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सिंहगाखा स्त्री. मार को नववीं शाखा
स्कस्य पु. शिस्लर के उपर का माग सिंहस्थान न. शुरुमास ।
स्तम्भ पू. श्रभा, स्वंमा, ध्वपादक सिंहा पु. सिंह राशिका सूर्य ।
स्तम्भवेध पु. ध्वाधार, कलाया। सिंहावलोकना स्त्री. प्रासाद को एक जाति । स्तोत्र न. स्तुति । सितशृंग पु. वैराज्यादि १२को प्रासाद ।
स्थ राहल में, प्रतिष्ठ मंडा में पानु परेती) को वेदी सिद्धाश्रम पु. सिद्ध पुलों का निर्धारणस्थान ।
जिसके कार देव को स्नान कराया जाता है। सीसकन, सीसा, पातुविशेष ।
स्थावर म. प्रासाद के पर, शनिबार । सुग्रीव पू वास्तुमंडल का देव ।
स्थूल वि. मोटा। सुनोल न, प्रच्छा मोलम रत्न |
स्नानादक न. स्नान जल, चरथामृत। सुप्रभा स्त्री. दो शाखायामा द्वार का नाम |
स्मरकीति स्वी. एक शाखा आमा द्वार । सुभगा स्त्री. तीन शाखाबाला द्वार ।
स्वयम्भूपू. विना पवित शिवलिन । सुर यु. मसराल घर का देव ।
स्वर्ण न. सोना। मुरवेश्मन्म देवालय, देव मंदिर ।
स्वस्तिक न. वास्तुमंडल विशेष । सुवर्ण म. सोना, धातु विशेष |
स्वाति स्त्री, पतहा नक्षत्र । सुषिर म. छेद, पोलापन । सूत्रधार पु. शिल्ली. मंदिर और मकान आदि बनाने हरि यु. करिएका का देव, विषा वाला कारिगर
हH न. पर मकान । सूत्रारम्भ पु. नींव खोदने के प्रारंभ में प्रथम वास्तुभूमि म्यशाल पु धर के द्वार कार का बलापक
. में कीले ठोककर उसमें सून बांधने का मारम | हस्तपु. तेरहवा नक्षत्र, हाथ। सूयपु. बारह की मिया, बास्तुदेव, द्वारशाखा के क स्तान. एक हाथ की एक अगुज, दो हाथ की सष्ट मो. दाहिनी पौर से गिनना, उत्पत्ति, पृथी ।
यो प्रयुग, इस प्रकार REF मा अरावर सोपान न. सीडी।
अंगुन संख्या। सोम पु. वास्तुमंडल का देव ।
हस्तिनी स्त्री. भात शालावाला वार । सोध पु. राजमहल, हवेली।
पु केसरी जातिका जवप्रासाद । सौभागिनी स्त्री. पाठशे शिला का नाम ।
हिमा स्त्री, १६वौं संवरणा । सौम्य पु.शुभग्रह, बुध ।
हेमकूट पु. केसरी जाति का १५वा प्रासाद । सौम्या स्त्री. उत्तर दिशा।
हेमकूटा स्त्री, एनी संवरणा। स्कन्दा स्त्रो. वास्तुमंडल के कृत्य कोन की देवी।
ह्रस्व वि. छटर, कम होना, न्यून ।