Book Title: Prasad Mandan
Author(s): Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 267
________________ नि Sath :......... ( २१८ ) देवतायतन पु. देवों की पंचायत नन्दा स्त्री, प्रथम शिला, वो ईशान प्रथका अग्नि को देवनक्षत्रन, देवारापाले नक्षत्र। में प्रथम स्थापित किया जाता है। देवपुर. देवनगर नन्दिन् पु. महादेव का वाहन, बैल, सोह! देवसुन्दरी स्त्री. चौथी संवरणा। नन्दिनी स्त्री. पंचशाखा वाला द्वार, आपकुम्भका देव, देय वि. संबाई । दूसरी संवरणा। बोला स्त्री. झूला । हिंडोला । मन्दी स्त्री, कोणी, भद्र के पास की छोटी कोनी। दोबारिक पु. वास्तुदेव । नन्दीशपु. केसरी जाती का पांच प्रसाद द्राविड पु. प्रासाद को एक जाति । मर पु. नरवर. पुरुष को प्राकृति वाली पट्टी। द्राविकी पु. अधिक मोवालो प्रासाद की दीवार, नर्तकी स्त्री. नाच करती हुई पुतली। अंधा। नलिका स्त्री. नवी संबरखा। द्वादश सं. बारह की संख्या नवनाभिः पु. यज्ञमंडल विशेष ! द्वार न, दरवाजा नवमङ्गल पु. राज्यादि १६ प्रासाद द्वारपालपु. द्वारका रक्षक, चौकीदार । भष्टच्छन्द पु. जिसकी तलविभक्ति पराबर न हो। : . दिरष्ट सं. सोलह की संख्या। पु. वास्तूदेव साथी। नागकुल पु. मौट्ट पर के देव ! घनद पु. उसर दिशा का अधिपति कुबेर देव । नागर पु. प्रासाद की एक बासि । धनुः म. नववीं राशि, धनुष्य । नागराखी. ऊपर का अर्थ देखो। घरणी स्त्री. गर्भगृह के मध्य होंव में स्थापित नवी नागरी स्त्री. रूपविनाको सादी अंधा। शिला। नागवास्तू पु.न. शेषनाग चक्र, राहमुख । घराघर पु, कपिसी मंडप के देव । नाटय शयु. नटराज। धिष्ाय न.२७की संस्था । नक्षत्र नाभि श्री. मध्यभाग। धूम पु. दूसरा भाप । नाभिच्छन्द पु. दो जाति की मिश्र भाकृति वाली का । धव पु. उत्तर दिशा का एक तारा, तारा । नाभिवेधपु. गवेष। . .. .... ध्वजपु. पहला पाय, ध्वजा। नारायणी स्त्री. माधवीं संकरण। ध्वजा स्त्री. पसाफा, झंडा, पजा।। माल म, नाली, पानी नीकलने का परनाला ध्वजादंड पु. ध्वना रखने का दंड, जिसमें या माली स्त्री, देखो ऊपर का मर्य। लटकाई जाती है। नासकन.कोमा। ध्वजाधार बजादा रखने का फलाना निराधार पु. दिना परिकमावाला प्रकार मय प्रासाद चांक्ष. पाडवो माय, काक। निर्गम पु. बाहर मीकलता हुमा भाग । न निशाकार पु. भामसार का देव, चंद्रमा । नकुलीश पु. अध्वरेता महादेव। . निःस्वन पु. शब्द मगर न. गांव, शहर । नृत्य पु. नृत्यमंडप, रंगमंडप । नेऋत पु. नैऋत्य कोणके अधिपति दिक्पाल । नन्द पु. मेव की संस्था । नन्दन पू. केसरी जाति का तीसरा पौर राज्यादिका दूसरा प्राधाद! पक्षिराज यु.केसरी बाति का ३वां प्रासाद, नन्दशालिक यु. केसरी बाति का चौथा प्रासाद । पञ्चसं, पांच की संख्या ।

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