Book Title: Prasad Mandan
Author(s): Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publisher: Gyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar

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Page 270
________________ - : 3 मत्तालम्ब पु. गवात, झरोखा, बाबा, ताक मन्त्र न जान विशेष । मध्यस्था स्त्री. प्रासाद के भाग के मान का कोलो मंडप का नाम | मनु पु. चौदह की संरुप | मनोहर पु. पांचवां व्यय का नाम । ( २२१ ) cant eटकार्ड जाती है । मलय पुं. राज्यादि ड्डा प्रासाद । महानसन रसोई घर, रसोडा । महानोल पु. केसरी जाति का १४वा प्रासाद । महाभोग पु. राज्यादि २४ महीधर पुजा १७व प्रसाद महेन्द्र दु. वास्तुदेव | प्रासाद । मा . मंडप, मंडवा | मन्दर पु. केसरी जाति का छटा प्रासाद | मन्दरा स्त्री. इक्कसवीं संवरणा। मन्दारक पू. प्रसाद को एक जात की छत । एक नक्षत्र । मन्दिर पुं. राज्यादि पनि प्रसाद देवालय मरुत् पु'. वायुदिशा का प्रधिपति, दिपाल 4 मूलक न. पुं. शिखर के नीचे का कोना । मर्कटी स्त्रीवा के कार की पाटली, जिसमें मूलरेखा स्त्री, शिखर को सीने के दोनों को के बीच का नाप, कोना । व के चारों तरफ घूमते हैं। मालिनी स्त्री. छह सालावाले द्वार का नाम, २२ बों संवरणः । माहेन्द्र पुं. राज्य दसवां प्रासाद माहेन्द्री स्त्री. पूर्वदिशा मुक्ता स्त्री. मोती । मुखभद्र न. प्रासाद का मध्य भाग । मुखमण्डप पु. गर्भगृह के प्रागे का मंडप बनाए । मुख्य पु. चक्र के देव । मुoलोक न. दमा के ऊपर का एक पर | मुद्ग पु. मूंग, घाव्य विशेष । सूट न. रेडर, तोच्छ । मूल म. क्षेत्रफल, क्षेत्र की लंबाई मोर चोदाई का गुणा कार को २७ से भाग देने से जो शेष बचे वह मूलराशि माना जाता है। दीने का भाग मातृ स्त्री मातृ देवता | मार्केटिका स्त्री. तारे के समीप का वो साथ जो मेत्र्थ न मनुराधा नक्षत्र मित्र पु. वास्तुदेव मिश्रका स्त्री प्रासाद की एक जाति । मिश्रसंघाटन अंबानीचा बांबा वाया तुम्बद का दोष छ मीत पु. सूर्य की १२वीं संक्राति १२वीं राशि, मधुली । मोनार्क पु. मीनराशि का सूर्य मीन संक्रान्ति मुकुटज्ज्वल पु. केसरी जाति का २०वां प्रासाद | मुकुली स्त्री. पाठ शाखाकाले द्वार का नाम । सूपा स्त्री. लंबा पदि । मृगम, मृगशीर्ष नक्षत्र, मकर राशि, वास्तु देव । मृगार्क पुं. मकर राशि का सूर्य मकर संक्राति । मूत् स्त्री मो । मेखला स्त्री. दीवार का खांचा । मेढ़ पु पुरुष चिन्ह, लिंग । मेरु दु. प्रासाद विशेष, एक पर्वत । मेरुकुटोद्धया स्त्री पचीसवीं संवरणा घ यक्ष पुं. आप से कम व्यय जानने को संज्ञा देहसी का देव । यक्ष्मन् पु'. वास्तुदेव । यज्ञाङ्ग १. वृक्ष विशेष, गुलर । यम पु. दक्षिण दिशा का दिक्पाल, वास्तुदेव, भरणी नक्षत्र । गर्भगृह । यमांश पुं. क्षेत्रफल का नाम विशेष | यमतुल्ली स्त्री. सम्मुख यव पु. जय, धान्य विशेष | यान न, आसन, सवारी, याम्या स्त्री. दक्षिण दिशा युग्म न. दो की संख्या

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