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गुमट का अदय विस्तार से प्राधे मानका खखें, यह वामन नाम का उदय कहा जाता है. यह सब.यज्ञों के फल को देने वाला है और शान्तिदायक है। जदय का नब भाग कर, उन में से दो भाग कम करके सात भाग का उदय रक्खें, उसको अनन्त नाम का उदय कहते हैं, यह सब लोगों के लिये सुख कारक है । नघ भाग में से तीन भाग कम करके छह भाग का उदय रखें, उसको वाराह नाम का उदय कहते हैं । यह अनन्त फल को देने वाला है । गुमट का न्यूनाधिक उदय फल---
"उदयाच समाख्याता अनन्त फलदायकाः । तने देशे भवेच्छान्ति-रारोग्यं च प्रजायते ।। उदये ही नाम ये केचित् क्रियते मण्डपा भुवि । तत्र मारी महाग्याधी राष्ट्रमनभयं भवेत् ।। दुभिक्षं चातिरोन च राजा व नियते तथा ।
धनं निष्फलतां याति शिसिनो नियन्ते ध्रुषम् ।।" इति ज्ञानरत्नकोशे । उदय का जो मान बतलाया है, उसी मान के अनुसार कार्य करने से वह अनन्त फल को देने वाला, देश में शान्ति करने वाला और आरोग्यता को बढ़ाने वाला है। यदि ये मंडप कहे हुए उदय के मान से होन कर तो देश में महामारी, अनेक प्रकार की व्याधियां, देश भंग का भय, भयंकर दुभिश, राजा को मृत्यु, धनको निष्फलता और शिल्लियों को मृत्यु, इत्यादि उपद्रव होने का भय है। भारह पोको मंडप
. एकत्रिवेदषट्सप्ता-चतुष्क्यस्त्रिकाये ।
भने भद्रं विना पार्ने पायोरयतस्तथा ।। २२।। भगतस्त्रिचतुष्क्यश्च तथा पाच दयेऽपि च ।
मुक्तको चतुम्के चेदिति द्वादश मण्डपाः ॥२३॥ गूढमंडप के प्रागे एक, तीन, चार, ह, सात और नव चौकी वाले, ये छह प्रकार के मंडप हुए, उनमें छट्ठा नव चौकी वाले मंडप के मागे एक चौको हो ७, अथवा प्रागे चौको म हो परन्तु दोनों बगल में एक एक चौकी हो ८, सथा दोनों बगल में और प्रागे एक एक चौकी हो २, अषया पापे तोन चौको हो, अति तीन तीन चौकी वाली चार लाईन हो १०, इसके दोनों बगल में एक २ चौको हो ११ अथवा दोनों बगल में और मागे एक २ चौकी हो १२, ऐसे बारह प्रकार के चौकी मंस्प हैं ।।२२-२३॥
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