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( २२४ ) शंखिनी स्त्री. शंखावली, औषधि विशेष ।
श्रीवृक्ष पु. केसरी जाति का सातवा प्रासाद सपल न. मोगा ।
श्वान पु. चोथा प्राय । शतार्द्ध सं. पचास की संख्या। शम्भुदिशा स्त्री. ईशाम कोन कायनासन शेषनाग की शय्या ऊपर शयम करने
षद सं. छह की संभया वाला विष्णुदेव ।
षड्दार न, दो दो स्तंभ और उसके अपर एक एक पाट। शस्या हश्री. प्रासाद के 3 भाग के मान को कोलीमंडप ।
षष्टि सं. साठ की संख्या। शाखोदर न. शाखा का पेटा भाग ।
षोडश सं. सोलह की संस्था । शाम पु. प्रथम व्यय । शालञ्जिका स्त्री, मांच करती हुई पाषाण की संबरला स्त्री. अनेक छोटे छोटे कलशों वाला गुम्बद । पुतलीयां।
सकलीकरण न. येव प्रतिभा की विधि विशेष । शाला स्त्री. प्रासाद, गमारा. छोटा कमरा, भद, परशाल सबाट पु. तल विभाग।. समदा ।
सत्य पु. वास्तुमंडल का देव । शाली स्त्री, चावल, मान्य विशेष.
सत्रागार न. यशसाला । शिखर न. शिवलिंग के धाकार बाला गुम्बद ।
सदाशिव कलशका देव, महादेव । शिरन. शिखर शिरावटी, प्रासमुख, एक संख्या वाचक। सद्य पु. कोना का देव । शिरपत्रिका स्त्री, ग्रास के मुखवाली पट्टी, दासा।
सन्धि स्त्री, सांथ, जोड। शिरावटी स्त्री. भरणी के कार का पर।
सध्या स्त्री भद्रयर का येव । शिला स्त्री. नींव में प्रथमवार रखी जाती पाषाण शिला। सप्त सं. सात की संख्या 1 शिव पु ईशान कोन. महादेव ।
सप्तविंशति सं. ससावीस की संख्या । शिर्ष न. भरणी के ऊपर का थरशिराबटी।
सभामार्ग पु. तीन प्रकार की प्राकृति वाली छत । शुकदास ने, प्रासाद को नासिका।
सभ्रमा स्त्री प्रसार के माम के मान का फोली मएकप शुक्र . छा ग्रह, यश्नाचार्य।
समुद्भवा स्त्री. बारहवीं संवरणा। शुक्ला स्त्री, नौत्र में प्रथम रखी जाती सातबी शिला। समोसरणन, तीन प्राकारणाली दी। शुष्टिकाकृति स्त्री. हाथी।
सरस्वती स्त्री. मंपिका घर का देवता । शुद्धसद्धाट म, बद का समतल चंदोषा, खत
सर्वतोभद्रपु. केसरी जाति का दूसरा प्रासाद । शृजन. शिखर, छोटे छोटे शिखर के प्राकार पाले सद्धितिलक प. वैराज्यादि प्रासाद। अंडक.
सर्वाङ्गसुन्दर पु. वैराज्यादि २१ का प्रासाद । शेष पु. वारसुमंडल का देव ।
सवित पु. वास्तुमंडल का बेग, सूर्य । शलज पु. पाधारण का बना झुप्रा ।
सहदेवी स्त्री. औषधि विशेष । शैलराज पु. मेह पर्वत ।
सान्धार पु. परिक्रमावाले नागर जाति के प्रासाद। श्रवण न, २२वा नक्षत्र,
सान्धारा स्त्री. प्रासाद की जाति । श्रियानन्द पु. धौथा व्यय ।
सारदारू पु. श्रेष्ठ काष्ठ, श्रीनन्दन पु. राज्यादि चौथा प्रसाद ।
सावित्र पु. वास्तुमंडल का देश : श्रोवत्स . छठा व्यय, प्रसाद विशेष, एक ही सादा सावित्री स्त्री भरणी घर का देवता ।
सिंह पु. तीसरी प्राय, वैराग्यादि प्रसाद
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