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ॐ गमो जिणा मण्डनसूत्रधारविरचितम् प्रासादमण्डनम्
HAIRARIAARommadpurses.
टीकाकारका मंगलाचरण
"परं परमेष्ठिनं जिनं नत्वा करोम्यहम् ।
प्रासादमण्डनप्रबोधाय भाषां सुबोधिनीम् ॥" ........... जो पंच परमेष्ठी जिनदेव हैं, उनको नमस्कार करके प्रासाद मंडन नाम के शिल्प
शास्त्र को अच्छी तरह समझने के लिये सुबोधिनी नामको टीका करता है। प्रन्थकार का मंगलाचरण---
गणेशाय नमस्तस्मै निर्विघ्न सिद्धिहेतवे ।
आदिगौरीसमुद्भत-तेजसा सम्भूताय' वे ॥१॥ निविघ्न रूप से अपने कार्य की सिद्धि के लिए महामाया पार्वतीदेवी के अद्भुत तेज से उत्पन्न हुए श्री गणेश देव को नमस्कार हैं ।।१।।
महामायेति या गीता चिन्मयी मुनिसत्तमः ।
तनोतु वाग्विलासं मे जिह्वायां सा सरस्वती ॥२॥ महान् ऋषियों ने जिनकी स्तुति की है, ऐसो ज्ञानमयी महामाया सरस्वती देवी मेरी जिह्वा में निवास करके वाणो का विस्तार करें ।।२।।
सृष्ट्यायसूत्रधारस्य प्रसादाद विश्वकर्मणः ।
प्रासादमण्डनं ते सूत्रधारेषु मण्डनः ॥३॥ सृष्टि के प्राद्य सूत्रधार श्री विश्वकर्मा की कृपा से सूत्रधारो में 2 सपण रूप 'मण्डन' नाम का सूत्रधार प्रासादमण्डन नामका यह अन्य कहता है ॥२१॥
गृहेषु यो विधिः प्रोक्तो विनिवेशप्रवेशने ।
स एव विधिना कार्यों देवनायतनेपि ॥४॥ (१) सम्भवाय (२) करोतु (३) विदुषा