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________________ भगवई सत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे श्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एमे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एंगे पंकप्पभाए एवं तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे ग्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, हवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करपभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे श्रसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे प्रसत्तमाए होज्जा' ॥ ६३. छ भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? ४२० —पुच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव ग्रसत्तमाए वा होज्जा । हवा एगे रयणप्पभाए पंच सक्करप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए पंच अहेसत्तमाए होज्जा | ग्रहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा । अहह्वा तिणि रयणप्पभाए तिणि सक्करपभाए । एवं एएणं कमेणं जहा पचण्हं दुयासंजोगो तहा छह वि भाणियव्वो, नवरं एक्को अभहियो संचारेयव्वो जाव ग्रहवा पंच तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । Jain Education International हवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करपभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा, हवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि महेसत्तमाए होज्जा । हवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं तियासंजोगो भणि तहा छण्ह वि भाणियव्वो, १. पञ्चसंयोगजा भङ्गाः २१ । २. द्विसंयोगजा भङ्गाः १०५ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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