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________________ अट्ठारसमं सतं (पंचमो उद्देसो) गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा पण्णता, तं जहावेउब्वियसरीरा य, प्रवेउब्बियस रोरा य । तत्थ णं जे से वे उविवयसरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिकवे । तत्थ णं जे से प्रवेउब्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से गं नो पासादीए जाव नो पडिरूवे ।। १८. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ - तत्थ णं जे से वेउब्वियसरीरे तं चेव जाव नो पडिरूवे ? गोयमा ! से जहानामए ---इह मणुयलोगंसि दुवे पुरिसा भवंति -एगे पुरिसे अलंकियविभूसिए, एगे पुरिसे अणलंकियविभासिए । एएसि णं गोयमा ! दोण्हं पूरिसाणं कयरे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे । जे वा से पुरिसे अलंकियविभूमिए, जे वा से पुरिसे अणलंकियविभसिए ? भगवं! तत्थ णं जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से णं पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे । तत्थ ण जे से पुरिसे अणलं कियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे । से तेणटेणं जाव नो पडिरूवे ॥ ६. दो भंते ! नागकुमारा देवा एगंसि नागकुमारावासंसि ? एवं चेव जाव थणिय कुमारा । वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया एवं चेव ॥ नेरइयादीणं महाकम्मादि-पदं १००. दो भंते ! नेरइया एगंसि नेरइयावासंसि नेर इयत्ताए उववन्ना । तत्थ णं एगे नेरइए महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियतराए चेव, महासवत राए चेव', महावेयणतराए चेव, एगे ने रइए अप्पकम्मतराए चेव', 'अप्पकिरियतराए चेव, अप्पासवतराए चेव , अप्पवेयणताए चेव, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा. --मायिमिच्छदिदिउववन्नगा' य, अमायिसम्मदिट्टिउववन्नगा य । तत्थ णं जे से मायिमिच्छदिदिउववन्नए नेरइए से णं महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव ! तत्थ णं जे से अमायिसम्मदिदिउबबन्नए नेरइए से णं अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव ।। १०१. दो भंते ! असुरकुमारा ०? एवं चेव ! एवं एगिदिय-विगलिंदियवज्जं जाव वेमाणिया । नेरइयादीणं पाउय-पदं १०२. नेरइए णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कयरं आउयं पडिसंवेदेति ? १. सं० पा०-चेव जाव महावेयण । ३. मादिमिच्छ ° (ब)। २. सं० पा०-चेव जाव अप्पबेयण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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