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भगवई
२५८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाइं इमाइं समुप्पज्जति, तं जहा
डिंबा इवा, डमरा इ वा, कलहा इ वा, बोला इ वा, खारा इ वा, महाजुद्धा इ वा, महासंगामा इ वा, महासस्थनिवडणा इ वा, महापुरिसनिवडणा' इ वा, महारुहिरनिवडणा इ वा, दुब्भूया इ वा, कुलरोगा इ वा, गामरोगा इवा, मंडलरोगा इ वा, नगररोगा इ वा, सीसवेयणा इवा, अच्छिवेयणा इ वा कण्णवेयणा इ वा, नहवेयणा इ वा, दंतवेयणा इ वा, इंदग्गहा इ वा, खंदग्गहा इ वा, कुमारग्गहा इ वा, जक्खग्गहा इवा, भूयग्गहा' इ वा, एगाहिया इ वा, वेहिया इ वा, तेहिया इ वा, चाउत्थया' इ वा, उव्वेयगा इ वा, कासा इ वा, 'सासाइवा, सोसा" इ वा, जरा इ वा, दाहा इ वा, कच्छकोहा इवा, अजीरगा इ वा, पंडुरोगा इ वा, अरिसा इ बा, भगंदला' इ वा, हिययसूला इ वा, मत्थयसूला इ वा, जोणिसूला इ वा, पाससूला इवा, कुच्छिसूला इ वा, गाममारी इ वा, नगरमारी इ वा, खेडमारी इ वा, कव्वडमारी इ वा, दोणमुहमारी इ वा, मडंबमारी इ वा, पट्टणमारी इ वा, प्रासममारी इ वा, संवाहमारी इ वा, सण्णिवेसमारी इवा, पाणक्खया, जणवखया, धणक्खया, कुलक्खया, 'वसणभूया मणारिया जे यावणे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया
अविण्णाया, तेसि वा जमकाइयाणं देवाणं ।। २५९. सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चा
अभिण्णाया' होत्था, तं जहासंगहणी-गाहा
अंबे अंबरिसे चेव, सामे सबले त्ति यावरे । रुद्दोवरुद्दे काले य, महाकाले त्ति यावरे ॥१॥ 'असिपत्ते धणू कुंभे", वालुए" वेतरणी त्ति य । खरस्सरे महाघोसे, एते" पण्ण रसाहिया ॥२॥
१. एवं महापुरिस (ग्र, क, ता, ब, म. स)। ८. जे या वि अन्ने (ब, म)। २. भूमगहा (ता)।
६. अहाभिण्णाया (क, ता)। ३. चतुत्थया (ता, म)।
१०. असी य असिपत्ते कुंभे (क, वृ); असिपत्त ४. खासा इ वा सासा (अ)।
___धणू कुंभे (वृपा)। ५. अरसा (अ); हरिसा ब, म)।
११. वालू (अ, ता, ब, म, स)। ६. भगंदरा (ता)।
१२. वेदरणी (ब, म)। ७. ० भूयमणारिया (अ, क. ता); भूतामणा. १३. एमए (क, ब, वृ)।
रिया (ब)।
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