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________________ २५८ भगवई एएणं मुहत्तपमाणेणं तीसमुहुत्ता अहोरत्तो, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उडू, तिण्णि उडू अयणे, दो' अयणा संवच्छरे, 'पंच संवच्छराई'३ जुगे, वीसं जुगाई वाससयं, दस वाससयाइं वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीइं वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वंगे, चउरासीइं पुव्वंगा सयसहस्साइं से एगे पुव्वे, एवं तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे,हुहुयंगे', हूहूए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, अथनिउरंगे, अत्थनिउरे',अउयंगे, अउए', 'नउयंगे, नउए, पउयंगे, पउए चूलियंगे, लिया, सीसपहेलियंगे, सीसपहेलिया । एताव ताव गणिए, एताव ताव गणियस्स विसए, तेण परं प्रोवमिए ।। ओवमिय-काल-पदं १३३. से किं तं प्रोवमिए? अोवमिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--पलिओवमे य, सागरोवमे य॥ १३४. 'से कि तं पलिग्रोवमे ? से कि तं सागरोवमे ?'५० गाहा सत्थेण सुतिक्खेण वि, छेत्तुं भेत्तुं व किर न सका। तं परमाणु सिद्धा, वदंति आदि पमाणाणं ॥१॥ अणताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदय-समिति-समागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्हिया इ वा, साहसहिया इ वा, उड्ढरेणू इ वा, तसरेणू इ वा, रहरेणू इ वा, वालम्गे" इ वा, लिक्खा इवा, जूया इ वा, जवमझे इवा, अंगुले इ वा । अट्ठ उस्साहसण्हियानो सा एगा सहसण्हिया, अट्ठ सण्हसण्हियानो सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूत्रो सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूगो सा एगा रहरेण, अट्ठ रहरेणूमो से एगे देवकुरु-उत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं वालग्गे ; 'एवं हरिवासरम्भग-हेमवय-एरन्नवयाणं, पुव्व विदेहाणं मणुस्साणं अट्ठ वालग्गा सा एगा ---.---..--... १. उदू (ता, व)! (क); पज्जुए य नज्जुए य (ब)। २. बे (ता, ब)। ६. उवमिए (अ, क, ब, म, स) । तुलना-अ० ३. पंचसंवच्छरिए (अ, क, ता, ब, म, स)। ४. अपये (व, स)। १०. से कि त पलिओवमे सागरोवमे २ (अ, स); ५. हूहूय (अ, क, स)। से कि तं पलितोवमे २ (क, ता)। ६. निपूरे (क, ता, ब)। ११. च (अ, क, ब, म, स, वृ)। ७. अतुए (अ, स); अपुए (क); अज्जुए (व)। १२. उद्ध० (अ, क, ता, ब, म)। ८. पदुए २, नउए २ (अ, ता, स); पज्जुए य० १३. बालग्गा (स)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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