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गुला०-कहिये घरपरतो सब खैरियत है न ? इन्द्र०-हां सब कुशल है. वृद्धिo-अवतो कुछ समयके लिये मुकाम रहेगान ?
इन्द्र०-नहीं सहाब ! मैंतो लग्न निर्णयके लिये आयाहू इन्द्रपुरसे बालाबालाही बम्बई जाउंगा व दिगर सब यहीं रहेंगे(इतनेमें)
गुला०-किसके लम? वृद्धि०-वाह शेठ पूनमचंदजीके लड़केकी शादी जो है। गुला-हां यहतो मुझे मालूम है परंतु इससे इनको क्या? वृद्धि०-(हँसकर) क्या आपको इतनीही मालूम नहीं ? गुला०-नहीं
वृद्धि-शेठ पूनमचंदजीके ये भानजे जवांई होते है, इसीसे तो इनको इस समय आना जरुरी है. (इतने में)
इन्द्र०-देखिये वकील साहब, मोहनलालजी भी आगये है. (तीनो व्यक्ति उठकर जगह देतें है. और वकीलसाहब जिनमंदिरको बंद पाकर बैठते है.)
वकी०-(इन्द्रमलजीसे) आप कब आये है ? इन्द्र०-आजही. वकी०-इन्द्रपुर कब जानेका है ? इन्द्र०-दूसरी पंचमीके दिन. वकी०-(हँसकर) आप यह दूसरी पंचमी कहांसे ले आये वृद्धि०-लालबागसे. (बीचहीमें) गुला०-नहीं नहीं रामविजयजी महाराजसे.
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