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________________ ९६४ भगवई २६. कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावादी पंचिदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं, नो मणुस्साउयं नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी चउव्विहं पि पकरेंति । जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि । तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं-अकिरियावादी, अण्णाणियवादी, वेण इयवादी य नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । एवं पम्हलेस्सा वि । एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियब्बा। कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउन्विहं पि पाउयं पकरेंति। सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मदिट्ठी जहा मणपज्जवनाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेति । मिच्छादिट्टो जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिली ण य एक्कं पि पकरेंति जहेव नेरइया । नाणी जाव प्रोहिनाणी जहा सम्मविट्ठी। अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सेसा जाव अणागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियव्वा । जहा पचिदियतिरिक्खजोणियाण वत्तब्वया भणिया एवं मणुस्साण वि भाणियब्वा, नवरं मणपज्जवनाणी नोसण्णोव उत्ता य जहा सम्मट्ठिी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा । अलेस्सा केवल नाणी अवेदगा अकसायी अजोगी य एएन एग पि ग्राउयं पकरेंति । जहा प्रोहिया जोवा सेसं तहेव । वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा असुरकुमारा ।। ३०. किरियावादी णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धीया ? अभवसिद्धीया ? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ।। ३१. अकिरियावादी णं भंते ! जीवा कि भवसिद्धीया---पच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि।। ३२. सलेस्सा ण भंते ! जीवा किरियावादी कि भवसिद्धीया-पुच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ॥ ३३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावादी किं भवसिद्धीया -पच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि जहा सलेस्सा । एवं जाव सुक्कलेस्सा ।। ३४. अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया–पुच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया तिसु वि समोसरणेसु भयणाए। सुक्कपक्खिया चउसु वि समोस रणेसु भवसिद्धीया, 'नो अभवसिद्धीया । सम्मदिट्टी जहा अलेस्सा । मिच्छादिट्ठी जहा कण्ह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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