Book Title: Parvtithi Prakash Timir Bhaskar
Author(s): Trailokya
Publisher: Motichand Dipchand Thania

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Page 223
________________ (१९९) के केम ? तेनो आपनी सहीथी लिखित उत्तर २४ कलाकमां आपचा कृपा करशो. आपनो जुवाब जो रीतसर हकारमा आ तो आ संबंध श्रीसंघमां शांति स्थापना माटे उपयोगी थाय तेवां पगलां आगल भरवानुं योग्य आगल करी शकाशे. लि० जंबुविजयजी सही दः पोते की ० - ( इन्द्रमलजी से ) सुना साहब ! यह पत्र भी यही कहता है कि धमाल माल कुछभी नहीं है. यदि मुनि श्रीहंससागरजीने आदपरमें धमाल कीया होती तो जंबुविजयजी यह पत्र कैसे लिखते ? सह० - जं० वि० ने इस पत्र में कितना झूठा लिखा है वह भी देख लीजिये. जं० वि० लीखते है कि - "श्रीसागरजी माहाराज चर्चा करवा तैयार छे" ऐसा हंससागरजीने कहा है जब श्रीहंससागरजीने तो कहा था वहतो प्रगट हो ही चुकाथा कि'आप यदि कबूल करें तो आचार्यमाहाराजको मैं विनंति करूं' दूसरी बात यह है कि - श्रीहंससागरजीने तो इनकी बनाई हुई पुस्तक के लियेही डिंडिमनाद कियाथा ! जं०वि०ने इस लिखानमें उस पुस्तककी बातको तो ॐ स्वाहाः कर दीह दूसराभी कितनाही झूठ लिखा है. और इसी बाबत श्री इंससागरजीने उनको जो पत्र दिया है, उसे भी मैं सुनाउंगा; परंतु जं० वि० के इस पत्रको लेकर आनेवालेके साथ ही श्रीमान् आचार्यमाहाराजने तो उसी वक्त जवाब लिखदिया, वही जबाब मैं आपको सुनाता हूं, सुनीये Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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