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विपय जिनप्रामाद के मंडपों का क्रम जिनप्रामाद में देशनिका क्रम যা কিনা वहार देशिका चौबीम देवकुनिका रथ और मटका शिद शिवलिङ्गले प्राय अन्य देव देव के सम्मुख स्वदेश परस्पर दृष्धि टिव का परिहार शिवस्तामोदक देवों की प्रदक्षिा असमानः पनाला) मगडम स्विन देशों की मानी पूर्व और पश्चिमाभिमुख देव दक्षिणाभिमुखदेव विदिनाभिमुख व गूर्य प्रायलन मोश आयतन विधायनल
चण्डी पावन शिव पञ्चायतन दिवस्थापन अर विदेयों ना नायिकमान
तीसरा अध्याय
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पृष्ठ विषय ३१ सालाद के अक्षय से पीटका उपवमान
१४४ भाग का मंडोवर ( दीवार)
१४४ भाग के मंडोवर का दिग्दर्शन ३६ चार प्रकार की जंघा ३२ मे मंडोबर और उसका चित्र
सामान्य मंडोवर का चित्र मामाहोदर २७ भाग का मंओबर समित्र
मंडीशर की मोटाई २५ शुभाशुभ गर्भगृह ३४ लब चोरम शुभ गर्भगृह ३५ सेभ और मंडोवर का समन्वय ३५ गर्भगृह के उदय का माल और बम ३६ उदुम्बर ( देहली ) की ऊंचाई
६ उदुम्बर की रचना ३७ मा से हीन उदुम्बर और तल
अर्द्ध चन्द्र (जहाव) उत्तरंग
नागरप्रासाद का द्वारमान १८ भूमिजादि प्रासाद का द्वारमान . द्राविड प्रासाद का द्वारमान
अन्यजाति के प्रासादकाद्वारमान
মুৰ গাল্লা ३६ शाखा के प्राय
शाखा में द्वार का नाम और परिचय विशाखा द्वार का चित्र न्यूनाधिक शाखामान পিলার शाखा स्तंभ का निर्गम शासोदर का विस्तार और प्रवेश श्रिपंच सप्ल नव शाखा का विष माया के द्वारपाल बत्र मान
शाखाके रूप ४६ पश्च शाखा
सप्त शाखा
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प्रासाद धारिणी खर्राला खरशिना का मानः भिमान भिट्ट का निर्गम पीठ का उदयमान पीयोदय का परमान शों का निर्गम मान कामदापी और कगापीठ प्रामाद का उदयमान ( मंडोवर)
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