Book Title: Prasad Mandan
Author(s): Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 271
________________ योगिनी शे पोसठ देवी, योनि स्त्री. मंडल विशेष । सूक्ष्य मंडप रजत न, चांदी, धातु विशेष रत्नकूट पु. केसरी जाति का सोलहव प्रासाद । रत्नगर्भा स्त्री. पंद्रह संबर 1 र रंगभूमिस्त्री गर्भगृह के सामने पांच मोगा मंडप रेखा हवी. लांबा, कोना रोग . वास्तुदेव । रोहिणी स्त्री. घोषा नक्षत्र रौप्य न चांदी का बना हुआ ! रथिका स्त्री. भद्र का गयाथ, पाला । रन प्रवेश द्वार ( २२२ ) रूपकण्ठ पु. गुम्बद के उदय में दरिका के ऊपर का पर ल शीर्ष दिसत J रत्नसम्भवा स्त्री २४वीं संचरण । लक्ष्मीनारायण पु. विष्णुदेव लक्ष्य त. उद्देश्य चिह्न reg. विशेष प्रकार की गाडी, कोने के समीप का दूसरा लतालिंगोद्भव न मंडल विशेष । कोना, फाजता विशेष | लतिन पुं. प्रासाद की एक जाति रथा स्त्री. प्रासाद की जाती विशेष । लतिना स्वी. प्रासाद की एक जाति । रोति स्त्री, पित्तल, धातु विशेष । रुचक पु. समोर संभ रुद्र - ग्यारह की संख्या, वास्तुदेव । रुद्रदास पु. वास्तुदेव, रूपस्तंभ पु. द्वारशाला के मध्य का भ < रम्या स्त्री घडी संदरला । रवि . बारह की संख्या, सूर्य रश्मि पु. किरण । रस पु. छह को संख्या 1 राक्षस पु. प्राय से *य अधिक जानने की संज्ञा । राजगृह न. राजमहल 1 राजपुर न राजधानी का शहर, राजनगर । राजमन्दिर न. राजमहल 1 राजमार्ग पु. सार्वजनिक आम रास्ता । राजसेन न. मएम की पीठ के ऊपर का पर राजहंस पु. केसरी जाति का २२ व प्रसाद राजांना पु. क्षेत्रफल का नाप विशेष राम पु. तीन की संकपा (राम, परशुराम और राम रासन . सर माय का नाम राहुल न. शेषनाग का मुह । रिक्ता स्त्री मोह की योगी शिला ४, ९ र १४ वलभी स्त्री प्रासाद की एक जाति । तिथि। वल्कल पु. मोषधि विशेष । लय न. मकान, ग्रह earer स्त्री. eatgatanली प्रासाद को गंभा लिङ्गोद्भवमा विशेष | लोहपू. धातु विशेष,लोहा | iter वक्त्र नं. मुख । वडा न. हीरा । पू. केसरी जाति का १६ म प्रसाद । art स्त्री. भीषधि विशेष, गी वट पु. वृक्ष विशेष, दर बढ़ वरस पु. प्रकाशी कल्पित एक संज्ञा । वपुस् न, शरीर । वराटका स्त्री. प्रासाद की एक जाति । बराल पुं. पास, अलवर जीव विशेष, मगर वरुण पु. पश्चिम दिशा का दिक्पाल, वास्तुदेव | मान पु. प्रतिकर्णवाला स्तंभ | वसु पु. पाठ की संख्या, माठ देव विशेष । वह्नि १. ममिको का दिक्पाल, अग्नि, वास्तुदेव, चित्रक प्रौषधि । वह्निभ न. कृतिका लक्षण ।

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