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बलारएक का मान प्रासाद के मान से बलाएक का मान उत्तरंग का पेटा भाग पाच प्रकार के प्रसारणक संवरणा प्रथम संघरणा का रेखा स्त्रि दूमरी संबरणा का चित्र पच्चीस संवरणा के नाम प्रथम पुष्पिका संवरणा १८ वी शताब्दी से.माधुनिक समय की संबरणा का रेखा चित्र जैसलमेर जैन मन्दिर को संवरणाचित्र कीति स्तंभ का चित्र दूसरी नन्दिनी संबरा प्राचीन संघरणा का चित्र
গা মা শাখ
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पृष्ठ विषय १३४ छाया भेद १३४ देवपुर, राजमहल और नगर का मान .... १३५ राजनगर में देव स्थान १३५ प्राश्रम और मठ १३६ स्थान विभाग १३७ प्रतिष्ठा मुहत १३६ प्रतिष्या के नक्षत्र १३६ प्रतिष्या में बजनीय तिथि १३६ प्रतिष्ठा मण्डप
मज्ञ कुण्ड वा मान माप्ति संख्या में कुण्ड मान दिशानुसार कुण्डी को प्राकृति मण्डल পুলিশ। देवस्नान विधि देवशयन रत्लन्यास
धातुल्यास १४३ पौषधिन्यास
धान्यन्यास पाचार्य और शिल्पिभों का सम्मान प्रासाद के अंगों में देव म्यास
प्रतिष्ठत देव का प्रथम दर्शन १४४ सूत्रधार पूजन १४५ देवालय निर्माण का फल १४५
सूत्रधार का पाशिर्वाद
भूत्रधार का मार १४५ .मात्राय पूजन १४६ जिन देवप्रतिष्ठा १४६ जलाश्रय प्रतिष्ठा १४६ जलाश्रय बनाने का पुण्य १४७ बास्तु पुरुषोत्पत्ति १४७ वास्तुपुरुष के ४५ देव १४८ वास्तुमंडल के कोने की प्राठ देवी १४८
शास्त्र प्रशंसा १४६ अन्तिममंगल
१५६ ५६. १६.
शिवलिंग का न्यूनाधिक मान वास्तुदोष निषेधवास्तु द्रव्य शिवालय उत्थापन दोष जीखोडार का पुण्य जीणोद्वार का वास्तु स्वरूप दिड मूढ दोष दिड मूढ का परिहार भव्यक्त प्रासाद का दालन महापुरुष स्थापित देव जीर्णवास्तु पासम विधि महादोष शिस्पिकृत महा दोष भिन्न और मभिन्न दोष देवों के भिन्नदोष ध्यक्तापक्त प्रसाद महामर्म दोष अन्य दोषों का फल
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