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प्रासादमरखने
मेरुप्रासाद राजालोग बनावें । धनिक लोग मेरुप्रासाद से न्यून प्रासाद बनावें, अर्थात् मेप्रासाद नहीं बनावें। यदि बनावें तो राजा के साथ बनायें ! राजा के बिना अकेले पनिक धारा बनाया हुमा मेरुप्रासाद बड़ा भयकारक माना है ।।४६|| इति श्री पंडित भगवानदास जैन द्वारा अनुवादित प्रासादमराइन का केसर्यादिप्रासाद लक्षणनाम का छठा अध्याय की सुबोधिनी नामकी
भाषाटीका समाप्ता ॥६॥