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प्रासादमरने
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अठारह विभागीय तलमान---
अष्टादशांशे भद्रस्य पावें च नन्दिके ।
कर्तव्ये भागभागेन शेषं स्यात् पोडशांशात् ॥१०॥ समचोरस तलका अठारह भाग करें। उनमें से भद्र के दोनों तरफ दो २ मन्दी एक २ भाग को बनावें । बाको सब सोलह विभागीय तलमान के बराबर जानें । जैसे-कर्स दो भाग, कोणी एक भाम, प्रतिरथ दो भाग, नन्दी एक भाग, दूसरी नंदी एक भाग और भद्रार्घ क्षे भाग, ऐसे प्रारह भागीय ललमान जाने ॥१०॥ बीस विभागीय तलमान----
चतुरस्त्रीकृते क्षेत्रे विंशत्यंशविभाजिते । को द्विभागो नन्दिका साधांशा पृथुविस्तरे ॥११॥ विजापत प्रतियो नन्दिका सार्घभागिका ।
भद्रनन्दी भवेद् भागा मद्रार्धं युग्मभागिकम् ॥१२॥ .. समचोरस क्षेत्र के बीस भाग करें। उनमें से दो भाग का करणं, डेढ़ भाग की कोणी, दो भाग का प्रतिरथ, हे भाग को मंदिका, एक भाग को भद्रनंदी और दो भाग का मद्रार्ध, इस प्रकार बोस भागीय तलमान बनायें ॥११-१२।। बाईस विभागीय तलमान--
द्वाविंशतिकते' क्षेत्र नन्छे का भद्रपार्श्वयोः ।
त्रयः प्रतिरथाः कणों भद्राधं च द्वि मागिकम् ॥१३॥ समचोरस क्षेत्र के बाईस भाग करें। उनमें से भद्र के दोनों तरफ की नन्दी एक २ भाग को बनावें । बाकी तीन प्रतिरथ ( रथ, उपरथ और प्रतिरथ ) कर्ण तौर भद्रार्ध, ये प्रत्येक दो २ भाग का रक्खें। इस प्रकार बाईस विभागीय तलमान होता है ॥१३॥ तलोंके क्रमसे प्रासाद संख्या---
एकद्वित्रित्रिक त्रीणि वेदाश्चत्वारि पञ्च च ।
तलेषु क्रमतोऽष्टासु केऽप्याहुः शिखरामिण हि ॥१४|| १. 'विशमशके नदी भागेका'।