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________________ समं सतं (पढमो उद्देसो) २७५ माणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा तस्स णं भंते ! किं' रियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! नो रियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ॥ २१. से केणट्टेणं ? गोयमा ! जस्स णं कोह- माण - माया लोभा वोच्छिण्णा' भवंति तस्स णं रियावहिया किरिया कज्जइ', जस्स णं कोह- माण- माया लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ । अहासुत्तं रीयमाणस्स रियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ । से णं उस्सुत्तमेव रोयती' । से तेणट्टेणे ॥ इंगाला दिदोस-पाणभोयण-पदं २२. अह् भंते ! सइंगालस्स, सधूमस्स, संजोयणादोसदुटुस्स पाण-भोयणस्स के अपण्णत्ते ? गोयमा ! जेणं निग्गंथे वा निग्गंधी वा फासु- एसणिज्जं प्रसण पाण- खाइमसाइमं पडिग्गाहेता मुच्छिए गिद्धे गढिए प्रज्भोववन्ने ग्रहारमाहारेइ, एस णं गोमा ! सगाले पाण-भोयणे । Jain Education International जेणं निग्थे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण- पाणखाइम साइमं पडिगाता महापत्ति कोहकिलामं करेमाणे श्राहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! धूमे पाण-भो । जेणं निरये वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण- पाण- खाइम - साइमं डिग्गात्ता गुगुप्पायणहेउं प्रण्णदव्वेणं सद्धि संजोएत्ता श्राहारमाहारेइ, एस गोमा ! संजोयणादोसदुट्ठे पाण-भोयणे । एस णं गोयमा ! सइंगालस्स, सधूमस्स, संजोयणादोसदुस्स पाण- भोयणस्स पण्णत्ते ॥ २३. ग्रह भंते ! वीतिंगालस्स, वीयधूमस्स, संजोयणादोसविप्यमुक्कस्स पाण-भोयपण्णत्ते ? स के गोमा ! जेणं निम्थे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण-पाण खाइम १. X ( क, ता, ब ) 1 २. विच्छिण्णा ( ब ) 1 ३. कज्जइ नो संपराइया किरिया कज्जइ (म) | ४. कज्जइ नो इरियावहिया किरिया कज्जइ ( म, स) । ५. रियति ( अ, क, व, म, स) । ६. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेता । ७. गुणप्पयाण ० ( अ, स ) ; गुरगुप्पाणा (ता) ८. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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