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manisote:
उपरोक्त घंटिका की संख्यानुसार संवरणा परुषीस प्रकार की हैं। उन में प्रथम संदरणा को भूमि का पाठ पाठ भाग करें। पीछे प्रत्येक संचरण में चार चार भाग एक सौ बार भाग तक बढ़ाने चाहिये ||४८
च तव
प्रा० १६.
वामदक्षिणे ।
भद्रा रथिका water रथिका
एटा कूटं
तवकम् ॥४६॥
are को रचिका के मान का दोनों तरफ तवंग बनायें । रचिका, घंटा, कूट और तवंग, ये विस्तार से श्रावा उदय में खलें ॥४६॥
पुचिकारा (१६.
अभाव पनि
पुष्पिका नाम की प्रथम सं
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