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सार
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माय पु. संशा विशेष जिसे गृहादि शुभाशुभ देखा आतर उरसेघ पू. ऊंचाई। जाता है, माठ की संख्या, लाभ ।
उदक न. पाती, अस। प्रायत बि. लेखाई।
उदच प्रो. उतरविश प्रायतनन. देवालय, थेयों की पंचायतन ।
उदुम्बर न. वारसाखा का नीचला भाग देहली। प्रारात्रिक न. भारती।
उद्गम पु. प्रासाद के दीवार का पाठवां पर जो सीड़ी पार्दा स्त्री. अट्ठा नक्षत्र ।
के मामार वाला है। प्रालय पु. वासस्थान, घर, देवालय |
उमिन पु. चार प्रकार के आतिको माति वाली संत, मासनपट पु. बैठने का आसन, तकीया।
छत का एक भेद ।
उद्भिन्ना स्त्री. सातवौं संदरगा। इन्दु १. चंद्रमा, एक की संख्या ।
उपग्रह पु. नदनों की एक संशा । इन्द्र पू. पूर्वदिशा का स्वामी, दिक्पाल, वास्तुदेव, उपरथ पु. कोने के पास का तीसरा कोना। राम थर का देव ।
उहमञ्जरी स्त्री, उग इन्द्रकील न. समिका जो ना दंड को पाबूत रखने उहशृङ्ग) म. शिखर के भद्र र पढ़ायें के लिये साथ रखा जाता है।
उरङ्ग हुए श्रृंग इन्द्र अब पु. वास्तुदेव
ऊवं त्रि, अंबाई, कार, इन्द्रनील पु. केसरी जाति का तेरहवा. प्रासाद, रत्न उवा स्त्री. बड़ी मूर्ति ।
विशेष । इन्द्र वारुणी स्त्री. बड़ी इन्द्रफला प्रौषधि ।
ऋक्ष न. नक्षत्र, २७ की संख्या । इन्द्रोश पु. संभाविशेष ओ इमारतो काम में देखा
ऋत्विज पु. यस करने वाले, यशवस्ति ।
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इधु पु. पाम की संख्या, बाण. इष्टका | स्त्री. ईट
एकादश वि, ग्यारह की संख्या : সুশিক্ষা
ऐरावत पु. केसरी जाति का २१ चा प्रासाद ।। ईश पु. नंदी थर का देव, वास्तुण, ईशाम कोना का दिपाल, महादेव ।
कङ्ग न. शन्य विशेष, कांग। ईश्वर पु. शिखर की देव, महादेव ।
कटि स्त्री. कमर, घरीर का मध्य भाग । ईश्वरी स्त्री. पौषधि विशेष, शिवलिङ्गी ।
ककन. करणी, मान्यकुमके ऊपर का पर। करणपीठ न. जाध्यम और कशी दो परवानी
प्रासाद की पीठ
कणाली स्त्री. कशी मामा घर उक्षिप्त न. गुबज का ऊंचा उठा हुमा बंदोबा, प्रत । कदाचन प्र. कसी। उत्तरंग ल. वारशा के ऊपर का मथाला । मनीयस् त्रि. छोटा, वधु । उसरा स्त्री. उत्तराफाल्गुनी, उसरापाखा भौर उत्तरा कन्या स्त्री.ठी राशिका माम । भाद्रपद मे सीनों नक्षत।
कपिली स्त्री, कपली, कोलो, शुकमास के दोनों तरफ उत्तानपट्ट पु. बड़ा पार
शिखर के माचार घाला मंस।
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