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मासामगबने
प्रथम संवरणा को समबोरस भूमिका पार भाग करें, उसमें चार भाग संवरणा का उपम रखें। सब संवरणा विस्तार से प्राधी उदय में रखें । कर्ण के कपर मूल घटा दो भाग विस्तार वाली और एक भाग का उदयबाली बनावें एवं कूटा भी विस्तार से प्राषा उदय में रक्खें।
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छाद्योदयास्तदधे १ करणे कर्णे व पण्टिका ॥
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१८ वीं शतादि से माधुनिक समय की संवरणा शैली ।