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________________ ७१६ भगवई सरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमवाउसरीराणं' जावइया सरीरा से एगे सुहुमतेउसरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमतेउकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहमे पाउसरीरे, असंखज्जाणं सहमनाउक्काइयसरीराण जावइया सरीरा से एगे सहमे पढविसरीरे, असंखेज्जाणं सहमपविकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे बादरवाउसरीरे, असंखेज्जाणं बादरवाउक्काइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरतेउसरीरे, असंखेज्जाणं बादरतेउकाइयाण जावइया सरीरा से एगे बादराउसरीरे, असंखेज्जाणं बादराउकाइयाण जावइया सरीरा से एगे बादरपुढवि सरीरे । एमहालए णं गोयमा ! पढविसरीरे पण्णत्ते ।।। पुढविकाइयस्स सरीरोगाहणा-पदं ३४. पुढविकाइयस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहानामए रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स वण्णगपेसिया तरुणी वलवं जगवं जूवाणी अप्पायंका “थिरग्गहत्था दढपाणि-पाय-पास-पिटुंतरोरुपरिणता तलजमलजुयल-परिघनिभबाहू उरस्सवलसमण्णागया लंधण-पवणजइण-वायाम-समत्था छेया दक्खा पत्तदा कसला मेहावी नि उणा निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिक्खेणं वइरामएणं वट्टावरएणं एग महं पुढविकाइयं जतुगोलासमाणं गहाय पडिसाहरिय-पडिसाहरिय पडिसंखिविय-पडिसंखिविय जाव इणामेवत्ति कटु तिसत्तक्खुत्तो प्रोप्पीसेज्जा, तत्थ णं गोयमा ! अत्थेगतिया पुढविक्काइया प्रालिद्धा अत्थेगतिया पुढविक्काइया नो आलिद्धा, अत्थेगतिया संघट्टिया अत्थेगतिया नो संघट्टिया, अत्यंगतिया परियाविया अत्थेगतिया नो परियाविया, अत्थेगतिया उद्दविया अत्थेगतिया नो उद्दविया, अत्थेगतिया पिट्ठा अत्थेगतिया नो पिट्ठा, पुढविकाइयस्स णं गोयमा ! एमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ॥ पुढविकाइयस्स वेदणा-पदं ३५. पुढविकाइए णं भंते ! अक्कते समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणब्भवमाणे विहरइ? गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे तरुणे बलवं ''जुग जुवाणे अप्पातंके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय-पास-पिटुंतरोपरिणते तलज मलजुयल-परिघनिभबाहू चम्मेदृग-दुहण-मुट्ठिय-समाहत-विचितगत्तकाए उरस्सबलसमण्णागए लंघण-पवण-जइण-वायाम-समत्थे छेए दक्खे पत्तट्टे कुसले मेहावी निउणे १. सुहमथाउकाइयारणं ति क्वचित्पाठः (ब)। २. सं० पा०-वण्णमो जाव निउणसिप्पोवगया, नवरं-चम्मेद्र-दहण-मुट्रियसमाहरणिचिय- गत्तकाया न भण्णति, सेसं त चेव जाव निउण° । ३. सं० पा०-बलवं जाव निउ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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