SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 530
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३. दसमं सतं (बीओ उद्देसो) ४६६ गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वोयीपंथे ठिच्चा' 'पुरो रूवाइं निज्झायमाणस्स, मग्गो रूवाई अवयक्खमाणस्स, पासपो रूवाइं अवलोएमाणस्स, उड्ढं रूवाइं प्रोलोएमाणस्स, अहे रूवाइं पालोएमाणस्स° तस्स णं नो इरिया वहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ । १२. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ–संवुडस्स णं जाव संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ । अहासुत्तं रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ । से णं उस्सुत्तमेव रीयति । से तेण?णं जाव संपराइया किरिया कज्जइ ।। संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा पुरो रूवाइं निज्झायमाणस्स जाव' तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? -पुच्छा। गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा जाव तस्स णं इरिया वहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ ।। १४. से केणटेणं भते ! एवं वुच्चइ-संवुडस्स णं जाव इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ? "गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ। अहासुत्तं रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ ।से णं अहासुत्तमेव रीयति ! से तेणटेणं जाव नो संपराइया किरिया कज्जइ । जोणी-पदं १५. कतिविहा णं भंते ! जोणी पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा जोणी पण्णत्ता, तं जहा-सीया, उसिणा, सीतोसिणा। एवं जोणीपदं निरवसेसं भाणियन्वं ॥ वेदणा-पदं १६. कतिविहा णं भंते ! वेयणा पण्णत्ता? १. सं० पा०--ठिच्चा जाब तस्स । २. सं० पा०–एवं जहा सत्तमसए पढमउद्देसए जाव से। ३. भ० १०११। ४. सं० पा०-जहा सत्तमसए सत्तमुद्देसए जाव से।। ५. प०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy