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प्रासादमखने
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तीम २ चौकी की तीन लाईन ऐसा नव चौकी वाला शान्त नाम का मंडप कहा जाता है ॥६॥ शालमंडर के आगे एक चौको हो तो नंद ७, शान्तमंडप के प्रामे चौको न हो, परन्तु दोनों बगल में एक २ चौकी हो तो सुदर्शन ८, शान्तमंडप के प्रागे और दोनों बगल में एक २ चौकी हो तो रम्यक ६, तीन २ चौकी वाली धार लाईन हो तो सुनाभ १०, सुनाम मंडर के दोनों बाल में एक २ पोकी हो तो वह ११, शोर सिह मंडप के प्रागे एक चौकी हो तो सूर्यात्मक नामका मंडप १२ कहा जाता है । इन महयों के ऊपर गुमट अथवा संवरणा किया जाता है।
गूढस्याग्रे प्रकर्तव्या नानाचतुष्क्रियान्विताः । चतुरखादिभेदेन वितानहुभियुताः ॥२४॥
इति द्वादशत्रिकायाः ।
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