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(१२४) वक्त अन्यत्र विहार कर जायगे और शामको वहां चौमासी प्रतिक्रमण करेंगे क्या? - इन्द्र०-(स्वयं यहांतो जवाब देनेकी जगह नहीं है ! खैर कुछतो जवाब देनाही पडेगा) प्रगट, अच्छा, आपने क्या कहा?
वकी०-उस वख्त 'सुबहको विहार और शामको प्रतिक्रमण' यहतो आपको मंजूर है न? . .
इन्द्र०-नहीं बिलकुल नहीं चौदश पुनमको प्रतिक्रमण और प्रतिपदाको विहार होगा. सबब बिहारका संबंध पूर्णिमाके साथ नहीं है किंतु चौमासी प्रतिक्रमणके साथ संबंध है. - वकी०-अच्छा, विहारको चौमासी प्रतिक्रमणके साथ रख दीजिये. 'इसमेंभी पूर्णिमाके प्रतिक्रमणकी तो गलती ही है' परंतु श्रीतिर्थाधिराजकी यात्रा और अन्य स्थानों में पटदर्शन तो पूर्णिमाके साथ संबंधवाला है न?
इन्द्र०-(स्वयं इसमेंभी फसा) प्रगट हां हां है. और चतुदशी पूर्णिमाको सुबह पटदर्शन करेंगे और शामको प्रतिक्रमण करेंगे दोनोही शरीक होने से दोनोहीका कार्य हो जायगा.
वकी०-पालीताने में यदि आपके पूज्यवर्ग चातुर्मास रहे हो और उसी साल कार्तिक पूर्णिमाका क्षय हो तब आपके गुरूवर्य सुबह यात्रा करके शामको प्रतिक्रमण करेंगे क्या ?
इन्द्र०-जी, हां! ऐसाही करेंगे.
वकी०-श्रीगिरिराजकी यात्रा चौमासेमें बंद रहती है इसमें तो आपसे भी इनकार नहीं हो सकता है तो अब आप
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