्दालिय-प्रवद्दालिय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भिसकिच्चगएणं अप्पाणेणं, तं चेव ॥ १६२. से जहानामए मुणालिया सिया, उदगंसि कायं उम्मज्जिया-उम्मज्जिया चिट्ठज्जा, एवामेव, सेसं जहा वग्गुलीए ।। १६३. से जहानामए वणसंडे सिया--किण्हे किण्होभासे जाव' महामेहनिकरंबभूए', पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा वणसंडकिच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? सेसं तं चेव ।। १६४. से जहानामए पुक्खरणी सिया-चउक्कोणा, समतीरा, अणुपुव्वसुजायवप्प गंभीरसीयलजला जाव' सदुन्नइयमहरसरणादिया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एवामेव अणगारे वि भाविग्नप्पा पोक्खरणीकिच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? हंता उप्पएज्जा॥ १६५. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा केवतियाई पभू पोक्खरणीकिच्चगयाई रूवाइं विउवित्तए ? सेसं तं चेव जाव विउव्विस्सति वा ।। ६. ओ० सू० ४१ ७. ° निउयम्बभूए (ख); निकुरु बभूए (ता, १. भ०१३।१४६,१५० । २. चमरं (म)। ३. भ० ३१४॥ ४. सं० पा०—एवं जाव से । ५. भ० १३११५२। ८. ओ० सू० ६, भ० वृत्ति । Page #684 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेरसमं सतं (दसमो उद्देसो) १६६. से भंते ! किं मायी विउव्वति ? अमायी विउव्वति ? गोयमा ! मायी विउन्नति, नो अमायी विउव्वति । मायी णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय पडिक्कते कालं करेइ, नत्थि तस्स पाराहणा । अमायी णं तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते कालं करेइ°, अत्थि तस्स आराहणा॥ १६७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। दसमो उद्देसो छाउमस्थियसमुग्घाय-पदं १६८. कति णं भंते ! छाउमत्थियसमुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा ! छ छाउमत्थिया समुरघाया पण्णत्ता, तं जहा–वेयणासमुग्याए, एवं छाउमत्थियसमुग्घाया नेयव्वा, जहा पण्णवणाए जाव पाहारगसमुग्घायेत्ति ।। १६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। १. सं० पा० –एवं जहा तइयसए चउत्थुद्देसए जाव अस्थि । २. भ० ११५१ । ३. प० ३६ । ४. भ० ११५१ । Page #685 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं सतं पढमो उद्देसो १. चर २. उम्माद ३. सरीरे, ४. पोग्गल ५. अगणी तहा ६. किमाहारे । ७,८. संसिट्ठमंतरे' खलु, ६. अणगारे १०. केवली चेव ।। १ ।। लेस्साणुसारि-उववाय-पदं रायगिहे जाव' एवं वयासी--अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं देवावासं वीतिक्कते, परमं देवावासमसंपत्ते, एत्थ णं अंतरा कालं करेज्जा, तस्स णं भंते ! कहिं गती ? कहिं उववाए पण्णत्ते ? गोयमा ! जे से तत्थ परिपस्सो ' तल्लेसा देवावासा, तहिं तस्स गती, तहिं तस्स उववाए पण्णत्ते । से य तत्थ गए विराहेज्जा कम्मलेस्सामेव पडिपडति', से य तत्थ गए नो विराहेज्जा, तामेव लेस्सं उवसंपज्जित्ताणं विहारइ।। २. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं असुरकुमारावासं वीतिक्कते, परमं असुर "कुमारावासमसंपत्ते, एत्थ गं अंतरा काल करेज्जा, तस्स णं भंते ! कहि गती? कहिं उववाए पण्णत्ते ? गोयमा ! जे से तत्थ परिपस्सयो तल्लेसा असुरकुमारावासा, तहि तस्स गती, तहि तस्स उववाए पण्णत्ते से य तत्थ गए विराहेज्जा कम्मलेस्सामेव पडिपडति, से य तत्थ गए नो दिराहेज्जा, तामेव लेस्सं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ।' एवं जाव थणियकुमारावास, जोइसियावासं, एवं वेमाणियावासं जाव विहरइ ।। •--- - - - १. संसट्ट० (अ, क, ख, ब, म, स)। २. भ० ११४-१०। ३. पलियस्सओ (ख); परियस्सतो (ब, म)। ४. मेवा (क, ब)। ५. परिपडइ (ता)। ६. सं० पा०–एवं चेव । ६२४ Page #686 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोदसमं सतं (पढमो उद्देसो) ६२५ नेरइयादीणं गतिविसय-पदं ३. नेरइयाणं भंते ! कहं सीहा गती ? कहं सीहे गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से जहानामए–केइपुरिसे तरुणे बलवं जुगर्व' "जुवाणे अप्पातंके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय-पास-पिटुंतरोरुपरिणते तलजमलजुयल-परिघनिभवाहू चम्मेढग-दुहण-मुट्ठिय-समाहत-निचित-गत्तकाए उरस्सवलसमण्णागए लघण-पवण-जइण-वायाम-समत्ये छए दवखे पत्तद्वै कुसले मेहावी निउणे ० निउणसिप्पोबगए आउंटियं वाहं पसारेज्जा, पसारियं वा बाहं आउंटेज्जा', विक्खिण्णं वा मुनि साहरेज्जा, साहरियं वा मूदि विक्खि रेज्जा, उम्मिसियं वा अच्छि निम्मिसेज्जा, निम्मिसियं वा अच्छि उम्मिसेज्जा, 'भवे एयारूवे ? नो इणढे सम? । नेरइया णं एगसमइएण' वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जति ! ने रइयाणं गोयमा ! तहा सोहा गती, तहा सोहे गतिविसए पण्णत्ते । एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं --एगिदियाणं चउसमइए विग्गहे भाणि यवे । सेसं तं चेव ।। नेरइयादीणं अणंतरोववन्नगादि-पदं ४. नेरइया णं भंते ! कि अणंत रोवबन्नगा? परंपरोववन्नगा ? अणंतर-परंपर अणुववन्नगा? गोयमा ! नेरइया अणंतरोववन्नगा वि, परंपरोववन्नगा वि, अणंतर-परंपर अणुववन्नगा वि ।। ५. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ'....नेरइया अणंतरोववन्नगा वि, परंपरोववन्नगा वि', अणंतर-परंपर-अणुववन्नगा वि? गोयमा ! जे णं ने रइया पढमसमयोववन्नगा ते णं ने रइया अणंतरोववन्नगा, जे णं ने रझ्या अपढमसमयोववन्नगा ते ण नेरइया परंपरोववन्नगा, जेणं नेरइया विग्गहगइसमावन्नगा ते णं नेरइया अणंतर-परंपर-अणुववन्नगा। से तेणटेणं जाव अणंतर-परंपर-अणुववन्नगा वि। एवं निरंतरं जाव वेमाणिया ।। ६. अणंतरोववन्नगाणं भंते ! नेरइया कि ने रइयाउयं पकरेंति ? तिरिक्ख-मणुस्स देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरति ।। १. सं० पा.----जुग जाब निउरण । २. आउट्टियं (अ, ख, स); आउंदियं (क); आदिउट्टियं (ता) ३. आउट्टे ज्जा (ता)। ४. अणिमिसियं (अ, क, ता, ब, म, स); उणिसियं (ख) ५. भवे एयारूवे सिया (अ); भवेयारूबे (क, ख, ता, ब, म)। ६. °समरण (अ)। ७. सं० पा० ...-बुच्चइ जाव अणंतर । Page #687 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६ भगवई ७. परंपरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति ।। ८. अणंतर-परंपर-अणुववन्नगा णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकाति-- पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं-पंचिदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य परंपरोववन्तगा चत्तारि वि पाउयाई पकरेंति ! सेसं तं चेव ।। नेरइया णं भंते ! कि अणंतरनिग्गया? परंपरनिग्गया? अणंतर-परंपरअनिम्गया? गोयमा ! नेरइया अणंतरनिग्गया वि, 'परंपरनिग्गया वि", अणंतर-परंपर अनिगया वि ।। १०. से केणटेणं जाव अणंतर-परंपर-अनिग्गया वि ? गोयमा! जे णं नेरइया पढमसमयनिग्गया ते णं ने रइया अणंतरनिग्गया, जे णं ने रइया अपढमसमयनिग्गया ते णं नेरइया परंपरनिग्गया, जे णं ने रइया विग्गहगतिसमावन्नगा ते णं नेरइया अणंतर-परंपर-अनिग्गया। से तेणट्रेणं गोयमा! जाव अणंतर-परंपर-अनिग्गया वि । एवं जाव वेमाणिया । ११. अणंत रनिग्गया णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति ॥ १२. परंपरनिग्गया ण भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति -पुच्छा। गोयमा ! नेरइयाउयं पिपकरेति जाव देवाउयं पि पकरेंति ।। १३. अणंतर-परंपर-अनिग्गया णं भंते ! नेरइया--पूच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । निरवसेसं जाव वेमाणिया ।। १४. नेरइया णं भंते ! कि अणंतरखेदोववन्तगा? परंपरखेदोववन्नगा? अणंतर परंपर-खेदाणववन्नगा? गोयमा ! नेरइया अणंतरखेदोववन्नगा वि, परंपरखेदोववन्नगा वि, अणंतर १. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. ० खेतोववन्नगा (क, ब); खेतोववन्नगा (ता)। Page #688 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२७ परंपर- खेदाणुववन्नगा वि । एवं एएवं प्रभिलावेणं ते' चेव चत्तारि दंडगा भाणियव्वा ॥ १५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ || चोदसमं सतं (बीओ उद्देसो) उम्माद-पदं १६. कतिविहे णं भंते ! उम्मादे पण्णत्ते ? गोमा ! दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा- जक्खाए से य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स उदएणं । तत्थ णं जे से जक्खाएसे से णं सुहवेयणतराए चेव सुहविमोयणतराए चेव । तत्थ णं जे से मोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएण से गं दुहराए चैव दुहविमोयणतराए चेव || १७. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे उम्मादे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा - जक्खाए से य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स उदपणं ॥ १८. से केणट्टे भंते ! एवं बुच्चइ- नेरइयाणं दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहाजक्खाए से य, मोहणिज्जस्स 'य कम्मस्स" उदएणं ? गोमा ! देवे वा से सुभे पोगले पक्खिवेज्जा, से णं तेसि प्रसुभाणं पोग्गलाणं पक्खिवणयाए जक्खाएसं उम्मादं पाउणेज्जा, मोहणिज्जस्स वा कम्मस्स उदएणं मोहणिज्जं उम्मायं पाउणेज्जा 1 से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइयाणं दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा- जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स° उदएणं' । बीओ उद्देसो १६. असुरकुमाराणं भंते ! कतिविहे उम्मादे पण्णत्ते ? • गोयमा ! दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा - जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स कम्मस्स य उदपणं ॥ २०. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - असुरकुमाराणं दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहाक्खाए से य, मोहणिज्जरस य कम्मस्स उदएणं ? १. तं ( ब ) 1 २. भ० ११५१ । ३. जक्खादेसे (ता); जक्खाये से ( ब ) ; जक्खावेसे ( क्व ० ) । ४. व (ता); वा ( स ) | ५. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) | ६. स० पा० - ते द्वेणं जाव उदएणं । ७. उम्मादे ( अ ) । ८. सं० पा० - एवं जहेव नेरइयागं नवरं देवे । Page #689 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२८ भगवई गोयमा ! • देवे वा से महिड्ढियतराए असुभे पोग्गले पक्खिवेज्जा, से णं तेसि असुभाणं पोग्गलाणं पक्खिवणयाए जक्खाएसं उम्मादं पाउणेज्जा, मोहणिज्जस्स वा "कम्मस्स उदएणं मोहणिज्ज उम्मायं पाउणिज्जा । से तेणद्वेणं जाव उदएणं । एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढविक्काइयाणं जाव मणुस्साणं--एएसिं जहा नेरइयाणं, वाणमंतर-जोइस-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ।। बुट्टिकायकरण-पदं २१. अस्थि णं भंते ! पज्जणे कालवासी बुट्टिकायं पकरेति' ? हंता अस्थि ।। २२. जाहे णं भंते ! सक्के देविदे देवराया वुट्टिकायं काउकामे भवइ से कहमियाणि पकरेति ? गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्के देविदे देवराया अभितरपरिसए देवे सद्दावेइ । तए णं ते अभितरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा मज्झिमपरिसए देवे सद्दावेंति । तए णं ते मज्झिमपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरपरिसए देवे सहावेति । तए णं ते बाहिरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरबाहिरगे देवे सहावेंति । तए णं ते बाहिरवाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा आभियोगिए देवे सहावेति । तए णं ते "पाभियोगिया देवा० सहाधिया समाणा वटिकाइए देवे सद्दावेति । तए णं ते वुट्टिकाइया देवा सद्दाविया समाणा बुटिकायं पकरेंति। एवं खलू गोयमा ! सक्के देविदे देवराया वुद्धिकायं पकरेति ।। २३. प्रत्थि णं भंते ! असुरकुमारा वि देवा वुट्टिकायं पकरेंति ? हंता अत्थि।। २४. किंपत्तियं णं भंते ! असुरकुमारा देवा वुट्टिकायं पकरेंति ? गोयमा ! जे इमे अरहंता भगवंतो-- एएसि णं जम्मणमहिमासु वा निक्खमणमहिमासु वा नाणुप्पायमहिमासु वा परिनिव्वाणमहिमासु वा, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा देवा वुट्टिकायं पकरति । एवं नागकुमारा वि, एवं जाव थणियकुमारा । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया एवं चेव ।। तमुक्कायकरण-पदं २५. जाहे णं भंते ! ईसाणे देविदे देवराया तमुक्कायं काउकामे भवति से कह मियाणि पकरेति ? १. सं० पा०-सेसं तं चेव । २. पज्जणे (क, ता, म)। ३. इह स्थाने शक्रोपि तं प्रकरोतीति दृश्यम् (वृ)। ४. परिसोववण्णगा (अ, ख, ब)। ५. सं० पा०ते जाद सद्दाविया। Page #690 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६ चोद्द समं सतं (तइओ उद्देसो) गोयमा! ताहे चेव णं से ईसाणे देविंदे देवराया अभितरपरिसए देवे सद्दावेति । तए णं ते अभितरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा "मज्झिमपरिसए देवे सद्दावेति । तए णं ते मज्झिमपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरपरिसए देवे सद्दावेति । तए णं ते बाहिरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरवाहिरगे देवे सद्दावेति । तए ण ते बाहिरबाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा आभियोगिए देवे सद्दावेंति° । तए णं ते आभिनोगिया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्काइए देवे सद्दावेंति । तए णं ते तमुक्काइया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्कायं पकरेंति । एवं खलु गोयमा ! ईसाणे देविदे देवराया तमुक्कायं पकरेति ।। २६. अत्थि णं भंते ! असुरकुमारा वि देवा तमुक्कायं पकरति ? हंता अस्थि । २७. किंपत्तियं णं भंते ! असुरकुमारा देवा तमुक्कायं पकरेंति ? गोयमा ! किड्डा-रतिपत्तियं वा पडिणीयविमोहणट्ठयाए वा गुत्तीसारक्खणहेउं वा अप्पणो वा सरीरपच्छायणट्ठयाए, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा वि देवा तमुक्कायं पकरेति । एवं जाव वेमाणिया ।। २८. सेवं भते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। तइओ उद्देसो विणयविहि-पदं २९. "देवे णं भंते ! महाकाए महासरीरे अणगारस्स भावियप्पणो मज्झमझेणं' वीइवएज्जा? गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ।। ३०. से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ-अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ? गोयमा ! दुविहा देवा पण्णत्ता, तं जहा-मायीमिच्छादिट्ठीउववन्नगा य, १. सं० पा०–एवं जहेव सक्कस्स जाव तए। २. भ० १४१२३ । ३. भ० ११५१। ४. उद्देशकस्य प्रारम्भे क्वचिदियं द्वारगाथा दृश्यते-- महक्काए सक्कारे, सत्येणं वीईवयंति देवा उ । वासं चेव य ठाणा, नेरइयाणं तु परिणामे ॥ ५. मज्झण मज्झणं (अ, क, ख, ता, ब)। Page #691 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई अमायोसम्मदिट्ठीउववन्नगा य । तत्थ णं जे से मायोमिच्छदिट्ठीउववन्नए' देवे से णं अणगारं भावियप्पाणं पासइ, पासित्ता नो वंदइ, नो नमसइ, नो सक्कारेइ, नो सम्माणेइ, नो कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं पज्जवासह। सेणं अणगारस्स भावियप्पणो मझमझणं वीइवएज्जा। तत्थ णं जे से अमायीसम्मट्ठिीउववन्नए देवे से ण अणगारं भावियप्पाणं पासइ, पासित्ता वंइइ नमसइ 'सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं • पज्जुवासइ । से णं अणगारस्स भावियप्पणो मज्झमज्झेणं नो वीइवाएज्जा। से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चई-अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ।। ३१. असुरकुमारे णं भंते ! महाकाए महासरीरे अणगारस्स भावियप्पणो मज्झं. ___ मज्झेणं वीइवएज्जा ? एवं चेव । एवं देवदंडनो भाणियव्वो जाव' वेमाणिए । ३२. अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा ? किइकम्मे इ वा? अभट्ठाणे इ वा ? अंजलिपग्गहे इ वा ? पासणाभिग्गहे इ वा ? आसणाणुप्पदाणे इ वा ? एतस्स पच्चुग्गच्छणया' ? ठियस्स पज्जुवासणया ? गच्छंतस्स पडिसंसाहणया ? नो इणढे समटे । ३३. अत्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा जाव गच्छंतस्स पडिसंसाहणया वा? हंता अस्थि । एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढविकाइयाणं जाव चरिदियाणं एएसि जहा नेरइयाणं । ३४. अस्थि णं भंते ! पचिदियतिरिक्खजोणियाणं सक्कारे इ वा जाव गच्छंतस्स पडिसंसाहणया वा? हंता अस्थि । नो चेव णं आसणाभिग्गहे इ वा, पासणाणुप्पयाणे इ वा ।। ३५. अस्थि णं भंते ! मणुस्साणं सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा? किइकम्मे इ वा? अभदाणे इ वा ? अंजलिपग्गहे इ वा ? पासणाभिग्गहे इ वा ? मासणाणुप्पदाणे इ वा ? एतस्स पच्चुग्गच्छणया ? ठियस्स पज्जुवासणया ? गच्छंतस्स पडिसंसाहणया ? हंता अत्थि । वाणमंतर-जोइस-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ॥ १. ० मिच्छट्ठिी ° (अ, क, ख, ब, म, स)। २. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा०---नमंसइ जाव पज्जुवासइ । ४. सं० पा.-बुच्चइ जाव नो। ५. भ. १४१२३ । ६. इतस्स (अ)। ७. पच्चप्पत्थणया (अ)। ८. एसि (क, ख, ता, ब, म)। ६. सं० पा०-मणस्साणं जाव वेमाणियाणं । Page #692 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्द समं सतं (तइओ उद्देसो) ३६. अप्पिड्ढिए' णं भंते ! देवे महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? नो इण? समटे ।। ३७. समिड्ढिए णं भंते ! देवे समिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? नो इणढे समटे, पमत्तं पुण वीइवएज्जा ।। ३८. से ण भंते ! कि सत्थेणं अक्कमित्ता पभ ? अणक्कमित्ता पभ ? गोयमा! अक्कमित्ता पभू, नो अणक्कमित्ता पभू ।। ३६. से णं भंते ! कि पुव्वि सत्येणं अक्कमित्ता पच्छा वी इवएज्जा ? पुन्धि वीइव इत्ता पच्छा सत्थेणं अक्कमेज्जा ? गोयमा ! पुद्वि सत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीइवएज्जा, नो पुचि वीइवइत्ता पच्छा सत्येणं अक्कमिज्जा । एवं एएणं अभिलावेणं जहा दसमसए अाइड्ढीउद्देसए तहेव निरवसेसं चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव' महिड्ढिया वेमाणिणी अप्पिड्ढियाए वेमाणिणीए ।। रयणप्पभपढविनेरइया णं भंते ! केरिसयं पोग्गलपरिणामं पच्चणब्भवमाणा विहरंति ? गोयमा ! अणि8 अकंतं अप्पियं असुभं अमणुण्णं° अमणामं । एवं जाव अहेसत्तमापुढविने रइया ॥ ४१. "रयणप्पभपुढविनेरइया णं भंते ! केरिसयं वेदनापरिणामं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ? गोयमा ! अणिटुं जाव अमणाम ! ° एवं जहा जीवाभिगमे बितिए नेरइयउ देसए जाव४२. अहेसत्तमापुढविनेरइया णं भंते ! केरिसयं परिग्गहसण्णापरिणामं पच्चणुब्भ वमाणा विहरंति? गोयमा ! अणिटुं जाव अमणाम ।। ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ! १. अप्पिड ढीए (अ, क, ता, ब, म, स)। २. समिड्ढीए (अ, क, ब, म); समड्ढीए (ता, स)। ३. आतिड्ढीय उद्देसए (ता, ब, म)। ४. भ० १०१२८-३८ । ५. सं० पा.-अणिटुं जाव अमणामं । ६. सं० पा०--एवं वेदणापरिणाम। ७. जी० ३। ८. भ० १०५१। Page #693 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३२ भगवई चउत्थो उद्देसो पोग्गल-जीव-परिणाम-पदं ४४. 'एस णं भंते ! पोग्गले तीतमणतं सासयं समयं लुक्खी? समयं अलुक्खी ? समयं लक्खी वा अलुक्खी वा? पुचि च णं करणेणं अणेगवणं अणेगरूवं परिणाम परिणमइ ? ग्रह से परिणामे निज्जिण्णे भवइ, तो पच्छा एगवण्णे एगरूवे सिया? हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले तीतमणतं सासयं समयं तं चेव जाव एगरूवे सिया।। ४५. एस ण भंते ! पोग्गले पडुप्पन्नं सासयं समयं लुक्खो ? एवं चेव ।। ४६. एस गं भंते ! पोग्गले अणागयमणंत सासयं समयं लुक्खी? एवं चेव° ॥ ४७. एस णं भंते ! खंधे तीतमणतं सासयं समयं लुक्खी ? एवं चेव खंधे वि जहा पोग्गले ॥ ४८. एस णं भंते ! जीवे तोतमणतं सासयं समयं दुक्खी ? समयं अदुक्खी ? समयं दुक्खी वा अदुक्खी वा? पुवि च णं करणेणं अणेगभावं अणेगभूयं परिणाम परिणमइ ? अहे से वेयणिज्जे निजिण्णे भवइ, तो पच्छा एगभावे एगभूए सिया? हंता गोयमा ! एस णं जीवे तीतमणतं सासयं समयं जाव एगभूए सिया। एवं पडुप्पन्नं सासयं समयं, एवं अणागयमणतं सासयं समयं ।। ४६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सासए ? प्रसासए ? गोयमा ! सिय सासए, सिय असासए॥ से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय सासए, सिय असासए ? गोयमा! दवद्वयाए सासए, वण्णपज्जवेहि गंधपज्जवेहिं रसपज्जवेहि फासपज्जवेहि असासए । से तेणद्वेणं' *गोयमा ! एवं बुच्चइ °--सिय सासए, सिय प्रसासए॥ ५१. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं चरिमे ? अचरिमे ? गोयमा ! दव्वादेसेणं नो चरिमे, अचरिमे । खेत्तादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे । कालादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे । भावादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे॥ ५०. १. इह पुनरुद्देशकार्थसंग्रहगाथा क्वचिद् दृश्यते, अज्जीवाणं च जीवाणं ।। सा चेयं--- २. सं० पा०-एवं अणायमणतं पि । १. पोग्गल २. खंधे ३. जीवे, ३. सं० पा० –वपणपज्जवेहिं जाव फास ! ४. परमाणू ५. सासए य चरमे य। ४. सं० पा०तेण?णं जाव सिय । ६. दुविहे खलु परिणामे, Page #694 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोदसमं सतं (पंचमो उद्देसो) ६३३ ५२. कतिविहे णं भंते ! परिणामे पण्णत्ते ? गोयमा! दुविहे परिणामे पण्णत्ते, तं जहा-जीवपरिणामे य, अजीवपरिणामे य। एवं परिणामपयं निरवसेसं भाणियव्वं ।। ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव' विहरइ ।। पंचमो उद्देसो अगणिकायस्स प्रतिक्कमण-पदं ५४. नेरइए णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमज्झणं वीइवएज्जा ? गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ।। ५५. से केण?णं भते ! एवं वुच्चइ-अत्यंगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइव एज्जा ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य । तत्थ णं जे से विग्गहगतिसमावन्तए नेरइए से णं अगणिकायस्स मझमझेणं वीइवएज्जा। से णं तत्थ झियाएज्जा? नो इणद्वै समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । तत्थ णं जे से अविग्गहगतिसमावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झमझेणं नो वीइवएज्जा । से तेण?णं जाव नो वीइवएज्जा ॥ ५६. असुरकुमारे णं भंते ! अगणिकायस्स " मझमझेणं वीइवएज्जा ? ' गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ।। ५७. से केणद्वेणं जाव नो वीइवएज्जा ? गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य । तत्थ णं जे से विग्गहगतिसमावन्नए असुरकुमारे से णं-एवं जहेव नेरइए जाव कमइ । तत्थ णं जे से अविगहगतिसमावन्नए १. १०१३ २. भ. ११५१। ३. इह च क्वचिदुद्देशकार्थसंग्रहगाथा दृश्यते, सा चेयं-- नेरइय अगणिमझे, दस ठाणा तिरिय पोग्गले देवे। पध्वयभित्ती उल्लंघणा, य पल्लंघणा चेव ।। ४. मझएं मज्झेणं (अ, क, ख, ता, ब) । ५. सं. पा.---पुच्छा । Page #695 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ भगवई असुरकुमारे से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा। जे णं वीइबएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? नो इणटे समठे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । से तेणगुण । एवं जाव थणियकुमारा। एगिदिया जहा नेरइया ।। बेइंदिया णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि, नवरंजे णं वीइवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? हंता झियाएज्जा । सेसं तं चेव । एवं जाव चउरिदिए । ५६. पंचिदियतिरिवख जोणिए णं भंते ! अगणिकायस्स "मझमज्झणं वीइव एज्जा ? गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा, प्रत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ॥ से केण?णं ? गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावनगा य । विगहगतिसमावन्नए जहेव नेरइए जावनो खलु तत्थ सत्थं कमइ । अविग्गहगतिसमावन्नगा पंचिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा—इड्ढिप्पत्ता य, अणिढिप्पत्ता य । तत्थ णं जे से इड्ढिप्पत्ते पंचिदियतिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा । जे णं वीइबएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? नो इणद्वे सम8, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। तत्थ णं जे से अणिड्ढिप्पत्ते पंचिंदियतिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा । जे णं वीइवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा? हंता झियाएज्जा! से तेण?णं जाव नो वीइवएज्जा । एवं मणुस्से वि। वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिए जहा असुरकुमारे ।। पच्चणुब्भव-पदं ६१. नेरइया दस ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-अणिट्ठा सद्दा, अणिट्ठा रूवा, अणिट्ठा गंधा, अणिट्ठा रसा, अणिट्ठा फासा, अणिट्ठा गती, अणिट्ठा ठिती, अणि8 लावण्णे, अणिट्ठ जसे कित्ती, अणिढे उट्ठाण-कम्म'-बल-वीरिय-पुरिस क्कार-परक्कमे ॥ १. सं० पा०-पुच्छा । ३. कम्मए (ता)। २. लायन्णे (ता)। Page #696 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३५ चोद्दसमं सतं (पचमो उद्देसो) ६२. असुरकुमारा दस ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-इट्ठा सद्दा, इट्ठा रूवा जाव इठे उट्ठाण-कम्म-बल-वोरिय-पुरिसक्कार-परक्कमे । एवं जाव थणियकुमारा॥ ६३. पुढविक्काइया छट्ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा–इट्टाणिट्ठा फासा, इट्राणिट्टा गती, एवं जाव पुरिसक्कार-परक्कमे । एव जाव वणस्सइकाइया ।। ६४. बेइंदिया' सत्तट्ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा- इट्ठाणिट्ठा रसा, सेसं जहा एगिदियाणं ॥ ६५. तेइंदिया अट्ठाणाइं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा–इट्ठाणिट्ठा गंधा, सेसं जहा बेइंदियाणं ।। ६६. चरिदिया नवट्ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-इटागिट्ठा रूवा, सेसं जहा तेइंदियाणं ।। ६७. पंचिदियतिरिक्खजोणिया दस ठाणाइं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा इट्ठाणिट्ठा सद्दा जाव पुरिसक्कार-परक्कमे । एवं मणुस्सा वि, वाणमंतर-जोइ सिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । देवस्स उल्लंघण-पल्लंघण-पदं ६८. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव' महेसक्खे' बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू तिरियपव्वयं वा तिरिभित्ति वा उल्लंघेत्तए वा पल्लंघेत्तए वा ? 'नो इण? समटे । ६६. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू तिरिय पव्वयं वा तिरिभित्ति वा उल्लंघेत्तए वा पल्लंधेत्तए वा? हंता पभू॥ ७०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। १. बेंदिया (ब)। २. भ० ११३३६ । ३. महेसक्के (ब)। ४. गोनो (अ, ख)। ५. सं० पा०—तिरिय जाव पल्लंघेत्तए । ६. भ० ११५१। Page #697 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई छट्ठो उद्देसो नेर इयादीणं किमाहारादि-पदं ७१. रायगिहे जाव' एवं वयासि -नेरइया णं भंते ! किमाहारा, किंपरिणामा, किंजोणिया, किंठितीया पण्णता? गोयमा ! नेरइया णं पोग्गलाहारा, पोग्गलपरिणामा, पोग्गलजोणिया, पोग्गलद्वितीया, कम्मोवगा, कम्मनियाणा, कम्मद्वितीया, कम्मणामेव' विप्परिया समेंति । एवं जाव वेमाणिया ।। ७२. नेरइया णं भंते ! कि बीचीदव्वाई याहारेति ? अवीचीदवाई पाहारेंति ? गोयमा ! नेरइया वीचीदवाई पि आहारेति, अवीचीदव्वाई पि पाहारेति ।। ७३. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइया वीची दवाई पि आहारति, अवीची दव्वाइं पि अाहारेंति ? गोयमा ! जे णं नेरइया एगपएसूणाई पि दव्वाइं आहारति, ते णं नेरइया वीचीदव्वाई पाहारेति, जेणं नेरइया पडिपुण्णाई दवाई आहारेंति, ते णं नेरइया अवीचीदव्वाइं आहारति । से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चय'नेरइया वीचीदव्वाई पि ग्राहारेति, अवीचीदव्वाइं पि° आहारेति । एवं जाव वेमाणिया। देविदाणं भोग-पदं ७४. जाहे णं भंते ! सक्के देविदे देवराया दिव्वाइं भोगभोगाई भुजिउकामे भवइ से कहमियाणि पकरेति ? गोयमा! ताहे चेव णं से सक्के देविदे देवराया एगं महं नेमिपडिरूवगं विउव्वइ-एग जोयणसयसहस्सं पायामविक्खंभेणं, तिणि जोयणसयसहस्साई जाव अद्धंगुलं च किचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं । तस्स णं नेमिपडिरूवगस्स" उरिं" बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णते जाव" मणीणं फासो। तस्स णं नेमिपडिरूवगस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ" णं महं एगं पासायवडेंसगं विउव्वइ १. भ० ११४-१०। २. किजोणीया (अ, ब, म)। ३. कम्मणामेव (ब)। ४. वीचि (अ, क, ख, ब, म, स)। ५. सं० पा०--तं चेव जाव आहारति । ६. सं० पा०-वुच्चइ जाव आहारति । ७. रिणया आहारेति (स)। ८. भोजिउकामे (ख); भुंजउकामे (स) । ६. भ० ६७५। १०. नेमिरुवस्स (ख, ता, ब)। ११. अरि (ख, ता, म); अवरि (ब)। १२. राय० सू० २४-३१ । १३. तत्थ (अ, क, ता, ब, म, स)। Page #698 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्द समं सतं (छट्टो उद्देसो) ६३७ पंच जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं, अड्ढाइज्जाई जोयणसयाई विक्खंभेणं, अब्भुग्गय-मूसिय-पहसियमिव वण्णनो जाव' पडिरूवं । तस्स णं पासायव.सगस्स उल्लोए पउमलयाभत्तिचित्ते जाव' पडिरूवे । तस्स णं पासायवडेंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव भणीणं फासो, मणिपेढिया अट्टजोयणिया जहा वेमाणियाणं । तीसे णं मणिपेढियाए उरि महं 'एगे देवसणिज्जे विउब्वइ, सयणिज्जवण्णो जाव' पडिरूवे । तत्थ णं से सके देविदे देवराया अहि अगमहिसीहिं सपरिवाराहि, दोहि य अणिएहि-नट्टाणिएण य गंधवाणिएण य सद्धि महयाहयनट्ट'- गीय-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-धणमुइंगपडुप्पवाइय रवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भजमाणे विहरइ ।।। ७५. जाहे ईसाणे देविदे देवराया दिव्वाइं भोगभोगाई भुजिउकामे भवइ से कहमि याणि पकरेति ? जहा सक्के तहा ईसाणे वि निरवसेसं । एवं सणंकुमारे वि, नवरं -पासायवडेंसो छ जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं, तिण्णि जोयणसयाइं विक्खंभेणं, मणिपेढिया तहेव अट्ठजोयणिया। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं, एत्थ णं महेगं सीहासणं विउब्वइ, सपरिवारं भाणियन्वं । तत्थ णं सणकुमारे देविदे देवराया बावत्तरीए सामाणियसाहस्सोहि जाव' चउहि य वावत्तरीहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहि य बहूहि सणकुमारकप्पवासीहि वेमाणिएहिं देवेहि य देवीहि य सद्धि संपरिबुडे महयाहयनट्ट जाव" विहरइ । एवं जहा सणंकुमारे तहा जाव पाणो अच्चुओ, नवरं जो जस्स परिवारो सो तस्स भाणियव्यो । पासायउच्चत्तं - जं सएसु-सएसु कप्पेसु विमाणाणं उच्चत्तं, अद्धद्ध वित्थारो जाव अच्चुयस्स नवजोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अद्धपंचमाइं जोयणसयाई विक्खंभेणं । 'तत्थ गं" अच्चुए देविदे देवराया दसहि सामाणिय साहसीहिं जाव विहरइ, सेसं तं चेव ।। ७६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति" । १. राय० ० १३७ । २. राय० सू० ३४ । ३. राय० सू० ३६ । ४. विभक्तिव्यत्ययेन 'एगं देवसयरिंगज्ज'। ५. राय० सू० २४५ । ६. अणिएहिं तं (प्र)। ७. सं० पा०-महयाहयन जाव दिब्वाइं। ८. राय० सु० ३७-४४ । ६. प० २। १०. भ० १४१७४। ११. प०२। १२. भ० ११९४ । १३. एत्थ णं गो (अ)। १४. भ० ११५१ । Page #699 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३८ भगवई सत्तमो उद्देसो गोयमस्स प्रासासण-पदं ७७. रायगिहे जाव' परिसा पडिगया। गोयमादी ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं आमंतेत्ता एवं वयासी चिर संसिट्ठोसि मे गोयमा ! चिरसंथुप्रोसि मे गोयमा ! चिरपरिचिोसि मे गोयमा! चिरजुसिोसि मे गोयमा ! चिरागुगप्रोसि मे गोयमा ! चिराणु वत्तीसि मे गोयमा ! अणंतरं देवलोए अणंतरं माणस्सए भवे, कि परं मरणा कायस्स भेदा इप्रो चता दो वि तुल्ला एगट्ठा अविसेसमणाणत्ता भविस्सामो॥ ७८. जहा णं भंते ! वयं एयमढे जाणामो-पासामो, तहा णं अणुत्तरोववाइया वि देवा एयमटुं जाणंति-पासंति ? हंता गोयमा ! जहा णं वयं एयमढे जाणामो-पासामो, तहा णं अणुत्तरोववाइया वि देवा एयमटुं जाणंति-पासंति ।। ७६. से कणद्वेण' भंते ! एवं बुच्चइ-वयं एयमढे जाणामो-पासामो, तहा गं अणत्तरोववाइया वि देवा एयमढे जाणंति -पासंति ? गोयमा ! अणुत्तरोववाइयाणं अणंताओ मणोदव्ववग्गणाग्रो लद्धारो पत्तायो अभिसमण्णागयाो भवंति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ- 'वयं एयमढें जाणामो-पासामो, तहा णं अणुत्तरोववाइया वि देवा एयमढे जाणंति -पासंति ।। तुल्लय-पदं ८०. कतिविहे णं भंते ! तुल्लए पण्णते ? __ गोयमा ! छव्विहे तुल्लए पुण्णत्ते, तं जहा-दव्वतुल्लए, खेत्ततुल्लए, काल तुल्लए, भवतुल्लए, भावतुल्लए, संठाणतुल्लए ।। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए? गोयमा! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वनो तुल्ले, परमाणपोग्गले परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दब्बओ नो तुल्ले । दुपसिए खंधे दुपएसियस्स खंधस्स दवो तुल्ले, दुपएसिए खंधे दुपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वनो नो तुल्ले । एवं जाव दसपएसिए। तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियस्स खंधस्स दध्वनो तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वनो नो तुल्ले, एवं तुल्लनसंखेज्जपएसिए वि', एवं तुल्ल १. भ० ११४-८ । २. चिरझुसिओसि (ता, म)। ३. सं० पा०---केणट्रेणं जाव पासंति । ४. सं० पा०-वुच्चइ जाव पासंति । Page #700 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ६३६ अणतपएसिए वि । से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ-दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए। से केण?ण भंते ! एवं वुच्चइ-खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए ? गोयमा ! एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तनो तुल्ले, एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तनो नो तुल्ले, एवं जाव दसपएसोगाढे । तुल्लसंखेज्जपएसोगाढे 'पोग्गले तुल्लसंखेज्जपएसोगाढस्स पोरगलस्स खेत्तमो तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसोगाढे पोगले तुल्लसंखेज्जपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तो नो तुल्ले °, एवं तुल्लअसंखेज्जपएसोगाढे वि ! से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ-खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कालतुल्लए-कालतुल्लए? गोयमा ! एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयस्स पोग्गलस्स कालो तुल्ले, एकसमयठितीए पोग्गले' एगसमयठितीयवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ नो तुल्ले, एवं जाव दससमयद्वितीए, तुल्लसंखेज्जसमयद्वितीए एवं चेव, एवं तुल्लअसंखेज्जसमातीए वि । से तेण?णं' गोयमा ! एवं वुच्चइ° - कालतुल्लए-कालतुल्लए। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ---भवतुल्लाए-भवतुल्लए? गोयमा ! नेरइए ने रइयस्स भवट्ठयाए तुल्ले, नेरइयवइरित्तस्स भवट्ठयाए नो तुल्ले, तिरिक्खजोणिए एवं चेव, एवं मणुस्से, एवं देवे वि। से तेणट्टेणं *गोयमा ! एवं बुच्चइ °--भवतुल्लए-भवतुल्लए । से केण?ण भंते ! एवं वुच्चइ-भावतुल्लए-भावतुल्लए ? गोयमा ! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगस्स पोग्गलस्स भावो तुल्ले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालावइरित्तस्स पोग्गलस्स भावनो नो तुल्ले, एवं जाव दसगुणकालए, एवं तुल्ल संखेज्जगुणकालए पोग्गले, एवं तुल्लअसंखेज्जगुणकालए वि, एवं तुल्लाणंतगुणकालए वि। जहा कालए, एवं नीलए, लोहियए, हालिद्दए, सुक्किलए। एवं सुबिभगंधे, एवं दुन्भिगंधे । एवं तित्ते जाव' महुरे । एवं कक्खडे जाव लुवखे । प्रोदइए भावे गोदइयस्स भावस्स भावनो तुल्ले, प्रोदइए भावे प्रोदइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावो नो तुल्ले, एवं प्रोवसमिए, खइए, खनोवसमिए, पारिणामिए । सन्निवाइए भावे सन्निवाइयस्स १. सं० पा०--तुल्लसंखेज्ज । २. सं० पा०-तेरगटेणं जाव खेत्ततुल्लए । ३. संपा०-तेणणं जाव कालतुल्लए। ४. सं० पा० --तेण?णं जाव भवतुल्लए। ५. कालस्स (अ, क, ब, स)। ६. °काल ° (अ, ख, स); स्वीकृतपाठे एकपदे सन्धिः । ७. भ०८।३६ । ८. भ० ८।३६ ; Page #701 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई भावस्स भावो तुल्ले, सन्निवाइए भावे सन्निवाइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावो नो तुल्ले । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-भावतुल्लए-भावतुल्लए । से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ--संठाणतुल्लए-संठाणतुल्लए ? गोयमा ! परिमंडले संठाणे परिमंडलस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले परिमंडले संठाणे परिमंडलसंठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणो नो तुल्ले, एवं वट्टे, तंसे, चउरंसे, आयए । समचउरंससंठाणे समचउरंसस्स मंठाणस्स संठाणो तुल्ले समचउरसे संठाणे समचउरंससंठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणो नो तुल्ल, ‘एवं परिमंडले वि", एवं साई खुज्जे वामण हुंडे। से तेणद्वेणं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ ° ---संठाणतुल्लए-संठाणतुल्लए । भत्तपच्चक्खायस्स आहार-पदं ८२. भत्तपच्चक्खायए णं भंते ! अणगारे मुच्छिए' •गिद्धे गढिए ° अज्झोववन्ने आहारमाहारेति, अहे णं वोससाए कालं करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणभोववन्ने प्राहारमाहारेति? हंता गोयमा ! भत्तपच्चक्खायए णं अणगारे "मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारमाहारेति, अहे णं वीससाए कालं करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने आहारमाहारेति ।। ५३. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–भत्तपच्चक्खायए णं 'अणगारे मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने पाहारमाहारेति, अहे णं वीससाए कालं करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्भोववन्ने आहारमाहारेति ? ' गोयमा ! भत्तपच्चक्खायए णं अणगारे मुच्छिए गिद्धे गढिए ° अज्झोववन्ने आहारे भवइ, अहे णं वीससाए कालं करेइ, तनो पच्छा अमुच्छिए 'अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने ° आहारे भवइ । से तेणटेणं गोयमा ! जाव आहार माहारेति ।। लवसत्तम देव-पदं ८४. अत्थि णं भंते ! लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा ? हंता अत्थि ॥ १. x (अ, ख); एवं जाव परिमंडले वि ६. सं० पा० ---तं चेव । (क, ता, ब, म)। ७. सं० पा०-तं चेव । २. सं० पा०-एवं जाव हुंडे । ८. सं० पा०–मुच्छिए जाव अज्झोवबन्ने । ३. सं० पा०---तेरणद्वेणं जाव संठाणतुल्लए । ६. पत्रकपदे सन्धिस्तेन 'आहारए' इति स्थाने ४. सं० पाo-~-मुच्छिए जाव अज्झोववन्ने । 'पाहारे' इति प्रयोगो दृश्यते । ५. जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। १०. सं० पा०-अमुच्छिए जाव आहारे। Page #702 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोहसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ–लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जाव' निउणसिप्पोवगए सालीण वा, वीहीण वा, गोधूमाण वा, जवाण वा, जवजवाण वा पक्काणं', परियाताणं, हरियाणं, हरियकंडाणं तिक्त्रेणं नवपज्जणगणं' असिग्रएणं पडिसाहरिया-पडिसाहरिया पडिसंखिविया-पडिसंखिबिया जाव इणामेव-इणामेव त्ति कटु सत्त लवे लुएज्जा, जदि णं गोयमा ! तेसिं देवाणं एवतियं कालं पाउए पहुप्पते' तो गं ते देवा तेणं चेव भवरगहणणं सिझंता' 'बुज्झता मुच्चंता परिनिव्वायंता सव्वदुक्खाणं' अंतं करता। से तेण?णं •गोयमा ! एवं वुच्चइ - लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा !। अणुत्तरोववाइवदेव-पदं ८६. अत्थि णं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा, अणुतरोववाइया देवा? हता अत्थि !! ८७. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ--अशुत्तरोववाइया देवा, अणुत्तरोववाइया देवा ? गोयमा ! अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं अणुत्तरा सद्दा', 'अणुत्तरा रूवा, अणुत्तरा गंधा, अणुत्तरा रसा, अणुत्तरा फासा । से तेगटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ अणत्तरोववाहया देवा, अणत्तरोववाइया देवा ।। ८८. अणुत्तरोववाइया णं भंते ! देवा केवतिएणं कम्मावसेसेणं अणुत्तरोववाइय देवत्ताए उववन्ना? गोयमा ! जावतियं छट्ठभत्तिए समणे निगथे कम्म निज्जरेति एवतिएणं कम्मावसे सेणं अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववन्ना ॥ ८६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। १. भ० १४।३। २. पिककाणं (म, स)। ३. नवरज्जएणं (क, ता, स); नवपज्जवएण (म)। ४. लए (अ, क, ख, ता, ब); लवए (म, स)। ५. जति (अ, ब, म, स)। ६. बहुप्पते (अ, क); बहुपते (ख, ब, म, स); पहुप्पते (ना)। ७. सिज्मे,ज्जा (ता); सं० पाo.सिज्झता जाव आते।। ८. सं० पा०--तेणट्टेणं जाव लवसत्तमा। ६. सं. पा.-.-सदा जाव फासा। १०. भ० ११५१ Page #703 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૬૪૨ भगवई अट्ठमो उद्देसो प्रबाहाए अंतर-पदं १०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए सक्करप्पभाए य' पुढवीए केवतिए' प्रवाहाए' अंतरे पण्णते ? गोयमा ! असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं प्रवाहाए अंतरे पण्णत्ते ।। ६१. सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए वालुयप्पभाए य पुढवीए केवतिए अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ? एवं चेव । एवं जाव तमाए अहेसत्तमाए य ।। अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अबाहाए अंतरे पण्णते ? गोयमा ! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ।। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए जोतिसस्स य केवतिए "प्रवाहाए अंतरे पण्णते ? गोयमा ! सत्तनउए जोयणसए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ।। १४. जोतिसस्स णं भंते ! सोहम्मीसाणाण य कप्पाणं केवतिए "प्रवाहाए अंतरे पण्णते ? गोयमा! असंखेज्जाइं जोयण सहस्साई अवाहाए ° अंतरे पण्णत्ते ।। ६५. सोहम्मीसाणाणं भंते ! सणंकुमार-माहिदाण य केवतिए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? एवं चेव ।। १६. सणंकुमार-माहिंदाणं भंते ! बंभलोगस्स कप्पस्स य केवतिए अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ? एवं चेव ।। ६७. बंभलोगस्स णं भंते ! लंतगस्स य कप्पस्स केवतिए अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ? एवं चेव ॥ १८. लंतयस्स णं भंते ! महासुक्कस्स य कप्पस्स केवतिए प्रवाहाए अंतरे पण्णत्ते ? एवं चेव । एवं महासुक्कस्स कप्पस्स सहस्सा रस्स य, एवं सहस्सारस्स प्राणय'पाणयाण य कप्पाणं'', एवं आणय-पाणयाणं पारणच्चुयाण य कप्पाणं, एवं पारच्चुयाणं गेवेज्जविमाणाण य, एवं गेवेज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य !! १. X (अ, क, ब, म)। २. केवतियं (अ, क, ख, ता, ब, म, स) प्राय: 1 ३. आवाहाए (अ, क, ता, स) सर्वत्र; अबाहे (ख); आवाहए (व, म)। ४. सं० पा०-पुच्छा । ५. सं० पा०-पुच्छा। ६. सं० पा०--जोयण जाव अंतरे । ७, पाणयकप्पाणं (क, स)। ८. पाणयाणं कप्पाणं (अ, क, म)। Page #704 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) ६४३ १६. अणुत्तरविमाणाणं भंते ! ईसिंपब्भाराए' य पुढवीए केवतिए "अबाहाए अंतरे पण्णते? गोयमा ! दुवालस जोयणे अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥ १००. ईसिंपत्भाराए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अबाहाए "अंतरे पण्णते? गोयमा ! देसूणं जोयणं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ।। रुक्खाणं पुणब्भव-पदं १०१. एस णं भंते ! सालरुक्खे उपहाभिहए तण्हाभिहए दवग्गिजालाभिहए काल मासे कालं किच्चा कहि गमिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव रायगिहे नगरे सालरुक्खत्ताए पच्चायाहिती। से णं तत्थ' अच्चिय-वंदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहिय पाडिहरे लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ ।। १०२. से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उन्वट्टित्ता कहिं गमिहिति ? कहि उववज्जि हिति ? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ।। एस णं भंते ! साललट्ठिया उण्हाभिहया तण्हाभिया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा 'कहि गमिहिति ? • कहि उववज्जिहिति? गोयमा ! इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले" महेसरिए नगरीए सामलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति । से५ ण तत्थ अच्चिय-वदियर पइय-सवका. रिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे° लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ॥ १०४. से णं भंते ! तमोहितो अणंतरं उबट्टित्ता " कहिं गमिहिति ? कहिं उवव ज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं ° अंत काहिति ।। १. ईसि ° (अ, क, ख, ता, ब, म)। २. सं० पा०—पुच्छा । ३. सं० पा०-पुच्छा । ४. गच्छिहिति (अ, क, ख, स) ५. पच्चाहिति (ता, ब, म) । ६. तत्था (क, ता, ब)। ७. भ० २१७३ । ८, सालिलटिल्लिया (ख); साललदिल्लिया (ता) ६. सं० पा०-किच्चा जाव कहिं । १०. विज्झ° (क, ख, ता, ब)। ११. सा (अ, क, ग्ह , ता, ब, म, स)। १२. सं.पा.--वंदिय जाव लाउल्लोइय° । १३. सं० पा०-सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव अंतं । Page #705 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १०५. एस णं भंते ! उंबरलट्ठिया' उण्हाभिया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिति ? ० कहिं उववजिहिति ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पाइलिपुत्ते नगरे पाडलिक्वत्ताए पच्चायाहिति । से णं तत्थ अच्चिय-बंदिय- पूइय-सबकारिय-सम्माणिए दिवे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहरे लाउल्लोइयमहिए यावि° भविस्सइ।। १०६. से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उबट्टित्ता कहि गमिहिति ? कहि उवज्जि हिति? गोयमा ! महाविदेहे बासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं • अंतं काहिति ।। अम्मड-अंतेवासि-पदं १०७. तेणं कालेणं तेणं समारणं अम्मडस्स परिव्बायगस्स सत्त अंतेवासिसया गिम्ह कालसमयंसि " जेट्ठामूलमासंमि गंगाए महानदीए उभरोकनेणं कंपिल्लपुरानो नगरायो पुरिमतालं नवरं संपट्टिया विहाराए । १०६. तए ण तेसिं परिम्बायगाणं तीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धारा अडवीए कंचि देसंत रमणुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुबेणं परि जमाणे झीणे ॥ १०६. तए णं ते परिवाया भीणोदगा समाणा तण्हाए पारम्भमाणा-पारम्भमाणा उदगदातारमपस्समाणा अण्णमण्णं सदावति, सद्दावेत्ता एवं वयासी--एवं खलु देवाणप्पिया! अम्हं इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुत्रेण परि जमाणे झीणे । तं सेयं खलु देवाणुपिया! अम्हें इमीरो अगामियाए छिण्णावायाए दीहमदाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वग्रो समता मगण-गवेसणं करित्ता ति कटट अण्णमण्णरस अंतिए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तीसे प्रगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सवओ समंता भग्गण-गवेसणं करेंति, करेत्ता उदगदातारमल नमाणा दोच्चं पि अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-इहण्णं देवाणुपिया ! उदगदातारो नत्थि तं नो खलु कप्पइ अम्हं अदिषणं गिपिहत्तए, अदिण्णं साइज्जित्तए, तं मा अम्हे इयाणि पावइकालं पि अदिण्णं गिण्हामो, अदिगण साइज्जामो, मा णं अम्हं तवलोवे भविस्सइ । तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! निदंडए य कुंडियायो य कंचणियायो य करोडियायो य भिसियाओ य छण्णालए य अंकुसए य केसरियायो य पवित्तए य गणेत्तियानो य छत्तए य वाहणानो य धाउरत्तानो य एगंते एडित्ता गंगं १. उंवरि (अ, स)। २. सं० पा०-किच्चा जाव कहिं। ३. सं०प०-वंदिय जाब भविस्मइ। ४. सं० पा०--सेसं तं चेव जाव अंतं । ५. सं. पा०—एवं जहा ओववाइए जाव आराहगा। Page #706 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं सतं (अट्ठमो उद्देलो) ६४५ महानई अोगाहित्ता वालुयासंथाराए संथरित्ता संन हणा-असियाणं' भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पायोवगाणं कालं अणवकंखमाणाणं विहरित्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमटुं पडिमुणे ति, पडिसुणेत्ता तिदंडा य कुंडियानो य कंचणियायो य करोडियाओ य भिसियायो य छण्णाला य अंकसए य केसरियानो य पवित्तए य गणेत्तियानो य छत्तए य वाहणायो य धाउरत्तानो य एगते एडेंति, एडेता गंगं महानई नोगाहेंति, योगाहेत्ता वालुयासंथारए संथरंति, संथरित्ता बालुयासंथारयं दुरुहंति, दुहित्ता पुरस्थाभिमुहा संपलियंकनिसण्णा करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थर अंजलि कटु एवं वयासीनमोत्थु णं अरहताणं जाव' सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं । नमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव' संपाविउकामस्स । नमोत्थु णं अम्मडस्स परिव्वायगरस अम्हं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स । पुदिव णं अम्हेहि अम्मडस्स परिव्वायगस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए, मुसावाए अदिण्णादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि अम्हे समणस्म भगवनो महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं मुसावायं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं अदिण्णादाणं पच्चवखामो जावज्जीवाए सव्वं मेहुणं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं परिग्गह पच्चक्खामोजावज्जीवाए सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेज्जं दोसं कलहं अब्भ क्खाणं पेसण्णं परपरिवायं अरइरई मायामोस मिच्छादसणसल्लंकरणिज्ज जोग पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं असणं पाणं खाइमं साइम-चउन्विहं पि आहारं पच्चदखामो जावज्जीवाए। जपि य इमं सरीरं इ8 कंतं पियं मणुण्णं मणाम पेज्ज वेसासियं संमयं वहमयं अणमयं भंड-करंडग-समाण मा गं सीयं, मा णं उण्हं, माणं खुहा, मा णं पिवासा, मा णं वाला, मा णं चोरा, मा णं दंसा, मा णं मसगा, मा णं वाइयपित्तिय-सिभिय-सन्निवाइय' विविहा रोगायंका परीसहोवसागा फूसंतु त्ति कट्ट एयपि णं चरिमेहि ऊसासनीसासेहिं वोसिरामि त्ति कटु संलेहणा-झूसिया भत्तपाण-पडियाइक्खिया पायोवगया कालं अणवकखमाणा विहरति । तए णं ते परिवाया वहूई भत्ताई अणसणाए छेदति, छेदित्ता आलोइय-पडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा वंभलोए कप्पे देवत्ताए उववण्णा। तहि तेसि गई, तहि तेसि ठिई, तहिं तेसिं उववाए पण्णत्ते । १. विभक्तिरहितं पदम् । १. ओ० सू० २१ । २. ओ० सू० २१ । Page #707 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६ तेसि णं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! दससागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । प्रत्थि णं भंते! तेसि देवाणं इड्ढी इ वा जुई इ वा जसे इ वा बले इवा वीरिए इ वा पुरिसक्कार-परक्कमे इ वा ? हंता अत्थि । ते णं भंते ! देवा परलोगस्स श्राराहगा ? हंता प्रत्थि ||° श्रम्मड-चरिया-पदं ११०. बहुजणे णं भंते ! ग्रण्णमण्णस्स एवमाइक्खर एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ - एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए प्राहारमाहरेइ, घरसए सहि उवेइ | से कहमेयं भंते ? एवं खलु गोयमा ! जं णं से बहुजणे प्रष्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए श्राहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ, सच्चे णं एसमट्टे अहंपिणं गोयमा ! एवमाक्खामि एवं भासामि एवं पण्णवेमि एवं परूवेमि - एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए प्रहारमाहरेइ, घरसए सहि उवेइ ॥ १११. सेकेणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - ग्रम्भडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए ग्राहारमाहरेइ, घरसए वर्साह उवेइ ? गोयमा ! अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स पगइभयाए पगइउवसंतयाए पगइपतणुमायलोहयाए मिउमद्दवसंपण्णयाए अल्लीणयाए विणीययाए छट्ठछट्टेणं प्रणिक्खिणं तवोकम्मेणं उड्नुं वाहाओ परिज्भिय-परिज्भिय सूराभिमुहस्स आवणभूमीए आयामाणस्स सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहि अज्भवसाणेहि साहिं विसुज्झमाणीहि श्रण्णया कयाइ तदावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं हापूह - मग्गण - गवेसणं करेमाणस्स वीरियलद्धीए वे उव्वियलद्धीए मोहिनाणली समुप्पण्णा । भगवई १. सं० पा० - एवं जहा ओववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव | तणं से अम्मडे परिव्वायए तीए वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए मोहिनाणल - एसपणा विम्हावणहेउ कंपिल्लपुरे नगरे घरसए ग्राहारमाहरेइ, घरसए वह उवेइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - ग्रम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ ॥ Page #708 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं सतं (अटुमो उद्देसो) ११२. पहू णं भंते ! अम्मडे परिवायए देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे भवित्ता अगारामो अणगारियं पव्वइत्ताए ? नो इण? समट्ठ । गोयमा ! अम्मडे णं परिवायए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुण्णपावे पासव-संवर-निज्जर-किरियाहिगरण बंध-मोक्खकुसले असहेज्ज' देवासुरनाग-सुवण्ण जक्ख-रक्खस-किन्नर-किंपुरिस-गरुल-गधव्वमहोरगाइएहि निग्गंथाम्रो पावयणाप्रो अणइक्कमणिज्जे, इणमो निग्गये पावयणे निस्संकिए निक्कंखिए निबितिगिच्छे लढे गहियटे पुच्छिथट्टे अभिगयढे विणिच्छिय? अट्टिमिंजपेमाणुरागरते, अयमाउसो ! निग्गथे पावयणे अटे, अयं परमढे, सेसे अणद्वे, च उद्दसअट्ठमुद्दिठ्ठपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं अणुपालेमाणे, समणे निरगंथे फासुएसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गहकंबल-पायपुच्छणेणं प्रोसहभेसज्जेणं पाडिहारिएणं पीढफलगसेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणे सीलब्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अहापरिगहि एहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ° जाव' दढप्पइण्णो अंतं काहिति ॥ अव्वाबाहदेव-सत्ति-पदं २१३. अस्थि णं भंते ! अव्वाबाहा देवा, अव्वाबाहा देवा ? हंता अस्थि ।। ११४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अव्वाबाहा देवा, अव्वाबाहा देवा ? गोयमा ! पभू णं एगमेगे अव्वाबाहे देवे एगमेगस्स पुरिसस्स एगमेगंसि अच्छिपत्तंसि दिव्वं देविड्ढि, दिव्वं देवज्जुति, दिव्वं देवाणुभाग, दिव्वं बत्तीसतिविहं नट्टविहि उवदंसेत्तए, नो चेव णं तस्स पुरिसस्स किचि आवाहं वा वाबाह' वा उप्पाएइ, छविच्छेयं वा करेइ, एसुहुमं च णं उवदंसेज्जा से तेण?णं' 'गोयमा! एवं बुच्चाइ ° --अव्वावाहा देवा, अव्वाबाहा देवा ।। सक्कस्स सत्ति-पदं ११५. पभू णं भंते ! सको देविदे देवराया पुरिसस्स सीसं सपाणिणा' असिणा छिदित्ता कमंडलुंसि पक्खिवित्तए ? हंता पभू ।। ११६. से कहमिदाणि पकरेति ? गोयमा ! छिदिया-छिदिया च णं पक्खिवेज्जा, भिदिया-भिदिया च णं १. विभक्तिरहितं पदम् । २. ओ० सू० १२१-१५४ । ३. पबाहं (क, वृ); वाबाहं (वृपा) । ४. एस्सुमुहं (ता, ब, म)। ५. सं० पा०-तेराट्रेणं जाव अव्वावाहा । ६. सापाणिणा (ख, ता, व) । ७. कमंडलुमि (अ, क, म); कमंडलुपि (ख, ब, स)। Page #709 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४८ भगवई पक्खिवेज्जा, कोट्टिया-कोट्टिया च णं पक्खिवेज्जा, चुणिया-चुणिया च णं पविखवेज्जा, तो पच्छा खिप्पामेव पडिसंघाएज्जा, नो चेव णं तस्स पुरिसस्स किंचि आवाहं वा वावाहं वा उपाएज्जा, छविच्छेयं पुण करेइ, एसुहुमं च णं पक्खिवेज्जा। जंभगदेव-पदं ११७. अत्थि णं भंते ! जंभगा देवा, जंभगा देवा ? हंता अस्थि ।। ११८. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जंभगा देवा, जंभगा देवा ? गोयमा ! जंभगा णं देवा निच्च पमुदित-पक्की लिया कंदप्परतिमोहणसोला । जे णं ते देवे कुद्धे पासेज्जा, से णं पुरिसे महंत अयसं पाउणेज्जा । जे णं ते देवे तुढे पासेज्जा, से णं महंतं जसं पाउणेज्जा । से लेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ- .. जंभगा देवा, जंभगा देवा ॥ ११६. कति विहा णं भंते ! जंभगा देवा पण्णत्ता ? गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा--ग्रन्नजंभगा, पाणजभगा, वत्थजंभगा, लेणगंभगा, सयणजभगा, पुप्फजंभगा, फलजंभगा, 'पुप्फ-फल-जंभगा", विज्जा जंभगा अवियत्तिजभगा ।। १२०. जंभगा णं भंते ! देवा कहि वसहि उति ? गोयमा! सव्वेसु चेव दीहवेयड्ढेसु, चित्त-विचित्त-जमगपव्वएसु, कंचणपव्वएसु य, एत्थ णं जंभगा देवा वसहि उवेति ।।। १२१. जंभगाणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! एग पलिग्रोवमं ठिती पण्णत्ता ॥ १२२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव' विहरइ ।। नवमो उद्देसो सरूवि-सकम्मलेस्स-पदं १२३. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अप्पणो कम्मलेस्सं न जाणइ, न पासइ, तं पुण जीवं सरूवि स कम्मलेस्सं जाणइ-पासइ ? १. मंतजंभगा (वृपा)। २. अहिवइजभगा (वृपा) ३. भ० ११५१। ४. सरूवं (अ)! Page #710 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोद्दसमं सतं (नवमो उद्देसो) ६४६ हंता गोयमा ! अणगारे ण भावियप्पा अप्पणो' 'कम्मलेस्सं न जाणइ, न पासड, तं पूण जीवं सरूवि सकम्मलेस्सं जाणइ०.पासइ।। १२४. अस्थि णं भंते ! सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला प्रोभासेंति उज्जोएंति तवेंति पभासति ? हंता अत्थि। १२५. कयरे णं भंते ! सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला प्रोभासेंति जाव पभासेंति ? गोयमा ! जाग्रो इमाओ चंदिम-सूरियाणं देवाणं विमाणेहितो लेस्साम्रो बहिया अभिनिस्सडानो पभावेति, एए णं गोयमा! ते सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला ओभासें ति उज्जोएंति तवेंति पभाति ।। अत्तारणत्त-पोग्गल-पदं १२६. नेरइयाणं भंते ! कि अत्ता पोगला? अणत्ता पोग्गला ? गोयमा ! नो अत्ता पोग्गला, अणत्ता पोग्गला ॥ १२७. असुरकुमाराणं भंते ! कि अत्ता पोग्गला? अणता पोग्गला? गोयमा ! अत्ता पोग्गला, नो अणत्ता पोग्गला । एवं जाव' थणियकुमाराणं ।। १२८. पुढविकाइयाणं भंते ! कि अत्ता पोग्गला? अणत्ता पोग्गला ? मोयमा ! अत्ता वि पोग्गला, अणत्ता वि पोग्गला । एवं जाव' मणुस्साणं । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ॥ इट्ठारिणट्ठादि-पोग्गल-पदं १२६. नेरइयाणं भंते ! किं इट्ठा पोग्गला? अणिट्ठा पोग्गला ? गोयमा ! नो इट्ठा पोग्गला, अणिट्ठा पोग्गला । जहा अत्ता भणिया एवं इट्टा वि, कंता वि, पिया वि, मणुष्णा वि भाणियन्वा । एए' पंच दंडगा। देवाणं भासासहस्स-पदं १३०. देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव' महेसक्खे रूवसहस्सं विउवित्ता पभू भासास हस्सं भासित्तए ? हंता पभू ।। १३१. सा णं भंते ! कि एगा भासा ? भासासहस्सं ? गोयमा ! एगा णं सा भासा, नो खलु तं भासासहस्सं ।। १. सं० पा.- अप्पणो जाव पासइ । ६. सं० पा.-पुच्छा । २. तोभासंति (क, म)। ७. पू० ५०२ ३. अभिनिस्संडासो (क); अभिनिस्संदाओ (ता) ८. एवं (अ, क, ब, म, स)। ४. पयाति (ता); पभावेति एवं (म, स)। ६. भ० ११३३६ । ५. पू०प०२। Page #711 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५० भगवई सूरिय-पदं १३२. तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवं गोयमे अचिरुग्गयं वालसूरियं जासुमणाकुसुम पुजप्पकासं लोहितगं पासइ, पासित्ता जायसड्ढे जाव' समुप्पन्तकोउहल्ले जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ', 'उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता णच्चासण्णे णातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे पज्जुवासमाणे' एवं वयासो-किमिदं भंते ! सूरिए ? किमिदं भंते ! सूरियस्स अ?? गोयमा ! सुभे सूरिए, सुभे सूरियस्स अट्ठ ।। १३३. किमिदं भंते ! सूरिए ? किमिदं भंते ! सूरियस्स पभा ? गोयमा । सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स पभा ।। १३४. किमिदं भंते सूरिए ? किमिदं भंते ! सूरियस्स छाया ? गोयमा ! सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स छाया । १३५. किमिदं भंते । सूरिए ? किमिदं भते ! सूरियस्स लेस्सा ? गोयमा ! सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स लेस्सा ° ॥ समणाणं तेयलेस्सा-पदं । १३६. जे इमे भंते ! अज्जत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति, ते णं कस्स तेयलेस्सं वीईवयंति? गोयमा ! मासपरियाए समणे निगथे वाणमंतराणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । दुमासपरियाए समणे निगथे असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ। एवं एएणं' अभिलावेणं-तिमासपरियाए समणे निग्गंथे असुरकुमाराणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ। चउम्मासपरियाए समणे निग्गंथे गहगण-नक्खत्त-तारारूवाणं जोतिसियाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयई । पंचमासपरियाए समणे निग्गंथे चदिम-सूरियाणं जोतिसिंदाणं जोतिसराईणं तेयलेस्सं वीईवयइ। छम्मासपरियाए' समणे निग्गंथे सोहम्मीसाणाणं देवाणं तेयलेस्स वीईवयइ । १. भ० ११०॥ २. सं० पा०-उवागच्छइ जाव नमंसित्ता जाव एवं ३. सं० पा०--एवं चेव एवं छाया एवं लेस्सा। ४. एते (क, ता, ब, म, स); तए (ख) । ५. तेतेणं (ब)। ६. छमास (स)। Page #712 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोसमं सतं (दसमो उद्देसी) ६५१ सत्तमास परियाए समणे निग्गये सणकुमार माहिदाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । अट्टमासपरियाए समणे निग्गथे बंभलोग लंतगाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । नवमास परियाए समणे निग्गंथे महासुक्क सहस्साराणं देवाणं तेयलेस्सं वीईars दसमासपरियाए समणे निस्गथे आणय-पाणय आरणच्चयाणं देवाणं तेयलेस्सं वीbars | एक्कारसमासपरियाए समणे निग्गंथे गेवेज्जगाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । बारसमासपरियाए समणे निम्गंथे प्रणुत्तरोववाइयाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । ते परं सुसुक्क भिजाए भवित्ता तम्रो पच्छा सिज्झति' बुज्झति मुच्चति परिनिव्वायति सव्वदुक्खाणं तं करेति ॥ १३७ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ || 0 दसमो उद्देसो केवलि-पदं १३८. केवली णं भंते ! छउमत्थं जाणइ-पासइ ? हंता जाणइ पासइ ॥ १३६. जहा णं भंते ! केवली छउमत्थं जाणइ-पासइ, तहा णं सिद्धे वि छउमत्थं जाणइ पासइ हंता जाणइ पासइ || १४०. केवली णं भंते ! ग्राहोहियं जाणइ पासइ ? एवं चेव । एवं परमाहोहियं, एवं केवलि, एवं सिद्धं जाव १४१. जहा णं भंते! केवली सिद्ध जाणइ पासइ, तहा णं सिद्धे वि सिद्धं जाणइपासइ ? हंता जाणइ पासइ ॥ १. सं० पा०-सिज्झति जाव अंतं । २. भ० ११५१ । ३. छदुमत्थं (ता); छतुमत्थं ( ब ) | ४. आवोधियं ( अ, स ) ; आबोधीयं ( क ) ; आहोधियं (ख); अधोवियं ( ता); आधोवियं ( ब ) ; आधोहियं (म ) 1 ५. परमावधियं ( अ ); परमाबोहियं ( क ): परमोवियं ( ख ) ; परमहोहियं (ता); परमाधोवियं ( ब ) ; परमाधोहियं ( म, स ) । Page #713 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५२ भगवई १४२. केवली णं भंते ! भासेज्ज वा ? वागरेज्जा वा ? हंता भासेज्ज वा, वागरेज्ज वा ।। १४३. जहा ण भंते ! केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा, तहा णं सिद्धे वि भासेज्ज वा वागोज्ज वा? नो इण? समढे ।। १४४. से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-जहा णं केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा नो तहा णं सिद्धे भासेज्ज वा वागरेज्ज वा ? . गोयमा ! केवली णं सउट्ठाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे, सिद्धे णं अणुटाणे 'अकम्मे अबले अवीरिए ° अपुरिसक्कारपरक्कमे । से तेणट्रेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-जहा णं केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा नो तहा णं सिद्धे भासेज्ज वा° वागरेज्ज वा ।। १४५. केवली णं भंते ! उम्मिसेज्ज वा ? निम्मिसेज्ज वा ? हंता उम्मिसेज्ज वा, निम्मिसेज्ज वा ।। जहा णं भंते ! केवली उम्मिसेज्ज वा, निम्मिसेज्ज वा, तहा णं सिद्धे वि उम्मिसेज्ज वा निम्मसेज्ज वा? नो इणद्वे समटे । एवं चेव । एवं आउंटेज्ज' वा पसारेज्ज वा, एवं ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएज्जा ॥ १४७. केवली णं भंते ! इमं रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ ? हंता जाणइ-पासइ॥ १४८. जहा णं भंते ! केवली इमं रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ, तहा णं सिद्ध वि इमं रयण जाणइ-पास इ? हंता जाणइ-पासइ ।। १४६. केवली णं भंते ! सक्करप्पडं पुढवि सक्करप्पभापुढवीति जाणइ-पास इ ? एवं चेव । एवं जाव असत्तमं ।। १५०. केवली णं भंते ! सोहम्मं कप्पं सोहम्मकप्पे त्ति जाणइ-पासइ ? हंता जाणइ-पास इ । एवं चेव । एवं ईसाणं, एवं जाव अच्चुयं ।। १५१. केवली णं भंते ! गेवेज्जविमाणं गेवेज्जविमाणे त्ति जाणइ-पासइ ? एवं चेव । एवं अणुत्तरविमाणे वि ।। १५२. केवली णं भंते ईसिंपन्भारं पुढवि ईसिंपन्भारपुढवीति जाणइ-पासइ ? एवं चेव ।। १. सं० पा०-अणुटाणे जाव अपुरिसक्कार । ४. आउट्टेज्ज (अ, स); आउट्टावेज्ज (क २. सं. पा.--तेराट्रेणं जाव वागरेज्ज। म); आउट्टावेज्ज (ख, ता); आउंटावेज्जा ३. भ० १४॥१४४ । Page #714 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो) १५३. केवली णं भंते ! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गले त्ति जाणइ-पासइ ? एवं चेव । एवं दुपएसियं खंधं, एवं जाब - १५४. जहा णं भंते ! केवलो अणंतपएसियं खंध अणंतपएसिए खंधे त्ति जाणइ-पासइ, तहा णं सिद्धे वि अणंतपएसियं खंधं अणंतपएसिए खंधे त्ति जाणइ ° -पासइ ? हंता जाणइ-पासइ। १५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' । १. सं० पा०---अणंतपएसिय जाव पासइ। २. भ० ११५१। Page #715 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं नमो सुदेवयाए भगवईए' गोसालग - पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नामं नगरी होत्था - वण्णओ' । तीसे णं सावत्थीए नगरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे' दिसीभाए, तत्थ णं कोट्ठए नामं चेइए होत्या वण्ण । तत्थ णं सावत्थीए नगरीए हालाहला' नामं कुंभकारी आजीविवासिया परिवसति ग्रड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया, आजीविय समयं स लट्ठा गहिट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा श्रट्टमिजपेम्माणुरागरत्ता, अयमाउसो ! आजीवियसमये अट्ठे, अयं परमट्ठे, सेसे ग्रणट्टे त्ति प्राजीवियसमएणं पाणं भावेमाणी विहरइ || २. तेणं कालेणं तेणं समएणं गोसाले मंखलिपुत्ते चउव्वीसवासपरियाए हालाहलाए कुंभकारी कुंभका रावणंसि आजीवियसंघसंपरिवुडे आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ ३. तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अण्णदा कदायि इमे छ दिसाचरा अंतियं पाउब्भवित्था, तं जहा - साणे, कलंदे, कण्णियारे, अच्छिदे, अग्गिवेसायणे, अज्जुणे गोमायुपुत्ते ॥ ४. तए णं ते छ दिसाचरा अट्ठविहं" पुव्वगयं मग्गदसमं 'सएहिं सए हिं" मतिदंसणे हि निज्जू हंति", निज्जू हित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं उट्ठाइस || टीकाकार : 'पासावच्चिज्ज' त्ति चुरिंगकार: (वृ)। ८. कांदे (क, ता, म) 1 ६. गोतमपुत्ते ( क, ख, म) 1 १०. निमित्तमिति शेष : ( वृ) | ६. भ० २६४ । ११. सतेहिं २ ( अ, क, ब, म, स) 1 ७. दिकचरा भगवच्छिष्याः पार्श्वस्थीभूता इति १२. निजूर्हति (ता, स); निज्जु ंति ( ब म ) । १. एतद् वृत्तौ व्याख्यातं नास्ति । २. ओ० सू० १ । ३. ० पुरच्छि मे ( स ) । ४. ओ० सू० २-१३ । ५. हालाहाला (ता, स ) | ६५४ Page #716 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ५. तए गं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अट्ठगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेर्ण सव्वेसि पाणाणं, सव्वेसि भूयाणं, सव्वेसि जीवाणं सव्वेसि सत्ताणं इमाई छ ग्रणइक्कमणिज्जाई वागरणाई वागरेति, तं जहा लाभ लाभं सुहं दुक्खं, जीवियं मरणं तहा || ६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेण सावत्थीए नगरीए ग्रजिणे जिणप्पलावी, अणरहा अरहप्पलावी, अकेवली केवलिप्लावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, ग्रजिणे जिणसद्दं पगासेमाणे ' विहरइ || ७. तए णं सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग- चउक्क चच्चर-चउम्मुह- महापह पहेसु बहुजणो ण्णमण्णस्स एवमाइक्खई', एवं भासइ, एवं पुण्णवेइ, एवं परूवे एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंसलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी, • रहा रहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वष्णुप्पलावी, जिणे जिस • पगासेमाणे विहरइ । से कहमेयं मन्ने एवं ? o ८. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया || ६. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूती नामं अणगारे गोय गोत्तणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसभ - नारायसंघयणे कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे श्रोराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेयलेल्से छुट्टछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा श्रप्पा भावेमाणे विहरइ ॥ o १०. तए गं भगवं गोयमे छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, बीयाए पोरिसीए भाणं भियाइ, तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेइ, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाई पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणाई मज्जइ, पमज्जित्ता भायणाई उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - इच्छामि णं भंते! तुभेहि अम्भणुष्णाए समाणे छट्ठक्खमणपारणगंसि सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए ग्रडित्तए । १. प्रभासेमाणे (ख, ता) | २. सं० पा० - सिंघाडग जाव पहेसु । ३. सं० पा० एवमाइक्खइ जाव एवं ४. सं० पा० - जिरगष्पलावी जाव पगासेमाणे । ६५५ ५. भ० १२७,८ । ६. सं० पा० - गोतेणं जाव छ । ७. सं० पा० एवं जहा बितिय सए नियंठुद्देसए जाव ग्रडमा | Page #717 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ भगवई १३. ग्रहासहं देवाणु प्पिया! मा पडिबंधं । ११. तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियानो कोट्टयानो चेइयानो पडिनिक्ख मइ, पडि निक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगतरपलोयणाए दिट्टीए पुरनो रियं सोहेमाणेसोहेमाणे जेणेव सावत्थो नगरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अडइ ।। १२. तए गं भगवं गोयमें सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमु दाणस्स भिक्खायरियाए ' अइमाणे बहुजणसई निसामेइ, बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भास इ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ –एवं खलु देवाणु प्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव' जिणे जिणसई पगासेमाणे विहरइ । से कहमेयं मन्ने एवं ? तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमढे सोच्या निसम्म जायसड्ढे 'जाव' समुप्पन्नकोउहल्ले अहापज्जत्तं समुदाणं गेण्हइ, गेण्हित्ता सावत्थीयो नगरीयो पडिनिक्खमइ, अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रियं सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव कोटुए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अदरसामंते गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता एसणमणेसणं पालोएइ, आलोएत्ता भत्तपाणं पडिदंसे इ, पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता पच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी -एवं खलु अहं भंते ! 'छट्टक्खमणपारणगंसि तुब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खयरियाए अडमाणे बहुजणसई निसामेमि, वहुजणो अपणमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ–एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसई पगासेमाणे विहरई । से कहमेयं भंते ! एवं ? तं इच्छामि णं भंते ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स उट्ठाणपारियाणियं परिकहियं ।। १४. गोयमादी! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं क्यासी-जण्णं गोयमा! से बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ --- एवं खल गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसह पगासेमाणे विहरइ । तण्णं मिच्छा । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि १. भ० १५६। २. सं० पा०.-जायसड़ढे जाव भत्तपाणं पडि- दंसेइ जाव पज्जु वासमाणे । ३. भ० १५१०। ४. सं. पा.--छद्रं तं चेव जाव जिरणसई। ५. ०परियाणिण (अ,व,स); ° पारियाणं (ता)! Page #718 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सत ६५७ एवं खलु एयस्स गोसालस्स मंखलीपुत्तस्म मंखली नाम मधे पिता होत्था । तस्स णं मंखलिस मंखस्स भद्दा नाम भारिया होत्या सुकुमालपाणिपाया जाव' पडवा । तए गं सा भद्दा भारिया अण्णदा कदायि गुव्विणी यावि होत्था ॥ १५. तेणं कालेणं तेणं समएणं सरवणे नामं सणिवेमे होत्या - रिद्धत्थिमियसमिद्धे जाव' नंदवण- सन्निभम्यगासे, पासादीए दरिसणिज्जे अभिरू पडिरूवे । तत्थ णं सरवणं सण्णिवेसे गोवहुले नामं माहणे परिवस - प्रड्ढे जाव' बहुजणस्स अपरिभू, रिउब्वेद जाव' भण्णएसु परिव्वायएस य नयेसु सुपरिनिट्ठिए यावि होत्था । तस्स णं गोवहुलस्स माहणस्स गोसाला यात्रि होत्था || १६. तए णं से मंखली मंखे ग्रण्णया कदायि भद्दाए भारियाए गुब्विणीए सद्धि चित्तफलगहत्थगए मंत्रत्तणेणं अप्पा भावेमाणे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव सरवणे सण्णिवेसे जेणेव गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोवहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि भंडनिक्लेव करेइ, करेता सरवर्ण सण्णिवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए प्रमाणे वसहीए सव्वग्रो समता मग्गण - गवेसणं करेइ, वसहीए सव्वश्री समंता मग्गण - गवसणं करेमाणे ग्रण्णत्थ वसहि ग्रलभमाणे तस्सेव गोलस माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि वासावासं उवागए || १७. तए णं सा भद्दा भारिया नवहं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं श्रद्धमाण य इंदियाणं वीतिक्कंताणं सुकुमालपाणिपायं जाव' पडिरूवगं दारणं पयाया || १८. तए णं तस्स दारगस्स श्रम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीतिक्कते निव्वत्ते प्रसुइजायकम्मकरणे संपत्ते" "वारसमे दिवसे" श्रयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्जं करति - जम्हा गं ग्रम्हं इमे दारए गोवहुलस्स माहणस्स गोसालाए जाए तं होउ णं म्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं गोसाले गोसाले त्ति । तए णं तस्स दारगस्स ग्रम्मापितरो नामधेज्जं करेति गोसाले ति || १६. तए णं से गोसाले दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णय - परिणयमेत्ते जोव्वणगमणु पत्तं सयमेव पाडिएकं चित्तफलग करेइ, करेत्ता चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं प्पा भावेमाणे विहरइ || १. ओ० सू० १५ । २. ओ० सू० १ । ३. भ० २१६४ / ४. भ० २१२४ । ५. भ० ११ १३४ । ६. सं० पा०—बीतिक्कते जाव वारसमे 1 ७. बारसाह दिवसे ( अ, क, ख, ता, व); बारसहे दिवसे (म); वारसा हे दिवसे ( स ); द्रष्टव्यम् - भ० ११।१५३ सूत्रस्य पादटिप्पगम् ॥ ८. विष्णाय (अस) । ६. पडिएक्कं (क, ता, ब) 1 Page #719 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई भगवो विहार-पदं २०. तेणं कालणं तेणं समरण अहं गोयमा ! तोसं वासाई अगारवासमभावसित्ता' अम्मा-पिईहिं देवत्तगरहि' समत्तपइण्णे एवं जहा भावणाए जाव' एगं देवदूसमादाय मुंडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारियं पव्वा ॥ २१. तए ण अहं गोयमा ! पढम वासं अद्धमासं अदमासेण खममाणे अट्ठियगामं निस्साए पढमं अंतरवास' वासावासं उवागए। दोच्चं वासं मासं मासेणं खममाणे पुवाणुपुब्बि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे जेणेव रायगिहे नगरे, जेणेव नालंदा बाहिरिया, जेणेव तत्वायसाला, तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं प्रोग्गहं योगिहामि, योगिहिना तंतुवायसालाए एगदेसंसि' वासावासं उवाग।। ।। पढम-मासखमण-पदं २२. तर णं अहं गोयमा ! पढमं मासखमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरामि !! २३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणुपुब्बि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव रायगिहे नगरे, जेणेव नालंदा बाहिरिया, जेणेव तंतुवायसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तंतुवायसालाए एगदेसंसि भंडनिक्वेवं करेइ, करेत्ता रायगिहे नगरे उच्चनीय मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बसहीए सव्वनो समंता मरगण-गवेसणं करेइ, वसहीए सव्वश्रो समंता मग्गण-गवेसणं करेमाणे अण्णत्थ कत्थ वि वसहि अलभमाणे तीसे य तंतुवायसालाए एगदेसंसि वासावासं उवागए, जत्थेव णं अहं गोयमा ! २४. ता णं अहं गोयमा ! पढम-मासक्रमणपारणगंसि तंतुवायसालानो पडिनिक्ख मामि, पडिनिक्खमित्ता नालंद वाहिरियं मझमझेणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे १. आगारवासमझे वसित्ता (अ, ख, ब, म, ४, पब्बइत्तए (ता, स)। स): अगारवासमझे वसित्ता (क); अगार- ५. अंतरावास (क, म, पा)। वासे वसित्ता (ता); अगारवास- गृहवास- ६. उवगए (ता)। मध्युष्य इति वृत्तिगतव्याश्यानुसारेण प्रस्तुत- ७. एगदेसंमि (व)। पाठः स्वीकृतः । ८. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. देवत्तिगएहि (क, ख, ता. म); देवत्तेगतेहि ६. सं० पा०-नीय जाव अण्णत्थ । (ब, स)। १०. नालंदा (अ)। ३. आयारचूला १५॥२६-२६ । ११. मझेणं २ (क, ख, ता, ब, म)। Page #720 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ उच्च-नीय - मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए प्रमाणे विजयस्स गाहावइस्स हिं श्रणुपविट्टे ॥ २५. तर णं मे विजए गाहावई ममं एज्जमाणं पास, पासिता हट्ट चित्तमाणं दिए दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव प्रास प्रभु, अभुता पायपीढाम्रो पच्चोरहरू, पच्चोरुहित्ता पाउयाश्रो श्रमुयइ, श्रमुत्ता एगसाडियं उत्तरासंग करेड, करेत्ता अंजलिमउलिय हत्ये ममं सत्तदुपयाई श्रणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो याहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता ममं विउलेणं असण-पाणखाइम साइमेण पडिला भेस्सामित्ति तुट्टे, पडिलामेमाणे वि तुटु, पडिलाभिते वि तुट्ठे ॥ o २६. तए ण तस्स विजयस्स गाह्रावइस्स तेणं दव्वसुद्वेणं दायगसुद्धेणं पडिगाहगसुद्धेणं तिविणं तिकरणसुद्धेणं दाणेणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निबद्धे, संसारे परितीकए, गिसि य से इमाई पंच दिव्वाई पाउन्भूयाई, तं जहा वसुधारा बुट्ठा, दसवणे कुसुमे निवातिए लुक कए, ह्या देवदुंदुभीओ, अंतराविय णं यागामे ग्रहो दाणे, ग्रहो दाणे ति घुडे ॥ २७. तए णं रायगिहे नगरे सिवाडग - "तिग-चक्क चच्चर - चउम्मुह महापह पहेसु बहुजण अण्णमणस्स एवमाइक्खई' एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परुवेइधन्ने णं देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई, कयत्ये णं देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई, कयपुणे णं देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई, कयलक्खणे णं देवाणु - पिया ! विजये गाहावई, क्या गं लोया देवाणुप्पिया ! विजयस्स गाहावइस्स, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स, जस्स णं हिंसितहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाई पंच दिव्वाई पाउन्भूयाई, तं जहा -- वसुवारा बुट्ठा जात्र अहो दागे, ग्रहो दाणे त्ति घुट्टे, तं धन्ने कत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया गं लोया, सुलद्धे माणुस्सा जम्मजीविय फले विजयस्स गाहावइस्स, विजयस्स गाहावइस्स || पन्नरसमं सतं २८. तए गं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतिए एयम सोच्चा निसम्म समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नको हल्ले जेणेव विजयस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ विजयस्स गाहावइस्स हिंसि वसुहारं वुद्धं, दसद्धवणं कुसुमं निवडियं ममं चणं विजयस्स गाहावइस्स गिहाम्रो पडिनिक्खममाणं पासइ, पासित्ता हट्टतुट्ठे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं १. सं० पा०—नीय जाव अडमाणे । २. सं० पा०-हट्टतुट्ट | 0 ३. सं० पा० - सिंघाडग जाव पहेसु । ४. सं० पा०-- एवमादक्खइ जाव एवं Page #721 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६० भगवई तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेला ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता ममं एवं वयासो-तुम्भे णं भंते ! ममं धम्मायरिया, ग्रहणं तुभं धम्मंतेवासी॥ २६. तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मुखलिपुत्तस्स एयमद्वं नो आढामि, नो परि जाणामि, तुसिणीग संचिट्ठामि ।। दोच्च-मा सखमण-पदं ३०. तए णं अहं गोयमा ! रायगिहाम्रो नगरायो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता नालंद बाहिरियं मज्झमज्झेण निगच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव तंतुवायसाला', तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता दोच्च मासखमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरामि ।। ३१. तए णं अहं गोयमा ! दोच्च'-मासखमणपारणगंसि तंतुवायसालानो पडिनि क्खमामि, पडिनिमित्ता नालंदं बाहिरियं मज्झमझणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिह नगरे 'तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्भिमाई कुलाई घरसमूदाणस्स भिक्खारियाए• अडमाण पाणंदस्स गाहावइस्स गिहं अणुप्पविट्ठ ॥ तए णं से पाणंदे गाहावई मम एज्जमाणं पासइ, "पासित्ता हट्ठतुटुचित्तमाणदिए गंदिए पीइमणे परमसोमस्मिध हरिसबसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव पासणानो अब्भुटेइ, अब्भुटेत्ता पायपीढायो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पाउयायो प्रोमुयइ, प्रोमुइत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, करेता अंजलिम उलियहत्थे मम सत्तटूपयाई अणुगच्छ, अणुगाच्छता मम तिखुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ममं विउलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामित्ति तुटे, पडिलाभेमाणे वि तुटू, पडिलाभिते वि तुटु ।। ३३. तए णं तस्स आणंदस्स गाहावइस्स तेणं दब्बसुद्धेणं दायगसुद्धणं पडिगाहगसुद्धेणं तिविहेणं तिकरणसुद्धणं दाणेणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निबद्धे, संसारे परित्तीकए, गिहंसि य से इमाइं पंच दिव्वाई पाउन्भूयाई, तं जहा - वसुधारा वुढा, दसवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खये कए, आयाओ देवदुंदुभीनो, अंतरा वि य णं अागासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे ॥ ३४. तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग-च उक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु १. तंतवाय ० (ता) सर्वत्र। २. मासखवणं (ता)। ३. दोच्च (अ, क, ब, म, स)। ४, मासक्खमरणंसि (ता, ब, म, स)। ५. सं० पा०–नगरे जाव अडमारणे। ६. सं० पा० - एवं जहेव विजयस्स नवरं मम विउलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामित्ति तुझे सेसं तं चैव जाव तच्च । Page #722 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं बहुजणो अण्णमण्णम्स एबमाइक्ख इ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ ---धन्ने गं देवाणुप्पिया ! आणंदे गाहावई, कयत्थे णं देवागुप्पिया ! आणंदे गाहावई, कयपुण्णे णं देवाणुप्पिया ! प्राण दे गाहाबई, कयलक्खणे ण देवाणुप्पिया ! ग्राणंदे गाहावई, कया णं लोया देवाणप्पिया! आणदस्म गाहावइस्स, सूलद्धे णं देवाणरिणया! माणम्मा जम्भजीवियफले आणंदस्स गाहावइस्स. जस्म णं गिहंसि तहारूवे साध साश्रुरूवे पडिलाभिाए समाणे इमाइं पंच दिवाइं पाउ भूयाई, रं जहा वसुधारा बुढा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, तं धन्ने कयत्थे कयगुपणे कयलकवणे, कया ण लोया, सुलढे माणुस्सए जम्मजीवियफले पाणंदरस गाहावइग्स, पाणंदम्स गाहावइभ्स ।। ३५. ताणं से गोसाले मखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतिए एयमटुं सोच्चा निसम्म समुप्पन्न संसा समुप्पन्नको उहले जेणेव प्राण दस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ पाणंदस्स गाहावइस्स गिहंसि वसुहारं वुटुं, दसद्धवणं कुसुमं निवडियं, ममं च णं आणंदम्म गाहावइम्स पिहाओ पडिनिक्खममाणं पासइ, पासित्ता हट्टतुटु जेणव ममं अंतिा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसिता ममं एवं वयासी–तुब्भेणं भंते ! ममं धम्मायरिया, अहण्णं तुभं धम्मतवासी॥ ३६. तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयम? नो पाढामि, नो परि जाणामि, तुसिणीए संचिट्ठामि ।। तच्च-मासखमरण-पदं ३७. तए णं अहं गोयमा ! रायगिहाम्रो नगरानो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता नालंदं बाहिरियं मझमझेणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव तंतुवायसाला, तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता तच्चं मासखमण उवसंपज्जित्ताणं विहरामि ।। ३८. तए णं अहं गोयमा ! तच्च'-मासखमणपारणगंसि तंतुवायसालाओ पडिनिक्ख मामि, पडिनिक्खमिना नालंदं वाहिरियं मझमभण निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणम्स भिक्खायरियाए० अडमाणे सुणंदस्स गाहावइस्स गिहं अणुपवितु ॥ ३६. तए ण से सुणंदे गाहावई ममं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता हतुटुचित्तमाणं दिए १. तच्च (क, ख, ब) 1 सबकामगुरिगएरण भोयणेणं पडिलाभेइ २. सं० पा०–तहेव जाव अइमागणे । सेसं तं चेव जाव चउत्थं। ३. सं० पा० -एवं जहेब विजयगाहावई नवरं Page #723 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव आसणाओ अब्भुद्रुइ अभुर्तुत्ता पायपीढायो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पाउयाओ ओमुयइ, प्रोमुइत्ता एगसाडियं उत्तरासंग करेइ, करेत्ता अंजलिमउलियहत्थे मम सत्तटुपयाई अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता मम वंदइ नमसइ, वंदिता नमंसित्ता ममं विउनेणं सव्वकामगुणिएणं भोयणेणं पडिलाभेस्सामित्ति तु?, पडिलामेमाणे वि तुडे, पडिलाभिते वि तुटे । तए णं तस्स सुणंदस्स गाहाव इस्स तेणं दब्वमुद्धणं दायगसुद्धेणं पडिगाहगसद्धेणं तिविहेणं तिकरणमुद्धणं दाणणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, संसारे परित्तीकए, गिहंसि य से इमाई पंच दिवाई पाउभुयाई, तं जहा-वसुधारा वट्ठा, दसद्धवष्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, प्रायानो देवदंदुभीओ, अंतरा वि य णं अागासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति धुढे ।। ४१. तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग-चउपक-चच्चर-चउम्मुह-महापह पहेसु बहुजणो अण्णमणस्स एवमाइक्खइ एवं भासद एवं पण्णवेइ एवं फ्रुवेइ . धन्ने णं देवाणुप्पिया ! सुणंदे गाहावई, कयत्थे णं देवाणप्पिया ! सुणंदे गाहावई, कयपुण्ण णं देवाणु प्पिया ! सुणदे गाहावई, कयलक्खणे णं देवाणुप्पिया ! सुणंदे गाहावई, कया णं लोया देवाणुप्पिया ! सुणंदस्स गाहावइस्स, सुलद्धे णं देवाणु रिपया ! माणुस्साए जम्मजीवियफले सुणंदस्स गाहावइस्स, जस्स णं गिहंसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइं पंच दिव्वाइं पाउब्भयाई, तं जहा-वसुधारा बट्टा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घटे, तं धन्ने कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया णं लोया, सुलद्धं माणुस्सए जम्म जीवियफले सुणंदस्स गाहावइस्स, सुणंदस्स गाहावइस्स ।। ४२. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म समुप्पन्नसंसाए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव सुणंदस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासह सुणंदस्स गाहाव इस्स गिहंसि वसहारं वटुं, दसद्ध वण्णं कुसुम निडियं, मम च ण सुणंदस्स गाहावइस्स गिहाम्रो पडिनिक्खममाणं पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्टे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मम तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता ममं एवं वयासो -तुभे णं भंते ! ममं धम्मायरिया, अहण्णं तुभं धम्मतेवासी ।। ४३. तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमटू नो पाढामि, नो परिजाणामि, तुसिणीए संचिट्ठामि ।। चउत्थ-मासखमण-पद ४४. तए णं अहं गोयमा ! रायगिहाओ नगरानो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता Page #724 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमसतं नालंदं बाहिरियं मझमज्झणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छिता' चउत्थं मासखमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरामि ॥ ४५. तोसे णं नालंदाए बाहिरियाए अरसामंते, पत्थ णं कोल्लाए नाम सण्णिवेसे होत्था --सगिणवेसवण्णो । तत्थ ण कोल्लाए मण्णिवेसे बहुले नाम माहणे परिवमइ - अड्डेढे जाव' बहुजणस्म अपरिभूए, रिउव्वेय जाव' बंभण्णएस परिव्वायासु य नयेमु सुपरिनिट्टिए यावि होत्था ॥ ४६. तए णं मे बहले मारण कत्तियचा उम्मासियपाडिवगंसि विउलेणं महघयसंजुत्तेणं परमण्णणं माहणे आयामेन्था ॥ ४७. तए णं अहं गोयमा ! च उत्थ-मासखमणपारणगंसि तंतुवायसालानो पडिनिक्खि मामि, पडिनिक्खमिना नालंदं वाहिरियं मझमझेणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव कोल्लाए सणिवेसे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता कोल्लाए सण्णिवेसे उच्च-नीय - मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणम्म भिक्खारियाए° अडमाणे बहुलस्स माहणस्स गिहं अणुप्पवितु॥ ४८. तए णं से बहुले माहणे ममं एज्जमाणं "पासइ, पासिना हदुतुचित्तमाणदिए णदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियाए खिप्पामेव प्रासणामो अन्भु द्वेइ, अभद्रुत्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहिता पाउयानो प्रोमुयइ, प्रोमुइत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, करेत्ता अंजलिमउलियहत्थे ममं सत्तट्रपयाई अणगच्छइ, अणगच्छिता ममं तिक्ख तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं बंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता मम विउलेणं महुघयसंजुत्तेणं परमण्णेणं पडिलाभेस्सामित्ति तु?, पडिलाभेमाणे वि तुटे, पडिलाभिते वि तुटे । ४६. तए णं तस्स बहुलस्स माहणस्म तेण दव्बसुद्धेणं दायगसुद्धणं पडिगाहगसूद्धेणं तिविहेणं तिकरणसुद्धेणं दाणेणं भए पडिलाभिए समाण देवाउए निबद्धे, संसारे परित्तीकाए, गिहंसि य से इमाइं पंच दिव्वाई पाउभूयाई, तं जहा वसुधारा वट्ठा, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुकवे का, ग्राह्यानो देवदुंदुभीयो, अंतरा वि य णं पागासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति धुढे ।। ५०. तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु १. भ. १५:१५। २. भ० २।१४। ३. भ०२।२४। ४. सं० पा०-नीय जाव अडमाणे। ५. सं० पा०--तहेब जाव ममं विउलेणं महघय संजुत्तेणं परमाणेणं पडिलाभेस्सामीति तदे सेसं जहा विजयस्स जाव बहले माहणे २ । Page #725 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ बहुजण अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परुवेइ-धन्ते देवाप्पिया ! बहुले माहणे, कयत्थे णं देवाणुपिप्या ! वहुले माहणे, कयपुण्णे णं देवाणुप्पिया ! वहुले माहणे, कयलक्खणे णं देवाणुपिया ! बहुले माहणे, कया गं लोया देवाप्पिया ! बहुलस्स माहणस्स, सुलद्वे गं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले बहुलस्स माहणस्स, जस्स णं गिहंसि तहारूवे साधू साधुवे पडिलाभिए समाणे रमाई पंच दिव्वाई पाउन्भूयाई, तं जहा वसुधारा बुट्टा जाव ग्रहो दाणे, ग्रहो दाणे त्ति घट्टे, तं धन्ने कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कथा णं लोया, सुल माणुस्सए जम्मजीवियफले बहुलस्स माहणस्स, बहुलस्स माहणस्स ● ॥ ५१. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं तंतुवायसालाए अपासमाणे रायगिहे नगरे सब्भित रबाहिरियाए ममं सव्वश्रो समंता मग्गण - गवेसणं करेइ, ममं कत्थवि सुतिं वा खुति वा पत्ति वा ग्रलभमाणे जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता साडिया य पाडियाओ' य कुंडियाम्रो य वाहणाओ य चित्तफलगं च माहणे श्रायामेइ, प्रायामेत्ता सउत्तरो भंड कारेइ, कारेत्ता तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमड़, पडिनिक्खमित्ता नालंद वाहिरियं मज्झमज्भेणं निगच्छ, निरगच्छित्ता जेणेव कोल्लाए सणिवेसे तेणेत्र उवागच्छइ || ५२. तए णं तस्स कोल्लागस्स सष्णिवेसस्स वहिया बहुजणो ग्रण्णमण्णस्स एवमाsras जाव परुवेइ धन्ने णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, "कयत्थे णं देवापिया ! बहुले माहणे, कयपुण्णे णं देवागुप्पिया ! बहुले माहणे, कलक्खणे णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, कया णं लोया देवाणुपिया ! बहुलस्स माहणस्स, सुल णं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्म जीवियफले बहुलस्स माहणस्स, बहुलस्स माहणस्स ॥ गोसालस्स सिस्सरूवेण अंगीकरण- पर्द ५३. तए णं तस्स गोसालरस मंखलिपुत्तस्स बहुजणस्स प्रतियं एयम सोच्चा निसम्म श्रयमेरूवे ज्भथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकष्पे ० समुप्पज्जित्था - जारिसिया णं ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवग्रो महावीरस्स इड्ढी जुती' जमे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णा गए, नो खलु ग्रत्थि तारिसिया अण्णस्स कस्सइ तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा इड्ढी जुती जसे बल वीरिए पुरिसक्कार -परक्कमे लखे पत्ते १. कत्थति ( अ, क, ख, व, म); कत्थइ (ता) | २. X (ता); मंडियाओ (वृपा) । ३. पाहणाओ (क, ख, ता, व, म) 1 ४. मुंडं ( अ, ता) भगवई ५. सं० पा० - तं चैव जाव जीवियफले । ६. सं० पा०--अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ७. जुत्ती (क, व, म) | ८. सं० पा० जती जाव परक्कमे । Page #726 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ६६५ प्रभिसमण्णागए, तं निस्संदिद्ध णं एत्थ ममं धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे भविस्सतीति कट्टु कोल्लाए सण्णिवेसे सभितरवाहिरिए' ममं सव्व समता मरगण-गवेसणं करेइ, ममं सव्वग्रो' 'समता मग्गण-गवेसणं करेमाणे 'कोल्लागस्स सण्णिवेसस्स' बहिया पणियभूमीए मए सद्धि अभिसम ० ष्णागण ॥ ५४. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते द्रुतु ममं तिक्खुत्तो श्रायाहिण-पयाहिणं' करेइ, करेत्ता ममं वंदनमंसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं व्यासी - तुम्भे णं भंते ! मम धम्मायरिया, ग्रहणं तुब्भं ग्रंतेवासी ॥ ५५. तए णं श्रहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमट्ठे पडिसुणेमि ॥ ५६. तए णं ग्रहं गोयमा ! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धि पणियभूमीए छव्वासाई लाभ लाभं सुहं दुक्खं सवकारमसक्कारं पच्चणुभवमाणे ग्रणिच्चजागरिय विहरित्था || तिलथं भय-पदं ५७. तए णं श्रहं गोयमा ! ग्रण्णया कदायि पढमसरदकालसम्यंसि अप्प वुट्ठिकार्यसि गोसाले मंखलिपुत्ते सद्धि सिद्धत्थगामायो नगराम्रो कुम्मगाम नगरं संपट्टिए विहाराए । तस्स णं सिद्धत्थगामस्स नगरस्स कुम्मगामस्स नगरस्स य अंतरा, एत्थ णं महं एगे तिल भए पत्तिए पुष्फिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरीए प्रतीवअतीव उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्ठइ || ५८. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तं तिलथंभगं पासइ, पासित्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी एस गं भंते! तिलथंभए किं निप्फज्जिस्सइ नो निम्फज्जिस्सइ ? एए य सत्त तिलगुप्फजीवा उद्दाइत्ता उद्दाइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? तणं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं क्यासी - गोसाला ! एस णं तिलयंभए निष्फज्जिस्सइ, नो न निप्फज्जिस्सइ । एते य सत्ततिलपुप्फजीवा उदाइत्ता उदाइत्ता एयम्स चैव तिलयंभगस्स एगए तिलसंगलियाए' सत्त तिला पच्चायाइसति || ५६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं प्राक्खमाणस्स एयमट्ठे नो सहर, नो पत्तियइ, नो रोएइ, एय मट्ठे श्रसद्दहमाणे, अपत्तियमाणे, रोएमाणं ममं पणिहाए' १. निस्संदिल (ख, म ); निस्सदि ( स ) | २. एत्थं ( अ, ता, थ, म ) । ३. सभंतर ० ( अ, ख) ४. सं० पा० सव्वओ जाव करेमाणे । ५. कोल्लागसणिवेसस्स ( अ, स) । ६. सं० पा०-याहिां जाव नमसित्ता | ७. कुर्वन्निति वाक्यशेष: ( वृ ) 1 ८. सुंग (ता) । ६. परिणाय (ता) | Page #727 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६६ भगवई 'अयं णं मिच्छावादी भवउ' त्ति कट्टु ममं प्रतिया सणियं सुणियं पच्चोसवकइ, पच्चीस विकत्ता जेणेव से तिलथं भए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं तिलथंभगं सलेट्ट्यायं चेव उप्पाडेइ, उप्पाडेत्ता एगंते एडेइ । तक्खणमेत्तं च णं गोयमा ! दिव्वे ग्रभवद्दलए पाउन्भूए । तए णं से दिव्वे प्रभवद्दलए खिप्पामेव पतणतणानि, विप्पामेव पविज्जुयाति खिप्पामेव नच्चोदगं णातिमट्टियं पविरलपफुसिय' रयरेणुविणासणं दिव्यं सलिलोदगं वासं वासति जेण से तिल भए ग्रासत्थे पच्चायाते बद्धमूले तत्थेव पतिट्ठिए । ते य सत्त तिलपुष्पजीवा उद्दाइत्ता उद्दाइत्ता तस्सेव तिलयं भगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पच्चायाता ॥ वेसियायण - बालतवस्ति-पदं ६०. तए णं श्रहं गोयमा ! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धि जेणेव कुम्मग्गामे नगरे तेणेव उवागच्छामि । तए णं तस्स कुम्मग्गामस्स नगरस्स बहिया वेसियायणे नाम बाल वस्सी छटुंछट्टेणं प्रणिक्खित्तेणं तवोकम्मेण उड्ढं बाहाम्रो पगिज्भियपरियि सूराभिमुद्दे आयावणभूमीए ग्रायावेमाणे विहरइ । ग्राइच्चतेयतविया से छप्पदीओ सव्व समंता अभिनिस्सर्वति, पाण-भूय-जीव-सत्तदाए चणं पडिया-पडियायो 'तत्थेव तत्थेव " भुज्जो - भुज्जो पच्चोरुभेइ ॥ ६१. तए गं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतर्वास्स पासइ, पासित्ता ममं प्रतियाओ सनियं-सणियं पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता जेणेव वेसियायणे बालतवस्ती तेणेव उवागच्छर, उवागच्छित्ता वेसियायण वालतवस्सि एवं वयासी - किं भवं मुणी ? मुणिए ? उदाहु ज्यासेज्जायरए ? ६२. तए णं से वेसियायणे बालतवस्ती गोसालम्स मंखलिपुत्तस्स एयमहं नो श्राढाति, नो परियाणति, तुसिणीए संचिट्ठइ || ६३. तए ण से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतवस्सि दोच्च पि तच्च पि एवं वयासी - किं भवं मुणी ? मुणिए ? 'उदाहु जूयासेज्जायर ? " ६४. तए णं से वेसियायणे वालतवस्सी गोसालणं मंखलिपुत्तेण दोच्चं पितच्चपि एवं वृत्ते समाणे प्रासुरुते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे श्रयावणभूमीश्रो पच्चtors, पच्चोरुभित्ता तेयासमुग्धाएणं समोहरणइ, समोहणित्ता सत्तट्ठपयाई पच्चीसवकइ, पच्चोसक्कित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरइ ॥ १. ० तणाए ( अ, ख ); ° तगाएति ( स ) 1 २. ० पप्फुसियं ( अ, ब ) । ३. तत्थेवा २ (क, ता, व म) 1 ४. जाव सेज्जायर ए ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ५. सं० पा०-- आसुरुते जाव मिसि । ० Page #728 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ६६७ ६५. तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मखलिपुत्तस्स अणुकंपणट्टयाए वेसियायणस्स वालतवस्सिस्स उसिणतेयपडिसाहरणट्टयाए' एत्थ णं अंतरा सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि, जाए सा ममं सोयलियाए तेयलेस्साए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणा' तेयलेस्सा पडिहया ॥ ६६. तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी ममं सीयलियाग तेयलेस्साए साउसिणं' तेयलेस्सं पडिहयं जाणिता गोसालस्म मंखलिपुत्तस्स सरोरगस किचि आवाहं वा वावाहं वा छविच्छेद वा अकोरमाण पासित्ता साउसिणं तेयलेस्सं पडिसा. हरइ, पडिसाहरिता ममं एवं वयासी से गत मेयं भगवं ! गत-गतमेयं भगवं ! ६७. तए णं गोसाले मखलिपुत्तं ममं एवं क्यासो-किं ण भंते ! एस जयासिज्जा यरए तुम्भे एवं वयासी-से गत मेयं भगवं ! गत-गतमेयं भगवं ? ' ६८. ताण अहं गोयमा ! गोसालं मखलिपुत्तं एवं बयासी-तुम णं गोसाला! वेसियायण वालतवस्सि पाससि, पासित्ता ममं अंतियानो सणियं-सणियं पच्चोसक्कसि, जेणेव वेसियायणे वालतवस्सी तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता वेसियायण बालतबस्सि एवं वयासी-किं भवं मुणो ? मुणिए ? उदाह जूयासेज्जायरा ? तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तव एयमद्वं नो आढाति, नो परिजाणति, तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं तुम गोसाला ! वेसियायणं बालतवस्सि दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी-किं भवं मुणी ? मुणिए ? 'उदाह जूयारोज्जायरए ? ' तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तुम दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे प्रासुरुत्ते जाव पच्चोसक्कति, पच्चोसक्कित्ता तव वहाए सरीरगंसि तेयलेस्सं निस्सिरइ। तए णं अहं गोसाला! तव अणकपणट्याए वेसियायणस्स वालतवस्सिम्स उसिणतेयपडिसाहरणट्ठयाए' एत्थ णं अंतरा सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि', 'जाए सा ममं सीयलियाए तेयलेस्साए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणा तेयलेस्सा पडिहया। तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी ममं सोयलियाए तेयलेस्साए साउसिणं तेयलेस्सं पडिहयं जाणित्ता तव य सरीरगस्स किचि अावाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकीरमाणं १. तेयपडि ° (क, म); सा तेय ° (ख, ब, स); २. उसुणा (क, ख, ता, ब); साउसिणा (स)। साउसिगतेय (ता); अत्र अनेके पाठभेदा ३. तं उसिणं (अ, ता); सीओसिरणं (स)। दश्यन्ते । शीतलते जोलेश्यासन्दर्भ 'उसिण' ४. एमे (ख, ता, ब)। पदमावश्यकमस्ति । ६८ सूत्रे अस्यैव प्रस- ५. जाव से ज्जायरए (अ, क, ख, ता, ब, स)। ङ्गस्य पुनरुक्तौ 'ता' प्रती 'उसिणतेय' इति ६. सायतेय (अ, ख, ब); तेय (क, म); पाठो दृश्यते । तेनापि 'उसिण' पदस्य सीओसिणतेय (स)। पु प्टिर्जायते। ७. सं० पा०-निसिरामि जाव पडिहयं । Page #729 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ भगवई पासित्ता साउसिणं तेयलेस्सं पडिसाहरति, पडिसाहरित्ता ममं एवं वयासी-से गतमेयं भगवं । गत गतमेयं भगवं ! ६६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं अंतिया एयम सोच्चा निसम्म भीए' "तत्थे तसिए उब्विग्गे संजायभए ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी -- कण्णं भंते ! संखित्तविउलतेयलस्से भवति ? ७०. तपु णं ग्रहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी - - जेणं गोसाला ! एगाए सणहाए कुम्मासपिडियाए एगेण य वियडास छट्टणं प्रणिविखत्तेणं तवोकम्मेणं उड्वाहाम्रो पगिज्भिय-परिज्यि' सूराभिमुहे प्रायावणभूमीए आयाम दिइ । से णं ग्रंतो छण्हं मासाणं संखित्तविउलतेयलेस्से o भवइ ॥ ७१. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एयमटुं सम्म विणणं पडिसुणेति ॥ तिलयं भय-निष्पत्तीए गोसालस्स अवक्कमरण-पदं ७२. तए णं ग्रहं गोयमा ! प्रण्णदा कदायि गोसालेणं मंखलिपुत्तणं सद्धि कुम्मगामा नगरात्री सिद्धत्थग्गामं नगरं संपट्टिए विहाराए । जाहे य मो तं देसं हव्वमागया जत्थ णं से तिलभए । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्तं ममं एवं वयासी - तुणं भंते । तदा ममं एवमाक्खह जाय परूवेह - गोसाला ! एस णं तिल भए निप्फज्जिस्सइ, नो न निप्फज्जिस्सइ । एते य सत्त तिलपुष्पजीवा उद्दाइत्ता- उद्दाइत्ता एयस्स चेव तिलथं भगस्स एमाए तिलसंग लियाए सत्त तिला पच्चायाइस्संति, तुष्णं मिच्छा । इमं चणं पच्चक्खमेव दीसइ - एस गं से तिलभए नो निष्पन्ने, अन्निप्फन्नमेव । ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता- उद्दाइत्ता नो एयस्स चैव तिलयंभगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पच्चायाया 11 ७३. तए णं ग्रहं गोयमा ! गोसाल मंखलिपुत्तं एवं व्यासी- तुमं णं गोसाला ! तदा ममं एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स एयमहं नो सद्दहसि, नो पत्तियसि, नो रोएसि, एयमट्ठ ग्रसदृहमाणे, अपत्तियमाणे, अरोएमाणे, ममं पणिहाए 'अण्णं मिच्छावादी भव' त्ति कट्टु ममं प्रतियाओ सनियं-सणियं पच्चोसुक्कसि, पच्चीस विकत्ता जेणेव से तिलभए तेणेव उवागच्छसि उवागच्छित्ता' "तं तिथं भगं सट्ट्यायं चैव उप्पाडेसि, उप्पाडेत्ता • एगतमते एडेसि । तक्खणमेत्तं गोसाला ! दिव्वे अन्भवद्दलए पाउ भूए । तए णं से दिव्वे ग्र०भवद्दलए १. सं० पा० - भीए जाव संजाय भए । २. स० पा० - परिज्झिन जाव विहरइ । ३. संपत्थए ( अ, क, ख, व, म); पत्थिए (ता) | ४. सं० पातं चैव जाव पच्चायाइस्संति | ५. सं० पा० उवागच्छित्ता जाव एगंतमंते । Page #730 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं खिघ्यामेव पतणतणाति, खिप्पामेव "पविज्जुयाति, खिप्पामेव नच्चोदगं णातिमट्टियं पविरलपफुसियं रयरेणुविणासणं दिव्वं सलिलोदगं वासं वासंति, जेण से तिलथंभए आसत्थे पच्चायाते बद्धमूले, तत्थेव पतिदिए । ते य सत्त तिलपुष्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तस्स चेव तिलयं भगस्स गाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पच्चायाया । तं एस गं गोसाला ! से तिलर्थभए निप्फन्ने, नो अनिप्फन्नमेव । ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता एयम्स चेव तिलथंभयस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पच्चायाया। एवं खलु गोसाला ! वणस्सइ काइया पउट्टपरिहारं परिहरंति ।। ७४. ताणं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स एयमटुं नो सहइ, नो पत्तियइ, नो रोएइ, एयमटुं असदहमाणे अपत्तियमाणे' अरोएमाणे जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तानो तिलथंभयानो तं तिलसंगलियं खुड्डइ, खुड्डित्ता करयलंसि सत्त तिले पप्फोडेइ ।। ७५. तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ते सत्त तिले गणमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था - एवं खलु सव्वजीवा वि पउट्टपरिहारं परिहरंति--'एस णं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स पउद्दे", एस ण गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ममं अंतियानो पायाए अवक्कमण पण्णत्ते ।। गोसालस्स तेयलेस्सुप्पत्ति-पदं ७६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते एगाए सणहाए कुम्मासपिडियाए एगेण य विय डासएणं छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं वाहानो पगिझियपगिज्झिय' 'सूराभिमुहे मायावणभूमीए पायावेमाणे° विहरइ । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते अंतो छण्हं मासाणं संखित्तविउलतेयले से जाए ।। गोसालस्स पुवकहा-उवसंहार-पदं ७७. तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अण्णदा कदायि इमे छ दिसाचरा अंतियं पाउन्भवित्था, तं जहा-साणे', 'कलंदे, कणियारे, अच्छिदे, अग्गिवेसायणे, अज्जुणे, गोमायुपुत्ते । तए णं तं छ दिसाचरा प्रविहं पुव्वगयं मग्गदसमं सरहि-सएहिं मतिदसणेहिं निज्जूहंति, निज्जूहित्ता गोसालं मखलिपुत्तं उवट्ठाइंसु। ५. सं० पा०-पगिज्झिय जाव विहर। ६. साले १. सं. पा.---तं चेव जाव तस्स । २. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा० ---अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्या। ४. x (ता)। ७. सं० पा०---तं चेव सव्वं जाव अजिए। Page #731 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० मगवई तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अटुंगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सव्वेसि पाणाणं, सब्वेसि भूयाणं, सुबेसि जीवाणं, सव्वेसि सत्ताणं इमाई छ अणइक्कमणिज्जाई वागरणाई वागरेति, तं जहा .. ___लाभं अलाभं सुहं दुक्खं, जीवियं मरणं तहा। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं अटुंगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सावत्थीए नगरीए अजिणे जिणप्पलावी, अणरहा अरहप्पलावी, अकेवली केवलिप्पलावी, असवण्णू सव्यण्णुप्पलावी , अजिणे जिणसई पगासेमाणे विहरइ, तं नो खलु गोयमा ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी', 'नरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सवण्णुप्पलावी, जिणे जिणसदं पगासेमाणे विहरह, गोसाले णं मखलिपुत्ते अजिणे जिणप्पलावी, अण रहा अरहप्पलावी, अकेवली केबलिप्पलावी, असव्वण सव्वण्णप्पलावी, अजिणे जिणसई ० पगासेमाणे विहरइ ॥ ७८. तए णं सा महति महालया महच्चपरिसा समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतिए एयम8 सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउभूया तामेव दिसं ° पडिगया । गोसालस्स अमरिस-पदं ७६. तए णं सावत्थोए नगरीए सिंघाडग'-'तिग-च उक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह पहेस बहजणी अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-जण्ण देवाणप्पिया! गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसई पगासेमाणे विहरइ तं मिच्छा । समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ–एवं खलु तस्स गोसालस्स मंखलियुत्तस्स मंखली नाम मंखे पिता होत्था । तए णं तस्स मंखस्स एवं चेव तं सव्वं भाणियब्वं जाव' अजिणे जिणसई पगासेमाणे विहरइ, तं नो खलु गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावो जाब विहरइ, गोसाले मंखलिपुत्ते अजिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसई पगासेमाणे विहरइ॥ ८०. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते रुटू कुविए चंडिक्किए° मिसिमिसेमाणे पायावणभूमीओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सावत्थि नगरि मझमझेणं' जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारा १. सं० पा०-जिणप्पलावी जाव जिणसई । २. सं० पा०--जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे । ३. सं० पा० - जहा सिवे जाव पडिगया! ४. सं. पा.-सिंघाड़ग जाव बहुजणो । ५. भ. १५॥१४-७६ । ६. सं० पा०—पासूरुत्ते जाव मिसि । ७. लेखसंक्षेपकरणेन निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता' इति पाठो न दृश्यते । द्रष्टव्यम्-१५॥२४ । Page #732 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं वणे' तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हालाहलाए कुंभकारी कुंभकारावर्णसि' प्राविसंघसंपरिवुडे' महया अमरिसं वह्माणं एवं चावि विहरइ || गोसालस्त प्राणंदथेरसमवे अक्कोसपदंसण-पदं ८२. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओो महावीरस्स अंतेवासी श्राणंदे नामं थेरे पगइभद्दए जाव' विणीए छट्टछट्टणं प्रणिक्खित्तेण तवोकम्मेणं संजमेण तवसा पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ ८२. तए णं से प्राणंदे थेरे छुट्टक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए एवं जहा गोयमसामी तव प्रापुच्छइ, तहेव जाव उच्च-नीय-मज्झिमाई' कुलाई घरसमुदास्स भिक्खायरिया प्रमाणे हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स अदूरसामंते वीsars || ८३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ग्राणंदं थेरं हालाहलाएं कुंभकारीए कुंभकरावणस्स दूरसामंते वीइवयमाणं पासs, पासित्ता एवं वयासी - एहि ताव आणंदा ! इओ एवं मह उवमियं निसामेहि ॥ ८४. तए णं से आणंदे थेरे गोसालणं मखलिपुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे, जेणेव गोसाले मंखलिपुत्तं तेणेव उवागच्छइ || ८५. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते आणंद थेरं एवं वयासी एवं खलु आणंदा ! इत्तो चिरातीया श्रद्धाए केइ उच्चावया* वणिया प्रत्थत्थी प्रत्थलुद्धा ग्रत्थगवेसी अत्थकंखिया प्रत्यपिवासा प्रत्थगवेसणयाए नाणाविहविउलपणियभंडमायाए सगडी सागडेणं सुबहु भत्तपाणं पत्थयणं गहाय एवं महं अगामियं प्रणोहियं छिन्नावायं दीमद्धं अडवि अणुपविद्वा ॥ ८६. तए णं तेसि वणियाणं तीसे प्रगामियाए प्रणोहियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए sate किंचि देस अणुपत्ताणं समाणाणं से पुव्वगहिए उदए प्रणुपुव्वेणं परिभुज्जमाणे- परिभुज्जमाणे झोणे ॥ ८७. तए णं ते वणिया भीणोदगा" समाणा तव्हाए परम्भमाणा ग्रण्णमण्णे सद्दार्वेति, १. कुंभकारावदणे (ता) | २. कुंभकारावदसि (ता) : ३. ० संघपरिवुडे (ता, ब, म ) | ४. भ० ११२८८ । ५. भ० २२१०७-१०६ । ६. सं० पा०-मज्झिमाई जाव प्रमाणे । ७. उच्चावगा (ख, ता, ब, स ) 1 ६७१ ८. पत्थायणं (ता) | ६. श्रागामियं ( प्र म स ); प्रकामियं (क, ख, ता) । १०. खीगे ( अ, क, म, स ) 1 ११. खीणोदगा ( म स ) । १२. परिभवमाणा ( अ स ) परिब्भममाणा ( ता ) : परभवमाणा (म) Page #733 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७२ भगवई सहावेत्ता एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! ग्रम्ह इमीसे ग्रगामियाए' णोहियाए छिन्नावायाए दीमद्धाए ग्रडवी किंचि देस प्रणुप्पत्ताणं समााण से पुव्वगाहिए उदए अणुपुत्रेण परिभुज्जमाणे- परिभुज्जमाणे झीणे, तं सेयं खलु देवाप्पिया ! अम्हं इमीसे ग्रगामियाए जाव ग्रडवीए उदगस्स सव्व समता मग्गण - गवेसणं करेतए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमट्ठ पडिसुति, पडित्ता तीसे णं श्रगामियाए जाव घडवीए उदगस्स सव्व समता मग्गण - गवसणं करेंति, उदगस्स सव्वग्रो समता मग्गण - गवसणं करेमाणा एवं महं वणसंड ग्रासादेति - किण्हं किण्होभासं जाव' महामेहनिकुरंबभूयं ' पासादीय' दरिसणिज्जं ग्रभिरूवं पडिवं । तस्स णं वणसंडस्स वहुमज्भदेस भाए, एत्थ णं महेगं वम्मीयं श्रासादेति । तस्स णं वम्मीयस्स चत्तारि वप्पू' प्रभुग्गया, ग्रभिनिसढायो, तिरियं सुसंरंगहिया, हे पन्नगद्धरूवाओ, पन्नगद्धसंठाणसंठिया, पासादियाग्रो" दरिसणिज्जाश्रो अभिरूवाओ पडिरुवायो ॥ o ८८तए णं ते वणिया हदुतुट्ठा ग्रण्णमण्णं सद्दावति, सद्दावेत्ता एवं वयासी - एवं खलु देवापिया ! अम्हे इमीसे ग्रगामियाए' अणोहियाए छिन्नावायाए दी इमद्धाए डवीए उदगस्स सव्वश्री समता मग्गण - गवेसणं करेमाणेहिं इमे वणसंडे प्रासादिए- किण्हे किण्होभासे । इमस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए इमे वम्मीए श्रासादिए । इमस्स णं वम्मीयस्स चत्तारि वप्पो अवभुग्गयान, • श्रभिनिसढाओ, तिरियं सुसंपन्गहियाग्रो, ग्रहे पन्नगद्धवानो, पन्नगद्धसंठाणसंठिया, पासादिया दरिसणिज्जाओ अभिरूवायो । पडिवाम्रो तं सेयं खलु देवाणुपिया ! म्हं इमस्स वम्मीयस्स पढमं वष्णुं भित्तिए, अवियाई ओरालं उदगरयणं अस्सादेस्सामो || ८६. तए णं ते वणिया अण्णमण्णस्स प्रतियं एयमट्टं पडिसुगंति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स पढमं वपुं भिदति । ते णं तत्थ अच्छं पत्थं जच्चं तणुयं फालियवण्णाभं प्रोरालं उदगरयणं आसादेति । तए णं ते वणिया हट्ठतुट्ठा पाणियं पिबंति, पिवित्ता वाहणाई पज्जेति, पज्जेत्ता भायणाई भरेंति, भरेत्ता दोच्चं पिण्णमण्णं एवं वदासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! ग्रम्हेहि इमस्स वम्मीयस्स १. सं० पा०-- प्रगामियाए जाव अडवीए । २. प्रो० सू० ४ । ३. ० निकुरु बभूयं ( क, ख, ता, ब, म ) । ४. सं० पा० पासादीयं जाव पडिरूवं । ५. वम्मियं ( अ, क ) 1 ६. वधू ( अ, क ): वपुओ (ख, म) 1 ७. सं० पा० पासादियाओ जाव पडिख्वामी । ८. सं० पा० – अगामियाए जाव सव्वमो ! ६. सं० पा० – अब्भुग्गयाओ जाव पडिरूवायो । १०. वपि (, स ) ; वपु ं (क, ब, म) । Page #734 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं पढमाए वप्पूए' भिन्नाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमस्स वम्मीयस्स दोच्चं पि वप्पु भिदित्तए, अवियाइं एत्थ अोरालं सुवण्ण रयणं अस्सादेस्सामो॥ १०. तए णं ते वणिया अण्णमण्णस्स अंतियं एयमटुं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स दोच्चं पि वप्पं भिदंति । ते णं तत्थ अच्छं जच्चं तावणिज्ज' महत्थं महन्धं महरिहं अोरालं सुवण्ण रयणं अस्सादेति । तए णं ते वणिया हतुवा भायणाइं भरेंति, भरेत्ता पवहणाई भरेंति, भरेत्ता तच्चं पि अण्णमण्णं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए अोराले उदगरयणे अस्सादिए', दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए अोराले सुवग्णरयणे अस्सादिए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमस्स वम्मीयस्स तच्चं पि वप्पु भिदित्तए, अवियाई एत्थं ओरालं मणिरयणं अस्सादेस्सामो॥ तए ; ते वणिया अण्णमण्णस्स अंतियं एयमटुं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स तच्चं पि वप्पु भिदंति । ते णं तत्थ विमलं निम्मलं नित्तलं निक्कलं महत्थं महग्धं महरिहं ओरालं मणिरयणं अस्सादेति । तए ण ते वणिया हट्ठतुट्ठा भायणाई भरेति, भरेत्ता पवहणाइं भरेति, भरेत्ता च उत्थं पि अण्णमण्णं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए अोराले सवण्णरयणे अस्सादिए, तच्चाए वप्पए भिन्नाए अोराले मणिरयणे अस्सादिए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्ह इमस्स वम्मीयस्स चउत्थं पि वप्पु' भिदित्तए, अवियाइं उत्तमं महग्यं महरिहं ओराल वइररयणं अस्सादेस्सामो । ६२. तए णं तेसि वणियाणं एगे वणिए ह्यिकामए सुहकामए पत्थकामए प्राणुकंपिए निस्सेसिए हिय-सुह-निस्सेसकामए ते वणिए एवं वयासी--एवं खलु देवाणुपिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए ओराले उदगरयणे" 'अस्सादिए, दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए अोराले सुवण्णरयणे अस्सादिए, तच्चाए वप्पूए भिन्नाए ओराले मणिरयणे अस्सादिए, तं होउ अलाहि पज्जत्तं णे, एसा चउत्थी वप्पू' मा भिज्जउ, चउत्थी णं वप्पू स उवसग्गा यावि होत्था । ६३. तए णं ते वणिया तस्स वणियस्स हियकामगस्स सुहकामगस्स' 'पत्थकामगस्स प्राणुकंपियस्स निस्सेसियस्स° हिय-सुह-निस्सेसकामगस्स एवमाइक्खमाणस्स १. वपाए (अ, ख, स)। २. तवरिणज्ज (अ, क, ब, म,स)। ३. प्रासादिए (म, स)। ४. वप्पं (प्र, ख, स) । ५. सं० पा०-उदगरयणे जाब तच्चाए। ६. वप्पा (ता)। ७. सं० पा०--सुहकामगस्स जाद हिय । Page #735 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७४ मगवई जाव परूवेमाणस्स एयमटुं नो सद्दति, 'नो पत्तियंति" नो रोयंति, एयमटुं असद्दहमाणा अपत्तियमाणा' अरोएमाणा तस्स वम्मीयस्स चउत्थं पि वप्पुं भिदंति । ते णं तत्थ उग्गविसं चंडविसं घोरविसं महाविसं 'अतिकायं महाकायं" मसिमूसाकालगं नयणविसरोसपुण्णं अंजणपुंज-निगरप्पगासं रत्तच्छं जमलजुयल-' चंचलचलंतजीहं धरणितलवेणिभूयं उक्कड-फुड-कुडिल-जडुल-कक्खड-विकङफडाडोवकरणदच्छं लोहागर-धम्ममाण-धमधतघोसं अणाग लियचंडतिव्वरोसं 'समुहं तुरियं चवलं धमतं दिट्टीविसं सप्प संघट्टेति ॥ १४. तए णं से दिट्ठीविसे सप्पे तेहिं वणिएहि संघट्टिए समाणे प्रासुरुत्ते रुद्रु कुविए चंडिक्किए ° मिसिमिसेमाणे सणियं-सणियं उद्वेइ, उद्वेत्ता सरसरसरस्स वम्मीयस्स सिहरतलं द्रुहति', द्रुहिता अादिच्चं निज्झाति, निज्झाइत्ता ते वणिए अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वनो समंता समभिलोएति ॥ ६५. तए णं ते वणिया तेणं दिट्ठी विसेणं सप्पेणं अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वो समंता समभिलोइया समाणा खिप्पामेव सभंडमत्तोवगरणमायाए एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासी कया यावि' होत्था। तत्थ णं जे से वणिए तेसि वणियाणं हियकामए 'सुहकामए पत्थकामए आणुकंपिए निस्सेसिए ° हिय-सुह-निस्सेसकामए से णं आणुकंपियाए देवयाए सभंडमत्तोवगरणमायाए नियगं नगरं साहिए ।। एवामेव आणंदा ! तव वि धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं समणेणं नायपुत्तेणं ओराले परियाए अस्सादिए, अोराला कित्ति-वण्ण-सद्द-सिलोगा सदेवमणुयारे लोए युवंति, गुव्वंति, थुव्वंति - इति खलु समणे भगवं महावीरे, इति खलु समणे भगवं महावीरे। तं जदि मे से अज्ज किचि वि वदति तोणं तवेणं तेएण एगाहच्च कूडाहच्चं भासरासिं करेमि, जहा वा वालेणं ते वणिया । तुमं च णं आणंदा ! सारक्खामि संगोवामि जहा वा से वणिए तेसि वणियाणं हियकामए जाव निस्सेसकामए प्राणुकंपियाए देवयाए सभंड""मत्तोवगरणमायाए नियगं नगरं साहिए ! तं गच्छ" णं तुमं आणंदा ! तव धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स समणस्स नायपुत्तस्स एयमटुं परिकहेहि ॥ १. जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। २. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. अतिकायमहाकायं (क, ख, ता, म)। ४. जुवल (अ, ख, ब, स)। ५. समुहि तुरियचवलं (अ, क, ख, ता, ब); समुदियतुरियचवलं (वृ)। ६. सं० पा०-पासुरुत्ते जाव मिसि । ७. दुहेनि (क, ता, म); दुरुहति (स)। ८. वि (क, ता, ब)। ६. सं० पा० हियकामए जाव हिय । १०. X (अ, क, ख, ता); गुवति (ब, म)। ११. तुवति (क, ख); X (ब, म); 'थ वंति' त्ति क्वचित्, क्वचित् 'परिभमंती' ति दृश्यते (क)। १२. भ० १५।१२। १३. सं० पा०-सभंड जाव साहिए। १४. गच्छाहि (ब, म)। Page #736 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं आणंदथेरस्स भगवनो निवेदग-पदं ६७. तए णं से प्राणंदे थेरे गोसालेणं मखलिपुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे भीए जाव' संजाय भए गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंतियानो हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणासो पडिनिक्खनति, पडिनिक्ख मित्ता सिग्घं तुरियं सात्थि नगरि मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्टए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ,उवागच्छित्ता समण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी एवं खलु अहं भंते ! छट्रक्खमणपारणगंसि तुभेहि अभणण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय मन्भिमाइंकलाई घरसमदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे हालाहलाए कुंभकारीए 'कुंभकारावणस्स अदूरसामंते वीइवयामि, तए णं गोसाले मंखलिपुत्ते ममं हालाहलाए 'कुंभकारीए कुंभकारावणस्स अदूरसामतेणं वीइवयमाणं ° पासित्ता एवं वयासी-एहि ताव प्राणंदा ! इअो पगं महं उवमियं निसामेहि। तए णं अहं गोसालेणं मखलिपुत्तेणं एवं वृत्ते समाणे जेणव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे, जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते, तेणेव उवागच्छामि। तए णं से गोसाले मखलिपुने ममं एवं वयासी--एवं खलु पाणंदा! इप्रो चिरातीयाए अद्वाए केइ उच्चावया वणिया एवं तं चेव सव्वं निरवसेसं भाणियब्वं जाव' नियगं नगरं साहिए । तं गच्छ णं तुमं ग्राणंदा ! तव धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स समणस्स नायपुत्तस्स एयम९० परिकहेहि ॥ तं पभू णं भंते ! गोसाले मंख लिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासि करेत्तए ? विसए णं भंते ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स" 'तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं° करेत्तए ? समत्थे गं भंते ! गोसाले 'मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासि करेत्तए ? पभू णं आणंदा ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेर्ण 'तेएवं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं° करेत्तए । विसए णं प्राणदा ! गोसालस्स" •मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भास रासिं ° करेत्तए । समत्थे णं आणंदा! गोसाले" १. भ० १५१६६। ७. सं० पा०.-मखलिपुत्तस्रा जाव करेत्तए। २. सं० पा० --नीय जाव अडमाणे । ८. सं० पा०-गोसाले जाव करेत्तए। ३. सं० पा० - कुभकारीए जाव वीइवयामि । ६. सं० पा० -तबेणं जाव करेत्तए। ४. सं० पा०-हालाहलाए जाव पासित्ता । १०. सं० पा०-गोसालस्स जाव करेतए। ५. भ०१५८५-६५। ११. सं० पा०-गोसाले जाव करेत्तए । ६. सं० पा०-धम्मोवएसगस्स जाव परिकहेहि । Page #737 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई •मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं° करेत्तए, नो चेव णं अरहते भगवंते, पारियावणियं पुण करेज्जा । जावतिए णं आणंदा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स 'तवे तेए", एत्तो अणंतगुणविसिद्वतराए चेव तवे तए अणगाराणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण अणगारा भगवंतो। जावइए णं आणंदा ! अणगाराणं भगवंताणं तवे तेए एत्तो अणंतगुणविसित राए चेव तवे तेए थेराणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण थेरा भगवंतो। जावतिए णं आणंदा ! थेराणं भगवंताणं तवे तेए एत्तो अणंतगुणविसिट्टतराए चेव तवे तेए अरहंताणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण अरहंता भगवंतो। तं पभू णं आणंदा ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं "एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासि ° करेत्तए, विसए णं पाणंदा ! *गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासि करेत्तए, समत्थे णं आणंदा ! •गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं° करेत्तए, नो चेव णं अरहते भगवंते, पारियावणियं पुण करेज्जा । माणदथेरेण गोयमाईणं अणुण्णवण-पदं ६६. तं गच्छ गं तुमपाणंदा ! गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं एयमटुं परिकहेहि--- मा णं अज्जो! तुम्भं केई गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउ, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेउ, धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेउ, गोसाले णं मंखलिपुत्ते समहिं निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ने !! तए णं से आणंदे थेरे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव गोयमादी समणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोयमादी समणे निग्गंथे आमंतेति, आमतेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अज्जो ! छट्टक्खमणपारणगंसि समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कूलाइंतं चेव सव्वं जाव' 'गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं" एयमट्ठ परिकहेहि, तं मा णं १. परियावणियं (अ, स)। एयमटुं परिकहेहि' इति गोशालकस्य २. तवतेए (स) सर्वत्र। उक्तिरस्ति-प्रष्टव्यं १४६६। यदि ३. सं० पा०--तेएणं जाव करेत्तए । एतदन्तः पाठोत्र विवक्षित: स्यात्तदा ४. सं० पा०—आणंदा जाव करेत्तए । आनन्दस्य भगवतो निवेदनम्, भगवतश्च ५. सं० पा-आणंदा जाव करेत्तए । आनन्दस्य गौतमादिश्रमणेभ्य: तदर्थज्ञापनस्य ६. भ० १५४८२-६६ । निर्देशन-एतत् सर्व तस्मिन पाठे नैव प्राप्त ७. नायपुत्तस्स (अ, क, ख, ता, ब, म, स); भवेत् । कथं च आनन्दः भगवत: निर्देशसर्वेष्वपि आदर्शषु 'नायपुत्तस्स एयमटुं मश्रावयित्वा गौतमादिभ्यः 'तं मारणं प्रज्जो' परिकहेहि' इति पाठोस्ति, किन्तु प्रसङ्गपर्या- इत्यादि निर्देशं कुर्यात् ? एतत् न स्वाभालोचनया नष संगच्छते। 'नायपुत्तस्स विकम् । तेन प्रतीयते अत्र पाठसंक्षेपीकरणे Page #738 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसम सतं ६७७ अज्जो! तुब्भं केई गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउ', 'धम्मियाए पडिसारणयाए पडिसारे उ, धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेउ, गोसाले णं मंख लिपुत्ते समणे हिं निग्गंथेहि ° मिच्छं विप्पडिवन्ने । गोसालस्स भगवंतं पइ अक्कोसपब्वं ससिद्धतनिरूवरण-पदं १०१. जावं च णं आणंदे थेरे गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं एयमटुं परिकहेइ, तावं च णं से गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता आजीवियसंघसंपरिवुडे महया अमरिसं वहमाणे सिग्धं तुरिय सावत्थि नगरि मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावी रस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वदासीसुठु णं पाउसो कासवा ! ममं एवं वयासो, साहू ण पाउसो कासवा ! मर्म एवं वयासी -गोसाले मंखलिपुत्ते ममं धम्मतेवासी, गोसाले मंखलिपुत्ते मम धम्मतेवासी। जे णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तव धम्मंतेवासी से णं सुक्के सुक्काभिजाइए भवित्ता कालमासे काल किच्चा अण्ण यरेसु' देवलोएस देवत्ताए उववन्ने, अहणं उदाई नाम कुडियायणीए" अज्जुणस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता इमं सत्तमं पउट्टपरिहारं परिहामि । जे वि ग्राइं आउसो कासवा! अम्हं समयंसि केइ सिभिंसु वा सिझति वा सिज्झिस्संति वा सव्वे ते चउरासोति महाकप्पसयसहस्साई, सत्त दिव्वे, सत्त संजहे, सत्त सण्णिगब्भे, सत्त पउट्टपरिहारे, पंच कम्मणि' सयसहस्साई सद्धि च सहस्साई छच्च सए तिण्णि य कम्मसे अणुपुव्वेणं खबइत्ता तो पच्छा सिज्झति बुझंति मुच्चति परिनिव्वायंति' सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा ! से जहा वा गंगा महानदी जो पवूढा, जहिं वा पज्जुवत्थिया', एस णं श्रद्धा पंचजोयणसयाइं पायामेणं, अद्धजोयणं विक्खं भेणं, पंच धणुसयाई उव्वेहेणं । लिपिकरणे वा कश्चिद् विपर्ययो जातः । ३. अण्णतरेसु चेव (ता)। प्रसङ्गानुसारेण 'जाव' पदस्यानन्तरं गोय- ४. कंडियायणिए (क, म); डियणिए (ता)। माईण समगाणं निग्गंथाणं एयमद्रंपरिकहेहि ५. कम्मुरिग (अ, ख, ता); कम्माणि (क): इति पाठः उपयुज्यते। कर्मणामित्यर्थः (वृ)। १. सं. गा०-पडिचोएउ जाव मिच्छं। ६. परिनिव्वाइंति (अ.ख. मा २. तुरियं जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स); ७. पज्जवस्थिया (अ, क, स); पज्जूपस्थिया दष्टव्यम्---भ०१५।१७। (ता)। Page #739 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई एएणं गंगापमाणेणं सत्त गंगायो सा एगा महागंगा । सत्त महागगाः सा एगा सादीणगंगा। सत्तसादीणगंगाग्रो सा एगा मदगंगा'। सत्त मदगंगाओ सा एगा लोहियगंगा। सत्त लोहियगंगाओ सा एगा प्रावतीगंगा। सत्त प्रावतीगंगाप्रो सा एगा परमावती । एवामेव सपुत्वावरेणं एगं गंगास यसहस्सं सत्तर सहस्सा छच्च अगुणपन्न गंगासया भवंतीति मक्खाया। तासि दुविहे उद्धारे पणते, तं जहा -सुहुमवों दिकलेवरे चेव, बायरबोंदिकलेवरे चेव । तत्थ णं जे से सुहमवादिकलेवरे से ठप्पे । तत्थ णं जे से बायरबोंदिकलेवरे तो णं वाससए गए, वाससए गए एगमेगं गंगाबालुयं अवहाय जावतिएणं कालेणं से कोटे खीणे जीरए निल्लेवे निट्ठिए भवति सेत्तं सरे सरप्पमाणे । एएणं सरप्पमाणेणं तिपिण सरसयसाहस्सीओ से एगे महाकप्पे, कप्पसयसहस्साइं से एगे महामाणसे। १. अणंताओ संजू हाम्रो जीवे चयं चइत्ता उवरिल्ले माणसे संजू हे देवे उववज्जति । से णं तत्थ दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरइ, विहरित्ता ताप्रो देवलोगाओं ग्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं प्रणतरं चयं चइत्ता पढमे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति। २. से णं तओहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता मज्झिल्ले माणसे संजू हे देवे उववज्जइ। से णं तत्थ दिव्वाइं भोग भोगाइं मुंजमाणे विहरइ, विहरिता तानो देवलोगायो ग्राउक्खएण" •भवक्खएणं ठिइक्खएण अणंतरं चयं चइत्ता दोच्चे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति । ३. से णं तमोहितो अणंतरं उध्वट्टित्ता हेटिल्ले माणसे संजू हे देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दिव्वाइं भोगभोगाइं जाव चइत्ता तच्चे सण्णिगन्भे जीवे पच्चायाति । ४. से णं तमोहितो जाव उव्वट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववज्जइ। से णं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाइं जाव चइत्ता चउत्थे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति । ५. से णं तोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता मझिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववज्ज इ । से गं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाई जाव चइत्ता पंचमे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति । ६. से णं तमोहितो अणंतरं उवट्टित्ता हिट्ठिल्ले माणुसुत्तरे संजूहे देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दिव्वाइं भोगभोगाइं जाव चइत्ता छटे सपिणगब्भे जीवे पच्चायाति । १. महुगंगा(ब); मद्धगंगा(म); मच्चुगंगा(क्व०)। ४. तत्था (ता)। २. अवतीगंगा (क, ख, ब, म) ५. सं० पा०—आउक्खएणं जाव चइत्ता । ३. गुणपण्णं (अ.स); अगुणपण्णा (ता)। Page #740 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ६७६ ७. सेणं ओहिंतो अनंतरं उदट्टित्ता - बंभलोगे नाम से कप्पे पण्णत्तेपाई पडणायते उदीणदाहिणविच्छिण्णे, जहा ठाणपदे जाव पंच वडेंसगा पण्णत्ता, तं जहा --- असोगवडेंसए जाव' पडिल्वा - से णं तत्थ देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दस सागरोवमाइं दिव्वाई भोग भोगाई जाव चइत्ता सत्तमे सण्णिगभे जीवे पच्चायाति । से णं तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं श्रद्धदुमाणं राइदियाणं वीतिक्कंताणं सुकुमालगभद्दलए मिउ - कुंडल कुंचिय -केसए मट्ठगंडतल - कण्णपीढए देवकुमारसप्प भए दारए पयाति । से णं अहं कासवा ! तए णं अहं ग्राउसो कासवा ! कोमारियपव्वज्जाए कोमारएणं बंभचेरवासेणं प्रविद्धकण्णए चेव संखाणं पडिलभामि, पडिलभित्ता इमे सत्त पउट्टपरिहारे परिहरामि तं जहा - १. एणेज्जस्स २. मल्लरामस्स ३. मंडियस्स' ४. रोहस्स ५. भारद्दाइस्स ६. अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स ७. गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स । तत्थ णं जे से पढने पउट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया मंडिकुच्छिसि चेयंसि उदाइस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता एणेज्जगस्स सरीरंगं अणुप्पविसामि प्रणुप्पविसित्ता बावीसं वासाई पढमं परिहारं परिहामि । तत्थ णं जं से दोच्चे पउट्टपरिहारे से णं उद्दंडपुरस्स नगरस्स बहिया चंदोयरसि वेइयंसि एणेज्जगस्स सरीरंगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मल्लरामस्स सरगं पविसामि श्रणुप्पविसित्ता एकवीस वासाई दोच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि । तत्थ णं जे से तच्चे पउट्टपरिहारे से गं चंपाए नगरीए बहिया अंगमंदिरंसि चेइयंसि मल्लरामस्स सरीरगं विष्पजहामि, विप्पजहित्ता मंडियस्स सरीरगं अणुविसामि अणुप्पविसित्ता वीस वासाई तच्चं पडट्टपरिहारं परिहरामि । तत्थ णं जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावर्णसि चेयंसि मंडियस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता रोहस्स सरीरगं अणुपविसामि ग्रणुप्पविसित्ता एकणवीसं वासाई उत्थं पउट्टपरिहारं परिहरामि । तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे से णं प्रालभियाए नगरीए बहिया पत्तकालगंसि चेयंसि रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता भारद्दाइस्स सरीरगं १. १०२ । २. कुंतल (ता) । ३. मंडिसस्स (क, ता, ब) 1 ४. कालगयंसि ( स ) | Page #741 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० भगवई अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता अट्ठारस वासाइं पंचमं पउट्टपरिहारं परिहरामि। तत्थ णं जे से छट्ठ पउट्टपरिहारे से णं वेसालीए नगरीए बहिया कोंडियायणंसि चेइयंसि भारद्दाइस्स' सरीरं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता सत्तरस वासाइं छटुं पउपरिहारं परिहरामि। तत्थ णं जे से सत्तमे पउट्टपरिहारे से णं इहेब सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कंभकारावणसि अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अलं थिरं धवं धारणिज्जसीयसहं उण्हसहं खुहासह विविहदसमसगपरीसहोवसग्गसहं थिरसंधयणं ति कट्ट तं अणप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता सोलस वासाइं इमं सत्तमं पउट्टपरिहारं परिहरामि । एवामेव आउसो कासवा ! एगेणं तेत्तीसेणं वाससएणं सत्त पउट्टपरिहारा परिहरिया भवंतीति मक्खाया, तं सुठ्ठ ण पाउसो कासवा ! ममं एवं क्यासी -साहू ण पाउसो कासवा! ममं एवं क्यासी-गोसाले मंखलिपुत्ते मम धम्मंतेवासी, गोसाले मंखलिपुते मम धम्मतेवासी। भगवया गोसालगवयणस्स पडियार-पदं १०२. तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मखलियुत्तं एवं बयासी-गोसाला ! से जहानामए तेणए सिया, गामेल्लएहिं परब्भमाणे-परब्भमाणे कत्थ य गड्डं वा दरिं वा दुग्गं वा णिण्णं वा पव्वयं वा विसमं वा अणस्सादेमाणे एगेणं महं उण्णालोमेण वा सणलोमेण वा कप्पासपम्हेण वा तणसूएण वा अत्ताणं आवरेत्ताणं चिट्रेज्जा, से णं अणावरिए प्रावरियमिति अप्पाणं मण्णइ, अप्पच्छण्णे य पच्छण्णमिति अप्पाणं मण्णइ, अणिलुक्के णिलुक्कमिति अप्पाणं मण्णइ, अपलाए पलायमिति अप्पाणं मण्णइ, एवामेव तुमं पि गोसाला ! अणण्णे संते अण्णमिति अप्पाणं उपलभसि, तं मा एवं गोसाला ! नारिहसि गोसाला ! सच्चेव ते सा छाया नो अण्णा ॥ गोसालस्स पुणरक्कोस-पदं १०३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे आसु __ रुत्ते सुटे कुविए चंडिविकए मिसिमिसेमाणे समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं १. कडिययणसि (स)। ४. णिणं (क, ता); पिल्लं (म)। २. भारद्दाइयस्स (अ, ता, स)। ५. अणासा (ता)। ३. परिब्भमारणे (ता); पारम्भमारणे (म); ६. •पोम्हेण (क, ख); °पोंभेण (ता) । परज्झमाणे (स)। Page #742 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ६८१ प्रामोसणाहिं आओसइ, उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेति, उच्चावयाहि 'निभंछणाहि निभंछेति", उच्चावयाहिं निच्छोडणाहि निच्छोडेति, निच्छोडेत्ता एवं वयासी- नटे सि कदाइ, विणढे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ-विणट्ठ-भट्ठे सि कदाइ, अज्ज न भवसि, नाहि ते ममाहितो सुहमत्थि ॥ गोसालेण सव्वाणुभूतिस्स भासरासीकरण-पदं १०४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावी रस्स अंतेवासी पाईणजाण वए सव्वाणुभूती नाम अणगारे पगइभद्दए "पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे. विणीए धम्मायरियाणुरागेणं एयमट्ठ असद्दहमाणे उठाए उठे इ, उद्वेत्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसाल मंखलिपुत्ते एवं वयासी-जे वि ताव गोसाला ! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि पारिय धम्मियं सुवयणं निसामेति, से वि ताव वदति नमसति' 'सक्कारेति सम्माणेति ° कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासति, किमंग पुण तुमं गोसाला! भगवया चेव पवाविए, भगवया चेव मुंडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चेव बहुस्सुतीकए, भगवओ' चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने ? तं मा एवं गोसाला ! नारिहसि गोसाला ! सच्चेव ते सा छाया नो अण्णा ।। १०५. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूतिणा अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे प्रासुरुत्ते रुठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे सव्वाणुभूति अणगारं तवेणं तेएण एगाहच्चं कूडाहच्च भास रासि करेति ॥ १०६. तए ण से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूति अणगारं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कुडा हच्चं भासरासिं करेत्ता दोच्चं पि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं आप्रोसपाहि पाओस इ', 'उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेति, उच्चावयाहि निब्भंछणाहिं निभंछेति, उच्चावयाहि निच्छोडणाहि निच्छोडेति, निच्छोडेता एवं वयासी-नटू सि कदाइ, विण? सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ-विणट्ठ-भट्ठे सि कदाइ, अज्ज न भवसि, नाहि ते ममाहितो° सुहमत्थि ॥ गोसालेण सुनक्खत्तस्स परितावण-पदं १०७. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतेवासी कोसलजाण १. णिब्भच्छरणाहिं एिभच्छेइ (ता)। २. सुहन त्थि (अ, स)। ३. पदीण ° (क, म); पडीण° (ता, ब)। ४. सं० पा०-पगइभदए जाव विरणीए। ५. यारियं (अ, ता, ब, म)। ६. सं० पा०-नमंसति जाव कल्लाणं । ७. भगवया (क, ख, ता, ब)। ८. सं० पा०-प्राओसइ जाव सुहमत्थि । Page #743 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८२ ए सुनवखत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए जाव' विणीए धम्मायरियाणुरागेणं एयम सहमाणे उठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी- जे वि ताव गोसाला ! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि श्ररियं धम्मियं सुवयणं निसामेति, से वि ताव वंदति नम॑सति सक्कारेति सम्मार्णेति कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासति, किमंग पुण तुमं गोसाला ! भगवया चैव पव्वाविए, भगवया चैव मुंडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चैव बहुस्सुतीकए, भगवओो चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने ? तं मा एवं गोसाला ! नारिहसि गोसाला ! ° सच्चेव ते सा छाया नो ग्रण्णा ॥ १०८. तए गं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुनक्खत्तेणं अणगारेण एवं वृत्ते समाणे आसुरुते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे सुनक्खत्तं अणगारं तवेणं तेएणं परितावेइ ॥ १०६. तए णं से सुनक्खत्ते अणगारे गोसालणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं परिता विए समाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सम भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता सयमेव पंच महत्वयाई आरुभेति, आरुभेत्ता समणा य समणीयो य खामेइ, खामेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते आणुपुथ्वी कालगए || भगवई गोसाले भगवओ वहाए तेयनिसिरण-पदं ११०. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुनक्खत्तं अणगारं तवेणं तेएणं परितावेत्ता तच्चं पि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं प्राग्रोसणाहिं आओसइ, उच्चावयाहि उद्धसणाहि उद्धसेति, उच्चावयाहि निव्भंछणाहि निव्भंछेति, उच्चावयाहि निच्छोडणाहि निच्छो डेति, निच्छोडेंत्ता एवं वयासी - नट्टे सि कदाइ, विट्टे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ- विठ्ठ-भट्ठे सि कदाइ, अज्ज न भवसि नाहि ते माहितो सहमत्थि ॥ १११. तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी - जे वि ताव गोसाला! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि नारियं धम्मियं सुवणं निसामेति, से वि ताव वंदति नम॑सति सक्कारेति सम्माणेति कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं ° पज्जुवासति, किमंग पुण गोसाला ! तुमं मए चैव पव्वाविए", १. भ० १५ १०४ । २. सं० पा० - जहा सव्वाणुभूती तहेव जाव सच्चेव ! ३. सं० पा० - सव्वं तं चैव जाव सुहमत्थि ४. सं० पा० - तं चैव जाव पज्जुवासति । ५. सं० पा०--पव्वाविए जाव मए । Page #744 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ६८३ •मए चेव मुंडाविए, मए चेव सेहाविए, मए चेव सिक्खाविए °, मए चेव बहुस्सुतीकए, ममं चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने ? तं मा एवं गोसाला' ! नारिहसि गोसाला ! सच्चेव ते सा छाया° नो अण्णा ।। ११२. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे प्रासुरुत्ते रु? कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे तेयासमुरघाएणं समोहग्णइ, समोहणित्ता सत्तट्ठ पयाई पच्चोसक्कइ; पच्चोसक्कित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरति-से जहानामए वाउक्कलिया' इ वा वायमंडलिया इ वा सेलसि' वा कुटुंसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा नावारिज्जमाणी वा निवारिज्जमाणी वा सा णं तत्थ नो कमति नो पक्कमति एवामेव गोसालस्स वि मंखलिपुत्तस्स तवे तेए समणस्स भगवप्रो महावीरस्स वहाए सरीरगंसि निसिढे समाणे से णं तत्थ नो कमति नो पक्कमति अंचियंचिं करेति, करेत्ता आयाहिण-पयाहिणं करेति, करेत्ता उड्ढं वेहासं उप्पइए, से णं तनो पडिहए पडिनियत्तमाणे' तमेव गोसालस्स मखलिपुत्तस्स सरीरगं अणुडहमाणे-अणुडहमाणे अंतो-अंतो अणुप्पवितु ।। ११३. तए णं से मोसाले मंखलिपुत्ते सएणं तेएणं अण्णाइट्ठे समाणे समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-तुम णं आउसो कासवा ! मम तवेणं तेएणं अण्णाइडे समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्ससि ॥ ११४. तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मखलिपुत्त एवं वयासी-नो खलु अहं गोसाला ! तव तवेणं तेएणं अण्णाइट्ठे समाणे अंतो छण्ह "मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतीए छउमत्थे चेव • कालं करेस्सामि, अहण्णं अण्णाई सोलस वासाइं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि । तुम णं गोसाला ! अप्पणा चेव सएणं तेएणं अण्णाइटे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहववकंतीए' छउमत्थे चेव काल करेस्ससि ।। सावत्थीए जणपवाद-पदं ११५. तए णं सावत्थीए नगरीए सिंघाडग'- तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह. पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-एवं खलु १. सं० पा०-गोसाला जाव नो। २. वाओ (ता); वातु° (म) 1 ३. तृतीयार्थे सप्तमी (वृ)। ४. आवरि० (अ, क, ख, ब, म, स)। ५. पडिणियत्तेमाणे (स) । ६. सं० पा०--छण्हं जाव कालं । ७. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ८. सं० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु । Page #745 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४ भगवई देवापिया ! सावत्थीए नगरीए बहिया कोट्ठए चेइए दुवे जिणा संलवंति - एगे वदति तुमं पुव्वि काल करेस्ससि, एगे वदति तुमं पुब्वि कालं करेस्ससि । तत्थ णं के पुण सम्मावादी' ? के मिच्छावादी ? तत्थ पंजे से प्रहपहाणे जणे से वदति - समणे भगवं महावीरे सम्मावादी, गोसाले मंखलिपुत्ते मिच्छावादी || गोसालेण समणाणं परिणवागरण-पदं ११६. अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे समणे निम्गंथे ग्रामंतेत्ता एवं वयासीप्रज्जो ! से जहानामए तणरासी इ वा कट्टरासी इ वा पत्तरासी इ वा तया रासी इवा तुसरासी इ वा भुसरासी इ वा गोमयरासी इ वा अवकररासी इ वा गणामिए अगणिभूसिए अगणिपरिणामिए हयते गयतेए नट्टतेए भट्टतेए लुत्तते विट्टते जाए," एवामेव गोसाले मंखलिपुत्ते ममं वहाए सरोरगंसि तेयं निसिरिता यतेए गयतेए' 'नट्टतेए भट्टतेए लुत्ततेए विणट्टतेए जाए, तं छंदेणं अज्जो ! तुम्भे गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएह, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेह, धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेह, अट्ठेहि य ऊहि य परिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य निष्पट्टपसिणवागरणं करेह ॥! ११७. तए णं ते समणा निग्गंथा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वृत्ता समाजा सम भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता गोसाल मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएंति, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसा रति, धम्मिएणं पडोयारेण पडोयारेंति, अहि य ऊहि य कारणेहि य निप्पट्टपसिण वागरण' करेंति ॥ ११८. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेहि निम्गंथेहिं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोइज्जमाणे', 'धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारिज्जमाणे, धम्मिएणं पडोयारेण य पडोयारेज्जमाणे, ग्रहिय हेऊहि य पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि निष्पट्ठपसिणवागरणे कीरमाणे प्रासुरुते' रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे नो संचाएति समणाणं निग्गंथाणं सरीरगस्स किंचि प्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पारत्तए, छविच्छेदं वा करेत्तए || 0 o १. सम्मावती ( अ, क, ख, ब, स ) 1 २. ० ज्भामिए (ता, म ) । ३. जाव ( अ, म स ) 1 ४. सं० पा०--गयतेए जाव विट्टतेए । ५. सं० पा० - हेऊहि य जाव वागरणं । ६. ० वाकररणं (अ ) । ७. वाकरेंति ( अ ) ; वा बागरेति (ता) । ८. सं० पा० - पडिचोइज्जमागे जाव निष्पट्ट ° ६. सं० पा० आसुरुते जाव मिसि° । Page #746 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्तरसमं सतं ६८५ गोसालस्स संघभेद-पदं ११६. तए णं ते आजीविया थेरा गोसालं मंखलिपुत्तं समणेहि निग्गंथेहिं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएज्जमाणं, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारिज्जमाणं, धम्मिएणं पडोयारेण य पडोयारेज्जमाणं, अद्वेहि य हेहि य' 'पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य निप्पट्टपसिणवागरणं' कीरमाणं, आसुरुत्तं' 'रुटुं कुवियं चंडिककियं ° मिसिमिसेमाणं समणाणं निग्गंथाणं सरी रगस्स किचि आवाहं वा बाबाहं वा छविच्छेदं वा अकरेमाणं पासंति, पासित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंतियानो पायाए अवक्कमंति, अवक्कमित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पया हिणं करेंति, करेत्ता वदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता समणं भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ताणं विहरति । अत्थेगतिया आजीविया थेरा गोसालं चेव मंखलिपुत्तं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति ।। गोसालस्स पडिगमण-पदं १२०. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते जस्सट्ठाए हब्वमागए तमढे असाहेमाणे, रुंदाई पलोएमाणे, दीहुण्हाई नीससमाणे, दाढियाए लोमाइं लंचमाणे, अव कंड्यमाणे, पुलिं पप्फोडेमाणे, हत्थे विणिद्धणमाणे, दोहि वि पाएहिं भूमि कोट्टेमाणे हा हा अहो ! होहमस्सि त्ति कटु समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियायो कोट्टयानो चेइयानो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सावत्थी नगरी, जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंवकूणगहत्थगए, मज्जपाणगं पियमाणे, अभिवखणं गायमाणे, अभिक्खणं नच्चमाणे, अभिक्खणं हालाहलाए कभकारीए अंजलिकम्मं करेमाणे, सोयलएणं मट्टियापाणएणं पायंचिण-उदएणं गायाइं परिसिंचमाणे विहरइ ।। गोसालेरणं नाणासिद्धंत-परूवण-पदं १२१. अज्जोति ! समणे भगवं महावोरे समणे निरगंथे आमंतेत्ता एवं वयासी जावतिए णं अज्जो ! गोसालेणं मंलिपुत्तेणं ममं वहाए सरीरगंसि तेये निसट्टे से णं अलाहि पज्जत्ते सोलसण्हं जणवयाणं, तं जहा-१. अंगाणं २. वंगाणं ३. मगहाणं ४. मलथाणं ५. मालवगाणं ६. अच्छाणं ७. वच्छाणं ८. कोच्छाणं -------..-- - - .... ----------- १. सं० पा.-हेऊहि य जाव कीरमाणं । २. सं० पा०--आसुरुतं जाव मिसि । ३. आसाहेमारणे (ख)। ४. अवटठे (अ, स); अवड्यं (ता)। ५. परिसिंचमाणे २ (ता)। ६. मालवंगाणं (ख); मालवंताणं (ता)। Page #747 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८६ भगवई ६. पाढाणं १०. लाढाणं ११. वज्जीणं १२. मोलोणं' १३. कासीणं १४. कोसलाणं १५. अवाहाणं १६. सुभुत्तराण' घाताए वहाए उच्छादणयाए भासीकरणयाए। जं पि य अज्जो ! गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारोए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगए, मज्जपाणं पियमाणे, अभिक्खणं गायमाणे, अभिक्खणं नच्चमाणे, अभिक्खणं' हालाहलाए कुंभकारीए अंजलिकम्मं करेमाणे विहरइ, तस्स वि य णं वज्जस्स पच्छादणट्रवाए इमाइं अटु चरिमाइं पण्णवेइ, तं जहा--- १. चरिमे पाणे २. चरिमे गेये ३. चरिमे नट्टे ४. चरिमे अंजलिकम्मे ५. चरिमे पोक्खलसंवट्टए महामेहे ६. चरिमे से यणए गंधहत्थो ७. चरिमे महासिलाकंटए संगामे ८. अहं च णं इमीसे अोसप्पिणिसमाए' चउवोसाए तित्थगराण चरिमे तित्थगरे सिभिस्सं जाव' अंतं करेस्सं ।। जंपिय अज्जो ! गोसाले मंखलिपुत्ते सीयलएणं मट्टियापाणएणं आयंचिण-' उदएणं गायाई परिसिंचमाणे विहरइ, तस्स वि णं वज्जस्स पच्छादणट्टयाए इमाई चत्तारि पाणगाइं चत्तारि अपाणगाइं पण्णवेति ॥ १२२. से कि तं पाणए ? पाणए चउब्धिहे पण्णत्ते, तं जहा-१. गोपुट्ठए २. हत्थमद्दियए ३. आतवतत्तए ४. सिलापब्भट्ठए । सेत्तं पाणए ।। १२३. से किं तं अपाणए ? अपाणए चउविहे पण्णत्ते, तं जहा–१. थालपाणए २. तयापाणए ३. सिंबलि पाणए ४. सुद्धपाणए । १२४. से कि तं थालपाणए? थालपाणए---जे णं दाथालगं वा दावारगं वा दाकुंभगं वा दाकलसं वा सीतलगं उल्लग' हत्थेहि परामुसइ, न य पाणियं पियइ । सेत्तं थालपाणए !! १२५. से किं तं तयापाणए? तयापाणए-जे णं अंबं वा अंबाडगं वा जहा पोगपदे जाव" बोरं" वा तेंबरुयं १. मालीणं (अ, ख, ता, ब, म)। ७. प्रादनणि (अ, क, ख, ब, म)। २. सुभुत्तराणं (अ, क, म); सुभत्तराणं (ख): ८. संवलि ° (अ, ख); सेवलि (ब); संव___संभुत्तराणं (ता, ब); सुभत्तराणं (स) 1 एलि ° (म)। ३. सं० पा०—अभिक्खणं जाव अंजलिकम्म। ६. ओलग्ग (ख)। ४. ओसप्पिणीए (स)। ५. तित्थकराणं (अ, क, ब, म, स); तित्थंक- ११. पोरु (प्र); पोरं (क, ता, म); चोरं (ब)। राणं (ख)। १२. तंबरुयं (म, म); तंबुरुयं (ता); तेबुरुयं ६. भ० ११४४। (ब); तिंदुरुयं (स)। Page #748 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्तरसमं सतं ६८७ वा तरुणगं आमग प्रासगंसि प्रावोलेति वा पवीलेति वा, न य पाणियं पियइ । सेत्तं तयापाणए । १२६. से कि तं सिबलिपाणए ? सिंलिपाणए-जे णं कलसंगलियं वा मुग्गसंगलियं वा माससंगलियं वा सिंबलिसंगलियं वा तरुणियं आमियं प्रासगंसि प्रावीलेति वा पवीलेति वा, न य पाणियं पियति । सेत्तं सिबलिपाणए । १२७. से किं तं सुद्धपाणए? सुद्धपाणए-जे णं छम्मासे सुद्धखाइमं खाइ, दो मासे पुढविसंथारोवगए, दो मासे कट्ठसंथारोवगए, दो मासे दब्भसंथारोवगए, तस्स णं बहुपडिपुण्णाणं छण्हं मासाणं अंतिमराईए इमे दो देवा महिड्ढिया जाव' महेसक्खा अंतियं पाउब्भवंति, तं जहा-पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य। तए णं ते देवा सीयलएहिं उल्लएहिं हत्थेहिं गायाई परामुसंति, जे णं ते देवे साइज्जति, से णं पासीविसत्ताए कम्म पकरेति, जे ण ते देवे नो साइज्जति तस्स ण संसि सरीरगंसि अगणिकाए संभवति, से णं सएणं तेएणं सरीरगं झामेति, झामेत्ता तो पच्छा सिझति जाव अंतं करेति । सेत्तं सुद्धपाणए ।। अयंपुल-माजीवियोवासय-पदं १२८. तत्थ णं सावत्थीए नयरोए अयंपुले नामं आजीवियोवासए परिवसइ ---अड्ढे, जहा हालाहला जाव' आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं तस्स अयंयुलस्स आजीवियोवासगस्स अण्णया कदायि पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था--किसंठिया णं हल्ला पण्णत्ता ? १२६. तए णं तस्स अयंपुलस्स प्राजोवियोवासगस्स दोच्चं पि अयमेयारूवे अज्झथिए 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था --एवं खलु मम धम्मायरिए धम्मोवदेसए मोसाले मंखलिपुत्ते उप्पन्ननाणदंसणधरे जिणे अरहा केवली सव्वण्णू सव्वदरिसी इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि आजीवियसंघसंपरिवुडे आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभाए रयणोए जाव उद्वियम्मि १. आमलगं (ता)। २. सिंगलिय (क, ता)। ३. भ० ११३३६ । ४. तंसि (अ, म, स)। ५. भ०१५।१। ६. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। ७ सं० पा०-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था। ८. सं० पा०-उप्पन्ननारगदसणधरे जाव ६. भ. २०६६ । Page #749 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८८ भगवई सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते गोसाल मंखलिपुत्तं वंदित्ता जाव' पज्जुवासित्ता इमं एयारूवं वागरणं वागरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेति, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते व्हाए कयब लिकम्मे जाव' अप्पमहन्धाभरणालंकियसरीरे सानो गिहाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं सावत्थि नगरि मझमझेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगयं' •मज्जपाणगं पीयमाणं. अभिक्खणं गायमाणं, अभिक्खणं नच्चमाणं, अभिक्खणं हालाहलाए कुंभकारीए' अंजलिकम्मं करेमाणं सीयलएणं मट्टिया पाणएणं आयंचिण-उदएणं ° गायाई परिसिंचमाणं पासइ, पासित्ता लज्जिए विलिए विड्डे सणियं-सणियं पच्चोसक्कइ ।। १३०. तए णं ते आजीविया थेरा अयंपुलं आजीवियोवासगं लज्जियं जाव' पच्चोसक्क माणं पासइ, पासित्ता एवं वयासी-एहि ताव अयंपुला ! इतो ॥ १३१. तए णं से अयंपुले आजीवियोवासए आजीवियथेरेहि एवं वुत्ते समाणे जेणेव आजीविया थेरा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आजीविए थेरे वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासन्ने जाव' पज्जुवासइ ।। १३२. अयंपुलाति ! आजीविया थेरा अयंपुलं आजीवियोवासगं एवं वयासी-से नूर्ण ते अयंपुला! पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि 'कुडुवजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था ...-- किसंठिया णं हल्ला पण्णत्ता ? तए णं तव अयंपुला ! दोच्चं पि अयमेयारूवे तं चेव सव्वं भाणयव्वं जाव' सावत्थि नगरि मझमझेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारोए कुंभकारावणे, जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए । से नूणं ते अयंपुला! अढे सम? हंता अस्थि । जंपि य अयंपुला! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगए जाव अंजलि करेमाणे १. भ. २०३१ । २. भ० २।१७। ३. मज्झेरणं मझेरणं (क, ता, ब) सर्वत्र! ४. सं० पा०---ग्रंबकूणगहत्थगयं जाव अंजलि- कम्म। ५. सं० पा-मट्टिया जाव गायाई। ६. भ० १५:१२६ । ७. भ. १११० । ८. सं.पा.--पुब्बरतावरत्तकालसमयंसि जाव किंसंठिया। ६. भ०१५।१२६। Page #750 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पलरसमं सतं विहरइ, तत्थ वि णं भगवं इमाइं अट्ठ चरिमाइं पण्णवेति, तं जहा चरिमे पाणे जाव' अंतं करेस्सति । जं पि य अयंपुला ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते सीयलएणं मट्टिया पाणएणं आयंचिण-उदएणं गायाइं परिसिंचमाणे विहरइ, तत्थ वि ण भगवं इमाईचत्तारि पाणगाई, चत्तारि अपाणगाई पाणवेति । से कि लं पाणए ? पाणए जाव' तओ पच्छा सिज्झति जाव अंतं करेति । तं गच्छ णं तुमं अयंपुला ! एस चेव तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते इमं एयावं वागरणं वागरेहिति ।। १३३. तए णं से अयंपुले प्राजीविनोवासए आजीविएहि थेरेहिं एवं वुत्ते समाणे हतुट्टे उट्ठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव पहारेत्थ गमणाए। १३४. तए णं ते ग्राजीविया थेरा गोसालस्स मखलिपुत्तस्स अंबकूणग-एडावणट्ठयाए एगतमते संगारं कुवंति ।। १३५. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते आजीवियाणं थेराणं संगारं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता अंबकूणगं एगतमंते एडेइ ।। १३६. तए णं से अयंपुले आजीवियोवासए जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं तिक्खुत्तो जाव' पज्जुवासति ।। १३७. अयंपुलादि ! गोसाले मंखलिपुत्ते अयंपुलं आजीवियोवासगं एवं वयासी-से नूर्ण अयंपुला ! पुव्वरत्ताव रत्तकालसमयंसि जाव' जेणेव ममं अंतियं तेणेव हन्धमागाए । से नूणं अयंपुला! अढे समठे ? हंता अत्थि। तं नो खलु एस अंवकूणए, अंबचोयए' णं एसे । किसंठिया हल्ला पण्णत्ता ? वसीमूलसंठिया हल्ला पण्णता । वीणं वाएहि रे वीरगा ! वीणं वाएहि रे वीरगा! १३८. तए णं से अयंपुले ग्राजीवियोवासए गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं इमं एयारूवं वागरणं वागरिरा समाणे हटतुटू 'चित्तमाणंदिरा दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए गोसालं मंखलिपुत्तं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता पसिणाई पुच्छइ, पुच्छित्ता अट्ठाई परियादियइ, परियादिइत्ता उट्ठाए १. भ० १५५१२१ । २. सं० पा०-मट्टिया जाब विहरइ । ३. भ. १५॥१२२-१२७ । ४. अंवखुणग (अ, क}; अंवउणग (ता, ब)। ५. भ०१।१०। ६. भ० १५५१२८-१३३ । ७. अंबचोवर (ता)। ८. सं० पा०---हट्ठतु जाव हियए । Page #751 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६० भगवई मंखलिपुत्तं वंदइ नमसइ', 'वंदित्ता नमसित्ता जामेव ० उट्ठेइ, उट्ठेत्ता गोसालं दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए ।। गोसालस अप्पणी नीहरण- निद्देस - पदं १३६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते अप्पणो मरणं आभोएइ, आभोएत्ता आजीविए थेरे सहावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी - तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ममं कालगयं जाणित्ता सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेह, पहाणेत्ता पम्हलसुकुमालाएं गंधकासाईए गायाइं लू हेह, लूहेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिप, अणुलिपित्ता महरिहं हंसलक्खणं पडसाडगं नियंसेह, नियंसेत्ता सव्वालंकारविभूसियं करेह, करेत्ता पुरिससहस्वाहिणि सीयं दुरुहेह, दुरुहेत्ता सावत्थीए नयरीए सिंघाडगतिग- चउक्क-चच्चर-चउम्मुह महापह - पहेसु महया - महया सद्देणं उग्घोसेमाणाउग्घोसेमाणा एवं वदह -- एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी, अरहा अरहृप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे • जिणसद्दं पगासेमाणे विहरित्ता इमीसे श्रोसप्पिणीए चउवीसाए तित्थगराणं चरिमे तित्थगरे, सिद्धे जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे-इसका समुदणं मम सरीरगस्स नीहरणं करेह || o १४०. तए णं ते ग्रजीविया थेरा गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमट्ठे विणणं पडिसुर्णेति ॥ गोसालस परिणाम - परिवत्तणपुव्वं कालधम्म-पदं १४१. तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सत्तरत्तंसि परिणममाणसि पडिलसम्मत्तस्स श्रयमेयारूवे प्रज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे • समु'पज्जित्था —नो खलु अहं जिणे जिणप्पलावी, अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्लावी, सव्वष्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे जिणसद्दं पगासेमाणे विहरिते " ग्रहणं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए समणमारण समणपडिणीए आयरिय उवज्झायाणं अयसकारण अवण्णकारए अकित्तिकारए बहूह असम्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिनिवेसेहिं य अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा O १. सं० पा० - नमसइ जाव पडिगए । २. 'व्हावेह' इति रूपं समीचीनं प्रतिभाति, किन्तु 'व्हावेs, पहाणे' इति रूपद्वयमपि लभ्यते । ३. द्रुहेह ( अ, क, ख, ता) | ४. सं० पा० - सिंघाडग जाव पहेसु । ५. घोसेमारणा ( अ, ख, ब ) : ६. सं० पा०- जिलावी जाव जिणसद्दं । ७. भ० १४:३ | ८. सं० पा० - अज्झत्थिए जाय समुप्पज्जित्था । ६. सं० पा० - जिरगप्पलावी जाव जिग्गासदं । १०. विहरइ (क, ता, स ) | Page #752 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरिना सएणं तेएणं अण्णाइटे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छ उमत्थे चेव कालं करेस्सं । समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी', अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सवण्णुप्पलावी, जिणे जिणसई पगासेमाणे विहरइ –एवं संपेहेति, संपेहेता आजीविए थेरे सहावेइ, सहावेत्ता उच्चावय-सबह-सावियए पकरेति, पकरेत्ता एवं वयासी नो खलु अहं जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरिए । अहण्णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए 'समणमारए समणपडिणीए पायरिय-उवज्झायाणं अयसकारण अवण्णकाए अकित्तिकारए वहहिं असदभावभावणाहि मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं वा परंवा तदुभयं वा बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएणं तेएणं अण्णाइट्ठ समाणे अंतो सत्तरतस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्सं । समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसई पगासेमाणे विहरइ, तं तुभं णं देवाणुप्पिया ! ममं कालगयं जाणित्ता वामे पाए सुबेणं बंधेह', बंधेत्ता तिक्खुत्तो मुहे उट्ठभेह, उट्ठभेत्ता सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्कचच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु प्राकट्ट-विकट्टि करेमाणा महया-महगा सद्देणं उग्घोसेमाणा-उग्रोसेमाणा एवं वदह–नो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए। एस गं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए। समणे भगव महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ । मह्या अणिड्ढी-असक्कारसमुदएणं मम सरीरगस्स नीहरणं करेज्जाह - एवं वदित्ता कालगए ।। गोसालस्प्त नीहरण-पदं १४२. तए णं आजीविया थेरा गोसालं मंलियुत्तं कालगयं जाणित्ता हालाहलाए कंभकारीए कुंभकारावणस्स दुवाराइं पिहेंति, पिहेत्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स बहुमज्झदेसभाए सावत्थि नगरि आलिहंति, प्रालिहित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं वामे पदे सुंवेणं बंधंति, बंधित्ता तिक्खुत्तो महे उभंति, उट्ठभित्ता सावत्थीए नगरीए सिंघाडग- तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पढ़ेसु प्राकट्ट-विकट्टि करेमाणा णीयं-णीयं सद्देणं उग्घोसेमाणा १. सं० पा०-जिणप्पलावी जाव जिरणसई। २. उच्चाविय (प्र, म)।। ३. सं० पा०-समणघायए जाव छउमत्थे । ४. बंधहा (अ, ब); बंधह (ख, म, स); बंधेहा ५. उट्ठभह (अ, ख, ब, स); उहुभंस्स (ता); उच्छृभह (वृपा) ६. सं० पा०—सिंघाडग जाव पहेसु । ७. सं० पा० --सिंघाडग जाव पहेसु । Page #753 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९२ भगवई उग्घोसेमाणा एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए । एस णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए ! समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव' विहर इ---सवह-पडिमोक्खणगं करेंति, करेत्ता दोच्चं पि पूया-सक्कार-थिरीकरणद्वयाए गोसालस्स मखलिपुत्तस्स वामाओ पादानो सुवं मुयंति, मुइत्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स 'दुवार-वयणाई'' अवंगुणंति', अवंगुणित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेति, तं चेव जाव' महया इड्ढिसक्कारसमुदएणं गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगस्स नोहरणं करति ।। भगवो रोगायंक-पाउम्भवण-पदं १४३. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कदायि सावत्थीयो नगरीओ कोट्टयानो चेइयाग्रो पडिनिवखमति, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहारं विहर।।। १४४. तेणं कालेणं तेणं समएणं मेंढियगामे नाम नगरे होत्था--वण्णगो ! तस्स णं में ढियगामस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए, एत्थ णं साणकोट्टए नाम चेइए होत्था --वण्णो जाव' पुढविसिलापट्टयो । तस्स णं साणकोटगस्स चेइयस्स अदूरसामंते, एत्थ णं महेगे मालुयाकच्छए यावि होत्था-किण्हें किण्होभासे जाव' महामेहनिकुरंबभूए पत्तिए पुरिफए फलिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे चिदति । तत्थ णं मेंढियगामे नगरे रेवती नाम गाहावइणी परिवसति-अडढा जाव बहजणस्स अपरिभया ।। १४५. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदायि पुव्वाणुपुट्वि चरमाणे 'गामाणु गाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव मेंढियगामे नगरे जेणेव साणकोट्टए चैइए तेणेव उवागच्छइ जाव परिसा पडिगया ।। १४६. तए णं समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगंसि विपुले रोगायंके पाउन्भूए उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडुए चंडे दुक्खें दुग्गे" तिव्वे ° दुरहियासे, पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कतिए" यावि विहरति, अवि याइं लोहिय-वच्चाई १. भ० १५।१४१ । २. दाराई (ता)। ३. अवंगुवंति (ता)। ४. भ० १५१३६ । ५. मेढिय° (क); मिढिय ° (ब)। ६. ओ० सू० १। ७. साल ° (अ, क, ब, म, स)। ८. ओ० सू० २-१३ । ६. ओ० सू० ४ । १०. भ० ३९४ । ११. सं० पा०.-चरमाणे जाव जेणेव । १२. भ० १७, ८ । १३. सं० पा.--उज्जले जाव दुरहियासे । १४. X (वृ); दुग्गे (वृपा)। १५. दाहवक्कतीए (अ, ख, ता, म, स)। Page #754 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं पि पकरेइ, चाउवण्ण' च णं वागरेति-एवं खलु समणे भगवं महावीरे गोसालस्स मंलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अण्णाइ?' समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरोर दाहवक्कतिए छउमत्थे चैव कालं करेस्सति ।। सोहस्स माण सियदुक्ख-पदं १४७. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी सोहें नम अणगारे-पगइभद्दए जाव' विणीए मालुयाकच्छगस्स अदूरसामते छटुंउटेण अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढे वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए प्रायात्रेमाणे ° विहरति ।। १४८. तए णं तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे अज्झ. थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था-एवं खलु मम धम्मारियल्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगंसि विउले रोगायके पाउन्भूए-उज्जले जाव' छउमत्थे चेव कालं करेस्सति, वदिस्संति य णं अग्णतित्थिया-छउमत्थे चेव कालगए—-इमेणं एयारूदेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्लेणं अभिभूए समाणे आयावणभूमीग्रो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मालुयाकच्छगं अंतो-अंतो अणुपविसइ, अणुपविसित्ता महया-मया सद्देणं कुहुकुहुस्स परुण्णे ।। भगवया सीहस्स पासासण-पदं १४६. अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे समणे निग्गये सामंतेति, पामतेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अज्जो! ममं अंतेवासी सीहे नाम अणगारे पगइभद्दए **जाव विणीए मालुयाकच्छगस्स अदूरसामते छटुंछ?णं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढे बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिझिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए अायावेमाणे विहरति । तए णं तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था--एवं खलु मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवनो महावीरस्स सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउन्भूए-उज्जले जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्सति, वदिस्संति य णं अण्णतित्थिया-छउमत्थे चेव कालगए - इमेणं एयारूवेणं मह्या मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे पायावणभूमीनो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव' १. चाउवण्ण (ब)। २. आदिद्वे (क, ता)। ३. भ० ११२८८ । ४. सं० पा-बाहाओ जाव विहरइ । ५. सं० पा.-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था ६. भ०१२१४६ । ७. सं. पा.-तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव परुण्णे। Page #755 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६४ भगवई मालूयाक छाए तेणेव उवागच्छ इ, उवागच्छित्ता मालयाकच्छगं अंतो-अंतो अणुपविसड अपविसित्ता मया-महया सद्देणं कुहुकुहुस्स परुण्णे । तं गच्छह णं अज्ज ! ब्भे सोहं अणगारं सद्दाह ।। १५०. तए णं से समणा निग्गंथा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ता सभाणा समर्ण भगवं महावीरं वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवरो महावीरस्स अंतियानो साणकोटगानो चेइयानो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव मालुयाकच्छाए, जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सीहं अणगारं एवं वयासो सीहा ! धम्मायरिया सद्दावेति !! १५१. तए णं से सीहे अणगारे समणेहिं निग्गंथेहिं सद्धि मालुयाकच्छगानो पडिनिक्ख मइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव साणकोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिणपयाहिणं जाव' पज्जुवासति ।। सीहादि ! समणे भगवं महावीरे सीहं अण्णगारं एवं वयासी-से नणं ते सीहा ! झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे 'अज्झत्थिाए चितिए पथिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेस गस्स समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगंसि विउले रोगायके पाउन्भूए-उज्जले जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्सति, वदिस्संति य णं अण्णतित्थिया छउमत्थे चेव कालगए----इमेणं एयारूवेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे पायावणभूमीग्रो पच्चोरुभित्ता, जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छित्ता मालुयाकच्छगं अंतो-अंतो अणुपविसित्ता महया-मया सद्देणं कुहुकुहुस्स ° परुण्णे। से नणं ते सीहा ! अट्ठ समढे ? हंता अस्थि । तं नो खलु अहं सीहा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अण्णाइट्टे समाणे अंतो छण्हं मासाणे "पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतिए छउमत्थे चेव कालं करेस्सं अहण्णं अद्ध सोलस वासाइं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि, तं गच्छह गं तुम सीहा! में ढियगाम नगरं, रेवतीए गाहावतिणीए गिहं, तत्थ णं रेवतीए गाहावतिणीए ममं अट्ठाए दुवे 'कवोय-सरीरा' उववखडिया, तेहि नो अटो, अस्थि से अण्णे पारियासिए मज्जारकडए कुक्कुडमंसए, तमाहराहि, एएणं अट्ठो।। १. सद्दह (अ, क, ता)। २. भ० १६१०॥ ३. सं० पा०-अयमेयारूवे जाव परुणे । ४. सं० पा०-मासाण जाव कालं । ५. कवोतासरीरा (क, ब); कतोयासरीरगा (ता)। Page #756 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं सोहेण रेवईए भेसज्जाणयण-पदं १५३. तए णं से सोहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हदुतुटु' चित्तमाणदिए णदिए पीइमाणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता अतुरियमचवलमसंभंत' मुहपोत्तियं पडिले हेति, पडिलेहेत्ता "भायणवत्थाई पडिलेहेति, पडिगेहेता भायणाई पमज्जद, पमज्जिता भायणाई उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेच समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियाओ साणको?गाग्रो चेइयायो पडिनिक्खमति, पडिनिक्ख मित्ता अतरिय मचवलमसंभंतं जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रियं सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव मेंढियगामे नगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मेंढियगाम नगरं मझमझेणं जेणेव रेवतीए गाहावइणीए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रेवतीए गाहावति णोए गिहं अणुप्पवितु ।। १५४. तए णं सा रेवती गाहावतिणी सीहं अणगारं एज्जमाणं पासति, पासित्ता हट्ट तुट्ठा खिप्पामेव आसणानो अब्भुढेइ, अन्भुढेत्ता सीहं अणगारं सत्तट्ठ पयाइं अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेति, करेत्ता वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणु प्पिया ! किमागमणप्पयोयणं? तए णं से सीहे अणगारे रेवति गाहावइणि एवं वयासी--एवं खलु तुमे देवाणुप्पिए ! समणस्स भगवनो महावीरस्स अट्ठाए दुवे कबोय-सरीरा उवक्खडिया, तेहिं नो अट्टो, अस्थि ते अण्णे पारियासिए मज्जारकडए कुक्कुडमसए एयमाह राहि, तेणं अट्ठो॥ १५६. तए णं सा रेवती गाहावइणी सीहं अणगारं एवं वयासी-केस णं सीहा ! से नाणी वा तवस्सी वा, जेणं तव एस अट्टे मम ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए, जो णं तुमं जाणासि ? १५७. तए णं से सीहे अणगारे रेवई गाहावइणि एवं वयासी-एवं खलु रेवई ! ___ ममं धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे उप्पण्णनाणदसणधरे अरहा १. सं० पा. --हट्ठतुटु जाव हियए । प्राप्तमुपात्तम् । २. भ० २११०७ सूत्रे आदर्शषु अतुरियमचव- ३. ° पत्तियं (स)। लमसंभते' इति पाठोस्ति । अत्र च आदर्शषु ४. सं० १६०-जहा गोयमसामी जाव जेणेव । 'अतरियमचवलमसंभंत' इति पाठोस्ति। ५. सं. पा.-अतुरिय जाव जेणेव। उभयमपि रूपं नास्ति अशुद्धमिति यथा ६. सं० पा०—एवं जहा खंदए जाव जो। Page #757 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियागए सवण्णू सव्वदरिसी जेणं मम एस अद्वै तव तात्र रहस्सकडे हव्वमक्खाए°, जो णं अहं जाणामि ।। १५८. तए णं सा रेवती गाहावतिणी सीहस्स अणगारस्स अंतियं एयमहूँ सोच्चा निसम्म हदुतुट्टा जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पत्तगं मोएति, मोएत्ता जेणेव सोहे अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहस्सअणगारस्स पडिग्गहगंसि तं सब्वं सम्म निस्सिरति ।। १५६. तए णं तीए रेवतीए गाहावतिणीए तेणं दव्वसुद्धण' 'दायगसुद्धेणं पडिगाहग सुद्धेणं तिबिहेणं तिकरणसुद्धेणं° दाणेणं सीहे अणगारे पडिलाभिए समाणे देवाउए निबद्धे, संसारे परित्तीकए, गिहंसि य से इमाइं पंच दिव्वाइं पाउन्भूयाई, तं जहा- वसुधारा वुढा, दसद्धवणे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, पाहयारो देवदुंदुभीयो, अंतरा वि य णं पागासे ग्रहो दाणे, अहो दाणे त्ति घु?।। १६०. तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग-च उक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणो अपणमण्णस्स एबमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइधन्ना णं देवाणुप्पिया! रेवई गाहावइणी, कयत्था ण देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कयपुण्णा णं देवाणुप्पिया! रेवई गाहावइणी, कयलक्खणाणं देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कया णं लोया देवाणुप्पिया ! रेवतीए गाहावतिणीए, सुलद्धेणं देवाणप्पिया ! माणस्मए जम्मजीवियफले रेवतीए गाहावतिणीए, जस्स णं गिहंसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाई पंच दिव्वाइं पाउभूयाई, तं जहा- वसुधारा वुट्ठा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घट्टे, तं धन्ना कयत्था कयपुण्णा कयलक्खणा, कया णं लोया, सुलद्धे माणु स्सए • जम्मजीवियफले रेवतीए गाहावतिणीए, रेवतीए गाहावतिणीए॥ १६१. तए णं से सीहे अणगारे रेवतीए गाहावतिणीए गिहारो पडिनिक्खमति, पडि निक्खमित्ता मेंढियगामं नगर मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जहा गोयमसामी जाव' भत्तपाणं पडिदंसेति, पडिदसेत्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स पाणिसि तं सव्वं सम्म निरिसरति ।। भगवओ प्रारोग्ग-पदं १६२. तए णं समणे भगवं महावीरे अमुच्छिए 'अगिद्धे अगढिए ° अणज्झोववन्ने १. निसम्मा (क, ता, ब)। २. पत्तं (क, ख, ता, ब, म)। ३. पडिम्गहंसि (ता)। ४. सं० पा०-दव्वसुद्धणं जाव दाणेण । ५. सं० पा०--जहा विजयस्स जाव जम्म___ जीवियफले। ६. भ० २।११०। ७. सं० पा०-अमुच्छिए जाव अरगज्झोववन्ने । Page #758 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ६६७ बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं तमाहारं सरीरकोटुगंसि पक्खिवति ।। तए णं समणस्स भगवनो महावी रस्स तमाहारं पाहारियस्स समाणस्स से विपुले रोगायके खिप्पामेव उवसते, हट्टे जाए, अरोगे', वलियसरीरे। तुट्ठा समणा, तुट्ठामो समणीग्रो, तुट्ठा सावया, तुट्ठामो सावियाग्रो, तुट्ठा देवा, तुट्ठामो देवीओ, सदेवमणुयासुरे लोए तुढे-हट्ठ जाए समणे भगवं महावीरे. हट्ठ जाए समणे भगवं महावीरे ।। सव्वाणुभूतिस्स उववाय-पदं १६४. भंतेति ! भगवं गोयमे समण भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी . एवं खलु देवाणुप्पियाणं प्रतेवासी पाईणजाणवए सव्वाणुभूती नाम अणगारे पगइभद्दए जाव' विणीए, से ण भंते ! तदा गोसालेणं मखलिपुत्तण तवेणं तेएणं भासरासीकए समाणे कहिं गए ? कहि उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी पाईणजाणवए सव्वाणुभूती नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से णं तदा गोसालेणं मखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं भासरासीका समाणे उड्ढं चंदिम-सुरिय जाव बंभ-लंतक-महासुक्के कप्पे वीइव इत्ता सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं अट्ठारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं सव्वाणुभूतिस्स वि देवस्स अट्ठारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। से णं भंते ! सव्वाणुभूती देवे तारो देवलोगायो पाउबखएणं भवक्खएणं ठिइ खएणं 'अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! • महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेहिति ।। सुनक्खत्तस्स उववाय-पदं १६५. एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कोसलजाणवए सुनक्खत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए जाब विणीए। से णं भंते ! तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं परिताविए समाणे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहि उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी सुनक्खत्ते नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से णं तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं परिताविए समाणे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वंदति नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता सयमेव पंच महव्वयाई प्रारुभेति, आरुभेत्ता समणा य समणोनो य १. पारोए (अ, म); आरोते (ब) ४. भ० ११।१६६ ।। २. पतीण० (अ, स); पदीग (क, ब); ५. सं० पा०-ठिइक्खएणं जाव महाविदेहे। पडीण ° (ख, ता)। ६. भ०७३। ३. भ. ११२८८। Page #759 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ भगवई खामेति, खामेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्ढे चंदिम-सरिय जाव' प्राणय-पाणयारणे कप्पे वीइव इत्ता अच्चए कप्पे देवत्ता उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं सुनक्वत्तस्स वि देवस्स बावीसं सागरोवमाइंठिती पण्णत्ता। से णं भंते ! सुनक्खत्ते देवे तारो देवलोगानो ग्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ।। गोसालस्स भवन्भमण-पदं १६६. एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मखलिपुत्ते से णं भंते ! गोसाले मंखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मंखलिपुत्ते समणघायए जाव' छउमत्थे चेव कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम-सूरिय जाव अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं बावीसं सागरोव माई ठिती पण्णत्ता। तत्थ ण गोसालस्स वि देवस्स वावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता ।। से णभंते ! गोसाले देवे ताओ देवलोगाग्रो पाउक्खएणं भवक्खएणं ठिइवखएणं •अणंतरं चयं च इत्ता कहिं गच्छिहिति° ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे नगरे संमुतिस्स रण्णो भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिति । से णं तत्थ नवग्रहं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं 'अट्ठमाण य राइंदियाणं वीइक्कंताणं जाव' सुरूवे दारए पयाहिति ।। १६८. जं रयणि च णं से दारए जाइहिति, तं रणि च णं सयदुवारे नगरे सभितर बाहिरिए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे वासिहिति ।। १६६. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कते. निव्वत्ते असूइजायकम्मकरणे ° संपत्ते 'बारसमे दिवसे" अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्न १. भ० १५११६४ ताणं। २. सं० पा०–सेसं जहा सव्वाणुभुतिरस जाव ७. भ० ११११४६ । अंतं । ८. सं० पा०-वीइक्कते जाव संपत्ते । ३. भ. १५२१४१ । ६. बारसाहदिवसे (अ, क, ख, ता, ब, म, स); ४. भ० १५३१६५ । द्रष्टव्यम्-भ० ११११५३ सूत्रस्य पादटिप्प५. सं० पा०-ठिइवखएणं जाव कहि । णम् । ६. सं० पा.--बहपडिपूण्णाणं जाव वीइक्कं Page #760 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्तरसमं सतं नामधेज्ज काहिंति--जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि जायंसि समाणंसि सयदुवारे नगरे सब्भितरबाहिरिए भारग्गसो य क भग्गसो य पउमवासे य° रयणवासे वटे, तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं महापउमे-महापउमे । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्जं करेहिति महापउमे त्ति ॥ १७०. तार तं महापउमं दारगं अम्मापियरो सातिरेगद्रवासजायगं जाणित्ता सोभणंसि तिहि-करण-दिवस-नक्खत-मुहुत्तंसि महया-महया रायाभिसेगेणं अभिसिंचेहिति । से णं तत्थ राया भविस्सति - महया हिमवंत-महंत-मलय मंदर-महिंदसारे वण्णो जाव' विहरिस्सइ ।। १७१. तए णं तस्स महापउमस्स रण्णो अण्णदा कदायि दो देवा महिड्ढिया जाव' महेसक्खा सेणाकम्म काहिति, तं जहा पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य ।। तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर'- माडंबिय-कोडुबिय-इन्भ-सेट्टिसेणावइ°-सत्थवाहप्पभितयो' अण्णमण्णं सहावेहिति, सद्दावेत्ता एवं वदेहितिजम्हा णं देवाणुप्पिया ! महापउमस्स रण्णो दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा सेणाकम्मं करेंति, तंजहा-पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य, तं होउ णं देवाणुप्पिया ! अम्हं महाप उमस्स रण्णो दोच्चे वि नामधेज्जे देवसेणेदेवसेणे । तए णं तस्स महापउमस्स रण्णो 'दोच्चे वि नामधेज्जे भविस्सति देवसेणे ति ॥ १७२. तए णं तस्स देवसेणस्स रण्णो अण्णया कयाइ सेते संखतल-विमल-सन्निगासे चउद्देते हत्थिरयणे समुप्पज्जिस्सइ। तए णं से देवसेणे राया तं सेयं संखतलविमल-सन्निगासं चउदंतं हत्थिरयणं दूढे समाणे सयदुवारं नगरं मझमझेणं अभिक्खणं-अभिक्खणं अतिजाहिति य निज्जाहिति य । तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर- तलवर-माडंबिय-कोडुविय-इभ-सेटि-सेणावइ°-सत्थवाहप्पभितो अण्णमण्ण सद्दावेहिति, सद्दावेत्ता वदेहिति ...जम्हा णं देवाणुप्पिया ! अम्हं देवसेणस्स रण्णो सेते संखतल-विमल-सन्निगासे च उदंते हत्थिरयणे सम्प्पन्ने, तं होउ णं देवाणुप्पिया ! अम्हं देवसेणस्स रण्णो तच्चे वि नामधेज्जे विमलवाहणे-विमलवाहणे । तए णं तस्स देवसेणस्स रण्णो तच्चे वि नामधेज्जे भविस्सति विमलवाहणे त्ति ॥ १. सं० पा०-सभिंतरबाहिरिए जाव रयण- ६. दोच्चं पि (स)। वासे। ७. संखदल (क, ख. ता,)। २. बो० सू० १४॥ ८. दुरूढे (स)। ३. भ. १६३३६ । ६. सं० पा० राईसर जाव सत्थवाह । ४. सं० पा.--तलवर जाव सत्थवाह ! १०. ठा० ६६२ सूत्रानुसारेण एतत् पदं स्वी५. ०प्पभितीग्रो (स)। कृतम्। सा Page #761 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई 0 १७३. तए णं से विमलवाहणे राया अण्णया कदायि समणेहि निम्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवज्जिहिति अप्पेगतिए आमोसेहिति अप्पेगतिए अवहसि हिति, ग्रपेतिए निच्छोडे हिति, प्रप्पेगतिए निब्भंछेहिति अप्पेगतिए बंधेहिति, प्पेगतिए निरु भेहिति, ग्रप्पेगतियाणं छविच्छेद करेहिति, प्रप्पेगतिए पमारेहिति, अप्पतिए उद्दवेहिति अप्पेगतियाणं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं प्रच्छिदिति विच्छिदिहिति भिदिहिति श्रवहरिहिति, श्रप्पेगतियाणं भत्तपाणं वोच्छिदिहिति, पेगतिए निन्नगरं करेहिति, ग्रंप्पेगतिए निव्विसए करेहिति ॥ १७४. तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर- 'तलवर- माडविय- कोडुंविय-इव्भ-सेट्ठिसेणावइ-सत्थवाहप्पभितो अण्णमण्णं सदावेहिति, सदावेत्ता एवं वदिहितिएवं खलु देवाणुप्पिया ! विमलवाहणे राया समणेहि निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ने प्रप्पेगतिए ग्रामसति जाव निव्विसए करेति तं नो खलु देवाप्पिया ! एवं ग्रम्हं सेयं, नो खलु एयं विमलवाहणस्स रण्णो सेयं, नो खलु एयं रज्जस्स वा रटुस्स वा वलस्स वा वाहणस्स वा पुरस्स वा अंते उरस्स वा जणवयस्स वा सेयं, जरणं विमलवाहणे राया समणेहिं निग्गथेहि मिच्छं विष्पडिवन्ने । तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं विमलवाहणं राय एयटुं विष्णवेत्तए तिकट्टु ग्रण्णमण्णस्स प्रतियं एयमदूं पडिसुणेहिति', पत्ता जेणेव विमलवाहणे राया तेणेव उवागच्छिहिति', उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु विमलवाहणं रायं जणं विजएणं वद्धावेहिति वद्धावेत्ता एवं वदिहिति एवं खलु देवाणुपिया ! समणेहिं निग्गयेहिं मिच्छं विप्पडिवन्ना अप्पेगतिए ग्रामसति जाव अप्पेगति निव्विस करेंति, तं नो खलु एयं देवाणुप्पियाणं सेयं, नो खलु एयं अहं सेयं, नो खलु एयं रज्जस्स वा जाव जणवयस्स वा सेयं, जण्णं देवाणपिया ! समणेहिं निम्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ना, तं विरमंतु णं देवाणुप्पिया एयस्स अट्ठस्स अकरणयाए ॥ १७५. तए णं से विमलवाहणे राया तेहिं वहूहिं राईसर तलवर माडंबिय कोडुंबिय - ७०० १. निव्भत्येहिति ( अ, क ); निभच्छेहिति (ख, ता) । २. रुभेहिति ( अ, ता, व, म) । ३. सं० पा०-- राईसर जाव वदिहिति । ४. आउस्लाइ ( बस ) 1 ५. पडिसुर्णेति ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) । ० ६. उवागच्छति ( अ, क, ख, ता, व, म, स) 1 ७. सं० पा०—करयल परिग्गहियं । ८. वृद्धावेति ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ६. वदति ( अ, क, ख, ता); वदासी (ब, म, स) । १०. सं० पा० – राईसर जाव सत्थवाह । Page #762 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं ७०१ इन्भ-सेट्ठि-सेणावइ ° -सत्थवाहप्पभिईहिं एयमटुं विण्णत्ते' समाणे नो धम्मो त्ति नो तवो त्ति मिच्छा-विणएणं एयमटुं पडिसुणेहिति ।। १७६. तस्स णं सयदुवारस्स नगरस्स वहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसोभागे, एत्थ णं सुभूमिभागे नामं उज्जाणे भविस्सइ --सब्बोउय-पुप्फ-फलसमिद्धे वष्णो । १७७. तेणं कालेणं तेणं समएणं विमलस्स अरहनो पयोप्पए' सुमंगले नाम अणगारे जाइसंपन्ने, जहा धम्मघोसम्म दण्णग्रो जाव संखित्तविउलतेयलेस्से तिन्नाणोवगए सुभूमिभागस्स उज्जाणरस अदूरसामते छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं' 'तवोकम्मेणं उड्ढं वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्भिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए ° पायावेमाणे विहरिस्सति ।। १७८. तए णं से विमलवाहणे राया अण्णदा कदायि रहचरियं काउं निज्जाहिति ।। १७६. तए णं से विमलवाहणे राया सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदुरसामंते रहचरियं माण सुमंगलं अणगारं छटुंछट्रेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिझिय सूराभिमुहं पायावणभूमीए ° पायावेमाणं पासिहिति, पासित्ता आसुरुत्ते' 'रुटे कुविए चंडिक्किए° मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अणगारं रहसिरेणं नोल्लावेहिति ।। १८०. तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणणं रण्णा रहसि रेणं नोल्लाविए समाणे सणियं-सणियं उ8 हेति, उद्वेत्ता दोच्चं पि उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय" 'सूराभिमुहे पायावणभूमीए ° अायावेमाणे विहरिस्सति ।। १८१. तए णं से विमलवाहणे राया सुमंगलं अणगारं दोच्चं पि रहसिरेणं नोल्ला वेहिति ॥ १८२. तए णं से सुमंगले अणगारे बिमलवाहणेणं रण्णा दोच्चं पि रहसिरेणं नोल्ला विए समाणे सणियं-सणियं उद्धेहिति, उतॄत्ता प्रोहिं पउंजेहिति, पउंजित्ता विमलवाहणस्स रण्णो तीतद्धं ग्राभोएहिति, प्राभोएत्ता विमलवाहणं राय एवं वइहिति नो खलु तुमं विमलवाहणे राया, नो खलु तुमं देवसेणे राया, नो खलु तुमं महाप उमे राया, तुमण्णं इनो तच्चे भवग्गहण गोसाले नामं मंखलिपुत्त होत्था-समणघायए जाव' छउमत्थे चेव कालगए, तं जइ ते तदा सव्वाणु भूतिणा अणगारेण पभुणा वि होऊणं सम्म सहियं खमियं तितिक्खियं अहिया१. विष्णविए (ता)। ७. आसुरत्ते (अ); सं० पा०—आसुरुत्ते जाव २. भ० १११५७ । मिसि । ३. पयोपए (ता)। ८. सं० पा०-पगिझिय जाव पासावेमाण। ४. भ० ११११६२; राय० सू० ६८६ । ६. भ० १५।१४१ । ५. सं० पा० - अरिणक्खित्तेणं जाब आयावेमाणे। १०. होइत्तणं (अ, ब); होइऊण (ख); होइऊरणं ६. सं० पा०-छटुंछट्टेणं जाव आयावेमारण। (म, स)। Page #763 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सियं, जइ ते तदा सुनक्खत्तेणं अणगारेणं पभुणा वि होऊणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खियं ग्रहियासिय, जइ ते तदा समणेण भगवया महावीरेणं पभुणा वि होऊणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खियं अहियासियं तं नो खलु ते ग्रहं तहा सम्भं सहिस्स' खमिस्सं तितिक्खिरसं अहियासिस्सं, ग्रहं ते नवरं --- सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाचं भासरासि करेज्जामि || १८३. तए णं से विमलवाहणे राया सुमंगलेणं अणगारेणं एवं वृत्तं समाणे आसुरु ' • रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अणगारं तच्च पि रहसिरेण नोल्लादेहिति || १८४. तए गं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रण्णा तच्च पि रहसिरेण नोल्लाविए समाणे प्रसुतं जाव मिसिमिसेमाणे प्राथावणभूमी पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता तेयासमुग्धारणं समोहणिहिति, समोहणित्ता सत्तट्ठ पयाई पच्चोसक्किहिति, पच्चोसक्कित्ता विमलवाणं राय सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं एगाहच्च कूडाहच्चं भासरासि करेहिति ॥ १८५. सुमंगले णं भंते ! अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव' भासरासि करेत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! सुमंगले अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासि करेत्ता बहूहि छट्ठट्ठम-दसम' - दुवालसेहिं मासमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पा भावेमाणे बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणेहिति, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए प्रत्ताणं भूसित्ता, सट्ठि भत्ताइं प्रणसणाए छेदेत्ता प्रालोइयपडिक्कते समाहिपत्ते उड्ढ चंदिम जाव गेविज्जविमाणावासस्यं वीड्वइत्ता सम्वसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ णं देवाणं प्रजहन्नमणुक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं सुमंगलस्स वि देवस्स जहन्नमणुक कोसे तेत्तीस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता | से णं भंते ! सुमंगले देवे ताम्रो देवलोगाम्रो” उक्खणं भवक्खएणं टिइक्खएणं प्रणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! • महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव" सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ॥ ७०२ o १. सं० पा० - सहियं जाव श्रहिया सियं । २. सं० पा०-- -वि जाव अहियासियं । ३. सं० पा० सहिस्सं जाव अहियासिस्सं । ४. सं० पा० - आसुरुते जाव मिसि । ५. सं० पा० - तेएणं जाव भासरासि । ६. भ० १५ १८४ 3 ७. सं० पा० -- दसम जाव विचितेहि । ८. अरण जाव ( अ, क, ख, ता, ब, स ) ६. भ० १५ १६५ । १०. सं० पा० -- देवलोगाओ जाव महाविदेहे । ११. भ० २१७३ । Page #764 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं १८६. विमलवाणे णं भंते ! राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहये जाव' भासरासीकए समाणे कहिं गच्छहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! विमलवाहणे णं राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहये जाव भासरासीकए समाणे ग्रसत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं ततो प्रणंतरं उब्वट्टित्ता मच्छेसु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्यवज्भे दाहवक्कतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि श्रसत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठियंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । सेणं प्रोणंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि मच्छेसु उववज्जिहिति । तत्थ णं वि सत्थवज्भे' 'दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा छट्टाए तमाए पुढवीए उसका इयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । १. भ० १५ १८४ । २. ०ट्टिईयंसि (ता, म) 1 ३. सं० पा० - सत्यवज्भे जाव किच्चा । सेणं तहिंतो अनंतरं उब्वट्टित्ता इत्थियासु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्थवज्भं दाह वक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पिछट्टाए तमाए पुढवीए उक्कोसकाल' द्विइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं तोहितो अनंतरं उब्वट्टित्ता दोच्चं पि इत्थियासु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्यवज्भे' 'दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा पंचमाए धूप्पभाए पुढवीए उक्कोसकाल' ट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं ततो प्रणंतरं • उव्वट्टित्ता उरणसु उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्भं दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि पंचभाए" धूमप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्टिइयंसि नरगंसि ने रइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं तोहितो अनंतरं • उव्वट्टित्ता दोच्चं पि उरएसु उववज्जिहिति" । "तत्थ विणं सत्थवज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालद्विइयंसि" नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं ततो श्रणंतरं • उन्बट्टित्ता सीहेसु उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्यवज्" दाहवक्कंतीए कालमासे काल • किच्चा दोच्च पि चउत्थीए पंक- o • ४. जाव (अ. क, ख, ता, ब, म, स ) । ५. सं० पा० - दाह जाव दोच्चं । ६. सं० पा० - उक्कोसकाल जाव उव्यट्टित्ता | ७. सं० पा०—सत्यवज्भे जाव किच्चा । ८. सं० पा० उक्कोसकाल जाव उच्चट्टित्ता । ७०३ 0 ६. सं० पा०१०. सं० पा० - ११. सं० पा० १२. सं० पा० - उक्कोसकालट्ठियसि उदित्ता | १३. सं० पा० तहेव जाव किच्चा । १४. सं० पा० – पंक जाव उव्वट्टित्ता | सत्यवज्भे, जाव किच्चा । पंचमाए जाव उव्वट्टित्ता । उबवज्जिहिति जाव किच्चा | जाव Page #765 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०४ भगवई प्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि ने रइयत्ताए उववज्जिहिति । से ण तोहितो अणंतरं° उबट्टित्ता दोच्चं पि सीहेसु उववज्जिहिति' । 'तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवकंतीए कालमासे कालं किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसकाल टिश्यंसि नरगंसि नेर इयत्ताए उववज्जिहिति । सणं ततो अणंतरं उवट्टित्ता पक्खीसु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि तच्चाए वालुय'प्पभाए पुढवीए उक्कोसकालढिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं तोणंतरं ° उध्वट्टित्ता दोच्चं पि पक्खीसु उववज्जिहिति। तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चाए सक्करप्पभाए' •पढवीए उक्कोसकाल द्विइयंसि नरगंसि नेर इयत्ताए उववज्जिहिति । से णं ततो अणंतरं° उव्वट्टित्ता सिरीसवेसु उववज्जिहिति। तत्थ विणं सत्थ वझे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं° किच्चा दोच्चं पि दोच्चाए सक्करप्पभाए' 'पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि ने रइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं तोणंतरं° उवट्टित्ता दोच्चं पि सिरीसवेसु उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहबक्कतीए काल मासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से ण ततो अणंतरं° उव्वट्टित्ता सण्णीसु उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवझे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा असण्णीसु उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्झ२ 'दाहवक्कंतीए कालमासे कालं° किच्चा दोच्चं पि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पलिअोवमरस असंखेज्जइभागदिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से गं ततो अणंतरं" उव्वट्टित्ता जाइं इमाइं खहयरविहाणाई भवंति, तं जहाचम्मपक्खोणं, लोमपक्खीणं, समुगपक्खीणं, विययपक्खीणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थैव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाबक्कंतीए कालमास काल किच्चा जाइं इमाई १. सं० पा०-उववज्जिहिति जाव किच्चा । ८. सं० पा०--सक्करप्पभाए जाव उब्यटिता। २. ० पा०-उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता। ६. सं० पा० -- उववज्जिहिति जाव किच्चा। ३. सं० पा०—सत्थवज्झे जाव किच्चा। १०. सं० पा०-उववज्जिहिति जाव उध्वद्रित्ता। ४. सं० पा०-वालय जाव उव्वट्टित्ता। ११. सं० पा.--सत्थवज्झे. जाव किच्चा। ५. सं० पा० -उववज्जिहिति जाव किच्चा । १२. सं० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा। ६. सं० पा० ---सक्करप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता । १३. जाब (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ७. सं० पा०-सत्थ जाव किच्चा । Page #766 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यन्नरसमं सतं भुयपरिसम्पविहाणाई भवंति तं जहा गोहाणं, नउलाणं, जहा पण्णवणापए जाव' जागाणं चउप्पाइयाणं, तेसु अणेगसय सहस्सखुत्तो' 'उद्दाइत्ता- उद्दाइत्ता तत्थेव तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पन्चायाहिति । O सव्वत्थ विणं सत्यवज्भे दाहवक्कतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाई उरपरिसम्पविहाणाई भवंति तं जहा -ग्रहीणं, अयगराणं, आसालियाणं, महोरगाणं, तेसु प्रणेगसयसह स्सखुत्तो उद्दात्ता - उद्दाइत्ता तत्थेव तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ विणं सत्यवज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाई चउपदविहाणारं भवति, तं जहा- एगखुराणं, दुखुराणं, गंडीपदाणं, सणहप्पदा", तेसु अणेगसयसहस्स' खुत्तो उद्दाइत्ता- उद्दाइत्ता तत्थेव तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ विणं सत्यवज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाई जलयरविहाणारं भवति, तं जहा-मच्छाणं, कच्छभाणं जाव' सुंसुमाराणं, तेसु अगसय सहस्स' खुत्तो उदाइत्ता- उद्दाइत्ता तत्थेव तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चाया हिति । १. प० १ । २. सं० पा०सेसं जहा खहचराणं जाव किच्चा | सव्वत्थ विणं सत्थवज्भे दाहवक्कतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाई चउरिदिय विहाणारं भवंति तं जहा -ग्रंधियाणं, पोत्तियाणं, जहा पण्णवणापदे जाव' गोमय कीडाणं, तेसु अणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता उद्दाइत्ता तत्थेव - तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायाहिति । O सव्वत्थ विणं सत्यवज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाई तेदिविहाणारं भवति, तं जहा - उवचियाणं जाव" हत्थिसोडाणं, तेसु अणेग" सयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता- उद्दाइत्ता तत्थेव तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायाहिति ॥ सव्वत्थ विणं सत्यवज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाई इंदविहाणारं भवति, तं जहा -- पुलाकिमियाणं जाव समुद्दलिक्खाणं, तेसु ३. सं० पा० - प्रणेगसयसह जाव किच्चा | ४. सहफदा ( अ, ता, स) । ५. सं० पा०-- अगस्यसहस्स जाव किच्चा । ६. प० १ । ७०१ ७. सं० पा० - अणेगसयसहस्स जाव किच्चा । ८. ५०१ । ६. सं० पा० - अगस्य जाव किच्चा । १०. ५० १ । ११. सं० पा० - अग जाव किच्चा । १२. १०१ । Page #767 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७०६ भगवई अणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा • जाई इमाई वणस्सइविहाणाई भवंति, तं जहा... रुक्खाणं, गुच्छाणं जाव' कुहणाणं, तेसु अणेगसय सहस्सख्त्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भज्जो-भुज्जो पच्चायाइस्सइ-उस्सन्नं च णं कडुयरुक्खेसु, कडुयवल्लीम् । सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे 'दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाई बाउक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा-पाईणवायाणं जाव' सुद्धवायाणं तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाई तेउक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा-इंगालाणं जाव सूरकंतमणिनिस्सियाणं, तेसु अणेगसयसहस्स"खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाई आउक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा-पोसाणं जाव" खातोदगाणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाइस्सइ --उस्सन्नं च णं खारोदएमु खत्तोदएसु। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे 'दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाइं पुढविक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा- पुढवीणं, सक्कराणं जाव" सूरकंताणं, तेसु अगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो' पच्चायाहिति–उस्सन्नं च णं खरबायर पढविक्काइएस। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं ° किच्चा रायगिहे नगरे बाहिं खरियत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्झे' दाहवक्कंतीए १. सं० पा.. -अगसय जाब किच्चा । १. सं० पा०--अगसयसहस्स जाव किच्चा। २. ५०१ १०. उस्साणं (क, ख, ब)। ३. सं० पा०-अणेगसय जाव पच्चायाइस्सइ। ११. प०१ । ४. सं० पा.---सत्थवज्झे जाव किच्चा। १२. सं० पा०-सत्थवज्झे, जाव च्चिा। ५. 'दाहवक्कंतीए' इति पाठः क्वचिद् युज्यते, १३. प०१। किन्तु सर्वत्र प्रवाहपाती दृश्यते । १४. सं० पा०-- अरणेगसय जाव पच्चायाहिति । ६. प०१। १५. सं० पा० ---सत्थवज्झे जाव किच्चा। ७. सं० पा०-अगोगसयसहस्स जाव किच्चा । १६. सं० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा। ८, पृ० १ । Page #768 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्नरसमं सतं कालमासे कालं • किच्चा दोच्चं पि रायगिहे नगरे अंतो खरियत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे काल: किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले बेभेले सण्णिवेसे माहणकुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहिति ! तए गं तं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिरूवएणं' सुक्केणं, पडिरूवएणं विणएणं, पडिरूवयस्स भत्तारस्स भारियत्ताए दलइस्सति । सा णं तस्स भारिया भविस्सति-इट्ठा कंता जाव' अणुमया, भंडकरडगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया, चेलपेडा इव सुसंपरिग्गहिया, रयणकरडअो विव सुसारक्खिया, सुसंगोविया, मा णं सीयं, मा णं उण्हं जाव' परिसहोवसग्गा फुसंतु । तए णं सा दारिया अण्णदा कदायि गुब्विणी ससुरकुलाओ कुलघरं निज्जमाणी अंतरा दवग्गिजालाभिया कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु अग्गि कुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति। से णं तमोहितो अणंतरं उध्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पव्वइहिति । तत्थ वि य णं विराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु असुरकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति । से णं तओहितो अणंतरं" उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं "लभिहिति, लभित्ता केवलं बोहि बुज्झिहिति, वुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पव्वइहिति । तत्थ वि य णं विराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु नागकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति । से णं तमोहितो अणंतरं एवं एएणं अभिलावेणं दाहिणिल्लेसु सुवण्णकुमारेसु, एवं विज्जुकुमारेसु, एवं अग्गिकुमारवज्ज जाव दाहिणिल्लेसु थणियकुमारेसु । से णं 'तोहितो अणंतरं' उवट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति" 'लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिति । तत्थ वि य णं विराहियसामण्णे जोइसिएसु देवेसु उववज्जिहिति। से णं तमोहितो अणंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति", 'लभित्ता १. सं० पा० -सस्थवज्झे जाव किच्चा। २. पडिरूविएणं (अ, क, ख, ता, ब, म) सर्वत्र। ३. भ० २।५२ । ४. भ० २१५२। ५. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६. सं० पा०-तं चेव जाव तत्थ । ७. अग्गिकुमार (ता)। ८. पू०प०२। ६. तओ जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १०. सं० पा०-लभिहिति जाव विराहियसा मण्णे। ११. सं० पा०—लभिहिति जाव अविराहिय सामण्णे। Page #769 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22061 भगवई hai बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइहिति । तत्थ वि य णं • श्रविराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति' । सेणं तहिंतो अनंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति । तत्थ वि णं विराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा सणकुमारे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति । से णं तत्रहितो एवं जहा सणकुमारे तहा बंभलोए, महासुक्के, प्राणए, आरणे । से णं तोहितो अनंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति, लभित्ता केवलं बोहि बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिति । तत्थ वियणं अविराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा सव्वसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । से णं तोहितो प्रणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाई इमाई कुलाई भवंति - अड्ढाई जाव अपरिभूयाई, तहप्पगारे कुलेसु पुत्तत्ताए पच्चायाहिति, एवं जहा श्रववाइए दढम्पइण्णवत्तव्वया सच्चेववत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा जाव' केवलवरनाणदंसणे समुप्पज्जिहिति || १८७. तए णं से दढप्पइणे केवली अप्पणो तीतद्धं ग्राभोएहिइ, आभोत्ता सम निगं सद्दावेहिति सद्दावेत्ता एवं वदिहिइ एवं खलु अहं प्रज्जो ! इश्रो चिरातीयाए श्रद्धाए गोसाले नाम मंखलिपुत्ते होत्या समणघायए जाव' छउमत्थे चेव कालगए, तम्मूलगं च णं अहं अज्जो ग्रणादीयं प्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियट्टिए, तं मा णं अज्जो ! 'तुब्भं केयि भवतु आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए ग्रायरियउवज्झायाणं अयसकारए श्रवणकार कित्तिकारए, माणं से वि एवं चेव ऋणादीयं श्रणवद * दीहमद्धं चाउरंत संसारकंतारं प्रणुपरियट्टिहिति, जहा णं श्रहं ॥ ७ १. अतो अग्रे 'म, स' सङ्केतितादर्शयोः निम्नवर्ती पाठो विद्यते -- 'से णं तओहितो अनंतरं चयं चइत्ता माणुस विग्यहं लभिहिति, केवलं बोहि बुज्झिहिति, तत्थ वि य णं अविरहियसामणे कालमासे कालं किच्चा ईसाले कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति', किन्तु सौधर्मादिदेवलोकेषु सप्तभवादृश्यन्ते - षट्सु दाक्षिणात्येषु कल्पेषु सर्वार्थसिद्धेषु च तेन ईशानकल्पस्य पाठ : न संगच्छते । २. सं० पा० - ओहिंतो जाव अविराहियसामण्णे । ३. ओ० सू० १४१ । ४. मत्ताए ( ब ) ! ५. ओ० सू० १४२-१५३ । ६. भ० १५।१४१ । ७ तुमं केवि (ता ) ! ८. सं० पा० - अपवदगं जाव संसार | Page #770 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पन्तरसमं सतं १८८. तए णं ते समणा निग्गंथा दढप्पइण्णस्स केवलिस्स अंतियं एयमटुं सोच्चा निसम्म भीया तत्था तसिया संसारभउव्विग्गा दढप्पइण्णं केवलि वंदिहिति नमंसिहिति, वंदित्ता नमंसित्ता तस्स ठाणस्स आलोएहिति' पडिक्कमिहिति निदिहिति जाव' अहारियं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवजिहिंति॥ १८६. तए णं से दढप्पइण्णे केवली बहुइं वासाइं केवलिपरियागं पाउणिहिति, पाउणित्ता अप्पणो अाउसेसं जाणेत्ता भत्तं पच्चक्खाहिति, एवं जहा अोववाइए जाव' सव्वदुक्खाणमंतं काहिति ॥ १६०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। १. आलोइएहिति (स)। २. भ०८।२५१ । ३. प्रो० सू० १५४॥ ४. भ० ११५१ । Page #771 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १. अहिगरणि २. जरा ३. कम्मे, ४. जावतियं ५. गंगदत्त ६. सुमिणे य । ७. उप्रोग८. लोग बलि १०. ओहि, ११. दीव १२. उदही १३. दिसा१४. थणिते । १ । वाउयाय-पदं २. ३. ४. सोलसमं सतं पढमो उद्देसो तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी - प्रत्थि णं भंते ! अधिकरणसि वाउयाए वक्कमति ? १. बलि (क, ब ) ; पलि (ता) | २. थरिया (ता, स ) 1 हंता प्रत्थि || से भंते ! किं पुट्टे उद्दाइ ? अपुट्ठे उद्दाइ ? गोयमा ! पट्टे उद्दाइ, नो पुट्ठे उद्दाइ ॥ से भंते ! किं ससरीरी निवखमइ ? ग्रसरीरी निक्खमइ ? • गोमा ! सिय ससरीरी निवखमइ, सिय असरीरी निक्खमइ || से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - सिय ससरीरी निवखमड़, सिय असीरी निक्खमइ ? गोमा ! वाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा मोरालिए, वे विए, तेयए, कम्मए । ओरालिय-वेउब्वियाई विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - सिय ससरीरी निवखमइ, सिय सरीरी निक्खमइ ॥ ३. भ० ११४-१० । ४. सं० पा० एवं जहा खंदए जाव से तेणद्वेणं नो असरीरी निक्खभइ; स्पृष्टः स्वकायशस्त्रादिना सशरीरश्च कडेवरान्निष्क्रामति ७१० काणाद्यपेक्षया श्रीदारिकाद्यपेक्षया त्वशरीरीति (वृ) ; पूरितः पाठः अस्य वृत्तिव्याख्यानस्य संवादी वर्तते । आदर्शानां संक्षिप्तपाठे 'नोअसरीरी' ति पाठो लभ्यते । असौ वृत्तिव्याख्यानात् भिन्नोस्ति । Page #772 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (पढमो उद्देसो) ७११ अगणिकाय-पदं ५. इंगालकारियाए णं भंते ! अगणिकाए केवतियं कालं संचिट्ठइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि राइंदियाइं । अण्णे वि तत्थ वाउयाए वक्कमति, न विणा वाउयाएणं अगणिकाए उज्जलति ।। कतिकिरिय-पदं पुरिसे णं भंते ! अयं अयकोटुंसि अयोमएणं संडासएणं उबिहमाणे वा पविहमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे अयं अयकोटुंसि अयोमएणं संडासएणं उविहति वा पविहति वा, तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव' पाणाइवायकिरियाएपंहिं किरियाहिं पुढे, जेसि पि ण जीवाणं सरीरेहितो भए निव्वत्तिए, अयकोट्टे निव्वत्तिए, संडासए निव्वत्तिए, इंगाला निव्वत्तिया, इंगालकड्ढणी निव्वत्तिया, भत्था निव्वत्तिया, ते वि णं जीवा काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए-पंचहि किरियाहि पुट्ठा। परिसे णं भंते ! अयं अयकोटामो प्रयोमएणं संडासएणं गहाय अहिकरणिसि उक्खिव्वमाणे वा निक्खिव्वमाणे वा कतिकिरिए? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे अयं अयकोद्वानो प्रयोमएणं संडासएणं गहाय अहिकरणिसि उक्खिवइ वा निक्खिवइ वा तावं च णं से परिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए-पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसि पि णं जीवाणं सरीरहितो अयो निव्वत्तिए, संडासए निव्वत्तिए, चम्मेद्वे निव्वत्तिए, मुदिए निव्वत्तिए, अधिकरणी निव्वत्तिया, अधिकरणिखोडी निव्वत्तिया, उदगदोणी निव्वत्तिया, अधिकरणसाला निव्वत्तिया, ते वि णं जोवा काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए--पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ।। अधिकरणी-अधिकरण-पदं ८. जीवे णं भंते ! कि अधिकरणी ? अधिकरणं? गोयमा ! जीवे अधिकरणी वि, अधिकरणं पि ।। ६. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवे अधिकरणी वि, अधिकरणं पि? १. भ० ११३६५ । २. सं० पा०-अयकोट्राओ जाव निक्खिवइ । Page #773 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१२ भगवई गोयमा ! अविरति पडुच्च । से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं वृच्चइ -- जीवे अधिकरणी व अधिकरणं पि ॥ 1 १०. नेरइए णं भंते ! किं अधिकरणी ? अधिकरणं ? गोमा ! अधिकरणी वि, अधिकरणं पि । एवं जहेव जीवे तहेव नेरइए वि । एवं निरंतरं जाव' वैमाणिए || ११. जीवे णं भंते ! किं साहिकरणी ? निरहिकरणी' ? गोयमा ! साहिकरणी, नो निरहिकरणी || १२. से केणद्वेणं पुच्छा । गोयमा ! श्रविरति पडुच्च । से तेणट्टेणं जाव तो निरहिकरणी । एवं जाव मणि ॥ १३. जीवे णं भंते ! कि प्रायाहिकरणी ? पराहिकरणी ? तदुभयाहिकरणी ? गोयमा ! श्रायाहिकरणी वि, पराहिकरणी वि, तदुभयाहिकरणी वि ॥ १४. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ- जाव तदुभयाहिकरणी वि ? गोयमा ! अविरति पडुच्च । से तेणद्वेणं जाव तदुभयाहिकरणी वि । एवं जाव वैमाणिए || १५. जीवाणं भंते ! अधिकरणे किं श्रायव्ययोगनिव्वत्तिए ? परप्पयोगनिव्वत्तिए ? तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिए ? गोमा ! श्रयपयोगनिव्वत्तिए वि, परप्पयोगनिव्वत्तिए वि तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिए वि ॥ १६. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ ? गोयमा ! अविरति पहुच्च । से तेणद्वेणं जाव तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिए वि । एवं जाव वैमाणियाणं ॥ १७. कति णं भंते ! सरीरंगा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच सरीरंगा पण्णत्ता, तं जहा --- प्रोरालिए, तेय, कम्मए ॥ १८. कति णं भंते! इंदिया पण्णत्ता ? गोमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता, तं जहा- सोइंदिए, चक्खिदिए, घाणिदिए, रसिदिए, फार्सिदिए || १६. कतिविहे णं भंते! जोए पण्णत्ते ? गोमा ! तिविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा - मणजोए, वइजोए, कायजोए ॥ १. सं० पा० - तेणट्टेणं जाव अधिकरणं । २. पू० प० २ । ३. निराधिकरणी (प्र, ख, ता, ब, स ) 1 वेउब्विए, ग्राहारए, ४. सं० पा० - ओरालिए जाव कम्मए । ५. सं० पा०-- सोइंदिए जाव फार्सिदिए । Page #774 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (बीओ उद्देसो) ७१३ २०. जीवे णं भंते ! ओरालियस रीरं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी ? अधिकरणं ? गोमा ! अधिकरणी वि, अधिकरणं पि ॥ २१. सेकेणणं भंते ! एवं बुच्चइ - अधिकरणी वि, अधिकरणं पि ? गोयमा ! अविरति पडुच्च । से तेणद्वेणं जाव अधिकरणं पि ॥ २२. पुढविकाइएण णं भंते ! प्रोरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी ? अधिकरणं ? एवं चैव । एवं जाव मणुस्से । एवं वेउब्वियसरीरं पि, नवरं -- 'जस्स प्रत्थि " ॥ २३. जीवे णं भंते ! आहारगसरीरं निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी - पुच्छा | गोयमा ! अधिकरणी वि, अधिकरणं पि ॥ २४. से केणद्वेणं जाव अधिकरणं पि ? गोयमा ! पमायं पडुच्च । से तेणट्टेणं जाव अधिकरणं पि । एवं मणुस्से वि । तेयासरीरं जहा प्रोरालियं, नवरं सव्वजीवाणं भाणियव्वं । एवं कम्मगसरीरं पि ॥ २५. जीवे णं भंते! सोइंदियं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी ? अधिकरणं ? एवं जहेव प्रोरालियस रीरं तहेव सोइंदियं पि भाणियव्वं, नवरं जस्स श्रत्थि सोइंदियं । एवं चक्खिदियघाणिदिय जिब्भिदिय- फासिदियाण वि, नवरं -- जाणियन्वं जस्स जं प्रत्थि || २६. जीवे णं भंते ! मणजोगं निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी ? अधिकरणं ? एवं जहेब सोइंदियं तहेव निरवसेसं । वइजोगो एवं चैव, नवरं - एगिदियवज्जाणं । एवं कायजोगो वि, नवरं सव्वजीवाणं जाव वेमाणिए । २७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ बीओ उद्देसो जीवाणं जरा-सोग-पदं २८. रायगिहे जाव एवं वयासी- जीवाणं भंते ! किं जरा ? सोगे ? गोयमा ! जीवाणं जरा वि, सोगे वि ॥ १० जस्सत्थि ( अ ) | २. एवं सोइंदिय ( अ, क, ख, ता, ब, म) । ३. भ० १५१ । ४. भ० ११४-१० Page #775 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१४ २६. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ' - जीवाणं जरा वि०, सोगे वि ? I गोयमा ! जेणं जीवा सारीरं वेदणं वेदेति तेसि णं जीवाणं जरा, जे गं जीवा माणसं वेदणं वेदेति तेसि णं जीवाणं सोगे । से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ - जीवाणं जरा त्रि, सोगे वि । एवं नेरइयाण वि । एवं जाव' थणियकुमाराणं ॥ ३०. पुढविकाइयाणं भंते ! किं जरा ? सोगे ? गोयमा ! पुढविकाइयाणं जरा, तो सोगे ॥ ३१. से केणट्टेणं" "भंते ! एवं वुच्चइ -- पुढविकाइयाणं जरा, नो सोगे ? गोमा ! पुढविकाइया णं सारीरं वेद णं वेदेति, नो माणसं वेदणं वेदेति । से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं बुच्चइ - पुढविकाइयाणं जरा, नो सोगे । एवं जाव चउरिदियाणं । सेसाणं जहा जीवाणं जाव वेमाणियाणं ॥ ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव' पज्जुवासति ।। सक्क्स्स प्रोग्गह- अणुजाणणा-पदं ३३. तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के देविदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे जाव दिव्वाइ भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ । इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विपुलेणं श्रहिणा भएमा आभोएमाणे पासति, 'एत्थ णं'" समणं भगवं महावीरं जंबुद्दी दीवे । एवं जहा ईसाणे तइयसए तहेव सक्के वि, नवरं - अभियोगे सहावेति, 'हरी पायत्ताणियाहिवई',' सुघोसा" घंटा, पालो विमाणकारी, पालगं विमाणं, उत्तरिल्ले निज्जाणमग्गे, दाहिणपुरत्थिमिल्ले" रतिकरपव्वए, सेसं तं चैव जाव" नामगं सावेत्ता पज्जुवासति । धम्मकहा जाव परिसा पडिगया || ३४. तए गं से सक्के देविंदे देवराया समणस्स भगवओो महावीरस्स अंतियं धम्मं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - कतिविहे णं भंते ! श्रोग्गहे पण्णत्ते ? १. सं० पा० - वुच्चइ जाव सोमे । २. सं० पा० -- तेरखट्टेणं जाव सोगे । ३. पू० प० २ । ४. सं० पा०- --केण जाव जरा । ५. सं० पा०—तेणट्टेणं जाव नो । ६. भ० १।५१ । ७. भ० ३।१०६ । भगवई ८. यत्थ (क, ख, ब); यत्था (ता) | ६. पायत्ताणियाहिवई हरी ( ख ); हरी य पाय ( ब ) 1 १०. सुधोस णं ( ता ) । ११. दाहिपिल्ले ( ता ) | १२. भ० ३।२७ । १३. प्रो० सू० ७१ ७६ । Page #776 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (बीओ उद्देसो) ७१५ सक्का ! पंचविहे ओग्गहे पण्णत्ते, तं जहा-देविंदोग्गहे, रायोग्गहे, गाहावइप्रोग्गहे, सागारियोग्गहे, साहम्मिोग्गहे। जे इमे भंते । अज्जत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति एएसि णं प्रोग्गहं अणुजाणामीति कटु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तमेवर दिव्वं जाणविमाणं द्रुहति, द्रुहित्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए। सक्क-संबंधि-वागरण-पदं ३५. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-जण्णं भंते ! सक्के देविदे देवराया तुम्भे एवं वदइ, सच्चे णं एसमढे ? हंता सच्चे ।। ३६. सक्के गं भंते ! देविदे देवराया कि सम्मावादी ? मिच्छावादी ? गोयमा ! सम्मावादी, नो मिच्छावादी ॥ ३७. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि सच्चं भासं भासति ? मोसं भासं भासति ? सच्चामोसं भासं भासति ? असच्चामोसं भासं भासति ? गोयमा ! सच्चं पि भासं भासति जाव असच्चामोसं पि भासं भासति ।। ३८. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि सावज्ज भासं भासति ? अणवजं भासं भासति? गोयमा ! सावज्ज पि भासं भासति, अणवज्जं पि भासं भासति ।। ३६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइसक्के देविदे देवराया सावज्ज पि भासं भासति°, अणवज्ज पि भासं भासति ? गोयमा ! जाहे णं सक्के देविदे देवराया सुहमकायं अणिज्जहित्ता णं भास भासति ताहे णं सक्के देविदे देवराया सावज्जं भासं भासति, जाहे णं सक्के देविदे देवराया सुहुमकायं निज्जूहित्ता णं भासं भासति ताहे णं सक्के देविदे देवराया अणवज्ज भासं भासति । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ---सक्के देविदे देवराया सावज्ज पि भासं भासति, अणवज्ज पि भासं° भासति ।। ४०. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया किं भवसिद्धीए ? अभवसिद्धीए ? सम्मदिवीए ? मिच्छदिट्ठीए ? परित्तसंसारिए ? अणंतसंसारिए ? सुलभबोहिए ? दुल्लभबोहिए ? पाराहए ? विराहए? चरिमे ? अचरिमे ? १. साहम्मियओग्गहे (अ, स)। २. तामेव (ता, म)। ३. तुब्भे णं (अ, म)। ४. एतमढे (ता)। ५. सं० पा०-सावज्जं पि जाव अरणवज्ज । ६. अणिजूहित्ता (अ)। ७. सं० पा०---तेरणट्रेणं जाव भासति । Page #777 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१६ चेय-श्रचेयकड-कम्म-पदं ४१. जीवाणं भंते ! किं चेयकडा' कम्मा कज्जंति ? अचेयकडा कम्मा कज्जंति ? गोयमा ! जीवाणं चेयकडा कम्मा कज्जंति, नो अचेयकडा कम्मा कज्जंति ॥ सेकेणणं भंते ! एवं वृच्चइ' - जीवाणं चेयकडा कम्मा कज्जंति, नो अचेयकडा कम्मा० कज्जंति ? ४२. भगवई गोयमा ! सक्के णं देविदे देवराया भवसिद्धीए, नो अभवसिद्धीए । सम्मदिट्ठीए, नो मिच्छदिट्ठीए । परित्तसंसारिए, नो प्रणतसंसारिए । सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए। प्राराहए, नो विराहए। चरिमे, तो अचरिमे । एवं जहा मोउदेसए सणकुमारे जाव' नो अरिमे ।। गोयमा ! जीवाणं आहारोवचिया पोग्गला, बोंदिचिया पोम्गला, कलेवरचिया पोग्गला तहा तहा णं ते पोग्गला परिणमंति, नत्थि श्रचेयकडा कम्मा समणाउसो ! दुट्ठाणेसु, दुसेज्जासु, दुन्निसीहियासु तहा तहा णं ते पोग्गला परिणमति, नत्थि अयकडा कम्मा समणाउसो ! आयंके से वहाए होति, संकप्पे से वहाए होति, मरणंते से वहाए होति तहा तहा णं ते पोग्गला परिणमंति, नत्थचेयकडा कम्मा समणाउसो ! से तेणद्वेणं' गोयमा ! एवं वृच्चइकम्मा कज्जति । एवं जीवाणं वेयकडा कम्मा कज्जति, नो अचेयकडा नेरइयाणवि । एवंजाव' वेमाणियाणं || ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ तइओ उद्देसो कम्म-पदं ४४. रायगिहे जाव' एवं क्यासी - कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ, तंजहा - नाणावरणिज्जं जाव' अंतराइयं, एवं जाव" वेमाणियाणं ॥ १. भ० ३।७३ । २. चैत ० ( ब ) । ३. चंदे (ता) | ४. सं० पा० – बुच्चइ जाव कज्जति । ५. सं० पा०—तेगट्टेणं जाव कज्जति । ६. पू० १० २ । ७. भ० ११५१ ८. भ० ११४-१० ६. भ० ६१३३ । १०. पृ० प० २ 11 Page #778 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (तइओ उद्देसो) ४५. जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्ज कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ वेदेति ? गोयमा ! अट्ट कम्मप्पगडीओ--एवं जहा पण्णवणाए वेदावे उद्देसनो' सो चेव निरवसेसो भाणियब्वो। वेदाबंधों वि तहेव, बंधावेदो' वि तहेव, बंधाबंधो' वि तहेव भाणियव्वो जाव वेमाणियाणं ति ॥ ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। अंसिया-छेदणे वेज्जस्स किरिया-पदं ४७. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदायि रायगिहाम्रो नगरायो गुणसिलामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडि निक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। ४८. तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्लुयतीरे नामं नगरे होत्था–वण्णो । तस्स णं उल्लुयतो रस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसिभाए, एत्थ णं एगजंबुए' नाम चेइए होत्था-वपणनो। तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदायि पुवाणुपुदि चरमाणे 'गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे एगजंबए समोसढे जाव परिसा पडिगया ॥ ४६. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो छटुंछट्ठणं अणिक्खित्तेणं" 'तवोकम्मेणं उड्ढे बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिझिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए. पायावेमाणस तस्स णं पुरथिमेणं अवड्ढे दिवसं नो कप्पति हत्थं वा पादं वा बाहं वा ऊरु आउंटावेत्तए" वा पसारेत्तए वा, पच्चत्थिमेणं से अवड्ढे दिवसं कप्पति हत्थं वा" •पादं वा बाहं वा ऊरुं वा आउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा । तस्स णं अंसियानो लंबंति । तं च वेज्जे अदक्खु । ईसि पाडेति, पाडेत्ता अंसियाम्रो छिदेज्जा । से नणं भंते ! जे छिदति तस्स किरिया कज्जति, जस्स छिज्जति नो तस्स किरिया कज्जति, पण्णत्थेगेणं धम्मंत राएणं' ? १. ५०२७ । ७. एगजंबूए (स)। २. प० २६। ८. ओ० सू०२-१३। ३. ८० २५। ६. सं० पा०-चरमाणे जाव एगजंबुए । ४. प० २४ । १०. भ० १३७७। ५. इह संग्रहगाथा क्वचिद् श्यते-- ११. सं० पा०—अरिणक्खित्तणं जाव आयावे. वेयावेओ पढमो, वेयाबंधो य बीयओ होइ। माणस्स। बंधावेग्रो तइओ, चउत्यओ बंधबंधो उ ॥ १२. पाउंट्टा (क, ता); आउट्टा (स)। (वृ) । १३. सं० पा०—हत्थं वा जाव ऊरु । ६. ओ० सू०१। १४. ० राइएणं (स)। Page #779 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१८ भगवई हंता गोयमा ! जे छिदति' 'तस्स किरिया कज्जति, जस्स छिज्जति नो तस्स किरिया कज्जति, णण्णत्थेगेणं° धम्मंतराएणं ।। ५०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति।। चउत्थो उद्देसो नेरइयाणं निज्जरा-पदं ५१. रायगिहे जाव' एवं वासी जावतियं णं भंते ! अन्नगिलायए समणे निग्गंथे कम्म निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वासेण वा वासेहि वा वाससएण' वा खवयंति ? नो इणद्वे समहूँ। जावतियं णं भंते ! चउत्थभत्तिए समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वाससएण वा वाससएहि वा वाससहस्सेण वा खवयंति ? नो इणढे समढे । जावतियं णं भंते ! छट्ठभत्तिए समणे निग्गंथे कम्म निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वाससहस्सेण वा वाससहस्सेहिं वा वाससयसहस्सेण वा खवयंति ? नो इणट्टे समढें । जावतियं णं भंते ! अट्ठमभत्तिए समणे निम्गंथे कम्मं निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वाससयसहस्सेण वा वाससयसहस्सेहिं वा वासकोडीए वा खवयंति ? नो इणद्वे सम8 ।। जावतियं णं भंते ! दसमभत्तिए समणे निग्गंथे कम्म निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वासकोडीए वा वासकोडीहिं वा वासकोडाकोडीए वा खवयंति? नो इण? समढें ॥ ५२. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ---जावतियं अन्नगिलायए समणे निग्गंथे कम्म निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वासेण वा वासेहि वा वाससएण वा नो खवयंति, जावतियं चउत्थभत्तिए–एवं तं चेव पुब्वभणियं उच्चारेयव्वं जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति ? १. सं० पा०—छिदति जाव धम्मतराएणं । २. भ. ११५१ ३. भ० १।४।१०। ४. वाससएहिं (अ, क, ता, म, स)। ५. वाससहस्सेहिं (क, ता, ब)। Page #780 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमें सतं (चउत्थो उद्देसो) ७१६ गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे जुण्णे जराजज्जरियदेहे सिढिलतयावलितरंग-संपिणद्धगत्ते' पविरल-परिसडिय-दंतसेढी उण्हाभिहए तण्हाभिहए आउरे झुसिए' पिवासिए दुब्बले किलते एगं महं कोसंव-गंडियं सुक्क' जडिलं गंठिल्लं चिक्कणं वाइद्धं अपत्तियं मुंडेण परसुणा अक्कमेज्जा, तए णं से पुरिसे महंताईमहंताई सद्दाई करेइ, नो महंताई-महंताई दलाइं अवद्दालेइ, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माई गाढीकयाई, चिक्कणीकयाई, सिलिट्ठीकयाई, खिलीभूताई भवंति । संपगाढं पि य णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिज्जरा नो महापज्जवसाणा भवति। से जहानामए केइ पुरिसे अहिकरणि पाउडेमाणे महया - महया सद्देणं, महयामहया घोसेणं, महया-महया परंपराघाएणं नो संचाएइ, तीसे अहिगरणीए केइ अहाबायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पाबाई कम्माइं गाढीकयाई, चिक्कणीकयाइं, सिलट्ठीकयाई खिलीभूताइं भवति । संपगाढं पि य णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिज्जरा' नो महापज्जवसाणा भवंति । से जहानामए केइ पुरिसे तरुण बलवं जाव' मेहावी नि उणसिप्पोवगए एग महं सामलि-गंडियं उल्लं अजडिलं अगंठिल्लं अचिक्कणं अवाइद्धं सपत्तियं तिक्खेण परसुणा अक्कमेज्जा, तए णं से पुरिसे नो महंताई-महंताई सद्दाई करेति, महंताई-महंताई दलाइं अवद्दालेति, एवामेव गोयमा ! समणाणं निगंथाणं अहाबादराई कम्माई सिढिलीकयाई, निट्टियाइं कयाई, विप्परिणामियाई खिप्पामेव परिविद्धत्थाइं भवंति जावतियं तावतियं •पि णं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्ज रा° महापज्जवसाणा भवंति । से जहा वा केइ पुरिसे सुक्कतणहत्थगं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा- से नूणं गोयमा ! से सुक्के तणहत्थगए जायतेयं सि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति ? हंता मसमसाविज्जति । एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहावायराइं कम्माइं, सिढिलीकयाइं, निट्ठियाइं कयाइं, विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति । जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं वेदेभाणा महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवंति । १. संविण ° (ख, ता)। ६. सं० पा० महया जाव नो। २. झुझितं (क, ख, म); जुज्झिते (ब); मूरितः ७. भ० १४१३ ! इति टीकाकार: (वृ)। ८. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. सुक्खं (अ, ख, ता, ब)। ६. सं० पा०-तावतियं जाव महापज्जवसाणा। ४. जटिलं (अ)। १०. सं० पा.---एवं जहा छ?सए तहा अयोक. ५. सं० पा० –एवं जहा छट्टसए जाव नो। वल्ले वि जाव महापज्जवसाणा। Page #781 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२० मगवई से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदगदिदं पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! से उदगबिंदू तत्तंसि अयकवल्लंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ ? हंता विद्धंसमागच्छइ। एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माइं सिढिलीकयाई, निट्टियाइं कयाई, विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति। जावतियं तावतियं पि णं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा' महापज्जवसाणा भवंति । से तेगडेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जावतियं अन्न गिलायए' समणे निग्गथे कम्म निज्जरेति तं चेव जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति ।। ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। पंचमो उद्देसो सक्कस्स उक्खित्तपसिणवागरण-पदं ५४. तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्लुयतीरे नामं नगरे होत्था-वण्णो । एगजंबुए चेइए-वण्णओं ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव परिसा पज्जुवासति । तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के देविदे देवराया वज्जपाणी—एवं जहेव वितिय उद्देसए तहेव दिव्वेणं जाणविमाणेणं पागनो जाव' जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता' 'समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीदेवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव' महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू प्रागमित्तए ? नो इणटे समढे । देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू आगमित्तए ? हंता पभू। १. अन्नइलायए (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. भ० ११५१ । ३. ओ० सू० १। ४. ओ० सू० २-१३ । ५. ओ० सू० २२-५२॥ ६. भ० १६३३३ । ७. सं० पा०--उवागच्छित्ता जाव नमंसित्ता । ८. भ० १३३६ । ६. अपरियादिइत्ता (क, ख, ब)। Page #782 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (पंचमो उद्देसो) ७२१ देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव महेसक्खे एवं एएणं अभिलावेणं गमित्तए वा, भासित्तए वा, विश्रागरित्तए वा, उम्मिसावेत्तए वा, निमिसावेत्तए वा, आउंटावेत्तए वा, ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेइत्तए वा, विउवित्तए वा, परियारेत्तए वा जाव हंता पभू---इमाइं अट्ठ उविखत्तपसिणवागरणाइं पुच्छइ, पुच्छित्ता संभंतियवंदणएण' वंदति, वंदित्ता तमेव दिव्वं जाणविमाणं द्रुहति', द्रुहित्ता जामेव दिसंपाउन्भूए तामेव दिसं पडिगए ।। गंगवत्तदेवस्स संदभे परिणममाण-परिणय-पदं ५५. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी ---अण्णदा णं भंते ! सक्के देविदे देव राया देवाणुप्पियं वंदति नमसति सक्कारेति जाव' पज्जुवासति, किण्णं भंते ! अज्ज सक्के देविदे देवराया देवाणुप्पियं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइं पुच्छइ, पुच्छित्ता संभंतियवंदणएणं वंदइ नमसइ जाव पडिगए ? गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खल' गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा एगविमाणंसि देवत्ताए उववन्ना, तं जहा-मायिमिच्छदिदिउववन्नए य, प्रमायिसम्मदिट्ठिउववन्नए य । तए णं से मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नए देवे तं अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नगं देवं एवं धयासी--परिणममाणा पोग्गला नो परिणया, अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया, अपरिणया। तए णं से अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नए देवे तं मायिमिच्छदिटिउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला परिणया, नो परिणया; परिणमंतीति पोग्गला परिणया, नो अपरिणया । तं मायिमिच्छदिदिउववन्नगं एवं पडिहण', पडिहणित्ता प्रोहिं पउंजइ, पउंजित्ता ममं प्रोहिणा आभोएइ, अाभोएत्ता अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था- एव खलु समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे उल्लुयतीरस्स नगरस्स बहिया एगजंबुए चेइए अहापडिरूवं' 'ओग्गहं प्रोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे ° विहरइ, तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता जाव' पज्जुवासित्ता इमं एयारूवं वागरणं पुच्छित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता १. वंदएणं (अ, ख, ब, म)। २. दुरुहइ (स)। ३. भ० २।३०। ४. भ० १६३५४ । ५. पडिभणइ (ता)। ६. सं.पा.-अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । ७. सं० पा०--अहापडिरूवं जाब विहरइ । ८. भ०२।३०। Page #783 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२ भगवई चरहिं सामाणियसाहस्सी हि तिहिं परिसाहि, सत्तहिं अणिएहि, सत्तहि अणियाहिवईहिं, सोलसहि पायरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णेहिं बहूहि महासामाणविमाणवासीहिं वेमाणिएहि देवेहिं देवीहि य सद्धि संपरिवुडे ° जाव' दुंदुहि-निग्घोसनाइयरवेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे वासे, जेणेव उल्लुयतीरे नगरे, जेणेव एगजंबुए चेइए, जेणेव ममं अंतियं तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं से सक्के देविदे देवराया तस्स देवस्स तं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवजूति दिवं देवाणभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणे ममं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइं पुच्छित्ता संभंतियवंदणएणं वंदित्ता जाव पडिगए। ५६. जावं च णं समणे भगवं महावीरे भगवनो गोयमस्स एयमटुं परिकहेति तावं च णं से देवे तं देसं हव्वमागए । तए णं से देवे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीएवं खलू भंते ! महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे एगे मायिमिच्छदिदिउववन्नए देवे ममं एवं वयासी --परिणममाणा पोग्गला नो परिणया. अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया, अपरिणया। तए णं अहं तं मायिमिच्छदिदि उववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोरगला परिणया, नो अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला परिणया, नो अपरिणया, से कहमेयं भंते ! एवं? ५७. गंगदत्तादि ! समणे भगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं वयासी--अहं पि णं गंगदत्ता ! एवमाइक्खामि भासेमि पण्णवेमि परूवेमि--परिणममाणा पोग्गला •परिणया, नो अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला परिणया°, नो अपरिणया, सच्चमेसे पट्टे ५८. तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं एयमटुं सोच्चा निसम्म हट्टतुटे सभणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चा सन्ने जाव' पज्जुवासति ।। गंगद तदेवस्स अप्पविसए पसिण-पदं ५६. तए णं समणे भगवं महावीरे गंगदत्तस्स देवस्स तीसे य •महतिमहालियाए परिसाए° धम्म परिकहेइ जाव पाराहए भवति ॥ १. सं० पा०–रियारो जहा सुरियाभस्स जाव ६. सं० पा०-पोग्गला जाव नो। २. राय० सू० ५८ । ७. भ० १५१० । ३. उल्लुया° (ख, ब, म)। ८. पज्जुवाहति (म)। ४. महासमाणे (अ, क, ता, ब)। ६. सं० पा० .-तीसे य जाव धम्म । ५. ०दी (ता, ब, म)। १०. ओ० सू०७१-७७ १ Page #784 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (पंचमो उद्देसो) ७२३ ६०. तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुढे उट्ठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- अहण्णं भंते ! गंगदत्ते देवे किं भवसिद्धिए ? अभवसिद्धिए? "सम्मदिदी? मिच्छदिट्टी? परित्तसंसारिए ? अणंतसंसारिए ? सुलभवोहिए ? दुल्लभबोहिए ? आराहए ? विराहए ? चरिमे ? अचरिमे ? गंगदत्ताइ ! समणे भगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं वयासी ---गंगदत्ता ! तुमण्णं भवसिद्धिए, नो अभवसिद्धिए। सम्मदिट्ठी, नो मिच्छदिट्ठी। परित्तसंसारिए, नो अणंतसंसारिए । सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए । पाराहए, नो विराहए ! चरिमे, नो अचरिमे ।। गंगदत्तदेवेण नट्ट-उवदंसण-पदं ६१. तए णं से गंगदत्ते देवे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठचित्त माणदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-तुब्भे णं भंते ! सव्वं जाणह सव्वं पासह, सव्वो जाणह सव्वओ पासह, सव्वं कालं जाणह सव्वं कालं पासह, सव्वे भावे जाणह सव्वे भावे पासह । जाणंति णं देवाणुप्पिया ! मम पुवि वा पच्छा बा ममेयरूवं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं लद्धं पत्तं अभिसमण्णागयं ति, तं इच्छामि णं देवाणप्पियाणं भत्तिपूव्वगं गोयमातियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविडिंढ दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसतिबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्तए । ६२. तए णं समणे भगवं महावीरे गंगदत्तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे गंगदत्तस्स देवस्स एयमटुं नो आढाइ, नो परियाणइ, तुसिणीए संचिट्ठति ।। ६३. तए णं से गंगदत्त देवे समणं भगवं महावीरं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी तुब्भे णं भंते ! सव्वं जाणह सव्वं पासह, सव्वो जाणह सवओ पासह, सव्वं कालं जाणह सव्वं कालं पासह, सव्वे भावे जाणह सव्वे भावे पासह । जाणंति णं देवाणुप्पिया ! मम पुब्वि वा पच्छा वा ममेयरूवं दिव्यं देविडिंढ दिव्वं देवजुई दिव्वं देवाणुभावं लद्धं पत्तं अभिसमण्णागयं ति, तं इच्छामि णं देवाणप्पियाणं भत्तिपुठ्वगं गोयमातियाणं सभणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविडिढ दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसतिबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्तए त्ति कटु ° जाव बत्तीसतिबद्धं नट्टविहिं उवदंसेति, उवदसेत्ता जाव' तामेव दिसं पडिगए। १. सं० पा०—एवं जहा सूरियाभो। २. राय० सू० ६५-१२० । Page #785 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२४ भगवई ६४. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं' 'वंदइ नमसंइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-गंगदत्तस्स णं भंते ! देवस्स सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती 'दिव्वे देवाणुभावे कहिं गते ? कहिं अणुप्पविट्ठे ? गोयमा ! सरीरं गए, सरीरं अणुप्पविद्रे, कुडागारसालादि,तो जाव' सरीरं अणुप्पवितु । अहो णं भंते ! गंगदत्ते देवे महिड्ढिए महज्जुइए महब्बले महायसे° महेसक्खे ॥ गंगदत्तदेवस्स पुव्वभव-पदं ६५. गंगदत्तेणं भंते! देवेणं सा दिव्या देविड्ढो सा दिव्वा देवज्जुती से दिव्वे देवाणुभागे किण्णा लद्धे ? किण्णा पत्ते ? किण्णा अभिसमण्णागए ? पुन्वभवे के पासी ? कि नामए वा? किं वा गोत्तेणं? कयरंसि वा गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणीए वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा पट्टणंसि वा दोणमुहंसि वा प्रागरंसि वा आसमंसि वा संबाहंसि वा सण्णि वेसंसि वा ? किं वा दच्चा ? किं वा भोच्चा? किं वा किच्चा ? किं वा समायरित्ता ? कस्स वा तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म जणं गंगदत्तेणं देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी सा दिव्वा देवज्जुती से दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए ? गोयमादो ! समणे भगवं महावारे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्था-वण्णओ। सहसंबवणे उज्जाणे ----वण्णयो । तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे गंगदत्ते नाम गाहावती परिवसति--अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिसुव्वए अरहा प्रादिगरे जाव सव्वण्णू सव्वदरिसी अागासगएणं चक्केण", मागासगएणं छत्तेणं, आगासियाहि चामराहि, पागास फालियामएणं सपायवीढेणं सोहासणेणं, धम्मज्झएणं पुरो° पकड्ढिज्जमाणेणं-पकड्ढिज्जमाणेणं सीसगणसंपरिवुडे पुव्वाणुपुब्धि चरमाणे गामाणु १. सं० पा०-महावीरं जाव एवं । ६. ओ० सू०१। २. सं० पा०-देवज्जुती जाव अणुप्पविढे । ७. भ० ११।५७ । ३. राय० सू० १२३ ! ८. भ० २०६४ । ४. सं० पा०---महिडिढए जाव महेसक्खे । ६. भ०१७ ५. सं० पा०-लद्धे जाव गंगदत्तेणं देवेणं सा १०. सं०प०-चक्करणं जाव पकडिढज्ज दिव्या देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए । Page #786 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (पंचमो उद्देसो) ७२५ गाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे जाब विहरति । परिसा निग्गया जाव' पज्जुवासति ।। तए णं से गंगदते गाहावतो इमोसे कहाए लढे समाणे हट्ठतुढे पहाए" कयबलिकम्मे जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सानो गिहाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं हत्थिणापुर नगरं मझमझेणं' निगच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे जेणेव मुणिसुव्वए अरहा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मुणिसुव्वयं अरहं तिक्खुत्तो आयाहिण पयाहिणं करेइ जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासति ।। ६६. तए णं मुणिसुव्वए अरहा गंगदत्तस्स गाहावतिस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ जाव परिसा पडिगया ।। ७०. तए णं से गंगदत्ते गाहावती मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतृढे उठाए उट्ठति, उर्दुत्ता मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-सहामि णं भंते ! निरगंथं पावयणं जाव से जहेयं तुभे वदह, जं नवरं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्तं कुडुवे ठावेमि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुडे" भवित्ता अगारामो अणगारियं पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ ७१. तए णं से गंगदत्ते गाहावई मुणिसुव्वएणं अरहया एवं वुत्ते समाणे हद्वतुझे मूणिसुब्धयं अरहं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता मुणिसुब्वयस्स अरहो अंतियायो सहसंबवणाग्रो उज्जाणाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता, जेणेव हत्थिणापूरे नगरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छिता विउल असणपाणखाइम-साइमं ° उवबखडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-नियग" सयण-संबंधि-परियणं ग्रामंतेति, आमंतेत्ता तो पच्छा व्हाए जहा पूरणे जाव" जेटुपुत्तं कुडुबे ठावेति । तं मित्त-नाइ'- नियग-सयण-संबधि-परियणं० जेट्रपूत्तं च यापुच्छइ, आपुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहणि सीयं द्रुहति, द्रुहित्ता मित्त-नाइ १. सं० पा० -गामाणुगामं जाव जेणेव। ८. ओ० सू०६६ । २. भ० ११७ । ६. ओ० सू०७१-७६ । ३. ओ० सू० ५२। १०. भ० २१५२। ४. जाव (ख, स)। ११. सं० पा०—मुंडे जाव पव्वयामि । ५. भ० २०६७ १२. सं० पा०-पारण जाव उवक्खडावेति । ६. हत्थिरणपुरं (अ, म); हत्थिणाउरं (ता, ब); १३. सं० पा०.--नियग जाव आमतेति । हत्थिरणागपुरं (स)। १४. भ० ३.१०२। ७. मज्झे ण २ (अ, ख, ता, ब, म)। १५. सं० पा०-नाइ जाव जेट्रपुत्ते। Page #787 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२६ भगवई नियग'- सयण-संबंधि° -परिजणेणं जेट्टपुत्तेण य समणुगम्ममाणमग्गे सविड्ढीए जाव' दुंदुहि-निग्धोसनादित रवेणं हत्थिणागपुरं मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादिते तित्थगरातिसए पासति । एवं जहा उद्दायणे जाव' सयमेव आभरणे प्रोमुयइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति, करेत्ता जेणेव मुणिसुव्वए अरहा एवं जहेव उद्दायणे तहेव पव्वइए, तहेव एक्कारस अंगाई अहिज्जइ जाव' मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ, झूसेत्ता सर्टि भत्ताई अणसणाए छेदेति, छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा महासक्के कप्पे महा सामाणे विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि जाव' गंगदत्तदेवत्ताए उववन्ने । ७२. तए णं से गंगदत्ते देवे अहुणोववन्नमेत्तए समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तभावं गच्छति, [तं जहा–आहारपज्जत्तीए जाव' भासा-मणपज्जत्तीए] एवं खलु गोयमा ! गंगदत्तेणं देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी *सा दिव्वा देवज्जुती से दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते ° अभिसमण्णागए ।। ७३. गंगदत्तस्स णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिति पण्णता? गोयमा! सत्त रस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता ॥ ७४. गंगदत्ते णं भंते ! देवे तानो देवलोगाओ पाउक्खएण •भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! ° महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव" सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति !! ७५. सेवं भंते ! सेवं भते ! त्ति ॥ छट्ठो उद्देसो सुविण-पदं ७६. कतिविहे णं भंते ? सुविणदसणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे सुविणसणे पण्णत्ते, तं जहा-~-अहातच्चे, पताणे, चिंतासुविणे, तविवरीए, अव्वत्तदंसणे" ।। १. सं० पा०—नियग जाव परिजणेणं । २. भ०६४१८२। ३. भ० १३।११७ । ४. भ० १११११८, ६।१५०, १५१ । ५. भ. ३२१७। ६. भ० ३११७॥ ७. असो कोष्ठकवतिपाठो ब्याख्यांशः प्रतीयते। ८. सं० पा०-देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। ६. सं० पा०-आउक्खएणं जाव महाविदेहे। १०. भ० २।७३ । ११. भ० १५१ १२. सुमिरण (अ)। १३. अवत्त° (अ, क, ख, ब)। Page #788 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (छटो उद्देसो) ७२७ ७७. सुत्ते णं भंते ! सुविणं पासति ? जागरे सुविणं पासति ? सुत्तजागरे सुविणं पासति ? गोयमा ! नो सुत्ते सुविणं पासति, नो जागरे सुविणं पासति, सुत्तजागरे सुविणं पासति ॥ ७८. जीवा णं भंते ! कि सुत्ता ? जागरा ? सुत्तजागरा ? गोयमा ? जीवा सुत्ता वि, जागरा वि, सुत्तजागरा वि ।। ७६. नेरइयाणं भंते ! कि सुत्ता -पुच्छा। गोयमा ! नेरइया सुत्ता, नो जागरा, नो सुत्तजागरा । एवं जाव' चरिदिया ।। ८०. पंचिदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कि सुत्ता --पुच्छा। गोयमा ! सुत्ता, नो जागरा, सुत्तजागरा वि । मणुस्सा जहा जीवा । वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिया जहा ने रइया ।।। ८१. संवुडे णं भंते ! सुविणं पासति ? असंवुडे सुविणं पासति ? संवुडासंवुडे सुविणं पासति ? गोयमा ! संवुडे वि सुविणं पासति, असंवुडे वि सुविणं पासति, संवुडासंवुडे वि सुविणं पासति । संवुडे सुविणं पासति अहातच्चं पासति । असंवुडे सुविणं पासति तहा वा तं होज्जा, अण्णहा वा तं होज्जा। संवुडासंवुडे सुविणं पासति "तहा वा तं होज्जा, अण्णहा वा तं होज्जा ॥ ८२. जीवा णं भंते ! कि संवुडा ? असंवडा? संवुडासंवुडा ? गोयमा ! जीवा संवुडा वि, असंवुडा वि, संवुडासंवुडा वि । एवं जहेव सुत्ताणं दंडो तहेव भाणियब्वो ॥ ८३. कति णं भंते ! सुविणा पण्णत्ता ? गोयमा ! वायालीसं सुविणा पण्णत्ता ।। ८४. कति णं भंते ! महासुविणा पण्णत्ता ? गोयमा ! तीसं महासुविणा पण्णत्ता ।। ८५. कति णं भंते ! सव्वसुविणा पण्णत्ता ? गोयमा ! बावरि सव्वसुविणा पण्णत्ता ॥ ८६. तित्थगरमायरो णं भंते ! तित्थगरंसि गब्भं वक्कममाणंसि कति महासुविणे' पासित्ता णं पडिबुज्झति ? गोयमा ! तित्थगरमायरो तित्थगरंसि गभं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं इमे चोद्दस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति, तं जहा-गयउसभ जाव सिहि च ॥ १. पू. ५०२। २. सं. पा०—एवं चेव । ३. महासुविणे सुविणे (अ, क, ख, ता, ब)। ४, भ० ११४१४२। Page #789 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२८ भगवई ८७. चक्कवट्टिमायरो गं भंते ! चक्कवट्टिसि गब्भं वक्कममाणंसि कति महासुविणे पासित्ताणं पडिवुति ? गोयमा ! चक्कवट्टिमायरो चक्कवट्टिसि गब्भं' वक्कममाणंसि एएसि तीसाए महासुविणा इमे चोदस महासुविणे पासित्ताणं पडिबुज्भंति, तं जहागय-उसभ जाव सिहिं च ॥ ८८. वासुदेवमायरो णं पुच्छा । गोयमा ! वासुदेवमायरों' 'वासुदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसि चोदसहं महासुविणाणं श्रणयरे सत्त महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति ॥ ८६. बलदेवमायरो - पुच्छा | गोयमा ! बलदेवमायरो जाव एएसि चोद्दसन्हं महासुविणाणं ग्रण्णयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ताणं पडिबुज्भंति ॥ ६०. मंडलियमायरो णं भंते ! - पुच्छा । गोयमा ! मंडलियमायरो जाब एएसि चोद्दरण्हं महासुविणाणं अण्णयरं एवं महासुविणं 'पासित्ता णं" पडिबुज्झति ॥ भगवो महासुविण दंसण-पदं १. समणे भगवं महावीरे छउमत्थकालियाए अंतिमराइयंसि इमे दस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे, तं जहा १. एगं च णं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुविणे पराजियं पासित्ता गं बुद्धे । २. एगं च णं महं सुक्किलपक्खगं पुंसको इलगं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे । ३. एवं च णं महं चित्तविचित्तपक्खगं पुंसकोइलगं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे । ४. एगं च णं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ता णं परिबुद्धे । ५. एगं च णं महं सेयं गोवग्गं सुविणे पासिता णं पडिबुद्धे । ६. एवं च णं महं पउमसरं सव्वग्रो समंता कुसुमियं सुविणे पासित्ताणं परिबुद्धे । ७. एगं च णं 'महं सागरं" उम्मीवीयीसहस्सकलियं भूयाहिं तिष्णं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे | 5. एगं च णं महं दिणयरं तेयसा जलतं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे । १. जाव ( अ, ख, म); जाव गव्भं (क, ता, ब, स) । २. सं० पा० - एवं जहा तित्थगरमायरो जाव । ३. सं० पा० - वासुदेवमायरो जाव वक्कम ० । ४. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) 1 ५. पूरकोइल ( अ, क, ख, ता, ब) 1 ६. चित्तपक्खगं (क, ता ) ७. महासागर ( अ ) । Page #790 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ७२६ ६. एगं च णं महं हरिवेरुलियवण्णाभेणं नियगेणं अंतेणं माणुसुत्तरं पव्वयं सव्वो समंता आवेढियं परिवेढियं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे । १०. एगं च णं महं मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए उरि सीहासणवरगयं अप्पाणं सुविणे पासित्ता गं पडिबुद्धे । १. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुविणे पराजियं पासित्ता णं पडिबूद्धे, तण्णं समजेणं भगवया महावीरेणं मोहणिज्जे - मूलायो उरघाइए। २. जगणं समणे भगवं महावीरे एगं महं सुक्किल पक्खगं पुंसकोइलगं सुविणे पासित्ता णं° पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे सुक्कज्झाणोवगए विहरति । ३. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं चित्तविचित्त पक्खगं पुसकोइलगं सुविणे पासित्ता णं ° पडिबुद्धे, तण्यं समणे भगवं महावीरे विचित्तं ससमयपरसमइयं दुवालसंगं गणिपिडगं ग्राघवेति पण्णवेति परूवेति दंसेति निदंसेति उवदंसेति, तं जहा-पायारं, सूयगडं जाव' दिट्ठिवायं । ४. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं दामदुर्ग सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे दुविहे धम्मे पण्णवेति, तं जहा---गारधम्म वा, अणगारधम्म वा। ५. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं सेयं गोवग्ग सुविणे पासित्ता पं. पडिबुद्धे, तण्णं समणस्स भगवो महावीरस्स चाउव्वण्णाइण्णे' समणसंघे, तं जहा-समणा, समणीयो, सावया, सावियानो। ६. जण्ण समणे भगवं महावीरे एगं महं पउमसरं सदनो समंता कुसुमियं सुविणे पासित्ता णं° पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे चउव्विहे देवे पण्णवेति, तं जहा-भवणवासी, वाणमंतरे, जोतिसिए, वेमाणिए।। ७. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं सागर 'उम्मीवीयीसहस्सकलियं भूयाहिं तिण्णं सूविणे पासित्ता णं° पडिबुद्धे, तण्णं समजेणं भगवया महावीरेणं अणादीए अणवदग्गे दोहमद्धे चाउरते ° संसारकंतारे तिणे । ८. जगणं समणे भगवं महावीरे एगं महं दिणयरं" 'तेयसा जलंतं सुविणे पासित्ता १. सं० पा०-सुक्किल जाव पडिबुद्धे । २. सं० पा०—चित्तविचित्त जाव पडिबुद्धे । ३. भ० २०१७५ ४. दिद्विवातं (अ, ब); दिविवादं (ता)। ५. सं. पा.-गोवग्गं जाव पडिबुद्ध । ६. सं. पा.-पउमसरं जाव पडिबुद्ध । ७. सं० पा०-सागरं जाव पडिबुद्धे । ६. प्रणवतग्गे (ब); सं० पा०-अगवदग्गे जाव संसार। ६. निस्थिण्णे (अ)। १०. सं० पा.-दिणयरं जाव पडिबुद्ध । Page #791 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३० भगवई णं • पडिबुद्धे, तण्णं समणस्स भगवनो महावीरस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे ° केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने । ६. जण्णं समणे भगवं महावीरे एग महं हरिवेरुलिय वण्णाभेणं नियगेणं अंतेणं माणुसुत्तरं पव्वयं सव्वनो समंता आवेढियं परिवेढियं सुविणे पासित्ता णं पडिबद्ध. तण्ण समणस्स भगवो महावीरस्स अोराला कित्ति-वण्ण-सह-सिलोया सदेवमणुयासुरे लोए परिभमंति-इति खलु समणे भगवं महावीरे, इति खलु समणे भगवं महाबीरे । १०. जण्णं समणे भगवं महावीरे मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए 'उरि सीहासणवरगयं अप्पाणं सुविणे पासित्ताणं° पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे सदेवमणुयासुराए परिसाए मज्भगए केवली धम्मं आघवेति' 'पण्णवेति परूवेति दंसेति निदंसेति ° उवदंसेति ।। सुविण-फल-पदं ६२. इत्थी वा पूरिसे वा सुविणते एग महं हयपति वा गयपति वा सरपंति वा किन्नरपंति वा किंपुरिसपंति वा महोरगपति वा गंधवपति वा ° वसभपति वा पासमाणे पासति, हमाणे द्रुहति, दूढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ६३. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं दामिणि पाईणपडिणायतं दुहम्रो समुद्दे पुढे पासमाणे पासति, संवेल्लेमाणे संवेल्लेइ, संवेल्लियमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ ६४. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं रज्जु पाईणपडिणायतं दुहनो लोगंते पुटुं पासमाणे पासति, छिदमाणे छिदति, छिन्नमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ ६५. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं किण्हसुत्तगं वा नीलसुत्तगं वा लोहिय सुत्तगं वा हालिद्दसुत्तगं वा सुक्किल सुत्तगं वा पासमाणे पासति, उग्गोवेमाणे १. सं० पा०-अगत्तरे जाव केवल ! ६. सं० पा०--गयपंति वा जाव वसभपति। २. सं० पा०-हरिवेरुलिय जाव पडिबुद्धे । ७. भ० ११४४। ३. सं० पा० –मंदर चूलियाए जाव पडिबुद्धे । ८. दामं (ख)। ४. केवलीणं (क); केवलिपण्णत्तं (ठा०६. तक्खणामेव अप्पाणं (ख); तक्खणा चेव (ता) १०११०३) १०. छिदणमिति (ता)! ५. सं० पा.--आघवेति जाव उवदंसेति । ११. सं० पा०-किण्हसुत्तगं वा जाव सुक्किल°1 Page #792 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (छट्ठो उद्देसो) उग्गोवेति, उग्गोवितमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्ग हणेणं सिझति जाव सव्वदक्खाणं अंतं करेति ।। ६६. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं अयरासि वा तंवरासि वा त उयरासिं वा सीसगरासि वा पासमाणे पासति, दुरुहमाणे दुरुहति, दुरूढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, दोच्चे भवग्गहणे सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति !! ६७. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं हिरणरासि वा सुवण्णरासि वा रयण रासि वा वइररासि वा पासमाणे पासति, दुरुहमाणे दुरुहति, दुरूढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। १८. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं तणरासि वा 'कदरासि वा पत्तरासिं वा तयरासि वा तुसरासि वा भुसरासिं वा गोमयरासिं वा° अवकररासिं वा पासमाणे पासति, विक्खिरमाणे विक्खिरति, विक्खिण्णमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहरेणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ६६. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं सरथंभं वा वीरणथंभंवा वसीमूलथंभं वा वल्लीमूलथंभं वा पासमाणे पासति, उम्मूलेमाणे उम्मूलेति, उम्मूलितमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवरगहणणं सिज्झति जाब सब्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं खीरकुभं वा दधिकुभं वा घयकुंभं वा मधु कुभं वा पासमाणे पासति, उप्पाडेमाणे उप्पाडेति, उप्पाडितमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव वुज्झति, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं सुरावियडकुभं वा सोवीरवियडकभं वा तेल्लभं वा वसाकुंभं वा पासमाणे पासति, भिदमाणे भिदति, भिन्नमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, दोच्चे भवग्गणे सिज्झति जाव सव्व दुक्खाणं अंतं करेति ।। १०२. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं पउमसरं कुसुमियं पासमाणे पासति, प्रोगाहमाणे ओगाहति, प्रोगाढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं नंतं करेति ॥ १०३. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एरं महं सागरं उम्मीवीयीसहस्सकलियं पासमाणे १. दुरूहमारणे (अ, ख, स)। ३. उम्मीवीयी जाव कलियं (अ, क, ख, ता, ब, २. सं० पा०-जहा तेयनिसग्गे जाव अवकररासि। म, स)। Page #793 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३२ भगवई पासति, तरमाणे तरति, तिण्णमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति ।। १०४. इत्थी वा पूरिसे वा सुविणते एगं महं भवणं सवरयणामयं पासमाणे पार अणुप्पविसमाणे अणुप्पविसति, अणुप्पविट्ठमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झत जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। १०५. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं विमाणं सव्वरयणामयं पासमाणे पासति, दुहमाणे द्रुहति, द्रूढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्ग हणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। गंध-पोग्गल-पदं १०६. अह भंते ! कोटपुडाण वा जाव' केयइपुडाण वा अणुवायंसि उभिज्जमाणाण वा निविभज्जमाणाण वा उक्किरिज्जमाणाण वा बिक्किरिज्जमाणाण वा ठाणाओ वा ठाणं संकामिज्जमाणाणं कि कोटे वाति जाव केयई वाति ? गोयमा ! नो कोट्ठ वाति जाव नो केयई वाति, घाणसहगया पोग्गला वांति ॥ १०७. सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति। सत्तमो उद्देसो १०८. कतिविहे णं भंते ! उवयोगे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे उवनोगे पण्णत्ते, एवं जहा उवओगपदं पण्णवणाए तहेव निरवसेसं नेयवं, पासणयापदं च नेयव्वं ।। १०६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति" ।। १. राय. सू० ३०। ५. भ० २५१। २. सं० पा०-उभिज्जमाणाण वा जाव ६. ५० २६ । ठाणाओ; रायपसेणइयसुत्ते (३०) 'उभिज्ज- ७. भाणियव्वं (स)। माणाण' इत्यादीनि पदानि किञ्चिदधिकानि ८. पासणापदं (अ, क, ख, ता, ब, म);प०३०। भिन्नान्यपि च लभ्यन्ते। 8. निरवसेसं व्यवं (स)। ३. केयती (अ, क, म, स)। १०. भ. ११५१ । ४. वाति (अ, क, ब, म, स)] Page #794 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) अट्ठमो उद्देसो लोगस्स चरिमंते जीवाजीवादिमागणा-पदं ११०. केमहालए' णं भंते ! लोए पण्णत्ते ? गोयमा ! महतिमहालए लोए पण्णत्ते, जहा वारसमसाए तहेव जाव' असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीनो परिक्वेवेणं ।। १११. लोयस्स णं भंते ! पुरथिमिल्ले चरिमंते किं जीवा, जीवदेसा, जीवपदेसा, अजीवा, अजीवदेसा, अजीवपदेसा? गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि । जे जीवदेसा ते नियम पगिदियदेसा य, अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स य देसे- एवं जहा दसमसए अग्गेयी दिसा तहेव', नवरं-देसेसु अणिदियाण आइल्लविरहियो। जे अरूवी अजीवा ते छविहा, प्रद्धासमयो नत्थि । सेसं तं चेव निरवसेस ।। ११२. लोगस्स णं भंते ! दाहिणिल्ले चरिमते कि जीवा? एवं चेव । एवं पच्चत्थि मिल्ले वि, उत्तरिल्ले वि॥ लोगस्स णं भंते ! उरिल्ले चरिमंते कि जीवा-पुच्छा। गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि जाव अजीवपदेसा वि। जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य, अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य बेइंदियस्स य देसे, अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य वेइंदियाण य देसा, एवं मझिल्लविरहियो जाव पंचिदियाणं । जे जीवप्पदेसा ते नियम एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य, अहवा एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य वेइंदियस्स पदेसा य, अहवा एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य बेइंदियाण य पदेसा, एवं श्रादिल्लविरहिओ जाव पंचिदियाणं । अजीवा जहा दसमसए तमाए तहेव निरवसेसं ।। ११४. लोगस्स णं भंते ! हेदिल्ले चरिमंते कि जीवा–पुच्छा। गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि जाव अजीवपदेसा वि, जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा, अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे, अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा, एवं मज्मिल्लविरहिरो जाव अणिदिया। पदेसा आइल्ल १. किमहालए (अ, क, ख, ता, म, स)। २. भ० १२।१३०, २१४५ । ३. भ० १०१६ । ४. सव्वं (अ, क, ता, ब, म)। ५. नितमं (ब)। ६. बेंदियस्स (म, स)। ७. भ०१०१७। Page #795 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३४ भगवई विरहिया सव्वेसि जहा पुरथिमिल्ले चरिमंते तहेव । अजीवा जहेव उवरिल्ले चरिमंते तहेव ।। ११५. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते किं जीवा पुच्छा । गोयमा ! नो जीवा, एवं जहेब लोगस्स तहेव चत्तारि वि चरिमंता जाव उत्तरिल्ले, उवरिल्ले तहेव, जहा' दसमसाए विमला दिसा तहेव निरवसेस । हेटिल्ले चरिमंते जहेब लोगरग हेटिल्ले चरिमंते तहेव, नवरं --देसे पंचिदिएसु तियभंगो त्ति सेमं तं चेव एवं जहा रयणप्पभा चत्तारि चरिमंता भणिया एवं साकरप्पभावि। उवरिम-हेट्रिल्ला जहा रयणप्पभाए हेट्रिल्ले । एवं जाव आहेसत्तमाए। एवं सोहम्मस्स वि जाव अच्चुयस्स । गेवेज्जविमाणाण एवं चेव, नवरं-उरिमहेटिल्लेसु चरिमंतेसु देसेसु पंचिदियाण वि मज्झिल्लविरहिरो चेव, सेसं तहेव । एवं जहा गेवेज्जविमाणा तहा अणुत्तरविमाणा वि, ईसिंपब्भारा वि ।। परमाणुपोग्गलस्स गति-पदं ११६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्लानो चरिमंतानो पच्चथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ? पच्चथिमिल्लाओ चरिमंताओ पुरथिमिल्ल चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ? दाहिणिल्लाओ चरिमंताग्रो उत्तरिल्लं' चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ? उत्तरिल्लामो चरिमंतानो दाहिणिल्लं' 'चरिमंतं एगसमएणं ° गच्छति ? उवरिल्लायो चरिमंतानो हेढिल्लं चरिमंतं एगसमएणं' गच्छति ? हेटिल्लायो चरिमंतानो उवरिल्ल चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ? हंता गोयमा ! परमाणुपोग्गले णं लोगस्स पुरथिमिल्लं तं चेव जाव उवरिल्लं चरिमंतं एमसमएणं गच्छति ।। किरिया-पदं ११७. पुरिसे गं भंते ! वासं वासति, वासं नो वासतीति हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा पाउंटावेमाणे' वा पसारेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे वास वासति, वासं नो वासतीति हत्थं वा पायं वा वाहं वा ऊर वा आउंटावेति वा पसारेति वा, तावं च णं से पूरिसे काइयाए 'अहिगरणियाए पासोसियाए पारितावणियाए पाणातिवायकिरियाए - पंचहि किरियाहिं पुढे ।। १. भ० १०७ । २. सं० पा०--उत्तरिल्लं जाव गच्छति । ३. सं० पा०-दाहिणिल्लं जाव गच्छति। ४. एवं जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ५. आउंटारेमाणे (ता) सर्वत्रापि । ६. सं० पा०-काइयाए जाव पंचहि । Page #796 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (नवमो उद्देसो) अलोए गति निसेध-पदं ११८. देवे णं भंते ! महिड्दिए जाव' महेसक्से लोगते ठिच्चा पभू अलोगंसि हत्थं वा पायं वा वाहं वा ऊरुं वा ग्राउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा ? नो इट्टे सट्टे ॥ ११६. से केणद्वेण भंते ! एवं वच्चइ देवे णं महिड्दिए जाव महेसक्खे लोगंते ठिच्चा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा ग्राउंटावेत्तए वा नो पभू लोगंसि हृत्थं वा पसारेत्तए वा ? गोमा ! जीवाणं आहारोवचिया पोग्गला, बोंदिचिया योग्गला, कलेवरचिया पोग्गला । पोग्गलामेव एप्प जीवाण य अजीवाण य गतिपरियाए प्राहिज्जइ । अलोए णं नेवत्थि जीवा, नेवत्थि पोग्गला । से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ देवे महिड्दिए जाव महेसक्खे लोगते ठिच्चा नो पभू लोगंसि हत्थं वा पाय पसारेत्तए वा ॥ वा बाहं वा ऊरुं वा ग्राउंटावेत्तए वा १२०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ नवमो उद्देसो बलिस सभा-पदं १२१. कहिणं भंते ! बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो सभा सुहम्मा पण्णत्ता ? गोमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं तिरियमसंखेज्जे जहेव चमरस्स जाव वायालीस जोयणसहस्साइं श्रगाहित्ता, एत्य णं बलिस्स वइरो - यदिस्स वइरोयणरणो स्यगिंदे नामं उप्पायपव्वए पण्णत्ते । सत्तरस एक्कवीसे जोयणसए - एवं पमाणं जहेब तिगिच्छिकूडस्स पासायवडेंसगस्स वितं चैव पमाणं, सीहासणं सपरिवारं वलिस्स परियारेणं, अट्ठो तहेव, नवरं १. भ० १/३३६ । २. सं० पा० - हत्थं वा जाव पसारेत्तए । ३. सं० पा० गट्टेणं जाव पसारेत्तए । ४. भ० १५१ ५. कहि णं ( अ, क, ख, ता, ब, म) 1 ६. भ० २।११८ ७३५ ७. यथा तिगिच्छकूटस्य नामान्वर्थाभिधायकं वाक्यं तथाऽस्यापि वाच्यं केवलं तिगिच्छकूटान्वर्थप्रश्नस्योत्तरे यस्मात्तिगिच्छिप्रभाण्युत्पलादीनि तत्र सन्ति तेन तिगिच्छकूट इत्युच्यत इत्युक्तं इह तु रुचकेन्द्रप्रभाणि तानि सन्तीति वाच्यं, रुचकेन्द्रस्तु रत्नविशेष इति, तत्पुनरर्थतः Page #797 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई रुयगिदप्पभाई-रुयगिदप्पभाई-स्य गिदप्पभाई। सेसं तं चेव जाव बलिचंचाए रायहाणीए अण्णसिं च जाब रुयगिदस्स णं उप्पायपव्वयस्स उत्तरे णं छक्कोडिसए तहेब जाव चत्तालीसं जोयणसहस्साइं प्रोगाहित्ता, एत्थ णं बलिस्स बइरोणिदम्स वइरोयणरण्णो बलिचंचा नाम रायहाणी पण्णता । एग जोयणसयसहस्सं पमाणं, तहेव जाव बलिपेढस्स उववाओ जाव प्राय रक्खा सव्वं तहेव निरक्सेसं, नवरं-सातिरेगं सागरोवमं ठिती पण्णत्ता । सेसं तं चेव जाव' बली वइरोयणिदे, बली वइरोणिदे ।। १२२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाब विहरइ ।। दसमो उद्देसी प्रोहि-पदं १२३. कतिविहा' णं भंते ! मोही पण्णता ? गोयमा ! दुविहा प्रोही पण्णत्ता । अोहीपदं निरवसेसं भाणियव्वं ।। १२४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ।। इक्कारसमो उद्देसो दीवकुमारादि-पदं १२५. दीवकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा ? सब्वे समुस्सासनिस्सासा? नो इणद्वै समढे । एवं जहा पढमसए बितियउद्देसए दीवकुमाराणं वत्तव्वया तहेब जाव' समाउया, समुस्सासनिम्सासा' ।। - - -- - सूत्रमेवमध्येयं-से केणट्रेण भंते ! एवं २. ११५१ । वुच्चइ -रुयगिदे-रुथगिदे उपायपव्वए? ३. कतिविहे (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। गोयमा ! रुयगिदे गं बहणि उप्पलारिण ४. ५० ३३ । पउमाई कुमुयाई जाब गिदवण्णाई यगिद- ५. भ० ११५१ । लेसाई रुगिदप्पभाई, से तेरगणं रुगिदे- ६. भ० १७४, ७५ । रुयगिंदे उप्पायपव्वए' ति (वृ)। ७. निस्सासा। एवं नागा वि (अ, ता, ब, १. भ० २।११८-१२१ म, स)। Page #798 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोलसमं सतं (१२-१४ उद्देसा) १२६. दीवकुमाराणं भंते ! कति लेस्सानो पण्णत्तायो ? गोयमा ! चत्तारि लेस्साप्रो पण्णत्ताओ, तं जहा–कण्हलेस्सा', 'नीललेस्सा, काउलेस्सा°, तेउलेस्सा ।। १२७. एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरे हितो' 'अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा दीवकुमारा तेउलेस्सा, काउलेस्सा प्रसंखेज्जगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया. कण्ट्रलेस्सा विसेसाहिया ।। १२८. एएसि गं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेसाणं जाव ते उलेस्साण य कयरे कयरे हितो अप्पिड्ढिया वा? महिड्ढिया वा ? गोयमा ! कण्हलेस्साहितो नीललेस्सा महिड्ढिया जाव सव्वमहिडिया तेउलेस्सा ॥ १२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ ।। १२-१४ उद्देसा १३०. उदहिकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा? एवं चेव ।। १३१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १३२. एवं दिसाकुमारा वि ।। १३३. एवं थणियकुमारा वि !! १३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ ।। १. सं० पा०-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा । २. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३. भ० ११५१ । ४. भ० ११५१ । Page #799 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं सतं पढमो उद्देसो नमो सुयदेवयाए भगवईए १. कंजर २.संजय ३.सेलेसि, ४.किरिय ५.ईसाण ६,७. पुढवि ८,९. दग १०,११. वाऊ। १२. एगिदिय १३. नाग १४. सुवण्ण, १५. विज्जु १६,१७. वातग्गि' सत्तरसे ।।१!! हत्थिराय-पदं १. रायगिहे जाव' एवं वयासी--उदायी णं भंते ! हत्थिराया कमोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए उववन्ने ? गोयमा ! असुरकुमारेहिंतो देवेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदायित्थिरायत्ताए उववन्ने । २. उदायी णं भंते ! हत्थिराया कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति? गोयमा! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्ठितियंसि' निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति ।। ३. से ण भंते ! तोहितो अणंतरं उबट्टित्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जि हिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ॥ ४. भूयाणंदे णं भंते ! हत्थिराया कमोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता भूयाणंदे हत्थिराय त्ताए उववन्ने ? एवं जहेव उदायी जाव अंत काहिति ॥ १. वायुग्गि (अ, म, स)। २. भ० ११४-१०। ३. द्वितीयंसि (अ, ख, ब, म)। ४. भ० २१७३ । ७३८ Page #800 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं सतं (पढमो उद्देसो) ७३६ किरिया-पदं ५. पुरिसे णं भंते ! तलमारुहइ', पारुहित्ता तलायो तलफलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तलमारुहइ, पारुहिता तलायो तलफलं पचालेइ बा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव' पंचहि किरियाहि पुढे । जेसि पि णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए, तलफले निव्वत्तिए ते विणं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुटुा ।। ६. अहे णं भंते ! से तलफले अप्पणो गरुयत्ताए •भारियत्ताए गरुयसंभारियत्ताए अहे वीससाए पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाई जाव जीवियानो ववरोवेति, तए' णं भंते ! से युरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से तलफले अप्पणो गरुयत्ताए जाव जीवियानो ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहि पुढे । जेसि पि णं जीवाणं सरीरेहितो तले निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चहिं किरियाहिं पुट्ठा ! जेसि पिणं जीवाणं सरी रेहितो तलफले निव्वत्तिए ते णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहि पुट्ठा । जे वि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवगहे वटुंति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ।। ७. पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूल पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए, ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ।। ८. अहे णं भंते ! से मूले अप्पणो गरुययाए जाव जीवियानो ववरोवेति, तए' णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? १. तलमारुभइ (अ, ख, ता, व, म); ताल उसू' इति पाठोस्ति । तत्माश्यादत्रापि 'जावं च रणं से तलफले' इति पाठः सङ्गतोस्ति । २. भ० १६.११७ । ७. ते वि (अ, क, ख, ता, ब, म, स); अत्र ३. सं० पा०-गायत्ताए जाव पच्चोवयमाए। 'अपि' पदं प्रवाहपाति आगतम् । वृत्तौ फल४. X( अ); भ० ५११३४ ! निर्वर्त्तकास्तु पंचक्रिया एव इति व्याख्यायां ५. ततो (ब) । 'तु' पदेन पूर्वप्रकरणाद् भेदः सूचितः । अस्मि६. से पुरिसे (अ, क, ख, ता, ब, म, स); अत्र नथे 'अपि' पदस्य प्रयोगः सङ्गतो न स्यात् । 'पुरिसे' इति पदं अशुद्धमस्ति । एतत् च ८. भ०७।६४ । लिपिदोषादागतम् । वृत्तौ तत्तालफल मिति ६. ततो (क, ता, म)। लभ्यते । भ० ५।१३५ सूत्रे 'जावं च एवं से Page #801 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४० भगवई गोयमा ! जावं च णं से मूले अप्पणी गरुययाए जाव जीवियाश्रो ववशेवेति तावं चणं से पुरिसेकाइयाए जाव चउहि किरियाहि पुट्टे । 'जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो कंदे' निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते विणं जीवा काइयाए जाव चहिं किरियाहि पुट्टा । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्ति ते गं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा | जे विय से जीवा हे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टेति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरिया हि पुट्ठा ॥ ६. पुरिसे णं भंते! रुक्खस्स कंदे पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स कंदं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च सेपुरिसेकाइयाए जाव पंचहि किरियाहि पुट्ठे । जेसि पि य णं जीवाण सहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा || १०. हे णं भंते ! से कंदे अप्पणी गरुययाए जाव जीविया ओ बवरोवेति, तए णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से कंदे अप्पणी गरुययाए जाव जीविया ववशेवेति तावं चणं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहि पुढे । जेसि पि य णं जीवाणं सहितो मुले निव्वत्तिए, खंधे निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहि पुट्ठा। जेसि पि य णं जीवाणं सहितो कंदे निव्वत्तिए ते' णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा । विय से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वति ते वियणं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा। जहा कंदे, एवं जाव बीयं ॥ ११. कति णं भंते ! सरीरगा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा - ओरालिए जाव कम्मए ॥ १२. कति णं भंते ! इंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता, तं जहा- सोइंदिए जाव' फासिदिए || १३. कतिविहे णं भंते! जोए पण्णत्ते ? गोमा ! तिविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा - मणजोए, वइजोए, कायजोए ॥ १४. जीवे णं भंते ! प्रोरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे कतिकिरिए ? गोमा ! सियतिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। एवं पुढविकाइए वि । एवं जाव मणुस्से || १. मुले (ख, ता, ब) २. X (अ) । ३. ते वि ( अ, क, ख, ता, ब, भ, स) । ४. भ० १०८ ५. भ० २७७ । Page #802 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं सतं (बीओ उद्देसो) ७४१ १५. जीवा णं भंते ! पोरालियसरीरं निव्वत्तेमाणा कतिकिरिया ? गोयमा! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि । एवं पुढविकाइया वि । एवं जाव मणुस्सा। एवं वेउब्वियसरीरेण वि दो दंडगा, नवरं-जस्स अत्थि वेउव्वियं । एवं जाव कम्मगसरीरं । एवं सोइंदियं जाव फासि दियं । एवं मणजोगं, वइजोगं, कायजोग, जस्स जं अत्थि तं भाणियव्वं । एए एगत्त पुहत्तेणं छव्वीसं दंडगा ।। भाव-पदं १६. कतिविहे गं भंते ! भावे पण्णत्ते ? गोयमा ! छविहे भावे पण्णत्ते, तं जहा-ओदइए', ओवसमिए' खइए, खग्रोवसमिए, पारिणामिए°, सन्निवाइए। १७. से कि तं प्रोदइए? प्रोदइए भावे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–उदए य, उदयनिप्फन्ने' य। एवं एएणं अभिलावेणं जहा अणुओगदारे छन्नाम तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव' सेत्तं सन्निवाइए भावे ।। १८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। बीमो उद्देसो धम्माधम्म-ठित-पदं १९. से नणं भंते ! संजत-विरत-पडिहत-पच्चक्खातपावकम्मे धम्मे ठिते ? अस्संजत अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खातपावकम्मे अधम्मे ठिते? संजतासंजते धम्माधम्मे ठिते ? हंता गोयमा ! संजत-विरत - पडिहत-पच्चक्खातपावकम्मे धम्मे ठिते, अस्सं. जत-अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खातपावकम्मे अधम्मे ठिते, संजतासंजते' धम्माधम्मे ठिते ॥ १. उदतिए (अ, क, ब, म)। २. सं० पा०-ओवसमिए जाव सन्निवाइए। ३. निष्पन्ले (अ, म); निप्पन्ने (स)। ४. छणामं (अ, ब, म)। ५. अ०२७३-२६७। ६. भ० ११५१ । ७. सं० पा०-विरत जाव धम्माधम्मे । Page #803 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४२ भगवई २०. एयंसिणं भंते ! धम्मंसि वा, अधम्मंसि वा, धम्माधम्मंसि वा चक्किया केइ आसइत्तए वा', 'सइतए वा, चिट्ठइत्तए वा, निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा ? गोयमा ! नो इणढे समढे ।। से केणं खाई अद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव संजतासंजते धम्माधम्मे ठिते ? गोयमा ! संजत-विरत - पडिहत-पच्चक्खाता पावकम्मे धम्मे ठिते, धम्म चेव उवसंपज्जित्ताणं विहरति । अस्संजत - अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खात . पावकम्मे अधम्मे ठिते, अधम्म चेव उवसंपज्जित्ताणं विहरति । संजतासंजते धम्माधम्मे ठिते, धम्माधम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरति । से तेणद्वेणं जाव धम्माधम्म ठिते ।। २२. जीवा णं भंते ! कि धम्मे ठिता ? अधम्मे ठिता ? धम्माधम्मे ठिता? गोयमा ! जीवा धम्मे वि ठिता, अधम्मे वि ठिता, धम्माधम्मे वि ठिता ॥ २३. नेराइयाणं-पुच्छा। गोयमा ! नेरइया नो धम्मे ठिता, अधम्मे ठिता, नो धम्माधम्मे ठिता । एवं जाव चउरिदियाणं ।।। २४. पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं-पुच्छा। गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया नो धम्मे ठिता, अधम्मे ठिता, धम्माधम्मे विठिता। मणुस्सा जहा जीवा । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा ने रइया ।। बालपंडिय-पदं २५. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परूवति –एवं खलु समणा पंडिया, समणोवासया बालपंडिया, जस्स गं एगपाणाए वि दंडे अणिक्खित्ते से णं एगंतबाले त्ति वत्तब्वं सिया॥ २६. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव एगंतबाले त्ति वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि–एवं खलु समणा पंडिया, समणोवासगा बालपंडिया, जस्स ण एगपाणाए वि दंडे निक्खित्ते से णं नो एगंतबाले त्ति वत्तव्वं सिया ।। २७. जीवा णं भंते ! किं वाला ? पंडिया ? वालपंडिया? गोयमा ! बाला वि, पंडिया वि, वालपंडिया वि।। २८. नेरइयाणं-पुच्छा ।। गोयमा ! नेरइया वाला, नो पंडिया, नो बालपंडिया । एवं जाव चरिदिया। १. एतेसि (अ, क, ब, म, स); अत्र षष्ठीबहु. ३. सं० पा०—विरत जाव पावकम्मे । वचनान्तं पदं शुद्धन प्रतिभाति । ४. सं० पा० --- अस्संजत जाव पावकम्मे । २. सं० पा.---आसइत्तए वा जाव तुयद्वित्तए। Page #804 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं सतं (बीओ उद्देसो) ७४३ २६. पंचिंदियतिक्ख जोणियाणं-पुच्छा। गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया वाला, नो पंडिया, बालपंडिया वि। मणुस्सा जहा जीवा । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा ने रइया ।। जीवस्स जीवायाए एगत्त-पदं ३०. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परूवेति—एवं खलु पाणातिवाए, मुसावाए जाव' मिच्छादसणसल्ले वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया । पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवे रमणे, कोहविवेगे जाव'मिच्छादसणसल्लविवेगे वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया। उप्पत्तियाए' 'वेणइयाए कम्मयाए° पारिणामियाए वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया ! प्रोग्गहे, ईहा-ग्रवाए धारणाए वट्टमाणस्स 'अण्णे जीवे, अण्णे ° जीवाया। उट्ठाणे 'कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार °-परक्कमे वट्टमाणस्स 'अण्णे जीवे, अण्णे ° जीवाया। नेरइयत्ते तिरिक्ख-मणुस्स-देवत्ते वट्टमाणस्स 'अण्णे जीवे, अण्णे ° जीवाया। नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए वट्टमाणस्स' 'अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया। एवं कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए, सम्मदिट्ठीए मिच्छदिट्ठीए सम्मामिच्छदिट्ठीए, एवं चवखुदंसणे अचवखुदंसणे सोहिदंसणे केवलदसणे, आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे मणपज्जवनाणे केवलनाणे, मतिअण्णाणे सुयअण्णाणे विभंगनाणे, पाहारसण्णाए भयसण्णाए मेहुणसण्णाए परिग्गहसण्णाए, एवं ओरालियसरीरे वेउब्वियसरीरे आहारगसरीरे तेयगसरीरे कम्मगसरीरे, एवं मणजोगे वइजोगे कायजोगे सागारोवोगे, अणागारोवोगे वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया ।। ३१. से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंस । अहं पुण गोयमा! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु पाणातिवाए जाव मिच्छादसणसल्ले वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे, सच्चेव जीवाया जाव अणागारोवोगे वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे, सच्चेव जीवाया ।। रूवि-अरूवि-पदं ३२. देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव महेसक्खे पुत्वामेव रूवी भवित्ता पभू अरूवि" विउवित्ता णं चिट्ठित्तए ? नो इणढे समढे ॥ १. भ० ११३८४ । ५. सं० पा०–उट्ठारो जाव परक्कमे । २. भ० ११३८५। ६.७, ८. सं० पा०—वट्टमाणस्स जाव जीवाया। ३. सं० पा०-उप्पत्तियाए जाव पारिणामियाए। ६. भ० ११३३६ । ४. सं० पा०-- वट्टमाणस्स' जाव जीवाया। १०. रूपातीतममूर्त्तमात्मानमिति गम्यते (वृ)। Page #805 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ भगवई ३३. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–देवे णं •महिड्ढिए जाव महेसक्खे पुवामेव रूवी भवित्ता नो पभू अरूवि विउव्वित्ता णं चिट्टित्तए ? गोयमा ! अहमेयं जाणामि, अहमेयं पासामि, अहमेयं बुज्झामि, अहमेयं अभिसमण्णागच्छामि', 'मए एयं नायं, मए एयं दिटुं, मम एवं बुद्धं, मए एयं अभिसमण्णागयं-जाणं तहागयस्स जीवस्स सरूविस्स, सकम्मस्स, सरागस्स, सवेदस्स'. समोहस्स. सलेसस्स, ससरीरस्स, तानो सरीराओ अविप्पमुक्कस्स एवं पण्णायति, तं जहा-कालत्ते वा जाव सुक्किलत्ते वा, सुभिगंधत्ते वा, दुन्भिगंधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव महुरत्ते वा, कक्खडत्ते वा जाव लुक्खत्ते वा । से तेणद्वेणं गोयमा ! 'एवं वुच्चइ –देवे णं महिड्ढिए जाव महेसक्खे पुत्वामेव रूबी भवित्ता नो पभ अरूवि विउव्वित्ता णं चिट्ठित्तए । ३४. सच्चेव ण भंते ! से जीवे पुन्वामेव अरूवी भवित्ता पभू रूवि विउम्वित्ता णं चिट्टित्तए ? नो इणद्वे समढे ॥ ३५. •से केगटेणं भंते ! एवं वुच्चइ---सच्चेव णं से जीवे पुत्वामेव अरूवी भवित्ता नो पभू रूवि विउन्वित्ता णं चिद्वित्तए ? गोयमा ! अहमेयं जाणामि', 'अहमेयं पासामि, अहमेयं बुज्झामि, अहमेयं अभिसमण्णागच्छामि, मए एयं नायं, मए एयं दिटुं, मम एयं बुद्धं, मए एयं अभिसमण्णागयं° -जण्णं तहागयस्स जीवस्स अरूविस्स, अकम्मस्स, अरागस्स, प्रवेदस्स, अमोहस्स, अलेसस्स, प्रसरीरस्स, ताम्रो सरीराम्रो विप्पमक्कस्स तो एवं पण्णायति, तं जहा-कालत्ते वा' 'जाव सुक्किलत्ते वा, सुब्भिगंधत्ते वा, दुब्भिगंधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव' महुरत्ते वा, कक्खडत्ते वा जाव ° लुक्खत्ते वा । से तेणद्वेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-सच्चेव णं से जीवे पुवामेव अरूवी भवित्ता नो पभू रूवि विउव्वित्ता णं° चिट्ठित्तए । ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ १. सं.पा.–जाव नो। ६. सं० पा०--समडे जाव चिद्वित्तए। २. अभिसमागच्छामि (अ, क, ख, ता, ब, म, ७. सं० पा०-जाणामि जाव जग्णं । ८. सं० पा०-कालते वा जाव लुक्खत्ते । ३. मएतं (ता) सर्वत्र। ६. सं० पा०-तेण्डेणं जाव चिद्वित्तए । ४. सवेदरणस्स (ता, स)। १०. भ० ११५१ । ५. सं० पा०-गोयमा जाव चिट्ठित्तए। Page #806 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४०. सत्तरसम सतं (तइओ उद्देसो) तइओ उद्देसो एयणा-पदं ३७. सेलेसि पडिवन्नए णं भंते ! अणगारे सया समियं एयति वेयति' चलति फंदइ घट्टइ खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं परिणमति ? । नो इण? समढे, णण्णत्थेगेणं परप्पयोगेणं ।। ३८. कतिविहा णं भंते ! एयणा' पण्णत्ता ? गोयमा! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा–दवेयणा, खेत्तेयणा, कालेयणा, 'भवे. यणा, भावेयणा ॥ ३६. दव्वेयणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा–नेरइयदव्वेयणा, तिरिक्खजोणियदव्वेयणा, मणस्सदव्वेयणा, देवदव्वेषणा । से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइयदव्वेयणा-नेरइयदव्वेयणा? गोयमा ! जण्णं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टिसु वा, वट्ठति वा, वट्टिस्संति वा ते णं तत्थ नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा नेरइयदव्वेयणं एइंसु वा, एयंति वा, एइस्संति वा । से तेणद्वेणं जाव नेरइयदव्वेयणा । से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-तिरिक्खजोणियदव्वेयणा-तिरिक्खजोणियदवेयणा? ५ गोयमा ! जण्णं तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियदवे वदिसु वा, वर्सेति वा, वट्टिस्संति वा ते णं तत्थ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियदवे वट्टमाणा तिरिक्खजोणियदव्वेयणं एइंसु वा, एयंति वा, एइस्संति वा । से तेणटेणं जाव तिरिक्खजोणियदव्वेयणा। से केणतुणं भंते ! एवं दुच्चइ-मणुस्सदव्वेयणा-मणुस्सदव्वेयणा? गोयमा ! जणं मणुस्सा मणुस्सदव्वे वट्टिसु वा, वर्गृति वा, वट्टिस्संति वा ते णं तत्थ मणुस्सा मणुस्सदव्वे वट्टमाणा मणुस्सदव्वेयणं एइंसु वा, एयंति वा, एइस्संति वा । से तेण?णं जाव मणुस्सदब्वेयणा। से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ–देवदव्वेयणा-देवदव्वेयणा? गोयमा ! जण्णं देवा देवदव्ये वदिसु वा, वट्टति वा, वट्टिस्संति वा ते णं तत्थ देवा देवदब्वे वट्टमाणा देवदव्वेयणं एइंसु वा, एयंति वा, एइस्संति वा। से तेण?णं जाव° देवदव्वेयणा ।। १. सं० पा०-वेयति जाव तं । २. एतणा (ता, ब)। ३. भावेयणा, भवेयणा (म)। ४, एयंसु (अ, ब, म)। ५. सं० पा०---एवं चेव, नवरं-तिरिक्ख जोणियदव्वे भाणियब्वं, सेसं सं चेव, एवं जाव देवदव्वेयरणा । Page #807 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४६ भगवई ४१. खेत्तयणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहानेरइयखेत्तेयणा जाव देवखेत्तयणा ॥ ४२. से केणढणं भंते ! एवं वुच्चइ–नेरइयखेत्तेयणा-नेरइयखेत्तेयणा ? एवं चेव, नवरं--नेरइयखेत्तेयणा भाणियन्वा, एवं जाव देववेत्तेयणा । एवं कालेयणा वि, एवं भवेयणा वि, एवं भावेयणा वि, एवं जाव देवभावेयणा ।। चलणा-पदं ४३. कतिविहा णं भंते ! चलणा पण्णत्ता ? __गोयमा ! तिविहा चलणा पण्णत्ता, तं जहा-सरीरचलणा, इंदियचलणा, जोगचलणा॥ सरी रचलणा णं भंते ! कति विहा पण्णता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा--पोरालियसरीरचलणा जाव कम्मग सरीरचलणा ॥ ४५. इंदियचलणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा--सोइंदियचलणा जाव फासिदियचलणा॥ ४६. जोगचलणा णं भंते ! कतिविहा पण्णता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-मणजोगचलणा, वइजोगचलणा, कायजोग चलणा॥ ४७. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-पोरालियसरी रचलणा-ओरालियसरीर चलणा? गोयमा ! जण्णं जीवा पोरालियसरीरे वट्टमाणा ओरालियसरीरपायोग्गाई दव्वाइं ओरालियसरीरत्ताए परिणामेमाणा ओरालियसरीरचलणं चलिस वा, चलंति वा, चलिस्संति वा । से तेणटेणं जाव ओरालियसरीरचलणा। से केणट्रेणं भंते ! एवं बुच्चइ -वे उब्वियसरीरचलणा-वे उव्वियसरीरचलणा? एवं चेव, नवरं वे उब्वियसरीरे वट्टमाणा । एवं जाव कम्मगसरीरचलणा। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सोइंदियचलणा-सोइंदियचलणा? गोयमा ! जणं जीवा सोइंदिये वट्ट माणा सोइंदियपायोग्गाई दवाई सोइंदियत्ताए परिणामेमाणा सोइंदियचलणं चलिंसु वा, चलति वा, चलिस्संति वा। से तेणद्वेणं जाव सोइंदियचलणा । एवं जाव फासिंदियचलणा। से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ-मणजोगचलणा-मणजोगचलणा? गोयमा जणं जीवा मणाजोगे वट्टमाणा मणजोगपाप्रोग्गाइं दवाई मणजोगत्ताए परिणामेमाणा मणजोगचलणं चलिसु वा, चलंति वा, चलिस्संति वा । से तेणद्वेणं जाव मणजोगचलणा । एवं वइजोगचलणा वि । एवं कायजोगचलणा वि॥ Page #808 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४७ सत्तरसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) संवेगादि-पदं ४८. अह भंते ! संवेगे, निव्वेए, गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया, पालोयणया, निंदणया, गरहणया, खमावणया', विउसमणया, सुयसहायता भावे अप्पडिबद्धया, विणिवट्टणया, विवित्तसयणासणसेवणया, सोइंदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे, जोगपच्चक्खाणे, सरीरपच्चक्खाणे, कसायपच्चक्खाणे, संभोगपच्चक्खाणे, उवहिपच्चक्खाणे, भत्तपच्चक्खाणे, खमा, विरागया, भावसच्चे, जोगसच्चे, करणसच्चे, मणसमन्नाहरणया, वइसमन्नाहरणया, कायसमन्नाहरणया, कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, नाणसंपन्नया, दंसणसंपन्नया, चरित्तसंपन्नया, वेदणअहियासणया, मारणंतियअहियासणया-एए णं किंपज्जवसाणफला पण्णत्ता समणाउसो! गोयमा! संवेगे, निव्वेए जाव मारणंतियअहियासणया एए णं सिद्धिपज्जव साणफला पण्णत्ता समणाउसो ! ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। चउत्थो उद्देसो किरिया-पदं ५०. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी-अस्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ ? हंता अस्थि ॥ ५१. सा भंते ! किं पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ जाव निव्वाघाएणं छद्दिसिं, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पंचदिसि ।। ५२. सा भंते ! कि कडा कज्जइ ? अकडा कज्जइ? गोयमा ! कडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ॥ १. खमासणया (अ); खमायणया (क, ख, ता, ५. णं भंते पदा (अ, क) । ब, म, ५)। ६. भ० ११५१ । २. एतत् च क्वचिद् न ते (व)। ७. भ० ११४-१० । ३. सुयसहायता विओसरणता (ता); सुहसाह- ८. सं० पा०—एवं जहा पढमसए छठ्ठद्देसए यया विउसमणया (ब)। जाव नो। ४. मरणसमाधा (हा) रण्या (उत्त० २६१)। ६. भ० ११२५६-२६६ । Page #809 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५३. सा भंते! कि अत्तकडा कज्जइ ? परकडा कज्जइ ? तदुभयकडा कज्जइ ? गोयमा ! अत्तकडा कज्जइ, नो परकडा कज्जइ, नो तदुभयकडा कज्जइ ॥ ५४. सा भंते! किं प्राणुपुवि कडा कज्जइ ? णाणुपुवि कडा कज्जइ ? गोमा श्रापुवि कडा कज्जइ, नो प्रणाणुपुवि कडा कज्जइ । जा य कडा कज्जइ, जाय कज्जिस्सइ, सव्वा सा प्राणुपुवि कडा ०, नो प्रणाणुपुवि कडा ति वत्तव्वं सिया । एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जीवाणं एगिंदियाण य निव्वाघाणं छद्दिसि वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पंचदिसि । सेसाणं नियमं छद्दिसिं ॥ ५५. प्रत्थि णं भंते ! जीवाणं मुसावाएणं किरिया कज्जइ ? ૩૪. हंता प्रत्थि ॥ ५६. सा भंते! कि पुट्ठा कज्जइ ? प्रपुट्ठा कज्जइ ? जहा पाणाइवाएणं दंडग्रो एवं मुसावाएण वि । एवं अदिन्नादाणेण वि, मेहुणेण ' वि परिगण वि । एवं एते पंच दंडगा || ५७. जं समयं णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ सा भंते ! कि पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? एवं तहेव जाव' वत्तव्वं सिया जाव वेमाणियाणं । एवं जाव परिग्गणं । एवं एते वि पंच दंडगा || ५८. जं देस णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ ? एवं चेव जाव परिग्गणं । एते वि पंच दंडगा || ५६. जं पएसं णं भंते ! जीवाणं पाणातिवाएणं किरिया कज्जइ सा भंते! किं पुट्ठा कज्जइ ? एवं तहेव दंड । एवं जाव परिग्गहेणं । एवं एते वीस दंडगा || दुक्ख-वेदना-पदं ६०. जीवाणं भंते! किं प्रत्तकडे दुक्खे ? परकडे दुक्खे ? तदुभयकडे दुक्खे ? गोयमा ! अत्तकडे दुक्खे, नो परकडे दुक्खे, नो तदुभयकडे दुक्खे । एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ६१. जीवा णं भंते ! किं प्रत्तकडं दुक्खं वेदेति ? परकडं दुक्खं वेदेति ? तदुभयकडं दुक्खं वेदेति ? गोयमा ! अत्तकडं दुक्खं वेदेति, नो परकडं दुक्खं वेदेति, नो तदुभयकडं दुक्खं वेदेति । एवं जाव वेमाणियाणं || ६२. जीवाणं भंते! किं अत्तकडा वेयणा ? परकडा वेयणा ? तदुभयकडा वेयणा ? १. मेधुणेण ( ब ) 1 २. १७५१-५४ ३. सं० पा० – पुच्छा | Page #810 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ७४६ गोयमा ! अत्तकडा वेयणा, नो परकडा वेयणा, नो तदुभयकडा वेयणा । एवं जाव वेमाणियाणं ।। ६३. जीवा णं भंते ! कि अत्तकडं वेयणं वेदेति ? परकडं वेयणं वेदेति ? तदुभयकडं वेयणं वेदेति ? गोयमा ! जीवा अत्तकडं वेयणं वेदेति, नो परकडं वेयणं वेदेति, नो तदुभयकडं वेयणं वेदति । एवं जाव वेमाणियाणं ।। ६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। पंचमो उद्देसो ईसाण-पदं ६५. कहिं णं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पण्णता? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जानो भूमिभागानो उड्ढं चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवाणं जहा ठाणपदे जाव' मज्झे ईसाणवडेंसए। से णं ईसाणवडेंसए महाविमाणे पद्धतेरसजोयणसयसहस्साइं–एवं जहा दसमसए सक्कविमाणवत्तव्वया सा इह वि ईसाणस्स निरवसेसा भाणियव्वा जाव' आयरक्ख त्ति । ठिती सातिरेगाई दो सागरोवमाइं, सेसं तं चेव जाव ईसाणे देविदे देवराया, ईसाणे देविदे देवराया। ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ छट्टो उद्देसो पुढविक्काइयादीणं देस-सव्व-मारणंतियसमुग्घाय-पदं ६७. पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भंते ! कि पुचि १. भ० ११५१ । ४. भ० १०.१००। २. प० २। ५. भ० १३५१ । ३. भ० १०६६1 Page #811 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५० भगवई उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा ? पुवि संपाउणिता पच्छा उववज्जेज्जा ? गोयमा ! पुवि वा उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा, पुद्वि वा संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेज्जा ॥ से केणटेणं जाव पच्छा उववज्जेज्जा ? गोयमा ! पुढविक्काइयाणं तो समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेदणासमुग्घाए, कसायसमुरघाए, मारणंतियसमुग्घाए । मारणंतियसमुग्घाएणं समोहण्णमाणे देसेण वा समोहण्णति, सम्वेण वा समोहरणति, देसेण वा समोहण्णमाणे पुव्वि संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेज्जा, सव्वेणं समोहण्णमाणे पुचि उववज्जेत्ता पच्छा संपाउणेज्जा । से तेणटेणं जाव पच्छा उववज्जेज्जा ॥ ६९. पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए' समोहए, समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए° ? एवं चेव ईसाणे वि । एवं जाव अच्चुय-गेवेज्जविमाणे, अणुत्तरविमाणे, ईसिंपन्भाराए य एवं चेव ।। ७०. पुढविक्काइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए ° ? एवं जहा रयणप्पभाए पुढविक्काइओ उववाइगो एवं सक्करप्पभाए वि पुढविक्काइनो उववाएयब्वो जाव ईसिंपब्भाराए । एवं जहा रयणप्पभाए वत्तव्वया भणिया, एवं जाव अहेसत्तमाए समोहए ईसिंपन्भाराए उववाएयव्यो, सेसं तं चेव ।। ७१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। सत्तमो उद्देसो ७२. पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! किं पुब्वि उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा? सेसं तं चेव ? जहा रयणप्पभाए पुढविक्काइए सव्वकप्पेसु जाव ईसिंपब्भाराए ताव उबवाइयो, एवं सोहम्मपुढविक्काइनो वि सत्तसु वि पुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहेसत्तमाए । एवं जहा सोहम्मपुढविक्काइयो सव्वपुढवीसु उववाइनो, एवं जाव ईसिंपन्भारापुढविक्काइओ सव्वपुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहेसत्तमाए । ७३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति॥ ३. भ० ११५१ । १. पुढवीए जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. भ० १०५१। Page #812 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसमं सतं (८-१० उद्देसा) ७५१ अट्ठमो उद्देसो ७४. आउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एवं जहा पुढविक्काइनो तहा आउक्काइयो वि सव्वकप्पेसु जाव ईसिपब्भाराए तहेव उववाएयवो। एवं जहा रयणप्पभग्राउक्काइनो उववाइअो तहा जाव अहेसत्तम आउक्काइयो उववाएयव्वो जाव ईसिपब्भाराए॥ ७५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। नवमो उद्देसो ७६. आउक्काइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ? सेसं तं चेव, एवं जाव आहेसत्तमाए। जहा सोहम्मआउक्काइओ एवं जाव ईसिपम्भाराग्राउक्काइनो जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो।। ७७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। दसमो उद्देसो ७८. वाउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए जाव जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउ क्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते० ? जहा पुढविक्काइयो तहा वाउक्काइनो वि, नवरं-वाउक्काइयाणं चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेदणासमग्घाए जाव' वेउब्वियसमग्घाए । मारणंतियसमुग्घाए णं समोहण्णमाणे देसेण वा समोहण्णइ, सेसं तं चेव जाव अहेसत्तमाए समोहरो ईसिंपन्भाराए उववाएयवो।। ७९. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ १. भ० ११५१ । २. भ० ११५१ । ३. भ० २१७४ । ४. भ. ११५१। Page #813 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५२ इक्कारसमो उद्देसो ८०. वाउक्काइए णं भंते! सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रणभार पुढवी घणवाए, तणुवाए, घणवायवलएसु, तणुवायवलएसु वाउकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ? सेसं तं चैव । एवं जहा सोहम्मे वाका सत्तसु वि पुढवीसु उववाइयो एवं जाव ईसिंपन्भारावा उक्काइश्रो असत्तमाए जाव उववाएयव्वो । ८१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' । बारसमो उद्देसो एगिदिय-पदं ८२. एगिदिया णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं जहा पढमसए बितियउद्देसए पुढविक्काइयाणं वत्तव्वया भणिया सा चेव एगिंदियाणं इह भाणियव्वा जाव' समाउया, समोववन्तगा || ८३. एगिदियाणं भंते ! कति लेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! चत्तारि लेस्साग्र पण्णत्ताओ, तं जहा - कण्हलेस्सा' नीललेस्सा काउलेस्सा • तेउलेस्सा || भगवई ८४. एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कण्हलेस्साणं' "नीललेस्साणं काउलेस्साणं तेउलेस्सा य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिंदिया तेउलेस्सा, काउलेस्सा अनंतगुणा, नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया || ८५. एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कण्हलेसाणं इड्ढी० ? जहेव दीवकुमाराणं ॥ ८६. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति' ।। १. भ० ११५१ । २. भ० ११७६-८१ । ३. सं० पा० - कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा । ४. सं० पा० --- कण्हलेस्सारणं जाव विसेसाहिया । ५. भ० १६।१२८ । ६. भ० १।५१ । Page #814 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरसम सतं (१३-१७ उद्देसा) १३-१७ उद्देसा नागकुमारादि-पदं ८७. नागकुमाराणं भंते! सव्वे समाहारा० ? जहा सोलसमसए दीवकुमारुसे तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव' इड्ढी || ८८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ ॥ ८. सुवण्णकुमाराणं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं चैव ॥ ६०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६१. विज्जुकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं चैव ॥ ६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।। ६३. वायुकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं चैव ॥ ६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' । ६५. अग्गिकुमारा णं भंते ! सब्वे समाहारा० ? एवं चैव ॥ ६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' | १. भ० १६।१२५-१२८ । २. भ० ११५१ । ३० भ० ११५१ । ४. भ० १५१ । ५. भ० १५१ । ६. भ० ११५१ । ७५३ Page #815 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं पढमो उद्देसो १. पढमे २. विसाह ३. मायंदिर य ४. पाणाइवाय ५. असुरे य । ६. गुल ७. केवलि ८. अणगारे, ६. भविए तह १०. सोमिलट्ठारसे ॥१॥ पढम-अपढम-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' एवं वयासो-जीवे णं भंते ! जोव भावेणं किं पढमे ? अपढमे ? गोयमा ! नो पढमे, अपढमे । एवं नेरइए जाव वेमाणिए । सिद्ध णं भंते ! सिद्धभावेणं कि पढमे ? अपढमे ? गोयमा ! पढमे, नो अपढमे ।। ३. जीवा णं भंते ! जीवभावेणं किं पढमा ? अपढमा ? गोयमा! नो पढमा, अपढमा । एवं जाव वेमाणिया ।। सिद्धा णं-पुच्छा। गोयमा ! पढमा, नो अपढमा।। पाहारए णं भंते ! जीवे पाहारभावेणं कि पढमे ? अपढमे ? गोयमा! नो पढमे, अपढमे । एवं जाव वेमाणिए । पोहत्तिए एवं चेव ॥ अणाहारए णं भंते ! जीवे अणाहारभावेणं-पुच्छा। गोयमा ! सिय पढमे, सिय अपढमे ।। नेरइए णं भंते ! जोवे प्रणाहारभावेणं-पुच्छा ! एवं नेरइए जाव वेमाणिए नो पढमे, अपढमे । सिद्धे पढमे, नो अपढमे ॥ । १. पढमा (अ, क, ख, ता, ब, म)। 'अ' प्रतावपि एषा गाथा लभ्यते। २. उद्देशकद्वारसंग्रहणी चेयं गाथा क्वचिदृश्यते-- ३. भ० ११४-१० । जीवाहारग भवसन्निलेसादिट्ठी य संजयकसाए। णाणे जोगुवओगे, तेए य सरीरपज्जत्ती ।। (वृ); ७५४ . Page #816 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (मो उद्देसो) ८. अणाहारगाणं भंते! जीवा अणाहारभावेणं - पुच्छा ! गोयमा ! पढमा वि, अपढमा वि । नेरइया जाव वेमाणिया नो पढमा, अपढमा । सिद्धा पढमा, तो पदमा एक्केक्के पुच्छा भाणियव्वा ॥ ĉ. भवसिद्धीए एगत्त-पुहत्तेणं जहा ब्राहारए, एवं प्रभवसिद्धीए वि । नोभवसिद्धीयनोभवसिद्धीए णं भंते! जीवे नोभवसिद्धीय-नोश्रभवसिद्धीयभावेणं पुच्छा । गोमा ! पढमे, तो अपढमे । नोभवसिद्धीय-नोश्रभवसिद्धीए णं भंते ! सिद्धे नोभवसिद्धीय-नोप्रभवसिद्धीयभावेणं - पुच्छा एवं पुहत्तेण वि दोण्ह वि ॥ १०. सुष्णी णं भंते ! जीवे सण्णीभावेणं किं पढमे -- पुच्छा | गोयमा ! नो पढमे, अपढमे । एवं विगलिदियवज्जं जाव बेमाणिए । एवं पुते व 1 अण्णी एवं चेव एगत्त-पुहत्तेणं, नवरं जाव वाणमंतरा । नोसण्णीनोसणी जीवे मस्से सिद्धे पढमे, नो अपढमे । एवं पुहत्तेण वि । ११. ससे णं भंते ! ७५५ पुच्छा। गोयमा ! जहा श्राहारए, एवं पुहत्तेण वि । कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा एवं चेव, नवरं – जस्स जा लेसा ग्रत्थि । ग्रलेसे णं जीव- मणुस्स- सिद्धे जहा नोसण्णी तो असण्णी ॥ २. सम्मदिट्ठीए णं भंते ! जीवे सम्मदिट्टिभावेणं किं पढमे -पुच्छा | गोमा ! यि पढमे, सिय अपढमे । एवं एगिदियवज्जं जाव वैमाणिए । सिद्धे पढमे, तो पढमे । पुत्तिया जीवा पढमा वि अपढमा वि । एवं जाव मणिया । सिद्धा पढमा नो अपढमा मिच्छादिट्ठीए एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारगा । सम्मामिच्छदिट्ठी एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी, नवरं - जस्स अत्थि सम्मामिच्छत्तं ॥ १३. संजए जीवे मणुस्से य एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी । ग्रसंजए जहा प्राहारए । संजया संजए जीवे पंचिदियतिरिक्खजोणिय मणुस्सा एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी । नोसंजए नो अस्संजए नोसंजयासंजए जीवे सिद्धेय एगत्त-पुहत्तेणं पढमे, तो अपदमे || १४. सकसायी, कोहकसायी जाव लोभकसायी - एए एगत्त-पुहत्तेषं जहा श्राहारए । अक्सायी जीवे सिय पढमे, सिय अपढमे । एवं मणुस्से वि । सिद्धे पढमे, नो अपढमे । पुत्ते जीवा मणुस्सा वि पढमा विग्रपढमा वि । सिद्धा पढमा, तो अपढमा ॥ १५. नाणी एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी ! आभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जव - नाणी एगत्त-पुहत्तेणं एवं चेव, नवरं – जस्स जं प्रत्थि । केवलनाणी जीवे मणुस्से सिद्धे य एगत्त-पुहत्तेणं पढमा नो अपढमा । अण्णाणी, मइअण्णाणी, सुयण्णाणी, विभंगनाणी य एगत्त-पुहत्तेणं जहा ग्राहारए ॥ Page #817 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १६. सजोगी, मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए, नवरं जस्स जो जोगो अत्थि । अजोगी जीव मणुस्स-सिद्धा एगत्त-पुहत्तेणं पढमा, नो अपढमा ।। १७. सागारोवउत्ता अणागारोव उत्ता एगत्त-पुहत्तेणं जहा अणाहारए।। १८. सवेदगो जाव नपुंसगवेदगो एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए, नवरं - जस्स जो वेदो अस्थि । अवेदनो एगत्त-पुहत्तेणं तिसु वि पदेसु जहा अकसायी ।। १६. ससरीरी जहा आहारए, एवं जाव कम्मगसरीरी, जस्स जं अत्थि सरीरं, नवरं---- पाहारगसरीरी' एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी। असरीरी जीवो सिद्धो य एगत्त-पुहत्तेणं 'पढमो, नो अपढमो" ॥ २०. पंचहिं पज्जत्तोहिं पंचहि अपज्जत्तीहिं एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए, नवरंजस्स जा अत्थि जाव वेमाणिया नो पढमा, अपढमा। इमा लक्खणगाहा -- जो जेण पत्तपुव्वो, भावो सो तेण अपढमयो होइ । सेसेसु होइ पढमो, अपत्तपुव्वेसु भावेसु ॥१॥ चरिम-प्रचरिम-पदं २१. जीवे णं भंते ! जीवभावेणं किं चरिमे ? प्रचरिमे ? गोयमा ! नो चरिमे, अचरिमे ॥ २३. नेरइए णं भंते ! ने रइयभावेणं-पुच्छा । गोयमा ! सिय चरिमे, सिय प्रचरिमे । एवं जाव वेमाणिए । सिद्धे जहा जीवे ॥ २३. जीवा णं ---पुच्छा। गोयमा ! नो चरिमा, अचरिमा । नेरइया चरिमा वि, अचरिमा वि। एवं जाव वेमाणिया। सिद्धा जहा जीवा ।। २४. आहारए सव्वत्थ एगत्तेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे; पुहत्तेणं चरिमा वि, अचरिमा वि । अणाहारो जीवो सिद्धो य एगत्तेण वि पुहत्तेण वि 'नो चरिमो, अचरिमो। सेसट्टाणेसु एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारो॥ २५. भवसिद्धोनो जीवपदे एगत्त-पुहत्तेणं चरिमे, नो अचरिमे । सेसट्टाणेसु जहा आहारो। अभवसिद्धीनो सव्वत्थ एगत्त-पुहत्तेणं नो चरिमे, अचरिमे । नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीयजीवा सिद्धा य एगत्त-पुहत्तेणं जहा अभवसिद्धीग्रो ।। ३. नो चरिमा अचरिमा (क, ख, ता, ब, म)। १. आहारासरीरी (क, ख, ता)। २. पढमा नो अपढमा (अ, क, ख, ता, व, म)। Page #818 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सत (पढमो उद्देसो) ७५७ २६. सण्णी जहा आहारो, एवं असण्णी वि । नोसण्णी-नोअसण्णी जीवपदे सिद्धपदे य अचरिमे, मणुस्सपदे चरिमे एगत्त-पुहत्तेणं ।। २७. सलेस्सो जाव सुक्कलेस्सो जहा आहारो, नवरं–जस्स जा अस्थि । अलेस्सो जहा नोसण्णी-नोअसण्णी ।। २८. सम्मदिट्ठी जहा अणाहारयो । मिच्छादिट्ठी जहा आहारयो । सम्मामिच्छदिट्ठी एगिदिय-विलिंदियवज्जं सिय चरिमे, सिय अचरिमे। पुहत्तेणं चरिमा वि, अचरिमा वि ।। २६. संजो जीवो मणुस्सो य जहा अाहारो ! अस्संजनो वि तहेव । संजयासंजए वि तहेव, नवरं-जस्स जं अत्थि ! नोसंजय-नोअसंजय-नोसंजयासंजो जहा नोभवसिद्धीय-नोभवसिद्धीओ।। ३०. सकसायी जाव लोभकसायी सव्वट्ठाणेसु जहा आहारो। अकसायी जीवपदे सिद्धे य नो चरिमे, अचरिमे । मणुस्सपदे सिय चरिमे, सिय अचरिमे ।। ३१. नाणी जहा सम्मद्दिट्टी सव्वत्थ । प्राभिणिबोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी जहा ग्राहारमो, नवरं-जस्स जं अस्थि ! केवलनाणो जहा नोसण्णी-नोअसण्णी। अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा आहारओ॥ ३२. सजोगी जाव कायजोगी जहा आहारओ, जस्स जो जोगो अत्थि । अजोगी जहा नोसण्णी-नोअसण्णी ॥ ३३. सागारोवउत्तो अणागारोवउत्तो य जहा अणाहारो ।। ३४. सवेदनो जाव नपुंसगवेदो जहा आहारो । अवेदओ जहा अकसायी ।। ३५. ससरीरी जाव कम्मगसरीरी जहा आहारमओ, नवरं- जस्स जं अस्थि । असरीरी जहा नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीप्रो ।। ३६. पंचहि पज्जत्तीहिं पंचहिं अपज्जत्तीहिं जहा आहारो, सव्वत्थ एगत्त-पुहत्तेणं दंडगा भाणियव्वा । इमा लक्खणगाहा जो जं पाविहिति पुणो, भावं सो तेण अचरिमो होइ । अच्चंतविनोगो जस्स, जेण भावेण सो चरिमो ॥१॥ ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहर।। १. भ. ११५१ । Page #819 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५८ भगवई बीओ उद्देसो सक्कस्स कत्तिय-से टिनाम-पुत्वभव-पदं ३८. तेणं कालेणं तेणं समएणं विसाहा नाम नगरी होत्था-वण्णओ' । बहुपुत्तिए चेहए-वण्णयो । सामी समोसढे जाव' पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के देविदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे-एवं जहा सोलसमसए बितियउद्देसए तहेव दिव्वेणं जाणविमाणेणं आगओ, नवरं-~~एत्थं पाभियोगा वि अत्थि जाव' बत्तीसतिविहं नट्टविहि उवदंसेत्ता जाव पडिगए ॥ ३६. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमं सित्ता ° एवं वयासी - जहा तइयसए ईसाणस्स तहेव कूडागारदिटुंतो, तहेव पुत्वभवपुच्छा जाव' अभिसमन्नागए? गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हथिणापुरे नाम नगरे होत्था--बण्णनो'। सहसंबवणे उज्जाणे-वणों। तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे कत्तिए नामं सेट्ठी परिवसति अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए, नेगमपढमासणिए, नेगमट्ठसहस्सस्स बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य कोडुबेसु य मंतसु य रहस्सेसु य गुज्झेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य प्रापुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमाणं आहारे पालंवणं चक्खू, मेढिभूए पमाणभूप आहारभूए अालवणभूए° चक्खुभूए, नेगमट्ठसहस्सस्स सयस्स य कुडुबस्स आहेवच्चं •पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं प्राणा-ईसर-सेणावच्चं ° कारेमाणे पालेमाणे, समणोवासए, अहिगयजीवाजीवे जाव" महापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। ४१. तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिसुव्वए अरहा आदिगरे जहा सोलसमसए तहेव जाव समोसढे जाव" परिसा पज्जुवासइ ।। ४२. तए णं से कत्तिए सेट्ठी इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुटे एवं जहा एक्कारसम सए सूदंसणे तहेव निग्गयो जाव' पज्जुवासति ।। १. ओ० सू० १। २. ओ० सू० २-१३ । ३. ओ० सू० २२-५२ । ४. भ० १६।३३; ३।२७ ।। ५. सं. पा.-महावीरं जाव एवं । ६. भ० ३१२८-३० । ७. ओ. सू० १। ८. सहस्संबवणे (स)। ६. भ०११॥५७। १०. भ० २।१४। ११. सं० पा०---एवं जहा रायपसेणइज्जे चित्ते जाव चवखुभूए । १२, सं० पा०—आहेवच्चं जाव कारेमाणे। १३. भ० २१६४ ॥ १४. भ० १६।६७,६८ । १५. भ० १११११६ । Page #820 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसम सतं (बीओ उद्देसो) ७५६ ४३. तए णं मुनिसुव्वए श्ररहा कत्तियस्स सेट्टिस्स तीसे य महति महालियाए परिसाए धम्मं परिकहेइ जाव' परिसा पडिगया ॥ ४४. तए णं से कत्तिए सेट्ठी मुणिसुव्वयस्स' 'अरहओ प्रतियं धम्मं सोच्चा निसम्म उट्ठाए उट्ठेति, उट्ठेत्ता मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नर्मसित्ता एवं वयासी एवमेयं भंते ! जाव से जहेयं तुब्भे वदह जं, नवरं देवाप्पिया ! नेगमट्टसहस्सं प्रापुच्छामि, जेट्ठपुत्तं च कुडुंबे ठावेमि, तए णं ग्रहं देवाप्पियाणं प्रतियं पव्वयामि । हासुहं देवाणुप्पिया' ! मा पडिबंधं ॥ ४५. तए णं से कतिए सेट्ठी जाव' पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव सए गेहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता नेगमट्टसहस्सं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी --एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए मुणिसुव्वयस्स श्ररहम्रो प्रतियं धम्मेनिसते, से वि य मे धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए । तए णं अहं देवाप्पिया ! संसारभयुव्विग्गे जाव' पव्वयामि तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! किं करेह, किं ववसह, किं भे हिय इच्छिए, किं भे सामत्थे ? ४६. तए णं तं नेगमद्वसहस्सं पि" कत्तियं सेट्ठि एवं वयासी-जइ णं तुब्भे देवाणुपिया ! संसारभयुव्विग्गा जाव पव्वयहरु, अम्हं देवाणुप्पिया ! के अण्णे आलंबे वा, आहारे वा, पडिबंधे वा ? ग्रम्हे विणं देवाणुप्पिया ! संसारभयुविग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पिएहि सद्धि मुणिसुव्वयस्स अरहस्रो प्रतियं मुंडा भवित्ता प्रगाराम्रो प्रणगारिय" पव्वयामो" ॥ ४७. तए गं से कत्तिए सेट्ठी तं नेगमट्ठसहस्स एवं वयासी-जदि णं देवाणुप्पिया ! संसारभयुव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं मए सद्धि मुणिसुव्वयस्स" ग्ररहस्र ग्रंतियं मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयह, तं गच्छह णं तुब्भे देवा ! ससु गहेसु, विपुलं असणं" पाणं साइमं साइमं • उवक्खडावे ह, १. सं० पा०-- धम्मका २. ओ० सू० ७१ ७६ ३. सं० पा० - मुनिसुव्वयस्स जाव तिसम्म । ४. सं० पा०- - मुसुिव्वयं जाव एवं | ५. भ० २।५२ । ६. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, भ, स ) । ७. भ० १६ । ७१ । ८. भ० १८/४६ । ६. के ( क, ख, ता, व, म) । १०. के ( अ, क, ख, ता, ब, म, स) । ११. तं ( ख ) । १२. पव्वाति (य); गव्वादि (क, ख, ता, ब); पन्वादि (म) : पव्वाहिति ( स ) | नायाधम्म - कहाओ ( ५।६० ) सूत्रानुसारेण एतत् क्रियापदं स्वीकृतम् । १३. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । १४. पव्वामी ( अ, ख, ता, ब, म ) । १५. सं० पा०- - मुणिसुव्वयस्स जाव पव्वयह । १६. सं० पा० असणं जाव उवक्खडावेह | Page #821 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई o मित्त-नाइ' - नियग-सयण-संबंधि- परियणं आमंतेह, तं भित्त-नाइ - नियग-सयणसंबंधि- परियणं विउलेणं असण- पाणखाइम- साइमेणं वत्थ-गंध-मल्लाल-कारेण य सक्कारेह सम्माणेह, तस्सेव मित्त-नाइ नियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स पुरनो जेठपुत्ते कुडुंबे ठावेह, ठावेत्ता तं मित्त-नाइ' नियग-सयण संबंधिपरियणं • जेट्ठपुत्ते आपुच्छह, प्रापुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ द्रुहह, दुहिता मित्त-नाइ' - नियग-सयण संबंधि - परिजणेण जेठपुत्तेहि य समणुगम्ममणमाग्गा सव्विड्ढीए जाव दुंदुहि निग्घोसनादियरवेणं अकालपरिहोणं चैव मम अंतियं पाउब्भवह || c ४८. तए णं तं नेगमट्टसहस्सं पि कत्तियस्स सेट्ठिस्स एयमट्टं विणएणं पडिसुणेति, पडणेता जेणेव साई -साई गिहाई तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ - • नियग-सयण-संबंधि-परियणं विउलेणं असण- पाण- खाइम साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणेइ, तस्सेव मित्त-नाइ - • नियग-सयणसंबंधि- परियणस्स पुरश्रो जेट्ठपुत्ते कुडुंबे ठावेति, ठावेत्ता तं मित्त-नाइ - • नियग-सयण-संबंधि-परियणं जेट्ठपुत्ते य आपुच्छर, आपुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ द्रुहति, दुहित्ता मित्त-नाइ नियग-सयण-संबंधि० परिजजेपुतेहिय समणुगम्ममाणमग्गा सव्विड्ढीए जाव" दुहि निग्घोसनादियdi कालपरिहीणं चैव कत्तियस्स सेट्ठिस्स अंतियं पाउब्भवति || ४६. तए णं से कत्तिए सेट्ठी विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवबखडावेति जहा गंगदत्तो जाव" सीयं द्रुहति दुहित्ता मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि - परिज o णं जेट्ठपुत्ते नेगमद्वसहस्सेण य समणुगम्ममाणमग्गे सव्विड्ढीए जाव" दुंदुहिनिग्घोसनादियरवेणं हत्यिणापुरं नगरं मज्भंमज्भेणं निग्गच्छइ, जहा गंगदत्तो - जाव" प्रालित्ते णं भंते! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, आलित्त- पलित्ते गं भंते ! लोए जाव" प्राणुगामियत्ताए भविस्सति तं इच्छामि णं भंते ! नेगमट्टसहस्से सद्धि सयमेव पव्वावियं जाव" धम्ममाइक्खियं ॥ ७६० o १. सं० पा० - नाइ जाव जेट्ठपुत्ते । २. सं० पा० – नाइ जाव जेट्ठपुत्ते । ३. सं० पा०-- नाइ जाय परिजणेां । O ४. भ० ६१८२ । ५. सं० पा० असणं जाव उवक्खडावेति । ६. सं० पा०-नाइ जाव तस्सेव । ७. सं० पा०—नाइ जाव पुरो । ६. सं० पा०---नाइ जाव जेट्टपुत्ते । ६. सं० पा० - नाइ जाव परिजणेणं । १०. भ० ६ १८२ ; ११. भ० १६।७१ १२. सं० पा० - नाइ जाव परिजणेां । १३. भ० ६।१८२ । १४. भ० १६७१ ६१२१४ । १५. भ० ६/२१४ । १६. भ० २५२ । Page #822 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (तइओ उद्देसो) ५०. तए णं मुणिसुव्वए अरहा कत्तियं सेट्ठि नेगमट्ठसहस्सेणं सद्धि सयमेव पब्वावेति जाव' धम्ममाइक्खइ एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं जाव' संजमियब्वं ।। ५१. तए णं से कत्तिए सेट्ठो नेगमट्ठसहस्सेण सद्धि मुणिसुब्बयस्स अरहनो इमं एयारूवं धम्मियं उबदेसं सम्म पडिवज्जइ, तभाणाए तहा गच्छति जाव' संजमेति ॥ ५२. तए णं से कत्तिए सेट्ठी नेगमट्ठसहस्सेणं सद्धि अणगारे जाए- ईरियासमिए जाव" गुत्तबंभयारी ।। ५३. तए णं से कत्तिए अणमारे मुणिसुब्बयस्स अरहो तहारूवाणं थेराणं अंतियं सामाइयमाइयाइं चोद्दस पुब्वाइं अहिज्जइ, अहिज्जिता बहूहिं च उत्थ छट्ठम - *दसम-दुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहिं तवोकम्मे हिं° अप्पाणं भावेमाणे बहुपडिपुण्णाई दुवालस वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए सलेहणाए अत्ताणं झोसेइ, झोसेत्ता सद्धि भत्ताइं अणसणाए छेदेति, छेदेत्ता पालोइय'. पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे ° कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मव.सए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि •देवदूसंतरिए अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्तीए ओगाहणाए° सक्के देविदत्ताए उववन्ने ।। ५४. तए णं से सक्के देविदे देवराया अहुणोववण्णमेत्तए सेसं जहा गंगदत्तस्स जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति, नवरं - ठिती दो सागरोवमाई, सेसं तं चेव ।। ५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। तइओ उद्देसो मागंदियपुत्त-पदं ५६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे होत्था-वण्णो । गुणसिलए चेइए वण्णो जाव परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो १. भ. २१५३ । २. भ० २१५३। ३. भ. २१५४ । ४. भ० २१५५ ५. सं० पा०-छट्रटम जाव अप्पाणं । ६. सं० पा०-आलोइय जाव कालं। ७. सं० पा०-देवसयणिज्जंसि जाव सके। ८. भ. १६७२-७५ । ६. भ० ११५१ । १०. भ० १४२-५ । Page #823 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई महावीरस्स' अंतेवासी मागंदियपुत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए -- जहा मंडियपुत्ते जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी--- ५७. से नणं भंते ! काउलेस्से पुढविकाइए काउलेसहिंतो पूढविकाइएहितो अणंतरं उध्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं वोहिं बुज्झति, बुज्झित्ता तो पच्छा सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? हंता मागंदियपुत्ता ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ ५८. से नणं भंते ! काउलेस्सेपाउकाइए काउलेस्सहिंतो पाउकाइएहितो अणंतरं उध्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं बोहि बुज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति ? हता मागंदियपुत्ता ! जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ५६. से नणं भंते ! काउलेस्से बणस्सइकाइए काउलेसे हितो वणस्सइकाइएहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झति, बुज्झित्ता तो पच्छा सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? हंता मागंदियपुत्ता ! ० जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। 2. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति मागंदियपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता' नमंसित्ता जेणव समणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणे निग्गथे एवं वयासी-एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पुढविकाइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से आउक्काइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो! काउलेस्से वणस्सइ काइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ ६१. तए णं ते समणा निग्गंथा मागंदियपुत्तस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमद्रं नो सद्दहति नो पत्तियंति नो रोएंति, एयमद्र असहमाणा अपत्तियमाणा अरोएमाणा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु भंते ! मागंदियपुत्ते अणगारे अम्हं एवमाइक्खति जाव परूवेति-एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं खलु अज्जो! काउलेस्से आउक्काइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ! एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से वणरसइकाइए वि जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति ।। ६२. से कहमेयं भंते ! एवं ? १. महावीरस्स जाव (स)। २. भ० ३११३४; १।२८८, २८६ । ३. भ० ११४४ । ४. काउलेसे (अ, स)। ५. सं. पा.-एवं चेव जाव । ६. सं० पा०--महावीरं जाव नमंसित्ता। Page #824 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (तइओ उद्देसो) अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे ते समणे निग्गंथे आमंतित्ता एवं क्यासी-~-- जण्णं अज्जो ! मागंदियपुत्ते अणगारे तुब्भे एवमाइक्ख ति जाव परूवेति-एवं खल अज्जो ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पाउकाइए जाव सब्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से वणस्सइकाइए वि जाव सब्वदुक्खाणं अंतं करेति । सच्चे ण एसमटू । अहं पिण अज्जो ! वमाइक्खामि एवं भासेमि एवं पण्णवेमि एवं परूवेमि... एवं खल अज्जो! कण्हलेसे पटविकाइए कण्हलेसेहितो पढविकाइएहितो जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! नीललेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं काउलेस्से वि । जहा पुढवि काइए एवं ग्राउकाइए वि, एवं वणस्सइकाइए वि । सच्चे णं एसम?।। ६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति समणा निम्गंथा समण भगवं महावीरं वदति नम संति, वंदित्ता नमसित्ता जेणेव मागंदियपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता मागंदियपुत्तं अणगारं वदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एयमटुं सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेंति ।। ६४. तए णं से मागंदियपुत्ते अणगारे उट्ठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता जेणेव समणे भगवं महा वीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, बंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी६५. अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो सव्वं कम्मं बंदेमाणस्स सव्वं कम्मं निज्जरे माणस्स सव्वं मारं मरमाणस्स सव्वं सरीरं विप्पजहमाणस्स, चरिमं कम्म वेदेमाणस्स चरिम कम्म निज्जरेमाणस्स चरिम मारं मरमाणस्स चरिम सरीरं विप्पजहमाणस्स, मारणंतियं कम्म वेदेमाणस्स मारणतियं कम्म निज्जरेमाणस्स मारणंतियं मारं मरमाणस्स मारणतिय सरीरं विप्पजहमाणस्स जे चरिमा निज्जरापोग्गला सुहमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो ! सव्वं लोगं पि णं ते ओगाहित्ता णं चिट्ठति ? हंता मागंदियपुत्ता ! अणगारस्स णं भावियप्पणो सव्वं कम्मं वेदेमाणस्स जाव जे चरिमा निज्जरापोग्गला सुहुमा ण ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो ! सव्व लोग पि णं ते प्रोगाहित्ता गं चिट्ठति ।। निज्जरापोग्गल-जाणणादि-पदं। ६६. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से तेसि निज्जरापोग्गलाणं किंचि आणत्तं वा नाणत्तं वा "प्रोमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइ-पासइ ? मागंदियपुत्ता ! नो इणढे समढे॥ १. सं० पा०--एवं जहा इंदियउद्देसए पढमे जाव वेमाणिया, जाव तत्थ पंजे ते उवउत्ता ते जाणंति-पासंति, पाहारेति । से तेण?णं निक्खेवो भाणियन्वो। Page #825 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ भगवई ६७. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ--छउमत्थे णं मणुस्से तेसिं निज्जरापोग्गलाणं नो किचि आणत्तं वा नाणत्तं वा प्रोमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइ-पासइ? मागंदियपुत्ता ! देवे वि य णं अत्थेगइए जे णं तेसि निज्जरापोग्गलाणं नो किंचि आणत्तं वा नाणत्तं वा सोमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइपासइ। से तेणट्रेणं मागंदियपत्ता! एवं वच्चइ छउमत्थे णं मणस्से तेसि निज्जरापोग्गलाणं नो किचि आणत्तं वा नाणत्तं वा प्रोमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइ-पासइ, सुहुमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो! सव्वलोगं पि य णं ते प्रोगाहित्ता चिट्ठति ॥ ६८. नेरइया णं भंते ! ते निज्जरापोग्गले कि जाणंति-पासंति ? आहारेति ? उदाहु न जाणंति न पासंति, न अाहारेति ? । मागंदियपुत्ता ! ने रइया णं ते निज्जरापोग्गले न जाणंति न पासंति, पाहारेति । एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिया ।। ६६. मणुस्सा णं भंते ! ते निज्जरापोग्गले कि जाणंति-पासंति ? ग्राहारेति ? उदाहु न जाणति न पासंति, न आहारति ? मागंदियपुत्ता ! अत्थेगइया जाणंति-पासंति, ग्राहारेति । अत्थेग इया न जाणंति न पासंति, आहारेति ।। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ --- अत्थेगइया जाणंति-पासंति, ग्राहारैति ? अत्थेगइया न जाणंति न पासंति, आहारति ? मागंदियपुत्ता ! मणुस्सा दुविहा पणत्ता, तं जहा-सग्णिभूया य, असण्णिभूया य । तत्थ णं जे ते असण्णिभूया ते णं न जाणंति न पासंति, आहारेति । तत्थ गंजे ते सण्णिभया ते विहा पण्णत्ता, तं जहा-उवउत्ता य, अणवउत्ता य । तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते णं न जाणंति न पासंति, आहारेति । तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते णं जाणंति-पासंति, आहारति। से तेण?णं मागंदियपुत्ता ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया न जाणंति न पासंति, पाहारेति । अत्थेगइया जाणंति पासंति, आहारेंति । वाणमंतर-जोइसिया जहा नेरइया ॥ ७१. वेमाणिया णं भंते ! ते निज्जरापोग्गले कि जाणंति-पासंति ? आहारेति ? मागंदियपुत्ता ! जहा मणुस्सा, नवरं-वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहामायिमिच्छदिट्ठीउववन्नगा य, अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य । तत्थ णं जे ते मायिमिच्छदिट्टिउववन्नगा ते णं न जाणंति न पासंति, पाहारेति । तत्थ णं जे ते अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- अणंतरोववन्नगा य परंपरोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते अणंतरोववन्नगा ते णं न जाणंति न पासंति, आहारेति । तत्थ णं जे ते परंपरोववन्नगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहापज्जत्तगा य, अपज्जत्तगा य । तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं न जाणंति Page #826 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६५ अट्ठारसमें सतं (तइग्रो उद्देसो) न पासंति, पाहारेति । तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहाउवउत्ता य, अणुवउत्ता य । तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते णं न जाणंति न पासंति, आहारेति । तत्थ णं जे ते उव उत्ता ते णं जाणंति-पासंति, आहारेंति । से तेणटेणं मागंदियपुत्ता ! एवं वुच्चइ----अत्थेगइया न जाणंति न पासंति, पाहारेति । अत्थेगइया जाणंति-पासंति, आहारेति ॥ बंध-पदं ७२. कतिविहे णं भंते ! बंधे पण्णत्ते ? मागंदियपुत्ता! दुविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा--दव्वबंधे य, भावबंधे य ।। ७३. दव्वबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? मागंदियपुत्ता दुविहे ! पण्णत्ते, तं जहा - पयोगबंधे य, वीससाबंधे य ।। ७४. वोससाधणं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सादीयवीससाबंधे य, अणादीयवीससा बंधे य॥ ७५. पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सिढिलबंधणबंधे य, धणियबंधण बंधे य॥ ७६. भावबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--मूलपगडिबंधे य, उत्तरपगडिबंधे य ।। ७७. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे भावबंधे पपणत्ते ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे भावबंधे पण्णत्ते, तं जहा-मूलपगडिबंधे य, उत्तरपगडिबंधे य । एवं जाव वेमाणियाणं ।। नाणावरणिज्जस्स णं भते ! कम्मस्स कतिविहे भावबंधे पण्णत्ते ? मागंदियपुत्ता ! दुविहे भावबंधे पण्णते, तं जहा- मूलपगडिबंधे य, उत्तरपगडिबंधे य॥ नेरइयाणं भंते ! नाणावरणिज्जस्स कम्मरस कतिविहे भाववंधे पण्णते ? मागंदियत्ता! विहे भावबंधे पण्णत्ते, तं जहा-मूलपगडिवंधे य, उत्तरप्रगडिबंधे य । एवं जाव वेमाणियाणं । जहा नाणावरणिज्जेणं दंडनो भणियो एवं जाव अंतराइएणं भाणियव्यो ।। कम्म-नाणत्त-पदं ८०. जीवाणं भंते ! पावे कम्मे जे य कडे', जे य कज्जइ०, जे य कज्जिस्सइ, अस्थि याइ तस्स केइ नाणते ? हंता अस्थि ॥ १. सं० पा०-कडे जाव जे। २. जे त कडमाणे (ता)। ७६. Page #827 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८१. से केणगुणं भत्ते ! एवं वुच्चइ - जीवाणं पाये कम्मे जे य कडे', 'जे य कज्जइ°, जे य कज्जिस्सइ, अस्थि याइ तस्स नाणत्ते ? मागंदियपुत्ता ! से जहानामाए --केइ पुरिसे धणु परामुसइ, परामुसित्ता उसुं परामुसइ, परामुसित्ता ठाणं ठाइ, ठाइत्ता प्राययकण्णायतं उसु करेति, करेत्ता उड्ढं बेहासं उम्विहइ, से सूर्ण मागंदियपुत्ता ! तस्स उसुस्स उड्ढं वेहासं उब्वीढस्स समाणस्स एयति वि नाणत्तं', वेयति वि नाणत्तं, चलति वि नाणत्तं, फंदइ वि नाणत्तं, घट्टइ वि नाणतं, खुदभइ वि नाणत्तं, उदीरइ वि नाणत्तं तं तं भावं परिणमति वि नाणत्तं ? हंता भगवं ! एयति वि नाणत्तं जाव तं तं भावं परिणमति वि नाणत्तं । से तेणट्रेणं मागंदियपुत्ता ! एवं वुच्चइ एयति वि नाणत्तं जाव तं तं भाव परिणमति वि नाणत्त ।। नेरइयाण भंते पावे कम्मे जेय कडे ? एवं चेव । एवं जाव वेमाणियाणं ।। नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले अाहारत्ताए गेहंति, तेसिणं भंते ! पोग्गलाणं सेयकालंसि कतिभागं आहारेंति ? कतिभागं निज्जरेंति ? मागंदियपुत्ता ! असंखेज्जइभागं आहारेंति, अणंतभाग निज्जरेंति ।। चक्किया णं भंते ! केइ तेसु निज्जरापोग्गलेसु आसइत्तए वा जाव' तुयट्टित्तए वा? णो इण? समढे । अणाहारणमेयं बुइयं समणाउसो ! एवं जाव वेमाणियाणं !! ८५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति।। م بر चउत्थो उद्देसो जीवाणं परिभोगापरिभोग-पदं ८६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' भगवं गोयमे एवं बयासी-अह भंते ! पाणाइवाए, मूसावाए जाव" मिच्छादसणसल्ले, पाणाइवायवेरमणे जाव' १. सं० पा.-कडे जाव जे । २. सं० पा०-नाणतं जाव तं । ३. भ० ७२१६ ! ४. भ० ११५१। ५. भ० ११४-१०॥ ६. भ० ११३८४। ७. भ० १३८५। Page #828 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारममं सतं (चउत्थो उद्देसो) ७६७ मिच्छादसणसल्लयेरमणे, पुढविक्काइए जाव वणस्सइकाइए, धम्मस्थिकाए, अधम्मत्थिकाए, आगासस्थिकाए, जीवे असरीरपडिबद्धे, परमाणुपोग्गले, सेलेसि पडिवन्नए अणगारे, सव्वे य वादरवोंदिधरा कलेवरा -एए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदवा य जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! पाणाइवाए जाव एए णं दुविहा जीवदवा य अजीवदव्वा य अत्थेगइया जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, अत्थेगइया जीवाणं परिभोगत्ताए' नो हव्दमागच्छंति ॥ ८७. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पाणाइवाए जाव नो हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पुढविकाइए जाव वणस्सइकाइए, सव्वे य वादरबोंदिधरा कलेवरा-एए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति । पाणाइवायवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, धम्मत्थिकाए, अवम्मत्थिकाए जाव परमाणुपोग्गले, सेलेसिं पडिवन्नए अणगारे-एए गं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाणं परिभोगत्ताए नो हव्वमागच्छति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पाणाइवाए जाव नो हव्यमागच्छंति ।। कसाय-पदं ८८. कति णं भंते ! कसाया पण्णत्ता? गोयमा ! चत्तारि कसाया पण्णता, तं जहा-कसायपदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव निज्जरिस्संति लोभेणं ।। जुम्म-पदं ८६. कति णं भंते ! जुम्मा यण्णत्ता? गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा---कडजुम्मे, तेयोगे', दावरजुम्मे', कलियोगे॥ ६०. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जाव कलिओगे ? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेतं कडजुम्मे । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्तं तेयोगे। जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए सेत्तं दावरजम्मे । जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए सेत्तं कलिनोगे । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव कलिगोगे ।। १. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)| २. प०१४ । ३. तेयोए (अ); तेजोए (क); तेयोते (ख, ब); ___ तेयोदे (ता); तेजोगे (म); तियोगे (स)। ४. बादरजुम्मे (अ, क); बादरजुण्णे (ता)। ५. कलिओए (ख); कलिओदे (ता)। Page #829 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६१. नेरइया णं भंते ! कि कडजुम्मा ? तेयोगा? दावरजुम्मा ? कलियोगा? गोयमा ! जहण्णपदे कडजुम्मा, उक्कोसपदे ते योगा, अजहण्णुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा । एवं जाव थणियकुमारा॥ ६२. वणस्सइकाइया णं---पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णपदे अपदा, उक्कोसपदे य अपदा, अजहष्णुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलिप्रोगा ।। ६३. बेदिया' णं---पुच्छा। गोयमा ! जहण्णपदे कडजुम्मा, उक्कोसपदे दाव रजुम्मा, अजहण्णमणुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा। एवं जाव चउरिदिया ! सेसा एगिदिया जहा बंदिया। पंचिदियतिरिक्खजोणिया जाव वेमा गिया जहा नेरइया । सिद्धा जहा वणस्सइकाइया ।। १४. इत्थीयो णं भंते ! कि कडजुम्मा-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णपदे कडजुम्माओ, उक्कोसपदे कड जुम्मायो, अजहण्णमणुक्कोसपदे सिय कडजुम्मायो जाब सिय कलिप्रोगाओ। एवं असुरकुमारित्थीयो वि जाव थणियकुमारित्थीओ । एवं तिरिक्खजोणित्थीयो, एवं मणु सित्थीनो, एवं वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियदेवित्थीओ ।। अंधगवण्हिजीवारणं वर-पर-पदं ६५. जावतिया णं भंते ! वरा अंधगवहिणो जीवा तावतिया परा अंधगवण्हिणो जीवा? हंता गोयमा ! जावतिया वरा अंधगवण्हिणो जीवा तावतिया परा अंधग वण्हिणो जीवा ।। १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ पंचमो उद्देसो देउब्वियावेउब्विय-असुरकुमारादि-पदं ६७. दो भंते ! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववन्ना, तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, एगे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए नो दरिसणिज्जे नो अभिरूवे नो पडिरूवे, से कहमेयं भंते ! एवं ? १. बेइंदिया (अ)। २. भ० ११५१ । Page #830 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (पंचमो उद्देसो) गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा पण्णता, तं जहावेउब्वियसरीरा य, प्रवेउब्बियस रोरा य । तत्थ णं जे से वे उविवयसरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिकवे । तत्थ णं जे से प्रवेउब्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से गं नो पासादीए जाव नो पडिरूवे ।। १८. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ - तत्थ णं जे से वेउब्वियसरीरे तं चेव जाव नो पडिरूवे ? गोयमा ! से जहानामए ---इह मणुयलोगंसि दुवे पुरिसा भवंति -एगे पुरिसे अलंकियविभूसिए, एगे पुरिसे अणलंकियविभासिए । एएसि णं गोयमा ! दोण्हं पूरिसाणं कयरे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे । जे वा से पुरिसे अलंकियविभूमिए, जे वा से पुरिसे अणलंकियविभसिए ? भगवं! तत्थ णं जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से णं पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे । तत्थ ण जे से पुरिसे अणलं कियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे । से तेणटेणं जाव नो पडिरूवे ॥ ६. दो भंते ! नागकुमारा देवा एगंसि नागकुमारावासंसि ? एवं चेव जाव थणिय कुमारा । वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया एवं चेव ॥ नेरइयादीणं महाकम्मादि-पदं १००. दो भंते ! नेरइया एगंसि नेरइयावासंसि नेर इयत्ताए उववन्ना । तत्थ णं एगे नेरइए महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियतराए चेव, महासवत राए चेव', महावेयणतराए चेव, एगे ने रइए अप्पकम्मतराए चेव', 'अप्पकिरियतराए चेव, अप्पासवतराए चेव , अप्पवेयणताए चेव, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा. --मायिमिच्छदिदिउववन्नगा' य, अमायिसम्मदिट्टिउववन्नगा य । तत्थ णं जे से मायिमिच्छदिदिउववन्नए नेरइए से णं महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव ! तत्थ णं जे से अमायिसम्मदिदिउबबन्नए नेरइए से णं अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव ।। १०१. दो भंते ! असुरकुमारा ०? एवं चेव ! एवं एगिदिय-विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणिया । नेरइयादीणं पाउय-पदं १०२. नेरइए णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कयरं आउयं पडिसंवेदेति ? १. सं० पा०-चेव जाव महावेयण । ३. मादिमिच्छ ° (ब)। २. सं० पा०-चेव जाव अप्पबेयण । Page #831 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ৩০ भगवई गोयमा ! नेरइयाउयं पडिसंवेदेति, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाउए से पुरो कडे चिट्ठति । एवं मणुस्सेसु वि, नवरं-मणुस्साउए से पुरो कडे चिट्ठति ॥ असुरकुमारे णं भंते ! अणंतरं उब्वट्टित्ता जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जितए, “से णं भंते ! कयरं पाउयं पडिसंवेदेति ? ' गोयमा! असुरकुमाराउयं पडिसंवेदेति, पुढविकाइयाउए से पुरओ कडे चिट्ठति । एवं जो जहिं भविप्रो उववज्जित्तए तस्स तं पुरनो कडं चिट्ठति, जत्थ ठियो तं पडिसंवेदेति जाव वेमाणिए, नवरं--पुढविकाइए पुढविकाइएसु उववज्जति, पुढविकाइयाउयं पडिसंवेदेति, अण्णे य से पुढविकाइयाउए पुरो कडे चिट्ठति ! एवं जाव मणुस्सो सट्टाणे उववाएतव्बो, परट्ठाणे तहेव ।। असुरकुमारादोणं विउव्वणा-पदं १०४. दो भंते ! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उव वन्ना । तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे उज्जुयं विउव्विस्सामीति उज्जुयं विउव्वइ, वंकं विउव्विस्सामीति वकं विउव्वइ, जं जहा इच्छइ तं तहा विउव्वइ । एगे असुरकुमारे देवे उज्जुयं विउव्विस्सामीति वकं विउब्वइ, वंक विउव्विस्सामीति उज्जुयं विउव्वइ, जं जहा इच्छति नो तं तहा विउव्वइ, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–मायिमिच्छदिट्ठी उववन्नगा य, अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य। तत्थ णं जे से मायिमिच्छदिदि उववन्तए असुरकुमारे देवे से णं उज्जुयं विउविस्सामीति वकं विउध्वइ जाव नो तं तहा विउव्वइ । तत्थ णं जे से प्रमायिसम्मदिदिउववन्नए असुरकुमारे देवे से णं उज्जुयं विउव्विस्सामीति उज्जुयं विउव्वइ जाव' तं तहा विउव्वइ ।। १०५. दो भंते ! नागकुमारा० ? एवं चेव । एवं जाव थणियकुमारा। वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिया एवं चेव ।। १०६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति।। छट्ठो उद्देसो नेच्छइय-ववहार-नय-पदं १०७. फाणियगुले णं भंते ! कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ? १. सं० पा० –पुच्छा। २. भ० ११५१ । Page #832 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्टारसमं सतं ( छट्टो उद्देसो) गोयमा ! एत्थ गं दो नया भवंति, तं जहा नेच्छइयनए' य, वावहारियनए य । वावहारियनयस्स गोड्डे' फाणियगुले, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे दुगंधे पंच रमे अफासे पण्णत्ते ॥ १०८. भमरे णं भंते ! कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! एत्थ णं दो नया भवंति तं जहा - नेच्छइयनए य, वावहारियनए | वाहारियनयस्स कालए भमरे, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे जाव फासे पणते || १०६. सुर्यपिच्छे णं भंते ! कतिवष्णुं कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ? एवं चैव, नवरं वावहारियनयस्स नीलए सुयपिच्छे, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे जाव फासे पण्णत्ते । एवं एएवं अभिलावेणं लोहिया मंजिट्ठिया, पीतिया हालिद्दा', सुविकलए संखे, सुभिगंधे कोट्ठे, दुब्भिगंधे मयगसरीरे, तित्ते निंबे, कडुया सुंठी, कसा' कविट्ठे, अंबा अविलिया, महुरे खंडे, कक्खडे वइरे, मउए नवणी, गरुए अए, लहुए उलुयपत्ते, सीए हिमे, उसिणे अगणिकाए, गिद्धे तेल्ले !! ११० छारिया णं भंते ! पुच्छा । गोमा ! एत्थ दो नया भवंति तं जहा - नेच्छइयनए य, वावहारियनए य । वावहारियनयस्स लुक्खा छारिया, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णा जाव फासा पण्णत्ता || ७७१ परमाणु - खंधाणं वण्णादि-पदं १११. परमाणुयोग्गले णं भंते ! कतिवण्णे जात्र कतिफासे पण्णत्ते ? गोमा ! एगवणे, एगगंधे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते ॥ ११२. दुपएसिए णं भंते ! संधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? ० गोमा ! सिय एगवणे, सिय दुवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे यि दुरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते ॥ ११३. "तिपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? १. निच्छाइय ० ( अ, क, ब, स ) । २. गोड्डु (अ); गोडे ( स ) | ३. सं० पा०- पुच्छा | ४. सं० पा० - मेसं तं चैव । ५. हलिद्दा ( अ, क, ता, ब, म) 1 ६. कसाए तुयरए ( अ, क, ख, ता, बम ) 1 ७. गुरुए ( अ, ब ) 1 ८. लउयपत्ते (ता) ६. उसुरणे ( अ, क, ख, ता, ब ) । १०. सं० पा० - पुच्छा | ११. सं० पा० - एवं तिपएसिए वि, नवरं - सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे । एवं रसेसु वि, सेसं जहा दुपएसियस्स । एवं चउपएसिए वि, नवरं - सिय एगवण्णे Page #833 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७२ भगवई गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवणे, सिय तिवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय तिरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउ फासे पण्णत्ते !! ११४. चउपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवणे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे, सिय चउवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय तिरसे, सिय चउरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते ॥ ११५. पंचपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! सिय एगवणे, सिय दुवण्णे, सिय तिवणे, सिय चउवण्णे, सिय पंचवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिये दुरसे, सिय तिरसे, सिय चउरसे, सिय पंचरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते । जहा पंचपएसियो एवं जाव असंखेज्जपएसिओ !! ११६. सुहमपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णते ? जहा पंचपएसिए तहेव निरवसेसं ।। ११७. बादरपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कतिवण्णे "जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! सिय एगवणे, जाव सिय पंचवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे जाव सिय पंचरसे, सिय च उफासे जाव सिय अट्ठफासे पण्णत्ते ।। ११८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ सत्तमो उद्देसो केलि-भासा-पदं ११६. रायगिहे जाव एवं वयासी-अण्ण उत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परूवेंति-एवं खलु केवली जक्खाएसेणं आइस्सइ', एवं खलु केवली जक्खाएसेणं नाइट्टे समाणे पाहच्च दो भासाम्रो भासति, तं जहा- मोसं वा, सच्चामोसं वा, से कहमेयं भंते ! एवं ? जाव सिव चउवष्णे । एवं रसेसु वि, सेसं १. सं० पा०-पुच्छा। तं चेव । एवं पंचपएसिए वि, नवरं-सिय २. भ० ११५१ । एगवण्णे जाव सिय पंचवण्णे, एवं रसेसु ३. आतिस्सति (स) । वि, गंधफासा तहेव । ४. आदिढे (ता); आतिढे (स)। Page #834 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ७७३ गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया जाव' जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि भासेमि पण्णवेमि परूवेमि-नो खलु केवली जक्खाएसेणं प्राइस्सइ, नो खल केवली जक्खाएसेणं नाइट्रे समाणे पाहच्च दो भासाम्रो भासति, तं जहा-मोसं वा, सच्चामोसं वा । केवली णं असावज्जायो अपरोवधाइयानो पाहच्च दो भासाओ भासति, तं जहा - सच्चं वा, असञ्चा मोसं वा ॥ उवहि-पदं १२०. कतिविहे गं भंते ! उवही पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे उवही पण्णत्ते, तं जहा---कम्मोवही, सरीरोवही, बाहिरभंड मत्तोवगरणोवही १२१. नेरइया णं भंते ! -- पुच्छा। गोयमा ! दुविहे उवही पण्णत्ते, तं जहा-कम्मोवही य, सरी रोवही य । सेसाणं तिविहे उवही एगिदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं । एगिदियाणं दुविहे उवही पण्णत्ते, तं जहा-कम्मोवही य, सरीरोवही य ।। १२२. कतिविहे णं भंते ! उबही पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे उवही पण्णत्ते, तं जहा-सच्चित्ते, अचित्ते, मीसाए। एवं नेरइयाण वि । एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं ।। परिम्गह-पदं १२३. कतिविहे गं भंते ! परिग्गहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे परिग्गहे पण्णत्ते, तं जहा—कम्मपरिग्गहे, सरीरपरिग्गहे वाहिरगभंडमत्तोवगरणपरिग्गहे ॥ १२४. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे परिग्गहे पण्णत्ते ? एवं जहा उवहिणा दो दंडगा भणिया तहा परिग्गहेण वि दो दंडगा भाणियव्वा ।। पणिहाण-पदं १२५. कतिविहे णं भंते ! पणिहाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा-मणपणिहाणे, वइपणिहाणे, कायपणिहाणे ।। १२६. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे पणिहाणे पण्णत्ते ? एवं चेव। एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ १२७. पुढविकाइयाणं-पुच्छा। १. भ० ११४२१ । २. मीसे (ब)। Page #835 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७४ भगवई गोयमा ! एगे कायपणिहाणे पण्णत्ते । एवं जाव वणस्सइकाइयाणं ।। १२८. बेइंदियाणं-पुच्छा। गोयमा ! दुविहे पणिहाणे, पण्णते तं जहा -- वइपणिहाणे य, कायपणिहाणे य। एवं जाव चउरिदियाणं । सेसाण तिविहे वि जाव वेमाणियाणं ।। १२६. कतिविहे णं भंते ! दुप्पणिहाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे दुप्पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा--मणदुप्पणिहाणे, जहेव पणिहा णेणं दंडगो भणियो तहेव दुप्पणिहाणेण वि भाणियव्वो ॥ १३०. कतिविहे णं भंते ! सुप्पणिहाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे सुप्पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा---मणसुप्पणिहाणे, वइसुप्प णिहाणे, कायसुप्पणिहाणे ।। १३१. मणुस्साणं भंते ! कतिविहे सुप्पणिहाणे पण्णत्ते ? एवं चेव ॥ १३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। १३३. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहायो नगरानो गुणसि लामो चेइयाओ पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता' बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। कालोदाइ-पभितीणं पंचत्थिकाए संदेह-पदं १३४. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नगरे । गुणसिलए चेइए --वण्णो जाव पुढविसिलापट्टयो। तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामते वहवे अण्णउत्थिया परिवति, तं जहा-कालोदाई, सेलोदाई, 'सेवालोदाई, उदए, नामुदए, नम्मुदए, अण्णवालए, सेलवालए, संखवालए, सुहत्थी गाहावई ॥ १३५. तए णं तेसिं अण्णउत्थियाणं अण्णया कयाइ एगयो सहियाणं सम्वागयाण सण्णिविट्ठाणं सण्णिसण्णाणं अयमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्थाएवं खलु समणे नायपुत्ते पंच अस्थिकाए पण्णवेति, तं जहा-धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं। तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अत्थिकाए अजीवकाए पण्णवेति, तं जहा-- धम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, अागासत्थिकायं, पोग्गलत्थिकायं । एगं च णं समणे नायपुत्ते जीवत्थिकायं अरूविकायं जीवकायं पण्णवेति ।। तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अस्थिकाए अरूविकाए पण्णवेति, तं जहाधम्मत्थिकायं, अधम्मस्थिकायं, आगासस्थिकायं, जीवस्थिकायं । एगं च ण १. भ० ११५१ । २. सं. पा.-महावीरे जाव बहिया। ३. सं० पा०-- एवं जहा सत्तमसए अण्णउत्थिय उद्देसए जाव से। Page #836 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ७७५ समणे नायपुत्ते पोग्गलस्थिकायं रूविकायं अजीवकायं पण्णवेति । ° से कहमेयं मन्ने एवं ? १३६. तत्थ णं रायगिहे नगरे मदुए नाम समणोवासए परिवसति-अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए, अभिगयजीवाजीवे जाव' विहरइ ॥ १३७. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कदायि पुव्वाणुपुदि चरमाणे "गामाणु गामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव समोसढे परिसा जाब पज्जुवासति ।। १३८. तए णं मददुए समणोवासए इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्ठतु चित्तमाणदिए दिए पीईमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए पहाए जाव अप्पमहायाभरणालंकियसरीरे सयानो गिहारो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पादविहारचारेणं रायगिहं नगरं मझमझेणं' निम्गच्छति, निग्गच्छित्ता तेसिं अण्णउत्थियाणं अदूरसामंतेणं बीईवयइ ।। १३६. तए णं ते अण्णउत्थिया मदुयं समणोवासयं अदूरसामंतेणं वीईवयमाणं पासंति, पासित्ता अण्णमण्णं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुपिया! अम्ह इमा कहा अविपकडा', इमं च णं मढुए समणोवासए अम्हं अदूरसामतेणं वीईवयइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं मदुयं समणोवासयं एय मट्ठ पुच्छित्तए ति कट्ठ अण्णमण्णस्स अंतियं एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जेणेव मद्दुए समणोवासए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता मदुयं समणोवासयं एवं वदासी–एवं खलु मदुया ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे नायपुत्ते पंच अत्थिकाए पण्णवेइ, "तं जहाधम्मत्थिकायं जाव पोग्गल स्थिकायं । तं चेव जाव रूविकायं अजीवकायं पण्णवेइ । ° से कहमेयं मया ! एवं? मददुय-समणोवासएण समाहाण-पदं १४०. तए णं से मदुए समणोवासए ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-जति का ज कज्जति जाणामो-पासामो, अहे कज्जन कज्जति न जाणामो न पासामो ।। १४१. तए णं ते अण्णउत्थिया मदुयं समणोवासयं एवं वयासी--केस णं तुम मद्या ! समगोवासगाणं भवसि, जे णं तुमं एयमटुं न जाणसि न पाससि ? १. भ० २१६४1 ७. अविउप्पकडा (क, ब, म, स); अविदुप्पडा २. सं० पा०-चरमाणे जाव समोसढे। ३. ओ० सू० २२-५२ । ८. सं० पाo--जहा सत्तमे सए अण्णउत्थि४. सं० पा०-हट्टतुटु जाव हियए। उद्देसए जाव से। ५. भ० २०१७ 1 ६. भ० ७.२१३। ६. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। Page #837 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७६ भगवई १४२. तए णं से मदुए समणोवासए ते अण्ण उत्थिए एवं वयासी-- अस्थि णं अाउसो ! बाउयाए वाति ? हंता अस्थि । तूब्भे णं आउसो! वाउयायस्स वायमाणस्स रूवं पासह ? नो इणद्वे समढे। अस्थि णं पाउसो ! घाणसहगया पोग्गला ? हंता अस्थि । तुब्भे णं आउसो ! घाणसहगयाणं पोग्गलाणं रूवं पासह ? नो इणद्वे समटे । अस्थि णं पाउसो ! अरणिसहगए अगणिकाए? हंता अस्थि । तुब्भे णं आउसो ! अरणिसहगयस्स अगणिकायस्स एवं पासह ? नो इण? सम?। अस्थि णं आउसो ! समुदस्स पारगयाइं रूवाइं ? हंता अस्थि । तुब्भे णं पाउसो ! समुद्दस्स पारगयाइं रूवाई पासह ? नो इणढे समढे। अत्थि णं पाउसो ! देवलोगगयाई रूवाइं ? हंता अस्थि । तुब्भे णं पाउसो ! देवलोगगयाइं रूबाइं पासह ? नो इण? समठे। एवामेव ग्राउसो! अहंवा तब्भे वा अण्णो वा छ उमत्थो जइ जो जं न जाणइ न पासइ तं सव्वं न भवति, एवं भे सुबहुए लोए न भविस्सती ति कटु ते अण्णउत्थिए एवं पडिभणइ', पडिभणित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं जाव' पज्जुवासति ॥ भगवया मद्दुयस्स पसंसा-पदं १४३. मदुयादी ! समणे भगवं महावीरे मदुयं समणोवासगं एवं वयासी-सुठ्ठ णं मदुया ! तुमं ते अण्णउत्थिए एवं वयासी, साहु णं मदुया! तुमं ते अण्णउत्थिए एवं वयासी, जे णं मदुया ! अटुं वा हेउं वा पसिणं वा वागरणं वा अण्णायं अदिटुं अस्सुतं अमुयं अविण्णायं बहुजणमज्झे आघवेति पण्णवेति' •परूवेति १. पडिहणति (अ, ख, म, स)। ३. सं० पा०-पण्णवेति जाव उवदंसेति । २. भ. २०१७ Page #838 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७७ अट्टारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) दंसेति निदंसेति° उवदंसेति, से णं अरहंताणं प्रासादणाए' वट्टति, अरहंतपण्णतस्स धम्मस्स आसादणाए वट्टति, केवलीणं आसादगाए वट्टति, केवलिपण्णत्तस्स धम्मस्स आसादणाए वट्टति, तं सुट्ठ णं तुमं मदुया ! ते अण्णउत्थिए एवं वयासी, सोहु णं तुमं मद्रुया ! 'ते अण्णउत्थिए ° एवं वयासी।। १४४. तए णं मदुए समणोवासए समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुढे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता णच्चासण्णे •णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे पज्जुवासइ ।। १४५. तए णं समणे भगवं महावीरे मयस्स समणोवासगस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्म परिकहेइ जाव परिसा पडिगया ॥ १४६. तए णं मदुए समणोवासए समणस्स भगवओ महावीरस्स' 'अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुटे पसिणाई पुच्छति, पुच्छित्ता अट्ठाइं परियादियति, परियादिइत्ता उट्ठाए उद्वेइ, उतॄत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता 'नमंसित्ता जामेव दिसं पाउभूए तामेव दिसं° पडिगए। १४७. भंतेति ! भगवं गोयमे समणे भगवं महाबीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-पभु णं भंते ! मददए समणोवासए देवाणप्पियाणं अंतियं मंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं ० पव्वइत्तए ? नो इण? समढे । एवं जहेव संखे तहेव अरुणाभे जाव' अंतं काहिति ।। विकुब्वणाए एगजीव-संबंध-पदं १४८. देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव' महेसक्खे रूवसहस्सं विउव्वित्ता पभू अण्णमण्णेणं सद्धि संगाम संगामित्तए? हंता पभू । तामोणं भंते ! बोंदीसो किं एगजीवफुडायो ? अणेगजीवफुडायो ? गोयमा ? एगजीवफुडामो, नो अणेगजीवफुडाओ। 'ते णं भंते ! तासि बोंदीणं अंतरा कि एगजीवफुडा? अणेगजीवफुडा ? गोयमा ! एगजीवफुडा, नो अणेगजीवफुडा ॥ १. आसायणाए (ख); आसातणाए (ता)। २. सं० पा० --मदुया जाव एवं । ३. सं० पा०---णच्चासण्णे जाव पज्जुवासइ। ४. ओ० सू० ७१-७६ ।। ५. सं० पा.-महावीरस्स जाव निसम्म । ६. सं० पाo.-वंदित्ता जाव पडिगए। ७. सं० पा०-अंतियं जाव पव्वइत्तए। ८. भ० १२।२७,२८३ ६. भ० ११३३६ । १०. ते णं भंते ! तेसिं (अ, क, ख, ता, ब); तेसिणं भंते (म, स)। Page #839 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७८ भगवई १४६. पुरिसे णं भंते ! अंतरे हत्थेण वा "पादेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा कट्टेण वा किलिंचेण वा आमुसमाणे वा संमुसमाणे वा प्रालिहमाणे वा विलिहमाणे वा, अण्णयरेण वा तिक्खेण सत्थजाएणं प्राछिदमाणे वा विछिदमाणे वा, अगणिकाएण वा समोडहमाणे तेसिं जीवपएसाणं किंचि प्राबाहं वा विबाहं वा उप्पाएइ ? छविच्छेदं वा करेइ ? नो इण? समढे ° । नो खलु तत्थ सत्थं कमति ।। देवासुर-संगाम-पदं १५०. अत्थि णं भंते ! देवासुराणं संगामे,देवासुराणं संगामे ? हंता अस्थि ॥ १५१. देवासुरेसु णं भंते ! संगामेसु वट्टमाणेसु किण्णं तेसिं देवाणं पहरण रयणत्ताए परिणमति ? गोयमा ! जण्णं ते देवा तणं वा कटुं वा पत्तं वा सक्करं वा परामुसंति' तण्णं तेसि देवाणं पहरणरयणत्ताए परिणमति । जहेव देवाणं तहेव असुरकुमाराणं ? नो इणद्वे सम? । असुरकुमाराणं निच्चं विउव्विया पहरणरयणा पण्णत्ता ।। देवस्स दीवसमुद्द-अणुपरियट्टण-पदं १५२. देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव महेसक्खे पभू लवणसमुह अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छित्तए? हंता पभू॥ १५३. देवे णं भंते ! महिड्ढिए "जाव महेसक्खे पभू धायइसंडं दीवं अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छित्तए ? हंता पभू । एवं जाव' रुयगवरं दीवं 'अणुपरियट्टित्ता गं हव्वमागच्छित्तए ? ० हंता पभू । तेण परं वीईवएज्जा, नो चेव णं अणुपरियट्टेज्जा ॥ देवाणं कम्मक्खवण-काल-पदं १५४. अत्थि णं भंते ! देवा जे अणते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहि वाससएहिं खवयंति ? हंता अस्थि ॥ १. सं० पा०-एवं जहा अट्ठमसए ततिए उद्दे- ३. सं० पा०—एवं धायइसंडं दीवं जाव हता। सए जाव नो। ४. जी०३। २. परामसंति (ख, ता, ब)। ५. सं. पा०-दीवं जाव हता। Page #840 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ७७६ १५५. प्रत्थि णं भंते ! देवा जे अनंते कम्मंसे जहणेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेणं पंर्चाहं वाससहस्सेहिं खवयंति ? हंता स्रत्थि || १५६. श्रत्थि णं भंते ! देवा जे अनंते कम्मंसे जहणेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहिं वाससयस हस्सेहिं खवयंति ? हंता ग्रत्थि || १५७. कयरे णं भंते ! ते देवा जे प्रणते कम्मंसे जहण्णेणं एक्केण वा जाव पंचहि वाससहि खवयंति ? कयरे णं भंते! ते देवा जाव पंचहि वास सहस्से हिं खवयंति ? कयरे णं भंते ! ते देवा जाव पंचहि वासस्यसहस्सेहि खवयंति ? गोयमा ! वाणमंतरा देवा प्रणते कम्मंसे एगेणं वाससएणं खवयंति । असुरिंद वज्जिया भवणवासी देवा अणंते कम्मंसे दोहिं वाससएहिं खवयंति । असुरकुमारा देवा अणते कम्मंसे तीहि वाससएहि खवयंति । गह नवखत्त- तारारूवा जोइसिया देवा अणते कम्मंसे चउहिं वाससहि खवयंति । चंदिम-सूरिया जोइसिदा जोतिस रायाणो प्रणते कम्मंसे पंचहि वाससएहि खवयंति | सोहम्मीसागा देवा श्रणंते कम्मंसे एगेणं वाससहस्सेणं खबयंत । सर्णकुमारमादिगा देवा अणते कम्मंसे दोहिं वासस हस्सेहि खवयंति । एवं एएवं अभिलावेणं बंभलोग लंतगा देवा ऋणते कम्मंसे तीहि वाससहस्सेहिं खवयंति । महासुक्क सहस्सारंगा देवा अणते कम्मंसे चउहिं वाससहस्सेहि खवयंति । आाणय-पाणय-श्रारण-अच्चुयगा देवा प्रणते कम्मंसे पंचहि वाससहस्सेहि खवयंति । हिमवेज्जगा देवा श्रणते कम्मंसे एगेणं वाससयसहस्सेणं खवयंति । मज्झिमगेवेज्जगा देवा अणते कम्मंसे दोहिं वासस्यसहस्सेहिं खवयंति । उवरिमगेवेज्जगा देवा ग्रणते कम्मंसे तिहिं वासस्यसहस्सेहि खवयंति । विजय-वेजयंतजयंत अपराजियगा देवा ग्रणते कम्मंसे चउहिं वासस्यसहस्सेहिं खवयंति । सवसिद्धगा देवा श्रणंते कम्मंसे पंचहि वाससय सहस्सेहि खवयंति । एए णं गोयमा ! ते देवा जे प्रणते कम्मंसे जहणेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहि वाससएहि खवयंति । एए णं गोयमा ! ते देवा जाव पंचहि वासससहस्सेहि खवयंति । एए णं गोयमा ! ते देवा जाव पंचहि वाससयस हस्सेहिं खवयंति ॥ १५८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। १. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । Page #841 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८० भगवई अट्ठमो उद्देसो ईरियं पडुच्च गोयमस्स संवाद-पदं १५६. रायगिहे जाव एवं वयासी-अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो पुरो दुहरो जूगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्स' अहे कक्कड़पोते वा वदापोते वा कुलिंगच्छाए' वा परियावज्जेज्जा, तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! अणगारस्स णं भावियप्पणो' 'पुरओ दुहनो जुगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायरस अहे कुक्कुडपोते वा वट्टपोते वा कुलिंगच्छाए वा परियावज्जेज्जा, तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ।। १६०. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ०? गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-भाया-लोभा वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं रियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोहमाण-माया लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ। ग्रहासुत्तं रीयमाणस्प रियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ! से णं महासुतं रीयती। से तेणटेणं ।। १६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ ।। १६२. तए णं समणे भगवं महावीरे 'अण्णया कयाइ रायगिहाम्रो नगरानो गुणसि लामो चेइयाो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता वहिया जणवयविहारं ' विहरइ ।। अण्णउत्थियाणं प्रारोव-पदं १६३. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे । गुणसिलए चेइए–वण्णो जाव' पुढविसिलापट्टप्रो। तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे अण्णउत्थिया परिवसति । तए णं स मणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव" परिसा पडिगया ।। १६४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूती १. पातस्स (ता)। २. छाते (ख, ब, म, स)। ३. सं. पा.--भावियप्पणो जाव तस्स । ४. सं० पा०-जहा सत्तमसए संवूडढेसए जाव अटो निक्वित्तो। ५. भ०११५१ ६. सं० पा.-.-महावीरे बहिया जाव विहरइ। ७. भ. ८२७१ । Page #842 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६८. अट्ठारसमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) ७८१ नामं अणगारे जाव' उड्ढं जाणू' 'अहोसिरे झाणकोट्टोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ॥ १६५. तए णं ते अण्णउत्थिया जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता भगवं गोयम एवं बयासी-तुब्भे णं अज्जो ! तिविहं तिविहेणं अस्संजय•विरय-पडिय-पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असंवुडा, एगंतदंडा, एगंत बाला यावि भवह ? १६६. तए णं भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं वयासो-केणं कारणेणं अज्जो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं अस्संजय जाव एगंतवाला यावि भवामो ? १६७. तए णं ते अण्णउत्थिया भगवं गोयम एवं वयासो-तुब्भे गं अज्जो ! रीयं रोयमाणा पाणे पेच्चेह, अभिहणह जाव' उद्दवेह', तए णं तुन्भे पाणे पेच्चेमाणा जाव उद्दवेमाणा' तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह ॥ तए णं भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-नो खलु अज्जो ! अम्हे रीयं रीयमाणा पाणे पेच्चेमो जाव उद्दवेमो, अम्हे णं अज्जो ! रीयं रीयमाणा कायं च जोयं च रीयं च पडुच्च दिस्सा-दिस्सा पदिस्सा-पदिस्सा बयामो, तए णं अम्हे दिस्सा-दिस्सा वयमाणा पदिस्सा-पदिस्सा वयमाणा नो पाणे पेच्चेमो जाव नो उद्दवेमो, तए णं अम्हे पाणे अपेच्चेमाणा जाव प्रणोद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतपंडिया यावि भवामो। तुम्भे णं अज्जो ! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह ।। १६९. तए णं ते अण्णउत्थिया भगवं गोयमं एवं क्यासी-केणं कारणेणं अज्जो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतवाला यावि भवामो ? १७०. तए णं भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! रीयं रीयमाणा पाणे पेच्नेह जाव उद्दवेह, तए णं तुब्भे पाणे पेच्चेमाणा जाव उद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह ॥ १७१. तए णं भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं पडिभणइ", पडिभणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समण भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता पच्चासण्णे णातिदूरे जाव" पज्जुवासति ।। १. भ० ११६। २. सं० पा०-उड्ढंजाण जाव विहरइ । ३. सं० पा० --अस्संजय जाव एगंत° । ४. तुलना-भ० ८।२८५-२६० । ५. भ० बा२८७। ६. उवद्दवेह (ख)। ७. उवद्दवेमाणा (ख)। ८. दिस्स (अ, ता, ब, म)। ६. पदिस्स (अ, ख, ता, ब, म)। १०. पडिहणइ (अ, क, ख, ब, म, स)। ११. भ०१।१०। Page #843 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८२ भगवई १७२. गोयमादी ! समणे भगवं महाबीरे भगवं गोयम एवं वयासी-सुठ्ठ गं तुमं गोगमा ! ते अण्ण उत्थिए एवं वदासी, साहु णं तुमं गोयमा ! ते अण्णउत्थिए एवं वदासी। अत्थि णं गोयमा ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गथा छउमत्था, जे णं नो पभू एयं वागरणं वागरेत्तए, जहा णं तुमं । तं सुठ्ठ णं तुम गोयमा ! ते अण्णउत्थिए एवं वयासी, साहु णं तुमं गोयमा ! ते अण्ण उत्थिा एवं वयासी ॥ १७३. तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुझे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-- परमाणुपोग्गलादीणं जाणंणा-पासणा-पदं १७४. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं किं जाणति-पासति ? उदाहु न जाणति न पासति ? गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्थेगतिए न जाणति न पासति ॥ १७५. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से दुपएसियं खंधं कि जाणति-पासति ? उदाह न जाणति न पासति ? गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्थेगतिए न जाणति न पासति । ° एवं जाव असंखेज्जपएसियं ।। १७६. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से अणंतपाए सियं खंधं कि 'जाणति-पासति ? उदाहु न जाणति न पास गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति-पासति, अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्थे गतिए न जाणति पासति, अत्थेगतिए न जाणति न पासति ।। १७७. पाहोहिए" णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं किं जाणति-पासति ? उदाह न जाणति न पासति ? जहा छ उमत्ये एवं आहोहिए वि जाव अणंतपएसियं ।। १७८. परमाहोहिए णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणति तं समयं पासति ? जं समयं पासति तं समयं जाणति ? नो इणढे समढे॥ १७६. से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-परमाहोहिए णं मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणति नो तं समयं पासति ? जं समयं पासति नो तं समयं जाणति ? गोयमा! सागारे से नाणे भवइ, अणागारे से दसणे भवइ । से तेणद्वेणं" 'गोयमा ! एवं बुच्चइ-परमाहोहिए णं मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं समयं १. मणूसे (अ, क, ता, ब, म) ४. अहोहिए (ख, स)। २. सं० पा०—एवं चेव । ५. सं० पा०-तेणटेणं जाब नो। ३. सं० पा०--पुच्छा। Page #844 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (नवमो उद्देसो) ७८३ जाणति नो तं समयं पासति, जं समयं पासति नो तं समयं जाणति । एवं जाव अणंतपदेसियं ॥ १८.. केवली णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं "जं समयं जाणति तं समयं पासति ? जं समयं पासति तं समयं जाणति ? नो इणटे समढे ॥ १८१. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-केवली णं मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणति नो तं समयं पासति ? जं समयं पासति नो तं समयं जाणति ? गोयमा! सागारे से नाणे भवइ, अणागारे से दंसणे भवइ । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बच्चइ- केवली णं मणस्से परमाणपोग्गलं जं समयं जाणति नो तं समयं पासति, जं समयं पासति नो तं समयं जाणति । एवं जाव अणंतपएसियं ।। १८२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। नवमो उद्देसो भवियदव्व-पदं १८३. रायगिहे जाव एवं वयासी—अत्थि णं भंते ! भवियदव्वनेरइया-भवियदव्व नेरइया? हंता अत्थि ॥ १८४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ--भवियदव्वने रइया-भवियदन्वनेरइया ? गोयमा ! जे भविए पंचिदिए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा नेरइएसु उववज्जित्तए । से तेण?णं । एवं जाव थणियकुमाराणं ॥ १८५. अत्थि णं भंते ! भवियदव्वपुढविकाइया-भवियदब्वपुढविकाइया ? हंता अस्थि ॥ १८६. से केणट्रेणं ? गोयमा ! जे भविए तिरिक्खजोगिए वा मणुस्से वा देवे वा पुढविकाइएसु उवधज्जित्तए । से तेण?णं । पाउक्काइय-वणस्सइकाइयाणं एवं चेव । तेउ-वाउबेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाण य जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा २. सं० पा०-जहा परमाहोहिए तहा केवली वि जाव । Page #845 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८४ पंचिदियतिरिक्ख तेउ वाउ - इंदिय-ते इंदिय- चउरिदिएसु उववज्जित्तए । जोणियाणं जे भविए नेरइए वा तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पंचिदियतिरिक्खजोणिए वा पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए । एवं मणुसा वि । वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिया णं जहा नेरइया || १८७ भवियदव्वनेरइयस्स गं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी ॥ १८८. भवियदव्वसुरकुमारस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोमा ! जहणे अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिष्णि पलियोमाई | एवं जाव णियकुमारस्स || १८६. भवियदव्यपुढविकाइयस्स णं - पुच्छा । गोमा ! जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सातिरेगाई दो सागरोवमाई | एवं उक्काइस्स वि । तेउ वाउकाइयस्स वि जहा नेरइयस्स । वणस्स इकाइयस्स जहा पुढविकाइयस्स | इंदियस्स तेइंदियस्स चउरिदियस्स जहा नेरइयस्स । पंचिदियतिरिक्खजोणियस्स जहणेणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोमाई | एवं मणुस्सस्स वि । वाणमंतर जोइसिय-वेमाणियस्स जहा असुरकुमारस्स ॥ १०. सेवं भंते । सेवं भंते! त्ति ॥ दसमो उद्देसो भाविपणो प्रसिधारादि श्रोगाहणादि-पदं १६१ रायगिहे जाव एवं वयासि - अणगारे णं भंते! भावियप्पा असिधारं वा खुरधारं वा योगाहेज्जा ? हंता प्रोगाहेज्जा | से णं तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा ? नो इट्टे समट्ठे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ || १६२. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अगणिकायस्त मज्भंमज्भेणं वीइवएज्जा ? हंता वीइवएज्जा | से णं भंते ! तत्थ भियाएज्जा ? १. सं० पा०- भगवई - एवं जहा पंचमसए परमाणुपोम्गलवत्तव्वया जाव अणगारे । Page #846 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८५ अट्ठारसमं सतं (दममो उद्देमो) गोयमा ! नो इणटे समढे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १६३. अणगारे गां भंते ! भावियप्पा पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा? हंता वीइवाज्जा। से णं भंते ! तत्थ उल्ने सिया? गोयमा ! नो इण? समद्धे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ॥ १६४. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा गंगाए महाणदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ? हंता हव्यमागमज्जा। से णं भंते ! तत्थ विणिहायमावज्जेज्जा? गोयमा ! नो इणढे समढे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १६५. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा उदगावनं वा उदगविंदु वा प्रोगाहेज्जा? हंता योगाहेज्जा। से णं भंते ! तत्थ परियावज्जेज्जा? गोयमा ! नो इणढे समढे ° ! नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥ परमाणुपोग्गलादोणं वाउकाय-फास-पदं १९६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! वाउयाएणं फुडे ? वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं गोयमा ! परमाणुपोग्गले बाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं फुडे ॥ १६७. दुप्पएसिए णं अंते ! खंधे वाउयाएणं फुडे ? वाउयाए वा दुप्पएसिएणं खंधेणं फुडे ? एवं चेव । एवं जाव असखेज्जपएसिए । १९८. अणंतपएसिए णं भंते ! खंधे वाउयाएणं फुडे-पुच्छा। गोयमा ! अणंतपएसिए बंधे वाउयाधणं फुडे, वाउयाए अणंतपएसिएणं खंघेणं सिथ फडे, सिय नो फुड़े ॥ १६६. वत्थी भंते ! बाउयाएण फुडे ? वाउयाए वा वत्थिणा फडे ? गोयमा ! वत्थी वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए वत्थिणा फुडे ।। दव्वाणं वण्णादि-पदं २००. अस्थि णं भंते ! इमोमे रयणप्पभाए पुढवीए अहे दव्वाई वण्णो 'काल-नील". लोहिय-हालिद्द-सुक्किलाइं, गंधनो सुभिगंधाई, दुब्भिगंधाई, रसओ तित्तकडुय-कसाय-अंबिल-महुराइं, फासो कक्खड-मउय-गरुय-लहुय-सीय-उसिण १. काला नीला (अ, क, ख, ता, म)। Page #847 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८६ भगवई निद्ध-लुक्खाई, अण्णमण्णबद्धाई, अण्णमण्णपुट्ठाई, 'अण्णमण्णबद्ध पुट्ठाई", अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति ? हंता अस्थि । एवं जाव आहेसत्तमाए ॥ २०१. प्रत्थि णं भंते! सोहम्मस्स कप्पस्स अहेदव्वाई ? एवं चेव । एवं जाव ईसिप भाराए पुढवीए ॥ २०२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ ॥ २०३. तए णं समणे भगवं महावीरे' 'अण्णया कयाइ रायगिहाओ नगराम्रो गुणसिलामो चेइयाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ सोमिलमाहण-पदं २०४. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नामं नगरे होत्था - वण्णओ । दूतिपलासए चेइए – वण्णओ । तत्थ णं वाणियगामे नगरे सोमिले नाम माहणे परिवसति अड्ढे जाव' बहुजणस्स अपरिभूए, रिव्वेद' जाव' सुपरिनिट्ठिए, पंचह खंडियसयाणं, 'सयस्स य, कुटुंबस्स ग्राहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं आणा - ईसर- सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहरइ । तए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव' परिसा पज्जुवासति ॥ ० २०५. तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स अयमेयारूवे " • अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - एवं खलु समणे नायपुत्ते पुब्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दृइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे " इहमागए" इहसंपत्ते इहसमोसढे इहेव वाणियगामे नगरे 'दूतिपलासए चेइए ग्रहापडिरूवं" प्रोग्गहं श्रगिरिहत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं गच्छामि णं समणस्स नायपुत्तस्स अंतियं पाउब्भवामि, इमाई च णं एयारूवाई अट्ठाई" "हेऊई परिणाइं कारणाई • वागरणाई पुच्छिस्सामि, तं जइ मे से इमाई एयारूवाई अट्ठाई जाव वागरणाई वागरेहिति ततो णं वंदीहामि नमसीहामि जाव पज्जुवासीहामि, ग्रह मे से इमाई अट्ठाई जाव १. जाव ( अ, क, ख, तर, न, म, स) । २. भ० १।५१ । ३. सं० पा० --- महावीरे जाव बहिया । ४. भ० २१६४ : ५. रुव्वेद ( अ, म ); रिउव्वेद ( क स ) । ६. भ० २१२४ । ७. सायरस ( अ, क, ख, ता, म) O ८. सं० पा० - आहेवच्चं जाव विहरइ | ६. भ० १८ ।१३७ । १०. सं० पा० - अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । ११. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । १२. सं० पा० - इमागए जाव दूतिपलासए । १३. सं० पा० - अहापडिरूवं जाव विहरइ । १४. सं० पा० – अट्ठाई जाव वागरणाई | Page #848 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठारसमं सतं (दसमो उद्देसो) वागरणाई नो वागरेहिती तो णं एएहिं चेव अट्ठेहि य जाव वागरणेहि य निष्पट्टपसिणवागरणं करेस्सामी ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता पहाए जाव' अप्पमग्याभरणालं कियसरीरे सानो गिहाश्री पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं एगेणं खंडियसएणं सद्धि संपरिवुडे वाणियगामं नगरं मज्झंमज्भेणं निग्गच्छइ, निगच्छित्ता जेणेव दुतिपलासए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओो महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी २०६. जत्ता' ते भंते ? जवणिज्जं (ते भंते ? ) ? अव्वाबाहं (ते भंते ? ) ? फासूय विहारं (ते भंते ? ) ? सोमिला ! जत्ता वि मे, जवणिज्जं पि मे अव्वाबाहं पि मे, फासूयविहारं पि मे ॥ २०७ किं ते भंते ! जत्ता ? सोमिला ! जं मे तव - नियम - संजय - सज्झाय - भाणावस्सगमादीएसु जोगेसु जयणा, सेत्तं जत्ता ॥ २०८. किं ते भंते ! जवणिज्जं ? सोमिला ! जवणिज्जे' दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - इंदियजवणिज्जेय, नोइंदियजवणिज्जे य || २०६. से किं तं इंदियज वणिज्जे ? २१०. से किं तं नोइंदियजवणिज्जे ? इंदियजवणिज्जे - जं मे सोइंदिय चक्खिदिय घाणिदिय जिब्भिदिय फासिदियाई froaाई बसे वति, सेत्तं इंदियजवणिज्जे ॥ २११ किं ते भंते! ग्रव्वाबाहं ? ७८७ नोइंद्रियजवणिज्जे - जं मे कोह- माण- माया लोभा वोच्छिण्णा नो उदीरेंति, सेत्तं नोइंदियजवणिज्जे, सेत्तं जवणिज्जे ॥ २१२. किं ते भंते ! फासूयविहारं ? सोमिला ! जं मे वातिय पत्तिय-संभिय- सन्निवाइया विविहा रोगायंका सरीरगया दोसा उवसंता नो उदीरेंति, सेत्तं अव्वाबाहं ॥ १. भ० २२६७ । २. तुलना -- नाथाधम्मकहाओ ११५/७०-७६ । ३. जमणिज्जे ( अ, ख, ता, म) 1 सोमिला ! जणं आरामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु सभासु पवासु इत्थी-पसुपंडविवज्जियासु वसहीसु फासु-एसणिज्जं पीढ - फलग सेज्जा- संथारगं उवसंपज्जित्ताणं विहरामि, सेत्तं फासूयविहारं ॥ ४. माय (क, ख, ता) | ५. सन्निवाइय ( ख ) 1 Page #849 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८८ भगवई २१३. सरिसवा' ते भंते ! कि भक्खेया ? अभक्खेया ? सोमिला ! सरिसवा (मे ?) भक्खेया वि अभक्खेया वि।। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ---सरिसवा मे भक्खेया वि अभक्खेया वि ? से नणं भे सोमिला ! बंभण्णएसु नएसु दुविहा सरिसवा पण्णत्ता, तं जहामित्तसरिसवा य, धन्नसरिसवा य । तत्थ णं जेते मित्तसरिसवा ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--'सहजायया, सहवड्ढियया, सहपंसुकीलियया", ते णं समणाणं निरगंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धन्नसरिसवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सत्थपरिणया य, असत्थपरिणया य । तत्थ णं जेते असत्थपरिणया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खया। तत्थ णं जेते सत्थपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--एसणिज्जा य, अणेस णिज्जा य । तत्थ णं जेते अणेसणिज्जा ते समणाणं निग्गंथाणं अभ खेया । तत्थ णं जेते एसणिज्जा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-जाइया य, अजाइया य । तत्थ णं जेते अजाइया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते जाइया ते दुविहा पण्णता, तं जहा-लद्धा य, अलद्धा य । तत्थ णं जेते अलद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभवखेया। तत्थ णं जेते लद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं भक्खेया । से तेण?णं सोमिला! एवं वुच्चई-सरिसवा मे भक्खेया वि अभक्खेया वि ॥ २१५. मासा ते भंते ! किं भक्खेया ? अभक्खेया ? सोमिला ! मासा मे भक्खेया वि, अभक्खेया वि ।। २१६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ- मासा मे भक्खेया वि ० अभक्खेया वि? से नणं भे" सोमिला! बंभण्णएसु नएसु दुविहा मासा पण्णत्ता, तं जहादव्वमासा य, कालमासा य। तत्थ ण जेते कालमासा ते णं सावणादीया प्रासाढपज्जवसाणा दुवालस पण्णत्ता, तं जहा. सावणे, भद्दवए, प्रासोए', कत्तिए, मग्गसिरे, पोसे, माहे, फग्गुणे, चेत्ते, वइसाहे, जेट्ठामूले, आसाढे । ते णं सभणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते दब्वमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-~-अत्थमासा य, धण्णमासा य। १. सरिसवया (ना० ११५१७३)। २. सहजायए सहव ड्ढियए सहर्षसुकीलियए (अ, क, ख, ता, व, म)। ३. सं० पा०-च्चइ जाव अभक्खेया। ४. सं० पा० -केणद्वेण जाव अभक्खेया। ५. भंते (अ, ता, ब, म);X (ख)। ६. अस्सोए (अ, क, ता, ब, म) Page #850 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७८६ अट्ठारसमं सतं (दसमो उद्देसो) तत्थ णं जेते अत्थमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुवण्णमासा य, रुप्पमासा य । ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धण्णमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- सत्थपरिणया य, असत्थ परिणया य । एवं जहा धण्णसरिसवा जाब से तेणद्वेणं जाव अभक्खेया वि !! २१७. कुलत्था ते भंते ! कि भक्खेया ? अभक्खेया ? सोमिला ! कुलत्था मे भक्खेया वि अभक्खेया वि ।। २१८. से केणद्वेणं जाव अभक्खेया वि? से नूणं भे सोमिला ! वंभण्णएसु नएसु दुविहा कुलत्था पण्णत्ता, तं जहाइत्थिकुलत्था य, धण्णकुलत्था य । तत्थ णं जेते इत्थिकुलत्था ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- 'कुलवधुया इवा, कुलमाउया इ वा, कुलधुया' इ वा । ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धण्णकुलत्था एवं जहा धण्णसरिसवा । से तेणद्वेणं जाव अभक्खेया वि ।। २१६. एगे भवं ? दुवे भवं ? अक्खए भवं ? अव्वए भवं ? अवट्ठिए भवं ? अणेगभूय भाव-भविए भवं? सोमिला! एगे वि अहं जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं ।। २२०. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ'--°एगे वि अहं जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं? सोमिला ! दव्वट्ठयाए एगे अहं, नाणदंसणट्ठयाए दुविहे अहं, पएसद्वयाए अक्खए वि अहं, अव्वए वि अहं, अवट्रिए वि अहं, उवयोगट्टयाए अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं । से तेण?णं जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं ।। २२१. एत्थ णं से सोमिले माहणे संबुद्ध समणं भगवं महावीरं वंदई नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी जहा खंदग्नो जाव' से जहेयं तुझे वदह। जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुबिय-इब्भसेटि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितप्रो' मुंडा भवित्ता णं अगाराओ अणगारियं पव्वयंति, नो खलु अहं तहा संचाए मि', अहं णं देवाणुप्पियाणं अंतिए दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जिस्सामि जाव दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जति, पडिवज्जित्ता समणं भगवं महावीर वंदति'नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं° पडिगए । १. कुलकण्णया इ वा कुलमाउया इ वा कुल- वहुया (अ, क, ता, ब, स)। २. सं० पा०-दुच्चइ जाव भविए । ३. भ० २१५०-५२! ४. पू०-राय० सू० ६६५। ५. सं० पा०—एवं जहा रायपसेणइज्जे चित्तो। ६. पू०–राय० सू० ६६५ । ७. सं० पा० -वंदति जाव पडिगए। Page #851 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६० भगवई २२२. तए णं से सोमिले माहणे समणोवासए जाए- अभिगयजीवाजीवे जाव' अहा परिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरई ।। २२३. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी—पभू णं भंते ! सोमिले माहणे देवाणुप्पियाण अंतिए मुडे भवित्ता अगारामो अणगारियं पव्वइत्तए? नो इण? समटे । जहेव संखे तहेव निरवसेसं जाव' सव्वदुक्खाणं अंत काहिति ॥ २२४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। ३. भ० ११५१ । १. भ० २६४ २. भ. १२२७,२८ । Page #852 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगणवीसइमं सतं पढमो उद्देसो १. लेस्सा य २. गब्भ ३. पुढवी, ४. महासवा ५. चरम ६. दीव ७. भवणा य । ८. निव्वत्ति ६. करण १०. वणचरसुरा य एगणवीस इमे ॥१॥ लेस्सा -पदं १. रायगिहे जाव एवं वयासो-कति णं भंते ! लेस्सानो पण्णत्तायो? गोयमा ! छल्लेसानो पण्णत्तानो, तं जहा-एवं जहा पण्णवणाए चउत्थो लेसुद्देसओ भाणियब्वो' निरवसेसो॥ २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। बीओ उद्देसो ३. कति णं भंते ! लेस्साप्रो पण्णत्तानो? एवं जहा पण्णवणाए गन्भुद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो' ।। ४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ १. प०१७।४। २. प. १७।६। ७६१ Page #853 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ भगवई तइनो उद्देलो पुढविकाइय-पदं ५. 'रायगिहे जाव एवं वयासी-सिय भंते ! जाव' चत्तारि पंच पुढविककाइया एगयो साधारणसरीरं बंबंति, बंधित्ता तओ पच्छा पाहा रेति वा परिणामेंति वा सरीरं वा बंधंति ? नो इण8 समढें । पुढविवकाइयाणं पत्तेयाहारा परोयरिणामा पत्तेयं सरीरं बंधंति, बंधित्ता तो पच्छा आहारति वा परिणाति वा सरीरं वा बंधंति ।। ६. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति मेस्सागो पणत्तायो ? गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो दमत्तानो, तं जहा---कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा, तेउलेस्सा ।। ७. ते णं भंते ! जीवा कि सम्मदिट्टी ? मिच्छदिट्ठी ? सम्मामिच्छदिदी ? गोयमा ! नो सम्मदिट्ठी, मिच्छदिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्ठी ।। ८. ते णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी? गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुअगाणी, तं जहा---मतिअण्णाणी य, सुयअण्णाणी य ।। है. ते ण भंते ! जीवा कि मणजोगी ? वइजोगी ? कायजोगी? गोयमा ! नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी ।। . ते णं भंते ! जीवा कि सागारोव उत्ता? अणगारोवउत्ता? गोयमा ! सागारोव उत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि ।। ११. ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेति? गोयमा ! दवओ णं अणंतपदेसियाई दव्वाई--एवं जहा पण्णवणाए पढमें आहारुद्देसए जाव' सव्वप्पणयाए' ग्राहारमाहारति ।।। १२. ते णं भंते ! जीवा जमाहारति तं चिज्जति, जं नो साहारेति तं नो चिज्जति, चिण्णे वा से प्रोद्दाइ पलिसप्पति वा ? हंता गोयमा ! ते णं जीवा जमाहारेति तं चिज्जति, जं नो आहारेंति जाव पलिसप्पति वा ।। १. इह चेयं द्वारगाथा क्वचिद दश्यतेसिय लेसदिट्ठिणाणे, जोगुवोगे तहा किमाहारो। पाणाइवाय उप्पायठिई, समुग्धाय उबट्टी (वृ)। २. यावतकरणाद् द्वौ वा त्यो वा (वृ)। ३. मिच्छादिदी (क, ख, ता, व, म, स) । ४. प०२८।१। ५. सव्वपयाए (ब)। Page #854 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो) ७६३ १३. तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणोति वा वईति वा __अम्हे णं आहारमाहारेमो ? नो इण सम, आहारति पूण ते ।। १४. सिगं भंते ! जीवाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणोति वा वईति वा अम्हे णं इटाणिद्वे फासे पडिसंवेदेमो ? नो इणद्वे समढे, पडिसंवेदेति पुण ते।। १५. ते णं भंते ! जीवा किं पाणाइवाए उवक्खाइज्जति, मुसावाए, अदिण्णादाणे जाव मिच्छादसणसल्ले उवक्खाइज्जति ? गोयमा ! पाणाइवाए वि उवक्खाइज्जति जाव मिच्छादसणसल्ले वि उवक्खाइज्जति । जेसि पि णं जीवाणं ते जीवा एवमाहिज्जंति तेसि पि णं जीवाणं नो विग्णाए नाणत्ते ।। १६. ते णं भंते ! जीवा कमोहितो उववज्जति --कि नेरइएहितो उववज्जति० ? एवं जहा वक्कंतीए पुढविक्काइयाणं उववानो तहा भाणियव्वो' । १७. तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं बाससहस्साई॥ १८. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति समुग्घाया पण्णत्ता ! गोयमा ! तम्रो समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा–वेयणासमुग्धाए, कसायसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाए ।। १६. ते णं भंते ! जोवा मारणंतियस मुग्धाएणं किं समोहया मरंति ? असमोहया मरंति ? गोयमा ! समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति ॥ २०. ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ? एवं उव्वट्टणा जहा वक्कंतीए' ।। आउक्काइयादि-पदं २१. सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच आउक्काइया एगयो साहारणसरीरं बंधंति, वंधित्ता तो पच्छा आहारेंति? एवं जो पुढविक्काइयाणं गमो सो चेव भाणियव्वो जाव उन्वदृति, नवरं-ठिती सत्त वाससहस्साई उक्कोसेणं, सेसं तं चेव ।। २२. सिय भंते ! जाब चत्तारि पंच तेउक्काइया० ? एवं चेव, नवरं-उववानो १. सं० पा०-सण्णाति या जाव वईति । २. भ. ११३८४। ३. प०६। ४. प०६। Page #855 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ भगवई ठिती उव्वट्टणा य जहा' पण्णवणाए सेसं तं चेव । वाउकाइयाणं एवं चेव, नाणत्तं नवरं - चत्तारि समूग्घाया ।।। २३. सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच वणस्सइकाइया--पुच्छा। गोयमा ! नो इण? सम8 । अणंता वणस्सइकाइया एगयनो साहारणसरीरं बंधंति, बंधित्ता तो पच्छा आहारेति वा परिणामेंति वा सरीरं वा बंधंति । सेसं जहा तेउकाइयाणं जाव उवट्टति, नवरं आहारो नियम छद्दिसि, ठिती जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उयकोसेण वि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव ।। थावरजीवाणं प्रोगाहणाए अप्पाबहुत्त-पदं २४. एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं आउ-ते उ-वाउ-वणस्सइकाइयाणं सुहमाणं बादराणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! १. सव्वत्थोवा सुहुमनिग्रोयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा २. सुहुमवाउक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ३. सुहुमतेउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असखेज्जगुणा ४. सुहुमप्राउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ५. सुहुमपुढविक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जष्णिया प्रोगाणा असंखेज्जगुणा ६. बादरवाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ७. वादरतेउक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ८. बादरप्राउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहष्णिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ६. बादरपुढविकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा १०,११. पत्तेयसरीरवादरवणस्सइकाइयस्स वादरनिरोयस्स एएसि ण पज्जत्तगाणं एएसि गं अपज्जत्तगाणं जहणिया ओगाहणा दोण्ह वि तुल्ला असंखेज्जगुणा १२. सूहमनिगोयरस पज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा १३. तस्सेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १४. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया १५. सुहुमवाउकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा १६. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया १७. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया १८-२० एवं सुहुमतेउक्काइयस्स वि २१-२३ एवं सुहुमनाउक्काइयस्स वि २४-२६ एवं सुहुमपुढविकाइयस्स वि २७-२६ एवं बादरवाउकाइयस्स वि ३०-३२. एवं बादरतेउकाइयस्स वि ३३-३५ एवं बादरआउकाइयस्स वि ३६-३८ एवं बादरपुढविकाइयस्स वि सव्वेसि तिविहेणं गमेणं भाणि यव्वं, ३६ बादरनिगोयस्स पज्जत्तगस्स जष्णिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा १. प. ४,६। २. सं० पा०-- कयरेहितो जाब विसेसाहिया। Page #856 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणवीस:मं सतं (तइओ उद्देसो) ४०. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया ४१. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उवकोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया ४२. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्म पज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्ज गुणा ४३. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया योगाहणा असंखेज्जगुणा ४४. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाणा असंखज्जगुणा ।। थावरजीवाणं सब्वसुहुम-सव्वबादर-पदं २५. एयस्स ण भंते ! पुढविकाइयस्स ग्राउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स य कयरे काये सव्वसुहुमे ? कयरे काए सव्वसुहुमतराए ? गोयमा ! वणस्सइकाए सव्वसुहुमे, वणस्सइकाए सव्वसुहमतराए। २६. एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयरस वाउकाइयस्स य कयरे काये सव्वसुहुमे ? कयरे काये सव्वसुहुमत राए ? गोयमा! वाउक्काए सव्वसुहुमे, वाउक्काए सव्वसुहुमतराए ।। २७. एयस्स णं भंते ! पूढविकाइयस्स आउक्काइयस्स ते उक्काइयस्स य कयरे काये सव्वसहमे ? कयरे काये सव्वसुहुमतराए ? गोयमा! तेउक्काए सव्वसुहुमे, तेउक्काए सव्वसुहुमतराए । २८. एयस्स णं भंते ! पुढविक्काइयस्स ग्राउक्काइयस्स य कयरे काये सव्वसहमे ? कयरे काये सव्वसुहुमतराए ? गोयमा ! आउक्काए सव्वसुहुमे, आउक्काए सव्वसुहुमतराए । २६. एयस्स णं भंते ! पुढविक्काइयस्स अाउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स वणस्सइकाइयस्स य कयरे काये सव्ववादरे ? कयरे काये सव्वबादरतराए ? गोयमा ! वणस्सइकाए सव्वबादरे, वणस्सइकाए सव्वबादरतराए। ३०. एयस्स णं भंते ! पढविकाइयस्स आउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काए सम्बबादरे ? कयरे काए सव्वबादरतराए ? गोयमा ! पुढविक्काए सव्ववादरे, पुढविक्काए सव्ववादरतराए । ३१. एयस्स णं भंते ! आउक्काइयस्स तेउक्काइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काए सव्वबादरे ? कयरे काए सव्ववादरतराए ? गोयमा ! ग्राउक्काए सव्वबादरे, आउक्काए सब्वबादरतराए। स्स ण भत ! तंउकाइयस्स बाउकाइस्स य कयरे काए सव्वबादरे ? कयरे काए सव्ववादरतराए? गोयमा ! तेउक्काए सव्ववादरे, तेउक्काए सव्ववादरतराए ।। पुढवि-सरीरस्स महालयत्त-पदं ३३. केमहालए णं भंते ! पुढविसरीरे पण्णत्ते? गोयमा ! अणंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमवाउ Page #857 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१६ भगवई सरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमवाउसरीराणं' जावइया सरीरा से एगे सुहुमतेउसरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमतेउकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहमे पाउसरीरे, असंखज्जाणं सहमनाउक्काइयसरीराण जावइया सरीरा से एगे सहमे पढविसरीरे, असंखेज्जाणं सहमपविकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे बादरवाउसरीरे, असंखेज्जाणं बादरवाउक्काइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरतेउसरीरे, असंखेज्जाणं बादरतेउकाइयाण जावइया सरीरा से एगे बादराउसरीरे, असंखेज्जाणं बादराउकाइयाण जावइया सरीरा से एगे बादरपुढवि सरीरे । एमहालए णं गोयमा ! पढविसरीरे पण्णत्ते ।।। पुढविकाइयस्स सरीरोगाहणा-पदं ३४. पुढविकाइयस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहानामए रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स वण्णगपेसिया तरुणी वलवं जगवं जूवाणी अप्पायंका “थिरग्गहत्था दढपाणि-पाय-पास-पिटुंतरोरुपरिणता तलजमलजुयल-परिघनिभबाहू उरस्सवलसमण्णागया लंधण-पवणजइण-वायाम-समत्था छेया दक्खा पत्तदा कसला मेहावी नि उणा निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिक्खेणं वइरामएणं वट्टावरएणं एग महं पुढविकाइयं जतुगोलासमाणं गहाय पडिसाहरिय-पडिसाहरिय पडिसंखिविय-पडिसंखिविय जाव इणामेवत्ति कटु तिसत्तक्खुत्तो प्रोप्पीसेज्जा, तत्थ णं गोयमा ! अत्थेगतिया पुढविक्काइया प्रालिद्धा अत्थेगतिया पुढविक्काइया नो आलिद्धा, अत्थेगतिया संघट्टिया अत्थेगतिया नो संघट्टिया, अत्यंगतिया परियाविया अत्थेगतिया नो परियाविया, अत्थेगतिया उद्दविया अत्थेगतिया नो उद्दविया, अत्थेगतिया पिट्ठा अत्थेगतिया नो पिट्ठा, पुढविकाइयस्स णं गोयमा ! एमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ॥ पुढविकाइयस्स वेदणा-पदं ३५. पुढविकाइए णं भंते ! अक्कते समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणब्भवमाणे विहरइ? गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे तरुणे बलवं ''जुग जुवाणे अप्पातंके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय-पास-पिटुंतरोपरिणते तलज मलजुयल-परिघनिभबाहू चम्मेदृग-दुहण-मुट्ठिय-समाहत-विचितगत्तकाए उरस्सबलसमण्णागए लंघण-पवण-जइण-वायाम-समत्थे छेए दक्खे पत्तट्टे कुसले मेहावी निउणे १. सुहमथाउकाइयारणं ति क्वचित्पाठः (ब)। २. सं० पा०-वण्णमो जाव निउणसिप्पोवगया, नवरं-चम्मेद्र-दहण-मुट्रियसमाहरणिचिय- गत्तकाया न भण्णति, सेसं त चेव जाव निउण° । ३. सं० पा०-बलवं जाव निउ । Page #858 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणवीसइमं सतं (चउत्थो उद्देसो) निउणसिप्पोवगए एगं पुरिसं जुण्णं जरा-जज्जरिय-देह' पाउरं झूसियं पिवासियं दुब्बलं किलंतं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहणेज्जा, से णं गोयमा ! पुरिसे तेणं पुरिसेणं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहए समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणभवमाणे विहरति ? प्रणिटुं समणाउसो ! तस्म णं गोयमा ! पुरिसस्स वेदणाहितो पुढवि काइए अक्कते समाणे एत्तो अणिट्टतरियं चेव अकंततरियं' 'अप्पियतरियं असुहतरियं अमणुष्णतरियं ° अमणामतरियं चेव वेदणं पच्च्णुब्भवमाणे विहरइ ।। प्राउकाइयादीणं वेदणा-पदं ३६. आउयाए णं भंते ! संघट्टिए समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ? गोयमा ! जहा पुढविकाइए एवं चेव । एवं तेउयाए वि। एवं वाउयाए वि। एवं वणस्सइकाए वि जाव' विहरइ ।। ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। चउत्थो उद्देसो महासवादि-पदं ४८. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? गोयमा ! नो इणढे समढे ।। ३६. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा अप्पनिज्जरा ? हंता सिया ।। ४०. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? गोयमा ! नो इप ४१. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? गोयमा! नो इण? सम? ।। ४२. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? गोयमा ! नो इणढे सम? ।। ३. भ० १६॥३५॥ १. सं० पा०---देहं जाव दुब्बलं । २. स. पा.--अकंततरियं जाव अमणामतरियं । Page #859 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९८ भगवई ४३. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा अप्पनिज्जरा ? गोयमा! नो इणढे समढें ।। ४४. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इणद्वे समढे ।। ४५. सिय भंते ! नेरइया महासवा अपकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इण? सम? ॥ सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नो इणढे सम? ॥ सिय भते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा अप्पनिज्जरा ? नो इणढे समझें ।। सिय भते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इणठे समठे ॥ सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पदे यणा अप्पनिज्जरा ? नो इणठे समठे ।। ५०. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा? नो इणठे समठे । ५१. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया महावेयणा अप्पनिज्जरा ? नो इणठे समठे ।। ५२. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इणठे समझें ॥ ५३. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ? नो इणठे समठे। एते सोलस भंगा।। सिय भंते ! असुरकुमारा महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नो इणदे समटे। एवं चउत्थो भंगो भाणियव्वो, सेसा पाणरस भंगा खोडे यव्वा ! एवं जाव थणियकुमारा ।। ५५. सिय भंते ! पुढविक्काइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा? हंता सिया एवं जाव५६. सिय भंते ! पुढविक्काइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा? हंता सिया। एवं जाव मणुस्सा। वाणमतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असर कुमारा॥ ५७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ स भंगा खोडे १. सदृशप्रकरणेपि पूर्ववतिसूत्रेषु ‘गोयमा' इति पदं लभ्यते। अस्मिन्नुत्तरवर्तिसूत्रेषु च। एतत् पदं न दृश्यते । Page #860 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगणवीसइमं सतं (पंचमो उद्देसो) ७88 पंचमो उद्देसो चरम-परम-पदं ५८. अत्थि णं भंते ! चरमा' वि ने रइया ? परमा वि नेरइया ? हंता अत्थि ॥ ५६. से नूणं भंते ! चरमेहितो नेरइएहिंतो परमा नेरइया महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महस्सवतरा चेव, महावेयणतरा चेव ; परमेहिंतो वा नेरइएहितो चरमा नेरइया अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्परसवतरा चेव, अप्पवेयणतरा चेव ? हंता गोयमा ! चरमेहितो ने रइएहिंतो परमा जाव महावेयणतरा चेव, परमे हिंतो वा नेरइएहितो चरमा नेरइया जाव अप्पवेयणतरा चेव ।। ६०. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव' अप्पवेयणतरा चेव ? गोयमा ! ठिति पडुच्च । से तेणद्वेणं गोयमा! एवं वुच्चइ जाव अप्पवेयणतरा चेव ॥ ६१. अत्थि णं भंते ! चरमा वि असुरकुमारा? परमा वि असुरकुमारा ? एवं चेव, नवरं-विवरीयं भाणियव्वं, परमा अप्पकम्मा, चरमा महाकम्मा। सेसं तं चेव जाव थणियकुमारा ताव एमेव । पुढविकाइया जाव मणुस्सा एते जहा नेरइया । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । वेदणा-पदं ६२. कतिविहा णं भंते ! वेदणा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा वेदणा पण्णत्ता, तं जहा--निदा य, अनिदा य ।। ६३. नेरइया णं भंते ! किं निदायं वेदणं वेदेति ? अनिदायं वेदणं वेदेति ? गोयमा! निदायं पि वेदणं वेदेति,अनिदायं पि वेदणं वेदेति । जहा पण्णवणाए जाव' वेमाणियत्ति । ६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३. प० ३५ १. चरिमा (अ, ख, ब, म)। २. बहुकम्मा (अ, ब)। Page #861 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 500 चट्ठो उद्देसो दीवस मुद्द-पदं ६५. कहि णं भंते! दीवसमुद्दा ? केवतिया णं भंते ! दीवसमुद्दा ? किंसंठिया णं भंते! दीवसमुद्दा ? एवं जहा जीवाभिगमे दीवसमुद्देसो सो चेव इह वि जोइस मंडिउद्देगवज्जो' भाणियव्वो जाव परिणामो, जीवउववाम्रो जाव' प्रतखुत्तो ॥ ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ सत्तमो उद्देसो सुरकुमारादीणं भवणादि-पदं ६७. केवतिया णं भंते ! असुरकुमारभवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! चोर्यो असुरकुमारभवणावास सय सहस्सा पण्णत्ता ॥ ६८. ते णं भंते ! किमया पण्णत्ता ? गोयमा ! सव्वरयणामया अच्छा सण्हा जाव पडिरूवा । तत्थ णं बहवे जीवा यपोग्गलाय वक्कमंति, विउक्कमति, चयंति, उववज्जंति । सासया णं ते भवणा दव्वट्टयाए, वण्णपज्जवेहिं जाव फासपज्जवेहिं प्रसासया । एवं जाव णि कुमारावासा ॥ ६६. केवतिया णं भंते! वाणमंतरभोमेज्जनगरावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा वाणमंतरभोमेज्जनगरावासस्यसहस्सा पण्णत्ता ॥ ते णं भंते ! किंमया पण्णत्ता ? सेसं तं चैव ॥ ७०. ७१. केवतिया णं भंते! जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥ ७२. ते णं भंते! किमया पण्णत्ता ? गोमा ! सव्वालिहामया अच्छा, सेसं तं चैव ॥ १. जोइसियमंड (क, स ) | २. जी० ३ । ३. चोवट्ठि (क, ता); चउट्टि ( स ) 1 भगवई ४. भ० २।११८ | ५. भ० २/४७ Page #862 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुणवीस सतं (मो उद्देसो) ७३. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवतिया विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! बत्तीस विमाणावाससय सहस्सा पण्णत्ता ॥ ७४. ते णं भंते ! किमया पण्णत्ता ? गोयमा ! सव्वरयणामया अच्छा, सेसं तं चेव जाव अणुत्तरविमाणा, नवरं जाणेयव्वा जत्थ जत्तिया भवणा विमाणा वा ॥ ७५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ६०१ अटूमो उद्देसो जीवादि-निव्वति पर्व ७६. कतिविहा गं भंते ! जीवनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोमा ! पंचविहा जीवनिव्यत्ती पण्णत्ता, तं जहा - एगिदियजीव निव्वत्ती जा पंचिदियजीवनिव्वत्ती ॥ ७७. एगिंदियजीवनिव्वत्ती णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - पुढविक्काइयएगिदियजीवनिव्वत्ती जाव artaइकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती ॥ - ७८. पुढविकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सुहुमपुढविकाइयएगिदियजीव निब्वत्तीय, बादरपुढविकाइयएगिदियजीवनिव्वत्तीय एवं एएवं अभिलावेणं भेदो जहा वडगबंधी तेयगसरीरस्स जाव' ७६. सम्वद्ध सिद्धग्रणुत्त रोववातियकप्पातीतवेमाणियदेवपचिदियजीव निव्वत्ती णं भंते ! कतिविहा पुण्णत्ता ? १. भ० ८४१३ । गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -- पज्जत्तगसव्वट्टसिद्धग्रणुत्तरोववातिय'• कप्पातीत माणि देवपचिदियजीव निव्वत्तीय, अपज्जत्तगसम्वद्ध सिद्धाणुत्तरोववातिय कप्पातीतवेमाणियदेवपचिदियजीवनिव्वत्तीय ॥ ८०. कतिविहा णं भंते ! कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोमा ! टूविहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा - नाणावरणिज्जकम्मनिव्वती जाव अंतराइयकम्मनिव्यत्ती || ८१. नेरइयाणं भंते ! कतिविहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता ? २. सं० पा० - - ° अणुत्तरोववातिय जाव देव ! Page #863 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०२ भगवई गोयमा! अट्ठविहा कम्मनिव्वत्तो पण्णत्ता, तं जहा --नाणावरणिज्जकम्म निव्वत्ती जाव अंतराइयकम्मनिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं ।। ८२. कतिविहा णं भंते ! सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा--पोरालियसरीरनिव्वत्ती जाव कम्मासरीरनिव्वत्ती ।। ८३. नेरइयाणं भंते ! कतिविहा सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता? एवं चेव । एवं जाव वेमाणियाण, नवरं-नायव्वं जस्स जइ सरीराणि ॥ ८४. कतिविहा णं भंते ! सव्विदियनिव्वत्ती पयणता ? गोयमा! पंचविहा सव्विदियनिव्वत्ती पण्णता. तं जहा-सोइंदियनिव्वत्ती जाव फासिंदियनिव्वत्ती । एवं' नेरइयाणं जाव थणियकुमाराणं ।। ८५. पुढविकाइयाणं-पुच्छा। गोयमा ! एगा फासिदियनिव्वत्ती पण्णत्ता । एवं जस्स 'जति इंदियाणि जाव वेमाणियाणं ॥ ८६. कतिविहा णं भंते ! भासानिव्वत्ती पण्णत्ता? गोयमा चउबिहा भासानिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा-सच्चभासानिव्वत्ती, मोसमासानिव्वत्ती, सच्चामोसभासा निव्वत्ती, असच्चामोसभासानिव्वत्ती । एवं एगिदियवज्जं जस्स जा भासा जाव वेमाणियाणं ।। ५७. कतिविहा णं भंते ! मणनिव्वत्ती पण्णत्ता? । गोयमा ! चउविवहा मणनिव्वत्ती पण्णत्ता तं जहा—सच्चमणनिव्वत्ती जाव असच्चामोसमणनिव्वत्ती! एवं एगिदियविलिदियवज्जं जाव वेमाणियाणं ।। ८८. कतिविहा ण भंते ! कसायनिव्वत्ती पण्णता ? गोयमा ! चउव्विहा कसायनिव्वत्तो पण्णत्ता, तं जहा-कोहकसायनिव्वत्ती जाव लोभकसायनिव्वत्ती! एवं जाव वेमाणियाणं ।। ५६. कतिविहाणं भंते ! वण्णनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा! पंचविहा बण्णनिव्वत्तीतं जहा--कालावण्णनिवत्ती जाव सक्किलावण्णनिव्वत्ती। एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं! एवं गंधनिव्वत्ती दुविहा जाव वेमाणियाणं । रसनिव्वत्ती पंचविहा जाव वेमाणियाणं । फासनिव्वत्ती अट्टविहा जाव वेमाणियाणं ।। १०. कतिविहा णं भंते ! संठाणनिव्वत्ती पण्णता? गोयमा ! छविहा संठाणनिब्धत्ती पण्णता, तं जहा-समचउरससंठाणनिव्वत्ती जाव हुंडसंठाणनिव्वत्ती !! १. एवं जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. दिदियाणि (ता)। Page #864 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणवीसइमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) ८०३ ६१. नेरइयाणं-पुच्छा । गोयमा ! एगा इंडसंठाण निव्वत्ती पण्णत्ता ।। ६२. असुरकुमाराणं - पुच्छा। गोयमा ! एगा समचउरंससंठाणनिव्वत्ती पण्णत्ता। एवं जाव थणियकुमाराणं ।। ६३. पुढविकाइयाणं-पुच्छा। गोयमा ! एगा मसूरचंदसंठाणनिव्वत्ती' पण्णत्ता। एवं जस्स जं संठाणं जाव वेमाणियाण ॥ ६४. कतिविहा णं भंते ! सण्णानिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा ! च उम्विहा सग्णानिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा आहारसण्णानिव्वत्ती जाव परिग्गहसण्णानिव्वत्ती । एवं जाव वेमाणियाणं ।। ६५. कतिविहा णं भंते ! लेस्सानिव्वत्ती पण्णता? गोयमा ! छविहा लेस्सानिवत्ती पणत्ता, तं जहा- कण्हलेस्सानिव्वत्ती जाव सुक्कलेस्सानिवत्ती । एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति लेस्सायो ।। ६६. कतिविहा णं भंते ! दिट्ठीनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा दिट्ठोनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा–सम्मादिट्ठिनिव्वत्ती, मिच्छादिट्ठिनिव्वत्ती, सम्मामिच्छादिटिनिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति विहा दिट्ठी ॥ ६७. कतिविहा णं भंते ! नाणनिव्वत्ती पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा नाणनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा-आभिणिबोहियनाणनिव्वत्ती जाव केवलनाणनिव्वत्ती। एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति नाणा ।। १८. कतिविहा णं भंते ! अण्णाणनिव्वत्ती पण्णता ? गोयमा ! तिविहा अण्णाणनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा—मइअण्णाणनिव्वत्ती, सुयअण्णाणनिव्वत्ती, विभंगनाणनिव्वत्ती। एवं जस्स जति अण्णाणा जाव वेमाणियाणं ।। कतिविहा णं भंते ! जोगनिव्वत्ती पण्णत्ता? गोयमा! तिविहा जोगनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा–मणजोगनिव्वत्ती, वइजोगनिव्वत्ती, कायजोगनिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जतिविहो जोगो ॥ १००. कतिविहा णं भंते ! उवयोगनिव्वत्ती पण्णता ? १. मसूरचंदा' (क); मसूराचंदा° (ता, ब)। Page #865 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०४ भगवई ___ गोयमा ! दुविहा उवोगनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा--- सागारोवनोगनिव्वत्ती, अणागारोवोगनिव्वत्ती । एवं जाव वेमाणियाणं'। १०१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। नवमो उद्देसो करण-पदं १०२. कतिविहे णं भंते ! करणे पण्णते ? गोयमा ! पंचविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वकरणे, खेत्तकरणे, कालकरणे, भवकरणे, भावकरणे॥ १०३. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे करणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा---दव्वकरणे जाव भावकरणे। एवं 'जाव वेमाणियाणं ।। १०४. कति विहे गं भंते ! सरीरकरणे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे सरीरकरणे पण्णत्ते, तं जहा --ओरालियसरीरकरणे जाव कम्मासरीरकरणे । एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति सरीराणि ।। १०५. कतिविहे गं भंते ! इंदियकरणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे इंदियकरणे पण्णत्ते, तं जहा-सोइंदियकरणे जाव फासिदियकरणे। एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति इंदियाई। एवं एएणं कमेणं भासाकरणे चउब्बिहे, मणकरणे चउव्विहे, कसायकरणे चउविहे, समुग्धायकरणे सत्तविहे, सण्णाकरणे चउव्दिहे, लेसाकरणे छविहे, दिट्ठीकरणे तिविहे, वेदकरणे तिविहे पण्णत्ते, तं जहाइत्थिवेदकरणे, पुरिसवेदकरणे, नपुंसगवेदकरणे। एए सव्वे नेरइयादो दंडगा जाव वेमाणियाणं, जस्स जं अत्थि तं तस्स सव्वं भाणियव्वं ।। १०६. कतिविहे णं भंते ! पाणाइवायकरणे पण्णत्ते ? १. अतोन 'अ, क, ब, स' प्रतिषु सङ्गहणोगाथे दृश्यते-- जीवाणं निव्वत्ती, कम्मष्पगडी सरीरनिव्वत्ती। सविदियनिव्यत्ती, भासा य मणे कसाया य॥१॥ वण्ण रस गध फासे, संठागविही य होइ बोद्धव्वा । लेसा दिट्ठी नाणे, उवओगे चेव जोगे य ॥२॥ Page #866 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०५ एगूणवीसइमं सतं (दसमो उद्देसो) गोयमा ! पंचविहे पाणाइवायकरणे पण्णत्ते, तं जहा --एगिदियपाणाइवायकरणे जाव पंचिंदियपाणाइवायकरणे । एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं ॥ १०७. कतिविहे णं भंते ! पोगलकरणे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पोग्गलकरणे पण्णत्ते, तं जहा -वणकरणे, गंधकरणे, रस करणे, फासकरणे, संठाणकरणे ॥ १०८. वण्णकरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-कालावण्णकरणे जाव सुक्किलवण्णकरणे। एवं भेदो-गंधकरणे दुविहे, रसकरणे पंचविहे, फासकरणे अट्ठविहे ।। १०६. संठाणकरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा—परिमंडलसंठाणकरणे जाव' आयतसंठाण करणे ।। ११०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। दसमो उद्देसो १११. वाणमंतरा णं भंते ! सव्वे समाहारा०? एवं जहा सोलसमसए दीवकुमारुद्दे सो जाव' अप्पिड्ढिय त्ति ॥ ११२. सेवं भंते ! सेवं भते ! ति ।। १. भ० ८३६। २. भ०१६।१२५-१२८ । Page #867 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं पढमो उद्देसो १. बेइंदिय २. मागासे, ३. पाणवहे ४. उवचए य ५. परमाणू। ६. अंतर ७. बंधे ८. भूमी, ६. चारण १०. सोवक्कमा जीवा ।।१।। बेइंदियादि-पदं १. रायगिहे जाव एवं वयासी--सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच बंदिया एगयओ साहरणसरीरं बंधंति, बंधित्ता तो पच्छा पाहारति वा परिणामेंति वा सरीरं वा बंधति ? नो इणट्टे समटे । बंदिया णं पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तेयसरीरं बंधंति. बंधित्ता तो पच्छा पाहारेति वा परिणामेंति वा सरीरं वा बंधति ॥ २. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति लस्सायो पण्णत्तानो ? गोयमा ! तोलेस्सायो पत्ताग्रो.तं जहा--कण्हलस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा । एवं जहा एगणवीसतिमे सए ते उक्काइयाणं जाव' उव्वटुंति, नवरं-- सम्मदिट्ठी वि मिच्छदिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छदिट्ठी, दो नाणा दो अण्णाणा नियम, नो मणजोगी, वइजोगी वि कायजोगी वि, आहारो नियम छद्दिसि । ३. तेसि णं भंते ! जोवाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वा-- अम्हे णं इट्ठाणिद्वे रसे, इट्टाणि? फासे पडिसंवेदेमो ? नो इणटे समटे, पडिसंवेदंति पुण ते। ठिती जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराई, सेसं तं चेव । एवं तेइंदिया वि, एवं चरिदिया वि, नाणत्तं इंदिएसु ठितीए य, सेसं तं चेव, ठिती जहा पण्णवणाए।। ४. सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच पंचिदिया एगयनो साहरणसरीरं बंधति ? एवं जहा बेंदियाणं, नवरं--छल्लेसा, दिट्ठी तिविहा वि, चत्तारि नाणा तिण्णि अण्णाणा भयणाए, तिविहो जोगो ।। १. भ० १६२२ २. प०४! ८०६ Page #868 -------------------------------------------------------------------------- ________________ desi सतं (बीओ उद्देसो) ५. तेसि णं भंते! जीवाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वा--- म्हे आहारमाहारेमो ? गोमा ! प्रत्येगतियाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वाअम्हे णं आहारमाहारेमो । प्रत्येगतियाणं नो एवं सण्णाति वा जाव वईति वाअम्हे णं ग्रहारमाहारेमो, आहारति पुण ते । ६. तेसि णं भंते! जीवाणं एवं सण्णाति वा जाय वईति वा -- श्रम्हे णं इट्टाणिट्टे सट्टा रू, इट्टाणिट्टे गंधे, इट्ठाणिट्ठे रसे इट्ठाणिट्ठे फासे पडिसवेदेमो ? गोमा ! त्येगतियाणं एवं सण्णाति वा जाव वईति वाग्रम्हे णं इट्ठाणिट्टे सद्दे जाव इट्ठाणिट्टे फासे परिसंवेदेमो | अत्थेगतियाणं नो एवं सण्णाति वा जाव वईति वा- -म्हे णं इट्टाणिट्टे सद्दे जाव इट्ठाणिट्टे फासे पडिसंवेदेमो, डिसवेदेति पुण ते । ७. ते णं भंते! जीवा किं पाणाइवाए उवक्वाइज्जति -- पुच्छा | गोयमा ! प्रत्येगतिया पाणातिवाए वि उवक्वाइज्जति जाव मिच्छादंसण सल्ले वि उवक्वाइज्जति प्रत्येगतिया नो पाणाइवाए उववखाइज्जति, नो मुसावाए जाव नो मिच्छादंसणसल्ले उवक्खाइज्जति । जेसि पि णं जीवाणं ते जीवा एवमाहिज्जति तेसि पि णं जीवाणं प्रत्थेगतियाणं विण्णाए नाणत्ते । प्रत्थेगतियाणं नो विष्णाए नाणत्ते । उववाओं सव्वश्रो जाव सव्वट्टसिद्धाओ । ठिती जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई । छस्समुग्धाया केवलिवज्जा, उव्वट्टणा सव्वत्थ गच्छति जाव सव्वट्टसिद्धं ति, सेसं जहा बेंदियाणं ॥ ८. एएसि णं भंते! बेइंदियाणं जाव पंचिदियाण य कयरे कमरेहिंतो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिदिया, चउरिदिया विसेसाहिया, तेइंदिया विसेसाहिया, बेइंदिया विसेसाहिया || 8. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति जाव' विहरइ || बीओ उद्देलो श्रत्थिकाय-पदं १०. कतिविहे णं भंते! यागासे पण्णत्ते ? गोमा ! दुविहे अगासे पण्णत्ते, तं जहा - लोयागासे य, प्रलोयागासे य ॥ ११. लोयागासे णं भंते ! किं जीवा ? जीवदेसा० ? -- एवं जहा बितियसए १. सं० पा० – कयरे हितो जाव विसेसाहिया | २. भ०१।५१ । ८०७ Page #869 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०५ भगवई अस्थिउसे तव इह वि भाणियव्वं, नवरं श्रभिलावो जाव' धम्मत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव ग्रोगाहित्ता गं चिट्ठति । एवं जाव पोग्गलत्थिकाए || १२. हेलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवतियं श्रगाढे ? गोयमा ! सातिरेगं श्रद्धं श्रगाढे । एवं एएणं अभिलावेणं जहा बितिय सए जाव' - १३. ईसिप भारा णं भंते! पुढवी लोयागासस्स किं संखेज्जइभागं श्रगाढा पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जइभागं श्रगाढा, असंखेज्जइभागं प्रगाढा, नो संखेज्जे भागे योगाढा, नो ग्रसंखेज्जे भागे प्रगाढा, नो सव्वलोयं श्रोगाढा । सेसं तं चैव ॥ प्रस्थिकायस्त श्रभिवयरण-पदं १४. धम्मत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? गोयमा ! अगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा - धम्मे इवा, धम्मत्थिकाये इवा, पाणावायवेरमणे इवा, मुसावायवे रमणे इ वा, एवं जाव परिग्गहवेरमणे इ वा कोहविवेगे इ वा जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे इवा, रियासमिती इवा, भासासमिती इ वा, एसणासमिती इ वा, प्रयागभंडमत्तनिक्खेवसमिती इवा, उच्चारपासवणखेल सिंघाणजल्लपारि द्वावणियासमिती' इवा, मणगुत्ती इवा, वइगुत्ती इवा, कायगुत्ती इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सच्चे ते धम्मत्थिकायस्स श्रभिवयणा || १५. ग्रधम्मत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया ग्रभिवयणा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणेगा श्रभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा - अधम्मे इवा, अधम्मत्थिकाए इवा, पाणाइवाए इ वा जाव मिच्छादंसणसल्ले इ वा, रियाग्रस्तमिती इवा जाव उच्चारपासवण' खेल सिंघाणजल्ल पारिट्ठावणियाग्रस्समिती इ वा, मणप्रगुत्ती इवा, वइग्रगुत्ती इवा, कायश्रगुत्ती इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते धम्मत्थिकायस्स ग्रभिवयणा || o १६. आगासत्थिकायस्स णं भंते! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? ० गोमा ! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा - आगासे इ वा, आगासत्थि १. भ० २११३६-१४५ । २. भ० २/१४७-१५३ । ३. ० खेलजलसिंघाण ० (ख, म, स ) । ४. सं० पा०-- उच्चारपासवरण जाव पारिट्टा वणिया । ५. सं० पा०-- पुच्छा । Page #870 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (तइनो उद्देसो) ८०६ काए इ वा, गगणे इ वा, नभे इवा, समे इ वा, विसमे इ वा, खहे इ वा, विहे इवा, वीयो इ वा, विवरे इ वा, अंबरे इ वा, अंदरसे इ बा, छिड्डे इ वा, झुसिरे इ वा, मग्गे इ वा, विमुहे इ वा, 'अट्टे इ वा, वियट्टे इ वा", आधारे इ वा, वोमे इ वा, भायणे इ वा, अंतलिक्खे इ वा, सामे इ वा, प्रोवासंतरे इ वा, अगमे इ वा, फलिहे इ वा, अणते इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते प्रागासत्थिकायस्स अभिवयणा ।। १७. जीवस्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? गोयमा! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा--जीवे इवा, जीवत्थिकाए इ वा, पाणे इ वा, भूए इ वा, सत्ते इ वा, विष्णू इवा, 'वेया इ वा, चेया इ वा, जेया इ वा, प्राया इवा, रंगणे इ वा, हिंदुए इ वा, पोग्गले इ वा, माणवे इ वा, कत्ता इ वा, विकत्ता इ वा, जए इ वा, जंतू इ वा, जोणी' इ वा, सयंभू इवा, ससरीरी इ वा, नायए इवा, अंतरप्पा इवा, जे यावष्णे तहप्प गारा सव्वे ते जीवत्थिकायस्स' अभिवयणा।। १८. पोग्गलत्थिकायस्स णं भंते ! "केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? गोयमा! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा -- पोग्गले इवा, पोग्गलत्थिकाए इवा, परमाणुपोग्गले इ वा, दुपएसिए इ वा, तिपएसिए इ वा जाव असंखेज्जपएसिए इवा, अणंतपएसिए इ वा खंधे, जे यावण्णे तहप्पगारा सब्बे पोग्गल थिकायस्स अभिवयणा ! १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ तइओ उद्देसो पाणाइवायादीणं पायाए परिणति-पदं २०. अह भंते ! पाणाइवाए, मुसावाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पाणातिवायवेरमणे जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे, उप्पत्तिया वेणइया कम्मया' पारिणामिया, १. अद्दे इ वा, वियद्दे (स, वृ); अट्टे इ वा, ५. हिं डुए (क्व °)। वियट्टे (वपा)। ६. जोरिणयं (ख)। २. अंतरिक्खे (ख, स)। ७. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. X(अ, क, ख)। ८. सं० पा०-पुच्छा। ४. रंगणा (अ, क, ख, ता, म)। ६. सं० पा.--उप्पत्तिया जाव पारिणामिया। Page #871 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई प्रोग्गहे' •ईहा अवाए° धारणा, उटाणे कम्मे वले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे, नेरइयत्ते, असुरकुमारत्ते जाव वेमाणियत्ते, नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए, कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, सम्मदिट्ठी मिच्छदिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी, चक्खुदंसणे अचक्खुदंसणे प्रोहिदसणे केवलदसणे, आभिणिवोहियनाणे जाव विभंगनाणे, आहारसण्णा भयसण्णा मेहुणसण्णा परिग्गहसण्णा, पोरालियसरीरे वे उव्वियसरीरे पाहारगसरीरे तेयगसरीरे कम्मगसरीरे, मणजोगे वइजोगे कायजोगे, सागारोवनोगे, अणागारोवोगे, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते नण्णत्थ आयाए परिणमंति ? हंता गोयमा ! पाणाइवाए जाब सव्वे ते नण्णत्थ आयाए परिणमंति ॥ गम्भं वक्कममाणस्स वण्णादि-पदं २१. जीवे णं भंते ! गब्भं वक्कममाणे 'कतिवणं कतिगंध "कतिरसं कतिफास परिणामं परिणमई ? गोयमा ! पंचवणं, दुगंधं, पंचरसं, अट्ठफासं परिणाम परिणमइ ।। २२. कम्मो णं भंते ! जीवे नो अकम्मओ विभत्तिभावं परिणमइ ? कम्मनो णं जए नो अकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ ? हंता गोयमा ! कम्मो णं जीवे नो अकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ°, कम्मो णं जए तो अकम्मनो विभत्तिभावं परिणमइ ।। २३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जावविहरइ ।। चउत्थो उद्देसो इंदियोवचय-पदं २४. कतिविहे णं भंते ! इंदियोवचए पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे इंदियोवचए पण्णत्ते, तं जहा-सोइंदियोवचए, एवं बितिम्रो इंदियउद्देसनो निरवसेसो भाणियव्वो जहा' पण्णवणाए । २५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव' विहरइ ।। १. सं० पा०-ओग्गहे जाव धारणा । २. कतिवण्णे कतिगंधे (अ, क, ख, ता, म)। ३. सं० पा०–एवं जहा बारसमसए पंचमुद्देसे जाव कम्मओ। ४. भ० १५१ ५. ५० १५।२ । ६. भ० ११५१ । Page #872 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८११ वोसइमं सतं (पंचमो उद्देसो) पंचमो उद्देसो परमाणु-खंधाणं वण्णादिभंग-पदं २६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कतिवण्णे, कतिगंधे, कतिरसे, कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगवणे, एगगंधे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? सिय कालए, सिय नीलए, सिय लोहियए, सिय हालिद्दए, सिय सुक्किलए। जइ एगगंध ? सिय सुब्भिगंधे, सिय दुब्भिगंधे। जइ एगरसे ? सिय तित्ते, सिय कडुए, सिय कसाए, सिय अंबिले, सिय महुरे । जइ दुफासे ? १. सिय सीए य निद्धे य, २. सिय सीए य लुक्खे य, ३. सिय उसिणे य निद्धे य, ४. सिय उसिणे य लुक्खे य ।। २७. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवणे जाव कतिफासे पण्णते ? गोयमा! सिय एगवणे, सिय दुवणे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे °, सिय च उफासे पण्णत्ते । जइ एगवणे ? सिय कालए जाव सिय सुक्किलए। जइ दुवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य लोहितए य, ३. सिय कालए य हालिद्दए य, ४. सिय कालए य सुक्किलए य, ५. सिय नोलए य लोहियए य, ६. सिय नोलए य हालिद्दए य, ७. सिय नीलए य सुक्किलए य, ८. सिय लोहियए य हालिद्दए य, ६. सिय लोहियए य मुक्किलए य, १०. सिय हालिद्दए य सुक्किलए य, एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा। जइ एगगंधे ? सिय सुन्भिगंधे, सिय दुभिगंधे। जइ दुगंधे ? सुब्भिगंधे य दुब्भिगंधे य । रसेसु जहा वणेसु । जइ दुफासे ? सिय सीए य निद्धे य, एवं जहेव परमाणुपोग्गले ४ ! जइ तिफासे ? १. सब्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ३. सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे, ४. सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे । जइ चउ फासे ? १. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एए नव भंगा फासेसु ॥ २८. तिपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे • ? जहा अट्ठारसमसए छठ्ठद्देसे जाव' चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? सिय कालए जाव सुविकलए। जइ दवणे ? १. सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य नीलगा य, ३. सिय कालगा य नीलए य, १. सिय कालए य लोहियए य, २. सिय कालए य लोहियगा य, ३. सिय कालगा य लोहियए य, एवं हालिद्दएण वि समं ३, एवं सक्किलेण वि समं ३, सिय नीलए य लोहियए य एत्थ वि भंगा ३, एवं १. पं तं (अ, म)। द्देसए जाव सिय। २. सं० पा.-एवं जहा अट्ठारसमसए छठ्ठ- ३. भ० १८११३ । Page #873 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१२ भगवई हालिद्दएण वि समं भंगा ३, एवं सुक्किलेण वि समं भंगा ४, सिय लोहियए य हालिद्दए य भंगा ३, एवं सुक्किलण वि समं ३, सिय हालिद्दए य सुक्किलए य भंगा ३, एवं सव्वे ते दस दुयासंजोगा भंगा तीसं भवंति । जइ तिवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए य हालिद्दए. य, ३. सिय कालए य नीलए य सुविकलए य, ४. सिय कालए य लोहियए य हालिद्दए य, ५. सिय कालए य लोहियए य सुविकलए य,६. सिय कालए य हालिहए य सक्किलए य, ७. सिय नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, ८. सिय नीलए य लोहियाए य सुक्किलए य, ६. सिय नीलए य हालिद्दए य सुक्किलए य, १०. सिय लोहियए स हालिद्दए य सुक्किलए य, एवं एए दस तियासंजोगा। जइ एगगंधे ? सिय सुभिगंधे, सिय दुभिगंधे । जइ दुगंधे ? सुब्भिगंधे य दभिगंधे य भंगा ३ । रसा जहा वण्णा । जइ दुफासे ? सिय सीए य निद्धे य, एवं जहेव दुपएसियरस तहेव चत्तारि भंगा। जइ तिफासे? १. सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे, सव्वे उसिणे देसे निद्ध देसे लुक्खे, एत्थ वि' भंगा तिण्णि, सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिष्णि, सवे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिष्णि । जइ चउफासे ? १. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे, ४. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे, ५. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लूक्खा, ६. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे, ७. देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ८. देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ६. देसा सीया देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे, एवं एए तिपएसिए फासेसु पणवीसं भंगा। चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे० ? जहा अठारसमसए जाव' सिय चउफासे पण्णते । जइ एगवण्णे ?सिय कालए य जाव सुक्किलए। जइ दुवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य नीलगाय, ३. सिय कालगा य नीलए य, ४. सिय कालगा य नीलगा य, सिय कालए य लोहियए य एत्थ वि चत्तारि भंगा, सिय कालए य हालिद्दए य ४, सिय कालए य सुक्किलए य ४, सिय नीलए य लोहियए य ४, सिए नीलए य हालिद्दए य ४, सिय नीलए य सुक्किलए य ४, सिय लोहियए य हालिद्दए य ४, सिय लोहियए य सुक्किलए य ४, २६. १. भ. १८।११४॥ Page #874 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (पंचमो उद्देसो) सिय हालिद्दए य सुक्किलए य ४, एवं एए दस दुयसंजोगा भंगा पुण चत्तालीसं । जइ तिवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य, ३. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य, ४. सिय कालगा य नौलए य लोहियए य, एए भंगा ४, एवं कालानीलाहालि (एहिं भंगा ४, कालनीलसुक्किल ४, काललोहियहालिद्द ४, काललोहियसुक्किल ४, कालहालिइसक्किल ४, नीललोहिसहालिद्दगाणं भंगा ४, नीललोहियसुक्किल ४, नीलहालिसक्किल ४,लोहियहालिहसक्किलगाणं भंगा ४, एवं एए दसतियासंजोगा, एक्केक्के संजोए चत्तारि भंगा, 'सव्वे एते" चत्तालीसं भंगा। जइ चउवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्किलए य, ३. सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य लोहियए हालिद्दए य सुक्किलए य, ५. सिय नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, एवमेते चउक्कगसंजोगे पंच भंगा। एए सव्वे नउइं भंगा। जइ एगगंधे ? सिय सुब्भिगंधे, सिय दुब्भिगंधे । जइ दुगंधे ? सुब्भिगंधे य दुब्भिगंधे य रसा जहा वण्णा। जइ दुफासे ? जहेव परमाणुपोग्गले ४ । जइ तिफासे ? १. सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे, ४. सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा, सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लूखे, एवं भंगा ४, सव्वे निद्धे देसे सोए देसे उसिणे ४, सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे ४, एए तिफासे सोलस भंगा। जइ चउफासे ? १. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. देसे सोए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लक्खे, ४. देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा, ५. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे, ६. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा, ७. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे, ८. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, ६. देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं एए चउफासे सोलस भंगा भाणियव्वा जाव देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, सब्वे एते फासेसु छत्तीसं भंगा। ३०. पंचपए सिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे० ? जहा अट्ठारसमसए जाव' सिय चउ फासे पण्णत्ते । जइ एगवणे ? एगवण्ण-दुवण्णा जहेव चउप्पएसिए । जइ तिवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए १. सव्वेते (अ, क, ख, व, म, स)। १. भ० १८११५। Page #875 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१४ भगवई य लोहियगा य, ३. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य, ४. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य, ५. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य, ६ सिय कालगा य नौलए य लोहियगा य, ७. सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य, सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य, एत्थ वि सत्त भंगा, एवं कालग-नीलगसुक्किलएसु सत्त भंगा, कालग-लोहिय-हालिद्देसु ७, कालग-लोहिय-सुक्किलेसु ७, कालग-हालिद्द-सुक्किले सु ७, नीलग-लोहिय-हालिद्देसु ७, नीलग-लोहियसुक्किलेसु सत्त भंगा, नीलग-हालिद्द-सुक्किलेसु ७, लोहिय-हालिद्द-सुक्किलेस वि सत्त भंगा, एवमेते तियासंजोएणं सत्तरि भंगा। जइ उचवण्ण ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियय य हालिद्दए २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, ३. सिय कालए य नौलए य लोहियमा य हालिद्दगे य, ४. सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगे य, ५. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, एए पंच भंगा, सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्किलए य एत्थ वि पंच भंगा, एवं कालग-नीलगहालिद्द-सुक्किलेसु वि पंच भंगा, कालग-लोहिय-हालिह-सुक्किलएस वि पंच भंगा, नीलग-लोहिय-हालिद्द-सुक्किलेसु वि पंच भंगा, एवमेते चउक्कगसंजोएणं पणवीसं भंगा। जइ पंचवण्णे ? कालए ण नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, सव्वमेते एक्कम-दुयग-तियग-चउक्क-पंचगसंजोएणं ईयालं भंगसयं भवति । गंधा जहा चउप्पएसियस्स । रसा जहा वण्णा । फासा जहा च उप्पएसियस्स ।। ३१. छप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिववण्ण० ? एवं जहा पंचपए सिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे? एगवण-वण्णा जहा पंचपएसियस्स। जइ तिवण्णे! सिय कालए य नीलए य लोहियए य, एवं जहेव पंचपए सियस्स सत्त भंगा जाव सिय कालगा य नीलगाय लोहियए य, सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य, एए अट्ठ भंगा, एवमेते दस तियासंजोगा, एक्केक्कए संजोगे अट्र भंगा, एवं सब्वे वि तियगसंजोगे असीति भंगा। जइ चउवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए हालिद्दगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगा त हालिद्दए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगा य, ५. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य, ६. सिय कालए य नीलगा य लोहिए य हालिद्दगा य, ७. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य, ८. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, ६. सिय १. एक्केक्का (अ,म); एक्केक्क (क, ता, ब)। Page #876 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइम सतं (पंचमो उद्देसो) ८१५ कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, १०. सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, ११. सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य, एए एक्कारस भंगा, एवमेते 'पंच च उक्कसंजोगा" कायव्वा, एक्केक्कसंजोए एक्कारस भंगा, सव्वे एते च उक्कसंजोएणं पणपण्णं भंगा। जइ पंचवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, सुक्किलए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, ५. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, एवं एए छन्भंगा भाणियव्वा, एवमेते सव्वे वि एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोगेसु छासीयं भंगसयं भवति । गंधा जहा पंचपएसियस्स । रसा जहा एयस्सेव वण्णा। फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥ ३२. सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवणे ? जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एवं एगवण्ण-दुवपण-तिवण्णा जहा छप्पएसियस्स । जइ चउवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, एवमेते च उक्कगसंजोगेणं पन्नरस भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य, एवमेते पंच चउक्कासंजोगा नेयम्वा, एक्केक्के संजोए पन्नरस भंगा, सव्वमेते पंचसत्तरि भंगा भवति । जइ पंचवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलगा य, ५. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगे य सुविकलगा य, ७. सिय कालए य नोलए य लोहियगा य हालिदगा य सुक्किलए य, ८. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुविकलगा य, १०. सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ११. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, १२. सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, १३. सिय कालगा य नीलए १. पंचचउक्का (क, ख, ब); पंचगचउक्का (ता)। Page #877 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१६ भगवई य लोहियगे य हालिद्दए य सुक्किलगा य, १४. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुविकलए य, १५. सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगा य मुक्किलए य, १६. सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, एए सोलस भंगा, एवं सब्चमेते एक्कग-दुयगतियग-चउक्कग-पंचगसंजोगेणं दो सोला' भंगसया भवंति । गंधा जहा चउप्पएसियस्स । रसा जहा एयस्म चेव वणा । फासा जहा च उप्पएसियस्स ।। ३३. अट्ठपएसिए णं भंते ! खंधे-पुच्छा। गोयमा ! सिय एगवण्णे जहा सत्तपएसियस्स जाब सिय च उफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एवं एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्णा जहेव सत्तपएसिए । जइ चउवण्णे ? १. सिय कालए य नीला य लोहियए य हालिद्दए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, एवं जहेव सत्तपएसिए जाव, १५. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगे य, १६. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिहगा य, ए सोलस भंगा, एवमेते पंच चउक्कसंजोगा, एवमेते असीति भंगा।। जइ पंचवण्णे? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियगे य हालिद्दगे य सुक्किलगा य, एवं एएणं कमेणं भंगा चारेयव्वा जाव १५. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलगे य, एसो पन्तरसमो भंगो, १६. सिय कालगा य नोलगे य लोहियगे य हालिद्दए य सुक्किलए य १७. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिद्दगे य सुक्किलगा य, १८. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिगा य सुक्किलए य, १६. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किलगा य, २०. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिए य सक्किलए य, २१. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलगा य, २२. सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलए य, २३. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगे य हालिद्दए य सुक्किलए य, २४. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगे य हालिए य सुक्किलगा य, २५. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगे य हालिगा य सुक्किलए य, २६. सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, एए पंचसंजोगणं छव्वीसं भंगा भवंति, एवमेव सपुव्वावरेणं एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोएहिं दो एक्कतीसं भंगसया भवति । गंधा जहा सत्तपएसियस्स । रसा जहा एयरस चेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स ।। १. सोलस (स)। Page #878 -------------------------------------------------------------------------- ________________ desi सतं (पंचमी उद्देसो) ३४. नवपए सिए णं भंते ! खंधे - पुच्छा । गोमा ! सिय एगवणे जहा श्रदूपएसिए जाब सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवणे ? एगवण-वण-तिवण्ण-चउवण्णा जदेव अपएसियस्स । जइ पंचवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य, २. सिय काल से नीलए य लोहियाए य हालिद्दर य मुक्किलगाय, एवं परिवाडीए एक्तीस भंगा भागियन्वा जाव सिय कालगा य नीलगाय लोहिया य हालिगा य सुक्किलए य, एए एकतीसं भंगा, एवं एक्कग दुयग-तियगचउक्का-पंचगसंजोएहि दो छत्तीसा भंगसया भवति । गंधा जहा अट्टएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउपएसियस्स || ३५ दससि णं गते ! बंधे -पुच्छा ! गोयमा ! सिव एसवण्णे जहा नवपएसिए जात्र सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ गुगवणे ? एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्ण- चउवण्णा जंहेब नवपएसियस्स | पंचवणे वि तहेव, नवरं - बत्तीसतिमो भंगो भण्णति, एवमेते एक्कग दुयग-तियगचक्कग-पंचगसंजोसु दोणि सत्ततीसा भंगसया भवंति । गंधा जहा नवपएसियस्स । रसा जहां एयरस वेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियन्स | जहा एसओ एवं संवेज्जएसियो वि । एवं संवेज्जएसियो वि । सुहुमपरिणत एसियो वि एवं चैव ॥ ३६. वायरपरि णं भने ! अनसिंग खंधे कतित्रष्णे० ? एवं जहा ग्रट्ठारसमसए जाव' सिय फासे पण्णत्ते । वण्ण-गंध-रसा जहा दसपएसियस्स । जइ चउफाने ? १. सव्ये खडे राधे सब्बे सीए सब्बे निद्धे, २. सव्वे कक्खड़े सब्वे गहुए सब्धे सीए सब्वे लुम्दे, ३. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सब्वे उसि सच्चे निळे, ४. सब सच्चे गए सच्चे उसणे सव्वे लुक्खे, ५. सब्बे कवखडे सव्वे लहुए सधे सीए सन्दे निद्धे, ६. सन्ये खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सब्वे लुक्ग्वे, ७. सच्चे कक्खडे सव्ये बहुए सब्वे उसिणे सव्वे निद्धे, ८. सव्वे कक्खडे सच्चे हुए सव्वे उसिणे सव्वे लदखे, ६. सध्ये मउए सव्वे गरु सव्वे सीए सव्वे निद्धे, १०. सच्चे मउ सव्वे गए सवे सीए सब्वे लक्खे, ११. सव्वे मउए सच्चे गए सव्वे उसिणे सचे निर्द्ध, १२. सव्वे मउए सव्वे गरुड़ सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, १३. सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे, १४. सब्वे मउ सव्वे लहुए सब्बे सीए सब्वे लुक्खे, १५ सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, १६. सब्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसिने सब्वे लुक्खे, एए सोलस भंगा । जइ पंचफासे ? १. सच्चे कवखडे (सब्बे गरुए सब्बे सोए देसे निद्धे देसे लक्खे, १. भ० १८/११७ । ८१७ Page #879 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१८ भगवई २. सब्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सब्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे, ४. सब्वे कक्खडे सव्ये गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा, सव्वे कक्खडे सव्ये गरुए सव्वे उसिणे देशे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे कवखडे सव्वे लहुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सब्बे कक्खडे सव्वे लहुए सब्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एवं एए कक्खडेणं सोलस भंगा, सव्वे मउए सब्वे गरुए सब्वे सीए देसे निद्धे देसे लक्ख, एवं मउएण वि सोलस भंगा, एवं वत्तीसं भंगा, सव्ये कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे, सव्वे कक्खडे सब्बे गरुए सब्बे लु वखे देसे सीए देसे उसिणे, एए वत्तीसं भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए, एत्थ वि बत्तीसं भंगा, सव्वे गरुए सब्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए, एत्थ वि बत्तीसं भंगा, एवं सव्वे एते पंचफासे अट्ठावीसं भंगसयं भवति । जइ छप्फासे ? १. सव्रे कक्खडे सवे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. सब्बे कक्खडे सव्वे गाए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्ध देसा लुक्खा, एवं जाव १६. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, गए सोलस भंगा, सब्वे कक्खडे सव्वे लहुए देसे सीए से उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा, सब्बे मउए सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा, सव्वे मउए सब्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा, एए चउसट्टि भंगा, सव्वे कक्खडे सब्वे सीए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं जाव सव्वे मउए सब्वे उसिणे देसा गरुया देसा लहुया देसा णिद्धा देसा लुक्खा, एत्थ वि चउट्टि भंगा, १. सव्ये कवखडे सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहए देसे सीए देसे उसिणे जाव सब्वे मउए सब्वे लक्खे देसा गरुया देसा लहया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसट्टि भंगा, सब्बे गरुए सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं जाव सव्वे लहुए सदने उसिणे देसा कक्खडा देसा मउया देसा निद्धा देसा लुक्खा, एए चउसद्धि भगा, सव्वे गहा सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे जाव सब्वे लहुए सब्वे लवखे देसा कक्खडा देसा मउया देसा सीया देसा उसिणा, एए च उसट्रि भंगा, सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए जाव सव्वे उसिणे सब्वे लक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गण्या देसा लहुया, एए चउसट्टि भंगा, सव्वे एते छप्फासे तिणि चउरासीया भंगसया भवंति। जइ सत्तफासे ? १. सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, सब्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सोए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा Page #880 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (पंचमो उद्देसो) देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सब्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सोया देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लुक्खे ४, सब्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे एते सोलस भंगा भाणियव्वा, सब्वे कक्खडे देसे गा देसा लहुया देसे साए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं गरुण एगत्तेणं, लहुएणं पुहत्तेणं, एते वि सोलस भंगा, सव्वे कक्खडे देसा गल्या देसे लहुग, देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देगे लुक्वे, एए वि सोलस भंगा भाणियच्या, सब्वे कनखडे देसा गरुया देसा लहया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लक्खा विसोलस मंगामाणियवा. एवमेते चउटि भंगा कक्खडेण समं । सन्चे मउर देसे गला देश लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्ले, एवं मउएण वि समं चउसद्धिं भंगा भाणियव्वा । सव्ने गरुए देसे कक्खडे देसे मउगए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लक्खे, एवं गरुएण वि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा । सव्वे लहुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एवं लहुए वि समं चउसट्टि भंगा कायव्वा । सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं सोतेण वि समं च उद्धि भंगा कायव्वा । सव्वे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहाा देस निद्ध देसे लक, एवं उसिरेण वि समं चउढि भंगा कायव्वा । सब्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गहए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे, एवं निद्धेण वि समं च उसद्धिं भंगा कायव्वा । सवे लुक्खे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देस लहुए देसे सीप देसे उसिणे, एवं लुक्खेण वि समं चउट्टि भंगा कायबा जाव सब्वे लुक देसा काखडा देसा म उया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा, एवं सत्तफासे पंच बारमुत्तरा भंगसया भवंति । जड अटफासे? देसे कक्खडे देसे मजा देसे गला देसे लहाा देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्ध देसे लकले ४, देखें कक्खडे देसे मउगा देसे गला देसे लहर देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देरो उसिणे देसे निद्धे देसे लुकाये ४, देसे कक्खड़े देसे मउए देसे गहाए देसे लहुए देसा सोया देसा उसिणा देस निद्धे देसे लुक्खे ४, एए चत्तारि चउक्का सोलस भंगा। देसे कक्खड़े देसे मउरा देसे गरुा देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं एते गरुएणं एगत्तएणं, लहुएणं पुहत्तएणं सोलस भंगा कायव्वा । देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसं निद्धे देसे लुक्खे, गा वि सोलस भंगा कायव्वा । देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एते वि सोलस भंगा कायव्वा । सव्वेवेते चउसट्टि भंगा कक्खड-म उएहिं १. नेयब्बा (अ, क, ता. ब, म)। Page #881 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२० भगवई एगत्तएहिं । ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं, मउएणं पुहत्तएणं एते चउसट्ठि भंगा कायव्वा ! ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं, मउएणं एगत्तएण चउसट्ठि भंगा कायव्वा । ता एहिं चेत्र दोहिवि पुहतेहि चउस िभंगा कायव्वा जाव देसा कक्खडा देसा मया देसा गया देसा लहुया देसा सोया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लक्खा एसो अपच्छिमो भंगो । सब्वे एते अट्ठफासे दो छप्पन्ना भंगसया भवंति । एवं एते बादरपरिणए प्रणतपएसिए खंधे सव्वेसु संजोएसु वारस छन्नउया भंगसया भवति || परमाणु-पदं ३७. कतिविहे णं भंते ! परमाणू पण्णत्ते ? गोयमा ! चउव्विहे परमाणू पण्णत्ते, तं जहा -- दव्वपरमाणू, खेत्तपरमाणू, कालपरमाणू, भावपरमाणू ॥ ३८. दव्वपरमाणू णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चव्विहे पण्णत्ते, तं जहा- अच्छेज्जे, अभेज्जे, अडज्भे, अगेज्भे ॥ ३६. खेत्तपरमाणू णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा-ग्रणदे, श्रमज्झे, अपदेसे, अविभाइमे ॥ ४०. कालपरमाणू णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? ० गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - श्रवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे || ४१. भावपरमाणू णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा ! चउन्विहे पण्णत्ते, तं जहा-वण्णमंते, गंधमंते, रसमंते, फासमंते ॥ ४२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ || छट्टो उद्देसो इमोसे रयणप्पभाए सक्करम्पभाए य पुढवीए अंतरा भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, उववज्जित्ता पच्छा ग्राहारेज्जा ? पुवि आहारेता पुढविश्रादीर्ण आहार पदं ४३. पुढविक्काइए णं भने ! समोहए, समोहणित्ता जे से णं भंते ! किं पुव्वि पच्छा उववज्जेज्जा ? गोयमा ! पुव्वि वा उववज्जित्ता पच्छा श्राहारेज्जा एवं जहा सत्तरसमस ए १. सं० पा० - पुच्छा । २. भ० ११५१ । Page #882 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (मुट्ठो उद्देसो) ८२१ छठ्ठद्देसे जाव से तेण?णं गोयमा ! एवं बुच्चय -- पुटिव वा जाव उववज्जेज्जा, नवर-तेहिं संपाउणणा, इनेहि अाहारो भण्णति, सेसं तं देव ।। ४४. पुढविक्काइए णं भंते ! इमोसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववज्जि त्तए० ? एवं चेव । एवं जाव ईसीपभाराए उववाएयव्यो ।। ४५. पुढविक्काइए णं भंते ! सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसोपभाराए, एवं एतेणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवोए अंतरा समोहए समाणे जे भविए सोहम्मे जाव ईसीपभाराए उववाएयवो ॥ ४६. पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाण सणकुमार-माहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, रामोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से ण भंते ! कि पुव्वि उववज्जित्ता पच्छा पाहारेज्जा०? सेस तं चेव जाव से तेण?ण जाव निक्खेवओ।। ४७. पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाण सणंकुमार-महिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उबज्जित्तए०? एवं चेव । एवं जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो। एवं सणंकुमार-माहिंदाण वंभलोगरस य कप्पस्स अंतरा समोहए, समोहणित्ता पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उबावाएयव्वो। एवं वंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए, पूणरवि जाव अहेसत्तमाए। एवं लतगस्स महासुक्कस्स कप्पस्स य अंतरा समोहए, पुणरवि जाव असत्तमाए । एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एवं सहस्सारस्स आणय-पाणयकप्पाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एवं आणय-पाणयाण आरणच्चुयाण य कप्पाण अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एवं पारणच्चुयाणं गेवेज्जविमाणाण य अंतरा जाव नहेसत्तमाए। एवं गवेज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा पुण रवि जाव असत्तमाए। एवं अणुत्तरविमाणाणं ईसोपब्भा राए य पूणरवि जाव आहेसत्तमाए उववाएयव्वो॥ ४८. प्राउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवोए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे अाउकाइयत्ताए उववज्जित्तए. ? सेसं जहा पुढविक्काइयस्स जाव से तेणद्वेणं । एवं पढम-दोच्चाणं अंतरा समोहए जाव ईसीपभाराए उववाएयव्वो ! एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जाव ईसीपब्भाराए उववाएयब्वो ग्राउक्काइयत्ताए। १. भ० १७।६७,६८। Page #883 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ८२२ ४६. आउयाए णं भंते! सोहम्मोसाणाणं सणकुमार - माहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहिTurface उक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? सेसं तं चैव । एवं एएहि चेत्र अंतरा समोस्रो जाव असतमाएं पुढची घणोदहि-घणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उबवायव्वो । एवं जाव अणुत्तरविभागाणं ईसीप भाराए वीए अंतरा समोहए जाव ग्रसत्तमाए घणोदहि-घणोदह्विलएसु उववाएयो || ५०. वाउक्काइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सक्करम्पभाए य पुढवीए यंतरा समोहए, समोहणिता जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउवकाइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एवं जहा सत्तरसमसए वाउक्काइयउद्देसए तहा इह वि, नवरं - अंतरेसु समोहणा नेयव्वा, सेसं तं चैव जाव प्रणुत्तरविमाणाणं ईसीपव्भाराए य पुढवीए अंतरासमोर, समोहणित्ता जे भविए घणवाय-तणुवाए घणवाय तणुवायवलएसु वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, संसं तं चैव जाव से तेणट्टेणं जाव' उववज्जेज्जा | ५१. सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति' || सत्तमो उद्देसो बंध-पदं ५२. कतिविहे णं भंते! बंधे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा - जीवप्पयोगबंधे, अणंतरबंधे, परंपरबंधे ॥ ५३. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे बंधे पण्णत्ते ? एवं देव । एवं जाव वैमाणियाणं || ५४. नाणावरणिज्जस्स गं भंते ! कम्मस्स कतिविहे बंधे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा जीवप्पयोगवंधे, अणंतरबंधे, परंपरबंधे ॥ ५५. नेरइयाणं भंते! नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स कतिविहे बंधे पण्णत्ते ? एवं aa | एवं जाव वेमाणियाणं । एवं जाव अंतराइयस्स ॥ विपयत्वादुद्देशकत्रयमिदमतोऽष्टमः (वृ ) । १. भ० १७१७८-८० । २. वाचनान्तराभिप्रायेण तु पृथिव्यव्वायु Page #884 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ८२३ ५६. नाणावरणिज्जोदयस्स णं भंते ! कम्मस कतिविहे बंधे पुण्णत्त ? गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते एवं चेव । एवं नेरइयाण वि । एवं जाव वेमाणि याणं । एवं जाव अंतराइनोदयस्स ।। ५७. इत्थीवेदस्स गंभंते! कम्मस्स कतिविहे बंधे पणते ? गोयमा! तिविहे बंधे पण्णत्ते एवं चेव ।। ५८. असुरकुमाराणं भंते ! इत्थीवेदस्स कम्मस्स कतिविहे बंधे पण्णत्ते ? एवं चेव । एवं जाव वैमाणियाण, नवरं-जस्स इत्थिवेदो अत्थि। एवं पुरिसवेदस्स वि। एवं नपुंसगवेदस्स वि जाव वेमाणियाण, नवरं- जस्स जो अस्थि वेदो॥ ५६. दंसणमोहणिज्जस्स णं भंते ! कम्मरस कति विहे बंधे पण्णत्ते ? एवं चेव । निरंतरं जाव वेमाणियाणं । एवं चरित्तमोहणिज्जस्स वि जाव वेमाणियाणं । एवं एएणं कमेणं पोरालियसरी रस्स जाव कम्मगसरी रस्स आहारसण्णाए जाव परिग्गहसण्णाए, कण्हलेसाए जाव सुक्क बसाए, सम्मदिट्ठीए मिच्छादिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्टीए, आभिणिवोहियनाणरस जाव केवल नाणस्स, मइअण्णाणस्स सुयअण्णाणस्स विभंगनाणरस, एवं आभिणिवोहियनाणविसयस्स भंते ! कतिबिहे बंधे पण्णते जाव केवलनाणविस यस्स, मइअण्णाणविसयरस सुयअण्णाणबिसयस विभंगनाणविसयरस--एएसि सव्वेसि पदाणं तिविहे बंधे पण्णत्ते । सव्वेवेत चउव्वीसं दंडगा भाणियव्वा, नवरं- जाणियव्वं जस्स जं अत्थि। जाव६०. देमाणियाणं भंते ! विभंगनाणविसयस्स कतिविहे बंधे पण्णते ? गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा-जीवप्पयोगबधे, अणंतरवंधे, परंपर बंधे ।। ६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ' ।। ओरालियवे उब्विय-आहारगतेयकम्मए चेव । सण्णा लेस्सा दिदी, नाणानाणेसु तब्विसए ।। १. भ० ११५१ । २. इह संग्रहगाथे जीवप्पओगबंधे, अणंतरपरंपरे च बोद्धव्वे । पगडी उदए वेए, दंसणमोहे चरिते य ॥१॥ Page #885 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२४ भगवई अट्ठमो उद्देसो समयखेत्ते प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणि-पदं ६२. कति णं भंते ! कम्मभूमीनो पण्णत्तानो ? गोयमा ! पन्नरस कम्मभूमीग्रो पणनायो, तं जहा पंच भरहाई, पंच परवयाई, पंच महाविदेहाई ॥ ६३. कति णं भंते ! अकम्मभूमीग्रो पण्णत्ताओ? गोयमा ! तीसं अक्रम्मभूभीनो पण्णत्तानो, तं जहा-पंच हेमवयाइं, पंच हेरण्णवयाइं, पंच हरिवासाई, पंच रम्मगवासाइं, पंच 'देवकुराओ, पंच उत्तरकूरायो । ६४. एयासु णं भंते ! तीसासु अकम्मभूमीसु अस्थि प्रोसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति वा? नो इण? समढे ।। ६५. एएसु णं भंते ! पंचसु भरहेसु, पंचशु एरवाएसु अस्थि प्रोसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति वा ? हंता अस्थि । एरास णं पंचम महाविदेहेस नेवत्थि प्रोसप्पिणी, देवत्थि उस्स प्पिणी, अवट्ठिए णं तत्थ काले पण्णत्ते समणा उसो ! पंचमहध्वइय-चाउज्जाम-धम्म-पदं ६६. एएसु णं भंते ! पंचसु महाविदेहेसु अरहंता भगवतो पंचमहब्वइयं सपडिक्कमणं धम्म पण्णवयंति ? नो इण? समट्ठ। एएसु णं पंचसु भरहेसु, पंचसु एरवाएसु, पुरिम-पच्छिमगा दुवे अरहंता भगवंतो पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्म पण्णवयंति, अवसेसा णं अरहंता भगवंतो चाउज्जामं धम्म पण्णवयंति । एप्सु णं पंचसु महाविदेहेसु अरहंता भगवंतो चाउज्जामं धम्म पण्णवयंति ।। तित्थगर-पदं ६७. जंबुद्दीवे णं भंते ! दौदे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए कति तित्थगरा पण्णत्ता? गोयमा ! चउवीसं तित्थगरा पण्णत्ता, तं जहा—उसभ-अजिय-संभव-अभिनंदण १. देवकुरूओ पंच उत्तरकुरूओ (अ, क, ख, २. पंचमहस्वइयं पंचाणुव्वइयं (ता, स)। ब, म)। ३. पंचमहव्वश्य पंचाणुव्वइयं (ता)। Page #886 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीसइमं सतं (अट्ठमो उद्दसी) ८२५ सुमति-सुप्पभ-सुपास-ससि-पुप्फदंत-सीयल-सेज्जंस-वासुपुज्ज-विमल-अणंत धम्म-संति-कंथ-अर-मल्लि-मणिसम्बय-नमि-नेमि-पास-वद्धमाणा ।। ६८. एएसि णं भंते ! चउवीसाए तित्थगराणं कति जिणंतरा पण्णत्ता ? गोयमा ! तेवीसं जिणंतरा पणत्ता ।। जिणंतरेसु कालियसुय-पदं ६६. एएसि णं भंते ! तेवीसाए जिणंतरेसु कस्स कहि कालियसुयस्स वोच्छेदे पण्णत्त? गोयमा ! एएसु णं तेवीसाए जिणंतरेसु पुरिम-पच्छिमएम असु-अटुसु जिणंतरेसु एत्थ णं कालियसुयस्स अव्वोच्छेदे पण्णत्ते, मज्झिमएसु सत्तसु जिणंतरेसु एत्थ णं कालियमयस्स वोच्छेदे पण्णत्ते, सव्वत्थ वि णं वोच्छिपणे दिट्टिवाए। पुव्वगय-पदं ७०. जंबुद्दीवे णं भंते ! दोवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवतिय काल पुवगए अणुसज्जिस्सति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए ममं एगं वाससहस्सं पुब्वगए अणुसज्जिस्सति ।।। जहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दोवे भारहे वासे इमोसे प्रोसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एगं वाससहस्सं पुव्यगए अणुसज्जिस्सति, तहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए अवसेसाणं तित्थगराणं केवतियं कालं पुवगए अणुसज्जित्था ? गोयमा ! अत्यगतियाणं संखेज्ज कालं, अत्थेगतियाणं असंखेज्जं कालं ॥ तित्थ-पदं ७२. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवतियं कालं तित्थे अणुसज्जिस्सति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए ममं एगवीसं वास सहस्साई तित्थे अणुसज्जिस्सति ।। ७३. जहा णं भंते ! जंबुद्दोवे दोवे भारहे वासे इमीसे वासे प्रोसप्पिणीए देवाण प्पियाणं एक्कवोसं वाससहस्साई तित्थे अणुसज्जिस्सति, तहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आगमेस्साणं' चरिमतित्थगरस्स केवतियं कालं तित्थे अणुसज्जिस्सति ? १. भविष्यतां महापद्मादीनां जिनानाम् (व) । Page #887 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२६ भगवई गोयमा ! जावतिए णं उसभस्स अरहनो कोसलियस्स जिणपरियाए एवइयाई संखेज्जाई प्रागमेस्साणं चरिमतित्थगरस्स तित्थे अणसज्जिस्सति ।। ७४. तित्थं भंते ! तित्थं ? तित्थगरे तित्थं ? गोयमा ! परहा ताव नियम तित्थकरे, तित्थं पुण चाउवणे' समणसंघे, तं जहा- समणा, समणीग्रो, सावया, सावियाओ। ७५. पवयणं भंते ! पवयणं ? पावयणी पवयणं ? गोयमा! अरहा ताव नियम पावयणी, पवयणं पुण दुवालसंगे गणिपिडगे, तं जहा- अायारो "सूयगडो ठाणं समवानो विग्राहपण्णत्ती णाया-धम्मकहानी उवासगदसायो अंतगडदसानो अणुत्तरोववाइयदसाओ पहावागरणाइं विवाग सुयं ° दिट्टिवायो । उग्गादोणं निगंथक्षम्माणुगमण-पदं ७६. जे इमे मते ! उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, नाया', कोरब्वा-एए णं अस्सि धम्मे श्रोगार्हति, योगाहिता अट्टविहं कम्मरयमलं पवाहेति, पवाहेत्ता तग्रो पच्छा सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? हंता गोयमा ! जे इमे उग्गा, भोगा, 'राइण्णा, इक्खागा, नाया, कोरव्वा.. पए णं अस्सि धम्म योगाहति, प्रोगाहित्ता अट्टविहं कम्मरयमलं पवाति, पवाहेत्ता तो पच्छा सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं ० अंतं करेंति, अत्थेगतिया अण्णयरसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति ॥ ७७. कतिविहा णं भंते ! देवलोया पण्णता? गोथमा ! चउबिहा देवलोया पण्णत्ता, तं जहा-भवणवासी, वाणमंतरा, जोतिसिया, वैमाणिया ।। ७८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। नवमो उद्देसो विज्जा-जंघा-चारण-पदं ७६. कतिविहा णं भंते ! चारणा पण्णत्ता ? १. चाउवण्णाइण्णे (ब, स, ब); चाउवण्णे ३. नाता (अ, क, ब)! (वृपा)। ४. सं. पा.-तं चेव जाव अंतं । २. सं० पा०---आयारो जाव दिट्ठिवाओ । Page #888 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (नवमो उद्देसो) ८२७ गोयमा ! दुविहा चारणा पण्णता, तं जहा विज्जाचारणा य, जंघा चारणा य॥ ८०. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ –विज्जाचारणे'-विज्जाचारण ? गोयमा ! तस्स णं छटुंछद्वेणं अणिविखनेणं तवोकम्मेण विज्जाए उत्तरगणद्धि खममाणस्स विज्जाचारणलद्धी नाम लद्धी समुप्पज्जइ ! से तेण?ण' गोयमा ! एवं वुच्चइ ° -विज्जाचारणे-विज्जाचारणे ।। विज्जाचारणस्स णं भंते ! कहं सोहा गतो, कहं सोहे गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! अयणं जंबुद्दोवे दीवे जाव' किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं । देवे णं महिड्ढीए जाव' महेसक्वे जाव इणामेव-इणामेव त्ति कटु' केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छेज्जा, विज्जाचारणस्स णं गोयमा ! तहा सीहा गती, तहा सोहे गतिविसए पण्णत्ते ॥ विज्जाचारणस्स णं भंते ! तिरियं केवतियं गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से णं इनो एगणं उपाएणं माणुमुत्तरे पव्वए समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेइयाइं वंदति, वंदित्ता वितिएणं उप्पारणं नंदीसरवरे दीवे समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेइयाई वंदति, वंदित्ता तो पडिनियत्तति, पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, नागच्छित्ता इह चेइयाई वंदति । विज्जाचारणस्स णं गोयमा ! तिरियं एवतिए गतिविसए पण्णत्ते ।। विज्जाचारणस्स णं भंते ! उड्ढे केवतिए गतिविसए पण्णते ? गोयमा ! से णं इनो एगणं उप्पारणं नंदणवणे समोसरणं करेति. करेत्ता तहिं चेइयाइं वंदति, वंदित्ता बितिएणं उप्पाएणं पंडगवणे समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेइयाई वंदति, वंदित्ता तनो पडिनियत्तति, पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, प्रागच्छित्ता इहं चेइयाइं वंदति । विज्जाचारणस्स णं गोयमा ! उड्ढं एवतिए गतिविसए पण्णत्ते । से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते' कालं करेति नत्थि तस्स पाराहणा । से णं तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते कालं करेति अत्थि तस्स पाराहणा ।। ८४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ---जंघाचारणे-जंघाचारणे ? गोयमा ! तस्स णं अट्ठमंअट्ठमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमा १. विज्जाचारणा (अ, क, ख, म, स)! २. सं० पा० तेणद्वेणं जाव विज्जाचारणे । ३. भ० ६७५ ४. भ० ११३३६ । ५. तुलना-भ० ६।१७३ । ६. अणालोतिय ° (स)। Page #889 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२८ भगवई णस्स जंघाचा रणलद्धी नाम लद्धी समुप्पज्जति । से तेणटेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ .-जंघाचारणे-जघाचारणे॥ ८५. जंघाचारणस्स णं भंते ! कहं सीहा गती, कहं सीहे गतिविसए पण्णते ? गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव किचिविसे साहिए परिक्खेवेणं । देवे णं महिड्ढीए जाव महेसक्खे जाव इणामेव-इणामेव त्ति कटु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छ रानिवाएहि तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छेज्जा, जंघाचारणस्स णं गोयमा! तहा साहा गती, तहा सीहे गतिविसए पण्णत॥ ८६. जंघाचारणस्स णं भंते ! तिरियं केवतिए गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से णं इनो एगणं उप्पाण्ण रुयगवरे दीवे समोसरण करेति, करेत्ता तहि चेइयाई वंदति, वंदित्ता तओ पडिनियत्तमाणे वितिएणं उप्पाएणं नंदीसर. वरदीवे समोसरणं करेति, करेत्ता तहिं चेइयाई वंदति, बंदित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता इहं चेइयाइं वदति, जंघाचा रणस्स णं गोयमा ! तिरियं एवतिए गतिविसए पण्णत्ते ।। जंघाचारणस्स ण भंते ! उड्ढे केवतिए गतिविसए पण्णते ? गोयमा ! से णं इओएगणं उप्पाए पंडगवणे समोसरण करेति, करेत्ता हि चेझ्याई वंदति, वंदित्ता तो पडिनियत्तमाणे वितिएणं उप्पाएणं नंदणवणे समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेइयाई वंदति, वंदित्ता इहमागच्छइ, अागच्छित्ता इह चेश्याई वंदति, जंघाचारणस्स णं गोयमा ! उड्ढं एवतिए गतिविसए पुण्णत्ते । से ण तस्स ठाणस्स अणालोइय-पडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स श्राराहणा। से णं तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिवकते कालं करोति अत्थि तस्स राहणा ।। ८८. सेवं भंते ! सेवं भते ! जाव विहरइ ।। ८७. दसमो उद्देसो ग्राउय-पदं ८६. जीवा णं भंते कि सोवक्कमाउया ? निरुवक्कमाउया ? गोयमा ! जीवा सोवक्कमाउया वि, निरुवक्कमाउया वि ।। चेव (अ, क, ख, ता, ब, १. सं० पा०-तेणट्रेणं जाव जंघाचारणे। २. सं० पा०-एवं जहेव विज्जाचारणस्स नवरं तिसत्तखुत्तो। ३. १७पत्ते, सेसं तं म, स)। ४. भ० ११५१ Page #890 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (दस मो उद्देसो) ५२९ ६०. नेरइयाणं -पुच्छा ।। गोयमा ! नेरइया नो सोवक्कमाउया, निरुवक्कमाउया। एवं जाव थणियकुमारा । पुढविक्काइया जहा जीवा । एवं जाव मणुस्सा । वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा नेरइया । उववज्जण-उन्वट्टण-पदं ११. नेरइया णं भंते ! कि पातोवक्रमेणं' उववज्जति ? परोवक्कमेणं उबव ज्जंति ? निरुवक्कमेणं उववज्जति ? गोयमा ! पातोवक्कमेण वि उववज्जंति, परोवक्कीण वि उववज्जति, निरुद क्कमेण वि उववज्जंति । एवं जाव वेमाणिया ।। ६२. नेरइया णं भंते ! किं प्रातोवक्कमेणं उबटुंति ? परोवश्कमेणं उव्वदृति ? निरुवक्कमेणं उबदति ? गोयमा ! नो पातोवक्कमेणं उबटुंति, नो परोवक्कमेणं उब्वटुंति, निरुवक्कमेणं उव्वद॒ति । एवं जाव थणियकुमारा । पुढविकाइया जाव मणुस्सा तिसु उब्बति । सेसा जहा ने रइया, नवरं –जोइसिय-वेमाणिया चयंति ॥ नेरइया णं भंते ! कि प्राइड्ढोए उबवज्जति ? परिड्ढोए उववज्जति ? गोयमा ! अाइड्ढोए उबवज्जति, नो परिड्ढोए उववज्जति । एवं जाब वेमाणिया ।। १४. नेरइया णं भंते ! कि आइड्ढोए उबटुंति ? परिड्ढीए उव्वदृति ? गोयमा ! अाइड्ढीए उब्वदृति, नो परिड्ढोए उब्वट्ठति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं -जोइसिया वेमाणिया य चयंतीति अभिलावो ॥ १५. नेरइया णं भंते ! कि आयकम्मुणा उववज्जति ? परकम्मुणा उववज्जति ? गोयमा ! प्रायकम्मुणा उववज्जति, नो परकम्मुणा उववज्जति । एवं जाव वेमाणिया। एवं उव्वट्टणादंडगो वि ॥ १६. नेरइया णं भंते ! कि आयप्पओगेणं उववज्जति ? परप्पयोगेणं उववज्जति ? गोयमा ! प्रायप्पनोगेणं उववज्जंति, नो परप्पनोगेणं उववज्जति । एवं जाव वेमाणिया । एवं उव्वट्टणादंडो वि ।। कतिसंचियादि-पदं १७. नेरइयाणं भंते ! किं कतिसंचिया ? अकतिसंचिया ? अवत्तव्वगसंचिया ? १. आत्मना - स्वयमेवायुप उपक्रम आत्मोपक्रम- २. पररिद्धीए (क) । स्तेन मृत्वेति शेषः (वृ)। Page #891 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! नेरइया कतिसंचिया वि, प्रकतिसंचिया वि, अवत्तव्वगसंचिया वि ॥ ६८. से केणद्वेणं जाव अवत्तव्वगसंचिया वि ? गोयमा ! जेणं नेरइया संखेज्जगणं पवेसण एणं पविसंति ते णं नेरइया कतिसंविया, जे गं नेरइया श्रसंखेज्जएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया कतिसंचिया, जेणं नेरइया एक्करणं पवेसणएणं पविसंति ते गं ने रइया अवत्तसंचिया । से तेणं गोयमा ! जाव अवत्तव्वगसंचिया वि । एवं जाव थणियकुमारा ।। ६६. पुढविवकाइयाणं पुच्छा । गोयमा ! पुढविकाइया नो कतिसंचिया, प्रकतिसंचिया, नो अवत्तव्वगसंचिया ॥ ८३० १००. से केणणं भंते ! एवं बुच्चइ -जाव नी अवत्तव्वगसंचिया ? गोयमा ! पुढविकाइया असंखेज्जएणं पवेसणएणं पविसंति । से तेणट्टेणं जाव नो प्रवत्तव्वगसंचिया । एवं जाव वणस्सइकाइया । बंदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया || १०१. सिद्धाणं - पुच्छा । गोमा ! सिद्धा कतिसंचिया, नो प्रकृतिसंचिया, श्रवत्तव्वगसंचिया वि ॥ १०२. से केणद्वेगं जाव प्रवत्तव्वगसंचिया वि ? गोमा ! जेणं सिद्धा संखेज्जएणं पवेसणएणं पत्रिसंति ते णं सिद्धा कतिसंचिया, जेणं सिद्धा एक्कएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा प्रवत्तव्वगसंचिया । से तेणद्वेणं जाव श्रवत्तव्वगसंचिया वि ॥ १०३. एएसि णं भंते ! नरइयाणं कतिसंचियाणं ग्रकतिसंचियाणं प्रवत्तव्वगसंचियाण य कयरे कयरेहिंतो ग्रप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया प्रवत्तव्वगसंचिया, कतिसचिया संखेज्जगुणा, अतिसंचिया ग्रसंखेज्जगुणा । एवं एगिंदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं अप्पाबहुगं । एगिदियाणं नत्थि अप्पाबहुगं ॥ १०४. एएसि णं भते ! सिद्धाणं कतिसंचियाणं प्रवत्तव्वगसंचियाण य कयरे कयरे हितों' "अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा कतिसचिया, प्रवत्तव्वगसंचिया संखेज्जगुणा || १. वनस्पतयस्तु यद्यप्यनन्ता उत्पद्यन्ते तथाऽपि प्रवेशनकं विजातीयेभ्य आगतानां यस्तत्रोत्पादस्तद्विवक्षितं, असङ्ख्याता एव विजातीयेभ्य उद्वृत्तास्तत्रोराद्यन्त इति सूत्रे उक्तम् (वृ) । २. सं० पा०-- कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ३. सं० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया 1 Page #892 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (दसमो उद्देसो) छक्कसमज्जियादि-पदं १०५. नेरइयाणं भंते ! किं छक्कसमज्जिया ? नोछक्कसमज्जिया ? छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया? छक्केहिं समज्जिया ? छक्केहि य नोछण य समज्जिया? गोयमा ! नेरइया छक्कसमज्जिया वि, नोछक्कसमज्जिया बि, छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया वि, छक्केहि समज्जिया वि, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया वि।। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ - नेरइया छक्कस मज्जिया वि जाव छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया वि? गोयमा ! जे णं ने रइया छक्कएणं पवेसणएणं पनिसंति ते णं नेरइया छक्कसमज्जिया । जे णं देरइया जहणणं एक्केण वा दोहि वा तोहि वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं ने रइया नोछक्कसमज्जिया । जेणं ने रइया एगेणं छक्कएणं अण्णेण य जहाणेणं एक्केण वा दोहि वा तोहिं वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं दे रइया छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया। जे णं नेरइया नेगेहिं छक्केहिं पवेसणएहि पविसंति ते ण नेरइया छक्केहि समज्जिया। जे णं नेरइया नेगेहि छक्केहि अण्णेण य जहरणेणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया । से तेगटेणं तं चेव जाव समज्जिया वि । एवं जाव थणियकुमारा ! १०७. पुढविक्काइयाणं ---पुच्छा ।। गोयमा ! पुढविक्काइया नो छक्कसमज्जिया, नो नोछक्कसमज्जिया, नो छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया, छक्केहि समज्जिया, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया वि।। १०८. से केणद्वेणं जाव समज्जिया वि ? गोयमा ! जे णं पुढविक्काइया नेगेहि छक्काए हि पवेसणएहि पविसंति ते णं पुढविक्काइया छक्केहि समज्जिया । जे णं पुढविक्काइया नेगेहिं छक्कएहि य अण्णेण य जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविक्काइया छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया । से तेणटेणं जाव समज्जिया वि । एवं जाव वणस्सइकाइया । बेदिया जाव वेमाणिया, सिद्धा जहा नेरइया । १०६. एएसि णं भंते ! ने रइयाणं छक्कसमज्जियाण, नोछक्कसमज्जियाणं, छक्केण य नोछक्केण य समज्जियाणं, छक्केहि समज्जियाणं, छक्केहि य नोछक्केण य १. पवेसरगएणं (अ, क, ब, स); पवेसणगं (ख, म) । Page #893 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३२ भगवई समज्जियाण य क्रयरे कयरेहितो' प्रप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ' वियेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोत्रा ने रइया छक्कसमज्जिया, नोछक्कसमज्जिया संखेज्जगुणा छक्केण य नोछक्के ग य समज्जिया संखेज्जगुणा, छक्केहि समज्जिया असंखेज्जगुणा, छ केहि य नोछ केण य समज्जिया संखेज्जगुणा । एवं जाव थणिय कुमारा। ११०. एएसि गं भंते ! पुढविकाइयाण छ केहि समज्जियाणं, छक्केहि य नोछक्केण. य समज्जियाण य कमरे कय रेहितो 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा? गोयमा ! सबथोवा पुडविकाझ्या छाकेहि समज्जिया, छम्केहि य नोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा । एवं जाव वणस्सइकाइयाणं । वेइंदियाणं जाव वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं ।। एएसि ण भंते ! सिद्धाणं छक्कसमज्जियाणं नोछक्कसुमज्जियाणं जाव छक्केहि य नोछक्केण य रामज्जियाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा सिद्धा छ केहि य नोछक्केण य समज्जिया. छक्केहि समज्जिया संखेज्जगुणा, छपकेण य नोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा, छक्कसम ज्जिया संखेज्जगुणा, नोछक्कसमज्जिया संखेज्जगुणा ।। बारससमज्जियादि-पद ११२. नेरइया णं भंते ! कि बा रससमज्जिया?, नोवारससमज्जिया ? वारसरण य नोवारराएण य समज्जिया? वारसाएहि समज्जिया? वारसएहि य नोबारसएणय समज्जिया ? गोय मा ! नेरइया वारससमज्जिया वि जाव वारसएहि य नोबारसएण य सम. ज्जिया वि।। ११३. से केणट्रेणं जाव समज्जिया वि ? गोयमा ! जे णं ने रइया वारसरणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया बारससमज्जिया । जे णं नेरच्या जहण्णेणं एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा, उक्कोसेणं एक्कारस एणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया नोवारससमज्जिया । जेणं नेरझ्या वारसरणं अण्णेण य जहण्णेणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते गं ने रइया बारसएण य नोबारसएण य १. सं० गा० --कयरेहितो जाब विसेसाहिया। ३. सं० पा० - कयरेहितो जाव विसेसाहिया । २. सं० पा०--कयरेहिनो जाव विसेसाहिया । Page #894 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीसइमं सतं (दसमो उद्देसो) समज्जिया ! जे णं ने रइया नेगेहिं बारसएहि पवेसणएहिं पविसंति ते णं नेरइया बारसएहि समज्जिया । जे णं नेरइया नेगेहि बारसएहि अण्णण य जहण्णेणं एक्के.ण वा दोहिं का तीहिं वा, उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया वारसाहि य नोवारसएण य समज्जिया। से तेण?णं जाव सम ज्जिया वि । एवं जाव थणियकुमारा ।। ११४. पुढविक्काझ्याण -पुच्छा । गोयमा! पुढविक्काइया नोबारससमज्जिया, नो नोवारससमज्जिया, नो बारसएण य नोवारसाण य समज्जिया, बारसएहिं समज्जिया, बारसेहि य नोबारसेण य समज्जिया वि ।। ११५. से केणद्वेणं जाव समज्जिया वि? गोयमा ! जे णं पुढविक्काइया नेगेहिं बारसएहि पवेसणएहि पविसंति ते णं पुढविक्काइया वारसहिं समज्जिया। जे णं पुढविक्काइया नेगेहिं बारसएहिं अण्ण य जहण्णणं एकोण या दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविक्काइया बारसएहि य नोबारसएण य समज्जिया। से तेण?णं जाव समज्जिया वि । एवं जाव वणस्सइकाइया । वेइंदिया जाव सिद्धा जहा ने रइया ।।। ११६. एएसि णं भंते ! नेरइयाणं बारससमज्जियाणं' –सवेसि अप्पाबहुगं जहा छक्कसमज्जियाणं, नवरं-बारसाभिलावो, सेसं तं चेव ।। चुलसीतिसमज्जियादि-पदं ११७. नेरइया णं भंते ! कि चुलसीतिसमज्जिया? नोचुलसीतिसमज्जिया? चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य रामज्जिया? चुलसीतीहि समज्जिया? चुलसीतीहि य नोचुलसीतोए य समज्जिया ? गोयमा ! नेरइया चुलसीतिसमज्जिया वि जाव चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया वि ।। ११८. से केणद्वेणं जाव समज्जिया वि ? गोयमा ! जे णं नेरइया चुलसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया चुलसीतिसमज्जिया। जेणं ने रइया जहणणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं तेसीतिपवेसणाएणं पविसंति ते णं ने रइया नोचुलसीतिसमज्जिया। जे णं नेरइया चुलसीतीए णं अण्णण य जहणेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया चलसीतीए य नोचलसीतीए य समज्जिया । जे णं नेरइया नेगेहिं चुलसीतीएहिं पवेसणएहिं पविसंति १. पू० ---भ० २०१०६ । Page #895 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३४ भगवई ते रइया चुलसीती एहिं समज्जिया । जे गं नेरइया नेगेहिं चुलसीतीएहि य श्रणेण य जहणेणं एक्केण वा' दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं तेसीतीएण पवेसणं पविसंति ते णं नेरइया चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया । से तेणट्टेणं जाव समज्जिया वि । एवं जाव थणियकुमारा । पुढविक्काइया तहेव पच्छिल्लएहिं दोहिं, नवरं -- अभिलाओ चुलसीती । एवं जाव वणस्स - काइया | बेंदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया || ११६. सिद्धाणं पुच्छा 1 गोमा ! सिद्धा चुलसीतिसमज्जिया वि, नोचुलसीतिसमज्जिया वि, चुलसीतीए य नोचुलसीतीय समज्जिया वि, नो चुलसीतीहिं समज्जिया, नो चुलसीतीहि नोचुलसीतीए य समज्जिया || १२० सेकेणट्टेणं जाव समज्जिया ? . गोयमा ! जेणं सिद्धा चुलसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा चुलसीति समज्जिया । जे णं सिद्धा जहणणेणं एक्केणं वा दोहिं वा तीहिं वा उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा नोचुलसीतिसमज्जिया । जेणं सिद्धा चुलसीतीएणं श्रणेण य जहणणेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया । तेणट्टेणं जाव समज्जिया || १२१ एएसि णं भंते! नेरइयाणं चुलसीतिसमज्जियाणं नोचुलसीतिसमज्जियाणं' । - सव्वेसि अप्पाबहुगं जहा छक्कसमज्जियाणं जाव वेमाणियाणं, नवरंअभिला चुलसीतीओ ॥ १२२. एएसि णं भंते! सिद्धाणं चुलसीतिसमज्जियाणं, नोचुलसी तिसमज्जियाणं, चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जियाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ° ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया, चुलसीतिसमज्जिया अनंतगुणा, नोचुलसीतिसमज्जिया प्रणतगुणा || १२३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ || १. सं० पा० - एक्केण वा जाव उक्कोसेणं । २. जाव ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) 1 ३. पू० - भ० २०११०६ । — ४. सं० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ५. भ० ११५१ । Page #896 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीसइमं सतं पढमो वग्गो पढमो उद्देसो १. सालि २. कल ३. अयसि ४. वंसे, ५. इक्खू ६. दम्भे य ७. अब्भ ८. तुलसी य । अतुए दस वग्गा, असीति' पुण होति उद्देसा ॥१॥ सालिग्रादिजीवाणं उववायादि-पदं १. रायगिहे जाव एवं वयामी-- ग्रह भंते ! साली-वीही-गोधूम-जव-जवजवाणं एएसि णं भंते ! जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, ते णं भंते ! जीवा करोहितो उववज्जति -कि नेरइएहिंतो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? मणुस्सेहिंतो उववज्जति ? देवेहिंतो उववज्जति ? जहा' वक्कंतीए तहेव उव वाओ, नवरं-देववज्ज । २. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा ! जहण्णण एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । अवहारो जहा' उप्पलुद्देसे ।। ३. तेसिणं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं ।। ४. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्म कम्मस्स किं वंधगा ? अबंधगा ? जहा' उप्पलुद्देसे । एवं वेदे वि, उदए वि, उदीरणा" वि ।। ५. ते णं भंते ! जीवा किं कण्ह लेस्सा, नोल लेस्सा, काउन्लेस्सा छन्वीसं भंगा, दिट्ठी जाव इंदिया जहा' उप्पलुद्देसे ।। १. असीति (क, ब, स) । २. प०६। ३. भ० १११४। ४. भ० १११६-११। ५. उदीरणाए (अ, क, ख, ता, म, स)। ६. भ०११११३-२८ । Page #897 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३६ भगवई ६. ते णं भंते ! सालो-वीही-गोधूम-जव-जवजवगमूलगजीवे कालो केवच्चिर' होति? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं ।। ७. से णं भंते ! सालो-वीहो-गोधूम-जव-जवजवगमूलगजोवे पुढवीजीवे, पुणरवि साली-वोही-जव-जवजवगमूलगजीवे केवतियं काल सेवेज्जा? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा? एवं जहा उप्पलुद्देसे । एएणं अभिलावेणं जाव' मणुस्सजीवे, प्राहारो जहा' उप्पलुद्देसे, ठिती जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वासपुहत्तं, समुग्घाया, समोया, उन्वट्टणा य जहा उप्पलुइँसे ।। ८. अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता साली-वोही-गोधूम-जव-जवज वगमूलग जीवत्ताए उववरणयुव्वा ? हंता गोयमा ! असति अदुवा अणंतखुत्तो।। ६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २-१० उद्देसो १०. अह भंते ! सालो-वोही- गोधूम-जव-०-जवजवाणं-एएसि णं जे जीवा ___कंदत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! जोवा कमोहिंतो उववज्जति ? एवं कंदाहि गारेण सच्चेव मूलुद्देसो अपरिसेसो भाणियव्वो जाव असतिं अदुवा अणंतखुत्तो।। ११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। १२. एवं खंधे वि उद्देसरो नेयव्वो। एवं तयाए वि उद्देसो भाणियव्वो। साले वि उद्देसो भाणियब्वो। पवाले वि उद्देसो भाणियव्यो । पत्ते वि उद्देसो भाणियवो । एए सत्त वि उद्देसगा अपरिसेसं जहा मूले तहा नेयव्वा । एवं पुप्फे वि उद्देसओ, नवरं-देवा उववज्जति जहा' उप्पलुद्देसे । चत्तारि लेस्साओ, असीतिः भंगा । प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं अंगुलपुहत्तं, सेसं तं चेव ।। १३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। १४. जहा पुप्फे एवं फले वि उद्देसनो अपरिसेसो भाणियव्वो । एवं बीए वि उद्देसओ। एए दस उद्देसगा ।। १. केवचिरं (अ, क, ख, ब)। २. भ०११०३०.३४ । ३. भ० ११॥३५॥ ४. भ० १११३७-३६। ५. सं० पा०-वीही जाव जवजवाणं । ६. भ० ११॥२॥ Page #898 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीसइमं सतं (२-४ बग्गा) बीओ वग्गो १५. अह भंते ! कल-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निष्फाव-कुलत्थ-प्रालिसंदग-सतीण' पलिमंथगाणं'– एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! जीवा कमोहितो उववज्जति ? एवं मूलादीया दस उद्देसगा भाणियब्वा जहेव सालीणं निरबसेसं तहेव ।। तइयो वग्गो १६. अह भते ! अयसि-कुसुंभ-कोदव-कंगु-रालग-वरा-कोदसा-सण-सरिसव-मूलग बीयाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ते णं भंते ! जीवा करोहितो उववज्जति ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालोणं निरवसेसं तहेव भाणियव्वा ।। चउत्थो वग्गो १७. अह भंते ! वंस-वेणु-कणक-कक्कावंस-चारुवंस'-दंडा-कुडा'-विमा-कंडा-वेलुया कल्लाणाणं -एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति०? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीणं, नवरं-देवो सव्वत्थ वि न उववज्जति । तिण्णि लेसानो ! सव्वत्थ वि छव्वीसं भंगा, सेसं तं चेव ।। १. सढिरण (अ); सव्विरण (क); सद्दिण (ख); ३. यारुरवंस (अ); यारुवंस (ब); वगरवंस सडिण (ता, स); सतिण (ब); सदिण (म) (म)। २. पलिमिथगाणं (अ, ता); पमिलिवगाणं (क); ४. उडा (ता); दंडगा (ब)। पलिमित्थगाणं (ख, ब, म)। ५. कुडा (अ, ता, स)। ६. कल्लारणोणं (अ, क, ता, ब, म)। Page #899 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३८ भगवई पंचमो वग्गो १८. अह भंते ! उक्खु-उक्खुवाडिय-वीरण-इक्कड-भमास-सुब'-सर-वेत्त-तिमिर सतपोरग-नलाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं जहेव वंसवग्गो तहेव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा, नवरं-खंधुद्देसे देवो उववज्जति । चत्तारि लेस्साओ, सेसं तं चेव ।। छट्टो वग्गो १६. अह भंते ! सेडिय-भंतिय-कोतिय-दभ-कुस-पव्वग-पोदङ्ल' अज्जुण-आसाढग रोहियंस-सुय-वखीर-भुस-एरंड-कुरुकुंद करकर सुंठ विभंगु महुरतण" थुरग"सिप्पिय-संकलितणाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ? एवं एत्थ वि दस उद्देसगा निरवसेसं जहेव वंसवग्गो।। सत्तमो वग्गो २०. अह भंते ! अब्भरुह-वोयाण हरितग-तंदुलेज्जग-तण-वत्थुल-पोरग"-मज्जार पाइ-विल्लि-पालक्क-दगपिप्पलिय- दवि-सोस्थिक-सायमंडुक्कि-मूलग-सरिसव-अंबिलसाग-जियंतगाणं--एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि दस उद्देसगा निरवसेसं जहेव वंसवग्गो।। १. मुंडे (अ); सुंठे (क, ख, ता) । ६. कुडकुरुकुंद (सा)। २. सतवोरग (ख)। १०. बहुरयण (क, ब); महुरयण (ख) । ३. सेढिय (स)। ११. छुरग (ता)। ४. भतिय (अ); भात्तिय (क); भंति (ता); १२. अज्झरह (क, ख, ता, ब)। भंतेय (ब)। १३, वेताण (अ); वायाण (ख)। ५. पदेइल (अ); वोदइल (ता)। १४. वोरग (अ); चोरग (स)। ६. मुत (क, ख, ब, स) । १५. याइ (ख, म)। ७. पक्खीर (ता)। १६. विलि (ता); चिल्लि (ब)। ८. भूस (अ, क, ता, ब)। १७. सायमंदुक्कि (ख, ता, म) । Page #900 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवीसइम सतं (अट्ठ मो वग्गो) अट्ठमो वग्गो २१. अह भंते ! कुलसी-कण्ह-दराल-फणेज्जा-अज्जा-भूयणा' चोरा-जोरा-दमणा मख्या-इंदीवर-सयपुप्फाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एत्थ वि दस उद्देसगा निरवसेसं जहा वंसाणं । एवं एएसु अट्ठसु वग्गेसु असीति उद्देसगा भवति ।। १. चूयरणा (स)। Page #901 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बावीसमं सतं पढमो वग्गो १,२. तालेगट्टिय ३. बहुवीयगा य ४. गुच्छा य ५. गुम्म ६. वल्ली य । छद्दस वग्गा एए, सद्धि पुण होति उद्देसा ।।१।। रायगिहे जाव एवं वयासी ग्रह भंते ! ताल-तमाल-तक्कलि-तेतलि-सालसरला'सारकल्लाण-जावति-केयइ-कदलि- कंदलि-चम्मरुक्ख- भुयरुक्ख-हिंगुरुक्ख-लवंगरुक्ख-पूयफलि-खज्जूरि-नालिएरोणं--पासि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, ते णं भंते ! जीवा कमोहितो उववज्जति ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहेव सालोणं, नवरं-इमं नाणत्तं ---- मूले कंदे खंधे तयाए साले य एएसु पंचसु उद्देसगेसु देवो न उववज्जति । तिण्णि लेसाप्रो । ठिती जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दसवाससहस्साई। उवरिल्लेसु पंचसु उद्देसएसु देवो उववज्जति । चत्तारि लेसाप्रो । ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वासपुहत्तं । प्रोगाहणा मूले कंदे धणुहपुहत्तं, खंधे तयाए साले य गाउयपुहत्तं, पवाले पत्ते धणुहपुहत्तं, पुप्फे हत्थपुहत्तं, फले बीए य अंगुलपुहत्तं । सव्वेसि जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं 1 सेसं जहा सालीणं । एवं एए दस उद्देसगा। १. तेवलि (अ, म)। जातः। वस्तुत: 'सारकल्लारण जाबति २. सारकल्लाणं जाव केवइ (अ, क, ख, ता, केयई' इति पाठः समीचीनोस्ति । अत्र जाव ब, म, स); अत्र सर्वेष्वादर्शपु 'सारकल्लाणं शब्दस्य किमपि प्रयोजनं नावगम्यते। जाव केवई' इति पाठो लभ्यते । भ० ३. गुंबरुक्ख (य); गुयरुक्ख (क, ख); गुदरुख दा२१७ तथा प्रज्ञापनाया: प्रथमपदे यथा (ता) | X(ब); गुत्तरुक्ख (म): गुंतरुक्ख पाठोस्ति तदाधारेण ज्ञायते लिपिभ्रमोऽसौ (स)। SYO Page #902 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बावीसइमं सतं (२, ३ वागा) बीओ वग्गो २. अह भंते ! निबंब जंबु-कोसंब-साल' अंकोल्ल-पीलु-सेलु-सल्ल इ-मोयइ-मालुय बउल-पलास-करंज- पुत्तंजीवग-अरिद्ध-विहेलग- हरितग - भल्लाय-उवभरियखीरणि-धायइ-पियाल-पूइयणिबारग-सेण्हय पासिय-सीसव-असण-पुरणाग-नागः रुक्ख-सीवण्णि'-असोगाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा निरवसेसं जहा तालवग्गो।। तइओ वग्गो ३. अह भंते ! अत्थिय-तिदुय-बोर-कविट्ठ-अंबाडग-माउलिंग-बिल्ल-ग्रामलग फणस- दाडिम- आसोत्थ" - उंबर-वड- नरगोह-नंदिरुक्ख - पिप्पलि - सतरिपिलक्खरुक्ख-काउंवरिय-कृत्यंभरिय-देवदालि-तिलग- लउय-छत्तोह- सिरीससत्तिवण्ण-दहिवण्ण-लोद्ध-धव-चंदण-अज्जुण-नीम"-कुडग-कलंबाणं-एएसिणं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, ते णं भंते ! जीवा कमोहितो उववज्जति ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा ने यवा जाव बीयं ।। १. ताल (क, ख, ता, ब, म, स)। ८. मातुलुग (अ, क, ख, ब, भ)। २. वेहेलग (ता)। ६. बेल्ल (ब)। ३. उंबरिभरीय (अ)। १०. दालिम (ख, ता, स)। ४. सेण्हण (ता); सिव्हण (ब); सण्य (स) ११. असोलु (अ, म); असो? (क, ख, ब); ५. पोसिय (अ); पसिय (म)। असोह (ता)। ६. अयसि (अ, क, ख, ता, व, म, स); १२. सतरा (अ); सतर (क, ख, स); सेतर (ब) सर्वासु प्रतिषु 'अयसि' इति पाठो लिखि- १३. कोच्छु भरिय (ख); कुच्छु भरिय (स)। तोस्ति, किन्तु प्रज्ञापनाया: (प० १) १४. सत्तवण्ण (स)। अनुसारेण 'असण' इति पदं गृहीतम्। १५. नीव (ख) । ७. सीवण्ण (अ, क, ख, ता, म, स)। Page #903 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थो वग्गो ४. अह भंते ! वाइंगणि-अल्लइ-पोंडइ, एवं जहा पण्णवणाए गाहाणुसारेणं नेयवं जाव' गंज-पाडला-दासि-अकोल्लाणं--एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा नेयव्वा जाव बीयं ति निरवसेसं जहा वसवग्गो।। पंचमो वग्गो ५. अह भंते ! सेरियक'-नवमा लय-कोरेंटग-बंधुजीवग-मणोज्जा', जहा पण्णवणाए पढमपदे गाहाणुसारेणं जाव' नवणीतिय-कुंद-महाजाईणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा सालीण ।। - ---- छट्ठो वग्गों ६. ग्रह भंते ! पूसफलि-कालिंगी-तुंबी-तउसी-एलावालुंकी, एवं पदाणि छिदिय व्वाणि पण्णवणागाहाणुसारेणं जहा तालवग्गे जाव दधिफोल्लइ-काकलिमोकलि-अक्कबोंदी[--एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति०? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहा तालवग्गो, नवरं--फलउद्देसे प्रोगाहणाए जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं । ठिती सव्वत्थ जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वासपुहत्तं, सेसं तं चेव । एवं छसु वि वग्गेसु सट्टि उद्देसगा भवंति ।। १. प० १, गुच्छवग्यो। ४. मणोजा (अ, म)। २. पालुलावासि (अ); पाडलावासि (ख, स); ५. प० १, गुम्मवग्गो। पायलायसि (ब); पातुलावासि (म)। ६. नवरगीय (ख, ब, म); नलणीय (स)। ३. सिरियका (क); सरिणयक (ता); सरियक ७. ५० १, वल्लिवम्मो। (ब)। ८. मोक्कलि (ख, व, स)। Page #904 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवीसइमं सतं पढमो वग्गो १. प्रालय २. लोही ३. अवए, ४. पाढा तह ५. मासवणि-वल्ली य । पंचेते दसवग्गा, पन्नासं होंति उद्देसा ॥१॥ १. रायगिहे जाव एवं वयासी-- अह भंते ! भालुय-मूलग-सिंगवेर-हलिद्दा'-रुरु कंडरिय- जाह- छीरबिरालि- किट्ठि- कुदु- कण्हाकडभु'- मधु-पृयलइ'- महुसिगिनिरुहा -सप्पसुगंधा-छिण्णरुह-बीयरहाण.... एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए बक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायब्वा बंसवग्गसरिसा, नवरंपरिमाणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । अवहारो - गोयमा! ते णं अणंता समये-समये अवहीरमाणा-अवहीरमाणा अणताहि प्रोसप्पिणीहि उस्सप्पिणीहि एवतिकालेणं अवहीरंति, नो चेव णं अवह्यिा सिया । ठिती जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव ।। बीओ वग्गो २. अह भंते ! लोही-णीह-थीह-थिभगा-अस्सकण्णी-सीहकण्णी-सि उंढी-मसंढीण __ --एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि दस उद्देसगा जहेव पालुवग्गो, नवरं--प्रोगाहणा तालवग्गसरिसा, सेसं तं चेव ।। ३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १. हालिद्दा (अ, म}; हलिद्द (ख, ता, स); हालिद्द (ब)। २. कुंथु (अ, क, ब); कुंथु (ता)। ३. कण्हकडउ (अ, स); कण्हकडलु (ब)। ४. धुपलइ (अ)। ५. नोरुहा (ख)। ६. सुपासगंधा (प्र)। ७. अवहरिया (स)। ८. गेहू (ब)। ६. वीहू (अ, ब); बीहू (स)। १०. मुसंठीण (ता)। ८४३ Page #905 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइओ वग्गो ४. अह भंते ! वाय-काय-कुहुण-कुंदुरुक्क-उ०वेहलिया'-सफा-सज्जा-छत्ता-वंसाणिय कुराण' एसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा पालुवग्गो, नवरं-ओगाहणा तालवग्गसरिसा, सेसं तं चेव ।। ५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ चउत्थो वग्गो ६. अह भंते ! पाढा-मियवालंकि-मधुररसा-रायवल्लि-पउमा-मोढरि-दंति-चंडीणं-- एएसि ण जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा पालुयवग्गसरिसा, नवरं प्रोगाहणा जहा वल्लीणं, सेसं त चेव ।। ७. सेवं भंते ! सेवं भते ! ति ।। पंचमो वग्गो ८. अह भंते ! मासपण्णी-मुग्गपण्णी-जीवग-सरिसव-करेणुय-कानोलि-खीरकाकोलि भंगि-हि-किमिरासि- भद्दमुत्थ- णंगलइ-पयुय' -किण्हा - पउल-हढ' -हरेणुयालोहीणं- - एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि दस उद्देसगा निरक्सेसं प्रालयवग्गसरिसा । एवं एत्थ पंचसु वि वग्गेसु पन्नासं उद्देसगा भाणियव्वा । सव्वत्थ देवा न उववज्जति । तिणि लेसायो । 8. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ १. उन्वेहलिया तिब्बेहलिया (ता)। २. कुरवाणं (ता)। ३. पहुए (क); पेसुय (ख); पेयुय (ब, म)। ४. किरणा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ५. पउयलघाढे (म, क); पउयलपाढे (ख, म, स); पउयलवाढे (ब) । Page #906 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं पढमो उद्देसो १. उववाय २. परीमाणं, ३,४. संघयणुच्चत्तमेव ५ संठाणं । ६. लेस्सा ७. दिट्ठी ८. नाणे, अण्णागे ६. जोग १०. उवयोगे ॥१॥ ११ सण्णा १२ कसाय १३.इंदिय, १४ समुग्घाया १५.वेदणा य १६.वेदे य । १७. आउं १८. अज्झवसाणा, १६. अणुबंधो २०- कायसंवेहो ॥२॥ जीवपदे' जीवपदे, जीवाणं दंडगम्मि उद्देसो । चउवीसतिमम्मि सए, चउब्बीसं होति उद्देसा ॥३॥ नेरइयादीसु उववायादि-गमग-पदं १. रायगिहे जाव एवं वयासी-नेरइया णं भंत ! कमोहितो उववज्जति -- कि नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोगिएहितो उववज्जति ? मणुस्से हितो उववज्जति ? देवेहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिहितो उववज्जंति, मणु स्सेहितो वि उववज्जंति, नो देवहितो उबवज्जति ।। २. जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति--कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! नो एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववति, नो वैदिय, नो तेइंदिय, नो चउरिदिय, पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ।। जइ पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति--कि सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? असणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उबवज्जति ? गोयमा ! सण्णिचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, असणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति ।। १. इयं च गाथा पूर्वोक्तद्वारगाथाद्वयात् क्वचित् पूर्व दृश्यत इति (वृ) । Page #907 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४६ भगवई ४. जइ असणिचिदियतिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति -कि जल चरेहितो उव वज्जति ? थलचरेहितो उववज्जति ? खहचरेहितो उववज्जति ? गोयमा ! जलचरेहिनो उववति, थलचरेहिता वि उववज्जति, खहचरे हितो वि उववज्जति ।। ५. जइ जलचर-थलचर-वहचरेहितो उववज्जति - कि पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तएहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति ।। ६. पज्जत्ताअसणिपंचिदियतिरिक्खजोगिए णं मते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जि त्तए, से णं भंते ! कतिसु पुढवीसु उबवज्जेज्जा ? गोयमा ! एगाए रयणप्पभाए पुढवीए उववज्जेज्जा ।। ७. पज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइएसु उवज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेंज्जइ भागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ८. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा ! जहण्णेणं पक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असं खेज्जा वा उववज्जति ।। ६.. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरोरगा' किसंघयणी पण्णत्ता ? गोयमा ! छेवट्टसंघयणी' पण्णत्ता। १०. तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णता? गोयमा ! जहाणेण अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं ।। ११. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिया पण्णत्ता ? गोयमा हुंडसंठिया पणत्ता ।। १२. तेंसि णं भंते ! जीवाणं कति लेस्साप्रो पण्णत्ताओ ? गोयमा ! तिगिण लेस्सानो पण्णत्तानो, तं जहा-कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा ।। १३. ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्ठी ? मिच्छादिट्ठी ? सम्मामिच्छादिट्ठी ? गोयमा ! नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी ।। १४. ते णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुअण्णाणी, तं जहा-मइअण्णाणी य, सुयअण्णाणी य !! - - - - -- ----- --- -- १. सरीरा (ता)। २. संघयणा (ख, ता, म) । ३. छेवट्ठ ° (ता)। ४. हुंडसंठिया (स)। Page #908 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) १५. ते णं भंते ! जीवा किं मणजोगी? वइजोगी ? कायजोगी ? गोयमा! नो मणजोगी, वइजोगी वि, कायजोगी वि ।। १६. ते णं भंते ! जीवा किं सागारोव उत्ता? अणागारोव उत्ता ? गोयमा ! सागारोव उत्ता वि, अणागारोव उत्ता वि ॥ १७. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सण्णासो पण्णत्ताप्रो ? गोयमा ! चत्तारि सण्णाग्रो पण्णत्ताओ, तं जहा -अाहारसण्णा, भयसण्णा, मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा ॥ १८. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति कसाया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि कसाया पण्णत्ता, तं जहा–कोहकसाए, माणकसाए, माया कसाए, लोभकसाए॥ १६. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति इंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचेंदिया पण्णत्ता, तं जहा-सोइदिए जाव फासिदिए ।। २०. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा ! तओ समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेयणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाए । २१. ते ण भंते ! जोवा कि सायावेयगा? असायावेयगा ? गोयमा ! सायावेयगा वि, असायावेयगा वि ।। २२. ते णं भंते ! जोवा किं इत्थोवेदगा? पुरिसवेदगा ? नपुंसगवेदगार? गोयमा ! नो इत्थीवेदगा, नो पुरिस वेदगा, नपुंसगवेदगा। २३. तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण पुवकोडी ।। २४. तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। २५. ते णं भंते ! किं पसत्था ? अप्पसत्था ? गोयमा ! पसत्था वि, अप्पसत्था वि ।। से गं भंते! पज्जत्ताप्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति कालमो केवचिरं होइ? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी॥ से णं भंते ! पज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइए, पूणरवि पज्जत्ताप्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दस वाससहस्साइ अंतोमूहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पुवकोडिमभहियं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १।। २७. Page #909 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४८ भगवई २८. पज्जत्ताश्रसणिचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहणकाल द्वितीसुरयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते! केवइकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा गोयमा ! जहणणेणं दसवास सहसद्वितीएस, उक्कोसेण वि दसवास सहस्राद्वितीएसु उववज्जेज्जा !! २६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं सच्चेव वक्तव्या निरवसेसा भाणियत्र्वा जाव' अणुबंधो त्ति ॥ ३०. से णं भंते! पज्जत्ताग्रसष्णिपंचिदियतिरिक्खजोगिए जहण्णकाल द्वितीय रयणपुणरवि पज्जत्ताप्रसणि पंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतियं काल सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? प्रभापुढविनेरइए, गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई तोमुत्तमम्भहियाई, उक्कोसेणं पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि अन्भहिया, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २ ॥ ३१. पज्जत्तासणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं जे भविए उक्कोसकाल द्वितीएसु रणभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से गं भंते! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागद्वितीएसु, उक्कोसेण वि पलिप्रोस्स असंखेज्जइभागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ३२. ते णं भंते! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? प्रवसेसं तं चैव जाव' बंधो ॥ ३३. से णं भंते ! पज्जत्तायसण्णिवंचिदियतिरिक्खजोगिए उक्कोसकालद्वितीयरयणप्पभापुढविनेरइए, पुणरवि पज्जत्ता' ग्रसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवरगहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं पलिश्रवमस्स असंखेज्जइभाग अंतोमुहुत्तमम्भहियं उक्कोसेणं पलिश्रवमस्स असंखेज्जइभागं पुव्वको डिमन्भहियं एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३|| ३४. जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से गं भंते ! केवतियकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? १. भ० २४।८-२६ । २. सं० पापज्जत्ताप्रसणि जाव गतिरागति । ३. भ० २४/८ - २६ । ४. सं० पा०- पज्जता जाव करेज्जा । ५. पुव्वकोडिअमहियं ( अ, क, ख, ब, म, स ) । Page #910 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) गोयमा ! जहणेणं दसवाससहस्सद्वितीएमु, उक्कोसेणं पलिप्रोवमस्स असंखेज्जइ भागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ३५. ते णं भंते ! जोवा एगसमाएणं केवतिया उक्वज्जति ? सेमं न चेव, नवर इमाइं तिण्णि नाणताई-आउं, अज्झवसाणा, अणुबंधो य । जहणणं ठिती अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ३६. तेसि णं भले ! जीवाणं केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ? गोयमा! असंखेज्जा अज्झवसाणा पणत्ता ।। ३७. ते णं भंते ! कि पमत्था ? अप्पसत्था ? गोयमा ! नो पसन्था, अप्पसत्था अणुबंधो अंतोमुहत्तं, सेसं तं चेव ।। ३८. से णं भंते ! जहणणकालद्वितीयपज्जलाअसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए रयण प्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा? गोयमा ! भवादेमेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणणं दसवाससहस्साई अंतोमुत्तमभहियाई, उक्कोमेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं अंतोमुहुत्त. महियं, एवतियं कालं मेवेज्जा, 'एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ४॥ ३६. जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताग्रस पिणापंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहण्णकालद्वितीएम रयणप्पभापुढविने रइएमु उबवज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्विती एसु उववज्जेज्जा ॥ ४०, ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सेसं तं चेव, ताई चेव तिणि नाणत्ताई जाव' ..४१. से णं भंते ! जहाणकालद्वितीयपज्जत्ता 'अमणिपंचिदियतिरिक्ख जोणिए जहणकाल द्वितीयरयणप्पभापुढविनेरहा पुणरवि जाव गति राग ति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाइं, कालादेसेणं जहणणं दसवाससहस्साई अंनोमुहत्तभन्भहियाइं, उक्कोमेण वि दमवामसहस्साइं अंतोमुत्तमभहियाई, एवतियं काल मेवेज्जा, बतियं कालं गतिरागति • करेज्जा ५॥ ४२. जहाणकालट्टितीयपज्जनाप्रणिपंचिदितिरिक्खजोणिए ण भंते ! जे भविए उक्कोसकालद्वितीएसु रयणप्प भापुढविने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? १. नवरि (ब)। २. भ० २४॥२७॥ ३. जाव (अ, क, ख, ना, व, म. स)। ४. भ० २४१५-२६, ३५-३७ । ५. सं० पा०--पज्जत्ता जाव जोगिए। ६. सं० पा०-सेवेज्जा जाव करेज्जा । Page #911 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५० भगवई गोयमा ! जहण्णेणं पलिप्रोवमस्स असंखेज्जइभागद्वितीएसु, उक्कोसेण वि पलि प्रोवमस्स असंखेज्जइभागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ४३. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं तं चेव, ताई चेव तिणि नाणत्ताई जाव'४४. से णं भंते ! जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए उक्कोस कालद्वितीयरयणप्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा? गोयमा! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं अंतोमुत्तमभहियं, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं अंतो मुहत्तमभहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा६॥ ४५. उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताअसमिचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितोएसू उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेज्जइ भागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ४६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं जहेव प्रोहिय गमएणं तहेव अणुगंतव्वं, नवरं-इमाई दोणि नाणत्ताई-ठिती जहण्णणं पृथ्वकोडी, उक्कोसेण वि पव्वकोडी । एवं अणबंधो वि। अबसेसं तं चेव । से णं भंते ! उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताग्रसणिपंचिदियतिरिक्ख जोगिए' रय. णप्पभाए जाव' गतिरागर्ति करेज्जा? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणणं पुवकोडी दसहि वाससहस्सेहि अन्भहिया, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभाग पुवकोडीए अभहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७॥ ४८. उक्कोसकालट्टितोयपज्जत्तानसणिपचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहण्णकालद्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितोएसु" उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। १. भ० २४१८-२६, ३५-३७ । ७. असण्णि जाव तिरिवखजोणिए (, क, २. भ० २४२७ । ख, ता, ब, भ, स)। ३. सं० पा०-काल जाव करेज्जा । ८. भ०२४।२७। ४. काल जाब (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६. सं० पा०--एवलियं जाव करेज्जा। ५. असंखेज्जइ जाव (अ. क, ख, ता, ब, म, स) १०. केवति जाब (अ, क. ख, ता, व, म, स)। ६. भ. २४१८-२६ Page #912 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) ८५१ ४६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सेसं तं चेव, जहा सत्तम गमए जाव..... ५०. से णं भंते ! उनकोसकालद्वितीयपज्जत्ताप्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खोणिए' जहण्णकाल द्वितीयारयणप्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेमेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णणं पुवकोडी दसहि वाससहस्मेहि अन्भहिया, उक्कोसेण वि पुवकोडी दसहि वाससहस्सेहि अभ हिया, एतियं कालं मेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ८॥ ५१. उक्कोसकालद्वितीयपज्जनाअमणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए' णं भंते ! जे भविए उक्कोसकाल द्वितोपर रयणप्पभापुढविने रइएस उवज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएम उयवज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागद्वितीएसु, उक्कोमेण वि पलि ग्रोवमस्म असंखेज्जइभागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ५२. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? सेसं जहा सत्तमगमए से णं भंते ! उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्तानसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए' उक्कोसकाल द्वितीय रयणप्पभाए जाब गतिरागति करेज्जा? गोयमा ! भवादेरोणं दो भवग्गणाई, कालादेसेणं जहणेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पूवकोडीए अहिर, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमस्स असंबेज्जइभागं पुव्बकोडीए अभहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, 'एवतिय कालं गतिरागति करेज्जा ६ । एवं गते श्रोहिया तिष्णि गमगा, जहण्णकालाद्वितीएसु तिण्णि गमगा, उक्कोसकालट्टिनीएम तिण्णि गमगा, सब्बेते नब गमगा भवंति ।। ५४. जइ सण्णिपंचिदियतिरिक्खजाणिएहितो उपवज्जति कि सज्जवासाउयसण्णि पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो" उववज्जति ? असंखेज्जवासाउयसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? १ भ० २४।४६ । ७. काल जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. ० दिनीय जाय तिरिख मोरिहा (अ, क, ८, भ० २४१४६ । ख, ता, ब, ग, स)। ६. पज्जत्ता जाव तिरिक्ख जोणिए (प्र, क, ३. भ० २४।२७ । ख. ता, व, म, म)। ४. संपा० एवतियं जाव करेज्जा। १०. भ० २४।२७ । ५. पज्जत्ता जाय तिरिवखजोणिए (अ, क, ११. जात्र (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ख, ता, ब, म, स)। १२. °निरिक्ख जाब (अ, क, ख, ता, ब, म, ६. रयण जाव (अ, क, ख, ता, व, म, स)। स)। Page #913 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५२ भगवई गोयमा ! संखेज्जवासाउयसणिपंचिंदियतिरिवखजोणिएहितो उववज्जति, नो असंखेज्जवासाउय सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिरहितो° उववज्जति ॥ ५५. जइ संखेज्जवासाउयसणि संचिदियतिरिक्ख जोणिएहितो' उववजनि-कि जल चरेहितो उववज्जति ...पुच्छा! गोयमा ! जलचरेहितो उववज्जंति, जहा असणो जाव' पज्जत्तएहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति ।। ५६. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदितिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कतिसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! सत्तसु पुढवीसु उववज्जेज्जा, तं जहा-रयणप्पभाए जाब अहेसत्तमाए। ५७. पज्जत्तसं वेज्जवासाउयसणिपचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभपुढविने र इएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ५८. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? जहेत्र असण्णी ।। ५६. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंघयणी पण्णता ? गोयमा ! छविहसंघयणी पण्णत्ता, तं जहा. बइरोसभनारायसंघयणी, उसभनारायसंघयणी जाव' छेवट्टसंघयणी'। सरीरोगाहणा जहेव असण्णीयं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं ।। तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंठिया पण्णता ? गोयमा ! छव्विहसंठिया पण्णत्ता. तं जहा -- समचउरंसा, निग्गोहा जाव' हुंडा॥ ६१. तसिणं भंते ! जीवाण कति लेस्सानो पण्णत्तायो ? गोयमा ! छल्लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा---कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा। दिट्ठी तिविहा वि । तिष्णि नाणा तिण्णि अण्णाणा भयणाए । जोगो तिविहो वि । सेसं जहा असण्णोणं जाव अणुबंधो, नवरं-पंच समुग्धाया आदिल्लगा। वेदो तिविहो वि, अवसेसं तं चेव जाव १. सं० पा०-असंखेज्जवासा उय जाव उव- ४. भ० २४१८ । वज्जति। ५. ठा०६।३० । २. पचिंदिय जाव (अ, क, ख, ता, व, म, ३. संवट्ट ° (अ, ख, ब, म); छेवट्ट ' (ता) । ७. भ० १४१८१ । ३. भ. २४/४,५ । ८. भ० २४११६-२६ । Page #914 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५३ चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) ६२. से ण भंते ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिचिदियतिरिक्खजोणिए' रयणप्प भाए जाव गतिराति करेज्जा? गोयमा ! भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवगहणाई । कालादेसेणं जहणेशं दसवाससहस्साइं अंतोमुत्तममहियाई, उक्कोसेणं चतारि सागरोवमाई चउहि पुत्रकोडोहि अभहियाई, एवतियं काल से वेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १॥ ६३. पज्जत्तसंखेज्जवासा उयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! • जे भविए जहण्णकाल द्वितीए सु रयणप्पभापुढविनेरइएम उववज्जित्तए °, से णं भंते ! केवतियकालट्टितीएस उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहणणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्विती एस् उववज्जेज्जा। ६४. ते णं भंते ! जीवा एगसमरणं केवतिया उववज्जति? एवं सो चेव पढमो गमग्रो निरवसेसो भाणियब्बो जाव' कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुत्तममहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीयो चत्तालीसाए वाससहस्मेहि अमहियानो, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २॥ ६५. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीए सु उववण्णो जहणणं सागरोवमद्वितीएसु, उक्कोसेण वि सागरोवमद्वितीएम उववज्जेज्जा । अवसेसो परिमाणादीनो भवादेसपज्ज. वसाणो सो चेव पढमगमो नेयव्वो जाव' कालादेसेणं जहण्णेणं सागरोवम अंतोमुत्तमभहिय, उक्कोसे चत्तारि सागरोवमाई चउहि पुवकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३ ॥ ६६. जहण्णकालद्वितीयपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्प भपुढविनेरइएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा।। ६७. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसो सो चेव गमयो, नवरं –इमाइं अट्ठ नाणत्ताई-१. सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असखेज्जइभाग, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं २. लेस्सायो तिण्णि आदिल्लामो ३. नो १. °वासाउय जाव तिरिक्सजोणिए (अ, क, ४. भ० २४१५८-६२ । ख, ता, ब, म, स)। ५. भ० २४१५७-६२ । २. सं० पा०-~-पज्जत्तसंखेज्ज जाव जे । ६. ° पुढवि जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा०-जहणकाल जाव से। Page #915 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५४ भगवई सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्ठी ४. नो नाणी, दो अण्णाणा नियम ५. समुग्घाया आदिल्ला तिणि ६. पाउं ७. अज्झवसाणा ८. अणुबंधो य जहेव असण्णीणं । अवसेसं जहा पढमगमए जाव' कालादेसेणं जहाणेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई, उक्कोसे चत्तारि सागरोवमाई चहिं अंतोमुत्तेहिं अभिहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरा गति करेज्जा ४॥ ६८. सो वेव जहष्णकालद्वितीएसु उबवणो जहणणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्वितीएस उववज्जेज्जा ।। ६६. ते णं भंते ! जीवा एगममएणां केवनिया उववज्जति ? एवं सो चेव च उत्थो गमयो निरवसेसो भाणियबो जाव कालादेमेणं जहणणं दसवाससहस्साइं अंलोमुत्तममहियाई, उक्कोसेणं चत्तालीस वाससहस्साइं च उर्हि अंतोमुहत्तेहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ५॥ ७०. सो चेव उक्कोसकालट्टिनीएम उववण्णो जहणणं सागरोवमद्वितीएम, उक्को सेण वि सागरोवम द्वितीएस उववज्जेज्जा ॥ ७१. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववति ? एवं सो चेव च उत्थो गमनो निरवसेसो भाणियव्वो जाव' कालादेसेणं जहणेणं सागरोवमं अंतोमुत्तमन्भहियं, उक्कोसेण चत्तारि सागरोवमाइं च उहि अंतोमुत्तेहि अमहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गति रागति करेज्जा ६।। ७२. उकासकालदितोयपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणि ण भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति. कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ! गोयमा ! जहएणणं दसवाससहस्सद्वितीएस, उनकोसेणं सागरोत्रमट्टि तीएसु उवबज्जेज्जा ॥ ७३. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसो परिमाणादीनो भवादेसपज्जवसाणो सो चेव पढमगमत्रो नेयम्बो, नवरं --ठिती जहण्णेणं पुब्बकोडी, उस्कोसेण वि पुवकोडी। एवं अणुबंधो वि, सेसं तं चेव । कालादेसेणं जहरेणं पुव्वकोडी दसहि वारासहस्सेहि अमहिया, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं पुवकोडीहिं अब्भहिया ई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७॥ १. भ० २४१५८-६२ । २. भ. २४१६७ । ३. भ० २४।६७ 1 ४. ०वासाउय जाव तिरिक्खजोणिए (अ, क, ___ख, ता, ब, म, स)। ५. एएसि (प्र, क, ख, ता ब, स)। ६. भ० २४१५८-६२ । Page #916 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीस इमं सतं (पढ़मो उद्देसो) ८५५ ७४. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उबवण्णो जहण्णणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, __उक्कोमेण वि दसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।।। ७५. ते ण भते ! जोवा एगसमरण केवतिया उववज्जति ? सो चेव सत्तमो गमग्रो निरवसेसो भाणियव्यो जाव' भवादेसो ति। कालादेसेणं जहणणं पूवकोडी दसहि वाससहस्सेहि अमहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुबकोडीनो चत्तालीसाए वाससहस्से हि अब्भहियाओ, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ८ ॥ ७६. उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोगिए' णं भंते ! जे भविए उक्कोसकालद्वितीएसु' रयणप्पभापुढविने रइएसु° उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण वि सागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ७७. ते ण भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सो चेव सत्तमगमत्रो निरव मेसो भाणियव्यो जाब भवादेसो त्ति। कालादेसेणं जहणेणं सागरोवमं पुवकोंडीए अब्भयिं, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहि पुवकोडीहिं प्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागात करेजा है। एवं एते नव गमका । उक्खेव-निक्खेवयो नवसु वि जहेव असण्गीण ॥ ७८. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियति रिवखजोणिए णं भंते ! जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए ने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा! जहण्णेणं सागरोबमट्टितीएसु, उक्कोसेणं तिसागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ७६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव रयणप्पभाए उववज्जंतगस्स लद्धी सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहणणं सागरोवमं अंतोमुत्तमब्भहियं, उक्कोसेणं बारस सागरोवमाई चउहि पुवकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गीतरागात करज्जा। एव रयणप्पभपढावगमसारसा नव वि गमगा भाणियव्वा, नवरं-सव्वगमएसु वि नेरइयट्टिती-संवेहेसु सागरोवमा भाणियव्वा, एवं जाव छट्टपुढवि त्ति, नवरं--नेरइयठिई जा जत्थ पुढवीए जहण्णुक्कोसिया सा तेणं १. भ० २४.७३। ४. भ० २४१७३। २. पज्जत्त जाव तिरिक्खजोरिणए (अ, क, ५. असंज्ञि-प्रकरणं ४ सूत्रात् ५३ पर्यन्तं विद्यते। ख, ता, ब, म, स)। ६. भ० २४१५८-६२ । ३. सं० पा०-उक्कोसकालद्वितीएसु जाव उववज्जित्तए। Page #917 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई चैव कमेणं चउगुणा कायव्वा । वालुयप्पभाए पुढवीए अट्ठावीस सागरोव माई चउगुणिया भवति, पंकप्पभाए चत्तालीस, धूमप्पभाए अर्सा, तमाए अट्ठासीई । संघयणाई वालुयप्पभाए पंचचिहसंघयणी, तं जहा वइरोसह्ना रायसंघयणी जाव' खीलियासंघयणी, पंकप्पभाए चउव्विहसंघयणी, धूमप्पभाए तिविसंघयणी, तमाए दुविहसंघयणी, तं जहा वइरोसमनारायसंघयणी य उसभनारायरांत्रयणी य, सेसं तं चैव ॥ ८०. पज्जत्तसंखेज्जत्रासाउयसष्णिपंचिदियतिरिक्खजोगिए णं भंते ! जे भविए सत्तमाएं पुढवीए नेरखासु उववज्जित्तए, मे णं भंते! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? ८५६ गोयमा ! जहणणं वाबीससागरीवमद्वितीएस, उक्कोसेणं तेत्तीससागरोवमद्वितीसु उववज्जेज्जा ॥ ८१. ते पं अंते ! जीवा एगसमरणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव रयणसभाए नव गमका, द्वीवि सच्चेव, नवरं वइरोसभनारायसंघयणो । इत्थवेदगा न उवज्जति, रोसन ने जाव' यणुबंधोति । संवेहो भवादेसेणं जहणे‍ तिष्णि भवग्गणाई, उक्काणं सत्त भवग्गहणाई | कालादेसेणं जणेणं बावीसं सागरोमाई दोहि श्रतो मुहुतेहि श्रभहियाई, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाई चाहिं पुव्यकोडीह ग्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ।। ८२. सो चेव जहणकालद्वतीएस उववण्णो, सच्चेव वत्तव्त्रया जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहणेणं कालादेसो वि तहेव जाव' चउहि पुत्र्वकोडीहिं ग्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २ ॥ ८३. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएस उववण्णो, सच्चेव लद्वी जाव' ग्रणुबंधोति । भवादेसेणं जहणेणं तिष्णि भवग्गहणाई, उक्कोसेणं पंच भवरगहणारं । कालादेसेणं जहणेणं तेत्तीसं सागरीव भाई दोहि तोमुहुतेहिं प्रभहियाई, उक्कोसेणं छाव सागरोवमाई तिहि पुन्त्रकोडीहि ग्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३ || ८४. सो चेव अप्पा जणकालट्टिती जायो, सच्चेव रयणप्पभपुढ वजहण कालद्वितीयवत्तव्या नाणियव्वा जाव" भवादेसो त्ति, नवरं - पढमं संघयणं, नो इत्थवेदगा । भवादेसेणं जहणणेणं तिष्णि भवग्गहणाई, उक्कोसेणं सत्त भवग्गह १. ठा० ६।३० । २. कोलिया ( अ ) । o ३. • वासाउय जाव तिरिक्खजोणिए ( अ, क, ख, ता, व, म, स) 1 ४. भ० २४,५८-६२ । ५. भ० २४/६३, ६४ । ६. भ० २४/६५ । ७. भ० २४,६६,६७ Page #918 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) ८५७ णाई। कालादेमेणं जहाणेणं वावीसं सागरोवमाई दोहि अंतोमुहत्तेहिं अभहियाइ, उक्कोमेणं छाबट्टि सागरोवमाइं चहि अंतोमुहुत्तेहि नभहियाई, पवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ४ ।। ८५. सो चव जहण्णकालट्टितीए उबवण्यो, एवं सो चेव च उत्थो गमयो निरवसेसो भाणियव्वो जाव' कालादेसो त्ति ५ ॥ ८६. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव लद्धी जाव' अणुबंधो त्ति । भवा देसेणं जहणेणं तिणि भवग्गहणाई, उक्कोमेणं पंच भवाहणाई, कालादेसेण जहणणं तेत्तीस सागरोवमाई दोहिं अंतोमुहहि अमहियाई, उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं तिहिं अंतोमुत्तेहि अमहियाई, पवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ६ ॥ ८७. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जहणणं बावीससागरोवमद्वितीएस, उक्कोसेणं तेत्तीससागरोवमद्वितीएस उववज्जेज्जा। ८८. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवमंसा सच्चेव सत्तमपुढविपढमगमवत्तव्वया भाणियब्वा जाव' भवादेसो ति, नबरं-ठिती अणुबंधो य जहणणं पुवकोडी, उक्कोसण वि पुवकोडी, सेस तं चेव । कालादेसेणं जहणणं बावोसं सागरोवमाई दोहि पुवकोडीहि अहियाई, उक्कोसेण' छावदि सागरोवमाई चहि पब्बकोडीहि अमहियाई, एतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७ ।। ८६. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववणो, सच्चेव लद्धी संवेहो वि तहेव सत्तम गमगसरिसो ८॥ ६.०, सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो, 'एस चेव'' लद्धो जाव' अणुबंधो त्ति। भवादेसेणं जहणणं तिणि भवग्गणाई, उक्कोसणं पंच वग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं तेत्तीस सागरोवमाइं दोहि पुवकोडीहि अमहियाई, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाइं तिहि पुवकोडोहि अव्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ६ ॥ ६१. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति-कि सणिमणुस्सेहिंतो उववज्जति ? असण्णि मणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा ! सण्णिमणुस्से हितो उववज्जति, नो असपिणमणुर से हितो उववज्जंति ।। ६२. जइ सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति-कि संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से हितो १. भ० २४१८४॥ २. भ० २४१८४। ३. भ० २४८१। ४. भ०२४।८७,८८ । ५. एवं सच्चेव (अ)। ६. भ० २४८७,८८ । Page #919 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५५ भगवई १४. उववज्जति ? असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो' उववज्जति ? गोयमा ! संखज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, नो असंखज्जवासा उयसण्णिमणस्सेहितो उववज्जति ।। ६३. जइ संखेज्जवासाउयसणिमगुस्सहिंतो उववज्जति कि पज्जत्तसंखेज्जवासा उयसमिणमणुस्से हितो उववज्जति ? अपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उपवज्जति? गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसमिणुस्सेहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तसंखेज्जबासाउयसणिमणुस्सेहितो उववज्जति ।। पज्जत्तसंख,ज्जवासाउयसणिमणुस्से ण भंते ! जे भविए नेर इएसु उववज्जित्ता, से णं भंते ! कतिसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! सत्तसु पुढवोसु उववज्जेज्जा, तं जहा - रयणप्पभाए जाव अहेसत्त माए।। ६५. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसणिमणुस्से णं भंते ! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए ने र इएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणेणं दसवाससहसद्वितीएसु, उनकोसेणं सागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ६६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा ! जहाणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । संघयणा छ, सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलपुहत्त, उक्कोसेणं पंचधणुसयाइं। एवं सेसं जहा सणिपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं जाव' भवादेसो त्ति, नवरं चत्तारि नाणा तिण्णि अण्णाणा भयणाए । छ समुग्धाया केवलिवज्जा। ठिती अणवंधो य जहणणं मासपुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडो, सेसं तं चेव । कालादेसेणं जगणं दसवाससहस्साई मासपुह्त्तमभहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि पुबकोडीहि अमहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागोत करेज्जा १॥ सो चेव जहष्णकालद्वितीएम उववण्णो, एस चेव वत्तव्यया, नवरं । कालादेसणं जहण्णेणं दसवाससहस्साइं मासपुहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीनो चत्तालीसाए वाससहस्सेहि अब्भहियारो, एवतियं कालं से वेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा २।। १. असंखेज्ज जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. असंखेज्जवासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. संखेज्जवासाउय जाव (अ, क, ख, ता, क, म, स)। ४. भ० २४१५६-६२। Page #920 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइमं तं ( पढमो उद्देसो) ६८. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएस उबवण्णो, एस चैव वत्तब्वया, नवरं - कालादेसेणं जहणणेणं सागरोवमं मासपुहतमन्भहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई उहि पुत्रकोडीहि ग्रमहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३ || ६६. सो चेव पणा जहणकालद्वितीओ जाम्रो, एस चैव वत्तव्वया, नवरं - इमाई पंच नाणत्ताई - १. सरोरोगाहणा जहणेणं अंगुल हत्तं, उक्कोसेण वि अंगुलपुत्तं २. तिणि नाणा तिग्णि ग्रण्णाणाई भयणाए ३. पंच समुग्धाया आदिल्ला ४, ५. ठिती अणुबंधो य जहणेणं मासपुहत्तं, उनकोसेण वि मासपुहुत्त सेस तं चैव जाव' भवादेसोत्ति । कालादेसेणं जहणेणं दसवाससहस्साई मासपुहुत्तममहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि मासपुहते ह हियाई एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ४ || १००. सो चेव जण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया चउत्थगमगसरिसा, नवरं -- कालादेसेणं जहृष्णेणं दसवास सहस्साई मासपुहत्तमव्भहियाई, उक्कोसेणं चत्तालीसं वाससहस्साई चउहि मासपुहतेहि ग्रन्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ५ || १०१. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चैव गमगो, नवरं - कालादेसेणं जहणेणं सागरोवमं मासपुहत्तमव्भहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई उमासहतेहि महियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरात रेज्जा ६॥ १०२. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, सो चेव पढमगमत्रो नेयव्वो', नवरं -- सरीरोगाहणा जहणेणं पंचधणुसयाई, उक्कोसेण वि पंचधणुसयाई । ठिती होणं पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी | एवं ऋणुबंधो वि । कालादेसेणं जहणेणं पुत्रकोडी दसहिं वाससहस्संहिं ग्रव्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि पुब्वकोडीहिं प्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७॥ १०३. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव सत्तमगमगवत्तव्वया', नवरंकालादेसेणं जहणणं पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि प्रभहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडी चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं प्रभहियाओ एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ८ १०४. सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववण्णो, सच्चेव सत्तमगमग वत्तव्वया, नवरं १. भ० २४/६५, ६६ । २. भ० २४।६६ । ८५६ ३. भ० २४४६५, ६६ । ४. भ० २४ । १०२ । Page #921 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० भगवई कालादेसेणं जहणणं सागरोवमं पुव्वकोडीए अब्भहियं, उक्कोसणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं पुवकोडीहि नभहियाई, एवतियं काल से वेज्जा, एवतिय कालं गतिरागति करेज्जा ह॥ १०५. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसणिमणुस्से णं भंते ! जे भविए सक्करप्पभाए पुढ वीए नेरासु उबवज्जित्तए, से णं भंते ! केतिकालट्टितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहणेण सागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेणं तिसागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा।। १०६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सो चेव रयणप्पभपुढवि गमयो नेयम्बो, नवरं–सरीरोगाहणा जहणणं रणिपुहत्तं, उक्कोसेणं पंचधणुसयाई ! ठिती जहणणं वासपुहनं, उक्कोसेणं पुवकोडी । एवं अणुबंधो वि । सेसं तं चेव जाव' भवादेसो त्ति ! कालादेसेणं जहण्णणं सागरोवमं वासपुहत्तमभहियं, उक्कोसणं वारस सागरोवभाई चउहि पुवकोडोहि अमहियाई, एवतियं काल सवेज्जा, एवतियं काल गतिराति करेज्जा । एवं एसा प्रोहिएसु तिमु गमएसु मणूसस्स लद्धी, नाणत्तं . नेरइट्ठिति' कालादेसणं संवेहं च जाणज्जा १-३॥ १०७. सो चव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएम एस चेव लद्धो, नवरं–सरीरोगाणा जहणेणं रयणिपुहत्तं, उक्कोसण वि रयणिपहत्तं । ठिती जहण्णणं वासपुहत्तं, उक्कोसेण वि वासपहत्तं । एवं अणुबंधो वि । सेसं जहां ओहियाणं । संवेहो उवजुजिऊण भाणियवो ४-६।। १०८. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीओ जानो। तस्स वि तिसु वि गमएस इम नाणत्तं—सरीरोगाहणा जपणेण पंचधणु सयाई, उवकासेण वि पंचधणुसयाई। ठिती जहणणं पुत्वकोडी, उक्कोसेण वि पुटवकोडी। एवं अणुबंधो वि। सेस जहा पढमगमय, नवरं--ने रइयठिई कायसंबई च जाणज्जा ७-६ । एवं जाव छटपढवी, नवरं--तच्चाए प्राढवेत्ता एक्केक्क संघयण परिहायति जहेव तिरि क्खजोणियाणं । कालादेसो वि तहेव, नवरं-मणुस्सद्विती जाणियन्वा' ।। १०६. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए अहेसत्तमाए पुढवीए ने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? १. नेरइएसु जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. केवति जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. भ० २४४६६ । ४. ०ट्टिती (म, क, ख, ता, ब, म, स)। ५. भ० २४११०५,१०६ । ६. भ. २४११०५,१०६ । ७. भाणियन्वा (क, म)। Page #922 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइमं सतं (बीओ उद्देसो) गोयमा ! जहणेणं वावीससागरोवमद्वितीएसु, उक्कोसेणं तेत्तीससागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा !! ११०. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? अवसेसो सो चैत्र सक्करप्पभापुढविगमओ नेयव्वो, नवरं - पढमं संघयणं, इत्थवेदगा न उववज्जंति, सेसं तं चेव जाव' ग्रणुबंधो त्ति । भवादेसेणं दोभवग्गहणाई । कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोमाई पुव्वको डीए ग्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १|| १११. सो चेव जहणकालद्वितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं तेरइयट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा २ ॥ ११२. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएस उववण्णो, एस चैव वत्तव्वया, नवरं - संवेहं च जाणेज्जा ३|| ८६१ ११३. सो चेव श्रप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, तस्स वितिसु वि गमएस एस चैव वत्तव्वया, नवरं सरीरोगाणा जहणेणं रयणिपुहत्तं, उक्कोसेण वि रयणिपुहत्तं । तो जहणंणं वासपुहत्तं, उक्कोसेण वि वासपुत्तं । एवं प्रणुबंधो वि । संवेहो उवजिऊण भाणियको ४-६ ॥ ११४. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएस एस चेव वत्तव्वया, नवरं – सरीरोगाहणा जहण्णेणं पंचधणुसयाई, उक्कोसेण वि पंचबणुसाई | ठिती जहणणं पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । एवं अणुबंधो वि । नवसु वि एते गमएस नेरइयट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा | सव्वत्थ भवगहणाई दोणि जाव नत्रमगमए । कालादेसेणं जहणणं तेत्तीस सागरोवमाई पुब्वकोडीए प्रभहियाई उक्कोसेण वि तेत्तीस सागरोवभाई पुव्वकोडीए ग्रव्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७-६ ।। ११५. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति जाव' विहरइ ॥ बीओ उद्देसो ११६. रायगिहे जाव एवं वयासी --- असुरकुमारा णं भंते! कोहितो उववज्जंति - किं नेरइएहिंतो उववज्जंति ? तिरिक्खजोणिय मणुस्स - देवेहिंतो उववज्जंति ? १. भ० २४।१०६ । २. भ० ११५१ 1 Page #923 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६२ भगवई ___ गोयमा ! नो ने रइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, मणु स्सेहितो उववज्जति, नो देवेहिंतो उववज्जति । एवं जहेव नेरइयउद्देसए जाव'११७. पज्जत्ताग्रसणि चिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं दसवाससहस्सट्टितीएसु, उक्कोसेणं पलिप्रोवमस्स असंखेज्जइ भागद्वितीएमु उववज्जेज्जा ।।। ११८. ते ण भत ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं रयणप्पभागमग सरिसा नव वि गमा भाणियव्वा', नवरं--जाहे अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो भवति ताहे अज्झवसाणा पसत्था, नो अप्पसत्था तिसु वि गमएसु । अवसेसं तं चेव १-६॥ ११६. जइ सणिपंचिदितिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति-कि संखज्जवासाउय सण्णिपंचिदियतिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति? असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववति ? गोयमा ! संखज्जवासाउय जाव उववज्जति, असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जति ।। असंखेज्जवासाउयसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं दसवाससहस्सट्टितोएसु, उक्कोसेणं तिपलिग्रोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा । १२१. ते णं भंते ! जोवा एगममएणं-पुच्छा। गोयमा ! जहणणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । वइरोस भनारायसंघयणी । प्रोगाहणा जहाणेणं धणपुहत्त, उक्कोसेणं छ गाउयाइं । समचउरंससंठिया पण्णत्ता । चत्तारि लेस्साओ आदिल्लायो । नो सम्मदिट्टी, मिच्छादिट्टी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नो नाणी, अण्णाणी, नियम दुअण्णाणी-मतिअण्णाणी सुयअग्णाणी य। जोगो तिविहो वि । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णायो । चत्तारि कसाया। पंच इंदिया। तिणि समुग्घाया आदिल्ला । समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति । वेदणा दुविहा वि -- सायावेदगा, असायावेदगा । वेदो दुविहो वि-इत्थिवेदगा वि पुरिसवेदगा -- ---- ------ १. भ० २४।२-६। ४. वासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म,स) २. भ० २४१८-५३ । ५. समचउरंससंठाणमंठिया (स)। ३. सण्णि जाव (य, क, ख, ता, व, म, स)। ६. आदिल्लगा (अ, क, ब, म, स)। Page #924 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (बीग्रो उद्देसो) वि, नो नपुंसगवेदगा। ठिती जहणणं सातिरेगा पुबकोडो, उक्कोमेणं तिण्णि पलिओवमाइं । अझवसाणा पसत्था वि अप्पसत्था वि । अणुबंधो जहेव ठिती। कायसंवेहो भवादेसेणं दो भवग्रहणाई, कालादेसेणं जहणेणं सातिरेगा पुवकोडो दसहि वाससहस्सेहिं अमहिया, उक्कोसेणं छप्पलिम्रोवमाई, एवतियं कालं सेवेज्जा. एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ॥ १२२. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो-- एस चेव वत्तव्वया, नवरं -असुर कुमारट्रिति संवेहं च जाणेज्जा २ ॥ १२३. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णणं तिपलिग्रोवमट्टितोएसु, उक्कोसेण वि तिपलिप्रोवमट्टितीएसु उववज नेज्जा -एस चेव वत्तव्बया, नवरं . ठिती से जहणेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेण वि तिण्णि पलिग्रोवमाइं। एवं अणुबंधो वि । कालादेसेणं जहण्णेणं छप्पलिग्रोवमाई, उक्कोसेण वि छप्पलिनोवमाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा, सेसं तं व ३॥ १२४. सो चेव अप्पणा जहण्ण कालद्वितोओ जागो जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएस, उक्कोसेणं सातिरेगपुवकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा ।। १२५. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं वेवतिया उववज्जति ? अवसेसं तं चेव जाव भवादेसो त्ति, नवरं-योगाहणा जहणणं वणुपुहत्तं, उक्कोसेणं सातिरेगं धणुसहस्सं । ठिती जहण्णेणं सातिरेगा पुबकोडी, उक्कोसेण वि सातिरेगा पुवकोडी। एवं अणुवंधो वि । कालादेसेणं जहण्णेणं सातिरेगा पुवकोडी दसहि वाससहस्पेहि अमहिया, उक्कोसेणं सातिरेगानो दो पुवकोडीओ, एवतियं काल संवेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा ४ ।। १२६. सो चेव जहण्णकालद्वितोएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्यया, नवरं असुर कुमारट्टिइं संवेहं च जागेज्जा ५॥ १२७. सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो जहाणेणं सातिरेगपुवकोडियाउएस, उक्कोसण वि सातिरेगपुवकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा, सेसं तं चेव, नवरंकालादेसेणं जहण्णणं सातिरेगानो दो पुयकोडीओ, उक्कोसेण वि सातिरेगाग्रो दो पुवकोडीओ, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा ६।। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, सो चेव पढमगमगो भाणियव्वो, नवरं-ठिती जहण्णण तिणि पालनावमाई, उक्कोसण वि तिण्णि पलिग्रोव माइं। एवं अणुबंधो वि । कालादेसेणं जहण्णेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं दसहिं वाससहस्सेहिं अमहियाई, उक्कोसेणं छ पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७ ।। १२८. १. चेव अप्पणा (अ, क, ख, ता, व, म)। २. भ० २४।१२०,१२१ । Page #925 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १२६. सो चेव जहण्णकालट्टितीएम उबवण्णो, एस चैव वत्तब्बया, नवरं-असुर कुमारद्विति मवेहं च जाणेजा ८ ॥ १३०. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएम उक्त्रण्णो जहणेणं तिपलिग्रोवमाई, उक्कोसेण वि तिपलियो वभाई, सन्नेव बत्तब्धया, नवरं--कालादेसेणं जहण्णणं छापलिओवमाइं, उक्कोसेण वि छप्पलियोकमाई, एवतियं कालं संवेज्जा, एवतियं कालं गति रागति करेज्जा ६॥ १३१. जइ संज्जवासाउयसणिचिदियनिरिक्खजोणिहितो उववज्जति --कि जलचरेहितो उपवज्जति ? एवं जाय'...१३२. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयमणिपचिदियतिरिवखजोणिए ण भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तार, से णं भते ! केवति काल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं दसवाससहस्सद्वितीएस, उक्कोमेणं सातिरंगसागरोवमद्वितीएस उववज्जेज्जा ।। ते णं भंते ! जीवा एगसमाणं केवलिया उबवज्जति ? एवं एतेसिं रयणप्पभपुढविगमगसरिसा नव गमगा नेयव्या, नवरं जाहे अप्पणा जपण कालद्वितीयो भवइ ताहे तिसु वि गमएसु, इमं नाणत--चत्तारि लेस्साम्रो, अज्झवसाणा पसत्था, नो अप्पसत्था। सेसं तं चेव । संवेहो सातिरेगेण सागरोवमेण कायब्वो १-१ ।। १३४. जइ मणुरोहितो उववज्जति--कि सणिमणुस्सेहितो उववज्जति ? असण्णि मणस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो उववजति, नो असणिमणुस्सेहितो उववज्जति ।। १३५. जइ सणिमणुरोहितो उववजनि---कि संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? असंखज्जवासाउयसणिमणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा ! मुखज्जवासाउयसणिमणुस्संहितो' उववज्जति, 'असंखेज्जवासाउयसणिमणुस्सेहितो वि" उववज्जति ।। - असंखेज्जवासाउयसमिणमणुस्से णं भंते ! जे भविर असुरकुमारेसु उववज्जित्तए से ण भंते ! केवतिकालद्वितीएम उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णण दसवाससहस्सद्वितोएम, उक्कोसणं तिपलिनोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा। एवं असंखेज्जवासाउयतिरिक्खजोणियसरिसा आदिल्ला तिणि गमगा नेयव्वा, नवर- सरीरोगाहणा पढमवितिएस गमएसु जहण्णेणं सातिरेगाइं पंचधणुसयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई, सेसं तं चेव । तइयगमे प्रोगा ४. वासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, १. भ० २४१४,५। २. भ० २४१५८-931 ३. ०वासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म,स) Page #926 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउबीसइमं सतं (तइयो उद्देसो) ८६५ हणा जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाई। सेसं जहेव तिरिक्खजोणियाणं १-३ ॥ १३७. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जानो, तस्स वि जहण्णकालद्वितीयतिरि क्खजोणियसरिसा तिणि गमगा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा तिसु वि गमएसु जहण्णेणं सातिरेगाइं पंचधणुसयाई, उक्कोसेण वि सातिरेगाइं पंचधणु सयाई । सेसं तं चेव ४-६ ।। १३८. सो चेव अध्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, तस्स वि ते चेव पच्छिल्ला तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा तिसु वि गमएसु जहाणेणं तिण्णि गाउयाई, उक्कोसेण वि तिष्णि गाउयाई । अवसेसं तं चेव ७-६ ।। १३६. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति--कि पज्जत्तासंखेज्जवासा उयसण्णिमणुस्से हितो उववज्जति ? अपज्जत्तासंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति? गोयमा ! पज्जत्तासंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जंति, नो अपज्जतासंग्वेज्जवासाउयस णिमणुस्सेहितो उववज्जति ।। पज्जत्तासंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं सातिरेगसागरोवमट्ठि तीएम उववज्जेज्जा ॥ १४१. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव एतेसिं रयणप्प भाए उववज्जमाणाणं नव गमगा तहेव इह वि नव गमगा भाणियव्वा, नवरं संवेहो सातिरेगेण सागरोवमेण कायव्वो । सेसं तं चेव १-१ ।। १४२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । १४०. तइओ उद्देसो १४३. रायगिहे जाव एवं वयासी -नागकुमाराणं भंते ! करोहिंतो उववज्जति-कि नेरझाहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! नो ने रइएहितो उबवज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति, मणुस्से हितो उववज्जति, नो देवेहिंतो उववज्जति ।। १. पच्छिल्लगा (क, ग्य, ता, स)। २. भ० २४१९६-१०४ । cation International Page #927 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १४४. जइ तिरिक्ख जोणिएहितो.? एवं जहा असुरकुमाराणं वत्तव्वया तहा एतेसि पि जाव' असण्णित्ति १-१ ।। १४५. जइ सग्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति - किं संखेज्जवासाउय? असंखेज्जवासाउय? गोयमा ! संखेज्जवासाउय, असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जति ।। १४६ असंखेज्जबासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नागकुमा रेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं देसूणदुपलिग्रोवमद्विती एसु उववज्जेज्जा ॥ १४७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसो सो चेव असुर कुमारेसु उववज्जमाणस्स गमगो भाणियव्वो जाव' भवादेसो त्ति। कालादेसेणं जहण्णेणं सातिरेगा पुवकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहिया, उक्कोसेणं देसूणाइं पंच पलियोवमाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १॥ १४८, सो चेव जहष्णकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-नागकुमार द्विति संवेहं च जाणेज्जा २॥ १४६. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, तस्स वि एस चेव वत्तव्वया, नवरं--- ठिती जहण्णणं देसूणाई दो पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिप्रोवमाइं। सेसं तं चेव जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णेणं देसूणाइं चत्तारि पलिओवभाइं, उक्कोसेणं देसूणाई पंच पलिअोवमाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३!! १५०. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जानो, तस्स वि तिसु वि गमएसु जहेब असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स जहण्णकालद्वितियस्स तहेव निरवसेसं ४-६ ।। १५१. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, तस्स वि तहेव तिण्णि गमगा जहा असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स, नवरं-नागकुमारद्विति संवेहं च जाणेज्जा। सेसं तं चेव ७-६॥ १५२. जइ संखेज्जवासाउयमणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति--कि पज्ज त्तसंखेज्जवासाउय? अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय०? गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउय, नो अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय ।। १५३. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नाग कुमारेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? ३. भ० २४।१२३ । १. भ० २४.११६-११८ । २. भ० २४११२१ । Page #928 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइम सतं (तइओ उद्देसो) गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिनोवमाइं । एवं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स वत्तव्वया तहेव इह वि नवसु वि गम एसु, नवरं - नागकुमारद्विति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव १-६॥ १५४. जइ भणुस्सेहितो उववज्जति -किं सण्णिमणुस्सेहितो०? असणिमणुस्सेहितो? गोयमा ! सणिमणुस्सेहितो, नो असण्णिमशुस्मेहितो, जहा असुरकुमारेसु उव वज्जमाणस्स जाव१५५. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उववज्जि त्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिमोबमाई । एवं जहेव असंखेज्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं नागकुमारेसु आदिल्ला तिष्णि गमगा तहेव इमस्स वि, नवरं-पढमवितिएमु गमएसु सरीरोगाहणा जहाणेणं सातिरेगाइं पंचधणुसयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई। तइयगमे योगाहणा जहण्णणं देसूणाई दो गाउयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई । सेसं तं चेव १-३॥ १५६. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जानो, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेव निरवसेसं ४-६ ॥ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स चेव उक्कोसकालट्ठितियस्स असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स, नवरं-नागकुमार द्विति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव ७-६ ।। १५८. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति--कि पज्जत्तसंखेज्ज ? अपज्जत्तसंखेज्ज.? गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्ज, नो अपज्जत्तसंखेज्ज ।। १५६. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उववज्जि त्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहाणेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं देसूणदोपलिनोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ! एवं जहेब असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्थ सच्चेव लद्धी निरवसेसा नवसु गमएस, नवरं नागकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा १६ ।। १६०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १. भ० २४४१३५ । २. भ० २४.१४७-१४६। Page #929 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ ४-११ उद्देसा १६१. श्रवसेसा सुवणकुमारादी जाव थणियकुमारा एए अट्ठ वि उद्देसगा जव नागकुमारा तहेव निरवसेसा भाणियव्वा ॥ १६२. सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति ॥ दुवालसमो उद्देसो १६३. पुढविक्काइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति - कि नेरइएहिसो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिय मणुस्स - देवेहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! नो नेरइएहिंतो उववज्जंति, तिरिक्ख जोगिय मणुस्स- देवे हितो' उववज्र्ज्जति ॥ १६४. जइतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति - किं एगिदियतिरिक्खजोगिएहितो एवं जहा वक्कतीए उववाश्रो जाव' १६५. जइ वायरपुढविक्काइए गिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति - किं पज्जत्ताबादर जाव उववज्जति, अपज्जत्ताबादरपुढवि० ? भगवई गोयमा ! पज्जत्ताबादरमुढवि, पज्जत्तावादरपुढवि जाव उववज्जति ॥ १६६. पुढविक्काइए णं भंते! जे भविए पुढविक्काइएस उववज्जित्तए, से गं भंते ! केवतिकालट्ठितीएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं श्रंतो मुहुत्तद्वितीएस, उक्को सेणं बावीसवास सहस्सट्टितीएसु उववज्जेज्जा | १६७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं - पुच्छा । गोयमा ! प्रणुसमयं प्रविरहिया असंखेज्जा उववज्जति । छेवट्टसंघयणी' । सरीरोगाणा जहणेणं अंगुलस्स प्रसंखेज्जइभागं उक्कोसेण वि अंगुलस्स श्रसंखेज्जइभागं । मसूराचंदासंठिया । चत्तारि लेस्सायो | णो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी । नो नाणी, अण्णाणी, दो ग्रण्णाणा नियमं । नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णा । चत्तारि कसाया । एगे फासिदिए पण्णत्ते । तिष्णि समुग्धाया । वेदणा दुवा । नो इत्थवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा । ठिती जहणेणं १. देवहितो वि ( अ ) 1 २. ५० ६ । o ३. सेवट्ट ० ( अ, म ); सेवटु० (क, ख ); छेवटू 0 (ar) 1 Page #930 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (दुवालसमो उद्देसो) अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं। अज्झवसाणा पसत्था वि', अपसत्था वि । अणुबंधो जहा ठिती ।। १६८. से णं भंते ! पुढविक्काइए पुणरवि पुढविकाइएत्ति केवतियं काल सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं असं वेज्जाइं भवग्गहणाइं । कालादेसेणं जहणणं दो अतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं. एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ॥ १६६. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववष्णो जहणेणं अंतो मुहुद्वितीएस, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तद्वितीएस, एवं चेव वत्तव्वया निरवसेसा २ 1! १७०. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उववण्णो बावीसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि वावीसवाससहस्सद्वितीएसु । सेसं तं चैव जाव अणुबंधो त्ति, नवरं --जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जेज्जा। भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्रहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहणणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं 'छावत्तरं वाससयसहस्सं", एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३॥ १७१. सो चेत्र अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जानो, सो चेव पढमिल्लयो गमत्रो भाणियन्वो नवरं-लेस्सायो तिण्णि ! ठिती जहण्णेणं अंतोमुहत्त, 'उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । अप्पसत्था अज्झवसाणा ।अणुबंधो जहा ठिती। सेसं तं चेव ४ ॥ १७२. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो सच्चेव चउत्थगमगवत्तव्वया भाणियव्वा'५॥ १७३. सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं . जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा जाव भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाइं । कालादेसेण जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साइं अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अदासीई वाससहस्साई चउहिं अंतोमुहुत्तेहि अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ६ ॥ १७४. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, एवं तइयगमगसरिसो निरवसेसो भाणियध्वो', नवरं-अप्पणा से ठिई जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साई, उक्कोसेण वि बावीसं वाससहस्साई ७ ॥ १. ४ (ता)। २. छावरि वाससहस्सुत्तरं सयसहस्सं (स)। ३. भ. २४।१६६,१६७ । ४. भ० २४।१७१। ५. भ० २४११७०। Page #931 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७० भगवई १७५. सोवेव जहणकालद्वितीएस उववण्णो जहणणं तोमुहुत्तं, उक्को सेण वि तोमुत्तं । एवं जहा सत्तमगमगो जाव' भवादेसो । कालादेसेणं जहणेणं वावसं वाससहस्साइं अंतोमुहत्तमम्भहियाई, उनकोसेणं श्रट्टासीइं वाससहस्साई उहि तो मुहुत्तेहि ग्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ८ || १७६. सोवेव उनकोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहणेणं वावीसवास सहस्स द्वितीएस, उक्कोरोण faaraीसवास सहस्राद्वितीएस, एस चेव सत्तमगमगवत्तव्वया जाणि या जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहणणं चोयालीस वाससहस्साई, उक्कोसेणं छावत्तरं वासस्यसहस्सं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा | १७७. जइ ग्राउक्काइयएगिदियतिरिक्ख जोणिएहितो उववज्जति - किं सुहुमश्राउ ० बादरयाउ० ? एवं चउक्कशो भेदो भाणियव्वो जहा पुढविक्काइयाणं ॥ १७८. श्राक्काइए णं भंते! जे भविए पुढविक्काइस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवइकालद्वितीय ववज्जेज्जा ? गोमा ! जहणणं तोमुहुत्तट्ठितीएस उक्कोसेणं वावीसवास सहसट्टितीएसु उववज्जज्जा । एवं पुढविक्काइयगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा, नवरं-frgगाविदुराठिए । टिती जगणेणं ग्रंतोमुहुत्त उवकोसेणं सत्त वाससहस्साई | एवं प्रबंध वि । एवं तिसु वि गमसु । टिती संवेहो तइयसत्तममनवमे सु गमएसु-भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं ग्रट्ट भवग्गणाई, सेसेसु चउस गमएस जहणेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं असंखेज्जाई भवग्गहणाई । ततियगमए कालादेसेणं जहणेणं बावीस वाससहस्साई श्रंतो मुहुत्तमन्भहियाई, उक्कणं सोलसुत्तरं वासस्यसहस्य, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । छट्ठे गमए कालादेसेणं जहणणेणं बावीसं वाससहस्साई तोमुहुत्तमम्भहियाई, उनकोसेणं श्रासीति वाससहस्साई चहि अंतमुतेहि अमहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा | सत्तमे गमए कालादेसेणं जहणेणं सत्त वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई, उक्कोमेणं सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । अट्ठमे गमए काला देसेणं जहण्णेणं सत्त वाससहस्साई तो मुहुत्तमम्भहियाई, उनकोसेणं अट्ठावीस वाससहस्साइं चउहि तोमुहुत्ते हि ग्रहिया, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । नवमे गमए भवाद सेणं जहणणेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, १. भ० २४/१७४ | २. भ० २४/१७४ । Page #932 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सत (दुवालसमो उद्देसी) ८७१ कालादेसेणं जहण्णेणं एकूणतीसं वाससहस्साई, उक्कोसेणं सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं नवसु वि गमएस आउक्काइयठिई जाणियब्वा १-६।। १७६. जइ तेउक्काइएहितो उववज्जंति ०? तेउक्काइयाण वि एस चेव वत्तव्वया, नवर–नवसु वि गमएसु तिण्णि लेस्साओ। ते उक्काइया णं सुईकलावसंठिया। ठिई जाणियव्वा । तइयगमए कालादेसेणं जहणणं वावोस वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई वारसहिं राइदिएहिं अमहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं संवेहो उवजुजिऊण भाणियव्वो १-६।। १८०. जइ वाउक्काइएहितो? वाउक्काइयाण वि एवं चेव नव गमगा जहेव तेउक्का इयाण, नवरं-पडागासंठिया पण्णत्ता। संवेहो वाससहस्सेहिं कायब्वो । तइयगमए कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साई अंतोमुहत्तमब्भहियाई, उक्को सेणं एगं वाससयसहस्सं । एवं संवेहो उवजंजिऊण' भाणियचो १-६॥ १८१. जइ वणस्सइकाइएहितो उववज्जति ० ? वणस्सइकाइयाणं अाउकाइयगमग सरिसा नव गमगा भाणियन्वा, नवरं नाणासंठिया। सरीरोगाहणा पढमएस पच्छिल्लएसु य तिसु गमएसु जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, मज्झिल्लएसु तिसु तहेव जहा पुढविकाइयाणं । संवेहो ठिती य जाणियव्वा । तइयगमे कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं अट्ठावीसुत्तरं वाससयसहस्सं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं संवेहो उवजुजिऊण भाणि यव्वो १-६॥ १८२. जइ बेंदिएहितो उववज्जति -किं पज्जत्ताबेंदिएहिंतो उववज्जति ? अपज्जत्ता बदिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तावें दिएहितो उववज्जति, अपज्जत्ताबेंदिएहितो वि उव वज्जति ॥ १८३. बेदिए णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं वावीसवाससहस्सद्वितीएसु ॥ १८४. ते ण भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । छेवट्टसंघयणी । प्रोगाहणा जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्ज इभागं, उक्कोसेणं बारस जोयणाई। हुंडसंठिया। तिणि लेसायो । सम्मदिट्ठी १. उववज्जिऊण (अ, ता, म); उवजंज्जित्तण (क); उवउज्जित्तण (ब) । national Page #933 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७२ भगवई वि, मिच्छादिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। दो नाणा, दो अण्णाणा नियमं । नो मणजोगी, वइजोगी कायजोगी वि । उवयोगो दुविहीं वि। चत्तारि सण्णायो। चत्तारि कसाया। दो इंदिया पण्णता, तं जहा --- जिभिदिए य फासिदिए य। तिणि समग्घाया। सेसं जहा पढविक्काइयाणं. नवरं-ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेगं वारस संवच्छराई। एवं अणुबंधो वि । सेसं तं चेव । भवादेसेणं जहणणं दो भवगहणाई, उक्कोसेणं संखेज्जाइं भवग्गहणाइं। कालादेसेणं जहणणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं संखज्जं कालं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करे ज्जा १॥ १८५. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो एस चेव वत्तव्वया सव्वा २॥ १८६. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएस उववण्णो एस चेव वैदियस्स लद्धी, नवरं-- भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं श्रद भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति बाससहस्साई अडयालीसाए संवच्छरेहिं अभदियाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा ३।। १८७ सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जायो, तस्स वि एस चेव वत्तव्वया तिसु वि गमएसु, नवरं- इमाइं सत्त नाणत्ताई---१. सरीरोगाहणा जहा पुढविकाइयाणं २. नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी ३. दो अण्णाणा नियम ४. नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी ५. ठिती जहणणं अतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वि अंतोमुहुत्तं ६. अज्भवसाणा अपसत्था ७. अणुबंधो जहा ठिती। संवेहो तहेव आदिल्लेसु दोसु गमएसु, तइयगमए भवादेसो तहेव अट्ठ भवगहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई चउहि अंतोमुहत्तेहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ४-६।। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, एयस्स वि ग्रोहियगमगसरिसा तिण्णि गमगा भाणियव्या,' नवरं-तिसु वि गमएसु ठिती जहण्णेणं बारस संवच्छराई, उक्कोसेण वि बारस संवच्छराई। एवं अणुबंधो वि ! भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं उवजुंजिऊण भाणियव्वं जाव नवमे गमए जहण्णणं बावीसं वाससहस्साई बारसहि संवच्छरेहिं अमहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई अडयालीसाए संवच्छरेहि अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७-६।। १८६. जइ तेइंदिएहितो उववज्जंति०? एवं चेव नव गमगा भाणियव्वा, नवरं आदिल्लेसु तिसु वि गमएसु सरीरोगाणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, १. भ० २४।१८४-१०६ । Page #934 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइमं सतं (दुवालसमो उद्देसो) उक्कोसेणं तिष्णि गाउयाई । तिणि इंदियाई । ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं एगूणपन्नं राइदियाई । तइयगमए कालादेसेणं जहणेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई छण्णउयराइं दियसयमब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । मज्झिमा तिष्णि गमगा तहेव, पच्छिमा वि तिष्णि गमगा तहेव, नवरं - ठिती जहणेणं एगूणपन्नं राइंदियाई, उक्कोसेण वि एगुणपन्न इंदियाई | संवेहो उवजुंजिऊण भाणियन्बो १-६ ॥ १६०. जइ चउरिदिएहितो उववज्जंति ० ? एवं चेव चउरिदियाण वि नव गमगा भाणियव्वा, नवरं - एतेसु चेव ठाणेसु नाणत्ता जाणियव्वा । सरीरोगाहणा जहणणं अंगुलम्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई ठिती जहणणं तोमुत्तं उक्कोसेण य छम्मासा | एवं अणुबंधो वि । चत्तारि इंदियाई । सेसं तहेव जाव नवमगमए कालादेसेणं जहणणेणं बावीसं वाससहस्साई छहि मासेहि महियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साइं चउवीसाए मासेहि भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १-६ ॥ १६१. जइ पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति - किं सणिपंचिदियतिरिक्खजोगिए तो उववज्जंति ? असष्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! सणिपंचिदिय, असण्णिपंचिदिय || १९२. जइ असणिपंचिदियतिरिखखजोणिएहितो उववज्जंति - किं जलचरेहितो उववज्जति जाव' किं पज्जत्तएहितो उववज्जंति ? प्रपज्जत्तएहितो उववज्जंति ? गोयमा ! पज्जत्तएहितो वि उववज्जति, अपज्जत्तएहिंतो वि उववज्जति ॥ १६३. असणिपंचिदियतिरिक्खजोगिए णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जि तर, से णं भंते! केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा ? गोमा ! जहणेणं तोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं बावीसवास सहसद्वितीएसु ॥ १६४. ते गं भंते । जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? एवं जहेव बेइंदियस्स हिमए लद्धी हेव, नवरं सरीरोगाहणा जहणेणं अंगुलस्स ग्रसंखेज्जइभागं उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । पंच इंदिया | ठिती अणुबंधो य जहणणं अंतोमुहुत्त उक्कोसेणं पुव्दकोडी । सेसं तं चेव । भवादेसेणं जहणेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई । कालादेसेणं जहणेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीयो अट्ठासीतोए वाससहस्सेहि अन्भहियाओ, १. कोसा (ता) २. छण्णउई ० ( स ) । ८७३ - ३. भ० २४/४,५ । ४. भ० २४।१८४ । Page #935 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७४ भगवई एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । नवसु वि गमएस कायसंवेहो-भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं उवजुजिऊण भाणियव्वं, नवरं-मज्झिमएसुतिसु गमएसु जहेब बेइंदियस्स, पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु जहा एतस्स चेव पढमगमएमु, नवरं ---ठिती अणुबंधो य जहण्णणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी। सेसं तं चेव जाव नवमगमएस-जहण्णेणं पुवकोडी वावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीनो अट्ठासीतीए बाससहस्सेहिं अभहियाओ, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा १-६ ।। १६५. जइ सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति -कि संखेज्जवासाउय ? असंखेज्जवासाउय? गोयमा ! संखेज्जवासाउय, नो असंखेज्जवासाउय । १६६. जइ संखेज्जवासाउय० कि जलयरेहिंतो०? सेसं जहा असण्णीण जाव' -- १९७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहा' रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स सण्णिस्स तहेव इह वि, नवरं-योगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । सेसं तहेव जाव कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीनो अट्ठासोतीए वाससहस्से हिं अब्भहियाग्रो, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागात करेज्जा । एवं संवेहो नवसु वि गमएसु जहा असण्णीणं तहेव निरवसेसो । लद्धी से आदिल्लएसु तिसू वि गमएस एस चेव, मझिल्लएस तिसू वि गमएस एस चेव, नवरंइभाइं नव नाणत्ताई.-- प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं । तिण्णि लेसाप्रो । मिच्छादिट्ठी। दो अण्णाणा। कायजोगी। तिण्णि समुग्धाया । ठिती जहणणेणं अतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं । अप्पसत्था अज्झवसाणा । अणुबंधो जहा ठिती। सेसं तं चेव । पच्छिल्लएसु तिसु वि गमएसु जहेव पढमगमए, नवरं ठिती अणुबंधो य जहण्णेणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी । सेसं तं चेव १-६।। १६८. जइ मणुस्से हिंतो उववज्जति–किं सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? असण्णि मणुस्सेहितो उववज्जति ? । गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहिंतो उववज्जति, असण्णिमणुस्सेहितो वि उववज्जति ।। १६६. असण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एवं जहा असग्गिपंचिदियतिरिक्खजोणि १. भ० २४।१८७। २. भ० २४११६२,१६३ । ३. भ० २४.५८-६२। ४. निरवसेसं (ख, ता, ब)। Page #936 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीस इमं सतं (दुवालसमो उद्देसो) यस्स जहण्णकालट्टितोयस्स तिण्णि गमगा तहा एयस्स वि प्रोहिया तिष्णि गमगा? भाणियन्वा तहेव निरवसेसं १-३। सेसा छ न भण्णंति ।।। २००. जइ सणिमणुस्से हितो उववज्जति--कि संखेज्जवासाउय ०? असंखेज्जवासाउय? गोयमा ! संखेज्जवासाउय. नो असंखेज्जवासाउय।। २०१. जइ संखेज्जवासाउय० किं पज्जत्तासंखेज्जवासाउय० ? अपज्जत्तासंखेज्ज वासाउय०? गोयमा ! पज्जत्तासंखेज्जवासाउय, अपज्जत्तासंखेज्जवासाउय जाव उव वज्जति । २०२. सण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जति ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं बावीसवाससहस्सद्वितीएसु ।। २०३. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स तहेव तिसु वि गमएसु लद्धी, नवरं--प्रोगाहणा जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं पंचधणुसयाई । ठिती जहाणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। एवं अणुबंधो। संवेहो नवसु गमएसु जहेव सण्णिपंचिदियस्स । मझिल्लएसु तिसु गमएसु लद्धी जहेव सण्णिपंचिदियस्स मझिल्लएसु तिसू। सेसं तं चेव निरवसेसं । पच्छिल्ला तिष्णि गमगा जहा एयस्स चेव ग्रोहिया गमगा, नवरं- ओगाहणा जहणणं पंच धणसयाई, उक्कोसेण वि पंच धणुसयाई। ठिती अणुबंधो य जहण्णेण पुव्वकोडी, उवकोसेण वि पुवकोडी। सेसं तहेव' १-६॥ २०४. जइ देवेहितो उववज्जंति-किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमंतरदेवे हितो, जोइसियदेवेहितो, वेमाणियदेवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि उववज्जति जाव वेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति ।। २०५. जइ भवणवासिदेवेहितो उववज्जति–कि असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो उव वजंति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो उववज्जति? गोयमा ! असुरकुमारभवणवासिदेवेहिंतो उववज्जति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो उववज्जति ॥ असुरकुमारेणं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? १. तहेव नवरं पच्छिल्लएसु गमएसु संखेज्जा (ख, ता, ब, म)। उववज्जंति नो असंखेज्जा उववज्जति (अ, Page #937 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७६ भगवई गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं बावीसवाससहस्सद्वितीएसु।। २०७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा ! जहष्णेणं एकको वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति ।। तेसि णं भंते ! जीवाणं सरोरगा किंसंघयणी पण्णता ? गोयमा! छण्हं संघयणाणं असंघयणी जाव परिणमति ।। २०६. तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा ? गोयमा ! दुविहा सरीरोगाहणा' पण्णत्ता, तं जहा--भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेण सत्त रयणीप्रो। तत्थ णं जा सा उत्तरवे उव्विया सा जहणणं अंगलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं ॥ तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंठिया पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा—भवधारणिज्जा य उत्तरवेउब्विया य । तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते समचउरंससंठिया पण्णत्ता। तत्थ णं जे ते उत्तरवेउविया ते नाणासंठिया पण्णत्ता। लेस्सायो चत्तारि । दिट्ठी तिविहा वि । तिष्णि नाणा नियम, तिण्णि अण्णाणा भयणाए । जोगो तिविहो वि । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णाओ। चत्तारि कसाया। पंच इंदिया। पंच समुग्घाया । वेयणा दुविहा वि। इत्थिवेदगा वि पुरिसवेदगा वि, नो नपुंसगवेदगा। ठिती जहण्णेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं सातिरेग सागरोवमं । अज्भवसाणा असंखेज्जा पसत्था वि अप्पसत्था वि । अणुबंधो जहा ठिती। भवादेसेणं दो भवगहणाई, कालादेसेणं जहण्णणं दसवाससहस्साई अंतोमुहत्तमहियाई, उक्कोसेण सातिरेगं सागरोवमं बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भयिं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं नव वि गमा नेयवा, नवरं-मभिल्लएस् पच्छिल्लएस तिसु गमएस असुरकुमाराणं ठिइविसेसो जाणियव्यो, सेसा ओहिया चेव लद्धी कायसंवेहं च जाणज्जा । सव्वत्थ दो भवग्गहणाइं जाव नवमगमए कालादेसेणं जहण्णेणं सातिरेगं सागरोवमं बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, उक्कोसेण वि सातिरेगं सागरोवम बावीसाए वाससहस्सेहिं अभयिं, एवतियं काल से वेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा १-६ ।। १. सं० पा०-पुच्छा। २. भ० ११२४५, २२४ । ३. X (क, ख, ता, म, स)। ४. नाणासंठाणसंठिया (स)। Page #938 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७७ चउबीसइमं सतं (दुवालसमो उद्देसो) २११. गागकुमारेणं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएस०? एस चेव वत्तव्बया जाव' भवादेसो ति, नवरं-- ठिती जहण्णेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिग्रोवमाइं । एवं अणुबंधो वि । कालादेसेणं जहणणं दसवासमहस्साई अंतोमुहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिग्रोवमाई बावीसाए वाससहस्सेहि अमहियाइं । एवं नव वि गमगा असुरकुमारगमगसरिसा, नवरं ...ठिति कालादेसं च जाणेज्जा १-६ । एवं जाव थणियकुमाराणं ।। २१२. जइ वाणमंतरेहितो उववज्जति–कि पिसायवाणमंतरदेवेहितो जाव गंधव्व वाणमंतरदेवेहितो? गोयमा ! पिसायवाणमंतरदेवेहितो जाव गंधव्ववाणमंतरदेवेहितो ।। २१३. वाणमंतरदेवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए० ? एतेसि पि असुरकुमारगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा', नवरं-ठिति कालादेसं च जाणेज्जा ! ठिती जहणेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं पलिओवमं । सेसं तहेव १-६॥ २१४. जइ जोइसियदेवेहितो उववज्जति–कि चंदविमाणजोइसियदेवेहितो उववज्जति जाव ताराविमाणजोइसियदेवेहितो' ? मोयमा ! चंदविमाण जाव ताराविमाण ।। २१५. जोइसियदेवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइसु उववज्जित्तए० ? लद्धी जहा असुरकुमाराणं, नवरं-एगा तेउलेस्सा पण्णत्ता। तिणि नाणा, तिपिण अण्णाणा नियमं । ठिती जहणणं अट्ठभागपलिग्रोवमं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमं वाससयसहस्समभहियं । एवं अणुबंधो वि। कालादेसेण जहणणं अदभागपलिअोवमं अंतोमुहुत्तमभहियं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमं वाससयसहस्सेणं बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं-ठिति कालादेसं च जाणेज्जा १-१।। २१६. जइ वेमाणियदेवेहितो उववज्जति - कि कप्पोवावेमाणियदेवेहितो ? कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो०? गोयमा ! कप्पोवावेमाणियदेवेहितो, नो कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो॥ २१७. जइ कप्पोवावेमाणियदेवेहितो उववज्जति--कि सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवेहितो जाव अच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवेहितो. ? गोयमा ! सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवेहितो ईसाणकप्पोवावेमाणियदेवेहितो, नो सणंकुमार जाव नो अच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवेहितो॥ ३. तारविमाण ° (अ, क, ख, ता, ब, म)। १. भ० २४१२०६-२१० । २. भ० २४।२०६-२१० । Page #939 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७८ भगवई २१८. सोहम्मदेवे पं भंते ! जे भविए पुडविक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा? एवं जहा जोइसियस्स गमगो, नवरं-- ठिती अणुबंधो य जहणणं पलिग्रोवम, उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं । कालासेण जहणणं पलिग्रोवमं अंतोमुत्तमभहियं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं वावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं काल गतिराति करेज्जा । एव ससा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं-ठिति कालादेसं च जाणेज्जा।। २१६. ईसाणदेवे णं भंते ! जे भविए ? एवं ईसाणदेवेण वि नव गमगा भाणियब्वा, नवरं-ठितो अणुबंधो जहणणं सातिरेगं पलिग्रोवमं, उक्कोसेणं सातिरेगाई दो सागरोवमाइं । सेसं तं चेव १-६ ।। २२०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। तेरसमो उद्देसो २२१. प्राउक्काइया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति० ? एवं जहेव पुढविक्काइय उद्देसए जाव'२२२. पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए आउक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं सत्तवाससहस्सट्टितीएसु उववज्जेज्जा । एवं पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो भाणियव्वो', नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तहेव ।। २२३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति !! ३. भ०२४।१६७-२१६ । १. भ० ११५१। २. भ० २४।१६३-१६५ । Page #940 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउदीसइमं सतं (१४-१६ उद्देसा) ८७६ चोद्दसमो उद्देसो २२४. तेउक्काइया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति०? एवं पुढविक्काइयउद्देसग सरिसो उद्देसो भाणियन्वो, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा । देवेहितो न उववज्जति । सेसं तं चेव ।। २२५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। पण्णरसमो उद्देसो २२६. वाउक्काइया णं भंते ! कमोहितो उववज्जंति० ? एवं जहेव तेउक्काइय उद्देसनो तहेव, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा ।। २२७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २२८. सोलसमो उद्देसो वणस्सइकाइया गं भंते ! कमोहितो उववज्जति०? एवं पुढविक्काइयसरिसो उद्देसो, नवरं-जाहे वणस्सइकाइओ वणस्सइकाइएसु उववज्जति ताहे पढमवितिय-च उत्थ-पंचमेसु गमएसु परिमाणं अणुसमयं अविरहियं अणंता उववज्जति । भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अणंताई भवग्गहणाई। कालादेसेणं जपणेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं अणंतं कालं, एवतियं कालं से बेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा। सेसा पंच गमा अट्ठभवग्ग हणिया तहेव, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा ! २२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्तिा १. एवं जहेव (अ, म)। २. उद्देसासरिसो (ता, ब, स)। ३. भ० ११५१। Page #941 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द६० भगवई सत्तरसमो उद्देसो २३०. वेंदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ? जाव'२३१. पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए बेंदिएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? सच्चेव पुढविकाझ्यस्स लद्धी जाव कालादेसेणं जहण्णणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं संखेज्जाई भवग्गहणाई--एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा। एवं तेसु चेव च उसु गमएसु संवेहो, सेसेसु पंचसु तहेव अट्ट भवा । एवं जाव चरिदिएणं समं च उसु संखेज्जा भवा, पंचसु अट्ठ भवा । पंचिदियति रिवखजोणियमणुस्सेसु समं तहेव अट्ठ भवा। देवेसन' उववति । ठिति सवेहं च जाणेज्जा। २३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ अट्ठारसमो उद्देसो २३३. तेइंदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति०? एवं तेइंदियाणं जहेव वेइंदियाण उद्देसो, नवरं---ठिति संवेहं च जाणेज्जा । ते उक्काइएसु समं ततियगमे उक्कोसेणं अछुत्तराई बेराइंदियसयाइं, वेइंदिएहिं समं ततियगमे उक्कोसेणं अडयालोसं संवच्छराई छन्नउयराइंदियसतमब्भहियाई, तेइंदिएहिं समं ततियगमे उक्कोसेणं वाणउयाई तिण्णि राइंदियसयाई। एवं सब्वत्थ जाणेज्जा जाव सण्णिमणुस्स त्ति ।। २३४. सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति ॥ एगूणवीसइमो उद्देसो २३५. चउरिदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? जहा तेइंदियाणं उद्देसनो तहेव चउरिदियाणं वि, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा ।। २३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १. भ० २४११६३-१६५ । २. न चेव (अ, क, म)। Page #942 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसाइमं सतं (वीसइमो उद्देसो) ८८१ वोसइमो उद्देसो २३७. पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? मणुस्सेहितो देवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो, मणुस्सेहितो वि, देवेहितो वि उववज्जति ।। २३८. जइ नेरइएहितो उववज्जति कि रयणप्पभपुढविने र इाहितो उपवज्जति जाव ग्रहेसत्तमपुडविनेरइएहितो उववज्जति ? गोयमा ! रयणप्पभपुढविनेरइएहितो उववज्जति जाव अहेसत्तमपुढविने र इए हितो उयवज्जति ।। २३६. रयणप्पभपुढविने रझा णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएस उवव. ज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडियाउएसु उववज्जेज्जा।। ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ? एवं जहा असुरकुमाराणं बत्तव्वया, नवरं---संघयणे पोग्गला अणिवा अकंता जाब परिणमंति। प्रोगाहणा दविहा पण्णता, तं जहा-... भवधारणिज्जा उत्तरवे उब्बिया य । तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सत्त धणई तिण्णि रयणीग्रो छच्चंगुलाई। तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्यिया सा जहण्णणं अंगलस्स संखेज्जइभाग, उक्कोसेणं पण्णरस धणूइं अड्ढाइज्जायो रय णीग्रो।। २४१. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिया पण्णता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- भवधारणिज्जा य, उत्तरवेउब्विया य । तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते हंडसंठिया पणत्ता । तत्थ गंजे ते उत्तरवेउबिया ते विहंडसंठिया पणत्ता । एगा काओरसा पण्णत्ता । समुग्धाया चत्तारि। नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा। ठिती जहणणं दसवाससहस्साई, उक्कोमेणं सागरोवमं ! एवं अणुबंधो वि। सेम लहेव । वादेशेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई । कालादेसेणं जहणणं दसवाससहस्साई अंतोमहत्तमहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चाहिं पव्वकोडीद्धि वतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १॥ २४०. १. भ. २४।२०७.२०८ । Page #943 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८२ भगवई २४२. सो चेव जहष्णकालद्वितीएसु उववण्णो, जहणेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तद्वितीएसु । अवसेसं तहेव, नवरं--कालादेसेणं जहण्णेणं तहेव, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहिं अंतोमुत्तेहिं अभहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ! एवं सेसा वि सत्त गमगा भाणियव्वा जहेव नेरइयउद्देसए सण्णिपंचिदिएहिं समं । नेरइयाणं 'मज्झिमएस तिस गमएस पच्छिमएस य तिस गमएस ठितिनाणत्तं भवति । सेसं तं चेव । सव्वत्थ ठिति संवेहं च जाणेज्जा २-६ ॥ २४३. सक्करप्पभापुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उवव ज्जित्तए० ? एवं जहा रयणप्पभाए नव गमगा तहेव सक्करप्पभाए वि, नवरं -- सरीरोगाणा जहा ओगाहणसंठाणे'। तिणि नाणा तिण्णि अण्णाणा नियमं । ठिती अणुबंधा पुव्व भणिया । एवं नव वि गमगा उवजुजिऊण भाणियव्वा १-६। एवं जाव छठ्ठपुढवी, नवरं--प्रोगाहणा-लेस्सा-ठिति-अणुबंधा संवेहो य जाणियव्वा । अहेसत्तमपुढवीनेरइए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जितए० ? एवं चेव नव गमगा, नवरं-ओगाहणा-लेस्सा-ठिति-अणुबंधा जाणियव्वा । संवेहो भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवगणाई, उक्कोसेणं छब्भवम्गहणाई। कालादेसेणं जहणणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमभहियाई उक्को सेणं छावदि सागरोवमाइं तिहिं पूव्वकोडीहिं अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। आदिल्लएसु छसु वि गमएसु जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं छ भवग्गणाई। पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु जहण्णेणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं चत्तारि भवग्गहणाई । लद्धी नवसु वि गमएसु जहा पढमगमए, नवरं -ठितीविसेसो कालादेसो य बितियगमएसु जहण्णणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं तिहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गति रागति करेज्जा । तइयगमए जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाई पुवकोडीए अब्भहियाई, उक्कोसेणं छावदि सागरोवमाई तिहिं पुवकोडीहिं अमहियाई। चउत्थगमए जहणणं वावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं तिहिं पुवकोडीहिं अब्भहियाई । पंचमगमए जहाणेणं वावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेगं छावढि सागरोवमाइं तिहिं अंतोमुहुत्तेहि अब्भहियाइं । छट्ठगमए जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं पुवकोडीहिं अभहियाई। १. मज्झिमएसु गमएसु (अ); मज्झिमएसु य २. प० २१ । तिसु गमएसु (क, ब); मज्झिमगमएसु (ख, ३. ओगाहणासंठाणे (अ, म)। ता); मज्झमएसु य तिसु वि गमएसु (स)। Page #944 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइमं सतं (बीसइमो उद्देसो) उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाई तिहि पुव्वकोडीहि अब्भहियाई । सत्तमगमए जहणणं तेत्तीस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोमाई दोहिं पुत्रको डोहि अब्भहियाई । अट्टमगमए जहण्णेणं तेत्तीस सागरोमाई तो मुहुत्तमम्भहियाई, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाई दोहि अंतो मुहुत्ते हिं भहियाई | नवमगमए जहण्णेणं तेत्तीस सागरोवमाई पुण्वकोडीहिं प्रभहियाई, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाई दोहिं पुव्वकोडीहिं प्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १-६ ॥ २४५. जइतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति - किं एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो ० ? एवं उववा जहा पुढविकाइयउद्देस जाव' - २४६. पुढविकाइए णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोगिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते! केवतिकालट्ठितीएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं तोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुत्रको डीग्राउसु उववज्जेज्जा | २४७. ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? एवं परिमाणादीया अणुबंधपज्जवसाणा जच्चेव अप्पणी सद्वाणे वत्तव्वया सच्चेव पंचिदियतिरिक्खजोfree वि उववज्जमाणस्स भाणियव्वा, नवरं नवसु वि गमएसु परिमाणे जहणणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा श्रसंखेज्जा वा उववज्जति । भवादेसेण वि नवसु वि गमएसु जहणणेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसे भवग्गणाई | सेसं तं चैव । कालादेसेणं उभयो ठितीए करेज्जा १-६ ॥ २४८. जइ प्राक्काइएहिंतो उववज्जति० ? एवं उक्काइयाण वि । एवं जाव चरिदिया उववायव्वा, नवरं सव्वत्थ श्रमणो लद्धी भाणियव्त्रा । नवसु वि गमएस भवादेसेणं जहणेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई । कालादेसेणं उभओ ठिति करेज्जा सव्वेसि सव्वगमएसु । जहेव पुढविक्काइएसु उववज्जमाणाणं लद्धी तहेव सव्वत्थ ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६11 २४६. जइ पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति-- किं सणिपंचिदियति रिक्खजोएहिंतो उववज्जति ? असणिपंचिदियतिरिक्खजोगिएहिंतो उववज्जंति ? गोमा ! णिचिदिय, असणिपंचिदिय, भेस्रो जहेब पुढविक्काइएसु उवव ज्जमाणस्स जाव े ----- २५०. असणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पंचिदियति रिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? ८६३ १. भ० २४/१६४,१६५ । गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेणं पलिओवमस्स ग्रसंखेज्जइभागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। २. भ० २४।१६२ । Page #945 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८४ भगवई २५१. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? अवसेसं जहेब पुढविक्का इएसु उववज्जमाणस्स असण्णिस्स तहेब निरवसेसं जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णणं दो अंतोमुत्ता, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पुव्वकोडिपहत्तमभहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। बितियगमाए एस चेव लद्धी, नवरं कालादेसेणं जहण्णणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुत्वकोडीयो चउहिं अंतोमुत्तेहिं अभहियानो, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १,२॥ २५२. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उबवण्णो जहोणं पलिम्रोवमस्स असंखेज्जइ भागट्टितीएसु, उक्कोसेण वि पलिनोवमस्स असंखेज्जइभागद्वितीएसु उवव ज्जेज्जा।। २५३. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स असण्णिस्स तहेव निरवसेसं जाव' कालादेसो त्ति, नवरंपरिमाणे जहणणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । सेसं तं चेव ३॥ २५४. सो चेव अप्पणा जहण्ण कालद्वितीयो जानो जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्को सेणं पुवकोडिग्राउएसु उववज्जेज्जा। २५५. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उवबज्जति ? अवसेसं जहा एयस्स पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहा इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु जाव' अणुबंधो त्ति । भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुधकोडोओ चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अभयिायो ४॥ २५६. सो चेव जहण काल ट्ठित एसु उववण्णो एस चेव वत्तव्वया, नवरं-कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंगोमुत्ता, उक्कोसेणं अट्ठ अंतोमुहुत्ता, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ५॥ २५.७. सो चेद उक्कोसकालद्वितीएसु उबवण्णो जहण्णेणं पुवकोडियाउएसु, उक्कोसेग वि पुव्बकोडियाजासु उववज्जेज्जा, एस चेव दत्तव्वया, नवरं--कालादेसेणं जाणज्जा ६॥ २५८. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो सच्चे पढमगमगवत्तव्वया, नवरं --ठिती जहष्णेणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी। सेसं तं चेव । कालादेसेणं जहणणं पुबकोडी अंतोमुत्तमब्भहिया, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पुवकोडिपुहत्तमभहियं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गति रागति करेज्जा ७॥ १. भ० २४१३२,३३३ २. भ० २४.१६४। Page #946 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (वीसइमो उद्देसो) ८८५ २५६. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया जहा' सत्तमगमे, नवरं-कालदेसेणं जहण्णेणं पुबकोडी अंतोमुत्तमभहिया, उकासेणं चत्तारि पुब्बकोडीयो चउहि अंतोमुहुत्तेहि अमहियानो, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ८॥ २६०. सो चेव उक्कोसकालद्वितोएसु उबवणो जहण्णेणं पलिग्रोवमस्स असंवेज्जइभागं उक्कोसेण वि पलिअोवमस्स असंखेज्जइभागं एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स असण्णिस्स नवमगमए तहेव निरवसेसं जाब कालादेसो त्ति, नवरं परिमाणं जहा' एयरसेव ततियगमे । सेसं तं चेव ६ ।। २६१. जइ सण्णिचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति-कि संखेज्जवासाउय० ? असंखेज्जवासाउय० ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय, नो असंखेज्जवासाउय ।। २६२. जइ संखेज्जवासाउय जाव कि पज्जत्तसंखेज्जवासाउय०? अपज्जत्तसंखेज्जवा साउ६० ? दोसु वि ।। संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए ण भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिए सु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तहितीएसु, उक्कोसेणं तिपलिनोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा। ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं जहा एयरस चेव सण्णिस्स रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स पढमगमए, नवरं-- प्रोगाहणा जहणणं अंगलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । सेसंतं चेव जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं तिण्णि पलिनोवमाइं पुव्वकोडी पुहत्तमहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा १ ॥ २६५. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं । काला देसेणं जहण्णणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीओ चउहि संतोमुत्तेहिं अब्भहियानो २॥ २६६. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेणं तिपलिग्रोवमट्टितीएस, उक्कोसेण वि तिपलिनोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा, एस चेव वत्तव्वया, नवरंपरिमाणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जंति । प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । १. भ०२४।२५८ । २. भ० २४१५२,५३ । ३. भ०२४।२५३ । ४. भ. २४/५८-६२। Page #947 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८६ भगवई सेसं तं चेव जाव-अणुबंधो ति। भवादेसेणं दो भवग्गहणाई। कालादेसणं जहणेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं अंतोमुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाई पुवकोडीए अब्भहियाई ३॥ २६७. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जातो जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुचकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा । लद्धी से जहा' एयस्स चेव सण्णिचिदियस्स पुढविक्काएमु उववज्जमाणस्स मझिल्लएसु तिसु गमएसु सच्चेव इह वि मज्झिमेसु तिमु गमासु कायव्वा । संवेहो जहेव एत्थ चेव असण्णिस्स मज्झिमेसु तिसु गमाएमु ४-६ ।। २६८. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जामो जहा पढमगमत्रो, नवरं-ठिती अणुबंधो जहणेणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी! कालादेसेणं जहणणं पुव्वकोडी अंतोमुत्तमभहिया, उवकोसेणं तिण्णि पलि ग्रोवमाइं पुव्वकोडीपुह त्तमभहियाई ७॥ २६६. सो चेव जहण्णकालद्वितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्यया, नवरं कालादेसेणं--- जहणणं पुवकोडी अंतोमुहुत्तमभहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीयो चउहि अतोमुहुत्तेहि अभहियानो ८ ।। २७०. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णणं तिपलिनोवमद्वितीएस, उक्कोसेणं वि तिपलिनोमट्रितीएस । अवसेसं तं चेव, नवरं-परिमाणं योगाहणा य जहा एयस्सेव त इयगमए । भवादेसेणं दो भवग्गहणाइ, कालादेसेणं जहण्णेणं तिछि पलिग्रोवमाइं पुनकोडीए अमहियाई, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं पुवकोडीए अभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा है २७१. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति–कि सण्णिमणुस्सेहितो० ? असण्णिमणुस्से हितो? ___गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो वि, असण्णिमणुस्सेहितो वि उववज्जति ।। २७२. असष्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिदितिरिक्खजोगिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अतोमुहुत्तट्टितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडिअाउएसु उववज्जेज्जा ! लद्धी से तिसु वि गमएसु जहेव' पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स । संवेहो जहा एत्थ चेव असणिपंचिदियस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहेव निरवसेसो भाणियन्वो १-३ ॥ ३. भ० २४११६६। १. भ० २४।१६७। २. भ० २४१२५५-२५७ । Page #948 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइमं सतं (वीसइमो उद्देसो) २७३. जइ सष्णिमणुस्सेहितो उववज्जति -- किं संखेज्जवासा उयसणिमणुस्से हितो० ? असंखेज्जवासाउयसण्णि मणुस्से हितो० ? गोयमा ! संखेज्जवासाज्य, नो असंखेज्जवासाउय ॥ २७४. जइ संखेज्जवासाज्य ० किं पज्जत्त • ? अपज्जत्त ० ? गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउय, अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय ॥ २७५. सणिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से भंते! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं तिपलिनोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥ २७६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? लद्धी से जहा एयरसेव मिस्सस्स पुढविक्काइएस उववज्जमाणस्स पढमगमए जाव' - भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहोणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं तिष्णि पलिप्रोमाई पुव्वको डिपुहत्तमब्भहियाई १ ॥ २७७. सो चेव जहण्णकालट्ठितिएसु उववण्णो, एस चैव वत्तब्वया, नवरं - कालादेसेणं जहणेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्यकोडीओ चउहि तोमुहुत्तेहि महिया २ ॥ २७८. सो चेव उक्कोसकालट्ठितिएसु उववण्णो जहण्णेणं तिपलिप्रोवमट्ठितीएसु, उक्कोसेण वि तिपलिओ मट्ठितीएस, सच्चेव वत्तव्वया, नवरं - ओगाहणा जहणणं अंगुलपुहत्तं, उक्कोसेणं पंच धणुसयाई | ठिती जहणेणं मासपुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी । एवं अणुबंधो वि । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणेणं तिष्णि पलिप्रोमाई मासपुहत्तमन्भहियाई, उक्कोसेणं तिणि पलिप्रोमाई पुव्वकोडीए अमहियाई, - एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३ || २७६. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, जहां सणिपंचिदियतिरिक्कखजो - पियस्स पंचिदियतिरिक्कखजोगिएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु वृत्तव्वया भणिया एस चैव एयस्स वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु निरवसेसा भाणियव्वा, नवरं परिमाणं उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । सेसं तं चेव ४-६ ।। ८८७ २८०. सो चे अप्पणा उक्कोसकालट्ठितीनो जातो, सच्चेव पढमग मगवत्तव्वया, नवरं श्रोगाहणा जहणेणं पंच धणुसयाई, उक्कोसेण वि पंच धणुसयाई । ठिती अणुबंधो जहण्णेणं पुण्वकोडी, उक्कोसेण त्रि पुव्वकोडी | सेसं तहेव १. भ० २४ २०३ । २. भ० २४/२६७ । Page #949 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८८ भगवई जाब भवादेसो त्ति कालादेसेणं जहण्णेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तमभहिया, उनकोसेणं निणि पलिनोवमाई पुत्र कोडिपुहत्तमभहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एबतिथं कालं गतिराति करेज्जा ७ ।। २८१. सो चेव जाणकालट्ठितिएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं- कालादेसेणं जहणणं पुवकाडो अंतोमुहुत्तमन्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीओ चहि अंतामुत्तहि अहियाप्रो । २८२. सोवेव उक्कासकालद्वितीएसु उववण्यो, जहणणेण तिग्णि पलियावमाई, उक्को सेण वि तिषिण पलिग्रोवमाई, एस चेव लद्धी जहेव सत्तमगमे । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई । कालादेसेणं जहणणं तिणि पलिग्रोवमाई पुव्वकोडीए अब्भहियाई, उक्कोसण वि तिणि पलिग्रोवमाइं पुव्वकोडीए अमहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा हा २८३. जइ देवहितो उबवज्जति - किं भवणवासिदेबेहितो उबवज्जति ? वाणमंतर जोइसिय-वेमाणियदेवहितो ? गोयमा ! भवणवागिदेवेहितो जाव वेमाणियदेवेहितो वि ।। २८४. जइ भवनवासिदेवहितो-- कि असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो जाव थणिय कुमारभवणवासिदेवहितो ? गोयमा ! असुरकुमार जाव थणियकुमारभवणवासिदेवहितो।। २८५. असुरकुमारे ण भंते ! जे भविए पचिदियतिरिक्ख जोणिएए उववज्जित्तए, से णं भने ! केतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडिआउएसु उववज्जेज्जा । असुरकुमाराणं लद्धी नवसु वि गमएसु जहा' पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स । एवं जाव ईसाणदेवस्स तहेव लद्धी। भवादेसेणं सव्वत्थ अट्ट भवग्गहणाई, उक्कोसेणं जहणणं दोणि भवग्गहणाई। ठिति संवेहं च सव्वत्थ जाणेज्जा १-६ २८६. नागकुमारे णं भंते ! जे भविए ०? एस चेव वत्तव्वया, नवरं -ठिति संवेहं च जाणज्जा १.६। एवं जाव थणियकुमारे।। २८७. जइ बाणमंतरोहितो कि पिसाय ? तहेव जाव --- २८८. वाणमंतरे णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए o? एवं चेव, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६।। २८४. जइ जोतिमिय ०१ उववाम्रो तहेव जाव.... २६०. जोतिसिए णं भंते ! जे भबिए पंचिदियतिरिक्खजोणिएस उववज्जित्तए .? एस चेव वत्तव्वया जहा पुढविक्काइयउद्देसए। भवग्गहणाई नवसु वि गमएसु १. भ० २४/२०७-२१० । Page #950 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीस इमं सतं (एगवीसतिमो उद्देसो) ८८६ अट्ठ जाव कालादेसेणं जहण्णणं अट्ठभागपलिनोवम अंतोमुत्तमभहियं, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाइं चउहि पुन्बकोडीहिं चउहि य वाससयसहस्सेहि अमहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं नवसु वि गमएस, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६।। २६१. जइ वेमाणियदेवेहितो ० कि कप्पोवावेमाणिय ? कप्पातीतावमाणिय ? गोयमा ! कप्पोवावेमाणिय, नो कप्पातीतावेमाणिय ।। २६२. जइ कप्पोवा जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवहितो वि उववज्जति, नो प्राणय जाव नो अच्चुयकप्पोवावेमाणिय ।। २६३. सोहम्मदेवे णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेणं अंतोमुत्तट्टितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडीग्राउएसु ! सेसं जहेब' पुढविक्काइय उद्देसए नवसु वि गमएसु, नवरं नवसु वि गमएसु जहण्णेणं दो भवग्गणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाइं। ठिति कालादेसं च जाणेज्जा १-६! एवं ईसाणदेवे वि । एवं एएणं कमेणं अवसेसा वि जाव सहस्सारदेवेसु उववाएयव्वा, नवरं --प्रोगाणा जहा प्रोगाहणसंठाणे, लेस्सा सणंकुमार-माहिद-बंभलोएसु एगा पम्हलेस्सा, सेसाणं एगा सुक्कलेस्सा । वेदे नो इत्थिवेदगा, पुरिसवेदगा, नो नपुंसगवेदगा । प्राउ-अणुबंधा जहां ठितिपदे । सेसं जहेव ईसाणगाणं कायसंवेहं च जाणेज्जा ।। २६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। एगवीसतिमो उद्देसो २६५. मणुस्सा णं भंते ! करोहितो उववज्जति-- कि नेरइएहितो उववज्जति जाव देवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! णेरइएहितो वि उववज्जति 'जाव देवेहितो वि उववज्जति । एवं उववानो जहा पचिदियतिरिक्खजोणिउद्देसए जाव' तमापुढविने रइएहितो वि उबवज्जति, नो अहेसत्तमपुढविनेरइएहितो उववज्जति ।। १. भ० २४।२१८ । २. प० २१ । ३. प०४1 ४. X (म, क, ख, ता, ब, म)। ५. भ० २४१२३८ । Page #951 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० भगवई २६६. रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते ! से भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं मासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडियाउएसु । अवसेसा वत्तव्वया जहा' पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जतस्स तहेव, नवरं–परिमाणे जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । जहा तहिं अंतोमुहुत्तेहि तहा इहं मासपहत्तेहिं संवेहं करेज्जा । सेसं तं चेव १-६। जहा रयणप्पभाए 'तहा सक्करप्पभाए वि वत्तव्वया', नवरं-जहण्णेणं वासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडी आउएसु । अोगाहणा-लेस्सा-नाणद्विती-अणुबंध-संवेह-नाणत्तं च जाणेज्जा जहेव' तिरिक्खजोणियउद्देसए । एवं जाव तमापुढविने र इए । २६७. जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति - कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो भेदो जहा पंचिदियतिरिक्खजोणिय उद्देसाए, नवरं तेउ-वाऊ पडिसेहेयव्वा । सेसं तं चेव । जाव. २६८. पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भते ! केवति कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु उक्कोसेणं पुवकोडोपाउएसु उवव ज्जेज्जा। २६६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव पंचिदिय तिरिक्खजोणिएसु उववज्जमाणस्स पुढविक्काइयस्स वत्तव्वया सा चेव इह वि उववज्जमाणस्स भाणियब्वा' नवसु वि गमासु, नवरं-ततिय-छट्ठ-नवमेसु गमएसु परिमाणं जहणणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । जाहे अप्पणा जहण्णकालद्वितीओ भवति ताहे पढमगमए अज्झवसाणा पसत्था वि अप्पसत्था वि वितियगमए अप्पसत्था, ततियगमए पसत्था भवति । सेसं तं चेव निरवसेसं १-६।।। जइ आउक्काइए०? एवं ग्राउक्काइयाण वि। एवं वणस्सइकाइयाण वि । एवं जाव चउरिदियाण वि। असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिय-सण्णिपंचिदियतिरिजोणिय-असण्णिमणुस्स-सण्णिमणुस्सा य एते सव्वे वि जहा पंचिदियतिरिक्ख १. भ. २४।२४०-२४२ । ३. भ० २४१२४३ । २. वि वत्तव्वया तहा सक्करप्पभाए वि (अ, ४. भ०२४।२४५ । क, ब); वि वत्तव्वया तहा सक्करप्पभाए ५. भ० २४४२४७ । वि वत्तव्वया (स)। Page #952 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (एगवीसतिमो उद्देसो) ८६१ जोणियउद्देसए तहेव भाणियव्वा', नवरं-एयाणि चेव परिमाण-अज्झवसाणनाणत्ताणि जाणिज्जा पुढविकाइयस्स एत्थ चेव उद्देसए भणियाणि । सेसं तहेव निरवसेसं १-६।। ३०१. जइ देवेहितो उववज्जति---किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? बाणमंतर. जोइसिय-वेमाणियदेवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि जाव वेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति ।। ३०२. जइ भवणवासिदेवेहितो--किं असुरकुमार जाव थणियकुमार० ? गोयमा! असुरकुमार जाव थणियकुमार ।। ३०३. असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं मासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडियाउएसु उववज्जेज्जा । एवं जच्चेव पंचिदियतिरिक्खजोणियउद्देसए वत्तव्बया सच्चेव एत्थ वि भाणियव्वा, नवरं-जहा तहि जहण्णगं अंतोमुहुत्त द्वितीएस तहा इहं मासपुहत्तद्वितीए ! परिमाणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । सेसं तं चेव १-६। एवं जाव' ईसाणदेवो त्ति । एयाणि चेव नाणत्ताणि । सणकुमारादीया जाव सहस्सारो त्ति जहेव पंचिदियतिरिक्खजोणिउद्देसए, नवरं-परिमाणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । उववानो जहण्णणं वासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा । सेसं तं चेव । संदेहं वासपुहत्तं पुव्वकोडीसु करेज्जा। सणंकुमारे ठिती चउगुणिया 'अट्ठावीससागरोवमा भवति" माहिद ताणि चेव सातिरेगाणि, वम्हलोए चत्तालीसं, लंतए छप्पन्न, महासुक्के अट्ठसवि, सहस्सारे बावत्तरि सागरोवमाइं। एसा उक्कोसा ठिती भणिया। जहण्णद्विति पि च उगुणेज्जा ।। ३०४. प्राणयदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति कालद्वितीएसु उववज्जज्जा? गोयमा ! जहण्णणं वासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडीठितीएसु उवव ज्जेज्जा॥ ३०५. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? एवं जहेव सहस्सार देवाणं वत्तव्वया, नवरं--ओगाहणा-ठिति-अणुबंध य जाणेज्जा । सेसं तं चेव । भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसणं छ भवग्गणाई। कालादेसेणं १. भ० २४।२४८-२८२ । २. भ० २४१२८५-२६३ । ३. भ० २४१२६३ । ४. अट्ठावीसं सागरोवमा भवंति (अ, क, ख, ता, ब, म, स)1 Page #953 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई जहणणं अट्ठारस सागरोवमाई वासपुहत्तमन्भहियाई, उनकोसेणं सत्तावन्नं सागरोव माई तिहि पुव्वकोडीहि प्रभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा । एवं नव वि गमा, नवरं ठिति प्रणुबंध संवेहं च जाणेज्जा १ ६ । एवं जाव अच्चुयदेवो, नवरं - ठिति प्रणुबंध संवह च जाणेज्जा । पाणयदेवस्स ठिती तिगुणिया सट्ठि सागरोवसाई, चारणगस्स तेवद्वि सागरी - माई, प्रच्चयदेवस्स छावट्ठि सागरोव माई || ३०६. जइ कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो उववज्जति किं वैज्जाकप्पातीता० ? अणुत्तरोववातियकप्पाती ता० ? गोयमा ! गेवेज्जाकप्पातीता, अणुत्तरोववातियकप्पातीता ॥ ३०७. जइ गेवेज्जा० - कि हेट्टिम-हेट्टिम गेवेज्जगकप्पातीता जाव उवरिम-उवरिम गेवेज्जा० ? ८६२ गोयमा ! हेट्टिम-हेट्ठिम गेवेज्जा जाव उवरिम उवरिम गेवेज्जा ॥ ३०८. गेवेज्जगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकती उववज्जेज्जा ? --- गोमा ! जहणेणं वासपुहत्तट्ठितीएस, उक्कोसेणं पुव्वकोडीद्वितीएस । ग्रवसेसं जहा प्राणयदेवस्स वत्तत्र्वया, नवरं - प्रोगाहणा' - एगे भवधारणिज्जे सरीरए । से जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं दो रयणीयो । संठाणं - एगे भवारणिज्जे सरीरे से समचउरससंठिए पण्णत्ते । पंच समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेदणासमुग्घाए जाव तेयगसमुग्याए, तो चेव णं वेउब्वियतेयगसमुग्धाएहि समोहणिसु वा, समोहति वा, समोहणिस्संति वा । ठिती अणुबंधो जहणेणं बावीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाई | सेसं तं चेव । कालादेसेणं जहणेणं वावीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उनकोसेणं तेणउति सागरोवमाइं तिहि पुव्वकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं सेसेसु वि श्रट्ठगमएसु, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा १ - ९॥ ३०६. जइ अणुत्तरोववाइयकप्पातीतावेमाणियदेवेहितो उववज्जंति - किं विजयश्रणुतरोववाइय० ? वेजयंतभ्रणुत्तरोववाइय जाव सव्वट्टसिद्ध ० ? गोयमा ! विजयप्रणुत्तरोववाइय जाव सव्वसिद्धप्रणुत्तरोववाइय || ३१०. विजय वैजयंत- जयंत अपराजियदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एवं जहेव गेवेज्जगदेवाणं, नवरं - प्रोगाहणा जहणेणं अंगुलस्स प्रसंखेज्जइभागं, उनकोसेणं एगा रयणी । १. श्रोगाहणा गो ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । २. संठारणं गो ( अ, क, ख, ता, व, म, स ) | Page #954 -------------------------------------------------------------------------- ________________ च उवीसइमं सतं (बावीसइमो उद्देसो) ८६३ सम्मदिट्टी, नो मिच्छदिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्टी। नाणी, नो अण्णाणी, नियम तिण्णाणी, तं जहा--ग्राभिणिवोहियनाणी, सूयनाणी, मोहिनाणी। ठिती जहगणेणं एक्कतीसं सागरोवमाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई । सेसं तं चेव । भवादेसेणं जहणणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं चत्तारि भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णणं एक्कतीसं सागरोवमाइं वासपुहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं छावद्धि सागरोबमाइं दोहि पुवकोडीहिं अभहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं सेसा वि अटु गमगा भाणियब्वा, नवरं-ठिति अणुबंध संवेधं च जाणेज्जा । सेसं एवं चेव १-६॥ ३११. सव्वदृसिद्धगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्ज्त्तिए० ? सा चे . विजयादिदेववत्तब्बया भाणियब्वा, नवरं-ठिती अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। एवं अणुवंधो वि । सेसं तं चेव । भवादेसेणं दो भवरगहणाई, कालादेसेणं जहणणं तेत्तीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोबमाइं पुवकोडीए अमहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा १ ॥ ३१२. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव दत्तव्वया, नवरं—कालादेसेणं जहणणं तेत्तीसं सागरोवमाइं वासपहत्तमभहियाई, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाई बासपुहत्तमभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २ ॥ ३१३. सो चेव उक्को कालट्टितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-कालादेसेणं जहणणं तेत्तीसं सागरोवमाइं पुबकोडीए अब्भहियाई, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाइं पुवकोडीए अब्भहियाइं एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गति [गति करेज्जा ३ । एते चेव तिण्णि गमगा, सेसा न भण्णंति ।। ३१४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। बावीसइमो उद्देसो ३१५. वाणमंतरा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ---कि नेरइएहितो उबवजति ? तिरिक्ख० ? एवं जहेव' नागकुमारउद्देसए असण्णी तहेव निरवसेसं ।। ३१६. जइ सण्णिपंचिदिय 'तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–कि संखेज्जवासाउय०? असंखेज्जवासाउय ? १. भ. २४।१४३, १४४ । २. सं० पा० -सणिपंचिदिय जाव असंखेज्जवासाउय । Page #955 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६४ भगवई गोयमा ! संखेज्जवासाउय, असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जति ° ॥ ३१७. सणिपंचिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते ! जे भविए वाणमंतरेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा! जहणणं दसवाससहमट्टितीएसु, उक्कोसेणं पलिग्रोवमहिनीएमु । सेसं तं चेव जहा नागकुमार उद्देसए जाव' कालादेसेणं जहणणं सातिरेगा पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि अमहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाइं, एव तियं काल' सेवेज्जा, एवतियं कालं गति रागतिं करेज्जा १ ।। ३१८. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उबवणो, जहेब' नागकुमाराणं विनियगमे वत्त व्वया २॥ ३१६. सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववण्णो जहणेणं पलिग्रोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमट्टितोए। एस चेव वत्तव्वया, नवरं-ठितो से जहणणं पलिनोवमं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं । संवेहो जहण्णणं दो पलिप्रोवमाइं, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। मज्झिमगमगा तिण्णि वि जहेव' नागकुमारेसु पच्छिमेसु तिसु गमएसु तं चेव जहा' नागकुमारुद्देसए, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा। संखेज्जवासाउय तहेव, नवरं --ठिती अणुबंधो संवेहं च उभो ठितीए जाणे. ज्जा ३-६॥ ३२०. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति०? असंखेज्जवासाउयाणं जहेव नागकुमाराणं उद्देसे तहेव वत्तव्वया, नवरं तइयगमए ठिती जहण्णेणं पलिग्रोवमं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं । ओगाहणा जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई । सेसं तहेव । संवेहो से जहा एत्थ चेव उद्देसए असंखेज्जवासाउयसणिपंचिदियाणं । संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से जहेब' नागकुमारुद्देसए, नवरं-वाणमंतरे ठिति संवेहं च जाणज्जा १-१ ।। ३२१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति १. भ० २४।१४७ । २. भ० २४.१४८। ३. भ० २४११५० । ४. भ० २४११५१ । ५. भ० २४११५२,१५३ । ६. भ० २४।१५४-१५७ । ७. भ० २४।१५८,१५६ । Page #956 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवीसइमं सतं (तेवीसइमो उद्देसो) ८९५ तेवीसइमो उद्देसो ३२२. जोइसिया णं भंते ! कनोहितो उववज्जति - किं नेरइएहितो० ? भेदो जाव' सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिरहितो उववज्जति, नो असणिपंचिदियतिरिक्ख ।। ३२३. जइ सण्णि० किं संखेज्ज० ? असंखेज्ज० ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय, असंखेज्जवासाउय ।। ३२४. असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्ख जोणिए णं भंते ! जे भविए जोतिसि एसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उक्वज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणेणं अट्ठभागपलिनोवमट्टितीएसु, उक्कोसेशं पलिमोवमवाससय. सहस्सद्वितीएस उवबज्जेज्जा, अवसेसं जहा' असुरकुमारुहेसए, नवरं-ठितो जहण्णेणं अट्ठभागपलिग्रोवमं, उक्कोसेणं तिगिण पलिग्रोवमाइं। एवं अणुबंधो वि ! सेसं तहेव, नवरं–कालादेसेणं जहण्णेणं दो अट्ठभागपलिग्रोवमाइं, उक्कोसेणं चत्तारि पलिश्रोवमाइं वाससयसहस्समभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ॥ ३२५. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेणं अठ्ठभागपलिओवमद्वितीएसु, उक्कोसेणं वि अट्ठभागपलिग्रोवमद्वितीएस । एस चेव वत्तव्वया, नवरं - काला देसेणं जाणेज्जा २ ॥ ३२६. सो चेव उक्कोसकालद्वितोएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं ---ठिती जहण्णेणं पलिप्रोवमं वाससयसहस्समभहियं, उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाइं। एवं अणुबंधो वि। कालादेसेणं जहण्णणं दो पलिप्रोवमाइं दोहिं वाससयसहस्सेहिं अमहियाइं, उवकोसेण चत्तारि पलिग्रोवमाइं वाससयसहस्स माहियाई ३ ॥ ३२७. सो चेव अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जानो जहण्णेणं अट्ठभागपलिग्रोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण वि अनुभागपलिनोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ३२८. ते ण भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एस चेव वत्तव्वया, नवरं-योगाहणा जहण्णेण धणुपुहत्तं, उक्कोसेणं सातिरेगाइं अट्ठारसधणुसयाई। ठिती जहण्णणं अट्ठभागपलियोवम, उक्कोसेण वि अनुभागपलिग्रोवमं । एवं अणुवधोवि । सेसं तहेव । कालादेसेणं जहण्णेणं दो अट्ठभागपलिग्रोवमाइं, उक्कोसेण वि दो अट्ठभागपलिग्रोवमाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । जहण्णकालट्ठितियस्स एस चेव एक्को गमो ४ ।। ३. पञ्चमषठगमयोरत्रवान्तर्भावात् (ब)। १. भ० २४।१-३। २. भ० २४.१२१। Page #957 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६६ भगवई ३२६. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, सा चेव प्रोहिया वत्तव्बया, नवरं -ठिती जहण्णणं तिणि पलिओवमाइं, उकोक्सेण वि तिणि पलिओवमाई । एवं अशुबंधो वि । सेसं तुं चेव । एवं पच्छिमा तिणि गमगा नेयवा', नवरं --ठिति संवेच जाणेज्जा ७-६ । एते सत्त गमगा। ३३०. जइ संखेज्जवासाउयसपिणपंचिदिय० ? संखेज्जवासाउयाणं जहेव असुर कुमारेसु उववज्जमाणाणं तहेव नव वि गमा भाणियव्वा, नवरं - जोतिसिय ठिति संवेहं च जाणेज्जा ! सेसं तहेव निरवसेस' १-६ ।। ३३१. जइ मगुरसेहितो उववज्जति० ? भेदो तहेव जाव'-- ३३२. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए जोइसिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एवं जहा असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियस्स जोइसिएसु चेव उववज्जमाणस्स सत्त गमगा तहेव मणुस्साण वि, नवरं ...प्रोगाहणाविस सो पढमेसु तिमु गमएसु प्रोगाणा जहणणं सातिरेगाइं नव धणुसयाई, उक्कोसेणं तिष्णि गाउयाइं ! मज्झिमगमए जहण्णेण सातिरेगाइं नव धणुसयाई, उक्कोसेणं वि सातिरेगाइं नव धणुसयाई । पच्छिमेसु तिसु गमएसु जहणेणं तिण्णि गाउयाई, उक्कोसेणं वि तिष्णि गाउयाई । सेसं तहेव निरवसेसं जाव संवेहो त्ति॥ ३३३. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से हितो० ? संखेज्जवासाउयाणं जहेव' असुर कुमारेसु उववज्जमाणाणं तहेव नव गमगा भाणियव्वा, नवरं-जोतिसिठिति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव निरवसेस १-६ ३३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ चउवीसइमो उद्देसो ३३५. सोहम्मदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति–किं नेरइएहितो उबवज्जति ? भेदो जहा जोइसियउद्देसए । ३३६. असंखेज्जवासाउयसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए साहम्मग देवेसु उवज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेजा? १. भाणियव्वा (अ, क)। २. भ० २४।१३१-१३३ । ३. निरवमेसं भारिणयब्वं (स)। ४. भ० २४११३४,१३५ । ५. भ० २४१३२४-३२६ । ६. भ० २४.१३६-१४२ । ७. भ० २४।३२२,३२३ । Page #958 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसइमं सतं (च उवीमइमो उद्देसो) ८९७ गोयमा ! जहणणं पलिग्रोवमट्टितीएसु उक्कोसेणं तिपलिअोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ३३७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं जहा' जोइसिएसु उववज्जमाणस्स, नवरं--सम्मदिदी वि, मिच्छादिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नाणी वि, अण्णाणी वि, दो नाणा दो अण्णाणा नियमं । ठिती जहण्णणं पलिग्रोवमं, उक्कोसेणं तिषिण पलिओवमाइं । एवं अणुबंधो वि । सेसं तहेव । कालादेसेणं जहण्णणं दो पलिग्रोवमाई, उक्कोसेणं छप्पलिग्रोवमाइं, एवतियं काल से वेज्जा, एवतियं कालं गति रागति करेज्जा १॥ ३३८. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएम उबवण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं.- कालादेसेणं जहण्णेणं दो पलिओवमाई, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाइं, एवतियं काल सेबेज्जा, पवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २॥ सो चेव उक्कोसकालटितोएस उववण्णो जहण्णेणं तिपलिप्रोवमद्वितीएस, उकोमेण वि तिपलिग्रोवमद्वितीएस, एस चेव वत्तव्वया, नवरं--ठिती जहण्णणं तिणि पलिग्रोवमाई, उक्कोसेण वि तिणि पलिग्रोवमाई । सेसं तहेव । कालादेसेणं जहण्णणं छप्पलिअोवमाइं, उक्कोसेण वि छप्पलिप्रोवमाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३ ॥ सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्रितीयो जानो जहणणं पलिग्रोवमट्रितीएस. उक्कोसेण वि पलिग्रोवमद्वितीएस, एस चेव वत्तव्धया, नवरं - प्रोगाहणा जहणणं धणुपुहत्त, उक्कोसेणं दो गाउयाई। ठिती जहण्णणं पलिओवम, उक्कोसेण वि पलिअोवमं । सेसं तहेव ! कालादेसेणं जहणेणं दो पलिप्रोवमाइं, उक्कोसेण वि दो पलिग्रोवमाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरा गति करेज्जा ४-६ ।। ३४१. सो वेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, आदिल्लगमगसरिसा तिण्णि गमगा नेयव्वा, नवरं-ठिति कालादेसं च जाणेज्जा ७-६ ॥ ३४२. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदिय० ? संखेज्जवासाउयरस जहेव' असुर कुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेव नव वि गमा, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा। जाहे य अप्पणा जहण्णकालट्ठितिओ भवति ताहे तिस वि गमएस सम्मदिट्ठी वि, मिच्छादिदी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। दो नाणा दो अग्णाणा नियमं । 'सेसं तं चेव' १६॥ ३४३. जइ मणुरसंहितो उववज्जति० ? भेदो जहेव जोति सिएसु उववज्ज माणस्स, जाव-- १. भ० २४१३२४ । २. भ० २४।१३१-१३३ । ३. तहेव (ता)। ४. भ० २४,३३१। Page #959 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१८ भगवई ३४४. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववज्जित्तए. ? एवं जहेव असंखेज्जवासाउयस्स सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणियस्स सोहम्मे कप्पे उववज्जमाणस्स तहेव सत्त गमगा, नवरं---आदिल्लएस दोसु गमएस प्रोगाहणा जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई । ततियगमे जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाई। चउत्थगमए जहण्णणं गाउयं, उक्कोसेण वि गाउयं । पच्छिमएसु तिस गमएस जहण्णणं तिण्णि गाउयाई उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइं, सेसं तहेव निरवसेस । ३४५. जइ संखेज्जवासाउयसणिमणुस्से हितो० ? एवं संखेज्जवासाउयसपिणमणुस्साणं जहेव' असुरकुमारेसु उववज्जमाणाणं तहेव नव गमगा भाणियव्वा, नवरं सोहम्मदेवदिति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव १-६॥ ईसाणदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? ईसाणदेवाणं एस चेव सोहम्मगदेवसरिसा वत्तव्वया, नवरं - असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणियस्स जेसु ठाणेसु सोहम्मे उववज्जमाणस्स पलिग्रोवमठिती तेसु ठाणेस इह सातिरेग पलिग्रोवमं कायव्वं । चउत्थगमे ओगाहणा जहण्णेणं धणुपुहत्त, उक्कोसेणं सातिरेगाइं दो गाउयाई । सेसं तहेव ।। ३४७. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सस्स वि तहेव ठिती जहा पंचिदियतिरिक्खजो णियस्स असंखेज्जवासाउयस्स । अोगाहणा वि जेसु ठाणेसु गाउयं तेसु ठाणेसु इहं सातिरेगं गाउयं । सेसं तहेव ।। ३४८. संखेज्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं मणुस्साण य जहेव सोहम्मेस उववज्ज माणाणं तहेव निरवसेसं नव वि गमगा, नवरं-ईसाणठिति संवेहं च जाणेज्जा॥ ३४६. सणंकूमारदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? उबवायो जहा सक्कर प्पभापुढविने रइयाणं, जाव३५०. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए सणंकूमारदेवेस उववज्जित्तए० ? अवसेसा परिमाणादीया भवादेसपज्जवसाणा सच्चेव वत्तब्वया भाणियव्वा जहा' सोहम्मे उववज्जमाणस्स, नवरं - सणंकुमारट्रिति संवेहं च जाणेज्जा। जाहे य अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो भवति ताहे तिस वि गमएसु पंच लेस्सायो आदिल्लाओ कायव्वाप्रो । सेसं तं चेव ।। ३५१. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति० ? मणुस्साणं जहेब सक्करप्पभाए उववज्जमाणाणं तहेव नव वि गमा भाणियव्वा', नवरं -सणंकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा ।। १. भ० २४.१३६.१४१ । ४. भ० २४।३४२ । २. भ० २४१३३६-३४१ । ५. भ० २४.१०५-१०८ । ३. भ० २४।७८,१०५ । Page #960 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउवोस इमं सतं (च उवीसइमो उद्देसो) ८६६ ३५२. माहिंदगदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ? जहा सणंकुमारगदेवाणं वत्तव्वया तहा माहिंदगदेवाण वि भाणियव्वा', नवरं-माहिंदगदेवाणं ठिती सातिरेगा भाणियवा सच्चेव । एवं बंभलोगदेवाण वि वत्तव्वया, नवरं-- वंभलोगद्विति संवेहं च जाणेज्जा । एवं जाव सहस्सारो, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा। लंतगादीणं जहण्णकाल द्वितियस्स तिरिक्खजोणियस्स तिसु वि गमएसु छप्पि लेस्सायो कायवाओ । संघयणाई बंभलोग-लंतएसु पंच आदिल्लगाणि, महासुक्क सहस्सारेसु चत्तारि । तिरिक्खजोणियाण वि मणु स्साण वि।सेसं तं चेव ।। ३५३. प्राणयदेवा ण भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? उववानो जहा सहस्सारदेवाणं, नवरं-तिरिक्खजोणिया खोडेयव्वा, जाव -- ३५४. पज्जत्तासं वेज्जवासाउयसणिमणुस्से णं भंते ! जे भविए प्राणयदेवेसु उवव ज्जित्ता ? मणुस्साण य वत्तव्वया जहेव सहस्सारेसु उववज्जमाणाणं, नवरं-- तिणि संघयणाणि, सेसं तहेव जाव अणुबंधो । भवादेसेणं जहण्णणं तिण्णि भवग्गहणाई, उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं अट्ठारस सागरोवमाइं दोहिं वासपुहत्तेहिं अब्भहियाइं, उक्कोसेणं सत्तावन्तं सागरोवमाई चहिं पुवकोडीहि अमहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं सेसा वि अट्ट गमगा भाणियव्वा, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव । एवं जाव अच्चुयदेवा, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा। चउस वि संघयणा तिण्णि प्राणयादीस ।। ३५५. गेवेज्जगदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ०? एस चेव वत्तव्वया, नवरं-दो संघयणा । ठिति संवेहं च जाणेज्जा ।। ३५६. विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजितदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ? एस चेव वत्तन्वया निरवसेसा जाव अणुबंधो त्ति, नवरं --पढमं संघयणं । सेसं तहेव । भवादेसेणं जहणणं तिणि भवराहणाई, उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहणेणं एक्कतीसं साग रोवमाई दोहि वासपुहत्तेहि अब्भहियाई, उक्कोसेणं छावद्धि साग रोवमाइं तिहि पुवकोडोहिं अभहियाई, एवतियं कालं से वेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा । एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं -ठिति संवेहं च जाणेज्जा । मणूसलद्धी' नवसु वि गमएस जहा गेवेज्जेसु उववज्जमाणस्स, नवरं . पढमसंघयणं ।। ३५७. सबनुमसिद्धगदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ०? उववाग्रो जहेव विजयादीणं, जाव १. भ० २४।३४६-३५१ । २. मशूमे लद्धी (स)। Page #961 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ३५८. से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं तेत्तीससागरोवमद्वितीएस, उक्कोसेण वि तेत्तीससागरोवमद्वितीएस उववज्जेज्जा । अवसेसा जहा विजयाइसु उववज्जंताणं, नवरं .. भवादेसेणं तिण्णि भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणणं तेत्तीसं सागरोवमाई दोहि वासपुहत्तेहि अहियाई, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाई दोहि पुवकोडीहिं अभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १॥ ३५६. सो चेव अप्पणा जहण्णकालट्ठितोश्रो जाओ, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-- ओगाहणा-ठितीओ रयणिपुहत्त-वासपुहत्ताणि । सेसं तहेव । सवेहं च जाणेज्जा २॥ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-- प्रोगाहणा जहण्णणं पंच धणुसयाई, उक्कोस्सेण वि पंच धणुसयाई । ठिती जहण्णेणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी । सेसं तहेव जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं पुवकोडीहि अब्भहियाई, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं पुव्वकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं कालं से वेज्जा, एवतियं कालं गति रागति करेज्जा ३! एते तिपिण गमगा सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं ॥ ३६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव' विहरइ ।। ११. भ० ११५१1 Page #962 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं पढमो उद्देसो १. लेसा य २. दव्व' ३. संठाण ४. जुम्म ५. पज्जव ६. नियंठ ७. समणा य । ८. पोहे ६,१०. भवियाभविए, ११. सम्मा १२. मिच्छे य उद्देसा ॥१॥ लेस्सा -पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' एवं वयासी—कति णं भंते ! लेस्सामो पण्णत्तायो? गोयमा ! छल्लेसानो पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेसा जहा पढमसए वितिए उद्देसए तहेव लेस्साविभागो । अप्पाबहुगं च जाव' चउविहाणं देवाणं च उव्वि हाणं देवीणं मीसगं अप्पाबहुगंति ॥ जोगस्स अप्पाबहुग-पदं २. कतिविहा णं भंते ! संसारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता ? गोयमा! चोद्दसविहा संसारसमावन्नगा जीवा पणत्ता, तं जहा-१. सूहमा अप्पज्जत्तगा २. सहमा पज्जत्तगा ३. बादरा अप्पज्जत्तगा ४. बादरा पज्जत्तगा ५. बेइंदिया अप्पज्जत्तगा ६. बेइंदिया पज्जत्तगा .७. तेइंदिया अप्पज्जत्तगा ८. तेइंदिया पूज्जत्तगाह.चरिदिया अपज्जत्तगा १०. चरिदिया पज्जत्तगा० ११. असण्णिपंचिदिया अप्पज्जत्तगा १२. असण्णिपंचिदिया पज्जत्तगा १३. सण्णिपंचिंदिया अप्पज्जत्तगा १४. सण्णिपंचिदिया पज्जत्तगा॥ ३. एतेसि णं भंते ! चोद्दसविहाणं संसारसमावण्णगाणं जीवाणं जहण्णुक्कोसगस्स जोगस्स कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? १. भ० १।४-१०। २. भ० ११२०२, १० १७१२ । ३. सं० पा०-एवं तेइंदिया एवं चउरिदिया। ४. सं० पा० कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ६०१ Page #963 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०२ भगवई गोयमा ! १. सव्वत्थोवे सुहमस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए २. वादरस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ३. बंदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ४. एवं तेइंदियस्स ५. एवं चरिदियरस ६. असणिस्स पंचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुण ७. सण्णिस्स पंचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहष्णए जोए असंखेज्जमुणे ८. सुहुमस्स पज्जत्तुगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ६. बाद रस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे १०. सुहुमस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे ११. बादरस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जाप असखज्जगूण १२. सुहमस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जाए असंखेज्जगुणे १३. बादरस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे १४. बंदियस्स पज्जत्तगरस जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे १५. एवं तेदियस्स, एवं जाव १८. सण्णिचिदियस्स पज्जत्तगस्स जपणाए जोए असंखेज्जगुणे १६. ब दियस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जाए असंखेज्जगुणे २०. एवं दियस्स वि, एवं जाव २३. सणिपचिदियस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे २४. बेंदियस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे २५. एवं तेइंदियस्स वि, एवं जाव २८. सणिपंचिदियस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखे ज्जगुणे ।। समजोगि-विसमजोगि-पदं ४. दो भंते ! नेरइया पढमसमयोववन्नगा कि समजोगी ? विसमजोगी ? गोयमा ! सिय समजोगी, सिय विसमजोगी ।। ५. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय समजोगी, सिय विसमजोगी ? गोयमा ! पाहारयाओ वा से अणाहारए, अणाहारयानो वा से आहारए सिय हीणे, सिय तुल्ले, सिय अभहिए। जइ हीणे असंखेज्जइभागहीणे वा, संखेज्जइभागहीणे वा, संखेज्जगुणहीणे वा, असंखेज्जगुणहीणे था। अह अहिए असंखेज्जइभागमभहिए वा, संखेज्जइभागमहिए वा, संखेज्जगुणमहिए वा, असंखेज्जगुणमब्भहिए वा। से तेणद्वेणं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ-सिय समजोगी , सिय विसमजोगी ! एवं जाव वैमाणियाणं ।। जोग-पदं ६. कतिविहे णं भंते ! जोए पण्णत्ते ? गोयमा ! पण्णरसविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा.-१. सच्चमणजोए २. मोसमण ३, सं० पा०तेण?णं जाव सिय । १. कि विसमजोगी (अ,म); असमजोगी (ता)। २. आहारओ (अ,ख); आहाराओ (क,व,म)। Page #964 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (बीओ उद्देसो) ६०३ जोए' ३. सच्चामोसमणजोए ४. असच्चामोसमणजोए ५. सच्चवइजोए ६. मोसवइजोए ७. सच्चामोसवइजोए ८. असच्चामोसवइजोए ६. ओरालियसरीरकायजोए १०. पोरालियमीसासरीरकायजोए ११. वेउव्वियसरीरकायजोए १२. वेउब्वियमीसासरीरकायजोए १३. आहारगसरीरकायजोए १४. पाहारगमीसासरीरकायजोए १५. कम्मासरीरकायजोए ।। ७. एयस्स' णं भंते ! पण्णरसविहस्स जहण्णुक्कोसगस्स जोगस्स कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? .. गोयमा ! १. सव्वत्थोवे कम्मासरी रस्स' जहण्णए जोए २. ओरालियमीसगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ३. वे उव्वियमीसगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ४. ओरालियसरीरस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ५. वेउब्वियसरी रस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ६. कम्मासरीरस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे ७. आहारगमीसगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगणे.. तस्स चेव उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे ६,१०. पोरालियमीसगस्स, वेउव्वियमीसगस्स य--एएसि ण उक्कोसए जोए दोण्हवि तुल्ले असंखेज्जगुणे ११. असच्चामोसमणजोगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे १२. आहारासरीरस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे १३-१६. तिविहस्स मणजोगस्स चउब्विहस्स वइजोगस्स-एएसि णं सत्तण्ह वि तुल्ले जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे २०. आहारासरीरस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे २१-३०. पोरालियसरीरस्स, वेउव्वियसरी रस्स, चउव्विहस्स य मणजोगस्स, चउव्विहस्स य वइजोगस्स-एएसि णं दसण्ह वि तुल्ले उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे ।। ८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। बीओ उद्देसो दव्व-पदं ६. कतिविहा णं भंते ! दव्वा पण्णत्ता? गोयमा ! दुविहा दव्वा पण्णत्ता, तं जहा--जीवदव्वा य, अजीवदन्वा य ॥ १०. अजीवदव्वा णं भंते ! कति विहा पण्णत्ता ? १. असच्चमणजोए। (अ, क, ब, म)। २. तस्स (क)। ३. सं० पा.----कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ४. कम्मग° (क, ख, ब, म); कम्मसरीरगस्स (ता)। Page #965 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ भगवई गोयमा ! दुविहा पणत्ता, तं जहा-रूविअजीबदब्बा य, अरूविअजीवदव्वा य।। "अरूविअजीवदव्या णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा-धम्मस्थिकाए, धम्मस्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकायस्स देसे, अधम्मस्थिकायस्स पदेसा, पागासस्थिकाए, अागासत्थिकायस्स देसे, अागासत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमाए । १२. रूविजीवदव्वा गं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउविहा पण्णत्ता, तं जहा - खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, परमाणु पोग्गल ।। १३. ते णं भंते ! कि संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अणंता ? गोयमा! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ।। १४. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ--नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणता ? गोयमा ! अणंता परमाणुपोग्गला, अणंता दुपदेसिया खंधा जाव अणंता दसपदेसिया खंधा, अणंता संखेज्जपदेसिया खंधा, अणंता असंखेज्जपदेसिया खंधा, अणता अणंतपदेसिया खंधा 1 से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-ते णं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता॥ जीवदव्वा णं भंते ! कि संखेज्जा? असंखेज्जा ? अणता? गोयमा ? नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ॥ से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवदव्वा नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता? गोयमा ! असंखेज्जा नेरइया जाव असंखेज्जा वाउक्काइया, अणंता वणस्सइकाइया, असंखेज्जा वेदिया, एवं जाव वेमाणिया, अणंता सिद्धा । से तेगटेणं जाव अणंता॥ जीवाणं अजीवपरिभोग-पदं १७. जीवदव्वाणं भंते ! अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? अजीवदवाण जीवदवा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जीवदव्वाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हब्वमागच्छंति, नो अजीव दव्वाणं जीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ॥ १५. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चई - जीवदव्वाणं अजीवदव्या परिभोगत्ताए २. सं० पा० -बुच्चद जाव हव्वमागच्छति । १. सं० पा.-एवं एएणं अभिलावेणं जहा अजीवपज्जवा जाव से। Page #966 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५ पंचवीस इमं सतं (बीओ उद्देसो) हव्वमागच्छति, नो अजीवदव्वाणं जीवदव्वा परिभोगत्ताए ° हव्वमागच्छंति ? गोयमा! जीवदव्वा णं अजीवदव्वे परियादियंति परियादिइत्ता गोरालियं वेउब्वियं ग्राहारगं तेयगं कम्मगं, सोइंदियं जाव फासिंदियं, मणजोगं वइजोगं कायजोग, प्राणापाणुत्तं च निव्वत्तयंति । से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ ---जीवदव्वाणं अजीवदव्या परिभोगताए हब्वमागच्छंति, नो अजीवदव्वाणं जीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ।। १६. नेरइयाणं भंते ! अजीवदवा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ? अजीवदव्वाणं नेरइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! नेरइयाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, नो अजीव दव्वाणं ने रइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ।। २०. से केणट्रेणं ? गोयमा ! ने रइया अजीवदव्वे परियादियंति, परियादिइत्ता वेउव्विय-तेयगकम्मगं, सोइंदियं जाव फासिदियं, (मणजोगं बइजोगं कायजोगं ? ) प्राणापाणत्तं च निव्बत्तयति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइयाणं अजीवदवा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति, नो अजीवदव्याण नेरइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं—सरीरइंदियजोगा भाणियब्वा जस्स जे अत्थि। अवगाह-पदं २१. से नूणं भंते ! असंखेज्जे लोए अणंताई दव्वाइं आगासे भइयव्वाइं? हंता गोयमा ! असंखेज्जे लोए' 'अगंताई दवाई अागासे° भइयव्वाइं ॥ पोग्गलाणं चयादि-पदं २२. लोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपदेसे कतिदिसि पोग्गला चिज्जति ? गोयमा ! निव्वाघाएणं छद्दिसि, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं, सिय चउदिसिं, सिय पंचदिसि ।। २३. लोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपदेसे कतिदिसि पोग्गला छिज्जति ? एवं चेव । एवं उवचिज्जति, एवं अवचिज्जति ।। १. आणापारगत्तं (अ)। २. सं० पाo--तेरणतुणं जाव हव्वमागच्छति । ३. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ४. कोष्ठकवर्ती पाठः आदर्शषु नोपलभ्यते, किन्तु पूर्वसूत्रानुसारेण असौ युज्यते । ५. सं० पा०-लोए जाव भइयव्वाई। Page #967 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ०६ पोग्गलगहण - पदं २४. जीवे णं भंते ! जाई दबाई ओरालियसरीरत्ताए गेन्हइ ताई कि ठियाई गेहइ ? अट्टियाई गेहइ ? गोयमा ! ठियाई पि गेण्हइ, अट्ठियाई पि गेण्हई || २५. ताई भंते! किं दव्वयो गण्हइ ? खेत्तस्रो गेहइ ? कालो गेहइ ? भावप्रो ? गोमा ! दव्वो वि गण्हइ, खेत्तश्रो वि गण्हइ, कालो वि गण्हइ, भावश्रो वि ह । ताई दव्वश्रो श्रणंतपदेसियाइं दव्वाई, खेत्तम्रो ग्रसंखेज्जपदेसोगाढाई - एवं जहा पण्णवणाए पढमे ग्राहारुद्देसए जाव' निव्वाघाएणं छद्दिसि, वाघाय पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पंचदिसि ।। २६. जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं वेउब्वियसरीरत्ताए गेण्हइ ताई कि ठियाई गेहइ ? अट्टियाई गेण्हइ ? एवं चेव, नवरं नियमं छद्दिसि । एवं ग्राहारगसरीरत्ताए वि ॥ भगवई २७. जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई तेयगसरीरत्ताए गेण्हइ - पुच्छा । गोयमा ! ठियाई गेण्हइ, नो अट्ठियाई गेण्हइ । सेसं जहा प्रोरालियस रीरस्स । कम्मगसरीरे एवं चेव । एवं जाव भावओो वि गेव्हइ ॥ २८. जाई दव्वाई दव्वो गेहइ ताई किं एगपदेसियाई गेण्हइ ? दुपदेसियाई गेहइ ? एवं जहा भासापदे जाव' आणुपुवि गेहइ, नो प्रणाणुपुवि गेण्हइ || २६. ताई भंते ! कतिदिसि गेण्हइ ? गोयमा ! निव्वाघाएणं जहा श्ररालियस्स || ३०. जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई सोइंदियत्ताए गेण्हइ ०? जहा वेउब्वियसरीरं । एवं जाव जिभिदियत्ताए । फासिंदियत्ताए जहा ओरालियसरीरं । मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीरं, नवरं - नियमं छद्दिसि । एवं वइजोगत्ताए वि । कायजोगत्ताए जहा ओरालिय्सरीरस्स || ३१. जीवे णं भंते ! जाई दव्वाई श्राणापाणुत्ताए गेव्हइ ? जहेव प्रोरालियस रीरताए जाव सिय पंचदिसि || ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ' १. १०२८।१ । २. प० ११ । ३. कायजोगत्ताए वि (क, स) । ४. त्ति केइ चउवीसदंडएणं एताणि पदाणि भण्णंति जस्स जं अस्थि ( अ, क, ख, ता, ब, म, स); असी पाठ: वाचनान्तराभिधायकोस्ति | उद्देशकपूर्ती लिखितस्यास्य मूले प्रवेशो जात इति सम्भाव्यते । Page #968 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो) तइओ उद्देसो संठाण-पदं ३३. कति णं भंते ! संठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! छ संठाणा पण्णत्ता, तं जहा - परिमंडले, वट्टे, तसे, चउरंसे, प्रायते, णित्थं ॥ ३४. परिमंडला णं भंते ! संठाणा दव्वट्टयाए कि संखेज्जा ? असंखेज्जा ? प्रणता ? गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अनंता ॥ ६०७ ३५. बट्टा णं भंते ! संठाणा ०? एवं चैव । एवं जाव अणित्थंथा । एवं पएस याए वि । एवं दव्व-पट्टयाए वि ॥ ३६. एएसि णं भंते ! परिमंडल- वट्ट-तंस - चउरंस- प्रायत प्रणित्थंथाणं संठाणाणं दव्वट्ट्याए पएसट्टयाए दव्व-पएसटुयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा दव्वट्टयाए, वट्टा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, चउरंसा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, तंसा संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, प्रायता संठाणा दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, प्रणित्थंथा संठाणा दव्या असंखेज्जगुणा । पएसट्टयाए - सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा पट्टयाए, बट्टा ठाणा पएसट्टयाए संखेज्जगुणा, जहा दव्वट्टयाए तहा पएस - या विजा अणित्थंथा संठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा । दव्वटुपएस ट्ठयाए - सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा दव्वट्टयाए, सो चेव दव्वट्टयाए गमओ भाणियो जाव अणित्थंथा संठाणा दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा, अणित्थंथे हितो ठाणेहितो दव्वट्टयाए परिमंडला संठाणा परसट्टयाए प्रसंखेज्जगुणा, वट्टा संठाणा पएसटुयाए संखेज्जगुणा, सो चैव पएसट्टयाए गमश्री भाणियव्वो जाव अणित्था संठाणा पसट्टयाए असंखेज्जगुणा || रयणपभादिसंदभे संठाण-पदं ३७. कति णं भंते ! संठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच संठाणा पण्णत्ता, तं जहा - परिमंडले जाव प्रायते ॥ २८. परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अणंता ? गोयमा ! नो संखेज्जा, नो प्रसंखेज्जा, अनंता ॥ ३६. वट्टा णं भंते! संठाणा कि संखेज्जा ०? एवं चेव । एवं जाव श्रायता || ४०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए परिमंडला संठाणा किं संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अनंता ? १. X ( अ, क, ता, ब, म, स ) | २. सं० पा०- कय रेहितो जाव विसेसाहिया । Page #969 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ भगवई ४८. गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ।। ४१. वट्टा णं भंते ! संठाणा कि संखेज्जा ०? एवं चैव । एवं जाव आयता ।। ४२. सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए परिमंडला संठाणा ०? एवं चेव । एवं जाव अायता । एवं जाव अहेसत्तमाए । ४३. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे परिमंडला संठाणा ? एवं जाव अच्चुए। ४४. गेवेज्जविमाणे णं भंते ! परिमंडला संठाणा ? एवं चेव । एवं अणुत्तरविमा वि। एवं ईसिपदभाराए वि।। ४५. जत्थ णं भंते ! एगे परिमंडले संठाणे जवमज्झे तत्थ परिमंडला संठाणा कि संखेज्जा ? असंखेज्जा? अणंता? गोयमा! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणता ।। ४६. वट्टा ण भंते ! संठाणा कि संखेज्जा ? एवं चेव । एवं जाव आयता ।। ४७. जत्थ णं भंते ! एगे वटै संठाणे जवमझे तत्थ परिमंडला संठाणा०? एवं __ चेव । वट्टा संठाणा एवं चेव । एवं जाव अायता। एवं एक्केकेणं संठाणेणं पंच विचारेयवा 'जाव आयतेणं ।। जत्थ णं भंते ! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे परिमंडले संठाणे जवमझे तत्थ णं परिमंडला संठाणा कि संखेज्जा पुच्छा। गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणता। ४६. वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेज्जा? एवं चेव । एवं जाव आयता। ५०. जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वट्टे संठाणे जवमझे तत्थ णं परिमंडला संटाणा कि संखेज्जा -..पुच्छा। गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। वट्टा संठाणा एवं चेव । एवं जाव प्रायता । एवं पुणरवि एक्केकेणं संठाणेणं पंच वि चारेयव्वा जहेव हेट्ठिल्ला जाव प्रायतेणं । एवं जाव अहेसत्तमाए। एवं कप्पेसु वि जाव ईसीप भाराए पुढवीए॥ पएसावगाहतो संठाण निरूवण-पदं ५१. वट्टे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा ! वट्टे संठाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–घणवट्टे य, पतरवट्टे य । तत्थ णं जे से पतरवट्टे से दुविहे पण्णते, तं जहा---प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहण्णेणं पंचपदेसिए पंचपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेणं बारसपदेसिए बारसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। १. x (अ, क, ब, म, स)। Page #970 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो) १०६ तत्थ णं जे से धगवट्टे से दुविहे पण्णते, तं जहा---प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ ण जे से प्रोयपदेसिए से जहागण सत्तपदेसिए सत्तपदेसोगाढे पण्णते, उक्कोमेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ ण जे से जुम्मपदेसिए से जहणेणं बत्तीसपदेसिए बत्तीसपदेसोगाढे पाणत्ते, उक्कोसेणं अणंत पदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते ।। ५२. तंसे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा ! तंसे णं संठाणे दुविहे पण्णत्ते. तं जहा----घणतंसे य, पतरतसे य । तत्थ णं जे से पतरतसे से दुविहे पणत्ते, तं जहा---प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहण्णणं तिपदेसिए तिपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेणं छप्पदेसिए छप्पदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ ण जे से घणतसे मे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा ....अोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहण्णण पणतीसपदेसिए पणतोसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेणं चउप्पदेसिए चउप्पदेसोगाढे पाणत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए असंखे ज्जपदेसोगाढे' ।। ५३. चउरंसे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए--पुच्छा। गोयमा ! चउरंसे संठाणे दुविहे पण्णत्ते, 'तं जहा---घणचउरंसे यं, पतरचउरसे या तत्थ णं जे से पतरचउरंसे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहण्णेणं नवपदेसिए नवपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जादेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहणेणं च उपदेसिए च उपदेसोगा पण्णते, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे । तत्थ णं जे से घणचउरसे से दुविहे पण्णते, तं जहा--प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणणं सत्तावीसइपदेसिए सत्तावीसइपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से १. तं चेव (अ, ख, ता, ब, म, स) । २. तं चेव (अ, ख, ब, म, स); एवं चेव (ता)। ३. सं० पा०-भेदो जहेब वट्टस्स जाव तत्थ । ४. तं चेव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ५. तहेव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। Page #971 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१० भगवई जुम्मपदेसिए से जहणणं अटुपदेसिए अपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे । आयते णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ? गोयमा ! आयते णं संठाणे तिबिहे पण्णत्ते, तं जहा सेढिप्रायते, पतरायते, घणायते । तत्थ णं जे से सेढिायते से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा---प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से सोयपदेसिए से जहणणं तिपदेसिए तिपदेसोगाढे, उक्कोमेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ गंजे से जुम्मपदेसिए से जहणणं दुपदेसिए दुपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से पतरायते से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–ोयपदेसिए य जुम्मपदसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहण्णणं पण्ण रसपदेसिए पण्णरसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं 'अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे" । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेणं छप्पदेसिए छप्पदेसोगाढे, उक्कोसेणं 'अणतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से धणायते से दुविहे षण्णते, तं जहा-ओयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ ण जे से प्रोयपदेसिए से जहाणेणं पणयालीसपदेसिए पणयालीसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं 'अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से जम्मपदेसिए से जहणेणं बारसपदेसिए बारसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं 'अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे ५५. परिमंडले गं भते ! संठाणे कतिपदेसिए-पूच्छा। गोयमा! परिमंडले णं संठाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-घणपरिमंडले य, पतरपरिमंडले य। तत्थ णं जे से पतरपरिमंडले से जहण्णेणं वीसइपदेसिए वीसइपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे। तत्थ णं जे से घणपरिमंडले से जहण्णेणं चत्तालीसइपदेसिए चत्तालीसइपदेसो गाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते ॥ संठाणाणं कडजुम्मादि-पदं ५६. परिमंडले णं भंते ! संठाणे दन्वट्टयाए कि कडजुम्मे ? तेस्रोए ? दावरजुम्मे ? __ कलिग्रोए ? १. तहेव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. तं चेव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. तहेव (अ, क, ख, ता. ब, म, स)। ४,५. अणंत तहेव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६,७. अणंत तहेव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ८. तहेव (अ, क, ख, ता, म, स)। ६. बादरजुम्मे (अ, क, ख, ताम) सर्वत्र । Page #972 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो) ६११ गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोए, नो दावरजुम्मे, कलियोए' ॥ ५७. वट्टे णं भंते ! संठाणे दवट्ठयाए० ? एवं चेव । एवं जाव आयते ।। ५८. परिमंडला गं भंते ! संठाणा दवट्टयाए कि कडजुम्मा, तेयोया-पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा, सिय तेोगा, सिय दावरजुम्मा, सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेोगा, नो दावरजुम्मा, कलि योगा। एवं जाव आयता ।। ५६. परिमंडले णं भंते ! संठाणे पाएसट्टयाए कि कडजुम्मे पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मे, सिय तेयोगे, सिय दावरजुम्मे, सिय कलियोगे । एवं जाव प्रायते ॥ ६०. परिमंडला णं भंते ! संठाणा पदेसट्टयाए कि कडजुम्मा-पुच्छा। गोयमा ! अोधादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलि योगा; विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि, तेप्रोगा वि, दावरजुम्मा वि, कलियोगा वि । एवं जाव आयता ।। परिमंडले णं भते ! संठाणे किं कड जुम्मपदेसोगाढे जाव कलियोगपदेसोगाढे ? गोयमा ! कडजुम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसोगाढे, नो कलियोगपदेसोगाढे । ६२. वट्टे णं भंते ! संठाणे कि कडजुम्मपदेसोगाढे-पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे, सिय तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदे सोगाढे, सिय कलियोगपदेसोगाढे ॥ ६३. तसे णं भंते ! संठाणे-पुच्छा। गोयमा ! सिय कड जुम्मपदेसोगाढे, सिय ते योगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्म पदेसोगाढे, नो कलियोगपदेसोगाढे ॥ ६४. चउरंसे णं भंते ! संठाणे० ? जहा वट्टे तहा चउरसे वि ।। ६५. प्रायते णं भंते ! पुच्छा । गोयमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाब सिय कलि योगपदेसोगाढे ।। ६६. परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मपदेसोगाढा–पुच्छा ।। गोयमा ! अोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोग पदेसोगाढा, नो दाव रजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा ।। ६७. वट्टा णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मपदेसोगाढा-पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा, विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि, तेयोगपदेसोगाढा वि, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदेसोगाढा वि ।। १. कलिप्रोदे (ता)। Page #973 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२ ६८. तंसा णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मपदेसोगाढा - पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि, तेयोगपदेसोगाढा त्रि, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदेसोगाढा वि | चउरसा जहा वट्टा ॥ ६६. आयता णं भंते ! संठाणा--पुच्छा ! गोयमा ! प्रोघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोग पदेसोगाढा विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियो गपदेसोगाढा वि || ७०. परिमंडले णं भंते! संठाणे किं कडजुम्मसमयठितीए ? तेयोगसमयठितीए ? दावरजुम्मसमयठितीए ? कलियोगसमयठितीए ? भगवई गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयठितीए जाव सिय कलियोगसमयठितीए | एवं जाव ग्रायते || ७१. परिमंडला णं भंते ! संठाणा कि कडजुम्मसमयठितोया - पुच्छा ! गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयठितीया जाव सिय कलियोगसमयठितीया; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमययठितीया वि जाव कलियोगसमयठितीया वि । एवं जाव श्रायता ॥ ७२. परिमंडले णं भंते! संठाणे कालवण्णपज्जवेहिं कि कडजुम्मे जाव कलियोगे ? गोयमा ! सिय कडजुम्मे । एवं एएवं अभिलावेणं जहेव ठितीए | एवं नीलवण्णपज्जहिं । एवं पंचहि वण्णेहिं दोहिं गंधेहि, पंचहि रसेहि, अट्ठहि फासेहिं जाव लुक्खफासपज्जवेहि ॥ सेदि-पदं ७३. सेढीओ णं भंते ! दव्वट्टयाए कि संखेज्जायो ? असंखेज्जाओ ? श्रणंताओ ? गोमा ! नो संखेज्जाओ, ना ग्रसंखेज्जाश्रो, अनंताओ || ७४. पाईणपडीणायतायो' णं भंते! सेढोस्रो दव्वट्टयाए कि संखेज्जाओ ० ? एवं चेव । एवं दाहिणुत्तरायतानो वि । एवं उड्ढमहायता वि ॥ ७५. लोगागाससेढीओ गं भंते ! दव्वट्टयाए किं संखज्जायो ? असंखेज्जाओ ? प्रणतायो ? गोयमा ! नो संखेज्जाश्रो, असंखेज्जाश्रो, नो अता ॥ ७६. पाईणपडीणायताओ णं भंते ! लोगागाससेढो दव्वट्टयाए कि संखेज्जाश्रो० ? एवं चेव । एवं दाहिणुत्तरायता वि । एवं उड्ढमहायताओ वि ॥ ३. पादीण ० ( ख ) ; पातीणपड़िताओ (ता) | १. ०ट्टितिए ( अ, ब, म) २. नीलावण्ण ० ( क, ख, ब) 1 Page #974 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (तइओ उद्देमो) ६१३ ७७. लोगागासमेढीओ गं भंते! दव्वट्टयाए किं संखेज्जाओ ? असंखेज्जाओ ? प्रणता ?" गोमा ! तो संखेज्जाश्रो, नो असंखेज्जाओ, श्रणता । एवं पाईणपडीणायताो वि । एवं दाहिणुत्तरायताओ वि । एवं उड्ढमहायता वि ॥ ७८. सेढीयो णं भंते ! परसट्टयाए कि संग्वेज्जाश्रो ? जहा दव्वट्टयाए तहा पएसया विजा उड्डमहायतास्र त्रि । सव्वाश्री प्रणताओ || ७६. लोगागाससेढीओ णं भंते ! पसट्टयाए कि संखेज्जाश्रो - पुच्छा । गोयमा ! सिय संखेज्जायो, सिय असंखेज्जानो, तो अनंतायो । एवं पाईणपडणायताओं वि | दाहिणुत्तरायतायो वि एवं चेव । उड्ढमहायताओ' नो संखेज्जायो, ग्रसंखेज्जायो, नो प्रणताओ ॥ ८०. लोगागासडीयो णं भने ! पट्टयाए -पुच्छा । गोमा ! सिय संखेज्जाश्रो, सिय असंखेज्जायो, सिय प्रणताओ || ८१. पापडीणायताम्रो णं भने ! अलोगागासमेढीओ – पुच्छा | गोमा ! नो संखेज्जाओ, नो श्रसंखेज्जाश्रो, अगंताओ । एवं दाहिणुत्तरायतावि ॥ ८२. उड्ढमहायता - पुच्छा | गोमा ! सिय संखेज्जा, सिय असंखेज्जाम्रो, सिय प्रणतायो ॥ ८३. सेढीओ णं भंते! किं सादीयायो सपज्जवसियाश्रो ? सादीयाश्रो अपज्जवसियाश्रो ? प्रणादीयाम्रो सपज्जवरियाग्रो ? प्रणादीयाम्रो अपज्जवसियाओ ? गोयमा ! नो सादीयाश्र सपज्जवसियाग्रो, नो सादीयाको अपज्जवसियाओ, नो प्रणादया सुवज्जवसियाश्र, श्रणादीयाम्रो प्रज्जवसियाओ । एवं जाव उड्ढमहायताओ | ८४. लोगागाससेढीओ गं भंते! किं सादीयायो सपज्जवसियाओ - पुच्छा । गोयमा ! सादीयाश्रो सपज्जवसियाग्रो, नो सादीयाओ अपज्जवसियाओ नो प्रणादीया सपज्जवसिया, नो प्रणादीयाश्रो अपज्जवसियाओ । एवं जाव उड्ढमहायताओ || ८५. लोगागाससेढीग्रो णं भंते ! किं सादीयाश्रो सपज्जवसियात्री -पुच्छा । गोयमा ! सिय सादीयाग्रो सगज्जबसियाम्रो, सिय सादीयाम्रो अपज्जवसियाओ, far अादीयाओ सपज्जवसिया, सिय अणादीयाश्रो ग्रपज्जवसियाओ । पापडीणायता दाहिणुत्तरायतायो य एवं चेत्र नवरं - नो सादीयाश्रो १. पुच्छा (क, ता, बम) | २. एवं जाव ( क ब ) ! ३. ०ताओ वि ( अ स ) 1 Page #975 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सपज्जवसियानो, सिय सादीयानो अपज्जवसियाो । सेसं तं चेव । उड्ढमहाय ताया जहा मोहियानो तहेव चउभंगो ! ८६. सेढीयो णं भंते ! दवद्वयाए कि कडजुम्मायो, तेसोयानो-पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मायो, नो तेसोयाओ, नो दावरजुम्माओ, नो कलियोगायो। एवं जाव उड्ढमहायताओ। लोगागाससेढीओ एवं चेव । एवं अलोगागास सेढीओ वि॥ ८७. सेढीनो णं भंते ! पदेसट्ठयाए किं कडजुम्मायो ? एवं चेव । एवं जाव उड्ढमहायताप्रो॥ ८८. लोगागाससेढीयो गणं भंते ! पदेसद्वयाए-पुच्छा ।। गोयमा ! सिय कडजुम्माओ, नो तेप्रोयानो, सिय दावरजुम्माओ, नो कलियो गायो । एवं पाईणपडीणायतानो वि, दाहिशुत्तरायताप्रो वि !! ८६. उड्ढमहायताओ णं भंते ! पदेसट्ठयाए --- पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मायो, नो तेयोगायो, नो दावरजुम्मानो, नो कलियोगायो । १०. अलोगागाससेढीयो णं भते ! पदेसट्टयाए–पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मायो जाव सिय कलियोगायो। एवं पाईणपडीणायताओ वि ! एवं दाहिणुतरायताप्रो वि। उड्ढमहायतायो वि एवं चेव, नवरं -~नो कलियोगायो । सेसं तं चेव ॥ ६१. कति णं भंते ! सेढीग्रो पण्णत्तायो ? गोयमा ! सत्त सेढीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-उज्जुआयता, एगोवंका, दुहोवंका, एगोखहा, दुहझोखहा, चक्कवाला, अद्धचक्कवाला ।। अणुसे ढि-विसेदि-गति-पदं ६२. परमाणुपोग्गलाणं भंते ! कि अणुसेदि गती पवत्तति ? विसेदि गती पवत्तति ? गोयमा ! अणुमेदि गती पवत्तति, नो विसेदि गती पवत्तति ॥ १३. दुपएसियाणं भंते ! खंधाणं अणुमेदि गती पवत्तति ? विसेढि गती पवत्तति ? एवं चेव । एवं जाव अणंतपदेसियाणं खंधाणं ।।। ६४. नेरइयाणं भंते ! कि अणुसेदि गती पवत्तति ? विसेढि गती पवत्तति ? एवं चेव । एवं जाव वेमाणियाणं ।। निरयावास-पदं ६५. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता? १. ° पुग्गलाणं (अ)। Page #976 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (तइओ उद्देपो) ११५ गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, एवं जहा पढमसते पंचमुद्देसए जाव' अणुत्तरविमाण' ति ।। गणिपिडय-पदं ६६. कतिविहे णं भंते ! गणिपिडए पण्णते ? गोयमा ! दुवालसंगे गणिपिडए पण्णत्तं, तं जहा ...पायारो जाव' दिदिवानो। ६७. से किं तं पायारो ? पायारे णं समणाणं निग्गथाणं आयार-गोयर-विणय वेणइय-सिक्खा-भासा-अभासा-चरण-करण-जाया-माया-वित्तीयो पाविज्जति, एवं अंगपरूवणा भाणियन्वा जहा नंदीए जाव'---- सुत्तत्थो खलु पढमो, बीओ निज्जुत्तिमीसम्रो भणियो । तइयो य निरवसेसो, एस विही होइ अणुप्रोगे ॥१॥ अप्पाबहुय-पदं ६८. एएसि णं भंते ! नेरइयाणं जाव देवाणं सिद्धाण य पंचगतिसमासेणं कयरे कयरेहितो अप्पा बा? बहया वा? तल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? ० गोयमा ! अप्पाबहुयं जहा बहुवत्तव्वयाए, अटुगतिसमासप्पाबहुगं च ।। १६. एएसि गं भंते ! सइंदियाणं, एगिदियाणं जाव अणिदियाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा ? एयं पि जहा वहुवत्तव्वयाए तहेव प्रोहियं पयं भाणियब्वं, सकाइयअप्पाबहुगं तहेव अोहियं भाणियव्वं १००. एएसिणं भंते ! जीवाणं पोगलाणं अद्धासमयाण सव्वदव्वाणं सव्वपदेसाणं. सव्वपज्जवाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? जहा बहुवत्तन्वयाए । १०१. एएसि णं भंते ! जीवाणं, आउयस्स कम्मस्स बंधगाणं अबंधगाणं ? जहा बहवत्तव्वयाए जाव" ग्राउयस्स कम्मरस अवंधगा विसेसाहिया ।। १०२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ १. भ० १२१२-२१५ । २. एगा अणु ° (अ)। ३. भ० २०७५ । ४. नंदी सू० ८१-१२७ । ५. सं. पा...-पुच्छा ! ६. १०३। ७. समाअप्पा (ता, व, म)! ८. सकायअप्पा ° (ब)। ६. प० ३। १०. सं० पा०—पोग्गलाणं जाव सवपज्जवारण । अस्य पूर्ति: प्रज्ञापनाया: तृतीयपदात् कृता, वृत्ती किञ्चिदभेदो लभ्यते-इह यावत्कर गणादिदं दृश्यं-'समयाणं दव्वाणं यएसाणं' ति । ११. प० ३। Page #977 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ उत्थो उसो जुम्म-पदं १०३. कति णं भंते ! जुम्मा पण्णत्ता ? गोमा ! चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा - कडजुम्मे जाव' कलियोगे || १०४. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता -- कडजुम्मे जाव कलियोगे ? एवं जहा अट्टारसमसते चउत्थे उद्देसए तहेव जाव' से तेणद्वेष गोयमा ! एवं वुच्च ॥ १०५. नेरइयाणं भंते ! कति जुम्मा पण्णत्ता ? गोमा ! चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा - कडजुम्मे जाव कलियोगे ॥ १०६. से केणणं भंते ! एवं वुच्चइ - तेरइयाणं चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा - तव । एवं जाव वाउकाइयाणं || जुम्मे ? १०७. वणस्सइकाइयाणं भंते ! पुच्छा । १०८. से केणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ – वणस्सइकाइया जाव कलियोगा ? गोमा ! वणस्स इकाइया सिय कडजुम्मा, सिय तेयोगा, सिय दावरजुम्मा, सिय कलियोगा | गोयमा ! उववायं पडुच्च । से तेणद्वेणं तं चैव । बेंदियाणं जहा नेरइयाणं । एवं जाव वेमाणियाणं । सिद्धाणं जहा वणस्सइकाइयाणं ॥ १०६. कतिविहा णं भंते । सव्वदव्वा पण्णत्ता ? गोयमा ! छव्विहा सव्वदव्वा पण्णत्ता, तं जहा धम्मत्थिकाए, ग्रधम्मत्थिकाए जाव श्रद्धासमए ॥ ११०. धम्मत्थिकाए णं भंते ! दव्वट्टयाए कि कडजुम्मे जाव कलियोगे ? गोमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे । एवं अधम्मत्थि - कवि । एवं आगासत्थिकाए वि ।। १११. जीवत्थिकाए णं भंते ! - पुच्छा ! भगवई गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे ॥ १. भ० २५।५४ । ११२. पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! - पुच्छा । गोमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगं । ग्रद्धासमए जहा जीवत्थिकाए ॥ ११३. धम्मत्थिकाए णं भंते ! पदेसट्टयाए कि कडजुम्मे- पुच्छा । गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे । एवं जाव श्रद्धासमए ॥ २. भ० १५।६० । Page #978 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइम सतं (च उत्यो उद्देसो) ६१७ ११४. एएसि गं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय जाव अद्धासमयाणं दवट्ठ याए ? एएसि णं अप्पाबहुगं जहा' बहुवतव्वयाए तहेव निरवसेसं !! ११५. धम्मत्थिकाए ण भंते ! किं प्रोगाढे ? अणोगाढे ? गोयमा ! प्रोगाढे, नो अणोगाढे ॥ जइ प्रोगाढे कि संखेज्जपदेसोगाढे ? असंखेज्जपदेसोगाढे ? अणतपदेसोगाढे ? गोयमा ! नो संसेज्जपदेसोगाडे, असंखेज्जपदेसोगाढे, नो अणंतपदेसोगा।। ११७. जइ असंखेज्जपदेसोगाढे कि कडजुम्मपदेसोगाढे - पुच्छा। गोयमा ! कडजम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढ, नो दावरजुम्मपदेसोगाढे, नो कलियोगपदेसोगाढे । एवं अधम्मत्थिकाए वि । एवं प्रागासत्थिकाए वि । जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए, ग्रद्धासमए एवं चेव ।। ११८. इभा ण भंते ! रयणप्पभा पुढवी किं ओगाढा ? अणोगाढा ? जहेव धम्म थिकाए । एवं जाव अहंसत्तमा। सोहम्मे एवं चेव । एवं जाव ईसिपब्भारा पुढवी ।। ११६. जीवे णं नंते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मे --पुच्छा। गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोग, नो दावरजुम्मे, कलियोगे । एवं नेरइए वि ! एवं जाव सिद्धे ॥ जीवा णं भंते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मा--पुच्छा । गोयमा ! अोघादेसेणं कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा !! १२१. नेरइया णं भंते ! दवट्ठयाए–पुच्छा। गोयमा ! अोघादेसेणं सिथ कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा । एवं जाव सिद्धा ।। १२२. जीवे णं भंते ! पदेसट्टयाए कि कडजुम्मे-पुच्छा। गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। सरीरपदेते पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । एवं जाव वेमाणिए । १२३. सिद्धे णं भंते ! पदेसट्ठयाए किं कडजुम्मे-पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे ।। १२४. जीवा णं भंते ! पदेसट्टयाए कि कडजुम्मा---पुच्छा। गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च अोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। सरी रपदेसे पडुच्च प्रोधादेसेणं सिय १२० १. ५०३। Page #979 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं नेरइया वि । एवं जाव वेमाणिया ।। १२५. सिद्धा णं भंते ! -पुच्छा। गोयमा ! प्रोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। जीवे ण भंते ! कि कडजम्मपदेसोगाढे--पूच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाव सिय कलियोगपदेसोगाढे। एवं जाव सिद्धे। १२७. जीवा णं भंते ! कि कडजुम्मपदेसोगाढा-पुच्छा। गोयमा ! अोघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा ; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोगपदेसोगाढा वि ।। नेरइयाण--पूच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजम्मपदेसोगाढा जाय सिय कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोगपदेसोगाढा वि । एवं 'एगिदिय-सिद्धवज्जा सव्वे वि" । सिद्धा एगिदिया य जहा जीवा।। १२६. जीवे णं भंते ! कि कडजुम्मसमयद्वितीए-पुच्छा। गोयमा! कडजुम्मसमयट्टितीए, नो तेयोगसमयट्टितीए, नो दावरजुम्मसमयट्टितीए, नो कलियोगसमद्वितीए । १३०, नेरइए णं भते ! -- पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयद्वितीए जाव सिय कलियोगसमद्वितीए । एवं जाव वेमाणिए । सिद्धे जहा जीवे ।। १३१. जीवा णं भंते ! ---पूच्छा। - गोयमा ! प्रोधादेरोण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मसमयद्वितीया, नो तेयोग समयद्वितीया, नो दावरजम्मसमट्टितीया, नो कलियोगसमयद्वितीया ।। १३२. नेरइयाणं--पुच्छा। गोयमा ! प्रोघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयट्रितीया वि; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयद्वितीया वि जाव कलियोगसमय द्वितीया वि । एवं जाव वेमाणिया । सिद्धा जहा जीवा ।। १३३. जीवे गं भंते ! कालावण्णपज्जवेहि कि कडजुम्मे-पुच्छा। गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च तो कडजुम्मे जाव नो कलियोगे । सरीरपदेसे १. एगिदियवज्जा जाव (क, ता, ब)। Page #980 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४. पंचवीसइमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ६१६ पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । एवं जाव वेमाणिए । सिद्धो ण चेव पुच्छिज्जति ।। जीवा णं भंते ! कालाबण्णपज्जवेहिं -पुच्छा । गोयमा! जीवपदेसे पडुच्च अोघादेसेण वि' विहाणादेसेण वि नो कडजुम्मा जाव नो कलियोगा। सरोरपदेसे पडुच्च ओघादसेणं सिय कडजुम्ना जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं कडजम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं जाव वेमाणिया। एवं नीलावण्णपज्जवेहिं दंडनो भाणियन्बो एगत्तपुहत्तेणं । एवं जाव लुक्खफासपज्जवेहि ।। १३५. जीवे णं भंते ! ग्राभिणिवोहियनाणपज्जवेहि किं कडजुम्मे - पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । एवं एगिदियवज्ज जाव वैमाणिए । जीवाणं भंते ! आभिणिब्रोहियनाणपज्ज वेहि -- पुच्छा। गोयमा ! प्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मा जाब सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कड़जम्मा विजाव कलियोगा वि । एवं एगिदियवज्ज जाव वेमाणिया । एवं सुयनाणपज्जवेहि वि ! अोहिनाणपज्जवेहि थि एवं चेव, नवरं –विगलि दियाणं नत्थि प्रोहिनाणं । मणपज्जवनाणं पि एवं चेव, नवरं--जीवाणं मणुस्साण य, सेसाणं नत्थि ।। १३७. जीवे णं भंते ! केवलनाणपज्जवेहिं कि कडजुम्मे --- पुच्छा । गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। एवं मणुस्से वि। एवं सिद्धे वि ।। १३८. जीवा णं भंते ! केवल नाणपज्जवेहिं कि कडजुम्मा--पुच्छा। गोयमा ! अोघादसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावर जुम्मा, नो कलियोगा । एवं मणुस्सा वि । एवं सिद्धा वि !! १३६. जीवे णं भंते ! मइअण्णाणपज्जवेहिं कि कडजुम्मे० ? जहा आभिगिबोहिय नाणपज्जवेहि तहेव दो दंडगा। एवं सुयमण्णाणपज्जवेहि वि 1 एवं विभंगनाणपज्जवेहि वि। चक्खुदंसण-अचक्खुदंसण-प्रोहिदसणपज्जवेहि वि एवं चेव, नवरं --जस्स जं अस्थि तं भाणियव्वं । केवलदसणपज्जवेहिं जहा केवलनाण पज्जवेहिं ।। सरीर-पदं १४०. कति णं भंते ! सरी रगा पण्णता? गोयमा ! पंच सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा–ओरालिए जाव कम्मए । एत्थ सरीरगपदं निरवसेसं भाणियव्वं जहा' पण्णवणाए।। १. लुक्खाफास (ता)। ३. ५०१२। २. ° पज्जवेहि (ता, स) । Page #981 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेय-निरेय-पदं १४१. जीवा णं भंते ! कि रोया ? निरेया ? गोयमा ! जीवा सेया वि, निरेया वि ॥ १४२ सेकेणट्टे भंते ! एवं बुच्चइ- जीवा सेया वि, निरेया वि ? गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा 'संसारसमावण्णगा य, असंसारसमावण्णा'" य । तत्थ णं जे ते असंसारसमावण्णगा ते गं सिद्धा । सिद्धा णं दुविहा पण्णत्ता, तं जहां प्रणंतरसिद्धा य परंपरसिद्धा य । तत्थ णं जे ते परंपरसिद्धा ते गं निरंया । तत्थ गं जे ते अगंतरसिद्धा ते गं सेया ॥ १४३. ते णं भंते ! कि देसेया ? सव्वेया ? गोयमा ! तो देसेदा, सब्वेया । तत्थ गं जे ते संसारसमावण्णगा ते दुबिहा पण्णत्ता, तं जहा- सेलेसिपडिवण्णगा य असेलेसिपडिवण्णगा य । तत्थ णं जं ते सेलोसिपडिवण्णमा से णं निरेया, तत्थ गं जे ते असेलेसी पडिवण्णगा ते णं सेया ॥ १४४. ते णं भंते ! कि देसया ? सब्वेया ? 1 गोमा ! सेया वि, सव्वेया वि से तेणटुण गोयमा ! एवं वुच्चइ - जीवा सेया वि, निरेया वि ॥ ० १४५. नेरइया णं भंते ! कि देसेया ? सव्वेया ? गोयमा ! देसेया वि, सव्वेया वि ॥ १४६. से केणट्टेणं जाव सव्वेया वि ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - विग्गहगतिसमावण्णगा य, विहगतिसमावण्णगा य । तत्थ णं जे ते विग्गहगतिसमावण्णगा ते णं सब्वेया, तत्थ णं जे ते अविग्गहगतिसमावण्णगा तं णं देसेया । से तेणट्टेणं जाव सव्वेया वि । एवं जाव वैमाणिया || पोग्गल - पदं १४७. परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि संखेज्जा ? श्रसंखेज्जा ? अणता ? गोयमा ! नो संखज्जा, नो प्रसंखेज्जा, अनंता । एवं जाव प्रणतपदेसिया खंधा ॥ १४८. एगपदेसोगाढा णं भंते ! पोग्गला कि संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अनंता ? एवं चेव । एवं जाव असंखेज्जपद सोगाढा || १. असंसारसमावण्णगा य संसार (ता) | २. सं० पा०- तेरगणं जाव निरेया । Page #982 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीसइमं रात (चउत्यो उद्देशो) ६२१ १४६. एगसमद्वितीया णं भंते ! पोग्गला कि संखेज्जा ? एवं चेव । एवं जाव असंखेज्जसमयट्टितीया ।। १५०. एगगुणकालगा णं भते ! पोग्गला कि संखेज्जा० ? एवं चेव । एवं जाव अणंत गुणकालगा। एवं अवसेसा वि वण्णगंधरसफासा नेयव्वा जाव अणंतगुण लुक्ख ति॥ १५१. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपसियाण य खंधाणं दवट्टयाए कयरे कयरहितो बहुया ? गोयमा ! दुपदेसिएहितो खंधेहितो परमाणुपोग्गला दव्वट्ठयाए वहुया ।। १५२. एएसि णं भंते ! दुपदेसियाणं तिपदेसियाण य खंधाणं दवट्ठयाए कयरे कयरेहितो बया? गोयमा ! तिपदेसिएहितो खधेहितो दुपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए वहुया । एवं पाणं गमएणं जाब दसपदेसिाहिता खधेहितो नवपदेसिया खंधा दवट्ठयाए वया ।। १५३. एएसि णं भंते ! दसपदेसियाणं - पुच्छा। गोयमा ! दसपदेसिएहितो खंधेहितो संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए बहुया ॥ १५४. एएसि णं भंते ! संखेज्जपदेसियाण-- पुच्छा। गोयमा ! सखेजपसा हतो खंहितो असंखेजपदेसिया खधा दवट्टयाए वहुया ।। १५५. एसि णं भंते ! असंखेज्जपदेसियाणं -पुच्छा। गोयमा ! अणंतपदेसिएहितो खंधेहितो असंखेज्जपदेसिया खंधा दब्वट्ठयाए बहुया ॥ १५६. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाण दुपदेसियाण य खंधाणं पदेसट्टयाए कयरे कयरहितो वहुया? गोयमा ! परमाणुपोग्गले हितो दुपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए बहुया। एवं एएणं गमएणं जाव नवपदेसिएहितो खंहितो दसपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया । एवं सव्वत्थ' पुच्छियव्वं । दसपदेसिएहितो खंधेहितो संखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया । संखेज्जपदेसिएहितो खंधेहितो असंखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए वहुया ॥ १५७. एएसि णं भंते ! असंखेज्जपदेसियाणं--पुच्छा। गोयमा ! अणंतपदेसिएहितो खंहितो असंखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया ।। १. अप्पा वा बहुया वा (स)। २. सव्वत्थ वि (म)। Page #983 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ भगवई १५८. एएसि णं भंते ! एगपदेसोगाढाणं दुपदेसोगाढाण य पोग्गलाणं दव्वट्टयाए कयरे करेहितो विसेसाहिया ? गोयमा ! दुपदेसोगाढेहितो पांगलेहिंतो एगपदेसोगाढा पोम्गला दव्वट्टयाए विसेसाहिया । एवं एएवं गमएणं तिपदेसोगाढेहितो पोग्गले हितो दुपदेसोगाढा पोग्ला दव्वट्टयाए विसेसाहिया जाव दसपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो नवपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए विसेसाहिया । दसपदेसोगाहिती पोग्गले हितो संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वदुयाए बहुया । संखेज्जपदेसोगाढेहितो पोगले हितो ग्रसंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया ! पुच्छा सव्वत्थ भाणियव्वा || १५६. एएसि णं भंते ! एगपदेसोगाढाणं दुपदेसोगाढाण य पोग्गलाणं पदेसट्टयाए करे कय रेहितो विसेसाहिया ? गोयमा ! एगपदेसोगाढेहिंतो पोग्गलेहितो दुपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए विसेसाहिया । एवं जाव नवपदेसोगाढे हितो मोग्गलहितो दसपदंसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए विसेसाहिया । दसपदेसोगाडेहितो पोग्गलेहिता संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए वहुया । संखेज्जपदेसोगाढेहितो मोग्गलेहितो प्रसंसेज्जपदेसोगाढा पोम्गला पदेसट्टयाए बहुया || १६०. एएसि णं भंते ! एगसमयद्वितीयाणं दुसमयद्वितीयाण य पोग्गलाणं दव्वट्टयाए० ? जहा प्रोगाहणाए वत्तव्वया एवं ठितीए वि । १६१. एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं दुगुणकालगाण य पोग्गलाणं दव्वटुयाए० ? एएसि णं जहा परमाणुपोग्गलादीणं तहेव वत्तव्वथा निरवसेसा । एवं सव्वेसि वण्ण-गंध-रसाणं ॥ १६२. एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं दुगुणकक्खडाण यपोग्गलाणं दव्वट्टयाए करे करेहितो विसेसाहिया ? गोयमा ! एगगुणकक्खडेहितो पोग्गलहितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए विसेसाहिया । एवं जाव नवगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो दसगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए विसेसाहिया । दसगुणकवखडेहितो पोग्गलेहितो संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया । संखेज्जगुणकक्खडेहितो पोम्पले हितो श्रसंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए वहुया । श्रसंखेज्जगुणकक्खडे हितो पोग्गलेहितो अनंतगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया । एवं पदेसट्टयाए वि' । सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा । जहा कक्खडा एवं मउय- गरुय-लहुयावि । सीय - उसिण निद्ध-लुक्खा जहा वण्णा । १. कयरेहितो जाव (ता, स ) 1 २. विसेसाहिया वा ( अ, क, ख, ता, ब, म, स) । ३. जाव विसेसाहिया वा ( अ, ता, स ) । ४. निरवसेसं ( अ, ता ) । ५. जाव विसेसाहिया (ता) | ६. X ( अ ) । Page #984 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसम सतं (च उत्थो उद्देसो) ६२३ १६३. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं, संखेज्जपदेसियाणं, असंखेज्जपदेसियाणं, अणंतपदेसियाण य खंधाणं दबट्टयाए, पदसट्टयाए, दवट्ठ-पदेसट्ठयाए कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा अणंतपदसिया खंघा दवदयाए, परमाणमोग्गला दबदयाए अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा । पदेसट्टयाए--- सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाण, परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंबेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा। दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए--सब्बत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा दवट्ठयाए, 'ते चेव'' पदेसट्टयाए अणंतगुणा, परमाणुपोग्गला दबट्ठ-पदेसट्टयाए अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दवट्टयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्रयाए संखेज्जगणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखज्जगुणा, ते चैव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा ।। एएसि णं भंते ! एगपदेसोगादाणं, संखेज्जपदेसोगाढाणं, असंखेज्जपदेसोगाढाण य पोग्गलाणं दवट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा छगपदेसोगाढा पोग्गला दवट्याए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दवट्याए संखेज्जगणा, असंखेज्ज पदेसोगाढा पोग्गला दवट्याए असंखेज्जगुणा ! पदेसट्टयाए-सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला अपदेसट्टयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा । दवट्ठ-पदेसट्टयाए- सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला दवट्ठ-अपदेसट्टयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोगला दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा । असंखंज्जपदेसोगाढा पोरगला दव्वदयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा ॥ १६५. एएसि ग भंते ! एगसमयद्वितीयाणं, संखेज्जसमयट्टितीयाणं, असंखेज्जसमय द्वितीयाण य पोग्गलाणं० ? जहा योगाहणाए तहा ठितीए वि भाणियव्वं अप्पावहुगं ।। एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं, संखेज्जगुणकालगाणं, असंखेज्जगुणकालगाणं, अणंतगुणकालगाण य पोग्गलाणं दवट्टयाए, पदेसट्टयाए, दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? एएसिं जहा परमाणुपोग्गलाणं अप्पावहुगं तहा एएसि पि अप्पाबहुगं । एवं सेसाण वि वण्ण-गंध-रसाणं ।। ३. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। १. सं० पा०—कयरेहितो जाव विससाहिया। २. ते च्चेव (ता)। Page #985 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२४ भगवई १६७. एएसि णं भंते ! एगगुणकवखडाणं, संखेज्जगुणकयखडाणं, असंखेज्जगुणकक्ख डाणं, अणंतगुण कक्खडाण य पोग्गलाणं दबट्टयाए, पदेसट्टयाए, दवट्ठ-पदेस?याए कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगगुणकाखडा पोरगला दबट्टयाए, संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए संखेज्जगुणा, असखेज्जगुणकाखडा पोग्गला दब्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, अणंतगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए अगतगुणा। पदेसट्टयाए एवं चेव, नवरं---संख जगुणकवखडा पोग्गला पदसट्टयाए असंखेज्जगुणा । सेसं तं चेव । दन्वट्ठ-पदेसट्टयाए --- सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोरगला दवट्ठ-पदेसट्ठयाए । संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा । असंखेज्जगुणकखडा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेज गुणा, ते चेव पदेसद्वयाए असंखेज्जगुणा । अणंतमुणकवखडा पोगला दवट्ठयाए अणतगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए प्रणतगुणा । एवं मउय-गस्य-लहुयाण वि अप्पाबहुयं । सीय उसिण-निद्ध-लुक्खाणं तहा वण्णाणं तहेव ।। १६८. परमाणुपोग्गले णं भंते ! दबट्टयाए कि कडजुम्मे ? तेयोए ? दावर जुम्मे ? कलियोगे? गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो ते योगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे । एवं जाव अणंत पदेसिए खंधे ।। १६६. परमाणुपोग्गला णं भंते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मा- पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेगं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसणं नो काडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दादरजुम्मा, कलियोगा । एवं जाव अणंतपदेसिया खंधा ।। १७०. परमाणुपोग्गले गं भंत ! पदेसट्टयाए कि कडजुम्मे-- पुच्छा । गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, कलियोग ।। १७१. दुपदेसिय-पुच्छा । । गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो ते योगे, दायरजुम्मे, नो कलियोगे ॥ १७२. तिपदेसिए-पुच्छा। गोयमा ! नो कङजुम्मे, तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे ।। १७३. चउप्पदेसिए-पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावर जुम्मे, नो कलियोगे। पंचपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले । छप्पदेसिए जहा दुप्पदेसिए । सत्तपदेसिए जहा १. सं० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #986 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पचवीस इमं सतं (चउत्थो उद्देसो) १२५ तिपदेसिए । अट्ठपदेसिए जहा चउप्पदेसिए । नवपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले । दसपदेसिए जहा दुप्पदेसिए॥ १७४. संखेज्जपदेसिए णं भंते ! पोग्गले - पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाब सिय कलियोगे। एवं असंबेज्जपदेसिए वि, अणतपदेसिए वि॥ १७५. परमाणुपोग्गला णं संते ! पदेसट्ठयाए कि काडजुस्मा पुच्छा। गोयमा! अोधादे सेणं सिय बाडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजम्मा, नो योगा, नो दादरजुम्मा, कलियोगा ।। १७६. दुप्पदेसिया [..-.पुच्छा। गोयमा ! ग्रोधादेसणं सिय कहजुम्मा, नो तेयोगा, सिय दावरजम्मा, नो कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, दावरजम्मा, नो कलि योगा ॥ १७७. तिपदेसिया णं - पुच्छा। गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। १७८. चउप्पदेसिया णं - पुच्छा। गोयमा ! अोघादेसेण वि विहाणादेपेण वि काडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। पंचपदेसिया जहा परमाणुपोग्गला। छप्प देसिया जहा दुप्पदेसिया ! सत्तादेसिया जहा तिपदेसिया। अपदेसिया जहा चउपदेसिया। नवपदेसिया जहा परमाणुपोग्गला । दसपदेसिया जहा दुपदेसिया ।। १७६. संखेज्जपदेसिया णं पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं कड जुम्मा विजाब कलियोगा वि । एवं असंखेज्ज पदेसिया वि, अणंतपदेसिया वि ।। १८०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि कडजुम्मपदेसोगाढे- पुच्छा। गोयमा ! नो कडजुम्मपदेसोगाडे, नो तेयोगपदसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसो गाढे, कलियोगपदेसागाहे ।। १८१. दुपदेसिए णं-पुच्छा। गोयमा! नो कडजुम्मपदेसोगाढे, न। तयोगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्मपदेसो गाढे, सिय कलियोगपदेसोगाढे ।। १८२. तिपदेसिए णं-पुच्छा। - गोयमा ! नो कडजुम्मपदेसोगाडे, सिय तेयोगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्मपदेसो गाढे, सिय कलियोगपदेसोगाढे ॥ १८३. चउप्पदेसिए णं-पुच्छा । Page #987 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ भगवई गोमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाव सिय कलियोगपदेसोगाढे । एवं जाव तपदेसिए || १८४. परमाणुपोग्गला गं भंते ! कि कडजुम्मपदेसोगाढा - पुच्छा । गोयमा ! श्रोघादेमेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगप देसोगाढा विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदेसोगाढा || १८५. दुप्पदेसिया णं - पुच्छा ! गोमा ! ओघामेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा. नो कलियोगपदेसोगाढा विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, दावरजुम्मपदेसोगाढा वि, कलियोगपदेसोगाढा वि || १८६. तिप्पदेसिया गं - पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा ; विहाणादेसेणं नो कउजुम्मपदेसोगाढा, योगपदेसोगाढा वि, दावरजुम्मपदेसोगाढा वि, कलियोगपदेसोगाढा वि ॥ १८७ चउप्पदेसिया णं पुच्छा । गोयमा ! आघादेसेण कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोग पदेसोगाढा वि । एवं जाव प्रणतपदेसिया || १८८. परमाणुपोग्गले णं भंते । किं कडजुम्मसमयद्वितीए पुच्छा | गोमा ! सिय कडजुम्मसमयद्वितीए जाव सिय कलियोगसमयद्वितीए । एवं जाव तपदेसिए || १८६. परमाणुपोग्गला गं भंते! किंकडजुम्म - पुच्छा । गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोग समयद्वितीया; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयद्वितीया वि जाव कलियोगसमय द्वितीया वि । एवं जाव अगंतपदेसिया || १०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालावण्णपज्जवे हि किं कडजुम्मे ? तेयोगे ? जहा ठितीए वत्तब्वया एवं वण्णेसु वि सव्वेसु । गंधेमु वि एवं चेव । रसेसु वि जाव महुरो रसोति ॥ १९१ प्रणतपदेसिए णं भंते ! खंधे कक्खडफासपज्जवेहिं कि कडजुम्मे – पुच्छा । गोमा ! सिय उजुम्मे जाव सिय कलियोगे || १६२. श्रणतपदेसिया णं भंते ! खंधा कक्खडफासपज्जवेहि कि कडजुम्मा - पुच्छा । गोयमा ! प्रोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं जुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं मउय - गस्य - लहुया वि भाणियव्वा । सीय - उसिण- निद्ध-लुक्खा जहा वण्णा ॥ Page #988 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२७ पंचवीसइमं सतं (चउत्यो उद्देसो) १६३. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सड्ढे ? अणड्ढे ? गोयमा नो सड्ढे, अणड्ढे ।। १६४, दुपदेसिए णं-पुच्छा। गोयमा ! सड्ढे, नो अणड्ढे । तिपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले । चउपदेसिए जहा दुपदेसिए । पंचपदेसिए जहा तिपदेसिर। छप्पदेसिए जहा दुपदेसिए। सत्तपदेसिए जहा तिपदेसिए । अट्ठपदेसिए जहा दुपदेसिए । नवपदेसिए जहा तिपदेसिए । दसपदेसिए जहा दुपदेसिए । १६५. संखेज्जपदेसिए णं भंते ! खंधे –पुच्छा। गोयमा ! सिय सड्ढे, सिय अगड्ढे । एवं असंखेज्जपदेसिए वि । एवं अणंतपदे सिए वि ।। १६६. परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि सड्ढा ? अणड्ढा ? गोयमा ! सड्ढा वा, अणड्ढा बा । एवं जाव अणंतपदेसिया ।। १६७. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सेए ? निरोए ? गोयमा ! सिय सेए, सिय निरेए । एवं जाव अणंतपदेसिए । १६८. परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि मेया ? निरेया ? गोयमा ! सेया वि, निरेया वि । एवं जाव अणंतपदेसिया ।। १६६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! सेए कालमो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहह्मणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।। २००. परमाणुपोग्गले णं भंते ! निरेए कालो केवच्चिर होइ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं ! एवं जाव अणंतपदेसिए॥ २०१. परमाणुपोग्गला णं भंते ! सेया कालग्रो केवच्चिरं होंति ? गोयमा ! सव्वद्धं ।। २०२. परमाणुपोग्गला णं भंते ! निरेया कालमो केवच्चिरं होंति ? गोयमा ! सम्बद्ध । एवं जाव अणंतपदेसिया ।। २०३. परमाणुपोग्गलस्स णं भते ! सेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! सट्टाणतर पडुच्च जहण्णेण एक्क समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं । परढाणंतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समय, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ॥ २०४. निरेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ? गोयमा ! साणंतरं पडुच्च जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं । परट्ठाणतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ।। १. साढा (ख, ता)। २. केवचिरं (अ, क, ख, म)। Page #989 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२८ २०५. दुपदेसियस्स णं भंते ! खंधस्स सेयस्स - पुच्छा । गोयमा ! सट्टानंतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । परद्वाणंतर पडुच्च जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं प्रणतं कालं || २०६. निरेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ? २०७ परमाणुपोग्गलाणं भंते ! मेयाणं केवतियं कालं अंतर होइ ? गोयमा । नत्थि अंतरं ॥ गोयमा ! सद्गुणंतरं पडुच्च जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं ग्रावलियाए असंखेज्जइभागं । परद्वाणंतरं पडुच्च जहणणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं प्रणतं कालं । एवं जाव अणतपदेसियस्स || २०८. निरेयाणं केवतियं कालं अंतर होइ ? गोयमा ! नत्थि अंतरं । एवं जाव प्रणतपदेसियाणं संधाणं || भगवई २०६. एएसि णं भंते! परमाणुपोग्गलाणं गाणं निरेयाण य कयरे कयरेहितो' ● अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विमेसाहिया वा ? 2 गोयमा ! सव्वत्थोवा परमाणुपोगला सेया, निरेया असंखेज्जगुणा । एवं जाव असंखेज्जपदेसियाणं खंधाणं ॥ २१०. एएसि णं भंते । प्रणतपदेसियाणं खंधाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहितो ● अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा ग्रणतपदेसिया खंधा निरेया, सेया श्रणंतगुणा || २११ एएसि णं भंते ! परमाणुपोगलाणं, संखेज्जपदेसियाणं, असखेज्जपदेसियाणं, अणतपदेसियाण य खंधाणं सेयाणं निरेयाण य दव्वट्टयाए, पदेसट्टयाए, दव्वठ्ठसट्टयाए कमरे कयरेहितो ग्रष्मा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? " विसेसाहिया वा ? गोमा ! १. सव्वत्थोवा अणतपदेसिया संधा निरेया दव्वट्टयाए २. प्रणतपदेसिया खंधा सेया दव्वट्टयाए अनंतगुणा ३. परमाणुपोग्गला संया दव्वट्टयाए ग्रांतगुणा ४. संखेज्जपदेसिया खंधा सेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा ५. असंखंज्जपदेसिया वा सेया दव्वट्टयाए प्रसंखेज्जगुणा ६. परमाणुपोग्गला निरेया दवाए असंखेज्जगुणा ७. संखेज्जपदेसिया संधा निरेया दव्बट्टयाए संखंज्जगुणा ८. असंखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा । पदेसट्टयाए एवं चेत्र, नवरं - परमाणुगोग्गला अपदेसट्टयाए भाणियव्वा । संखं ज्जपदेसिया खंधा निरेया पट्टयाए असंखेज्जगुणा । सेसं तं चेत्र । दव्वटु-पदेसट्टयाए १. सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए २. ते चेव पदेसट्टयाए १. सं० पा० - करेहितो जाव विसेसाहिया । २. सं० पा० - करेहितो जाव विसेसाहिया । ३. सं० पा० -- कयरेहितो जाय विसेसाहिया | ४. असंखेज्जगुरणा (ख, ता) | Page #990 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं यतं (चउत्थो उद्देसो) ६२६ अणंतगुणा इ. अणंतपदेसिया बंधा मेया दव्वट्टयाए अणंतगुणा ४. ते चेव पदेस?याए अणंतगुणा ५. परमाणुपोरगला सेया दवट्ठ-अपदेसट्ठयाए अणंतगुणा ६. संखेज्जपदेसिया खंधा सेया दव्वट्ठयाप असंखेज्जगुणा ७. ते चेव पदेसट्टयाए असंखज्जगणा ८. असंखेज्जपदेसिया खंधा सेया दवट्याए असंखेज्जगणा ६. ते चव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १०. परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्ठअपदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा ११. मज्जपदेसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा १२. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १३. असंखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दबट्टयाए अमखेज्जगुणा १४. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्ज गुणा ॥ २१२. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि देसेए ? सव्वेए ? निरोए ? गोयमा ! नो देमेए, सिय सव्वेए, सिय निरोए ।। २१३. दुपदेसिए णं भंते ! बंधे-पुच्छा। गोयमा! सिय देसेए, सिय सम्ए, सिए निरेए । एवं जाव अणंतपदेसिए ।। २१४. परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि देसेया ? सव्वेया ? निरेया ? गोयमा ! नो देसेया, सब्वेया वि, निरेया वि ।। २१५. टुपदेसिया णं भंते ! खंधा --पुच्छा। गोयमा ! देसेया वि. सबवेया वि. निरेया वि । एवं जाव अणंतपदेसिया । २१६. परमाणयोगले णं भते ! सब्वेए कालमो केवच्चिर होइ? गोयमा ! जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं ग्रावलियाए असंखेज्जइभागं ।। २१७. निरेए कालमो केवच्चिरं होइ ? गोयमा! जहणणं एक समयं, उक्कोमेणं असंखेज कालं ।। २१८. दुपदेसिए णं भंते ! खंध देमेर कालो केवच्चिर होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।। २१६. सवाए कालयो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहरेणं एवकं समयं, उस्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं ॥ २२०. निरोए कालो कच्चिर होइ ? गोयमा ! जहणणं एक समयं. उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं। एवं जाव अणंत पदेसिए । २२१. परमाणुपोग्गला णं भंते ! सव्वेया कालओ केवच्चिरं होंति ? गोयमा ! सव्वद्धं ।। २२२. निरेया कालओ केवच्चिरं हांति ? सव्वद्धं ।। २२३. दुप्पदेसिया णं भंते ! खंधा देसेया कालमो केवच्चिरं होंति ? सव्वद्धं !। २२४. सव्वेया कालयो केवच्चिरं होंति ? सव्वद्वं ।। Page #991 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई २२५. निरेया कालयो केवच्चिरं होंति ? सव्वद्धं । एवं जाव अणंतपदेसिया ।। २२६. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! सब्वेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ ? गोयमा! सट्टाणंतरं पडुच्च जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं । परट्ठाणंतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं एवं चेव ।। २२७. निरेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ? सट्ठाणतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइ भागं । परहाणंतरं पडुच्च जहण्णेशं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं । २२८. दुपदेसियस्स णं भंते ! खंधस्स देसेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ ? सटाणतरं पडुच्च जहण्णेणं एककं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं । परदाणंतरं पडुच्च जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अगंतं कालं ।। २२६. सव्वे यस्स के वतियं काल अंतर होइ? एवं चेव जहा देसेय स्स ।। २३०. निरेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ? सटाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं । परढाणंतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं । एवं जाव अणंतपदेसियस्स ।। २३१. परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सव्वेयाणं केवतियं कालं' अंतरं होइ ? 'नत्थि अंतरं" ।। २३२. निरेयाणं केवतियं कालं अंतर होइ ? नत्थि अंतरं ।। २३३. दूपदेसियाणं भंते ! खंधाण देसेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ? नत्थि अंतरं ।। २३४. सव्वेयाणं केवतियं कालं अंतर होइ? नत्थि अंतरं ।। २३५. निरेयाणं केवतियं कालं अंतर होइ? नत्थि अंतरं । एवं जाव अणंतपदेसि याण ।। २३६. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सचेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? वहुया वा ? तुल्ला बा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सव्वेया, निरेया असंखेज्जगुणा ।। २३७. एएसि णं भंते ! दुपदेसियाणं खंधाणं देसेयाणं, सव्वेयाणं, निरेयाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा दुपदेसिया खंधा सव्वेया, देसे या असंखेज्जगुणा, निरेया असंखेज्जगणा । एवं जाव असंखेज्जपदेसियाणं खंधाणं ।। २३८. एएसि णं भंते ! अणंतपदेसियाणं खंधाणं देसेयाणं, सव्वेयाणं, निरेयाण य ३. मं० पालकयरेहितो जाव विसेसाहिया। १. नत्थंतरं (अ, क, ख, ता, म) ! २. सं० पा०कयरेहितो जाव विरोसाहिया । Page #992 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चवीसमं सतं (चउत्यो उद्देसो) ६३१ कयरे कयरेहिंतो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खंधा सव्वेया, निरेया ग्रणतगुणा, देसेया अनंतगुणा || २३६. एएसि णं भंते! परमाणुषोग्गलाणं, संखेज्जपदेसियाणं असंखेज्जपदेसियाणं अणतपदेसियाण य खंधाणं देसेयाणं, सव्वेयाणं, निरेयाणं दव्बट्टयाए, पदेसटूयाए, दव्ag - पट्टयाए कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! १ सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खंधा सव्वेया दव्वट्टयाए २. प्रांतपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए ग्रणतगुणा ३. प्रणतपदेसिया खंधा देसेया दट्टयाए अनंतगुणा ४. ग्रसंखेज्जपदेसिया खंधा सव्वेया दव्वट्टयाए अनंतगुणा ५. संखेज्जपदेसिया खंधा सध्या दव्वट्टयाए असंखंज्जगुणा ६. परमाणुपोग्गला सन्या दव्या असंखेज्जगुणा ७ संखेज्जपदेसिया खंधा देसेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा ८. असंखेज्जपदेसिया खंधा देनेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा & परमाणुपला निरेया दव्वट्टयाए ग्रसंखेज्जगुणा १०. संखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा ११ असंखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा । पदेसयाए - सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया | एवं पदेसट्टयाए वि, नवरं परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए भाणियन्वा । संखेज्जपदेसिया खंबा निरेया पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा । सेसं तं चैव । दव्व-पदेसट्टयाए - १. सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया खंधा सव्वैया दव्वट्टयाए २ ते चेव पदेसट्टयाए प्रणतगुणा ३. प्रणतपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए अनंतगुणा ४. ते चेव पदेसट्टयाए प्रणतगुणा ५. अणतपदेसिया खंधा देसेया दव्वट्टयाए भ्रणंतगुणा ६. ते चेव पट्टयाए अनंतगुणा ७. असंखेज्जपदेसिया खंधा सव्वैया दव्वट्टयाए अनंतगुणा ते चेव पदेसट्टयाए ग्रसंखंज्जगुणा ६ संखेज्जपदेसिया खंधा सब्वेया दव्वट्टयाए प्रसंखेज्जगुणा १०. ते चैव पदेसट्टयाए श्रसंखेज्जगुणा' ११. परमाणुपोगला सव्वेया दव्वटु-अपदेसट्टयाए ग्रसंखेज्जगुणा १२. संखेज्जपदेसिया खंधा देसेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा १३. ते खेव पदेसट्टयाए ग्रसंखेज्जगुणा १४. ग्रसंखेज्जपदेसिया खंधा देनेया दव्बट्टयाए असंखेज्जगुणा १५. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १६. परमाणुषोग्गला निरेया दव्वटु-अपदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १७. संखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दव्वटुयाए संखेज्जगुणा १. सं० पा० - करेहिती जाव विसेसाहिया । ३. संखेज्जगुणा (ता) 1 २. सं० पा० - करेहितो जाव विसेसाहिया 1 Page #993 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ भगवई १८. ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा १९. श्रसंखेज्जपदेसिया निरेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा २०. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा || मज्झपदेसा-पदं २४०. कति णं भंते ! धम्मत्किायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता ? गोमा ! टू धम्मत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता ॥ २४१. कति णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता ? एवं चेव ॥ २४२. कति णं भंते ! ग्रागासत्थिकायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता ? एवं चैव ॥ २४३. कति णं भंते ! जीवत्थिकायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता ? गोमा ! टु जीवत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता || २४४. एए णं भंते ! अट्ठ जीवत्थिकायस्स मज्झपदेसा कतिसु आगासपदेसेसु प्रोगाहति ? गोयमा ! जहणेणं एक्कसि वा दोहिं वा तीहि वा चउहि वा पंचहि वा छहिं वा, उक्कोसेणं, नो चेवणं सत्तसु ॥ २४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। पज्जव-पदं २४६. कतिविहाणं भंते ! पज्जवा पण्णत्ता ? पंचमो उद्देस गोयमा ! दुविहा पज्जवा पण्णत्ता, तं जहा- जीवपज्जवा य, ग्रजीवपज्जवा य। पज्जवपदं निरवसेसं भाणियव्वं जहा पण्णवणाए || काल-पदं २४७. ग्रावलिया णं भंते! किं संखेज्जा समया ? प्रसंखेज्जा समया ? अनंता समया ? गोयमा ! नो संखेज्जा समया, असंखेज्जा समया, नो ग्रणंता समया ॥ २४८. श्राणापाणू णं भंते ! कि संखेज्जा० ? एवं चेव || १. जीवपयं ( अ ) । २. ५०५। Page #994 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (पंचमो उद्देसो) ६३३ २४६. थोवे णं भंते! कि संखेज्जा० ? एवं चेत्र । एवं लवे वि, मुहुत्ते वि, एवं ग्रहो रने, एवं पक्खे, मासे, उऊ, ग्रयणे, संवच्छरे, जुगे, वाससए, वाससहस्से, वाससयसहस्से, पुब्वंगे, पुढे, तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे, 'हूहूयंगे, हूहूए", उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, 'प्रत्थनिपूरंगे, ग्रत्थनिपूरे", उयंगे, श्रउ, नउयंगे, नउए, पउयंगे, पउए, चूलियंगे, चूलिए, सोसपहेलियंगे, सीसपहेलिया, पलिश्रोत्रमे, सागरोवमे, श्रसप्पिणी । एवं उस्सप्पिणी वि ॥ २५०. पोरगलपरियट्टे णं भंते! कि संखेज्जा समया -- पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जा समया, नो असंखेज्जा समया, अनंता समया । एवं तीयद्धा, श्रणागयद्धा, सव्वद्धा ॥ २५१. आवलिया णं भंते ! कि संखेज्जा समया -पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जा समया, सिय श्रसंखेज्जा समया, सिय अनंता समया ॥ २५२. प्राणापाणू णं भंते ! किं संखेज्जा समया० ? एवं चेव ।। २५३. थोवा णं भंते! कि संखेज्जा समया० ? एवं चैव । एवं जाव ग्रोसप्पिणीओ त्ति ॥ २५४. पोग्गलपरियट्टा णं भंते! कि संसेज्जा समया - पुच्छा | गोयमा ! नो संखज्जा समया, नो असंखेज्जा समया, अणंता समया ॥ २५५. ग्राणापाणू णं भंते! कि संखेज्जाश्रो आवलिया - पुच्छा | गोयमा ! संखेज्जाओ आवलियाश्रो, नो प्रसंखेज्जाश्रो श्रावलियाम्रो, नो अणताश्रो आलिया । एवं थोवे वि । एवं जाव सीसपहेलियति ॥ २५६. पलिग्रोव मे णं भंते ! कि संखेज्जायो ग्रावलिया - पुच्छा ! गोयमा ! नो संखेज्जाश्रो आवलिया, प्रसंखेज्जाओ आवलियानो, नो श्रणंताओ ग्रावलिया । एवं सागरीवमे वि । एवं ग्रोसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ॥ २५७. पोग्गलपरियट्टे - पुच्छा ! गोयमा ! नो संखेज्जाओ ग्रावलियाओ, नो असंखेज्जाश्रो ग्रावलियानो, प्रणता आवलियाम्रो । एवं जाव सव्वद्धा ॥ २५८. आणापाणू णं भंते! किं संखेज्जाओ आवलियाश्रो -- पुच्छा । गोयमा ! सिय संखेज्जाश्रो ग्रावलियाग्रो, सिय असंखेज्जाओ, सिय प्रणताओ । एवं जाव सीसपहेलियाओ || २५६. पलिश्रवमा णं- पुच्छा ! १- हुहुयंगे हुहुए ( अ ) ; हृहुयंगे हुहुए (ता) । २. प्रथिनिन्भरंगे अत्थिनिब्भरे ( अ ) । Page #995 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ भगवई गोयमा ! नो संखेज्जाश्रो आवलियाओ, सिय असंखेज्जाम्रो आवलियाम्रो, सिय प्रणता ग्रावलिया । एवं जाव उस्सप्पिणीयो ॥ २६०. पोग्गल परियट्टा - पुच्छा । गोमा ! नो संखेज्जाम्रो आवलियाश्रो, नो प्रसंखेज्जायो आवलियाओ, अणंताम्रो आवलिया ॥ २६१. थोवे णं भंते! किं संखेज्जायो आणापाणयो ? श्रसंखंज्जाश्रो० ? जहा आवलियाए वत्तव्वया एवं आणापाणयो वि निरवसेसा । एवं एतेणं गमएण जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा ॥ २६२. सागरोवमे गं भंते ! कि संखेज्जा पलिश्रोवमा ? --- पुच्छा । गोयमा ! संखेज्जा पलिओवमा, नो असंखेज्जा पलिप्रोवमा, नो ग्रणंता पलिप्रोमा । एवं ओसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ॥ २६३. पोग्गलपरियट्टे णं-- पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जा पलिश्रोवमा, नो असंखेज्जा पलियोवमा, प्रणता पलिश्रवमा । एवं जाव सव्वद्धा ॥ २६४. सागरोवमा गं भूले ! किं संखेज्जा पलियोमा - पुच्छा ! गोयमा ! सिय संखेज्जा पलिओवमा, सिय संखेज्जा पलिप्रोमा, सिय श्रणंता पलिप्रोमा । एवं जाव प्रोसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ॥ २६५. पोग्मलपरियट्टा णं - पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जा पलियोवमा, नो असंखेज्जा पलिप्रोवमा, प्रणता पलिश्रवमा || २६६. ग्रोसप्पिणी णं भंते ! कि संखेज्जा सागरोवमा० ? जहा पलिप्रोवमस्स वत्तव्वया तहा सागरोवमस्स वि ॥ २६७. पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! कि संखेज्जाओ ग्रोसप्पिणी उस्सप्पिणीश्रो- पुच्छा ! गोयमा ! नो संखेज्जाश्रो ग्रसपिणि उस्सप्पिणीओ, नो संखेज्जानौ प्रसप्पिणि उस्सप्पिणीयो, अनंतायो ग्रोसप्पिणि उस्सप्पिणीश्रो । एवं जाव सव्वद्धा ॥ २६८. पोग्गल परियट्टा णं भंते ! कि संखेज्जाओ ग्रोसप्पिणि उस्सप्पिणीश्रो- पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जाश्रो श्रसप्पिणि उस्सप्पिणीओ, नो प्रसंखेज्जास्रो श्रसप्पिणि उस्सप्पिणीश्रो, श्रणंताओ ग्रोसप्पिणि उस्सप्पिणीयो ॥ २६६. तीतद्धा णं भंते! किं संखेज्जा पोग्गल परियट्टा - पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, नो असंखेज्जा पोम्गलपरियट्टा, अता पोग्गलपरियट्टा । एवं प्रणागयद्धा वि । एवं सव्वद्धा वि ॥ २७०. अणागयद्वा णं भंते ! किं संखेज्जाश्रो तीतद्धाओ ? असंखेज्जाओ० ? प्रणताओ० ? Page #996 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीस इमं सतं ( पचमो उद्देसो) ६३५ गोयमा ! नो संखेज्जाओ तीतद्धाम्रो, नो असंखेज्जायो तीतद्वान, नो श्रणंताओ तीतद्धाम्रो । प्रणागयद्धा णं तीतद्धाम्रो समयाहिया, तीतद्वा णं श्रणागयद्धाओ समयणा ॥ २७१. सब्वद्धा णं भंते ! कि संखेज्जाओ तीतद्धाओ - पुच्छा ! गोयमा ! नो संखेज्जाश्रो तीतद्धाओ, नो असंखेज्जाश्रो तीतद्धाओ, नो श्रणंताओ तीतद्धा । सव्वद्धा णं तीतद्धाम्रो सातिरेगदुगुणा, तीतद्धा णं सव्वद्धाओ थोवूए अद्धे ॥ २७२. सव्वद्धा णं भंते ! कि संखेज्जाम्रो ग्रणागयद्धाओं - पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जाश्रो ग्रणागयद्धाश्रो, नो असंखेज्जाम्रो प्रणागयद्वाश्रो, नो अगंताओ अगागयद्धा । सव्वद्धा णं अगागयद्धाओ थोवूणगदुगुणा । अणागयद्धा णं सव्वद्धानो सातिरेगे श्रद्धे || निगोद-पदं २७३. कतिविहा णं भंते ! निश्रोदा पण्णता ? गोयमा ! दुविहा निश्रोदा पण्णत्ता, तं जहा - निप्रोयगा य, निप्रोयगजीवा य ॥ २७४ निश्रोदा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- सुहुमनिगोदा' य, वायरनिप्रोदा' य । एवं नित्रोदा भाणियव्वा जहां' जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं ॥ नाम-पदं २७५. कतिविहे णं भंते ! नामे पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहे नामे पण्णत्ते, तं जहा- प्रदइए जाव" सण्णिवाइए || २७६. से किं तं प्रोदइए नामे ? इनामे दुविहे पण्णत्तं तं जहा - उदए य, उदयनिष्फण्णे य- - एवं जहा सत्तरसमस पढमे उद्देसए भावो तहेव इह वि, नवरं - इमं नामनाणतं, ' सेस तहेव जाव' सण्णिवाइए || २७७ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ १. नियोया ( अ, ता) २. सुहुमा नि० (ता) | ३. बातरनि० ( क ); बादरा नि० (ता) | ४. जी० ५।२ । ५. भ. १७/१६ । ६. नातं ( अ, ख, ता, ब, म, स ) ! ७. भ० १७।१७ । Page #997 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई छट्टो उद्देसो १. पण्णवण २. वेद ३. रागे, ४. कप्प ५. चरित ६. पडिसेवणा ७. नाणे। ८. तित्थे ६. लिंग १०. सरीरे, ११. खेत्ते १२. काल १३. गइ १४. संजम १५. निकासे ॥१॥ १६,१७. जोगुवनोग १८. कसाए, १६. लेसा २०. परिणाम २१. 'बंध २२. वेदे य। २३. कम्मोदी रण २४. उवसंपजहण्ण, २५. सण्णा य २६. पाहारे ॥२॥ २७. भव २८. आगरिसे .२६,३०. कालंतरे य ३१. स मुग्घाय ३२. खेत्त ३३. फुसणा य । ३४. भावे ३५. परिमाणे' खलु', ३६, अप्पावहुयं नियंठाणं ॥३॥ पण्णवण-पदं २७८. रायगिहे जाव एवं वयासी कति णं भंते ! नियंठा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच नियंठा पण्णत्ता, तं जहा -पुलाए, बउसे, कुसीले, नियंठे, सिणाए॥ २७६. पुलाए णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-नाणपुलाए, दंसणपुलाए, चरित्तपुलाए, लिंगपुलाए, अहासुहुमपुलाए नामं पंचमे ।। २८०. बउसे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-ग्राभोगवउसे, अणाभोगव उसे, संवुडब उसे, असंवुडब उसे, ग्रहासुहुमब उसे नाम पंचमे । २८१. कुसोले णं भंते ! कतिविहे पण्णते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–पडिसेवणाकुसीले य, कसायकुसीले य ।। २८२. पडिसेवणाकुसीले णं भंते ! कतिविहे पण्णते? गोयमा ! पचविहे पण्णते, तं जहा नाणपडिसेवणाकुसोले, दसणपडिसेवणाकुसीले, रित्तपडिसेवणाकुसीले, लिंगपडिसेवणाकुसीले, अहासुहमपडिसेवणा कुसीले नाम पंचमे ॥ २८३. कसायकुसीले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्त ? गोयमा ! पंचविहे पण्णते, तं जहा --नाणकसायकुसील, सणकसायकुसीले, चरित्तकसायकुसीले, लिंगकसायकुसीले, अहासुहुमकसायकुसीले नामं पंचमे ।। ३. या (ता)। १. बंधणे बेदे (ता, ब)। २. परिणामे (अ, स)। Page #998 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीस सतं (छट्टो उद्देसो) २८४. नियं णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - पढमसमयनियंठे, अपढमसमय नियंठे, चरिमसमयनियंठे', श्रचरिमसमयनियठे, महासुहमनियंठे नामं पंचमे || २८५. सिणाए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा — ग्रच्छवी, प्रसवले, कम्मंसे, संसुद्धनाणदंसणवरे रहा जिणे केवली, ग्रपरिस्सात्री' || वेद-पदं २८६. पुलाए गं भंते ! किं सवेदए होज्जा ? अवेदए होज्जा ? गोमा ! सवेदए होज्जा, नो भवेदए होज्जा | २८७. जइ सवेदए होज्जा किं इत्थवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिसनपुंसंगवेदए होज्जा ? गोमा ! तो इत्थवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा | २८८. वउसे गं भंते ! किं सवेदए होज्जा ? श्रवेदए होज्जा ? गोमा ! सवेदए होज्जा, नो प्रवेदए होज्जा | २८६. जइ सवेदए होज्जा कि इरिथवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिस २६०. कसायकुसीले णं भंते ! किं सवेदए - पुच्छा | गोयमा ! सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा ॥ २६१. जइ प्रवेदए कि उवसंतवेदए ? खोणवेदए होज्जा ? गोयमा ! उवसंत वेदए वा होज्जा, खीणवेदए वा होज्जा || २६२. जइ सवेदए होज्जा किं इत्थिवेदए - पुच्छा ! गोमा ! तिसु वि जहा बउसो || ६३७ नपुंगवेदए होज्जा ? गोमा ! इत्थवेदए वा होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा | एवं पडि सेवणाकुसीले वि ॥ १. चरम ( स ) । २. उत्तराध्ययनेषु त्वर्हन् जिनः केवलीत्ययं पञ्चमो भेद उक्तः । अपरिश्रावीति तु नाधीतमेव, वह चावस्थाभेदेन भेदो न केनचिद् वृत्तिकृतेहान्यत्र च ग्रन्थे व्याख्यातस्तत्र चैवं संभावयामः - शब्दनयापेक्षयैतेषां भेदो भावनीयः शक्रपुरन्दरावदिति (वृ); स्थानाङ्गवृत्तौ भाष्योल्लेख पूर्वकमेतच्चचितमस्ति निष्क्रियत्वात् सकल योगनिरोधे अपरिश्रावीत पञ्चमः क्वचित्पुनरर्हेन् जिन इति पञ्चमः । अत्र भाष्यगाथा: -- अच्छवि अस्सबले या, अकम्म संसुद्ध अरहजिरा 1 ३. अपरिसाती (ता) | Page #999 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३८ भगवद २६३. नियंठे णं भंते ! कि सवेदए.-...पुच्छा । गोयमा ! नो सवेदए होज्जा, अवेदए होज्जा ॥ २६४. जइ अवेदए होज्जा कि उवसंतवेदए-पुच्छा। गोयमा ! उवसंतवेदए वा होज्जा, खीणवेदए वा होज्जा ।। २६५. सिणाए णं भंते ! कि सवेदए होज्जा ०? जहा नियंठे तहा सिणाए वि, नवरं -नो उवसंतवेदए होज्जा, खीणवेदए होज्जा ।। राग-पदं २६६. पुलाए णं भंते ! किं सरागे होज्जा ? वीतरागे होज्जा ? गोयमा ! सरागे होज्जा, नो वोत रागे होज्जा । एवं जाव कसायकुसीले ।। २६७. नियंठे णं भंते ! कि सरागे होज्जा--पुच्छा। गोयमा ! नो सरागे होज्जा, बीतरागे होज्जा ।। २६८. जइ वीत रागे होज्जा कि उवसंतकसायवीतरागे होज्जा ? खीणकसायवीतरागे होज्जा? गोयमा ! उवसंतकसायवीतरागे वा होज्जा, खीणकसायवीतरागे वा होज्जा। सिणाए एवं चेव, नवरं नो उवसंतकसायवीतरागे होज्जा, खीणकसायवीत रागे होज्जा ।। कप्प-पदं २६६. पुलाए णं भंते ! किं ठियकप्पे होज्जा ? अट्रियकप्पे होज्जा ? गोयमा ! ठियकप्पे वा होज्जा, अट्टियकप्पे वा होज्जा। एवं जाव सिणाए ।। ३००. पुलाए णं भंते ! कि जिणकप्पे होज्जा ? थेरकप्पे होज्जा ? कप्पातीते होज्जा? गोयमा ! नो जिणकप्पे होज्जा, थेरकप्पे होज्जा, नो कप्पातीते होज्जा ।। ३०१. बउसे णं - पुच्छा। गोयमा ! जिणकप्पे वा होज्जा, थेरकप्पे वा होज्जा, नो कप्पातीते होज्जा। एवं पडिसेवणाकुसोले वि॥ ३०२. कसायकुसीले णं-पुच्छा। गोयमा ! जिणकप्पे वा होज्जा, थेरकप्पे वा होज्जा, कप्पातीते वा होज्जा ।। ३०३. नियंठे णं-पुच्छा। गोयमा ! नो जिणकप्पे होज्जा, नो थेरकप्पे होज्जा, कप्पातीते होज्जा । एवं सिणाए वि।। चरित्त-पदं ३०४. पुलाए णं भंते ! कि सामाइयसंजमे होज्जा ? छेोवट्ठावणियसंजमे होज्जा? परिहार विसुद्धियसंजमे होज्जा ? सुहुमसंपरागसंजमे होज्जा ? अहक्खायसंजमे होज्जा? Page #1000 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीस इमं सतं (छट्टो उद्देसो) गोयमा ! सामाइयसंजमे वा होज्जा, छेप्रोवट्ठावणियसंजमे वा होज्जा, नो परिहारविसुद्धियसंजमे होज्जा, नो सुहमसंपरागसंजमे होज्जा, नो अहक्खाय संजमे होज्जा । एवं बउसे वि । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३०५. कसायकुसीले णं -पुच्छा। गोयमा ! सामाइयसंजमे वा होज्जा जाव सुहमसंपरागसंजमे वा होज्जा, नो अहक्खायसंजमे होज्जा ।। ३०६. नियंठे णं-पुच्छा। गोयमा! नो सामाइयसंजमे होज्जा जाव नो सूहुमसंपरागसंजमे होज्जा, ग्रहक्खायसंजमे होज्जा । एवं सिणाए वि ।। पडिसेवणा-पद ३०७. पुलाए णं भंते ! कि पडिसेवए होज्जा ? अपडिसेवए होज्जा ? गोयमा ! पडिसेवए होज्जा, नो अपडिसेवए होज्जा ।। ३०८. जइ पडिसेवए होज्जा कि मूलगुणपडिसेवए होज्जा ? उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा? गोयमा ! मूलगुणपडिसेवए वा होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवए वा होज्जा । 'मूलगुणे पडिसेवमाणे' पंचण्हं प्रासवाणं अण्णयरं पडिसेवेज्जा, 'उत्तरगुणे पडिसेवमाणे" दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अण्णयरं पडिसे वेज्जा ॥ ३०६. वउसे णं - पुच्छा। गोयमा ! पडिसेवए होज्जा, नो अपडिसेवए होज्जा ।। ३१०. जइ पडिसेवए होज्जा किं मूलगुणपडिसेवए होज्जा ? उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा? गोयमा ! नो मूलगुणपडिसेवए होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा। उत्तरगुणे पडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अण्णयरं पडिसेवेज्जा। पडिसेवणा कुसीले जहा पुलाए । ३११. कसायकुसीले गं - पुच्छा । गोयमा ! नो पडिसेवए होज्जा, अपडिसेवए होज्जा। एवं नियंठे' वि । एवं सिणाए वि ॥ नाण-पदं ३१२. पुलाए णं भंते ! कतिसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा ! दोसु वा तिसु वा होज्जा । दोसु होमाणे दोसु आभिणिबोहियनाण१. मूलगुणपडि° (क, म); | ३. निग्गथे (स): २. उत्तरगुणपडि (अ, ख, ब, म) 1 Page #1001 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४० भगवई सुयनाणेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु आभिणिबोहियनाण-सुयनाण-प्रोहिनाणेसु होज्जा । एवं बउसे वि । एवं पडिमेवणाकुसीले वि।। कसाय कुसीले णं-पुच्छा। गोयमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा होज्जा । दोसु होमाणे दोसु आभिणिबोहियनाण-सुयनाणेसु हो ज्जा, तिसु होमाणे तिसु आभिणिबोहियनाण-सुयनाणमोहिनाणेसु होज्जा, ग्रहवा तिसु होमाणे आभिणिवोहियनाण-सुयनाणमणपज्जवनाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे च उसु प्राभिणिबोहियनाण-सुयनाण ओहिनाण-मणपज्जवनाणेसु होज्जा । एवं नियंठे वि।। ३१४. सिणाए णं -पुच्छा। गोयमा ! एगम्मि केवल नाणे होज्जा ॥ ३१५. पुलाए णं भंते ! केवतियं सुयं अहिज्जेज्जा? गोयमा ! जहणेणं नवमस्स पुव्वस्स ततियं आयारवत्यं, उक्कोसेणं नव पुवाइं अहिज्जेज्जा !! ३१६. बउसे-पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं अट्ठ पवयणमायानो, उक्कोसेणं दस पुब्वाइं अहिज्जेज्जा । एवं पडिसेवणाकुसीले वि।। कसायकुसीले----पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अट्ट पवयणमायायो, उक्कोसेणं चोद्दस पुव्वाइं अहिज्जेज्जा। एवं नियंठे वि ।। ३१८. सिणाए--पुच्छा। गोयमा ! सुयवतिरित्ते होज्जा ।। तित्थ-पद ३१६. पुलाए णं भंते ! कि तित्थे होज्जा ? अतित्थे होज्जा ? गोयमा! तित्थे होज्जा, नो अतित्थे होज्जा । एवं बउसे वि। एवं पडिसेवणा कुसीले वि ॥ ३२०. कसायकुसीले--पुच्छा। गोयमा ! तित्थे वा होज्जा, अतित्थे वा होज्जा ।।। ३२१. जइ अतित्थे होज्जा कि तित्थकरे होज्जा ? पत्तेयबुद्धे होज्जा ? गोयमा ! तित्थकरे वा होज्जा, पत्तेयबुद्धे वा होज्जा। एवं नियंठे वि । एवं सिणाए वि ।। लिंग-पदं ३२२. पुलाए णं भंते ! किं सलिंगे होज्जा ? अण्णलिंगे होज्जा? गिहिलिगे होज्जा ? Page #1002 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (छट्टो उद्देसो) गोयमा ! दव्यलिंगं पडुच्च सलिंगे वा होज्जा, अण्णलिंगे वा होज्जा, गिहिलिंगे वाहोज्जा | भावलिंगं पडुच्च नियमं सलिंगे होज्जा । एवं जाव सिणाए || सरीर-पदं ३२३. पुलाए णं भंते ! कतिसु सरीरेसु होज्जा ? गोयमा ! तिसु ओरालिय- तेया' - कम्मएस होज्जा | ३२४. बउसे गं भंते ! - पुच्छा । ३२५. कसायकुसीले पुच्छा । गोयमा ! तिसु वा चउसु वा होज्जा । तिसु होमाणे तिसु प्रोरालिय- तेयाकम्मएसु होज्जा, चउसु होमाणे चउसु प्रोरा लिय-वेउब्विय तेया-कम्मएसु होज्जा । एवं डिसेणाकुसीले वि ॥ खेत्त-पदं ३२६. पुलाए णं भंते ! कि कम्मभूमीए होज्जा ? श्रकम्मभूमीए होज्जा ? ६४१ गोयमा ! तिसु वा चउसु वा पंचसु वा होज्जा । तिसु होमाणे तिसु ओरालियतेया- कम्मएस होज्जा, चउसु होमाणे चउसु श्रोरालिय-वेउब्विय तेया- कम्मएसु होज्जा, पंचसु होमाणे पंचसु ओरालिय- वेउब्विय ग्राहारग तेया- कम्मएसु होज्जा | नियंठों सिणाओ य जहा पुलाओ || गोमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होज्जा, णो प्रकम्मभूमीए होज्जा ॥ ३२७. उसे गं - पुच्छा | गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होज्जा, नो ग्रकम्मभूमीए होज्जा | साहरणं पडुच्च कम्मभूमीए वा होज्जा, ग्रकम्मभूमीए वा होज्जा । एवं जाव सिणाए || काल-पदं ३२८. पुलाए णं भंते ! किं प्रोसप्पिणिकाले होज्जा ? उस्सप्पिणिकाले होज्जा ? नोग्रोसप्पिणि- नोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा ? गोयमा ! श्रसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोओसपण नोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा ।। ३२६. जइ सप्पिणिकाले होज्जा कि सुसमसुसमाकाले होज्जा ? सुसमाकाले होज्जा ? सुसमदुस्समाकाले होज्जा ? दुस्समसुसमाकाले होज्जा ? दुस्समाकाले होज्जा ? दुस्समदुस्समाकाले होज्जा ? १. तेय (अ) 1 २. दुसमाकाले ( अ, ता, म) 1 Page #1003 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ भगवई गोयमा ! जम्मणं पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा । संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा। ३३०. जइ उस्सप्पिणिकाले होज्जा कि दुस्समदुस्समाकरले होज्जा? दुस्समाकाले होज्जा ? दुस्समसुसमाकाले होज्जा ? सुसमदुस्समाकाले होज्जा ? सुसमाकाले होज्जा ? सुसमसुसमाकाले होज्जा ? गोयमा ! जम्मणं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, नो सुसमसुसमाकाले होज्जा । संतिभावं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, नो सुस मसुसमाकाले होज्जा ।। जइ नोमोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा कि सुसमसुसमापलिभागे होज्जा? सुसमापलिभागे होज्जा ? सुसमदुस्समापलिभागे होज्जा ? दुस्समसुसमापलिभागे होज्जा ? गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमापलिभागे होज्जा, नो सुसमापलिभागे होज्जा, नो सुसमदुस्समापलि भागे होज्जा, दुस्समसुसमापलिभागे होज्जा ॥ ३३२. उसे णं-पूच्छा । गोयमा ! प्रोसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोयो स प्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा ॥ ३३३. जइ अोसप्पिणिकाले होज्जा कि सुसमसुसमाकाले होज्जा -पुच्छा। गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो मुसमाकाले होज्जा। सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, दुस्सम।काले वा होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा । साहरणं पडुच्च अण्ण यरे समाकाले होज्जा ।।। ३३४. जइ उस्सप्पिणिकाले होज्जा किं दुस्समदुस्समाकाले होज्जा पुच्छा। गोयमा ! जम्मणं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा जहेव पुलाए। संति ३३१. १. उस्स ° (अ, क, ख, ता, म)। Page #1004 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ६४३ भावं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा । एवं संतिभावेण वि जहा पुलाए जाव नो सुसमसुसमाकाले होज्जा । साहरणं पडुच्च अण्णयरे समाकाले होज्जा। ३३५. जइ नोयोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा-पूच्छा। गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमापलिभागे होज्जा जहेव पुलाए जाव दुस्समसुसमापलि भागे होज्जा । साहरणं पडुच्च अण्णयरे पलिभागे होज्जा। जहा वउसे । एवं पडिवणाकुसीले वि। एवं कसायकुसीले वि । नियंठो सिणाओ य जहा पुलाओ, नवरं- एतेसिं अब्भहियं साहरणं भाणियव्वं । सेसं तं चेव ।। गति-पदं ३३६. पुलाए णं भंते ! कालगए समाणे कं गतिं गच्छति ? गोयमा ! देवगति गच्छति ॥ ३३७. देवगति गच्छमाणे कि भवणवासीसु उववज्नेज्जा? वाणमंतरेसु उववज्जेज्जा? जोइसिएस उववज्जेज्जा ? वेमाणिएम उववज्जेज्जा ? गोयमा ! नो भवणवासोसु, नो वाणमंतरे, नो जोइसिएसु, वेमाणिएसु उववज्जेज्जा । वेमाणिएसु उववज्जमाणे जहणणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे उववज्जेज्जा । वउसे णं एवं चेव, नवरं-उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे । पडिसेवणाकुसीले जहा बउसे । कसायकुसीले जहा पुलाए, नवरं । उक्कोसेणं ग्रणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा । नियंठे णं एवं चेव जाव वेमाणिएसु उववज्जमाणे अजहण्णमणुक्कोसेणं अणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा ।। सिणाए णं भंते ! कालगए समाणे कं गति गच्छइ ? गोयमा ! सिद्धिगति गच्छद। पुलाए णं भंते ! देवेसु उववज्जमाणे किं इंदत्ताए उववज्जेज्जा ? सामाणियताए उववज्जेज्जा ? तावनीसाए' उववज्जेज्जा? लोगशालताए उववज्जेज्जा? अहमिदत्ताए उववज्जेज्जा? गोयमा ! अविराहणं पडुच्च इंदत्ताए उववज्जेज्जा, सामाणियत्ताए उववाज्जेज्जा, तावत्तीसाए उववज्जेज्जा, लोगपालत्ताए उववज्जेज्जा, नो अहमिदताए उववज्जेज्जा। विराहणं पडुच्च अण्णयरेसु उववज्जेज्जा। एवं बउसे वि । एवं पडिसेवणाकुसोले वि।। ३४०. कसायकुसील-पुच्छा । १. किं (अ, स)। २. तावत्तीसगताए (ता) । ३. अहमिदत्ताए वा (स)। ४. भवनपत्यादीनामन्यतरेषु देवेषु (वृ)। Page #1005 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ भगवई गोयमा ! अविराहणं पडुच्च इंदत्ताए वा उववज्जेज्जा जाव अहमिंदत्ताए वा उववज्जेज्जा । विराहणं पडुच्च अण्णय रेसु उववज्जेज्जा ।। ३४१. नियंठे-पुच्छा। गोयमा ! अविराहणं पड़च्च नो इंदत्ताए उववज्जेज्जा जाव नो लोगपालत्ताए उववज्जेज्जा, अहमिंदत्ताए उववज्जेज्जा। विराहणं पडुच्च अग्णय रेसु उवव ज्जेज्जा ।। ३४२. पुलायस्स णं भंते ! देवलोगेसु उववज्जमाणस्स केवतियं कालं ठिती पण्णता ? गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमपुहत्त, उक्कोमेणं अट्ठारस सागरोक्माई।। ३४३, व उसस्स ----पुच्छा ।। गोयमा! जहण्णेणं पलिग्रोवमपुहत्तं, उक्कोसेणं वावीसं सागरोवमाइं। एवं पडिसेवणाकुसीलस्स वि ।। ३४४. कसायकुसीलस्स---पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं पलिनोवमपुहत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ।। ३४५. नियंठस्स-पुच्छा। गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ।। संजमट्ठाण-पदं ३४६. पुलागस्स णं भंते ! केवतिया संजमट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा संजमट्ठाणा पण्णत्ता । एवं जाव कसायकुसीलस्स ।। ३४७. नियंठस्स णं भंते ! केवतिया संजमट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! एगे अजहण्णमणुक्कोसए संजमट्ठाणे । एवं सिणायस्स वि ।। ३४८. एतेसि णं भंते ! पुलाग-व उस-पडिसेवणा-कसायकुसील-नियंठ-सिणायाणं संजम ट्ठाणाणं कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? • विपेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे नियंठस्स सिणायस्स य एगे अजहण्णमणुक्कोसए संजमट्ठाणे । पुलागस्स णं संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा । बउसस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा । पडिसेवणाकुसीलस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा ! कसायकुसी लस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा ।। निगास-पदं ३४६. पुलागस्स णं भंते ! केवतिया चरित्तपज्जवा पण्णत्ता? गोयमा ! अणंता चरित्तपज्जवा पण्णत्ता । एवं जाव सिणायस्स ।। १. सं० पा०.-कयरेहिनो जाव विसेसाहिया । Page #1006 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ९४५ ३५०. पुलाए णं भंते ! पुलागस्स सट्टाणसण्णि गासेणं चरित्तपज्जवेहि कि होणे ? तुल्ले ? अहिए? गोयमा ! सिय हीणे, सिय तुल्ले, सिय अब्भहिए । जइ हीणे अणंतभागहीणे वा, असंखेज्जइभागहीगे वा, संखेज्जइभागहीणे वा, संखेज्जगुणहीणे वा, असंखेज्जगुणहीणे वा, अणंतगुणहीणे वा । अह अब्भहिए अणंतभागमभहिए वा. असंखेज्जइभागमभहिए वा, संखेज्जभागमभहिए वा, संखेज्जगुणमभहिए वा, असंखेज्जगुणमब्भहिए वा, अणंतगुणमन्भहिए वा' । ३५१. पुलाए ण भंते ! बउसस्स परटाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं कि हीणे ? तुल्ले ? अब्भहिए? गोयमा ! होणे, नो तुलने, नो अब्भहिए; अणंतगुणहीणे । एवं पडिसेवणाकुसीलस्स वि। कसायकुसीलेणं समं छट्ठाणवडिए जहेव सट्ठाणे । नियंठस्स जहा बउसस्स । एवं सिणायस्स वि ।। ३५२. बउसे णं भंते ! पुलागस्स पराणसण्णिगामेणं चरित्तपज्जवेहिं कि हीणे ? तुल्ले ? अमहिा? गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिए---अणतगुणमभहिए ।। ३५३. बउसे णं भंते ! बउसस्स सट्ठाणसपिणगासेणं चरित्तपज्जवेहिं .-पुच्छा। गोयमा ! सिय होणे, सिय तुलने, सिय अब्भहिए । जइ हीणे छट्ठाणवरिए॥ ३५४. बउसे णं भंते ! पडिसेवणाकुसीलस्स परढाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहि कि हीणे० ? छटाणवडिए । एवं कसायकुसीलस्स वि ॥ ३५५. ब उसे णं भंते ! नियंठस्स पट्ठाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं--पुच्छा। गोयमा ! हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; अणंत गुणहीणे । एवं सिणायस्स वि । पडिसेवणाकुसोलस्स एवं चेव बउसवत्तब्बया भाणियब्वा । कसायकुसीलस्स एस चेव बउसवत्तव्वया, नवरं . पुलाएण वि समं छट्ठाणवडिए । ३५६. नियंठे णं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं--पुच्छा। ------------ - होन १. वृत्ती असदभावस्थापनया षटस्थान तितमेतद् उदाहृतमस्ति अधिक १. अनन्तभागहीन १०००० १. अनन्तभाग अधिक ६६०० २. असंख्यातभागहीन १०००० १८०० २. असंख्यातभागअधिक १८०० ३. संख्यातभागहीन १०००० ३. संख्यातभागअधिक १००० ४. संख्यातगुणहीन १०००० ४. संख्यातगुणअधिक १००० ५. असंख्यातगुणहीन १०००० २०० ५. असंख्यातगगाअधिक २०० ६. अनन्तगुणहीन १०००० । १०० ६. अननगुण अधिक १०० १०००० १०००० १०००० १०००० Page #1007 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! नो होणे, नो तुल्ले, अब्भहिए- अनंतगुणमब्भहिए। एवं जाव कसायकुसीलस्स ।। ३५७. नियंठे णं भंते! नियंठस्स सद्वाणसण्णिगासेणं पुच्छा । गोमा ! नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए || ३५८. नियंठस्स णं भंते ! सिणायस्स परद्वाणसणिगासेणं - पुच्छा । गोयमा ! नो हीणे, तुल्ले, नो प्रब्भहिए ॥ ° ३५६. सिणाए णं भंते ! पुलागस्स परद्वाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहि पुच्छा । गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, श्रब्भहिए - प्रणतगुणमब्भहिए। एवं जाव कसायकुसीलस्स ॥ ३६०. सिणाए णं भंते ! नियंठस्स परद्वाणसणिगासेणं - पुच्छा । गोयमा ! तो हीणे, तुल्ले, नो अव्भहिए • ॥ ૨૪૬ ३६१- सिणाए णं भंते ! सिणायस्स सट्टाणसणिगासेणं पुच्छा । गोयमा ! नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए || ३६२. एएसि णं भंते ! पुलाग बउस पडिसेवणाकुसील - कसायकुसील-नियंठ - सिणायाणं जणु कोसगाणं चरित्तरज्जवाणं कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! १. पुलागस्स कसायकुसीलस्स य एएसि णं जहण्णगा चरित्तपज्जवा दोह वितुल्ला सव्वत्थोवा २ पुलागस्स उक्कोसगा चरितपज्जवा प्रणंतगुणा ३. वउसस्स पडि सेवणाकुसोलस्स य एएसि गं जहणगा चरितपज्जवा दोन्ह वि तुल्ला प्रणतगुणा ४. बउसस्स उक्कोसगा वरित्तपज्जवा प्रणतगुणा ५. पडि सेवणाकुसीलस्स उक्कोसगा चरितवज्जवा प्रणतगुणा ६. कसायकुसीलस्स उनकोसगा चरितपज्जवा प्रणतगुणा ७. नियंठस्स सिणायस्स य एतेसि णं ग्रहणमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला प्रणतगुणा || जोग-पदं ३६३. पुलाए णं भंते ! किं सजोगी होज्जा ? श्रजोगी होज्जा ? गोयमा ! सजोगी होज्जा, नो अजोगी होज्जा ॥ ३६४. जइ सजोगी होज्जा किं मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी होज्जा ? गोमा ! मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा । एवं जाव नियंठे || १. सं० पा०--एवं सिणायस्स वि । २. सं० पा० - एवं जहा नियंठस्स वत्तब्वया तहा सिणायस्स वि भाणियव्वा जाव सिणाए । ३. सं० पा०—करेहितो जाव विसेसाहिया । Page #1008 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (छटो उद्देसो) ३६५. सिणाए णं-पुच्छा। गोयमा ! सजोगी वा होज्जा, अजोगी वा होज्जा। जइ सजोगी होज्जा कि मणजोगी होज्जा---सेसं जहा पुलागस्स ।। उवओग-पदं ३६६. पुलाए णं भंते ! किं सागारोवउत्ते होज्जा ? अणागारोवउत्ते होज्जा ? गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होज्जा, अणागारोवउत्ते वा होज्जा । एवं जाव सिणाए। कसाय-पदं ३६७. पुलाए णं भंते । सकसायी होज्जा? अकसायी होज्जा ? गोयमा ! सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा ।। ३६८. जइ सकसायी होज्जा, से ण भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा ! च उसु कोह-माण-माया-लोभेसु होज्जा । एवं बउसे वि । एवं पडिसवणाकुसीले वि ।। ३६६. कसायकुसीले णं पुच्छा। गोयमा ! सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा । ३७०. जइ सकसायी होज्जा, से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा ! च उसु वा तिसु वा दोसु वा एगम्मि वा होज्जा । चउसु होमाणे चउसु संजलणकोह-माण-माया-लोभेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु संजलणमाणमाया-लोभेसु होज्जा, दोसु होमाणे संजलणमाया-लोभेसु होज्जा, एगम्मि होमाणे संजलणलोभे होज्जा ।। ३७१. नियंठे णं -पुच्छा। गोयमा ! नो सकसायी होज्जा, अकसायी होज्जा ।। ३७२. जइ कसायी होज्जा कि उवसंतकसायी होज्जा ? खोणकसायी होज्जा? गोयमा! उवसंतकसायी वा होज्जा, खीणकसायी वा होज्जा। सिणाए एवं चेव, नवरं-नो उवसंतकसायी होज्जा, खोणकसायी होज्जा । लेस्सा -पदं ३७३. पुलाए णं भंते ! कि सलेस्से होज्जा ? अलेस्से होज्जा? गोयमा ! सलेस्सो होज्जा, नो अलेस्से होज्जा। ३७४. जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! तिसु विसुद्धलेस्सासु होज्जा, तं जहा-तेउलेस्साए, पम्हलेस्साए, सुक्कलेस्साए । एवं बउसस्स वि ! एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३७५. कसायकुसीले-पुच्छा। गोयमा ! सलेस्से होज्जा, नो अलेस्से होज्जा ॥ Page #1009 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४० भगवई ३७६. जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! छसु लेस्सासु होज्जा, तं जहा –कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए । ३७७. नियंठे णं भंते ! -पुच्छा। गोयमा ! सलेस्से होज्जा, नो अलेस्ने होज्जा ।। ३७८. जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! एक्काए सुक्कलेस्साए होज्जा ॥ ३७६. सिणाए--पुच्छा। गोयमा ! सलेस्से वा होज्जा, अलेस्से वा होज्जा ।। ३८०. जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ? गोयमा ! एगाए परमसुक्कलेस्साए होज्जा ।। परिणाम-पदं ३८१. पुलाए णं भंते ! किं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? हायमाणपरिणामे होज्जा? अवट्टियपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे वा होज्जा, हायमाणपरिणामे वा होज्जा, अवट्टियपरिणामे वा होज्जा । एवं जाव कसायकुसीले १ ३८२. नियंठे णं-पुच्छा। गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे होज्जा, नो हायमाणपरिणामे होज्जा, अवविय परिणामे वा होज्जा । एवं सिणाए वि ।। ३८३. पुलाए णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! जहाणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ३८४. केवतिथं कालं हायमाणपरिणामे होज्जा! गोयमा ! जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं ।। ३८५. केवतियं कालं अवट्टियपरिणामे होज्जा ? गोयमा! जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं सत्त समया। एवं जाव कसायकुसीले ।। ३८६. नियंठे णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! जहण्णेगं अंतोमुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ३८७. केवतियं कालं अवट्टियपरिणाम होज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ३८८. सिणाए णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! 'जहण्णेण वि" अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। १. हीपमाण ° (म, स)। २. जहणण्णं (अ. क. ख. ब, म, स)। Page #1010 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६ पंचवीसइम सत (छट्टो उद्देसो) ३८६. केवतियं कालं अवट्टियपरिणामे होज्जा ? ___ गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी।। बंध-पदं ३६०. पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ बंधति ? गोयमा ! आउयवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति ।। ३६१. वउसे -- पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहवंधए वा, अटविहबंधए वा । सत्त बंधमाणे याउयवज्जासो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति, अट्ट वंधमाणे पडिपुण्णायो अटु कम्मप्पगडीयो वंधति । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३६२. कसायकुसीले पुच्छा।। गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविबंधए वा, छविबंधए वा । सत्त वंधमाणे आउयवज्जाम्रो सत्त कम्मप्पगडीओ बंधति, अट्ठ वधमाणे पडिपुण्णाम्रो अट्ठ कम्मप्पगडीयो बंघति, छ बंधमाणे पाउय-मोहणिज्जवज्जापो छक्कम्मप्पग डीयो बंधति ।। ३६३. नियंठे ण-पुच्छा। गोयमा ! एग बेयणिज्ज कम्म बंधइ॥ ३६४. सिणाए-पुच्छा। गोयमा ! एगविहबंधए वा, प्रबंधए वा। एग बधमाणे एग वेयणिज्ज कम्म बंधई॥ वेदण-पदं ३६५. पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेइ ? गोयमा ! नियमं अट्ठ कम्मप्पगडीओ वेदेइ । एवं जाव कसायकुसीले ।। ३६६. नियंठे णं-पुच्छा। गोयमा ! मोहणिज्जवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीओ वेदेइ॥ ३६७. सिणाए णं-पुच्छा। गोयमा ! वेणिज्ज-ग्राउय-नाम-गोयानो चत्तारि कम्मप्पगडीमो वेदेइ ॥ उदीरणा-पदं ३६८. पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो उदीरेति ? गोयमा ! आउय-वेयणिज्जवज्जायो छ कम्मप्पगडीयो उदीरेति ।। ३६६. बउसे-पुच्छा। Page #1011 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५० भगवई ४००. गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा, अट्टविहउदीरए वा, छविहउदीरए वा । सत्त उदीरेमाणे आउयवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीयो उदी रेति, अट्ट उदीरेमाणे पडिपुण्णासो अट्ठ कम्मप्पगडीओ उदीरेति, छ उदीरेमाणे ग्राउय-वेयणिज्जवज्जाओ छ कम्मप्पगडीप्रो उदीरेति । पडिसेवणाकुसोले एवं चेव ।। कसायकुसीले—पुच्छा। गोयमा! सत्तविहउदीए वा, अढविहउदी रए वा, छब्बिहउदीरए वा, पंचविहउदीरए वा । सत्त उदीरेमाणे पाउयवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीग्रो उदीरेति, अट्ठ उदीरेमाणे पडिपुण्णाप्रो अट्ट कम्मप्पगडीअो उदीरेति, छ उदीरेमाणे आउयवेयणिज्जवज्जाो छ कम्मप्पगडीओ उदीरेति, पंच उदीरेमाणे आउय वेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जानो पंच कम्मप्पगडीओ उदीरेति ।। ४०१. नियंठे-पुच्छा। गोयमा ! पंचविहउदीरए वा, दुविहउदीरए वा। पंच उदीरेमाणे ग्राउयवेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जाम्रो पंच कम्मप्पगडीओ उदीरेति, दो उदीरेमाणे नाम च गोयं च उदोरेति ।। ४०२. सिणाए-पुच्छा। गोयमा ! दुविहउदीरए वा, अणुदीरए वा । दो उदीरेमाणे नामं च गोयं च उदीरेति ।। उवसंपज्जहण-पदं ४०३. पुलाए णं भंते ! पुलायत्तं जहमाणे कि जहति ? कि उवसंपज्जति ? गोयमा ! पुलायत्तं जहति । कसायकुसील' वा अस्संजमं वा उवसंपज्जति ।। ४०४. बउसे णं भंते ! वउसत्तं जहमाणे कि जहति ? कि उवसंपज्जति ? गोयमा! वउसत्तं जहति । पडिसेवणाकुसीलं वा कसायकुसीलं वा अस्संजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ।। ४०५. पडिसेवणाकुसीले णं-पुच्छा। गोयमा ! पडिसेवणाकुसीलत्तं जहति । बउसं वा कसायकुसीलं वा अस्संजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ।। ४०६. कसायकुसीले णं.-.-पुच्छा। गोयमा ! कसायकुसीलत्तं जहति । पुलायं वा बउसं वा पडिसेवणाकुसीलं वा नियंठं वा अस्संजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ॥ १. इह भावप्रत्ययलोपात् कषायकुशीलत्वमित्यादि दृश्यम् (वृ)। २. णं भंते ! पडि (अ, क, ख, व, म, स)। Page #1012 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ४०७. णियंठे-पुच्छा। ___ गोयमा ! नियंठत्तं जहति । कसायकुसोलं वा सिणायं वा अस्संजमं वा उवसप ज्जति ।। ४०८. सिणाए-पुच्छा । गोयमा ! सिणायत्तं जहति । सिद्धिति उवसंपज्जति ।। सण्णा -पदं ४०६. पुलाए णं भंते ! कि सण्णोव उत्ते होज्जा ? नोसण्णोवउत्ते होज्जा ? गोयमा! नोसण्णोव उत्ते होज्जा ।। ४१०. बउसे णं भंते !--पुच्छा। गोयमा ! सण्णोवउत्ते वा होज्जा, नो सण्णोवउत्ते वा होज्जा । एवं पडिसेवणा कुसीले वि ! एवं कसायकुसीले वि । नियंठे सिणाए य जहा पुलाए। पाहार-पदं ४११. पुलाए गं भंते ! किं आहारए होज्जा ? अणाहारए होज्जा ? __ गोयमा ! आहारए होज्जा, नो अणाहारए होज्जा । एवं जाव नियंठे ।। ४१२. सिणाए-पुच्छा। गोयमा ! आहारए वा होज्जा, अणाहारए वा होज्जा ।। भव-पदं ४१३. पुलाए णं भंते ! कति भवग्गहणाइं होज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं, उक्कोसेणं तिणि ।। ४१४. बउसे-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एक्क, उक्कोसेणं अट्ठ। एवं पडिसेवणाकुसीले वि । एवं कसायकुसीले वि । नियंठे जहा पुलाए । ४१५. सिणाए-पुच्छा। गोयमा ! एक्कं ॥ आगरिस-पदं ४१६. पुलागस्स णं भंते ! एगभवम्गहणीया केवतिया आगरिसा पण्णता? गोयमा ! जहणेणं एक्को, उक्कोसेणं तिण्णि ।। ४१७. बउसस्स णं-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एक्को, उक्कोसेणं सतग्गसो। एवं पडिसेवणाकुसीले वि, कसायकुसीले वि॥ १. एवं कसाय° (ब)। Page #1013 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ४१८. नियंठस्स णं-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं एक्को, उक्कोसेणं दोण्णि ।। ४१६. सिणायस्स ण पुच्छा। गोयमा ! एक्को' । पुलागस्स णं भते! नाणाभवग्गहीया केवतिया पागरिसा पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णणं दो पिण, उक्कोसेणं सत्त ।। ४२१. बउसस्स -- पुच्छा। गोयमा ! जहणणं दोण्णि, उक्कोसेणं सहस्सग्गसो'। एवं जाव कसायकुसीलस्स ।। ४२२. नियंठस्स णं-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं दोण्णि, उक्कोसेणं पंच ।। ४२३. सिणायस्स - पुच्छा। गोयमा ! नत्थि एक्को वि ।। काल-पदं ४२४. पुलाए णं भंते ! कालयो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ।। ४२५. बउसे · पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी । एवं पडिसेवणा कुसीले वि, कसायकुसीले वि ।। ४२६. नियंठे-पुच्छा। गोयमा ! जहणणेणं एवक समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ४२७. सिणाए.-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पवकोडी ॥ ४२८. पुलाया णं भंते ! कालनो केवच्चिरं होंति ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ४२६. बउसा ण - पुच्छा। गोयमा ! सव्वद्धं । एवं जाव कसालकुसीला । नियंठा जहा पुलागा। सिणाया जहा बउसा ।। अंतर-पदं ४३०. पुलागस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ? १. एक्को वि नत्थि (म, स)। २. सहस्ससो (अ, क, ख, ता, म)। Page #1014 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (छट्टो उद्देसो) उस्सप्पिणी नियंठस्स | ४३१. सिणायस्स - गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं प्रणतं कालं प्रणता श्रसप्पिणिकालओ, खेतम्रो अवड्ढ पोग्गलपरियट्टं देसूणं । एवं जाव - पुच्छा | गोयमा ! 'नत्थि अंतरं" ॥ ४३२. पुलायाणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ? गोमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं संखेज्जाई वासाई || ४३३. वउसाणं भंते ! पुच्छा । गोमा ! नत्थि अंतरं । एवं जाव कसायकुसीलाणं ॥ ४३४. नियंठाणं पुच्छा । समुग्धाय-पदं ४३५. पुलागस्स णं भंते ! कति समुग्धाया पण्णत्ता ? - गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा । सिणायाणं जहा बउसाण || ४३६. बउसस्स णं भंते ! – पुच्छा । गोमा ! तिणि समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेयणासमुग्धाए, कसायसमुग्धाए, मारणंतियसमुग्धाए ॥ ४३७. कसायकुसीलस्स — पुच्छा । गोमा ! पंच समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेयणासमुग्धाए जाव तेयासमुग्धाए । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ४३८. नियंठस्स णं पुच्छा । गोयमा ! छ समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा -- वेयणासमुग्धाए जाव प्रहारसमुग्धाए ॥ गोमा ! नत्थि एक्को वि ॥ ४३६. सिणायस्स - पुच्छा | ६५३ गोयमा ! एगे केवलिसमुग्धाए पण्णत्ते ॥ खेत्त-पदं ४४०. पुलाए णं भंते ! लोगस्स किं संखेज्जइभागे होज्जा ? असंखेज्जइभागे होज्जा ? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? सव्वलोए होज्जा ? गोयमा ! नो संखेज्जइभागे होज्जा, प्रसंखेज्जइभागे होज्जा, नो संखेज्जे सु १. नत्थंतर ( अ, क, ख, ता, व, म) । २. आहारगसमुग्धाए (ब, म) । Page #1015 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8५४ भगवई भागेसु होज्जा, नो नसंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो सध्वलोए होज्जा । एवं जाव नियंठे।। ४४१. सिगाए णं--पुच्छा। गोयमा ! नो संखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे होज्जा, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, सव्वलोए वा होज्जा ।। फुसणा-पदं ४४२. पुलाए णं भंते ! लोगस्स कि संखेज्जइभागं फुसइ ? असंखेज्जइभाग फुसइ ? एवं जहा प्रोगाहणा भणिया तहा फुसणा वि भाणियव्वा जाव सिणाए । भाव-पदं ४४३. पुलाए णं भंते ! कतरम्मि भावे होज्जा? गोयमा ! खोवसमिए भावे होज्जा । एवं जाव कसायकुसीले ।। ४४४. नियंठे--पुच्छा। गोयमा ! प्रोवसमिए वा खइए वा भावे होज्जा ।। ४४५. सिणाए-पुच्छा। गोयमा ! खइए भावे होज्जा ।। परिमाण-पदं ४४६. पुलाया णं भंते ! एगसमएणं केवतिया होज्जा ? गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अस्थि, सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं । पुवपडिवण्णए पडुच्च सिय अस्थि, सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सहस्सपुहत्तं ।।। ४४७. बउसा णं भंते ! एगसमएणं-पुच्छा। गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अस्थि, सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णेणं एवको वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं पुवपडिवण्णए पडुच्च जहोणं कोडिसयपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिसयपुहत्तं । एवं पडिसेवणा कुसीले वि॥ ४४८. कसायकुसीलाणं-पुच्छा। गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसे णं सहस्सपुहत्तं । पुवपडिवण्णए पडुच्च जहण्णेणं कोडिसहस्सपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिसहस्सपुहत्तं ॥ ४४६. नियंठाणं-पुच्छा। १. भावे वा (ता)। Page #1016 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अस्थि, सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं बावटुं सतं-अट्ठसयं खवगाणं, च उप्पन्न उवसामगाणं' । पुवपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नस्थि । जइ अस्थि जहण्णणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं ॥ ४५०. सिणायाणं-पुच्छो । गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं अट्ठसतं। पुवपडिवण्णए पडुच्च जहणणं कोडिपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिपुहत्तं ।। अप्पाबहुयत्त-पदं ४५१. एएसि णं भंते ! पुलाग-ब उस-पडिसेवणाकुसील-कसायकुसील-नियंठ-सिणायाण कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नियंठा, पुलागा संखेज्जगुणा, सिणाया संखज्जगुणा, वउसा संखेज्जगुणा, पडिसेवणाकुसीला संखेज्जगुणा, कसायकुसीला संखेज्ज गुणा ॥ ४५३. सवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।। सत्तमो उद्देसो पण्णवण-पद ४५३. कति णं भंते ! संजया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच संजया पण्णत्ता, तं जहा -सामाइयसंजए, छेदोवट्ठावणियसंजए, परिहारविसुद्धियसंजए", सुहुमसंपरायसंजए, अहक्खायसंजए । ४५४. सामाइयसंजए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- इत्तरिए य, आवकहिए य ।। ४५५. छेदोवट्ठावणियसंजए णं-पुच्छा। गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सातियारे य, निरतियारे य ।। ४५६. परिहारविसुद्धियसंजए-पुच्छा । १. उपसमगाणं (स)। २. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३. भ० ११५१ ४. द्वारिणय° (ता)। ५. विसुद्धिसंजए (ख)1 Page #1017 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ भगवई गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा निव्विसमाणए य, निविट्ठकाइए य ।। ४५७. सुहुमसंपरायसंजाए--- पुच्छा। गोयमा ! दुविहे पण्णत्तं, तं जहा.-संकिलिस्समाणए य, विसुज्झमाणए' य ।। ४५८. अहक्खायसंजए-पुच्छा। गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-छउमत्थे य, केवली य ।। संगहणी-गाहा सामाइयम्मि उ कए, चाउज्जामं अणुत्तरं धम्म । तिविहेणं फासयंतो, सामाइयसंजनो स खलु ॥१॥ छेतूण उ परियागं, पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं । धम्मम्मि पंचजामे, छेदोवट्ठावणो स खलु ॥२।। परिहरइ जो विसुद्धं, तु पंचयामं अणुत्तरं धम्म । तिविहेणं फासयंतो, परिहारियसंजनो स खलू ।।३।। लोभाग वेदंतो', जो खलु उक्सामग्रो व खवयो वा। सो सुहमसंपराओ, अहखाया ऊणलो किचि ॥४॥ उवसंते खीणम्मि व, जो खलु कम्मम्मि मोहणिज्जम्मि। छउमत्थो व जिणो वा, अहखानो संजनो स खलु ।।५।। वेद-पदं ४५६. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सवेदए होज्जा ? अवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा। जइ सवेदए – एवं जहां कसायकुसीले तहेव निरवसेसं । एवं छेदोवट्ठावणियसंजए वि । परिहारविसुद्धिय संजयो जहा पुलायो। सुहुमसंपरायसंजनो अहक्खायसंजनो य जहा नियंठो।। राग-पदं ४६०. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सरागे होज्जा ? वीयरागे होज्जा ? गोयमा ! सरागे होज्जा, नो वीयरागे होज्जा । एवं जाव सुहुमसंपरायसंजए। ग्रहक्खायसंजए । जहा नियंठे ।। १. विसुद्धमाणए (ता)। २. लोभमj (अ, क); लोभाणु (ख, ता, म, ___स); लोभाणु (ब)। ३. वेदयतो (अ); वेयंतो (ता)। ४. अहक्खाया (अ, क, ख, ब, म, स)। ५. भ० २५।२६१, २६२ । ६. भ० २५१२८६,२८७ । ७. भ. २५/२६३,२९४ । ८, भ० २५।२६७,२६८ ! Page #1018 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५७ पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) कप्प-पदं ४६१. सामाइयसंजए णं भंते ! किं ठियकप्पे होज्जा ? अट्टियकप्पे होज्जा ? गोयमा ! ठियकप्पे वा होज्जा, अट्ठियकप्पे वा होज्जा ।।। ४६२. छेदोवढावणियसंजए-पुच्छा। गोयमा ! ठियकप्पे होज्जा, नो अट्टियकप्पे होज्जा । एवं परिहारविसुद्धिय संजए वि । सेमा जहा सामाइयसंजए । ४६३. सामाइयसंजए णं भंते ! किं जिणकप्पे होज्जा ? थेरकप्पे होज्जा ? कप्पातीते होज्जा? गोयमा ! जिणकप्पे वा होज्जा, जहा' कसायकुसीले तहेव निरवसेसं । छेदो वट्ठावणियो परिहारविसुद्धियो य जहा बउसो । सेसा जहा नियंठे ।। नियंठ-पदं ४६४. सामाइयमंजए णं भंते ! कि पुलाए होज्जा ? बउसे जाव सिणाए होज्जा? गोयमा ! पुलाए वा होज्जा, व उसे जाव कसायकुसोले वा होज्जा, नो नियंठे होज्जा, नो सिणाए होज्जा । एवं छेदोवट्ठावणिए वि ।। ४६५. परिहारविसुद्धियसंजए णं-पुच्छा।। गोयमा ! नो पुलाए, नो बाउसे, नो पडिसेवणाकुसीले होज्जा; कसायकुसीले होज्जा, नो नियंठे होज्जा, नो सिणाए होज्जा । एवं सुहुमसंपराए वि ।। ४६६. अहक्खायसंजए-पच्छा। गोयमा ! नो पुलाए होज्जा जाव नो कसायकुसीले होज्जा, नियंठे वा होज्जा, सिणाए वा होज्जा ॥ पडिसेवणा-पदं ४६७. सामाइयसंजए णं भंते ! कि पडिसेवए होज्जा? अपडिसेवए होज्जा? गोयमा ! पडिसेवए वा होज्जा, अपडिसेवए वा होज्जा । जइ पडिसेवए होज्जा -कि मूलगुणपडिसेवए होज्जा, सेसं जहा पुलागस्स । जहा सामाइय संजए एवं छेदोवट्ठावणिए वि ।। ४६८. परिहारविसुद्धियसंजए—पुच्छा। गोयमा ! नो पडिसेवए होज्जा, अपडिसेवए होज्जा । एवं जाव' अहक्खायसंजए । १. भ० २५॥३०२। २. भ०२५१३०१ । ३. भ० २५।३०३। ४. भ०२५॥३०८। Page #1019 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नाण-पदं ४६६. सामाइयसंजए णं भंते ! कतिसु नाणेसु होज्जा ? गोयमा ! दोसु वा तिसु वा च उसु वा नाणेसु होज्जा । एवं जहा' कसायकुसीलस्स तहेव चत्तारि नाणाई भयणाए। एवं जाव' सुहुमसंपराए। अहक्खाय संजयस्स पंच नाणाई भयणाए जहा नाणुद्देसए ॥ ४७०. सामाइयसंजए णं भंते ! केवतियं सुयं अहिज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं अट्ठ पवयणमायानो, जहा' कसायकुसोले । एवं छेदोवट्ठाव णिए वि ।। ४७१. परिहारविसुद्धियसंजए-पुच्छा। गोयमा ! जहणेणं नवमस्स पुवस्स ततियं आयारवत्थु, उक्कोसेणं असंपुग्णाई दस पुवाइं अहिज्जेज्जा । सुहुमसंपरायसंजए जहा सामाझ्यसंजए ।। ४७२. अहक्खायसंजए-पुच्छा । ' गोयमा ! जहाणेणं अट्ठ पवयणमायामो, उक्कोसेणं चोइस पुव्वाइं अहिज्जेज्जा, सुयवतिरित्ते वा होज्जा ।। तित्थ-पदं ४७३. सामाइयसंजए णं भंते ! कि तित्ये होज्जा ? अतित्थे होज्जा ? गोयमा ! तित्थे वा होज्जा, अतित्थे वा होज्जा, जहा कसायकुसीले । छेदोवट्ठावणिए परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए । सेसा जहा सामाइयसंजए ।। लिग-पदं ४७४. सामाइयसंजए णं भंते ! कि सलिंगे होज्जा ? अण्णलिंगे होज्जा ? गिहिलिंगे होज्जा ? जहा पुलाए । एवं छेदोवट्ठावणिए वि ।। ४७५. परिहारविसुद्धियसंजए णं भंते ! किं-पुच्छा। गोयमा ! दवलिंग पि भावलिंग पि पडुच्च सलिंगे होज्जा, नो अण्णलिंगे होज्जा, नो गिहिलिगे होज्जा । सेसा जहा सामाइयसंजए । सरीर-पदं ४७६. सामाइयसंजए णं भंते ! कतिसु सरीरेसु होज्जा ? गोयमा ! तिसु वा चउसु वा पंचसु वा जहा' कसायकुसीले । एवं छेदोवट्ठावणिए वि । सेसा जहा पुलाए ॥ १. भ० २५।३१३ । २. भ० ८.१०५1 ३. भ० २५१३१७ । ४. भ० २५१३२१ । ५. भ. २५१३१६ । ६. भ० २५४३२२। ७. भ० २५१३२५ । ८. भ० २५१३२३ । Page #1020 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसा) ६५९ ४७७. सामाइयसंजए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होज्जा ? अकम्मभूमीए होज्जा ? गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च जहा' व उसे । एवं छेदोवट्ठावागिए वि । परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए । सेसा जहा सामाइयसंजए।।। काल-पदं ४७८. सामाइयसंजए णं भंते ! किं प्रोसप्पिणिकाले होज्जा ? उस्सप्पिणिकाले होज्जा ? नोमोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा ? गोयमा ! ग्रोसप्पिणिकाले जहा' वउसे 1 एवं छेदोवढावणिए वि, नवरंजम्मण-संतिभावं पडुच्च च उसु वि पलिभागेसु नत्थि, साहरणं पडुच्च अण्णयरे पडिभागे होज्जा, सेसं तं चेव ।। ४७६. परिहारविसूद्धिए-पुच्छा ।। गोयमा ! ओसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोमोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले नो होज्जा। जइ अोसप्पिणिकाले होज्जा -जहा' पुलायो। उस्सप्पिणिकाले वि जहा पुलाओ। सुहुमसंपराइनो जहा नियंठो ! एवं ग्रहक्खायो वि ॥ गति-पदं ४८०. सामाइयसंजए णं भंते ! कालगए समाणे कं' गति गच्छति ? गोयमा ! देवति गच्छति ।। ४८१. देवगतिं गच्छमाणे किं भवणवासोसु उववज्जेज्जा ? वाणमंतरेसु उववज्जेज्जा? जोइसिएसु उववज्जेज्जा ? वेमाणिएसु उववज्जेज्जा ? । गोयमा ! नो भवणवासोसु उववज्जेज्जा-जहा कसायकुसीले ! एवं छेदोव ट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए । सुहुमसंपराए जहा" नियंठे ।। ४८२. अहक्खाए-पुच्छा। गोयमा ! एवं अहक्खायसंजए वि जाव अजहण्णमणुक्कोसेणं अणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा; अत्थेगतिए सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ४८३. सामाइयसंजए णं भंते ! देवलोगेसु उववज्जमाणे कि इंदत्ताए उववज्जति पुच्छा । १. भ० २५।३२७ । २. भ० २५६३२६ । ३. भ. २५/३३२-३३५ । ४. भ०२१३२६। ५. भ० २५३३० । ६. भ० २५१३३५। ७. किं (अ, स)। ८. भ० २५॥३३७ ।। ६. भ० २२३३६,३३७ ! १०. भ० २०३३७ । Page #1021 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! अविराहणं पडुच्च एवं जहा' कसायकुसीले । एवं छेदोवढावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा' पुलाए । सेसा जहा' नियंठे ।। ४८४. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! देवलोगेसु उववज्जमाणस्स केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं दो पलिग्रोवमाई, उक्कोसेणं ते तीसं सागरोवमाइं । एवं छेदोवट्ठावणिए वि॥ ४८५. परिहारविसुद्धियस्स-पुच्छा । गोयमा ! जहणणं दो पलिपोवमाई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं, सेसाणं जहा नियंठस्स !! संजमट्ठाण-पदं ४८६. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवतिया संजमट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा संजमट्ठाणा पण्णत्ता । एवं जाव परिहारविसुद्धियस्स ।। ४८७. सुहुमसंपरायसंजयस्स-पच्छा। गोयमा ! असंखेज्जा अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा पण्णत्ता ।। ४८८. अहक्खायसंजयस्स ..पुच्छा। गोयमा ! एगे अजहण्णमणुक्कोसए संजमाणे पण्णते॥ ४८६. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेदोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहुमसंपराग अहक्खायसंजयाणं संज मट्ठाणाणं कयरे कयरेहितों' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सम्वत्थोवे अहक्खायसंजमस्स एगे अजहण्णमणुक्कोसए संजमट्ठाणे, सुहमसंपरागसंजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा, सामाइयसंजयस्स छदोवढावणिय संजयस्स य एएसि णं संजमट्ठाणा दोण्ह वि तुल्ला असंखेज्जगुणा ।। निगास-पदं ४६०. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवइया चरित्तपज्जवा पण्णत्ता? गोयमा ! अणंता चरित्तपज्जवा पण्णत्ता । एवं जाव अहक्खायसंजयस्स ।। ४६१. सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स सटाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहि किं हीणे ? तुल्ले ? अमहिए ? गोयमा ! सिय हीणे-छट्ठाणवडिए । १. भ० २।३४० । २. भ० २५।३३६ । ३. भ० २५४३४१ । ४. भ० २५४३४५ । ५. सं० पा.-कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ६. x (अ, क, ख, स)। Page #1022 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं मतं (सत्तमो उद्देसो) ४६२. सामाइयसंजए णं भंते ! छेदोवढावणियसंजयस्स परट्ठाणसण्णिगासेणं चरित्त पज्जवेहिं पूच्छा। गोयमा ! सिय हीणे--- छट्ठाणवडिए । एवं परिहारविसुद्धियस्स वि ।। ४६३. सामाइयसंजए णं भंते ! सुहुमसंपरागसंजयस्स परट्ठाणसण्णिगासेणं चरित्त पज्जवेहि ---पुच्छा! गोयमा ! होणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए, अणंतगुणहीणे । एवं अहक्खायसंजयस्स वि । एवं छेदोवट्ठावणिए वि हेटिल्लेसु तिसु वि समं छट्ठाणवडिए, उवरिल्ले सु दोसु तहेव हीणे ! जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारबिसुद्धिा वि ।। ४६४. सुहुमसंपरागसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स परट्ठाण-पुच्छा। गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिए --अणंतगुणमन्भहिए । एवं छेप्रोक्ट्ठावणिय परिहारविसुद्धिएसु वि समं । सट्ठाणे सिय होणे, नो तुल्ले, सिय अब्भ हिए । जइ होणे अणंतगुणहीणे, अह अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए। ४६५. सुहमसंपरायसंजयस्स अहक्खायसंजयस्स परट्ठाण -पुच्छा। गोयमा ! होणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; अणंतगुणहीणे । अहक्खाए हेटिल्लाणं चउण्ह वि नो होणे, नो तुल्ले, अब्भहिए—अणंतगुणमन्भहिए । सटाणे नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए ।। ४६६. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेदोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहेमसंपराय अहक्खायसंजयाणं जहण्णुक्कोसगाणं चरित्तपज्जवाणं कयरे कयरेहिंतो' 'अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सामाइयसंजयस्स छेनोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं जहण्णगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला सव्वत्थोवा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स जहण्णगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणतगणा, सामाइयसंजयस्स छेप्रोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं उक्कोसगा चरित्तपज्जया दोण्ह वि तुल्ला अणंतगुणा, सुहमसंपरायसंजयस्स जहण्णगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जया अणंतगुणा, अहक्खायसंजयस्स अजहण्णमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा ।। जोग-पदं ४६७. सामाइयसंजए णं भंते ! कि सजोगी होज्जा ? अजोगी होज्जा? गोयमा ! सजोगी जहा पुलाए। एवं जाव सुहुमसंपरायसंजए। अहक्खाए जहा सिणाए। ३. भ० २५।३६५ । १. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया । २. भ० २५३६३,३६४ । Page #1023 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवभोग-पदं ४६८. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सागारोवउत्ते होज्जा ? अणागारोव उत्ते होज्जा? गोयमा ! सागरोवउत्ते जहा पुलाए । एवं जाव अक्खाए, नवरं-सुहुमसंप राए सागारोव उत्ते होज्जा, नो अणागारोवउत्ते होज्जा ॥ कसाय-पदं ४६६. सामाइयसंजए णं भंते ! कि सकसायी होज्जा ? अकसायी होज्जा? गोयमा ! सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा जहा कसायकुसीले । एवं छेदोवट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा' पुलाए । ५००. सुहुँमसंपरागसंजए- पुच्छा। गोयमा ! सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा ।। ५०१. जइ सकसायी होज्जा, से णं भंते ! कतिसु कसायेसु होज्जा ? गोयमा ! एगम्मि संजलणलोभे होज्जा । अहक्खायसंजए जहा नियंठे ।। लेस्सा -पदं ५०२. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सलेस्से होज्जा ? अलेस्से होज्जा ? गोयमा ! सनेस्से होज्जा जहा' कसायकुसीले । एवं छेदोवट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा पुलाए । सुहुमसंपराए जहा' नियंठे। अक्खाए जहा सिणाए, नवरं-जइ सलेस्से होज्जा, एगाए सुक्कलेस्साए होज्जा ।। परिणाम-पदं ५०३. सामाइयसंजए णं भंते ! किं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? हायमाणपरिणामे ? अवट्ठियपरिणामे ? गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे जहा" पुलाए । एवं जाव परिहारविसुद्धिए ।। ५०४. सुहमसंपराए--पुच्छा। गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे वा होज्जा, हायमाणपरिणामे वा होज्जा, नो प्रवद्वियपरिणामे होज्जा । अहक्खाए जहा" नियंठे ।। ५०५. सामाइयसंजए णं भंते ! केवइयं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं जहा" पुलाए । एवं जाव परिहारविसुद्धिए।। १. भ. २५३६६ । २. भ० २५५३७० । ३. भ० २५१३६७,३६८ । ४. भ० २५१३७१,३७२ । ५. भ० २५॥३७५,३७६ । ६. भ० २५६३७३,३७४। ७. भ० २५।३७७,३७८ 1 ८. भ० २५। ७६,३८० ! ६. हीय ° (म)। १०. भ०२५।३८१ । ११. भ० २५१३८२% १२. भ० २५।३८३1 Page #1024 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ५०६. सुहमसंपरागसंजए णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं ।। ५०७. केवतियं कालं हायमाणपरिणामे होज्जा ? एवं चेव ।। ५०. अहक्खायसंजाणं भंते ! केवतियं कालं वडढमाणपरिणामे होज्जा? गोयमा ! जहणणं अतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ५०६. केवतियं कालं नवट्ठियपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं देसूणा पुन्वकोडी ।। बंध-पदं ५१०. सामाइयसंजए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडोरो बंधइ ? गोयमा! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविहबंधए वा, एवं जहा बउसे । एवं जाव परिहारविसुद्धिए । ५११. सुहुमसंपरागसंजए—पुच्छा। गोयमा ! अाउय-मोहणिज्जवज्जाओ छ कम्मप्पगडोग्रो वंधति ! अहक्खायसंजए जहा सिणाए । वेदण-पदं ५१२. सामाइयसंजए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेति ? गोयमा ! नियमं अट्ठ कम्मप्पगडीओ वेदेति । एवं जाव सुहमसंपराए । ५१३. अहक्खाए---पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहवेदए वा, चउविहवेदए वा । सत्त वेदेमाणे मोहणिज्जवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीओ वेदेति, चत्तारि वेदेमाणे वेयणिज्जाउय-नाम गोयायो चत्तारि कम्मप्पगडीप्रो वेदेति ।। उदीरणा-पदं ५१४. सामाइयसंजए णं भंते ! कति' कम्मप्पगडोप्रो उदीरेति ? गोयमा ! सत्तविहउदोरए वा जहा' बउसो । एवं जाव परिहारविसुद्धिए । ५१५. सुहुमसंपराए-पुच्छा। गोयमा ! छव्विहउदीरए वा, पंचविहउदीरए वा । छ उदीरेमाणे पाउयवेयणिज्जवज्जाओ छ कम्मप्पगडीयो उदीरेइ, पंच उदीरमाणे आउय वेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जाओ पंच कम्मप्पगडीयो उदीरेइ ।। ५१६. अहक्खायसंजए -पुच्छा। -.... - ------ - १. भ० २५१३६१ । ३. केवइ (ता)। २. भ०२५३६४ । ४. भ० २५॥३६६ । - - -- -- - Page #1025 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! पंचविहउदीरए वा दुविहउदीरए वा प्रणुदोरए वा । पंच उदीरेमाणे प्राउय-वेयणिज्ज - मोहणिज्जवज्जाश्रो । सेसं जहा नियंठस्स || उवसंज्जहण-पदं ९६४ ५१७. सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयत्तं जहमाणे किं जहति ? किं उवसंपज्जति ? गोयमा ! सामाइयसंजयत्तं जहति । छेदोवद्वावणियसंजय वा, सुहुमसंपरागसंजयं वा असंजम वा, संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ॥ ५१८. छेश्रोवद्वावणिए - पुच्छा | गोयमा ! छेोद्वावणियसंजयत्तं जहति । सामाइयसंजयं वा परिहारविसुद्धियसंजयं वा, सुहुमसंपरागसंजयं वा प्रसंजमं वा, संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ॥ ५१६. परिहारविसुद्धिए-- पुच्छा । गोयमा ! परिहारविसुद्धियसंजयत्तं जहति । छेदोवट्ठावणियसंजयं वा असंजमं वा उवसं पज्जति ॥ ५२०. सुहुमसंपराए -- पुच्छा । गोयमा ! सुहुमसंप राय संजयतं जहति । सामाइयसंजयं वा, छेग्रोवद्वावणिय संजयं वा, ग्रहखायसंजयं वा असंजम वा उवसंपज्जइ ॥ ५२१. अहक्खायसंजए – पुच्छा । गोयमा ! ग्रहखायसंजयत्तं जहति । सुहुम संपरागसंजयं वा असंजमं वा, सिद्धिगति वा उवसंपज्जइ ॥ सण्णा-पदं ५२२. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सण्णोवउत्ते होज्जा ? नो सण्णोवउत्ते होज्जा ? गोयमा ! सण्णोवउत्ते जहा वउसो । एवं जाव परिहारविसुद्धिए । सुहमसंपराए क्खाए य जहा पुलाए || आहार पदं ५२३. सामाइयसंजए णं भंते! किं श्राहारए होज्जा ? ग्रणाहारए होज्जा ? जहा पुलाए । एवं जाय सुहुमसंपराए । अहक्खाय संजए जहा ' सिणाए । १. भ० २५/४०१ । २. उपसंपत्तिप्रसङ्ग सर्वत्रापि भावप्रत्ययलोपो दृश्यते । ३. भ०१४१० । ४. भ० २५।४०६ । ५. भ० २५/४११ ६. भ० २५/४१२ । Page #1026 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) भव-पदं ५२४. सामाइयसंजए णं भंते ! कति भवग्गहणाइं होज्जा ? गोयमा ! जहणणं एक्कं, उक्कोसेणं अट्ठ । एवं छेदोवट्ठावणिए वि ।। ५२५. परिहारविसुद्धिए -- पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं, उक्कोसेणं तिण्णि । एवं जाव अहक्खाए । आगरिस-पदं ५२६. सामाइयसंजयस्स णं मंते ! एगभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं जहा' व उसस्स ।। ५२७. छेदोवट्ठावणियस्स- पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं एक्को', उक्कोसेणं वीसपुहत्तं ।। ५२८. परिहारविसुद्धियस्स -पुच्छा। गोयमा ! जहाणेणं एक्को, उक्कोसेणं तिण्णि ।। ५२६. सुहंमसंपरायस्स- पुच्छा। गोयमा ! जहणणं एक्को, उक्कोसेणं चत्तारि ।। ५३०. अहक्खायस्स--- पुच्छा। गोयमा ! जहणणं एक्को, उक्कोसेणं दोणि ।। ५३१. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! नाणाभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहा' बउसे ।। ५३२. छेदोवट्ठावणियस्स--पुच्छा । गोयमा ! जहणणं दोषिण, उक्कोसेणं उरि नवण्हं सयाणं अंतो सहस्सस्स । परिहारविसुद्धियस्स जहण्णेणं दोण्णि, उक्कोसेणं सत्त । सुहुमसंपरागस्स जहण्णेणं दोष्णि, उक्कोसेणं नव । अहक्खायस्स जहण्णेणं दोण्णि, उक्कोसेणं पंच ।। काल-पदं ५३३. सामाइयसंजए णं भंते ! कालमो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणएहिं नवहिं वासेहि ऊणिया पुवकोडी । एवं छेदोवट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणएहिं एकूणतीसाए वासेहिं ऊणिया पुवकोडी। सुहुमसंपराए जहा नियंठे। अहवखाए जहा सामाइयसंजए। ५३४. सामाइयसंजया णं भंते ! कालो केवच्चिरं होंति ? गोयमा ! सव्वद्धं ।। १. भ० २५४१७ । २. एक्कं (अ, ख, ता, ब, म)। ३. भ. २५॥४२१ । ४. भ० २५४४२६ Page #1027 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ५३५. छेदोवट्ठावणियसंजया-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अड्ढाइज्जाई वाससयाई, उक्कोसेणं पण्णासं सागरोवम कोडिसयसहस्साई ।। ५३६. परिहारविसुद्धीयसंजया-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेण देसूणाई दो वाससयाई, उक्कोसेणं देसूणाओ दो पुव कोडीओ। ५३७. सुहमसंपरागसंजया-पुच्छा ! गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं । अहक्खायसंजया जहा सामाइयसंजया। अंतर-पदं ५३८. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवइयं कालं अंतर होइ ? ! गोयमा ! जहणणेणं जहा' पुलागस्स । एवं जाव ग्रहक्खायसंजयस्स ।। ५३६. सामाइयसंजयाणं भंते ! –पुच्छा। गोयमा! 'नत्थि अंतरं" ।। ५४०. छेदोवट्ठावणियाणं-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं तेवढेि वाससहस्साइं, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडा कोडीनो ॥ ५४१. परिहारविसुद्धियाणं-पुच्छा। गोयमा ! जहण्णणं चउरासीइं वाससहस्साई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीअो । सुहुमसंपरायाणं जहा नियंठाणं । अबखायाणं जहा सामाइय संजयाणं । समुग्घाय-पदं ५४२. सामाइयसंजयरस णं भंते ! कति समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा ! छ समुग्धाया पणत्ता जहा कसायकुसीलस्स । एवं छेदोवढावणियस्स वि । परिहारविसुद्धियरस जहा पुलागस्स । सुहमसंपरागरस जहा' नियंठस्स । अहक्खायस्स जहा सिणायस्स ।। खेत्त-पदं ५४३. सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स कि संखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे-- पुच्छा । १. भ० २५४३० । ५. भ० २५१४३५ । २. नत्थंतरं (अ, क, ख, ता, व, म)। ६. भ० २५६४३८ । ३. भ. २५१४३४ । ७. भ०२५१४३६ । ४. भ०२५१४३७ Page #1028 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) गोयमा ! नो संखेज्जइभागे जहा' पुलाए । एवं जाव सुहमसंपराए । अहक्खायसंजए जहा सिणाए । फुसणा-पदं ५४४. सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स किं खेज्जइभागं फुसइ० ? जहेव होज्जा तहेव फुसइ । भाव-पदं ५४५. सामाइयसंजए णं भंते ! कय रम्मि भावे होज्जा ? गोयमा ! खरोवसमिए भावे होज्जा । एवं जाव सुहुमसंपराए ! ५४६. अहक्खायसंजए - पुच्छा। गोयमा ! उवसमिए वा खइए' वा भावे होज्जा ।। परिमाण-पदं ५४७. सामाइयसंजया णं भंते ! एगसमएणं केवतिया होज्जा ? गोयमा ! पडिवज्जमाणाए य पडुच्च जहा कसायकुसीला तहेव निरवसेसं ।। ५४८. छेदोवट्ठावणिया---पुच्छा। गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णणं एवको वा दो वा तिण्णि बा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं ! पुवपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णेणं कोडिसयपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडि सयपुहत्तं । परिहारविसुद्धिया जहा पुलागा ! सुहुमसंपराया जहा नियंठा ॥ ५४६. ग्रहक्खायसंजया णं--पुच्छा। गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि । जइ अत्थि जहणणं एक्को बा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं बावट्ठ सयं-अठ्ठत्त रसयं' खवगाणं, चउप्पण्णं उबसामगाणं । पुवपडिवण्णए पडुच्च जहण्णेणं कोडिपुहत्तं, उक्को सेण वि कोडिपुहत्तं ।। अप्पाबहुयत्त-पदं ५५०. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेप्रोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहमसंपराय अहक्खायसंजयाणं कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? १. भ० २५.४४०। २. भ० २०४४१ । ३. खतिए (अ,क,ख,व,म,स); खविए (ता)। ४. भ०२५१४४८ । ५. भ० २५१४४६ । ६. भ० २५१४४६ । ७. अटुसयं (क, ता, ब)। ८. सं० पा० कयरेहितो जाव विसेसाहिया। Page #1029 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई गोयमा ! सव्वत्थोवा सुहुमसंपरायसंजया, परिहारविसुद्धियसंजया संखेज्जगुणा, प्रहक्खायसंजया संखेज्जगुणा, छेओवठ्ठावणियसंजया संखेज्जगुणा, सामाइय संजया संखेज्जगुणा ।। संगहणी-गाहा पडिसेवण दोसालोयणा य, आलोयणारिहे चेव ।। तत्तो सामायारी, पायच्छित्ते तवे चेव ।।१।। पडिसेवणा-पदं ५५१. कइविहा णं भंते ! पडिसेवणा पण्णत्ता ? ___ गोयमा! दसविहा पडिसेवणा पण्णत्ता, तं जहा ... दप्पप्पमादणाभोगे, पाउरे आवतीति य । संकिण्णे सहसक्कारे, भयप्पनोसा य वीमंसा ।।१।। पालोयणा-पद ५५२. दस आलोयणादोसा पण्णत्ता, तं जहा. प्राकंपइत्ता अणुमाणइत्ता, जं दिटुं बादरं व सुहुमं वा। छन्नं सद्दाउलयं, बहुजण अव्वत्त तस्सेवी ॥१॥ ५५३. दसहि ठाहि संपण्णे अणगारे अरिहति अत्तदोसं आलोइत्तए, तं जहा -- जातिसंपण्णे, कुलसंपणे, विणयसंपण्णे, नाणसंपणे, दंसणसंपण्णे, चरित्तसंपणे, खते, दंते, अमायी, अपच्छाणुतावी ॥ ५५४. अट्टहि ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति आलोयणं पडिच्छित्तए, तं जहा पायारवं, आहारवं', ववहारवं, उव्वीलए, पकुव्वए, अपरिस्सावी, निज्जवए, अवायदंसी ।। सामायारी-पदं ५५५. दसविहा सामायारी पण्णत्ता, तं जहा-- इच्छा मिच्छा तहक्कारो, आवस्सिया य निसीहिया। प्रापुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमंतणा। उवसंपया य काले, सामायारी भवे दसहा ॥ १ ॥ पायच्छित्त-पदं ५५६. दसविहे पायच्छित्ते पण्णत्ते, तं जहा–पालोयणारिहे, पडिक्कमणारिहे, तभ यारिहे, विवेगारिहे, विउसग्गारिहे, तवारिहे, छेदारिहे, मूलारिहे, अणवठ्ठप्पा रिहे, पारंचियारिहे ॥ १. संकिते (अ, क, ख, ता, ब, म, वृपा), २. आधारवं (अ, क, ब); अवधारवं (म)। निशीथपाठे तितिण' इत्यभिधीयते (वृ)। Page #1030 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६६ पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) तव-पदं ५५७. दुविहे तवे पण्णत्ते, तं जहा वाहिरए य, अभितरए य ॥ ५५८. से कि तं वाहिरए तवे ? वाहिरए तवे छविहे पण्णत्ते, तं जहा -अणसणं, प्रोमोदरिया, भिक्खायरिया, रसपरिच्चाओ, कायकिलेसो, पडिसंलीणता ।। ५५६. से कितं अणसणे ? अणसणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-इत्तरि र य, आवकहिए य ।। ५६०. से किं तं इत्तराि ? इत्तरिए अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा-च उत्थे भत्ते, छट्टे भत्ते, अदमे भत्ते, दसमे भत्ते, दुवालसमे भत्ते, चोद्दसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते जाव छम्मासिए भत्ते । सेत्तं इत्तरिए । ५६१. से कि तं प्रावकहिए ? आवकहिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा पाअोवगमणे य, भत्तपच्चवखाणे य ।। ५६२. से किं तं पायोवगमणे ? पाअोवगमणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-नीहारिमे य, अणीहारिमे य । नियमं अपडिकम्मे । सेत्तं पाओवगमणे ॥ ५६३. से कि तं भत्तपच्चक्खाणे ? भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा --नीहारिमे य, प्रणीहारिमे य । नियम सपडिकम्मे । सेत्तं भत्तपच्चक्खाणे । सेत्तं प्रावहिए। सेत्तं अणसणे ।। ५६४. से किं तं प्रोमोदरिया ? ओमोदरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-दव्योमोदरिया य, भावोमोदरिया य॥ ५६५. से कि तं दवोमोदरिया ? दव्वोमोदरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा उवगरणदव्वोमोदरिया य, भत्तपाणदव्वोमोदरिया य ।। ५६६. से कि तं उवगरणदबोमोदरिया ? उवगरणदबोमोदरिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा---एगे वत्थे, एमे पाए, चियत्तोबगरणसातिज्जणया। सेत्तं उवगरणदव्वोमोदरिया ।। ५६७. से कि तं भत्तपाणदब्वोमोदरिया ? भत्तपाणदन्वोमोदरिया अटकुक्कुडिअंड गप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस "कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अवड्ढोमोदरिए, सोलस कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे दुभागप्पत्ते, चउव्वीसं कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले पाहारमाहारेमाणे प्रोमोदरिए, बत्तीसं कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले ग्राहारमाहारेमाणे पमाणमेत्ते, एत्तो एक्केण वि घासेणं ऊणगं ३. सं० पा०—जहा सत्तमसए पढमोद्देसए जाव १. पादोव (ख)। २. पादे (अ, क, ब) Page #1031 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० भगवई आहारमाहारेमाणे समणे निग्गंथे° नो पकामरस भोजीति वत्तव्वं सिया। सेत्तं भत्तपाणदव्योमोदरिया । सेत्तं दव्वोमोदरिया । ५६८. से किं तं भावोमोदरिया ? भावोमोदरिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-- अप्पकोहे', अप्पमाणे, अप्पमाए, अप्पलोभे, अप्पसद्दे, अप्पझंझे, अप्पतुमंतुमे। सेत्तं भावोमोदरिया । सेत्तं प्रोमोदरिया ॥ ५६६. से कि तं भिक्खायरिया ? भिक्खायरिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा-- दव्वाभिगहचरए, 'खेत्ताभिग्गहचरए, कालाभिग्गहचरए, भावाभिग्गहचरए, उक्खित्तचरए, णिक्खित्तचरण, उक्खित्तणिक्खित्तचरए, णिविखत्तउविखत्तचरए, वट्टिज्जमाण चरए, साहरिज्जमाणचरण, उवणीयचरए, अवणीयचरए, 'उवणीयग्रवणीयचरए, प्रवणीयउवणीयचरए, संसद्धचरए, असंसहचरए, तज्जायसंसद्धचरए, अण्णयच रए, मोणचरए°, सुद्धेसणिए, संखादत्तिए। सेत्तं भिक्खायरिया ।।। ५७०. से कि तं रसपरिच्चाए ? रसपरिच्चाए अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा निििगतिए, पणीयरसविवज्जए, 'आयंविलए, पायामसित्थभोई, अरसाहारे, विरसाहारे, अंताहारे, पंताहारे°, लूहाहारे । सेत्तं रसपरिच्चाए । ५७१. से किं तं कायकिलेसे ? कायकिले से अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा ---ठाणादीए, उक्कुडुयासहिए, “पडिमट्ठाई, वीरासहिए, नेसज्जिए, पायावए, अवाउडए, अपंडुयए, अणिठ्ठहए°, सव्वगायपरिकम्म-विभूसविप्पमुक्के । सेत्तं कायकिलेसे ।। से कि तं पडसलीणया? पडिसंलोणया चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा -- इंदियपडिसलीणया, कसायपडिसलीणया, जोगपडिसंलीणया, विवित्तसयणा सणसेवणया!! ५७३. से कि तं इंदियपडिसंलोणया? इंदियाडसंलोणया पंचविहा पण्णता, तं जहा- सोइंदियविसयप्पयारणिरोहो वा, सोइंदियविसयप्पत्तेसु वा अत्थेसु रागदोसविणिग्गहो । चक्खिदियविसयप्पयारणिरोहो वा एवं जाव फासिदियविसयप्पयारणिरोहो वा, फासिदियविसयप्पत्तेसु वा अत्थेसु रागदोसविणिग्गहो । सेत्तं इंदियपडिसंलीणया ॥ ५७४. से कि तं कसायपडिसलीगया? कसायपडिसंलीणया चउब्विहा पण्णत्ता, तं जहा–कोहोदयनिहो वा, उदयप्पत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं । एवं १. सं०पा०-अप्पकोहे जाव अप्पलोभे। ३. सं० पा०–जहा ओववाइए जाव लूहाहारे। २. सं०पा०—जहा ओववाइए जाव सुद्धसहिए। ४. सं० पा०-जहा ओववाइए जाव सव्वगाय । Page #1032 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (सत्तसो उद्देसो) ६७१ जाव लोभोदयनिरोहो वा, उदयपत्तस्स वा लोभस्स विफलीकरणं । सेत्तं कसायपडिलीणया || ५७५. से किं तं जोगपडिसलीणया ? 'जोगपडिसलीणया तिविहा पण्णत्ता, तं जहामणजोगपडिलीणया, वइजोगपडिसलीगया, कायजोगपडिसलीणया || ५७६. से किं तं मणजोगपडिसलीणया ? मणजोगपडिसलीणया अकुसलमणनिरोहो वा, कुसलमणउदीरणं वा, मणस्स वा एगत्तीभावकरणं । सेत्तं मणजोगपडिसंलीया ॥ ५७७. से किं तं वइजोगपडिसलीणया ? वइजोगपडिसलीणया अकुसल वइनि रोहो वा, कुसलवइउदीरणं वा वईए वा एगत्तीभावकरणं । सेत्तं वइजोगपडिसंलीणया" || ५७८. से कि तं कायजोगपडिसलीणया ? कायजोगपडिसलीणया जण्णं सुसमाहियपसंत साहरियपाणिपाए कुम्भो इव गुत्तिदिए मल्लीण-पल्लीणे चिट्ठति । सेत्तं कायपडसलीणया । सेत्तं जोगपडिसलीणया || ५७६. से किं तं विवित्तसयणासणसेवणया ? विवित्तरायणासण सेवण्या जण्णं प्रारामेसु वा उज्जाणेसु वा देवकुलेसु वा सभासु वा पवासु वा इत्थी - पसुपंडगविवज्जियासु वा वसहीसु फासू-एसणिज्जं पीढ फलग • सेज्जा- संथारगं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । सेत्तं विवित्तसयणासणसेवणया । सेत्तं पडिसलीया । सेत्तं बाहिरए तवे || ५८०. से किं तं श्रभिंतरए तवे ? ग्रभिंतरए तवे छव्विहे पण्णत्ते, तं जहापायच्छित्तं विणओ, वेयावच्चं, सज्झाओ, भाणं, विउसग्गो ॥ ५८१. से किं तं पायच्छित्ते ? पायच्छित्ते दसविहे पण्णत्ते, तं जहा - आलोयणारिहे जाव पारंचियारिहे । सेत्तं पायच्छित्ते || ५८२. से किं तं विए ? विणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा- नाणविणए, दंसणविणए, चरित्तविणए, मणविणए, वइविणए, कार्याविणए, लोगोवयारविणए । १. 'जोगपडिलीणया तिविहा पण्णत्ता' इति पाठे सूचिता योगप्रति संलीनतायास्त्रयः प्रकाराः प्रस्तुतप्रकरणे निर्दिष्टा न सन्ति तथा 'से किं तं कायपडिसलोणया' इति पाठेनापि 'से किं तं मणपडिलीणया से किं तं वइप डिलीणया' इति सूत्रयोरपि संकेतो लभ्यते । प्रतीयते लिपिकरणे संक्षेपो जातः । तस्य पूतिरोपपातिक ( सू० ३७ ) - वर्ति पाठानुसारेण कृता । प्रस्तुतपाठस्य संक्षेपः एवमस्ति - जोगपडसंलीणया तिविहा पण्णत्ता तं जहा अकुसलमणनिरोहो वा, कुसलमणउदीरणं वा, मणस्स वा एगत्तीभावकरणं । अकुसलवइनिरोहो वा, कुसल वइउदीरणं वा वईए वा एगत्तीभावकरणं । २. सं० पा०-- जहा सोमिलुद्देसए जाब सेज्जा । ३. भ० २५।५५६ Page #1033 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ ५८३. से किं तं नाणविणए ? नागविणए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-प्राभिणिवोहिय"सुयनाणविणए ओहिनाणविणए, मणपज्जवनाणविणए०, केवलनाणविणए । सेत्तं नाणविणए ॥ नाणविणए, ' ५८४. से किं तं दंसणविणए ? दंसणविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सुस्सू सणाविणए य प्रणच्चासादणाविणए य ।। ५८ ५. से किं तं सुस्मृसणाविणए ? सुस्सूसणाविणए अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा -- सक्कारे इ वा सम्माणे इ वा किइकम्मे इ वा अभुट्ठाणे इ वा अंजलिपगहे इ वा ग्रासणाभिग्गहे इ वा ग्रासणाणुष्पदाणे इ वा एतस्स पच्चुग्गच्छणया, ठियस्स पज्जुवासणया, गच्छंतस्स पडिसंसाहणया । सेत्तं सुस्सूसणाविणए । ५८६. से किं तं श्रणच्चासादणाविणए ? ग्रणच्चासादणाविणए पणयालीसइविहे पण्णत्ते, तं जहा - अरहंताणं श्रणच्चासादगया', अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अणच्चासादणया, आयरियाणं श्रणच्चासादगया, उवज्झायाणं ग्रणच्चासादणया, थेराणं श्रणच्चासादणया, कुलस्स प्रणच्चासादणया, गणस्स अणच्चासादण्या, संघस्स ग्रणच्चासादणया, किरियाए प्रणच्चासादणया, संभोगस्स ग्रणच्चासादणया, ग्राभिणिबोहियनागस्स प्रणच्चासादणया, जाव केवलनाणस्स अणच्चासादणया, एएसि चेव भत्ति बहुमाणेणं, एएसि चेव वण्णसंजलणया । सेत्तं प्रणच्चासादणयाविणए । सेत्तं दंसणविणए || ५८७. से किं तं चरितविणए ? चरितविणए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - सामाइयचरितविण जाव ग्रहखायचरित्तविणए । सेत्तं चरित्तविणए ॥ भगवई ५८८. से कि तं मणविणए ? मणविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - पसत्थमणविणए य, अप्पसत्थमणविणए य ॥ ५८६. से किं तं सत्थमणविणए ? पसत्थमणविणए' सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहाअपावर, असावज्जे, अकिरिए, निरुवक्के से, अणण्हवकरे, अच्छविकरे, भूयाभिसंकणे' । सेत्तं पसत्थमणविणए || १. सं० पा० - प्राभिणिवोहियनाणविणए जाव केवल । २. सं० पा०-- जहा चोद्दसमसए ततिए उद्देसए जाव परिसंसाया । ३. अरणच्चासायणया ( अ, ख ) ; अणच्चा सातया (क, ता) | ४. पसत्यमणविणए - जे य मणे असावज्जे अकिरिए श्रकक्कसे ग्रकडुए अगिट्ठरे अफरुले अणण्यकरे अछेयकरे अभयकरे अपरितावरणकरे अणुद्दवणकरे अभूओघाइए तहप्पगारं मणो पहारेज्जा (प्रो० सू० ४० ) | निरुवक्कोसे ( अ, क ) ५. ६. ० संकमणे (क, ता ) 1 Page #1034 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीस इमं सत (सत्तमो उद्देसो) ५६०. से किं तं अप्पसत्थमणविणए ? अप्पसत्थमणविणए' सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा पावए, सावज्जे. सकिरिए, सउवक्केसे', अण्हयकरे, छविकरे, भूयाभिसंकणे । सेत्तं अप्पसत्थमणविणए । सेत्तं मणविणए । ५६१. से किं तं वइविणए ? वइविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--पसत्थवइविणए य, अप्पसत्थवइविणए य ।। ५६२. से किं तं पसत्थवइविणए ? पसत्थवइविणए' सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा अपावए, असावज्जे जाव अभूयाभिसंकणे । सेत्तं पसत्थवइविणए । ५६३. से किं तं अप्पसत्थवइविणाए ? अप्पसत्थवइविणए सत्तविहे पण्णते, तं जहा पावए, सावज्जे जाव भूयाभिसंकणे । सेत्तं अप्पसत्थवइविणए । सेत्तं वइविणए ॥ से कि तं कायविणए ? कायविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा---पसत्थकाथविगए य, अप्पसत्थकायविणए य ॥ ५६५. से किं तं पसत्थकायविणए ? पसत्थकायविणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा आउत्तं गमणं, पाउत्तं ठाणं, आउत्तं निसीयणं, पाउत्तं तुयट्टणं, आउत्तं उल्लंघणं, आउत्तं पल्लंघणं, पाउत्तं सव्विदियजोगजंजणया। सेत्तं पसत्थकाय. विणए । ५६६. से किं तं अप्पसत्थकायविणए ? अप्पसत्थकायविणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणाउत्तं गमणं जाव अणाउत्तं सव्विदियजोगजुजणया। सेत्तं अप्पसत्थकायविणए । सेत्तं कायविणए । ५६७. से किं तं लोगोवयारविणए ? लोगोवयारविणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा अब्भासवत्तियों, परच्छंदाणुवत्तिय, कज्जहेउं', कयपडिकइया', अत्तगवेसणया, देसकालण्णया, सव्वत्थेसु अप्पडिलोमया । सेत्तं लोगोवयारविणए। सेत्तं विणए॥ ५६८. से कि तं वेयावच्चे ? वेयावच्चे दसविहे पण्णत्ते, तं जहा-पायरियवेयावच्चे, उवज्झायवेयावच्चे, थेरवेयावच्चे, तवस्सिवेयावच्चे, गिलाणयावच्चे, सेहवेयावच्चे, कुलवेयावच्चे, गणवेयावच्चे, संघवेयावच्चे, साहम्मियवेयावच्चे। सेत्तं वेयावच्चे ।। १. अपसत्यमणविणए----जे य मणे सावज्जे ३. पूर्ववत् अत्रापि औषपातिकस्य पाठभेदो सकिरिए सकक्कसे कडुए णिठूरे फरसे दृश्यः। अण्हयकरे व्यकरे भेयकरे परितावरणकरे ४. ०पत्तियं (ता)। उद्दवणकरे भूओवघाइए तइप्पगारं मणो णो ५. ज्ञानादिनिमित्तं भक्तादिदानमिति गम्यम्व)। पहारेज्जा (ओ० सू० ४०)। ६. कइपडिक इयाए (ता)। २. सउवक्कोसे (क, ख)। ७. देसकालण्णुया (ओ० सू० ४०) । Page #1035 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७४ भगवई ५६६. से किं तं सज्झाए ? सज्झाए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - वायणा, पडिपुच्छणा, परियट्टा अणुप्पेहा, धम्मका । से त्तं सभाए ॥ ६००. से किं तं झाणे ? झाणे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा- ग्रट्टे भाणे, रोद्दे भाणे, धम्मे भाणे, सुक्के झाणे || ६०१. अट्टे झाणे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा श्रणुष्णसंपयोगसंपत्ते तस्स विप्पयोगसतिसमन्नागए यावि भवइ, मणुष्णसंपयोगसंपत्ते तस्स श्रविप्पयोगसतिसमनागए यावि भवइ, आयंकसंपयोगसंपत्ते तस्स विप्पयोगसतिसमन्नागए यावि भवड़, परिसियकामभोगसंपयोगसंपत्ते' तस्स श्रविप्पयोगसतिसमन्नागए यावि भवइ || ६०२. अदृस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता तं जहा --- कंदणया, सोयणया, तिप्पाणया, परिदेवणया || ६०३. रोद्दे भाणे चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा - हिंसाणुबंधी, मोसाणुबंधी, तेयाणुबंधी, सारवखणाणुबंधी || ६०४. रोट्स्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा -- ग्रोस्सन्नदोसे, वहुलदोसे, अण्णाणदोसे, ग्रामरणंतदोसे || ६०५ धम्मे झाणे चउव्विहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, तं जहा - प्राणाविजए, प्रवायविजए, विवामविजए, संठाणविजए ॥ ६०६. धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा - आणारुयी, निसग्गरु, सुत्तरुयी, ओगाढरुयी || ६०७. धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंबणा पण्णत्ता, तं जहा - वायणा, पडिपुच्छणा, परियट्टा, धम्मका ॥ ६०८. धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पण्णत्ताश्र तं जहा एगत्ताणुप्पेहा, प्रणिच्चाणुप्पेहा, सरणाणुप्पेहा, संसाराणुप्पेहा ॥ ६०६. सुक्के झाणे चउब्विहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, तं जहा- पुत्तवितक्के सवियारी, एगत्तवितक्के अवियारी, सुहुंमकिरिए अणियट्टी, समोछिण्णकिरिए ' अप्पडिवायी || ६१०. सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा - खंती, मुत्तो, ग्रज्जवे, महवे || ६११. सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि प्रलंबणा पण्णत्ता, तं जहा - अव्वहे, असंमोहे, विवेगे, विसग्गे ॥ १. परिज्जुसिय ० ( ख ) ; परिज्भुसिय० (ता) । २. ० विययके ( ख ) । . ३. समोच्छिष्ण ० (ख, ता, म); समुच्छिण्ण ( क्व० ) । c Page #1036 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ६१२. सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाम्रो पण्णत्तात्र, तं जहा - प्रणतवत्तियागुप्पेहा, विष्परिणामाणुप्पेहा, सुभाणुप्पेहा, अवायाणुप्पेहा" । सेत्तं झाणे || ६१३. से किं तं विउसग्गे ? विउसग्गे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- दव्वविसग्गेय, भावविसग्गेय || ६१४. से किं तं दव्यविउसग्गे ? दव्वविउसमे चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहागणविसग्गे सरीरविसग्गे, उवहिविउसग्गे, भत्तपाणविउसग्गे । सेत्तं दविसग्गे || ६१५. से किं तं भावविउसमे ? भावविउसने तिविहे पण्णत्ते' तं जहाकसायविसग्गे, संसारविसग्गे, कम्मविउसग्गे ॥ ६१६. से किं तं कसायविसग्गे ? कसायविसग्गे चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहाकोहविसग्गे, माणविसग्गे, मायाविसग्गे, लोभविसग्गे । सेत्तं कसायविसग्गे || २७५ ६१७. से किं तं संसारविसग्गे ? संसारविसग्गे चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहानेरइयसंसारविसग्गे जाव देवसंसारविसग्गे । सेत्तं संसारविसग्गे ॥ ६१८. से किं तं कम्मविसग्गे ? कम्मविसग्गे अट्ठविहे पण्णत्ते, तं जहा - नाणावर णिज्जकम्मविसग्गे जाव अंतराइयकम्मविउसमे । सेत्तं कम्मविउसगे । सेत्तं भावविउसग्गे । सेत्तं प्रभितरए तवे || ६१९ सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ अट्ठमो उद्देसी १. अवायाणुप्पेहा, असुभाणुप्पेहा, अणंतवत्तियाणुप्पेहा, विपरिणामाणुप्पेहा (ओ० सू० ४३ ) नेरइयादी पुणभव-पदं ६२०. रायगिहे जाव एवं व्यासी - नेरइया णं भंते ! कह उववज्जति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे प्रभवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं सेकाले तं ठाणं विप्पजहित्ता पुरिमं ठाणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, एवामेव एए वि जीवा पवओो विव पवमाणा प्रभवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं सेकाले तं भवं विप्पजहित्ता पुरिमं भवं उवसंपज्जित्ताणं विहति ॥ - Page #1037 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई ६२१. तेसि णं भंते ! जीवाणं कहं सीहा गती, कहं सीहे गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे बलवं एवं जहा चोदसमसए पढमु. देसए जाव' तिसमएण वा विग्गहेणं उववज्जति । तेसि णं जीवाणं तहा सीहा गई, तहा सोहे गतिविसए पण्णत्ते ॥ ६२२. ते णं भंते ! जीवा कहं परभवियाउयं पकरेंति ? गोयमा ! अज्झवसाणजोगनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं, एवं खलु ते जीवा परभवियाउयं पकरेंति ।।। ६२३. तेसि णं भंते ! जीवाणं कहं गती पवत्तइ ? गोषमा ! आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्खएणं, एवं खलु तेसि जीवाणं गती पवत्तति ।। ६२४. ते णं भंते ! जीवा कि प्राइड्ढीए उववज्जति ? परिड्ढीए उववज्जति ? गोयमा ! पाइड्ढीए उववज्जंति, नो परिडीए उववज्जति ।। ६२५. ते णं भंते ! जीवा कि आयकम्मुणा उववज्जति ? परकम्मुणा उववज्जति ? गोयमा ! आयकम्मुणा उववज्जति, नो परकम्मुणा उववज्जति ॥ ६२६. ते णं भंते ! जीवा कि आयप्पयोगेणं उववज्जति ? परप्पयोगेणं उववज्जति ? गोयमा ! प्रायप्पयोगेणं उववज्जति, नो परप्पयोगणं उववज्जति ॥ ६२७. असुरकुमारा णं भंते ! कहं उववज्जति ? जहा ने रइया तहेव निरवसेसं जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति ! एवं एगिदिय वज्जा जाव वेमाणिया । एगिदिया एवं चेव, नवरं-चउसमइओ विगहो । सेसं तं चेव ।। ६२८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरइ !! ६-१२ उद्देसा ६२६. भवसिद्धियने रइया णं भंते ! कहं उववज्जति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेसं तं चेव जाव वेमाणिए । ६३०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। ६३१. अभवसिद्धियने रइया णं भंते ! कहं उववज्जति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेसं तं चेव । एवं जाव वेमाणिए। ६३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। १. भ० १४१३ २. आयड्ढीए (ता)। Page #1038 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचवीसइमं सतं (६-१२ उद्देसा) ९७७ ६३३. सम्मदिद्विनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेसं तं चेव । एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणिए ॥ ६३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति 11 ६३५. मिच्छदिट्टिने रइया णं भंते ! कहं उववज्जति ? गोयमा! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेसं तं चेव । एवं जाव वेमाणिए । ६३६. सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति ॥ Page #1039 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छवीसइमं सतं पढमो उद्देसो नमो सुयदेवयाए भगवईए १. जीवा य २. लेस्स ३. पक्खिय, ४. दिढि ५. अण्णाण ६. नाण ७. सण्णाओ। ८. बेय ६. कसाए १०. उवयोग ११. जोग एक्का रस वि ठाणा ॥१॥ जीवाणं लेस्सादिविसे सितजीवाणं च बंधाबंध-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' एवं वयासी-जीवा णं भंते ! पावं कम्म कि बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ? बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ? गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, प्रत्थेगतिए बंधी न बंधई बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधीन बंधइ न बंधिस्सइ।। सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्म कि बंधी बंधइ बंधिस्सइ? बंधी बंधइन बंधिस्सइ-पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए एवं चउभंगो।। ३. कण्हलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सद, अत्थेगतिए बंधी वंधइ न बंधिस्सइ । एवं जाव पम्हलेस्से । सव्वत्थ पढम-वितियभंगा। सुक्कलेस्से जहा सलेस्से तहेव च उभंगो॥ ४. अलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी--पुच्छा। गोयमा ! बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ।। ५. कण्हपविखए णं भंते ! जीवे पावं कम्म-पूच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी, पढम-बितिया भंगा ।। D १. भ. ११४-१०। २. वीया (ता)। ९७८ Page #1040 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छवीसमं सतं ( पढमो उद्देमो) ६. सुक्कपक्खिए णं भंते ! जीवे -पुच्छा । गोयमा ! चउभंगो भाणियन्त्रो ॥ ७. सम्मद्दिणं चत्तारि भंगा, मिच्छादिट्ठीगं पढम-त्रिनिया, सम्मामिच्छादिट्ठीगं एवं चैव ॥ ८. नाणीणं चत्तारि भंगा, साभिणिवोहियनाणीणं जाव मणगज्जबनागीणं चत्तारि भंगा, केवलनाणीणं चरिमो भंगो जहा ग्रस्साणं ॥ एव मग्राणीणं, सुयण्णाणी, ९. अण्णाणीणं पदम - वितिया, विभंगवाणीण वि ॥ १०. ग्राहारसण्णोवउत्तणं जाव परिग्गहसण्णोवउत्ताणं पढम-वितिया, नोसण्णोवउत्ताणं चत्तारि ॥ ६७६ ११. सवेदगाणं पदम वितिया | एवं इत्थवेदगा, पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा वि । वेदगाणं चनारि ॥ १२. सकसाईणं चत्तारि, कोहकसाईणं पढम-वितिया भंगा, एवं माणकसायिस्स वि मायाका वि । लोभकसायिस्स चत्तारि भंगा ॥ १३. कसायी णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी पुच्छा । गोमा ! प्रत्येगतिए वंधी न बंधइ बंधिस्सइ, प्रत्येगतिए बंधी न वंधइ न बंधिस्स || १४. सजोगिस्स चउभंगो, एवं मणजोगिस्स वि, वइजोगिस्स वि, कायजोगिस्स वि । जोगिस्स रिमो ॥ १५. सागारोवउते चत्तारि, ग्रणागारोवउत्ते वि चत्तारि भंगा || -- नेरइयादीणं लेस्सादिविसेतितरइयादोणं च बंधाबंध-पदं १६. नेरइए णं भंते ! पात्र कम्मं किं बंधी वंध बंधिस्स ? गोमा ! प्रत्येगतिए बंधी, पदम वितिया || १७. सस्से णं भंते ! रए पावं कम्म ? एवं चैव । एवं कण्हलस्से वि, नीललेरसेवि, काउवि । एवं कण्हपक्खिए सुक्कपक्खिण, सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, नाणी ग्राभिणियोहियनाणी सुयनाणी मोहिनाणी, ग्रण्णाणी मश्रणाणी सुयप्राणी विभंगनाणी, ग्राहारसण्णोवडले जाव परिग्गहसण्णोवउत्ते, सवेदए नपुंसकवेदए, सकसायी जाव लोभकसायी, सजोगी मणजोगी व जोगी कायजोगी, सागरोवडत्ते ग्रणागारोवउत्ते - एएसु सव्वेसु पदेसु पढम-विनिया भंगा भाणियव्वा । एवं असुरकुमारस्स वि वत्तव्वया भाणियव्वा, नवरं ते उलेसा, इत्थि वेदग - पुरिस वेदगा य अब्भहिया, नपुंसगवेदगा तु भण्णति, सेसं तं चैव सव्वत्थ पढम-वितिया भंगा । एवं जाव थणियकुमारस्स । Page #1041 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० भगवई एवं पुढविकाइयस्स वि, श्राउकाइयस्स वि जाव पंचिदियतिरिक्खजोणियस्स वि सव्वत्थ वि पढम - वितिया भंगा, नवरं जस्स जा लेस्सा । दिट्ठी, नाणं, अण्णाणं, वेदो, जोगो य प्रत्थि तं तस्स भाणियव्वं, सेसं तहेव । मणूसस्स जच्चेव जीवपदे वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा । वाणमंतरस्स जहा असुरकुमारस्स | जोइसियस्स वेमाणियस्स एवं चैव, नवरं -लेस्साग्रो जाणियव्वा, सेसं तहेव भाणियव्वं ॥ जीवादीणं नाणावरणादिक्रम्मं पडुच्च बंधावंध-पदं १८. जीवे णं भंते ! नाणावर णिज्जं कम्मं किं बंधी बंधर बंधिस्सइ० ? एवं जहेव पावकम्मस्स वत्तव्वया तहेव नाणावरणिज्जस्स वि भाणियव्वा, नवरं जीवपत्रे मणुपदे यसकसाइम्मि जाव लोभकसाइम्मि य पढम वितिया भंगा, श्रवसेसं तं चैव जाव वेमाणिया । एवं दरिसणावर णिज्जेण वि दंडगो भाणियव्वो निरवसेसो | १६. जीवे णं भंते ! वेयणिज्जं कम्मं किं बंधी - पुच्छा । गोमा ! ग्रत्येतिए बंधी बंधड़ बंधिस्सइ, प्रत्येगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, अत्येतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ । सनेस्से वि एवं चैव ततियविहूणा भंगा। कण्हले से जाव पम्हनेस्से पढम वितिया भंगा। सुक्कलेस्से ततियविहूणा भंगा। अलेस्से चरिमो भंगो । कण्हपक्खिए पढम - वितिया । सुक्कपक्खिया ततियविणा । एवं सम्मदिस्सि वि, मिच्छादिट्ठिस्स सम्मामिच्छादिट्ठिस्स य पदमवितिया । नाणिस्स ततियविहूणा । आभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी पढम-बितिया । केवलनाणी ततियविहूणा । एवं नोसण्णोवउत्ते, अवेद, कसायी। सागारोवउत्ते प्रणागारोवउत्तं- एएसु ततियविहूणा । अजोगिम्मि य चरम | सेसेसु पढम-बितिया || २०. नेरइए णं भंते ! वैयणिज्जं कम्म कि वंधी बंधइ० ? यि त्ति । जस्स जं श्रत्थि सव्वत्थ वि पढम वितिया, नवरं २१. जीवे णं भंते ! मोहणिज्जं कम्मं किं बंधी बंधइ० ? मोहणिज्जं पि निरवसेसं जाव वेमाणिए || २२. जीवे णं भंते ! प्राउयं कम्म कि बंधी बंधइ - पुच्छा । गोमा प्रत्येतिए बंधी चउभंगो। सलेस्से जाव सुक्कलेस्से चत्तारि भंगा। अलेस्से चरिमो भंगो ॥ एवं नेरइया जाव वेमा मणुस्से जहा जीवे ॥ जहेब पावं कम्मं तहेव २३. कण्हपक्खिए णं - पुच्छा । गोयमा ! प्रत्येगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, प्रत्येगतिए बंधी न बंधइ बंधि - सइ । सुक्कपक्खिए सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी चत्तारि भंगा ॥ Page #1042 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छवीस इमं सतं (बीओ उद्देसो) ९८१ २४. सम्मामिच्छादिट्ठी -पुच्छा । गोयमा ! अत्थेगतिए बधी न बंधइ वंधिस्सइ, अगतिए बंधी न बंध न बधिस्सइ । नाणी जाव प्रोहिनाणी चत्तारि भंगा। मगपज्जवनाणी-पुच्छा । गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए वंधी न बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ। केवलनाणे चरिमो भंगो। एवं एएणं कमेणं नोसण्णोवउत्ते वितियविहणा जहेव मणपज्जवनाणे । अवेदए अकसाई य ततिय-च उत्था जहेव सम्मामिच्छत्ते । अजोगिम्भि चरिमो, सेसेसु पदेसु चत्तारि भंगा जाव अणागारोव उत्त ।। २६. नेरइए णं भंते ! ग्राउयं कम्म कि बंधी - पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिए चत्तारि भंगा, एवं सव्वत्थ वि ने रइयाणं चत्तारि भंगा, नवर-- कण्हतलारसे कण्हपक्खिए य पढम-ततिया भंगा; सम्मामिच्छत्ते ततियचउत्था । असुरकुमारे एवं चव, नवरं-कण्हलेस्से वि चत्तारि भंगा भाणियब्वा, सेसं जहा नेरझ्याणं । एवं जाव थणिय कुमाराण । पुढविक्काइयाणं सव्वत्थ वि चत्तारि भंगा, नवरं - कण्हपक्खिए पढम-ततिया भंगा ।। २७. तेउलस्से - पुच्छा। गोयमा ! बंधो न बंधइ वंधिस्सइ, सेसेसु सव्वत्थ चत्तारि भंगा। एवं ग्राउक्काइय-वणस्सइकाइयाण वि निरवसेसं। तेउकाइय-वाउक्काइयाण सव्वत्थ वि पढम-ततिया भंगा । बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाणं पि सम्वत्थ वि पढम-ततिया भंगा, नवरं-सम्मत्ते, नाणे, अाभिणिवोहियनाणे सुयनाणे ततिग्रो भंगो। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हपक्खिए पढम-ततिया भंगा, सम्मामिच्छत्ते ततियच उत्थो भंगो । सम्मत्ते, नाणे, प्राभिणिवोहियनाणे, सुयनाणे, मोहिनाणेएएसु पंचसु वि पदेसु वितियविहूणा भंगा, सेसेसु चत्तारि भंगा। मणुस्साणं जहा जीवाणं, नवरं सम्मत्ते, प्रोहिए नाणे, आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे, प्रोहिनाणे –एएसु बितियविहूणा भंगा, सेसं तं चेव । वाणमंतर-जोइसिय-वैमाणिया जहा असुरकुमारा । नाम गोयं अंतरायं च एयाणि जहा नाणावरणिज्जं ॥ २८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ बीअो उद्देसो विसेसितनेरइयादीणं बंधाबंध-पदं २६. अणंतरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा तहेव । गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी, पढम-बितिया भंगा॥ Page #1043 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८२ ३०. सलेस्से णं भंते ! अनंतशेववन्नए नेरइए पावं कम्मं किं बंधी -- पुच्छा । गोयमा ! पढम-वितिया भंगा । एवं खलु सव्वत्थ पढम वितिया भंगा, नवरंसम्मामिच्छतं सणजोगो वइजांगो य न पुच्छिज्जइ । एवं जाव श्रणियकुमाराणं । इंदिय-ते इंद्रिय- चउरिदियाणं वइजोगो न भण्णइ । पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पि सम्मामिच्छत्तं, हिनाणं, विभंगनाणं, मणजोगो, वइजोगो-एयाणि पंच न भण्णंति | मणुस्साणं प्रवेरस- सम्मामिच्छत्त-मणपज्जवनाण-केवलनाण-विभंगनाग-नोसण्णोवउत्त-यवेदग-अकसाय-मणजोग-वजोग जोगि एयाणि एक्कारस पदाणि न भणति । वाणमंतर - जोइसिव वैभाणियाणं जहा नेरइयाणं तहेव ते तिणि न भण्णंति । ससि जाणि संसाथि ठाणाणि सव्वत्थ पढम-वितिया भंगा । एगिदियाणं सव्वत्थ पदम वितिया भंगा। जहां पावे एवं नाणावरणिज्जेण वि दंडग्री, एवं प्राउयवज्जेसु जाव तराइए दंडओ ॥ ३१. श्रणंत रोवचन्नए णं भंते! नेरइए ग्राउय कम्मं कि बंधी - गुच्छा । गोयमा ! बंधी न बंधइ बंधिस्स || भगवई ३२. सलेस्से णं भंते! अणतरोववन्नए नेरहए प्राउयं कम्म कि बंधी ० ? एवं चैव तिम्रो भंगो | एवं जाव णागारोवउत्ते । सव्वत्थ वि ततिश्रो भंगी । एवं मस्सवज्जं जाव वैमाणियाणं । मणुस्साणं सव्वत्थ ततिय चउत्था भंगा, नवरं --- कण्हपक्खिसु ततिम्रो भंगो | सव्वेसि नाणत्ताई ताई चेव ॥ ३३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || ३-१० उद्देसा ३४. परंपरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पावं कम्म कि बंधी - पुच्छा | गोयमा ! प्रत्थेगतिए पढम वितिया । एवं जहेव पढमो उद्देश्रो तहेव परंपरोववन्नएहि वि उद्देो भाणियव्वो नेरइयाईओ तहेव नवदंडगसंगहिश्रो । हवि कम्मप्पगडीणं जा जस्स कम्मस्स वत्तव्वया सा तस्स ग्रहीणमतिरित्ता नेयव्वा जाव वेमाणिया अणागारोवउत्ता ॥ ३५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || ३६. अनंत रोगाढए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी - पुच्छा | गोमा ! अत्येतिए एवं जहेव ग्रणंतरोव वन्नएहिं नवदंडगसंगहिश्रो' उद्देसो १. ० सहिओ (ता, व ) 1 Page #1044 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छवीमं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) भणिश्रो तहेव अनंत रोगाढएहि वि ग्रहीणमतिरित्तो भाणियव्वो नेरइयादीए जाव माणि ॥ ३७. सेनं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३८. परंपरोगाढए गं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी ? जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियन्वो || ३६. सेवं भते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४०. अनंतराहारए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी - पुच्छा । एवं जहेंब तरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसं || ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ४२. परंपराहारए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं कि बंधी - पुच्छा | गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियव्वो । ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४४. अणंतरपज्जत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं कि बंधी - पुच्छा । गोमा ! जव अनंत रोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेसं ॥ ४५. सेवं भंते । सेवं भंते । त्ति ॥ ६८३ ४६. परंपरपज्जत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी -- पुच्छा । गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियव्वो । ४७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ || ४८. चरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं कि बंधी - पुच्छा | गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव चरिमेहिं निरवसेसं ॥ ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥ एक्कारसमो उद्देसो ५०. अचरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी - पुच्छा । गोयमा ! प्रत्येगइए एवं जहेब पढमोद्देसए, पढम-बितिया भंगा भाणियव्वा सव्वत्थ जाव पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं ॥ ५१. अचरिमे णं भंते ! मणुस्से पावं कम्मं किं बंधी - पुच्छा । गोमा ! प्रत्येतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, प्रत्येगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, गतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ॥ १. भ० १५१ । Page #1045 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ भगवई ५२. सलेस्से णं भंते ! अचरिमे मणुस्से पावं कम्मं किं बंधी ? एवं चेव तिण्णि भंगा चरमविहूणा भाणियबा एवं जहेव पढमुद्देसे, नवरं--जेसु तत्थ वीससु चत्तारि भंगा तेसु इह आदिल्ला तिष्णि भंगा भाणियव्वा चरिमभंगवज्जा । अलेस्से केवलनाणी य अजोगी य-- एए तिणि वि न पुच्छिज्जति, सेसं तहेव । वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिए जहा ने रइए । ५३. अचरिमे णं भंते ! नेरइए ताणावरणिज्ज कम्म कि बंधोपुच्छा। गोयमा ! एवं जहेव पावं, नवरं-मणुस्सेसु सकसाईसु लोभकसाईसु य पढमवितिया भंगा, सेसा अलारस चरमविहणा, सेसं तहेव जाव वेमाणियाणं । दरिसणावरणिज्ज पि एवं चेव निरवसेसं । वेयणिज्जे सव्वत्थ वि पढम-बितिया भंगा जाव वेमाणियाण, नवरं -- मणुस्सेसु अलेस्से केवली अजोगी य नस्थि ।। ५४. अचरिमे णं भंते ! नेरइए मोहणिज्ज कम्म कि बंधी-पुच्छा। गोयमा ! जहेव पाव तहेव निरवसेसं जाव वेमाणिए । ५५. अचरिमे णं भंते ! नेरइए पाउयं कम्म कि बंधी-पुच्छा। गोयमा ! पढम-वितिया भंगा । एवं सव्वपदेसु वि । नेरइयाणं पढम-ततिया भंगा, नवरं-- सम्मामिच्छत्ते ततियो भंगो। एवं जाव थणियकुमारणं । पुढविक्काइय-प्राउक्काइय-वणस्सइकाइयाण तेउलेस्साए ततिओ भंगो । सेसेस पदेसु सव्वत्थ पढम-ततिया भंगा। तेउकाइय-वाउक्काइयाणं सव्वत्थ पढमततिया भंगा । बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाणं एवं चेव, नवरं-सम्मत्ते सोहिनाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे-एएसु चउसु वि ठाणेसु ततिम्रो भंगो । पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं सम्मामिच्छत्ते ततिओ भंगो। सेसपदेसु सव्वत्थ पढम-ततिया भंगा। मणुस्साणं सम्मामिच्छत्ते अवेदए अकसाइम्मि य ततिम्रो भंगो, अलस्स-केवलनाण-प्रजोगी य न पूच्छिज्जति । संसपदेसू सव्वत्थ पढमततिया भंगा। वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया। नाम गोयं अंतराइयं च जहेव नाणावरणिज्ज तहेव निरवसेसं ।। ५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ १. वीसेसु (अ)। २. कसायीसु (क, म, स)। ३. सेसेसु पदेसु (स)। Page #1046 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तवीसइमं सतं १-११ उद्देसा जीवाणं पावकम्म-करणाकरण-पद १. जीवे णं भंते ! पावं कम्म कि करिसु करेति करेस्सति ? करिसु करेति न करेस्सति ? करिसु न करेति करेस्सति ? करिसु न करेति न करेस्सति ? गोयमा ! अत्थेगतिए करिसु न करेति करेस्सति, अत्यंगतिए करिसु करेति न करेस्सति, अत्थेगतिए करिसु न करेति करेस्सति, अत्थेगतिए करिसु न करेति न करेस्सति ।। सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं ? एवं एएणं अभिलावेणं जच्चेव बंधिसए वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा, तहेव नवदंडगसंगहिया एक्कारस उद्देसगा भाणियव्वा ।। ९८५ Page #1047 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठावीसइमं सतं पढमो उद्देसो जीवाणं पावकम्म-समजण-समायरण-पदं १. जीवाणं भंते ! पावं कम्म कहिं समज्जिगिसु ? कहिं समायरिंसु ? गोयमा ! १. सव्वे बि ताव तिरिक्खजोणिएसु होज्जा २. अहवा तिरिक्खजोणिए सु य ने रइएसु य होज्जा ३. अहवा तिरिक्ख जोणिएसु य मणुस्से सु य होज्जा ४. अह्वा तिरिक्खजोणिए सु य देवेसु य होज्जा ५. ग्रहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य मणुस्सेसु य होज्जा ६. अहवा तिरिक्ख जोणिएसु य नेरइएसु य देवेसु य होज्जा ७. अहवा तिरिक्खजाणिएमु य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा ८. अह्वा तिरिक्ख जोणिएसु य ने रइए सु य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा ।।। सलेस्सा णं भंते ! जीवा पावं कम्म कहि समज्जिणिसु ? कहिं समायरिंसु ? एवं चेव । एवं कण्हलेस्सा जाव अलेस्सा । कण्हपक्खिया, सुक्कपक्खिया । एवं जाव अणागारोव उत्ता ।। नेरइया णं भंते ! पावं कम्मं कहि समज्जिणिसु ? कहिं समायरिंसु ? गोयमा ! सव्वे वि ताव तिरिक्खजोगिएसु होज्जा, एवं चेव अट्ट भंगा भाणियव्वा ! एवं सब्वत्थ अट्ठभंगा जाव अणागारोवउत्तत्ति । एवं जाव वेमाणियाणं । एवं नाणावरणिज्जेण वि दंडओ। एवं जाव अंतराइएण। एवं एए जीवादीया वेमाणियपज्जवसाणा नव दंडगा भवंति ।। ४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। बीओ उद्देसो ५. अणंतरोववन्नगा गं भंते ! नेरइया पावं कम्म कहिं समजिणिसु ? कहिं समायरिंसु ? १८६ Page #1048 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अठ्ठावीसइमं सतं (३-११ उद्देसा) ६५७ गोयमा ! सव्वे वि ताव तिरिक्खजोणिएस होज्जा, एवं एत्थ' वि अट्ट भंगा। एवं अणंतरोववन्नगाणं ने रइयाईणं जस्स जं अत्थि लेसादीयं अणागारोवनोगपज्जवसाणं तं सव्वं एयाए भयणाए भाणियव्यं जाव वेमाणियाणं, नवरं--- अणंतरेसु जे परिहरियव्वा ते जहा बंधिसए तहा इहं पि ! एवं नाणावरणिज्जेण वि दंडनो। एवं जाव अंतराइएणं निरवसेस । एसो वि नवदंडगसंगहिरो उद्देसनो भाणियबो॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३.११ उद्देसा ७. एवं एएणं कमेणं जहेव बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी तहेव इहं पि अट्ठसु भंगेसु नेयव्वा, नवरं-जाणियब्वं जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियध्वं जाव अचरिमु द्देसो । सव्वे वि एए एक्कारस उद्देसगा।। ८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। १. सव्वत्थ (ता)। Page #1049 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगूणतीसइमं सतं पढमो उद्देसो जीवाणं पावकम्म-पट्ठवण-निट्ठवण-पदं १. जीवा णं भंते ! पावं कम्मं किं समायं पविसु समायं निविसु ? समायं पट्टविसु विसमायं निविसु ? विसमायं पविसु समायं निर्विसु ? विसमायं पट्टविसु विसमायं निविसु ? गोयमा! अत्थेगतिया समायं पटुविसु समायं निविसु जाव अत्थेगतिया विस मायं पटुविसु विसमायं निविसु ।। २. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्यंगतिया समायं पविसु समायं निविसु, तं चेव ? गोयमा! जीवा चउबिहा पण्णत्ता, तं जहा-अत्थेगतिया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगतिया समाउया विसमोववन्नगा, अत्थेगतिया विसमाउया समोववन्नगा, अत्थेगतिया विसमाउया विसमोववन्नगा। तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्म समायं पट्टविसु समायं निविसु । तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्म समायं पट्टविंसु विसमायं निविसु । तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते ण पावं कम्म विसमायं पट्टविसु समायं निर्विसु । तत्थ ण जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं विसमायं पट्टविसु विसमायं निविसु । से तेणढेण गोयमा ! तं चेव ॥ सलेस्सा णं भंते ! जीवा पावं कम्म० ? एवं चेव, एवं सब्वट्ठाणेसू वि जाव अणागारोवउत्ता। एए सव्वे वि पया एयाए वत्तव्वयाए भाणियव्वा ।। ४. नेरक्या णं भंते ! पावं कम्मं कि समायं पट्टविसु समायं निर्विसु-पुच्छा । गोयमा ! अत्थेगतिया समायं पटुर्विसु, एवं जहेव जीवाणं तहेव भाणियध्वं जाव अणागारोवउत्ता । एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जं अत्थि तं एएणं चेव ६८ Page #1050 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ एगूणतीसइमं सतं (२-११ उद्देसा) कमेणं भाणियव्वं । जहा पावेण दंडगो । एएणं कमेणं अट्ठसु वि कम्मप्पगडीसु अट्ट दंडगा भाणियव्वा जीवादीया वेमाणियपज्जवसाणा । एसो नवदंडगसंग हिरो पढमो उद्देसो भाणियब्बो । ५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। बीओ उद्देसो ६. अणंतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया पावं कम्मं किं समायं पटुविसु समायं निविसु-पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिया समायं पटुविसु समायं निविसु, अत्थेगतिया समायं पट्टविसु विसमायं निविसु ।।। ७. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगतिया समायं पटुविसु, तं चेव ? गोयमा ! अणंतरोववन्नगा नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--अत्थेगतिया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगतिया समाउया विस मोववन्नगा। तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविसु समायं निविसु । तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते ण पावं कम्मं समायं पटुविसु विसमायं निर्विसु । से तेणद्वेणं तं चेव ।। सलेस्सा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया पावं ? एवं चेव, एवं जाव अणागारोवउत्ता। एवं असुरकुमारा वि! एवं जाव देमाणिया', नवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं । एवं नाणावरणिज्जेण वि दंडगो । एवं निरवसेसं जाव अंतराइएणं॥ है. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। ३.११ उद्देसा १०. एवं एएणं गमएणं जच्चेव बंधिसए उद्देसगपरिवाडी सच्चेव इह वि भाणियव्वा जाव अचरिमो ति। अणंतरउद्देसगाणं चउण्ह वि एक्का वत्तव्वया, सेसाणं सत्तण्हं एक्का ॥ १. वेमाणियाणं (ता)। Page #1051 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीसइमं सतं पढमो उद्देसो समोसरण-पदं १. कइ ण भंते ! समोस रणा पण्णत्ता? गोयमा ! चत्तारि समोसरणा पण्णत्ता, तं जहा.-किरियावादी, अकिरिया वादी, अण्णाणियवादी, वेणइयवादी ।।। २. जीवा णं भंते ! कि किरियावादी ? अकिरियावादी ? अण्णाणियवादी ? वेणइयवादी? गोयमा ! जीवा किरियावादी वि, अकिरियावादी वि, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि।। ३. सलेस्सा गं भंते ! जीवा कि किरियावादी -पुच्छा। गोयमा ! किरियावादी वि, अकिरियावादी वि, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। एवं जाव सुक्कलेस्सा ।। ४. अलेस्सा णं भंते ! जीवा-पुच्छा। गोयमा ! किरियावादी, नो अकिरियावादी, नो अण्णाणियवादी, नो वेणइय वादी ॥ ५. कण्हपक्खिया णं भंते ! जीवा किं किरियावादी–पुच्छा। गोयमा ! नो किरियावादी, अकिरियावादी, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा। मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिट्ठी णं -पुच्छा। गोयमा! नो किरियावादी, नो अकिरियावादी, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । नाणो जाव केवलनाणी जहा अलेस्से । अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। अाहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता ६६० Page #1052 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८. तीसइम सत (पढमो उद्देसो) जहा सलेस्सा। नोसण्णोवउत्ता जहा अलेस्सा। सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा। अवेदगा जहा अलेस्सा। सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा । अकसायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगो जहा सलेस्सा। अजोगी जहा अलेस्सा । सागारोवउत्ता अणागारोव उत्ता जहा सलस्सा ।। ७. नेरइया णं भंते ! कि किरियावादी–पुच्छा । गोयमा! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि॥ सलेस्सा णं भंते ! नेरइया कि किरियावादी? एवं चेव । एवं जाव काउलेस्सा। कण्हपक्खिया किरियाविवज्जिया। एवं एएणं कमेणं जच्चेव जोवाणं वत्तव्वया सच्चेव नेरइयाण वि जाव प्रणागारोव उत्ता, नवरं-जं अत्थि तं भाणियव्वं, सेसं न भष्मति । जहा ने रइया एवं जाव थणियकुमारा।। ६. पुढविकाइया णं भंते ! कि किरियावादी--पुच्छा। गोयमा! नो किरियावादी, प्रकिरियावादी वि.अण्णाणियवादी वि, नो वेणइयवादी। एवं पुढविकाइयाणं जं अत्थि तत्थ सव्वत्थ वि एयाइं दो मज्झिल्लाई समोसरणाइं जाव प्रणागारोव उत्ता वि ! एवं जाव चर्रािदयाणं । सव्वट्ठाणेसु एयाई चेव मज्झिल्लगाइं दो समोस रणाइं। सम्मत्त-नाणेहि वि पयाणि चेव मज्झिल्लगाइं दो समोसरणाई। पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा जोवा, नवरंजं अत्थि तं भाणियब्वं । मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेस । वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा॥ १०. किरियावादी णं भंते ! जीबा कि नेरइयाउयं पकरेंति ? तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति ? मणुस्साउयं पकरेति ? देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकाति, मणुस्सा उयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरति ।। ११. जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासिदेवाउयं पकरेंति जाव वे माणिय देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! तो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, नो जोइसियदेवा उयं पकरेंति, वेमाणियदेवाउयं पकरेंति ।। १२. अकिरियावादी णं भंते ! जीवा कि ने रइयाउयं पक रेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पुच्छा । गोयमा! नेरयाउयं पि पकरेंति जाव देवाउयं पि पकरेंति । एवं अण्णाणिय वादी वि वेणइयवादी वि।। १३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पकरेंति-पूच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं, एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सा वि च उहि वि समोसरणेहि भाणियव्वा ।। Page #1053 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२ भगवई -- १४. कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति - पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियवादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चत्तारि वि आउयाई पकरेंति । एवं नीललेस्सा वि काउलेस्सा वि ।। १५. तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति - पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पिपकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । जइ देवाउयं पकति तहेव ॥ १६. तेउलेस्सा णं भंते! जीवा अकिरियावादी कि नेरइयाउयं - पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाज्यं पकरेंति, मणुस्साउयं पिपकरेंति, तिरिक्खजोणियायं पिपकरेंति, देवाउयं पिपकरेंति । एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । जहा तेउलेस्सा एवं पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सा वि नायव्वा ॥ १७. अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं - पुच्छा गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मस्साज्यं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति ॥ १८. कण्हपक्खिया णं भते ! जीवा अकिरियावादी किं नेरइयाउयं - पुच्छा । गोमा ! नेरइयाउयं पि पकरेंति, एवं चउविहं पि । एवं अण्णाणियवादी वि, desवादी वि । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा || १६. सम्मदिट्ठी णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पुच्छा । गोमा ! नो नेरइयाउयं पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मस्साज्यं पिपकरेति देवाउयं पिपकरेति । मिच्छादिट्ठो जहा कण्हपक्खिया || २०. सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! जीवा ग्रण्णाणियवादी किं नेरइयाउयं ० ? जहा अलेस्सा | एवं वेणइयवादी वि । नाणी आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य ओहिनाणी य जहा सम्मद्दिट्ठी ॥ २१. मणपज्जवनाणी णं भंते ! - पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोगियाज्यं पकरेति, नो मस्सायं पकरेंति, देवाउयं पकरेंति ॥ २२. जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासि पुच्छा । गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, नो जोइसियदेवाउयं पकरेंति, वैमाणियदेवाउयं पकरेंति । केवलनाणी जहा अलेस्सा | श्रण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया । सण्णासु चउसु वि १. भ० ३०/११ Page #1054 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) जहा सलेस्सा ! नोसण्णोवउत्ता जहा मणपज्जवनाणी । सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा। अवेदगा जहा अलेस्सा । सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। अकसायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा । अजोगी जहा अलेस्सा। सागारोवउत्ता य अणागारोव उत्ता य जहा सलेस्मा । २३. किरियावादी णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं-पुच्छा ! गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्ख जोणियाउयं पकरेंति, मणस्माउयं पकरेति, नो देवाउयं पकरेति ।। २४. अकिरियावादी छा भंते ! नेरइया - पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं, तिरिक्व जोणिया उयं पि पकरेंति, मणस्माउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं एकरति । एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। २५. सलेस्सा णं भने । नेरइया किरियावादो कि ने रइयाउयं० ? एवं सव्वे वि नेरइया जे किरियावादी ते मणुस्माउयं एगं पकरेंति, जे अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी ते सबढाणम् वि नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्पजोणियाउयं पिपकरनि, मणमा उयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेति, नवरं-सम्मामिच्छत उरिल्ल हि दोहि वि समोरारणाहन किचि विपकरति जहेब जीवपदे । एवं जाब णियकुमारा जहेव ने रइया । २६. अकिरियावादी णं भंते ! पुढविक्काइया--पुच्छा। गोयमा ! नो न रइयाउयं पकरेंति, तिरिक्ख जोणियाउयं पकरेंति, मणस्साउयं पकरेति, नो देवाउयं पकरति । एवं अण्णाणियवादी वि।। २७. सलेस्सा णं भते! एवं जं जं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं तहिं मज्झिमेसु दोमु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं ग्राउयं पक रेति, नवरं --तेउलेस्साए न कि पि एक रेति । एवं प्राउक्काइयाण वि, वणभइकाइयाण वि। ते उकाइया वाउकाइमा गव्वट्ठाणेसु मज्झिमेमु दोमु समोसरणेसु नो ने रइयाउयं पकरेंति, तिरिक्ख जोणिया उयं पकरेंति, नो मणुस्साउयं पकरति, नो देवाउयं पकरेंति । बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाणं जहा पुढविकाइयाणं, नवरं--सम्मत्त-नाणेसु न एक्क पि अाउयं पकरेति ॥ २८. किरियावादी णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं पकरेंति-- पुच्छा । गोयमा ! जहा मणपज्जवनाणी । अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चउव्विहं पि पकरेंति । जहा प्रोहिया तहा सलेस्सा वि ।। १. सजोती (ख)। २. ओधिता (ता)। Page #1055 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६४ भगवई २६. कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावादी पंचिदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं, नो मणुस्साउयं नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी चउव्विहं पि पकरेंति । जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि । तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं-अकिरियावादी, अण्णाणियवादी, वेण इयवादी य नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । एवं पम्हलेस्सा वि । एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियब्बा। कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउन्विहं पि पाउयं पकरेंति। सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मदिट्ठी जहा मणपज्जवनाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेति । मिच्छादिट्टो जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिली ण य एक्कं पि पकरेंति जहेव नेरइया । नाणी जाव प्रोहिनाणी जहा सम्मविट्ठी। अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सेसा जाव अणागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियव्वा । जहा पचिदियतिरिक्खजोणियाण वत्तब्वया भणिया एवं मणुस्साण वि भाणियब्वा, नवरं मणपज्जवनाणी नोसण्णोव उत्ता य जहा सम्मट्ठिी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा । अलेस्सा केवल नाणी अवेदगा अकसायी अजोगी य एएन एग पि ग्राउयं पकरेंति । जहा प्रोहिया जोवा सेसं तहेव । वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा असुरकुमारा ।। ३०. किरियावादी णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धीया ? अभवसिद्धीया ? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ।। ३१. अकिरियावादी णं भंते ! जीवा कि भवसिद्धीया---पच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि।। ३२. सलेस्सा ण भंते ! जीवा किरियावादी कि भवसिद्धीया-पुच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ॥ ३३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावादी किं भवसिद्धीया -पच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि जहा सलेस्सा । एवं जाव सुक्कलेस्सा ।। ३४. अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया–पुच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया तिसु वि समोसरणेसु भयणाए। सुक्कपक्खिया चउसु वि समोस रणेसु भवसिद्धीया, 'नो अभवसिद्धीया । सम्मदिट्टी जहा अलेस्सा । मिच्छादिट्ठी जहा कण्ह Page #1056 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीसइमं सतं (बीओ उद्देसो) पक्खिया । सम्मामिच्छादिट्ठी दोसु वि समोसरणेसु जहा अलेस्सा । नाणी जाव केवल नाणी भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सण्णासु च उसु वि जहा सलेस्सा। नोसण्णोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी । सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा । अवेदगा जहा सम्मदिट्ठी । सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा । अकसायी जहा सम्मदिट्ठी। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। अजोगी जहा सम्मदिट्टी। सागारोव उत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा । एवं ने रइया वि भाणियब्वा, नवरं -नायव्वं जं अत्थि । एवं असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा। पुढविक्काइया सव्वट्ठाणेसु वि मज्झिल्लेसु दोसु वि समोस रणेसु भवसिद्धोया वि, अभवसिद्धीया वि । एवं जाव वणस्सइकाइया । बेइंदिय-ते इंदिय-च उरिदिया एवं चेव, नवरंसम्मत्ते ओहिनाणे आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे--एएसु चेव दोसु मज्झिमेसु समोसरणेसु भवसिद्धिया, नो अभवसिद्धिया, सेसं तं चेव । पंचिदियतिरिक्खजोगिया जहा नेरइया, नवरं--नायव्वं जं अत्थि। मणुस्सा जहा प्रोहिया जीवा । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा। ३५. सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति ।। बीश्रो उद्देसो ३६. अणंतरोववन्नगाणं भंते ! नेरइया कि किरियावादी-पुच्छा। गोयमा ! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि ।। ३७. सलेस्सा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया कि किरियावादी०? एवं चेव । एवं जहेव पढमुद्देसे ने रइयाणं वत्तव्वया तहेव इह वि भाणियव्वा, नवरंजं जं' अस्थि अणंतरोववन्नगाणं नेरइयाणं तं त भाणियव्वं । एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं-अणंतरोववन्नगाणं जं जहिं अत्थि तं तहिं भाणियत्वं ।। ३८. किरियावादी णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति पुच्छा । गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं, नो मणुस्साउयं, ३. तस्स (अ, स)। १. नेयध्वं (अ, क)। २. जस्स (अ, स)1 Page #1057 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नो देवाउयं पकरेंति । एवं अकिरियावादी वि अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि।। ३९. सलेस्सा णं भंते ! किरियावादी अणंत रोववन्नगा नेरइया कि ने रइयाउयं पकरेति—पुच्छा। गोयमा! नो नेरइया उयं पकरेंति जाव नो देवा उयं पकरेंति । एवं जाव वेमाणिया। एवं सव्वट्ठाणेसु वि अणंतरोववन्नगा नेरइया न किचि वि पाउयं पकरेंति जाव अणागारोव उत्तत्ति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं--जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं ॥ ४०. किरियावादी ण भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया किं भवसिद्धीया ? अभव सिद्धीया ? गोयमा! भवसिद्धीया. नो अभवसिद्वीया ।। ४१. अकिरियावादी णं-पुच्छ।। गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि । एवं अण्णाणियवादी वि वेणइय वादी वि।। ४२. सलेस्सा णं भंते ! किरियावादी अणंत रोववन्नगा नेरइया कि भवसिद्धीया ? अभवसिद्धीया? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिए उद्देसए ने रइयाणं वत्तव्वया भणिया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव अणागारोवउत्तत्ति । एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं-जं जस्स अत्थितं तस्स भाणियव्वं । इमं से लक्खणं-जे किरियावादी सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छदिट्ठीया एए सव्वे भवसिद्धोया, नो अभवसिद्धोया। सेसा सव्वे भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि।। ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ----- तइप्रो उद्देसो ४४. परंपरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया किरियावादी०? एवं जहेव प्रोहियो उद्देसो तहेव परंपरोववन्नएसु वि नेरइयादीनो तहेव निरवसेसं भाणियव्वं, तहेव तियदंडगसंगहिरो ! ४५. सेवं भंते ! सेवं भते ! त्ति जाव विहरइ ।। Page #1058 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तीस इमं सतं (४-११ उद्देसा) ४-११ उद्देता ४६. एवं एएणं कमेणं जच्चेव बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी सच्चेव इहं पि जाव अचरिमो उद्देसो, नवरं-अणंतरा चत्तारि वि एक्कगमगा, परंपरा चत्तारि वि एक्कगमएणं । एवं चरिमा वि, अचरिमा वि एवं चेव, नवरं~-अलेस्सो केवली अजोगी न भण्णंति, सेसं तहेव ।। ४७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । एए एक्का रस वि उद्देसगा ॥ Page #1059 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इक्कतीसइमं सतं पढमो उद्देसो खुड्डजुम्म-नेरइयादीणं उववाय-पदं १. रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा -कडजुम्मे, तेयोए, दावर जुम्मे , कलियोगे ।। २. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ--चत्तारि खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा--- कडजुम्मे जाव कलियोगे ? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकडजुम्मे । जे गं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागते योगे । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागदावरजुम्मे । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकलियोगे से तेणटेणं जाव कलियोगे॥ ३. खुड्डागकडजुम्मने रइया णं भंते ! को उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो—पुच्छा। गोयमा! नो नेरइएहितो उववज्जति । एवं ने रइयाणं उववानो जहां वक्कंतीए तहा भाणियव्वो॥ ४. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ? गोयमा ! चत्तारि वा अट्ट वा वारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति ।। ५. ते णं भंते ! जीवा कहं उववज्जति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अज्झवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं, १. वातर° (क); वादर ° (ता); वायर° २. प० ६ । ११८ Page #1060 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इक्कतीसइमं सतं (बीओ उद्देसो) ६६६ एवं जहा पंचविसतिमे सए अट्ठमुद्देसए ने रइयाणं वत्तव्वया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव' पायप्पोगणं उववज्जति नो परप्पयोगेणं उववज्जति ।। रयणप्पभापुढविखुड्डागकडजुम्मने रइया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं जहा ओहियने रइयाणं वत्तव्वया सच्चेव रयणप्पभाए वि भाणियव्वा जाव नो परप्पयोगेण उववज्जति । एवं सक्करप्पभाए बि, एवं जाव अहेसत्तमाए। एवं उववाग्रो जहा वक्तीए। अस्सण्णी खलु पढम, दोच्चं व सरीसवा तइय पक्खी। सीहा जति चउत्थिं, उएगा पुण पंचमि पुढवि ॥१॥ छट्टिं च इत्थियारो, मच्छा अणुमा य सत्तम पुढवि। एसो परमववानो, बोधवो नरयपुढवीणं ।।२।। सेसं तहेव ।। ७. खुड्डागतेयोगने रइया णं भंते ! कत्रो उववज्जति -कि नेरइएहितो ०? उववानो जहा वक्कतीए॥ ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ? गोयमा ! तिणि वा सत्त वा एक्कारस वा पण्णरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उदवज्जति । सेसं जहा कडजुम्मस्स । एवं जाव ग्रसत्तमाए । खुड्डागदावरजुम्मनेरइया णं भंते ! करो उववज्जति ? एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे, नवरं--परिमाण दो वा छ वा दस वा चोइस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा, सेसं तं चेव जाव अहेसत्तमाए । १०. खुड्डागकलियोगनेरझ्या णं भंते ! को उववज्जति ? एवं जहेव खुड्डागकड जुम्मे, नवरं--परिमाणं एक्को वा पंच वा नव वा ते रस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति, सेसं तं चेव । एवं जाव अहेसत्तमाए ।। ११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। बीमो उद्देसो १२. कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ? एवं चेव जहा प्रोहियगमो जाव नो परप्पयोगेणं उववति, नवरंउववाो जहा वक्कंतीए रइयाणं, सेसं तं चेव ॥ ३. सं. पा.---गाहा एतं उववाएएन्वा । १. भ० २५।६२०.६२६ । २. ५०६। Page #1061 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई १३. धूमप्पभापुहविकण्हलस्सखड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ? एवं चेव निरवसेस । एवं तमाए वि, अहेसत्तमाए वि, नवरं-उववाग्रो सव्वत्थ जहा वक्तीए॥ १४. कण्हलेस्सखुड्डागतेस्रोगनेरइया णं भंते ! कसो उववज्जति? एवं चेव, नवरं . तिणि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा सखेज्जा वा असंखेज्जा वा, सेसं तं चेव । एवं जाव अहेमत्तमाए वि ।। १५. कण्हलस्मखडागदावरजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति? एवं चेव, नवरं-दो वा छ वा दस वा चोद्दस वा, सेसं तं चेव। एवं धूमप्पभाए वि जाव अहेसत्तमाए। १६. कण्हलेरसखुडागकलियोगनेरइया णं भंते ! को उववज्जति०? एवं चेव, नवरं-- एकको वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा, सेस तं चेव । एवं धम्मप्पभाए वि, तमाए वि, अहेसत्तमाए वि ।। १७. सेवं भंते ! रोवं भंते ! त्ति ॥ तइओ उद्देसो १८. नीललेस्सखड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उबवज्जति ? एवं जहेव कण्हलेस्साखुड्डागकडजुम्मा, नवरं-उववाओ जो वालुयप्पभाए, संसं तं चेव । वालुयप्पभापुढविनीललेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया एवं चेव । एवं पंकप्पभाए वि, एवं धूमप्पभाए वि । एवं च उसु वि जुम्मेसु, नवरंपरिमाण जाणियब्वं । परिमाणं जहा कण्हलेस्स उद्देसए । सेसं तहेव ।। १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। चउत्थो उद्देसो २०. काउलेस्सखड्डागकड जुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जंति ०? एवं जहेव कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया, नवरं--उववाओ जो रयणप्पभाए, सेसं तं चेव ।। २१. रयणप्पभापुढविकाउलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कसो उववज्जति ? Page #1062 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इक्कतीसइमं सतं (५-२८ उद्देसा) एवं चैव । एवं सक्करप्पभाए वि एवं वालुयप्पभाए वि । एवं चउसुवि जुम्मेसु, नवरं परिमाणं जाणियव्वं जहा कण्हलेस्स उद्देसए, सेसं तं चैव ॥ २२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। पंचमी उद्देसो २३. भवसिद्धीयखुड्डाग कडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति - कि नेरइएहितो ० ? एवं जहेव ग्रोहियो गमश्रो तहेव निरवसेसं जाव तो परप्पयोगेण उववज्जति ॥ ܘܕ २४. रयणप्पभपुढविभवसिद्धी यखुड्डाकडजुम्मने रइया णं भते ! ०? एवं चेव निरवसेसं । एवं जाव ग्रसत्तमाए । एवं भवसिद्धीयखुड्डागतेयोगनेरइया वि । एवं जाव कलियोगत्ति, नवरं परिमाण जाणियव्वं परिमाणं पुव्वभणियं जहा पढमुद्देस ॥ २५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ चट्ठो उडेसो २६. कण्हले सभवसिद्धीयखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते! कम्रो उववज्जंति ०? एवं जहेव श्रोहियो कण्हलेस्स उद्देश्रो तहेव निरवसेसं चउसु वि जुम्मेसु भाणियन्त्रो जाव - २७. ग्रसत्तमपुढविण्हले स्सखुड्डा ग क लियोग ने रइया णं भंते ! कओ उववज्जंति ०? तहेव ॥ २८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ७-२८ उद्देसा २६. नोललेस्सभवसिद्धोया चउसु वि जुम्मेसु तहेव भाणियव्वा जहा प्रोहिए नोललेस्स उद्देस ॥ Page #1063 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००२ भगवई ३०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। ३१. काउलेस्सभवसिद्धीया चउसु वि जुम्मेसु तहेव उववाएयव्वा जहेव ओहिए काउलेस्सउद्देसए॥ ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। ३३. जहा भवसिद्धीएहिं चत्तारि उद्देसगा भणिया एवं अभवसिद्धीएहि वि चत्तारि उद्दसगा भाणियव्वा जाव काउलस्सउद्दसनो ति।। ३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३५. एवं सम्मदिट्ठीहि वि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं-सम्मदिट्टी पढमबितिएसु दोसु वि उद्देसगेसु अहेसत्तसपुढवीए न उववाएयव्वो, सेसं तं चेव ।। ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३७. मिच्छादिट्ठीहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहा भवसिद्धीयाणं ।। ३८, सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३६. एवं कण्हपक्खिाएहि वि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहेव भवसिद्धीएहि ॥ ४०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४१. सुक्कपविखएहि एवं चेव चत्तारि उद्देसगा भाणियव्वा जाव वालुयप्पभपुढवि काउलेस्ससुक्कपक्खियखुड्डागकलिगोगने रइया णं भंते ! को उववज्जति ? तहेव जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति ।। ४२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । सव्वे वि एए अट्ठावीसं उद्देसगा। Page #1064 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बत्तीसइमं सतं १-२८ उद्देसा खुड्डजुम्म-नेरइयादोणं उववट्टण-पदं १. खुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! अणंतरं उन्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहि उव वज्जति --कि ने र इएसु उववज्जति ?तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति ? उव्वट्टणा जहा वक्कंतीए॥ २. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उव्वटुंति ? गोयमा ! चत्तारि वा अट्ठ वा बारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उन्वट्ठति ॥ ते ण भंते ! जीवा कहं उव्वद॒ति ? गोयमा ! से जहानामए पवए, एवं तहेव । एवं सो चेव गमो जाव' प्रायप्पयोगेणं उव्वट्टति, नो परप्पयोगेणं उब्वट्टति ।। रयणप्पभापुढविखुड्डागकडजुम्म ०? एवं रयणप्पभाए वि । एवं जाव अहेसत्तमाए । एवं खुड्डागतयोग-खुड्डागदावरजुम्म-खुड्डागकलियोगा, नवरं-परिमाणं जाणियब्वं, सेसं तं चेव ॥ सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ६. कण्हलेस्सकडजुम्मनेरइया० ? एवं एएणं कमेणं जहेव उववायसए अट्ठावीसं उद्देसगा भणिया तहेव उव्वट्टणासए वि अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा निरवसेसा, नवरं--उव्वदृति त्ति अभिलावो भाणियब्वो, सेसं तं चेव ।। ७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। १. प०६। २. भ० २५४६२०-६२६ । Page #1065 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेत्तीसइमं सतं पढमं एगिदियं सतं पढमो उद्देसो एगिदियाणं कम्मप्पगडि-पदं १. कतिविहा णं भंते ! एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा—पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया ।। २. पुढविक्कइया ए भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–सुहमपुढविक्काइया य, वादरपुढवि क्काइया य ।। ३. सुहमपुढविक्काइया णं भंते ! कतिविहा पण्णता ? गोयमा ! दुविहा परणता, तं जहा-पज्जत्तासुहुमघुढविक्काइया य, अप्पज्जत्तामुहुमपुढविक्काइया य ।। काइया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता? एवं चेव । एवं उक्काइया विचउक्कएणं भेदेणं भाणियवा, एवं जाव वणस्सइकाइया ।। ५. नपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडोयो पण्णत्तानो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीनो पण्णत्ताओ, तं जहा -नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं ।। पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीनो पण्णत्तानो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-नाणावरणिज्जं जात्र अंतराइयं ॥ अपज्जत्ताबादरपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तानो ? एवं चेव ।। ८. पज्जत्तावादरपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तानो ? एवं ७. Page #1066 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेत्तीसइम सतं १००५ चेव । एवं एएणं कमेणं जाव बादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ति । अप्पज्जत्तासूहम ढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीग्रो वंधति? गोयमा ! सत्तविहवंधगा वि, अट्ठविहबंधगा वि । सत्त बंधमाणा ग्राउयवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीनो बंधंति, अट्ठ बंधमाणा पडिपुण्णाग्रो अट्ठ कम्मप्पगडीयो बंधति ।। १०. पज्जत्तासुहमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडोयो बंधति ? एवं चेव, एवं सव्व जाव पज्जत्तावादरवणस्सइकाइया शं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधति ? एवं चेव ।। १२. अपज्जत्तासुहमपुढ विक्काइया भंते ! कति कम्मप्पगडीग्रो वेदेति ? गोयमा ! चोद्दरा कम्मप्पगडीयो वेदेति, तं जहा- नाणावरणिज्जं जाव अंतराइय' सोइंदियवझ, चक्खिदियवज्झ, पाणिदियवझ, जिभिदियवज्झ, इथिवेदवज्झं, पुरिमवेदवझं । एवं चउक्कारणं भेदेणं जाव--- पज्जत्तावादरवणास्सइकाइयाणभंते ! कति कम्मप्पगडीओ वेदेति ? गोयमा ! एवं चेव चोइस कम्मप्पगडीयो वेदेति ।। १४. सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति ।। 99. बीमो उद्देसो १५. कतिविहा णं भंते ! अगंत रोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा अणंत रोववन्नगा एगिदिया पणत्ता, तं जहा-पुढविक्का इया जाव वणस्सइकाइया ।। १६. अणंत रोववन्नगाणं भंते ! पुढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णता, तं जहा -मुहमपुढविक्काइया य, बादरपुढविक्का इया य । एवं दुपारणं देणं जाव वणस्सइकाइया ।। १७. अणंतरोववन्नगमुहमपढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ पण्णत्तानो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडानो पण्णत्तायो, तं जहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं ।। १८. अणंतरोववन्नगवादरपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीग्रो पण्णत्तानो? १. x (अ, क, ख, ता)। २. वज्ज (अ, ख, ता, ब, स)। Page #1067 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००६ भगवई गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - नाणावर णिज्जं जाव अंतराइयं । एवं जाव प्रणंत रोववन्नगवादरवणस्सइकाइयाणं ति 11 १६. अनंत रोववन्नगसुहुमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओो वंधति ? गोमा ! आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधंति । एवं जाव प्रणंतरोववन्नगबादरवणस्सइकाइयति ॥ २०. अनंत रोववन्नगसुहमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीश्रो वेदेंति ? गोयमा ! चोट्स कम्मप्पगडीग्रो वेदेति, तं जहा - नाणावरणिज्जं तहेव जात्र पुरिसवेदवज्भं । एवं जाव प्रणंत रोववन्नगवादरवणस्स इकाइयत्ति || २१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || तइओ उसो २२. कतिविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगा एगिंदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिंदिया पण्णत्ता, तं जहा - पुढविक्काइया एवं चउक्कओ भेदो जहा ग्रोहिउद्देसए || २३. परंपरोववन्नगप्रपज्जत्तासु हुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीश्रो पण्णत्ताओ ? एवं एएवं अभिलावेणं जहा ओहिउद्देसए तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव चोट्स वेदेति ॥ २४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ४-११ उद्देसा २५. प्रणंतरोगाढा जहां प्रणंतरोववन्नगा ॥ २६. परंपरोगाढा जहा परंपरोववन्नगा || २७. अनंतराहारगा जहा प्रांत रोववन्नगा ॥ २८. परंपराहारगा जहा परंपरोववन्नगा ॥ २६. अनंतरपज्जत्तगा जहा अणंतरोववन्नगा || ३०. परंपरपज्जत्तगा जहा परंपरोववन्नगा || ३१. चरिमा वि जहा परंपरोववन्नगा तहेव || ३२. एवं प्रचरिमा वि । एवं एए एक्कारस उद्देगा || ३३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥ १. ० गाणं ( अ, ख, ब, म, स ) | Page #1068 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीअं सतं पढमो उद्देसो ३४. कतिविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा --पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया ।। ३५. कण्हलेस्सा णं भंते ! पुढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--सुहुमपुढविक्काइया य, बादरपुढविक्का इया य ।। ३६. कण्हलेस्सा णं भंते ! सुहुम ढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ? एवं एएण अभिलावेणं च उक्कयो भेदो जहेव मोहिउद्देसए॥ ३७. कण्हलेस्सअपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीअो पण्ण त्तामो? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव अोहिउद्देसए तहेव पण्णत्तायो, तहेव बंधंति, तहेव वेदेति ॥ ३८. सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति ।। बीओ उद्देसो ३९. कतिविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगकण्हलेस्सएगिदिया पण्णता ? गोयमा! पंचविहा अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया एवं एएणं अभिला. देणं तहेव दुयो भेदो जाव वणस्सइकाइयत्ति ।। १. ° उद्देसए जाव वरणस्सइकाइयत्ति (स)। १००७ Page #1069 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००० भगवई ४०. अणंतरोववन्नग कण्हलेम्समुहमा विक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पणत्ताओ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा प्रोहिओ अगंत रोववन्नगाणं उद्देसो तहेव जाव वेदति ।। ४१. सेवं भंते ! सेव भंते ! ति ।। ३-११ उद्देसा ४२. कतिविहा भंते ! परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णता? ___ गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पणत्ता, तं जहा पुढविक्काइया, एवं एएणं अभिलावेणं तहेब चउक्कयो भेदो जाव वणस्सइ काइयत्ति ।। ४३. परंपरोववन्नगकण्हलेस्सअपज्जत्तासुहमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्प गडीनो पण्णत्तायो ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेब आहियो परंपरोववन्नग उद्देसनो तहेव जाव वेदेति । एवं एएणं अभिलावेण जहेव प्रोहिगिदियसए एक्कारस उद्देसगा भणिया तहेव कण्हलेस्ससते वि भाणियव्वा जाव अचरिमचरिमकण्हलेस्सा एगिदिया ॥ ३,४ सताई ४४. जहा कण्हलेसेहि भणियं एवं नीललेस्से हि वि सयं भाणियव्वं ।। ४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४६. एवं काउलेरसेहि वि सयं भाणियव्वं, नवरं----काउलेस्से ति अभिलायो 'माणि यव्वो ।। पंचमं सतं भवसिद्धोयएगिदियाणं कम्मप्पाड-पदं ४७. कतिविहा णं भंते ! भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णता, तं जहा-पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया, भेदो चउक्को जाव वणस्सइकाइयत्ति ।। Page #1070 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेतीसइमं सतं १००६ ४८. भवसिद्धीय प्रपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ पण्ण त्तायो ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेब पढमिल्लग एगिदियसयं तहेव भवसिद्धीय सयं पि भाणियब्वं । उद्देसगपरिवाडी तहेव जाव अचरिमो' त्ति। ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। छठें सतं ५०. कतिविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा पुढविश्काझ्या जाव वणस्सइकाइया । ५१. कण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढविक्काइया णं भंते ! कतिविहा पत्ता? गोयमा ! दुबिहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहमपुढविक्काइया य, वादरपुढविक्का इया य॥ ५२. कण्हलेस्सभवसिद्धीयसुहुमगुढविनाइया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! दुविहा पण्णता, तं जहा --पज्जतगा य, अपज्जत्तगा य । एवं बादरा वि। एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कनो भेदो भाणियव्वो।।। ५३. कण्हलेस्सभवगिद्धीयअपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पण्णनायो? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेति ।। ५४. कतिविहा गं भंते ! अणंतरोववन्नगा कण्हले स्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णता? गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा जाव बणस्सइकाइया ।। ५५. अणंत रोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढविक्काझ्या णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहमपुढविक्काइया, एवं दुयनो भेदो । ५६. अणंतरोवबन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयमुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्प गडोमो पण्णत्तानो ? एवं एएणं अभिलावणं जहेव प्रोहियो अणंतरोववन्नउद्देसओ तहेव जाव वेदेति । एवं एएणं अभिलावेणं एक्कारस वि उद्देसगा तहेव भाणियब्वा जहा प्रोहियसए जाव प्रचरिमो त्ति ।। १. अचरिम (ख, ता, ब)। Page #1071 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१० भगवई ७,८ सताई ५७. जहा कण्हलेस्सभवसिद्धीएहि सयं भणियं एवं नीललेस्सभवसिद्धीएहि वि सतं भाणियव्वं ।। ५८. एवं काउलेस्सभवसिद्धीएहि वि सतं ।। १-१२ सताई प्रभवसिद्धोयएगिदियाणं कम्मप्पगडि-पदं ५६. कइविहा णं भंते ! अभवसिद्धीया एगिदिया पण्णता ? गोयमा ! पंचविहा अभवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा - पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया । एवं जहेव भवसिद्धोयसतं भणियं, नवरं--नव उद्देसगा चरिमअचरिम उद्देसगवज्ज, सेसं तहेव ।। ६०. एवं कण्हलेस्समभवसिद्धीयएगिदियसतं पि ।। ६१. नीललेस्सप्रभवसिद्धीयएगिदिएहि वि सतं ॥ ६२. काउलेस्सप्रभवसिद्धीयसतं । एवं चत्तारि वि अभवसिद्धीयसताणि, नव-नव उद्देसगा भवंति । एवं एयाणि वारस एगिदियसताणि भवंति ।। Page #1072 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोतीसइमं सतं पढम एगिदियसतं पढमो उद्देसो एगिदियाणं विग्गहगइ-पदं १. कइविहा णं भंते ! एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा-पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया । एवमेते चउक्कएणं भेदेणं भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइया । अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमाएणं विग्गणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विगहेणं उव बज्जेज्जा।। ३. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ- एगसमइएण वा दुसमइएण वा जाव' उव वज्जेज्जा॥ एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीयो पण्णत्तानो, तं जहा-उज्जुयायता सेढी, एगओवंका, दुहनोवंका, एगोखहा', दुहनोखहा', चक्कवाला, अद्ध चक्कवाला। उज्जुनायताए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा। एगोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा। दुहोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ! से तेण?णं गोयमा ! जाव उववज्जेज्जा ।।। ४. अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थि १. ० खहा (अ)। २. ° खुहा (अ)। १०११ Page #1073 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१२ भगवई मिल्ले चरिमंते पज्जता सुहमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! इसमइएणं विग्गणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा सेसं तं चेव जाव' से तेणद्वेणं' गोयमा ! एवं बुच्चइ - एगसमइएणं वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा । एवं अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइनो पुरथिमिले चरिमंते समोहणावेत्ता पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते वादरपुढविकाइएस अपज्जत्तासु उनवाएयव्वो, ताहे तेसु चेव पज्जत्तएसु । एवं आउक्काइएस चत्तारि लावगा सुहुमेहिं ग्रपज्जत्तएहि, ताहे पज्जत्तएहि, बादरेहि पज्जत्तएहि, ताहे पज्जत्तएहि उववाएयव्वो । एवं चैव सुहुमते उकाइएहि वि ग्रपज्जत्तएहि ताहे पज्जत्तएहि उववाएयव्वो । ५. अपज्जत्तासुहृमपुढविक्काइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाग पुढवीए पुरत्थि - मिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते अपज्जत्ताबादरतेउकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गणं उववज्जेज्जा ? सेसं तं चैव । एवं पज्जत्ताबादरते उक्काइयत्ताए उववाएयव्वो । वाउक्काइएस सुहुमवादरेस जहा आउक्काइएसु उबवाइयो तहा उववाएयव्वो । एवं वणस्सइकाइएस वि ॥ ६. पज्जत्तासहुम पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए० ? एव पज्जत्तासहुमपुढविक्काइस्रो वि पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहणावेत्ता एएणं चैव कमेणं एएस चैव वीससु ठाणेसु उववाएयव्वो जाव वादरवणस्सइकाइएस पज्जत्तसु वि । एवं ग्रपज्जत्तावादरपुढ विकाइयो वि । एवं पज्जत्ताबादरपुढविकाइ वि । एवं प्राउकाइयो वि चउसु वि गमएस पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, एयाए चेव वत्तव्वयाए एएस चेव वीसठाणेसु उववायव्वो । सुहुतेकाश्रो विपज्जत्तनो पज्जत्तनो य एएसु चैव वीसाए ठाणेसु उववायव्वो । ७. अपज्जत्तावादरते उक्काइए णं भंते! मणुस्सखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते ग्रपज्जत्तासहुमपुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते! कइसमझएणं विग्गणं उववज्जेज्जा ? सेसं तहेव जाव से तेणट्टेणं । एवं पुढविक्काइएस चउविहेसु वि उववाएयव्वो, एवं श्राउकाइएसु चउविहेसु वि, ते काइएस सुहुमेसु ग्रपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु य एवं चेव उववाएयव्वो || ८. अपज्जत्तावादरते उक्काइए णं भंते! मणुस्सखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते प्रपज्जत्ताबाद रते उक्का इयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! १. भ० ३४/२, ३ २. सं० पा०-- तेणट्टे जाव विग्गणं । Page #1074 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौतीसइमं सतं (पढमो उद्देसी) कतिसमइएणं० ? सेसं तं चेव । एवं पज्जत्तावादरते उक्काइयत्ताए वि उववाएयव्यो। वाउकाइयत्ताए य वणस्सइकाइयत्ताए य जहा पुढविकाइएसु तहेव चउक्कएणं भेदेणं उववाएयव्यो। एवं पज्जत्तावादरते उकाइयो वि समयखेत्ते समोहणावेत्ता एएसु चेव वीसाए ठाणेसु उववाएयवो। जहेव अपज्जत्तो उववाइयो, एवं सव्वत्थ वि बादरते उकाइया अपज्जत्तगा य पज्जत्तगाय समयखेत्ते उववाण्यव्या समोहणावेयव्या वि । बाउक्काइया वणस्सकाइया य जहा पुढविक्काइया तहेव च उक्कएणं भेदेणं उववाएयव्वा जाव६. पज्जत्ताबादरवणस्सइकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते पज्जत्तावादरवणस्सइकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कतिसमइएणं० ? सेसं तहेव जाव से तेणटेणं ।। १०. अपज्जत्तासुहुम पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थि मिल्ल चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए परथिमिल्ल चरिमते अपज्जत्तासहमपढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! क इसमझाणं० ? सेसं तहेव निरवसेसं । एवं जहेव पुरथिमिल्ले चरिमंते सव्वपदेस वि समोहया पच्चस्थिमिल्लं चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया, जे य समयखेत्त सभोया पच्चथिमिल्ल चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया, एवं एएणं चंब कमेणं पच्चथिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया पुरथिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाएयब्बा तेणेव गमएणं । एवं एएणं गमएणं दाहिणिल्ले चरिमंते समोयाण उत्तरिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववानो। एवं चेव उत्तरिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया दाहिणिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाएयव्वा तेणव गमएणं ।। ११. अपज्जत्तासहमपुढविकाइए णं भंते! सक्करप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहर, समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पच्चथिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एवं जहेब रयण प्पभाए जाब से तेणटेणं । एवं एएणं कमेणं जाव पज्जत्तएस सुहुमतेउकाइएसु ।। १२. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपज्जत्ताबादरतेउक्काइयत्ताए उववज्जितए, से णं भंते ! कतिसमइएणं-पुच्छा । गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा ।। से केणद्वेणं ? एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीयो पण्णत्ताओ, तं जहा-उज्जुयायता जाव अद्धचक्कवाला । एगोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसभइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । दुहनोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा। Page #1075 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई से तेणद्वेणं । एवं पज्जत्तएसु वि बादरतेजक्काइए । सेसं जहा रयणप्पभाए | जे वि बादरतेकाइया अपज्जत्तमा य पज्जत्तगा य समयखेत्तं समोहणित्ता दोच्चाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते पुढविकाइएस चउब्बिहेसु, ग्राउक्काइएसु चव्विसु, तेउकाइएस दुविहेसु बाउकाइएस चउबिहेसु, वणस्सकाइएसु चव्विसु उववज्जंति, ते वि एवं चैव दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गणं उववाएयन्वा । बादरतेडक्काइया अपज्जत्तगा य पज्जत्तगा य जाहे तेसु चैव उववज्जति ताहे जहेव रयणप्पभाए तहेव एगसमइय- दुसमइय-तिसमइयविग्गहा भाणियव्वा, सेसं जहेव रयणप्पभाए तहेव निरवसेसं । जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया एवं जाव आहेसत्तमाए' भाणियव्वा || १४. अपज्जत्तासु हुमपुढविक्काइए णं भंते ! १०१४ हेलोयखेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासु हुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते! कइसमइएणं विग्गणं उववज्जेज्जा ? गोमा ! तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा | १५. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ - तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! पज्जत्तासुहुमपुढविकाइए णं अहेलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयत्ताए एगपयरंसि ऋणुसेढि उववज्जितए, से णं तिसमइएणं विग्गणं उववज्जेज्जा । जे भविए विसेदि उववज्जित्तए, सेणं चउसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा | से तेणद्वेगं जाव उववज्जेज्जा । एवं पज्जत्तासुहुमपुढविइयत्ता वि, एवं जाव पज्जत्तासुहुमते उकाइयत्ताए ॥ १६. अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए णं भंते! ग्रहेलोग खेत्तनालीए वाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपज्जत्ताबादरते उकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? गोमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा ॥ १७. सेकेणट्टेणं ? ० एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेदोश्रो पण्णत्ताओ, तं जहा - उज्जुयायता जाव अद्धचक्कवाला | एमोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा, दुग्रोवंकाए सेढीए उववज्जमाणं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । १. असत्तमा ए वि ( स ) । २. अणुसेढीए ( अ, क, ख, ब, भ, स) । ३. विसेढोए ( अ, क, ख, तो, ब, म, स ) । ४. सं० पा– हेलोग जाव समोहरिणत्ता । Page #1076 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोतीसइम सतं (पढमो उद्देसो) १०१५ से तेण?णं । एवं पज्जत्तएसु वि बादरतेउकाइएसु वि उववाएयब्यो । वाउक्काइय-वणस्सइकाइत्ताए चउक्कएणं भेदेणं जहा आउक्काइयत्ताए तहेव उववाएयन्वो । एवं जहा अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयस्स गमयो भणियो एवं पज्जत्ता सूहमपूढविकाइयस्स विभाणियन्वो, तहेव वीसाए ठाणंसू उववाएव्वा ।। १८. [अपज्जत्ताबादरपुढविक्काइए णं भंते ?] अहेलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए? एवं बादरपुढविकाइयस्स वि अपज्जत्तगस्स पज्जत्तगस्स य भाणियव्वं । एवं ग्राउक्काइयस्स चउव्विहस्स वि भाणियध्वं । सुहुमतेउक्काइयस्स । वि एवं चेव ।। १६. अपज्जत्ताबादरते उक्काइए णं भंते ! समयखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? गोयमा! दुसमइए वा तिसमइएण वा च उसमइएण वा विग्गणं उवव ज्जेज्जा ॥ २०. से केण?ण ? अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीओ । एवं जाव२१. अपज्जत्ताबादरतेउकाइए णं भंते ! समयखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते पज्जत्तासुहुमतेउकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ०? सेसं तं चेव ।। २२. अपज्जत्तावादरते उक्काइए णं भंते ! समय क्षेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपज्जत्तावादरते उक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा।। से केणट्रेणं ? अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीयो । एवं पज्जत्ताबादरतेउकाइयत्ताए वि । वाउकाइएमु वणस्सइकाइएसु य जहा पुढविक्काइएसु उववाइनो तहेव चउक्कएणं भेदेणं उववाएयव्वो। एवं पज्जत्ताबादरतेउकाइओ वि एएसु चेव ठाणेसु उववाएयव्वो। वाउक्काइय-वणस्सइकाइयाणं जहेव पुढविकाइयत्ते उववायो तहेव भाणियन्वो ।। २४. अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए भंते ! उड्ढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए अहेलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहुम पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं ०? एवं उड्ढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोयाणं अहेलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते उववज्जताणं सो चेव गमो निरवसेसो भाणियव्वो जाव बादरवणस्सइकाइयो पज्जत्तो बादरवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु उववाइयो। Page #1077 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१६ भगवई २५. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स पुरथिमिल्ले चेव चरिमंते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयत्ताए उववज्जितए, सेणं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमरण वा दुसमइगण वा तिसमबाण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उबवज्जेज्जा ।। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चय --गसमण वा जाव उववज्जेज्जा ? एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीग्रो पण्णताओ, तं जहा- उज्जुग्रायता जाव अद्धचक्कवाला। उज्जायताए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । एगोयंकाए सेढीप उववज्जमाणे दुसमइएणं विगहेणं उववज्जेज्जा। हनोवंकारा सेटी उववज्जमाणे जे भविए एगपयरंसि अणसे दि उववज्जित्ता, सणं तिरामा विगहेणं उववज्जेज्जा । जे भविए विसेदि उवज्जिता, से णं च उममशणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । से तेण?णं जाव उववज्जेज्जा ! एवं अपज्जत्तासुहमपुढविकाइनो लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहा, समोहणित्ता लोगस्स पुरथिमिल्ले चेव चरिमते अपज्जत्तएसु पज्जत्तएमु सुहमपुढविकाइएसु, अपज्जनासु पज्जत्तएमु सुहमाउकाइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तासु सुहुमते उक्काइपमु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु सुहुमवाउकाइएसु, अपज्जत्ताम् पूज्जत्तापसू वादरवाउकाइएस, अपज्जत्तासू पज्जत्तएस सहमवणस्सइकाइएन, अपज्जतासु पज्जत्तासु य बारससु वि ठाणेसु एएणं चेव कमेण भाणियब्वो । सुहमपुढविकाइयो पज्जत्तनो एवं चव निरवसेसो वारससु वि ठाणेसु उववाएयव्बो । एवं गाणं गमएणं जाव सुहुमवणस्सइकाइयो पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव भाणियव्वो।। अपज्जत्तासहम पुडविभाग णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विगहेणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विरगहेणं उवव ज्जेज्जा ॥ २८. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ ०? एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीग्रो पण्णत्ताओ, तं जहा-उज्जुयायता जाव अद्धचक्कवाला । एगोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विगहेणं उववज्जेज्जा, दुहोक्काए सेढीए उववज्जमाणे जे भविए एगपयरंसि अणुसेडिं उववज्जित्तए, से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा। जे भविए विसेदि उक्वज्जित्तए, से णं च उसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । से तेणटेणं गोयमा ! एवं एएणं गमएणं पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए दाहिणिल्ले चरिमंते Page #1078 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चौतीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) १०१७ २६. उववाए यवो जाव सुहुमवणस्सइकाइओ पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव ! सव्वेसिं दुसमइयो तिसमइयो चउसमइनो विग्गहो भाणियव्वो।। अपज्जत्तासुहमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासहमपढविकाइयत्ता उववज्जितए. से णं भंते ! कइसमइएणं विम्गदेणं उववज्जेज्जा? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विगहेणं उववज्जेज्जा ।। ३०. से केणट्रेणं ? एवं जहेव पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहया परस्थिमिल्ले चेव चरिमंते उववाइया तहेव पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहया पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते उववाएयव्वा सव्वे ।। ३१. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स उत्तरिल्ले चरिमते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयताए उववज्जित्तए, से णं भते? ० एवं जहा पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहयो' दाहिणिल्ले चरिमते उववाइनो तहा पुरथिमिल्ले समोहयो उत्तरिल्ले चरिमंते उववाएयव्यो ।। अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ल चव चरिमते अपज्जत्तासुहमपढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए ? एवं जहा पुरथिमिल्ले समोहयग्रो पुरथिमिल्ले चेव उववाइनो तहेव दाहिणिल्ले समोहए दाहिणिल्ले चेव उववाएयव्वो, तहेव निरवसेसं जाव सुहमवणस्सइकाइयो पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु चेव पज्जत्तएसु दाहिणिल्ले चरिमंते उववाइओ, एवं दाहिणिल्ले समोहयो पच्चथिमिल्ले चरिमंते उववाएयव्यो, नवरं-दुसमइय-तिसमइय-च उसमइयविग्गहो, सेसं तहेव । एवं दाहिणिल्ले समोहयो उत्तरिल्ले चरिमंते उववाएयव्वो जहेव सट्टाणे तहेव । एगसमइय-दुसमइय-तिसमइय-च उसमइयविग्गहो। पुरथिमिल्ले जहा पच्चत्थिमिल्ले, तहेव दुसमइय-तिसमइय-चउसमइयविग्गहो। पच्चत्थिमिल्ले चरिमते समोहयाणं पच्चथिमिल्ले चेव उववज्जमाणाणं जहा सट्टाणे । उत्तरिल्ले उववज्जमाणाणं एगसमइयो विगहो नत्थि, सेसं तहेव । पुरथिमिल्ले जहा सट्टाणे, दाहिणिल्ले एगसमइयो विग्गहो नत्थि, सेसं तं चेव । उत्तरिल्ले समोहयाणं उत्तरिल्ले चेव उववज्जमाणाणं जहा सट्ठाणे । उत्तरिल्ले समोहयाणं पुरथिमिल्ले उववज्जमाणाणं एवं चेव, नवरं---एगसमइओ विग्गहो नस्थि । ३२. १. समोहताओ (अ, क, ब) समोहतो (स)। Page #1079 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१८ भगवई उत्तरिल्ले समोहयाणं दाहिणिल्ले उववज्जमाणाणं जहा सट्टाणे, उत्तरिल्ले समोहयाणं पच्चथिमिल्ले उववज्जमाणाणं एगसम इप्रो विग्गहो नत्थि, सेसं तहेव जाव सुहुमवणस्सइकाइयो पज्जत्तयो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव ।। एगिदियाणं ठाण-पदं ३३. कहि णं भंते ! वादरपुढविक्काइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णता? गोयमा ! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीसु जहा' ठाणपदे जाव सुहुमवणस्स इकाइया जे य पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसमणाणत्ता सव्वलोग परियावन्ना पण्णत्ता समणाउसो ! एगिदियाणं कम्म-पदं ३४. अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तानो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीयो पण्णत्तानो, तं जहा - नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं । एवं चउक्कएणं भेदेणं जहेब एगिदियसएसु जाव वादरवणस्सइ काइयाणं पज्जत्तगाणं ।। ३५. अपज्जत्तासूहमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वधति ? गोयमा ! सत्तविहबंधगा वि, अट्ठविहवंधगा वि, जहा एगिदियसएसु जाव' पज्जत्ताबादरवणस्सइकाइया ॥ ३६. अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ वेदेति? गोयमा ! चोद्दस कम्मप्पगडीयो वेदति, तं जहा-नाणावरणिज्ज, जहा एगिदियसएसु जाव पुरिसवेदवज्झ । एवं जाव' वादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्त गाणं । एगिदियाणं उववत्ति-पदं ३७. एगिदिया णं भंते ! कसो उववज्जति--कि ने रइएहितो उववज्जति० ? जहा" वक्कतीए पुढविक्काइयाणं उववाओ॥ एगिदियाणं समुग्घाय-पदं ३८. एगिदियाणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा -वेदणासमुग्घाए जाव वे उव्वियसमुग्घाए । १. प०२ २. भ० ३३१६-८॥ ३. भ० ३३१६-११ । ४. भ० ३३।१२,१३ 1 ५. प०६। Page #1080 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोतीसइमं सत (बीओ उद्देसो) एगिदियाणं तुल्ल-विसेसाहिय-कम्मकरण-पदं ३६. एगिदिया णं भंते ! कि तुल्ल द्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति ? तुल्ल द्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? वेमायद्वितोया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति ? वेमायद्वितीया वेमायविसेसायिं कम्मं पकरेंति ? गोयमा ! अत्धेगइया तुलद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, प्रत्येग इया तुल्ल द्वितीया बेमायविसे साहियं कम्म पकरति, अत्थेगइया वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पक रति, अत्थेगइया वेमायट्टितोया वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेति ।। ४०. से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चय--अत्थेगइया तुल्ल द्वितीया जाय वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति ? गोयमा! एगिदिया चाउविहा पण्णत्ता, तं जहा- अत्थेगइया समाउया समोवबन्नगा, अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा, अत्थेगइया विसमाउया समोवबन्नगा, अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा। तत्थ णं जे ते समाउया समोरवन्नगा ते ए तुल्ल द्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरति । तत्थ णं जे ते समाउया विसमाववन्नगा ते ण तल्लट्रिनोया बेमायविसे साहिय कम्म पकरेंनि । तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते ण वे मायद्वितीया तुल्लविससाहियं कम्मं पकरेति । तत्थ णं जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते णं बेमायविसेसाहियं कम्म पकरेति । से तेग?णं गोयमा ! जाव वेमायविसेसाहियं कम्म पकरति ॥ ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरति ।। बीओ उद्देसो विसेसित-एगिदियाणं ठाणादि-पदं ४२. कइविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा एगिदिया पण्णता? गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा---पुढवि क्काइया, दुयाभेदो जहा एगिदियसएसु जाव बादरवणस्सइकाइया य॥ ४३. कहि णं भंते ! अणंतरोववन्नगाणं बादरपुढविक्काइयाणं ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! सट्टाणेणं अट्ठसु पुढवीसु, तं जहा-रयणप्पभाए जहा ठाणपदे जाव' १.१०२ Page #1081 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२० भगवई दीवेसु समुद्देसु, एत्थ णं अणंत रोववन्नगाणं बादरपुढविकाइयाणं ठाणा पण्णत्ता, उववाएण सव्वलोए, समुरघाएण सव्वलोए, सट्ठाणेणं लोगस्स असंखेज्जइभागे। अणंतोववन्नमसुहुमपुढविक्काइया एगविहा अविसेसमणाणत्ता सव्वलोए परियावन्ना पण्णत्ता समणाउसो ! एवं एएणं कमेणं सव्वे एगिदिया भाणियव्वा, सट्ठाणाई सब्वेसि जहा ठाणपदे । तेसिं पज्जत्तगाणं बादराणं उववाय-समुग्घायसटाणाणि जहा तेसिं चेव अपज्जत्तगाणं वादराणं । सुइमाणं सव्वेसि जहा पुढविकाइयाणं भणिया तहेव भाणियवा जाव वणस्सइकाइयत्ति ! ४४. अणंतरोववन्नगाणं सुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडोरो पण्णत्ताओ। एवं जहा एगिदियसएसु अणंतरोववन्नग उद्देसए तहेव पण्णत्ताओ, तहेब बंधंति, तहेव वेदेति जाव' अणंतरो ववन्नगा वादरवणस्सइकाइया ।। ४५. अणंत रोववन्नगएगिदिया णं भंते ! कसो उववज्जति ? जहेव ओहिए उद्देससो भणियो तहेव ।। ४६. अणंत रोववन्तगागिदियाणं भंते ! कति समग्घाया पण्णता ? गोयमा ! दोन्नि समूग्घाया पण्णत्ता तं जहा—वेदणासमुग्धाए य कसायसम् घाए य ।। ४७. अणंतरोववन्नगएगिदिया णं भंते ! कि तुल्लट्ठितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति पुच्छा तहेव ।। गोयमा ! अत्थेगइया तुल्लट्ठितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, अत्थेगइया तुल्ल द्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेति । ४८. से केणद्वेणं जाव वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति ? गोयमा ! अणंतरोववन्नगा एगिदिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-- अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा । तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं तुल्लट्ठितीया तुल्लविसेसायिं कम्मं पकरेंति । तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते गं तुल्ल द्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति । से तेण?णं जाव वेमायविसेसाहियं कम्म पकति ।। ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ १. भ० ३३।१७-२० । २. दो (ब, म)। Page #1082 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोतसमं सतं (३-११ उद्देसा) तइयो उद्देसो ५०. कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगा एगिंदिया पण्णत्ता ? गोमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिंदिया पण्णत्ता, तं जहा - पुढविक्काइया, भेदो चउक्कस्रो जात्र वणस्सइकाइयत्ति || ५१. परंपरोववन्नगपज्जत्तासहुमपुढविक्काइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढबीए' पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते ग्रपज्जत्तासु हुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढमो उद्देश्रो जाव' लोगचरिमंतो त्ति ॥ ५२. कहि णं भंते ! परंपरोववन्नगवादरपुढविक्काइयाणं' ठाणा पण्णत्ता ? गोमा ! सट्टा सु पुढवीसु । एवं एएणं अभिलावेणं जहा पढमे उद्देसए जा तुलट्ठितीति ॥ ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || १०२१ ४-११ उद्देसा ५४. एवं सेसा विट्ठ उद्देसगा जाव प्रचरिमो त्ति, नवरं श्रणंतरा अनंतरसरिसा, परंपरा परंपरसरिसा, चरिमा य अचरिमा य एवं चेव । एवं एते एक्कारस उद्देगा || १. जाव ( अ, ता, ब); पुढवीए जाव ( स ) | २. भ० ३४१२ ३२ । ३. ० बार ( क ) । Page #1083 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बिइयं सतं १-११ उद्देसा ५५. काविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता, भेदो चउक्कयो जहा कण्हलेस्सएगिदियसए जाव वणरसइकाइयत्ति ।। ५६. कण्हलेस्सअपज्जत्तामुहमपढविक्काइए भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पढवीए पुरथिमिल्ले ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेब प्रोहिउद्देसनो जाव लोगचरिमने त्ति । सव्वत्थ कण्हलेम्सु चेव उववाएयव्वो॥ ५७. कहि णं भंते ! कण्हलेस्सअपज्जत्तावादरपुढविक्काइयाणं ठाणा पणत्ता ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा प्रोहिउद्देसओ जाव तुल्लट्ठिइय त्ति ।। ५८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ५६. एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढम सेढिसयं तहेव एक्कारस उद्देसगा भाणियव्वा ।। ३-५ सताई ६०. एवं नोललेस्सेहि वि सतं । काउलेस्से हि वि सतं एवं चेव । भवसिद्धिय एगिदिएहि सतं ॥ १. एहिं वि (म, स)। १०२२ Page #1084 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छठं सतं ६१. कइविहा णं भंते कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता ? जहेव' प्रोहिउद्देसनो । ६२. कइविहा णं भंते ! अणंतरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता ? जहव अणंतरोववन्ताउद्देसओ ओहियो तहेव ।। ६३. कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता? गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता, भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयत्ति ॥ ६४. परंपरोववन्नाकण्हलेस्स भवसिद्धियअपज्जत्तासुहमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए० ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहियो उद्देसओ जाव लोयचरिमंते त्ति ! सव्वत्थ कण्हलेस्सेसु भवसिद्धिएसु उववाएयब्वो॥ ६५. कहि णं भंते ! परंपरोववन्नाकण्हलेस्सभवसिद्धियपज्जत्तावादरपुढविकाइयाणं ठाणा पण्णत्ता ? एवं एएणं अभिलावणं जहेव प्रोहिओ उद्देसओ जाव तुल्लट्टिइयत्ति । एवं एएणं अभिलावेणं कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि तहेव एक्कारसउद्दसगसंजुत्तं छटुं सतं ।। ७-१२ सताई ६६. नीललेस्सभवसिद्धियएगिदिएसु सतं। एवं काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि सतं । जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि सयाणि एवं अभवसिद्धिएहि वि चत्तारि सयाणि भाणियवाणि, नवरं-चरिमअचरिमवज्जा नव उद्देसगा भाणियब्वा, सेसं तं चेव । एवं एयाइं बारस एगिदियसेढीसताई ।। ६७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। १. एवं जहेव (स)। १०२३ Page #1085 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइमं सतं पढमं एगिदियमहाजुम्मसतं पढमो उद्देसो महाजुम्म-एगिदियाणं उववायादि-पदं १. कइ णं भंते ! महाजुम्मा पण्णत्ता? गोयमा! सोलस महाजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा–१ कडजुम्मकडजुम्मे, २ कडजुम्मतेप्रोगे, ३ कडजुम्मदावरजुम्मे', ४ कडजुम्मकलियोगे, ५ तेओगकडजुम्मे, ६ तेप्रोगतेप्रोगे, ७ तेप्रोगदावरजुम्मे, ८ तेप्रोगकलिनोगे, ६ दावरजुम्मकडजुम्मे, १० दावरजुम्मतेओगे, ११ दावरजुम्मदावरजुम्मे, १२ दावरजुम्मकलियोगे, १३ कलियोगकडजुम्मे १४ कलियोगतेप्रोगे, १५ कलियोगदावरजुम्मे, १६. कलियोगकलिगोगे ॥ २. से कणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ–सोलस महाजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा-कडजुम्म कडजम्मे जाव कलियोगकलियोगे? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया ते वि कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मकडजुम्मे १। जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मतेयोए २ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मदावरजुम्मे ३ । जे णं रासी च उक्कएणं अवहारेणं अबहीरमाणे एगपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मकलियोगे ४ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेयोगा, सेत्तं तेनोग कउजुम्मे ५! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, १. ° दादरजुम्मे (अ, ख, ता, म); ° वातरजुम्मे २. अवहारमाणा (अ); अवहारमाणे (म) ! १०२४ Page #1086 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइमं सतं ( पढमो उद्देसो) १०२५ जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेश्रोगा, सेत्तं तेश्रोगतेश्रोगे ६ । जेणं रासी चक्कणं अवहारेण अवहीरमाणे दोपज्जवसिए, जे गं तस्स रासिस्स श्रवहारसमया तेयोगा, सेत्तं तेश्रोगदावरजुम्मे ७ । जे गं रासी चउक्कएणं अवहारेणं श्रवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जे गं तस्स रासिस्स श्रवहारसमया तेश्रोगा, सेत्तं तेश्रोगकलियोगे ८ । जेणं रासी चउक्कएणं ग्रवहारेणं श्रवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा, सेत्तं दावरजुम्मकडजुम्मे । जे गं रासी चउक्कएणं ग्रवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स श्रवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मतेयोए १० । जेणं रासी चउक्कणं अवहारेणं प्रवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा, सेत्तं दावरजुम्मदावरजुम्मे ११ । जं णं रासी चउक्कणं अवहारेणं श्रवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स ग्रवहारसमया दाबरजुम्मा, सेत्तं दावरजुम्मकलियोए १२ । जे गं रासी चउक्कणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगकडजुम्मे १३ । जेणं रासी चउक्कएणं श्रवहारेणं वीरमाणे पिज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगतेयोए १४ । जेणं रासी चउक्कणं अवहारेणं ग्रवही रमाणे दुपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स श्रवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगदावरजुम्मे १५ । जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगकलियोगे १६ । से तेणट्टेणं जाव कलिभोगकलिओगे || ३. कडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते! कम्रो उववज्जति - किं नेरइएहितो ० ? जहा' उप्पलुद्देसए तहा उववाओ || ४. ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जंति ? गोमा ! सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अनंता वा उववज्जंति ॥ ५. ते णं भंते! जीवा समए समए पुच्छा ! गोयमा ! ते णं णंता समए समए अवहीरमाणा प्रवहीरमाणा अणताहि सप्पिणि उस्सप्पिणीहि अवहीरंति णो चेव णं अवहिया' सिया । उच्चतं जहा' उप्पलुद्देसए || ६. ते णं भंते! जीवा नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स किं बंधगा ? अबंधगा ? गोयमा ! बंधगा, नो अबंधगा । एवं सव्वेसि प्राउयवज्जाणं । बंधगा वा प्रबंधगा वा ॥ १. भ० ११२ । २. अवहरिया ( स ) । ३. भ० १११५ । आउयस्स Page #1087 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२६ भगवई १०. ७. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स-पुच्छा। गोयमा ! वेदगा, नो अवेदगा । एवं सव्वेसि ।। ते णं भंते ! जीवा किं सातावेदगा ? असातावेदगा ? गोयमा ! सातावेदगा वा असातावेदगा वा । एवं उप्पलुद्देसगपरिवाडी' ! सव्वेसि कम्माणं उदई, नो अणुदई । छण्हं कम्माणं उदीरगा, नो अणुदीरगा। वेदणिज्जाउयाणं उदीरगा वा अणुदीरगा वा ॥ ९. ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेस्सा-पुच्छा। गोयमा ! कण्हलेस्सा वा, नीललेस्सा वा, काउलेस्सा वा, तेउलेस्सा वा । नो सम्मदिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी, मिच्छादिट्ठी । नो नाणी, अण्णाणी-नियम' दुअण्णाणी, तं जहा - मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य । नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी। सागारोवउत्ता वा, अणागारोव उत्ता वा ।। तेसि णं भंते जीवाणं सरीरगा कतिवण्णा? जहा उप्पलुद्देसए सब्वत्थ--पुच्छा। गोयमा ! जहा उप्पलुद्देसए ऊसासगा वा, नीसासगा वा, नो उस्सासनीसासगा वा । पाहारगा वा प्रणाहारगा वा । नो विरया, अविरया, नो विरयाविरया। सकिरिया, नो अकिरिया। सत्तविहबंधगा वा अद्रविहबंधगा वा । आहारसण्णोवउत्ता वा जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता वा । कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा। नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा। इत्थि वेदबंधगा वा पुरिसवेदबंधगा वा नपुंसगवेदबंधगा वा। नो सण्णी, असण्णी। सइंदिया, नो अणिदिया ।। ११. ते णं भंते ! कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया कालयो केवच्चिरं होंति ? गोयमा! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अणंतं काल-अणता प्रोसप्पिणिउस्सप्पिणीयो, वणस्सइकाइयकालो । संवेहो न भण्णइ, आहारो जहा' उप्पलुदेसए नवरं-निव्वाघाएणं छद्दिसि, वाधायं पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पंचदिसि, सेसं तहेव । ठिती जहण्णणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई। समुग्घाया आदिल्ला चत्तारि । मारणंतियसमुग्धातेणं समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति ! उव्वट्टणा जहा उप्पलुद्देसए ! १२. अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता कडजुम्मकडजुम्मएगिदियत्ताए उववन्न पुवा? हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो। १. पुच्छा (अ, क, ख, ता, ब, म)। २. भ० ११॥६-११। ३. नियमा (अ, ब)। ४. सरीरा (ख, स)। ५, भ० ११११७-२८ । ६. केवचिरं (अ, क, ख, ब, म)! ७. भ० १११३५ । ८. भ०१११३६। Page #1088 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइमं सत (पढ़मो उद्देसो) १०२७ १३. कडजम्मतेओयागिदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? उववायो तहेव ॥ १४. ते णं भंते ! जीवा एगसमाए-पुच्छा। गोयमा ! एकणवीसा वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणता वा उववज्जति, सेसं जहा कडजुम्मकडजुम्माणं जाव अणंतखुत्तो।। १५. कडजम्मदावरजुम्मएगिदिया णं भंते! कमोहितो उववज्जति०? उववानो तहेव ।। १६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं--पुच्छा! गोयमा ! अट्ठारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जंति, सेसं तहेव जाव अणंतखत्तो।। १७. कडजुम्मकलियोगागिदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? उववालो तहेव परिमाणं सत्तरस वा संज्जा वा असंखेज्जा वा अणता वा, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो।। १८. तेयोगकडजुम्मागिदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जंति० उववानो तहेव, परिमाण वारस वा संग्वेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जंति, सेसं तहेव जाव अणंतखत्तो १६. तेयोयतेयोयागिदिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? उववाग्रो तहेव । परिमाणं पन्तरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणता वा, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो। एवं एएस सोलससु महाजुम्मेसु एक्को गमत्रो, नवरं-परिमाणे नाणतं-तेयोयदावरजुम्मेसु परिमाणं चोइस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणता वा उवज्जति । तेयोगकलियोगेसु तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उवबज्जति । दाव रजुम्मकडजुम्मेसु अटु वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । दावरजम्मतेयोगेसू एवकारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । दावरजुम्मदावरजुम्मेसु दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । दावरजुम्मकलियोगेसू नव वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणता वा उववज्जंति । कलियोगकडजुम्मे चतारि वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति ! कलियोगतेयोगेसु सत्त वा संखेज्जा वा असंखेज्जा बा अणंता वा उववज्जति । कलियोगदावरजुम्मेसु छ वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणता वा उववज्जति ।। २०. कलियोगकलियोगएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? उववाग्रो तहेव । परिमाणं पंच वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो॥ २१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। Page #1089 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२८ भगवई बीओ उद्देसो २२. पढमसमयकडजम्मकडजम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ? गोयमा ! तहेब, एवं जहेब पढमो उद्देसनो तहेव सोलसखुत्तो वितिया' भाणियव्वो, तहेव सव्वं, नवरं-इमाणि दस नाणत्ताणि-१. प्रोगाहणा जहणेण अंगुलस्स असंखेंज्जइभाग, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं । २. आउयकम्मस्स नो बंधगा, अबंधगा। ३. आउयस्स नो उदीरगा, अणुदीरगा। ४. नो उस्सासगा, नो निस्सासगा, नो उस्सासनिस्सासगा। ५. सत्तविहबंधगा, नो अबिहबंधगा। २३. ते णं भंते ! पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदियत्ति कालमो केवच्चिरं होइ ? गोयमा! ६. एक्कं समयं । ७. एवं ठितो वि । ८. समुग्धाया आदिल्ला दोन्नि । ६. समोहया न पुच्छिज्जति । १०. उव्वट्टणा न पुच्छिन्नइ, सेसं तहेव सव्वं निरवसेसं सोलससु वि गमएसु जाव अणतखुत्तो ।। २४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३-११ उद्देसा २५. अपढमसमयकडजुम्मए गिदिया णं भंते ! को उववज्जति ? एसो जहा पढमुद्देसो सोलसहि वि जुम्मेसु तहेव नेयम्वो जाव कलियोगकलियोगत्ताए जाव अणंतखुत्तो ! २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २७. चरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कसो उवरजंति ? एवं जहेव पढमसमय उद्देसमो, नवरं---देवा न उववज्जति, तेउलेस्सा न पुच्छिज्जति, सेसं तहेव ।। २८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २६. अचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कसो उववज्जति ? जहा ___ अपढमसमयउद्देसो' तहेव निरवसेसो भाणितव्वो॥ ३०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। ३. पढम (अ, क, ख, ता, ब)। १. बितिओ वि (अ, क, ख, ब, म)। २. जुम्मेहिंसु (ता)। Page #1090 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइमं सतं १०२६ ३१. पढमपढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ? जहा पढमसमयउद्देसयो तहेव निरवसेसं ।। ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ। ३३. पढमअपढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? जहा पढमसमयउद्देसो तहेव भाणियव्यो ।। ३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३५. पढमचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ? जहा चरिमुद्देसनो तहेव निरवसेसं ।। ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ ३७. पढमग्रचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ? जहा 'वीरो उद्देसओ" तहेव निरवसेस ।। ३८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। ३६. चरिमचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ? जहा चउत्थो उद्देसनो तहेव निरवसेसं ॥ ४०. सेव भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४१. चरिमअचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कसो उववज्जति ? जहा पढमसमयउद्देसनो तहेव निरवसेसं ।। ४२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाब विहरति ।। ४३. एवं एए एक्कारस उद्देसगा। पढमो ततिम्रो पंचमो' य सरिसगमा, सेसा अट्ट सरिसगमा, नवरं-च उत्थे अट्ठमे दसमे य देवा न उववज्जति । ते उलेस्सा नत्थि । बितियं एगिदियमहाजुम्मसतं ४४. कण्णलेस्सकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति०? गोयमा ! उववानो तहेव, एवं जहा प्रोहिउद्देसए, नवरं इमं नाणत्तं ।। ४५. ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा? हता कण्हलेस्सा ।। १. पढमउ० (अ, क, ख)। २. चउत्थुद्देसओ (ता)। ३. पंचमगो (अ, क, ब, म); पंचमओ (ख, ता)। ४. च उत्थे छट्टे (अ, ब)। Page #1091 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३० भगवई ४६. ते णं भंते ! कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मएगिदियत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं प्रतोमुहुत्तं । एवं ठिती वि। सेसं तव जाव अनंतखुत्तो। एवं सोलस वि जुम्मा भाणियव्वा ॥ ४७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || ४८. पढमसमयकण्हले स्सकडजुम्मकडजुम्मए गिंदिया णं भंते! कम्रो उववज्र्ज्जति ? जहा पढमसमय उद्देश्रो, नवरं ४६. ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हंता कण्हलेस्सा, सेसं तहेव' || ५०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति || ५१. एवं जहा ग्रोहियसए एक्कारस उद्देगा भणिया तहा कण्हलेस्ससए वि एक्कारस उद्देगा भाणियव्वा । पढमो तइम्रो पंचमो य सरिसगमा, सेसा अट्ठवि सरिसगमा, नवरं चउत्थ ग्रहम-दसमेसु उववाम्रो नत्थि देवस्स || ५२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ३-१२ एगिंदियमहाजुम्मसताई ५३. एवं नीललेस्सेहि वि सतं कण्हलेस्ससतसरिसं एक्कारस उद्देसगा तहेब || ५४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। ५५. एवं काउलेस्सेहि वि सतं कण्हलेस्ससतसरिसं ॥ ५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || ५७. भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते ! को उववज्जंति० ? जहा ओहियसतं तहेव, नवरं - एक्कारससु वि उद्देसएसु ॥ ५८. अह भंते! सव्वे पाणा जाव सव्वे सत्ता भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मएगिदियताए उववन्नपुब्वा ? गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे, सेसं तहेव ॥ ५६. सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति || ६०. कण्हले सभवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मए गिदिया णं भंते ! कओ उववज्जंति० ? एवं कण्हले सभवसिद्धियएगिदिएहि वि सतं बितिय सतकण्हलेस्ससरिसं भाणि - यव्वं ॥ ६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ १. तं चैव ( स ) 1 Page #1092 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणतीसइमं सतं ६२. एवं नीललेस्स भवसिद्धियएगिदियएहि वि सतं ।। ६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ६४. एवं काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि तहेव एक्कारसउद्देसगसंजुत्तं सतं ! एवं एयाणि चत्तारि भवसिद्धिएसु सताणि । चउसु वि सएसु सव्वे पाणा जाव उववन्नपुव्वा ? नो इण? समढे ।। ६५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ६६. जहा भवसिद्धिएहि चत्तारि सताई भणियाइं एवं अभवसिद्धिएहि वि चत्तारि सताणि लेस्सासंजुत्ताणि भाणियव्वाणि । सव्वे पाणा तहेव नो इणद्वे समढे । एवं एयाई बारस एगिदियमहाजुम्मसताई भवंति ।। ६७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। Page #1093 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्तीसइमं सतं पढम बेंदियमहाजुम्मसतं पढमो उद्देसो महाजुम्म-बंदियाणं उववायादि-पदं १. कडजुम्मकडजुम्मबंदिया णं भंते ! को उववज्जति ? उववानो जहा' वक्कंतीए । परिमाणं सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । अवहारो' जहा' उप्पलुद्देसए। प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं वारस जोयणाई। एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमुद्देसए तहेव, नवरं-- तिष्णि लस्साप्रो, देवा न उववज्जति । सम्मदिट्ठी वा मिच्छदिट्ठी का, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नाणी वा अण्णाणी वा। नो मणजोगी, वइजोगी वा कायजोगी वा ।। २. ते णं भंते ! कडजुम्मकडजुम्मबंदिया कालयो केवच्चिरं होंति ? गोयमा ! जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं । ठिती जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं वारस संवच्छराइं । आहारो नियम छद्दिसि । तिषिण समुग्घाया, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो । एवं सोलससु वि जुम्मेसु ।। ३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २-११ उद्देसा ४. पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मदिया णं भंते ! को उववज्जंति ? एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमसमय उद्देसए । दस नाणत्ताई ताई चेव दस इह वि । ३. भ० ११।४। १. ५०६। २. आहारो (अ, क, ता, ब)। ०३२ Page #1094 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छत्ततीसइमं सतं एक्कारसम इमं नाणतं-नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी। सेसं जहा बेंदियाणं चेव पढमुद्देसए । ५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति !! ६. एवं एए वि जहा एगिदियमहाजुम्मेसु एक्कारस उद्देसगा तहेव भाणियव्वा, नवरं-चउत्थ-अट्ठम-दसमेसु सम्मत्त-नाणाणि न भण्णंति । जहेव एगिदिएस पढमो तइओ पंचमो य एक्कगमा, सेसा अट्ठ एक्कगमा । २-१२ ३दियमहाजुम्मसताई ७. कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मबंदिया णं भंते ! को उववज्जति ? एवं चेव । कण्हलेस्लेसु वि एक्कारसउद्देसगसंजुत्तं सतं, नवरं - लेस्सा, संचिट्ठणा' जहा एगिदियकण्हलेस्साणं ।। ८. एवं नीललेस्सेहि वि सतं ।। ६. एवं काउलेस्मे हि वि ।। १०. भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मबेदिया णं भंते? एवं भवसिद्धियसता वि चत्तारि तेणेव पुव्वगमएणं नेयव्वा, नवरं- सव्वे पाणा० ? णो तिगढे समढे । सेसं तहेव ओहियसताणि चत्तारि ॥ ११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १२. जहा भवसिद्धियसताणि चत्तारि एवं अभवसिद्धियसताणि चत्तारि भाणियवाणि, नवरं-- सम्मत्त-नाणाणि सब्वेहि नत्थि, सेसं तं चेव । एवं एयाणि बारस बंदियमहाजुम्मसताणि भवंति ।। १३. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ।। १. संचिट्ठणा ठिती (अ, ब, स) Page #1095 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई सत्ततीसइमं सतं महाजुम्म-तें दियाणं उववायादि-पदं १. कडजुम्मकडजुम्मतेंदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं तेंदिएसु वि वारस सता कायव्वा बेदियसतसरिसा, नवरं-प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स अंसखेज्जइभागं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं । ठितो जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं एकणवण्णं राइंदियाई, सेसं तहेव ।। २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। अट्ठतीसइमं सतं महाजुम्म-चरिदियाणं उववायादि-पदं १. चउरिदिएहि वि एवं चेव वारस सता कायव्वा, नवरं-प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई। ठिति जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा । सेसं जहा बेदियाणं ।। २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ -- ---- एगूणयालीसइमं सतं महाजुम्म-अस णिचिदियाणं उबवायादि-पदं १. कडजुम्मकडजुम्मअसणिपंचिंदिया णं भंते ! कसो उववज्जति० ? जहा बेंदि याणं तहेव असण्णिसु वि बारस सता कातव्वा, नवरं - प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगूलस्स असंखेज्ज इभाग, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । संचिट्ठणा जहणेणं एक्क समयं, उक्कोसेणं पुवकोडीपुहत्तं । ठिती जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं पुवकोडी, सेसं जहा बंदियाणं ।। २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। Page #1096 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तालीसतिमं सत पढमं सण्णिचिदियमहाजुम्मसतं महाजुम्म-सण्णिचिदियाणं उववायादि-पदं १. कडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उववज्जति ०? उववानो चउसु वि गईसु । संखेज्जवासाउय-असंखेज्जवासाउय-पज्जत्ता-अपज्जत्तएसु य न को वि पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति । परिमाणं अवहारो प्रोगाहणा य जहा असणिपंचिदियाण । वेणिज्जवज्जाणं सत्तण्हं पगडीणं वंधगा वा प्रबंधगा वा, वेयणिज्जस्स बंधगा, नो अबंधगा। मोहणिज्जस्स वेदगा वा अवेदगा वा, सेसाणं सत्तण्ह वि वेदगा, नो अवेदगा। सायावेदगा वा असायावेदगा वा । मोहणिज्जस्स उदई वा अणुदई वा, सेसाणं सत्तण्ह वि उदई, नो अणुदई । नामस्स गोयरस य उदीरगा, नो अणुदोरगा, सेसाणं छह वि उदीरगा वा अणुदीरगा वा । कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा। सम्मदिट्ठी वा मिच्छादिट्ठी वा सम्मामिच्छादिट्ठी वा । नाणी वा अण्णाणी वा । मणजोगी वइजोगी कायजोगी। उवनोगो, वण्णमादी, उस्सासगा वा नीसासगा वा, पाहारगा य जहा एगिदियाणं । विरया य अविरया य विरयाविरया य । सकिरिया, नो अकिरिया ।। ते णं भंते ! जीवा कि सत्तविहवंधगा? अट्ठविहवंधगा? छब्बिबंधगा ? एगविहबंधगा वा ? गोयमा ! सत्तविहबंधगा वा जाव एगविहवंधगा वा ।। ते णं भंते ! जीवा कि आहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोव उत्ता? नोसण्णोवउत्ता? गोयमा ! आहारसण्णोवउत्ता जाव नोसण्णोव उत्ता वा । सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्या- कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा, अकसायी वा । इत्थीवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा अवेदगा वा। इत्थिवेदबंधगा वा पुरिसवेदबंधगा वा नपुंसगवेदबंधगा वा अबंधगा वा । सण्णी, नो असण्णी। सइंदिया, ३ . Page #1097 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भगवई नो अणिदिया । संचिटणा जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं सागरोवमसयपहत्तं सातिरेगं । साहारो तहेब जाव नियम छसि । ठिती जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तत्तोसं साग रोवमाई । छ समुग्धाया आदिल्लगा। मारणंतियसमुरघाएणं समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति । उब्वट्टणा जहेव उववानो, न कत्थइ पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति। ४. अह भंते ! 'सब्वेपाणा" जाव अणंतखुत्तो। एवं सोलससु वि जुम्मेसु भाणियव्यं जाव' अणंतखुत्तो, नवरं-परिमाणं जहा येइंदियाणं, सेसं तहेव ।। ५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २-११ उद्देसा पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उबवज्जति? उववानो, परिमाणं आहारो जहा एएसि चेव पढमोद्देसए । प्रोगाणा बंधो वेदो वेदणा उदयी उदीरगा य जहा वेदियाणं पढमसभइयाणं, तहेव कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा । सेसं जहा बंदियाण पढमसमइयाणं जाव अणंतखुत्तो, नवरं-इस्थिवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा, सण्णिगो नो असणिणो, सेसं तहेव । एवं सोलसमुवि जुम्मेसु परिमाणं तहेब सव्वं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। ८. एवं एत्थ वि एक्का रस उद्देसगा तहेव, पढमो तइयो पंचमो य सरिसंगमा, सेसा अट्ठ वि सरिसगमा। च उत्थ-अट्ठम-दसमेसु नत्थि विसेसो कायव्वो । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति।। बितियं सणिपंचिंदियमहाजुम्मसतं १०. कण्हलेस्स कडजुम्मकडजुम्मसगिणपंचिदिया णं भंते ! कयो उववज्जति ? तहेव पढमुद्देसओ सणीणं, नवरं-बंध-वेद-उदइ-उदीरण-लेस्स-बंधग-सण-कसायवेदबंधगा य एयाणि जहा बेदियाणं। कण्हलेस्साणं वेदो तिविहो, अवेदगा नस्थि । संचिट्ठणा जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई। एवं ठिती वि, नवरं-ठितीए अंतोमुत्तमन्भहियाई न १. सव्वपारणा (अ, क, ख, ता, ब, स)। २. सष्णि (ता); सण्णा (म, स)। Page #1098 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तालीसतिम सतं १०३७ भण्णंति । सेसं जहा एएसिं चेव पढमे उद्देसए जाव अणंतखुत्तो। एवं सोलससु वि जुम्मेसु ।। ११. सेवं भंते ! मेवं भंते ! ति ।। १२. पढमसमयकण्हलेस्सक डजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उव वज्जतिल? जहा सणिपंचिदियपढमसमयउद्देसए तहेव निरवसेसं, नवरं१३. ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? ___ हंता कण्हलेस्सा, सेसं तं देव । एवं सोलससु वि जुम्मेसु ॥ १४. सेवं भंते ! मेवं भंते ! ति। १५. एवं एए वि एक्कारस उद्देसगा कण्हलेस्ससए । पढम-ततिय-पंचमा सरिसगमा, सेसा अट्ट वि सरिसगमा ।। १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३-१४ सण्णिमहाजुम्मसताई १७. एवं नीललेस्सेसु वि सतं, नवरं संचिटणा जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाई पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागमभहियाई। एवं ठिती वि। एवं तिसु उद्देसएसु, सेसं तं चेव ।।। १८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १६. एवं काउलेस्ससतं पि, नवरं-संचिट्ठणा जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिण्णि साग रोवमाइं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागमभहियाई । एवं ठितीवि । एवं तिसु वि उद्देसएस, सेसं तं चेव !! २०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २१. एवं तेउलेस्मेसु वि सतं, नवरं संचिट्ठणा जहाणेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं पलिग्रोवमस्स असखेज्जइभागमभहियाई। एवं ठितीवि, नवरं ---नोराणोव उत्ता वा । एवं तिमु वि उद्देसएसु', सेसं तं चेव ।। २२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २३. जहा तेउलेस्ससतं तहा पम्हलेस्ससतं पि, नवरं-संचिट्ठणा जहण्णणं एक्कं, समयं, उक्कोमेणं दस सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाई । एवं ठितीवि नवरं -- अंतोमुहुत्तं न भण्णति, सेसं तं चेव । एवं एएसु पंचसु सतेसु जहा कण्हलेस्ससते गमो तहा नेयव्यो जाव अणंतखुत्तो । १. प्रथम-तृतीय-पञ्चमेषु (वृ) । २. गमएसु (अ, क, ख, ता, ब, म)। Page #1099 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३८ मगवई २४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ २५. सुक्कलेस्ससतं जहा प्रोहियसतं, नवरं संचिट्ठणा ठिती य जहा कण्हलेस्ससते, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो।। २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। २७. भवसिद्धीयकड जुम्मकडजुम्मसणिपंचिदिया णं भंते ! को उववज्जति? जहा पढमं सण्णिसत्तं तहा नेयब्वं भवसिद्धोयाभिलावेणं, नवरं२८. सव्वे पाणा'? नो तिण? सम?, सेसं तं चेव । २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३०. कण्हलेस भवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसणिपंचिदिया णं भंते ! को उवव जति ? एवं गाणं अभिलावणं जहा ओहियकण्हलेस्ससतं ।। ३१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। ३२. एवं नोललेस्सभवसिद्धीए वि सतं ॥ ३३. सेवं भंते ! सेवं भंत ! त्ति ।। ३४. एवं जहा ओहियाणि सण्णिपंचिदियाणं सत्त सताणि भणियाणि, एवं भवसिद्धी एहि वि सत्त सताणि कायव्वाणि, नवरं – सत्तसु बि सतेसु सव्वे पाणा जाव नो तिणढे सम8, सेसं तं चेव ।। ३५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ----- १५-२१ सण्णिमहाजुम्मसताई ३६. अभवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उबवज्जति? उववाग्रो तहेव अशुतरविमाणवज्जो। परिमाणं अवहारो उच्चत्तं वंधो वेदो वेदणं उदग्रो उदीरणा य जहा कण्हले स्ससते । कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा । नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी । नो नाणी, अण्णाणी, एवं जहा कण्हलेस्ससते, नवरं-नो विरया, अविरया, नो विरयाविरया । संचिठणा ठितीय जहा मोहिउद्देसए । समग्घाया अादिल्लगा पंच। उबटणा तहेव अणुत्तरविमाणवज्ज । सव्वे पाणाo? नो तिणद्वे समढे, सेसं जहा कण्ह लेस्ससते जाव अणंतखुत्तो ! एवं सोलससु वि जुम्मे । ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १. भ०४०।४। Page #1100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तालीसतिम सतं १०३६ ३८. पढमसमयअभवसिद्धीयकड जुम्मकडजुम्मसपिणपंचिदिया णं भंत ! कओ उवव ज्जति ? जहा सण्णीणं पढमसमयउद्देसए तहेव, नवरं-सम्मत्तं सम्मामिच्छत्तं नाणं च सव्वत्थ नत्थि, सेसं तहेव ।। ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति।। ४०. एवं एत्थ वि एक्कारस उद्देसगा कायब्वा पढम-तइय-पंचमा एक्कगमा, सेसा अट्ट वि एक्कगमा । ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४२. कण्हलेस्सग्रभवसिद्धोयकडजुम्मकडजुम्मसपिणपंचिंदिया णं भंते ! कनो उव वज्जंति०? जहा एएसिं चेव प्रोहियसतं तहा कण्हलेस्ससयं पि, नवरं४३. ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हता कण्हलेस्सा । ठितो, संचिट्ठणा य जहा कण्हलेस्ससते, सेसं त चेव ।। ४४. सेवं भंते ! सेवं भते ! त्ति ।। ४५. एवं छहि वि लेस्साहि छ सता कायव्वा जहा कण्हलेस्ससतं, नवरं-संचिटुणा ठिती य जहेव प्रोहियसते तहेव भाणियव्वा, नवरं - सुक्कलेस्साए उक्कोसेणं इक्कतोसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई । ठिती एवं चेव, नवरं-अंतोमहत्तं नत्थि जहण्णगं तहेव सव्वत्थ सम्मत्त-नाणाणि नत्थि । विरई विरया विरई अणत्तरविमाणोववत्ति-एयाणि नत्थि । सव्वे पाणा०? नो तिणद्वे समढे ।। ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४७. एवं एयाणि सत्त प्रभवसिद्धीयमहाजुम्मसताइं भवति । ४८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ४६. एवं एयाणि एक्कवीस सण्णिमहाजुम्मसताणि । सव्वाणि वि एकासीतिमहा जुम्मसताई। Page #1101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगचत्तालीसतिमं सतं पढमो उद्देसो रासीजुम्म-नेरइयादोणं उववायादि-पदं १. कति णं भंते ! रासीजुम्मा पण्णत्ता ? ___ गोयमा ! चत्तारि रासीजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा–कडजुम्मे जाव कलियोगे । २. से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ---चत्तारि रासीजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा-कड जुम्मे जाव कलियोगे ? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे च उपज्जवसिए, सेत्तं रासोजुम्मकडजुम्मे । एवं जाव जे ण रासी चउक्कएणं अवहारेणं एगपज्जवसिए, सेत्तं रासीजुम्मकलियोगे । से तेण?णं जाव कलियोगे ॥ ३. रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कनो उबवज्जति०? उववानो जहा' वक्कंतीए॥ ४. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ? गोयमा ! चत्तारि वा अट्ठ वा बारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति ।। ५. ते णं भंते ! जीवा कि संतरं' उववज्जति ? निरंतरं उववज्जति ? गोयमा ! संतरं पि उववज्जंति, निरंतरं पि उववज्जति । संतरं उववज्जमाणा जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जे समए अंतरं कटु उववज्जति । निरंतरं उववज्जमाणा जहष्णणं दो समया, उक्कोसेणं असंखेज्जा समया अणुसमयं अविरहियं निरंतरं उववज्जति ।। तेणं भंते ! जीवा जं समयं कडजुम्मा तं समयं तेयोगा? जं समयं तेयोगा तं समयं कडजम्मा? नो तिण? समढे ॥ १. प०६ । २. सांतरं (व, म)। १०४० Page #1102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवतानीसतिमं सतं ( पढमो उद्देसो) १०४१ ७. जं समयं कडजुम्मा तं समयं दावरजुम्मा ? जं समयं दावरजुम्मा तं समयं कडजुम्मा ? नोतिट्ठे सट्टे ॥ ? ८. जं समयं कडजुम्मा तं समयं कलियोगा ? जं समयं कलियोगा तं समयं कडजुम्मा नो तिट्ठे समट्ठे ॥ ६. ते णं भंते! जीवा कहि उववज्जंति ? गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, एवं जहा उववायसते जाव' नो परप्पयोगेणं उववज्र्ज्जति ॥ १०. ते णं भंते! जीवा किं आयजमेणं उववज्जंति ? प्रायअजसेणं उववज्जंति ? गोयमा ! तो प्रायजसेणं उववज्जंति, प्रायजसेणं उववज्जंति || ११. जइ प्रायजसेणं उववज्जंति--किं श्रायजसं उवजीवंति ? प्रायजसं उव जीवंति ? गोयमा ! तो प्रायजसं उवजीवंति, ग्रायजसं उवजीवंति ॥ १२. जइ प्रायअंजसं उवजीवंति - किं सलेस्सा ? अलेस्सा ? गोमा ! सलेस्सा, तो अलेस्सा ॥ १३. जइ सलेस्सा किं सकिरिया ? प्रकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया, नो किरिया || १४. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गणं सिज्यंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? नोतिट्टे समट्ठे | १५. रासीजुम्मकडजुम्म सुरकुमारा णं भंते! कत्रो उववज्जंति० ? जहेव ने रतिया तव निरवसेसं । एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिया, नवरं - वणस्सइकाइया जाव असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जंति, सेसं एवं चेव । मणुस्सा वि एवं चैव जाव तो प्रायजसेणं उववज्जंति, श्रायजसेणं उववज्जति ॥ १६. जइ प्रायजसेणं उववज्जंति - किं प्रायजसं उवजीवंति ? आयअजसं उव जीवंति ? गोयमा ! श्रायजसं पि उवजीवंति, श्रायजसं पि उवजीवंति || १७. जइ प्रायजसं उवजीवंति किं सलेस्सा ? अलेस्सा ? गोमा ! सलेस्सा वि अलेस्सा वि ॥ १८. जइ अलेस्सा किं सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा नो सकिरिया, अकिरिया || १६. जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्यंति जाव सव्वदुक्खाणं तं करेंति ? हंता सिज्यंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ १. भ० ३१।५ । Page #1103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४२ भगवई २०. जइ सलेस्सा कि सकिरिया ? प्रकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया ।। २१. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गणेणं सिझति जाव सब्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? गोयमा! अत्थेगइया तेणेव भवगहणेणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, अत्थेगइया नो तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ।। जइ प्रायजसं उवजीवंति किं सलेस्सा ? अलेस्सा ? गोयमा ! सलेस्सा, नो अलेस्सा ।। जइ सलेस्सा कि सकिरिया ? अकिरिया ? गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया ।। जइ सकिरिया तेणेव भवरगहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? नो इणद्वे समटे । वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा ने रइया ।। २५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। बीओ उद्देसो २६. रासीजुम्मतेप्रोयनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ? एवं चेव उद्देसमो भाणियव्वो, नवरं-परिमाणं तिणि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । संतरं तहेव ।। २७. ते णं भंते ! जीवा ज समयं तेयोगा तं समयं कडजुम्मा? जं समयं कडजम्मा तं समयं तेयोगा? नो इणद्वे समढे ।। २८. जं समयं तेयोया तं समयं दावरजुम्मा ? जं समयं दावरजुम्मा तं समयं तेयोया? नो इणद्वे समटे । एवं कलियोगेण वि समं, सेसं तं चेव जाव वेमाणिया नवरं -- उववाग्रो सम्वेसिं जहा' वक्कंतीए । २९. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १. प०६। Page #1104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवतालीमतिम सत (३-२८ उद्देस 1) १०४३ तइनो उद्देसो ३०. रासीजुम्मदावरजुम्मने रइया णं भंते ! को उववज्जति ? एवं चेव उद्देसमो, नवरं--परिमाणं दो वा छ वा दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति, संवेहो ॥ ३१. ते णं भंते ! जीवा जं समयं दावरजुम्मा तं समयं कडजुम्मा? जं समयं कड जुम्मा तं समयं दावरजुम्मा ? णो इणटे समद्धे । एवं तेयोएण वि समं, एवं कलियोगेण वि समं, सेसं जहा पढमुद्देसए जाव वेमाणिया ।। ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । - चउत्थो उद्देसो ३३. रासीजुम्मकलिप्रोगनेरइया णं भंते ! कसो उववज्जति०? एवं चेव, नवरं परिमाणं एक्को वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा उवव जंति, संवेहो । ३४. ते णं भंते ! जीवा जं समयं कलियोगा तं समयं कडजुम्मा ? जं समयं कडजुम्मा तं समयं कलियोगा? नो इणटे समढे । एवं तेयोएण वि समं, एवं दाव रजुम्मेण वि समं, सेसं जहा जाव वेमाणिया ।। ३५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ५-२८ उद्देसा ३६. कण्हलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कनो उववज्जति० ? उववाओ जहा धूमपभाए, सेसं जहा पढमुद्देसए । असुरकुमाराणं तहेव, एवं जाव वाणमंतराणं । मणुस्साण वि जहेब नेरइयाणं प्रायअजसं उवजीवंति । अलेस्सा, अकि रिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझति एवं न भाणियवं, सेसं जहा पढमुद्देसए॥ ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ ३८. कण्हलेस्सतेयोएहि वि एवं चेव उद्देसमो॥ ३९. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४०. कण्हलेस्सदावरजम्मेहिं एवं चेव उद्देसमो॥ ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। Page #1105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४४ भगवई कण्हलेस्सकलिप्रोएहि वि एवं चेव उद्देसओ। परिमाणं संवेहो य जहा प्रोहिएसू उद्देसएसु ।। ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४४. जहा कण्हलेस्सेहिं एवं नीललेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा भाणियव्वा निरवसेसा, नवरं–नेरइयाणं उववाओ जहा वालुयप्पभाए, सेसं तं चेव ।। ४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४६. काउलेस्सेहि वि एवं चेव चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं -ने रइयाणं उववाओ जहा रयणप्पभाए, सेसं तं चेव ।। ४७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४८. तेउलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मसुरकुमारा णं भंते ! कत्रो उववज्जति ? एवं चेव, नवरं-जेसु तेउलेस्सा अस्थि तेसु भाणियव्वा' । एवं एए वि कण्हलेस्सा सरिसा चत्तारि उद्देसगा कायव्वा ।। ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ५०. एवं पम्हलेस्साए वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं वेमाणियाण य एएसिं पम्हलेस्सा, सेसाणं नस्थि॥ ५१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ५२. जहा पम्हलेस्साए एवं सुक्कलेस्साए वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवर मणुस्साणं गमयो जहा ओहिउद्देसएसु, सेसं तं चेव । एवं एए छसु लेस्सासु चउवीसं उद्देसगा, प्रोहिया चत्तारि, सव्वे ते अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति ।। ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २६-५६ उद्देसा ५४. भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मने रइया णं भंते ! कओ उववज्जंति ? जहा ओहिया पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव निरवसेसं, एए चत्तारि उद्देसगा। ५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।। ५६. कण्हलेस्स भवसिद्धिय रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ? जहा कण्हलेस्साए चत्तारि उद्देसगा भवंति तहा इमे वि भवसिद्धियकण्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा । ५७. एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा ।। १. भारिणयव्वं (ख, ता)। nternational Page #1106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एग सालीसतिमं सतं (५७ - ११२ उद्देसा) ५८. एवं काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देगा || ५६. तेउलेस्सेहि विचत्तारि उद्देसगा श्रोहियसरिसा || ६०. पहले सेहि विचत्तारि उद्देगा || ६१. सुक्कलेस्सेहिवि चत्तारि उद्देगा मोहियसरिसा । एवं एए वि भवसिद्धिएहि वि अट्ठावीस उद्देगा भवंति ॥ ६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || ५७- ८४ उद्देसा ६३. अभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कमो उववज्जति ० ? जहा पढमो उद्देसगो, नवरं -- मणुस्सा नेरइया य सरिसा भाणियव्वा, सेसं तहेव || ६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || १०४५ ६५. एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देसगा ॥ ६६. कण्हलेस्सअभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मने रइया णं भंते ! को उववज्जंति० ? एवं चेव चत्तारि उद्देसगा || ६७. एवं नीललेस्सप्रभवसिद्धिय रासी जुम्मकडजुम्मनेरइयाणं चत्तारि उद्देसगा । ६८. काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देगा || ६९. तेउलेस्सेहि विचत्तारि उद्देगा || ७०. पहले सेहि वि चत्तारि उद्देगा || ७१. सुक्कलेस्सप्रभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देगा । एवं एएस ग्रट्ठावीसाए वि प्रभवसिद्धियउद्देसएसु मणुस्सा नेरइयगमेणं नेयव्वा ॥ ७२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || ८५-११२ उद्देसा ७३. सम्मदिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कनो उववजंति० ? एवं जहा पढमो उद्देस । एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देगा भवसिद्धियसरिसा कायव्वा || ७४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ७५. कण्हलेस्ससम्मदिट्ठोरासीजुम्मकडजुम्मने रइया णं भंते ! कम्रो उववज्जंति० ? एए विकण्हले ससरिसा चत्तारि वि उद्देगा कायव्वा । एवं सम्मदिट्ठीसु वि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा ॥ ७६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ || Page #1107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४६ ११३-१४० उद्देसा ७७. मिच्छादिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कम्रो उववज्जंति० ? एवं एत्थ विमिच्छादिद्विप्रभिलावेणं अभवसिद्धियसरिसा श्रद्वावीसं उद्देसगा कायव्वा । ७८. सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति ॥ १४१-१६८ उद्देसा ७६. कण्हपक्खिय रासीजुम्मकडजुम्मनेरइयाणं भंते ! कम्रो उववज्जंति० ? एवं एत्थ विभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीस उद्देसगा कायव्वा ॥ ८०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || १६६-१६६ उद्देसा ८१. सुक्कपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मने रइया णं भंते ! कनो उववज्जंति० ? एवं एत्थ विभवसिद्धियसरिसा ग्रट्ठावीसं उद्देसमा भवंति । एवं एए सव्वे वि छन्नउयं उद्देसगसयं भवति रासीजुम्मसयं जाव सुक्कलेस्ससुक्कपक्खियरासीजुम्म कलियोगेवेमाणिया जाव - ८२. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्यंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? नो इट्टे मट्ठे ॥ ८३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति || ८४. भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो श्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदति नम॑सति, वंदित्ता नमसित्ता एवं व्यासी - एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते! सच्चे णं एसमट्ठे, जेणं तुब्भे वदह त्ति कट्टु प्रपुब्ववयणा' खलु अरहंता भगवंतो, समणं भगवं महावीरं वंदंति नम॑सति, वंदित्ता नमसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ ॥ इति भगवई समत्ता ॥ ग्रंथाग्र भगवई कुलगाथा १६३१६ अक्षर १६ कुल अक्षर ६१८२२४ १. अपूतिवयणा ( अ, क, ता, ब, म) । Page #1108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिसेसो सव्वाए भगवईए अट्ठतीसं सतं सयाणं ( १३८), उद्देसगाणं एगूणविसतिसताणो पंचविसइअहियाणी (१९२५) ! संगहणी-गाहा चुलसीइ सयसहस्सा, पदाण पवरवरनाणदंसीहि । भावाभावमणंता, पण्णत्ता एत्थमंगम्मि ॥१॥ तवनियमविणयवेलो, जयति सदा नाणविमलविपुलजलो। हेतुसतविपुलवेगो, संघसमुद्दो गुणविसालो ॥ २ ॥ पोत्थयलेहगकया नमोक्कारा णमो गोयमाईणं गणहराणं, णमो भगवईए विवाहपण्णत्तीए, णमो दुवालसंगस्स गणिपिड़गस्स ।। कुम्मसुसंठियचलणा, अमलियकोरेटबॅटसंकासा । सुयदेवया भगवई, मम मतितिमिरं पणासेउ ।।१।। उद्देस-विधि पण्णत्तीए प्राइमाणं अटुण्हं सयाणं दो दो उद्देसगा उद्दिसिज्जंति, नवरं च उत्थे सए पढमदिवसे अट्ठ, बितियदिवसे दो उद्देसगा उद्दिसिज्जति । नवमाअो सताओ पारद्धं जावइयं-जावइयं ठवेति तावतियं-तावतियं उद्दिसिज्जति, उक्कोसेणं सतं पि एगदिवसेणं, मज्झिमेणं दोहिं दिवसेहि सतं, जहण्णेणं तिहिं दिवसेहि सतं । एवं जाव वीसतिमं सतं, नवरं-गोसालो एगदिवसेणं उद्दिसिज्जति, जदि ठियो एगेण चेव आयंबिलेणं अणुण्णवति। अहण्णं ठितो आयंबिलेणं छटेणं अणुण्णवति । एक्कवीस-बावीस-तेवीसतिमाई सताई एक्केक्कदिवसेणं उद्दिसिज्जति। चउवीसतिमं सतं दोहिं दिवसेहिं छ-छ उद्देसगा। पंचवीसतिमं दोहिं दिवसेहिं छ-छ उद्देसगा! बंधिसयाइं अट्ठसयाई एगेणं दिवसेणं, सेढिसयाई बारस एगेणं, एगिदियमहाजुम्मसयाई बारस एगेणं, एवं बेदियाणं बारस, तेंदियाणं बारस, चरिदियाणं बारस एगेण, असण्णि १. तियं एगदिवसेणं (ख, स)। २. अणुणच्चति (ता, स); अणुणज्जति (अ, ब) Page #1109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४५ भगवई पंचिदियाणं बारस, सण्णिपंचिदियमहाजुम्मसयाई एक्कवोसं एगदिवसेणं उद्दिसिज्जति, रासीजुम्मसतं एगदिवसेणं उद्दिसिज्जति ॥ हातिगं केषुचिदादर्शेषु पुस्तक लेखककृता अन्यापि गाथात्रयी लभ्यते वियसियरविंदकरा, नासियतिमिरा सुयाहिया देवी । मज्भं पिदेउ मेहं, बुहविबुहणमंसिया णिच्चं ॥१॥ सुयदेवया पणमिमो, जीए पसाएण सिक्खियं नाणं । प्रणं पवयणदेवि, संतिकरि तं नम॑सामि ||२|| सुयदेवया य जक्खो, कुंभधरो बंभसंतिवेरोट्टा | विज्जा य अंतहुंडी, देउ अविग्धं लिहंतस्स ॥३॥ Page #1110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट : Page #1111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #1112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट - १ संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और पूर्ति प्राधार-स्थल संक्षिप्त-पाठ अंतियं जाव पव्वइत्तए कुण हत्थrयं जाव अंजलिकम्म अकंततरिय जाव अमणामतरियं अकंता जाव अमणामा अकट्ठे जाव विहरामि अगामिया जाव अडवीए अगामियाए जाव सव्वओ afrareणे जाव दाइयसामण्णे अचलिए जाव निज्जरिज्जमाणे अच्चासाइए जाव तं अच्छे जाव पडिवे अजीवदव्वदेसे जाव अांतभागूणे अजीवदव्वदेसे जाव सव्वागासस्त मज्झथिए जाव समुप्पज्जइ अज्झत्थि जाव समुपज्जित्था अज्झत्थियं जाव समुप्पन्तं अट्ठे जाव जाणाओ श्र वा जाव वागरण अटुं वा जाव वागरेइ पूर्त-स्थल १८/१४७ १५/१२६ १६/३५ ७।११६ ३।१२६ १५/८७ १५८८ ६/१७६ ११४४२ ३।१२६ २११८ ११/१०८ ११।१०८ ३।१३१ २६७ ३।३३, ३६, ११२, ११५, ११६, ६५ २१५८, २२५ ११५६, ७२, ८५, १८८; १२२६; १३ १०३; १०६, ११६; १५/५३, ७५:१२८, १२६, १४१ १४५ १३ १०४ १४२४ ५।१०४ ५१०५ पूर्ति प्राधार-स्थल ६।१६७ १५११२० १।२२४ १/३५७ ३।१२६ १५/८६ १५३८६ ६।१७६ १ ११ ३।१२६ वृत्ति ११।१०८ २।१४ २।३१ २१३१ २/३१ १/४२३ ५।१०४ ५।१०४ Page #1113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठाई जाव वागरणाई अद्वे जाव विउसगस्स अणंतपएसियं जाव पासइ अणंताओ जाव आवलियाए अणवदग्गं जाव संसार अगवदग्गे जाव संसार अणालोइय जाव नत्थि अजिंदा जाव ठिति अणिक्खित्तेणं जाव आयावेमाणस्स अणिक्खित्तेणं जाव पायावेमाणे अणिटुं जाव अमणाम अणिट्ठस्सरा जाव अमणामस्सरा अणुटाणे जाव अपुरिसक्कार० अणुत्तरा जाव अपइट्टाणे अणुत्तरे जाव केवल ० अणत्तरोववाइय जाव उव० ० अणुत्तरोववातिय जाव देव. अणेगगणणायग जाव संपरिवुडे अणेगगणनायग जाव दूय अणेग जाव किच्चा अणेगसय जाव किच्चा अणेगसय जाव पच्चायाइस्सई अणेगसय जाव पच्चायाहिति अणेगसयसह जाव किच्चा अणेगसयसहस्स जाव किच्चा अण्णमण्णपुटाई जाव घडत्ताए अण्ण मण्ण पुटुा जाव अण्णमण्ण । अतुरिय जाव जेणेव अतुरिय जाव सोहेमाणे अतुरियमचवल जाव गईए प्रत्यमण जाव दीसंति अत्थमणमुहत्तंसि जाव उच्चत्तेणं अत्थामे जाव अधारणिज्ज० १८।२०५ ११४२६ १४११५४ ८.३६६ १५॥१८७ १६६१ १०/२० ३१४० १६:४६ १५.१७७ ३३११३, १४१४० ७।११६ १४।१४४ १३।१२ १६।६१ १२।१८८ १६७७ १३।११४ ७।१६६ १५।१८६ १५.१८६ १५॥१८६ १५।१८६ १५।१८६ १५११८६ १११७८,७६ ११।१११ १५।१५३ २।११० ११।१३५, १४४ ८.३३१ ५।१०४ १।४२३ १४११५४ ८.३८४ १।१८७ ११४५ १०।१६ ३३३५ ३१३३ ३१३३ ११३५७ ११३५७ ११४६ वृत्ति ६।४६ १२।१८८ १६१७७ ७.१६६ ओ० सू०६३ १५२१८६ १५१८६ १५॥१८६ १५१८६ १५.१८६ १५।१८६ वृत्ति १११७८ २।१०८ २।१०८ ११११३३ ८.३२६ ८।३३० ७।२०३ ७२०४ Page #1114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अत्येतिए जाव नो अत्गतिए जाव नो श्रत्येगतियाणं जाव साहू अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए अदुखावणाए जात्र अपरियावणयाए अम्काए एवं चैव नवरं गुणओ ठाणगुणे अस्थिका जाव पोरगलत्थिकाए अपत्थियपत्यया जाव हीणपुण्ण अप्पको जाव अप्पलोभे अपणो जाव पास अभुगयाओ जाव पडिरूवायो अभिक्खणं जाव अंजलिकम्म अभिमुहा जाव पज्जुवासंति अभिमाणा जाव उवेमाणा प्रमाणत्तं जाव पसत्यं अमुच्छिए जाव अणज्झोव वन्ने मुच्छिए जाव आहारे अमुच्छिए जाव हारेइ अम्मताओं जाव पव्व इत्तए अम्मेहि जान पव्व इहिसि . अयकोद्वाओ जाव निक्खिवइ श्रयमेयारूवे जाव परुणे अयमेारू जाव समुप्पज्जित्था अवण्णकारए जाव goपाएमाणे अवणे जाव अस्वी अवसेसं जहा सिवस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे नवरं - तिदंड-कुंडियं जाव धाउरतवत्यपरिहिए परिafsafaaiगे आलभियं नगरि मज्यंमज्मेणं निग्गच्छति जाव उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमति, अवक्कमित्ता तिदंडकुंडियं च जहा खंदओ जाव पव्वइओ सेसं जहा सिक्स जाव ३ ६/३१ ६/३१ १२।५४ १२/५४ ३१४८ २।१२६ १३.५५ ३।११३ २५। ५६८ १४।१२३ १५८८ १५।१२१ ५।८४ ६२८७ १.४१८ १५११६२ १४८३ ७/२३ ६/१७४ ६।१७७ १६/७ १५।१५२ १२ १५ १६।५५; १८२०५ २४३ २।१२८ ११११६३-१६७ ६/३१ ३१ १२/५३ १०१११४ ३।१४५ २११२५ २१२४ ३।१०६ ओ० सू० ३३ १४।१२३ १५/८७ १५।१२० १।१० ८१२८७ १।४१८ ७१२३ १४/८२ ७२२ ६/१६७ ६१६६ १६/७ ५।१४८ २।३१ ६२४० २१२५ १११८३०८८ Page #1115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४१५४ ३।३३ असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जति असणं जाव उबक्खडावेति असणं जाव उवक्खडावेह असणं जाद साइम असणं ४ जाव विहरह असणं जाव विहरिस्सामो असहपरिणए जहा एमगुणकालए असयं जाव उववज्जति असुरकुमारराया जाव विहरित्तए असुरकुमारा जाव उववज्जति असुरकुमारा जाव उववज्जति असोगवडेंसए जाब मज्झे अस्संजए जाव देवे० अस्संजत जाव पावकम्मे अस्संजय जाव एगंत० अस्साएमाणस्स जाव पडिजागरमाणस्स अस्साएमाणा जाव पडिजागरमाणा अस्साएमाणा जाव विहरह अहापडिरूवं जाव विहरइ २४१५४ १८१४८ १८/४७ १२।१२ १२.१४ १२६१८ ५।१७४ ६।१३२ १०१६८ ६।१२६ ६।१३० १०1९६ ११५० १७१२१ १८.१६५ १२।१३ १२।१२ १२।१३ ६।१३६, १५७; १११८५१६१५५ १८.२०५ ११३७२ ३४११६ ३३५३, ७५; ६।२४४ १५२१०१ १६७४ १२४ १२१४ १२।४ ५.१७२ ६४१३२ १०१६७ ६।१२८ ६।१३० ३१२४६ ११४८ १७।१६ बा२७३ १२।६ १२।४ १२।४ अहिगरणियाए जाव पाणा० अहेलोग जाव समोहणित्ता आउक्खएणं जाव कहि आउखएणं जाव चइत्ता आउक्खएणं जाव महाविदेहे आओसइ जाव सुहमस्थि आगयपण्हया जाव समूसविय० आगासस्थिकाए वि एवं चेव नवरं खेत्तओ णं अागासस्थिकाए लोयालोयप्पमाणमेत्ते अणते चेव जाव गुणओ आगासपदेसेसु जाव चिट्ठति आघवेति जाव उवदंसेति ११३६५ ३४११४ २१७३ २०७३ २०७३ १५११०३ ६।१४७ ६३१४८ २२१२७ २।१२५ ५।११० १६६१ १६।११ Page #1116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१५१ ६।२१६ १५.१८ ३१२५७ १११११२ २५३५८३ हा२१७ १५३९८ ३२५२ ११.१११ ओ० सू० ४० ११३३ स० पइण्णगस०८८ ११७१ २०७५ १७१,८० ६।१५१ आदति जाव पज्जुवासंति आढाइ जाव तुसिणीए आणंदा जाव करेत्तए आणा जाव चिट्ठति आवाहं वा जाव करेंति आभिणिवोहियनाणविणए जाव केवल आयारंभा जाव अणारंभा आयारो जाव दिट्ठिवाओ आरंभिया जाव मिच्छा० आराहेत्ता जाव सव्व० आरुहेता तं चेव सव्व अविसेसित नेयव्वं जाव आलोइय आलभियाए नगरीए एवं एएणं अभिलावेणं जहा सिवस्स तं चेव जाव से आलोइय जाव कालं आलोएस्सामि जाव पडिवज्जिस्सामि आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए आसि जाव णिच्चे आसी जाव निच्चे आसुरुत्तं जाव मिसि० आसुरुत्ते जाव मिसि० २७१ २०६८, ६६ १११७३ ३।१७ सा२५१ ७।२१६ २।१२५ २।४५ ३१४५ ३१४५ आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाण आहेवच्छ जाव कारेमाणे आहेवच्चं जाव विहर इरियासमितस्स जाव गुत्तबंभयारिस्स इसि जाव धम्मकहा इसिपरिसाए जाव इहमामए जाव दूतिपलासए उक्किट्टाए जाव जेणेव उक्किट्टाए जाव तिरिय उक्किदाए जाव देवगईए उक्कोसकाल जाव उध्वट्टित्ता १११८६ १८१५३ १०।२० १७१२० २।१२८, १२६ રા૪૬ १५१११६ ७२०१, २०२; १५१६४,८०, ६४, ११८, १७६,१८३ ३३११३ १८१४० १८५२०४ ३.१४८ ६।१६३ ६।१४६ १५।२०५ ३.११२ ३।११२ ११११०६,११० १५॥१८६ ना० १११६ २०५५ ओ० सू०७१ ओ० सू० ७१ ३१३८ ३१३८ ३१३८ १५।१८६ Page #1117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उस्को कालद्वयंसि जाय उन्यद्वित्ता उक्कोसकाल द्वितीएसु जाव उववज्जित्तए उक्खित्ते जाव रत्ते उग्गमण जाव उच्चत्तेणं उच्चारपासवण उज्जले जाव दुरहिया से उट्ठाणे जाव परक्कमे व परिद्वावनिया उड्ढजाणू जाव विहरइ उत्तर जाव राई उत्तरिल्लं जाव गच्छति उदए जाव पयोग० उदबिंदु जाव ता उदगरयणे जाव तच्चाए उदीरिए जान निरिज्ज माणे उत्पत्तिथाए जाव पारिणामियाए उप्पत्तिया जाव पारिणामिया उप्पन्नवाणदंसणधरा जाव सम्य० उप्पन्नभाणदंसणपरे जाव समोसरणं उप्पन्ननाणदंसणधरे जाव सव्वण्णू ० उप्पाडेज्जा जाव केवलं उम्भिमाणाण वा जाव ठाणाओ उम्मुक्तबालभावे जाव रज्जवई उद्ववेह जाव उवटुवेंति जाव पञ्चपिणंति उद्वासा जाब पिणंति उववज्जिहति जाव उचट्टित्ता उववज्जिहिति जाव किच्चा उवागच्छइ जाब नर्मसित्ता जाव एवं उनागच्छिता जाव एवंतमं ते उवागच्छित्ता जाव दुरूढा उपागच्छता जाव नमसिता उवागच्छत्ता जाव विहरइ उसभ जाव भत्तिचित्तं उसवणयाए तिहि, उत्सवणयाए नि निखिरणयाए वि नो दहणयाए चउहि, जे भविए उस्सवणयाए { १५।१८६ २४।७६ ८२५५ ८३३० २०१५ १५।१४६ १३७८ १७।३० १८५ १०२४३: १०।१६४ ५७ १६।११६ ८।४२१ ६४ १५।६२ २२८ १७/३० २०/२० १२।१६७ २/२२ १५।१२६ ६/३१ १६.१०६ ११।१४२ १२/३५, ३६ ११।१३७ १५/१८६ १५/१८६ १४:१३२ १५।७३ १२/३७ १६।५४ १३।१०१ ११।१३८ १५।१८६ २४/३१ ८।२५५ ८३३० २०।१४ ६।२२४ १।१४६ १९ ५/६ १६।११६ ८४२० ६४४ १५/६१ १।११ १२ १०६ १२.१०६ २३८ वृत्ति वृत्ति १२३, २५ वृत्ति ११।१३४ १।१६०,१६१ ११।१३६ १५।१८६ १५/१८६ १।१० १५/५६ ६१४४ २०५७ १1७ ओ० सू० १३ Page #1118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६७ २०१११८ ७।१६८ २०११८ ७।१६७ २।४,५ ८.५१ २।१३६ २।१३६ बा२ ३।१५६ ६.१५६-१५६ प० २०११ ८।५१ २११३६ २।१३६ २११३६ ३१५४ वृति; जी. ३ वि निसिरणयाए वि दहणयाए वि तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि एक्केण वा जाब उक्कोसेणं एगरूवं जाव हंता एगवण्णाई आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा आहारगमो नेयव्यो जाव पंचदिसिं एगिदिय जाव परिणाए एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा एगिदियपदेसा जाव अणिदियादेसा एगिदिउपयोगपरिणया जाव पंचिदिय० एतेणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा एतो आढत्तं जहा जीवाभिगमे जाव से एत्थ वि तह चेव भागियध्वं, नवरं अणुदिण्णं उवसामेइ सेसापडिसे हेयव्वा निणि । तं भंते ! अणुदिण्णा उवसामेइ तं कि उट्ठाणेणं जाव परिसक्कारपरक्कमे इ वा ! से नूर्ण भंते ! अप्पणा चेव वेदेइ अप्पणा चेव गरहद एत्थ वि सच्चेव परिवाडी, नवरं उदिण्ण वेदेइ नो अणुदिण्णं वेदेइ एवं जाव पुरिसक्कार-गरक्कमे इ वा। से नुणं भंते ! अप्पणा चेव निज्जरेइ अप्प० एत्थ वि, सच्चेव परिवाडी, नवरं उदयअणंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेइ एवं जाव परक्कमेड वा एमहिड्ढीए जाव एमहाणुभागे एपति जाव घेते एयति जाव तं एयति जाव नो एयति जाव परिणम एयाणि वि तहेव नवरं सत्त संवच्छराई सेसंत चेव एवं अगणिकायस्स मज्झमज्भेणं तहि नवरं झियाएज्ज भाणियव्वं ! एवं पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमझेणं तहिं उल्ले सिया। १४१५१-१६२ ३४ ३।१४८ ३११४३ ३.१४६-१४८ ३३१४५ १६१४७-१५० ३४ ३।१४४ ३११४३ ३११४३ ३११४३ ६।१३१ ६.१२६ Page #1119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं गंगाए महानदीए डिसोयं हव्वमागच्छेज्जा तहि विणिहायमा वज्जेज्जा | उदगावत्तं वा उदगविदु वा ओगाहेज्जा से णं तत्थ परियावज्जेज्जा एवं अणागतं पि एवं अधम्मत्थिकाए लोयाकासे जीवत्थिकाए पोथिकाए पंच वि एक्काभिलावा एवं प्रधम्मस्थिकायस्स वि एवं मप्पाबहुगाणि तिष्णि वि जहा पढमिल्लए दंडए, नवरं - - सव्वत्थोवा पंचिदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुणपच्चक्खाणी अपचक्खाणी असंखेज्जगुणा एवं आयकम्मुणा नो परकम्मुणा आयप्ययोगेण नो परप्पयोगेण उस्सिओदयं वा गच्छइ पयोदयं वा गच्छइ एवं उरगजाति आसक्सिस्स वि, नवरं isahacarणमेतं बोदि विसेणं विसपरिगयं सेसं तं चैव जाव करिस्संति एवं एएवं अभिलावेणं उदयंते, पोयंते छिद्दते दूतं छायंते आयवत्तं जाव नियमा एवं एएणं अभिलावेण जहा अजीवपज्जवा जाव से एवं एएणं कमेणं जहेव खंदओ तहेव पव्वइओ एवं एक्केकं संचारेण जाव प्रहवा एवं एक्क्कं संचारतेहिं जाव अहवा एवं एक्hai पुच्छा । सचित्ते वि काये, अचित्ते वि काये जीवे वि कार्य अजीवे वि काये जीवाण वि काये अजीवाण वि कार्य एवं कालओ वि, एवं भावओ वि एवं किं मूलं पास कंदं पासइ ? उभंगो एव संवेण वि तिणि आलावगा एवं जीवेण वि तिणि आलावगा भाणियव्या एवं खेतओ कालो एवं खेत प्रोवि, कालप्रो वि एवं after सट्टे व जाव अणुपरियट्टइ 5 वि एवं जाब फारिदिय ५।१५७-१५६ १४१४६ २११४२-१४५ ११।१०४ ७ ५०, ५१ ३।२१३-२१५ ८६० १।२७३-२७५ २५:११-१४ १५०, १५१ १२/७७ १२।७६ १३।१२८ ८१८४ ३।१५८ ११६४-१६६ ८१६० ८१८५ १२/६०-६३ ५।१५४-१५६ १४,४५ २१४१ ११।१०४ ७/४१,४२ ३२१२ 555 १/२७२ प०-५ २१५२, ५३ १२/७७ १२/७६ १३:१२४ १८४ ३।१५४ १११६१-१९३ 5,280 ८१८५ १२५६ Page #1120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६।३२ ३२१५५ ८।४५६ ६२५५ १११८० १२।१३० १२।१४८ १४।२ ६१३२,३१ ३।१५४ ६११ ८४५८ ६।२५४ १११७८ १२११३० १२।१४७ १४.१ १८.१७५ १४।१३३-१३५ ८१४६२,४६३ १८।१७४ १४११३२ ८।४६१ एवं चरित्तावरणिज्जाणं जयणावरणिज्जाणं अज्झवसाणावरणिज्जाणं आभिणिबोहियनाणावरणिज्जागं जाव मणपज्जव० एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं चेव एवं छाया एवं लेस्सा एवं चेव एवं मज्झिमियं चरिताराहणं पि एवं चेव, एवं मायवसझेवि, लोभवसटेवि 'जाव अणुपरियट्टइ एवं चेव जहा छ उमत्थे जाव महा० एवं चेव जहा परमाहोहिए जाव महा० एवं चेव जाव एवं चेव जाव अफासा एवं चेव जाव अफासे एवं चेव जाव एवं एवं चेव जाव बिसरीरेसु एवं चेव जाव वत्तब्द एवं चेव तिविहा वि, एवं चरिताहणा वि एवं चेव नवरं अत्यंगतिए एवं चेव नवरं-केवलनाणावरणिज्जाणंखए भाणियब्वे, सेसं तं चेव एवं चेव नवरं तिरिक्खजरेणियदव्वे भाणियव्वं सेसं तं चेव एवं जाव देवदग्वेयणा एवं चेव बितिओ वि आलावगो नवरं परियातिइत्ता पभू एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे आउहे मोदए १२।२३-२५ ७.१४७ ७११४६ १८1५६ १२।११० १२।११२ १२१८५ १२।१५७ १२।१६० ८१४५३,४५४ ८।४६० १२।२२ ७११४६ ७.१४८ १८१५७ १२।१०८ १२।१०८ १२१८४ १२।१५४ १२।१५६ ८१४५२ ८।४५८ ६२६,३० २१,२२ १७१४० १७:४० ३११८६ २।१३३ ३३१८८ २।१३३ Page #1121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ का२२३ १८.११२ ६४४४-४६ ६।२१,२२ १०१५ प०४ एवं जहा अट्ठममए ततिए उद्देसए जाव नो १८१४६ एवं जहा अट्ठारसमसए छदुद्देसए जाव सिय २००२७ एवं जहा असोच्चाए तहेब जाव केवल. ६।६६-६८ एवं जहा आभिणि रोहियनाणस्स वत्त व्वया भणिया तहा सुयनाणस्स वि भाणियन्वा नवरं--सुयनाणावरणि जाणं कम्माण खओवसमे भाणियब्वा । एवं चेव केवलं ओहिनाणं भाणियन्वं, नवरं-ओहिनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे भाणियव्वे । एवं केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा नवरं-मणपज्जव नाणावरणिज्जाणं कम्माणं ख प्रोवसमे भाणियन्वो ६।२३-२८ एवं जहा इंदादिसा तव निरवसे संभाणियब्वं जाव अद्धासमए एवं जहा इंदिय उद्देसए पढमे जाव वेमाणिया जाव तत्य य जे ते उवउत्ता ते जाणंति, पासंति, आहारेति । से तेणट्रेणं निक्खेवो भाणियब्वो १८१६६-७१ एवं जहा उसभइत्तो तहेव पब्वइओ नवरं पंचहि पुरिससएहि सद्धि तहेव जाव ६।२१४,२१५ एवं जहा ओववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव १४१११०.११२ एवं जहा ओववाइए कूणिओ जाव निगच्छइ हा२०६ एवं जहा ओववाइए जाव आराहगा १४११०७-१०६ एवं जहा ओववाइए तहेव भाणियन्वं जाव आलोयं हा२०४ एवं जहा कालासवेसियपुत्तो तहेव भाणियब्वं जाव सब्ब० ६।१३३-१३५ एवं जहा कोहव भट्ट तहेव जाव अणुपरियट्टइ १२१५६ एवं जहा खंदए जाव जओ १५/१५७ एवं जहा खंदए जाव से तेण?ण जाव नो असरीरी १६३,४ एवं जहा खंदओ जाव एवं ७।२०३ एवं जहा छट्ठसए जाव नो १६।५२ एवं जहा छ? पए तहा अयोकवल्ले वि जाव महापज्जवसाणा १६२५२ एवं जहा जीवाभिगमे तिविहे देवपुरिसे अप्पाबयं जाव जोतिसिया १२।१६८ एवं जहा जोवाभिगमे बितिए नेरइयउद्देसए १३१४५ ६।१५०,१५१ ओ० सू० ११८-१२० ओ० सू० ६६ प्रो० स० ११५-११७ ओ० सू० ६४ १२४३१-४३३ १२१२२ स३८ २१११,१२ २०६८ ६।४ ६।४ जी० ३; भ० वृत्ति जी० ३; भ० वृत्ति Page #1122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उद्देस जाव अत्यि एवं जहा इस एवं जहा दस पंचसए जाव नो एवं जहा तामली जान सक्कारेड़ एवं जहा तित्यगरमायरो जाव एवं जहा उस जाव पज्जुवासंति एवं जहा तेयगसरीरस्स अंतरं तहेव एवं जहा तेयगस्स संविदुषा तद्देव एवं जहा दवियाया कसायाया भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणियव्वा एवं जहा दसमस जाव नामवेज्जेत्ति एवं जहा नवम उसभवतो जाय भविस्स एवं जहा मागावरणियं नवरं दंसणनाम घेत जाव दंसण० एवं जहा नियंडास बसव्या तहा सिसायरस वि भाणियव्वा जाव सिणाए एवं जहा नेरइय उद्देस जाब एवं जहा पंचमसए परमाणुयोगालवत्तव्यवा जाव अणगारेणं एवं जहाँ पढमं पारणगं नवरं एवं जहा पढमसए असंबुद्धस्स अणगारस्स जाव अणुपरिट्ट एवं जहा पढमसए चउथे उद्देसए वहा भागवाव अलमत्य एवं जहा पमएसए जाव नो एवं जहाँ पढमसए नवमे उद्देसए वहा भाणियन्व एवं जहा वारसमए पंचमुदे व कम्मो एवं जहा बितिय सए अत्थिकाय उद्देसए जाव उवओोगं एवं जहा वित्तियसए जाय दिविहाए एवं जहा विडियस नियंतुद्देस जाव अमाणे एवं जहा रायप सेणइज्जे चित्ते जाव चक्खुभूए एवं जहा रायप सेणइज्जो चित्तो एवं जहा रायप्प सेइज्जे जाव अट्टस एवं एवं जहा रायसेइज्जे जाव खुड्डिय ११ १३।१६६ १३/१५० ११.६३ १६४८७ ११।१७८ ८१४३६ ८४३५ १२/२०२ १३।५०,५१ १२:३३ ८४२१ २५१३५१,३६० १२.४६ १८१६२-१९५ ११/६६ १२।२२ __७११५६,१५७ १७१५१-५४ ७११६५ २०१२१,२२ १३.५९ ११४६ १५।१-१२ १८१४० १८५१२२१ ६१८२ ७१५७, १५८ ३१९२ ३।१९६ ३१३३ १६/०६ २१८७ ओ० सू० ५२ ८४१७ ८४१६ १२/२०१ १०1३,४ ६१३९ ८१४२० २५।३५६,३५७ जी० २० भ० वृत्ति ५।१५७ ११.६४ १०४५ १२००,२०१ १।२७७-२८० १/४३६ १२/११६,१२० २।१३७ २१६७ २०१०६, १०७ राय ०सू०६७५ राव०सू०६४५ राय०सू०२७१ राय ०सू०७७२ Page #1123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८.४८६ ७।२१२,२१३ ७.११४ ७/२१ श६७ १२०५४ राय०सू०२७५ राय०सू०६२-६५ १४।१७,१८ १३.१२४ एवं जहा वेयणिज्जेण समं भणिया तहा पाउएण वि समं भाणियन्वं ८४८८ एवं जहा सत्तमसए अण्णउत्थियउद्देसए जाव से १८।१३४,१३५ एवं जहा सत्तमसए दुस्समउद्देसए जाव अपरिया ८.४२२ एवं जहा सत्तमसए पढम उहेसए जाव से १०११४ एवं जहा सदुद्देसए जाव निव्वुडे नाणे केवलिस्स १।१२४ एवं जहा सुत्तस्स तहा दुब्बलियवत्तव्वया भाणियब्वा, बलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियव्वं जाव संजोएत्तारो १२।५६ एवं जहा सरियाभस्स अलंकारो तहेव जाव चित्तं १६० एवं जहा सूरियाभो एवं जहेव नेरइयाणं नवरं देवे १४.१६,२० एवं जहेव भासा १३११२६ एवं जहेव विजयगाहावई नवरं सक्वकामगुणिएणं भोयणेणं पडिलाभेइ सेसं तं चेव जाव चउत्थं १५३६-४४ एवं जहेव विजयस्स नवरं ममं विउलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामीति तट्रे सेसं तं चेव जाव तच्चं १५॥३२-३७ एवं जहेव विज्जाचारस्स नवरं तिसत्तखुत्तो २०१८५ एवं जहेव सक्कस्स जाव तए १४.२५ एवं जाव अलोए ११११०८ एवं जाव उत्तर ११।११० एवं जाव भावओ ८.१८८ एवं जाव भाषओ पा१६१ एवं जाव मणपज्जवनाण ३१ एवं जाव लोए ११११०८ एवं जाव से १३।१५६ एवं जाव हंडे १४१५१ एवं जोगो, उवयोगो, सधयणं, संठाणं, उच्चत्तं, पाउयं च एयाणि सव्वाणि जहा असोच्चाए तहेव भाणियवाणि ६५८-६३ १०२५-३० १०२५-३० २०१८१ १४॥२२ ११।१०८ ११।११० ८.१८८ ८.१६१ ६।३१ १११०८ प्रो०सू०१५० ठा०६।३१ ६।३६-४१ Page #1124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३ १४१ ६१३६ एवं तं चेव नवरं ११.७० १॥६४ एवं तं चेव नवर नियम सपडिक्कमे १३।१४५ १३३१४४ एवं तवे संजमे ११४२,४३ एवं तिणि वि भाणियव्वा एवं तिपएसिय वि, नवरं सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे सिय तिवणे । एवं रसेसु वि, सेसं जहा दुपएसियस्स । एवं चउपएसिए वि, नवरं-सिय एगवण्ण जाव सिय चउवण्णे । एवं रसेसु वि, सेसं तं चेव । एवं पंचपएसिए वि, नवरं—सिय एगवण्णे जाव सिय पंचवण्णे, एवं रसेसु वि, गंधफासा तहेव । १८।११३-११५ १८११२ एवं तेइंदिया एवं चरिदिया २५२ २५.२ एवं दसणाराहणं पि एव चरित्ताराहणं पि ८.४६५,४६६ ८।४६४ एवं दरिसणावरणिज्ज पि ६१३४ ६.३४ एवं धायइसंडं दीवं जाव हंता १८.१५३ १८.१५२ एवं नाणी आभिणिबोहियनाणी जाव केवलनाणी अण्णाणी मइअण्णाणी सुयअण्णाणी विभंगनाणी एएसि दसह वि [अट्ठण्ह वि (अ)] संचिट्ठणा जहा कायद्वितीए अंतर सव्वं जहा जीवाभिगमे अप्पाबहुगाणि तिण्णि जहा बहुवत्तव्वयाए ८।१६३-२०७ प०१८,जी०१०प०३;भवति । एवं नो आयकम्मुणा, परकम्मुणा । नो आयप्पयोगेण, परप्पयोगेणं । उसिओदयं वा गच्छइ, पयोदयं वा गच्छइ ३११७५-१७७ ३११७४ एवं पडिउच्चारतव्वं ११३४ एवं परउत्थियवत्तव्वया नेयव्वा जाव इत्थिवेदं । २।७६ ११४२० एवं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू ३१२१० ३१२०६ एवं बितिओ वि आलादगो नवरं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू ३१२४१ ३२२४० एवं वोरियायाए वि सम १२।२०३ १२।२०३ एवं वेदणापरिणाम १४।४१ १४|४० एवं संपत्तणवि चत्तारि आलावगा भाणियम्वा जहा असंपत्तेणं ८/२५१ का२५१ एवं संवरेण वि ६।३१ ६।३१ Page #1125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं संसारं आउलीकरेंति एवं परित्तीकरेंति एवं दीहीकरेंति एवं ह्रस्सीकरति एव अणुपरियट्रेति एव वीईवयंति पसत्था चत्तारि अपसत्या चत्तारि एवं स प सु आ च पसत्थं नेयव्व एवं सब्यजीवा वि अणंतखुत्तो एवं सिमायस्स वि एवतियं जाव करेज्जा एवमाइक्खइ जाव उववत्तारो एवमाइक्खइ जाव एवं एवमाइक्खंति जाव एवं एवमाइक्खंति जाव परूवेंति एवमाइवखामि जाव एवामेव एवमाइवखामि जाव परूवेमि एसणिज्जं जाव साइम ओग्गहं जाव विहरइ ओग्गहे जाव धारणा प्रोग्गहो जाव धारणा ओभासंति जाव पभासेंति ओभासेइ जाव छद्दिसि ओराल जाव अतीव ओरालिए जाव कम्मए ओवसमिए जात सन्निवाइए ओसप्पिणी जाव समणाउसो ओहिनाणी रूविदब्वाईजाणइ पासइ जहा नंदीए जाव भावओ ओरालेणं जाव किसे कंखिए जोव कलुस० कंखियस्स जाव कलुस० कंचुइज्जपुरिसो वि तहेव अक्खाति, नवरंधम्मघोसस्स अणगाररस आगमणगहियविणिच्छए करयल जाव निग्गच्छइ। एवं खलु देवाणुप्पिया ! विगलस्स अरहओ ११३८६-३६१ ३३७२ १२।१५२ २५१३५८ २४१४७,५० ७१६३ १५१७,२७ ११४४४ ११४४२ ५११३७ ११४२१ ७।२४ १५६ २०१२० ८1१०० ७।२२६ ११२५८-२६६ २।४३ १०१८१६३१७ १७११६ ५२३ ११३८४,३८५ ३१७२ १२।१५१ २५/३५७ २४।२७ ७।१६२ ११४२० ११४२० ११४२० ५।१३६ ११४२० ७१२२ २।३० १२।११० ८१६८ ७१२२८ वृत्ति; प०११ २०४२ ८.३६६ १४।८१ ५११६ ८.१८६ २०६६ ६।२३२ १११८४ नंदी सू०२२ २०६४ २२७ २।२७ Page #1126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१४ पओप्पए धम्मघोसे नाम अणगारे सेसं तं चेव जाव सो वि तहेव ११११६४-१६६ ६।१५८ कंते जाव किमंग ६१२१०,१३।११० ६१६६ कंदजीवकुडा जाव बीया ७१६४ ठा० १०११५५ कडच्छुयं जाव भंडगं १११६३,७२ ११:५६ कडे जाव जे १८१८०,८१ ७१६० कडे जाव निसि? ५३३७१ १६३७१ कडे जाव सम्वेणं १।११६ कणग जाए संतसार ६।१७५,११११५६ ३।३३ कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा १६३१२६,१७१८३ १।१०२ कण्हलेस्साणं जाव विसेसाहिया १७१८४ १७१८३,१११०२ कण्हसुत्तगं जाव सुक्किल १६।९५ ६.३६ कतिवण्णे जाव कतिफासे २।१२६ २।१२५ कप्पे जाव उववणे हा२४३ ६२४३ कम्माई जाव महा० ६४ कम्मा जाव कज्जति ७१२२५ ७।२२४, कम्मा जाव पओग० ८।४२३,४२६-४३२ ८४२० कम्मा जाव बंधे ८.४२२ ८४२० कम्मे जाव सुहे ७१६० ७।१६० कय जाव गहिय० हा२०२ ६.२०१ कय जाव पायच्छित्ते ११।११६ २।९७ कय जाव सरीरा ११।१४० २०६७ कयवलिकम्मे जाव विभूसिए ६।२०५ ७.१७६ कयबलिकम्मे जाव सरीरे ६।१८६ २०६७ कयरे जाव विसेसाहिए वा ११११६ १११०८ कयरेहितो जाव अप्पाबहुगं जहा तेयगस्स ८४३७ ८४१८ कयरेहितो जाव विसेसाहिया ५।१८१,२०६६।५२,७१३६,४६,१४५; ८८४,२१२-२१४,३८५,४०४,४११,४१८ ४४७,६४१०१,१०६,११३,११८,११६ १११११३:१२।१६,१००,१६७,१६८,२०५; १३१६११६११२७१६।२४;२०१८,१०३, १०४,१०६-१११,१३२,२५॥३,७,३६,१६३, १६४,१६७,२०६-२११,२३६-२३६,२४६, ३६२,४५१,४८८,४६६,५५० ११०८ Page #1127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१४५ २०६८ २०६८ २।६८ उ०११३६ ३।१७ कयाइ जाव णिच्चे २।१२५ करयल० ६।१४२,१६०,१८६,११११४०,१४७ करयल जाव एवं ६।१८८११११३५,१४४ करयल जाव कट्ट ७२०३६।१४०:११०६१,१४३ करयल जाव कूणियस्स ७१७५ करयल जाव जएण ६४१८२ करयल जाव पडिसुणेत्ता १८५ करयल जाव वद्धावेत्ता ६।२०१ करयलपरिगहियं ११११६८१५२१७४ करेइ जाव नमंसित्ता २१६८,३१११२६।१५० करेइ.जाव पज्जुवासइ २१४३ करेता जाव तिविहाए २।६७६।१६२ करेता जाव नमंसित्ता २२५२ कलहे जाव मिच्छा १२।१०७ कल्लाण जाव दिट्ठ ११११४२ काइयाए जाव पहि ११३७१,१६।११७ काइयाए जाव पाणाइवाय० ५।१३४ काइयाए जाव पारिया० ११३७१ कालो य भावो य जहा लोयस तहा भाणियव्वा, तस्थ રા૪૭ काल जाव करेज्जा २४१४४ कालगहि जाव पव्वइहिसि ६।१७३ कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते १७।३५ कालस्स जाव देवसंसार जाव विसेसाहिए १।१११ कालायो जाव खिप्पामेव ६।१०२ कालोदायी जाव अप्पवेयण ७१२२७ किच्चा जाव उववन्ना १०१५६ किच्चा जाव कहि १४११०३,१०५ कुंथस्स य जाव कज्जइ ७११६३ कुंभकारीए जाव वीइवयामि १५६७ कूडागारसालदिट्ठतो भाणियब्वो ३१२६ केणटेणं जाव अपरिग्गहा ५१५३ केणट्रेणं जाव अभक्खेया १८१२१६ केणद्वेणं जाव इओ ११४६ ६११४२ ६।१८२ २०६८ श१० १११० ग्रो० सू० ६६ ११० १३८४ ११.१३४ ११३६५ ३३१३४ ११३६५ २१४५ २४२७ ६१६६ १७।३३ १।१०३,१०८ ६८५ ७।२२७ १०१४८ १४।१०१ ७११६३ १५१८२ राय०सू० १२३ ५॥१८२ १८२१५ ११३४,४८ Page #1128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५।६७ ३.११७ १६६३० ५१०१ १।३४,४४ ११६१ केणट्रेणं जाव केवली ५।१०६ केणट्रेणं जाव गेमिहत्तए ३।११८ केगटेणं जाव जरा केण्डेणं जाव ण ५११०२ केणट्रेण जाव नो १४४५ केण?ण जाव नो ११६७ केणटेणं जाव नो ५१७० केणट्टेणं जाव पभू णं अणुत्तरोववाइया देवा जाव करेत्तए ५११०४ केणटेणं जाव पगयिज्जति ११३७४ केण?णं जाव पासइ ३२२३० केणटेणं जाव पासंति ५।१०६ केण?णं जाव पासंति १४।७४ केषट्रेणं जाव भवइ ३.१४८ केण्ट्रेणं जाव वत्तव्वं २।१३७ केणदेणं जाव संपराइया ७.५ केणट्रेणं जाव समया ५१२४६ कोलट्रिमायमवि जाव उवदंसेत्तए ६.१७३ कोहे जाव मिच्छादसणसल्ले ११२८६ खंदया जाव अणंता २१४६ खंदया जाव कि प्रणते सिद्ध तं चेव जाव दम्वनो २०४८ खंदया पुच्छा २२४७ खलु जाव दव्यग्रो २१४६ खीणे जाव अंत ११४१६ खीरधाईओ जाव अट्ठ ११११५६ खेतं जाव पभासेइ २५७ खेत्तादेसेण वि एवं चेव कालादेसेण वि भावादेसेण वि एवं चेव ५।२०५ खेतोहिमरणे जाव भवो. १३३१३६ गंगेया जाव उववज्जति ६।१२६ गच्छमाणस्स जाव आउत्तं ७।१२५ गतिनामनिहत्ता जाव अणुभाग० गमणिज्जं जाव तहा १११३६ गय जाव सण्णाहेति ७।१७५ ५।१०३ ११३७३ ३१२२४ ५।१०५ १४१७८ ३११४७ २।१३६ ७४ ५।२४८ ६.१७१ ११३८४ २१४५,४४ २।४५,४४ २।४५,४४ २१४५ ११४१६ पायारचूला १५:१४ १।२५७ ५।२०५ १३।१३१ ६१२६ ६।१५१ १११३६ ७/१७४ Page #1129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५ १५११६ १७१६२ १७१७ ११३६७,४०८ ६४ १६।६७ १३।१०४ १३।१०५ ३१६६ १५:११६ ८।१०३ ५११३५ श३६२ ६४ ११७ १७ ११७ ८.२५० गयतेए जाब विणतेए गयति वा जाव वसभपति गरुयत्ताए जाव पच्चोक्यमाणे गरुया जाव अगरुय° गाढीकयाइं जाव नो गामाणुगामं जाव जेणेव गामाणुगाम जाव विहरमाणे गामाणु जाव विहरमाणे गाहा एवं उववाएयव्वा गाहावइ जाव केइ गुणसिलामो जाव विहरद गुणोववेयं जाव ससि० गेण्हमाणा जाव अदिन्नं गेण्हमाणा जाव दिन्नं गेण्हह जाव प्रदिन्नं गेण्हह जाव दिन्नं गोत्तेणं जाव छटुंछटेणं गोयमा जाव प्रधयारे गोयमा जाव अणंतखुत्तो गोयमा जाव अत्थे गोयमा जाव चिद्वित्तए गोयमा जाव न गोयमा जाव न गोयमा जाव नवहा गोयमा जाव नो गोयमा जाव पच्चायाती गोयमा जाव परिणम गोयमा जाव भोगी गोयमा जाव समे गोयमा जाव सव्व० गोवरगं जाव पडिबुद्धे गोसालरस जाव करेत्तए गोसाला जाव नो गोसाले जाव करेत्तए १३।१०० ११११४६ पा२७६ पा२८० ८/२७७ ८२७६ १५६ ५।२३७ १२।१३६-१४१,१४७,१४६,१५१ १२३५४ १७।३३ ७७५ ७७७ १२।७६ ८१२३५ राह १११३३ ७१३६ ७.१५६ ११२०१ १६/११ १५६८ १५३१११ १५६८ प०६ ८.२४८ २०५६ ११।१३४ ८।२७६ ८।२७६ पा२७६ ८/२७६ ११९,२।१०६ ५१२३७ १२।१३४ ११३५४ १७१३३ ७.७५ ७७७ १२७४ ८।२३५ २९ १११३३ ७।१३६ ७.१५६ १।२०१ १६।६१ १५१८ १५१०४ १५९८ Page #1130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११३०५ ६२०८ १।२६७ २।३० २०६३ ३।१५४ ७।१६६-१७२ ६.१६३-१६७ ६८३ १६।६७ पा३४ ओ० सू० १६ ८.३४ घणवाए० चउका जाब पहेसु चउत्थ जाव विचित्तेहि चउभंगो चउभंगो जहा छ?सए नवमे उद्देसए तहा इह वि भाणियव्वं, नवरं अणगारे इह गई च इह गते चेव पोग्गले परियाइत्ता विकुम्वइ, सेसं तं चेव जाव लुक्खपोग्गलं निद्धपोग्गलताए परिणामेत्तए हंता पभू ! से भंते ! किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता जाव नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ चंदिम जाव तारारूवा चक्केण जाव पकढिज्ज० चक्खिदिय जाव परिणया चच्चर जाव बहुजणसद्दे इ वा जहा प्रोववाइए जाव एवं ० चडगर जाव परिक्खित्त चरमाण जाव एगजंबुए चरमाणे जाव जेणेव चरमाणे जाव विहरमाण चरमाणे जाव समोसढे चरमाणे जाव सुहसुहेणं चलिए जाव निजरिज्जमाणे चितिए जाव समुप्पज्जित्था चिट्ठामि जाब गिलामि जाव एवामेव चित्तविचित्त जाव पडिबुद्धे चैव जाव अप्पवेयण चेव जाव अप्पवेयण. चव जाव चिट्टित्तए चैव जाव महावेयण चेव जाव महावेयण छटुंछट्टेणं जाव आयावेमाणं छटुंछट्टेणं जाव आयावेमाणस्स छद्रं तं चैव जाव जिणसई ओ० सू० ५२ ६।१६२ ६१५७ ६।१६५ १६:४८ १५११४५ १३।१०१ १८११३७ ६२२३ ११११,४४३ २१४६,६६ १७ ११७ ११७ १।११ २१३१ २१६४ १६।११ ७२२६ ५११३३ १६।११ ७२२६ १८।१०० ५१११ ७२२६ १८/१०० १५।१७६ ११।१८७ १५।१३ ५११० ७२२६ ५।१३३ ३३३३ ११३१८६ २१११०।१५।१२ Page #1131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २।६३ २०६३ १५।११३ ७।२३०:१८१५३ ६।२१५ १५।११४ १६:४६ ८.२५५ २।३० ८।२५५ वृत्ति; ओ० सू० ५२ ३१३६ २४६३ ११।१६६ २४२८ ओ०सू० १९२; भ०वृत्ति ३।१६६ ३।१६७,१६८ ६।१७७ वृत्ति ८.४५६ मा४५५ छटुट्ठम जाव अप्पाणं छट्टट्ठम जाव मासद्ध छण्हं जाव कालं छिदति जाव धम्मतराएणं छिण्णे जाव दड्ढे जण बुहे इ वा परिसा निग्गच्छइ जलते जाव आपुच्छइ २ तामलित्तीए एगते एडेइ जाव भत्त० जहण्णकाल जाव से जहा अम्मडो जाव वंभलोए जहा आयड्ढीए एवं आयकम्मुणा वि प्रायप्पयोगेण वि भाणियन्वं जहा आवस्सए जाव सन्व० जहा उनकोसिया नाणाराहणा य दंसणाराहणा य भणिया तहा उक्कोसिया नाणाराहणा य चरिताराहणा य भाणियब्वा जहा उदिण्णेणं दो पालावगा तहा उवसंतेण वि दो आलावगा भाणियब्वा, नवरं उवद्राएज्जा पंडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा बालपंडियवीरित्ताए जहा उववज्झमाणे तहेव उव्वद्रमाणे वि दंडगो भाणियवो। नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उब्वट्टमाणे किं देसेणं देसं पाहारेइ तहेव जाव सव्वेणं वा देसं आहारेइ सम्वेण वा सव्वं आहारेइ । एवं जाव वेमाणिया । नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववणे कि देसेणं देसं उववण्णे एसो वि तहेव जाव सब्वेणं सव्वं उववणे । जहा उववज्झमाणे उव्वद्रमाणे य चत्तारि दडगा तहा उववणेणं उज्वट्टेणं वि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा सव्वेण सव्वं उबवणे, सम्वेण वा देसं आहारेइ, सम्वेण वा सव्वं आहारेइ । एएणं अभिलावेणं उववष्णे वि उठवटटे वि नेयव्वं जहा पोराला तहा जहा ओववाइए कूणियस्स जाव परमाणु १।१८१-१८६ १९७५-१८० १२३२२-३३३ ६।६७,९८ १११६१ ११३१८-३२१ ६.६५,६६ प्रो०सू० ६८ Page #1132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ र ओ०० ६८ ओ०० ६४ ओ०सू० ५२ प्रो०सू० ३५ ओ०सू० ५२ ओ०सू० ३६ ओ०सू० ३४ ७१२२ ७।१७६ १२११०३ २।४५ २०४६ २०४७ २॥३८ जहा प्रोववाइए जाव अभिनंदंता हा२०८ जहा ओक्वाइए जाव गगण० ६।२०४ जहा ओक्वाइए जाव गहणयाए १११८५ जहा ओववाइए जाव लूहाहारे २५५७१ जहा ओववाइए जाव सत्थवाह ६।१५८ जहा ओवबाइए जाव सव्वगाय० २१५७१ जहा प्रोवाइए जाव सुद्धेसणिए २५१५६६ जहा प्रोसप्पिणी उद्देसए जाव परस्सरे १२।१६० जहा कूणियो जाव पायच्छित्ते ७।१६६ जहा कोहे तहेव १२।१०४ जहा खंदए जाव अणंता ११११०८ जहा खंदए जाव गद्धपट्टे १३.१४२ जहा खंदए जाव परिक्खेवेणं १११११० जहा खंदए जाव सवण्णू १२।२१ जहा खंदए तहा चत्तारि आलावगा नेयम्बा अणेगसयसहस्स पुढे उद्दाइ ससरीरी निक्खमइ ५।४६.५० जहा खंदो जाव अण्णेसु ६१३७ जहा खंदओ जाव से ६.१५० जहा गोयमसामी जाव जेणेव १५.१५३ जहा चोद्दसमसए ततिए उद्देसए जाव पडिसंसाहणया २५१५८५ जहा तामलिस्स जाव पुत्तेहि १११५६ जहा तामलिस्स वत्तव्वया तहा नेतव्वा, नवरं चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहयं करेत्ता जाव विउलं असणपाणखाइमसाइमं जाव सयमेव ३११०१,१०२ जहा तेयनिसम्गे जाव अवकररासि १६०६८ जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेइ १२१३४ जहा नंदीए जाव भावओ ८।१८७ जहा नाणावरणिज्ज ६१३४ जहा नियंठुद्देसए जाव तेण १११७६ जहा पंचमसए जाव जे १२२ जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते जाव सव्वदुक्ख० १२३१ २१८-१२ रा२४ २।५२ २२१०७ १४।३२ ३१३३ ३१३२,३३ ६११४० नंदी सू० २५ २२११०,१११७३ ५२५५ १६४३३ Page #1133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ प०१ प०१ १८.१७८,१७६ १४१३३-१३५ १२.१०२ ३१५६-५६ ३१५७-५६ २१६५ १४४३ १३.१२४ जहा पण्णवणाए जाव नालियरी ८.२१७ जहा पण्णवणापदे जाव फला ८.२१८,२१६ जहा परमाहोहिए तहा केवली वि जाव १८.१८०,१८१ जहा परिणमइ दो आलावगा तहा गमणिज्जेण वि दो आलावगा भाणियब्वा जाव तहा १११३६-१३८ जहा पाणाइवाए नवरं अट्ट फासे १२।११३ जहा पादुभवणा तहा दो वि आलावगा णेयव्वा ३१६०-६३ जहा पादुब्भवा जहा वितियसए जाव जीवियास ८१२७२ जहा भासा तहा भाणिवा किरियावि जाव करणओ १४४४३ जहा भासा तहा मणे दि जाव नो १३।१२६ जहा रायपसेणइज्जे जाव अट्ट ११११५६ जहा रायपसेणइज्जे जाव कल्लाण० १३३१८ जहा रायपसेणइज्जे जाव दुवारवयणाई १३१८७ जहा रोहे जाब उड्ढंजाणू जाव विहरइ १०।४४ जहा विजयस्स जाव जम्मजोवियफले १५.१५६,१६० जहा संवडे नवरं पाउयं च ण कम्मं सिय बंधइ सिय नो बंधइ सेसं तहेव जाव वीईवयइ ११४३८ जहा सत्तमसए जाव एगंतपंडिया ८।२७८ जहा सतमलए दुम्समाउद्देसए जाव परिया० ८.४२३ जहा सत्त मसए पढ़मुद्देसए जाव अंतं ११।१८१३१६० जहा सत्तमसए पढमोहेसए जाव नो जहा सत्तमसा बितिए उद्देसए जाव एगंतबाला ८२७३ जहा सत्त मसए संवुडुद्देसए जाव अट्ठो निक्खित्तो १८१५६ जहा सत्तमसए सत्तमुद्देसए जाव से १०।१४ जहा सत्त मे सए अण्ण उत्थिउद्देसए जाव से १८।१३६ जहा सवाणुभूती तहेव जाव सच्चेव १५।१०७ जहा सालीण तहा एयाणि वि नवरं पंच संवच्छराई सेसं तं चेव ६।१३० जहा सिवभद्दे जाव पच्चुवेक्खमाणे १३।१०२ राय०० १६१ रायसू० १८५ रायसू० ७५५ ११२८८ १५।२६,२७ ११४७ ७।२८ ७.११६ કારે ७५२४ ७२८ ७२० ७.१२६ ७.२१६ १।१०४ ६।१२६ ११:५८, राय० सू० ६७३,६७४ ११११७१ १११८२ जहा सिवस्स जाव विभंगे जहा सिवे जाव पडिगया १११८७ १५॥७८ Page #1134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहा सियो जाव सत्तिए जहा गुत्ता वहा आलसा भाणियव्या जहा जागरा तहा वक्ता भाणिया जाव संजोएत्तारो जहा सोमिलुद्देसए जाव सेज्जा जहाँ इमेज वा तहा नवरं परिसणावरण कम्मस्स उदपूर्ण निद्रायंति वा पलायति वा, से णं केवलिस नत्थ यण्णं तं चैव जहेब कोहे जब कोहे तहेब चउफासे जव तेयगस्स जाव देसबंधए जब लोए व अलोएय तहेब जीवा य अजीवा य एवं भवसिद्धिया व सभवसि दिवा य सिद्धी असिद्धी सिद्धा असिद्धा जागरिया जाव सुदक्खु० जाणइ जाव निव्वुडे दंसणे केव लिस्स से तेणट्टेणं जाणामि जाव जणं जायसढे जाव भसवाणं पडिसे जव पवासमा जाव वणसई जहा एसए पंचिदियतिरिक्वजोणियाणं वतव्वया तहा भाणियन्या जाव सवितावित जाव समोसरणं जिणपलावी जाव जिणसद्दं जपावी जाव पगामेमाणे जोस जाय अणारंभा जीवा जाव नो जीवा पुच्छा तह देव जुपवं जाव निउण० जुती जाव परक्कमे जुवरायत्ताए जाब सत्यवताए जो जाव अंतरे २३ ११.१५३ १२/५८ २५।५७६ ५१७३,७४ १२११०५, १०६ १२/१०७ ८२४३६ १३२६१-२६४ १२/२१ ५।१०६ १७।३५ १५।१३ ५/२३५ १/७ १५७७,१३६,१४१ १५४७,७७ ११३४ २१४० २।१४० १४:३ १५/५३ १२/१४६ १४ ६४ ११/६३ १२।५४ १८२१२ ५/६६,७० '१२/१०३ १२११०३ ८१४३६ १२९० १२/२१ ५२६७ १७:३३ २:११०:१।१० ५१८६ वृत्ति १५/७ १५/६ १।३३ २१३६ २।१३१ अ०सू०] ४१३ १५।५३ २३० १४।१० Page #1135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ ८/२५६ १२५६ ५।१४१ ११११८३,१५१६७ १५६१६४ ५११३६ २७३ २।७३ ७.२०७ १०१११ १७३३२ ११११०६ १५१० स० ६२ ३।१३,१५/१४४ १४३७ १५१५६ झियाद जाव नो ठाणस्स जाव अस्थि ठिडक्वाण जाव कहि ठिडामाणं जाव महाविदेहे हिटखाणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंत ठिच्चा जाव तम्स णं जाब नो एजाद संपाउगंति मन्त्रागणे जाव पज्जुवासइ णावकंसद जाव तमकाय पहाग जाब मगैरे तोहितो जाव अविराहियसामण्णे तं चेव तं चेव तं चेव तं चेव तं चेव तं चेव तं व तं चेव उच्चारेयध्व त चेव उच्चारेयव्व तं चैव उच्चारेयव्यं तं व उच्चारे यवं त चेव केवलीणं अरगयं वा पार गयं वा जाब पाला तं व आव अंत तं चेव जाव अंत तं चेव जाव अजीवपदेसा तं चेव जाव अणं नखुत्तो तं चेव जाव अणतेहि तं चेय जाव अत्यमण तं चेव जाव अफासा तं चव जाव अफासे १५४१८६ ३।६६ ५३१२० ५११५३ ५।२०२ ८.१६० ५११६ ५।१५३ २०२ ८.१६० १०१२३ १४,८२,८३ १।१४७ १४१६२ १।१४७ १११९२ १६१६३ २११७ ५.६७ १॥२०१ २०१७६ १०१५ १२।१३५ ११११०७ ८३२६ १२।१०६ १२ १११ श६६ श२०० २०७६ १०१५ १२६१३४ २११४० ८.३२६ १२।१०८ १२।१०८ Page #1136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११:५६ ३१०२ १४/७३ ६११७२ १४१७२ ८.२८४ ८.२७७ ११।११२ १५।२७ १५।१८६ ३३२२३,२२४ १०५६ ११७३ तं चेव जाव अभिग्गह तं चेव जाव आयावण त चेव जाव आहारेंति तं चेव जाव उवदंसेत्तए तं चेव जाव गाहावइस्स तं चेव जाव छविच्छेदं तं चेव जाव जीवियफले तं चेव जाव तत्थ तं चेव जाव तस्स तं चेव जाव तस्स तं चव जाव तेण तं चेव जाव तेण तं चेव जाव तेसि तं चेव जाव देव० तं व जाव न तं चेव जाव न तं चेव जाव नो तं चेव जाव नोआयाति त चेव जाव पच्चायाइस्संति त चेव जाव पज्जुवासति तं चेव जाव परिणम तं चैव नवरं परिणामेतित्ति भाणियन्व तं चव जाव पव्वइत्तए तं चेव जाव बेभेलस्स तं चेव जाव रोमकूवा तं चेव जाव वोच्छिण्णा (न्ना) तं चेव जाव साहू तं चेव जाव साहू तं चेव जाव साहू तं चेव पउमावती पडिच्छइ जाव धडियध्वं सामी जाव नो तं चेव पडिउच्चारेयवं तं चेव सव्व जाव तं चेव सव्वं जाव अजिणे १५२५२ १५:१८६ ३।२२६,२२७ १५७३ ११०७७ ११११८० १११११० ६।२३५ १०१४० १२।१३२ ६।१२४ १२।२१२ १५३७२ १५११११ १२११२० ६१६७ ६।१७२,१७६ ३११०३,१०४ ६१४८ ११।७५,७७ १२।५६ १२।५८ १२।५८ ११३१०६ ।२३४ १०१४० १२६१३२ ६१२३ १२।२१२ १५१५८ १५११०४ १२।१२० ६।१६५ ६।१७० ३।३५,३६ ६।१४७ १११७२ १२१५६ १२५७ १२।५८ १३।११८ १२।२२५ ६।२२८ १५७७ हा२१३ १२।२२४ ६।२२८ Page #1137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तं चैव सव्वं भाणि जाव तणुयस्स जाव कज्जइ तजुवाए० तत्थगए जाव वंदड़ तम्भत्तिया जान भिति तया णं जाव मंदरस्स ०तरागा तहेव तलवर जाव सत्थवाह ० तवसा जाव विहरेत्रा तवेणं जाव करेत्तए तस्स ० तस्स जाव अस्थि तह चैव तह चैव नेयव्वं अविसे सियं जाव पभू समियं आउज्जियलिउज्जिय जाव सच्चे सहेब तहेब तहेव तव जाव अडमाणे तब जाय उस्सुतं तहेब जाव एवं तहेब जाब ओहि तब जाय कासवर्ग तहेब जाव किया तहेब जाव गवसणं सहेब जाव तं नो अपमा परिभुजेज्जा, नो असि दावए, सेसं तं चैव जाव परिवेयन्दे तव जाव दिसोदिसि वहेन जाय ममं विलेणं महषयसंजुतेणं परमोणं पडिला स्वामीति तु से जहा विजयरस जाव बहुले माह २ तहेब जाय वोणा २६ १५११४९ १४४३५ १।३०३ ७१२०३ ३१२६२,२६७ ५।१४ २०६५ १३।१०२, १०४ : १५१७१ १३।१०४ १५०६८ ५/१४३ ५।१४५ ५।२०२ २।११० ५।११८ ५।१८५ ५/२०२ १५/३८ ७१२६ ७।२१७ ३।११६ ६।१८५ १५/१५६ " ८२५० ७१५६,१८७ १५१४८-५० ११।१८८ १५।१४७, १४८ ११४३४ ११२१७ २/६८ ३।२५२ ५।१४ १।६३ २३० १३७ १५६८ ५१३९ xitze ५/२०२ २।११० ५।११८ ५।१८४ ५२०२ १५:२४ ७२१ ७०१२ ३।११५ ६।१६४ १५११८६ ६४३३ ८१२४८ ७१७७, १७८ १५।२५-२७ ११११८८ Page #1138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७ तहेव जाव संपरिक्खिताण तहेव जाव हता तायत्तीसाए जाव अधणेहि तावतियं जाव महापज्जवसाणा तावतोसगाण जाव विहरइ तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता ११११०६ १११७८ ३४ १६६४ वृत्ति ११।११० ११११६१ १०६६ १६।५२ ३३४ ६.१५०,१६४,१६५ २१०,२१२,१११११८ ११।७२,७३ ७.५२ ७१५४ १।१० २१३० ७५२ ७१५४ १।२२४ १४:६८ २।५१ १२।२२४ १४६६ १६:५६ १११३४,१४२ १४१८१ १२९८ १५१८४ १४.२२ तिग जाव पहेसु तिण्णिवि तिणि वि तिणि वि तियगसंजोगे एक्को न पडइ तिरिय जाव पल्लंघत्तेए तीसे य जाव धम्म तुट्ठि जाव मंगलकारए तुल्लसंखेज्ज तेएण जाव करेत्तए तेएणं जाव भासरासि ते जाव सद्दाविया तेणद्वेण जगणं इहगए केवली जाव पासंति तेणद्वेण जाव अण्णहाभावं तेणद्वेणं जाव अधिकरण तेण?ण जाव अव्वाबाहा तेण?णं जाव आदिच्चे तेण?णं जीव आवासे तेण?ण जाव उदएण तेणट्रेणं जाव उवदं सेत्तए तेणट्रेणं जाव कज्जइ तेणट्रेणं जाव कज्जति तेण?णं जाव कालतुल्लए तेणटेणं जाव खेत्ततुल्लए तेगडेणं जाव चिट्ठित्तए तेणट्रेणं जाव जंघाचारणे तेणट्रेणं जाव देवाति ३।२२७ १६।६ १४।११४ १२२१२६ १४।८१ १५१६८ १५:१८२ १४१२२ ५।१०६ ३२२२४ १६६ १४१११४ १२।१२६ १३।१८ १४।१८ ५।११२ १६४ १६।४२ १४१८१ १४१८१ ११३५ २०१८४ १२।१६७ ५११३ ७११६४ १६।४२ १४१८१ १४१८१ १७६३५ २०१८४ १२।१६७ Page #1139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८ १२।१६६ १२।१६५ २५.१४४ १.३४६ ३३१६१ ५७० ६१२६ १२।१६६ १२।१६५ २५११४२ १।३५ ११३४६ ३३१६१ ५७० ६.२५ १६।३१ १८१७६ १८११७६ १६।११६ ३१२२४,२३० ५१६७ १२।१६८ १४१८१ १६।११६ ३१२२४ ५१६७ १२।१६८ १४१८१ तेण?णं जाव धम्म० तेणद्वेणं जाव नर० तेणद्वेणं जाव निरेया तेण?ण जाव नो तेणगुण जाव नो तेण?णं जाव नो तेणद्वेणं जाव नो तेणट्रेण जाव नो तेणटेणं जाव नो तेणद्वेण जाव नो तेणट्रेणं जाव पंच तेण?णं जाव पसारेत्तए तेण?ण जाव पासइ तेणद्वेणं जाव पासइ तेणट्रेण जाव भाव० तेणट्रेण जाव भावतुल्लए तेण?ण जाव भासति तेण?ण जाव रह तेणटेणं जाव लवसत्तमा तेण?ण जाव वागरेज्ज तेण?णं जाव विगहेणं तेणट्टेणं जाव विज्जाचारणे तेण?णं जाव वुच्चइ केवलीणं अस्सि समयसि जाव चिद्वित्तए तेण?ण जाव संठाणतुल्लए तेणतुणं जाव ससी तेणतुणं जाव सिय तेणट्रेणं जाव सिय तेणट्रेणं जाव सोगे तेण?ण जाव हव्व० तेणट्रेणं जाव हब्वमागच्छति तेयासरीस्स जाव देसबंधए दंडनायग जाव संधिवाल दसणपि एमेव ७.१८८ १४१८५ १४११४४ ३४४ २०१८० ७.१८८ १४१५८ १४.१४४ ३४१२,३ २०१० ५११११ १४१८१ १२।१२५ १४१५० २५१५ १६१२६ २।८८ २५११८ ८४४६ ५।१११ १४१८१ १२।१२५ १४.५० २५१५ १६।२६ २।८८ २५११८ ८१४४५ ७।१४६ ११३६ १६४० Page #1140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ २।१२५ १५॥१८६ १६११६ ११:५६ १८.१५२ राय सू० १२२ २।७३ ३।१७ प०१ दरिसणावरणिज्ज जाव अतराइयं दवओ जाव गुणओ २११२८ दव्वसुद्धेणं जाव दाणेण ११११५६ दसम जाव विचितेहि १५.१,१५॥१८५ दाह जाय दोच्चं १५१८६ दाहिणिल्लं जाव गच्छति दिशयर जाव पडिबुद्धे १६।११ दिसाचक्कवालेणं जाव आयावेमाणस्स ११७१ दीवं जाव हंता १८।१५३ दीवे जाव अद्धमास ६।१२ दूसमा जाव चत्तारि ६.१३४ देवज्जुती जाव अणुप्पविट्ठ १६६४ देवलोगायो जाव महाविदेहे १५१८५ देवसयणिज्जति जाव सक्के १८१५३ देवाउयं चउठिवह देवाणप्पिया जाव उत्तर ३११२६ देवाणुपिया जाव में ११११४३ देविड़ ढीए जाव दिवे देविड्ढी जाव अभि. ३११३० देविड़ढी जाव अभिसमण्णागए ३३५०,५१ देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए १६१७२ देविड्ढी जाव लद्ध देहं जाव दुब्बल १६०३५ धम्मकहा १८.४३ धम्मत्थिकाए जाव जीवत्थिकाए चउत्थपएणं १४००-४०३ धम्मत्थिकायं जाव करेस्सइ ८६६ धम्मत्थि जाव आगासत्यिकायसि १३१८७ धम्माणुया जाव धम्मेण १२।५४ धम्मोवएसगस्स जाव परिकहेहि १५/६७ धारेमाणे जाव भवति १.१३२ नक्खत्त जाव काम० १२।१२८ नगर जाव विहराहि १११६१ नगरे जाव अडमाणे २।१०६७१५१३१ नमंसइ जाव पज्जुवासइ १४।३० ११।१३५ ३.१७ ३।१७ १६।६५ ३.१७ अं० ३९५ ११।११७ ११३६२,२।१२३ ८६६ १३१८६ १२१५४ १५/६६ १११३२ १२।१२८ ओ०सू०६८ २।१०८ २।३० Page #1141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० २११०३ २०३१ રાફે २०३० १।१० ६।२१३ १२५१ १२।१६३ ३।१६६ ३१३३ ३१३३ ३१३३ नमसइ जाव पडिगए १५११३८ नमसति जाव कल्ला १५११०४ नमसामो जाव पज्जुवासामो २१३९:३३३८६१३६ नमसामो जाव पज्जुवासामो जाव भविस्सति २०६७ नमंसित्ता जाव पज्जुवासित्ता २०६६ नमसित्ता जाव पडिगया १३।११८ नमंसित्ता जाव विहरइ १२।१२६ नरदेवारा जाव भावदेवारणं १२।१६७ नवरं एगओ चक्कवालंपि दुहओ चक्कवालंपि भाणियन्वं ३।१८१ नाइ जाव जेट्टपुत्तं १६।७१ नाइ जाव जेद्रपुत्ते १८१४७,४८ नाइ जाव तस्सेव १८१४८ नाइ जाव परिजणेणं १८.४७-४६ नाइ जाव परिय(ज) ण ३।३३,१११६३ नाइ जाव परियणस्स नाइ जाव पुरओ १८।४८ नाइ जाव राईण ११।१५३ नाण जाव समुद्दा ११८३ नाणत्तं जाव तं १८१८१ नाणदसणे जाव तेण १११७३ नातिदुरे जाव पंजलिकडे १११८५ नासि जाब निच्चे ६।२३३ नासि जाव निच्चे ११११०८ निदिज्जमाणं जाव आकड्ढे निक्खेवो ६२५० निगंयाणं जाव महा० निम्गंथे वा जाव पडिम्गाहेत्ता ७१२२,२३ निग्गंथे वा जाव साइम ७।२४ नियंठे जाव नो नियग जाव आमतेति १६७१ नियग जाव परिजणं नियग जाव परिजणेणं १६७१ निरंगण्याए जाव पुव्व० ७.१५ ३१३३ ३३३३ ३३३३ ११।६३ ११।७२ ३।१४३ १९७२ १।१० ६।२३३ २१४५ ३१४५ २५० ૬૪ ७।२२ ७१२२ २।१३ ३३३३ ३३३३ ३३३३ ७.११ Page #1142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१३ ६।१६५ निरुद्धभवपवंचे जाव निद्रिय निसंते जाव अभिरुइए निस्मिरामि जाव पडियं निस्सीला जाव उववन्ना निस्सीला जाब निप्पच्चक्खाण नीय जाव अडमाणे नीय जाव अण्णत्थ नेरइयाउयं वा जाव देवाउयं नोपाया जाव नोआयाति पईणवाया इ वा जाव संवट्टयवाया पउमसरं जाव पडिबुद्धे पंक जाव उबट्टित्ता पंचमाए जाव उध्वट्टित्ता पंचिदियओरालिय जाव परिणए पंचिदियसरीरे जाव ससिः पकरेइ जाव अणुपरियट्टइ पकरेति जाव देवाउयं पकरेति जाव देवाउयं पगइभद्दए जाव विणीए पगइभद्दए जाव से गं पगइभद्दयाए जाव विणीययाए पगिज्झिय जाव आयावेमाणे पगिझिय जाव विहरइ पगिज्झिय जाव विहरितए । पच्चक्खाणीणं जाव विसेसाहिया पज्जत्तसंखेज जाव जे पज्जत्ताअसण्णि जाव गतिरागति पज्जत्ता जाव करेज्जा ०पज्जत्ता जाव जोणिए पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय जाव परिणया पज्जवासणयाए जाव गहणयाए पडिचोइज्जमाणे जाव निप्पट्ठ० पडिचोएउ जाव मिच्छ पडिसंवेदे जाव से २०१६ ६१६७ १२६८ ७।१६० ७/१८१ १५१२४,४७,६७ १५।२३ ५।६२ १२१२१४ ३१२५३ १६।६१ १५.१५६ १५११८६ ८1५० ११११३४ ११४३६ ११३६० ११३६२ ३३१७१७८,१५५१०४ २०७१ ११.७१ १५१८० १५७०,७६ १११५६ ७११८१ ७/१२१ २।१०६ १५५१६ श६२ १२।२११ वृत्ति; ५०१ १६११ १५॥१८६ १५.१८६ ८.५० ओ०२० १४३ ११३५६ ११२८८ २१७० श२८८ ३३३ २४१६३ २४१३० २४.४१ ८1१८ २१९७ १५।११६ १५॥१०० ५४५७ ७।५५,४६ २४१५६ २४।२७ २४।२७ २४१२७ ८।१८ २।३० १५११६ १५/६३ १४४२० Page #1143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६।११ वृत्ति १८११४३ २१८० ८।४०६ ७।२४ ८.३७२ ३।१२६६।१५२ १५३५४ ८।४०६ ७१२४ ८३६६ ११० १५१२५ ११४४४,४४५ १२१८० ५११३४ ११३४ पण्णवेति जाव उवदंसेति पभासेमाणे जाव पडिरूवे ०पमत्त जाव आहारग० पमाणे जाव आहार० पमादपच्चया जाव आउयं पयाहिणं जाव नमसित्ता पयाहिणं जाव नमंसित्ता परउत्थियवत्तव्वयं णयब्वं ससमयवतनपाए यव्वं जाव इरियावहियं परमाणपोरगला जाव कि परामुसइ जाव उम्विहर परारंभा जाव अणारंभा परियारो जहा सूरियाभस्स जाव परिसा जाव पडिगया पलोट्टइ जाव पडियत्तं पवरकंदुरुक्क जाव गंध पवर जाव सण्णाहेत्ता पब्वयं तं चेव निरवसेसं जाव आणुपुबीए पव्वाविए जाव मए पवावेइ जाव धम्म पसत्थं नेयव्वं जाव प्रादेज्ज० पसत्थं नेयव्वं जाव सुहत्ताए पाणक्खया जाव तेसि पाण जाव उवक्खडावेति पाण जाव कि पाण जाव पडिलाभेमाणस्स पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छा० पाणातिवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं एवं खलु जीवा गस्यत्तं हवमागच्छंति एवं जहा पढमसए जाव वीतिवयंति पाणाणं जाव सत्ताणं पासइ जाव भावओ पासवणत्ताए जाव सोणियत्ताए पासादियाओ जाव पडिरूवाओ १११७४ ११४४० ११।१३६ ७.१६४ २१७० १५.१११ २०५३ ११३५७ ६।२२ ३।२६३ १६७१ ८।२४७ ८।२४६ ११३८५ ११४२०,४२१ १२१६६ ११३४ ११३३ राय०सू०५८ ६७७ ११४४० ११।१३३ ७.१७४ २२६८,६६ १५.१०४ २०५२ ११३५७ ६.२० ३१२५३ ३१३३ ८२४५ ८।२४५ ११३८४ १२१४१-४० ७।११४,११६१२१५४ ८.१८६ ३।१६१ १५१८७ ११३८४-३६१ ७।११४ ८.१८६ वृत्ति २१८० Page #1144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१८० रा८० पासादीए जाव पडिरूवे पासादीयं जाव पडिरूवं पिवासापरीस हे जाव दंसण. पुच्छा पुच्छा वृत्ति पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा १११५७ १५८७ ८।३१६ ११२६७ ३।१८४ ३।२७३, २७५ ८५६ ८२२६८-३०० ८.४२३-४३३ ८।४६२ ८.४६४ ८।४६५ ८.४६६ ८.४६७ ८१४९८ ६।६४ १०१५७,६१ १२२७२-७६ १२।११७,११८ १२।२२२ १३२७,११ १३१६० १३१६४ १३।१२८ १३।१२८ १४१५६,५६ १४।६३,६४,९६,१०० १४११२८ १७३६२ १८.१०३ १८.१०८,११२,११७ १८११७६ २०१६,१८ २०१४० पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा १२६० ३।१८३ ३१२७२ ८१८८ ८२६५ ८।४२० ८.४६२ ८१४६४ ८।४६५ ८१४६६ ८.४६८ ८१४६७ ६।४२ १०१४६ १२१६६ १२।१०२ १२।२२२ १३३२ १३१५६ १३।६१ १३११२४ १३।१२४ १४१५४ १४१६० १४।१२६ १७।६० १८।१०२ १८.१०७ १८.१७४ २०१४ २०१३८ पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा पुच्छा Page #1145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४।२०५ २५॥१८ २४८ १।१०८ १३१५३ ११३५७ १३।६१ ११३७४ १३१६८ ८३ ८१८ ६।१३१,१३२ का३६० १२२१ पुच्छा पुच्छा पुच्छा जहा अग्गेयीए पुट्ठाइ जाव नो पुढे जाव अणतेहि पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया जाव वणस्सइ० पुढविकाइय जाव परिणया पुढविक्काइया जाव उववज्जति ०पुढवि जाव बंधे पुढवीए जाव एगमेगंसि पुष्फिया जाव चिटुति पुरंदरं जाव दस पुरत्याभिमुहे जाव अंजलि पुरिसे जाव अप्पवेयण पुरिसे जाव पंचिहि पूश्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव किंसंठिया पुवरत्तावरत्त जाव जागर० पूव्वि भंते लोयते पच्छा सव्वद्धा पेते जाव अगाणुपुची पोग्गला जाव दुहा पोग्गला जाव नो पोग्गलाणं जाव सव्वपज्जवाण पोमाले जाव दिकुव्वइ पोराणाण जाव एगंतसोक्खय पोरेवच्चं जाव कारेमाणे पोसहसालाए जाव विहरिए पोसहियस्स जाव विहरित्तए फरिसे जाव पंचविहे फासेत्ता जाव आराहेत्ता बंधइ जाव नो नपुंसगो बंभचारी जाव पक्खिय बंभचारी जाब विहरह ३।१०६ ७।२०४ ७/२२७ १1३६६ १५११३२ २०६७ श२९६-३०१ ११२६७ १२।७७ ११४३७ ८.१८ ६।१२८ ८।३६० ११२१६ ७२६३ उवा० २।४० ७।२०३ ७१२२६ ११३६५ १५५१२८ २०६६ १२२६७ १।२६० १२।७० १६१५५ प०३ ७।९१६ ३१३३ २५॥१०० ७:१६६ १११५६ १३.१०२ १२:१८ १२।१३ १२।१२८ २१५६ ८।३०४ १२।६ १।११ १०८ १२॥६ ओ०सू०१५ २१५६ ८।३०४ १२।६ १२१६ Page #1146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८।४३२ १६३५ ११३१४२१५११६७ ११११८६ १५/१४७ ८.४३१ १४१३ ११३१३५ १११५६ ३।२३१-२३३ ११४४ ३१२३३-२३६ हा२४१ ११२०० १०॥५ २११३६ बलमदेणं जाव इस्सरिय० बलवं जाव निउण. बहुपडिपुण्णाणं जाव वीइक्ताणं बाहाओ जाव आयावेमाणे बाहाओ जाव विहर बाहिरियं जाव पच्चप्पिणंति वितिओ वि आलावगो एवं चेव नवरं दाणारमीए नगरीए समोहणा नेयव्वा रायगिहे नगरे स्वाइं जाणइ पासइ बुज्झति जाव अंत बुझिसु जाव सव्व० वेइंदिया जाव पंचिंदिया भंडं जाव धणे य से अणुवणीए सिया एयं पि जहा भंडे उवणीए तहा नेयब्वं च उत्थो मालावगो-धणे य से उवणीए सिया' जहा पढमो आलावगो---- 'भंडे य से अणवणीए सिया', तहा नेयम्वो। पढमच उत्थाणं एक्को गमो, वितियतइयाणं एक्को गमो भंते जाव केवली भंते जाव चिटुंति भंते जाव बालपंडियवीरियताए भंते जाव रणो भंते जाव से भंते पुच्छा भगवओ जाव पव्वइए भगवओ जाव पव्वइत्तए भगवं जाव एवं भगवं जाव नमंसित्ता भत्ति जाव अभइ भवइ जाव दुहा भवसिद्धिए जाव नो भवित्ता जाव नो भवित्ता जाव पव्वइत्तए ५।१३१,१३२ ११३१३ १११७६,१८० १०७३ ६।१६४,११११७२,१३।१०८ २।१४७,१४८ १३।१२० १३.११० ३।२० २१५६ ११११४४ १२१७५ ३१७३ ६।१४ १३।११० ५।१३०,१२६ ५२१०६ १।३१२ श१७६,१७७ १०१६५ २०५२ २।१४६ ६।१६७ ६।१६७ २१५७ २५७ ११।१३५ १२०७४ ३२७२ ६।१३ १६७ Page #1147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भवित्ता जाव पव्वयामि १३।१०८,११० भविस्सइ जाब निच्चे १०५१ भावियप्पणो जाव तस्स १८.१५६ भासासमिया जाव गुत्तबंभचारी १२२१ भिज्जति जाव काये १३११२८ भीए जाव संजायभए १५२६६ भेदो जहेव वट्टस्स जाव तत्थ २५१५३ भेदो सन्वो भाणियब्वो भोगा पुच्छा ७.१३४ मंखलिपुत्तस्स जाव करेत्तए १५६८ मंदरचूलियाए जाव पडिबुद्धे मझमज्झेणं जाव पज्जुवासति अभिगमो नत्थि १२।१५ मज्झिमाई जाव अडमाणे १५२८२ मट्टिया जाव गाया १५॥१२६ मट्टिया जाव विहरइ १५।१३२ मया जाव एवं १८।१४३ ०मणुस्स जाब बंधे ८।३६६ मणुस्साउए वि एवं चेव, देवा जहा नेरइया ११११५ मणुस्साउयं दुविह ५६२ मणुस्सा जहा ओहिया जीवा णवरं सिद्धवज्जा भाणियव्वा ११३८०,३८१ मणुस्सा जहा जीवा ७१४६ मणुस्सा जहा परइया नाणत्तं जे महासरीरा ते बहुत राए पोग्गले आहारेंति आहच्च आहारेति जे अप्पसरीरा ते अपतराए पोग्गले आहारति अभिक्खणं आहारेंति सेसं जहा नेरइयाणं जाव वयणा ११८६-६५ मणुस्सा जाव उववत्तारो ७२०५ मणुस्साणं जाव वैमाणियाणं मणुस्साण य देवाण य जहा नेरइयाणं १४१०६,१०७ मरणभयविप्पमुक्का जाव कुत्तिया० २१६५ ६।१६७ २१४५ १८.१५६ २१५५ १३।१२४ २१४६ २५१५० २।१३८ ७.१२६ १५६८ १६१६१ २।९७ २११०६ १५।१२० १५॥१२० १८।१४३ ८१३६८ ११११५ १०१ ११३७५,३७६ ७१४२ १४।३५ १२६०-६६ ७१६२ १४१३३ १।१०४ वृत्ति; ओ०सू० २६; राय० सू०६८६ ३१२५ महज्जुईए जाव कहि ३११८ Page #1148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महतिमहालया जाव अपइट्ठाणे महयाअष्पत्तियं जाव प्रहारेइ महया जाव नो महया जाव भुजमाणे मान जाव दिव्वाई महानिज्जरे जाव निज्जराए महारष्णो जाव चिट्ठति महावीरं जाव एवं महावीरं जाव नममित्ता महावीरस्म जाव निम्म महावीरस्स जाव पवइत्तए महावीरे जाव पज्जुवास इ महावीरे जाव बहिया महावीरे बहिया जाव विहरइ महिढिए जाव मणुस्साउयं महिदिए जाव महेस खे महिडिए जाव महाणुभागेसु महिड्डीए जाव बिसरीरेसु महिड्डी जाव महाणुभागे महिड्डीया जाव महाणुभागा माइताए जाव उववन्न पुव्वा हंता गो जाव अनंतसुतो मासा जाव कालं मिच्छदिट्टी जाव रायगिहे मित्त जाव परियणं मुंडे जाव पव्वयामि मुच्छिए जाव अभोववन्ने मुणिवयं जाव एवं मुनिसुव्वयस्स जाव तिसम्म मुणिव्वयस जाव पव्त्रयह य जहा नेरइयाणं य जाव णाणुपुवी जाव ३७ १३.४३ ७१२३ १६।५२ १०1६६ १४ । ७४ ६।४ ३।२६२ २।११०:१६६४; १८/३६ २।६१,१८१६० १८११४६ ६१७८ २६६ १५/१३३,२०३ १८११६२ ११३३६ १६/६४ २१८० १२।१५८ ३१४ ३।५ १२/१४६ १५।१५२ ३/२२५ ३०३३ १६७० १४/८२, ८३ १८।४४ १८/४४ १८६४७ १।११० १२६६ ११३१३ १३।१२ ७२२ ६४ ३४ ३१४ ६/४ ३।२५२ २।५७ २५७ २५२ ६।१६७ १११० ७।२२१ ७।२२१ १।३३६ १/३३६ ३/४ १२।१५४ ३।४ ३/४ १२१४५ १५।११४ ३।२२२ ३।३३ ६११६७ ७/२२ १६७० १६।७० १८४६ १११०८ १२६० १/३१३ Page #1149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ २०३० राय सू०७६० १११८५ १३।११० १११५६ ११२११ २१७१ ५२६२ ७११६६ १३.१११ १५।१७४ १५११७२,१७५ ३१३४ का२६२ २।७५ राय०सू१० ७।१७७ ७११७४ १३।१०२ १५३१७१ २।३० २०३० ८:२६१ ७२१४ २२११० य जाब भविस्सइ रट्रे य जाव जणवए रयण जाव संत० रयणप्पभा जाव तमतमा रयणप्पभापुढविनेरइयाउयं वा जाब अहेसत्तमा० रयणाणं जाव रिट्ठाण रह जाव संपरिबुडे रह जाव सण्णाति राईसर जाव कारेमाणे राईसर जाव वदिहिति राईसर जाव सत्यवाह रायं वा जाव सत्थवाहं रायगिह जाव असंपत्ते रायगिहाओ जाव अतुरियमचवलमसभंतं जाव रियं लद्धे जाव गंगदत्तेण देवेणं सा दिवा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए लभिहिति जाव अविराहियसामण्णे लभिहिति जाव विराहियसामण्णे लावियं जाव पसत्य लुक्खे जाव धमणि लोए जाव केण लोए जाव दीवा लोए जाव भइयव्वाई लोगस्स लोहकडाह जाव किढिण लोह जाव घडावेत्ता वंदति जाव पडिगए वंदित्ता जाव पडिगए वंदिय जाव भविस्सइ वंदिय जाव लाउल्लोइय० वज्जं जहा सक्कस्स तहेव नवरं विसेसाहियं कायव्व १६१६५ १५।१८६ १५॥१८६ १३४१७ ३१३५ २०२८ १११७२ २५०२१ ११।१०६ १११८५,८७ १११५६ १८११२१ रायसू०६६७ १५११८६ १५।१८६ ११४१७ २१६४ २।२६ ११७२ २०२१ ११६१०५ १११७२ १११५६ ११।१८१ ११११८१ १४११०१ १४११०१ १८.१४६ १४।१०५ १४११०३ ३।१२२ ३११२० Page #1150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७।३० १७५ १७.३० ९१६९ १६।३४ १२।१२८ ११।१०८ १४१५० ११३७४ ८।३५,३८,६४ ८।३१,३४ ८.४१३ २१८ १३२८७ १४१३ ११११३३ २१४५ २११२५ ११३५७ ८।१७ ८.१७ ८.४१३ २८ १३८६ वट्टमाणस्स जाव जीवाया वढियकुलवंस जाव पव्वइहिसि वण्णओ जाव निउणसिप्पोवगया, नवरं चम्मेट्र-दुहण-मुट्रिय-समाहयनिचियगतकाया न भण्णाति, सेसं तं चेव जाव निउण. वण्णओ महब्बले कुमारे जाव सयणो० वण्णपज्जवा जाव गस्यलयपज्जवा वण्णपज्जवेहिं जाव फास० वाई जाव उदिण्णाई वाइय जाव देव० वाइय जाव परिणया ०वाइय जाव बंधे वाउयाए णं जाव नीससंति वा जाब ओगाढा वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलीपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए? गोयमा ! सोच्चाणं केवलिस्स वा जाव अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म वा जाव तेउलेसे वा जाव मोक्खो वा जाब विष्णवेत्तए वारि जाव विणिम्मुयमाणी वालुय जाव उव्वट्टिता वासुदेवमायरो जाव वक्कम० वि एवं चेव, नवरं समयखेतप्पमाणमेस बोंदि विमेणं विसपरिगयं, सेसं तं चव जाव करिसंति विविक्रणमाणस्स जाव भंडे विच्छिण्णे जाव उप्पि विजए जाव सव्वटसिद्ध० विजयअणुत्त रोववातिय जाव परिणया वि जाव अहियासियं विज़ाद नो ६।५२,५३ ११।१२ १११८६,१६० ६।१७६ २१३ १२१८६ १६८९ ३९,१० ११०१२ १११८६ है।१७७ ना०१।११४८ १५१८६ १६.५६ ८६१ ५।१३० ७३ ६।१२१ ८.१७ १५१८२ ११३४,३५ ८.८८ ५११२६ ५२५५ ५।२२२ ८.१७ १५।१८२ ११३३ Page #1151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१३६ १०२५६ ३३१६६ ठा० ८।१३ ११२५६ २।६४ १७११६ १७.१६ पा२७३ ६२४२ २१४६ ११३१५३ वि जाव लुक्ख० वि जाव हव्व० वितिकिण्णं जाव एस विपुलेणं जाव उदग्गेणं विरत जाव पावकम्मे विरत जाव धम्माधम्मे विरय जाव एगंतबाला विरसजीवी जाव तुच्छजीवो विसंजोएइ जाव वीईवयाइ वीइक्कते जाव संपत्ते वीतिक्कते जाव बारसमे वीही जाव जवजवाण वुच्चइ जाव अणंतर वुच्चइ जाव अभक्खेया वुच्चइ जाव आहारति वुच्चइ जाव उववज्जति वुच्चइ जाव कज्ज इ वुच्चइ जाव कति वुच्चइ जाव नो वुच्चइ जाव नो बुच्चइ जाव नोइसि वुच्चइ जाव पासंति वुच्चइ जाव पोग्गले वुच्चइ जाव भविए वुच्चइ जाव साहू वुच्चइ जाव सिय दुच्चइ जाव सिय बुच्चइ जाव से दुच्चइ जाव सोगे वुच्चइ जाव हव्व० बुच्चइ जाव हव्वमागच्छति 0वें उब्विय जाव बंधे वेदणे जाव पसत्थनिज्जराए वेयति जाव तं १७१२१ १७११६ ८।२७४ ६।२४२ २०४६ १५।१६६ १५॥१८ २१११० १४१५ १८।२१४ १४७३ ६।१२६ ७।१६४ १६।४२ ३३१६१ १४।३० ६२५० १४१७६ २१११ १४१४ १८।२१४ १४।७२ ६।१२५ १६.४१ ३२१६० १८।२२० १२॥५६ ७।२८ ७१५६ १४१३० ६/२४६ १४१७८ ८.५०२ १५२१६ १२.५५ ७.२८ ७१५६ ११३७० १६१२८ २८७ २५.१७ ८।३८८ १६।२४ २१८८ २०१८ ८.३८६ ६४ ५।१५० १७१३७ ३।१४३ Page #1152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१२८ वेमाणिया जाव उववज्जति वेरमणं जाव थूलाओ वेरमणं जाव सध्वाओ स इत्तए वा जाव तुयट्टित्तए सउटाणे जाव उवदंसेतीति सउटाणे जाव वत्तव्वं संगयगय जाव रूव ६.१३२ ७१३२ ७/३१ ७१२१८ २११३६ २११३७ ६।१६५ संगिण्हणति जाव वेंपावडियं संसारपुच्छा सकोरेंट जाव धरिजमाणेणं सकोरेंटमल्ल जाव धरिज्ज० सकरप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता सच्चे जाव असच्चामोसे सण्णाति वा जाव वईति सण्णिचिदिय जाव असंखेज्ज० सत्तविहा जाव अधम्मत्थिा सत्थ जाव किच्चा सत्थपरिणामियस्स जाव पाण० सत्यवझे जाव किच्चा सद्दब्क्याए जाव आउय सव्वयाए जाव लद्धि सद्दा जाव फासा सद्धि जाव विहरित्तए सभितरबाहिरिए जाव रयणवासे सभंड जाव साहिए समएणं जाव अंतेवासी समढे जाव चिट्ठित्तए समणं जाव एवं समण वा जाव पडिलाभे समणघायए जाव छउमत्थे समस्स जाव पव्वइत्तए समयं जाव अंतं हंता सिज्झिम जाव अंतं एते तिग्णि आलवगा भाणियब्वा । ५॥८२ १११०५ ६।१६५ ७।१६६ १५।१८६ १३११२७ १६।१४ २४१३१६ ११११०२ १५१८६ ७/२५ १२१८६ ८.३०८,४१४ ८.४०७ १४।८७ २१८ १५॥१६६ १५६६ ३३१३४ १७:३५ ५२२०८ ७६ १५।१४१ ६।१७० ११३८५ ७।२१८ २११३६ २।१३६ ओ०सू०५१ का वाचनान्तर पृ० १४६ ५.८१ १५१०४ ६१६२ ७.१७६ १५१८६ १३११२५ १६४१३ २४११४५ २११३६ १।१८६ ७१२५ १५॥१८६ ८.३६६ ८।३६६ ठा००५ ६२१६ १५।१६८ १५/१५ १।२८८ १७३३,३४ २१७१ ७८ १५।१४१ &१६७ Page #1153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श२०५-२०७ ११४०६,४०७ श२०१-२०३ ११३६२ ।१६० ३३३६ ११३५७ ३१४० छउमत्थस्स जहा नवरं सिज्झिम सिझति सिज्झिस्संति समया कम्माणि य चउत्थपदेण समणा जाव पच्चप्पिणंति समाणे जाव तुसिणीए समाणे जाव दुहियाए समारंभति जाव तसकार्य समितं जाव अंते समितं जाव नो समितं जाव परिणम समोसढे जाव परिसा सयंभूरमणसमुद्दे जाव हंता सरित्तयं जाव सद्दावेंति सरिसया जाव सरिसभंड० सरीर जाव पयोग सव्वभओ जाव करेमाणे सव्वं तं चैव जाव सुहमत्थि सव्वति जाव वत्तव्वं सव्वजीवाणं एवं चेव सव्वद्दीव जाव परिक्खेवेणं सव्वसत्तेहिं जाव सिय सब्बिड्ढोए जाव रवेणं सस्सिरीए जाव पडिरूदे सहियं जाव अहियासियं सहिस्सं जाव अहियासिस्सं सागरं जाव पडिबुद्धे सावज्ज वि जाव अणवज्जं सामणियसाहस्सीओ जाव कहि सामाणियसाहस्सीणं जाव चउण्हं सासयं जाव करिस्संति साहणणा जाब मक्खाया साहाणंति जाव पुच्छा सिंगारागारचारुवेसाए जाव कलियाए सिंगारागार चारवेसा जाद कलिया १२३५७ ५२१८३ ३११४५ ३११४६ ३।१४४,१४५ ११११६० १२८१ २०० ७१२२६ ८४२४ १५०५३ १५११० ११२६८ १२।१५० ११११०६ ७१२८ ६११८२ २१११३ १५११८२ १५१८२ १६।९१ १६६३६ ३११४३ ३।१४३ ३।१४३ ६७७ १११७८ ६।१६९ ७।१६८ ८४२० १५१५३ १५॥१०३ १२६८ १२।१४६ ६१७५ ७२७ ओ० सू०६७ २।११३ १५२१८२ १५।१८२ १६।६१ १६६३६ उवा०२।४० उवा०२१४० १।२०१ १०८१ १२०६६ ६१६५ १६५ ३।१६ ११२०८ १२८१ १२२७१ १२।१२८ १११११२ Page #1154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिगारागार जाव कलिया सिंघा जाय प सिंघाडग जाव बहुजणो सिपाडा जाब समुदा सिज्झइ जाव अंत सिज्यंता जाव अंत सिम्भंति जावतं करिस्संति सिहित जाव अंत ०सिद्ध जाव पयोगबंधे सिद्धा जाव सव्व० सिया जान अण्णमणपडताए सिरिवच्छ जावदपणा सुक्किल जाव पडिबुद्धे सुचिणाणं जाव कडाणं सुनेर जाव नियमा सुहकामगस्स जाव हिय सेट्ठियस्स जाव अपच्चक्खाण० संवेज्जा जान करेजा सेस इसि भद्द पुत्तस्स जाव अंत सेसं जहा अबीए नवरं रूपगसंठिया से जहा असुरकुमाराणं जाव अनंतसुतो नो चैव ण देवित्ताए सेसं जहा आलभिवाए जाव पगिया से सं जहा खचराणं जाव किच्चा सेसं जहा छ उमरथस्स सेसं जहा नेरइयस्स सेसं से जहा 'पढमं जाव पज्जुवासंति सेसं जहा महासि कंटए, नवरं भूयाणंदे हत्यिराया जाव रहमुसलं संगाम ओयाए । पुरओ य से सक्के देविदे देवराया एवं तहेब जाव चिट्ठ से जहा सव्वाणुभूतिस्स जाव अंत सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव अंत ४३ ९।११६-११८ २२३०११११८३,१८८१५३७, २७,११५,१३१,१४१, १४२ १५२७६ ११/८३ ११४६,४७, ४१९:७१३; १४:३६ १४ / ८५ १२०८ ३।५३,७५,५५०९।२४४; ११।१८३ ८३६७ ५/२५७ ५१५८ १२०४ १६६१ ३/३३ ५/६४ १५०६३ १२४३४ २४।४१ १२१२७, २८ १३।५४ १२/१४२ १२।२६ १५.१५६ ७१४८ ७१७३ १२।१६ ७११८३-१८६ १५।१६५ १४ १०४ ६११६५ ओ०सू० ५२ ११।८३ ११।७२ ११४४ १।४४ १।२०१ २/७३ ८३८७ १४४३३ ५।५७ ओ०सू०६४ १६६१ ३।३३ प०११ १५०६३ १।४३४ २४/२७ ११:१५२.१०३ १३५३ १२।१३६ ११।१८१ १५।१८६ ७ १४६ ७६८ १२।२:११।१७८ ७१७४-१७७ १५।१६४ १४।१०२ Page #1155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेसं तं चैव सेसं तं चैव सेमं तं चैव जान सेमं तं चैव जाय करिस्मंति सेमं तं चैव जाव परिद्वावयवा सेसं तं चैव जाव वत्तव्यं सेसं तं चैव नवरं सेसं लं चेन सव्य० सोइंदिए जाव फार्सिदिए सोइंदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए सोयणयाए जाव परियावणयाए सोहम्मकम्प उड्डलोग खेतलोए जाव अच्चुय० सोहम्मरुप्पो जाव कम्मासीविसे हता जाव भवइ हदू जाव हियए हट्ट जाव हिवया हटुट्ट हट्ट जाव धाराहयनीव जाव कुवे जब सहायति हट्टतुटु जाव हियए हट्ट जाय पिया तुट्ठे जाव हियए हत्थं वा जाब ऊरु हत्यं वा जाव ओगाहिता हृत्थं वा जाव चिट्ठति हत्यं वा जान चिट्ठित्तए हत्थं वा जाव पसारेत ए हरिवेशलिय जान परिबुद्धे हालाहलाए जाब पासिता हिकामए जान हिय हिरण्णं वा जाव परिभाएउं होलेला जान आकट हे ऊहि य जाव कोरमाणं कहि य जाव वागरणं ૪૪ १४/२० १८ १०६ १४।१०६ 디 २४६ १२।१६१ १११६८ ६१५५ १६।१८ १।२४७३।१११ ७। ११४; १२।५४ ११११४ ८६५ ३।१४७ ६ १३६,१६४ ५।८७६।१४०,१४२ १५।२५ ११.१४६ ५।११० ५।१११ ५।१११ १६।११९ १६।६१ १५।६७ १५/६५ ११:१६० ३२४५ १५.११९ १५.११७ १४ १८ १८/१०८ १४/१०२ २२६७ २०४२ रा०सू०६६० २२६८६ ११।१३४ १५ १३८, १२३३११३८ २२४३ ३।११०५ । ८४; ११/१३३ २१४३ २५२ २१४३ १६१४६ १६।४९ ५।११० ५।११० ५.११० १६।११० १६।११ १५२८३ दाद ६२४५ १२।१५६ ११/६४ २१५१ २१७७ २१७७ ७।११४ अ०सू०१८ ८६५ ३।१४७ २०४३ २०४३ २०४३ ११/१३४ १५४६२ ११.१५६ ३४५ १५।११६ १५।११६ Page #1156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट-२ पूरकपाठ ('नेरइया जाव वेमाणिया' तथा 'नेरइया जाव सिद्धा' का पूरक पाठ) १. नेरइय २. असुरकुमार ३. नागकुमार ४. सुवण्णकुमार ५. विज्जुकुमार ६. अग्मिकुमार ७. दीवकुमार ८. उदहिकुमार ६. दिसाकुमार १०. वायुकुमार ११. थणियकुमार १२. पुढबिकाइय १३. आउकाइय १४. तेउकाइय १५. बाउकाइय १६. वणस्सइकाइय १७. बेइंदिय १८. तेइंदिय १६. चउरिदिय २०. पंचिंदिय २१. मणुस्स २२. वाणमंतर २३. जोइसिय २४. वेमाणिय २५. सिद्ध Page #1157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठ ११ २० २१ २३ ४० ४० ४६ ३१ ४८ ५१ ७७ ८६ १३ १०३ १०३ १०४ ११७ १२८ १३७ १४४ १४७ १४७ १४७ १५१ १५७ १६२ १७४ १७७ १८४ १८५ १६१ १६१ २०६ Ex 2 2 w पंक्ति ६ ५ ह २८ १७ २१ १० २८ ५ ११ १४ २४ ५ २१ २३ ११ १३ १५ ५ १८ २० १ ३ अशुद्ध ० भय परिणामेति ८ ६ मस्साण नेरइइ o • वउत्ताय बद्रुमाण पुट्ट वेदेति जाणू ● द्विति दुक्तवा बलय तोरेइ ० ० • सुद्दिट्ठ ● बाहि विजलस्थ धण्मत्थि • जारिसिया दिच्चा जंबूदी जाव गतित्तए उड्डावाया पलिअ • जोयसणसय हरसाई ० शनि-पत्र मूलपाठ शुद्ध भया ० परिणार्मेसि ० 0 उड्ढजाणू मणुस्सा नेरइए २४७ वडते य ४३७ बट्टमाण ५०३ पुट्ठे ५२३ ५२ ० • मुहिंदु • वासेहि विउलस्स पृष्ठ ५७६ ● द्विती ७६० दुक्खा 0 ० २६१ ७७६ वलय ७८७ तोरे ८२१ १२० धम्मत्थि तारिसिया ३४० • जोयणराव सहस्साई to w w w ठिच्चा जंबूदीबे जाव ४ ६८ नं० ४, ५, ६ नं० ५,६,७ जाव असुररण्णो ११२ १०० १०३ जाव ७ असुरणो सहरा सहत्य ११२ ० पृष्ठ १६ २६ ३६ गमितए १४४ उड्ढवाया पलिओ १६० १८६ २०० - वग्गणायण वि तथा तया ४८५ 'समुहस्स ° समुद्दस्स ५१६ २२,२४,२५ नं० ६,७,८ नं० ७,८,९ ८६५ पंक्ति अशुद्ध 契 १४ १८ १० ३ १७ १६ १८ २५ १३ १४ १२ पंक्ति २ ५ १० ११ ८६ ६.३ २ ६ १२ १ २०० ४ - वग्गणाठाण २१० ६१-६ २ ३ १ ४ १०१ ३ atitart अणिट्ठस्सरा अणिट्ठस्सरा' तस्स भगणाए यह पक्ति १६३ सूप के अंत में है अणादीय अणादिय माइणे अज्भस्थिए अणु द्वय सया -- o उवज्ज्जेति ० गम्ममण माया राष्ट्रव संजय महिंदाण सेलोसि पाठान्तर अशुद्ध परिस्थणो अण ० अंते ● भोति (७१३) गणरसा अहियंजिय युक्ता तक्ता नयो ● योवनयो चउध्वीसाए चवीसाए १२ एतदवर्णन सन्निभि एतद्वर्णनं सन्निभ तितिय शुद्ध दीणस्सरा टितिय व्मायु हरिणेगमेसि वचनायोः १-१० प्रमो परिबुद्ध ० पठ माहणे अज्झत्थिए अणुद्धय ● रायाउववज्अंति 'गम्ममाण ० मगा सम्बद्ध संजम -माहिंदाण सेलेसि शुद्ध परित्वर्ण अणु तं ● भोती (७७१३) मणुस्सा अहिजिय ● मायु गमेसि चिनयो: ६, १-६ प्रथमो ● परिबुद्धा पृष्ठ ० Page #1158 -------------------------------------------------------------------------- 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