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( ६ )
साहबान तशरीफ लावें तो बहत्तर होगा.
वृद्धि ० - साहब ! आपको तो उस रोज निवृत्ति रहती है
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परंतु हमें तो सबही दिन एक समान है.
गुला०- ( वृद्धिचंदजी से ) अजी साहब ! आप क्यों भूल जाते है ! सेठजीके यहां बरातमें जाना पडेगा और वहां तो निवृत्ति ही रहेगी.
वकी० - बरात में तो सेठजी लेजावेंगे तो न आपतो "मान या न मान मैं तेरा महमान" वाली युक्तिको चरितार्थ करते हो. इन्द्र० - तो क्या सेठजी आपको भूल जायेंगें ?
वकी० - भूलतो नहीं जावेंगें लेकिन सिरका पसिना पेरतक तो लावेंगें न !
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इन्द्र० - आपको बुलावा करने में सेठजीको सिरका पसिना पैरतक लाना पड़े यह तो आश्चर्य की बात है.
गुला० - जाने दीजिये इन बातों से क्या सरोकार है मूल बात जो दूसरी पंचमीकी है वह तो अलग ही रह गई है.
वकी० - अबतो समय बहुत हो चुका ( जेब से घड़ी निका लकर) देखिये साढ़े नौ हो गये है.
वृद्धि०- (वकी० स० से ) आप जो यदि बरात में पधारें तो इस चर्चा संबंध सर्व साहित्य साथमें अवश्य लेलीजियेगा वकी० - वक्त पर बनजाय सो अच्छा (इन्द्रमलजी से ) लेकिन इतवार के दिन मेरे यहां जरुर पधारना अच्छा अबतो चलिये सबके सब हां चलिये (सबही उठकर जाते है.)
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