________________
चूडामरिण पु. सोलहवीं संबर 1
चुन चुना।
छन्दस् न तल विभाग
छाद्य न धज्जा : छिद्र न छेद।
:
छ
ज
जगती स्त्री. प्रसाद की मर्यादेत भूमि, पीटिका, जङ्घा स्त्री, प्रासाद की दीवार का सातवां पर जम्भा स्त्री. वास्तु के निको की देवी जय पु. वास्तुदेव
जया स्त्री. तीसरी शिक्षा का नाम जलदेव पु. कुमा के घर का देव, वरुण । जलाधिप वास्तु का देव
कुम्भपु.] पीठ के नीचे का हर नीकलता हु
गलताकार थर ।
जानु न छूटना।
जाल म. आलीदार खिड़को
जालक न. मकड़ी का जाला जालोदार खिडकी जाह्नवी स्त्री. गंगा, नानी का देव जिन पु. जैनधर्म के देव, चीबोस की संख्या | जी म. पुराणा ।
जीवन्यास न. देवों की प्राणप्रतिष्ठा । जुर्गा स्त्री. धान्यविशेष, जुवार । ज्योतिष्मती स्त्री, मालकांगनी औषधि विशेष ।
ट
टङ्काभ न यशमंडल विशेष |
प्रा० २५
( २१० )
त
तडाग न. तापाव, सरोवर ।
तत्पुरुष पु. प्रासाद की दीवार के रथ का देव ।
तल न. नीचे का तल भाग ।
नपातु विशेष समा तिथि स्त्री, पंद्रह की संख्या
तोरण व दोनों स्तंभों के बीच में वलयाकार प्राकृति तोरण
.त्रिक पु, चौकी मंडप |
दारु न. काष्ट, लकड़ी, कारीगर दारुण वि. भयंकर ।
दिक स्त्री, दिशा, दश की संख्या । दिक्पाल पु. दिशा के अधिपति देव । दिवसाधन पु. दिशा का शान करने की क्रिया दिङ्मुख वि. प्रासाद, गृह माविका टेढ़ापन | दिङ्मूढ J
दिति पु. वास्तुदेव
दिवाकर पु. बारह की संख्या, सूर्य
दिश स्त्री, दश को संख्या, दिशः । दिशिपाल g. बंधा घर के देव । दीर्घ वि. लंबाई ।
तल्प न शय्या पासून
वि. मजबूत |
तबङ्ग न. प्रासाद के पर प्रादि में छोटी साई के दृष्टि स्त्री, पांख, निगाह |
सोरा वाले स्तंभ शुक्त रूप
त्रिदश पु. दे.
त्रिदशा स्त्री. तेरवीं संचरणा । विधा अ. तीन प्रकार.
त्रिपुरुष पु. ब्रह्मा, विष्णु पोर वि त्रिमूत्ति स्त्री. देखो त्रिपुरुष, उत्तरंग के देव । त्रिंशत् . तीसको संख्या ।
tarang. वैराज्यादि नवयां प्रसाद । पु. त्रैलोक्यविजय पु. राज्यादि पंद्रहवां प्रासाद | त्र्यंश न. तृतीयांश, तीजा भाग ।
द दग्धा स्त्री, तिथि विशेष
दण्द पु. ध्वजा लटकाने का दंड |
दन्त पु. बत्तीस की संख्या, दांत, शिवर दर्पण . पायना, रूप देखने का काम । दल न. फालना, दशाक्षा स्त्री. तीसरी सरला 1
देवगांधारी स्त्री, चौदहवीं संचारला ।