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________________ ५५४ भगवई ७५. सिया खंधा भवंति। छहा कज्जमाणे एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयनो दूपएसिए खंधे भवई। सत्तहा कज्जमाणे सत्त परमाणपोग्गला भवंति ।। अटू भंते ! परमाणुपोग्गला 'एगयनो साहण्णंति, साहणिता कि भवइ ? ' गोयमा ! अट्ठपएसिए खधे भवइ । • से भिज्जमाणे दुहा वि जाव अट्ठहा वि कज्जइ° दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो दुपए सिए खंधे, एगयनो छप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा दो चउप्पएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला भवंति, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुप्पएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयनो चउप्पएसिए खधे भवइ ; अहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयनो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो दोण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो दुपएसिया खंधा, ए गयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो चउप्पए सिए खंधे भवई; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । छहा कज्जमाणे एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयग्नो दुपएसिए खंधे भवइ । अट्टहा कज्जमाणे अट्ठ परमाणुपोग्गला भवति । नव भंते ! परमाणुपोग्गला "एगयो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? ० गोयमा ! 'नवपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाब नवहा वि कज्जइ ..- दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयनो अट्ठपएसिए खंधे १. सं० पा०-पुच्छा। २. सं० पा०-भवइ जाव दुहा । ३. सं० पा०-~-पुच्छा। ४. सं. पा.--गोयमा जाव नवहा । ५. नवविहा (ता, स)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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