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प्रासादमरहने
शृंगसंख्या-कोणे १२, प्रतिरथे ८, भद्र १२, एक शिखर, एवं कुल ३३ श्रृंग, तिलक संख्या-प्रतिरये ८ पोर नन्दी पर ६, कुल १६ तिलक । -सिवान् प्रासान....
देशले प्रतिरथे त्वमृतोवसस्थितौ । हिमवान् ?' उसमृङ्ग पूज्यः सुरनरोरगैः ॥२७॥
इति हिमवान् प्रासाद: nul यह प्रासाद का तलमान और स्वरूप अमृतोद्भव प्रासाद के अनुसार जाने । विशेष यह है कि-पढरे के ऊपर तिलक के बदले शृंग अर्थात् यो ग चढ़ावें और भद्रके ऊपर से एक उरुशृंग कम करके दो उरुग रक्खें । ऐसा हिमवाद नामका प्रासाद देव, मनुष्य और नागकुमारों से पूजित है ॥२७॥
शृगसंख्या--को १२, प्रतिरथे १६, भद्रे, एक शिखर, एवं कुल ३७ ग मौर तिलक ८ नंदी के ऊपर। १०-हेमकूट प्रासाद---
उरुशृङ्गत्रयं भद्रे नन्दिका तिलकाविता । हेमकूटस्तदा नाम प्रकर्तव्यस्त्रिमूर्तिके ॥२८॥
इति हेमकूटप्रासादः ॥१०॥ यह प्रासादका सलमान और स्वरूप हिमवान् प्रासाद के अनुसार जानें । विशेष यह है कि-भद्र के ऊपर तोहरा रुम और नंदी के ऊपर दूसरा तिलक चढ़ा। यह हेमकूट नामका प्रासाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश, यह त्रिमूक्ति के लिये बनावें ॥२८॥
मुंगसंख्या- कोणे १२, प्रतिरथे १६, भद्रे १२, एक शिखर, एवं कुल ४१ ग और १६ तिलक नन्दी के ऊपर। ११-कैलास प्रासाव---
नन्दिकानान्ततः शृङ्ग रेखाश्च तिलकोत्तमाः । कैलासश्य सदा नाम ईश्वरस्य सदा प्रियः ॥२६॥
इति कैलासप्रासादः ॥११॥ यह प्रासाद का मान और स्वरूप हेमकूट प्रासाद के अनुसार जाने । विशेष यह है किनन्दी के ऊपर दो तिलक हैं, उसके बदले एक शृंग और उसके ऊपर एक तिलक पहा ।
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