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भगवई
से जहानामए केइ गाहावई अगारंसि झियाय माणसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए, तं गहाय आयाए एगंतमंतं अवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ। एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झ वि आया एगे भंडे इ8 कंते पिए मणुष्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए वहमए अणमए भंडकरंडगसमाणे, माणं सीयं, माणं उण्ह, मा णं खहा, माण पिवासा, मा णं चोरा, माणं वाला, माणदंसा. मा णं मसया, मा णं वाइय-पित्तिय-सेंभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसम्मा फुसंतु त्ति कटु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ। तं इच्छामि णं देवाणु प्पिया ! सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं, सयमेव सेहावियं, सयमेव सिक्खावियं, सय मेव अायार-गोयरं विणय-वेणइय-चरणकरण-जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं ।।। तए णं समणे भगवं महावीरे जमालि खत्तियकुमारं पंचहि पुरिससएहि सद्धि सयमेव पवावेइ ° जाव' सामाइयमाझ्याइं एवकारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ-ट्ठट्टम'-'दसम-दुवालसेहि मासद्ध-मासखमणेहि
विचित्तेहि तबोकम्मे हि अप्पणि भावेमाणे विहरइ ।। २१६.
तए णं से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छ इ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइनमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासो-इच्छामि णं भंते ! तुभेहि अभYण्णाए समाणे पंचहि अणगार
सएहि सद्धि बहिया जणवयविहारं विहीरत्तए । २१७. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयमटुं नो आढाइ, नो
परिजाणइ, तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ २१८. तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं दोच्चं पि तच्चं पि एवं
वयासी- इच्छामि णं भंते ! तुम्ह अभणुण्णाए समाणे पंचहि अणगारसएहि
सद्धि' 'बहिया जणवयविहारं विहरित्तए ॥ २१६. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स दोच्चं पि, तच्च पि एयमद्र
नो श्राढाइ', 'नो परिजाणइ°, तुसिणीए संचिट्ठइ । २२०. तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदद नमसइ, वंदित्ता
नमंसित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियानो बहुसालानो चेइयानो
१. भ० २१५३.५७। २. सं० पा०-छट्ठम जाव मासद्ध ।
३. सं० पा०-~-सद्धि जाव विहरित्तए। ४. सं० पा०पाढाइ जाव तुसिणीए।
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