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भगवई
• गोयमा ! एवं बुच्चइ - प्रसुरकुमारा सारंभा सपरिगहा, नो यणारंभा अपरिग्गहा ॥
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१८६. एवं जाव थणियकुमारा । एगिंदिया जहा नेरइया ||
१८७. बेइंदिया णं भंते ! कि सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु यणारंभा अपरिग्गहा ? तं चैव बेइंदिया णं पुढविकार्य समारंभंति जाव तसकार्य समारंभंति, सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिगहिया भवंति, वाहिरा भंड- मत्तोवगरणा परिग्गहिया भवति, 'सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्वाइं परिग्महियाई भवंति " ॥ १८८. एवं जाव' चउरिदिया ||
१८६. पंचिदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! किं सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु प्रणारंभा अपरिग्गहा ?
तं चैव जाव' कम्मा परिग्गहिया भवंति टंका कूडा सेला सिहरी पब्भारा परिगहिया भवंति, जल-थल - बिल-गुह-लेणा परिग्गहिया भवंति, उज्झर-निज्झर चिल्लल-पल्लल' - वप्पणा परिग्गहिया भवंति, प्रगड - तडाग" - दह-नईग्रो वावी
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क्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ विलपतियाश्रो परिग्गहियाओ भवति, आरामुज्जाण" काणणा वणा वणसंडा वणराईश्रो " परिगहिया भवंति देवउल- सभ-पव- धूभ - खाइय- परिखाओ परिग्गहियाश्रो भवंति, पागार अट्टालग - चरिय-दार गोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासाद-घरसरण-लेण प्रवणा परिग्गहिया भवंति, सिंघाडग-तिग- चउक्क- चच्चर-चउम्मुहमहापह पहा परिग्गहिया भवंति, सगड - रह जाण-जुग्ग- गिल्लि - थिल्लि सीयसंदमणिया परिग्गहियाश्रो भवति, लोही-लोहकडाह - कडुच्छया परिगहिया भवंति भवणा परिग्गहिया भवति, देवा देवोश्रो मणुस्सा मणुस्सीम्रो तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणी परिग्गहिया भवंति आसण-सयण-खंभ- भंडसचित्ताचित्त-मीसयाइं दव्वाइं परिग्गहियाइं भवति । से तेणद्वेणं ॥
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१६०. जहा तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्सा वि भाणियव्वा । वाणमंतर - जोइसमणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्वा" |
१. पू० प० २ ।
२. भ० ५।१८२, १८३ ।
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३. ४. ४० ५।१८३ ।
५. बाहिरिया ( अ, क, ब, म, स ) । ६. X (अ) :
७. भ० २।१३८ ।
८. भ० ५।१८३ ।
8. पिल्लव ( ब ) ।
१०. तलाग (क, ता, ब, म) ।
११. ० मुज्जारा (क, ब, स ) 1
१२. वरातीओ ( अ, ता, स) । १३. भ० ५।१८४, १८५ ।
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