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________________ ६६२ भगवई -- १४. कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति - पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियवादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चत्तारि वि आउयाई पकरेंति । एवं नीललेस्सा वि काउलेस्सा वि ।। १५. तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति - पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पिपकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । जइ देवाउयं पकति तहेव ॥ १६. तेउलेस्सा णं भंते! जीवा अकिरियावादी कि नेरइयाउयं - पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाज्यं पकरेंति, मणुस्साउयं पिपकरेंति, तिरिक्खजोणियायं पिपकरेंति, देवाउयं पिपकरेंति । एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । जहा तेउलेस्सा एवं पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सा वि नायव्वा ॥ १७. अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं - पुच्छा गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मस्साज्यं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति ॥ १८. कण्हपक्खिया णं भते ! जीवा अकिरियावादी किं नेरइयाउयं - पुच्छा । गोमा ! नेरइयाउयं पि पकरेंति, एवं चउविहं पि । एवं अण्णाणियवादी वि, desवादी वि । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा || १६. सम्मदिट्ठी णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पुच्छा । गोमा ! नो नेरइयाउयं पकरेति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मस्साज्यं पिपकरेति देवाउयं पिपकरेति । मिच्छादिट्ठो जहा कण्हपक्खिया || २०. सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! जीवा ग्रण्णाणियवादी किं नेरइयाउयं ० ? जहा अलेस्सा | एवं वेणइयवादी वि । नाणी आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य ओहिनाणी य जहा सम्मद्दिट्ठी ॥ २१. मणपज्जवनाणी णं भंते ! - पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोगियाज्यं पकरेति, नो मस्सायं पकरेंति, देवाउयं पकरेंति ॥ २२. जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासि पुच्छा । गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, नो जोइसियदेवाउयं पकरेंति, वैमाणियदेवाउयं पकरेंति । केवलनाणी जहा अलेस्सा | श्रण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया । सण्णासु चउसु वि १. भ० ३०/११ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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