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________________ बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो) ५५३ सिए बंधे भवइ ग्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयश्रो दो दुपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो दुपएसिए खंधे भवइ | पंचहा कज्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति ॥ ७३. छब्भंते ! परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहरणंति, साहणित्ता किं भवइ ? ० गोयमा छप्पएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव छब्बिहा विकज्जइ -- दुहा कज्जमाणे एगयश्री परमाणुपोग्गले, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगो चउपएसिए खंधे भवइ; हवा दो तिपएसिया खंधा भवंति ! तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगो चउपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयत्रो परमाणुपोगले, great दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा तिणि दुपसिया खंधा भवति । चउहा कज्जमाणे एगयत्रो तिणि परमाणुपोग्गला, एगो पिएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया संधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयत्रो चत्तारि परमाणुपोग्ला, एग दुपए सिए खंधे भवइ । छहा कज्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति || ७४. सत्त भंते! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोमा ! सत्तपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव सत्तहा वि कज्जइ- दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ; श्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एग तिपएसिए खंधे, एगयश्रो चउपए सिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एग दो परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयत्रो दुपएसिए खंधे, एगयो चउपए सिए खंधे भवइ ; Jain Education International १. सं० पा० - पुच्छा । हवा एगो परमाणुपोग्गले, एगयग्रो दो तिपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगो दो दुपएसिया खंधा, एगयत्रो तिपएसिए खंधे भवइ । चउहा कज्जमाणे एगयो तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयत्रो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगो दो परमाणुपोग्गला, एगयत्रो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो परमाणुपोगले, एगयो तिष्णि दुपएसिया खंधा भवति । पंचहा कज्जमाणे एगयत्रो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए संधे भवइ; हवा एगयो तिष्णि परमाणुपोग्गला, एगयश्रो दो दुपए २. सं० पा०—पुच्छा । ० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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