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________________ १८ (क) (ता) (ता) (ब) (ता) ७.१७६ ७।२१३ पा२४८ ८.३१५ ८.३४७ ८४२० ८१४३१ ८१४३१ ६।४३ ६६४ ६।१७४ ६।१६६ ११।१३३ ११।१३४ ११११४२ १६:११३ १७.३८ १८।१०० १२१८५ ३०१२२ कालगं ० जय ० अयमेयारूवे अणुप्पदायब्वे गोयं अणादीय० सातणयाए इस्सरिय० इस्सरिय सकसाई अहिओ (अ); मय० सवणयाए कालतं ० जत ० अतमेतारूवे अणुप्पतातब्वे गोदं अणातीत० सादण ताए दिस्सरिय० तिस्सरिय० सकसादी अहितो अधितो मद० मत समणयाए धूम नीम पदुमसर नितम एतणा मादिमिच्छ० जदिदियाणि सजोती (म) (अ, ता) (क) (ता) (ता) (ब) धूव (ता) (ता, ब) (ता) नीव पउमसर नियम एयणा मायिमिच्छ० जति इंदियाणि सजोगी (ता, ब) प्रति परिचय (अ) भगवती वृत्ति (पंचपाठी) मूलपाठ सहित (हस्तलिखित) यह प्रति गधैया पुस्तकालय, सरदारशहर की है। इसके पत्र १८६ तथा पृष्ठ ३७६ हैं। प्रत्येक पत्र १३१ इंच लम्बा तथा ४१ इंच चौड़ा है। पत्रों में मूलपाठ की १ से २३ तक पंक्तियां हैं । प्रत्येक पंक्ति में ८० से ८५ तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर तथा कलात्मक ढंग से लिखी गई है। बीच में बावड़ी भी है । लिपि-संवत् नहीं लिखा गया है । अनुमानतः यह प्रति १५-१६ वीं शताब्दि की लगती है। (क) भगवती मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति पूनमचन्द बुधमल दुधोड़िया, छापर के संग्रहालय की है। इसके पत्र ३३३ व पृष्ठ ६६६ हैं। प्रत्येक पत्र १०१ इंच लम्बा तथा ४३ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तियां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003561
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Bhagvai Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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